Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
09-01-2018, 12:07 PM,
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
राहुल- जो हुकुम साहिबा. और राहुल राधिका के पीछे जाकर अपने दोनो कठोर हाथों से राधिका के बूब्स को कसकर मसल्ने लगता हैं. राधिका के मूह से सिसकारी निकल जाती हैं. फिर राहुल अपना होंठ राधिका के पीठ पर रखकर उसकी गर्देन तक अपना जीभ फिराता हैं. राधिका को अब बर्दास्त के बाहर हो जाता हैं और वो तुरंत राहुल के सीने से लिपट जाती हैं. फिर राहुल एक एक कर राधिका के कपड़े उतारना शुरू करता हैं. पहले सूट फिर लॅगी. कुछ देर में राधिका बस ब्रा और पैंटी में राहुल के सामने खड़ी थी. वो फिर अपना हाथ राधिका के पीठ के पीछे ले जाता हैं और उसके ब्रा के स्ट्रॅप्स को खोल देता हैं और दूसरे हाथ नीचे लेजा कर उसकी पैंटी भी उसके बदन से अलग कर देता हैं.

अब राधिका राहुल के सामने पूरी नंगी अवस्था में खड़ी थी. राहुल बड़े गौर से राधिका के बदन को देखने लगता हैं.

राधिका- ऐसे क्या देख रहे हो राहुल.मुझे शरम आती हैं. कभी मुझे ऐसे नहीं देखा क्या.

राहुल- सच कहूँ राधिका जब तुम मेरी बीवी बन जाओगी तब तुम्हें मेरे घर में बिना कपड़ों के रखूँगा. जैसे अभी हो. तुम ऐसा ही नंगी अच्छी लगती हो. मैं सुबेह शाम बस तुम्हारे इस सुंदर रूप का दीदार करूँगा.

राहुल राधिका के करीब आता हैं और अपना जीभ राधिका के निपल्स पर रखकर उसे बारी बारी से चूसने लगता हैं. राधिका पूरी तरह से गरम हो चुकी थी. वो भी अपना हाथ राहुल के सिर पर रखकर उसे सहलाती हैं. फिर राहुल नीचे आता हैं और राधिका की चूत पर अपना मूह रखकर उसके क्लीस्टोरील्स को अपने दाँतों से कुरेदने लगता हैं. जवाब में राधिका भी अपनी दोनो टाँगें फैला कर राहुल का पूरा समर्थन करती हैं. उसकी चूत से भी पानी बह रहा था और धीरे धीरे वो भी अपने ऑर्गॅनिसम के करीब पहुँच रही थी. ऐसे ही करीब 10 मिनिट तक राहुल राधिका की चूत पर अपनी जीभ फिराता हैं और राधिका का सब्र टूट जाता हैं और वो झरने लगती हैं. दिन ब दिन राधिका के अंदर उसके बदन की आग बढ़ती ही जा रही थी.

राहुल भी उठता हैं और राधिका को अपनी गोद में उठाकर बिस्तेर पर सुला देता हैं फिर अपने भी पूरे कपड़े निकाल कर अपना लंड राधिका के मूह के सामने रख देता हैं. राधिका भी अपनी जीभ आगे बढ़ाकर राहुल का लंड को अपने मूह में लेती हैं और धीरे धीरे चूसना शुरू करती हैं.

राधिका- राहुल आज तुम अपना लंड पूरा मेरे मूह में डालकर चोदो ना. देख लेना तुम्हें बहुत मज़ा आएगा.

राहुल तो कब से यही चाहता था मगर वो थोड़ा राधिका से झीजकता था कि कहीं राधिका को ये सब अच्छा ना लगे. और अगले ही पल वो धीरे धीरे अपने लंड पर दबाव डालना शुरू करता हैं और धीरे धीरे राधिका के मूह में राहुल का लंड अंदर जाने लगता हैं. राधिका को भी इसी तरह का सेक्स में मज़ा आता था. वो तो हमेशा से यही चाहती थी कि राहुल उसको बुरी तरह से रगड़े. मगर राहुल राधिका को कोई तकलीफ़ नहीं पहुँचना चाहता था. धीरे धीरे राहुल अपना पूरा लंड राधिका के मूह में डाल देता हैं और एक दम धीरे धीरे आगे पीछे करने लगता हैं. कुछ देर में राहुल अपना पूरा लंड राधिका के हलक तक पहुँचाने में सफल हो जाता हैं. राधिका को उतनी तकलीफ़ नही होती जितनी उसे अपने भैया का लंड को अपने मूह में लेने से हुई थी. राहुल का लंड राधिका के हलक में था और वो उसी पोज़िशन में कुछ देर तक अपना लंड रहने देता हैं.

राधिका की भी तकलीफ़ बढ़ने लगती हैं मगर वो राहुल को अपना लंड बाहर नहीं निकालने देती. राहुल का भी सब्र टूट जाता हैं और वो राधिका के गले में ही अपना कम निकाल देता हैं.और राधिका राहुल का पूरा कम अपने गले के नीचे उतार देती हैं. राहुल हैरत से राधिका के इस वाइल्ड सेक्स को देखने लगता हैं.

राहुल- कमाल का लंड चुसती हो राधिका तुम तो. और कहाँ से सीखा तुमने ये सब. तुम तो कोई प्रोफेशनल रंडी की तरह लंड चुसती हो.

राधिका घूर कर राहुल को देखती हैं- जाओ मैं तुमसे बात नहीं करती.

राहुल- तुम तो बात बात पर बुरा मान जाती हो. मैं तो बस तुम्हारी तारीफ ही तो कर रहा था.

राधिका- अच्छा अच्छा ज़्यादा मक्खन मत लगाओ. अब मेरी आग को भी ठंडा करो. फिर राधिका थोड़ी देर तक राहुल का लंड चुस्ती हैं और उसके टिट्स भी अपने जीभ से चाटती हैं. राहुल का लंड फिर से खड़ा हो जाता हैं और अब वो राधिका की चूत पर अपना लंड का सुपाडा रखकर एक झटके में पूरा लंड अंदर पेल देता हैं. राधिका के मूह से ऊऔच........... की एक आवाज़ आती हैं और फिर सिसकारी धीरे धीरे बढ़ने लगती हैं. राहुल फिर पूरी गति से अपना लंड राधिका की चूत में अंदर बाहर करता हैं और करीब 15 मिनिट में वो राधिका की चूत में अपना कम डाल देता हैं. राधिका भी झर जाती हैं और वही राहुल के सीने पर अपना सिर रखकर लेट जाती हैं. दोनो की साँसें एक दम तेज़ चल रही थी. थोड़ी देर के बाद राहुल भी अपने कपड़े पहन लेता हैं और राधिका भी तैयार हो जाती हैं.

राहुल- तुम खुश तो हो ना राधिका मेरे साथ.

राधिका बड़े गौर से राहुल के चेहरे की ओर देखने लगती हैं फिर उसके सीने से लिपट जाती हैं और अपने लब राहुल के लब पर रखकर चूम लेती है- मैं बहुत खुस हूँ राहुल मगर मुझे तुमसे कुछ बात करनी हैं. समझ में नही आता कि कैसे कहूँ.

राहुल- बोल ना जान भला ऐसी कौन सी बात हैं.
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09-01-2018, 12:07 PM,
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
राधिका इसी अस्मन्झस में थी कि वो राहुल को सारी बातें बता दे मगर उसके अंदर थोड़ी भी हिम्मत नही थी कि वो राहुल के सामने सच कह सके. लाख कोशिशों के बावजूद वो कुछ नहीं बोल पाती.

