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RE: Dost ki Maa ki Chudai दोस्त की नशीली माँ
उसने मुझसे मुस्कुराते हुए पूछा- तुम कब से ऐसी फिल्म देख रहे हो?
तो मैंने सच बताया कि अभी कुछ दिन पहले से ही मैं और विनोद थिएटर में दो-चार ऐसी मूवी देख चुके हैं।
तो उसने आश्चर्य से पूछा- तो विनोद भी जाता है तेरे साथ?
तो मैंने ‘हाँ’ बोला.. फिर उसने पूछा- उसकी कोई गर्ल-फ्रेंड है कि नहीं?
तो मैंने बताया- हाँ.. है और वो दोनों शादी के लिए तैयार हैं.. पर पढ़ाई पूरी करने के बाद… वे दोनों एक-दूसरे से काफी ज्यादा प्यार करते हैं।
तो वो बोली- अच्छा तो बात यहाँ तक पहुँच गई?
मैंने बोला- अरे.. चिंता मत करो.. वो आपकी बिरादरी की ही है और उसका स्वभाव भी बढ़िया है।
तो वो बोली- दिखने में कैसी है?
मैंने बोला- अच्छी है और गोरी भी.. पर ये किसी भी तरह आप उसे मत बताना या पूछना.. नहीं तो विनोद को बुरा लगेगा.. हम तीनों के सिवा किसी को ये पता नहीं है.. पर लड़की के घर वालों को सब पता है और वक़्त आने पर वो आपके घर भी आएंगे।
बोली- चलो बढ़िया है.. वैसे भी जब बच्चे बड़े हो जाएं.. तो उन्हें थोड़ी छूट देना ही चाहिए।
मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया।
फिर उसने पूछा- अच्छा एक बात बताओ.. उन दोनों के बीच ‘कुछ’ हुआ कि नहीं?
तो मैंने बोला- हाँ.. हुआ है.. विनोद इस मामले में मुझसे अधिक भाग्यशाली रहा है।
तो उसने पूछा- क्यों?
मैंने उसके चेहरे के भाव देखे और बात बनाई.. और बोला- अरे उसने अपना कौमार्य एक कुँवारी लड़की के साथ खोया…
तो इस पर माया रोने लगी और मुझसे रूठ कर दूसरी ओर बैठ गई।
मैंने फिर उसके गालों पर चुम्बन करते हुए बोला- यार तुम भी न.. रोने क्यों लगीं?
तो उसने बोला- सॉरी.. मैं तुम्हें वो ख़ुशी नहीं दे पाई।
मैंने बोला- अरे तो क्या हुआ.. माना कि तुमने ऐसा नहीं किया, पर तुमने मुझे उससे ज्यादा दिया है और तुम उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत और आनन्द देने वाली लगती हो।
यह कहते हुए मैं उसके होंठों का रसपान करने लगा.. जिसमें माया ने मेरा पूरा साथ दिया।
करीब पांच मिनट बाद माया बोली- तुम परेशान मत होना.. अब मैं ही तुमसे एक कुँवारी लड़की चुदवाऊँगी।
मैं उसकी इस बात से हैरान हो गया पर मुझे लगा कि चलो लगता है जल्द ही रूचि की भी चुदाई की इच्छा जल्द ही पूरी हो जाएगी।
उन्होंने मेरे गाल नोंचते हुए पूछा- अब कहाँ खो गए?
तो मैंने बोला- मैं ये सोच रहा हूँ ऐसी लड़की आप कहाँ से लाओगी?
तो बोली- अरे अपने अपार्टमेंट में ही तलाशूंगी… शायद कोई मिल जाए और मिलते ही तुम्हारी सैटिंग भी करा दूँगी।
फिर मैंने बोला- अगर नहीं मिली तो?
