Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
08-08-2020, 01:54 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 125

नलिनी भाभी- क्या साहिल? खुद तो सोते रहते हो पर यह हमेशा जागता ही रहता है?
मैंने उठकर नलिनी भाभी को अपनी बाहों में दबोच लिया.
भाभी- क्या कर रहे हो? किशोरी यहाँ ही है… और उसे क्यों बड़े घूर घूर कर देख रहे थे?
मैं- हाँ भाभी, आपकी बेटी माल ही ऐसा है… बहुत मजेदार है किशोरी!
नलिनी भाभी- अच्छा तो अब उसके ऊपर भी नज़र है तेरी?
मैं- तो क्या हुआ… अगर उसे भी लौड़े की तलब है तो इसमें क्या बुराई है?
मैंने किशोरी की तरफ़ देखा, वो सीधी लेटी हुई थी, पता नहीं कि सो रही थी या हमारी बातें सुन रही होगी?
उसने अपनी जीन्स की बेल्ट का बटन खोल रखा था, जहाँ से अंदर पेट का गोरा हिस्सा दिखाई दे रहा था.
मैं- यार भाभी श्री, इसकी फ़ुद्दी के दर्शन करा दो.. देखो कैसे झांक रही है झरोखे से…
मैंने नलिनी भाभी को बाँहों में कसकर उनके लाल होंठों को चूमते हुए कहा.
और उन्होंने मुस्कुराकर मेरे कान पकड़ लिए- हर समय पिटाई वाला काम करना चाहता है. अगर जाग गई ना, तो हल्ला हो जायेगा…चल अब सो जा वैसे ही.. सलोनी अभी बाहर आती होगी…
मैंने भाभी के चूतड़ों को कसकर दबाया..वो मुझे वहीं छोड़कर कमरे से बाहर चली गई.
अपने बेड पर आते हुए मैंने फ़िर एक बार किशोरी की तरफ़ देखा तो वह मुझे गहन निद्रा में लगी.अब मैं उसकी फ़ुद्दी देखने का लालच छोड़ नहीं सका.
मैं चुपचाप उसके समीप गया और उसकी जींस की बेल्ट के दोनों किनारे पकड़ खींच दिए विपरीत दिशा में…और उसकी ज़िप ज़र्र से खुलती ही चली गई.
पहले तो मुझे लगा कि जैसे उसने नीचे कुछ पहना ही नहीं है, फिर मुझे उसकी डोरी वाली फैशनेबल कछिया दिखाई दे ही गई.जो शायद उसकी चूत के हिस्से को ही ढके हुए थी.
उसकी गोरी झक्कास चिकनी चूत का ऊपरी हिस्सा मुझे दिखाई देने लगा था.अब उससे आगे कुछ देखने के लिए बहुत मेहनत की जरूरत पड़नी थी, और फिर सलोनी के भी बाथरूम से बाहर आने की आवाज महसूस हुई.
मैं फ़्ट से अपने बिस्तर पर चढ़ कर लेट गया, सोने का नाटक करने लगा.
तभी सलोनी बाथरूम से बाहर आई.
उसने अपनी नाइटी उतार कर कोई ड्रेस पहनी, फिर उसने किशोरी को जगाया- उठ किशोरी, मैं जा रही हूँ… और अपने बदन को ऐसे हवा मत लगा… ले मेरी नाइटी पहनकर आराम से सो जाना…
किशोरी- ओह भाभी, क्या करती हो.. ठीक है… आप कहाँ जा रही हो?
सलोनी- नलिनी भाभी के साथ ऋतु और रिया को तैयार करने… तू यहाँ आराम कर… जब निबट जाएँगे तो तुझको बुला लेंगे.
किशोरी- ठीक है भाभी… आप जाइए, मैं सो रही हूँ यहाँ.
सलोनी- सो जाना पर अपने भैया का भी ध्यान रखना.. सब कुछ खोल कर सो रहे हैं… हा हा हा !
किशोरी- धत्त भाभी… आप भी ना? वो तो आप ही दिन में भैया को परेशान कर रही होंगी.
सलोनी- अच्छा तो बच्चू? तू जाग रही थी तब? अब तेरे लिए छोड़ कर जा रही हूँ… मेरी नाइटी पहन ले और मौका है, तू इनके सोने का फ़ायदा उठा.. ये तो यही समझेंगे कि मैं हूँ…
किशोरी- छीईई… मैं ऐसी नहीं हूँ…
सलोनी के जाने और दरवाजा बन्द करने की आवाज हुई.
मुझे लगा इन दोनों ने यह सब मजाक में ही कहा होगा.
मैंने अध-खुली आँखों से देखा, किशोरी तो कमरे में ही अपने कपड़े उतारने लगी.
पहले उसने जीन्स उतारी… फ़िर टॉप और फ़िर अपनी ब्रा भी उतार दी.
इसके बाद उसने सलोनी की सिर्फ़ अंदर वाली शॉर्ट नाइटी ही पहनी.
किशोरी सलोनी से ज्यादा लम्बी है तो नाइटी उसके काफ़ी ऊपर रह गई… उसके मोटे कूल्हों को मुश्किल से ढक पा रही थी.
किशोरी तो मेरी उम्मीद से भी कहीं ज्यादा बोल्ड निकली!
इतनी सेक्सी नाइटी पहनकर, जिसमें वो करीब पूरी नग्न ही दिख रही थी, वो मेरे पास मेरे बेड पर आई और मेरी फ़ैली हुई बाजू पर अपना सर रख मेरी ओर पीठ करके लेट गई.
मैं तो पहले से ही नंगा था, मेरा लौड़ा पहले से ही थोड़ा खड़ा था पर उसके बदन के इस कोमल स्पर्श से पूरा टनटना गया.
मैंने भी अब देर करना सही नहीं समझा, मैंने कुम्भलाते हुए उसकी ओर करवट ली, उसके बदन की लम्बाई तो मेरे लिए बिल्कुल आइडियल थी.
मेरे खड़े लौड़े का गोल, गर्म सुपारा पीछे से ठीक उसकी फूली हुई चूत पर जाकर टिक गया और मेरे लौड़े को और मेरी जांघों को उसके नंगे कूल्हों का एहसास हुआ क्योंकि नाईटी तो कब की उसके कूल्हों से ऊपर सरक चुकी थी.उसकी छोटी सी कच्छी की डोरी तो शायद उसके गहरी गाण्ड की दरार में गुम हो गई थी.
मैं- आह्ह्ह्ह्हा सलोनी, कितना प्यारा जिस्म है तुम्हारा… और तुम्हारी यह मखमली मुलायम फ़ुद्दी तो हर वक्त गर्म रहती है. आअह्ह्ह्हा आआ… देखो कितना पानी छोड़ रही है… आअह्हहा आआह… घुसा दूँ क्या अन्दर?
किशोरी के मुख से बस सिसकारी और उन्ह… उह उउउउ की आवाज ही निकली.
मैंने अपने सीधा हाथ नीचे ले जा कर उसकी फ़ुद्दी के पास हट चुकी पट्टी को पूर्णतया एक तरफ़ सरका दिया और लौड़े के सुपारे को जैसे ही चूत के मुँह पर टिकाया..
मेरी कमर के साथ साथ किशोरी भी पीछे को खिसक गई.
आह्ह… आआह्हा आआआ उउउउउह…
और मेरा लण्ड गप्प्क की आवाज के साथ अन्दर चला गया.
.!
करीब तीन इंच अंदर सरका कर ही मैंने 8-10 धक्के लगाये.आह्ह… आआह्हा आआआ उउउउउह… ओह्ह्ह्ह्ह् उउउईइह्ह…
मैंने किशोरी के कसे हुए मम्मों को मसला…
और तभी…
मैं- अर्र रे… अह यह क्या? ये तो तुम्म… यहाँ कैसे आ गई?
मैंने जानबूझकर ऐसी नौटंकी की…ओह्ह्ह मैंने तो तुम्हें सलोनी समझा था.
और किशोरी का मुखड़ा..

