Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
08-08-2020, 01:53 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी

अपडेट. 117

रानी भी बहुत गर्म हो गई थी, सही मायने में उसको आज ही गाण्ड मरवाने में सही मजा आया था.
फिर अपने ससुर की चुदाई कहानी सुनकर तो उसको और भी मजा आया होगा.
मैं लण्ड से पानी की एक एक बूंद निकाल वहीं लेट गया जिसको रानी ने पकड़ सलोनी की तरह ही अपनी जीभ और मुँह में लेकर साफ़ कर दिया.
उधर सलोनी अपनी कहानी बताने लगी जिसको सुनने के लिए रानी और उसके पति से ज्यादा, मैं लालयित था.
अतः मैंने फिर से अपनी आँखें और कान वहाँ लगा दिए… पता नहीं क्या राज अब खुलने वाला था?
सलोनी ने मामाजी की ओर करवट लेकर अपना एक पैर उनकी कमर पर रख लिया, इससे उसका पेटीकोट घुटनों से भी ऊपर हो गया.
मामाजी ने सलोनी की बाहर झांकती नंगी गोरी जांघ पर हाथ रखा और सहलाते हुए पेटीकोट के अन्दर चूतड़ों तक ले गए.
सलोनी ने बोलना शुरू कर दिया था तो मैं हाथ पर ध्यान ना दे उसकी बात को सुनने लगा.
सलोनी- आज से पहले केवल एक बार और मुझसे गलती हुई थी, बहुत पहले… पर उसके जिम्मेदार साहिल ही थे. वैसे तो ये बहुत अच्छे हैं पर….!मैंने अपने मन में सोचा ‘केवल एक बार? यह क्या बोल रही है सलोनी? सच नारी को कोई नहीं समझ सकता.’
सलोनी- जी वो कभी-कभी मुझे ऐसी हालत में छोड़ जाते हैं कि पता ही नहीं चलता और ऐसा हो जाता है. अब आज ही देख लीजिए, ये मुझको छोड़कर चले गए और आपने इस मौके का फ़ायदा उठा लिया… सच मुझे तो तब पता चला जब आप पूरे ऊपर आ गए और मैं खुद को रोक ही नहीं पाई.
मामाजी- अरे क्याआ बेटा… यह कोई गलती थोड़े ना है, यह सब तो मन बहलाने और सुकून के लिए किया जाता है. तुझे नहीं पता कि आज एक प्यासे की मदद करके तूने कितना पुण्य का काम किया है.
सलोनी- हा हा हा…!
उसने फिर से मामाजी का लण्ड पकड़ लिया- ओह, तो इसकी बदमाश की प्यास बुझ गई? जो सोती हुई आपकी बहू को भी नहीं छोड़ता.
मामाजी- अभी कुछ समय के लिए तो बुझ ही गई… देखो कितना शान्त है और सॉरी यार.. इसी के कारण तो यह सब हुआ. जब तुम साहिल का लण्ड चूस रही थी, तभी इसने तुम्हारे ये फूले हुए चूतड़ और चिकनी चूत को देख लिया था. फिर तो इसने बवाल ही खड़ा कर दिया और इसकी मर्जी के आगे मुझे झुकना ही पड़ा.
सलोनी- ओह भगवान… अपने वो सब देख लिया था… अब देखा ना आपने? वो तो ठण्डे होकर चले गए और मैं यहाँ… सच में मैं हल्की नींद में थी और तो यही समझी कि वो ही हैं मेरे पास…
मामाजी- अरे यार, कुछ गलत नहीं हुआ… तुम वो बताओ, जो बता रही थी.
सलोनी- वही तो बता रही हूँ… तब भी ऐसा ही हुआ था, हमारी शादी के कुछ दिनों बाद की बात है, हम जयपुर गए थे, मई का महीना था, बहुत गर्मी थी वहाँ पर… इनको कम्पनी की ओर से होटल का कमरा मिला था, पर ये अपने एक दोस्त के यहाँ रुके थे. सतीश नाम था उनका, साहिल के बहुत पक्के दोस्त हैं.
सलोनी के मुख से यह बात सुन मुझे सतीश और वो पूरी घटना याद आ गई. वह बिल्कुल सच बोल रही थी… पर सतीश… क्या वह भी? यह जानकर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ.
मैं ध्यान से आगे सुनने लगा…
सलोनी- मैं तो देखकर डर ही गई थी, वो सतीश भाई बहुत लम्बे-चौड़े थे! पहले पहल तो देख कर ही डर लगा पर बाद में अच्छा लगने लगा. उनका स्वाभाव बहुत ही अच्छा था, बहुत ही मजाकिया थे तो बहुत जल्दी हम दोस्त बन गए.बस एक ही परेशानी थी, मई महीने के आखिरी दिन थे, बहुत गर्मी थी, उनका घर एक ही कमरे का सेट था… मेरे पास भी बहुत ही हल्के कपड़े थे, शॉर्ट्स, स्कर्ट और हल्के छोटे टॉप वगैरा…वैसे भी मुझे और साहिल को मॉडर्न ड्रेसेज़ ही पसन्द हैं. फिर अब तो हम टूर पर थे तो मैंने वैसे कपड़े ही पहन रखे थे, नाइटी भी पारदर्शी और जांघों तक की ही थी. बस सफर के लिए ही मैंने कैप्री और शर्ट पहनी थी, उस में भी बहुत गर्मी लग रही थी.
15 दिन का टूर था, समझ नहीं आ रहा था कि क्या पहनूँ?
मगर सच साहिल इस मामले में बहुत सुलझे हुए हैं, उन्होंने कहा- अरे यार क्यों तकल्लुफ करती हो? यह समझो हम बाहर ही हैं और कौन तुम्हें देख रहा है. यह सतीश तो वैसे भी खुद को भगवान के हवाले कर चुका है, इसीलिए इसने शादी तक नहीं की, इसको तुम से कोई मतलब नहीं…मेरे मन से सभी शंका दूर हो गई और मैंने एक शार्ट और टॉप पहन लिया.साहिल को तो सब नॉर्मल ही लगा पर औरत तो गैर मर्द की आँखें एकदम समझ जाती है.सतीश मुझे चोर निगाहों से बार बार देख रहे थे, मुझे उनकी इस अदा पर हंसी ही आ रही थी तो मैंने इसको ज्यादा तूल नहीं दिया.
दो दिन तक तो सब ठीक रहा, सतीश हम दोनों से और भी ज्यादा खुल गए, हम एक साथ घूमने जाते, साथ साथ खेलते खाते.

