Hindi Sex Kahani ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
06-08-2020, 12:05 PM,
#11
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
4.
वो आदमी उसे अपने साथ हॉस्पिटल ले गया। राज की हालत बहुत खराब थी,उसका सिर फट गया था और उसका पैर भी टूट गया था। शीतल , राज की हालत देखकर बहुत तेज रोने लगी,तभी उससे एक नर्स ने पूछा-“क्या आप उनकी पत्नी हैं। ?

“हाँ।” शीतल ने कहा।

“आप 4-5 लाख रुपयों की व्यवस्था कर लीजिए इनके ऑपरेशन के लिए,”नर्स ने कहा।

“ये बच तो जाएँगे,”शीतल ने पूछा।

“कुछ कहा नही जा सकता,बहुत ही कम उम्मीद है बचने की। डॉक्टर्स ऑपरेशन कर रहे हैं बस आप पैसों का इंतज़ाम कर लीजिए,” नर्स ने कहा।

शीतल को समझ नही आ रहा था की वो क्या करे कहाँ से पैसे लाए। उसने सोचा की अपने घर चली जाए लेकिन उसके माँ-पापा इतना रुपेया नही दे पाएँगे। अन्त में उसने राज के घर जाने के लिए सोचा।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

रात के 11 बज रहे थे और बाहर बहुत सर्दी थी,शीतल ने मात्र एक सलवार-सूट पहना था। वो ऐसे ही राज के घर की ओर चल दी हल्की–हल्की बूंदे भी गिर रही लेकिन शीतल को इन सब की परवाह नही थी। करीब 12 बजे वो राज के घर पहुँच गयी। उसने दरवाजा खटखटाया,दरवाजा उसकी भाभी ने खोला।

“भाभी,राज का एक्सिडेंट हो गया है,उनकी हालत बहुत नाज़ुक है। ऑपरेशन के लिए 4-5 लाख रुपये चाहिए,” उन्हें देखते ही शीतल बोली।

“कहीं और जाकर भीख माँगो यहाँ कुछ नही मिलेगा,” उसकी भाभी ने कहा और दरवाजा बंद कर लिया।

बारिश भी तेज होने लगी थी शीतल वहीं बाहर बारिश में भीगती खड़ी रही। उसने फिर दरवाजा खटखटाया। इस बार फिर दरवाजा उसकी भाभी ने खोला लेकिन इस बार घर के सभी लोग जाग गये थे।

“तुम गयी नही,”भाभी ने कहा।

“आपको जो कहना है वो बाद में कहिएगा । अभी आप मेरे साथ हॉस्पिटल चलिए,”शीतल ने कहा।

“राज तुम्हारे लिए घर छोड़ सकता है , तुम उसके लिए कुछ नही कर सकती,रुपयों की ज़रूरत है तो खुद को बेच दो। सुंदर हो,बहुत पैसे मिल जाएँगे,”राज के भाई ने कहा।

शीतल सिर झुकाए खड़ी रही । वो कुछ भी नही बोल सकी।

“तुम राज को छोड़ कर चली जाओ , हम राज का पूरा इलाज कराएँगे और उसे घर भी ले आएँगे,” राज के पापा ने कहा।

“पापा जी,मैंने उनसे शादी की है , मैं उन्हें नही छोड़ सकती। वो आपका बेटा है , आप को उसकी जिंदगी की कोई परवाह नही है,” शीतल ने कहा।

“हमें अपने बेटे की परवाह है लेकिन उससे ज़्यादा तुमसे नफ़रत है। हम उसे खो सकते हैं पर तुम्हे अपना नही सकते,” राज की माँ ने कहा।

“आप तो ऐसा ना कहिए अगर उनका इलाज अच्छे से नही हुआ तो वो मर जाएँगे। डॉक्टर ने कहा है कि उनका बच पाना बहुत मुश्किल है,” शीतल ने कहा।

“यहाँ भीख नही मिलेगी कहीं और जाओ ,” इतना कहकर राज के भाई ने दरवाजा बंद कर लिया।

शीतल वहीं बारिश में भीगती खड़ी रही। वो इंतज़ार करती रही की शायद कोई फिर से बाहर आए और उसकी मदद करे। उसे खड़े-खड़े 3 बज गये पर कोई भी बाहर नही आया। बारिश भी थम चुकी थी। शीतल का बदन ठंड से कांप रहा था।

अब और इंतज़ार करना बेकार था। वो वहाँ से चल दी पर हॉस्पिटल जाने की उसकी हिम्मत नही हुई वो ये सोच रही थी अगर राज ने ठीक होने के बाद पूछा कि क्या वो उसके घर मदद माँगने गयी थी तो वो क्या कहेगी,उसके घर में किसी को उसके मरने-जीने से कोई फ़र्क नही पड़ता है। वो सब उसे इतना प्यार नही करते हैं जितनी की मुझसे नफ़रत।

वो सुषमा के घर गयी,सुषमा उसी के साथ उसके ऑफिस में काम करती थी दोनों की जॉब एक साथ लगी थी। सुषमा उसे घर के अंदर ले गयी। उस समय सुबह के 4 बज रहे थे।

“क्या हुआ? तुम इतनी सुबह-सुबह यहाँ,राज से फिर से लड़ाई हुई,” सुषमा ने पूछा।

“नही।”

“तो फिर क्या हुआ और तुम्हारे कपड़े क्यों गीले हैं?”सुषमा ने पूछा।

“राज का एक्सिडेंट हो गया है,मुझे 4-5 लाख रुपयों की ज़रूरत है,”शीतल ने कहा।

“मेरे पास इतने रुपये नही हैं। मैं ऑफिस के और लोगों से कॉन्टेक्ट करती हूँ , शायद वो कुछ मदद कर सकें,” सुषमा ने कहा।
Reply
06-08-2020, 12:05 PM,
#12
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
शीतल कुछ नही बोली। सुषमा ने बारी-बारी ऑफिस के सभी लोगों को फोन किया लेकिन कोई भी पैसा देने को तैयार नही हुआ,अन्त में सुषमा ने अनुज सर को फोन किया , वो पैसा देने को तैयार हो गये पर वो पहले शीतल से बात करना चाहते थे।

अनुज सर शीतल के सीनियर थे। वो शीतल को बहुत बुरी नज़र से देखते थे,ये बात शीतल भी जानती थी पर आज उसके सामने मजबूरी थी उनसे मदद लेने की।

“शीतल तुम अपने कपड़े बदल लो,”सुषमा ने कहा।

शीतल ने कपड़े बदले और सुषमा के साथ अनुज सर से मिलने के लिए उनके घर गयी। उनके घर पर उनकी एक बेटी और बेटा था। बेटा छोटा था,बेटी शीतल की ही उम्र की थी। उन्होंने शीतल को रुपये दे दिए और शर्त रखी की अगर 1 साल में पूरे रुपये नही चुकाये तो उसे उनसे शादी करनी पड़ेगी। शीतल ने शर्त मान ली और रुपये लेकर हॉस्पिटल की ओर चल दी।

“तुमने ये शर्त क्यों मानी,शीतल?” सुषमा ने पूछा।

और कोई रास्ता भी तो नही था,”शीतल ने कहा।

“लेकिन तुम इतने रुपये 1 साल में कैसे चुकाओगी। इससे तो अच्छा था की तुम राज के घर वालों की बात मान लेती। इस तरह अपना सौदा ना करती,” सुषमा ने कहा।