राहुल- ऐसी क्या बात हैं जान जो तुम मुझसे कह नहीं पा रही हो. सब ठीक तो हैं ना.

राधिका- हां राहुल मैं तो ये कह रही थी कि कृष्णा भैया भी मुझे बहुत प्यार करते हैं और वो मेरे बगैर नहीं रह पाएँगे. ......

राहुल- अरे यार तुम तो इतनी छोटी सी बात से तुम परेशान हो. कोई बात नहीं ये तो हर भाई बेहन के बीच में ऐसा प्यार रहता हैं. और तुम इसी सहर में तो रहोगी मेरे साथ. जब भी तुम्हें अपनी भैया की याद आए तुम चली जाना उनसे मिलने. अब तो खुश हो ना.

राधिका तो चाहती थी कि वो कृष्णा और उसके बीच नज़ायज़ रिश्ते को बताए मगर राधिका चाह कर भी कुछ नहीं बोल पाती. वो भी भाग्य के भरोसे अपनी किस्मेत पर छोड़ देती हैं.

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वक़्त अपनी रफ़्तार से गुजर रहा था और इधेर बिहारी भी पार्वती को उपर पहुँचने का प्लान पूरा कर चुका था बस इंतेज़ार था उसे सही वक़्त का. और वो वक़्त बहुत जल्द आने वाला था. बिहारी ने एक ऐसा चक्रव्यूह रचा था जिसको भेद पाना अच्छे अच्छे इंसान के बस में नहीं था. इस चक्रव्यूह में ना जाने बिहारी ने कितनी ज़िंदीगियों को दाँव पर लगा दिया था. पर जो भी आगे होने वाला था ये ना ही पार्वती के लिए अच्छा था और ना ही राधिका के लिए

पार्वती भी डाइवोर्स के पेपर्स अपने वकील द्वारा बनवा ली थी. इंतेज़ार था तो बस उसपर बिहारी और पार्वती के साइन का. पार्वती ने कुछ ऐसी दलीले पेश किया था जिसके वजह से उसका पलड़ा भारी था और बिहारी का सपना जो पार्वती के हाथों दौलत पाने का था उसपर जल्दी ही पानी फिरने वाला था. और बिहारी ये नहीं चाहता था कि उसके हाथों वो दौलत निकले.

उधेर राधिका भी दिन में राहुल के साथ सेक्स करती और रात में अपने भैया का बिस्तेर गरम करती. वो अब धीरे धीरे सेक्स की अडिक्ट होती जा रही थी. धीरे धीरे उसका शराब पीना भी बढ़ने लगा. और सिगरेट की तो कोई गिनती नहीं थी. वक़्त बीत रहा था.

एक शाम.............शाम के 7 बज रहे थे. हल्का अंधेरा छाने लगा था. और मौसम भी खराब था. तेज़्ज़ हवायें चल रही थी. पार्वती को कल किसी भी हालत में डाइवोर्स चाहिए था इस वजह से वो वकील से मिलने उसके पास अपनी कार से जा रही थी. और उधेर राधिका भी निशा के घर गयी हुई थी. वो भी उस वक़्त अपने घर को लौट रही थी. बीच में रास्ता पूरा सुनसान था. चारों तरफ घने पेड़ थे. ना कोई गाड़ी आ जा रही थी और ना ही कोई आदमी दिखाई दे रहा था. वैसे राधिका तो इस रास्ते से कम ही जाती थी मगर आज वो ऑलरेडी बहुत लेट थी तो उसने सोचा चलो शॉर्टकट रास्ता अपनाया जाए. और वो ये सोचकर उस रास्ते से अपने घर की ओर चल देती हैं.

उधेर पार्वती जब उसी रास्ते से गुजरती हैं तो बीच सड़क पर एक आदमी सोया रहता हैं. वो घबराकर अपनी कार रोक देती हैं और नीचे उतरकर उस शक्श के पास जाती हैं. हिम्मत तो उसे भी नहीं हो रही थी मगर सोचने वाली बात ये थी कि इस समय ये आदमी बीच सड़क पर क्यों सोया हुआ हैं. कहीं कोई आक्सिडेंट तो नहीं हो गया. पार्वती अपने थिरकते कदमों से उस शक्श के पास जाती हैं और उसके पीठ पर अपना हाथ रखकर उसे उठाती हैं. मगर उस आदमी में कोई हलचल नहीं होती. डर तो उसे बहुत लग रहा था मगर वो करे भी तो क्या करे.

तभी पीछे से किसी के कदमों की आवाज़ सुनाई देती हैं. पार्वती झट से पीछे मुड़ती है तभी उसके पीछे एक नकाबपोश खड़ा रहता हैं हाथों में चाकू लिए. ये नज़ारा देखकर पार्वती के होश उड़ जाते हैं. इसी पहले कि पार्वती कुछ हरकत करती जो ज़मीन पर सोया हुआ नकाबपोश उसके पीछे खड़ा हो जाता हैं और एक धरधार चाकू से पार्वती के पीठ पर चाकू घोप देता हैं. पार्वती की दर्द भरी चीख निकल पड़ती हैं. पार्वती पीछे मुड़ती तब तब सामने वाला नकाबपोश उसके पेट में दूसरा चाकू घोप देता हैं. पार्वती की फिर एक दर्दनाक चीखें निकल पड़ती हैं. फिर एक साथ दोनो नकाबपोश आगे पीछे से एक एक चाकू उसके पीठ और पेट पर मार देते हैं. पार्वती वहीं ज़मीन पर गिर पड़ती हैं उसके शरीर से खून बहने लगता हैं और आँखें बंद होने लगती हैं.
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09-01-2018, 12:07 PM,
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इसी पहले कि वो दोनो नकाबपोश पार्वती पर और चाकू से वार करते वहाँ पर राधिका पहुँच जाती हैं और जब उसकी नज़र उन दोनो नकाबपोषों पर पड़ती हैं तब तब वो दोनो भाग जाते हैं. पार्वती की आखरी साँसें चल रही थी. राधिका फ़ौरन पार्वती के पास जाती हैं और जाकर उसे अपने गोद में सुला लेती हैं.....

राधिका- आप कौन हैं और आप पर ये किसने हमला किया.

पार्वती- देखो...... बेटी.. मेरे पास समय.....बहुत कम हैं.....मैं बचूंगी नहीं....ये मेरे.........पति के आदमी .....थे.. उसने ही ...मुझे मरवाया हैं...........

राधिका- कौन हैं आपके पति. उसका क्या नाम हैं. बताइए.

पार्वती- बिहारी नाम है.............उसका. वो ... इस ...सहर का.....एमलए हैं. और...मैं उसकी पत्नी हूँ. मगर............ मेरा उससे ....डाइवोर्स होने.....वाला था.. ...मैं उसका ...राज़ जानती हूँ ..... इस वज़ह से वो ........मुझे मरवाना......चाहता हैं....

राधिका- कौन सा राज़??? मैं जानती हूँ उसे बहुत ही कमीना इंसान हैं वो तो.

पार्वती- इस ....सहर में.......ड्रग्स और......रंडी का धंधा .......हो रहा ............है..उसके पीछे........मेरे पति...का हाथ हैं..........और उसका साथ भी हैं.............वो भी .................उससे मिला हुआ हैं...........और वो एक मासूम .........लड़की की ज़िंदगी का................सौदा करना चाहते हैं..........तुम ये सब .पोलीस को बता...देना बेटी.........बस .......अओर मुझे......कुछ नहीं चाहिए......

