Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
12-20-2019, 12:44 PM,
#21
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
तीनो चाइ पीने लगे और आपस मे बातें कर रहे थे

दादी: अर्रे ओ शांति

शांति: जी आई मा जी (शांति डाइनिंग टेबल के पास आकर दादी से पूछती है)

दादी: शांति ऐसे कर तू रात का खाना भी अभी बना दे और फिर घर चली जाना तू भी दो दिन से अपने घर नही गयी है
शांति: ठीक है माँ जी

और शांति किचन मे जाकर रात के खाने की तैयारी करने लगी चाइ पीकर गुरमीत और लकी अपने -2 रूम मे चले गये गरमी और सफ़र की थकान के कारण उनको काफ़ी थकावट हो गयी थी दोनो थोड़ी देर के लिए सो गये

रात के 9 बजे लकी की आँख खुली उसने घड़ी मे टाइम देखा और जल्दी से बेड से उतर कर नीचे हाल मे आ गया नीचे एक दम सन्नाटा पसरा हुआ था लकी सीधा दादी के रूम मे गया दादी बेड पर लेटी हुई थी

दादी: (लकी को देखते हुए) उठ गया बेटा

लकी: जी दादी आप ने खाना खाया कि नही

दादी: मेने तो खा लिया तुझे तो पता है मुझसे सीडीया नही चढ़ि जाती इसीलिए मे तुम्हें उठाने नही आई मेने गेट लॉक कर दिया अब तू अपना और गुरमीत का खाना ऊपेर ही लेजा

लकी: और शांति कहाँ है

दादी: तेरे सामने तो ही कहा था वो अपने घर गयी हैं दो दिन से नही गयी थी

लकी: ठीक है दादी आप सो जाओ मे खाना खुद ही ले लेता हूँ

और लकी ने किचन मे जाकर अपने और गुरमीत के लिए खाना लिया और ऊपेर आ गया ऊपेर आकर उसने गुरमीत के रूम के डोर को नॉक किया पर कोई जवाब नही आया लकी ने डोर को धकेला तो डोर खुल गया लकी अंदर आ गया गुरमीत बेड पर लेटी हुई थी शायद अभी भी नही जागी थी गुरमीत ने ब्लू कलर की शॉर्ट नाइटी पहनी हुई थी जो उसकी जाँघो को भी छुपा नही पा रही थी लकी ने अंदर से डोर को लॉक किया और खाने की प्लेट को टेबल पर रख दिया और गुरमीत के पास बेड पर जाकर बैठ गया उसकी नज़र गुरमीत के हसीन चहरे से हट नही रही थी लकी गुरमीत के ऊपेर झुक गया और उसको बालों को उसके फेस पर से हटा कर अपने हाथ को गुरमीत के गाल पर रख दिया गुरमीत की नींद टूटी उसने अपनी आँखों को खोला और सामने लकी के चहरे को देख कर मुस्कुराने लगी गुरमीत ने बड़ी अदा से अंगड़ाई ली और लकी के गले मे बाहें डाल दी लकी ने झुक कर उसके होंटो को अपने होंटो मे ले लिया गुरमीत भी अपने होंटो को ढीला छोड़ कर लकी से अपने होंटो को चुसवाने लगी 2 मिनट किस करने के बाद लकी ने गुरमीत को उठा कर बैठा दिया और खाने की प्लेट को बेड पर ले आया गुरमीत लकी को देख कर मुस्कुराए जा रही थी

लकी: क्या हुआ ऐसे क्यों देख रही हो

गुरमीत; लकी क्या तुम शादी के बाद भी मेरा ऐसे ही ख़याल रखोगे

लकी: हां क्यूँ नही बस तुम एक बार मेरी दुल्हन बन कर इस घर मे आ जाओ चलो अब खाना खा लो

गुरमीत: नही मुझ भूख नही है

लकी: भूख तो मुझे भी नही पर थोड़ा सा खा लो

दोनो खाने लगे खाने के बाद लकी झूठे बर्तनो को नीचे किचन मे रख कर वापिस आ गया गुरमीत रूम मे एक खिड़की के पास खड़ी हो कर बाहर देख रही थी लकी ने उसे पीछे से आकर बाहों मे भर लिया गुरमीत ने भी लकी के हाथों के ऊपेर अपने हाथ रख दिए

गुरमीत: लकी जब से तुम मेरी जिंदगी मे आए हो मेरी दुनिया रंगीन हो गयी है पहले तो मेरी जिंदगी बेजान सी थी

लकी: (लकी ने खिड़की को बंद किया और गुरमीत को अपनी बाहों मे उठा लिया ) तुम आगे देखते जाओ मैं तुम्हारी जिंदगी मे दुनिया के सारे रंग भर दूँगा (और लकी गुरमीत को अपने बाहों मे उठा कर बेड पर लेटा दिया)


गुरमीत के दिल की धड़कन बढ़ने लगी लकी बेड के पास खड़ा था उसने अपनी शर्ट के बटन खोलने चालू कर दिए गुरमीत लकी को देख कर शरमा रही थी लकी ने एक बाद एक सारे कपड़े उतार दिए अब वो सिर्फ़ अंडरवेर मे था जो आगे से उभरा हुआ था जैसे ही गुरमीत के नज़र लकी के उभरे अंडरवेर पर गई उसके बदन मे सरसराहट होने लगी लकी ने अपना अंडरवेर भी उतार दिया गुरमीत की आँखें लकी के फन्फनाते लंड पर ठहर गयी एक पल देखने के बाद गुरमीत ने शरमा कर अपनी आँखें बंद कर ली लकी बेड पर चढ़ कर गुरमीत की तरफ करवट के बल लेट गया और गुरमीत को अपनी तरफ खींच कर उसे अपने से चिपका लिया और गुरमीत के होंठो पर अपने होंठो को रख दिया गुरमीत मस्त होने लगी लकी ने गुरमीत को अपने ऊपेर खींच लिया अब लकी गुरमीत के नीचे लेटा हुआ था गुरमीत की टाँगें लकी की जाँघो के दोनो तरफ थी लकी ने गुरमीत के होंठो को चूस्ते हुए उसकी शॉर्ट नाइटी को उसकी कमर तक चढ़ा दिया और उसकी पैंटी मे हाथ डाल कर उसके चुतड़ों को पकड़ कर सहलाने लगा गुरमीत के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी उसका पूरा बदन काँपने लगा चूत के फाँकें और छेद फुदकने लगा गुरमीत लकी के छाती से एक दम चिपक गयी लकी ने गुरमीत के दोनो चुतड़ों को पकड़ कर फैला दिया

गुरमीत: (अपने होंठो को लकी के होंठो से अलग करती हुई) ओह लकी क्या कर रहे हो मुझे यूँ शर्मिंदा तो ना करो

लकी ने अपने एक हाथ के उंगली को गुरमीत की गान्ड के छेद पर लगा दिया और रगड़ने लगा जैसे -2 लकी की उंगली गुरमीत की गान्ड के छेड़ पर रगड़ खाती गुरमीत के कमर उसी तरह झटके खाने लगती

गुरमीत: अहह ओह लकी नही आ अहह अहह ओह नहियीई

लकी ने अपने दोनो हाथों को गुरमीत की पैंटी से निकाला और गुरमीत की नाइटी को पकड़ कर ऊपेर करने लगा गुरमीत इस कदर चुदास से भर गयी थी उसने अपनी नाइटी को निकाल कर फर्श पर फेंक दिया

गुरमीत: ओह लकी अब बर्दास्त नही होता (और गुरमीत ने अपने ब्रा के हुक्स को खोल कर ब्रा उतार दी गुरमीत की 38 साइज़ की गोरे रंग की चुचियाँ उछल कर बाहर आ गयी लकी ने उसे अपने ऊपेर खींचा और उसे अपने ऊपेर लिए हुए करवट बदल कर खुद गुरमीत के ऊपेर आ गया )

लकी: बर्दास्त तो मुझसे भी नही हो रहा जान

और लकी गुरमीत को चुचि को मुँह मे ले लिया गुरमीत के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी उसकी चुचियों के निपल एक दम तन चुके थे लकी पूरे ज़ोर से गुरमीत की चुचियों को चूस रहा था गुरमीत की चूत से पानी आने लगा लकी का तना हुआ लंड पैंटी के ऊपेर से गुरमीत की चूत की फांकों पर रगड़ खा रहा था गुरमीत ने लकी को अपनी बाहों मे कसा हुआ था

गुरमीत: लकी ओह्ह्ह्ह हन्ंनणणन् मेरे निपल्स को ऐसे ही चूस्ते रहो ओह बड़ा मज़ा आ रहा है ओह लकी और ज़ोर से चूसो अहह ये सब तुम्हारा ही है लकी अहह

गुरमीत अपने दोनो हाथों को नीचे ले जाकर अपनी पैंटी को उतारने लगी पर वो पैंटी को सिर्फ़ अपने जाँघो तक ही सरका पे क्यों कि लकी उसके ऊपेर लेटा हुआ था लकी ने गुरमीत की चुचि को मुँह से निकाल कर दूसरी चुचि को मुँह मे ले लिया और चूसने लगा गुरमीत ने अपने एक हाथ से लकी लंड को पकड़ और अपनी चूत पर रगड़ने लगी

गुरमीत: अहह ओह लकी जल्दी घुसा ना ओह मुझ रहा नही जा रहा जल्दी घुसाओ अपना लौडा मेरी फुद्दि मे अहह

लकी सीधा ने सीधा होकर जाँघो मे अटकी पैंटी को निकाल दिया और अपने फन्फनाते लंड के सुपाडे को गुरमीत की चूत के छेद पर टिका दिया

लकी: घुसाऊं

गुरमीत ने अपनी आँखें बंद कर ली और अपनी होंठो को अपने दाँतों से काटते हुए हां मे सर हिला दिया लकी गुरमीत की जाँघो को पकड़ कर एक ज़ोर दार झटका मारा लंड गुरमीत के नाज़ुक छूट के दीवारों को फैलता हुआ अंदर घुस्स गया गुरमीत के मुँह से घुटि हुई चीख निकल गयी गुरमीत ने गहरी साँसें लेते हुए अपनी आँखों को खोला और लकी की तरफ देखा

गुरमीत: तुम्हें मुझ पर ज़रा भी तरस नही आता

लकी: इसमे मेरा क्या कसूर है तुम्हारी चूत को देख मेरा लौडा बेकाबू हो जाता है

और लकी गुरमीत के ऊपेर झुक गया और होंठो को चूसने लगा गुरमीत ने अपने बाहों को लकी के गले मे डाल लिया वो लकी के बालों और पीठ को सहला रही थी लकी नीचे धीरे-2 अपनी कमर हिलाने लगा लंड चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बाहर होने लगा गुरमीत अपने होंठो को फैला कर लकी से चुस्वा रही थी लकी बारी -2 गुरमीत के दोनो होंठो को अपने होंठो मन लेकर चूस रहा था गुरमीत अब एक दम गरम हो चुकी थी और उसने अपनी टाँगों को फैला कर ऊपेर उठा कर लकी की कमर पर रख लिया लंड जड तक अंदर जाने लगा और गुरमीत की बच्चेदानी पर चूत करने लगा
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12-20-2019, 12:44 PM,
#22
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
गुरमीत: (जैसे ही लकी ने अपने होंठो को हटाया ) लकी में बता नही सकती मुझ कितना अच्छा लग रहा है दिल चाहता है कि तुम हमेशा मेरे होंठो को यूँ ही चूस्ते रहो जब तुम मेरे होंठो को चूसना बंद कर देते हो तो मेरे होंठो मे सरसराहट होने लगती मन करता है एक बार फिर तुम इन्हे चूसो ओह्ह लकी तुमने मुझे क्या बना दिया है लकी मेरे होंठो के प्यास क्यों नही बुझती इन्हे और चूसो इतना कि ये एक दम बेजान पड़ जाए

लकी ने एक बार फिर से गुरमीत के होंठो को अपने होंठो मे ले लिया और पूरे जोश और मस्ती से चूसने लगा गुरमीत अपनी कमर को नीचे से ऊपेर की तरह उचाकने लगी गुरमीत के हाथ तेज़ी से लकी की पीठ को सहला रहे थे दोनो तरफ आग बराबर लगी हुई थी लकी अब बीच -2 मे गुरमीत के होंठो को काटने लगा जिसे गुरमीत को दर्द का अहसास होने लगा और उसके मुँह से सीईईईईईई की आवाज़ निकल गयी