माया बोली- ये बाद की बात है…
मैंने बोला- ऐसे कैसे बाद की बात है।
तो वो बोली- अच्छा.. तू बता.. कोई तेरी नज़र में हो.. तो बता मैं उससे तेरी सैटिंग करवा दूँगी।
अब उसे क्या पता कि मेरे दिल में उसकी ही अपनी बेटी को चोदने की इच्छा है, पर मैंने उस समय सयंम रखा और कहा- कोई होगी तो बता दूँगा.. पर तब अपनी बात से पलट न जाना।
उसने मुझसे बोला- तुम्हारी कसम.. मैं नहीं पलटूंगी.. तुम्हें मुझसे जैसी भी मदद चाहिए होगी.. तुम बता देना, मैं तुम्हारी जरूर मदद करूँगी।
मैंने- चलो अब इस टॉपिक को चेंज करते हैं।
मैंने माया को अपने सीने से चिपका लिया.. जिससे उसकी मस्त उन्नत मुलायम चूचियों की चुभन मेरे सीने में होने लगी.. जिसका अहसास काफी अच्छा था।
मैं उसे अपने शब्दों से बयान ही नहीं कर सकता था.. मेरा हाथ उनकी नंगी पीठ पर धीरे-धीरे चलने लगा.. जिससे माया को मेरे प्यार के एहसास का नशा चढ़ने लगा और उसके शरीर के रोंगटे खड़े हो गए।
ऐसा लग रहा था मानो हज़ारों आनन्द की तरंगें उसके शरीर में दौड़ने लगी थीं।
यह शायद मेरे प्रति उसके प्यार का असर था या वो भावनात्मक तरीके से मुझसे जुड़ गई थी, जिसकी वजह से ऐसा हो रहा था।
फिर मैंने उसके आनन्द को बढ़ाने के लिए उसके गर्दन में अपने होंठों को लगाकर चुम्बन करने लगा और उसके कान पर ‘लव-बाइट’ करने लगा.. जिससे उसकी मदहोशी और बढ़ती ही चली जा रही थी।
उसे इस क्रिया में बहुत आनन्द आ रहा था जो कि उसकी बंद आँखें और मुस्कराता चेहरा साफ़-साफ़ बता रहा था।
यहाँ मैं अपने पूर्ण आत्म-विश्वास के साथ पाठकों को ये बताना चाहूँगा… यदि उनकी कोई गर्लफ्रेंड या पत्नी है या लड़कियों का कोई बॉयफ्रेंड या पति है.. तो उसके साथ ये आज़माकर देखें.. वो भी पागल हो जाएगा… आप यदि उसके कान के मध्य भाग में चुंबन करते हैं तो शर्तिया उसके रोम-रोम खड़े हो जायेंगे।
फिर मैंने धीरे से माया को सोफे पर लिटाया और चुम्बन करते हुए उसके चूचों को दबाने लगा.. जिससे माया माया की ‘आआह्ह अह्ह्ह्ह’ निकलनी आरम्भ हो गई और उसे आनन्द आने लगा।
अब उसने मुझसे बोला- अब और कितना तड़पाओगे.. चलो कमरे में चलते हैं।
फिर मैंने उससे बोला- नहीं.. आज मुझे सोफे पर ही चुदाई करना है।
मैंने कई फिल्मों में सोफे पर चुदाई देखी है।
तो वो बोली- अरे यहाँ जगह कम है। मैंने बोला- वो सब मुझ पर छोड़ दो.. पूरी रात बाकी है.. अगर मज़ा न आए तो कहना।
ये कहते हुए उसके मम्मों को चूसने और रगड़ने लगा।
वो सिसियाने लगी- अह्ह्ह्ह श्ह्ह्ह्ह काटो मत.. दर्द होता है.. आराम से करो.. देखो सुबह की वजह से अभी भी लाल निशान पड़े हैं।
तो मैंने उसे प्यार से चूसना चालू कर दिया और उसका जोश दुगना होता चला गया।
