Hindi Sex Kahani ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
06-08-2020, 12:06 PM,
#21
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
7.
उस दिन शीतल रात के 10 बजे घर आई उसने जीन्स-टॉप पहना हुआ था जबकि सुबह जाते समय उसने सलवार सूट-पहना हुआ था। शीतल बहुत थकी हुई थी,वो बाथरूम में कपड़े बदलने के लिए जाने लगी।

शीतल मुझे तुमसे बात करनी है,राज ने शीतल से कहा।

शीतल ने उसकी बात पर कोई ध्यान नही दिया और बाथरूम में चली गयी। जैसे ही वो बाथरूम से कपड़े बदल कर बाहर निकली तुरंत ही राज ने फिर कहा-“शीतल मुझे तुमसे कुछ बात करनी है। ”

“सुबह करना अभी मैं थक गयी हूँ,” शीतल ने कहा और वो लेट गयी।

“पर मुझे अभी बात करनी है,” राज ने गुस्से में कहा।

“अभी नही सुबह।”

“मुझे अभी इसी वक्त तुमसे बात करनी है,” राज ने चिल्लाते हुए कहा।

शीतल भी पीछे नही रहने वाली थी,वो उठ खड़ी हुई और चीखती हुई बोली-“तुम्हे तभी क्यों बात करनी होती है जब मुझे नही करनी होती है……यही पूछना है की मैं कहाँ गयी थी………सुबह सब कुछ बता दूँगी। ”उसके बाद वो फिर से लेट गयी। राज से कुछ भी बोलते नही बना,वो लैपटॉप चलाने लगा।

शीतल लेटे हुए करवटें बदल रही थी उसकी आँखों में नींद नही थी। अचानक उसे क्या सूझा की राज से पूछी-“तुमने खाना खाया है? ”

राज कुछ भी नही बोला ना ही उसकी ओर देखा उसने ऐसे जताया जैसे उसने उसकी बात सुनी ही नही।

शीतल ने फिर पूछा। पर जब राज से कोई जवाब नही मिला तो वो उठी और बर्तन देखने लगी,शाम को उसने कुछ भी नही बनाया था। वो राज के लिए खाना बनाने लगी। उसने कई बार राज से बात करने की कोशिश की लेकिन राज कुछ भी नही बोला। खाना बनाने के बाद उसने राज को खाना खाने के लिए दिया,राज ने खाने की ओर देखा भी नही। शीतल ने उससे बड़ा मासूम-सा चेहरा बनाते हुए प्यार से कहा-“खाना खा लो,मुझ पर बाद में गुस्सा हो लेना।”

राज ना तो कुछ बोला ना ही उसने खाना खाया।

शीतल खाना उसके बगल में रख कर फिर लेट गयी। वो बीच-बीच में चुपके से आँख खोल कर देखती की राज ने खाना खाया या नही पर राज ने खाने को हाथ भी नही लगाया। 15 मिनट बाद उसने लेटे हुए ही कहा-“खाना खा लो फिर लैपटॉप चलाना। ”

इस बार राज ने शीतल की ओर देखा और फिर लैपटॉप में काम करने लगा। शीतल को राज पर गुस्सा भी आ रहा था और उसे भूखा भी नही देखा जा रहा था। वो फिर बोली-“खाना खा लो…………”कहते-कहते वो भावुक हो गयी और आगे के शब्द कह नही पाई। इस बार फिर राज शीतल की ओर देखे बिना नही रह पाया, उसने शीतल की रोनी सूरत देखी तो खाना खाने लगा पर शीतल से कुछ बोला नही। शीतल की आँख से आँसू बहने लगे। राज खाना खाने के बाद फिर से लैपटॉप चलाने लगा।

“तुम मुझे इतना रुलाते क्यों हो?” शीतल ने कहा।

राज ने उसकी बात पर कोई ध्यान नही दिया और लैपटॉप में इंटरनेट चलाने लगा। शीतल उसके बगल में बैठ गयी पर राज ने उसकी ओर देखा भी नही। शीतल ने लैपटॉप बंद करके एक किनारे रख दिया,राज फिर भी कुछ नही बोला और वहीं लेट गया।

“मुझे माफ़ कर दो,” शीतल ने राज से कहा।

“सुबह बात करेंगे,” राज ने कहा।

राज लेट कर सो गया पर शीतल की आखों में नींद कहाँ थी वो देर रात तक जागती रही,उसे अपने आप पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि क्यों उसने राज पर चीखा?

उसे रात में कब नींद आ गयी उसे पता भी नही चला। सुबह जब वो उठी तो देखा की राज घर में नही था। शीतल ने खाना नही बनाया और अपने ऑफिस चली गयी। शाम को 7बजे ऑफिस से वापस आई तब भी राज नही आया था। राज रात के 11बजे आया।

“कहाँ गये थे?” शीतल ने पूछा।

“काम ढूढ़ने।”

शीतल कुछ नही बोली और उसे खाना निकालकर दे दिया। खाना खाने के बाद राज लैपटॉप चलाने लगा।

“तुम हर समय लैपटॉप में क्या करते हो?”शीतल ने पूछा।

“कुछ नही।”

“कुछ नही क्या……? कुछ तो करते ही होगे।”

“मैं इस शहर की लैपटॉप और कंप्यूटर की बड़ी दुकानों के बारे में पता करता हूँ,” राज ने कहा।

“क्यों?”