लकी: क्या हुआ ज़्यादा ज़ोर से काट गया

गुरमीत ने लकी की आँखों मे देखा गुरमीत की आँखों मे वासना और कामुकता की लहरे हिलोरे ले रही थी मस्ती का नशा उसकी आँखों मे भरा हुआ था गुरमीत ने ना मे सर को हिला दिया और लकी के फेस को पकड़ कर अपने होंठो को फिर से लकी के होंठो के पास ले जाने लगी

गुरमीत: लकी मैने कहा ना ये गुरमीत पूरी की पूरी तुम्हारी है

और दोनो पागलों की तरहा एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे लकी एक हाथ ऊपेर ले जाकर गुरमीत की चुचियों को मसलने लगा अब लकी के अपने धक्कों की रफ़्तार तेज होने लगी थी लंड फॅक-2 की आवाज़ से अंदर बाहर होने लगा गुरमीत भी लकी का लंड अपनी गान्ड उछाल-2 कर ले रही थी दोनो की जाँघो के आपस मे टकरा कर हॅप-2 की आवाज़ कर रही थी

गुरमीत: अहह ओह लकी अहह अहह उंह अहह बहुत्त्त्त मजा एयाया रहा हाईईईई अहह अहह सीईईईईईईईईईई उंगगगगगगगगग अहह मे अब एकक पलल्ल्ल्ल क्ीई लईईए तुम्हारे बिना नही रह पाउन्गी ओह लकी और जोर्र्र्ररर सीईई चोदो ओह्ह्ह लकी मेरी फुदीई मैिईन्न्न्न् पाणिीई आनीई वाला है ओह्ह्ह्ह हाई ओह मररर देताआआ अहह

और गुरमीत की चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया लकी ने भी अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी गुरमीत का बदन एक दम से ऐंठ गया था लकी भी झड़ने के बिकुल करीब पहुँच गया था और उसके लंड ने वीर्य की बोछार करके गुरमीत की चूत की दीवारों को भीगोना चालू कर दिया वीर्य की हर पिचकारी के साथ गुरमीत की चूत की दीवारें सिकुड और फेल रही थी लकी गुरमीत के ऊपेर निढाल हो कर गिर गया गुरमीत ने लकी के बालों को सहलाते हुए उसके होंठो को चूमना चालू कर दिया गुरमीत के फेस एक्सप्रेशन उसकी संतुष्टि को बयान कर रही थी.. दोनो एक दम नंगे बेड पर एक दूसरे से लिपटे लेटे रहे…

लकी गुरमीत के ऊपेर निढाल हो कर गिर गया गुरमीत ने लकी के बालों को सहलाते हुए उसके होंठो को चूमना चालू कर दिया गुरमीत के फेस एक्सप्रेशन उसकी संतुष्टि को बयान कर रहे थे.. दोनो एक दम नंगे बेड पर एक दूसरे से लिपटे लेटे रहे…

गुरमीत: लकी एक बात बताओ मैं क्यों अब एक पल के लिए भी तुम्हारे बिना नही रह पाती हर वक़्त तुम्हें ही याद करती हूँ

लकी: (हंसते हुए) मुझे या मेरे लंड को

गुरमीत: (लकी की चेस्ट पर हाथ मारते हुए) तुम भी ना

लकी: ओके ओके पर मुझे नही पता मैं भी तो दिन रात तुम्हारे ही ख़यालों मे खोाया रहता हूँ

गुरमीत: झूठ

लकी: नही सच मे सारा टाइम तुम्हारे बारे मे सोचता रहता हूँ

गुरमीत; ओह्ह लकी आइ रीयली लव यू

और लकी गुरमीत के होंठो को अपने होंठो मे ले लेता है और चूसने लगता है लकी ने अपना एक हाथ गुरमीत की छूट के क्लिट पर लगा कर उसे अपने अंगूठे से मसलना चालू कर दिया गुरमीत फिर से मस्त होने लगी

गुरमीत: ऑश लकी वहाँ नही नही मुझ कुछ होता है

लकी: क्या होता है

गुरमीत: आह मुझ नही पता लकी ओह्ह ओह्ह्ह्ह नही लकी बस करो आहह

लकी ने थोड़ा सा नीचे होकर गुरमीत के एक निपल को मुँह मे ले लिया और चूसने लगा गुरमीत मस्ती मे आकर अपने हाथों के नाख़ून से लकी की पीठ को कुरदेने लगी लकी को अपनी पीठ पर कुछ जलन सी महसूस हुई पर दोनो वासना के समुंदर मे इस कदर डूबे हुए थे उन्हे किसी बात की परवाह नही थी लकी बारी-2 दोनो निपल्स को चूस रहा था गुरमीत के निपल्स एक दम तन चुके थे…

गुरमीत: अहह ह अहह लकईयीयैआइ वहाँ से हाथ हटा लू ओह्ह्ह्ह नही लकी आह अह्ह्ह्ह हाए रब्बा ऑश ओह

गुरमीत की चूत मे पानी आने लगा उसकी चूत की खुजली एक बार फिर से बढ़ चुकी थी लकी गुरमीत की चुचियों को नीचे की तरफ होने लगा वो गुरमीत के पेट को चूमता हुआ नीचे आने लगा और अपनी जीभ से गुरमीत की गहरी नाभि को चाटने लगा गुरमीत एक दम मचल उठी उसकी सिसकारियाँ पूरे कमरे मे गूँज रही थी…थोड़ी देर गुरमीत की नाभि को चूमने के बाद लकी और नीचे की तरफ जाने लगा…गुरमीत का दिल आज से पहले इतनी तेज़ी से कभी नही धड़का था….लकी ने गुरमीत की जाँघो को फैला कर घुटनो से मोड़ कर ऊपेर उठा दिया गुरमीत की चूत का छेद लकी की आँखों समें खुल सा गया…जो गुरमीत के काम रस से एक दम भीगा हुआ था…लकी ने अपने हाथों के अंगूठों से गुरमीत की चूत की फांकों को फैला दिया….

गुरमीत: अह्ह्ह्ह अहह लकी क्या कर रहे हो ऐसे ना देखो मुझ शरम आती है…
और गुरमीत अपने दोनो हाथों से अपनी चूत को छुपाने की कॉसिश करने लगी..पर लकी ने गुरमीत के हाथों को हटा दिया …गुरमीत की चूत का छेद लकी की आँखों के सामने सिकुड और फेल रहा था…लकी ने झुक कर अपने होंठो को गुरमीत की चूत की फांकों के बीच मे लगा दिया जैसे ही लकी के होन्ट गुरमीत की चूत के छेद पर लगे तो गुरमीत एक दम से सिहर उठी उसका बदन ऐंठ गया…और उसकी गान्ड गद्दे से 4 इंच ऊपेर हवा मे उठ गयी उसने अपने हाथों से अपने बालों को नोचना शुरू कर दिया… गुरमीत अपने आप काबू ना रखी सकी और ज़ोर ज़ोर से सिसकारिया उसके मुँह से निकलने लगी

गुरमीत: ओह्ह्ह लकी नही नही आह आह अहह ईए लड़काअ आह मुझीए पागल्ल्ल कार्क्ीई अहह अहह अहह नहियीई ओह ओह लकी नही ओह्ह्ह्ह नहिी ओह ओह उंघ उंघह

गुरमीत ने अपने होंठो को अपने दाँतों मे भींच लिया उसकी कमर हवा मे उठी हुई झटके खा रही थी जिससे उसकी चूत का छेद लकी के होंठो पर रगड़ खाने लगा गुरमीत के चूत से पानी आने लगा…पर लकी ने अपने होंठो को वहाँ से नही हटाया …
और थोड़ी देर बाद उसने गुरमीत की चूत की क्लिट को अपने होंठो मे ले लिया और चूसने लगा…गुरमीत से बर्दाश्त करना मुस्किल हो रहा था वो बेड पर छटपटा रही थी उसकी कमर झटके खा रही थी…पर लकी किसी बात पर ध्यान दिए बगैर गुरमीत की चूत की क्लिट को चाट रहा था….गुरमीत इस दौरान एक बार झड चुकी थी…और दुबारा गरम हो चुकी थी …. लकी ने अपने होंठो को उसकी चूत से हटाया और उसकी जाँघो को घुटनो से पकड़ कर अपने लंड के सुपाडे को उसकी चूत के छेद पर टिका दिया… और झुक कर उसके निपल को होंठो मे ले लिया और चूसने लगा…गुरमीत ने अपने होंठो को दाँतों मे भींचे अपनी चूत को ऊपेर की तरफ उछाला लंड चूत के दीवारों को फैलाता हुआ एक ही बार मे अंदर घुस गया…और सीधा गुरमीत की बच्चे दानी के मुँह से जा टकराया गुरमीत के मुँह से आहह निकल गयी वो आह जो किसी प्यासी की प्यास बुझाने के बाद उसके मुँह से निकलती है…गुरमीत ने अपनी बाहें लकी की पीठ पर कस ली…लकी बिना हिले गुरमीत के दोनो निपल्स को बारी-2 चूस रहा था…बाकी काम गुरमीत खुद नीचे लेटे कर रही थी गुरमीत अपनी चूत को ऊपेर की तरफ उछल कर लकी के लंड को अपने चूत मे अंदर बाहर कर रही थी………..
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12-20-2019, 12:44 PM,
#23
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
गुरमीत: ओह लकी अहह अहह करोनन्न नाआआआ ओह ओह अहह सीईईईईईईईईईई उहह सीईईईईई सीईईईईईईई अहह अहह ओह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह करो ना जल्दी करो

लकी से भी गुरमीत की टाइट चूत की गरमी बर्दास्त नही हुई और वो भी गुरमीत की चूत मे लंड को अंदर बाहर करने लगा पूरे कमरे मे फॅक फॅक और गुरमीत की सिसकारियों ने मोहोल को गरम बना दिया था दोनो अपनी तरफ से अपनी कमर हिला रहे थी लंड अंदर बाहर हो रहा था लकी के लंड के सुपाडे का घर्सन गुरमीत अपनी चूत की दीवारों पर महसूस करके दूसरी बार झड़ने के करीब थी और अपनी चूत को और तेज़ी से लकी के लंड पर पटकने लगी……

गुरमीत: अहह अहह ह अहह लुक्कयययी मेरीए फुडीईई अहह पानी छोड़ने वाली है अहह अहह

लकी: मेरा भी निकलने वाला है अहह

और दोनो कुछ ही धक्कों के बाद झड़ने लगी लकी का वीर्य गुरमीत को अपनी बच्चे दानी मे भरता हुआ महसूस हो रहा था …कुछ देर बाद दोनो शांत पड़ गये

जैसे ही दोनो की साँसे दुरस्त हुई.....दोनो फिर से एक दूसरे को किस करने लगी...

गुरमीत (शरमाते हुए) लकी जिस तरह तुम मुझ रोज चोदने लगे हो...मुझ लगता है...मे जल्दी ही पेट से हो जाउन्गी...

लकी: तो क्या हुआ..जान हम जल्द ही शादी कर लेंगे....मे तुम्हारे बिना अब एक पल भी नही रह सकता

और लकी ने फिर से गुरमीत के होंठो को अपने होंठो मे ले लिया....लकी का लंड सिकुड कर गुरमीत की चूत से बाहर आ चुका था...दोनो एक दूसरे ऐसे लिपटे हुए थे...जैसे नाग नागिन का जोड़ा हो....

लकी पलट कर गुरमीत की बगल मे आकर लेट गया....गुरमीत ने लकी की तरफ करवट बदल ली...और लकी के हाथ को पकड़ कर अपने तने हुए निपल पर रख दिया...लकी अपनी आँखें बंद किए लेटा हुआ था....

गुरमीत: क्या हुआ नींद आ रही है ?

लकी: हां अब मुझ सोने दो....

गुरमीत: क्या इतनी जल्दी सोना है....

लकी: ओरर क्या करना है तुम्हें.......सारी रात सेक्स के मूड मे हो...

लकी ने अपनी आँखें खोली और, गुरमीत की तरफ देखा.... गुरमीत ने शरमाते हुए हां मे सर हिला दिया...लकी ने गुरमीत को अपनी तरफ खींच कर अपने से सटा लिया...गुरमीत ने अपनी एक टाँग को उठा कर लकी की जाँघ पर रख दिया...