Reply
08-08-2020, 01:53 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
पर मैंने महसूस किया कि मेरे कपड़ों से बाहर झांकते जिस्म को देख वो सतीश भाई बेचैन हो जाते… पर इस सब में मुझे मजा ही आ रहा था इसलिए मैंने इस ओर कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया.हम सब एक ही कमरे में सोते थे, साहिल और मैं तो उनके बेड पर और सतीश भाई नीचे अपना बिस्तर लगाते थे.
मगर तीसरी रात को मुसीबत आ ही गई वो भी साहिल के कारण ही, उस रात साहिल का मूड सेक्स का करने लगा.मैंने मना भी किया पर वो माने ही नहीं, बोले ‘अरे सतीश तो सो रहा है. कुछ नहीं होगा…!’
और उन्होंने मेरी कच्छी और ब्रा निकाल दी पर मैंने नाइटी नहीं निकालने दी, नाइटी वैसे भी बहुत छोटी और नेट वाली थी, उन्होंने उसको मेरी गर्दन तक सिमटा दिया और मेरी चूचियों और फ़ुद्दी को खूब चूसा.
मैं बहुत ही गर्म हो गई तो उन्होंने अपने लौड़े को भी मुझसे चुसवाया.
मैं तो बिल्कुल भूल सी ही गई थी कि सतीश भाई भी इसी कमरे में सो रहे हैं.
मैंने अपने होंठों से चूस-चूस कर ही उनके लण्ड का पानी निकाल दिया.
उन्होंने फिर मेरे जिस्म से खेलना शुरू कर दिया, तभी उनके सेलफ़ोन पर किसी का मैसेज आ गया.
उन्हें उसी समय किसी से मिलने जाना पड़ गया था.
उफ्फ… वो उनका ऑफिस का काम… और क्या…
वो खुद तो शान्त हो गए थे पर मैं अभी भी अपनी कामूकता की आंच में सुलग रही थी… पर मैं कर ही क्या सकती थी?
ये साहिल तो जाने कब तैयार होकर चले गए, पता ही नहीं चला, मुझे भी हल्की सी झपकी आ गई थी पर जिस्म में इतनी बेचैनी थी कि उठकर ब्रा पैंटी भी नहीं पहनी.
बस नाइटी को थोड़ा सा सही करके लेट गई.
ये शायद जाते हुए मेरे बदन को चादर से ढक गए होंगे पर गर्मी के कारण वो मैंने खुद हटा दी होगी.
इस बीच सतीश भाई उठे होंगे और उन्होंने मेरे नंगे अंगों को देख लिया था.यह बात उन्होंने ही मुझे बताई थी.
फिर नीचे सोने से अपनी कमर में दर्द के कारण वो मेरे पास बिस्तर ही लेट गए थे.उनके मजबूत बदन पर केवल एक लुंगी ही थी, मेरी जब आँख खुली तो उनकी लुंगी खुली पड़ी थी, वो मेरे बदन से बिल्कुल चिपके लेटे थे.
मैं तो उनका लौड़ा देखती रह गई, बहुत लम्बा और मोटा था.वैसे तो साहिल का बहुत ही अच्छा है पर उसका लण्ड 7 इंच के आस पास ही है.
मैंने इतना बड़ा और अजीब तरह का कभी नहीं देखा था, ऐसा लग रहा था जैसे लोहे का रॉड हो
मामाजी-क्या उसका बहुत बड़ा था
सलोनी- हाँ मामाजी, आप ठीक कह रहे हैं.उनका लंड करीब 12 इंच लंबा और 4 इंच चौड़ा होगा पर सबसे खास बात उनका टोपा था वह बहुत बड़ा था किसी जंगली आलू की तरह (मन मे वैसा दूसरा लंड आज तक नही मिला) मैं भी उसको देख कर बहुत ही ज्यादा उत्सुक हो गई थी. एक तो पहले ही साहिल मुझे प्यासी छोड़ गए थे और फिर उस जैसे लौड़े को देख मेरी बुरी हालत हो गई थी.
पर सतीश भैया का डर ही था, मैं बस उसको देख रही थी मगर उसको छूने का बहुत मन था.तभी एक आईडिया मेरे मन में आया!

कहानी जारी रहेगी.

Reply
08-08-2020, 01:53 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 118

मैं तो उनका लौड़ा देखती रह गई, बहुत लम्बा और मोटा था.वैसे तो साहिल का बहुत ही अच्छा है पर उसका लण्ड 7 इंच के आस पास ही है.
मैंने इतना बड़ा और अजीब तरह का कभी नहीं देखा था, ऐसा लग रहा था जैसे लोहे का रॉड हो
मामाजी-क्या उसका बहुत बड़ा था
सलोनी- हाँ मामाजी, आप ठीक कह रहे हैं. उनका लंड करीब 12 इंच लंबा और 4 इंच चौड़ा होगा पर सबसे खास बात उनका टोपा था वह बहुत बड़ा था किसी जंगली आलू की तरह (मन मे वैसा दूसरा लंड आज तक नही मिला) मैं भी उसको देख कर बहुत ही ज्यादा उत्सुक हो गई थी. एक तो पहले ही साहिल मुझे प्यासी छोड़ गए थे और फिर उस जैसे लौड़े को देख मेरी बुरी हालत हो गई थी.
पर सतीश भैया का डर ही था, मैं बस उसको देख रही थी मगर उसको छूने का बहुत मन था.तभी एक आईडिया मेरे मन में आया!

मैं, रानी और उसका पति, तीनों दरवाजे से ऐसे चिपके थे जैसे उस पर गोंद लगा हो.हम तीनों ही सलोनी के उस राज का एक एक शब्द सुनना चाहते थे.
मेरा तो फिर भी सही था और रानी के पति का भी, क्योंकि वो मजा लेते हुए अपना लण्ड रानी के हाथ से हिलवा रहा था.परन्तु रानी भी इसमें पूरा रस ले रही थी, उसको बहुत मजा आ रहा था.
सतीश मेरा बहुत पुराना दोस्त है पर लड़कियों से हमेशा दूर रहता था, वो बहुत ही स्मार्ट है इसलिए हर लड़की उसको लाइन देती है मगर उसने किसी को घास नहीं डाली.
इसीलिए उस समय मैंने सलोनी को उसके सामने बिल्कुल फॉर्मल रहने को कहा था, मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था कि वह सलोनी के साथ कुछ करेगा.
मगर अब तो मामला कुछ और ही लग रहा था!क्या सलोनी के कामुक बदन से सतीश जैसे आदमी का ईमान डोल गया था?
मुझे यह सब सुनकर गुस्सा बिल्कुल नहीं आ रहा था बल्कि मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा था, सलोनी भी अपके इस गुप्त राज भरी घटना को बहुत रस ले ले कर सुना रही थी.
सलोनी- मैंने जैसे ही खुद को उस आईने में देखा, मैं खुद ही शर्म के मारे झेंप गई, इस बीच में मैंने खुद की ओर ध्यान ही नहीं दिया था, मेरी महीन सी नाइटी मेरी कमर के ऊपर तक सिमट गई थी, चड्डी और ब्रा तो थी ही नहीं, वो तो साहिल ही खोलकर चले गए थे तो मैं कमर से नीचे हलफ़ नंगी थी, मतलब मेरे खुले हुए नंगे कूल्हे सतीश भाई के सामने थे, जिनको देखकर ही वे अपना लण्ड सहला रहे थे.
अब मैं खुद को ढक भी नहीं सकती थी वरना उनको पता चल जाता कि मैं जाग रही हूँ तो मैं ऐसे ही चुपचाप लेटी रही.
तभी मुझे अपने चूतड़ों पर एक भारी हथेली का एहसास हुआ, सतीश भाई का ईमान भी डोल गया था, उन्होंने अपना हाथ मेरे चिकने चूतड़ों पर रख दिया था तो मेरे शरीर में सनसनाहट होने लगी.
कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ.
मैं साँस रोके ऐसे ही पड़ी रही, मगर मेरी नजर सामने आईने पर ही थी.
तभी सतीश भाई मेरी ओर झुके और उन्होंने अपनी कमर मेरे चूतड़ों से चिपका दी.
मेरे साथ मेरी गीली फ़ुद्दी तक काँप गई थी.
उनके लण्ड का टोपा पीछे से मेरे चूतड़ों के गैप से चूत के मुख पर था, हे भगवान… क्या सतीश भाई मुझे चोदने वाले हैं?
मेरी तो साँस भी बाहर नहीं आ रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे एक गर्म टेनिस बॉल मेरे चूतड़ों में रखी हो.
हाय मेरा क्या होने वाला था?क्या इतना मोटा लौड़ा सतीश भाई मेरी इस कोमल सी चूत में घुसाने वाले हैं?
मेरा दिल बैठा जा रहा था और सतीश भाई ने वही किया जिसका डर था, वो अपनी कमर को मेरे पास लाते हुए अपने लौड़े को मेरे अन्दर की ओर ले जाने लगे.
मेरी टाँगें अपने आप खुलने लगी, उनके लुल्ले का आधा टोप मेरी चूत के अन्दर रगड़ मार रहा था और आधा चूत के बाहरी होंठों को रगड़ रहा था.
मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं स्वर्ग में हूँ, अभी कुछ देर तक मेरे दिल में यही था कि बस थोड़ी बहुत मस्ती ही करूँगी पर अब ऐसा लग रहा था कि यह लंड पूरा मेरी प्यासी फ़ुद्दी में घुस जाये… फिर चाहे जो हो…!
मैंने खुद अपने चूतड़ पीछे को निकाल दिए और सतीश भाई जो लण्ड को मेरी चूत के मुख पर घिस रहे थे, एक गप्प की आवाज के साथ इतना बड़ा सुपारा मेरी चूत के अन्दर चला गया.
‘हाआईइइइ…!!!’
मेरी मुख से जोर से चीख निकली और मैं दर्द के मारे बिलबिला गई.सतीश भाई मेरी पीठ से चिपक गए, उन्होंने अपनी कमर बिल्कुल भी नहीं हिलाई.
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे पहली बार मेरी चुदाई हो रही हो और मेरी झिल्ली झटके से टूटी हो.
सच बहुत ही दर्द हो रहा था, चूत के दोनों होंठ जैसे चिर से गए थे.
मैंने एकदम से गर्दन घुमाई- सतीशभाई आप?बस इतना ही बोल पाई, उन्होंने मेरे होंठ अपने होंठों के बीच में दबा लिए.
एक छोटी सी चिड़िया जैसी थी मैं उनके सामने ! कहाँ वो लम्बे चौड़े बलशाली… और कहाँ मैं जरा सी, कमसिन!अपने मजबूत बाजुओं में कस लिया था उन्होंने… उनकी लम्बी, खुरदरी जीभ मेरे मुँह के अन्दर चारों ओर घूमने लगी.उनसे बचने के लिए मेरी जीभ भी बार बार उनकी जीभ से टकरा रही थी.
मुझे कसने के लिए उन्होंने अपनी कमर को थोड़ा और आगे को किया जिससे उनका लण्ड चूत की दीवारों को चीरता हुआ कुछ आगे को खिसका.इस बार हल्की चीसें तो उठी पर वैसा दर्द नहीं हुआ, शायद इसलिए क्योंकि उनके लण्ड के टोप ने आगे जगह बना दी थी.
उनके लंड का टोपा बहुत ही मोटा था जैसे जंगली आलू जबकि पीछे वाला भाग कुछ पतला था इसलिए लंड को आगे बढ़ने में ज्यादा दर्द नहीं हो रहा था.
मामा जी- हो सकता है बेटी, यही लम्बे लण्ड की खासियत होती हो जिससे लण्ड अन्दर जाने में कोई ज्यादा परेशानी न हो, लण्ड का टोपा अपने आप आगे रास्ता बना देता हो? ..हा हा…
सलोनी- हाँ मामाजी.. आप सही कह रहे हैं… सतीश भाई ने होंठ चूसते हुए ही काफी अन्दर तक अपना लंड डाल दिया था और फिर उतने लौड़े से ही मुझे चोदने लगे, उनका लण्ड मेरी चूत में अन्दर बाहर होने लगा. उन्होंने पेट पर सिमटी मेरी नाइटी को चूचियों से ऊपर तक उठा दिया और फिर मेरी दोनों चूचियों को कस कस कर अपनी बड़ी बड़ी हथेलियों में लेकर मसलने लगे.
मैं स्वर्ग में पहुँच गई थी, अब मैं खुद उनके होंठों और जीभ को चूस रही थी, बहुत मजा आ रहा था, उनका लण्ड बहुत ही फंस-फंस कर मेरी चूत आ जा रहा था.
मैं सतीश भाई की जकड़ में फंसी हुई इस चुदाई का मजा ले रही थी.
उनकी गति भले ही बहुत कम थी मगर हर क्षण मेरी जान पर बनी थी, जब भी उनका लण्ड आगे जाता या फिर बाहर आता.. मेरा मजे से बुरा हाल था.शायद पहली बार मेरी चूत से इतना पानी निकल रहा था.
अब मेरा दिल करने लगा था कि वो मुझे अच्छी तरह से रगड़ डालें, मुझे खूब जोर जोर से चोदें.
मगर तभी उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया…
‘अह्ह्ह्ह्हाआआआ…!!!’
यह क्या??