“मैं पता कर रहा हूँ की ऐसा कौन सा शोरुम है जिसकी सबसे कम कमाई होती है और लागत ज़्यादा है। मैं उन शोरुम से एक डील करूँगा,” राज ने कहा।

“कैसी?”

“तुम ज़्यादा कुछ मत पूछो,बस इतना समझ लो की अब हमारे पास पैसों की कोई कमी नही होगी,”राज ने कहा।

शीतल राज के सहारे उसके बगल में बैठ गयी,कुछ देर बाद राज ने लैपटॉप बंद कर दिया।

“मैं कल जय के साथ पार्टी में गयी थी,”शीतल ने कहा।

“तुम बता कर भी जा सकती थी,” राज ने कहा।

“मुझे खुद नही मालूम था की वो मुझे पार्टी में लेकर जाएगा,वैसे भी मैं बता कर गयी थी कि मैं जय के साथ जा रही हूँ,” शीतल ने कहा।

राज ने उससे कुछ नही कहा और सो गया। कुछ देर बाद शीतल भी सो गयी। राज हर रोज़ काम की वजह से बाहर जाने लगा था। वो पैसा भी अच्छा कमाने लगा था पर वो जितना कमाता था वो सारा फिर से उसी बिजनेस में लगा देता था।
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06-08-2020, 12:06 PM,
#22
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
एक दिन सुबह राज ने शीतल से पूछा-“आज कहीं घूमने चलोगी। ”

“नही,मैं जय के साथ जा रही हूँ,” शीतल ने कहा।

“मत जाओ,मेरे साथ चलो।”

“मैं उसे मना नही कर सकती हूँ…। वो मेरा अच्छा दोस्त है।”

“और मैं?”

“कुछ नही……………,हमारे बीच सिर्फ़ नाम का रिश्ता है और मैं तुमसे दूर नही जा रही हूँ,तुमने ही मुझे खुद से दूर किया है,”शीतल ने कहा।

राज कुछ नही बोला,कुछ देर बाद शीतल चली गयी उसके जाने के बाद राज भी चला गया। राज रात को 10 बजे घर आया,शीतल पहले से ही घर पर थी।

“तुम कहाँ गये थे?” शीतल ने पूछा।

“काम पर…। तुम कब आई?”राज ने पूछा।

“मैं तुरंत आधे घंटे में वापस आ गयी थी,”शीतल ने कहा।

“क्यों?जय के साथ जाना था।”

“नही गयी,उसे मैंने मना कर दिया। मुझे तुम्हारे साथ ही चलना था पर जब मैं वापस आई तो तुम नही थे।”

“सॉरी,मैंने सोचा तुम अब शाम को ही आओगी,राज ने कहा और वो लेट गया,शीतल उसके बगल में बैठ गयी।”

“कल कहीं चलोगे,कल मेरा बर्थडे है,”शीतल ने कहा।

“नही कल मेरे पास समय नही है।”

शीतल कुछ नही बोली। अगले दिन राज के जाने के बाद शीतल को लेने जय घर आया शीतल उसके साथ चली गयी,दिन भर उसके साथ घूमी,जय के साथ उसने अपना जन्मदिन बहुत अच्छे से मनाया। जय के साथ ही वो अपने मम्मी –पापा से मिलने गयी। शीतल बहुत खुश थी उसकी खुशी की वजह जय था जो उसका जन्मदिन इतने अच्छे से मना रहा था। अच्छा हुआ जो राज ने उसके साथ कहीं जाने के लिए मना कर दिया था नही तो वो इतने अच्छे से अपना जन्मदिन ना मना पाती। शीतल की मम्मी को भी जय अच्छा लगने लगा था।

“शीतल,अगर तुम राज के साथ खुश नही हो तो उसे तलाक़ दे दो,तुम जय के साथ ज़्यादा खुश हो,जय से शादी कर लो। जबरजस्ती अपने रिश्ते को मत खीचों,”शीतल की मम्मी ने शीतल से कहा।

शीतल कुछ नही बोली,उसने हसते हुए बात को टाल दिया। जय ने उसे डाइमंड नेक्लेस गिफ्ट किया।

शीतल रात 9 बजे घर पहुँची,राज घर जल्दी आ गया था।

“तुम आज घर जल्दी आ गये,”शीतल ने पूछा।

“काम थोड़ा कम था इसलिए,” राज ने कहा।

शीतल राज के बगल बैठ गयी,उसे पूरे दिन की कहानी सुनाने लगी,राज उसकी हर एक बात को मुस्कुराते हुए सुन रहा था। कुछ देर बाद उसने शीतल को एक सोने की अंगूठी दी।

“आज मुझे जय ने डाइमंड नेक्लेस दिया, 2-3 लाख का होगा पर मैंने उसे नही लिया इतना महँगा गिफ्ट मुझे लेना ठीक नही लगा,” शीतल ने अंगूठी पकड़ते हुए कहा।

“क्यों?”

