Mastaram Stories हवस के गुलाम
11-03-2020, 12:53 PM,
#61
RE: Mastaram Stories हवस के गुलाम
सलीम अचानक से अंजलि के कंधो को धक्का देकर बेड पर गिरा देता है और खुद उपर चढ़ जाता है...

सलीम: अब अगर ज़्यादा हिलेगी तो लंड अंदर भी डाल सकता हूँ..

देख अब मेरे पास सिर्फ़ 1.30 मिनिट है. 1.30 मिनिट में अगर तू पिघल गयी तो में समझूंगा कि तू मुझसे प्यार करती है और तू मेरा साथ देगी... वरना में चुप चाप चला जाउन्गा..

अंजलि: क्या करोगे...

सलीम: कुछ नहीं वही तीसरी शर्त..मेने तुझसे कहा था कि मेरा लंड अपनी चूत से घिस... लेकिन तू नहीं मानी .... तो अब वो काम में खुद करूँगा..

अंजलि: अगर अंदर डाला तो में जान दे दूँगी... समझे आप..

सलीम: पंडित हूँ कुछ तो ईमान होगा मेरा... यकीन कर तेरे बिना कहे तो मेरा लंड भी तेरी चूत को टच नहीं करता...

अंजलि: मेने कब कहा टच करने को..

सलीम: मना भी तो नहीं किया ना...

अंजलि शर्म से साइड में मूह कर लेती है..

सलीम: मेरी तरफ देख इन 1.3० मिनिट तू सिर्फ़ मुझे देखेगी और कुछ नहीं..

अंजलि धीरे से सलीम की ओर गर्दन घुमा ती है.. तभी सलीम अपना लंड अंजलि की चूत पर रख देता है... अंजलि सलीम के लंड की गर्मी अपनी चूत पर पाकर धनुष की तरह हो जाती है..

तभी सलीम एक घिस्सा मारता है.. सलीम का लंड अंजलि की चूत के अंतिम छोर से उपर तक रहते हुए अंजलि की नाभि तक आ जाता है...
और अंजलि के मूह से एक मध्यम सी कराह निकल जाती है...

सलीम: लंड को चूत पर घिसते हुए.... अंजलि... तू मुझसे सच में प्यार करती है..

अंजलि:. ह्म्‍म्म्म आअहह नाआ हाअ... . ह्म

सलीम: क्या हाँ ना लगा रखी है ठीक से बोल...

अंजलि सलीम की ओर देखती है और सलीम फिर से एक धक्का मारता है.. और अंजलि की चूत गीली होने लगती है..

अंजलि मन ही मन सोचती है...
( चाचा अपनी उम्र तो देखो.. कब्र में पैर पसारने की है और तुम यहाँ मुझ खूबसूरत औरत के साथ ऐश कर रहे हो... बड़े किस्मत वाले हो...)

सलीम अब जल्दी जल्दी धक्के मारने लगता है...
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11-03-2020, 12:53 PM,
#62
RE: Mastaram Stories हवस के गुलाम
सलीम के धक्को से अंजलि परेशान हो जाती है.. उसकी चूत लगातार पानी छोड़ रही थी और सलीम उसे लगातार पानी छोड़ने पर मजबूर कर रहा था...

अंजलि अचानक से अपने हाथ उपर लेजाकर सलीम को गले लगा लेती है...
हाअ आअहह ज़ोर से....

सलीम: पहले बोलो प्यार करती हो..

अंजलि को एहसास हो जाता है कि वो क्या बोल गई...
लेकिन फिर भी अपनी अकड़ दिखाने के लिए..
अंजलि: नहीं करती बिल्कुल भी नहीं..

सलीम: बस 30 सेकेंड की बात और है..

सलीम अब ऐसे धक्के मार रहा था जैसे सच में अंजलि को चोद रहा हो.. अंजलि का सर बेड पर उपर नीचे हो रहा था.. और बेड चू चू कर रहा था... कुछ ही सेकेंडो में अंजलि झड जाती है.. और सलीम का पूरा लंड चिकना हो जाता है अंजलि के पानी से...

