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desiaks
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RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
प्रीति ने अपनी जुबान से अपनी प्यारी भाभी के रस को पीना शुरू कर दिया। रूबी हल्के-हल्के झटके लगाकर अपना रस छोड़ती जा रही थी, और प्रीति अपनी जुबान से उसे चाट-चाट कर चूत को सुखा रही थी। इधर प्रीति का बदन भी अकड़ने लगा। अब रूबी का जिश्म ढीला पड़ने शुरू हो गया और उसने अपनी टाँगें बेड पे फैला दी। कुछ देर बाद प्रीति की चूत ने भी पानी छोड़ दिया। प्रीति ने अपनी चूत को रूबी की चूत सटा दिया और दोनों की चूत का रास आपस में मिलने लगा।
रूबी ने आँखें खोलकर प्रीति की तरफ देखा, मानो उसका शुक्रिया कर रही हो। दोनों मुश्कुरा पड़ी। प्रीति खुश थी की उसने भाभी की प्यास भुझा दी। कुछ देर बाद दोनों कम्बल में नींद के आगोश में खो गये।
*****
*****
अगले दिन रूबी प्रीति से नजरें नहीं मिला पा रही थी। सुबह का नाश्ता भी कर लिया था, और प्रीति और रूबी में कोई बात नहीं हुई थी सुबह से। प्रीति तो नार्मल ही थी, पर रूबी को शर्म आ रही थी। उसने तो सुबह से सास ससुर से भी कुछ खास बात नहीं की थी। जब सुबह खाना खाने के बाद सीमा कामवाली आई और अपनी सफाई का काम करने लगी। रूबी ने उससे सफाई करवाई।
सीमा ने काम खतम होने के बाद बोला- “मैं 15 दिन तक नहीं आ सकती मुझे कहीं जाना है.."
कमलजीत- ठीक है। पर तू अपनी जगह किसी को तो काम पे लगवा दे तब तक।
सीमा- बीवीजी ऐसा तो कोई नहीं है, पर मैं अपनी बेटी को बोल सकती हूँ।
रूबी- वो स्कूल नहीं जाती क्या?
सीमा- जी जाती है। पर अगर आप बोलते हैं तो 15 दिन काम पे आ जाएगी।
रूबी ने कुछ देर सोचा और बोली- “नहीं रहने दे दो, हम मैनेज कर लेंगे...'
सीमा- जी अच्छा।
सीमा वापिस अपने घर चली गई और रूबी, प्रीति और कमलजीत घर के पीछे के पार्क में धूप का आनंद लेने लगे और बातें करने लगे।
कमलजीत- बहू, घर की सफाई काम अब कैसे मनेज करेंगे?
रूबी- मम्मीजी, मैं सोचती हूँ की राम को सफाई के लिए बोल देते हैं। वैसे भी वो सफाई के टाइम ज्यादार फ्री होता है। उसे पगार भी ज्यादा दे देंगे। वो बोल भी रहा था सेलरी बढ़ाने को।
कमलजीत- हाँ वो तो है। मैं तुम्हारे ससुरजी से बात करती हूँ।
प्रीति- मम्मी, पापा तो रात को आएंगे। राम को काम भी तो समझाना होगा भाभी ने। आप फोन पे बात कर लो।
रूबी- हाँ जी। मम्मीजी फोन पे पूछ लो और मैं काम भी समझा दूंगी।
कमलजीत- "ठीक है। मेरा फोन अंदर है, मैं पूछकर आती हूँ..." और कमलजीत इतना बोलते ही घर के अंदर जाने के लिए चल पड़ी। अब प्रीति और रूबी सिर्फ दोनों ही पार्क में थी और धूप का आनंद ले रही थी।
प्रीति ने अपनी आँखें रूबी के चेहरे पे गड़ा रखी थी। रूबी को मालूम था की प्रीति उसकी तरफ ही देख रही है पर वो अंजान बनने की कोशिश कर रही थी और अपने आप को अखबार में बिजी दिखा रही थी। हालांकी उससे कुछ भी पढ़ा नहीं जा रहा था। तभी प्रीति ने चुप्पी तोड़ी।
प्रीति- भाभी क्या हुआ?