कहानी जारी रहेगी.

Reply
08-08-2020, 01:53 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
इस नजारे को देखते ही रानी ने भी मुझे बड़ी आशा भरी नजरों से देखा तो मैं समझ गया कि यह साली भी फिर से चुदवाना चाहती है.
मैंने रानी को इस बार खड़ी करके आगे को झुकाया तो इस बार रानी अपने पति के कंधों पर हाथ रख झुकी, मैंने पीछे से उसकी फ़ुद्दी में अपना लण्ड घुसा दिया, हम दोनों पूरे गीले थे तो लण्ड आराम से अन्दर तक चला गया.
अब फिर से दोनों तरफ़ चुदाई चलने लगी, दोनों ही खड़े होकर कर रहे थे पर फर्क इतना था कि वो आगे से कर रहे थे और मैं पीछे से, आसन अलग था.
उसका कारण यह था कि सलोनी और मामा को तो कोई मतलब नहीं था, चाहे कैसे भी करें पर हम दोनों को सलोनी के कमरे में भी देखना था.
सलोनी- अह्ह्ह्हाआआह… अहहाअआह… क्या बात है मामाजी ! इस बार तो कुछ ज्यादा ही जोश आ रहा है?
मामाजी- तू चीज ही ऐसी है सलोनी बेटी, काश मेरी बहू भी तेरी जैसी होती तो उसको रोज चोद चोद कर खूब मजे करता!
सलोनी- अह्ह… अह्हा ओह अह्हाह… अह… अह्ह्ह… तो चोद लेना ना… सोच लेना मुझे ही चोद रहे हो!
मामाजी- अरे मैं उसको सोते हुए मजबूरी का फ़ायदा उठाना नहीं चाहता. अगर वो जरा सा भी हिंट दे कि वो चुदने को राजी है तो बस… आह्ह… आआहह… आह… ओह्ह्ह…
मैं- ले मेरी रानी… तेरा एक तो और जुगाड़ कर दिया मैंने! आःह्हाह…
रानी- अह्हाह… अह्हाअ… अह्हा नहींईईईई… ये तो हो ही नहीं सकता… अह्ह्ह अह्हा अहा…
उसका पति- क्यों नहीं?? जब इससे चुदवा सकती है तो वो मेरे पिताजी हैं… देख न चुदाई के लिए कितने परेशान रहते हैं.
रानी- तुम तो चुप रहो… अहा आह्ह… अह… अह्हा… अह्हा अह्ह…
मामाजी- अच्छा बेटा, उस चुदाई के बाद भी सतीश से फिर कभी दोबारा से चुदवाया क्या?
सलोनी- अह्ह… अह्हा ह्ह्ह अह… बस उसी टूअर में… आअह अह्ह्ह्हा…
मामाजी- मतलब उसके बाद कभी नहीं… अह्हा?
सलोनी- नहीं… वो कभी आये ही नहीं… और ना ही उनसे बात होती है.
मैंने सोचा कि सलोनी उनसे झूठ क्यों बोल रही है? सतीश तो 5-6 बार हमारे घर आ चुका है.समझ नहीं आ रहा था कि वो सब ऐसे ही बोल रही थी या फिर कुछ खास बात है?
मामाजी- तो फिर उस टूअर में तुम कितनी बार चुदी उससे? अह… अह्ह्ह….!
सलोनी- अह्ह अह्हाह अह अह्हा… कई बार… 15 दिनों तक… जब भी मौका मिला… मजे की बात तो यह रही थी कि उस टूअर में साहिल मेरे पति होते हुए भी मुझे एक बार भी नहीं चोद पाये थे, जब उनका दोस्त जिससे पहली बार मिली थी, उसने पूरा हनीमून मनाया.
मामाजी- ऐसा क्यों?
सलोनी- अरे उस एक कमरे के कारण… साहिल चुपचाप वाली मस्ती तो कर लेते थे पर मुझे चोदते नहीं थे, उनको डर रहता था कि उससे आवाज होगी, इसी कारण बस ! हाँ, हर रात को मैं अपने हाथ से उनका निकाल जरूर देती थी.
मामाजी- अह… ओह अहा… बेचारा… तवा गर्म वो करता था, अह्ह अह्हाह… और रोटी कोई और सेकता था.
यह बात तो सलोनी बिल्कुल सही कह रही थी, मुझे याद है कि उस टूअर पर मैं काम में ही ज्यादा व्यस्त रहा था और सलोनी को एक बार भी नहीं चोद पाया था.
मुझे यह भी याद आया कि घर आने के बाद भी करीब 7-8 दिन तक वो मुझसे बचती रही थी कभी मेंसिस कहकर तो कभी तबीयत खराब होने का बोलकर! और जब मैंने उसको चोदा था तो मुझे उसकी चूत कुछ ढीली सी महसूस हुई थी मगर मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया था.लेकिन असल में तो यह बात थी…!!
सलोनी- अह… अह्ह… हा हा… अब पैर नीचे कर दो ना… दर्द होने लगा है… अह ह्हा अह आह…
मामाजी- हा हा आह्ह… अहा… कहाँ?
सलोनी- ओह पैर में, अह अह… आपका उतना बड़ा नहीं है… हा हा… आह ह्हा…
मामाजी- अह हाँ रे… मैं कोई सतीश तो हूँ नहीं… अह अह्हा…
उन्होंने सलोनी को फिर से वैसे ही आराम से गद्दे पर लिटाया और फिर से उसकी फ़ुद्दी में लौड़ा डालकर आराम से चोदने लगे.
मामाजी- पर यह तो बता कि दोबारा कब और कैसे चोदा सतीश ने तुझको? उस समय तो बहुत मजा लूटा होगा तूने?
सलोनी- हाँ मामाजी… मैं तो सतीश भाई के लण्ड की कायल हो गई थी, बहुत ही मजबूत लण्ड था उनका, कितना भी चोद लें, हर समय खड़ा ही रहता था और वो एक भी मौका नहीं जाने देते थे. उन दो हफ़्तों में ना जाने कितनी बार उन्होंने मुझे चोदा होगा. एक ही दिन में कई कई बार वो मेरी ठुकाई कर देते थे.
मामाजी- पर बता तो कि कैसे… साहिल कहाँ होता था और वो कैसे मौका निकालता था?
सलोनी- अहहा अह्ह उम्म… ओह हाँ… बताती हूँ… अह अह्हा…