तभी सलीम थोड़ी सी चालाकी दिखता है.. और अपने लंड को अंजलि की चूत के मूह पर फिट कर देता है और हल्का सा झटका देता है.. सलीम के लंड का टोपा अंजलि की चूत में घुस जाता है...

अंजलि एक दम से हुए दर्द से काँप जाती है साथ ही पूरा शरीर काँप ने लगता है..

अंजलि: कमीने बाहर निकाल...

सलीम: मेने अंदर कहाँ डाला..

अंजलि: मेने कहा ... आसान हूओ ह्म्‍म्म्म अंजलि एक बार फिर से झड़ने लगती है...

तभी सलीम अपना लंड बार निकाल कर मूठ मारने लगता है ...

सलीम अपना सारा माल अंजलि के मम्मो पर डाल देता है...

अंजलि अभी भी काँप रही थी उसे समझ नहीं आरहा था कि वो इतनी जल्दी कैसे झड सकती है..
उसकी चूत में अभी भी सुरसूराहट होरही थी.. कम से कम 2- 3 मिनिट तक अंजलि किस्तो में झड़ती रही..

सलीम: देखो अंजलि अपनी चूत को कितना पानी छोड़ रही है.. अब तो मान जाओ तुम्हे मुझसे प्यार है... इश्क़ है...
मेरी मदद करो... में तुम्हारी ननद से बहुत प्यार करता हूँ मेरी मदद कर प्लीज़... ऐसा कह कर सलीम वहाँ से निकल जाता है..
Reply
11-03-2020, 12:54 PM,
#63
RE: Mastaram Stories हवस के गुलाम
अंजलि सलीम की बाते तो सुन चुकी थी लेकिन कुछ रिक्ट करने की हालत में नहीं थी... कारण ये था कि उसकी चूत में अभी भी सुरसूराहट हो रही थी...

करीब 30 मिनिट बाद अंजलि हिम्मत जुटा कर बिस्तर से उठती है और वॉशरूम में जाकर शवर के नीचे खड़ी हो जाती है.. अंजलि की जांघे काँप रही थी.. उसके पैरो में खुद का वजन भी संभाल पाने की हिम्मत नहीं हो रही थी..

किसी तरह शवर के नीचे खड़े होने के बाद वो धीरे से अपनी पीठ दीवार के सहारे लगाकर नीचे बैठने लगती है.. अपने सारे बदन को सॉफ करने के बाद उसे तोड़ा बहुत आराम महसूस होने लगता है... अंजलि जल्दी से शवर बंद करके वॉशरूम से बाहर आती है.. उसके शरीर पर पानी की बूंदे ऐसे चमक रही थी जैसे कि कोई हीरे से जड़ी हुई मूरत हो...

अंजलि अपने कबाड़ की तरफ जाती है वहाँ से जल्दी से अपनी साड़ी , ब्लाउज, पेटिकोट, ब्रा पेंटी निकाल कर पहन ने लगती है... उसके मन में कयि तरह के सवाल चल रहे थे.. एक प्रकार की उधेड़ बुन चल रही थी...

कभी सोचती है आख़िर देव ने ऐसा क्या किया जो सलीम उनसे इतना नाराज़ है.? कभी सोचती है.. हे भगवान मेने ये कैसे होने दिया एक हिंदू बुड्ढे को मेरे बदन के साथ खेलना... उसे तो देखना भी पाप था.... ओह गॉड... कभी सोचती है.. आख़िर ऐसा क्या राज है देव का जो में नहीं जानती सिर्फ़ सलीम चाचा जानते है.... और मम्मी जी ने मुझसे क्यूँ छुपाया.. कभी सोचती है.. सलीम चाचा के स्पर्श करने से में पागल क्यूँ हो गयी थी... में ऐसी तो नहीं थी.. मुझसे तो अब काबू ही नहीं रहा.. जैसे मेरा शरीर मुझसे ही बग़ावत करने पे तुला है... कभी सोचती है.. क्या में सलीम चाचा से प्यार... नहीं नहीं में शादी शुदा हूँ... देव मेरे पति है.. सुंदर है. यंग है.. पोलीस ऑफीस है.. हॅंडसम और मुझसे प्यार करते है... फिर में कैसे उस बुड्ढे सलीम चाचा से प्यार कर सकती हूँ... कभी नहीं... कभी सोचती है... और ये सलीम चाचा मुझसे कह रहे थे कि मेरी ननद से प्यार करते है और मेरी मदद चाहिए.. मुझे क्या दलाल समझा है.. या किसी कोठे की बाई जो मुझसे एक लड़की का सौदा करने जैसी हरकत कर रहे है.. मदद तो ऐसे माँग रहे थे जैसे मेरे कोई ख़ास दोस्त हो.. ... मेरे सिवा किसी और को कैसे देख सकते है..
इतना सोचना था कि...