गुरमीत: (शरमाते हुए) नही मे तो वैसे ही मज़ाक कर रही थी...अच्छा अब अच्छे बच्चे की तरह सो जाओ

दोनो एक दूसरे के बाहों मे लपेटे हुए...कब सो गये...दोनो मे से किसी को पता नही चला....

दूसरी तरफ अगले दिन राज सुबह उठ चुका था...आज वो जॉगिंग के लिए नही गया था....क्योंकि उसको नाश्ता आज खुद ही बनाना था....जब राज तैयार हो कर कॉलेज पहुँचा ,तो उसे कॉलेज के कम्पाउन्ड मे ललिता अपनी किसी फ्रेंड के साथ खड़ी हुई दिखाई दी....जब ललिता की नज़र राज पर पड़ी...तो उसके होंठो पर मुस्कान आ गयी...

ललिता: (अपनी फ़्रेंड से) तू रुक मे ज़रा आती हूँ

ललिता'स फ्रेंड्स: पर अब कहाँ जा रही है...क्लास शुरू होने वाली है....

ललिता: ऐसा कर तू क्लास मे चल मैं आती हूँ

राज भी ललिता को ही देख रहा था...ललिता कॉलेज की केफे की तरफ जाने लगी...ललिता ने राज की तरफ देख,और राज ने ललिता की आँखों मे देखा...कोई इशारा नही हुआ, पर राज ललिता की आँखों की बात को समझ गया, और ललिता के पीछे-2 केफे मे आ गया...राज तेज़ी से चलता हुआ ललिता से पहले केफे मे पहुँच गया...और जाकर एक कोने मे लगे टेबल पर जाकर कुर्सी पर बैठ गया...ललिता के होंठो पर मुस्कान आ गयी...ललिता ने इधर उधर देखा...और राज के पास गयी....

राज : (ललिता को देख कर ऐसे बोला जैसे उसने अभी ललिता को देखा हो) अर्रे ललिता जी आप आइए बैठिए

ललिता शरमाते हुए राज के सामने कुर्सी पर बैठ गयी....

राज : अब आपका पैर कैसा है ललिता जी

ललिता: उम्ह्ह अब ठीक है...आज आप सुबह जॉगिंग करने ग्राउंड मे क्यों नही आए....

राज : क्यों आप मेरा इंतजार कर रही थी....

ललिता एक दम से शरमा गयी....ललिता शरमाते हुए और भी सुंदर लग रही थी...ललिता के गाल शरम के मारे लाल हो चुके थे......

ललिता: नही नही वो बात नही है, ऐसे ही पूछ लिया

राज :मे तो मज़ाक कर रहा था....दरअसल वो लकी है ना..जो मेरे साथ मेरे फ्लॅट मे रहता है...वो कल अपने घर गया है....दो दिन बाद आएगा....इसीलिए सुबह टाइम नही मिल पाया...

ललिता: तो आप यहाँ अकेले रहते हैं

राज : जी हां

धीरे-2 दोनो एक दूसरे के बारे मे बातें करने लगे....ललिता अब राज के घरबार के बारे मे जान चुकी थी...ललिता के पिता भी बहुत ही बड़े ज़मींदार थे.....और ललिता भी अलीगढ़ की रहने वाली थी....बातों बातों मे दोनो को टाइम का पता नही चला...उनकी एक क्लास मिस हो चुकी थी...

अचंक राज ने घड़ी मे टाइम देख.....

राज : ओह्ह यार आज की पहली क्लास मिस हो गयी.....

ललिता: ओह्ह नो यार मेरी फ्रेंड क्या सोच रही हो गी....मे उसे 5 मिनट का बोल के आई थी...और 1 घंटा निकल गया.....

राज : ठीक है अब आप अपनी अगली क्लास आटेड कर लो....वैसे भी आज मेरा मूड नही...मे घर वापिस जा रहा हूँ....

ललिता: (एक शरारती मुस्कान होंठो पर लाते हुए) वैसे दिल तो मेरा भी नही क्लास मे जाने का....

राज : तो चलो कहीं घूमने चलते हैं

ललिता: मेने कब कहा कि मे तुम्हारे साथ घूमने चल रही हूँ...वो तो क्लास मे जाने का मन नही है बस

राज : (एक दम से राज का चेहरा उतर गया) चलो ठीक है बाइ मे घर चलता हूँ (और राज उठ कर जाने लगा....राज को यूँ उदास देख कर ललिता के होंठो पर मुसकन आ गयी)

ललिता: राज एक मिनट

राज : जी

ललिता: क्या आप मुझ घर छोड़ देंगे

राज : जी ठीक है....

और दोनो केफे से बाहर आ गये...राज अपनी कार लाने चला गया....जब राज कार लेकर आया..तो ललिता उसका गेट पर खड़ी इंतजार कर रही थी...ललिता राज की कार की आगी वाली सीट पर बैठ गयी....राज का चेहरा उतरा हुआ था....दोनो ने सारे रास्ते मे कोई बात नही की...ललिता का घर आ गया था...
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12-20-2019, 12:44 PM,
#24
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
ललिता: (कार से उतरते हुए) थॅंक्स

राज : इट्स ओके ललिता

ललिता: क्या हम 1 बजे मूवी देखने चलें

राज : (ललिता की बात सुन कर राज का दिल ख़ुसी से झूम उठा) जी जैसे आप कहें.... मे आप को 12:30 पर पिक करने आ जाउन्गा....

ललिता: ओके ठीक है....मैं वेट करूँगी.... वैसे यहाँ मत आना...मुझ बाहर रोड से पिक कर लेना..

राज : ठीक है फिर तय रहा....मे 12:30 पर आप को लेने आउन्गा

और ललिता ने एक प्यारी सी स्माइल राज को पास की....राज ने कार मोडी...ललिता अपने घर के अंदर चली गयी....उधर राज तेज़ी से कार ड्राइव करके अपने फ्लॅट पर पहुँच गया था....फ्लॅट के अंदर आते ही वो बाथरूम मे घुस्स गया....और नहाने लगा...राज को कभी किसी काम मे इतनी जल्दी नही रहती थी, राज 11 बजे एक दम तैयार हो चुका था...राज ने टाइम देखा अभी सिर्फ़ 11 बज रहे थे....

राज : (अपने आप से) यार ये साला आज टाइम भी बहुत धीरे कट रहा है...क्या करूँ (राज एक दम तैयार हो कर फ्लॅट मे सोफे पर बैठा टाइम होने का इंतजार कर रहा था....आज जो उसके दिल मे बेसब्री थी...आज से पहले कभी नही हुई थी...)

राज टाइम पास करने के लिए कभी टीवी ऑन कर देखने लग जाता...तो कभी को मॅग्जीन उठा कर पढ़ने लग जाता...उसके लिए वक़्त तो मानो जैसे रुक सा गया था...ये डेढ़ घंटा कैसे बीतेगा....खैर किसी तरह 12 बजे...अब राज और वेट ना कर सका....और फ्लॅट से बाहर आकर कार मे बैठ कर कार स्टार्ट की...

कार स्टार्ट करते ही.,वो ललिता के घर की तरफ चल पड़ा....ललिता का घर उसके फ्लॅट से 15 मिनट की ही दूरी पर था...राज 15 मिनट मे ही ललिता की गली बाहर रोड पर पहुँच गया....

राज : (अपने आप से ) यार ये ललिता अभी तक आई क्यों नही (राज ने अपनी घड़ी मे टाइम देखा टाइम 12:15 हो रहा था..राज के होंठो पर मुस्कान आ गयी) यार लकी सही कहता था...ये इश्क़ ना आदमी को किसी काम का ना नही छोड़ता

राज कार मे बैठ आ ललिता के वेट करने लगा...गुज़रता हुआ एक-2 पल उसके सालों जैसे मालूम हो रहा था...राज अपने हाथ मे लगी घड़ी को बार-2 देख रहा था....

किसी तरह 12:30 बजे...राज की नज़रें रोड से अंदर जा रही, गली पर जम गयी....जब डोर से वो किसी भी आती हुई लड़की को देखता...तो ये सोच कर कि ललिता आ रही है...उसका दिल जोरों से धड़कने लग जाता...पर जब वो लड़की कुछ पास आती...तो राज को उसका फेस ठीक से दिखाई देता...तो राज का चेरा उतर जाता...फिर अचानक उसे ललिता आती हुई दिखाई दी...राज के होंठो पर मुस्कान आ गयी....ललिता ने लाइट पिंक कलर का पटियाला सलवार कमीज़ पहना हुआ था...वो बड़ी ही मस्त चाल से चलती हुई..राज की कार की तरफ आ रही थी....राज कार से बाहर निकल आया....

ललिता: (पास आते हुए) सॉरी वो थोड़ा देर हो गयी....आप कब से वेट कर रहे हैं...ज़्यादा वेट तो नही करना पड़ा

राज एक टक ललिता के फेस को घूरे जा रहा था...ललिता के गाल तेज धूप के कारण एक दम लाल हो कर दिख रहे थे...जैसे किसी ने दूध मे केसर मिला दिया हो...

ललिता: हेलो कहाँ खो गये आप (ललिता अपनी आँखों को नचाती हुई बोली)

राज : नही कुछ नही मे अभी पहुँचा ही था.....

राज ने कार का डोर खोला....ललिता कार मे बैठ गयी...राज तेज़ी से दूसरी तरफ से जाकर कार के अंदर बैठ गया...और कार स्टार्ट कर चलने लगा...

राज का ध्यान बार -2 ललिता की तरफ जा रहा था...जो ललिता देख रही थी...और बार-2 शरमा कर मुस्कुरा रही थी....

ललिता: क्या हुआ ऐसे क्यों देख रहे हो आप....

राज : जी वो आज आप बहुत ही खूबसूरत लग रही हैं....

ललिता: (शरमाते हुए) थॅंक्स

राज : ललिता मे आप से एक बात कहना चाहता हूँ.....

ललिता का दिल जोरों से धड़कन लगा....वो राज की तरफ देखने लगी....उसके हाथ पैर जैसे सुन्न से पड़ गये थे...

राज : ललिता जी मे आप को बहुत लाइक करता हूँ.....आइ लव यू ललिता

ललिता के दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया था....हालाकी ललिता भी राज को पसंद करती थी...पर उसे इस बात का बिल्कुल भी अंदाज़ा नही था, कि राज इतनी जल्दी अपने दिल की बात उसे कह देगा.....ललिता को यूँ अपनी तरफ देखता देख राज थोड़ा सा घबरा गया....

राज :देखें ललिता जी मे आप को लाइक करता हूँ...इसका मतलब ये नही है कि मे भी आप से यहीं उम्मीद रखूं कि आप भी मुझ लाइक करती हो....पर अब मेरे दिल पर मेरा काबू नही रहा...इसीलिए मैने अपने दिल की बात आप को बोल दी...अगर आप मेरी बात अच्छी नही लगी....तो प्लीज़ मुझ अपना दोस्त समझ कर माफ़ कर देना....मेरा इरादा आप के दिल को दुखाने का बिल्कुल नही है.....

ललिता: (एक दम से अपने आप को संभालते हुए) नही -2 ऐसी बात नही है....(और ललिता शरमा गये) मैं भी आप को लाइक करती हूँ....

राज ने ललिता की तरफ देखा....दोनो की नज़रें आपस मे मिली और, राज ने अपना एक हाथ ललिता के हाथ पर रख दिया....ललिता एक दम से शरमा गयी...और उसने अपनी नज़रें झुका ली...

.

राज : ललिता आज मे बहुत खुश हूँ...आज मुझे दुनिया की सबसे कीमती चीज़ मिल गयी है...आज अगर भगवान मेरी जान भी लेले तो गुम नही है....

ललिता: नही ऐसा नही बोलते....अभी तो मुझे तुम्हारे साथ अपनी पूरी जिंदगी गुजारनी है...

राज : ओह्ह ललिता...मे तुमसे बहुत प्यार करता हूँ....वादा करो तुम मेरा साथ कभी नही छोड़ो गी...

ललिता ने शरमाते हुए हां मे गर्दन हिला दी....कुछ ही देर मे दोनो थियेटर मे पहुँच गये....राज ने पहले से मॅनेजर से कह कर पूरा हॉल बुक करवा लिया था...दोनो हाल मे पहुँचे....ललिता जैसे ही हॉल मे पहुँची तो उसका दिल जोरों से धड़कने लगा....हॉल बिल्कुल खाली था....