कहानी जारी रहेगी.

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08-08-2020, 01:55 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 126

आह्ह… आआह्हा आआआ उउउउउह…
और मेरा लण्ड गप्प्क की आवाज के साथ अंदर चला गया.
करीब तीन इंच अंदर सरका कर ही मैंने 8-10 धक्के लगाये.आह्ह… आआह्हा आआआ उउउउउह… ओह्ह्ह्ह्ह् उउउईइह्ह…
मैंने किशोरी के कसे हुए मम्मों को मसला…
और तभी…
मैं- अर्र रे… अह यह क्या? ये तो तुम्म… यहाँ कैसे आ गई?
मैंने जानबूझकर ऐसी नौटंकी की…ओह्ह्ह मैंने तो तुम्हें सलोनी समझा था.
और किशोरी का मुखड़ा देखने लायक था.
किशोरी ने मुझे धक्का सा दिया, शायद वो भी पाक साफ़ रहना चाहती थी.
मेरा लौड़ा धप्प्प से उसकी योनि से बाहर निकल आया.
मैं उसके बगल में ही लेट गया.
उसकी नाइटी उसके गोरे बदन पर पूरी तरह अस्त व्यस्त थी, वह एक टाँग मोड़े और दूसरी फैलाये लेटी थी.
उसने न तो नाइटी ठीक की और न ही कुछ बोली.
मैं उसके बगल में लेटे हुए उसे देखे जा रहा था.
मैं- ओह किशोरी, यह क्या हो गया… सॉरी यार… सच में मुझको बिल्कुल पता नहीं था. और तुम तो वहाँ लेटी हुई थी ना? फिर अचानक यहां मेरे बिस्तर पे कैसे?
पहली बार किशोरी बोली- जी भैया, बच्चे सोते हुए डिस्टर्ब ना हों इसलिये यहां लेट गई थी.
मैं- सॉरी किशोरी.. प्लीज मुझे माफ़ कर दो ना !
किशोरी- अरे भाई, कोई बात नहीं… आपकी तो कोई गलती है ही नहीं…
उसने अभी भी अपने कपड़े ठीक नहीं किए थे.
उसके मन में चुदाई का बवण्डर उठा हुआ था, पर नारी-सुलभ-लज्जा उसको रोके हुए थी.
यह बात मुझे काफ़ी भा गई.
मैंने अब दूसरी तरीके से तीर चलाया- वैसे किशोरी तुम बहुत सुन्दर हो, लगता नहीं कि तुम एक बेबी की मम्मा हो. तुम्हारा तो अंग-प्रत्यंग साँचे में ढला है.
किशोरी के मुखड़े पर मुस्कुराहट और हया की लालिमा दोनों आ गई.
नारी जाति के मसले में मैं खुद को फ़न्ने खाँ उस्ताद समझता था मगर अक्सर मैं एक अनाड़ी ही साबित हुआ हूँ.
सलोनी ने तो मुझे हरदम हैरान कर ही रखा था… हर रोज उसका एक नया ही चेहरा देखने को मिल जाता था.
अभी कुछ पल पहले जब किशोरी अपने सारे कपड़े उतार कर पूर्ण नग्न होकर सलोनी की नाम-मात्र की नाइटी पहन कर जब मेरे पास आकर लेटी.. तब ऐसा ही लगा था कि यह बहुत चालू माल होगी… खूब चुदाई करवाती होगी.
परन्तु जरा सी ही देर में ही वो ऐसी हो गई…फ़ुद्दी में घुसा लौड़ा भी निकाल दिया और अब कितना शर्मा रही है जैसे पहली बार मर्द का लिंग देखा हो.
किशोरी- भैया, मुझे तो बहुत शरम आ रही है.
मैं- ऐसा क्यों पागल.. यह सब तो सामान्य है.
किशोरी- व…व्वो मेरे पति के बाद आप ही दूसरे पुरुष हो जिसने मुझे नंगी देखा है, इसलिए.
मैं- वाह… फिर तो मैं बड़ा खुश-नसीब हूँ यार… जिसने इतनी प्यारी लड़की नंगी देख ली.
अब मुझसे नहीं रूका जा रहा था तो मैंने उसकी ओर करवट लेते हुए अपना सीधा हाथ किशोरी के पिचके हुए पेट पर नाभि के इतने नीचे रखा कि मेरी उंगलियाँ उसके बेशकीमती खज़ाने यानि योनि के ऊपरी भाग को छूने लगी.
किशोरी की सिमटी हुई टाँग भी फैल गई.
उसकी सफाचट चिकनी चूत मेरी ऊंगलियों के नीचे थी.
अब किशोरी बिल्कुल चित्त लेटी हुई थी.
मैं अपने हाथ को थोड़ा और नीचे को सरकाने लगा तो…
किशोरी- अह्हहा…आआह… आ… प्लीज़ मत करो ना भैया!
मैं- चल क्या रहा है तुम्हारे दिल में? देखो किशोरी, अब मैंने तुम्हारा सर्वस्व देख ही लिया है… और तुम्हारी योनि से जो यह इतना रस निकल रहा है.. जब तक यह सब निकल नहीं जाएगा, तुम्हें भी चैन नहीं मिलेगा. मैं नहीं चाहता कि पूरी शादी में तुम अशान्त रहो.
अचानक किशोरी मेरी तरफ़ घूमी और मेरे वक्ष से चिपक गई.
किशोरी- मैं क्या करूँ भैया… पर मेरे इनको किसी तरह पता चल गया तो क्या होगा?
मैंने हंसकर उसको खुद से दबोच लिया.. योनि के रस से भीगा हाथ किशोरी के नग्न चूतड़ों पर पहुँचा.
वाह… क्या शानदार उभरे हुए कूल्हे थे… एकदम ठोस जैसे तरबूज…
सलोनी के बाद मुझे यही कूल्हे सलोनी की टक्कर के लगे.
मैं- पगली… लगता है तेरे पति के पास महाभारत के सँजय जैसी कोई दिव्य दृष्टि है.. हा… हा… अरे वहाँ बैठे उन्हें यहाँ के बारे में कैसे पता चल पायेगा?
मेरा लौड़ा फिर से टनटना गया… उसको नयी चूत की खुशबू जो मिल गई थी.
मेरा लिंग किशोरी की योनि पर दस्तक देने लगा.अपना सिर मेरे वक्ष में छुपाये हुए ही वो बोली- भैया, जो भी करना है जल्दी करिए.. वरना कोई आ गया तो बीच में रह जायेगा.
मुझे भी समय का आभास था, दिन का वक्त था… कोई भी आ सकता था.
और मेरे लिये इतना इशारा काफी था.
किशोरी ने उसी हालत में अपने हाथ से मेरे लिंग को टटोला, उसके हाथ की कम्पकम्पाहट उसकी शरम दर्शा रही थी.मगर वो स्वय को लण्ड के साथ खेलने से नहीं रोक पा रही थी.
मेरा मन उसको पूर्ण वस्त्रविहीन देखने के लिये आतुर हो रहा था,
नाइटी उसके चूचों तक सिमटी पड़ी थी, सलोनी की नाइटी थी तो मुझे मालूम था कि डोरी के नीचे बटन हैं… मैंने बड़े आराम से बटन खोल नाइटी को हटाकर उसके बदन से अलग कर दिया.
.!
वो फिर से शरमाई.उसने अपने दोनों हथेलियाँ अपनी चूचियों पर रख ली.
मुझे अब उसकी शर्म की चिंता नहीं थी.मैं उठकर उसकी जांघों के मध्य आ गया.
बहुत ही सुन्दर वस्तिस्थल था किशोरी का…
रस से भीगी उसकी योनि की सफ़ेद पंखुड़ियाँ… ओस से भीगे फूल जैसी लग रही थी.
मैं उसको और मजा देना चाहता था… मैंने अपनी खुरदरी जिह्वा से सारे रस को चाट लिया.
‘आअह… आआहा… मम्माह… आआ…’ उसके मुख से सिसकारियों पर सिसकारियाँ निकलने लगी.
अब वह मुझे मना करने वाली अवस्था में नहीं थी.
दो मिनट में ही किशोरी मुझे अपने ऊपर खींचने लगी.
मैंने फिर से पोजीशन लेकर इस बार पूरा लण्ड उसकी चूत में प्रवेश करा दिया.
किशोरी- अह्ह्ह्हा आआहा… मम्माह… आआ… इइइ…
और मैंने एक लय-बद्ध तरीके से झटके लगाने शुरू किए.
करीब दस मिनट के बाद मेरे स्खलन से पहले किशोरी एक बार स्खलित होकर अपना रज त्याग कर चुकी थी.
इस चुदाई में दोनों को ही बहुत मजा आया था.
इस चुदाई से संतुष्ट होने के बाद किशोरी अपनी टांगों को मोड़कर करवट से लेटी हुई थी.
इस दशा में उसकी उठी हुई गाण्ड देख कर मेरा मन मचल उठा था.