“वो मुझे दिखाना चाहता था की वो कितना अमीर है इसलिए मैंने नही लिया पर सुंदर बहुत था,”शीतल ने कहा।
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06-08-2020, 12:07 PM,
#23
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
राज कुछ नही बोला। शीतल ने अँगूठी देखते हुए कहा-“तुम्हारे पास इतने पैसे थे,…………। क्या किसी से उधार लिए हैं?”राज कुछ नही बोला तो उसने अपनी पर्स से कुछ रुपये निकाल कर राज को दे दिए। राज ने रुपयों की ओर देखा भी नही वो ऐसे ही बिस्तर पर पड़े रहे।

“इतना खर्च करने की क्या ज़रूरत थी,अभी तो तुमने कमाना शुरू ही किया है और अभी से………,” शीतल ने कहा।

राज फिर भी कुछ नही बोला।

“मम्मी,कह रही थी कि मुझे जय से शादी कर लेनी चाहिए,मैं उसके साथ ज़्यादा खुश हूँ,” शीतल ने कहा।

“कर लो।”

“नही करनी,” शीतल ने हँसते हुए कहा।

“क्यों?”

“नही करनी बस इसलिए नही करनी।”

राज ने रुपये उठा कर वापस उसे पकड़ा दिए , पर शीतल ने वापस लेने से मना कर दिया।

“मुझे इन रुपयों की कोई ज़रूरत नही है। क्या तुम समझती हो कि मैं तुम्हे एक गिफ्ट भी खरीद कर नही दे सकता?”राज ने कहा।

“मैं तुम्हे नीचा नही दिखा रही,राज,मैं इतना कहना चाहती हूँ कि तुम्हारा हर गिफ्ट मेरे लिए खास है तुम्हें मुझे खुश करने के लिए जय की तरह दिखावा करने की ज़रूरत नही है,” शीतल ने कहा।

राज कुछ नही बोला,वो बिस्तर से उठा और मेज से केक उठा कर उसके सामने रख दिया। उसने शीतल का बर्थडे बहुत अच्छे से मनाया। घंटों वो दोनों मस्ती करते रहे। शीतल खुश थी कि राज ने उसका इतना ख्याल रखा,उसे तो उम्मीद भी नही थी कि राज ऐसा कुछ भी करेगा। शीतल के साथ रहते-रहते राज भी थोड़ा चंचल हो गया था।

जब वो सोने लगे तो शीतल ने राज को छेड़ते हुए उससे पूछा-“वैशाली कौन है?”

“कौन वैशाली?”राज ने आश्चर्य से शीतल की ओर देखते हुए कहा।

शीतल राज के बहुत पास आ गयी और उससे बोली-“वही जिसे तुम हर रोज़ फ़ेसबुक पर सर्च करते हो।

”राज का तो जैसे खून जम गया उससे कुछ भी बोला नही गया।

“मैंने तुम्हारी सर्च हिस्ट्री देखी थी,” शीतल ने कहा।

“वैशाली मेरी दोस्त थी,और कुछ नही,” राज ने कहा और अपनी आँखें बंद करके सोने लगा।

शीतल ने राज का मुँह अपने हाथों से अपनी ओर कर दिया ओर उसकी आँख खोलते हुए बोली-“मुझे सब कुछ बताओ अपने और उसके बारे में। ”

“कोई नही है,” राज ने दबाव देते हुए कहा।

“सच बताओ……। नही तो कभी बात नही करूँगी।”

“ना करो……।”

“बताओ….. सब कुछ।”

“वैशाली मेरे साथ पढ़ती थी,मैं उसे प्यार करता हूँ तब से जब मैं 11साल का था और 7 में पढ़ता था। वो बहुत सुंदर है,वो सिर्फ़ मुझसे ही बात करती थी और किसी लड़के से नही अगर मैं किसी लड़की से बात करता था वो चिढ़ जाती थी। जब वो हँसती थी तो उस समय वो मुझे बहुत सुंदर लगती थी लेकिन मुझे उससे कहने में बहुत डर लगता था क्यों कि वो सख़्त है और इस तरह की बातें उसे पसंद नही है। मैं उससे कभी कह नही पाया की मैं उससे प्यार करता हूँ पर स्कूल छोड़ने से पहले मैंने किसी से उस तक बात पहुँचा दी पर उसने साफ मना कर दिया। स्कूल छूटने के बाद हम कभी नही मिले। इसलिए उसे फ़ेसबुक पर सर्च करता हूँ,” राज ने कहा।

“आज भी उससे उतना ही प्यार करते हो,” शीतल ने पूछा।

“मालूम नही………शायद हाँ,” राज ने कहा।

“बहुत सुंदर है?” शीतल ने पूछा।

“हाँ और बहुत अच्छी भी है,” राज ने कहा।

“मुझसे भी,” शीतल ने दबी आवाज़ में कहा जैसे उसे जलन हो रही हो।

“शीतल तुम्हारी उसके साथ कोई बराबरी नही है और ना ही कभी मैंने तुम्हारी और उसकी कोई तुलना की है…………,” राज ने कहा।

शीतल कुछ नही बोली।
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06-08-2020, 12:07 PM,
#24
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
“क्या तुमने कभी किसी से प्यार किया है?” राज ने शीतल से पूछा।

“नही।“

“जय से…………,” राज ने कहा।

“नही। वो तुम्हे प्यार क्यों नही करती है?” शीतल ने पूछा।

“मैं जय जितना स्मार्ट नही हूँ कि मुझे शीतल जैसी लड़की प्यार करे,”राज ने कहा।

“फिर भी जय को मुझ जैसी लड़की नही मिली,” शीतल ने कहा।

राज कुछ नही बोला। शीतल ने अपने हाथों की पाँचो उंगली राज की उंगलियों मे फँसा दी और उसका हाथ कस के ज़कड़ लिया।