राधिका इससे पहले कि पार्वती के सवलों का जवाब दे पाती पार्वती अपनी आँखें बंद कर चुकी थी. उसका शरीर ठंडा पड़ गया था. राधिका के भी कपड़े खून से सने हुए थे. वो भी इस वक़्त बहुत डरी हुई थी. वो तुरंत राहुल के पास फोन करती हैं और शॉर्ट में पूरी बात बताती हैं. राहुल करीब 1/2 घंटे में वहाँ पहुचता हैं और राधिका तुरंत भागते हुए राहुल के सीने से लिपट जाती हैं. वो इतनी डरी हुई थी कि उसकी आवाज़ भी सही ढंग से नहीं निकल पा रही थी. राहुल भी उसे अपने सीने से लगा लेता हैं और साथ आए कॉन्स्टेबल्स को पार्वती की डेड बॉडी को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजवा देता है.

राधिका भी इस वक़्त कोई बयान देने की हालत में नही थी और राहुल उसे अकेला अपने घर नहीं छोड़ना चाहता था. वो राधिका को लेकर अपने घर की ओर चल देता हैं. राहुल के मन में हज़ार तारह के सवाल उठ रहे थे मगर वो चाह कर भी इस वक़्त राधिका से कुछ नहीं पूछ सकता था. ये तो आने वाला वक़्त ही बता सकता था कि राहुल बिहारी की खरतर्नाक चाल को समझ पाता हैं या नहीं.
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09-01-2018, 12:08 PM,
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राहुल- तुम सब एक एक चीज़ की अच्छी तरह से तलाशी लो. देखो कुछ काम की चीज़ मिलती हैं क्या. और इस कार को भी अपने अंडर में ले लो. अगर कुछ पता चलता हैं तो मुझे फ़ौरन इनफॉर्म करना. मैं राधिका को लेकर अपने घर जा रहा हूँ. और राहुल वहाँ से अपने घर के लिए निकल जाता हैं.

राधिका अभी भी सदमे में थी. वो चुप चाप राहुल के सीने से चिपकी हुई थी.

राहुल- जान पहले अपने कपड़े चेंज कर लो. देखो तुम्हारे कपड़े पर पूरा खून लगा हुआ हैं.
राधिका- मुझे बहुत डर लग रहा हैं राहुल.

राहुल- चिंता मत करो तुम मेरे साथ हो कुछ नहीं होगा. फिर राधिका बाथरूम में जाकर अपने कपड़े चेंज करके आती हैं. फिर थोड़ी देर में रामू काका भी खाना रेडी कर देते हैं और दोनो खाना खाते हैं.

राहुल- एक काम करो अपने भैया को इनफॉर्म कर दो कि तुम आज अपने घर नहीं आ पाओगी.

राधिका फिर अपने भैया के पास फोन लगाती हैं और काफ़ी देर के बाद कृष्णा फोन उठाता हैं...

राधिका इससे पहले की कुछ बोलती कृष्णा बोल पड़ता हैं- राधिका आज मैं कुछ काम से बाहर हूँ आज मैं घर नहीं आ पाउन्गा. तुम अपना ख्याल रखना. राधिका भी कुछ नहीं कहती और फोन रख देती हैं.

राहुल- तुमने कुछ बताया क्यों नहीं अपने भैया को.

राधिका- वो आज रात घर नहीं आएँगे. कह रहे थे कि कुछ ज़रूरी काम से बाहर हूँ. इस लिए मैने सोचा क्यों बेवजह उनको परेशान करू.

राहुल- ठीक हैं थोड़ा रिलॅक्स हो जाओ और जो कुछ भी हुआ था वहाँ पर सारी बातें मुझे बताओ.

राधिका थोड़े देर में सारी घटनायें राहुल को बता देती हैं. राहुल भी गहरी विचार में डूब जाता हैं.

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वहाँ से दूर बिहारी के प्राइवेट गेस्ट हाउस में.........

बिहारी- चलो अच्छा हुआ तुम लोगों ने अपना काम सही ढंग से किया. बेचारी पार्वती को इस दुनिया से विदा करवा कर. भगवान उसकी आत्मा को शांति दे. लाओ वो तलाक़ के पेपर्स मुझे दो.

दोनो शक्श एक दूसरे का मूह देखते हैं फिर एक बोल पड़ता हैं.--- तलाक़ के काग़ज़ात तो हमारे पास नहीं हैं. हम पार्वती पर हमला कर ही रहे थे तभी एक लड़की वहाँ पर आ गयी और हमे वहाँ से भागना पड़ा. सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि हम वो काग़ज़ात नही ले पाए...

बिहारी- ओह शिट!!! ये तुमलोगों ने क्या किया. अब तक तो पोलीस भी वहाँ पर आ चुकी होगी और जल्दी ही वो तलाक़ के पेपर्स पोलीस के क़ब्ज़े में होंगे. और उन पेपर्स के ज़रिए वो मुझ तक भी पहुँच जाएँगे. जानते हो ना मैने तुमलोगों को ये काम के लिए 10 लाख रूपई दिए थे. अब जल्दी से यहाँ से निकलो पोलीस कभी भी मेरे पास आ सकती हैं पूछताक्ष के लिए. और मुझे पोलीस के हर सवाल का जवाब भी तो देना हैं.

दोनो शक्श वहाँ से निकल जाते हैं और बिहारी वहाँ से अपने बंगले पर आ जाता हैं. वो पोलीस के हर सवाल का जवाब ढूँढने में लगा हुआ था. बिहारी का शक़ एक दम सही था. पोलीस को डाइवोर्स के पेपर्स हाथ लग चुके थे.

थोड़ी देर के बाद ख़ान राहुल के घर जाता हैं.

ख़ान- सर तालशी के दौरान हमे कार से डाइवोर्स के पेपर्स मिले हैं. और इस पेपर के हिसाब से वो औरत का नाम पार्वती हैं और वो बिहारी की पत्नी हैं. और वो बिहारी से डाइवोर्स चाहती थी. सारा पेपर्स तैयार थे बस उन्दोनो के साइन इस पेपर पर बाकी थे. और ये आइ-कार्ड भी बरामद हुआ हैं. इसपर नाम अड्रेस सब कुछ नोट हैं.

राहुल को ख़ान के बातों पर विश्वास नहीं होता और वो डाइवोर्स के पेपर्स लेकर देखने लगता हैं.- इसका मतलब बिहारी ने जान बूझ कर पार्वती का मर्डर करवाया हैं. राधिका के बयान के हिसाब से वो उसका राज़ जान गयी थी और इस वजह से वो उससे तलाक़ चाहती थी. बिहारी ने अपनी काली करतूतो को छुपाने के लिए ऐसा किया होगा. अब देखता हूँ वो कमीना मेरे हाथों से कैसे बचता हैं. ये केस हमारे लिए बहुत इंपॉर्टेंट हैं और मैं चाहता हूँ कि इस केस की अच्छी तरह से इक्वायरी हो. जितनी जल्दी हम इस केस को सॉल्व कर देंगे उतनी जल्दी बिहारी जैल की सलाखों के पीछे होगा.

ख़ान- ऐसा ही होगा सर. पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट आ जाने के बाद हम बिहारी से पूछताक्ष करेंगे.

राहुल- ठीक हैं ख़ान और कोई नयी न्यूज़ मिलती हैं तो मुझे इनफॉर्म करो. और ख़ान वहाँ से चला जाता हैं.