रूबी का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा और आँखें अखबार में गड़ाई हए बोली- “कुछ भी तो नहीं.."
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RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
रूबी का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा और आँखें अखबार में गड़ाई हए बोली- “कुछ भी तो नहीं.."
प्रीति- आप कल जो हुआ उससे शर्मा रहे हो, और मुझसे बात नहीं कर रहे सुबह से।
रूबी- ऐसी बात नहीं है।
प्रीति- भाभी कल जो कुछ भी हुआ, वो नार्मल था। हमने कोई गलत काम नहीं किया। बस मुझसे आपकी तड़प देखी नहीं गई।
रूबी ने कुछ भी जवाव नहीं दिया।
प्रीति ने फिर से चुप्पी तोड़ी- “भाभी आपको अच्छा नहीं लगा क्या?"
रूबी- वो बात नहीं है।
प्रीति- तो क्या बात है, बताओ अच्छा नहीं लगा?
रूबी- ऐसी बात नहीं है।
प्रीति- तो इसका मतलब की आपको मजा आया।
रूबी ने कुछ नहीं बोला बस मुश्कुरा दी।
प्रीति- भाभी बोलो ना? मुझे तो बहुत मजा आया था। आप बताओ ना प्लीज।
रूबी- हाँ आया था।
प्रीति- तो फिर इसमें शर्माने की क्या बात है? कम से कम मेरे से तो मत शर्माओ। हम ननद भाभी कम और दोस्त ज्यादा हैं।
रूबी- ओके नहीं शर्माती बाबा... और कुछ?
प्रीति- और कुछ नहीं, बस कुछ देर बाद मैं अपने ससुराल चली जाऊँगी।
तभी कमलजीत वापिस आ गई, और कहा- "मैंने बात की थी। तुम्हारे पापा बोलते हैं कि ठीक है। राम को काम समझा दो और उसकी सेलरी की बात वो खुद कर लेंगे..."
रूबी- ठीक है मम्मीजी।
कमलजीत रामू को आवाज लगती है और राम उनके पास आता है।
रामू- जी बीवीजी?
कमलजीत- रामू कल से कामवाली नहीं आ रही है, तो तू सफाई का काम कर लिया कर कल से। तुम्हें इसके पैसे अलग से भी मिल जाएंगे। ठीक है?
रामू- ठीक है बीवीजी, कर लूंगा।
कमलजीत- “सरदारजी बता देंगे पैसों के बारे में। अभी तू बहू के साथ अंदर जाकर समझ ले क्या काम करना है
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RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
रूबी उठती है और अंदर जाने लगती है। राम भी पीछे-पीछे चल पड़ता है। रूबी का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। घर के अंदर रूबी रामू को काम समझाने लगी। आज पहली बार था की घर की बहू को रामू इतनी पास से देख रहा था। क्या बला की खूबसूरत थी। गोरा रंग बदन का और सुडौल भरा-भरा जिश्म। रामू के अपने गाँव में तो इतनी खूबसूरत औरत तो थी ही नहीं। खूबसूरती के साथ-साथ मालेकिन के बोलने का अंदाज कितना प्यारा था। रूबी की बातें राम के एक कान से अंदर जाती और दूसरे से निकल जाती। वो तो बस रूबी को ही निहार रहा था।
इधर रूबी भी कोई बच्ची नहीं थी। उसे भी एहसास हुआ कि रामू की नजरें सिर्फ उसके चेहरे पे ही टिकी हैं, और उसे काम का कुछ भी समझ में नहीं आया होगा। खैर, कुछ देर समझाने के बाद रूबी और रामू घर के बाहर आए और रामू अपने कमरे की तरफ, और रूबी कमलजीत और प्रीति के पास आ गई।
