Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
11-28-2020, 02:45 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
“बस बस हो गया।” कहकर मैं उसके हाथ से पोंछा लेने को हाथ बढ़ाया, लेकिन इस क्रम में मेरा हाथ उसके हाथ से टकराया और उसे मानो 440 वॉल्ट का करंट लगा। पोंछा उसके हाथ से छूट गया और उसे उठाने के क्रम में मैं झुकी और तभी वह भी झुका। एक साथ झुकने से मेरा सर बड़ी जोर से उसके सर से टकरा गया। झन्न से झमाका सा हुआ मेरे सर में, पर भर के लिए दिमाग मेरा सुन्न सा हो गया था। दिन में तारे नज़र आ गये थे मेरे। मैं लड़खड़ा कर गिरने को हुई, तभी दूधवाले रमेश नें मजबूत बांहों में मुझे थाम लिया। सिर्फ थामा नहीं, जानबूझकर या अनजाने में उसनें मुझे अपने से सटा लिया। पर भर तो मैं स्तब्ध रह गयी, फिर मैंने खुद को संभाला और उसकी बांहों की कैद से मुक्त होने का प्रयत्न करने लगी, लेकिन मेरा यह प्रयास बेहद कमजोर था, या नगण्य था, या रमेश की पकड़ ही इतनी सख्त थी कि मैं फड़फड़ा कर रह गयी। मैं चाहती भी तो यही थी ना, लेकिन मैं इतनी आसानी से समर्पण करके खुद को इतनी सस्ती बनाना भी नहीं चाहती थी। अंदर से धधक रही थी, पुरुष संसर्ग के लिए मरी जा रही थी लेकिन विरोध का दिखावा करके शराफत का ढोंग भी करना था।

“आह, छोड़ो मुझे।” मैं बोली। मेरा शरीर उसके पहाड़ जैसे शरीर से चिपका हुआ था। मेरे स्तन उसके सीने से चिपके हुए थे। उसे भी शायद आभास हो चुका था कि नाईटी के अन्दर मेरे स्तन ब्रा बिना स्वतंत्र हैं। तभी मुझे अपनी नाभी के आस पास किसी कठोर वस्तु का आभास हुआ, समझते देर नहीं लगी कि यह रमेश का तना हुआ लिंग है। लेकिन इतना स्पष्ट आभास? तो क्या, तो क्या उसने चड्डी नहीं पहनी है? या शायद चड्डी के स्थान में उनका परंपरागत ढीला ढाला अंडरवियर? शायद, तभी तो उसका स्वतंत्र लिंग आजादी से अठखेलियां कर रहा था और अपनी उत्तेजित अवस्था का अहसास करा रहा था। सच में, मैं तो अंदर तक झनझना उठी। मन मयूर नाच उठा, नस नस तरंगित हो उठा, मगर अपनी भावनाओं को छुपा कर रखना तो कोई मुझ से सीखें। यथासंभव मैं भावनाओं को अभिव्यक्त होने से रोकने में फिलहाल तो सफल थी।

“ओह,” कहता हुआ उसनें मुझे अकस्मात अपनी बांहों से आजाद कर दिया, नतीजा? मैं असंतुलित हो पुनः गिरने को हुई लेकिन शुक्र हो उस दूधवाले का, थाम लिया मुझे और वो, सबकुछ तो पता चल गया उसे कि मैं नाईटी के अन्दर पूर्णतया नंगी हूं। इस बार उसका एक हाथ मेरे नितंबों पर था। समझते देर नहीं लगी उसे कि मेरी पैंटी भी नदारद है। असमंजस, अनिश्चय, दुविधा में पड़ा, वह शायद समझने की कोशिश कर रहा था कि मेरा इरादा क्या है। मैं ठहरी एक नंबर की ड्रामेबाज, मेरे चेहरे पर अब भी कोई भाव नहीं था, हालांकि मैं बड़ी बेकल थी कि वह टूट पड़े मुझ पर, मिटा डालने अपनी जिस्मानी भूख, रगड़ डाले, निचोड़ डाले मुझे, मगर अपने मुंह से एक दूधवाले को बोलूं तो बोलूं कैसे। सिर्फ देखती रही कि इस समय परिस्थितियां हमें कहां तक ले जाती हैं। वैसे भी इस वक्त मैं किसी भी परिस्थिति में कृत-संकल्प थी कि उस दूधवाले को हाथ से जाने न दूंगी। मुंह से भले न बोलूं, शारीरिक भाषा भी तो कोई चीज होती है। ज्यों ही उसनें मुझे थामा, मैं भी अनजाने में उससे चिपक गई, अपने दोनों हाथों से उसके पहाड़ जैसे शरीर को पकड़ कर। मेरे दोनों स्तन उसके चौड़े चकले सीने से पिसे जा रहे थे, मेरी योनि के ऊपर अब उसके सख्त होते लिंग का दबाव एकदम स्पष्ट था। उसकी उत्तेजना अब मैं साफ साफ समझ सकती थी। कुछ पल यूं ही निकल गये, अब मैं उससे अलग होना चाहती थी, यह देखने के लिए कि उसकी बेताबी का आलम क्या है, प्रयास भी किया, लेकिन यह क्या, अब उसे मेरे शरीर को छोड़ना गंवारा नहीं था। उसकी पकड़ और सख्त हो चुकी थी।
Reply
11-28-2020, 02:45 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
“यह क्या?” मैं बमुश्किल बोली।