ललिता राज की तरफ घबराई और हैरानी भरी नज़रों से देखती हुई) ये क्या है...यहाँ तो कोई नही है....

राज : (मुस्कुराते हुए) मेने पूरा हॉल बुक करवा लिया था...

ललिता: पर क्यों

राज : क्योंकि मे चाहता था...जो लम्हें मे तुम्हारे साथ गुज़ारू...वो हमेशा मेरी यादों मे बसें रहें...मे तुम्हारे साथ बिताए जाने वाले हर पल को याद गार बना देना चाहता हूँ....

राज ने ललिता को इशारे से बैठ आने को कहा....ललिता घबराई हुई सी राज के साथ बैठ गयी....थोड़ी देर मे लाइट्स ऑफ हो गयी....और मूवी शुरू हो गयी....राज ललिता के चहरे को देख कर समझ गया था...कि ललिता घबरा गयी है....

राज : ललिता अगर तुम्हें सही नही लग रहा....तो हम कहीं और भी चल सकतें हैं...

ललिता: नही-2 ऐसे कोई बात नही है....बस मुझ इस बात का पता नही था...कि हम दोनो अकेले होंगी.....

राज : ऊह अच्छा...देखो घबराओ नही....मे तुम्हें प्यार करता हूँ....ऐसी कोई बात नही है....
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12-20-2019, 12:52 PM,
#25
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
दोनो आपस मे बातें करने लगे...दोनो मे से किसी का ध्यान मूवी मे नही था...बातों-2 मे राज ने ललिता के हाथ को पकड़ कर अपने हाथ मे ले लिया...ललिता थोड़ा सा कस्मसाइ....पर फिर अपने आप को संभालते हुए...राज से बातें करने लगी....दोनो बातों ही बातों मे आपस मे इतना घुल मिल गये थे... कि ऐसा लग रहा था...जैसे वो बरसों से एक दूसरे को जानते हों...

राज : ललिता मे एक बात कहूँ....

ललिता: जी हां बोलिए....

राज : मे तुमसे शादी करना चाहता हूँ....

ललिता का दिल ख़ुसी के मारें झूम उठा.....

ललिता: आप सच कह रहे हो....

राज : हां बिल्कुल सच कह रहा हूँ...बल्कि मैं तो कहता हूँ...कि मे आज ही मम्मी पापा से बात कर लूँ....और उनको तुम्हारे घर रिस्ते के लिए भेज दूं...

ललिता: (मुस्कुराते हुए) बहुत जल्दी है आप को शादी करने की....

राज : हां और हो भी क्यों ना....शादी के बाद तुम मेरी जोहो जाओगी....

ललिता: क्यों मैं तो आज से ही आप की हो गयी....

राज : नही वो बात नही....मेरा मतलब वो...

और राज बात को पूरा नही कर पाया...और झेंप गया....राज की बात को ललिता समझ चुकी थी....उसने शरम के मारें अपना सर झुका लिया....

राज : (ललिता के फेस को अपने हाथों मे लेते हुए) ललिता मैं अब एक पल भी तुम्हारे बिना नही रह सकता....अगर तुम मेरी ना हुई...तो मे जी नही पाउन्गा...जी नही पाउन्गा...

राज की आँखों मे अपने लिए इतना प्यार देख कर ललिता का मन पिघल गया....राज ने अपने होंठो को ललिता के होंठो की तरफ बढ़ाना चालू कर दिया..ललिता की साँसे तेज हो चली थी....ललिता के दिल की धड़कन 3 गुना बढ़ चुकी थी...

ललिता: तुम मुझे बीच रास्ते मे छोड़ तो नही दोगे...

राज :नही ललिता कभी नही....

और राज ने ललिता के ठहरथरा रहे होंठो पर अपने होंठो रख दिए....ललिता राज की बाहों मे राज के होंठो को अपने होंठो पर महसूस करके तड़प उठी...और राज की चौड़ी छाती से सट गयी....राज ललिता के रसीले और गुलाबी होंठो को चूसने लगा...ललिता के हाथ राज के सर के पीछे पहुँच गये थे...और ललिता अपने हाथ की उंगलियों से राज के बालों को सहला रही थी...


ललिता राज की बाहों मे कसमसा रही थी...ललिता के दिल की धड़कन तेज हो चुकी थी...ललिता की जवानी की आग उसे मदहोश किए जा रही थी...राज ने अपने होंठो को ललिता के होंठो से अलग किया...और ललिता की आँखों मे देखने लगा.... ललिता ने अपनी वासना और प्यार से भरी हुई आँखों को खोला...और राज की आँखों मे देखा....उसकी आँखे मानो कह रही हों....ओह्ह राज तुमने मेरे होंठो से अपने होंठो को हटा क्यों दिया....मैं कब से इन होंठो के स्पर्श को अपने होंठो पर पाने के लिए तरस रही हूँ...राज ने फिर से ललिता के होंठो पर अपने होंठो को रख दिया...इसबार ललिता ने भी राज का पूरा साथ दिया...और वो राज से चिपक गयी...ललिता की कसी हुई चुचियाँ राज की चौड़ी छाती मे धँस गयी....राज ललिता के गुलाबी होंठो को आज जी भर के चूस लेना चाहता था...ललिता भी अपने होंठो को थोडा सा खोल कर राज से अपने होंठो को चुस्वा के मस्ती के सागर मे तैर रही थी....ललिता अपना आप खोने लगी...उसे पैंटी थोड़ी सी गीली हो चुकी थी...ललिता ने अपने आप को संभालते हुए...राज के होंठो से अपने होंठो को अलग कर दिया....ललिता की साँसें उतेजना के मारे उखड़ी हुई थी.....

ललिता: बस अब और नही....

राज ने ललिता की बात को मानते हुए...अपना एक हाथ उसके गले से डालकर उसके कंधे पर रख दिया....और ललिता ने राज के कंधे पर सर रख दिया....और पूरी मूवी के दौरान दोनो ऐसे ही बैठे रहे....

दूसरी तरफ रात के 8 बजे गुरमीत और लकी दोनो जब लकी के घर पहुँचे तो...उनकी नौकरानी खाना बना कर जा चुकी थी....लकी की दादी हाल मे सोफे पर बैठी लकी और गुरमीत के आने का इंतजार कर रही थी....लकी को देखते हुए...

दादी: आए गया बेटा....चलो जल्दी से फ्रेश हो जाओ....और खाना खा लो....मैने खाना टेबल पर लगवा दिया है....

लकी: जी दादी आप ने खाना खा लिया

दादी: हां बेटा मैने खाना खा लिया....बस तुम लोगों का ही इंतजार कर रही थी....तुम बैठ कर खाना खाओ...मे बाहर मेन गेट बंद करके आती हूँ...

लकी और गुरमीत दोनो हाथ मुँह धोया और खाना खाने बैठ गये....

लकी: (खाना खाते हुए) और फिर आज रात का क्या प्रोग्राम है

गुरमीत: चुप बदमाश दादी सुन लेंगी....

लकी: अर्रे नही सुनेगी....उन्हें वैसे भी अब थोड़ा उँचा ही सुनता है....जल्दी बताओ ना आज रात को क्या प्रोग्राम हैं....

गुरमीत: मैने तुम्हें रास्ते मे बताया था...ना आज मे बहुत थक गयी हूँ....मेरा पूरा बदन दुख रहा है....

लकी: (शरारती अंदाज़ मे) पूरा बदन.....

गुरमीत: (लकी की बात सुन कर झेंप गयी) हां पूरा बदन....

लकी: फिर तो आज तुम्हार बदन की थकावट मे ही उतार स्कता हूँ...

गुरमीत: (लकी की बातों को सुन कर शरमा गयी) अच्छा जी...चुप-चाप खाना खाओ....बड़े आए मेरी थकावट उतारने वाले.....

लकी: एक बार ऊपेर चलो तो सही.....

दोनो ने कुछ ही देर मे खाना खा लिया....और लकी ने झूठे बर्तन को उठा कर किचन मे रख दिया....गुरमीत ऊपेर जा रही थी....लकी भी तेज़ी से बर्तन को रख कर ऊपेर जाने लगा...पर तब तक गुरमीत रूम मे जा चुकी थी....उसने अंदर से रूम बंद कर लिया...लकी ने डोर नॉक किया....

लकी: ये क्या बात हुई...मे बाहर खड़ा हूँ...डोर खोलो....

गुरमीत: नही आज डोर नही खुलेगा...अपने रूम मे जाकर सो जाओ...मुझ नींद आ रही है...

गुरमीत रूम के अंदर डोर के पास खड़ी मुस्कुरा रही थी....वो तो बस लकी को सताने के मूड मे थी...पर जब थोड़ी देर बाद लकी की कोई आवाज़ नही आई....तो गुरमीत अपने कपड़े चेंज करने लगी...उसका मन कह रहा था...कि लकी ज़रूर वापिस आएगा...आख़िर वो भी तो यही चाहती थी....गुरमीत बेड पर लेट गयी...पर जब काफ़ी देर बाद लकी नही आया...तो वो बेचैन हो उठी...और डोर खोल कर बाहर आ गयी....और लकी के रूम की तरफ चली गये...लकी के रूम का डोर खुला हुआ था...जैसे ही गुरमीत ने अंदर झाँक कर देखा...तो लकी बेड पर लेटा हुआ था...वो सिर्फ़ अंडर वेअर पहने हुए था....

लकी: तो और क्या करता तुमने तो डोर लॉक कर लिया था...अब जाकर सो जाओ....

गुरमीत: सॉरी बाबा..वो तो मे मज़ाक कर रही थी...अच्छा अब चलो आज मे यहीं तुम्हारे साथ सो जाती हूँ....

लकी: नही मुझे नही सोने तुम्हारे साथ...जाओ जाकर सो जाओ....

गुरमीत: (बड़ी ही सेक्सी आवाज़ के साथ) देखो ना लकी मेरा हर अंग दुख रहा है...कुछ करो ना....

लकी: मे कोई डॉक्टर हूँ....मे क्या कर सकता हूँ...जाओ सो जाओ..सुबह तक अपने आप ठीक हो जाएगा....

गुरमीत: पर मेरे दर्द को तुम ही ठीक कर सकतें हो....मे बता नही सकती मुझ कहाँ दर्द हो रहा है....

लकी कुछ नही बोला और वैसे ही रूठने का नाटक करते हुए लेटा रहा...

गुरमीत: अच्छा जी अब मुझ से रूठो गे भी...पर मुझ पता है...तुम्हें कैसे मनाना है....

लकी: अच्छा कॉसिश करके देख लो...

गुरमीत ने अपनी मदहोशी से भरी नज़रों से लकी को देखा....और अपने हाथ को लकी के अंडरवेर के ऊपेर रख दिया...लकी लेटा हुआ गुरमीत को देख रहा था...
लकी लंड अभी ठीक से आकड़ा नही था...पर गुरमीत के हाथ पढ़ते ही...लकी के लंड मे तनाव आने लगा....

गुरमीत ने आने सर को लकी के पेट पर रख दिया...लकी गुरमीत के गोरे नरम गालों को अपने पेट महसूस करके गरम होने लगा...गुरमीत लकी के तने हुए लंड को देखते हुए उसे अपने हाथ से सहला रही थी...लकी का लंड कुछ ही पलों मे अकड़ कर अंडरवेर मे झटके खाने लगा...गुरमीत ने अगले ही पल लकी के अंडरवेर को पकड़ कर नीचे खींच दिया...लकी का अंडरवेर अब लकी की जाँघो पर आ गया था....और उसका तना हुआ लंड हवा मे झटके खा रहा था...गुरमीत ने काँपते हुए हाथों से लकी के लंड को हाथ मे ले लिया...उसके हाथ के उंगलियाँ लकी के लंड पर कस गयी...

गुरमीत ने लकी के लंड को मुट्ठी मे पकड़ने के बाद...एक बार लकी की आँखों मे देखा...फिर उसे लकी के लंड को दो तीन बार हिलाया...लकी के मुँह से आह निकल गयी..फिर गुरमीत ने लकी के लंड की चमड़ी को पीछे कर दिया...लकी के लंड का गुलाबी सुपडा गुरमीत की आँखों के सामने आ गया...
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12-20-2019, 12:52 PM,
#26
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
लकी पीठ के बल लेटा हुआ...गुरमीत को देख रहा था...अचानक गुरमीत लकी के लंड के ऊपेर झुक गयी....और अपना मुँह खोल कर लकी के लंड के सुपाडे को मुँह मे ले लिया...और अपने होंठो को लकी के लंड के सुपाडे पर कस लिया...और धीरे -2 लकी के लंड को अपने मुँह के अंदर बाहर करके चूसने लगी...लकी गुरमीत के होंठो की रगड़ को अपने लंड के सुपाडे पर महसूस करके सिहर उठा...उसे यकीन नही हो रहा था...कि गुरमीत उसके लंड को मुँह मे लेकर चूस रही है...धीरे-2 गुरमीत तेज़ी से लकी के लंड के सुपाडे को चूसने लगी...लकी का लंड अब एक दम तन चुका था...लकी का लंड पच-2 की आवाज़ से गुरमीत के मुँह को चोद रहा था...