कहानी जारी रहेगी.

Reply
08-08-2020, 01:53 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 120

उन्होंने सलोनी को फिर से वैसे ही आराम से गद्दे पर लिटाया और फिर से उसकी फ़ुद्दी में लौड़ा डालकर आराम से चोदने लगे.
मामाजी- पर यह तो बता कि दोबारा कब और कैसे चोदा सतीश ने तुझको? उस समय तो बहुत मजा लूटा होगा तूने?
सलोनी- हाँ मामाजी… मैं तो सतीश भाई के लण्ड की कायल हो गई थी, बहुत ही मजबूत लण्ड था उनका, कितना भी चोद लें, हर समय खड़ा ही रहता था और वो एक भी मौका नहीं जाने देते थे. उन दो हफ़्तों में ना जाने कितनी बार उन्होंने मुझे चोदा होगा. एक ही दिन में कई कई बार वो मेरी ठुकाई कर देते थे.
मामाजी- पर बता तो कि कैसे… साहिल कहाँ होता था और वो कैसे मौका निकालता था?
सलोनी- अहहा अह्ह उम्म… ओह हाँ… बताती हूँ… अह अह्हा…
और मैं अपने लण्ड को रानी की चूत में डाले हुए केवल उसकी चूत के पानी की गर्मी का मजा ले रहा था, मेरा लण्ड इस कदर टाइट था कि लोहे की छड़ भी उसके सामने नर्म पड़ जाये!
सलोनी के हर शब्द से मेरा लण्ड टनटना जाता था और रानी को भी इसमें बहुत मजा आ रहा था.
साधारणतया चोदते समय लण्ड की मजबूती कम-ज्यादा होती रहती है, इसलिए मजा भी कम ज्यादा होता रहता है, पर इस समय सलोनी की मजेदार चुदाई की कहानी सुनते हुए मेरा लण्ड कड़क और कड़क ही होता जा रहा था जिससे केवल मजा बढ़ता ही जा रहा था.
अब तो सलोनी ने वो किस्से भी बता दिए जिनमें उसने मुझे मूर्ख बनाकर सतीश से मजे किये.
सलोनी- हाँ मामाजी… पहले तीन दिन तो मैंने कैप्री और जीन्स ही पहनी थी क्योंकि उन कपड़ों में भी मुझे शर्म आ रही थी पर इस सबके बाद मैंने मिनी स्कर्ट और वो शॉर्ट नाइटी ही पहनी. साहिल को तो वैसे भी कुछ ऐतराज नहीं था, उनको तो सतीश पर पूरा भरोसा था… बस इसी बात का फ़ायदा हम दोनों ने उठाया.
मामाजी- तो क्या कभी साहिल के सामने भी उसने तुमको चोदा?
सलोनी- सामने तो नहीं पर हाँ, साहिल के कमरे में रहते हुए ही उसने जरूर कई बार चोदा. वैसे तो साहिल दिन में कई कई घंटे के लिए अपने काम से चले जाते थे तब तो वो मुझे पूरा नंगा करके खूब चोदते थे, पर उससे भी उनका दिल नहीं भरता था, जब साहिल घर पर भी होते थे तब भी, जैसे ही मौका मिलता वो कुछ न कुछ कर ही देते थे.
मामाजी- अरे यह बता ना… वो कुछ ना कुछ क्या?
सलोनी- ओह… जैसे चूची पकड़ना, दबाना, या फिर चूतड़ को दबाना और भी बहुत कुछ! मुझे भी इस सबमें इतना मजा आता था कि कई बार तो मैं स्कर्ट के नीचे कच्छी भी नहीं पहनती थी. उस समय तो उनका मजा दुगना हो जाता था…मेरी फ़ुद्दी को भी मसल देते थे और चूम भी लेते थे, मुझे भी साहिल के सामने उनको दिखाने में बहुत मजा आता था. जब हम तीनों भी साथ बैठे होते थे, तब भी मैं अपनी टाँगें खोलकर उनको सब दिखा देती थी, सतीश भाई भी, साहिल कभी कमरे में होते, तब भी रसोई में आकर मुझको मसल जाते और जब कभी साहिल बाथरूम में होते तब तो बहुत कुछ कर देते…2-3 बार तो साहिल के बाथरूम में होने पर भी उन्होंने मुझे चोदा था, उस समय भी बहुत मजा आता था. जैसे ही साहिल बाथरूम में जाते, सतीश भाई मुझे अपनी बाँहों में ले लेते और उधर शायद साहिल बाथरूम में अंदर अपने कपड़े पूरे निकाल भी नहीं पाते होंगे पर सतीश भाई मुझे पूरा नंगा कर देते, वैसे भी केवल दो या एक ही कपड़ा होता था, स्कर्ट-टॉप या फिर नाइटी और हर बार नए आसन के साथ वो तुरन्त अपना लण्ड मेरी चूत में डाल देते…मजे की बात थी कि न तो उनको किसी तरह गर्म करने की जरूरत थी ना मुझे, उनका भी लण्ड हर समय खड़ा ही रहता था और मेरी फ़ुद्दी तो सोचकर ही रस से भर जाती थी.जब तक वो बाथरूम में नहाते, तब तक सतीश भाई मेरी चुदाई पूरी भी कर देते थे.एक बार तो ऐसा भी हुआ था कि इधर सतीश भाई मुझे चोदकर चुके थे और उधर बाथरूम में साहिल भी नहा चुके थे.मैं बिल्कुल नंगी बस कपड़े पहनने ही जा रही थी कि साहिल ने तौलिया मांग लिया.आप यकीन नहीं करोगे मामाजी…मैंने ऐसे ही पूरी नंगी उनको तौलिया पकड़ाया, ना उन्होंने बाहर झांककर देखा और ना मैं ही सामने आई, अगर उस दिन साहिल जरा सा भी देख लेते तो, हा… हा…
मामाजी- तो क्या तुम बोल देती, तुम्हारे लिए ही तो ऐसे होकर आई थी… हा… हा…
सलोनी- हा… हा… हाँ सच मामाजी मैंने यही सोचकर तौलिया उनके हाथ में पकड़ा दिया था. हाँ, एक बार तो वाकयी पकड़ी जाती… साहिल बाहर बैठे थे और सतीश भाई हर बार की तरह रसोई में मेरी मदद के बहाने मेरे शॉर्ट्स में हाथ डाले मेरी नंगी फ़ुद्दी से खेल रहे थे.तभी हमको लगा कि साहिल अंदर आने वाले हैं, सतीश भाई ने शॉर्ट्स में से जल्दी में हाथ निकाला तो शॉर्ट्स का बटन खुल गया और शॉर्ट्स मेरे पैरों में नीचे गिर गया क्योंकि पेट मैंने पहले ही पिचका रखा था.मेरी तो हालत ख़राब हो गई, मैं नीचे से पूरी नंगी हो गई थी.तभी सतीश भाई किचन से बाहर जाते हुए दरवाजे पर ही साहिल से टकरा गए और इतनी देर में मैंने शॉर्ट्स सही करके पहन लियावरना उस दिन तो सारी मस्ती धरी की धरी रह जाती.
बाद में सतीश भाई ने बताया था कि वो जानबूझ कर ही इतनी तेज टकराये थे कि साहिल पीछे को गिर गए वरना तुमको इतना समय नहीं मिलता.
मामाजी- अह्ह्ह अह्ह्हाआ आह तेरी बातों में मेरा तो हो गया… अह्हा अह्हा… अच्छा यह तो बता, कभी तीनों एक ही कमरे में हों, ऐसे भी चोदा क्या सतीश ने तुझे?