लास्ट का विचार आते ही उसकी पेंटी फिर से गीली हो जाती है.. अंजलि की चूत में फिर से खुजली चलने लगती है और पानी टपक ने लगता है.. ये देख कर अंजलि शरमा जाती है.. अंजलि अब वापस अपनी पेंटी निकाल कर उसे धोने वॉशरूम में चली जाती है.. अंजलि वॉशरूम में अपनी पेंटी धोकर सूखने के लिए वही डाल देती है.. अंजलि जैसे ही बाहर आती है.. उसका फोन बजने लगता है...
अंजलि जल्दी से फोन तक आती है और देखती है कि किसका फोन है.. सामने लिखा नाम देखा तो देव......

अंजलि ने फोन उठाया तो और बोली...
अंजलि:, हेलो....
बीप बीप बीप बीप.....
(फोन डिसकनेक्ट)
अंजलि ने फिर से कॉल किया.. लेकिन आउट ऑफ नेटवर्क आ रहा था..

अभी अंजलि अपने विचारों से बाहर निकली ही थी कि घर के डोर की बेल बजती है..

अंजलि सीडियाँ उतरती हुई नीचे आती है… अंजलि देखती है कि सलीम चाचा डोर ओपन करने गये हुए है.

दरवाजा जैसे ही खूलकता है.. कामया भाभी बोलते हुए अंजलि के गले लगती है…

लेकिन थोड़ी देर में उसे पता चल जाता है कि वो उसकी भाभी नहीं बल्कि सलीम चाचा है..
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11-03-2020, 12:54 PM,
#64
RE: Mastaram Stories हवस के गुलाम
कामया थोड़ा आसेहज महसूस करती है और नीचे गर्दन करती हुई आगे चली जाती है… वही कामया के साथ आई बाहर खड़ी आरती मूह खोले खड़ी थी.. ये सब इतना जल्दी हुआ कि किसी को समझने में भी नहीं आया..

वही अंजलि ये सब देख कर अपनी जगह मूरत बनी खड़ी थी… अंजलि के मनोभाव ऐसे थे कि वो उन्हे किसी को समझा भी नहीं पाती.. समझती कैसे खुद समझती तो समझा पाती.

जहाँ एक ओर अंजलि को कामया पर सलीम चाचा के गले लगने पर गुस्सा था वही दूसरी और जलन थी कि आख़िर सलीम चाचा कामया को क्यूँ प्यार करते है…

तभी सलीम अपना गला सॉफ करते हुए आरती से बोलता है..

सलीम: आप अंदर नहीं आएँगी क्या? (सलीम ये सब बोल कर वापस महॉल नॉर्मल कर देता है..)

अंजलि: अरे आरती बाहर क्यूँ खड़ी हो? आओ अंदर आ जाओ.. अपना ही घर है ससुराल नहीं है.....

आरती शरमाती हुई अंदर आ जाती है.. वही कामया और अंजलि दोनो एक दूसरे को ताली देते हुए हँसने लगती है…

अंजलि: अच्छा कामया ये तो बताओ तुम इतना खुश क्यूँ थी जो आते ही मेरे गले लग जाने वाली थी… और अपने कंधे से कामया के कंधो को एक हल्का सा धक्का मारती है..