राहुल- मरते वक़्त पार्वती ने तुमसे और भी कुछ कहा था क्या राधिका. कहीं उसने किसी की तरफ इशारा तो नहीं किया था.

राधिका - हां वो कह रही थी कि एक मासूम लड़की की ज़िंदगी बर्बाद करना चाहते हैं वो लोग. पता नहीं कौन हैं वो लड़की मैं पूछने वाली थी मगर तब तक............

राधिका ये नहीं जानती थी कि वो मासूम लड़की और कोई नहीं बल्कि वो खुद हैं.

राहुल- ठीक हैं तुम सो जाओ मुझे थोड़ा इस केस की स्टडी करनी हैं.

राधिका भी वही राहुल के बेडरूम में सो जाती हैं........................................
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09-01-2018, 12:08 PM,
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
दूसरे दिन सुबेह राधिका उठती हैं और राहुल उसे उसके घर छोड़ देता हैं. घर पर कोई नहीं था. वो लॉक खोलती हैं और जाकर खाना बनाने लगती हैं. राहुल भी ख़ान को लेकर बिहारी के घर चल देता हैं..

बिहारी- आओ आओ एसीपी साहेब मैं जानता था कि आप ज़रूर आओगे.

राहुल- कल रात को आपकी पत्नी पार्वती का बड़ी बेरहमी से मर्डर हो गया. और ताज्जुब की बात तो ये हैं कि आपको मालूम होते हुए भी आप पोलीस स्टेशन नहीं आयें उसको देखने के लिए. मैं इसकी वजह जान सकता हूँ.

बिहारी- मेरा अब उससे कोई रिस्ता नही हैं. और वैसे भी मेरा उससे तलाक़ होने वाला था. नफ़रत करती थी वो मुझसे. उसे शक था कि मेरा किसी और से नज़ायज़ संबंध हैं. इस वजह से वो मुझसे तलाक़ चाहती थी.

राहुल- तुम्हारा नज़ायज़ संबंध था या वो तुम्हारा राज़ जान गयी थी कि तुम ड्रग और रंडियों का धंधा करते हो. राहुल के ऐसे सवाल से बिहारी के चेहरे का रंग उतर जाता हैं.



बिहारी- देखो आसीपी साहेब आप ऐसे मुझ पर इल्ज़ाम नहीं लगा सकते. अगर आपको लगता हैं कि मैने ही अपनी पत्नी को मरवाया हैं तो आपके पास इस बात का क्या सबूत हैं. पहले सबूत पेश करो फिर मुझसे बात करना.

राहुल- मैं जानता था कि तू सबूत माँगेगा. तुझे सबूत चाहिए ना ये देख मैं लाया हूँ और राहुल डाइवोर्स के पेपर्स बिहारी को थमा देता हैं. बिहारी बड़े गौर से वो पेपर्स देखने लगता हैं.

बिहारी- ये तो डाइवोर्स के पेपर्स हैं. इससे मेरा पार्वती के खून का क्या संबंध. देखो एसीपी साहेब क़ानून सबूत माँगता हैं और तुम ये सोचते हो कि इन डाइवोर्स के पेपर्स से तुम ये साबित कर दोगे कि पार्वती को मैने मरवाया हैं तो ये तुम्हारी भूल हैं. हां अगर कोई गवाह मेरे खिलाफ हो तो तुम्हारी बात में दम हो सकता हैं.

राहुल- तू क्या सोचता हैं कि गुनाह करके तू इतनी आसानी से बच जाएगा. चिंता मत कर मेरे पास तेरे खिलाफ गवाह भी मौजूद हैं. और उस गवाह ने खुद पार्वती का अपनी आँखों के सामने कतल होते देखा हैं. बस कुछ दिन और इस महल में ऐश कर ले फिर बाकी ज़िंदगी तो तुझे जैल के सलाखों के पीछे ही गुजारनी हैं.

बिहारी की बोलती लगभग बंद हो गयी थी. वो भी कुछ बोलता नहीं बस चुप चाप खड़ा रहता हैं.

राहुल- हां एक बात तो मैं बताना भूल गया. पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट आ चुकी हैं और जिससे ये बात साबित होती हैं कि जिन दो लोगों ने पार्वती का मर्डर किया था वो कोई पेसेवर कातिल नहीं थे. उन्होने जिस अंदाज़ में पार्वती पर हमला किया था अगर कोई कांट्रॅक्ट किल्लर होता तो वो ये काम बड़ी आसानी से कर चुका होता और उसके लिए 4 बार वार करने की ज़रूरत नहीं थी. उसका एक वार ही काफ़ी था पार्वती को मारने के लिए. पर जो कोई भी है वो ज़्यादा दिन तक क़ानून की नज़रो से छुप नहीं सकता. और जिस दिन वो दोनो पकड़े गये समझ लेना तू भी नहीं बचेगा.

राहुल- हां और एक बात पोलीस स्टेशन आकर अपनी पत्नी की डेड बॉडी को ले जाना. और इज़्ज़त से उसका अंतिम संसकार कर देना. अरे वो तेरी अर्धन्गि थी यानी आधा अंग.. तो तेरा पूरा फ़र्ज़ बनता हैं कि तू उसका अंतिम संस्कार करे. अगर तू नहीं आया तो कोई बात नहीं इससे मेरा शक तुझपर और गहरा हो जाएगा और मज़बूरन हमे पार्वती की बॉडी को मुंसीपार्टी वालों को भेजवाना पड़ेगा. बाकी तू खुद समझदार हैं.

और इतना बोलकर राहुल कमरे से बाहर निकल जाता हैं. बिहारी के चेहरे का रंग पूरा गायब हो चुका था. चेहरे पर पसीना इस बात का संकेत था कि बिहारी की हालत खराब हो चुकी हैं. उसका गला डर की वजह से सूख गया था. वो वहीं सोफे पर धम से गिर जाता हैं..

अंदर इस वक़्त विजय भी था. वो छुप कर राहुल और बिहारी की बातें सुन रहा था. फट तो उसकी भी गयी थी मगर वो बिहारी पर अपना डर जाहिर नहीं करना चाहता था. राहुल के जाने के बाद वो बिहारी के पास आता हैं..

विजय- लगता हैं बिहारी हमने पार्वती को मरवाकर बहुत बड़ी ग़लती की. अब तो ये एसीपी हमारे पीछे हाथ धो कर पड़ गया हैं. कुछ सोच बिहारी वरना हम दोनो के बहुत बुरे दिन आने वाले हैं.

बिहारी- डर तो मुझे भी बहुत लग रहा हैं. साला ये ज़रूर मेरा बॅंड बजा देगा अगर मैने जल्दी ही कुछ ना किया तो. फिलहाल तो मैं जा रहा हूँ पोलीस स्टेशन पार्वती की डेड बॉडी को लेने फिर उसका अंतिम संस्कार करूँगा. तू एक काम कर वो दोनो को बुला कर पूछ कि वो दोनो उस लड़की को जानते हैं क्या. अगर नहीं जानते तो फिर मुझे 24 घंटे के अंदर उस लड़की का नाम पता कहाँ रहती हैं सब कुछ उसके बारे में जानकारी चाहिए. और जैसे ही उसके बारे में पता लगे उस साली को भी इस दुनिया से उठवा दो. आगे मैं संभाल लूँगा..

फिर बिहारी पोलीस स्टेशन चला जाता हैं और जाकर पार्वती की डेड बॉडी का अंतिम संस्कार करता हैं. रोना तो उसे आ नहीं रहा था फिर भी अपने इन मगरमच्छ आँसुओ को सब लोगो पर जाहिर कर रहा था कि पार्वती के खोने का उसे बड़ा दुख हैं...