मैं भी उसके टिप्पों को बड़े प्यार से चाट रहा था.. जैसे उसमें मुझे मिश्री का स्वाद मिल रहा हो।
वो अब चरमानंद के कारण बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगी।
उसकी आग को बस हवा देना बाकी रह गया था…
मैंने वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए अपना हाथ धीरे से उसकी चूत पर हाथ ले गया और अपनी दो ऊँगलियों से उसकी चूत की मालिश करने लगा और बीच-बीच में उसकी चूत के दाने को भी रगड़ देता.. जिससे वो और कसमसा उठती।
इस तरह धीरे-धीरे वो चरम पर पहुँचने लगी और अपने हाथों से अपने मम्मों को मसलते हुए बड़बड़ाने लगी- आआह शह्ह्ह्ह शाबाश.. आह्ह्ह्ह्ह मेरी जान.. ऐसे ही और जोर से…
शायद वो झड़ने के मुकाम पर पहुँच चुकी थी, तभी मैंने उसे और तड़पाने के लिए उनकी चूत से तुरंत ऊँगली निकाल कर उनके मुँह में डाल दी। जिसे उन्होंने चाट-चाट कर साफ कर दिया।
‘राहुल प्लीज़ मत तड़पाओ.. अब आ भी जाओ.. मुझे तुम्हारे लण्ड की जरूरत है।’
तो मैंने उनके मुँह पर चुम्बन किया और उन्हें कुछ इस तरह होने को बोला कि वो सोफे की टेक को पकड़ कर घोड़ी बन जाएं.. ताकि मैं जमीन पर खड़ा रहकर उनको पीछे से चोद सकूँ।
ठीक वैसा ही जैसा मैंने फिल्मों में देखा था।
माया ने वैसे ही किया फिर मैंने माया गोल नितम्बों को पकड़ कर उसकी पीठ पर चुम्बन लिया और उसके नितम्बों पर दाब देकर थोड़ा खुद को ठीक से सैट किया ताकि आराम से चुदाई की जा सके।
फिर मैंने उसकी चूत में दो ऊँगलियां घुसेड़ दीं और पीछे से ही उँगलियों को आगे-पीछे करने लगा..
जिससे माया को भी आनन्द आने लगा और बहुत ही मधुर आवाज़ में सिसियाने लगी- आआअह ऊऊओह्ह्ह्ह्ह उउम्म आआअह राहुल.. आई लव यू.. आई लव यू..’ कहते हुए झड़ गई,
जिससे मेरी ऊँगलियां उसके कामरस से तर-बतर हो गईं..
पर मैं उसकी चूत के दाने को अभी भी धीरे-धीरे मसलता ही रहा और उसकी पीठ पर चुम्बन करते हुए उसे एक बार फिर से लण्ड खाने के लिए मज़बूर कर दिया।
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RE: Dost ki Maa ki Chudai दोस्त की नशीली माँ
फिर करीब 2 से 3 बजे के आसपास मेरी आँख खुली तो मैंने अपने बगल में माया को भी सोते हुए पाया.. शायद वो भी थक गई थी।
वो मेरे करीब कुछ इस तरह से सो रही थी कि उसकी नग्न पीठ मेरी ओर थी और उसके चिकने नितम्ब मेरे पेट से चिपके हुए थे..
मैंने उसे हल्के से आवाज़ लगाई- उठो माया.. उठो बहुत देर हो गई है.. पर इस सबका जब असर नहीं हुआ तो मैं उसके हॉर्न (चूचों) को मसल कर उसके गालों पर चुम्बन करने लगा..
जिससे वो थोड़ा होश में आई और बोली- सोने दो प्लीज़.. मुझे अभी नहीं उठना.. परेशान मत करो प्लीज़..