इधर राम अपने कमरे में जाते-जाते रूबी के ख्याल में खोया था। उसकी आँखों के सामने तो बस हँस रूबी का मुश्कुराता चेहरा ही बार-बार दिखाई दे रहा था।
इधर रूबी भी सोच रही थी की पहले तो कभी उसे राम से बात करने की जरूरत नहीं पड़ी थी और ना ही मैंने रामू के बारे में सोचा था। अभी कुछ दिन पहले ही तो मैंने रामू को नहाते देखा और फिर चूत की आग ठंडी की थी, और अब कल से मैं रामू से काम करवाऊँगी। रामू के नहाते देखना, फिर चूत की आग को शांत करना, और प्रीति के साथ हमबिस्तर होना, यह सब चार-पाँच दिनों में ही घटित हो गया था। क्या किश्मत उसके साथ कोई खेल खेलना चाहती थी? रूबी कुछ भी समझ नहीं पा रही थी।
कुछ देर बाद प्रीति अपने ससुराल के लिए रवाना हो गई।
रूबी अपने डेली रूटीन में बिजी हो गई। रात को बेड पे लेटी-लेटी रूबी फिर से रामू के बारे में सोचने लगी। वो काफी कोशिश कर रही थी की रामू के बारे ना सोचे, पर फिर भी उसका ध्यान में रामू के उस दिन के नहाने के दृश्य को याद करने लगती थी। क्या रामू के बलिष्ठ जिश्म ने उस पे कोई जादू कर दिया था। उसे डर था कहीं वो बहक ना जाए। फिर उसने सोचा की वो अपनी भावनाओं पे काबू रखेगी और रामू को तो उसकी दिल की बात का पता ही नहीं है, तो फिर फिसलने का सवाल ही पैदा नहीं होता। इस उलझन का जवाव ढूँढते-ढूँढ़ते कब उसकी आँख लगी उसे पता भी नहीं चला।
अगले दिन राम सुबह का खाना लेने आया। रूबी ने उसे खाना दिया। तभी राम बोला।
रामू- बीवीजी कब शुरू करना है काम?
रूबी- खाना खा लो। मैं भी खा लूंगी तब आ जाना।
राम- “ठीक है बीवीजी..." कहत राम वापिस जाने को पलट गया और सोचकर खुश हो रहा था की अपनी खूबसूरत मालेकिन के पास आने और बात करने का अच्छा मौका मिला है।
इधर रूबी अपने आपसे लड़ रही थी की वो राम के बारे में ना सोचे। उसे यह नहीं पता था की रामू खुद भी उसमें दिलचश्पी ले रहा है।
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RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
इधर रूबी अपने आपसे लड़ रही थी की वो राम के बारे में ना सोचे। उसे यह नहीं पता था की रामू खुद भी उसमें दिलचश्पी ले रहा है।
आखीरकार, वो टाइम भी आ गया जब रूबी को राम से काम करवाना था। कमलजीत बाहर धूप में बैठ गई और रूबी और रामू दोनों अंदर अकेले थे। रूबी इन्स्ट्रक्सन देने लगी और राम वैसे ही काम करने लगा। रामू अपनी तरफ से काफी अच्छे से सफाई कर रहा था। पर फिर भी रूबी को लगा की अभी भी वो उसकी इन्स्ट्रक्सन ठीक से नहीं फालो कर रहा।
रूबी- राम ऐसे नहीं। नीचे झुक कर बेड के नीचे लगाओ।
रामू- बीवीजी मैंने लगा दिया था, और धूल भी बेड के नीचे से निकली थी।
रूबी- "अरे नहीं झाडू दो मुझे, मैं तुम्हें दिखाती हूँ..."