कामया शरमा जाती है..
कामया: भाभी वो भैया का फोन आया था. बोल रहे थे कि वो नहीं आ पाएँगे.. वो सनडे तक वहाँ से रवाना होंगे..

अंजलि: इसमे इतनी खुशी की क्या बात है?

आरती: भाभी कितनी भोली हो.. ये पार्टी करना चाहती है यहाँ पर… वो भी हार्डकोर पार्टी.. वित मास्क आंड डॅन्सिंग.

अंजलि: चोन्कने का मूह बनाते हुए पागल है क्या.. तेरे भैया जान से मार डालेंगे……

कामया: तभी तो खुश हूँ वो नहीं आ रहे तो हम पार्टी आराम से कर सकते है..

आरती: हाँ भाभी काफ़ी दिन हो गये मेने भी पार्टी नहीं की है.. पहले हॉस्टिल में तो अपने फ्रेंड्स के साथ खूब पार्टी हो जाती थी.. बट अब नहीं..( अपना सॅड सा फेस बना लेती है)

अंजलि: ठीक है लेकिन हार्डकोर पार्टी??????

आरती : एक दिन की तो बात है…

कामया: प्लीज़ भाभी मान जाओ ना..

अंजलि: सोचने का नाटक करते हुए ठीक है लेकिन कोई भी अननोन पर्सन नहीं आएगा पार्टी में..

कामया: ओन्ली फ्रेंड्स पक्का..

आरती: यस ओन्ली फ्रेंड्स..

अंजलि: ओके और ये मास्क का क्या खेल है.. ?

आरती: भाभी मास्क पार्टी कपल वग़ैरा करते है.. बट हम लोगो ने सोचा जो कपल डॅन्स होगा उसमे हम इसे यूज़ करेंगे..

अंजलि: लेकिन:

कामया अंजलि के कंधो को पकड़ कर उसे सीडियों से साइड में करती है…

कामया: ओह हो भाभी कितने सवाल पूछती हो.. अब नो लेकिन वेकीन… हम पार्टी की तैयारी करते है… चलो आरती..

आरती: ये शुवर बेब…हहेहहे (दोनो बहने खिलखिलते हुए उपर चली गयी)
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11-03-2020, 12:54 PM,
#65
RE: Mastaram Stories हवस के गुलाम
अंजलि सलीम की बाते तो सुन चुकी थी लेकिन कुछ रिक्ट करने की हालत में नहीं थी... कारण ये था कि उसकी चूत में अभी भी सुरसूराहट हो रही थी...

करीब 30 मिनिट बाद अंजलि हिम्मत जुटा कर बिस्तर से उठती है और वॉशरूम में जाकर शवर के नीचे खड़ी हो जाती है.. अंजलि की जांघे काँप रही थी.. उसके पैरो में खुद का वजन भी संभाल पाने की हिम्मत नहीं हो रही थी..

किसी तरह शवर के नीचे खड़े होने के बाद वो धीरे से अपनी पीठ दीवार के सहारे लगाकर नीचे बैठने लगती है.. अपने सारे बदन को सॉफ करने के बाद उसे तोड़ा बहुत आराम महसूस होने लगता है... अंजलि जल्दी से शवर बंद करके वॉशरूम से बाहर आती है.. उसके शरीर पर पानी की बूंदे ऐसे चमक रही थी जैसे कि कोई हीरे से जड़ी हुई मूरत हो...

अंजलि अपने कबाड़ की तरफ जाती है वहाँ से जल्दी से अपनी साड़ी , ब्लाउज, पेटिकोट, ब्रा पेंटी निकाल कर पहन ने लगती है... उसके मन में कयि तरह के सवाल चल रहे थे.. एक प्रकार की उधेड़ बुन चल रही थी...