मैंने बोला- अरे 3 बज रहे हैं.. उठो।
तो बोली- हाय रे.. सच्ची 3 बज गया।
मैंने उसको घड़ी दिखाई और बोला- खुद देख लो…
तो बोली- यार आज इतनी अच्छी नींद आई कि मेरा अभी भी उठने का मन नहीं हो रहा है.. पर अब उठना भी पड़ेगा.. चलो तुम फ्रेश हो जाओ.. मैं बस पांच मिनट में उठती हूँ।
मैंने उसके गाल पर एक चुम्बन किया और बाथरूम चला गया।
करीब तीस मिनट बाद जब बाहर निकला तो देखा माया फिर से सो रही थी।
उसके चूचे कसे होने के कारण ऐसे लग रहे थे जैसे केक के ऊपर किसी ने चैरी रख दी हो।
मैं उसके नशीले बदन को देखकर इतना कामुक हो गया कि मेरे दिमाग में ही उसकी चुदाई होने लगी और मेरा हाथ अपने आप ही मेरे लौड़े पर चला गया था।
देखते ही देखते मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया।
मैंने भी देर न करते हुए उसके ऊपर जाकर उसके होंठों की चुसाई चालू कर दी, जिससे उसकी नींद टूट गई और वो मेरा साथ देने लगी।
फिर करीब पांच मिनट बाद वो बोली- चलो अब मैं उठती हूँ.. तुम्हारे लिए नाश्ता वगैरह भी बनाना है।
पर मेरा ध्यान तो उसकी चुदाई करने में लगा हुआ था।
मैं उसकी बात को अनसुना करते हुए लगातार उसके चूचों को दबा रहा था और बीच-बीच में उसके टिप्पों को मसल भी देता..
जिससे माया एक आनन्दमयी सिसकारी “स्स्स्स्स्शह” के साथ कसमसा उठती।
मैं उसकी गर्दन और गालों पर चुम्बन भी कर रहा था, जिसे माया भी एन्जॉय करने लगी थी।
फिर मैं थोड़ा नीचे की ओर बढ़ा और उसके चूचों को मुँह में भर कर बारी-बारी से चूसने लगा.. जिससे माया ने अपने हाथों को मेरे सर पर रख कर अपने चूचों पर दबाने लगी।
‘आआह्ह्ह उउम्म्म श्ह्ह्ह्ह्ह्ह…’ की आवाज़ के साथ बोलने लगी- मेरी जान.. खा जाओ इन्हें.. बहुत अच्छा लग रहा है.. हाँ.. ऐसे ही बस चूस लो इनका सारा रस…
मेरा लण्ड उसकी जाँघों पर ऐसे रगड़ खा रहा था.. जैसे कोई अपना सर दीवार पर पटक रहा हो।
फिर मैंने धीरे से उसकी चूत में अपनी दो ऊँगलियाँ घुसेड़ कर उसे अपनी उँगलियों से चोदने लगा.. जिससे माया बुरी तरह सिसिया उठी।
‘श्ह्ह्ह… अह्ह्ह.. ऊऊओह्ह्ह.. उउम्म्म…’
वो तड़पने लगी.. पर मैं भी अब सब कुछ समझ गया था कि किसी को कैसे मज़ा दिया जा सकता है।
तो मैं उसके निप्पलों को कभी चूसता तो कभी उसके होंठों को चूसता.. जिससे माया की कामाग्नि बढ़ती ही चली गई और मुझसे बार-बार लौड़े को अन्दर डालने के लिए बोलने लगी।
वो मेरी इस क्रिया से इतना आनन्द में हो चुकी थी कि वो खुद ही अपनी कमर उठा-उठा कर मेरी उँगलियों को अपनी चूत में निगलते हुए- अह्हह्ह उउउउम.. बहुत दिनों बाद ऐसा सुख मिल रहा है आह्ह्ह्ह्ह राहुल आई लव यू ऐसे ही बस मुझे अपना प्यार देते रहना आआह उउउम्म्म…
वो कामुक हो कर बुदबुदाते हुए अकड़ने लगी और अगले ही पल उसकी चूत का गर्म लावा मेरी उँगलियों पर बरसने लगा।
तब भी मैंने अपनी उँगलियाँ नहीं निकालीं.. जब वह शांत हुई तो मैंने अपनी उँगलियों को निकाल कर देखा जो कि उसके कामरस से सराबोर थी।
तभी मेरे दिमाग में न जाने कहाँ से एक फिल्म का सीन आ गया.. जिसमें लड़का लड़की की चूत रस से सनी उँगलियों को उसके नितम्ब में डाल कर आगे-पीछे करते हुए उसके मम्मों को चूसता है..