कहकर रूबी ने झाड़ पकड़ लिया और खुद झुक कर झाड़ लगाने लगी। रूबी ने उस टाइम सलवार कमीज पहनी थी और कमीज के ऊपर स्वीट-शर्ट थी जो की रूबी ने खुली रखी थी। उसके झुकने से उभारों के बीच की लाइन और दोनों उभारों के हिस्से दिखने लगे और रामू की आँखें उनपर टिक गई।
उभार राम को ललचा रहे थे। उधर रूबी इस सबसे अंजान थी की राम को उसके उभारों के बीच की दरार की झलक मिल रही है। वो नीचे झुकी झाडू लगती अपनी इन्स्ट्रक्सन देती जा रही थी। रामू की हालत पतली हो रही थी। उसे पशीना आने लगा था। उसके लण्ड में हलचल होने लगी थी।
इन्स्ट्रक्सन देती देती रूबी थोड़ा झुक गई। अब रामू को उसका पेट भी दिखाई देने लगा था। राम का लण्ड अपनी पैंट में टाइट हो गया था। तभी रूबी ने झाड़ लगाना बंद किया और उठ गई। उसने रामू को अपने उभारों को घूरते नोट नहीं किया था।
रूबी- ठीक है रामू समझ गये ना?
रामू को कुछ पता नहीं रूबी ने क्या समझाया था, पर उसने वैसे ही सिर हिला दिया।
रूबी-अभी आप इस रूम को साफ करो, मैं अभी आती हूँ
रूबी ने झाडू रामू की तरफ किया और रामू ने अपना हाथ झाडू लेने के लिए आगे बढ़ाया तो उसकी उंगलियां रूबी की उंगलियों से टकराई। रूबी ने जल्दी से झाड़ छोड़ दिया और अखबार पढ़ने लाबी में चली गई।
राम कछ देर बाद लाबी में आया और बोला- “रूम साफ हो गया है..."
अब रूबी उसे अपने कमरे में सफाई के लिए ले गई और इन्स्ट्रक्षन्स देने लगी। इस बार भी उसने अपने बेड के नीचे झाड़ लगाने का डेमो दिया तो राम को उसके उभारों के दर्शन होने लगे। वो फिर से उनमें खो गया। उसके अंदर रूबी को पाने की आशा हो गई थी। वैसे तो राम ने अपने गाँव में कई लड़कियां और भाभियां चोदी थी और वो काम-क्रीड़ा में ग था। उसे इतना तो पता था की रूबी मर्द के लिए तो जरूर तड़प रही होगी। आखीरकार, इतना टाइम मालिक बाहर रहते हैं। रूबी के गोरे गोल-गोल उभार उसे कामाग्नि में जला रहे थे। उसका दिल कर रहा था की वो इन्हे खूब चूमे चूसे।
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RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
रूबी ने अपनी आँखें ऊपर की तो रामू उसकी तरफ ही देख रहा था। रूबी ने झट से अपनी आँखें नीचे कर ली। कुछ देर बाद रामू ने ट्यूबवेल चलाया और गाय को नहलाने लगा। रूबी बीच-बीच में उसकी तरफ देख भी लेती थी और रामू की आँखें भी रूबी की तरफ घूम जाती थी। कुछ देर बाद रामू खुद नहाने लगता है और रूबी की नजरें उसके मर्दाने जिश्म का जायजा लेती हैं।
रामू भी उसे अपनी तरफ घूरते देख लेता है। पर रूबी नजरें चुरा लेती है। रामू इतना समझ गया था की रूबी के दिल में भी चोर है, वरना इतनी हसीन औरत अपने नौकर को चोरी-चोरी नहाते क्यों देखती?