“तुमने कभी किसी से प्यार नही किया,” राज ने ज़ोर देकर पूछा।

“किया है………,” शीतल ने लड़खड़ाती आवाज़ में कहा।

“और उसने तुमसे,” राज ने पूछा।

“वो मुझ पर भरोसा करता है,मेरी देखभाल करता है,मेरे लिए सब कुछ करता है पर प्यार मुझसे …………,” शीतल चुप हो गयी।

“क्या हुआ चुप क्यों हो गयी?” राज ने पूछा।

“कुछ नही,” शीतल ने कहा और अपनी नज़रें झुका ली।

“वो तुमसे प्यार नही करता क्या?” राज ने पूछा।

“मालूम नही ! ना मुझे ना ही उसे,” शीतल ने कहा।

दोनों एक पल के लिए शांत हो गये। पूरे कमरे में एक खामोशी सी छा गयी सिर्फ़ पंखा चलने की आवाज़ आ रही थी।

“अगर तुम्हे,मुझे और वैशाली में किसी एक को चुनना हो तो तुम किसे चुनोगे?” शीतल ने राज से पूछा।

“मुझे नही मालूम………। अगर वो लड़का तुम्हे प्यार करने लगे तो क्या तुम मुझे छोड़ दोगी?”

“कुछ और बात करें,” शीतल ने कहा।

“नही,पहले जवाब दो।”

शीतल ने जवाब नही दिया। वो दोनो एक दूसरे से खुल कर बात कर रहे थे,ऐसा लग रहा था जैसे दोनो में बहुत प्यार है पर बातें दोनो ऐसी कर रहे जो कोई भी पति पत्नी शायद कभी भी ना करें। दोनों किसी और से प्यार करते थे।

“मुझे लगता था कि तुम्हें लड़कियों में कोई दिलचस्पी नही पर तुम तो…………,” शीतल कहते-कहते चुप हो गयी।

“वो है ही ऐसी की किसी को भी उससे प्यार हो जाए,……। बहुत सुंदर है वो,” राज ने कहा।

“शायद तुम उससे सच्चा प्यार नही करते,तुम सिर्फ़ उसके ……। अगर उससे सुंदर कोई मिल जाए तो शायद तुम उसे………,” शीतल ने अधूरी बात ही कही।

“मैं समझ सकता हूँ की तुम क्या कहना चाहती हो,पर मैं उससे सच्चा प्यार करता हूँ,तुम उससे बहुत ज़्यादा खूबसूरत हो पर मैंने कभी भी तुम्हे हाथ तक नही लगाया,” राज ने कहा।

शीतल की नज़रें झुक गयी,उसके पास कोई भी जवाब नही रह गया था पर उसे अच्छा भी लग रहा था की राज ने उसे सुंदर कहा और वो वैशाली से सुंदर है।

“तुम वैशाली से ज़्यादा अच्छी हो,” राज ने फिर कहा।

शीतल हल्का-सा मुस्कुरा दी और अपने बालों को ऊपर करने लगी।

“तुम अपनी जॉब छोड़ दो,”राज ने कहा।

शीतल,राज को ऐसे देखने लगी जैसे राज ने उससे ऐसा कुछ कह दिया हो जो कभी नही कर सकती थी।

“क्यों?”

“अब मैं एक दिन बहुत कमा लेता हूँ,मैं जहाँ काम करता हूँ वहाँ पर 40% की मेरी हिस्सेदारी है।“

“पर मैं जॉब करना चाहती हूँ,” शीतल ने बड़े उदास मन से ज़ोर देते हुए कहा।

“तुम पहले अपनी पढ़ाई पूरी करो और साथ ही आई.ए.एस. की तैयारी करो,” राज ने कहा।

शीतल का चेहरा कमल-सा खिल गया,अपने जिस सपने को वो भूल चुकी थी उस सपने की याद उसे राज ने दिला दी थी। उसके दिल की हर बात को राज बिना कहे ही समझ जाता था।

“ठीक है,”शीतल ने कहा।

उन दोनों को बात करते-करते सुबह के 4 बज गये। दोनों की आखों में नींद नही थी,दोनों एक दूसरे की बातों में खोए हुए थे,बात करते-करते वो कब सो गये उन्हें पता ही नही चला।
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06-08-2020, 12:07 PM,
#25
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
सुबह 10 बजे उनकी आँख खुली,राज जल्दी से तैयार हुआ और काम पर निकल गया। उसके जाने के कुछ देर बाद शीतल भी ऑफिस चली गयी। रात को राज 11बजे घर वापस आया पर शीतल घर नही आई थी वो शीतल का इंतज़ार करने लगा पूरी रात निकल गयी पर शीतल घर नही आई,सुबह राज उसे ढूढ़ने लगा हर जगह पता किया शीतल के घर गया,अपने घर पता किया,उसके ऑफिस पता किया पर कुछ पता नही चला। ऑफिस से इतना पता चला की वो कल ऑफिस आई थी और अपने टाइम से घर वापस लौट गयी थी। राज ने सुषमा से पूछा पर उसे भी कुछ नही पता था। राज ने पुलिस में भी पता किया पर किसी को कुछ भी नही मालूम था।
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8.