“मैडम जी, अब का?” उसकी सांसें अब तेज चल रही थीं।

“क कक्या मतलब?” मैं अपनी सांसों को दुरुस्त करती हुई किसी प्रकार बोली।

“अब का, अब मतलब हम ही बतावें?” अब उसकी हिम्मत बढ़ रही थी। आरंभिक दुविधा समाप्त हो रही थी।

“मैं समझी नहीं।” मैंने उसके बदन को छोड़कर अलग होने की कोशिश की, लेकिन अब इस दिखावे का कोई मतलब नहीं था। वह दूधवाला अब मेरे मादक तन से उठते महक से मदहोश हुआ जा रहा था। उसका एक हाथ अब मेरे तन को बांधे खुद से चिपकाए हुए था और दूसरा हाथ अपनी हरकतों पर उतर आया था। मेरे गुदाज नितंबों को सहला रहा था, हौले हौले दबा रहा था और मैं मदहोश हुई जा रही थी।

“अब इसमें समझने वाली का बात है। हमारी हालत खराब हो रही है। आपका भी तो यही हाल है, है ना?” वह अब खुल रहा था।

“यह यह क्या कर रहे हो,” उसके हाथों की हरकतों से मैं पगलाई जा रही थी फिर भी ढिठाई से बोली, “तुम्हारी बातें अब भी मेरी समझ से परे है। छोड़ो मुझे।” मैं रोष दिखाती हुई बोली।

“न, न, अब न छोड़ेंगे। ऐसे तो नहीं छोड़ेंगे।” वह अब मेरा चुम्बन लेने के लिए सामने झुका, लेकिन मैं पीछे की ओर हटना चाहती थी, नतीजा यह हुआ कि कमर से ऊपर का हिस्सा तनिक पीछे की ओर झुका, लेकिन उसकी बांहों ने मुझे छिटकने न दिया। चुम्बन तो लिया ही उसनें, जबर्दस्ती लिया, वह एक लंबा चुम्बन था, उसके मोटे मोटे होंठ मेरे रसीले होंठों का रसास्वादन कर रहे थे। इस चुम्बन नें मेरे अंदर की कामुकता को भड़का दिया। स्थिति यह थी कि मैं पीछे की ओर झुकी थी, वह मुझ पर झुका हुआ था और इधर उसका तनतनाया हुआ लिंग ठीक मेरी योनि के ऊपर टहोका मार रहा था, बाप ये बाप, अब मैं बेकाबू होती जा रही थी।

“नहीं, नहीं, हटो, छोड़ो बदमाश।”

“छोड़ देंगे, हट जाएंगे, चले जाएंगे लेकिन आपका क्या होगा?” वह बोला।

“क्या मतलब?”

“यह क्या है, ब्रा नदारद, पैंटी नदारद, खाली ऊपर से पतली सी नाइटी, और और यह क्या, आपके जांघों के बीच नाईटी गीली क्यों है? सब समझते हैं, चुदवाने का मन है फिर भी ड्रामा।” मेरे झूठे नाटक का पर्दाफाश हो रहा था लेकिन मैं ही ढीठ की तरह अड़ी हुई थी। सच ही तो बोल रहा था वह और यह मेरी कंबख्त लंडखोर चूत, लंड खाने की बेताबी में जार जार आंसू बहा रही थी, संभोग पूर्व चिकने लसलसे द्रव का स्राव, जिस कारण मेरी नाईटी उस जगह गीले धब्बे के रूप में मेरी चुदासी स्थिति की चुगली कर रही थी।
Reply
11-28-2020, 02:45 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
हाय राम,” अनायास ही मेरा हाथ मेरी चूत पर जा पहुंचा, गीला, चिपचिपा, लसलसा। शर्म से पानी पानी हो गयी मैं तो।

“सच कहे न हम?” वह मेरी प्रतिक्रिया देख कर मुस्कुरा कर बोला। उसकी आंखें चमक उठी थीं।

“यह तो, यह तो ऐसे ही।”

“ऐसे ही तो नहीं। अच्छा ई बताईए, अंदर आपने पैंटी ब्रा काहे नाही पहना है?”

“वह तो हड़बड़ी में।” क्या हालत थी मेरी। मेरे ही घर में मैं एक पराए मर्द को सफाई दे रही थी।

“ग़लत, आप बाथरूम से नहा के तो नहीं निकले हैं, कि पैंटी ब्रा पहने बिना हड़बड़ी में नाईटी डालकर आ गयी।”

“इस सबसे तुमको क्या मतलब।”

“मतलब तो है।”

“बोलो, मतलब बोलो।”

“आपको चुदवाने का मन है।”

“हां है, तो, तुम्हें इससे क्या?”