थोड़ी देर बाद गुरमीत ने अपने मुँह से लकी के लंड को निकाल दिया....और अपनी नाइटी को एक झटके मे निकाल कर फेंक दिया...गुरमीत ने नीचे कुछ नही पहना था...लकी इससे पहले कुछ करता...गुरमीत लकी के दोनो तरफ अपनी टाँगों को करके लकी के ऊपेर आ गयी....और फिर लकी की आँखों मे वासना भरी नज़रों से लकी की तरफ देखते हुए...एक हाथ से लकी के लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर लगा दिया...और अपनी चूत को लकी के लंड पर दबाने लगी...लकी का लंड गुरमीत की चूत के दीवारों को फैलाता हुआ अंदर घुस गया...और सीधा जाकर बच्चेदानी से सट गया...गुरमीत ने मस्ती मे बंद हुई,अपनी आँखों को खोला और लकी की तरफ देखते हुए बोली........

गुरमीत: (मदहोशी से भरी आवाज़ मे) लकी अब मुझसे कभी ना रूठना....तुमने मुझे क्या बना दिया है....मे तुम्हारे बिना एक पल भी नही जी पाउन्गी...तुम्हारी गुरमीत मर जाएगी...तुमसे दूर होकर....

लकी ने गुरमीत को अपने ऊपेर झुका लिया....और उसके होंठो को चूमता हुआ बोला...

लकी: नही जान मे तुम्हें कभी नही छोड़ूँगा....

और लकी ने गुरमीत के होंठो को अपने होंठो मे ले लिया...और चूसने लगा...दोनो पागलों की तरह एक दूसरे के होंठो को चूस रहे थे...लकी ने अपने हाथों से गुरमीत के चुतड़ों को पकड़ कर मसलना चालू कर दिया....गुरमीत अपनी गान्ड को ऊपेर नीचे उछालने लगी.....कुछ ही पलों मे गुरमीत पूरे जोश मे आ चुकी थी...और अपनी गान्ड को तेज़ी से ऊपेर की तरफ उछाल कर फिर नीचे पटक कर लकी के लंड को अपनी चूत मे लेकर चुदाई का मज़ा ले रही थी...

गुरमीत: आहह लकी तुम्हारी लंड्ड मे ऐसीए क्या जादू हाईईईई जूऊओ मेरे फुद्दिईईईईई तुम्हारे लौडे के बिना एक पलल्ल्ल्ल्ल्ल नही रह पतिईईईईई....इश्स फुद्दी की खुजली मिटा दो....और दोनो तेज़ी से अपनी कमर को हिलाने लगे...लंड फॅक-2 की आवाज़ से अंदर बाहर होने लगा..और करीब 10 मिनट की लगातार चुदाई मे दोनो झड कर हाँफने लगे

जैसे ही लकी का लंड सुस्त पड़ा...गुरमीत लकी के ऊपेर से उठ कर उसकी बगल मे लेट गयी....और लकी के फेस को अपने हाथों मे लेटे हुए उसे फ्रेंच किस करने लगी...

गुरमीत: अब तो नाराज़ नही हो ना....

लकी: (मुस्कुराते हुए) भला मे अपनी जान से कैसे नाराज़ हो सकता हूँ...

और लकी गुरमीत के होंठों को अपने होंठो मे लेकर ज़ोर से चूस देता है....दोनो 15 मिनट तक यूँ ही एक दूसरे के बदन को सहलाते हुए...एक दूसेरे के होंठो को चूमते रहते हैं...गुरमीत बेड से उतर कर जाने लगती है....

लकी: (गुरमीत को उठता देख कर) क्या हुआ कहाँ जा रही हो...

गुरमीत: मे अभी बाथरूम जाकर आती हूँ...

और गुरमीत बाथरूम मे घुस्स जाती है....और लकी उठ कर अपने लंड को एक पुराने कपड़े से सॉफ करता है...जैसे ही गुरमीत बाहर आती है...तो वो लकी को अपने लंड को सॉफ करता देख कर उसके पास आ कर नीचे बैठ जाती है.....

लकी: क्या हुआ ऐसे क्यों बैठ गयी....

गुरमीत: (लकी के सिकुडे हुए लंड को अपने हाथ मे लेते हुए)क्यों इसे गंदे कपड़े से सॉफ कर रहे हो....

लकी: तो और किस से करूँ....

गुरमीत लकी को वासना से भरी नज़रों से देखती है...और उसके सिकुडे लंड की चमड़ी को पीछे करके देती है...जिससे उसके लंड का गुलाबी सुपडा बाहर आ जाता है...और बिना देर किए...लकी के सिकुडे हुए लंड को मुँह मे ले लेती है...लकी के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ जाती है....और वो उसके खुले हुए बालों मे अपने हाथ की उंगलियों से सहलाने लगा जाता है...

लकी: अह्ह्ह्ह गुरमीत ऐसे तो तुम मुझ अपना दीवाना बना दोगी....

गुरमीत लकी के लंड को मुँह मे ले लिया...अपनी नज़रों को ऊपेर करके लकी की आँखों मे बड़े ही मादक अंदाज़ मे देखती है...और उसके लंड के सुपाडे को ज़ोर-2 अपने होंठो और जीभ से चाटने लग जाती है...कुछ ही पलों मे लकी का लंड फिर से तन चुका था.....अब लकी की बर्दास्त से बाहर हो रहा था...लकी ने गुरमीत के सर को दोनो हाथों से पकड़ कर...गुरमीत को ऊपेर उठा दिया...और गुरमीत की आँखों मे देखने लगा....

गुरमीत की आँखें वासना के नशे मे डूबी हुई..बंद हुई जा रही थी....उसकी साँसे तेज़ी से चल रही थी...वो लकी की छाती से एक दम चिपक गयी....लकी उसके होंठो को अपने होंठो मे लेकर चूसने लगा...दोनो बिल्कुल एक दम नंगे खड़े एक दूसरे से चिपके हुए थे.....

लकी गुरमीत के होंठो को थोड़ी देर चूसने के बाद...धीरे-2 नीचे आने लगा...वो गुरमीत की नेक और चुचियों के ऊपेर के हिस्से को अपनी जीभ निकाल कर चाट रहा था...गुरमीत की चूत एक बार फिर से गरम हो कर लकी के लंड को लेने के लिए बेताब हुई जा रही थी....जैसे-2 लकी गुरमीत के बदन को चूमता हुआ नीचे आ रहा था...वैसे-2 गुरमीत के निपल तन कर कड़े होते जा रहे थे....

जैसे ही लकी ने गुरमीत की लेफ्ट चुचि के निपल को मुँह मे ले लिया...गुरमीत के बदन मे सिहरन दौड़ गयी...और वो लकी के गले मे दोनो बाहों को डाल कर लकी के फेस को अपनी चुचियों पर दबाने लगी....

लकी किसी भूखे बच्चे की तरह...गुरमीत के कड़े हो चुके गुलाबी निप्पल को चूस रहा था...गुरमीत आह अहह ओह करती हुई...लकी के बालों मे अपनी उंगलियों को घुमा रही थी....

गुरमीत: अहह लकीयी हइईई ओह औरर्र चुस्स्स मेरे ममो को अहह और ज़ोर से चूस.......

लकी ने गुरमीत के लेफ्ट निपल को मुँह से निकाल कर दूसरे निपल को मुँह मे ले लिया...जैसे ही गुरमीत के लेफ्ट निपल लकी के मुँह से बाहर आ आया...तो गुरमीत को अपने लेफ्ट निपल पर सरसराहट सी महसूस होने लगी...गुरमीत अपने एक हाथ से अपने लेफ्ट निपल को अपनी उंगलियों मे लेकर खुद ही मसलने लगी....

गुरमीत के चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया....

गुरमीत: अहह लकाइयियी बसस्सस्स बसस्स्स्सस्स अब जल्दीीईई सीए मेरे फुद्दिईई मेन्णन्न् अपना लौडा डाल कारर्र मुझीई चोद दूओ अहह

लकी ने गुरमीत की बात को मानते हुए...उसे बेड के किनारे पर खड़ा कर के झुका दिया...गुरमीत अपने दोनो घुटनो को बेड के किनारे रख कर आगे की तरफ झुक कर डॉगी स्टाइल मे आ गयी....

डॉगी स्टाइल मे आने के बाद गुरमीत आगे से थोड़ा सा झुक गयी...और अपनी कमर को थोड़ा सा अंदर करके अपनी गान्ड को ऊपेर की तरफ कर लिया....

जिससे गुरमीत की चूत बाहर की तरफ आ गयी....और उसकी चूत का छेद लकी के लंड के ठीक सामने आ चुका था...गुरमीत की चूत का छेद उतेजना के मारें सिकुड और फेल रहा था...जैसे लकी के लंड को अपने अंदर घुसने का निमंत्रण दे रहा हो...लकी गुरमीत के पीछे आ गया...और अपने लंड को पकड़ कर लंड के सुपाडे को गुरमीत की चूत के छेद पर लगा दिया....

जैसे ही लकी के लंड का मोटा गरम सुपाडा गुरमीत की चूत के छेद पर लगा...गुरमीत एक दम से सिहर गयी...उसके पूरे बदन मे करेंट सा दौड़ गया...और उसने एक मस्ती भरी आह भरते हुए अपने होंठो को दाँतों मे भींच लिया...

लकी ने अपने लंड को धीरे-2 गुरमीत के छेद मे घुसाना चालू कर दिया...जैसे ही लकी के लंड का सुपाडा...गुरमीत की चूत की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर घुस्सने लगा....गुरमीत ज़ोर-2 से सिसकारियाँ भरने लगी....

गुरमीत: अहह अहह लुक्कययययी हाआँ घुस्स्स्स दूऊ अपना लनड्ड्ड मेरी फुद्दिईईईई मे अहह माआररररर डी मेरी फुद्दीई अहह लकीयी

लकी का लंड जड तक गुरमीत की चूत मे पूरा समा चुका था...गुरमीत मस्ती मे आकर अपनी गान्ड को आगे पीछे करके....लकी के लंड को अपनी चूत के अंदर बाहर करके अपनी चूत को चुदवाने लगी...लकी ने भी गुरमीत की कमर को दोनो हाथों से थाम कर तेज़ी से धक्के लगाने चालू कर दिए...लंड फॅक-2 की आवाज़ से गुरमीत की चूत के अंदर बाहर होने लगा....

गुरमीत: अहह ओह लकईयीयैआइ और जोर्र्र्र से चोद्द्द्द्द अहह और जोर्र्र्रर सीए जोर्र्र से चोद्द्द्द्द्द

लकी गुरमीत की बातों को सुन कर जोश मे आ आ गया...और गुरमीत की कमर को पकड़ कर ताबड तोड़ धक्के लगाने लगा....दर्द और मज़े मे गुरमीत एक दम गरम हो चुकी थी...पूरे रूम मे फॅक-2 थप-2 और गुरमीत की मस्ती भरी आहहें गूँज रही थी...10 मिनट की ताबड तोड़ चुदाई मे दोनो झड गये....लकी ने अपना लंड गुरमीत की चूत के छेद से बाहर निकाल कर...बेड पर गिर पड़ा ...गुरमीत की चूत से पानी बह कर उसकी जाँघो तक आ रहा था...गुरमीत लकी की छाती पर सर रख कर लेट गयी....और उसके सिर के बालों मे अपनी उंगलियों को फेरने लगी...
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12-20-2019, 12:52 PM,
#27
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
दूसरे दिन जब राज कॉलेज पहुँचा...तो उसकी नज़र ललिता को ढूँढने लगी...पर काफ़ी इंतजार के बाद भी उसे ललिता नज़र नही आई...राज क्लास मे चला गया...जब उसकी पहली क्लास ख़तम हुई..तो वो बाहर आया..बाहर ललिता राज की क्लास के बाहर खड़ी थी...उसने राज को देख कर स्माइल पास की....