“मैंने राज से वादा किया था कि मैं उसका साथ कभी नही छोड़ूँगी,” शीतल ने कहा।

“और जब तुम पैसे नही चुका पओगी , तब क्या होगा?राज भी तुम्हारा साथ छोड़ देगा,जब उसे इस बारे में पता चलेगा,” सुषमा ने कहा।

“मुझे नही चुकाना है,पैसा राज चुकाएगा,” शीतल ने कहा।

“कैसे?उसकी हालत देखी है उसे ठीक होने में 6-7 महीने लग जाएँगे,” सुषमा ने कहा।

“मुझे नही मालूम,कैसे?लेकिन पैसा राज चुका देगा,”शीतल ने कहा।

“तुम क्यों इस रिश्ते को बचाना चाहती हो जब तुम दोनो एक-दूसरे से प्यार ही नही करते हो,हर दिन तो तुम दोनों में लड़ाई होती है। तुम्हारे लिए अच्छा होगा की तुम राज के घर वालों की बात मान लो,”सुषमा ने कहा।

“राज मुझसे नही लड़ता, मैं ज़िद करती हूँ , मैं लड़ती हूँ। मैं उनका साथ नही छोड़ सकती चाहे मुझे कितने भी दुख सहने पड़े,” शीतल ने कहा।

सुषमा कुछ नही बोली। थोड़ी देर में हॉस्पिटल आ गया। शीतल ने फीस जमा की और वहीं बेंच पर बैठ गयी। उसके सिर में बहुत तेज दर्द हो रहा था।

“आप ये इंजेक्शन और दवाइयाँ लेते आइए,” नर्स ने शीतल से कहा।

शीतल ने नर्स से पर्चा लिया और मेडिकल स्टोर चली गयी। वो ठीक से खड़ी भी नही हो पा रही थी फिर भी किसी तरह उसने दवाइयाँ ली और आकर नर्स को दी। अचानक उसे चक्कर आ गया और वो बेहोश होकर गिर गयी। रात को भीगने की वजह से उसकी तबियत खराब हो गयी थी। जब उसे होश आया तो वो भी हॉस्पिटल के एक बेड पर लेटी हुई थी। उसके बगल में सुषमा बैठी थी।

“शीतल,ये कुछ फल खा लो उसके बाद ये दवाइयाँ,” सुषमा ने उसे फल पकड़ाते हुए कहा।

“मैंने तुम्हारी छुट्टी के लिए अप्लिकेशन लगा दी है,” सुषमा ने फिर कहा।

थोड़ी देर रुकने के बाद सुषमा वहाँ से चली गयी। राज का एक्सिडेंट शीतल की जिंदगी में बहुत बड़ा बदलाव लाया। शीतल रात भर राज के पास बैठी रहती और सुबह ऑफिस जाती उसे इस बात का ध्यान ही नही रहता था की उसने सुबह से कुछ खाया है या नही,सुषमा के कहने पर थोड़ा बहुत खा लेती थी। एक तरफ राज की हालत में सुधार आ रहा था तो दूसरी ओर शीतल की तबियत खराब होती जा रही थी। उसने अपने उपर ध्यान देना छोड़ दिया था , उसे सिर्फ़ राज की ही चिंता थी। राज का एक्सिडेंट हुए 1 महीना हो गया था। इस एक महीने में शीतल ने बहुत कुछ सहा था। एक महीने में उसने खुद को बहुत ज़्यादा बदला,कभी छोटी-छोटी बात पर ज़िद करने वाली शीतल बहुत गंभीर हो गयी थी,रात को घर पर अकेले रहने से डर लगता था लेकिन अब वो रात को अकेले कहीं जाने से भी नही डरती थी। उसका बचपना कहीं खो गया था राज के एक्सिडेंट ने उसे बहुत बड़ा बना दिया था।

शीतल कई-कई दिन घर नही जाती थी। हॉस्पिटल से ऑफिस और ओफिसे से हॉस्पिटल यही उसकी दिनचर्या हो गयी थी। सुबह से उसका सिर बहुत तेज दर्द हो रहा था और उसे उल्टियाँ भी आ रही थी , इस वजह से वो ऑफिस नही गयी। शीतल ऑफिस नही गयी थी इसलिए सुषमा उससे मिलने हॉस्पिटल आ गयी।

“राज की हालत कैसी है?”सुषमा ने पूछा।

“ठीक है।”

“और तुम्हारी?” सुषमा ने फिर पूछा।

शीतल कुछ नही बोली।

“तुमने सुबह से कुछ खाया या नही।”

शीतल फिर कुछ नही बोली।

“शीतल,तुम अपनी हालत देख रही हो,मुझे तो लगता है की कहीं तुम ही ना मर जाओ……।”
“तुम अपना थोड़ा तो ख्याल रखो,कितनी सुंदर दिखती थी तुम और अब देखो अपने को……। आज तुम इतनी कमजोर हो गयी हो की ठीक से खड़ी भी नही हो पा रही हो,”सुषमा ने कहा।

“तो मैं क्या करूँ?मुझसे सब कुछ नही संभाला जाता,मैंने आज तक अकेले कुछ नही किया है और आज मुझे सब कुछ अकेले ही करना पड़ रहा है। मुझे किसी का सहारा चाहिए मैं अपना दर्द तो किसी से बाँट सकूँ। पहले राज तो था साथ में, अब कोई नही है,”शीतल ने कहा।

“तुम अपने घर क्यों नही चली जाती। हो सकता है कि उन्होनें तुम्हे माफ़ कर दिया हो,” सुषमा ने कहा।

“जब राज के घरवाले राज की इस हालत में भी उसका साथ नही दे रहे तो क्या मेरे मम्मी-पापा देंगे?मेरी किस्मत में सिर्फ़ रोना ही लिखा है। जब घर नही छोड़ा था तब भी रोयी,घर छोड़ने के बाद भी रोयी,राज के साथ भी रोयी और आज जब राज इस हालत में हैं तब भी रो रही हूँ,” शीतल ने कहा।

“ज़रूरी नही की सबकी सोच एक जैसी हो,हो सकता है की तुम्हारे घरवाले तुम्हारा साथ दें एक बार घर जा कर तो देखो,” सुषमा ने कहा।

“गयी थी एक बार जब मेरी जॉब लगी थी,घर पर प्रिया(शीतल की छोटी बहन) थी मैं उससे कुछ कहती उससे पहले वो मुझसे बोली-‘दीदी,आप यहाँ क्यों आई हो,मम्मी ने देख लिया तो वो मुझे बहुत डाटेंगी। मम्मी आपसे बहुत नफ़रत करती हैं , उन्होंने हमसे भी कहा है कि अगर हम आप से कभी मिले तो मुझसे भी रिश्ता तोड़ देंगी,उनके लिए आप मर चुकी हो………।‘ वो और कुछ कहती उससे पहले ही मैं बिना कुछ कहे लौट आयी,”शीतल ने कहा।
Reply
06-08-2020, 12:05 PM,
#13
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
“तुमने कुछ भी ग़लत नही किया शीतल,वो तुम्हारी शादी 31साल के आदमी से करा रहे थे,ऐसे में तुम क्या करती,तुमने किसी के प्यार में पड़ कर,उनका दिल दुखा कर घर नही छोड़ा था बल्कि तुम्हारा दिल दुखा था,” सुषमा ने कहा।

“आज का मालूम नही लेकिन मेरी माँ मुझसे बहुत प्यार करती थी। वो मेरी शादी उससे कभी नही करती वो तो सिर्फ़ मुझे देखने आए थे और मम्मी ने जो कुछ भी कहा था उस समय गुस्से में कहा था मैं ही ज़िद कर बैठी थी,” शीतल ने कहा।

कुछ देर दोनों कुछ नही बोले। शीतल , सुषमा का सहारा लेकर खड़ी हुई और बोली-“मुझे मेरे घर छोड़ दो,सह लूँगी मम्मी की डाँट आख़िर कितनी देर गुस्सा रहेंगी। ”
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

5.