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उधेर कृष्णा भी करीब 9 बजे घर आता हैं. राधिका भी फ्रेश होती हैं और नाश्ता बनाने लगती हैं. कृष्णा के हाथ में एक काले रंग का बॅग था. वो उसे चुप चाप अपने रूम में ले जाता हैं और अपने अलमारी में रख देता हैं.

राधिका- ये आपके हाथ में कैसा बॅग हैं भैया.

कृष्णा चौंकते हुए- ये...........मेरे दोस्त का हैं. वो मुझे दे कर गया था कह रहा था एक दो दिन में ले लूँगा. इसमें उसके कुछ कपड़े वगेरह हैं.

राधिका- ठीक हैं आप फ्रेश हो जाइए मैं नाश्ता लगा देती हूँ. थोड़ी देर में कृष्णा फ्रेश होकर आता हैं और राधिका के करीब जाकर बैठ जाता हैं..

कृष्णा- मुझे तुझसे एक बहुत ज़रूरी बात करनी हैं. कृष्णा राधिका की आँखों में देखकर बोला.

राधिका- क्या बात हैं भैया आप आज बहुत परेशान लग रहे हैं. कुछ हुआ क्या और कल रात आप कहाँ थे घर भी नहीं आयें.

कृष्णा राधिका के सवाल से एक दम हड़बड़ा जाता हैं- कल मेरे दोस्त की बीवी अस्पताल में अड्मिट थी. तो वही चला गया था उसके पास. उसके जिद्द की वजह से मुझे वहीं रुकना पड़ा.

राधिका कृष्णा के सीने से लग जाती हैं- आप मुझसे कुछ छुपा तो नहीं रहे ना भैया. पता नहीं क्यों पर मुझे आज कल कुछ घबराहट सी हमेशा महसूस होती हैं. फिर राधिका भी कृष्णा को पार्वती वाला कांड पूरा बता देती हैं.

कृष्णा- तुझे इन सब लफडों में नहीं पड़ना चाहिए. चाहे कुछ भी हो जाए तू गवाही नहीं देगी. और ना उस बिहारी के खिलाफ जाएगी. जानती हैं ना वो कितना कमीना इंसान हैं. वो कुछ भी कर सकता हैं.

राधिका- आप फिकर ना करे भैया राहुल मेरे साथ हैं और वो मुझे हर ख़तरे से बचायेगा. मुझे अपने राहुल पर पूरा भरोसा हैं.

कृष्णा- मैने जो एक बार बोल दिया कि तू गवाही नहीं देगी तो नहीं देगी.. ये मेरा आखरी फ़ैसला हैं. और राहुल तुझे कहाँ कहाँ बचायेगा. हर समय तो वो तेरे साथ नहीं रह सकता ना और ना ही मैं तेरे साथ हर वक़्त मौजूद रह सकता हूँ. और मैं यही चाहता हूँ कि तू इन सब मामलों में नहीं पड़ेगी.
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09-01-2018, 12:09 PM,
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
वक़्त के हाथों मजबूर--32

राधिका भी कुछ बोलना सही नहीं समझती और चुप चाप किचन में चली जाती हैं. कृष्णा फिर से गहरे विचार में खो जाता हैं. वो तो बस यही चाहता था कि किसी भी हाल में बिहारी से वो अपनी बेहन को दूर रखे.

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वहाँ से दूर बिहारी के रूम पर

विजय- यार कब तक मैं अपने धंधे बंद कर के रखूं. ऐसे में तो मैं बर्बाद हो जाउन्गा. तू भी कुछ नहीं कर रहा और उपर से पार्वती को मरवाकर हम ने और मुसीबत को अपने गले बाँध लिया हैं. बता कब तक चलेगा आख़िर ये सब..

बिहारी- विजय इतने दिन रुका हैं तो कुछ दिन और सही. अभी मामला बहुत गरम हैं. वो एसीपी भी गिद्ध की तरह हमारे पीछे पड़ा हुआ हैं. चिंता मत कर जितना जल्दी हो सके सबसे पहले उस लड़की का पता करवा. उसका हमारे हाथ लगना बहुत ज़रूरी हैं. अगर वो हमारे हाथ नहीं लगी तो समझ ले हमारा खेल ख़तम.

विजय- मैने अपने डिटेक्टिव्स लगा दिए हैं. जल्दी ही कुछ पता चल जाएगा.

दूसरे दिन राहुल अपने पोलीस फोर्स के साथ होटेल प्लाज़ा में छापा मार देता हैं. वहाँ उसे ड्रग्स के 3 सप्लाइयर्स भी उसकी गिरफ़्त में होते हैं और करीब 15 लड़कियों को जिस्म फ़रोशी के धंधे में अरेस्ट किया जाता हैं. विजय और बिहारी भारी मात्रा में इसी होटेल में ड्रग्स सप्लाइ करते थे और काजीरी की मदद से वो यहाँ लड़कियों का धंधा भी करते थे. जब उन्हें ये बात पता लगता हैं तो बिहारी को एक और बड़ा झटका लगता हैं..

विजय- ये देख आज के पेपर में. हमारे और तीन आदमी पकड़े गये. और तो और 15 लड़कियाँ को भी जिस्म के धंधे से आज़ाद करवाया गया हैं. अगर ऐसे ही चलता रहा तो हम तो बर्बाद हो जाएँगे. ये हरामी इनस्पेक्टर तो जब से एसीपी बन गया हैं हमारा जीना मुश्किल कर दिया हैं. समझ में नही आता कि इसका क्या करूँ..

बिहारी- हां अब पानी सिर के उपर से निकल चुका हैं. अब हमे जल्दी ही कुछ करना पड़ेगा. सोचने दे मुझे मैं इस प्राब्लम का कोई सल्यूशन निकालता हूँ.

विजय- अरे कितने दिन से तो तू प्राब्लम की सल्यूशन ढूँढ रहा हैं. अगर इसी स्पीड से सल्यूशन ढूंढेगा तो जल्दी ही हमारे गले में फाँसी का फंदा होगा. विजय अपने दाँत पीसते हुए बोला.

तभी विजय के मोबाइल पर एक कॉल आता हैं. विजय फोन रिसीव करता हैं. फोन उसी डीटेक्टिव का था. उसने पूरा पता लगा लिया था. उसका नाम कुणाल था.

कुणाल- सर उस लड़की का पता चल गया जिसने पार्वती का मर्डर होते हुए अपनी आँखों से देखा था. उस लड़की का नाम राधिका हैं और धीरे धीरे वो डीटेक्टिव विजय को पूरी जानकारी दे देता हैं.

विजय- तुम्हें यकीन हैं ना जो तुम कह रहे हो वो सच हैं. अगर ये बात झूट हुई तो फिर तुम्हारी खैर नहीं.

कुणाल- आज तक मैने आपको कोई ग़लत रिपोर्ट दी है जो आज दूँगा. खबर 100% सच हैं. और इतना बोलकर कुणाल फोन रख देता हैं.

बिहारी- क्या हुआ उस लड़की का पता चल गया क्या. और तेरे चेहरे पर बारह क्यों बजे हैं. बता ना ऐसा क्या कहा उस डीटेक्टिव ने.

विजय- अगर तू ये खबर सुन लेगा तो तेरे भी होश उड़ जाएँगे. जानता हैं वो लड़की कौन हैं जिसने पार्वती का खून होते हुए अपनी आँखों से देखा था.

बिहारी- हैरत से..........कौन???