कहानी जारी रहेगी.

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08-08-2020, 01:55 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 127

मैंने फिर से पोजीशन लेकर इस बार पूरा लण्ड उसकी चूत में प्रवेश करा दिया.
किशोरी- अह्ह्ह्हा आआहा… मम्माह… आआ… इइइ…
और मैंने एक लय-बद्ध तरीके से झटके लगाने शुरू किए.
करीब दस मिनट के बाद मेरे स्खलन से पहले किशोरी एक बार स्खलित होकर अपना रज त्याग कर चुकी थी.
इस चुदाई में दोनों को ही बहुत मजा आया था.
इस चुदाई से संतुष्ट होने के बाद किशोरी अपनी टांगों को मोड़कर करवट से लेटी हुई थी.
इस दशा में उसकी उठी हुई गाण्ड देख कर मेरा मन मचल उठा था.
लेकिन किशोरी के कसे कूल्हे और गाण्ड का छिद्र देख कर मुझे लग रहा था कि जैसे उसने कभी अपनी गाण्ड में लौड़ा लिया नहीं होगा.
और मुझे भी कोई जल्दी तो थी नहीं, उस वक्त तो किसी के आने का भय भी था.
इसीलिए मैंने ही उसे कहा- चलो किशोरी, अब उठ कर तैयार हो जाओ.. अगर हमें किसी ने इस हालत में देख लिया तो कहर बरपा हो जायेगा.
शायद किशोरी को बहुत ज्यादा मज़ा आया था चूत चुदाई में, वो तो जैसे मदहोश हो गई थी.
‘ह्म्म्म…’ के साथ बड़े अनमने ढंग से उठी और नाइटी वहीं छोड़ पूरी नग्न ही बाथरूम में घुस गई.
मैंने भी उठ कर अपना लोअर पहन लिया.
तभी दरवाजे पर खटखटाहट हुई.
मैं- कौन?
बाहर से अरविन्द अंकल बोले- मैं हूँ!
अरे ये तो अरविन्द अंकल हैं, वो बाहर खड़े दरवाजा पीट रहे थे और जोर से कह रहे थे- …खोलो भाई… जल्दी…
अब मैंने दरवाजा तो खोलना ही था.
अरविन्द अंकल- अरे बेटा साहिल… यह क्या.. दिन में भी भला कोई सोता है? चलो भई, मौज़ मस्ती करो… बाहर सब तुम्हें पूछ रहे हैं.
‘अरे यार… यह सलोनी भी न… सब कपड़े फैलाए रखती है.’और उन्होंने वो बेड पर पड़ी नाइटी उठाकर एक तरफ़ रख दी और वहीं बैठ गये.
तभी उनकी नजर सामने बिस्तर पर गई- अच्छा… किशोरी बच्चों को यहाँ सुला गई… गई कहाँ वो? जब से यहाँ आई है, ढंग से मिली भी नहीं.
‘अरे… इसने भी अपने कपड़े ऐसे ही फ़ैला रखे हैं.’
वहाँ किशोरी के पहने हुए कपड़े पड़े थे जो उसने तभी नाइटी पहनने से पूर्व निकाले थे.
जैसे ही उन्होंने किशोरी की जींस उठाई.. उसमें से उसकी काली जालीदार कच्छी निकल कर नीचे गिर गई.
वो चौंक गए, सिमटी हुई शर्ट पर ब्रा भी पड़ी थी.
अरविन्द अंकल की आँखें कुछ देर के लिए सिकुड़ सी गई.
फिर मेरी उपस्थिति का अहसास होते ही वो सिटपिटा से गये.
उन्होंने तिरछी नजरों से मुझे देखा और जल्दी से पैंटी उठाकर वैसे ही जींस में घुसा दी और कपड़ों को वहीं छोड़ दिया, फिर वापिस अपनी जगह आ कर बैठ गये.
वो किशोरी के कपड़ों को देख कर ना जाने क्या-क्या सोच रहे होंगे.
मैं बात को सम्भालते हुए बोला- पता नहीं कौन आया और गया… मैं तो अभी आपके शोर से जगा हूँ.
अब मुझे डर लगने लगा कि ‘अरे यार… किशोरी बिल्कुल नग्न बाथरूम में गई है… अगर इस समय वो बाहर आ गयी तो क्या होगा?
अपने पापा के सामने उसे कैसा लगेगा?!?
और साथ ही ये अरविन्द अंकल मेरे लिये क्या क्या सोचेंगे?
मैं अभी ये सब सोच ही रहा था कि किशोरी ने बाथरूम का दरवाजा खोल दिया.
वो दरवाजे के बीचों बीच पूर्ण नग्न अपने मुखड़े पर साबुन का झाग लगाए खड़ी अपनी आँखें मल रही थी.
शायद किशोरी अपना चेहरा धोने गई थी और पानी बन्द हो गया था, उसको कुछ दिखाई नहीं रहा था क्योंकि उसकी आँखें साबुन से बन्द थी.
उसके उठे हुये दोनों उरोज और उन पर चैरी की भान्ति चिपके हुये चूचुक!
पतली नाजुक कमर… अन्दर को धंसा हुआ पेट… गहरा नाभिकूप… नाभि के नीचे उभरा हुआ पेड़ू और चिकनी योनि के बाह्य मोटे लब…योनि के दोनों होंठों के बीच गुलाबी चीरा…
किशोरी का सर्वस्व खुली किताब की तरह सामने दिख रहा था.
ऊपर से आँखें मलने के कारण उसके हाथों के हिलने से किशोरी की बड़े किन्नू के आकार की दोनों चूचियाँ बड़े ही रिदम के साथ इधर उधर थिरक कर जानलेवा समाँ बना रही थी.