सुषमा ने उसे अपनी स्कूटी से उसे उसके घर रात के 9 बजे तक छोड़ दिया और खुद वहाँ से तुरंत चली गयी। शीतल दरवाजा खट खटाने जा रही थी की अचानक एकदम से रुक गयी,घर के अंदर से उसकी मम्मी की आवाज़ आ रही थी। वो क्या कह रही थी ये साफ-साफ नही सुनायी पड़ रहा था। शीतल कुछ सोच कर वापस लौटने लगी। उसने दरवाजा नही खटखटाया,शीतल ठीक से चल भी नही पा रही थी,वो लड़खड़ाते हुए कदमों से चल रही थी। घर से कुछ दूर सड़क पर एक किनारे बैठ गयी और किसी गाड़ी का वहाँ से निकलने का इंतज़ार करने लगी। वो एक घंटे तक इंतज़ार करती रही पर वहाँ से कोई नही निकला । वो जहाँ थी वहाँ से रात के समय कोई नही निकलता था। उसका सिर दर्द से फटा जा रहा था,दर्द और थकान के कारण उसे कब नींद आ गयी उसे पता भी नही चला।

सुबह जब उसकी नींद खुली तो उसने खुद को बेड पर पाया। उसके आस-पास कोई नही था। वो एक कमरे में थी , कमरे से बाहर निकल कर उसने पूरा घर देख डाला पर उसे कोई कहीं नही दिखा । घर का दरवाजा बाहर से बंद था या फिर ताला लगा था। घर बहुत बड़ा और सुंदर था शायद वो किसी के बंगले में थी। वो अभी भी पूरी तरह से ठीक नही थी उसके सिर में अभी भी दर्द हो रहा था। शीतल हॉल में पड़े सोफे पर लेट गयी और किसी के आने का इंतज़ार करने लगी। उसे डर भी लग रहा था की कहीं कुछ बुरा …………कुछ देर बाद वो अचानक से बड़ी ही तेज़ी से खड़ी हुई और अपने-आप को अच्छी तरह से देखने लगी और बहुत ज़्यादा घबरा गयी,उसके कपड़े बदले हुए थे उसने किसी और के कपड़े पहन रखे थे। कहीं किसी ने उसके साथ कुछ किया तो नही या फिर किसी ने…। कोई लड़की थी या फिर कोई लड़का। तरह-तरह की बातें उसके मन में आने लगी वो जितना ज़्यादा सोचती उतना ही ज़्यादा डरने लगती। वो रोने लगी थोड़ी देर रोती रही फिर हॉल से उठकर वापस उसी कमरे में चली गयी और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया।

उस समय 10 बज रहे थे,वो फिर से बेड पर लेट गयी तभी उसकी नज़र वहीं बेड के बगल में रखी मेज पर गयी। उस पर एक पर्चा और कुछ दवाइयाँ रखी थी । उसने पर्चा उठाया और पढ़ने लगी। उसमें लिखा था - “ तुम्हारी तबीयत ठीक नही है इसलिए ये दवाइयाँ खा लेना और भूख लगे तो कुछ खा लेना।” उसे पढ़ कर शीतल में थोड़ी हिम्मत आई । उसे उम्मीद हुई की शायद कोई अच्छा………। उसने कल से कुछ नही खाया था भूख तो लगी ही थी,वो किचन में गयी वहाँ खाना रखा हुआ था, खाना ताज़ा था किसी ने सुबह ही बनाया था। शीतल ने खाना खाया और वापस कमरे में आकर दवाई खाई। वो थोड़ी देर के लिए लेट गयी लेकिन उसे नींद नही आ रही थी वो उठी और छत पर चली गयी। छत से दूर तक का नज़ारा दिखाई दे रहा था। वहाँ आस-पास कोई घर नही था , दूर-दूर तक कोई दिखाई भी नही दे रहा था । शायद वो किसी का फार्म हाउस था। शीतल को फिर से डर लगने लगा , आख़िर उसे कोई यहाँ क्यों लाया?अगर किसी ने उसकी मदद की थी वो उसे हॉस्पिटल या फिर पुलिस स्टेशन क्यों नही ले गया ? इस सूनसान जगह पर क्यों लाया? वो बड़ी देर तक सोचती रही,उसे डर भी था और एक उम्मीद भी की कोई अच्छा व्यक्ति हो तो। वो उसी कमरे में जाकर लेट गयी थोड़ी ही देर में उसे नींद आ गयी और वो सो गयी। शाम को जब वो उठी तब भी कोई नही आया था। उसने फिर से कुछ खाया और हॉल में सोफे पर बैठ गयी,वो इंतज़ार कर रही थी किसी के आने का। करीब 9बजे दरवाजा खुला,कोई लड़का था 25-26 साल का उसके साथ और कोई नही था। शीतल उसे मूर्ति बनी देख रही थी,उसके पूरा शरीर कांप रहा था। वो लड़का अंदर आकर सोफे पर बैठ गया।
Reply
06-08-2020, 12:05 PM,
#14
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
“आप कौन?” शीतल ने पूछा।

“ये मेरा ही घर है,” उस लड़के ने कहा।

शीतल कुछ नही बोली,पूछना तो चाहती थी की आप ही मुझे यहाँ लाए थे लेकिन उससे कुछ भी नही कह पाई,वो उसे चोर निगाहों से देख रही थी। वो लड़का देखने में किसी हीरो से कम नही था।

“तुम्हारा नाम क्या है?” उस लड़के ने पूछा।

“शीतल…………और आपका?”

“जय,आप को कल मैं ही यहाँ लेकर आया था,आप मुझे सड़क के किनारे बेसुध पड़ी मिली थी,बारिश की वजह से आप पूरी तरह से भीगी हुई थीं,” उस लड़के ने कहा।

“पर कल बारिश नही हो रही थी,” शीतल ने कहा।

“हो सकता है आपके बेहोश होने के बाद हुई हो,” जय ने कहा।

शीतल कुछ नही बोली वो असहज महसूस कर रही थी।

“तुम्हारे साथ हुआ क्या था ? तुम वहाँ बेहोश पड़ी थी,देख कर ऐसा तो नही लग रहा था की तुम्हारे साथ कुछ हुआ हो,”जय ने कहा।

“मेरी तबीयत खराब हो गयी थी,”शीतल ने कहा। कुछ रुककर फिर पूछा-“क्या आप मुझे वापस वहीं छोड़ सकते हैं?”