उस रात रूबी यही सोचती रही की जो भी रामू आज कर रहा था वो इत्तेफाक था या जानबूझ कर कर रहा था। रामू ने जैसे उसपर जादू कर दिया था। वो उसके बारे में सोचे बिना नहीं रह पा रही थी। उसकी अंदर की आग बढ़ने लगी तो उसने अपनी चूत को सलवार के ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में सलवार ने रूबी के जिश्म का साथ छोड़ दिया, और रूबी अपनी जांघों के बीच तकिया रखकर अपनी चूत को आगे पीछे करने लगी।
उधर रामू ने पहली बार रूबी को इतने करीब से देखा था, और उसकी गोलाईयों को भी जी भरके देखा था। वो जब भी अपनी आँखें बंद करता तो रूबी की गोलाईयां याद आ जाती। उसकी नींद उड़ गई थी। उसका दिल किया की एक बार रूबी को देख ले बस। पर वो तो अभी सो रही होगी। पर दिल है की मानता नहीं। वो उठा और धीरे-धीरे रूबी के कमरे की खिड़की के पास पहुंच गया। खिड़की का पर्दा पूरा अच्छी तरह खिड़की को कवर नहीं कर रहा था। थोड़ी सी जगह थी जहां से अंदर देखा जा सजता था। अंदर धीमी लाइट जल रही थी। राम ने उस दरार से अंदर देखा तो अंदर का नजारा देखकर दंग रह गया। रूबी पैंटी में थी और चूत को तकिये से रगड़ रही थी।
रामू टकटकी लगाकर रूबी को अपनी जिश्म की भूख को शांत करते देखता रहा। कुछ देर बाद रूबी निढाल पड़ गई और फिर अपनी सलवार पहनकर कम्बल लेकर सो गई। रामू वापिस अपने कमरे में आ गया। अपने बिस्तर में लेटा-लेटा सोच रहा था की यह बात तो पक्की है के रूबी मर्द के लिए तड़प रही है। पर वो मुझे मिलेगी कैसे? उसका लण्ड उसकी पैंट में हिल-डुल रहा था। रामू जनता था की यह ऐसे शांत नहीं होगा इसे आजाद करना होगा।
रामू ने अपनी पैंट खोली और अंडरवेर में हाथ डालकर 9" इंच का काला लण्ड बाहर निकाला और रूबी के बारे में सोचते हुए उसे रगड़ने लगा। उसने आँखें बंद कर ली और सोचने लगा, जैसे वो रूबी की चूत में अपना लण्ड पेल रहा हो। धीरे-धीरे उसकी स्पीड बढ़ने लगी और उसके शरीर में अकड़न आ गई। उसने रूबी के बारे में सोचते हुए अपने लण्ड का पानी निकाला। वो सोच रहा था की आज छोटी मालेकिन ने उसे उभारों को घूरते हये देखा है, पता नहीं कल मालेकिन क्या करेगी? कैसे कपड़े पहनेगी? कल गोलाईयों के दर्शन हो भी पाएंगे या नहीं?
अगले दिन रूबी डिसाइड नहीं कर पा रही थी की वो आज क्या पहने? उसे डर था की रामू कहीं आज उसकी चूचियां को देखने के लिए कोई बहाना न करे, जिससे उसे समझाने के लिए नीचे झुकना पड़े और रामू को उसकी गोलाईयों के दर्शन हो सकें। वो राम को यह एहसास नहीं होने देना चाहती थी की उसके मन में भी लड्डू फूट रहे हैं। उसने आज ग्रे कलर का ट्रैक सूट पहन लिया।
सास बहू धूप में बैठी थी और तभी ठीक 10 बजे रामू रूबी के पास आ गया। रूबी ने उसकी तरफ देखा और नजरें झुका ली और बिना कुछ बोले अंदर चली गई। इधर रामू भी पीछे-पीछे चल पड़ा। रामू ने झाड़ देना शुरू किया और रूबी इन्स्ट्रक्सन देती रही। रामू ने देखा की रूबी ने ट्रैक सूट पहना है तो उसे आज उसकी दूध जैसी गोरे चूचियां देखने का चान्स नहीं मिलने वाला था।
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