“तो क्या, इधर हम हैं, आपको चोदने के लिए।” वह अब मेरी नाईटी उठाने लगा।

“नहीं, नहीं, ओह नहीं।” मैं विरोध करती रही और वह मेरी नाईटी उठाता चला गया। कहां वह दानव और कहां मैं कमसिन औरत। दिखावे का ही सही, मेरा विरोध एक हास्यास्पद दृष्य पैदा कर रहा था। इसे विरोध की संज्ञा से विभूषित करना मतलब विरोध का अपमान होता, क्षीणतम, नाम मात्र का, नगण्य। वैसे भी, अगर पुरजोर तरीके से विरोध करती, तब भी उस पहाड़ जैसे दानव पर रत्ती भर भी प्रभाव न होता। हाय राम, उसनें मेरी नाईटी को सिर्फ उठाया नहीं, खींच ही निकाला मेरे तन से, उफ़ भगवान, एक ग्वाले के सम्मुख मैं पूर्णतः नंगी थी। एक हल्का सा धक्का दिया उसनें मुझे और मैं धम से सोफे पर गिर पड़ी। उसकी आंखें तो फटी की फटी रह गयीं मेरी कामोत्तेजक, कमनीय देह का दर्शन करके। मुंह खुला का खुला रह गया। पर भर को हम दोनों अपने अपने स्थान में जड़ रह गये। फिर जैसे हमें होश आया। मैं स्वभाव से जरूर बेशर्म हूं, लेकिन इस वक्त अपनी नग्नावस्था से तनिक संकोच कर रही थी, और खास करके उस ग्वाले की नजरों में जो कुछ मैं देख समझ रही थी उस कारण भी। अंतरतम की तृष्णा और जलते बदन की बेचैनी, संसर्ग की आकंठ इच्छा के बावजूद तनिक शर्म और झिझक पता नहीं क्यों मुझे परेशान कर रही थी।

“वा्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह, इत्तनी सुंदर! ओ्ओ्ओ्ओ्ह्ह्ह्, गजब।” यह थे उसके उद्गार। वह अब आगे बढ़ रहा था।

“ननननहीं्ईं्ईं्ईं्ईं्।” मेरे मुंह से निकला।
Reply
11-28-2020, 02:45 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
“अब काहे की न न। मना करने का का फायदा अब।” वह बोला। मेरे संभलनेसे पहले ही बड़ी तेजी से सुनें अपने कपड़े खोल फेंके और मादरजात नंगा हो गया। अब विस्मित और भयभीत होने की बारी मेरी थी। जड़ हो गयी मैं, आंखें फटी की फटी रह गईं मेरी। उफ़ भगवान, पूरा दानव था दानव। पूरा शरीर रीछ जैसे बालों से भरा हुआ, लंबा तगड़ा, तोंदियल। और और और उसकी जांघों के बीच ओ्ओ्ओ्ओह्ह्ह भगवान, लंबे लंबे घने बालों से भरा, झूमता हुआ काला, विशालकाय, घोड़े जैसा लिंग, तना हुआ। भय से मेरी घिग्घी बंध गयी।

“नहीं, नहीं, प्लीज, मत आओ पास।”

“पास न आएं तो चोदेंगे कैसे।”

“प प प पहली बात, मैं वैसी औरत नहीं हूं।” झूठ, सरासर झूठ बोल रही थी मैं, जो कि आदत है मेरी।

“कैसी औरत?”

“वैसी, जैसी तुम समझ रहे हो।”

“कैसी समझ रहे हैं हम?”

“सस्ती, सेक्सी, मैं ऐसी हूं नहीं।” फिर झूठ।

“वो तो दिख रहा है। आप को बहुत बढ़िया से समझ गये हैं हम।” वह अब अपने पीली दंतपंक्तियों की नुमाइश करते हुए बेहद कामुकता भरी मुस्कान बिखेरते हुए बोला।

“ग़लत समझे हो।”

“सही समझे हैं।” मेरे उठने के प्रयास को व्यर्थ करते हुए बोला उठा। अब मैं सोफे में धंसी उसके चंगुल में थी। वह मुझ पर आ गया था। उसके तन से उठता दुर्गन्ध असह्य था। उफ़ कितनी गंदी गंध थी। उबकाई सी आ रही थी। लेकिन मैं चाह कर भी उस कैद से मुक्त नहीं हो सकती थी। उसके बनमानुषी खुरदुरी हथेलियां अब मेरे उत्तेजना से चुनचुनाते उन्नत चूचियों पर अठखेलियां करने लगे। “वाह वाह, करता मजेदार चूंचियां हैं और निप्पल तो गजब, इत्तने बड़े, वाह वाह मजा आ गया, हम तो चूसेंगे।” मेरी चूचियों को चुटकियों में भर कर बोला।

“आ्आ्आ्आ्आ्ह्हृह्, छ छ छ छोड़ो, ओह छोड़ो मुझे प्प्प्प्प्ली्ई्ई्ई्ईज।” मेरे चूचकों को चुटकियों में मसलना मुझे पीड़ा दे रहा था, साथ ही साथ एक अलग तरह का आनंददायक अनुभूति भी प्रदान कर रहा था।