“अभी नही क्योंकि यहाँ से वो जगह लगभग 80किलोमीटर दूर है और यहाँ से शहर भी बहुत दूर है,” जय ने कहा।

“ठीक है………। आप यहाँ अकेले रहते हैं,” शीतल ने पूछा।

“नही,यहाँ कोई नही रहता , कभी-कभी मैं यहाँ आता हूँ। आपको डर लग रहा है क्या?जो आपने ऐसा पूछा,”जय ने कहा।

नही।

“बहुत सुंदर हो तुम,”जय ने शीतल की तारीफ करते हुए कहा।

“मालूम है,और मेरे बारे में सोचने की ज़रूरत नही है मैं शादीशुदा हूँ,” शीतल ने उसी लहजे में कहा।

“दिखती तो बहुत कम उम्र की हो। करती क्या हो?” जय ने पूछा।

“सिर्फ़ 20 की ही हूँ, बी.ए. कर रही हूँ और साथ ही सरकारी जॉब।”

“बहुत अच्छी।”

शीतल कुछ नही बोली।

“तुमने कुछ खाया था या……और अब तुम्हारी तबीयत कैसी है?जय ने पूछा।”

“खाया था और तबीयत भी ठीक है।”

“तुम जाकर सो जाओ रात बहुत हो गयी,” जय ने कहा और खुद वहाँ से उठ कर एक कमरे में चला गया। शीतल भी अपने कमरे में चली गयी और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। उसे लेटे थोड़ी ही देर हुई थी की जय ने दरवाजा खटखटाया। शीतल ने दरवाजा खोला तो जय तुरन्त कमरे के अंदर आ गया। शीतल को जय की ये हरकत बुरी लगी और थोडा डर भी लगा। जय बेड पर बैठ गया,उसने शीतल को अपने बगल बैठने का इशारा किया। शीतल बैठना तो नही चाहती लेकिन वो जय को मना भी नही कर पाई,वो बेड पर जय से थोड़ी दूरी बना कर बैठ गयी।

“क्या हुआ ? आप यहाँ क्यों आए हैं?” शीतल ने पूछा।

“मैं तुम्हारे लिए कुछ कपड़े लाया हूँ,” जय ने शीतल को कपड़े पकड़ाते हुए कहा।

जय उसके लिए ब्लैक सलवार-सूट और ब्लू जीन्स,रेड टॉप लाया था।

“मैं जीन्स नही पहनती और आपको मेरे लिए ये सब करने की ज़रूरत नही है,” शीतल ने कहा।

“जीन्स क्यों नही पहनती,अच्छी लगोगी,” जय ने कहा।

“मैं ब्लैक सूट में ज़्यादा अच्छी लगती हूँ,आपका लाया हुआ सूट मुझे ज़्यादा पसन्द है पर मैं जीन्स नही पहन सकती,” शीतल ने हँसते हुए कहा।

वो बहुत दिन बाद वो खुल कर हँसी थी । जो कुछ वो राज से चाहती थी वो उसे जय से मिल रहा था।

“एक बार जीन्स पहन कर तो देखो,”जय ने उससे थोड़ा ज़िद करते हुए कहा।

“आप मेरे कौन हो ? जो आपके लिए मैं ………,”शीतल ने कहा।

“कोई बात नही ना , पहनो जीन्स पर मुझे तो इस तरह पराया ना करो,” जय ने शीतल के हाथ पर हाथ रखते हुए कहा।

शीतल हँस दी और अपना हाथ पीछे खींच लिया।
Reply
06-08-2020, 12:05 PM,
#15
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
“तुम्हें तो अब भी बुखार है और तुम कह रही थी तुम ठीक हो,” जय ने कहा।

“बस हल्का-सा ही तो है,” शीतल ने बड़ी ही मासूमियत से बच्चों की तरह कहा।

जय उसके इस तरह से बोलने पर हँस दिया।

“अब तुम सो जाओ,मुझे तो अभी किसी का इंतज़ार करना है,” जय ने कहा और वो कमरे से बाहर हॉल में चला गया।

शीतल राज से 6 महीने में इतना नही खुली थी जितना वो जय से कुछ घंटों में खुल गयी थी। जय ठीक वैसा था जैसा पति वो चाहती थी। उसने सोचा की क्यों ना एक बार जीन्स ट्राई की जाए। वो कपड़े बदलने जा ही रही थी कि उसका ध्यान पहने हुए कपड़ों पर चला गया जो उसके थे ही नही, वो किसी और लड़की के थे। उसका चेहरा फिर से उतर गया क्या जय ने कल रात को उसके कपड़े बदले थे?वो चुपचाप लेट गयी उसकी सारी खुशी एक पल में चली गयी,वो तरह-तरह की बातें सोचने लगी,उसे समाज,राज सभी का डर सताने लगा,कहीं जय ने उसके साथ कुछ………। ऐसे सोचते-सोचते उसे नींद आ गयी और वो सो गयी । वो कमरे का दरवाजा बंद करना भी भूल गयी। आधी रात को उसके हाथों में कुछ चुभने से उसकी नींद खुली पर कमरे में अंधेरा था और नींद में भरे होने के कारण वो ठीक से देख भी नही पायी की कौन था। शायद उसे कोई इंजेक्शन लगा रहा था। वो ठीक से उठ भी नही पायी थी की इंजेक्शन की वजह से वो बेहोश हो गयी या फिर सो गयी।

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
Reply
06-08-2020, 12:05 PM,
#16
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
सुबह उसकी आँख कुछ देर से खुली,करीब 9 बजे,उसके सिर में उस समय हल्का दर्द हो रहा था,वो उठी और अपने आस-पास अच्छी तरह से देखने लगी,उसे मेज पर इंजेक्शन पड़ा दिखा,वो इंजेक्शन किसी को लगाया जा चुका था। शीतल को समझ आ गया की कल रात उसे ये इंजेक्शन लगाया गया था। वो कमरे से निकल कर जय को ढूढ़ने लगी लेकिन जय घर में नही था,पूरे घर में देख लिया पर उसे जय कहीं नही दिखा ना ही कोई और। घर का दरवाजा खुला था,वो बाहर आई तो देखा जय गार्डेन में बैठा है उसके साथ 29-30 की एक लड़की एक बच्चे को गोद में लिए बैठी थी। शीतल उनके पास गयी। वहाँ कुछ कुर्सी और एक मेज रखी थी।

“शीतल,ये मेरी बड़ी बहन ज्योति है और गोद में इनका 2साल का बेटा यश है,” जय ने शीतल का परिचय कराते हुए कहा।

“जय मुझे तुमसे कुछ पूछना है,” शीतल ने ज्योति से नमस्ते करते हुए कहा।

“पूछो।”

“कल रात मेरे कमरे में कौन आया था और मुझे इंजेक्शन क्यों और किसने लगाया था?” शीतल ने पूछा।

“मैं आई थी,मैंने ही इंजेक्शन लगाया था,” ज्योति ने कहा।

“क्यों?”