तो मैंने भी सोचा क्यों न अपनी इस इच्छा को भी पूरा कर लूँ और देखूँ क्या सच में कोई इस तरह से भी मज़ा ले सकता है।
तो मैंने भी उसके चूचे चूसते हुए उसकी चूत रस से सनी हुई उँगलियों में से एक ऊँगली उसकी गांड के छेद पर रखी ही थी कि माया ने आँखें खोल कर अपने हाथों से मेरी ऊँगली पकड़ कर अपनी चूत पर लगा दी।
शायद उसने सोचा होगा मेरा हाथ धोखे से उधर गया है.. अब उसे कैसे मालूम होता कि मेरी इच्छा कुछ और ही है।
मैंने फिर से अपनी ऊँगली उसके चूत से हटा कर.. उसकी गांड के छेद पर रख दी और उसकी गांड के गोल छेद पर ऊँगली कुछ इस तरह से चला रहा था.. जैसे कोई गम लगाया जाता है।
इस बार माया चुप्पी तोड़ती हुई बोली- अरे राहुल.. ये क्या कर रहे हो.. वो गलत छेद है।
तो मैंने उससे बोला- नहीं.. तुम्हें लगता होगा.. मुझे नहीं, मैंने फिल्मों में भी ऐसे करते हुए देखा है।
तो वो डरती हुई मुझसे बोली- नहीं.. मैंने ऐसा पहले कभी नहीं किया.. पर सुना है बहुत दर्द होता है प्लीज़.. ऐसा मत करो।
तो मैंने उसे समझाया और बोला- मैं तुम्हें दर्द नहीं दूंगा.. पर हाँ.. थोड़ा बहुत तो तुम मेरे लिए बर्दास्त तो कर ही सकती हो.. अगर तुम्हें ज्यादा तकलीफ हुई तो मैं अपना हाथ हटा लूँगा.. जब तक तुम नहीं चाहोगी.. तब तक ऐसा कुछ भी नहीं करूँगा, जिससे तुम्हें तकलीफ हो।
पर माया का ‘नानुकुर’ बंद नहीं हुई, तो मैं उठ गया और उससे रुठते हुए बोला- देख लिया तुम्हारा प्यार.. बस मुँह से ही बोलती हो जो कहोगे वो करुँगी.. वगैरह.. वगैरह.. सब झूठ बोलती थीं।
इतना सुनकर वो मेरे पास आई और मेरे होंठों में अपने होंठों को रख कर मेरा मुँह बंद करके… मुझे अपने आगोश में ले लिया..
पर मेरा विरोध देख कर उसने प्यार भरी नज़रों से देखते हुए बोली- राहुल बस इत्ती सी बात पर नाराज़ हो गए… तुम्हारे लिए तो मेरी जान भी हाज़िर है.. पर मैं डर रही हूँ ऐसा करने से.. मैंने पहले कभी नहीं किया और तुम्हारा इतना बड़ा है.. अन्दर कैसे जाएगा.. मुझे बहुत तकलीफ होगी, प्लीज़ यार.. मेरी बात समझने की कोशिश करो।
तो मैंने भी मन में सोचा कि चल यार गांड तो मारनी ही है.. अब ज्यादा नहीं.. बस इसे किसी तरह तैयार करना है।
तो मैंने भी बात बनाते हुए बोला- अच्छा ये बोलो.. मैंने कब आपसे बोला कि मैं अपना लौड़ा डालना चाहता हूँ.. पर हाँ.. जब तुम कहोगी तभी ऐसा होगा.. मैं तो बस मज़े के लिए अपनी ऊँगली डाल रहा था.. आपने तो बतंगड़ बना दिया…
मेरे इस तरह ‘आप आप’ कहने पर माया बोली- प्लीज़ तुम मुझे माया या तुम कह कर ही बोला करो.. मुझे ये अच्छा नहीं लगता कि तुम मुझसे ‘आप आप’ करो.. मैं अब तुम्हारी हूँ तुमने मुझे बहुत हसीन पल और सुख दिए हैं.. जिसे मैं कभी भुला नहीं सकती हूँ।
तो मैंने भी नहले पर दहला मारते हुए उससे बोला- तो अब तुम्हारा क्या इरादा है?