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08-08-2020, 01:55 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
मैं दावे से कह सकता हूँ कि सौन्दर्य की ऐसी मिसाल देख कर किसी भी मर्द का लौड़ा पल भर में खड़ा हो सकता है, चाहे वो उसका पिता ही क्यों ना हो!
किशोरी- अरे साहिल भैया, देखिये ना जरा… यहाँ पानी कैसे चलेगा.. आ ही नहीं रहा.. उफ़्फ़्फ़ बहुत चिरमिरी लग रही है आँखों में…
मैंने कुछ कहे बिना घबरा कर अरविन्द अंकल की तरफ़ देखा.
उन्होंने अपने होंठों पर उंगली रखकर मुझे चुप रहने का इशारा किया और पानी चलाने का इशारा किया.
मैं चुपचाप जाकर किशोरी के नंगे जिस्म को एक हाथ से एक ओर करके टोंटी को देखने लगा.
किशोरी पीछे घूम कर मेरी तरफ़ चेहरा करके खड़ी हो गई थी.दरवाजा अभी भी पूरा खुला हुआ था.
मैंने एक नजर बाहर को देखा!
ओह… यह क्या?
अरविन्द अंकल अभी भी वहीं खड़े हो कर किशोरी के उठे हुए कूल्हे देख रहे थे.
और ना सिर्फ़ देख ही रहे थे बल्कि उनकी आँखें वासनामयी लाल भी दिखाई दे रही थी.
यह वासना भी कैसी कुत्ती चीज है… एक पिता अपनी सगी पुत्री की नंगी काया को देख उत्तेजित हो जाता है.
फिर शायद उनको अपनी दशा का अहसास हो गया था, दरवाजा बंद होने की आवाज आई.
अंकल शायद बाहर चले गए थे अपनी नग्न बेटी को मेरे पास बाथरूम में छोड़कर!
गीजर का पानी शायद ज्यादा गर्म हो गया था… जिससे हवा आ गई थी.
कुछ देर ओन ऑफ करने से पानी आने लगा, मैंने किशोरी का मुख्ड़ा धुलवाया, फिर खुद भी अपना चेहरा धो लिया जब वो मेरे सामने ही तैयार हो रही थी.
किशोरी- क्या हुआ भैया… इतने चुप-चुप से क्यों हो… कोई था क्या यहाँ?
मैं- कब जानम?
किशोरी- जब मैं आपको पानी चालू करने को कह रही थी… मुझे लगा कि आप सामने बेड पर बैठे हो? फिर आप इधर से आए?
मुझे हंसी आ गई…
पहले सोचा था कि इसे कुछ नहीं बताऊँगा पर अब तो इसको चोद ही चुका हूँ और जब इसके पिता इसे देख कर गर्म हो रहा था तो क्यों ना मजे लिए जायें.
मैं- तुम्हें कुछ पता है? बिल्कुल मूर्ख हो तुम… ऐसे ही नंगी आकर खड़ी हो गयी… यहाँ बेड पर अरविन्द अंकल बैठे थे.
किशोरी- क्याआआ?? पापआआआ यहाँ ओह नो??
मैं- जी मैडमजी… और उन्होंने तुम्हारे सब आइटम खुले नंगे देख भी लिये.
किशोरी- अरे यार उसकी चिन्ता नहीं है… पापा हैं नंगी देख भी लिया तो कोई बात नहीं… पर आपको यहाँ देख कर तो समझ गए होंगे कि हमने क्या क्या किया होगा. मर गई यार… उनको तो बहुत बुरा लगा होगा.
मैं- ओह, तो तुम्हें उसकी चिन्ता है… वो तुम ना करो… मैं तो यह सोच रहा था कि तुम्हें नंगी देखे जाने की चिंता होगी.
किशोरी- तो उसकी क्यों नहीं… अब पूछेंगे नहीं कि मैं अकेली तुम्हारे साथ नंगी क्या कर रही थी?
मैं- अरे कुछ नहीं पूछेंगे… तुमको पता है.. आजकल उन्होंने सलोनी को पटा लिया है और दोनों खूब मस्ती कर रहे हैं.
किशोरी- क्याआआ? सलोनी भाभी के साथ?

कहानी जारी रहेगी.

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08-08-2020, 01:55 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 128