“तुम इतनी लापरवाह क्यों हो,इतनी ठंड में तुम बिना किसी गर्म कपड़े के बाहर आ गयी। तुम्हारी तबीयत ठीक नही है लेकिन तुम्हें इसकी कोई परवाह नही है,कल रात को भी तुमने कुछ ओढ़ नही रखा था तुम्हारी पूरी शरीर ठंड से कांप रही थी,”ज्योति ने कहा।

“मुझे इंजेक्शन किसलिए लगाया था?”शीतल ने अपना प्रश्न दोहराया।

“तुम्हें बहुत ज़्यादा बुखार था इसलिए मुझे इंजेक्शन लगाना पड़ा,मैं एक डॉक्टर हूँ, वो इंजेक्शन दवाई का था,”ज्योति ने कहा।

शीतल बिल्कुल चुप हो गयी उसके पास ज्योति की बात का कोई जवाब नही था,उसे कुछ पूछना था लेकिन वो कुछ भी नही कह पाई।

“उस रात को भी तुमने कोई गर्म कपड़े नही पहने थे,ऐसे सड़क के किनारे पड़ी थी। घर नही है क्या?उस रात मैंने तुम्हारे कपड़े बदले थे और मैंने तुम्हारा पूरा मेडिकल चेक-उप किया था किसी तरह का कोई भी चोट का निशान नही था ना ही तुम्हारे साथ कुछ ग़लत हुआ था। बेहोश होकर भी नही गिरी थी क्योंकि बेहोश होकर गिरती तो कुछ चोट ज़रूर होती। आख़िर हुआ क्या था?” ज्योति ने उससे एक बार में बहुत कुछ कह दिया।

शीतल ने कोई जवाब नही दिया,ज्योति की बातों से उसे तसल्ली हो गयी थी की वो यहाँ पूरी तरह से सुरक्षित है।

“रहती कहाँ हो?”ज्योति ने पूछा।

“प्रीतमपुर।”

“पढ़ती हो?” ज्योति ने पूछा।

“पढ़ती हूँ और जॉब भी करती हूँ,” शीतल ने कहा।

“उम्र क्या है?”ज्योति ने पूछा।

“20 साल।”

“शादीशुदा हो?” ज्योति ने पूछा।

“हाँ।”

“लव या अरेंज?” ज्योति ने पूछा।

“कोर्ट मैरिज,” शीतल ने कहा।

“इतनी जल्दी क्या थी शादी करने की घरवाले करते तो कुछ समझ आता है पर तुमने अपनी मर्ज़ी से की। क्या तुम पागल हो?देखने में बच्ची जैसी मासूम दिखती हो और हरकतें भी बच्ची जैसी हैं फिर क्यों इतनी जल्दी थी। थोड़ी और बड़ी हो जाती तभी शादी करती,” ज्योति ने कहा।

शीतल से कुछ बोलते नही बना। ज्योति तो उससे इस तरह से पेश आ रही थी जैसे की शीतल कोई आतंकवादी हो और वो सेना की अधिकारी। शीतल नज़रें झुकाए खड़ी थी वो उन्हें कैसे बताती की उसकी शादी किन हालत में हुई थी।

"शीतल तुमने जीन्स नही पहनी,” जय ने माहौल को हल्का करने के लिए मज़ाक में कहा।

शीतल हँस दी पर कुछ बोली नही,वो शर्मा गयी थी। उसने वहाँ से चले जाना ही बेहतर समझा और घर के अंदर चली गयी अपने कमरे में पहुँच कर उसने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। जय की बात उसके मन में चल रही थी,उसने सोचा क्यों ना एक बार जीन्स पहन ही लूँ,वो बेड पर लेटी यही सब सोच रही थी किसी ने दरवाजा खटखटाया,शीतल ने दरवाजा खोला,सामने ज्योति खड़ी थी।

“तुम नहा कर तैयार हो जाओ,” ज्योति ने कहा।

“क्यों दीदी?”

“तुम्हें तुम्हारे घर जाना है या नही,”ज्योति ने कहा।

“ठीक है,दीदी,” शीतल ने कहा पर तब तक ज्योति जा चुकी थी।
Reply
06-08-2020, 12:06 PM,
#17
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
एक घंटे बाद शीतल अपने कमरे से बाहर हॉल में आई। उस समय ज्योति किचन में थी,हॉल में यश सोफे पर बैठा खिलौनों से खेल रहा था। शीतल भी यश के साथ खेलने लगी। तभी ज्योति किचन से निकल कर हॉल में आई।

“तुम कुछ खाओगी?” ज्योति ने पूछा।

“नही दीदी,मुझे मेरे घर छोड़ दीजिए,” शीतल ने कहा।

“जय बाहर गार्डेन में है,तुम उसके साथ चली जाओ,” ज्योति ने कहा।

शीतल बाहर गार्डेन में गयी,जय की नज़रें जब उस पर पड़ी तो उसकी नज़रें शीतल पर ही टिक गयी। शीतल ने रेड टॉप और ब्लू जीन्स पहनी थी।

“जय,मुझे घर छोड़ दो,” शीतल ने कहा।

“ठीक है,” जय ने उससे नज़रें बिना हटाए ही कहा।

शीतल बिना कुछ कहे वहीं थोड़ी ही दूरी पर खड़ी जय की गाड़ी में जा कर बैठ गयी। जय भी कुछ नही बोला और गाड़ी में बैठ गया। करीब 40 मिनट में हाइवे पर आ गये इस 40 मिनट में दोनों ने एक दूसरे से कोई बात नही की।

“बहुत सुंदर दिख रही हो,” जय ने बिना शीतल की ओर देखे ही कहा।

शीतल कुछ नही बोली बस नीचे की ओर देखने लगी। उसे राज की याद आ र्ही थी। राज से वो क्या कहेगी,कहाँ थी वो 2दिन। राज की हालत इतनी तो सुधर गयी थी की वो बोल सकता था सिर्फ़ उसके पैर का फ्रैक्चर ठीक नही हुआ था। उसे रुपयों का इंतज़ाम भी करना था। शीतल की आँखों से कब आँसू बहने लगे उसे पता ही नही चला।

“तुम रो क्यों रही हो?” जय ने शीतल से पूछा।

शीतल कुछ नही बोली जैसे उसने कुछ सुना ही नही। जय ने फिर पूछा इस बार जय ने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया था। शीतल ने कोई प्रतिक्रिया नही की सिर्फ़ नज़रें उठा कर जय की ओर देखा,जय ने अपना हाथ हटा लिया। शीतल कुछ देर जय को इसी तरह देखती रही लेकिन कुछ कहा नही। थोड़ी देर बाद उसने अपनी नज़रें झुका ली।

“जय क्या मैं तुम पर भरोसा कर सकती हूँ?”शीतल ने अपनी आखों से आँसू पोछते हुए जय की ओर देखे बिना ही कहा।

“हाँ,पर बात क्या है?” जय ने गाड़ी सड़क के किनारे खड़ी करते हुए पूछा।

शीतल बिल्कुल शांत हो गयी,वो हिम्मत जुटा रही थी जय को सब कुछ बताने की पर वो कुछ नही कह पायी,किसी गहरी सोच में डूब गयी।

“शीतल क्या हुआ?”जय ने पूछा।

शीतल ने जय की ओर देखा और उसके बाद उसने अपनी पूरी कहानी जय को सुना दी। कैसे उसकी मुलाकात राज से हुई,किस तरह उनकी शादी हुई सभी कुछ जो कुछ उसके साथ घर छोड़ने के बाद हुआ था। अनुज सर के बारे में,उन्होने उसे किस शर्त पर रुपये दिये। राज के घर वालों ने उसके साथ जो व्यवहार किया। उसने हर एक बात जय को बता दी।

जय की आखें भी नम हो गयी थीं। दोनों गाड़ी में ही बैठे थे । जय ने शीतल के आँसू अपने हाथों से पोछे और उसके सर को अपने कंधे पर रख कर उसे दिलासा देने लगा। वो शीतल के बालों को सहलाने लगा,बार-बार उसके सर पर हाथ फेर रहा था लेकिन फिर भी जय उसे किसी भी तरह से शांत नही करा सका। रोते-रोते शीतल कब सो गयी उसे पता ही नही चला। जय ने उसे जगाया नही ना ही उसके सिर को अपने कंधे से हटाया। उसने गाड़ी स्टार्ट करी और वहाँ से चल दिया।