तो वो कुछ नहीं बोली और मेरी बाँहों में समा कर मुझे चुम्बन करने लगी मेरे गालों और छाती पर चुम्बनों की बौछार करते हुए बोली- जैसी तुम्हारी इच्छा…
मैं उसे लेकर फिर से बिस्तर पर उसी तरह से लेट कर प्यार करने लगा.. जैसे पहले कर रहा था।
पर अब उँगलियों की चिकनाई सूख चुकी थी तो मैंने अपनी दो उँगलियों को उसके मुँह में डाल दी और उसके मम्मों को मुँह में भर कर फिर से चूसने लगा।
माया ने मेरी उँगलियों को किसी लॉलीपॉप की तरह चूस-चूस कर गीला करके बोली- अब कर लो अपनी इच्छा पूरी…
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RE: Dost ki Maa ki Chudai दोस्त की नशीली माँ
मैंने उसकी ये बात सुन कर उसे ‘आई लव यू’ बोला और पहले उसे हर्ट करने के लिए माफ़ी भी मांगी..
पर उसने जवाब में बोला- नहीं यार.. होता है कोई बात नहीं.. मुझे बुरा नहीं लगा।
फिर मैंने भी देर न करते हुए उसकी गांड के छेद पर उसके थूक से सनी ऊँगली को चलाने लगा.. जिससे उसे भी अच्छा लग रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने फिर से उसे ऊँगलियां चुसवाईं और अबकी बार मैंने एक ऊँगली गांड के अन्दर डालने लगा।
उसकी गांड बहुत ही तंग और संकरी थी.. जिससे वो थोड़ा ‘आआआह’ के साथ ऊपर को उचक गई और मेरे दांतों से भी उसके गुलाबी टिप्पे रगड़ गए।
वो दर्द से भर उठी ‘अह्ह्हह्ह आउच’ के साथ बोली- अन्दर क्यों डाल रहे थे.. लगती है न..
तो मैंने बोला- थोड़ा साथ दो.. मज़ा आ जाएगा।
फिर से उसके चूचों को अपने मुँह की गिरफ्त में लेकर चूसने लगा और अपनी ऊँगली को उसकी गांड की दरार में फंसा कर अन्दर की ओर दाब देने लगा।
इस बार माया ने भी साथ देते हुए अपने छेद को थोड़ा सा खोल दिया, जिससे मेरी ऊँगली आराम से उसकी गांड में आने-जाने लगी.. पर सच यार उसके चेहरे के भावों से लग रहा था कि उसे असहनीय दर्द हो रहा है।
पर मैंने भी ठान रखा था.. होगा तो देखा जाएगा।
फिर उसे प्यार से चूमने-चाटने लगा और देखते ही देखते उसकी गांड ने मेरी ऊँगली को एडजस्ट कर लिया।
जिससे अब मेरी ऊँगली आराम से अन्दर-बाहर होने लगी और माया भी मज़े से सिसियाने ‘श्ह्ह्ह्ह’ लगी थी।
मैंने फिर से उसके मुँह में ऊँगलियों को गीला करने के लिए डाला और उसने भी बिना देर किए ऐसा ही किया।
फिर मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी गांड में डाली तो वो बिना विरोध के आराम से चली गई तो मैंने उसका छेद फ़ैलाने के लिए फिर से ऊँगली बाहर निकाली और अबकी बार दो ऊँगलियां उसकी गांड में डालने लगा तो माया फिर से दर्द भरी “आआअह आउच” और कराह के साथ बोली- राहुल.. दो नहीं, एक से कर.. मुझे दर्द हो रहा है।
तो मैंने बोला- अभी थोड़ी देर पहले तो एक से भी हो रहा था.. पर तुम परेशान मत हो.. मैं आराम से करूँगा।
मैं फिर से धीरे-धीरे उसकी गांड की गहराई में अपनी दो उँगलियों से बोरिंग करने लगा और उसके निप्पलों को चूसने-चाटने लगा, जिससे माया की चूत से कामरस की धार बहने लगी।
देखते ही देखते उसकी दर्द भरी ‘आआआआह’ मादक सिसकियों में परिवर्तित हो गई।
‘श्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह ऊऊम’
वो अपनी कमर ऊपर-नीचे करने लगी और अपने मम्मों खुद सहलाने लगी।
अब वो कंपकंपाती हुई आवाज़ में मुझसे लण्ड चूत में डालने के लिए बोलने लगी, पर मैंने उससे कहा- मेरा एक कहना मानोगी।
वो बोली- एक नहीं.. सब मानूंगी.. पर पहले इस चूत की आग शांत तो कर दे बस।
मैंने बोला- पक्का..