राज : (ललिता के पास जाकर) कहाँ रह गयी थी आप

ललिता: वो मे आज लेट हो गयी थी..

राज : चलो बाहर केफे मे चलते हैं...

ललिता: जी

और दोनो केफे मे आ गये....

राज : ललिता चलो कही घूमने चलते हैं....

ललिता: नही राज प्लीज़ बुरा ना मानना कल भी क्लास मिस हो गयी थी....

राज : एक दो दिन मे क्या फरक पड़ता है....

ललिता: (मुस्कुराते हुए) अच्छा जनाब कल की तरह कोई हरकत तो नही करोगे...

राज : तुम मुझ पर विस्वास नही करती....

ललिता: नही-2 मे तो ऐसे ही मज़ाक कर रही थी....चलो जहाँ ले कर जाना चाहते हो...ले चलो

राज और ललिता उठ कर कॉलेज से बाहर आ गये....
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दोस्तो अब यहाँ से कहानी को थोड़ा आगे ले जा रहा हूँ...राज अपने माँ बाप की एक लौति संतान था...इसीलिए उसने अपनी दिल की बात अपनी माँ को कह दी थी....और राज के माता पिता का इतना रुतबा था.कि ललिता के मम्मी पापा ने झट से इस रिस्ते के लिए हामी भर दी...दूसरी तरफ राज और लकी दोनो का कॉलेज ख़तम हो चुका था...लकी की माँ और पिता जी भी थोड़ी नाराज़गी के बाद अपने बेटे की ज़िद्द के आगे झुक गये.और लकी और गुरमीत की शादी हो गयी....लकी और गुरमीत की शादी के ठीक एक साल बाद ललिता और राज की शादी का दिन तय हो गया....


ललिता और राज की शादी के 15 दिन पहले.....

राज आज फिर से अमृतसर मे आया हुआ था...उसने ललिता को फोन करके बता दिया था...और अपने उस फ्लॅट मे ललिता को बुलाया था...अपनी शादी के शॉपिंग करने के लिए...दोनो ने ढेर सारी शॉपिंग की...और जब ललिता अपने घर वापिस जाने की तैयारी कर रही थी...

राज : ललिता मे अब ये 15 दिन तुम्हारे बिना कैसे रहूँगा...

ललिता: (मुस्कुराते हुए) क्यों जहाँ इतना इंतजार किया है...वहाँ 15 दिन और सही...

राज सोफे पर बैठा हुआ था...ललिता राज के उदास चहरे को देख नही पाई...और उसके पास जाकर उसकी गोद मे बैठ गयी....और उसके गालों पर किस करने लगी....

ललिता: तुम तो बच्चों जैसे रूठ जाते हो....

राज ललिता को अपने इतना करीब पा कर...एक दम से गरम हो गया...ललिता का बदन राज के बदन से रगड़ खा रहा था....

राज ने अपने बाहों को ललिता की कमर मे कस लिया. और राज के हाथ ललिता की कमर से लेकर उसके चुतड़ों तक टहल रहे थे. ललिता राज की बाहों मे कसमसाने लगी.

ललिता: (काँपती हुई आवाज़ मे) क्या कर रहे हो आप. मुझ आप के इरादे ठीक नही लग रहे. थोड़े दिन और सबर कर लो. फिर मुझ अपनी बाहों मे समेटे रखना.

और ये कहते हुए ललिता ने राज के लिप्स पर एक छोटा सा किस कर दिया. राज ने अपनी आँखों से ललिता की आँखों मे देखा. ललिता की आँखें भी वासना के मारें लाल हो चुकी थी.

राज : ओह्ह जान अगर हम शादी कर ही रहे हैं. तो इसमे हऱज ही क्या है.

ललिता: प्लीज़ मेरी बात को समझने की कॉसिश करो. मे सुहागरात को तुम्हें अपना कुँवारापन गिफ्ट मे देना चाहती हूँ.

राज : ओह्ह अच्छा ये बात है. चलो तब तक के लिए मुझ तुमसे थोड़ा प्यार ही करने दो.

ललिता राज की बात सुन कर शरमा गयी. और राज की गोद मे बैठे हुए उसेसे चिपक गयी. राज ललिता की पीठ को सहलाता हुआ. ललिता की नेक पर अपने होंठो को रगड़ने लगा. ललिता उसकी गोद मे बैठी छटपताए जा रही थी.ललिता की साँसें तेज़ी से चलने लगी.राज ललिता की नेक को किस करता हुआ ललिता के क्लीव्ज को चूमने लगा. ललिता मस्ती मे आकर अह्ह्ह्ह सीईइ उंह करने लगी.

राज : ओह्ह्ह ललिता मे तुम्हारे बिना एक पल भी नही रह सकता.

ललिता: मे भी आप के बिना नही रह सकती. ओह्ह्ह्ह मुझे जल्दी से अपने घर ले चलो. मे अब तुम्हारे बिना नही रह पाउन्गी.



राज ने अपना एक हाथ आगे लाकर ललिता की अन्छुइ चुचियों पर रख दिया. और धीरे से दबा दिया. ललिता के मुँह से आह निकल गयी. और वो राज की बाहों मे कसमसाने लगी.

ललिता ने राज के फेस को अपने दोनो हाथों मे लेकर ऊपेर उठाया. और राज की आँखों मे देखने लगी. ललिता तेज़ी से साँसे लेते हुए हाँफ रही थी. उसकी आँखें मस्ती के कारण पूरी तरहा खुल नही पा रही थी.

ललिता: ओह जान तुम मुझे क्या कर रहे हो. मे बहक जाउन्गी.

राज :तो बहक जाओ ना. मुझ अपने रसीले होंठो को एक बार चूसने तो दो.

ललिता ने मस्ती मे आकर अपनी आँखों को बंद करके अपने होंठो को राज के होंठो पर रख दिया. दोनो पागलों के तरहा एक दूसरे के होंठो को किस कर रहे थे. ललिता राज की गोद मे बैठी उसकी बाहों मे पिघलने लगी थी. राज ने अपना हाथ उसकी चुचि से हटा कर धीरे -2 नीचे लाना शुरू कर दिया. जैसे-2 राज का हाथ नीचे आ रहा था. ललिता के बदन मे मे वासना का तूफान ज़ोर पकड़ रहा था. ललिता का पूरा बदन कांप रहा था.
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12-20-2019, 12:52 PM,
#28
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
राज ललिता के गुलाबी रस भरे होंठो को चूस्ता हुआ. अपना हाथ ललिता के मक्खन जैसे बदन पर सहला रहा था. धीरे - 2 राज का हाथ ललिता की राइट थाइ पर आ गया. ललिता के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी. ललिता ने अपने होंठो को अलग करते हुए अपने फेस को राज की चौड़ी छाती मे छुपा लिया. और अपने गुलाबी होंठो को राज की चौड़ी चेस्ट मे रगड़ने लगी.

राज भी अपने आपे से बाहर हो गया.और उसने अपना हाथ सरका कर ललिता की दोनो जाँघो के बीच मे रख लिया. ललिता की गरम जाँघो मे जैसे ही राज का हाथ गया. राज का लंड उसकी पॅंट मे एक दम से तन गया. और ललिता के चुतड़ों की दरार मे पटियाला सलवार के ऊपेर से धँस गया. ललिता के मुँह से आह निकल गयी. ललिता ने अपने दोनो हाथों से राज की शर्ट को कस के पकड़ लिया.

ललिता: अहह क्या कर रहे हो आप मेन्ंनणणन् मुझे कुछ हूऊओ रहा हाीइ.

ललिता ने अपनी जाँघो को कस के भींच लिया. ताकि राज का हाथ उसकी कुँवारी नाज़ुक चूत तक ना जा पाए. पर राज धीरे -2 अपने हाथ से ललिता की जाँघो को सहलाता हुआ अपने हाथ को आगे बढ़ा रहा था.

ललिता इतनी मस्त हो चुकी थी. कि उसका बदन भी उसका साथ नही दे रहा था. उसके पैर ढीले पढ़ने लगे.और राज का हाथ ललिता की चूत पर उसकी सलवार और पैंटी के ऊपेर से सट गया.

ललिता: अहह जनन्न्नुऊऊुुुउउ हाटात्त्ट जऊऊऊ नहियीई तो मेन्ंणणन् अपनईए अपाप पर कबुऊ नहियीई रख पाउन्गी. ओह प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज जानुउऊुउउ

राज ललिता की बात पर ध्यान दिए बिना. सलवार और पैंटी के ऊपेर से ललिता की चूत को मसले जा रहा था.ललिता की पैंटी मे गीला पन होने लगा था. आख़िर कार ललिता के पैर ढीले पड़ गये.

जैसे ही राज का हाथ ललिता की चूत पर पहुँचा . ललिता के मुँह से मस्ती भरी आह निकल गयी. ललिता राज की तरफ अपनी मदहोशी भरी निगाहों से देखने लगी. ललिता के होंठ उतेजना के मारे थरथरा रहे थी. ललिता से अपनी आँखों को खोले रखना भी दुसवार होता जा रहा था. राज ने ललिता की आँखों मे देखते हुए, एक बार फिर से उसकी चूत को उसकी सलवार के ऊपेर से मसल दिया. ललिता एक दम सिसक उठी. और अपनी आँखों बंद करके राज की छाती से चिपक गयी.

राज : ललिता एक बार.

ललिता: (राज की बात को समझ रही थी.) हूँ नही जानू आह प्लेजज़्ज़्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज.

पर ललिता किसी तरह का विरोध नही कर रही थी. राज ने अपने हाथ को ऊपेर करके ललिता की सलवार के जबरन पर कर लिया. और ललिता की सलवार को नाडा ढूँढने लगा. ललिता की सलवार का नाडा ललिता की सलवार और उसकी नाभि के नीचे फँसा हुआ था. राज ने ललिता की सलवार के नाडे को जैसे ही पकड़ कर बाहर निकाला. ललिता के दिल की धड़कन बढ़ गयी.

ललिता: ओह राज प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज रुक जाओ. मे नही तो बेकाबू हो जाउन्गी.

राज ने ललिता के बात को अनसुना करते हुए. ललिता की सलवार के नाडे को खींच दिया. ललिता के दिल की धड़कन बंद हो गयी.

राज ने जैसे ही ललिता की सलवार का नाडा खोला. ललिता की सलवार ढीली हो गयी. और इससे पहले कि ललिता अपनी सलवार को पकड़ पाती. राज ने अपना हाथ ललिता की सलवार मे घुआ दिया. और उसकी पैंटी के ऊपेर से ललिता की चूत पर रख दिया.

ललिता: ओह्ह्ह्ह राज र्ररर उफफफफफफ्फ़ क्या कर रहे हो... हन्न्न बहुत अच्छा लग रहा हाईईइ.

ललिता की बात सुन कर राज और जोश मे आ गया. और धीरे -2 पैंटी के ऊपेर से ललिता की चूत को सहलाने लगा. ललिता की कमर राज के हाथ की हरकत के साथ झटके खा रही थी. ललिता मस्ती मे आकर आह ओह कर रही थी.

ललिता: अहह राज हननंननणणन् उनहगगगगगग उंह सीईईईईईई बहुत अच्छा लग रहा है.बसस्स्सस्स अब और बर्दास्त नही होता....

और ललिता एक झटके के साथ राज की गोद से खड़ी हो गयी. और राज की तरफ पीठ करके. अपनी सलवार को खींच कर निकाल दिया. और फिर बेड के तरफ जाने लगी. ललिता की पीठ राज की तरफ थी. बेड के पास जाकर अपनी कमीज़ को दोनो हाथों से पकड़ कर उतार दिया. ललिता अब बेड के पास लाइट पिंक कलर की ब्रा और पैंटी मे खड़ी थी. ललिता ने एक बार अपनी वासना से भरी आँखों को खोल कर अपना फेस घुमा कर पीछे की तरफ देखा. और सोफे पर बैठे राज को हल्की सी कामुका मुस्कान पास कर दी. और फिर से अपने फेस को आगे की तरफ कर लिया.

राज सोफे से उठ कर ललिता की तरफ बढ़ने लगा. राज के नज़दीक आते कदमों की आहट सुन कर ललिता का दिल जोरों से धड़कने लगा. जैसे ही राज ललिता के पीछे से उसके साथ सट कर खड़ा हुआ. तो ललिता को राज की नंगी चेस्ट अपनी पीठ पर महसूस हुई. ललिता के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी.