कहानी जारी रहेगी.

Reply
08-08-2020, 01:54 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट 121

मामाजी- अह्ह्ह अह्ह्हाआ आह तेरी बातों में मेरा तो हो गया… अह्हा अह्हा… अच्छा यह तो बता, कभी तीनों एक ही कमरे में हों, ऐसे भी चोदा क्या सतीश ने तुझे?
सलोनी- अह्ह्हाआ अह्हा आह्ह्हा हाँ मामाजी एक रात को साहिल अपना पानी निकालकर सो गए थे, मुझे पेशाब लगी तो मैं नंगी ही थी, साहिल ने मेरी नाइटी निकल दी थी, मैं वैसे ही बाथरूम चली गई.आते हुए ना जाने कैसे सतीश भाई से टकरा गई, वो वहीं सो रहे थे और वो भी उस समय पूरे नंगे थे, शायद हमारी आवाज सुनकर ही उन्होंने अपनी लुंगी खोली होगी.
बस मैं सीधे उनके लण्ड पर ही गिरी, वो तो अच्छा हुआ कोई आवाज नहीं हुई.और फिर साहिल के खर्राटों की आवाज के साथ साथ सतीश भाई ने एक घण्टे तक जमकर मेरी चुदाई की.बहुत मजा आया था उस रात को !
ऊपर पलंग पर साहिल नींद में खर्राटें ले रहे थे और उसी पलंग के पास नीचे जमीन पर हम दोनों पूरे नंगे होकर चुदाई कर रहे थे.
मेरे दिल में एक डर भी था कि कहीं इनकी आँख ना खुल जाये, ये देख ना लें.और चूत के अंदर वो सतीश भाई का मजेदार मोटा लण्ड इतना मजा दे रहा था कि मैं यह खतरा भी उठाने को तैयार हो गई.
फिर चुदाई के बाद भी मैं वहीं उनसे चिपककर ऐसे ही नंगी सो गई थी, सुबह उठकर मैंने नाईटी पहनी और साहिल के पास आकर लेट गई.
शुक्र रहा कि रात को साहिल की आँख एक बार भी नहीं खुली वरना वो हमको उस हालत में देख लेते.
मैं उनकी बात सुनते हुए रानी को तेजी से ना चोदकर हल्के हल्के ही उससे मजा ले रहा था.
तभी उसका पति कहीं बाहर चला गया, शायद उसके पेट में दर्द हो रहा था.
अपने पति के जाते ही रानी ने अपने दिल की बात कह दी, रानी अभी फुसफुसा ही रही थी- कितना मजा आया होगा इस कमीनी को बड़े लंड से चुदके काश मुझे भी उतना बड़ा लंड मिलता…
और जैसे रानी के जीभ पर सरस्वती बैठ गई हो, उसकी इच्छा उसी पल पूरी होने वाली थी, हुआ यों की
हमने ध्यान ही नहीं दिया कि रानी का पति दरवाजा खुला छोड़ गया है.तभी वहाँ से तीन आदमी अन्दर आ गए, वे कोई रिश्तेदार तो नहीं दिख रहे थे, कोई काम करने वाले ही थे, एक पहलवान टाइप का 40-45 साल का भारी भरकम मर्द था.
सीड नाम था उसका, बाद में पता चला था.
दूसरा भी 30-32 का होगा, लम्बा पर कुछ पतला, अमर बोल रहे थे उसको…
और तीसरा एक 18-18 साल का लड़का था, बहुत ही खूबसूरत, लड़की की तरह चिकना, संदीप नाम था उसका…
उनकी बातों से पता चला कि वो दोनों उसी लड़के की गाण्ड मारने उस कमरे में आये थे.
अमर- वाह रे… यहाँ तो पहले से काम चल रहा है बे… क्या चिकनी परी है… यह तो इसकी गांड मार रहा है.
उनकी आवाज सुनते ही हम दोनों अलग हो गए, मेरा दिमाग ने एकदम से काम किया, पलटकर अपना लण्ड रानी की चूत से निकालकर खड़ा हो गया.
रानी भी चौंक गई थी और डर के मारे वैसे ही पलट कर उलटी लेट गई, उसने अपना सिर अपने हाथों के बीच छुपा लिया था मगर उसकी नंगी कमर और चूतड़ सब दिख रहे थे.
तीनों हमारे पास आकर खड़े हो गए, सीड ने दरवाजा बंद कर दिया था.
उनको देखकर मुझे कोई खास डर तो नहीं लग रहा था पर दूसरी जगह होने से बदनामी का डर था.
सीड- क्यों बे, कहाँ से लाया इसको? बहुत कड़क माल है यार!
मुझे कोई बहाना ही नहीं सूझा, मुझसे यह तक नहीं कहते बना कि हम भाई बीवी हैं.
अमर ने रानी के नंगे चूतड़ों को दबाया और बोला- सीड भाई… पटाका है ये तो… बेटा संदीप आज तेरी गांड बच गई… आज तो इस चिकनी को ही चोदेंगे.
रानी जो अभी तक ना जाने क्या क्या बोल रही थी, अब उसकी फटने लगी- नहींईई ईईईई… मुझे जाने दो!
सीड- साली, अगर जरा भी चूं चपर की तो तेरा सींक कवाब बनाकर खा जायेंगे.
मेरा लण्ड तो उनको देखकर ही ढीला हो गया था. हमारे कमरे से इतनी आवाजें सुनकर मैं यह भी भूल गया था कि बराबर के कमरे में सलोनी और मामाजी हैं, वे लोग हमें वैसे ही झांककर देख सकते हैं जैसे अभी कुछ देर पहले तक हम उनको देख रहे थे.
कुछ ही देर में सीड और अमर दोनों नंगे हो गए, … सीड का बहुत मोटा और काला कोई 7 इंच का होगा. पर अमर का था तो पतला पर दस इंच का होगा.दोनों के ही केले जैसे चिकने थे, उनके टोपे चमक रहे थे.
उन दोनों ने रानी को अपने बीच में दबा लिया और मैं और संदीप दोनों खड़े होकर उनको देख रहे थे.
मैं अभी भी पूरा नंगा था और फिर से मेरे लण्ड ने सर उठाना शुरू कर दिया था.
रानी ने पहले तो दोनों का विरोध किया पर एक उसके बदन पर मर्दाने हाथ लगते ही वो चुप हो गई.
अब दोनों उसके दोनों ओर बैठे एक एक मम्मे को चूस रहे थे और रानी भी गौर से उनके लण्डों को निहार रही थी.
तभी सीड ने रानी का एक हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया.
मैंने देखा कि अब तक ना नुकुर कर रही रानी ने उसके लण्ड को प्यार से सहलाना शुरू कर दिया.
मैं यह सोच रहा था कि अगर रानी एक बार भी बचाने को बोलती तो चाहे जो होता, मैं उसको इतने लण्डों से चुदने से बचा लेता.
मगर जब मैंने देखा कि वो इस खेल में मजा ले रही है तो मैंने उसके आनन्द में खलल नहीं डालने की सोची.
मैंने चुपचाप उस दरवाजे की ओर देखा और जैसे हम देख रहे थे, अब सलोनी और मामाजी…

कहानी जारी रहेगी.