“अब का छोड़ें और का पकड़ें, समझ ही नहीं आ रहा।” कहते हुए उसने अपने घिनौने मुंह में मेरी चूचियों को बारी बारी से ले कर चूसना आरंभ कर दिया।

“उफ्फ उफ्फ, न न न न, यह कककक्या्आ्आ्आ्आ करते हो, आ्आ्इ्आ्आ्ह्ह्ह्ह।” मैं पगलाई जा रही थी, फिर भी ड्रामा, सहमति अब भी नहीं दे रही थी, मगर मेरी सहमति असहमति की अब किसे परवाह थी, उसकी उंगलियां अठखेलियां करती हुई मेरी रसीली योनि तक पहुंच चुकी थीं और उसनें अपनी जादुई उंगलियों का जादू मेरी पनियायी, फकफकाती योनि पर चलाना आरम्भ कर दिया। चिहुंक उठी मैं जब उसकी उंगलियों का स्पर्श योनि छिद्र के ऊपरी हिस्से में स्थित भगनासे पर हुआ, “आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह्ह अम्म्म्म्मा्आ्आ्आ्आ।”

“अब का हुआ, अब्भीए तो शुरू हुआ है।” उसने मेरी चूचियों को चूस चूस कर लाल करके मुंह उठा कर कहा। उत्तेजना के आवेग में मेरे चूचक तन कर खड़े हो चुके थे।

“उफ्फ, बस बस अब आगे नहीं।” तड़प उठी मैं।

“चुप, अब कुछ न बोल।”

“काहे न बोलूं।”

“अब समय आ गया।”
Reply
11-28-2020, 02:46 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
“काहे का समय।” सब समझती थी, अब वह किसी भी क्षण मेरी योनि की दुर्गति कर सकता है। घोड़े का लिंग, भय से सिहर उठी।

“चोदने का।” बोलने का अंदाज ऐसा कि रूह कंपकंपा जाए। मेरी रीढ़ में ठंडी लहर दौड़ गयी।

“चुप, एकदम चुप, चल अब देख हमारे लंड का जलवा।” कहते हुए उसनें मेरे पैरों को फैलाया और मेरी जांघों के बीच आ गया। एक हाथ से मुझे दबोचे हुए दूसरे हाथ से अपने मूसलाकार लिंग को थाम कर मेरी योनि के प्रवेशद्वार पर रखा। उफ्फ, भय से मेरी कंपकंपी छूट रही थी। अबतक इतने विशाल लिंग, जो अबतक पूरे आकार में आ चुका था, ताकरीबन साढ़े ग्यारह इंच लंबा और इतना मोटा कि मेरी मुट्ठी में भी न समाए, एकदम घोड़े के लिंग की तरह, से मेरा पाला पहली बार पड़ रहा था।

“आज तो गयी रे तू साली बुरचोदी, छिनाल कुतिया, बड़ी लंड की भूख लगी थी न, अब चूत फड़वाए बिना जाएगी कहां बच के” मन ही मन खुद को कोस रही थी। उस पहाड़ जैसे दानव का दानवी औजार अपने लक्ष्य के करीब था, दस्तक दे रहा था और मैं अगले पलों में जो कयामत बरपा होने वाला था उसकी कल्पना से हलकान हो रही थी। एकल सोफे के दाएं बाएं से निकल नहीं सकती थी, सामने और ऊपर से वह दानव मुझ पर छाया हुआ था, सत्य ही मैं असहाय थी, इस स्थिति से छूटने की कोई गुंजाइश रत्ती भर भी नहीं थी।

“तो, अब हो जा तैयार।” वह बोला।

“नहीं प्लीज। रहम करो।” गिड़गिड़ाने लगी मैं।

“नौटंकी कहीं की, बंद कीजिए अब ड्रामा, नहीं तो हमको गुस्सा आ जाएगा।”

“यह नौटंकी नहीं है।”

“चोओओओओओप्प्प्प्प्प मैडम चोप्प, एकदम चोप्प। दस साल से कोई औरत चोदने का मौका नहीं मिला। जो भी औरतें मिली, मेरा लंड देख कर भाग गयीं, अब किस्मत से आप जैसी इतनी खूबसूरत माल मिली और आप भी नौटंकी किए जा रही हैं। आखिर हम भी मर्द हैं, खाली मूठ मारते रहें? न न न न, अब नहीं।” तो इसका मतलब इस आदमी का लिंग औरतों के लिए कयामत है? वह औरतें सौभाग्यशाली रही होंगी जो इसके चंगुल से बच निकलीं। मगर मैं तो आ बैल मुझे मार वाली कहावत चरितार्थ कर बैठी। अवश्य आज यह मुझे मार ही डालेगा। रोंगटे खड़े हो गये मेरे। मगर अब पछताए का होत है जब चिड़िया चुग गई खेत। अंतिम प्रयास में भी मैं असफल रही और तभी, ओह भगवान, तभी,
Reply
11-28-2020, 02:46 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
“हुंआ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह।” उसनें अपने लिंग पर दबाव बढ़ाना आरंभ कर दिया। मेरी योनि ककड़ी की तरह चिरने लगी।