कभी सोचती है आख़िर देव ने ऐसा क्या किया जो सलीम उनसे इतना नाराज़ है.? कभी सोचती है.. हे भगवान मेने ये कैसे होने दिया एक हिंदू बुड्ढे को मेरे बदन के साथ खेलना... उसे तो देखना भी पाप था.... ओह गॉड... कभी सोचती है.. आख़िर ऐसा क्या राज है देव का जो में नहीं जानती सिर्फ़ सलीम चाचा जानते है.... और मम्मी जी ने मुझसे क्यूँ छुपाया.. कभी सोचती है.. सलीम चाचा के स्पर्श करने से में पागल क्यूँ हो गयी थी... में ऐसी तो नहीं थी.. मुझसे तो अब काबू ही नहीं रहा.. जैसे मेरा शरीर मुझसे ही बग़ावत करने पे तुला है... कभी सोचती है.. क्या में सलीम चाचा से प्यार... नहीं नहीं में शादी शुदा हूँ... देव मेरे पति है.. सुंदर है. यंग है.. पोलीस ऑफीस है.. हॅंडसम और मुझसे प्यार करते है... फिर में कैसे उस बुड्ढे सलीम चाचा से प्यार कर सकती हूँ... कभी नहीं... कभी सोचती है... और ये सलीम चाचा मुझसे कह रहे थे कि मेरी ननद से प्यार करते है और मेरी मदद चाहिए.. मुझे क्या दलाल समझा है.. या किसी कोठे की बाई जो मुझसे एक लड़की का सौदा करने जैसी हरकत कर रहे है.. मदद तो ऐसे माँग रहे थे जैसे मेरे कोई ख़ास दोस्त हो.. ... मेरे सिवा किसी और को कैसे देख सकते है..
इतना सोचना था कि...

लास्ट का विचार आते ही उसकी पेंटी फिर से गीली हो जाती है.. अंजलि की चूत में फिर से खुजली चलने लगती है और पानी टपक ने लगता है.. ये देख कर अंजलि शरमा जाती है.. अंजलि अब वापस अपनी पेंटी निकाल कर उसे धोने वॉशरूम में चली जाती है.. अंजलि वॉशरूम में अपनी पेंटी धोकर सूखने के लिए वही डाल देती है.. अंजलि जैसे ही बाहर आती है.. उसका फोन बजने लगता है...
अंजलि जल्दी से फोन तक आती है और देखती है कि किसका फोन है.. सामने लिखा नाम देखा तो देव......

अंजलि ने फोन उठाया तो और बोली...
अंजलि:, हेलो....
बीप बीप बीप बीप.....
(फोन डिसकनेक्ट)
अंजलि ने फिर से कॉल किया.. लेकिन आउट ऑफ नेटवर्क आ रहा था..
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11-03-2020, 12:54 PM,
#66
RE: Mastaram Stories हवस के गुलाम


अभी अंजलि अपने विचारों से बाहर निकली ही थी कि घर के डोर की बेल बजती है..

अंजलि सीडियाँ उतरती हुई नीचे आती है… अंजलि देखती है कि सलीम चाचा डोर ओपन करने गये हुए है.

दरवाजा जैसे ही खूलकता है.. कामया भाभी बोलते हुए अंजलि के गले लगती है…

लेकिन थोड़ी देर में उसे पता चल जाता है कि वो उसकी भाभी नहीं बल्कि सलीम चाचा है..

कामया थोड़ा आसेहज महसूस करती है और नीचे गर्दन करती हुई आगे चली जाती है… वही कामया के साथ आई बाहर खड़ी आरती मूह खोले खड़ी थी.. ये सब इतना जल्दी हुआ कि किसी को समझने में भी नहीं आया..

वही अंजलि ये सब देख कर अपनी जगह मूरत बनी खड़ी थी… अंजलि के मनोभाव ऐसे थे कि वो उन्हे किसी को समझा भी नहीं पाती.. समझती कैसे खुद समझती तो समझा पाती.

जहाँ एक ओर अंजलि को कामया पर सलीम चाचा के गले लगने पर गुस्सा था वही दूसरी और जलन थी कि आख़िर सलीम चाचा कामया को क्यूँ प्यार करते है…

तभी सलीम अपना गला सॉफ करते हुए आरती से बोलता है..