विजय- राधिका.............कृष्णा की बेहन और उस बिरजू की बेटी.

इतना सुनते ही बिहारी अपने सिर पर दोनो हाथ रखकर वहीं फर्श पर बैठ जाता हैं.- रा.................धी........का .... ओह माइ गॉड.!!!
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09-01-2018, 12:09 PM,
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
विजय- क्यों फट गयी ना. अब तो जो हमारे बचने की उम्मीद थी अब वो भी ख़तम. वो साली उस राहुल की होने वाली बीवी हैं और चाहे कुछ हो जाए वो गवाही ज़रूर देगी. और वैसे भी वो हम दोनो के खिलाफ पहले से हैं. अब तो हमे उपरवाला भी नहीं बचा सकता. और तो जो हमने उसे हासिल करने के लिए सपने देखे थे अब वो भी ख़तम. अब तो सब कुछ उस राधिका के हाथ में हैं. मेरी मानो तो हम ये सहेर छोड़ कर कहीं और चले जाते हैं.

बिहारी- बंद कर अपनी ये बक बक.... अभी मेरे पास हुकुम का इक्का हैं. और मैने उसे अभी खोला नहीं हैं. जिस दिन मैं वो हुकुम का इक्का खोल दूँगा सब कुछ मेरी मुट्ठी में होगा.

विजय- तो खोल ना अब वो इक्का. सब कुछ ख़तम होने के बाद क्या वो इक्का खोलेगा. देख बिहारी मैं नहीं चाहता कि मैं जैल की सलाखो के पीछे अपनी जिंदगी बिताऊ.

बिहारी करीब 2 घंटे तक इसी विचार में खोया रहता है और आख़िरकार उसके दिमाग़ में एक ऐसा ख़तरनाक प्लान आता हैं जिसका तोड़ शायद राहुल के पास भी ना हो. वो तो यही चाहता था कि साँप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे. और शायद बिहारी के दिमाग़ में कुछ ऐसा ही षडयंत्र चल रहा था.वो क्या षडयंत्र था ये तो वक़्त ही बताने वाला था.

..............................................

उधर राधिका भी बहुत खुस थी कृष्णा के अंदर आयें ऐसे बदलाव को देखकर. अब कृष्णा हफ्ते में एक बार शराब पीता था और अपनी बेहन का पूरा ख्याल रखता था. राधिका भी हर रात कृष्णा के साथ सोती थी और अपने भैया कर हर ख्वाहिश पूरा करती. हर रात कृष्णा उसके साथ नये नये तरीके से सेक्स करता और राधिका भी पूरी तरह से एंजाय करती. राधिका की हवस अब इतनी बढ़ चुकी थी कि जब तक कृष्णा उसके साथ वाइल्ड सेक्स नहीं करता उसको चैन नहीं मिलता. दिन में राहुल और रात भर कृष्णा के साथ अपनी हवस को राधिका शांत करती फिर भी उसकी हवस कम होने के बजाय बढ़ती जाती. और शराब तो उसकी ज़िंदगी का एक हिस्सा बन चुकी थी. हर रोज़ वो शराब पीती और हमेशा नशे में रहती.

एक शाम जब कृष्णा घर आया वो उस दिन नशे में था अंदर आकर वो सोफे पर बैठ जाता हैं-

राधिका- भैया क्या बात है. आज कुछ परेशान लग रहे हो.

कृष्णा- राधिका मैं कितने दिनों से तुझसे एक बात कहना चाहता हूँ पर कह नहीं पा रहा हूँ. आज सोच रहा हूँ कि तुझसे कह ही दूं.

राधिका- कहिए भैया ऐसी क्या बात हैं.

कृष्णा- अब मैं तेरे साथ जिस्मानी संबंध और नहीं रखना चाहता. अब मुश्किल से तेरी शादी के 15 दिन ही बचे हैं. अगर ये सब ऐसे ही चलता रहा तो ना तेरे लिए अच्छा होगा और ना मेरे लिए. और मैं नहीं चाहता कि राहुल को ये बात पता चले. और अगर बापू को इस बात की भनक लग गयी तो पता नहीं वो हमारा क्या हाल करेंगे.

राधिका कृष्णा के लिप्स चूम लेती हैं- कुछ नहीं होगा. अगर आपका ख्याल मैं नही रखूँगी तो कौन रखेगा. सब कुछ एक दिन ठीक हो जाएगा. आप चिंता ना करें.

कृष्णा- ऐसे कह देने से सब कुछ ठीक नहीं होगा. आब मैं आज के बाद तुझे हाथ नहीं लगाउन्गा. चाहे तुझे अच्छा लगे या बुरा.

राधिका कुछ देर सोचती हैं फिर वो अपने भैया के सामने ही अपने कपड़े एक एक कर उतारने लगती हैं और तब तक नहीं रुकती जब तक उसके जिस्म से एक भी कपड़ा नहीं बचता. वो पूरी तरह नंगी होकर कृष्णा के सामने खड़ी हो जाती हैं. कृष्णा हैरत से राधिका को देखने लगता हैं.

कृष्णा- ये क्या हैं राधिका. मैं कुछ समझा नहीं..
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09-01-2018, 12:09 PM,
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
राधिका- मैं आपके सवलो का जवाब दे रही हूँ. खाइए मेरी कसम कि आपको मुझे ऐसी हालत में देखकर कुछ नहीं होता. क्या आपका लंड खड़ा नहीं होता अपनी ही बेहन को देखकर. क्या आपका मन नही करता कि आप मेरी चूत गान्ड में अपना लंड डालें. और मेरी चुदाई करें. बिल्कुल करता होगा. क्यों कि जिस्म की आग कोई रिश्ता नाता नहीं देखती. हवस में इंसान को ये तक दिखाई नही देता कि कौन उसकी बेहन हैं और कौन उसकी बेटी. फिर आप आज ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं. इतना सब कुछ हो जाने के बाद अब आपके और मेरे बीच कुछ बचा हैं क्या. आज मैने भाई बेहन के बीच शरम की दीवार हमेशा हमेशा के लिए गिरा दी हैं.

कृष्णा वही चुप चाप सोफे पर बैठा रहता हैं जैसे उसकी ज़ुबान मानो सिल गयी हो. वो एक शब्द भी कुछ नहीं बोल पाता. फिर वो उठता हैं और वही पड़ा चद्दर राधिका के नंगे जिस्म पर डाल देता हैं.

कृष्णा- ये सही नहीं हैं राधिका. इंसान अगर अंजाने में कोई ग़लती करे तो उसे उसकी भूल समझकर उसको माफ़ कर दिया जाता हैं. मगर ग़लती जानबूझ कर की जाए तो वो माफी का हक़दार नहीं होता. और जो हमारे बीच अब हो रहा हैं अगर राहुल को इस बात का पता चलेगा तो वो हमे कभी माफ़ नहीं करेगा और हो सकता हैं वो तुझे कभी ना अपनाए.

राधिका- आज आप ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं भैया. राहुल चाहे मुझे अपनाए या ना अपनाए मुझे इस बात की चिंता नहीं हैं. मैं तो बस अब अपने भैया को खोना नहीं चाहती.

कृष्णा- होश में आओ राधिका. ये मेरा फ़ैसला है अब मैं तुम्हारे साथ नज़ायाज़ रिश्ता अब और नहीं बना सकता. चाहे तुम्हें अच्छा लगे या बुरा.