एक घंटे के बाद शीतल की आँख खुली,उसके सामने जय बैठा था और वो सोफे पर लेटी थी। वो अभी भी जय के घर में ही थी। शीतल झटके से उठ कर बैठ गयी।

“मुझे वापस यहाँ क्यों लाए?” शीतल ने पूछा।

“दीदी कह रही हैं कि तुमने सुबह कुछ खाया नही था,” जय ने उसकी बात को टालते हुए कहा।

“मैं वहाँ खाना खा लेती पर तुम मुझे यहाँ क्यों ले आए,”शीतल ने पूछा।

“तुम्हे रुपेयों की ज़रूरत है,ये लो 2 लाख,” जय ने उसे रुपये पकड़ाते हुए कहा।

“मुझे हॉस्पिटल छोड़ दो,” शीतल ने रुपये पकड़ते हुए कहा। उसने रुपये लेने में कोई हिचक नही दिखाई।

“कल चली जाना,” जय ने कहा।

शीतल ने जय की ओर गुस्से से देखा पर ये उसका घर था इसलिए वो उसे कुछ कह नही पाई। ज्योति भी अपने कमरे से बाहर हॉल मे आ गयी थी। वो शीतल का चेहरा देखकर सब समझ गयी।

“शीतल तुम खाना खा लो,फिर मैं तुम्हे छोड़ दूँगी,” ज्योति ने शीतल से कहा।

शीतल कुछ नही बोली,उसने खाना खा लिया।

“मैं कुछ मेडिसिन के नाम लिख दे रही हूँ तुम इन्हे कुछ दिन तक खा लेना,” ज्योति ने शीतल से कहा और उसे मेडिसिन के नाम लिख कर पर्चा पकड़ा दिया।

“जय,शीतल को अभी छोड़ कर आओ,” ज्योति ने जय से कहा।

जय,ज्योति की बात को टाल नही सका। उसे शीतल को हॉस्पिटल छोड़ने जाना पड़ा। जय शीतल को हॉस्पिटल के बाहर छोड़ कर चला गया।

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
Reply
06-08-2020, 12:06 PM,
#18
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
6 .

शीतल सबसे पहले हॉस्पिटल के काउंटर पर 2 लाख रुपये जमा करने गयी लेकिन किसी ने पहले ही पैसे जमा कर दिए थे। शीतल ने कुछ नही पूछा और राज के पास चली गयी।

राज सो रहा था या फिर आँख बंद करके लेटा था। देखने में वो बिल्कुल ठीक लग रहा था पैर का प्लास्टर भी खुल चुका था। शीतल राज के सिर के पास स्टूल पर बैठ गयी,अपना एक हाथ राज के सर पर रख दिया। हाथ रखते ही राज की आँख खुल गयी।

“अब तबीयत कैसी है?” शीतल ने पूछा।

“ठीक हूँ……। तुम दो दिन कहाँ थी?” राज ने पूछा।

शीतल ने उसकी बात का जवाब नही दिया और पानी पीने का बहाना बना कर वहाँ से हट गयी। वो रूम से बाहर निकली तो देखा की सुषमा सामने से आ रही थी।

“कहाँ चली गयी थी तुम?” सुषमा ने शीतल के पास पहुँचते ही उससे पूछा।

शीतल कुछ नही बोली,अपनी नज़रें नीचे झुका ली।

“तुम्हें मालूम है सब तुम्हारे बारे में किस तरह की बातें कर रहे हैं। राज के मम्मी-पापा आए थे। वो तुम्हारे बारे में पूछ रहे थे,तुम्हारे मम्मी-पापा भी आए थे। वो सब तो यहाँ तक कह रहे थे की तुम किसी के साथ भाग गयी हो। राज को तुम्हारे बारे में ऐसी झूठी बातें बताई गयी हैं कि अब वह तुम से कभी मिलना भी नही चाहेगा। उसे नफ़रत हो गयी है,अच्छा होगा की तुम अपने घर चली जाओ। राज अब तुम्हें नही अपनाएगा,”सुषमा ने शीतल को समझाते हुए कहा।

शीतल की आँखों से आँसू बहने लगे पर मुँह से एक शब्द भी नही निकला। सुषमा ने उसे रोने की वजह दे दी थी। शीतल वहीं साइड में पड़ी कुर्सी पर बैठ गयी,उसने सुषमा को जाने का इशारा किया,सुषमा चली गयी। दो घंटे बाद शीतल फिर से राज के पास गयी। राज की आखें बंद थी। शीतल वहीं स्टूल पर बिना आहट किए बैठ गयी,वो जैसे ही बैठी थी की किसी ने रूम का दरवाजा खोला,शीतल उसे देखकर एक झटके से उठ खड़ी हुई,राज के पापा थे। वो बड़ी तेज़ी से अंदर आए राज के बगल में बेड की दूसरी ओर खड़े हो गये। उनका ध्यान शीतल की ओर नही गया था जैसे ही वो बैठने वाले थे की उनकी नज़र शीतल पर पड़ी।

“तुम अब यहाँ क्यों आई हो?” राज के पापा ने पूछा।

शीतल कुछ नही बोली।

“मेरे बेटे का पीछा छोड़ दो और यहाँ से चली जाओ। एक बार मेरे राज ने तुम्हें अपना लिया इसका मतलब यह नही की वो तुम्हें हर बार अपना लेगा। तुम क्या सोचती हो कि राज इस समाज की गंदगी को अपनाता रहेगा। हमने सोचा था कि जो हुआ उसे भूल कर तुम्हें अपना लें लेकिन तुम्हे तो कोई भी रिश्ता नही निभाना आता है। पहले अपने माँ-बाप को छोड़ा और अपने पति को भी,” राज के पापा ने कहा।

“नही पापा,मैंने कुछ भी ग़लत नही किया है,” शीतल ने कहा।

“तुम्हारे लिए कुछ ग़लत है भी, तुम जैसी लड़की सिर्फ़ लोगों की जिंदगी बर्बाद करती हो। लोग अपनी इज़्ज़त के लिए क्या कुछ नही करते और तुमने पैसों के लिए खुद को ही बेच दिया,तुमने अपना ही सौदा कर लिया। तुम्हे लगता है की तुम कुछ भी करोगी किसी को कुछ पता नही चलेगा,तुम यहाँ किसी अमीर लड़के के साथ उसकी गाड़ी से आई थी,” राज के पापा ने कहा।

“पापा,उसने मेरी मदद की थी मेरा उसके साथ कोई संबंध नही है,” शीतल ने कहा।

“हो सकता है की उसने तुम्हारी मदद की हो पर कोई किसी को 2 लाख रुपये ऐसे ही नही दे देता। तुमने सिर्फ़ 2 लाख के लिए अपने आप को बेच दिया। समाज ने तुम जैसी लड़कियों को ठीक ही नाम दिया है। तुम जैसी चरित्रहीन लड़की मेरे बेटे की पत्नी नही हो सकती,”राज के पापा ने कहा।

“पापा,बस करिए किसी भी लड़की के चरित्र पर आप इस तरह से उंगली नही उठा सकते,आप ऐसे कैसे मुझे कुछ भी कह सकते हैं। मैं अपने पति को धोखा नही दिया,मुझे अपने आप को सही साबित करने की कोई ज़रूरत नही है। जब आप मुझे अपनी बहू नही मानते तो आप मुझे कैसे कुछ कह सकते हैं। मुझे कुछ भी कहने का अधिकार सिर्फ़ राज को है,” शीतल ने कहा। इस बार वो रोयी भी नही थी , उसने अपने आँसुओं को बहने नही दिया।