“आ्आ्आ्आ्आ्आह, ननननहीं्ईं्ईं्ईं्ईं् ओ्ओ्ओ, मर गयी मां्मां्आं्आं्आं।” उसका घोड़े जैसा लिंग मेरी योनि को जबरदस्ती फैलाता हुआ अंदर जाने लगा। “छोड़ो मुझे, निकालो निकालो आह मेरी चूत उफ़ भगवान फट रही है आह।” मेरी दर्दनाक आवाज का कोई असर उस ग्वाले पर न पड़ रहा था। मैं पीड़ा से हलकान हुई जा रही थी, उफ़, वह असहनीय पीड़ा, जान निकली जा रही थी मेरी। छटपटाने में भी तो असमर्थ थी। चुदने की चाह में यह मैं क्या कर बैठी थी।

“आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह मैया, मरी मैं मरी ओह छोड़ो कमीने, आह, मर जाऊंगी।” पीड़ा से मेरी आंखें बाहर को आ गयी थीं। चेहरा विकृत हो उठा। पसीने पसीने हो उठी मैं। ज़िंदगी में ऐसी स्थिति में पहली बार फंसी थी। सच में जिंदगी में पहली बार दहशत में आ गयी थी मैं। ऐसी पोजीशन थी जिसमें मैं बिल्कुल बेबस थी, कुछ कर सकना तो दूर, हिलने में भी असमर्थ थी। उसका जालिम लिंग हौले हौले चीरते हुए मेरी योनि में घुसा चला जा रहा था, सूत दर सूत, इंच दर इंच। उस राक्षस को तो कोई फर्क न पड़ा मेरे आर्त निवेदन का। घुसाता चला गया, घुसाता चला गया, ओह मां्आं्आं्आं्आं्इ, लंड की लंबाई मुझे मारे डाल रही थी। मोटाई जो थी वह तो थी ही जो मेरी योनि को उसके लचीलेपन की सीमा से बाहर फैला चुका था, फटने फटने के कागार पर थी मेरी योनि। हाय यह मैं क्या कर बैठी।

“धीरज रखो मैडम, फटेगी नहीं।” बेकार सा आश्वासन दे रहा था वह, फट तो चुकी ही थी शायद।

“चुप कमीने कुत्ते, फट तो गई, ओह मां।”

“नहीं, नहीं फटी।” वह आदमखोर पशु, अपने घोड़े के लिंग सदृश अमानवीय लिंग को पूरा का पूरा ठूंसने की जद्दोजहद में लगा था, शायद एकाध इंच की कसर रह गयी थी, तभी वह रुका, लेकिन इतने में ही उसका लिंग मेरे गर्भद्वार पर दस्तक दे चुका था।

“आ्आ्आ्आ्आह्ह्ह्ह, बेरहम निर्दयी जानवर, निकाल निकाल अपना लंड ओह, फाड़ दिया, बर्बाद कर दिया मुझे। साले हरामी।” असहनीय दर्द से पागल हो रही थी, बदन पीड़ा से ऐंठ रहा था, मेरी आंखों से आंसू बह निकले।

“हो गया। अब काहे का रोना।”

“रोऊं नहीं तो क्या करूं। बर्बाद कर दिया मुझे हरामजादे, कुत्ते।”
Reply
11-28-2020, 02:46 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
“अब जो हुआ सो हुआ, अब ऐसे ही कैसे छोड़ दें। जो होना था हो गया। इतना होने के बाद अब हम तो न छोड़ेंगे। तू भी मना करके काहे अपना नुकसान कर रही है। फटना था फट गया। अब तो मजा लेने का टाईम है। इतना दर्द सहने के बाद जब मज़ा लेने का टाईम आया तो पीछे काहे हट रही हो।” कहते हुए अब उसनें आधा लिंग बाहर खींचा। ओह मेरे भगवान, अब थोड़ी राहत मिली। मगर मेरी चूत को तो एक छोटे सुरंग से बड़ी सी गुफा में तब्दील कर दिया था उसनें। अब बचा क्या था। जो होना था हो चुका था। वासना की आंधी में बह कर मैं अपनी चूत को बली चढ़ा बैठी थी। बली भी किस तरह, एक निर्दयी दानवाकार कसाई के हाथों, जिसने झटके से कत्ल नहीं किया, बल्की बड़ी बेरहमी से धीरे धीरे हलाल किया। उफ़ वे लम्हे, अब याद आती है तो झुरझुरी सी दौड़ जाती है सारे तन में। खैर, उस समय दांत भींच कर उन पीड़ामय लम्हों से पार होने की दुआ कर रही थी।

“बहुत टाईट है, मजा आ गया।”

“मजा साले कुत्ते, तुझे मजा आ रहा है, इधर मेरी जान निकल रही है, ओह।” मैं कलकला कर बोली, अब मैं सचमुच का विरोध कर रही थी, मगर इस तरह फंसी थी कि, हिलने से भी मजबूर थी।