राधिका की आँखों से आँसू निकल जाते हैं- क्या मैं पूछ सकती हूँ कि आपके फ़ैसले के पीछे क्या वजह हैं. क्या मैं आपकी जिस्म की प्यास नहीं बुझा सकती. क्या मुझसे भी अच्छी वो रंडियाँ हैं जो आपके जिस्म की गर्मी को शांति करती हैं. क्या आप मुझे उन रंडियों के बराबर भी नहीं समझते...

राधिका के मूह से ऐसी बातें सुनकर कृष्णा गुस्से से अपना कंट्रोल खो देता हैं और एक ज़ोरदार थप्पड़ राधिका के गाल पर जड़ देता हैं. राधिका का चेहरा लाल पड़ जाता हैं.

कृष्णा- तेरा दिमाग़ खराब हो गया हैं. हर वक़्त पता नहीं उल्टी सीधी बातें करती रहती हैं. भला उन रंडियों से तेरी कैसी तुलना. तू मेरी बेहन हैं और मैं तुझे अपनी जान से ज़्यादा चाहता हूँ. मैं तुझे हमेशा खुश देखना चाहता हूँ. कल को अगर तुझे कुछ हो गया ना तो मैं तेरे बिन जी नहीं पाउन्गा.

राधिका अपने आँखों से आँसू पोछती हैं- मुझे माफ़ कर दो भैया. मुझे नहीं पता था कि आप मुझसे इतना प्यार करते हैं.

कृष्णा- माफी तो मुझे तुझसे माँगी चाहिए राधिका जो मैने तुझपर अपना हाथ उठाया. और कृष्णा राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं. ऐसे ही ना जाने कितने देर तक वो दोनो ऐसे ही एक दूसरे की बाहों में लिपटे रहते हैं.

कृष्णा- एक बात पूच्छू राधिका खा मेरी कसम कि तू मुझसे कोई बात नहीं छुपाएगी.. राधिका कृष्णा को सवालियों नज़रें से देखने लगती हैं.

राधिका- पूछो भैया क्या पूछना हैं.

कृष्णा- तू मेरे साथ जिस्मानी संबंध क्यों बनाना चाहती हैं जब कि राहुल तुझे वो सुख भी देता हैं. फिर क्या वजह है क्या तू राहुल से अब प्यार नहीं करती या राहुल तुझे खुस नहीं रख पाता.

राधिका के चेहरा का रंग फीका पड़ जाता हैं कृष्णा के ऐसे सवाल सुनकर. वो कुछ बोल नहीं पाती और बस अपने भैया को देखने लगती हैं.

राधिका- मैने कहा था ना वक़्त आने पर आपको पता चल जाएगा. मैं आपको अभी नहीं बता सकती.

कृष्णा- आख़िर तू किस वक़्त की बात कर रही हैं. मैं कुछ नहीं जानता अगर तू मुझे नहीं बताएगी तो मैं तुझसे कभी बात नहीं करूँगा.

राधिका- क्या करोगे भैया ये सब जानकार. मैने बचपन से हर चीज़ खोई हैं तो राहुल को खोना मेरे लिए कोई बहुत बड़ी बात नहीं होगी.

कृष्णा- ये तू क्या बोल रही हैं राधिका मैं कुछ समझा नहीं.

राधिका तो नहीं चाहती थी ये बात अपने भैया को बताए मगर उनकी कसम ने उसे मज़बूर कर दिया था. वो फिर शुरू से एक एक बात कृष्णा को बताते चली जाती हैं. कैसे उसकी पहली मुलाकात राहुल से हुई. कैसे उससे प्यार हुआ. और निशा वाली भी सारी बातें एक एक कर वो अपने भैया को बताती हैं. सब कुछ सुनने के बाद कृष्णा अपने सिर पर हाथ रखकर बैठ जाता हैं.
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09-01-2018, 12:09 PM,
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
राधिका के आँख में इस वक़्त आँसू थे- आप ही बताइए भैया मैं राहुल से कैसे शादी कर सकती हूँ. जितना प्यार मैं राहुल से करती हूँ उससे कहीं ज़्यादा निशा राहुल को चाहती हैं. अगर राहुल उसे नहीं मिला तो वो मर जाएगी. आप ही बताइए मैं 8 साल पुरानी दोस्ती पहले निभाउ या 8 महीने वाला प्यार. बेहतर यही होगा कि मैं राहुल और निशा की ज़िंदगी से हमेशा हमेशा के लिए दूर चली जाऊ. इस लिए मैने आपका दामन थामा ताकि मुझे आपका सहारा मिल जाए और मैं अपने राहुल को आसानी से भुला सकूँ. मगर इस दिल को कैसे समझाऊ जितना मैं राहुल से दूर रहना चाहती हूँ राहुल मेरे उतने ही पास आता जा रहा हैं. अब तो मैं चैन से ना जी पा रही हूँ और ना चैन से मर पा रही हूँ.

बचपन से सुना था कि प्यार इंसान की ज़िंदगी बदल देता हैं. हां मेरी भी ज़िंदगी बदल गयी इस प्यार की वजह से. मगर एक अभिसाप के रूप में. आप ही बताइए भैया मैं क्या करू. अब मैं राहुल से शादी नहीं करनी चाहती. अगर ऐसा हुआ तो निशा जीते जी मर जाएगी. और मैं अपनी निशा को खोना नहीं चाहती.

कृष्णा- निशा को खोने का गम हैं तो क्या राहुल से बिछड़ कर क्या उससे तू दूर रह पाएगी. राधिका जो कुछ हुआ ग़लत हुआ. ये बात मुझे पहले पता होती तो मैं तेरे साथ जिस्मानी संबंध कभी ना बनता. मैं इस बारे में राहुल से बात करूँगा. और उसे जाकर सारी सच्चाई बता दूँगा.

राधिका- आपको मेरी कसम हैं भैया. अगर आपने ऐसा किया तो मेरा मुरा मूह देखेंगे. आप राहुल और निशा को कोई बात नहीं बताएँगे. मुझे पूरा विश्वास हैं एक दिन सब कुछ ठीक हो जाएगा. मैने अपना फ़ैसला उपर वाले के हाथो छोड़ दिया हैं. वो जो करेगा अच्छा ही करेगा.

कृष्णा- कितनी बड़ी हो गयी हैं तू. काश मैं पहले तुझे समझ पाता. ठीक हैं मैं चुप रहूँगा और भगवान से यही दुआ करूँगा कि तेरा प्यार तुझे मिल जाए और निशा को कोई दूसरा जीवन साथी.

राधिका- भैया छोड़िए इन सब बातों को और मुझे प्यार कीजिए. मुझे इस वक़्त आपके प्यार की ज़रूरत हैं. और इतना कहकर राधिका अपने शरीर पर ओधी चादर उतार कर फर्श पर गिरा देती हैं.

कृष्णा- नहीं अब और नहीं राधिका. ये सब जानने के बाद भला मैं अब तेरे साथ ये सब कैसे कर सकता हूँ.

राधिका- भैया इस वक़्त मुझे आपके सहारे की ज़रूरत हैं. अगर आपने भी मेरा साथ छोड़ दिया तो आपकी राधिका जी नहीं पाएगी. थाम लो भैया मेरे हाथ मुझे इस वक़्त आपसे बहुत सी उम्मीदे हैं.

कृष्णा भी कुछ कह नहीं पाता और राधिका को अपने सीने लगा लेता हैं. राधिका आगे बढ़कर अपना लिप्स कृष्णा के होंठो पर रखकर उसे बड़े प्यार से चूसने लगती हैं. कृष्णा भी धीरे धीरे राधिका के लिप्स पर अपनी ज़ुबान फिराने लगता हैं और एक हाथ आगे बढ़ाकर वो राधिका के सीने पर अपना हाथ रख देता हैं. राधिका भी अब कृष्णा में खोती चली जाती हैं.