मैं- तुम्हें कुछ पता है? बिल्कुल मूर्ख हो तुम… ऐसे ही नंगी आकर खड़ी हो गयी… यहाँ बेड पर अरविन्द अंकल बैठे थे.
किशोरी- क्याआआ?? पापआआआ यहाँ ओह नो??
मैं- जी मैडमजी… और उन्होंने तुम्हारे सब आइटम खुले नंगे देख भी लिये.
किशोरी- अरे यार उसकी चिन्ता नहीं है… पापा हैं नंगी देख भी लिया तो कोई बात नहीं… पर आपको यहाँ देख कर तो समझ गए होंगे कि हमने क्या क्या किया होगा. मर गई यार… उनको तो बहुत बुरा लगा होगा.
मैं- ओह, तो तुम्हें उसकी चिन्ता है… वो तुम ना करो… मैं तो यह सोच रहा था कि तुम्हें नंगी देखे जाने की चिंता होगी.
किशोरी- तो उसकी क्यों नहीं… अब पूछेंगे नहीं कि मैं अकेली तुम्हारे साथ नंगी क्या कर रही थी?
मैं- अरे कुछ नहीं पूछेंगे… तुमको पता है.. आजकल उन्होंने सलोनी को पटा लिया है और दोनों खूब मस्ती कर रहे हैं.
किशोरी- क्याआआ? सलोनी भाभी के साथ?
मैं- हाँ यार आजकल दोनों में खूब जम रही है… सलोनी और अंकल दोनों को बिना कपड़ों के कई बार देख चुका हूँ …
किशोरी- तुम्हारा मतलब है कि दोनों आपस में..???
मैं- हाँ यार दोनों खूब चुदाई भी करते हैं…
किशोरी- छीइइ इइइ… ये कैसी भाषा का प्रयोग कर रहे हो??
मैं- कमाल है यार… जो कर रहे हैं उसे बोलने में क्या हर्ज है.. तुम भी क्या यार..?? पापा और भाई जैसे पड़ोसी के समक्ष नंगी होने में शरम नहीं है… पर चुदाई जैसा पवित्र शब्द बोलने में शरम आती है… और कौन सा हम किसी और के सामने बोल रहे हैं… अकेले में ही तो ना… और यह भी सुन लो कि तुम्हारे पापाजी और सलोनी ऐसी ही बातें बोलकर खूब चोदम-चुदाई करते हैं.
मैंने किशोरी की चूचियों को दबाते हुए उसके काम्पते हुए होंठों को चूस लिया.
किशोरी- मतलब पापा अभी भी ये सब करते हैं..??
मैं- क्या कह रही हो मेरी जान… आदमी और घोड़ा कभी बूढ़ा नहीं होता. और तुम्हें तो पापा के सामने नंगी खड़ा होने में कोई ऐतराज नहीं था. पर वे तो तुम्हारी इन मदमस्त चूचियों और फ़ुद्दी को घूर घूर कर मस्त हो रहे थे… हाहा… हाहा…
किशोरी मुझे पीछे धकेलते हुए बोली- बहुत मारूँगी हाँ… अब ज्यादा मत बकवास…
.!
तभी कमरे में नलिनी भाभी आ गयी…
नलिनी भाभी- क्या कर रहे हो तुम लोग..?? चलो ना…
किशोरी का बच्चा भी जाग गया था… तो मैं नलिनी भाभी के साथ बाहर आ गया.
मैं- और सुनाओ भाभीजी, क्या चल रहा है?
नलिनी- कुछ नहीं… मैं तो वहाँ ऋतु और रिया के साथ थी.. अभी सलोनी आई तो यहां आ गई.
मैं चौंक गया…
मैं- क्या मतलब..?? सलोनी आपके संग नहीं थी क्या? तो फिर कहाँ थी वह?
नलिनी भाभी मुस्कुराने लगी…
नलिनी भाभी- तू तो सोते ही रहना बस… वो मेहता अंकल के मित्रगण लोग आ गए हैं…उन्हीं की व्यवस्था में लगी थी.
मेरी नज़र के सामने मेहता के वो सभी कमीने यार आ गये जो महिला संगीत में सलोनी से गाण्डपंगा कर रहे थे.
मैं- अरे यार पहेलियां ना बुझाओ ना, भाभी बताओ ना कि क्या हुआ?
नलिनी भाभी- ओह्ह्ह मैं उसके साथ थोड़े ना थी… वैसे उसके हालात से लग रहा था कि वो उन बुढ्ढों के कमरे में खूब धमा-चौकड़ी मचा के आई है.
मैं- तो क्या भाभी, आप भी ना… आपने उस से कुछ पूछा नहीं क्या?
नलिनी भाभी- अभी तक तो नहीं… ठीक है, तू नीचे चल, फिर बात करती हूँ… बता दूँगी सब.. ठीक है?
मैं- अरे क्या हुआ? मुझे भी अन्दर आने दो न..
नलिनी भाभी- अर…रे… क्या कर रहा है… वो ऋतु की वैक्सिंग हो रही है अन्दर! वो पूरी नंगी थी जब मैं गई थी.
मैं- अरे तो क्या हो गया… बस एक नज़र देखने दो न.. इस साली ॠतु को देखा ही नहीं अभी तक…
और मैं भी भाभी के संग कमरे में घुस गया.
बहुत ही सुन्दर दृश्य मेरा इंतजार कर रहा था.
एक तरफ़ कोने वाले बिस्तर पर सलोनी सो रही थी, सामने सोफे पर ऋतु पूर्ण नग्न पेट के बल लेटी हुई थी, उसके मुखड़े और चूतड़ों पर कोई लेप लगा हुआ था. आँखें बिल्कुल बन्द थी… नहीं तो मुझे देख कर जरूर चीख पड़ती.
ड्रेसिंग टेबल के स्टूल पर रिया एक स्लीवलेस पारदर्शी गाऊन पहने बैठी हुई अपना एक पैर दूसरे घुटने पर रख उसके नेल्स फाइल कर रही थी.
उसने मुझे देखा और मुस्कुरा दी.
मैंने अपनी ऊंगली अपने होंठों पर रख उसे चुप रहने का इशारा दिया.

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08-08-2020, 01:55 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
रिया समझदार थी तो उसने कोई आवाज़ नहीं की.
ऋतु- आप आ गई भाभी… देखो न हिप्स में बहुत चिरमिराहट लग रही है.
नलिनी भाभी- हाँ मेरी बन्नो… वो तो होगी ही न… लण्ड लेते हुए भी तो हुई होगी न… तब तो खूब ले लिए अन्दर तक.. देखो जरा दोनों छेद कैसे हो गये थे… रंग भी काला सा पड़ गया था. अब क्रीम लगाई है… कुछ तो करना ही था ना इनको ठीक करने के लिए…
मैंने भी देखा… ऋतु के कूल्हे बहुत गोरे थे.. और उठे भी काफ़ी थे… उसकी गाण्ड के छेद पर कोई भूरे रंग की क्रीम लगी हुई थी…
मुझे पता है कि यही क्रीम चूत और गाण्ड के छेद को फिर से खूबसूरत बना देती है. यही क्रीम सलोनी भी इस्तेमाल करती है, इसीलिए तो सलोनी की चूत एक छोटी बच्ची जैसे कोमल सी और प्यारी सी है.
ॠतु ने अपने दोनों पैरों को कस कर सिकौड़ा हुआ था इसलिए पीछे से योनिलब नहीं दिख रहे थे.
मैं रिया के पास गया और उसके होंठों का एक जोरदार चुम्मा लिया… साथ ही साथ उसकी चूचियों को भी मसल दिया.
वो भी बहुत तेज थी… उसने अपने पैरों के अंगूठे से मेरे लौड़े को सहला दिया.
तभी नलिनी भाभी की आवाज आई… वो हमें नहीं बल्कि ऋतु को देख रही थी.
नलिनी भाभी- अभी दस मिनट और ऐसे ही लेटी रहना तू…वो ऋतु को इतना कह कर सलोनी के पास गई.
नलिनी भाभी- उफ़्फ़… कैसी सुस्ती आई हुई है तुझे… पहले वहाँ चली गई… अब देखो कैसे पड़ कर सो गयी? अरी उठ ना… तुझे कुछ नहीं करना क्या… चल मेरे चेहरे की मालिश ही कर दे.
सलोनी- ओह, सोने दो ना भाभी… पूरी रात सो नहीं पाई हूँ… बस दस मिनट रुक जाओ…प्लीज़…
सलोनी मुझे नहीं देख सकती थी… नलिनी भाभी हम दोनों के बीच में बैठी थी… और वो वैसे भी दूसरे कोने में लेटी थी.
तभी नलिनी भाभी ने सलोनी की साड़ी जो घुटनों तक थी, उसे जांघों से ऊपर कर दिया.
सलोनी- ओह सोने दो ना… क्या कर रही हो??
नलिनी भाभी- यह सब क्या किया… देख कितनी गन्दी हो रही है. तेरी जांघें और ओह्ह्ह… यह पेटिकोट तो कितना गंदा हो चुका है…क्या रात से ऐसे ही पहने हुए है इसे… कितना गंदा… ओह …इस पर तो कितने सारे धब्बे हैं.
सलोनी- ओह नहीं भाभी… वो मेहता अंकल के यार हैं ना… ये…
और वो कहते कहते रुक गई…
नलिनी भाभी- तो यह सब उन्होंने किया… ओह… बता ना क्या क्या करके आई… और कोई नहीं है… तू बता…
सलोनी- पर वो ऋतु और रिया?
नलिनी- अरे उनकी चिन्ता मत कर, वो सब जानती हैं… तू बता कि क्या क्या हुआ उनके कमरे में…
सलोनी- अब क्या बताऊँ भाभी, मैं तो बस मेहता अंकल के मेहमानों को कमरे ही दिखाने गयी थी. पर वे तो बहुत ही चालू निकले.
नलिनी भाभी- थे कौन… वही तीनों रिटायर्ड बुड्ढे ना?
तभी आँखें बन्द किए हुये ही ऋतु बोल पड़ी- भाभी, वो तीनों जय, जोज़फ और कपूर अंकल होंगे ना… बहुत अच्छे दोस्त हैं पापा के… और उतने ही बड़े हरामी भी हैं.
रिया- हां हां, मुझे सब पता है… तीनों ने हमारी मॉम को भी नहीं छोड़ा था… जब भी मौका मिलता था… चोद देते थे.
ऋतु- रिया… तू कुछ पागल है? यह सब क्यों बोलती है.. अब तो मॉम जीवित भी नहीं है.
रिया- अरे बस बता ही तो रही हूँ.. उन की नज़र तो हम दोनों पर भी रहती है… है ना…
नलिनी भाभी- अरे तुम दोनों चुप करो पहले… जरा सलोनी की भी तो सुन लो… इसका तो लगता है तीनों ने एक साथ मिलकर काम तमाम कर दिया है. उन तीनों अपने सफ़र की सारी थकान इसी पर उतारी है.. हा हा…
सलोनी- क्या भाभी आप भी… वैसे कह तो आप ठीक रही हैं… मैं जैसे ही उन्हें लेकर कमरे में पहुँची कि…