“अब तुमको भी मजा आएगा।”

“खाक मजा आएगा, फट गयी मेरी चूत हाय राम, आ्आ्आ।”

“तभी तो, अब ढीली हो गयी मैडम तेरी चूत। मेरे लंड का कमाल देखा, बना लिया रास्ता।”

“बना लिया कि बर्बाद कर दिया हरामजादे, आ्आ्आ।” तभी उसने भक्क से दुबारा घुसेड़ दिया लंड। “आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह, नहींईंईंईंईंईंईं।” दर्द की लहर मेरी रीढ़ की हड्डियों में दौड़ गयी। इस धक्के नें रही सही कसर पूरी कर दी। उफ़ भगवान, ऐसा लगा मानो मेरे गर्भ के द्वार को भी खोल बैठा। उफ़, मेरी चूत का बंटाढार करने के बाद अब क्या यह मेरे गर्भ का भी वही हस्र करने वाला था? कांप उठी मैं। कहां से यह मुसीबत मोल बैठी थी मैं। कराह उठी।

“बस बस, घुसा, पूरा घुस्स गया, ओह मेरी रानी इतना गर्म है अंदर, ओह, आह, टाईट चूत, चिकनी चूत, मस्त चूत, गरमागरम चूत, मजा आ गया। अब रोना वोना बंद कर साली मैडम, चोदने दे। बहुत साल बाद किसी औरत की बुर में मेरा लौड़ा घुसा है, चोदने दे, ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ,” कहते कहते खींचा उसनें लंड और “हुम्म्म्म्म्म” दुबारा ठोका।
Reply
11-28-2020, 02:46 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
“आ्आ्आ्आ्आ,” मैं तड़प उठी। “ओह मादरचोद, मार डाला साला चूतिया, पागल हरामी।”

“अब जो बोलना है बोल, जो गाली देना है दे, हमको तो मिल गया, जो हमको चाहिए था। अब तेरा जो होगा सो होगा, हम तो चोदबे करेंगे। आराम से चुदवाना है तो चुदवा, नहीं तो जबर्दस्ती चोदेंगे।” वह अब मात्र एक कामान्ध नरपशु बन चुका था। मेरे दर्द पीड़ा से उसे अब कोई सरोकार नहीं रह गया था। उसे मुंहमांगी मुराद मिल चुकी थी। कामुकता के आवेग और अपनी जीत की खुशी में सब कुछ भूल चुका था। उसका विशाल शरीर मेरी टांगों के बीच समाया हुआ था और मैं अपनी हार मान कर अपने दोनों टांगों को अपनी पूरी क्षमता के अनुसार फैला कर उसके लंड को आत्मसात करने को तत्पर हो गयी, क्योंकि मेरे पास इसके अलावा और कोई चारा नहीं था। मेरे समर्पण को समझ कर वह प्रसन्न हो गया।

“ये हुआ, ये हुआ न बात।” गच्च से ठोंका लंड।

“आह, अब क्या करूं मैं, बर्बाद तो हो गयी। अब मना करने का क्या फायदा। जबरदस्ती लूट लिया तूने मेरी इज्जत।” मैं रोने लगी। यह रोना जरूर एक दिखावा था। मैं इतनी कमजोर दिल वाली औरत नहीं हूं कि ऐसी परिस्थितियों में रोने बैठ जाऊं। पीड़ा तो थी अवश्य, किंतु अब धीरे धीरे वह पीड़ा असह्य न रहा। चूत का तो सारा कस बल निकल चुका था।

“एक और ले, उंह हुम्म, एक और ले, उंह हुम्म।” गच्च गच्च गच्च गच्च, एक मिनट की ठुकाई के पश्चात ही बड़े आराम से उस भयावह लंड को अपनी चूत में लेने में सक्षम हो गयी। जानती थी, अंततः यही होने वाला है, फिर भी उस प्रथम पीड़ामय पलों की भयावहता अब भी मेरे जेहन में तारी थी।

“इस्स इस्स इस्स अस्सी्ई्ई्ई्ई,” न चाहते हुए भी मेरी सिसकारी निकल पड़ी।

“अब? अब? लग रहा है न मजा? दर्द शरद तो नहीं है न अब?” वह चुदक्कड़ दानव मेरी चुतड़ों को अपने बनमानुषी पंजों से मसलते हुए भच्च भच्च मेरी चूत की कुटाई करते हुए कहा।