राधिका- भैया मुझे आज इतना प्यार करो कि मैं आज सब कुछ भूल जाओं. मुझे बस आपका प्यार चाहिए.

कृष्णा- मैं दूँगा तुझे वो प्यार राधिका. तेरी खुशी में ही मेरी खुशी हैं. फिर कृष्णा धीरे धीरे अपने उंगली राधिका के निपल्स पर रखकर उसे दोनो उंगलियों से मसल्ने लगता हैं. राधिका की सिसकारी अब धीरे धीरे बढ़ने लगती हैं. फिर कृष्णा अपनी दोनो उंगलियाँ नीचे लेजा कर राधिका की चूत में वो डाल देता हैं और तेज़ी से आगे पीछे करने लगता हैं. राधिका का सब्र टूटने लगता हैं. वो बार बार अपने जीभ कृष्णा के होंठो से लेकर उसके कान तक फिराती हैं.

कृष्णा फिर एक एक करके अपने सारे कपड़े उतार देता हैं और फिर राधिका को अपने गोद में उठाकर बेडरूम में ले जाता हैं. फिर उसे वही सुला कर अपना होंठ राधिका की चूत पर रखकर उसकी चूत को धीरे धीरे चाटना शुरू करता हैं.
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09-01-2018, 12:09 PM,
RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
राधिका के मूह से ऊ...अयू...च.............आ.......ह........जैसे आवाज़े निरंतर निकल रही थी. वो भी बेचैन हो रही थी.कृष्णा उसी तरह राधिका की चूत को चाटता हैं. फिर धीरे धीरे एक उंगली उसकी चूत में डाल देता हैं और दूसरी उंगली उसकी गंद में. फिर एक साथ दोनो उंगली आगे पीछे चलने लगता हैं और साथ में चूत भी चाटने लगता हैं. राधिका का सब्र टूट जाता हैं और वो तुरंत चिल्ला पड़ती हैं और झरने लगती हैं. कृष्णा फिर भी नहीं रुकता और उसी तरह राधिका की चूत चाटता हैं. थोड़े देर के बाद राधिका फिर से गरम होने लगती हैं. फिर वो अपना होंठ राधिका के होंठ पर रखकर उसके होंठों को चूसने लगता हैं. राधिका भी कृष्णा का पूरा समर्थन करती हैं.

उसके मूह में भी अपनी चूत का मिला जुला रस मिलता हैं और वो इसी अंदाज़ में अपने भैया का होंठ चुसती हैं. फिर राधिका नीचे झुक कर अपने भैया का लंड धीरे धीरे अपने मूह में लेती हैं और तब तक नहीं रुकती जब तक कृष्णा का पूरा लंड अपने हलक तक नहीं पहुँच जाता. कृष्णा भी तेज़ी से राधिका के मूह को चोदने लगता हैं और फिर राधिका को अपने उपर बैठकर एक ही झटके में अपना लंड पूरा राधिका की चूत में पेल देता हैं और तब तक नहीं रुकता जब तक उसका वीर्य राधिका की चूत में नहीं निकल जाता.कमरे में दोनो की मादक सिसकियाँ निकल रही थी और दोनो की साँसें बहुत तेज़ चल रही थी. कृष्णा करीब 30 मिनिट तक राधिका की चूत मारता हैं और इस बीच राधिका भी तीन बार झर चुकी थी. दोनो धम से एक दूसरे के उपर गिर जाते हैं और ऐसे ही एक दूसरे की बाहों में लिपटे रहते हैं.

राधिका अपने भैया के सीने पर सर रखकर उनकी आगोश में सो जाती हैं.. दिल में एक तरफ राहुल का प्यार लिए और एक तरफ कृष्णा के प्रति लगाव में राधिका कितनी बदल चुकी थी उसको इस बात का अंदाज़ा भी नहीं था कि आने वाले वक़्त में उसका नसीब उसको कहाँ ले जाएगा. और वो जब तक वो इस बात को समझेगी तब तक शायद बहुत देर हो चुकी होगी. कहते हैं ना अगर इंसान गिरता हैं तो भगवान उसको बचाने के लिए कोई ना कोई मसीहा ज़रूर भेज देता हैं यहाँ पर भगवान ने मशीहा के रूप में निशा को भेजा था मगर राधिका ने उसकी बात को भी नज़रअंदाज़ कर दिया था. ये तो अब वक़्त ही बताने वाला था कि राधिका के साथ क्या होगा. पर इतना ज़रूर तय था कि जो उसके साथ होगा वो शायद ठीक नहीं होगा.

---------------------------------------------

उधेर बिहारी अपनी प्लान पूरा तैयार कर चुका था. बिहारी वैसे तो राजनीति बहुत अच्छे से जानता था और हर सिचुएशन को अच्छे से हॅंडल करता था. मगर इस वक़्त हालत उसके पक्ष में भी नहीं थे. वो नहीं चाहता था कि कोई भी ज़रा सी चूक हो और राहुल सीधा उसकी गर्देन पकड़े. उसे इंतेज़ार था आज बिरजू का. वो बहुत बेसब्री से बिरजू का इंतेज़ार कर रहा था. मगर बिरजू का कहीं पता नहीं था. वो उस रात बिहारी के पास नहीं आया था.

दूसरे दिन सुबेह राधिका की नींद खुलती है और वो झट से उठती हैं और फ्रेश होकर नाश्ता बनाती हैं. कृष्णा भी उठकर फ्रेश होता हैं और सीधा राधिका के पास जाकर पीछे से अपने दोनो हाथ राधिका के कमर पर रखकर उसकी गर्देन चूम लेता हैं.

कृष्णा- गुड मॉर्निंग मेरी जान. मुझे जगाया नहीं तूने.

राधिका- सोच रही थी कल रात को आपने बहुत मेहनत की हैं तो थक गये होंगे. इस लिए सोचा कि आपको आराम करने दूं. राधिका शरारती अंदाज़ में बोली.

कृष्णा- हां मेरी जान आख़िर चुदाई बिना मेहनत के थोड़ी ना होती हैं. काफ़ी दम लगाना पड़ता हैं और तू तो मेरा पूरा लंड का पानी निचोड़ लेती हैं. कसम से राधिका जितना मज़ा मुझे तेरे साथ आता हैं उतना तो मुझे किसी और के साथ वो मज़ा नहीं मिलता.

राधिका- अच्छा बहुत हो गयी बातें. फटाफट मूह हाथ धो लीजिए मैं नाश्ता लगाती हूँ. तभी बिरजू भी घर आ जाता हैं. और राधिका अपने कामों में बिज़ी हो जाती हैं. थोड़ी देर के बाद कृष्णा भी अपने काम पर चल जाता हैं और बिरजू भी नाश्ता करके घर से निकल जाता हैं. राधिका भी थोड़ी देर पढ़ाई करती हैं फिर वो राहुल से मिलने चली जाती हैं. समय अपनी रफ़्तार से चल रहा था. उधेर मोनिका भी राधिका से गहरी दोस्ती कर ली थी और वो अब राधिका का सारा राज़ जान चुकी थी. उधेर बिहारी और विजय भी जब चाहते थे तब वो मोनिका को अपने फार्म हाउस बुलाकर उसके साथ सेक्स करते थे. अब वक़्त आ गया था जो अब इन सब की ज़िंदगी बहुत जल्द बदलने वाली थी.
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