कहानी जारी रहेगी.

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08-08-2020, 01:55 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट 129

सलोनी- अब क्या बताऊँ भाभी, मैं तो बस मेहता अंकल के मेहमानों को कमरे ही दिखाने गयी थी. पर वे तो बहुत ही चालू निकले.
नलिनी भाभी- थे कौन… वही तीनों रिटायर्ड बुड्ढे ना?
तभी आँखें बन्द किए हुये ही ऋतु बोल पड़ी- भाभी, वो तीनों जय, जोज़फ और राजन अंकल होंगे ना… बहुत अच्छे दोस्त हैं पापा के… और उतने ही बड़े हरामी भी हैं.
रिया- हां हां, मुझे सब पता है… तीनों ने हमारी मॉम को भी नहीं छोड़ा था… जब भी मौका मिलता था… चोद देते थे.
ऋतु- रिया… तू कुछ पागल है? यह सब क्यों बोलती है.. अब तो मॉम जीवित भी नहीं है.
रिया- अरे बस बता ही तो रही हूँ.. उन की नज़र तो हम दोनों पर भी रहती है… है ना…
नलिनी भाभी- अरे तुम दोनों चुप करो पहले… जरा सलोनी की भी तो सुन लो… इसका तो लगता है तीनों ने एक साथ मिलकर काम तमाम कर दिया है. उन तीनों अपने सफ़र की सारी थकान इसी पर उतारी है.. हा हा…
सलोनी- क्या भाभी आप भी… वैसे कह तो आप ठीक रही हैं… मैं जैसे ही उन्हें लेकर कमरे में पहुँची कि… मेरे कमरे में पहुँचते ही ऐसे टूट पड़े.. जैसे पहले से ही सब सोचकर आए हों… और आज से पहले किसी लड़की को देखा ही ना हो!
नलिनी भाभी- मेरी जान, लड़कियाँ तो उन्होंने बहुत देख रखी होंगी… पर तेरे जैसी मक्खन मलाई-कोफ्ता नहीं देखी होगी.हा हा हा…
सलोनी- आपको तो भाभी बस हर वक्त मज़ाक ही सूझता रहता है… वो जय अंक़ल ने मेरी हालत खराब कर दी.. अभी तक दुख रही है!
सलोनी शायद अपने कूल्हों को पकड़ कर बोली थी.
नलिनी भाभी- अरे मेरी छम्मक छल्लो… इस तरह क्या बता रही है.. सब कुछ खुल कर बता ना.. कि क्या और कैसे हुआ? ये तो पिछवाड़े के ही शौक़ीन होते हैं.
ऋतु- हाँ भाभी बिल्कुल सही कह रही हो… जय अंकल का हथियार वाकयी बहुत बड़ा और ज़ानदार है.
नलिनी भाभी- तू तो ऐसे बात कर रही है… जैसे तू खूब चुदवा चुकी है उनसे? कुछ देर चुप नहीं बैठ सकती कर्मजली… कल ब्याह है इसका और कैसे अपने ही कारनामे बता रही है?
ऋतु- ओ प्यारी भाभी… ऐसी कोई बात नहीं है… यह तो मैं सलोनी भाभी की बात को ठीक कर रही थी… मैंने देखा है तभी तो बता रही हूँ!
नलिनी भाभी- तू यह सब बाद में बताना और अब तो अपने नये होने वाले ख़सम को ही बताइयो… चल सलोनी, तू अपनी बता लो क्या क्या हुआ?
सलोनी- ओह… भाभी आप तो सब कुछ जान कर ही मेरा पीछा छोड़ोगी… तो सुन लो…
मैं वहाँ पहुँच कर उनक सामान रखवा कर बिस्तर सही कर ही रही थी कि तभी जय अंक़ल ने मुझे पीछे से पकड़ कर अपनी बाहों में लेकर ऊपर उठा लिया. मैं छटपटा रही थी कि छोड़ो ना अंकल… यह क्या कर रहे हो.. उनके दोनों हाथों से मेरी चूचियाँ दब रही थी.बाकी दोनों बुड्ढे अंकल खिलखिला कर हंस रहे थे.फिर दो जने मेरे पैरों को पकड़ कर मुझे झूला सा झुलाने लगे.मैं उनसे बार बार छोड़ने के लिए बोल रही थी और सच में रोने सी लगी… और… फिर उन्होंने मुझे वहीं बिस्तर पर उतार दिया और माफी भी मांगने लगे. लेकिन इस सब में मेरी साड़ी पूरी खुल चुकी थी… जब मैं बिस्तर से उठकर खड़ी हुई तो साड़ी उतर गई.मैंने उन सबको बहुत बुरा भला सुनाया कि देखो आप तीनों ने मिल कर मेरा यह क्या हाल कर दिया.वो अब भी माफी मांग रहे थे… तभी जोज़फ अंकल बोले.. ‘बेटा बाथरूम में शावर भी काम नहीं कर रहा है… जरा देख कर बाता दो, हमें तो यहाँ के ये फैंसी टोंटियाँ और टब का कुछ समझ ही नहीं आता!मैं सिर्फ़ पेटिकोट और ब्लाऊज में ही वहाँ खड़ी थी, मैंने सोचा कि इन सबके सामने साड़ी कहाँ बाँध पाऊँगी… मैंने कहा कि या तो आप लोग बाहर जाओ या फिर बाथरूम में, मैं अपने कपड़े ठीक कर लूँ.तभी राजन अंकल ने कहा- अरे रानी, हमसे क्या शरमाना… हम तो तेरे पापा के जैसे ही हैं… और मेहता के यार हैं… वो हमसे कुछ नहीं छिपाता… उसने हमें सब कुछ बता दिया है. और फिर से तीनों हंसने लगे… मैं समझ गई कि अब इन तीनों के सामने कोई बात करना बेकार है… मैं साड़ी लेकर बाथरूम में गई… अभी साड़ी बांधने के लिए पेटिकोट ही ठीक करने लगी थी कि जोज़फ अंकल अन्दर आकर बोले कि अरे रानी बेटी, ज़रा यह भी बता दे कि शावर कैसे चलेगा.अब मैं करती भी तो क्या, साड़ी मैंने वहीं टांग दी थी और पेटिकोट का नाड़ा बान्ध रही थी… मेरी पीठ शावर की तरफ़ थी… और उन्होंने ना जाने क्या किया कि शावर का पानी चल गया और मैं पीछे से पूरी नहा गई. मेरे हल्के रंग के इस पतले पेटिकोट में से सब कुछ दिखाई देने लगा. जोज़फ अंकल ने सीधे ही मेरे कूल्हों पर हाथ रख दिए और बोले ‘अरे बेटी तूने तो आज भी अन्दर पैन्टी नहीं पहनी है?’इतना सुनते ही बाकी दोनों अन्कल भी जल्दी से बाथरूम में आ गए… जय अंकल तो कहते हुए आये ‘क्या सलोनी ने आज भी कच्छी नहीं पहन रखी?’मेरा तो शरम के मारे बुरा हाल था...
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08-08-2020, 01:56 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
उन सबके सामने मैं पानी में भीगी करीब करीब नंगी ही खड़ी थी, पेटिकोट और ब्लाऊज दोनों ही पूरे गीले होकर जिस्म से चिपक गये थे.मैंने सबको बोला- ओह… आप तीनों बाहर जाओ न प्लीज़… मुझे बहुत लाज जग रही है.राजन अन्कल मेरे पास आए, बोले- …हमसे क्या शरमाना… अब तो हम तीनों ने ही सब कुछ देख लिया है. चल जल्दी से ये गीले कपड़े उतार दे, कुछ और पहन ले…और वो वाकरी वो मेरे ब्लाऊज के बटन खोलने लगे.मैं उन के हाथ पकड़ रोक ही रही थी कि पीछे से जोज़फ अन्कल ने मेरे पेटिकोट का नाड़ा खोल कर उसे नीचे खिसका दिया. गीला पेटिकोट मेरे चूतड़ों से नीचे होते ही मेरे पैरों तक पहुंच गया..!जोज़फ अन्कल ने इतना ही नहीं किया… पेटिकोट उतरते ही वे मेरे नंगे चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से मसलने लगे, उनके सख्त हाथ मेरे नग्न चूतड़ों पर अजीब लग रहे थे.मैंने जोज़फ अन्कल के हाथों को पकड़ा तो राजन अन्कल मेरे ब्लाऊज के हुक खोल कर उसको मेरे बदन से अलग करने लगे.अब मेरी हालत खराब होने लगी, कुछ समझ नहीं आ रहा था मुझे कि कैसे इन सबको रोकूँ..राजन अन्कल अपना एक हाथ नीचे लेजा कर मेरी आगे से सहलाने लगे और दूसरे हाथ से मेरी ब्रा ऊपर कर मेरे चूची को मसलने लगे.इससे पहले कि मैं कुछ कर पाती कि मैंने देखा जय अन्कल तो अपने सारे कपड़े उतार कर मेरे पास आ गये, उन का लौड़ा देख कर तो मेरा मुख खुला का खुला रह गया, यह ऋतु जो अभी कह रही थी.. बिल्कुल सही कह रही थी… उनका लंड काफ़ी अजीब सा है… एकदम चिकना.. जैसे उसकी खाल किसी ने छील दी हो. वो बहुत बड़ा और मोटा भी है.अब वे मेरे पास आ मेरे बचे हुए कपड़े हटाने लगे, वे बिल्कुल मेरे पास खड़े थे, उनका गर्म गर्म लौड़ा मेरी कमर को छू रहा था. अब मुझे नशा सा होने लगा, उन का लौड़ा मुझे इतना ललचा रहा था कि उनको अपने से दूर हटाने के बहाने ही मैंने उस लण्ड को अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया, मुट्ठी में पकड़ते ही मुझे पता चला कि वाकयी उनका लौड़ा खूब बड़ा है. एक बार पकड़ने के बाद उसे छोड़ने का मन ही नहीं किया.अब जय अंक़ल ने आराम से, प्यार से मेरा ब्लाऊज और ब्रा मेरे बदन से अलग कर दिये और उनको अच्छी तरह से सूखने के लिये एक तरफ़ फैला दिये.अब मैं पूर्ण नग्न उन तीनों के मध्य खड़ी थी… इतनी देर में राजन और जोज़फ अंकल भी अपने कपड़े उतार कर मेरे पास आ गये.हम चारों ही अब बाथरूम में नंगे खड़े थे… अब जो होना था, उसे कौन रोकता, वो तो होना ही था.जोज़फ अंकल बोले ‘चलो यार, बाहर बिस्तर पर ही चलते हैं!’और तीनों मुझे उठा कर बिस्तर पर ले आए, उन्होंने मुझे बिस्तर पर गिरा दिया.मैं अभी सोच ही रही थी कि क्या करूँ कि तभी दरवाजे पर कोई आ गया.ठक-ठक…