शाम को राज के घर उसके घर वाले, सुषमा और शीतल के मम्मी-पापा आए वो राज को समझा रहे थे,उसे दिलासा दे रहे थे।

“राज,मैंने तुमसे पहले ही कहा था की शीतल को संभाल लो नही तो……………। वो जय के साथ ही होगी,”सुषमा ने कहा।

“नही वो ऐसी नही है,” राज ने कहा।

“क्या ऐसी नही है,राज?तुम्हे छोड़ कर चली गयी है और तुम……,” राज की माँ ने कहा।

“पहले ही कहा था तुमसे की वो अच्छी लड़की नही है,ऐसी लड़की सिर्फ़ घर बर्बाद करती हैं आबाद नही,” राज की भाभी ने कहा।

शीतल के बारे में इस तरह की बाते सुनकर शीतल के मम्मी-पापा का चेहरा शर्म से झुक गया पर वो कह भी क्या सकते थे? जय और शीतल के बारे में उनकी खुद की सोच यही थी।

“राज,हमें माफ़ करना मेरी बेटी की वजह से तुम्हें इतने दुख उठाने पड़ रहे हैं पर अब तुम उसका इंतज़ार मत करो और अपने घर वापस लौट जाओ अगर वापस आती है तो उसे छोड़ देना,तलाक़ दे देना,” शीतल की माँ ने कहा।

“शीतल चरित्रहीन है राज,पहले उसने घर छोड़ा और आज पति, क्या पता अभी और कितनो को ………,” सुषमा ने कहा।

राज के पास उनकी किसी बात का कोई जवाब नही था एक बार शीतल वापस आ जाती तो सब को जवाब दे देता।

“जो लड़की किसी और लड़के को प्यार करती है तुमने उसके लिए अपना घर छोड़ दिया,हम सब से तुमने ऐसी गिरी हुई लड़की के लिए रिश्ते तोड़ लिए,” राज के पापा ने कहा।

किसी को शीतल की कोई परवाह नही थी बस सब के सब उस पर आरोप लगाते जा रहे थे। ऐसा जैसे समाज का नियम है अगर कोई लड़की एक दिन घर ना आए तो सब के सब तरह- तरह की बातें करेंगे कोई भी यह नही सोचता की शायद वो कहीं किसी मुसीबत में ना हो।

“वो जय से प्यार नही करती है ना ही वो चरित्रहीन है,”राज ने कहा।

“कब तक इस झूठे विश्वास के साथ जियोगे?मैं उसकी दोस्त हूँ मैंने उसे बहुत करीब से जाना है वो सिर्फ़ जय को प्यार करती है,तुमसे नही,” सुषमा ने कहा।

राज कुछ नही कह सका।

बहुत देर तक सब शीतल के बारे में बात करते रहे फिर सब अपने-अपने घर चले गये। राज की माँ ने उसे साथ चलने के लिए कहा पर उसने मना कर दिया।

3-4 दिन बीत गये पर शीतल का कोई पता नही चला,हर रोज़ कोई ना कोई आकर शीतल के बारे में राज को भड़कता पर राज को किसी की कोई बात से फ़र्क नही पड़ता वो बस अपनी शीतल का पता लगा रहा था उसे विश्वास था की शीतल वापस ज़रूर आएगी।

एक-दो दिन और राज ने शीतल का पता लगाने की कोशिश की फिर उसने उसका पता लगाना छोड़ दिया और अपने काम पर ध्यान देने लगा। अपने सर की मदद से उसने नया घर भी ले लिया जो बहुत बड़ा और अच्छा था लेकिन वो वहाँ रहने नही गया क्यों कि अगर शीतल वापस आएगी तो उसी घर में नये घर में नही।
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06-08-2020, 12:07 PM,
#26
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
10 दिन बीत गये पर शीतल का कोई पता नही चला इस बीच जय के बारे में भी कोई जानकारी नही मिली इसलिए सब को यकीन था की शीतल जय के साथ ही है।

एक दिन सभी लोग फिर से राज को समझाने के लिए उसके घर आए शीतल के मम्मी-पापा,राज के घरवाले और सुषमा। सब उसे शीतल को भूलने के लिए कह रहे थे पर राज को किसी की कोई बात का फ़र्क नही पड़ रहा था सब बात कर ही रहे थे की तभी शीतल आ गयी सब उसे देख कर चौंक गये। शीतल भी सभी को एक साथ देख कर सहम गयी।

“अब क्यों आई हो शीतल,फिर से राज की ज़िंदगी बर्बाद करने के लिए,हम तुम पर नाज़ करते थे और तुमने………। तुम ऐसी होगी मैंने कभी नही सोचा था अगर तुम्हे राज के साथ ऐसा ही करना था तो जब हम कहते थे तब तुमने क्यों नही उसे छोङ दिया कम से कम राज की ज़िंदगी तो ना खराब करती,” शीतल की माँ ने शीतल को देखते ही कहा।

शीतल के कदम थम से गये वो एक जगह खड़ी की खड़ी रह गयी उसकी मम्मी उसे ऐसा कुछ कहेंगी वो कभी नही सोच सकती थी कोई दूसरा कहता तो शायद वो जवाब देने की हिम्मत भी करती पर उसकी अपनी माँ ही उसके चरित्र पर उंगली उठा रही थीं,ऐसे में वो क्या कहती। उसकी आँखो से आँसू की एक बूँद ना गिरी पर उसका दिल रोने लगा था। उसे कोई सहारा देने वाला भी नही था।