ललिता का पूरा बदन राज की नंगी चेस्ट को अपनी पीठ पर महसूस करके कांप गया. राज ने अपने हाथों को ललिता की ब्रा के हुक्स पर ले आया. और ललिता की ब्रा के हुक्स को खोलने लगा.

ललिता के हाथ पैर उतेजना के मारें काँप रहे थे. जैसे ही ललिता की ब्रा के हुक्स खुले. ललिता ने अपने हाथों से अपनी ब्रा को पकड़ लिया. राज ने ललिता की नेक पर अपने होंठो को रख दिया. ललिता की मस्ती मे आँखें बंद हो गयी. और उसके हाथों की पकड़ ब्रा पर से ढीले हो गये. राज ने ललिता की ब्रा के स्ट्रॅप्स को दोनो तरफ से पकड़ उसके कंधों से सरका कर उसकी बाहों से निकालना चालू कर दिया. जैसे ही ब्रा के स्ट्रॅप्स ललिता के हाथों तक पहुँचे. ललिता ने अपने हाथों को ब्रा के कप्स से हटा कर अपनी सहमति जता दी. और राज ने ललिता के ब्रा को निकाल कर बेड पर फेंक दिया. ललिता की 34 साइज़ की कसी हुई चुचियाँ अब बाहर आ चुकी थी. ललिता की चुचियों के निपल्स उतेजना के कारण कड़े हो कर एक दम तन चुके थे.

राज ने ललिता की नेक को किस करते हुए. अपने हाथों को ललिता की बगलों मे से निकाल कर ललिता की चुचियों पर रख दिया. और धीरे-2 ललिता की चुचियों को मसलने लगा. जैसे ही राज के हाथ ललिता की चुचियों पर पड़े. ललिता राज की बाहों मे मचल उठी.

ललिता: अहह राज र्र ओह हाआँ बहुत्त्त्त अच्छा लगा रहा हाईईइ अब मेरीई बूब्स को कभी नाआ छोड़ना अहह सीयी उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह

राज : हाआँ ललिता अब मे इन्हे दिन और रात सारा टाइम प्यार करूँगा. तुम मुझे प्यार करने दोगी ना.

ललिता: अहह हाआअँ मेरे सरताज्जजज्ज्ज ये सब तुम्हारा हीए तो है.. मेरे हर अंग पर तुम्हारा ही हक है. अहह जनंन्न्नुऊऊउ ओह क्याअ कर रहे हो.

राज ने ललिता के निपल्स को दोनो हाथों की उंगलियों से ललिता के बूब्स के निपल्स को मसल दिया.

जैसे ही ललिता के निपल्स को राज ने अपने हाथों की उंगलियों मे लेकर मसला. ललिता एक दम से कसमसा उठी. और अपने सर को पीछे करके राज के चौड़े सीने पर रख दिया. राज ललिता की सुरहीदार गर्दन पर अपने होंठो को रगड़ता हुआ चूम रहा था. नीचे राज का लंड उसकी पॅंट मे तन कर ललिता के चुतड़ों की दरार मे पैंटी के ऊपेर से धंसा हुआ था. ललिता राज के लंड को अपनी चूत पर पानी की ऊपेर से महसूस करके गरम हो चुकी थी. और उसकी चूत मे सरसराहट होने लगी थी.

ललिता: (मदहोशी से भरी हुई आवाज़ मे) ओह्ह्ह्ह जाअन मुझीए सीए खड़ाा नही जाअ रहा अहह उंह

राज ने ललिता की बात सुनते हुए उसे अपनी गोद मे उठा लिया. और उसे बेड पर लेटा दिया. जैसे ही ललिता बेड पर आई. तो उसने अपनी वासना से भरी आँखों को खोल कर राज की तरफ देखा. और थोड़ी देर राज की आँखों मे देखने के बाद जब उसे अपनी हालत का पता चला. तो ललिता शरमा गये. और उसके होंठो पर मुस्कान आ गयी. ललिता ने अपनी नज़रें घुमा ली. और काँपती आवाज़ मे बोली.

ललिता: ऐसे क्यों देख रहे हो . मुझे शरम आ रही है.

राज ललिता की तनी और कसी हुई गुदाज चुचियों को देखते हुए जो ललिता के सांस लेने से ऊपेर नीचे हो रही थी. ललिता के निपल कड़े हो कर तन चुके थे.) तुम्हें देख रहा हूँ. तुम सच मे बहुत खूबसूरत हो.

ललिता ने शरमा कर अपनी आँखों को बंद कर लिया. राज ने अपने बदन पर बचे हुए कपड़ों को भी उतार दिया. राज का 8 इंच का लंड अब हवा मे झटके खा रहा था. ललिता अपनी आँखों को बंद किए. बेड पर पीठ के बल लेटी हुई थी. और एक छोटी सी पैंटी उसकी चूत को छुपाए हुए थी.
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12-20-2019, 12:52 PM,
#29
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
राज बेड पर चढ़ गया. और ललिता के ऊपेर आ गया. जैसे ही राज का वजन ललिता ने अपने बदन पर महसूस किया. ललिता का बदन उतेजना के मारें काँपने लगा. ललिता ने अपनी मदहोशी से भरी हुई आँखों को खोला. और दोनो एक दूसरे की आँखों मे देखने लगी.

ललिता: (काँपती हुई आवाज़ मे) राज अह्ह्ह्ह्ह्ह अब ललिता को हमेशा के लिए अपना बना लो मेरे सरताज.

और ललिता ने अपने ठहरथरा रहे होंठो को थोड़ा सा खोल कर राज की तरफ बढ़ाना चालू कर दिया. जैसे ही राज के होन्ट ललिता के होंठो से लगे. ललिता ने अपने आँखों को बंद कर लिया. और राज ने ललिता के होंठो को अपने होंठो मे लेकर चूसना चालू कर दिया.जैसे ही राज ललिता के ऊपेर उसके होंठो को चूमने के लिए झुका. तो राज का8 इंच का तना हुआ लंड ललिता के पैंटी के थोड़ा सा नीचे उसकी जाँघो पर रगड़ खा गया.

राज के लंड के गरम सुपाडे को अपनी थाइस पर महसूस करके. ललिता के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी. उसने अपनी बाहों को राज की पीठ पर कस लिया. और अपने होंठो को खोल कर राज से चुसवाने लगी. राज पूरे जोश मे ललिता के होंठो को चूस रहा था.और ललिता के हाथ राज की पीठ को सहला रहे थे. ललिता एक दम मस्त हो चुकी थी.

राज ने ललिता के होंठो से अपने होंठो को हटा लिया. और उसकी नेक को किस करता हुआ नीचे आने लगा. ललिता का बदन मस्ती मे ठहरथरा रहा था. ललिता के मुँह से हल्की सिसकारियाँ निकलने लगी.

जैसे -2 राज ललिता की नेक को किस करता हुआ नीचे उसकी तनी हुई चुचियों की तरफ बढ़ रहा था. वैसे -2 ललिता का बदन कांप रहा था. और उसके दिल की धड़कन तेज हो रहे थी. राज ललिता के बूब्स पर पहुँच गया. और दोनो हाथों मे ललिता के दोनो कसी और गुदाज चुचियों को लेकर धीरे-2 मसलने लगा. ललिता की चूत मे से पानी निकल कर उसकी पैंटी को भिगोने लगा था. राज ने ललिता की चुचियों को नीचे पकड़ कर दबा दिया. जिससे ललिता के निपल्स और बड़े हो गये. राज एक पल के लिए रुक गया. ललिता ने अपनी आँखों को खोल कर राज की तरफ देखा. राज बड़ी हसरत भरी नज़रों से ललिता के तने हुए निपल्स को देख रहा था.

राज ने एक बार ललिता की आँखों मे देखा. फिर ललिता के तने हुए निपल्स को देखते हुए. ललिता के निपल को झुक कर मुँह मे लिया. जैसे ही राज ने ललिता के निपल को मुँह मे भरा. ललिता का बदन ऐंठ गया. और उसके मुँह से अह्ह्ह्ह निकल गयी. और ललिता ने अपनी बाहों को राज के पीठ पर और कस लिया. ललिता अपने होंठो को दाँतों से काटते हुए अहह ओह कर रही थी.

ललिता: अहह राज र्र ईीई क्याआ हूऊ रहा हाईईईईईईई मुझीई ओह उफफफफ्फ़ बसस्स्स्सस्स करूऊ मुझसीई बर्दास्त नहिी हो रहा अहह मेरीई जान निकलल्ल्ल्ल जाएगी. उंह सीईईईईईईईईई राज ईईई ओह्ह्ह्ह जनंनणन्नुऊऊ.

राज ललिता के चुचि के निपल को और ज़ोर से चूसने लगा. ललिता एक दम गरम हो चुकी थी. उसके हाथ राज की पीठ को तेज़ी से सहला रहे थे. आँखें बंद थी. और वो अहह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह सीयी अहह कर रही थी.

राज ने ललिता की एक चुचि को 5 मिनट तक चूसने के बाद दूसरी चुचि को मुँह मे ले लिया. ललिता के निपल तन कर और कड़े हो चुके थे. जैसे ही राज ने ललिता की दूसरी चुचि को मुँह मे लिया. ललिता ने सिसकते हुए राज के सर को अपने दोनो हाथों मे कस कर अपनी चुचियों पर भींच लिया.

ललिता: अहह जानूउ बहुत्त्त्त्त्त्त अच्छा लग रहा हाईईईईई और चूसूऊओ अपनी ललिता के निपल्स को अहह डियीयेपया आज्ज्जज्ज सीए राज की हुईईइ अह्ह्ह्ह हां ऐसे हीई अपनी जीभह को मेरी निपल्स पर रागडो अहह बहुत मज़ा आ रहा है राज र्ररर अहह हाआअँ और्र्रर जोर्र से चुसूओ.

रूम मे महॉल बहुत गरम हो चुका था. राज का लंड भी अब एक दम लोहे की रोड की तरहा तन चुका था. राज ने ललिता की चुचियों को मुँह से निकाला और ललिता की जाँघो को फैला कर घुटनो के बल बीच मे बैठ गया.

ललिता ने अपनी वासना से भरी हुई आँखों को खोला. और राज की तरफ देखने लगी. ललिता की टांगे राज की मांसल जाँघो के ऊपेर थी. राज ने ललिता की आँखों मे देखते हुए. ललिता की पैंटी को दोनो साइड से पकड़ कर नीचे करने लगा. ललिता अब समझ चुकी थी. अब क्या होने वाला है. वो राज को नाराज़ नही करना चाहती थी. ललिता ने अपनी सहमति जताते हुए अपने चुतड़ों को थोड़ा सा ऊपेर उठा लिया. और राज के होंठो पर मुस्कान आ गयी. जिसे देख कर ललिता शरम से लाल हो गयी. और उसने अपनी आँखों को बंद करके दूसरी तरफ फेस को घुमा लिया. राज ने ललिता की पैंटी को निकाल कर बेड की साइड मे रख दिया.


और ललिता की टाँगों को घुटनो से मोड़ कर ऊपेर उठा कर फैला दिया. ललिता की कुँवारी गुलाबी चूत राज की आँखों के सामने थी
ललिता: ओह्ह्ह्ह राज बससस्स ऐसी हीए मेरे निपल्स को चूस्ते रहो. मुझ बहुत अच्छा लगा रहा है. उम्ह्ह्ह्ह

राज ललिता की बात को सुन कर और ज़ोर-2 से ललिता की चुचि को चूसने लगा. ललिता भी अब एक दम मस्त हो चुकी थी. उसकी चूत से उठ रही दर्द की टीस अब मीठी-2 खुजली मे बदल चुकी थी. और राज के सख़्त मोटे लंड को अपनी चूत के दीवारों पर सटा हुआ महसूस करके. ललिता की चूत पानी छोड़ने लगी. ललिता से अब रहा नही गया. और ललिता ने अपनी कमर को नीचे से धीरे-2 हिलाना चालू कर दिया.

राज को समझते देर ना लगी की. ललिता अब नॉर्मल हो गयी है. और राज धीरे-2 अपना आधा लंड उसकी चूत के बाहर निकाल कर धक्के लगाने लगा. पहले कुछ धक्कों मे ललिता को दर्द का अहसास हुआ. पर वो भी कुछ पलों मे जाता रहा.