कहानी जारी रहेगी??

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08-08-2020, 01:56 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 130

तभी डोर पर कोई आ गया ...
नोक नोक ....

और सब घबरा गए ...
मैं तुरंत उठकर बाथरूम में भाग गई ...

उन्होंने जैसे तैसे दरवाजा खोला होगा ...

मैंने आवाज सुनी २-३ लोग थे ....
एक तो मेहता अंकल ही थे ...बाकी उनके साथ पता नहीं कौन थे ...

फिर वो सब बाहर चले गए ...
मैं किसी तरह बाथरूम से बाहर आई ...

मेरे शरीर पर अभी भी कोई कपडा नहीं था ..साडी कुछ सूख गई थी ...
बाहर आकर पंखे की तेज हवा में पेटीकोट और ब्लाउज सुखाये करीब ३० मिनट के बाद दरवाजे पर कोई आया मैंने कपडे पहन ही लिए थे ...
फिर भी दरवाजे के पीछे छिप गई ...

वो राजन अंकल थे ....
आते ही हड़बड़ा कर बोले ...

राजन अंकल : ओह सॉरी बेटा वो सब लोग आ गये थे ..अच्छा हुआ तुम तैयार हो गई ..मैं बस तुमको बाहर निकालने ही आया था ...

मुझे उनकी हड़बड़ाहट पर हंसी आ गई ....

और फिर मैं यहाँ आ गई ....

नलिनी भाभी : ओह इसका मतलब तेरी चुनमुनिया प्यासी ही रह गई ....
चल कोई बात नहीं ...तो तेरी पैंटी कहाँ है ....

सलोनी : अरे वो तो गीली ही थी ...तो ब्रा पैंटी वहीँ रह गई हैं ...
ले लुंगी बाद में ...

मैं उनकी ये सब बात सुनने के बाद चुपचाप बाहर निकल आया ....
कि कहीं मुझे सलोनी न देख ले ...

फिर उस शादी में ऐसे ही मजे रहे और हम वापस आ गए ....
एक अफ़सोस रहा कि शादी से पहले ऋतू की चूत नहीं मार पाया ...
हाँ देख तो ली ही थी ...उसी से संतुष्ट हो गया ...

अब आगे देखना था कि और कैसे करना है ...जीवन में अलग सा बदलाव तो आ ही गया था ...

सलोनी अब मेरे होने के बाद भी सेक्सी मस्ती करने लगी थी ...
मगर एक साइलेंट हमारे बीच अभी ही था ...

न तो मैं ही उससे इस विषय में खुलना चाहता था ...
और न ही वो ही कोई ऐसी बात करती थी ...