सलीम: आप अंदर नहीं आएँगी क्या? (सलीम ये सब बोल कर वापस महॉल नॉर्मल कर देता है..)

अंजलि: अरे आरती बाहर क्यूँ खड़ी हो? आओ अंदर आ जाओ.. अपना ही घर है ससुराल नहीं है.....

आरती शरमाती हुई अंदर आ जाती है.. वही कामया और अंजलि दोनो एक दूसरे को ताली देते हुए हँसने लगती है…

अंजलि: अच्छा कामया ये तो बताओ तुम इतना खुश क्यूँ थी जो आते ही मेरे गले लग जाने वाली थी… और अपने कंधे से कामया के कंधो को एक हल्का सा धक्का मारती है..

कामया शरमा जाती है..
कामया: भाभी वो भैया का फोन आया था. बोल रहे थे कि वो नहीं आ पाएँगे.. वो सनडे तक वहाँ से रवाना होंगे..

अंजलि: इसमे इतनी खुशी की क्या बात है?

आरती: भाभी कितनी भोली हो.. ये पार्टी करना चाहती है यहाँ पर… वो भी हार्डकोर पार्टी.. वित मास्क आंड डॅन्सिंग.

अंजलि: चोन्कने का मूह बनाते हुए पागल है क्या.. तेरे भैया जान से मार डालेंगे……

कामया: तभी तो खुश हूँ वो नहीं आ रहे तो हम पार्टी आराम से कर सकते है..
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11-03-2020, 12:54 PM,
#67
RE: Mastaram Stories हवस के गुलाम
आरती: हाँ भाभी काफ़ी दिन हो गये मेने भी पार्टी नहीं की है.. पहले हॉस्टिल में तो अपने फ्रेंड्स के साथ खूब पार्टी हो जाती थी.. बट अब नहीं..( अपना सॅड सा फेस बना लेती है)

अंजलि: ठीक है लेकिन हार्डकोर पार्टी??????

आरती : एक दिन की तो बात है…

कामया: प्लीज़ भाभी मान जाओ ना..

अंजलि: सोचने का नाटक करते हुए ठीक है लेकिन कोई भी अननोन पर्सन नहीं आएगा पार्टी में..

कामया: ओन्ली फ्रेंड्स पक्का..

आरती: यस ओन्ली फ्रेंड्स..

अंजलि: ओके और ये मास्क का क्या खेल है.. ?

आरती: भाभी मास्क पार्टी कपल वग़ैरा करते है.. बट हम लोगो ने सोचा जो कपल डॅन्स होगा उसमे हम इसे यूज़ करेंगे..

अंजलि: लेकिन:

कामया अंजलि के कंधो को पकड़ कर उसे सीडियों से साइड में करती है…

कामया: ओह हो भाभी कितने सवाल पूछती हो.. अब नो लेकिन वेकीन… हम पार्टी की तैयारी करते है… चलो आरती..

आरती: ये शुवर बेब…हहेहहे (दोनो बहने खिलखिलते हुए उपर चली गयी)

तभी सलीम पीछे से अंजलि को बोलता है

सलीम: मेड्म?

अंजलि एक दम से डरती हुई पीछे घूमती है…?
अंजलि: क्या है?

सलीम: जी वो चाय….

अंजलि टी कप्स को देखती है और फिर सलीम की ओर देखती है.. और एक कप उठा कर उसे थॅंक यू बोलती है..

तभी सलीम बोलता है..

सलीम: मेड्म प्लीज़ मेरी मदद करने के बारे में एक बार सोचिए तो सही?

अंजलि अभी एक घुट भी चाय नहीं पी थी कि उसने सलीम की बात सुन कर उसे गुस्सा आगया.
अंजलि: तुम्म…

Reply
11-03-2020, 12:54 PM,
#68
RE: Mastaram Stories हवस के गुलाम
तभी उपर से आवाज़ आती है…
भाभी…

सलीम: चुदवायेगी कामया को मुझसे?

अंजलि.. हाअ
अंजलि : व्हाट?

भाभी यहाँ आई ये..

सलीम तुम आओगी आज चुदवाने..