Reply
08-08-2020, 01:54 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट 122

मैंने देखा कि अब तक ना नुकुर कर रही रानी ने उसके लण्ड को प्यार से सहलाना शुरू कर दिया.
मैं यह सोच रहा था कि अगर रानी एक बार भी बचाने को बोलती तो चाहे जो होता, मैं उसको इतने लण्डों से चुदने से बचा लेता.
मगर जब मैंने देखा कि वो इस खेल में मजा ले रही है तो मैंने उसके आनन्द में खलल नहीं डालने की सोची.
मैंने चुपचाप उस दरवाजे की ओर देखा और जैसे हम देख रहे थे, अब सलोनी और मामाजी…

तभी सीड ने रानी का एक हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया.
मैंने देखा कि अब तक ना नुकुर कर रही रानी ने उसके लण्ड को प्यार से सहलाना शुरू कर दिया.
मैं यह सोच रहा था कि अगर रानी एक बार भी बचाने को बोलती तो चाहे जो होता, मैं उसको इतने लण्डों से चुदने से बचा लेता.
मगर जब मैंने देखा कि वो इस खेल में मजा ले रही है तो मैंने उसके आनन्द में खलल नहीं डालने की सोची.
मैंने चुपचाप उस दरवाजे की ओर देखा और जैसे हम देख रहे थे, अब सलोनी और मामाजी भी वैसे ही देख रहे थे.
मुझे आश्चर्य हुआ कि मामाजी ने अपनी बहू को देखकर भी बचाने की नहीं सोची.
मैंने जल्दी से अपने कपड़े पहने, वैसे भी मुझे इस तरह के ग्रुप सेक्स में ज्यादा मजा नहीं आता है.
इतनी देर में ही उन दोनों ने रानी को पूरी तरह तैयार कर लिया था… और दोनों एक साथ ही रानी को चोदने का प्रोग्राम बना रहे थे.
सीड नीचे लेट गया था और रानी उसके लण्ड पर बैठ कर ऊपर से खुद हिल रही थी, उसकी हिलती कमर बता रही थी कि यह उसका पसंदीदा स्टाइल है.वो बहुत तेजी से एक अनुभवी की तरह ही कमर चला रही थी.
तभी अमर ने उसको पीछे से आगे को झुकाया.
ओह !और उसने रानी की गांड के छेद को हल्का सा ही चिकना कर अपना लम्बा लण्ड उसके गांड के छेद में घुसेड़ दिया.
मैंने पहले फिल्मो में तो कई बार देखा था पर अपने सामने होते हुए पहली बार ही देख रहा था.जिस छोटे से संदीप को मैं सीधा और बच्चा समझ रहा था, वो तो पूरा कमीना निकला, उसने भी नंगे होकर अपना लण्ड रानी के मुँह में डाल दिया था.
वरना अभी इस समय तो वो चिल्ला रही होती!
उसकी ऐसी हालत मुझसे देखी नहीं जा रही थी, तीन तीन लण्ड एक साथ उसके तीनों छेदों में आ जा रहे थे.
उसको वैसे ही चुदते हुए छोड़कर मैं चुपके से कमरे से बाहर निकल कर आ गया.
बाहर रानी का पति मिला जो दरवाजा खटखटाने ही जा रहा था.मुझे उसने बड़ी ही हिकारत भरी नजरों से देखा, मैंने उसे कुछ नहीं कहा, मैं चुपचाप बाहर निकल कर अपने कमरे की ओर आ गया.
मैंने सोचा कि अब रानी का पति अपने आप संभाल लेगा.
वहाँ यह देखकर आश्चर्य हुआ कि मेरे कमरे का दरवाजा पूरा बंद नहीं था, सलोनी और मामाजी, दोनों में किसी को जरा भी डर नहीं थाकि अगर कोई भी अंदर ऐसे ही आ गया तो?
मुझे तो सोचकर ही झुरझुरी सी चढ़ गई कि वो तीनों अगर यहाँ आ जाते तो क्या होता?
मैंने हल्का सा दरवाजा धकेल कर अंदर झाँका तो वो दोनों तो अभी भी वही… उसी कमरे में रानी की चुदाई देखने में लगे थे.
सलोनी ने यह भी नहीं सोचा कि मैं बाहर आकर यहाँ भी आ सकता हूँ.
मामाजी तो पीछे से नंगे दिख ही रहे थे, सलोनी भी नंगी ही होगी, वो मामाजी के आगे थी तो दिखाई नहीं दे रही थी.पर सामने सिमटा हुआ उसका पेटीकोट पड़ा था जो चीख चीख बता रहा था कि सलोनी के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं है और वो अपने नंगे बदन को मामाजी से चिपकाये मजे से रानी की चुदाई देख कर आनन्द ले रही है.

Reply
08-08-2020, 01:54 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अब मैं ऐसी हालत में अंदर तो जा नहीं सकता था, और वापस रानी के कमरे में भी जाने का दिल नहीं किया तो मैंने वहीं खड़े खड़े जेब से सिगरेट निकाल कर सुलगा ली और सोचने लगा कि क्या ये सब सही हो रहा है?
जब साले लण्ड में उबाल आता है तो सब कुछ अच्छा ही लगता है पर आज जब रानी को चोदने के बाद लण्ड कुछ शांत हो गया था तो यथार्थ में भी सोचने लगा.
अभी जो रानी के साथ हो रहा है, क्या ये सब में सलोनी के साथ सहन कर पाऊँगा?हो सकता है कि सलोनी उस समय कुछ ना कहे, उसको अच्छा भी लगे पर बाद में तो ग्लानि होगी ना?यह तो एक तरह से बलात्कार ही है!क्या इस तरह के बलात्कार के बाद उसको साधारण सेक्स पसन्द आएगा?
ना जाने कैसे कैसे विचार मेरे मन में उमड़ घुमड़ कर आ जा रहे थे.फिर सोचा कि देखूँ तो वो लोग क्या कर रहे हैं?
मैंने खांसते हुए बाहर अपनी उपस्थिति का एहसास उनको करा दिया था.
दरवाजा खोलकर चुपके से ही देखने वाला था पर सामने ही सलोनी थी, जो मुझे देखते ही बोली- अरे कहाँ चले गए थे आप? मुझे उठाया भी नहीं?
सलोनी अपनी ब्लाउज पहन चुकी थी, अपने पेटीकोट को ठीक कर रही थी या हो सकता है अभी ही पहना हो.मामाजी बड़ी ही चालाकी से दूसरी और करवट लिए मुँह तक चादर ओढ़े सो रहे थे.
मैं- हाँ जान, जरा सिगरेट पीने चला गया था.
मैंने सुना कि इस कमरे में बराबर वाले कमरे की आवाजें बहुत तेज सुनाई दे रही थी, जहाँ रानी की चुदाई चल रही थी- पट पट… जांघों की आवाजें… आहें… और सिसकारियाँ, सभी काफी तेज सुनाई पड़ रही थी.
दिल में एक कसस सी उठी कि ‘क्या रानी का पति भी उनका साथ दे रहा है?’पता नहीं वहाँ क्या क्या चल रहा होगा?
मैं- अरे… ये आवाजें कैसी आ रही हैं?
सलोनी- पता नहीं! मैं भी इनको सुनकर ही जागी थी.
मैं- और मामाजी जी अभी तक सो रहे हैं? इन पर शोर का कोई असर नहीं हुआ?
सलोनी- हाँ, शायद ज्यादा थक गए हैं, पता नहीं… लगता है कि उधर कोई अपनी सुहागरात मना रहा है.सलोनी बड़े ही सेक्सी अन्दाज़ में मुसकुराहट के साथ बोली.
मैं- आओ जान, देखें तो, कहीं कुछ गलत तो नहीं हो रहा?
सलोनी- अरे नहीं… ना… क्या करते हो? ऐसे किसी को… वो सब करते देखना अच्छा होगा क्या?
मैं- अरे कुछ नहीं होता, कौन सा हम उनको परेशान कर रहे हैं? बस चुपके से देखेंगे.
और मैं मामाजी के उधर लांघ कर उस कमरे में देखने लगा.
एक बार मामाजी की ओर भी देखा, लगा जैसे वाकयी में सो रहे हों.
बार रे बाप… क्या नजारा था!रानी अपने पति की गोद में सर रखे लेटी थी, और तीन लण्ड उसको अपने पानी से भिगो रहे थे.रानी का पूरा जिस्म ही वीर्य से सराबोर था, लगता था तीनों ने ही उसको जमकर चोदा था.
केवल रानी के पति के जिस्म पर ही एक आध कपड़ा दिखाई दे रहा था.रानी और वो तीनों मुस्टंडे तो पूरे नंगे ही थे.
अब तो वो संदीप भी पूरा मर्द ही नजर आ रहा था.उसका लण्ड देखकर लग रहा था कि जैसे उसने भी रानी को जमकर चोदा है.
तभी सलोनी भी मेरे पास आकर बैठ गई. मैंने ध्यान दिया कि वो बिल्कुल मामाजी के चेहरे के पास आकर बैठी थी, उसके चूतड़ मामाजी के नाक से छू रहे थे.
पर?