तो वो बोली- अब क्या लिख के दूँ.. प्रोमिस.. मैं नहीं पलटूंगी.. पर जल्दी कर.. अब मुझसे और नहीं रहा जाता।
तो मैंने भी बिना देर किए हुए उसके ऊपर आ गया और उसकी टांगों को फैलाकर उसकी चूत पर अपना लौड़ा सैट करके थोड़ा सा अन्दर दबा दिया ताकि निकले न और फिर अपनी कोहनी को उसके कंधों के अगल-बगल रख कर उसके होंठों को चूसते हुए उसे चोदने लगा।
अब माया को बहुत अच्छा लग रहा था.. वो भी अपनी कमर को जवाब में हिलाते हुए चुदाई का भरपूर आनन्द ले रही थी।
जब मैं उसकी चूत में थोड़ा तेज-तेज से लौड़े को अन्दर करता.. तो उसके मुँह से मादक ‘गूं-गू’ की आवाज़ आने लगती.. क्योंकि उसके होंठ मेरे होंठों की गिरफ्त में थे।
अब माया अपने दोनों मम्मों को खुद ही अपने हाथों से रगड़ने लगी.. जिससे उसका जोश बढ़ गया और वो जोर-जोर से कमर हिलाते-हिलाते शांत हो गई।
उसकी चूत इतना अधिक पनिया गई थी कि मेरा लौड़ा फिसल कर बाहर निकल गया।
मैंने फिर से अपने लौड़े को अन्दर डाला और अब हाथों से उसके मम्मों को भींचते हुए उसकी चुदाई चालू कर दी.. जिससे वो एक बार फिर से जोश में आ गई।
अब कुछ देर की शंटिंग के बाद मेरा भी होने वाला था तो मैंने उसे तेज रफ़्तार से चोदना चालू कर दिया।
मेरी हर ठोकर पर उसके मुँह से मादक आवाज़ आने लगी।
‘अह्ह्ह अह्ह्ह्ह उम्म्म्म ऊऊओह’ मैं बस कुछ ही देर में उसकी चूत में स्खलित होने लगा..
मेरे गर्म लावे की गर्मी से चूत ने भी फिर से कामरस की बौछार कर दी, मैं उसके ऊपर झुक कर उसके गले को चूमने लगा और निढाल होकर उसके ऊपर ही लेट गया।
थोड़ी देर बाद जब फिर से घड़ी पर निगाह गई तो देखा पांच बज चुके थे।
माया को मैंने जैसे ही समय बताया तो वो होश में आकर हड़बड़ा कर उठते हुए बोली- यार तुम्हारे साथ तो पता ही न चला.. कल तुम कब आए और इतनी देर मैंने तुम्हारे साथ एक ही बिस्तर पर गुजार दिए… पता नहीं दूध वाला आया होगा और घंटी बजा कर चला भी गया होगा..