अंजलि: आई.. शट अप?

अंजलि: आरती आ रही हूँ प्लीज़ रूको..

सलीम: आपने दोनो वादे किए है मुझसे प्लीज़ जल्दी से पूरे कर दीजिए..

अंजलि: मेने कब…. तभी अंजलि को अभी हाल ही में हुए कॉन्वर्सेशन याद आते है और ना चाहते हुए भी मुस्कुरा पड़ती है..

सलीम अंजलि का हाथ पकड़ कर..

सलीम: थॅंक यू मेड्म आपकी ये मुस्कुराहट देखने के लिए आँखें तरस गयी थी.. और थॅंक यू मुझे माफ़ करने के लिए..

अंजलि: इट्स ओके अब जाओ और अपना काम करो.. ऐसा कह कर अंजलि उपर आरती के पास जाने लगती है..
वही सलीम किचन में आकर खाना पका ने लगता है..
आज सलीम ने पूरे खाने में हकीम की दी हुई दवा मिलाई थी…

अंजलि उपर कामया और आरती के साथ पार्टी की तैयारी कर रही थी…

कामया: भाभी इस पार्टी में हम सिर्फ़ अपने फ्रेंड्स को बुलाएँगे .. तो फिर हार्डकोर पार्टी में क्या कमी है.. मम्मी यहाँ होती तो वैसे ही पार्टी नहीं करने देती और भैया तो जान ही लेलेते… प्लीज़ भाभी आप तो हमारा साथ दो..

आरती: हाँ भाभी प्लीज़…. सिर्फ़ इस बार .. फिर क्या पता अगली बार कामया दीदी यहाँ हो ही ना..

कामया:तेरा क्या मतलब यहाँ हो ही ना से?

आरती: अरे दीदी आपकी शादी भी तो हो सकती है ना.. हहेहहे

आरती और अंजलि दोनो इस बात पर हँसने लगती है और कामया नाराज़ होते हुए आरती पर झपट ती है लेकिन अंजलि आरती को अपने पीछे छिपा लेती है..
Reply
11-03-2020, 12:54 PM,
#69
RE: Mastaram Stories हवस के गुलाम
आरती: अरे दीदी आपकी शादी भी तो हो सकती है ना.. हहेहहे

आरती और अंजलि दोनो इस बात पर हँसने लगती है और कामया नाराज़ होते हुए आरती पर झपट ती है लेकिन अंजलि आरती को अपने पीछे छिपा लेती है..

इसी तरह मस्ती करते हुए तीनो पार्टी की तैयारी करती है… और दोपहर का लंच टाइम आ जाता है…

अंजलि: आरती आज तुम पार्टी के लिए पहली बार हम सब के साथ बात कर रही हो…

आरती: सॉरी भाभी..

कामया: हाँ आरती ये ग़लत बात है क्या करती रहती है तू अपने कमरे में…

आरती: सॉरी दीदी वो हॉस्टिल में एक ही रूम में रहने की आदत पड़ गई है.. और फिर मेरी फ्रेंड्स भी तो नहीं है यहाँ पर… तो अकेले रहना ही अच्छा लगता था.. बट इस पार्टी की वजह से मुझे लगा यही सही वक़्त है सब से फिर से नॉर्मल होने का..

अंजलि: हाँ बिल्कुल सही कहा …

तभी सलीम की एंट्री होती है…
सलीम: अंजलि जी खाना तैयार है, टेबल पर लगा दिया है.. आप लोग आजाए..

कामया: जी काका अभी आई आप चलो..

अंजलि मन ही मन सोचती है.. कामया जो आदमी आज तुम्हे खाने पर बुला रहा है वो ही आदमी तुझसे तेरी जवानी लेने का ख्वाब भी देख रहा है..

अंजलि अभी ये सोच ही रही थी कि आरती अंजलि के कंधों पर हाथ रख कर..

आरती: चलो भाभी.. खाना ठंडा हो रहा है…

अंजलि: हाँ.. ह्म(चोन्कते हुए) चलो… चलते है..