कहानी जारी रहेगी.

Reply
08-08-2020, 01:54 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 123

पिछले भाग में आपने पढ़ा था कि एक विवाह उत्सव में शामिल होने के हम लोग दूसरे शहर गए थे. वहाँ आधी रात का नज़ारा चल रहा था, मेरी बीवी सलोनी वहाँ एक कथित मामाजी से चुद चुकी थी और उन मामा जी की पुत्रवधू रानी मुझसे चुकी थी.
बार रे बाप… क्या नजारा था!
रानी अपने पति की गोद में सर रखे लेटी थी और तीन लौड़े उसको अपने पानी से भिगो रहे थे.
रानी का पूरा जिस्म वीर्य से सराबोर था, लगता था तीनों ने उस को जमकर चोदा था.
केवल रानी के पति के बदन पे ही एक आध कपड़ा दिखाई दे रहा था.
रानी और वे तीनों मुस्टण्डे तो पूरे नंगे ही थे.
अब तो वो संदीप भी पूर्ण मर्द नज़र आ रहा था.
उसका लण्ड देखकर लग रहा था कि जैसे उसने भी रानी को जमकर चोदा है.
तभी सलोनी भी मेरे पास आकर बैठ गई. मैंने ध्यान दिया कि वो बिल्कुल मामाजी के चेहरे के पास आकर बैठी थी, उसके चूतड़ मामाजी के नाक से रगड़ रहे थे.
पर लगत रहा था कि जैसे मामा जी गहन निद्रा में थे.
अब तो सलोनी मेरे समक्ष भी काफी खुल रही थी.
मैं- अरे यह कौन है यार, और कैसे यह सब कर रही है?मैं रानी को देख कर ही बोला.
सलोनी- मुझे नहीं पता… पर लगता नहीं कि जबरन कुछ हो रहा है, देखे, यह मजे ले कर ही सब ही करवा रही है.
मैं- हम्म, तुम ठीक कह रही हो… चलो छोड़ो इन लोगों को!
मैं सलोनी को साथ लेकर अपने बिस्तर पर चला आया.
उस विवाह में ऐसा काफ़ी कुछ हुआ जिस से काफ़ी परिवर्तन आ गया हमारे जीवन में…
रानी की जोरदार चूत चुदाई देखने के पश्चात हम दोनों लेट गए.
मेरी आँखों में नींद नहीं थी, सलोनी पेटीकोट ब्लाउज में थी.
सवेरे पाँच बजे के करीब मुझे लगा कि वो उठ रही है परन्तु वो खिसक कर मामाजी के कंबल में घुस गई.
उसे भली प्रकार से पता था कि मैं सोया हुआ नहीं था, फिर भी उसने ऐसी हरकत की.
मैंने देखा कि मामा जी ने तो फिर भी एक मर्तबा मेरी तरफ़ देखा कि मैं सो रहा हूँ या जाग रहा हूँ…
पर सलोनी ने एक बार भी यह देखने की कोशिश नहीं की, उसका भय- शर्म ख़त्म हो चुकी था, अब तो वो सरेआम चुदवा सकती थी.
सलोनी ने मेरे देखते देखते मामा जी का लौड़ा चूसा, फिर खड़ी होकर अपना पेटिकोट उतार कर नीचे से नग्न हो गई.
उसके बाद निडर होके वो मामा जी के कम्बल में सरक गई और कुछ ही पलों में उसकी सिसकारियाँ गूँजने लगी.
मेरी सलोनी मेरे ही सामने एक अधेड़ मर्द से चुदवा रही थी और मैं कुछ नहीं कर रहा था.
वो अपनी फ़ुद्दी चुदवा कर चुपचाप फिर से मेरे बिस्तर में आ गई.
इससे पहले सलोनी ने ऐसा नहीं किया था पर उस रात तो उसने मेरे सामने ही मामाजी से एक बार फिर चूत चुदवा ली.
मैंने उसे अपने बदन से चिपका लिया जिससे उसको यह एहसास हो जाये कि मैं जाग रहा हूँ.
वो भी कस कर मुझसे चिपक गई और उसने कोई अलग प्रतिक्रिया नहीं की.
जैसे ही मेरा हाथ उसकी कमर पर गया, मुझे पता चला कि उसने अपना ब्लाउज और ब्रा भी उतार दिये थे.
उसका चिकना जिस्म अभी भी चुदाई की गर्मी से गर्म था और वो पूर्ण नग्न थी.
जैसे ही मेरा हाथ उसके चूतड़ों पर आया… हे भगवान्… यह क्या… वहाँ तो सब चिपचिप था.
लग रहा था कि मामाजी ने उसको पीछे से ही चोदा… और फिर अपना सारा वीर्य उसके कूल्हों पर निकाल दिया था.
मैं उस चिपचिपे पानी को अपने हाथ से उसकी पीठ पर पोंछता हुआ और नीचे पहुँचा तो उसकी गोल जांघों पर भी वैसे ही माल चिपका हुआ था.
सलोनी को पूरा एहसास हो रहा होगा कि मैं उसकी चुदवाई की निशानी देख रहा हूँ फिर भी उस पर किसी तरह से कोई प्रभाव नहीं दिखा..
इसका मतलब स्पष्ट था कि उसे पता था कि मुझे उस की चुदाई का मुझे सब कुछ पता था.
वैसे भी मैं भी तो यही चाहता था.. अतः अब कुछ भी सोचना-कहना बेकार था.
एक अलग ही तरह का मौन था हमारे बीच जो हमारे प्रेम को न जाने कहाँ लेकर जाने वाला था.
मैंने अपने हाथ से ही उसके बदन की सारी चिपचिपाहट को साफ कर दिया.
फिर कुछ देर बाद हम उठ गए, पहले सलोनी ही उठी, वो बिल्कुल नंगी ऐसे ही उठकर खड़ी हो गई, उसने एक कमर तोड़ अंगड़ाई ली तो उसके मदमस्त बदन का एक एक कटाव खिल कर उजागर हो उठा.
मैंने मामा जी की तरफ़ देख, साफ दिख रहा था कि वे जाग रहे हैं और उनकी निगाहें सलोनी पर ही टिकी थीं.वैसे भी अब सात से ऊपर हो चुके थे.
बहुत मदमस्त रात बीती थी यह…

कहानी जारी रहेगी.