इस तरह की बातों को बोल कर वो परेशान होने लगी.. तो मैंने बोला- मैं हूँ न.. परेशान मत हो.. हम आज रात बाहर ही डिनर करेंगे और दूध वगैरह साथ लेते आएंगे।
मैंने उसके मम्मे दबाते हुए बोला- वैसे भी मुझे ये दूध बहुत पसंद है।
तो वो भी चुटकी लेते हुए बोली- ये बस दबाए, रगड़े और चूसे जा सकते हैं इनसे मैं अपने जानू को चाय नहीं दे सकती।
तो मैंने ताली बजाई और बोला- ये बात.. समझदार हो काफी।
फिर मैंने उसे याद दिलाया- अभी कुछ देर पहले कुछ बोला था तुमने.. याद है या भूल गईं?
तो बोली- बता न.. कहना क्या चाहते हो?
तब मैंने कहा- अभी कुछ देर पहले मैंने बोला था कि मेरा एक कहना मानोगी.. तो तुम बोली थीं कि एक नहीं सब मानूंगी.. पर पहले इस चूत की आग शांत कर दे।
तो माया बोली- अरे यार तुम बोलो तो सही.. क्या कहना चाहते थे?
तो मैंने उससे उसकी गांड मारने की इच्छा बता दी।
वो बोली- राहुल मुझे बहुत दर्द होगा.. सुना है, पहली बार के बाद चलने में भी तकलीफ होती है.. पर तुझे इसी से खुशी मिलेगी तो मैं तैयार हूँ.. मैं तुझे अब खोना नहीं चाहती.. तू जो चाहे वो कर..
उसके इस समर्पण भाव को देखकर मैं पिघल गया और उसे अपनी बाँहों में चिपका लिया। उसके बदन की गर्मी बहुत अच्छी लग रही थी।
थोड़ी देर ऐसे ही खड़े रहने के कुछ ही देर बाद माया बोली- अब ऐसे ही खड़े रखना चाहते हो.. या मुझे तैयार होने के लिए जाने दोगे.. नहीं तो हम बाहर कैसे जायेंगे?
तब तक माया के फ़ोन पर बेल बजी जो कि विनोद की थी। माया ने झट से फ़ोन रिसीव किया और स्पीकर ऑन करके बात करते हुए नाइटी पहनने लगी।
उधर से विनोद बोला- क्या माँ.. इतनी बार तुम्हारा फ़ोन लगाया तुमने एक बार भी नहीं देखा.. मैं बहुत परेशान हो गया था और राहुल का फ़ोन ऑफ जा रहा था.. वो है कहाँ? आंटी का भी फोन आया था.. उसके बारे में जानने के लिए.. मैं उन्हें क्या बताता.. वैसे वो है कहाँ?
माया बहुत घबरा गई.. उसकी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले.. पर उसने बहुत ही समझदारी के साथ काम लिया और बोला- अरे फोन तो साइलेंट पर लगा हुआ था अभी बस केवल लाइट जल रही थी.. तो मैंने उठाया.. तब पता चला कि तुम्हारा फोन आया है और राहुल का फोन बैटरी खत्म होने की वजह से ऑफ हो गया था और अभी वो सब्जी लेने गया है रात के लिए… ख़त्म हो गई थी.. आता है तो उसे बोल दूँगी कि घर पर बात कर ले और यह बता कल कितने बजे तक आ रहा है?
तो उसने बोला- यही कोई 11 बज जाएँगे..
बस फिर इधर-उधर की बात के साथ फोन काट दिया।
फिर मुझसे बोली- जा पहले तू भी अपनी माँ से बात कर ले..
तो मैंने बोला- फोन तो ऑफ है अभी आप ने बोला है.. कहीं माँ ने फिर विनोद से बात की.. तो गड़बड़ हो सकती है।
तो मैं अब घर होकर आता हूँ और मैं भी कपड़े पहनने लगा और जाते-जाते उससे पूछा- हाँ.. तो आज गांड मारने दोगी न?
तो बोली- बस रात तक वेट करो और घर होकर जल्दी से आओ.. मैं तुम्हारा इन्तजार करुँगी।
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