“शीतल, मैंने तुम्हारी इतनी मदद की,मैं सोचती थी कि घर छोड़ना तुम्हारी मजबूरी थी पर नही ये तो तुम्हारी आदत है। तुम किसी की नही हो सकती ना तो अपने घर वालों की हुई ना ही अपने पति की और ना ही तुम जय की होगी,” सुषमा ने शीतल से कहा।

शीतल एक जगह खड़ी मूर्ति बनी हुई थी। कौन क्या? और क्यों कह रहा था? उसे कुछ भी नही समझ आ रहा था। उसकी नज़रें झुकी हुई थी उसने सिर्फ़ एक बार नज़र उठा कर राज की ओर उम्मीद के साथ देखा की राज उसके पक्ष में कुछ तो कहे पर राज ने कुछ नही कहा।

“राज को तलाक़ दे दो अब उसकी ज़िंदगी और ना खराब करो,” राज की माँ ने कहा।

“हाँ शीतल, तुम्हें राज को तलाक़ दे देना चाहिए। कम से कम वो तो अपनी ज़िंदगी सकून से जी सके,” शीतल के पापा ने कहा।

“राज, शीतल को तलाक़ दे दो,इस लड़की को किसी की परवाह नही है,इसकी वजह से अपनी ज़िंदगी बर्बाद मत करो। हम सही कह रहे हैं या ग़लत ये तुम खुद देख सकते हो,वैसे भी तुम दोनों एक-दूसरे से प्यार नही करते हो तो क्यों इस रिश्ते में बँधे हो। आज़ाद कर दो एक-दूसरे को,” राज के पापा ने कहा।

हर कोई शीतल को कुछ ना कुछ कहे जा रहा था पर ना तो शीतल ने कुछ कहा ना ही राज ने। राज किससे क्या कहता शीतल के अपने ही तो उसे बुरा कह रहे थे।
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06-08-2020, 12:07 PM,
#27
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
कुछ देर बाद हर कोई चला गया रह गये तो शीतल और राज। किसी ने एक बार भी ये नही पूछा की वो कहाँ गयी थी,कहीं किसी मुसीबत में तो नही थी बस सब ने अपना गुस्सा उस पर निकल दिया। राज उसके करीब आया उसने उसे अपने सीने से लगा लिया जैसे कोई किसी को दिलासा देने के लिए करता है। शीतल अपने आँसू को नही रोक पाई सबके जाते ही वो रोने लगी।

“चुप हो जाओ शीतल,किसी की बात का बुरा मत मानो,” राज ने कहा।

शीतल तो जैसे कहीं खो सी गयी थी उसे होश ही नही था। राज उसे अपने सहारे बेड के पास ले गया और उसे बेड पे बिठाया।

“शांत हो जाओ लोग तो कहते ही रहते इसका मतलब ये नही की तुम ग़लत हो,” राज ने कहा।

“तुम्हें मुझ पर विश्वास नही रहा,” शीतल ने खुद को संभालते हुए कहा और राज से दूर हट गयी।

“मैंने कुछ कहा,” राज बोला।

“इसी का तो अफ़सोस है कि तुमने किसी से कुछ नही कहा,” शीतल ने कहा और अपना मुँह तकिये से छुपा कर लेट गयी।

“कुछ खा लो तुम्हें भूख लगी होगी,” राज ने कहा।

“नही लगी है।”

“कुछ तो खा लो।”

शीतल ने कोई जवाब नही दिया। राज ने फिर कहा-“खा लो…। ”

ठीक उसी तरह से जैसे शीतल राज से कहती थी पर शीतल जिद्दी थी वो मानने वालों में नही थी।

“मैं तुम्हे तलाक़ देने को तैयार हूँ,” शीतल ने कहा।

“ठीक है दे देना पर अभी खाना खा लो,” राज ने कहा।

शीतल ने कुछ नही कहा और थोड़ी देर में सो गयी। उस समय शाम के 4 बज रहे थे।

जब वो सोकर उठी तो 7 बज रहे थे। राज लैपटॉप चला रहा था। वो बिस्तर से उठी और राज के पास जाकर बैठ गयी।

“अब तुम मुझे छोड़ दोगे?”शीतल ने राज से कहा।

“नही।”

“तलाक़ के बाद भी नही।”

राज कुछ नही बोला।

“वैशाली से शादी कर लेना,”शीतल ने कहा।

“पहले तलाक़ तो होने दो,फिर दूसरी शादी के बारे में सोचेंगे,”राज ने कहा।

“शीतल चुप हो गयी।”

“क्या हुआ?” राज ने पूछा।

“कुछ नही।”

राज कुछ नही बोला और लैपटॉप में फिर से काम करने लगा।

“मैं इतने दिन जय के साथ नही थी,”शीतल ने कहा।

“जानता हूँ।”

“कैसे?”शीतल ने पूछा।

राज ने कुछ नही कहा। शीतल राज के पास से हट गयी,कुछ बर्तन रखे थे उन्हें धुलने लगी। उसके बाद उसने खाना बनाया। रात को खाना खाने के बाद राज फिर से लैपटॉप चलाने लगा और शीतल एक किताब लेकर पढ़ने लगी।

“क्या हमारा अलग होना ज़रूरी है?”राज ने पूछा।

“जबरजस्ती इस रिश्ते को निभाना भी मुश्किल है,” शीतल ने कहा।

“तलाक़ के बाद तुम कहाँ रहोगी?” राज ने पूछा।
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06-08-2020, 12:07 PM,
#28
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
“पता नही,पर तुम्हारे साथ नही,” शीतल ने कहा।

“जय से शादी कर लेना,तुम्हे प्यार करता है,” राज ने कहा।

“मैं नही करती।”

“क्यों?...............वो बहुत अच्छा है,तुम उसके साथ बहुत खुश रहोगी।”

“मुझे उसके साथ नही रहना।”

“फिर कहाँ रहोगी?”