अब ललिता की दर्द भरी आहें वासना और मस्ती से भरी सिसकारियों मे बदलने लगी.

ललिता: ओह जानू अब्ब्ब्ब्ब बहुत्त्त अच्छा लगा रहा है. हान्णन्न् ऐसी ही धीरे-2 करो. ओह बहुत्त्त मज्जाअ आआ रहा है डियर

राज ललिता की बातों को सुनते हुए धीरे-2 गरम होने लगा. और अपनी रफ़्तार को तेज करने लगा. अब राज का तना हुआ लंड तेज़ी से ललिता की चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बाहर होने लगा. और कुछ 5 के सेक्स के बाद ललिता का बदन अकड़ने लगा. और उसकी कमर झटके खाते चूत से पानी छोड़ने लगी.

राज जो आज अपनी जिंदगी मे पहली बार सेक्स कर रहा था. वो भी झड़ने के कगार पर था. और राज ने भी ललिता की चूत मे अपने वीर्य की बोच्चार कर दी.



अब फ्लश बॅक से बाहर आते हैं दोस्तो. क्योंकि आगे कुछ बातें वाला खास नही है. अगर लिखना भी चाहूं. तो स्टोरी 1000 पेज से ज़्यादा हो जाएगी.



राज अपने रूम मे लेटा हुआ. अपनी पुरानी यादों के सागर मे डूबा हुआ था. तभी बाहर से डॉली (राज की छोटी बेहन ) ने डोर नॉक किया. राज एक दम झुंजला उठा. और बेड से खड़ा हो कर डोर की तरफ देखने लगा. जब वो ख्वाबों की दुनिया से निकल कर बाहर आया तो. उसकी आँखें आँसुओं से भर गयी.

राज : (भरे हुए गले को संभालते हुए) कॉन है बाहर.

डॉली: मे हूँ भैया. बाहर रवि आपका इंतजार कर रहा है. उसके साथ आप ने खेतों मे जाना था.

राज : उसे बैठाओ मे पाँच मिनिट मे आता हूँ.

और राज बाथरूम मे घुस गया. और ललिता को याद करते हुए, फुट-2 कर रोने लगा. कुछ महीनो पहले तक उसकी दुनिया कितनी हसीन थी. ललिता जैसी खूबसूरत पत्नी और डॉली जैसी प्यार करने वाली बहन. और उसका पति जो हमेशा राज के साथ हर काम मे उसके कंधे से कंधा मिला कर खड़ा होता था. पर आज राज अपने आप को अकेला महसूस करके रोए जा रहा था.

फिर राज बाहर आकर बेड पर बैठ गया. उसके आँसू अभी भी रुकने का नाम नही ले रहे थे. राज ने दीवार पर लगी अपनी और ललिता की बड़ी से तस्वीर को देखा. और उठ कर खड़ा हो गया. और तस्वीर की तरफ जाने लगा.

राज : (अपनी और ललिता की तस्वीर पर हाथ फेरते हुए) तुम मुझे छोड़ कर क्यों चली गयी. अब मे किस के लिए जीऊँगा. तुमने ये ठीक नही क्या ललिता. और एक बार फिर राज की आँखों मे आँसू आ गये.
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12-20-2019, 12:53 PM,
#30
RE: Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश
तभी फिर से डोर पर नॉक हुआ. राज एक दम से झुंझला उठा और गुस्से से बोला.

राज : कॉन है. मे कह रहा हूँ ना अभी आता हूँ.

तभी डोर पर फिर से नॉक हुआ. इस बार जैसे किसी ने अपने कमजोर हाथों से डोर को नॉक किया हो. राज ने अपनी आँखों को सॉफ किया. और जा कर डोर खोला. सामने डॉली साहिल को अपने गोद मे उठाए खड़ी थी. और साहिल अपने छोटे- हाथों को डोर पर मार रहा था. जैसे ही राज बाहर आया. तो साहिल खिल खिला कर हंस पड़ा. उस नन्ही सी जान की किल्कारी से सारी हवेली मे खुशी की लहर से दौड़ उठी.

और राज भी साहिल को अपने गोद मे लेने से अपने आप को रोक ना पाया. जैसे ही राज ने साहिल को अपनी गोद मे लिया. साहिल ने अपने छोटे-2 मुलायम हाथों को राज के गाल पर रख दिए. राज को मानो ऐसे लग रहा था. कि उसकी जिंदगी मे जितना भी दर्द है. वो आज ख़तम हो जाएगा.

डॉली: (राज और साहिल को देख कर मुस्कुराने लगी) भैया चाइ बन गयी है. आप चाइ पी लो. और देखो रवि कब से बैठा . आप का इंतजार कर रहा है.

राज ने एक बार रवि की तरफ देखा. और फिर साहिल को उठाए हुए, बाहर हाल मे सोफे पर बैठ गया. तब तक हवेली मे काम करने वाली औरत चाइ लेकर आ गयी. राज ने नौकरानी को रवि को चाइ देने के लिए कह दिया.

राज : (चाइ पीते हुए) डॉली मैं रात होने से पहले आ जाउन्गा. तुम साहिल का ध्यान रखना. बाहर गेट पर मैने कुछ लोगो की ड्यूटी लगा दी है. तुमसे पूछे बिना इस हवेली के अंदर बाहर कोई आ जा नही सकेगा.

डॉली: ठीक भैया. आप बेफिकर हो कर जाओ.


राज ने चाइ ख़तम की और साहिल को डॉली को पकड़ा दिया. और राज बाहर चला गया. रवि भी राज के पीछे भागता हुआ बाहर आ गया. बाहर आकर राज ने गाड़ी स्टार्ट की और रवि को बैठा कर अपने खेतों की तरफ चला दी.

राज : (रास्ते मे) तो रवि पहले ये बताओ. कुल कितने लोग हमारे खेतों मे काम कर रहे हैं.

रवि: बाबू जी कुल मिला कर 10 मजदूर हैं. सभी परिवार वाले हैं. उनकी पत्नियाँ भी काम करती है. जब काम ज़्यादा हो.

राज : अच्छा ये बताओ. उनमे से तुम्हे कॉन से ऐसे लोग हैं. जो तुम्हें समझदार मेहनती और ज़िम्मेदार लगते हैं.

रवि: बाबू जी वैसे तो सभी बहुत मेहनत करते हैं. पर उनमे सबसे समझदार दीनू काका हैं. वो अपनी पत्नी और बेटी के साथ रहते हैं. उनकी बेटी रोमा विधवा हो गयी थी. तब से वो अपने माँ बाप के पास रह रही है. और उनका बेटा बाहर सहर मे अपनी पत्नी के साथ रहता हैं.

राज : उम्र के छोटे हो पर बहुत समझदार हो तुम. चलो बातों पहले कहाँ चलें.

रवि: वैसे तो आप को पता ही है. आप की ज़मीन तो दूर-2 तक फैली हुई है. आज आप लेट हो गये. इसीलिए आज अपनी गाँव की ही ज़मीन देख लीजिए. आपकी ज़मीन का सबसे बड़ा हिस्सा यहीं है. और दीनू काका भी इसी ज़मीन की देख भाल करते हैं.

राज : तो चलो पहले वहीं चलते हैं.

कुछ ही देर मे राज और रवि खेतों मे पहुँच गये. राज ने गाड़ी रोकी. और दोनो गाड़ी से उतर गये. जैसे ही राज और रवि गाड़ी से उतरे. तो दीनू काका दौड़ता हुआ राज के पास आ गया.

दीनू: नमस्ते मालिक.

राज : नमस्ते (और राज रवि की तरफ देखने लगा)

रवि: बाबू जी ये दीनू काका हैं. मैने बताया था ना. बहुत ही लगन और मेहनत से काम करते हैं

राज : अच्छा. तो ये हैं दीनू.

दीनू: बाबू जी आपके दरशन पा कर मे धन्य हो गया. हम ग़रीब लोगो का तो आप ही सहारा हो. आइए बाबू जी.


राज और रवि दीनू के पीछे चलने लगे. खेतों के बीच मे पहुँच कर दीनू खेतों के बीच बने तीन कमरों के पास आ कर रुक गया. और अंदर से अपनी पत्नी को आवाज़ लगाने लगा. थोड़ी ही देर मे दीनू की पत्नी और बेटी जो विधवा हो चुकी थी बाहर आ गये.

दीनू: सुनती हो देखो बाबू जी आए हैं. जल्दी से पानी लेकर आ.

राज : नही उसकी कोई ज़रूरत नही. बस कुछ बात करनी थी आप से.

दीनू ने जल्दी से बाहर खाट लगा दी. और राज को उसपर बैठने के लिए बोला. राज खाट पर बैठ गया.

दीनू: बाबू जी ये मेरी पत्नी है कमनी. और ये मेरी बेटी रोमा है.

राज : इसके पति की मौत कैसे हो गयी.

दीनू: बस क्या बताऊ बाबू जी. एक दिन बेचारा रात को काम से लौट रहा था. उस्दिन उसे पैसे मिले थे तनख़्वा के. और रास्ते मे कुछ लोग उससे छीना झपटी करने लगे. जब उसने उन्हें पैसे देने से इनकार कर दिया. तो उसे वहीं मार कर फेंक गये. बताइए ना बाबू जी क्या जमाना आ गया है. सिर्फ़ 3000 रुपये के लिए बेचारी के पति को मार डाला.

राज दीनू की बात सुन कर एक दम से परेशान हो गया.

राज : अच्छा कितने साल हो गये.

दीनू: बाबू जी तीन साल हो गये.

राज : फिर इसकी दूसरी शादी क्यों नही कर देते.

दीनू: बाबू जी हम बहुत ग़रीब लोग हैं. बिना दहेज और पैसों के कॉन एक विधवा से शादी करेगा.

राज : तुम्हें हर महीने कितने पैसे मिलते हैं.

दीनू: बाबू जी 1500 रुपये मिलते हैं. बाकी दाना पानी तो आपके खेतों से ही मिल जाता है. जैसे आप के बाबू जी बोल गये थे.

राज : अच्छा ठीक है. मे आज से तुम्हें 2500 रुपये महीना दूँगा. और अगर तुम चाहो तो तुम्हारी बेटी हवेली मे रह कर हवेली का काम कर के कुछ और पैसे कमा सकती है.

राज की बात सुन कर दीनू अपनी बेटी रोमा की तरफ देखने लगा. जिसने अपने फेस को वाइट साड़ी के पल्लू से ढक रखा था. रोमा ने दीनू की तरफ देखते हुए हां मे सर हिला दिया.

दीनू: बाबू जी आप का बहुत धन्यवाद हो. आप तो भगवान के रूम मे हमारे ग़रीब के पास आए हो.

राज : अच्छा और मे तुम्हें और ज़िमेदारी का काम दे रहा हूँ. पहले ये बताओ तुम्हरे जैसे और कितने लोग काम करते हैं.

दीनू: बाबू जी तीन परिवार और हैं यहाँ पर. तीनो आदमी के इलावा उनके परिवार वाले भी काम मे मदद करते हैं.

राज : हुम्म ठीक है. आज से तुम इन सब को काम बताओगे. और सारी ज़िमेदारी तुम्हारी है. काम मे कोई कसर नही रहनी चाहिए. अगर ज़रूरत हो तो और आदमी रख लेना. आज से यहाँ की ज़मीन की ज़िम्मेवारी तुम्हारी है. अगर तुम्हारी बात को कोई ना माने तो मुझ बता देना. मे देख लूँगा उसे.

दीनू: ठीक हैं बाबू जी. बस एक दो मजबूर और रख लेता हूँ .बाकी तो फसल की बुबाई और कटाइ के टाइम ही ज़रूरत पड़ती है. तब शहर से किराए के मजदूर ले आते हैं.

राज : अच्छा ठीक है. अब मुझे सब से मिला दो. मे उनसे भी बोल देता हूँ. कि वो तुम्हारी हर बात माने. और हां कल अपनी बेटी को हवेली भेज देना.

दीनू: जी ठीक है बाबू जी चलिए मे आप को बाकी लोगों से मिलवा देता हूँ.

और राज और रवि दीनू के पीछे-2 चलने लगे. कुछ दूरी पर पहुँच कर कुछ कच्चे कमरे बने हुए थे. आस पास खतों मे कुछ आदमी और औरतें काम कर रही थी. जैसे ही तीनो वहाँ पहुँचे सभी लोग दौड़ कर वहाँ आ गये.
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