“तुम सोचती हो की राज तुम्हे अपना लेगा,ऐसा कुछ नही होगा राज तुमसे नफ़रत करने लगा है। तुमने उसके विश्वास को तोड़ा है,वो तुम्हे कभी माफ़ नही करेगा,बैठी रहो यहीं कुछ देर में जब वो उठेगा तो वो खुद ही तुमसे रिश्ता तोड़ देगा,तब रोना बैठ कर,” राज के पापा ने कहा और वो कमरे से बाहर चले गये।

शीतल ने उन्हें तो जवाब दे दिया था लेकिन उसे डर लग रहा था कि राज कहीं उसे ठुकरा ना दे। कहीं दो दिन में राज के दिल में उसके लिए नफ़रत तो नही भर गयी। शीतल खुद को कोस रही थी,दिल ही दिल वो बहुत रो रही थी लेकिन उसकी आँखें नम नही हुई थीं। तभी उसके हाथ पर किसी ने हाथ रखा,राज था। वो जाग गया था शीतल का पूरा शरीर काँपने लगा उसकी धड़कने बिल्कुल रुक सी गयी। अब अगर राज ने भी उससे यही बात कही तो वो क्या करेगी उसे कुछ नही सूझ रहा था इतनी देर से रुके आँसू,आँख से बहने लगे। शीतल ने राज की ओर देखा भी नही अपनी नज़रें झुकाए बैठी रही वो खुद को राज की हर बात सुनने और हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार कर रही थी।

“रो क्यों रही हो?पागल,” राज ने कहा।

शीतल ने अपनी नज़रे नही उठाई,उसका रोना और तेज हो गया। ऐसी रोती हुई आवाज़ में उसने कहा-“मुझे माफ़ कर दो। ”

“किस लिए?तुमने कुछ भी ग़लत नही किया है,मुझे तुम पर भरोसा है,मैं तुम्हारा साथ कभी नही छोड़ूँगा,”राज ने कहा।

शीतल को तो जैसे विश्वास ही नही हो रहा था। राज ऐसा कुछ कह सकता है उसने सोचा ही नही था। उसे समझ नही आ रहा था कि आख़िर हो क्या रहा है। एक ओर राज कहता कि उसे उससे प्यार नही और दूसरी ओर वो उस पर इतना भरोसा दिखाता है। शीतल राज के गले से लग कर रोने लगी। राज ने उसके आँसू पोछे और उसे चुप कराया। राज को शीतल को चुप करना बहुत अच्छी तरह से आता था। शीतल को भी राज की सबसे खास बात यही लगती थी की वो उसे आसानी से चुप करा देता है जबकि उसे कोई भी चुप नही करा पाता था। वो अपने घर में भी जब भी रोती तो कभी कोई चुप नही करा पाता था। वो रोते-रोते सो जाती थी पर चुप नही होती थी।
Reply
06-08-2020, 12:06 PM,
#19
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
“अब मुझे छोड़ोगी हॉस्पिटल है,” राज ने हँसते हुए कहा।

शीतल थोड़ा शर्मा गयी,वो तुरंत राज से दूर हट गयी।

“तुम जीन्स-टॉप कब से पहनने लगी?” राज ने पूछा।

“क्यों?अच्छी नही लग रही हूँ क्या?”

“तुम हमेशा अच्छी लगती हो,” राज ने कहा।

शीतल हँसने लगी,हँसते हुए बोली-“मुझे छेड़ो मत। ”

“तुमने आज कुछ खाया है या भूखी हो,” राज ने पूछा।

शीतल चुप हो गयी। राज समझ गया की शीतल ने कुछ नही खाया है। उसने शीतल को उसकी लापरवाही के लिए थोड़ा डांटा। शीतल खाना खाने के लिए हॉस्पिटल के बाहर चली गयी।

एक घंटे बाद वो लौटी तो देखा की राज के पास रिया(राज की छोटी बहन) बैठी थी। शीतल को देखते ही उससे गले लग गयी। राज के घर में एक रिया थी जो राज को देखने हर रोज़ आती थी। रिया,शीतल को पसन्द करती थी वो शीतल को समझती थी। इतने दिनों में शीतल अपना दुख उसी से तो बाँट सकी थी। रिया जब भी राज को देखकर हॉस्पिटल से घर जाती थी तो अपने मम्मी-पापा को बताती थी कि भैया की तबीयत कैसी है?शीतल के दो दिन गायब रहने पर उसी ने तो घर में बताया था कि भैया की देखभाल करने वाला कोई नही है। उसी के मनाने पर राज के घर वाले उसे देखने आए थे।

“भाभी , आप कहाँ चली गयीं थी?” रिया ने पूछा।

शीतल ने उसे और राज को पूरी कहानी सुना दी। रिया ने शीतल को बताया कि उसके पापा ने अनुज सर के पूरे पैसे उन्हें वापस कर दिए हैं और हॉस्पिटल की जो भी फीस बाकी थी वो सब उन्होनें भर दी है। रिया कुछ देर रुकने के बाद घर चली गयी। रिया 9th में पढ़ती थी।

“शीतल,डॉक्टर कह रहे थे की एक-दो दिन में मैं घर जा सकता हूँ,”राज ने कहा।

शीतल कुछ नही बोली । उसने राज को उसकी दवाइयाँ दी और खुद वहाँ से हट गयी।

दो दिन बाद राज घर आ गया। उसकी तबियत ठीक थी पर वो ठीक से चल नही पता था। शीतल अपने ऑफिस जाने लगी। राज जब से हॉस्पिटल से घर आया था तब से कुछ अलग ही व्यवहार कर रहा था वो दिन भर लेटा रहता और शीतल से कुछ ना कुछ करने को कहता रहता। शीतल सुबह ऑफिस जाने से पहले खाना बनाकर जाती थी,आती तो भी वही खाना बनाती थी। घर का सारा काम भी वही करती थी लेकिन उसके बाद भी राज उससे कुछ ना कुछ कहा ही करता था।

शीतल,मेरे लिए फल लेती आना,शीतल एक लैपटॉप ले आना,शीतल ये ले आना, वो ले आना बहुत कुछ कहता रहता था। एक बार भी ये नही सोचता था की शीतल के पास इतने पैसे कहाँ से आएँगे,वो उसके लिए लैपटॉप कैसे लाएगी कुछ भी नही। वो लगभग पूरी तरह से ठीक ही था लेकिन वो कुछ नही करता था। एक गिलास पानी भी वो खुद नही लेता वो भी शीतल से माँगता था। शीतल रात को राज के सोने के बाद ही सोती थी और सुबह राज से पहले उठती थी। वो कहीं से भी रुपयों का इंतज़ाम करके राज के लिए हर वो चीज़ लेकर आती जो उसे चाहिए होता था। उसने राज को लैपटॉप खरीद कर दे दिया। राज दिन भर लैपटॉप चलाता रहता,जब शीतल कहीं जाने लगती तो उससे कहता शीतल नेट पैक करा देना। शीतल राज से थोड़ा चिढने लगी थी,राज उससे जब कुछ कहता तो उसे बहुत गुस्सा आता था लेकिन वो राज से कुछ भी नही कहती थी। शीतल के राज से चिडने की वजह राज का ही व्यवहार था,ऐसा लग रहा था जैसे राज ने शीतल को परेशान करने की कसम खा ली हो या फिर उससे कोई बदला ले रहा है।