“कहीं भी रहूं,तुम्हे इससे क्या?...........वैसे तुम खुश रहोगे मेरे बिना।”

“नही जानता,और तुम?”

“नही।”

“फिर भी अलग होना चाहती हो।”

“हाँ।”

“क्यों?”

“हम दोनों के लिए यही अच्छा है और फिर हम प्यार भी तो नही करते हैं।”

“पर भरोसा तो करते हैं।”

“जाने दो,राज। सब के लिए अच्छा है।”

“क्या ? सबके लिए अच्छा है।”

“हमारा अलग होना।”

“और हमारे लिए?”

“नही पता…………। पर अब मैं तुम्हे और दुख नही देना चाहती।”

“तुम मेरी पत्नी और फिर थोड़े दुख तो सबको उठाने ही पड़ते हैं।”

“जो भी हो मैं साथ नही रह सकती।”

राज शांत हो गया। शीतल के पास उसकी हर बात का जवाब था। उससे बात करने से कोई फ़ायदा नही था,वैसे भी वो जिद्दी थी किसी की कहाँ सुनती थी।

“कल से हम दूसरे घर में रहेंगे,” राज ने कहा।

“ठीक है,” शीतल ने कहा।

शीतल आँखें बंद करके लेट गयी। राज ने भी लैपटॉप बंद कर दिया। शीतल के बर्ताव में रूखापन था। वो राज पर गुस्सा नही कर रही थी लेकिन उसकी बातों में अपनापन भी नही था।
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06-08-2020, 12:07 PM,
#29
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
अगले दिन से दोनों नये घर में रहने लगे। वो घर बहुत बड़ा और बहुत सुंदर था किसी बंगले से कम नही था।

दो दिन बीत गये इस बीच दोनों ने एक-दूसरे कोई बात नही की। राज ने कई बार कोशिश की पर शीतल कोई बात नही करती।

शीतल और राज के तलाक़ के बारे में जय को पता चल गया था उसने तलाक़ के कागज तैयार करा लिए। जय ने शीतल के मम्मी-पापा से अपनी और शीतल की शादी की बात कर ली थी। जय ने शीतल को तलाक़ के कागज दे दिए।

“इन कागज पर तुम दोनों अपने साइन कर देना और अगले दिन तुम दोनों की कोर्ट में सुनवाई है,”जय ने शीतल से कहा।

शीतल जय से कुछ नही बोली। उसने उससे कागज लिए और घर चली आई। राज घर पर नही था। वो शाम को 7 बजे घर आया। वो बहुत थका हुआ लग रहा था इसलिए शीतल ने उससे कुछ नही कहा। सोते समय शीतल ने उसे तलाक़ के कागज पकड़ा दिए।

राज ने एक पल का समय लिए बिना उस पर साइन कर दिया। शीतल को तो यकीन ही नही हो रहा था की राज इतनी जल्दी साइन कर देगा। उसे लगा था कि शायद राज एक बार उससे बात करेगा पर राज ने तो………।

शीतल ने खुद साइन नही किए थे। राज ने साइन करके कागज वहीं मेज पर रख दिए। शीतल की हिम्मत उन्हें उठाने की नही हुई। वो आँख बंद करके लेट गयी और जब राज सो गया तब उसने उन कागज को देखा। कुछ देर देखती रही फिर बिना साइन किए सो गयी।

अगले दिन सुबह 10 बजे किसी ने घंटी बजाई उस समय राज नहा रहा था और शीतल कुछ काम रही थी। शीतल ने दरवाजा खोला बाहर जय,सुषमा,शीतल के मम्मी-पापा और राज के मम्मी-पापा खड़े थे शायद जय सब को कोर्ट चलने के लिए लेकर आया था।

“तुम अभी तक तैयार नही हुई,कोर्ट में 11 बजे पेशी है,”जय ने शीतल की अस्त-व्यस्त हालत देखकर कहा।

“मुझे कहीं नही जाना,” शीतल ने कहा।

“क्यों?” जय ने पूछा।

“बस ऐसे ही,”शीतल ने कहा।

“तलाक़ के कागज ले आओ,” जय ने कहा।

शीतल अंदर से तलाक़ के कागज ले आई। उसने कागज जय के हाथ में थमा दिए।

“तुमने साइन क्यों नही किए,” जय ने कागज देखते हुए कहा।

“मुझे तलाक़ नही देना,” शीतल ने कहा।

“क्यों?” शीतल की माँ ने कहा।

“मैं राज के साथ ही खुश हूँ,” शीतल ने कहा।

“और राज?” राज की माँ ने पूछा।

“वो भी खुश है,” शीतल ने कहा।

“तुम उसे तलाक़ क्यों नही दे रही?क्यों उसकी ज़िंदगी बर्बाद कर रही हो?” शीतल की माँ ने थोड़ा गुस्सा करते हुए कहा।