“दर्द नहीं है तो? तो इसका मतलब क्या? यह ठीक हुआ क्या? आह आह” उन पीड़ामय लम्हों से उबर कर, अपने अंदर की पुनर्जागृत वासना की आंधी से उत्तेजित होती कामुक कामिनी को सप्रयास नियंत्रित करती बोली, फिर भी न चाहते हुए मेरी आनंदमयी आहों नें मुझ में चढ़ी मस्ती की चुगली कर ही डाली।
Reply
11-28-2020, 02:46 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
“आह आह ओह ओह, हुं हुं हुं, ठीक हुआ कि गलत, अब सोच के क्या फायदा। अब तो हुम्म हुम्म हुम्म मजा ले और मजा दे मैडम।” वह घपाघप चोदने में मशगूल होते हुए भी बोला। उसके चोदने की रफ़्तार से मैं चकित थी। मोटा ताजा दानवाकार आदमी इतने बड़े लंड से मुझे चोद रहा था, फिर भी इतनी रफ़्तार? फच फच फच फच का तालबद्द स्वर, वह भी इतनी द्रुत लय में, सच, यह मेरे लिए किसी अजूबे से कम नहीं था। सिर्फ पांच ही मिनट में मैं खुद की उत्तेजना को रोक पाने में असमर्थ हो गयी और लो, हो गया मेरा बेड़ा गर्क। मैं उत्तेजना के चरमोत्कर्ष में पहुंच गयी और मेरी कमीनी लंडखोर चूत नें मुझे दगा दे दिया। साली दगाबाज चूत, कहां तो कुछ देर पहले तक फटी जा रही थी और अब दर्द गायब तो मजा लेने की बारी आई तभी झरझरा कर मैदान छोड़ने का ऐलान कर बैठी।

“इस्स्स्स्स्स आ्आ्आ्आ्आ्ह, ओह्ह्ह्ह्ह्ह मां्आं्आं्आं्आं, गय्यी्ई्ई्ई्ई्ई्ई,” मैं झड़ने लगी और क्या खूब झड़ी। उस मोटे, गंदे, गैंडे से जोंक की तरह चिपक कर थर-थर कांपती झड़ी। वह जानता था, मैं झड़ रही हूं लेकिन उसकी चोदने की रफ़्तार में रत्ती भर भी अंतर नहीं पड़ा। फचाफच, चटाचट, गचागच, मशीन की तरह लगा रहा।

“हुं हुं हुं हुं हुं हुं, अब्भी कहां गयी मैडम, अब्भी तो बहू्ऊ्ऊ्ऊत बाकी है, हुम्म।” वह अपनी सांसों को नियंत्रित करते हुए गैंडे की तरह हांफते हुए बोला।

“आ आ आ आ नहीं नहीं ओह ओह हा्आ्आ्आ्आ, बस्स्स्स्स्स्स आ्आ्आ्आह्ह्ह्ह्ह हो्ओ्ओ्ओ गय्या्आ्आ।” कहते हुए मैं ढीली पड़ गयी लेकिन वह लगा रहा।

“अभ्भिए से ऐसे ढीली न पड़ो रे चूतमरानी मैडम। अब्भी तो शुरूए हुआ है।” यह कहते हुए मेरे निर्जीव पड़ते शरीर को अपनी मजबूत बांहों में दबोचे चोदता रहा, चोदता रहा और नतीजा? मात्र दो तीन मिनट बाद ही पुनः मेरी देह में मानो नवजीवन का संचार होने लगा। इतने बड़े लंड को अपनी चूत में आसानी से आवागमन होते देख मैं रोमांचित हो उठी। अब मैं नये जोशो-खरोश के साथ उसके हर ठप्पे का उत्तर बाप से देने लगी, अपनी कमर उचका उचका कर, हां अलबत्ता मेरे मुंह से हाय हाय की आवाज बदस्तूर जारी थी।
Reply
11-28-2020, 02:46 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
“आह बप्पा, मर गयी, ओह मां, ओह मां, आह आह आह।” मैं बोलती रही। दिखावे की आहें भरती रही, पीड़िता होने का अभिनय करती रही, किंतु शारीरिक रूप से सहयोग करती रही, देती रही अपनी चूत, मजे ले ले कर खाती रही उसका मोटा लंड। वह पूरे जोशो-खरोश के साथ चोदने में मग्न था। करीब आधे घंटे तक तूफानी रफ्तार से मुझपर अपनी मर्दानगी दिखाता रहा। इस दौरान वह बड़ी बेदर्दी से मेरी चूचियों को दबाता रहा, चूसता रहा, मेरे सीने, गर्दन पर अपनी दांतों के दाग़ छोड़ता रहा और मैं उसकी हर जालिमाना हरकत को सहती रही, क्योंकि उसकी चुदाई से मुझे जो सुख मिल रहा था वह मेरे शरीर पर होते जुल्म से कहीं ज्यादा आनंददायक था। ओह, अत्यंत सुखदाई, आनंद की पराकाष्ठा, मेरा सारा धैर्य जवाब दे चुका था और मेरे मुख से आनन्द भरी सिसकारियां उबलने लगीं, जिससे उसका उत्साह चरम पर पहुंच गया था। अंततः उस कामुक खेल के चरमोत्कर्ष पर पहुंचा वह। ओह उसका वह स्खलन अविस्मरणीय था। उसने़ं मुझे अपनी मजबूत भुजाओं में भींच कर अपने वीर्य का मानो बाढ़ ही ला दिया मेरी चुद चुद कर बेहाल, मगर निहाल चूत में। स्खलन के उन पलों में उसका लिंग अविश्वसनीय रूप से और बड़ा हो गया था। मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका लंड मेरे गर्भाशय में प्रविष्ट हो कर गरमागरम लावा भर रहा हो। और मैं क्या बताऊं, इसी समय मैं भी झड़ने लगी और सच तो यह था कि यह मेरा तीसरा स्खलन था। मैं दिवानी पूर्ण समर्पिता बनी आंखें मूंदे उसके दानवाकार शरीर से छिपकिली की तरह चिपक कर स्वर्गीय सुख में गोते खाने लगी।

“आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्हृह्ह्ह्ह” किसी भैंसें की तरह डकारता हुआ मुझ पर ढह गया। एक संतुष्टि की निश्वास छोड़ता हुआ बोला, “बहुत मस्त औरत हो तुम मैडम। इत्ते साल बाद मिली मगर मिली तो ज़िंदगी में पहली बार इत्ती मस्त माल मिली। रोज आवेंगे हम दूध देने और चोद के जाएंगे।” मुझ पर से उठते हुए बोला वह।

“नहीं नहीं” मैं हड़बड़ा कर बोली।

“क्या? क्या नहीं नहीं।” वह मुझे घूर कर देखने लगा।

“यही, यही जो हुआ हमारे बीच।” मैं खुद को संभालते हुए बोली। अब मुझे पता चल रहा था कि वास्तव में मेरी हालत क्या हो गयी है। चूत का भुर्ता बना चुका था। पूरे शरीर का कचूमर निकाल दिया था कमीने नें। चूचियों को ऐसी बेदर्दी से निचोड़ा था कि अब दर्द का अहसास हो रहा था, जिस पर चुदाई के वक्त चुदाई की मस्ती में डूबी, मुझे उस वक्त होश ही कहां था। अपने आपे में कहां थी मैं उस वक्त।

“क्या हुआ हमारे बीच?” बड़ी बेशर्मी से मुस्कुराते हुए बोला। इस वक्त उसके विशाल, मोटे ताजे, काले कलूटे, भालू जैसे नंगे शरीर को देखकर मैं अचंभित थी कि क्या इस वक्त जो मेरे शरीर को भंभोड़ कर उठा था, यही दानव था? उसका इस वक्त चोदकर सिकुड़ा लिंग अब शिथिल अवस्था में भी कम से कम सात इंच तो अवश्य था जो मेरी चूत के रस और खुद के वीर्य से लिथड़ा चमचमा रहा था।

“पता नहीं तुम्हें, कि क्या किया है तुमने मेरे साथ?” नाराजगी से बोली।

“पता है, पता है। चोदा है तुमको।” हंसते हुए बोला।

“नहीं, तुमने मेरी इज्जत लूटी है। बर्बाद कर दिया मुझे।”

“झूठ। हमने नहीं लूटी है कोई इज्जत विज्जत। पहली बात, तू कोई शरीफजादी तो है नहीं। जब मेरा लंड घुसा तभी सब पता चल गया। कोई और होती तो अभी खुन्नम खून हो गया होता। तुझे तो घोड़ा भी चोदेगा तो कुछ नहीं होगा। पता नहीं कितनों नें चोदा है तुमको। दूसरी बात, तू ने खुद लुटवाई है अपनी इज्जत। हमें ललचा कर चोदने के लिए हमें मजबूर किया। अब तेरे जैसी खूबसूरत औरत का निमंत्रण को कौन बेवकूफ मना करेगा। हमको तो बड़ा मज़ा आया, और हम जानते हैं कि तुमको भी खूब मज़ा आया है, अब तू माने या न माने। वैसे भी हमको इतने साल बाद इतना मस्त माल चोदने को मिला, हमारी तो किस्मत खुल गई। अब हम और आवेंगे।” वह मेरे शरीर को बड़ी ही भूखी नजरों से देखते हुए बोला।

वैसे सच कहूं तो मुझे भी बड़ा मजा आया इस संभोग में। इसमें मैंने बलात्कार का पुट देकर एक अलग तरह के आनंद का अनुभव किया था। ऐसे संभोग के लिए तो मैं लालायित रहती थी, लेकिन यहां तो मेरे साथ जो हुआ, मेरी आशा से कहीं अधिक आश्चर्यजनक रूप से रोमांचक और सुखद था। ऐसे ही तो रौंदे जाने की तमन्ना दिल में कुलांचे भर रही थी। ऐसे ही मर्दन की इच्छा थी। ऐसे ही नोच खसोट की ख्वाहिशमंद थी। यही तो मेरी रुचि थी, जो अब मेरे स्वभाव में शामिल हो चुकी थी। ओह क्या गजब की चुदाई थी। ओह अविश्वसनीय, अद्भुत, अविस्मरणीय एवं अवर्णनीय। पूर्णतया आनन्द से ओतप्रोत, स्वर्गीय सुख से भरपूर। किंतु उस औरत तन के भूखे, कामुक, मानव तन धारी पशु के सम्मुख अपनी मनोदशा को कैसे व्यक्त करती भला।

आगे की कहानी अगली कड़ी में। जबतक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए।
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,483,529 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 542,473 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,224,838 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 926,404 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,643,922 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,072,179 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,936,652 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,009,856 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,014,102 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 283,176 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 6 Guest(s)