शीतल अपने घर आने जाने लगी थी। दोनों के घर वाले मान गये थे। राज के परिवार वाले शीतल को अपनी बहू मानने के लिए तैयार थे। एक दिन राज के मम्मी-पापा उन्हें घर वापस ले जाने के लिए आए। पर राज ने घर वापस जाने से मना कर दिया।

“तुम घर चलने के लिए क्यों तैयार नही हो?” राज की माँ ने राज से पूछा।

“जिस घर में मेरी पत्नी की कोई इज़्ज़त ना हो उस घर में मैं नही रह सकता। आप ने ही सिखाया है कि पति का धर्म होता है कि वो पत्नी का हर सुख-दुख में साथ दे। शीतल 3घंटे तक बारिश में बाहर भीगती खड़ी रही पर किसी को कोई फ़र्क नही पड़ा,उसे क्या कुछ नही कहा आप लोगो ने। मैं हमेशा यही सोचता था कि कब आप लोग हमें माफ़ करोगे,कब हमें घर वापस आने के लिए कहोगे,मैं घर वापस आना चाहता था लेकिन अब मुझे घर नही चलना। मैं बेटे होने का हर फ़र्ज़ निभाऊँगा, पर घर कभी नही…………शीतल आपसे मिलने घर जा सकती है पर मैं नही…………” राज ने कहा।

उसके मम्मी-पापा राज से कुछ नही कह सके वो चुपचाप वहाँ से चले गये। शीतल भी वहीं बैठी थी उसने रोकना तो चाहा पर राज की वजह से चुप हो गयी। राज बहुत बदल गया था वो शीतल से ही नही अपने मम्मी-पापा से भी अच्छे से बात नही कर रहा था। शीतल ने उनके जाने के बाद राज को समझाना चाहा पर उसने शीतल को इस बारे में कोई भी बात करने से साफ मना कर दिया।

राज को हॉस्पिटल से घर आए 20 दिन हो गये। उसका पैर भी ठीक हो गया था। वो कहीं भी आ-जा सकता था , पर राज कहीं नही जाता , दिन-भर घर में ही रहता था।

राज की बेरूख़ी की वजह से शीतल का जय के साथ मिलना जुलना बढ़ गया था। वो अक्सर ओफिस से थोड़ा देर से घर आती थी,वो जय के साथ घूमा करती थी। जय उसे तरह-तरह के गिफ्ट दिया करता था,कभी कोई ड्रेस तो कभी कुछ। वो जय के साथ फाइव स्टार होटल जाती तो कभी किसी कॉफी शॉप। जय से उसकी दोस्ती बढ़ती जा रही थी दूसरी ओर वो राज से दूर होती जा रही थी। शीतल,जय को अपने घर भी ले गयी,उसने उसे अपनी मम्मी,पापा और प्रिया से मिलाया। जय बहुत खुले विचारों का था । साथ में उसे नये लोगों से जुड़ना अच्छी तरह से आता था इसलिए उसने शीतल के घर वालों से जल्दी व्यवहार बना लिया। शीतल की मम्मी को शीतल का जय के साथ इस तरह घूमना फिरना अच्छा नही लगा । उन्होंने उसे समझाया पर उसने एक ना सुनी।
Reply
06-08-2020, 12:06 PM,
#20
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
“शीतल,तुम्हारी शादी हो चुकी है और तुम्हारा जय के साथ इस तरह से घूमना अच्छी बात नही है। लोग क्या कहेंगे?”शीतल की माँ ने कहा।

“मम्मी,जय मेरा दोस्त है और कुछ नही। मुझे समझ है की क्या ग़लत है और क्या सही?”शीतल ने बहुत हल्के में अपनी मम्मी की बात लेते हुए कहा।

“तुम राज को धोखा दे रही हो,राज के भरोसे को तोड़ रही हो,” शीतल की माँ ने कहा।

“मैं किसी को धोखा नही दे रही हूँ,मम्मी,” शीतल ने कहा और वहाँ से हट कर दूसरे कमरे में जहाँ जय था चली गयी।

जय की वजह से शीतल ने सुषमा से भी बोलना कम कर दिया था। शीतल सुबह ऑफिस जय के साथ ही जाती थी और वापस भी जय के साथ आती थी। सुषमा ने उसे कई बार जय के साथ कॉफी शॉप में देखा था । उस समय शीतल जीन्स या फिर किसी और वेस्टर्न में होती थी जबकि वो घर से सलवार-सूट में ऑफिस आती थी और जब घर जाती थी तो भी सलवार सूट में आती थी।

शीतल ने रात में जाग कर पढ़ना भी बंद कर दिया था। उसके सारे सपने साकार हो रहे थे। बचपन से जिन खुशियों की आश में वो जीती थी,वो सब पूरे हो रहे थे। राज के व्यवहार से उसे कुछ दुख तो होता था पर जय की वजह से उन्हें भूल जाती थी।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

एक दिन राज लैपटॉप चला रहा था कि किसी ने दरवाजा खटखटाया दिन के 1 बज रहे थे। राज ने दरवाजा खोला तो देखा की सुषमा थी। राज ने उसे अंदर आने को कहा तो वो अंदर आ गयी।

“तुम आज ऑफिस नही गयी,” राज ने सुषमा को पानी देते हुए कहा।

“आज ऑफिस बंद है,” सुषमा ने कहा।

“शीतल तो गयी है,” राज ने कहा।

“राज तुम्हे पता नही शीतल कहाँ है?”

“नही,मैंने सोचा ऑफिस जा रही होगी इसलिए नही पूछा,”राज ने कहा।

“शीतल,जय के साथ है। वो हर रोज़ जय से मिलती है,उसके साथ होटल,बार ……… जाती है। वो तुम्हे धोखा दे रही है। वो घर से सूट में निकलती है और बाहर वेस्टर्न ड्रेस में दिखती है। तुम उस पर ध्यान क्यों नही देते हो?उसका जय की तरफ लगाव का कारण शायद तुम्हारा रूखा व्यवहार है। तुम कुछ करते क्यों नही?घर बैठे शीतल की कमाई खा रहे हो। उसे जय से वो सब कुछ मिल रहा जो वो चाहती है और तुमसे उसे कुछ भी नही मिलता। मुझसे ये मत कहना की जय सिर्फ़ शीतल का दोस्त है और कुछ नही। शीतल ने मुझसे कहा है की जय ठीक वैसा है जैसा पति वो चाहती थी,उसमें वो सारी खूबियाँ हैं जो वो अपने पति में चाहती थी। अगर तुम दोनों एक-दूसरे के साथ खुश नही हो तो ये रिश्ता ख़त्म कर दो। इस तरह से एक-दूसरे की जिंदगी बर्बाद ना करो………राज जॉब नही कर रहे तो कम से कम अपनी पत्नी को संभालना ही सीख लो। सिर्फ़ अच्छाई से जिंदगी नही जी जाती,कुछ करना भी होता है,इस तरह से घर बैठे नही रहा जाता। तुम अब पूरी तरह से ठीक हो गये हो………,” सुषमा ने कहा और पानी बिना पिए ही उठकर चली गयी।

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,448,062 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 538,350 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,210,667 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 915,189 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,622,413 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,055,099 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,908,411 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,914,728 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,976,677 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 279,868 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)