शीतल कुछ नही बोली।

“तुम खुश नही हो ,शीतल,”जय ने कहा।

“मैं बहुत खुश हूँ,” शीतल ने कहा।

“दो दिन बाद तुम उसे फिर से छोड़ कर किसी के साथ चली जाओगी उससे अच्छा है की आज ही उसे छोड़ दो,” सुषमा ने कहा।

“तुम सब मेरे तलाक़ के पीछे क्यों पड़े हो?हम कैसे जी रहे हैं?किसी को क्या मतलब है?जब हमें मदद की ज़रूरत थी तब तो कोई नही सामने आया था,” शीतल ने कहा और उसने जय से तलाक़ के कागज लेकर उसे फाड़ दिया।

“तुम पागल तो नही हो गयी हो, शीतल तुम बहुत ग़लत कर रही हो,” जय ने कहा।

“मैं कुछ ग़लत नही कर रही हूँ बस अपने रिश्ते को टूटने से बचा रही हूँ,” शीतल ने कहा।

“तुम मुझसे प्यार करती हो तो फिर क्यों इस रिश्ते को बचाना चाहती हो?” जय ने पूछा।

शीतल को जैसे 5000 वोल्ट का करेंट लग गया हो वो एकदम से गुस्से में आ गयी।

“मैं तुमसे प्यार नही करती,” शीतल ने अपने गुस्से को दबाते हुए कहा।
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06-08-2020, 12:07 PM,
#30
RE: ये कैसी दूरियाँ( एक प्रेमकहानी )
“करती हो,शीतल,तभी तो तुम मेरे साथ कहीं भी चली जाती थी,मेरी हर बात मानना,मेरे साथ हँसना-बोलना ये सब क्या था? शीतल,”जय ने थोड़ा गुस्सा करते हुए कहा।

“हाँ शीतल,अगर तुम जय को प्यार नही करती थी तो फिर उसको इतना समय क्यों देती थी?”सुषमा ने कहा।

“मैंने कभी नही कहा की मैं जय से प्यार करती हूँ,अगर जय के साथ ज़रा सा हँस-बोल लिया तो इसका मतलब ये नही कि मैं उसे प्यार करने लगी। मैं जय को सिर्फ़ दोस्त मानती हूँ। बोलते तो हम अपने रिश्तेदारों से भी हैं इसका मतलब ये नही की हम उनसे शादी कर ले। पति की बजाय हम कई बार अपने परिवार वालों,दोस्तों को प्राथमिकता देते हैं इसका मतलब की मुझे अपने पति से प्यार नही। मुझ पर उंगलियाँ इस लिए उठ रही हैं क्योंकि मैं एक लड़की हूँ,” शीतल ने कहा।

“तुम धोखा दे रही हो शीतल,”राज के पापा ने कहा।

“किसे धोखा दे रही हूँ?मैं किसी को धोखा नही दे रही राज को सब-कुछ पता है मैं जय के साथ कहाँ गयी?उससे क्या बात की?सब कुछ। मैं राज को हर एक बात बताती हूँ फिर कैसा धोखा। हम तलाक़ नही चाहते आप सब के दबाव में हम तलाक़ देने को तैयार हुए थे,” शीतल ने कहा।

कुछ पल तक कोई कुछ नही बोला तो शीतल फिर बोली-“सुषमा तुम कहती हो की मेरी दोस्त हो,दोस्त कभी अपने दोस्त का घर नही जलाते। राज मेरी कमाई नही ख़ाता है उसने मुझे बनाया है और राज को कुछ भी कहने की तुम्हें कोई ज़रूरत नही है। सब को मेरे खिलाफ तुमने ही तो भड़काया है। ”

सुषमा कुछ नही कह सकी ना ही कोई और कुछ कह सका।

“मम्मी,मैं बदचलन नही हूँ। ना मैं राज की जिंदगी बर्बाद कर रही हूँ। 19 साल में आप मुझे इतना नही समझ सकीं जितना राज ने 6-7 महीनो में समझ लिया। अच्छा होगा आप सब यहाँ से चले जाए,” शीतल ने कहा।

“तुम राज से नही पैसों से प्यार करती हो,शीतल। जब राज के पास नही थे तो मुझसे दोस्ती और अब राज के पास पैसे हैं तो मुझे छोड़ दिया,” जय ने कहा।

“ऐसा कुछ नही है,” शीतल ने कहा।

“ऐसा ही है तभी तो दो दिन पहले तुम तलाक़ के लिए तैयार थी लेकिन इस घर में आते ही तुमने फ़ैसला बदल दिया,” राज की माँ ने कहा।

“तलाक़ ना लेने का फ़ैसला मेरा और राज दोनों का है,” शीतल ने कहा।

“तो फिर राज ने साइन क्यों किये?” जय ने कहा।

शीतल से कुछ भी बोलते नही बना वो चुप हो गयी। राज घर के अंदर से सभी की बाते सुन रहा था।

“राज तुमसे प्यार नही करता तुम जबरजस्ती उसके गले में पड़ी हो,” राज के पापा ने कहा।

राज तब तक घर के बाहर आ गया था।
“शीतल को कोई कुछ भी ना कहे,हम दोनों ने सोच समझ कर ये फ़ैसला लिया है,” राज ने कहा।

“ये तुम्हे धोखा दे रही है,” राज की माँ ने कहा।

“किसी को धोखा नही दे रही है,ना ही शीतल को पैसे चाहिए,” राज ने कहा।
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