तीनो घर की औरतें लंच कर रही थी और सलीम उन्हे खाना परोस रहा था..
तभी सलीम बोलता है…

सलीम -कामया मेड्म आपसे एक सवाल पुच्छू..

कामया: हाँ काका बोलो…?

अंजलि और आरती दोनो सलीम की ओर देखने लगती है..
Reply
11-03-2020, 12:54 PM,
#70
RE: Mastaram Stories हवस के गुलाम
अंजलि मन ही मन डर भी रही थी कि कही बुद्धा अपना मूह ना खोल दे कि उसने उनकी भाभी के साथ क्या क्या हरकतें की थी..

सलीम: वो मेड्म एक कहानी सुना नी थी ताकि आप उसका न्याय कर सके..

कामया: कहानी?

आरती: आइ लव स्टोरीस… प्लीज़ सूनाओ ना काका..

अंजलि आँखो से सलीम को इशारा करती है कि बकवास बंद रखे और अपना मूह बंद रखे.. लेकिन फिर भी उसे आरती की एग्ज़ाइट्मेंट देख कर बोलना पड़ा…

अंजलि: हाँ हाँ क्यूँ नहीं सूनाओ..

कामया: हाँ अब तो सुना ही दो 2-2 वोट भी मिल गये अब तो.. हहहे और वैसे भी भाभी आड्वोकेट तो है ही सो वो जज भी कर देगी... क्यूँ भाभी?

अंजलि: यस श्योर.. क्यूँ नहीं (थोड़ा सा परेशान होते हुए)

फिर सलीम वही कहानी दोहराता है जो कामया के साथ हुआ था जब सलीम उसे कुछ लड़को से बचा कर घर लाता है…

(सलीम मेड्म एक लड़की थी. उसे कुछ चार लड़के अपनी दोस्ती के जाल में फँसा कर उसे अपनी गाड़ी में बिठा कर ले गये और कहीं से उसे दारू पिला दी. जब वो लड़की पूरी तरह से नशे में हो गई तो वो चारो लड़के उसके साथ ग़लत काम करने की कोशिश करने लगे.. तभी वहाँ से कोई बुड्ढ़ा गुजर रहा था यही कोई 45-50 या फिर 55-60 का. वो बुड्ढ़ा कोई और नहीं उस लड़की के घर में काम करने वाला नोकर ही था. उसने उस लड़की को पहचान लिया.. उस बुड्ढे ने अपने जान ने वाले लड़के के साथ मिलकर उस लड़की की इज़्ज़त बचा ली और उस लड़की को घर लेकर आ गया. लेकिन उस लड़की को इतना भी होश नहीं था कि उसे घर कॉन लेकर आया. उसके बाद उस बुड्ढे ने देखा कि वो लड़की बहुत ज़्यादा कामुक हो रखी है शायद उस लड़की को कोई नशीली दवा भी दी गयी थी जिस से वो कामुक हो गयी. तो उस बुड्ढे ने उस लड़की की काम वासना शांत करने के लिए अपनी मर्यादा लाँघ दी लेकिन उस लड़की के कोमार्य को बिना नुकसान पहुँचाए. उस लड़की की भाभी ने उस बुड्ढे को ये सब करते देख लिया लेकिन जब उसे एहसास हुआ कि बुड्ढे ने ये सब उस लड़की के लिए किया है जिसे नशीली दवा दी गयी है तो उसने उसे कुछ नहीं कहा. लेकिन अब उस बुड्ढे को उस लड़की से प्यार हो गया जिसकी उसने इज़्ज़त बचाई. ये बात उस लड़की को पता भी नहीं कि उसकी इज़्ज़त भी किसी ने बचाई थी. तो उस बुड्ढे ने उसकी भाभी से ये बात कही और उसने उस लड़की की भाभी से मदद माँगी लेकिन वो मना कर रही है. उस लड़की की भाभी किसी भी तरह से उस नोकर की मदद नहीं करना चाहती)

अंजलि ये कहानी सुन रही थी साथ ही परेशान भी हो रही थी.. कि ये क्या चाहता है?
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