Reply
08-08-2020, 01:54 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 124

पहले सलोनी ही उठी, वो बिल्कुल नंगी ऐसे ही उठकर खड़ी हो गई, उसने एक कमर तोड़ अंगड़ाई ली तो उसके मदमस्त बदन का एक एक कटाव खिल कर उजागर हो उठा.
मैंने मामा जी की तरफ़ देख, साफ दिख रहा था कि वे जाग रहे हैं और उनकी निगाहें सलोनी पर ही टिकी थीं.वैसे भी अब सात से ऊपर हो चुके थे.पर सलोनी किसी को नहीं देख रही थी… वह अब अपने बिखरे कपड़ों को इकट्ठा करने लगी.
वहाँ टंगी साड़ी उसने उठा ली… पेटिकोट भी नीचे पड़ा था… ब्लाऊज़ मामा जी के बिस्तर के पास था… पैन्टी एक कोने से उठाई तो उसको उठाते हुए उसके चूतड़ और उनके बीच का छेद हम दोनों ने अच्छे से देखा.
.!
अब वह फिर इधर-उधर निगाहें दौड़ाने लगी… शायद अपनी ब्रा ढूंढ रही थी.. उसे कहीं नहीं दिखी तो शायद उसे कुछ याद आया और वह बिना किसी संकोच किए मामा जी के कम्बल को उलट कर देखने लगी.
मामा जी भी पूरे नग्न थे, उनका सुप्त लौड़ा मुझे दिख गया था.
सलोनी की ब्रा वहीं थी, उसकी एक तनी मामा जी के लौड़े में अटकी हुई थी.
सलोनी चाहती तो ब्रा उठाकर खींच कर ही उसको निकाल सकती थी पर उसने कुछ दूसरा ही काम किया.
मेरे देखते हुए ही सलोनी ने एक हाथ से मामा जी के लौड़े को पकड़ कर ब्रा से बाहर निकाला और फिर कंबल वैसे ही ढक कर अपने कपड़े पहनने लगी.
उसके वहीं खड़ी होकर एक एक करके अपने कपड़े पहने.
इस सब में जब मुझे इतना मजा आया तो बेचारे मामा जी का क्या हाल हुआ होगा?
उसके बाद हम अपने होटल में आ गए.
उस शादी में और भी बहुत मजेदार बातें हुई… काफी अच्छी शादी रही थी.
वहाँ पर अरविन्द अंकल की पुत्री से भी हमारी मुलाक़ात हुई.
किशोरी नाम था उसका… बहुत सुन्दर थी वह… अरविन्द अंकल की पहली बीवी की औलाद थी वह !
फिर भी रिश्ते में तो नलिनी भाभी की भी पुत्री ही हुई.
उसे देखते ही मेरे दिल में उसको चूत का ख्याल आया.
बहुत ही गदराया जिस्म था उसका… और जैसे वो अपनी आँखें नचा नचा कर बातें कर रही थी, उससे साफ़ लगा कि इस लड़की को पटाना कोई कठिन कार्य नहीं!
नलिनी भाभी और मेरी प्यारी सलोनी दोनों ही मेरी निगाहें देख कर समझ गई कि मुझे क्या चाहिए.
दोनों ने मुझे बहुत प्यार से देखा जब मैं किशोरी से बात कर रहा था.
उसने टाइट जींस और टॉप पहना हुआ था, उसके दोनों बच्चे उसके साथ थे मगर उसके पति कहीं दिखाई नहीं दिए.
शायद अपने बिज़नस के कारण नहीं आ पाया होगा.
किशोरी हमारे कमरे में ही ठहर गई.
कुछ देर बाद नलिनी भाभी और अरविन्द अंकल तो चले गए किसी काम से और वहाँ हम तीन लोग ही रह गए.
मैंने सोचा कि थोड़ा आराम कर लिया जाए.. वैसे भी रात भर तो सो ही नहीं पाए थे.
मैं और सलोनी एक बेड पर थे दूसरे पर किशोरी अपने बच्चों के साथ लेट गई.
सलोनी ने उसको टोका- अरे किशोरी, इतनी कसी जीन्स में कैसे आराम मिलेगा, चल बदल ले इसे…
किशोरी- अरे नहीं भाभी… थोड़ी देर ही तो लेटना है अभी, हो सकता है किसी कार्यक्रम में शामिल होना हो… फिर बदल लूंगी… अभी कपड़ों का बैग भी नीचे ही रखा है.
सलोनी- कुछ और नहीं तो जीन्स उतार कर लेट जा… यहाँ कौन है जो देखेगा?
किशोरी- ह… हट.. शिट भाभी क्या कह रही हो? भैया तो हैं यहाँ… ऐसे कैसे.. नहीं मैं ठीक हूँ ऐसे ही…
सलोनी- जैसी तेरी मर्जी… मुझे तो ऐसे आराम नहीं मिलता जब तक शरीर फ्री ना हो.
सलोनी ने अभी नाइटी पहनी हुई थी, उसका ऊपर का गाउन निकाल दिया, अंदर तो उसका वही छोटा पारदर्शी हिस्सा ही था जिसमें से उसका गोरा और चिकना बदन पूरा दिखता है.
किशोरी- भाभी, आपने तो ब्रा पैन्टी भी नहीं पहनी?
सलोनी- अरे, मैं आराम ही तो कर रही हूँ… इसलिए नहीं पहनी, फिर तुझसे क्या शर्म?
और सलोनी बिना किसी हिचक मेरे बिस्तर में घुस गई.
मैं भी सिर्फ़ लुंगी में था… सलोनी को वैसे भी लण्ड पर हाथ रख सोने की आदत है, उसने मेरी लुंगी हटा कर मेरे लण्ड को पकड़ लिया.
हम कुछ देर ही लेटे होंगे कि नलिनी भाभी की आवाज़ आई- अरे उठ ना सलोनी.. यहाँ क्या सोने ही आई है तू? ऋतु और रिया बुला रही हैं, उन्हें तैयार करना है.
सलोनी उठ कर बैठ गयी- ओह भाभी, अभी तो नींद आने लगी थी… अच्छा आप चलो.. मैं दस मिनट में आती हूँ.
यह कह कर सलोनी बाथरूम में घुस गई.
मेरी चादर भी उसके उठने से हट गई, लुंगी तो पहले सलोनी खोल गई थी.
मेरा आधा खड़ा लण्ड नलिनी भाभी के सामने था, भाभी ने झुककर मेरे लण्ड को पकड़ लिया.
नलिनी भाभी- क्या साहिल? खुद तो सोते रहते हो पर यह हमेशा जागता ही रहता है?
मैंने उठकर नलिनी भाभी को अपनी बाहों में दबोच लिया.
भाभी- क्या कर रहे हो? किशोरी यहाँ ही है… और उसे क्यों बड़े घूर घूर कर देख रहे थे?
मैं- हाँ भाभी, आपकी बेटी माल ही ऐसा है… बहुत मजेदार है किशोरी!
नलिनी भाभी- अच्छा तो अब उसके ऊपर भी नज़र है तेरी?
मैं- तो क्या हुआ… अगर उसे भी लौड़े की तलब है तो इसमें क्या बुराई है?
मैंने किशोरी की तरफ़ देखा, वो सीधी लेटी हुई थी, पता नहीं कि सो रही थी या हमारी बातें सुन रही होगी?
उसने अपनी जीन्स की बेल्ट का बटन खोल रखा था, जहाँ से अंदर पेट का गोरा हिस्सा दिखाई दे रहा था.
मैं- यार भाभी श्री, इसकी फ़ुद्दी के दर्शन करा दो.. देखो कैसे झांक रही है झरोखे से…
मैंने नलिनी भाभी को बाँहों में कसकर उनके लाल होंठों को चूमते हुए कहा.
और उन्होंने…

कहानी जारी रहेगी.

Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,500,449 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 544,280 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,231,425 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 931,357 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,653,231 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,080,222 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,950,371 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,052,919 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,031,084 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 284,773 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 5 Guest(s)