हमारे बीच चुदाई अब भी होती थी ...वो पहले से ज्यादा साथ देती थी ...और ज्यादा हॉट हो गई थी ...
मगर दूसरों के प्रति अब भी आकर्षित हो जाती थी ...

सलोनी मस्ती करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ती थी ..

और मैं तो आपको पता ही है कि कितना सीधा सादा हूँ ...

ऐसे ही हमारा जीवन मस्त तरीके से चल रहा था ...

मैंने भी सोचा जैसे चलता है ...चलने दो ...
जब कोई बड़ी परेसानी आई तो देखेंगे क्या करना है ...

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08-08-2020, 01:56 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 131

सलोनी मेरी सेक्सी बीवी किसी परिचय की मोहताज़ नहीं… उसका सौन्दर्य बिना कहे ही अपनी कहानी खुद बता देता है. मुझे अब भी याद है कि विवाह से पूर्व जब मैंने सलोनी को देखा था तो बिना कुछ सोचे मैंने सलोनी के लिए हाँ कर दी थी…मेरी सलोनी है ही इतनी मस्त कि कोई उसको एक बार देख ले तो जिन्दगी भर भूल नहीं सकता.
उसकी 34C की एकदम गोल चूचियाँ… उसकी गोरी छाती पर ऐसे उभरी हैं जैसे रस भरे आम हों, जिनको मुँह लगाकर चूसने को दिल मचल उठता है.ऊपर से उनपर लगे वो चमकते गुलाबी निप्पल… कितना भी चूस लो… उनकी रंगत में कोई फर्क नहीं आया है.. किसी कम उम्र की कमसिन कुंवारी लड़की की चूचियाँ भी सलोनी के इन नगीनों के समक्ष कम लुभावनी ही नजर आएंगी.
और सिर्फ़ चूचियाँ ही क्यों… सलोनी के तो हर अंग से मादकता छलकती है… उसकी मक्खन सी गोरी जांघों के बीच सिंदूरी रंग की छोटी सी चूत… उसकी दोनों पंखुड़ियाँ आपस में ऐसे चिपकी रहती हैं जैसे प्रेमी और प्रेमिका का प्रथम चुम्बन…
मेरी सलोनी की योनि के दोनों लब आपस में अब भी किसी अक्षतयौवना की अनछुई योनि तरह चिपके हैं… उस पर सलोनी मंहगी क्रीम से उसको चमका कर रखती है.
मुझे सलोनी की नाजुक चूत पर आज तक एक भी बाल नहीं दिखा… छोटी बच्ची जैसी प्यारी सी दिखती है सलोनी की चूत….!
और मेरी सलोनी के सेक्सी, मोटे, गद्देदार, बाहर को उभरे हुए कूल्हे यानि चूतड़, जिनको देख हर कोई दीवाना हो जाता है और आते जाते उनको छूने का कोई मौका नहीं छोड़ता… हाथ, कुहनी, घुटना या फिर भीड़भाड़ वाले स्थान जगह पर तो अपना लंड तक उसके चूतड़ों से भिड़ा देते हैं लोग.
और सबसे ऊपर उसका पहनावा जो दिन पर दिन सेक्सी, और सेक्सी होता जा रहा है.
मेरी सलोनी इतनी बोल्ड है कि उसके बदन का कोई भी अंग दिख रहा हो, उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता… वो ऐसे सामान्य रहती है जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो!सलोनी को देख कर तो हर कोई उसका दीवाना सा हो जाता है.
हमारी कॉलोनी में हमारी बिल्डिंग से लेकर आसपास के हर आयु के किशोर, युवक अधेड़ व बूढ़े उसके मदमस्त यौवन के दर्शन कर चुके हैं, ना सिर्फ़ कॉलोनी वाले, बल्कि सलोनी तो कॉलोनी में आने जाने वालों पर भी मेहरबान रहती है.
चाहे वो दूध वाला हो या फिर कोई दूसरा काम करने वाला… कोई मेरी सलोनी को देख कर ही खुश हो जाता तो कोई उसके बदन को छू कर मज़े ले लेता… जिसका समय और भाग्य अच्छा होता था वो तो दरिया में डुबकी भी लगा लेता है.
ऐसी दरियादिल है मेरी सेक्सी रंगीली बीवी सलोनी…
पिछले एक वर्ष में तो सलोनी का बदन और भी गदरा गया है, वो पहले से कहीं ज्यादा रसीली हो गई है…अब तो सलोनी को देखने मात्र से ही कई लड़कों, बुड्ढों के अंडरवियर ख़राब हो जाते हैं.
जिस कॉलोनी में हम रहा करते थे वहाँ सब जगह सलोनी बहुत प्रसिद्ध हो ही गई थी… हर शख्स उसकी एक झलक पाने के लिए उतावला रहता था… इसके अलावा शहर में भी काफ़ी अन्जान लोग, कुछ जानने वाले और कुछ मेरे मित्र भी सलोनी की रग पहचान गए थे.
बाकी अरविन्द अंकल जैसे रंगीले बुड्ढों के कारण अब वहाँ रहना मुश्किल होता जा रहा था… उन्होंने अपने दोस्तों में भी सलोनी की रंगीली जवानी के चर्चे और कारनामे फैला दिए थे जिससे हमारी दिक्कतें बढ़ने लगी थी.
अन्तताह अब मुझे लगने लगा था कि इस शहर में रहते रहे तो अच्छा नहीं होगा, यह बात सलोनी भी समझ रही थी.वैसे तो वो बहुत समझदार है और जो भी करती है बहुत समझ सोच कर!मगर यह कामूकता होती ही ऐसी है कि इसके बढ़ने होने पर इन्सान अपनी हद लांघ जाता है… और पुरुष तो यह भूल जाता है कि वो खुद क्या है… और सारा दोष स्त्री के सर मढ़ देता है.
हम दोनों को ही लगने लगा था कि अब यहाँ सब लोग सलोनी को एक सेक्स की गुड़िया की तरह देखने लगे हैं… मेरे मित्रों की निगाहों में भी फ़र्क आ गया था, उनकी कुदृष्टि केवल सलोनी के यौवन पर ही रहती थी.
इन सब बातों को मद्देनज़र रखते हुये मैंने अपने तबादले के लिये कोशिश की… और भगवान् की कृपा से मुझे दूसरे शहर में पोस्टिंग मिल गई जहाँ हमारा कोई जानने वाला नहीं था.
इस बदलाव से सलोनी भी खुश थी क्योंकि पिछले काफ़ी दिनों से वो भी परेशान रहने लगी थी, उसने स्कूल की नौकरी भी छोड़ दी थी क्योंकि स्कूल में भी हालात वही थे.
अब उसको इस सेक्स के खेल में मजे से ज्यादा डर लगने लगा था.भले ही हम दोनों ही एक दूसरे के यौन जीवन में कोई रोकटोक नहीं करते थे मगर एक दूसरे का ख़्याल रखना और एक दूसरे से प्यार करना… इसमें कमी नहीं थी बल्कि हम दोनों का प्यार और बढ़ही गया था.
हम नये शहर में जाने की तैयारी कर रहे थे, किसी को कुछ खास बताया नहीं था क्योंकि यहाँ के नाते रिश्ते हम यहीं छोड़ जाना चाह रहे थे.

[Image: graphics-3d-smileys-753431.gif]

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