MmsBee कोई तो रोक लो
09-11-2020, 11:58 AM,
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मैं अपनी जिंदगी के एक ऐसे सच से सामना कर रहा था. जिस पर यकीन करना मेरे लिए इतना आसान नही था. लेकिन मेरे आस पास इस समय जो कुछ घट रहा था, उसे इतनी आसानी से झुठलाया नही जा सकता था.

मोहिनी आंटी की बात से मैं इतना तो समझ चुका था कि, हॉस्पिटल मे उन्हो ने जिस आदमी की अपनी मर्दानगी दिखाने वाली बात सुनी थी, वो कोई दूसरा नही, बल्कि मेरा कमीना बाप ही था.

क्योकि अपनी औलाद के खो जाने पर भी, उसके लिए दुख मनाने की जगह अपनी मर्दानगी की शोखियां बघारने जैसी नीच हरकत मेरे बाप की जगह कोई दूसरा इंसान नही कर सकता था.

ये बात दिमाग़ मे आते ही, मैने इस बात की सच्चाई जानने के लिए पलट कर छोटी माँ की तरफ देखा. इस समय उनकी नज़र मुझ पर ही टिकी हुई थी. लेकिन जैसे ही मैने उनकी तरफ देखा, उन्हो ने अपने सर को झुका लिया.

उनकी आँखों मे इस समय नमी और चेहरे पर परेशानी सॉफ देखी जा सकती थी. शायद वो इस बात के इस तरह से खुल जाने की वजह से इस सब का सामना करने के लिए खुद को तैयार नही कर पा रही थी.

उन्हे शायद इस बात का डर सता रहा था की, अब इस बात के खुल जाने से पता नही क्या क्या सवाल करूगा. मैं उनकी किसी परेशानी को बढ़ाना नही चाहता था. इसलिए मैने अपने मन के हर सवाल को अपने मन मे ही दबाए रखना ठीक समझा और छोटी माँ के पास आते हुए कहा.

मैं बोला “छोटी माँ, आपने सुना की, वाणी दीदी क्या कह रही है. ये कह रही है कि, प्रिया भी आपकी बेटी है. यदि इनकी बात सही निकली तो, आप उसको कैसे संभालेगी. वो तो हम सबसे ज़्यादा शरारती है.”

मेरी ये बात सुनते छोटी माँ की आँखों की नमी आँसुओं मे बदल गयी. उन्हो ने मुझे अपने सीने से लगा लिया और फुट फुट कर रोना सुरू कर दिया. उनके ये आँसू किसी दुख के नही, बल्कि इस खुशी के थे कि, उनका बेटा उनको समझने लगा है.

मगर ये हाल सिर्फ़ छोटी माँ का नही था. इस समय वहाँ खड़े सबकी आँखें आँसुओं से भीगी हुई थी. उन्हो ने मेरे पास आकर, मेरे माथे चूमते हुए छोटी माँ से कहा.

रिचा आंटी बोली “सोनू, हमारा बेटा सच मे बहुत बड़ा हो गया है. ये अब सब कुछ समझने लगा है. तुझे अब इसकी फिकर करने की ज़रा भी ज़रूरत नही है.”

ये कहते हुए, उन्हो ने भी मुझे अपने गले से लगा लिया. मैं थोड़ी देर आंटी से मिलता रहा. फिर मैने छोटी माँ से कहा.

मैं बोला “छोटी माँ, हमारी बातें तो, बाद मे भी होती रहेगी. अभी निशा भाभी का मुंबई वापस लौटना बहुत ज़रूरी है. हमे इनके जाने का इंतेजाम कर देना चाहिए.”

मेरी बात सुनकर, छोटी माँ ने फ़ौरन ही, निशा भाभी से कहा.

छोटी माँ बोली “आप लोग चिंता मत कीजिए. मैं अभी ही आप लोगों की वापसी की टिकेट करवा देती हूँ.”

मगर वाणी दीदी ने छोटी माँ की इस बात को काटते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “मौसी, आपको इनकी टिकेट के लिए परेशान होने की ज़रूरत नही है. अब मैं भी मुंबई जा रही हूँ. ये लोग मेरे साथ ही चली जाएगी. आप यदि मेरे साथ चलना चाहती है तो, बेफिकर होकर चल सकती है. अनु मौसी और रिचा मौसी मिलकर, यहाँ चंदा मौसी का ख़याल रख लेगी.”

वाणी दीदी की इस बात की सहमति, अनु मौसी और रिचा आंटी ने भी दे दी. जिसके बाद छोटी माँ वाणी दीदी के साथ जाने को तैयार हो गयी. छोटी माँ के मुंबई जाने की बात सुनते ही, कीर्ति ने भी फ़ौरन बीच मे कूदते हुए कहा.

कीर्ति बोली “मौसी यदि आप मुंबई जाएगी तो, फिर मैं भी आपके साथ मुंबई चलूगी. वरना मैं आपको भी मुंबई नही जाने दुगी.”

कीर्ति की ये बात सुनते ही, मैं उसे घूर कर देखने लगा. लेकिन उस पर मेरे इस घूर्ने का कोई फरक नही पड़ा और वो उल्टा मुझे ही घूर कर देखने लगी. वहीं दूसरी तरफ छोटी माँ ने उसे समझाते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “नही, अभी तेरी तबीयत सही नही है. ऐसी हालत मे मैं तुझे अपने साथ मुंबई नही ले जा सकती.”

छोटी माँ की बात सुनकर, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और मैं कीर्ति को चिड़ते हुए देखने लगा. लेकिन वो अभी भी मुंबई जाने की ज़िद पर अड़ी हुई थी. कीर्ति को मुंबई जाने की ज़िद करते देख, निशा भाभी ने छोटी माँ से कहा.

निशा भाभी बोली “आंटी, मुझे लगता है कि, कीर्ति को पीलिया हुआ है. यदि मेरा ये अंदाज़ा सही है तो, आप बेफिकर होकर इसे अपने साथ मुंबई ले चल सकती है. इसके पीलिया को पूरी तरह से ठीक करने की ज़िम्मेदारी मेरी है.”

निशा भाभी की बात सुनकर, छोटी माँ उसे भी अपने साथ ले चलने को तैयार हो गयी और मैं मूह बना कर कीर्ति को देखने लगा. सबके मुंबई जाने की बात को सुनकर, मोहिनी आंटी ने कुछ संकोच सा करते हुए वाणी दीदी से कहा.

मोहिनी आंटी बोली “वाणी बेटा, क्या मैं भी तुम लोगों के साथ मुंबई चल सकती हूँ.”

मोहिनी आंटी की इस बात के जबाब मे वाणी दीदी ने मुस्कुराते हुए, उनसे कहा.

वाणी दीदी बोली “आंटी, इसमे पुच्छने वाली क्या बात है. आप भी हमारे साथ मुंबई चल सकती है. लेकिन आप अपने चलने की तैयारी जल्दी कर लीजिए. क्योकि हमे अभी ही यहाँ से निकलना है.”

अभी वाणी दीदी की मोहिनी आंटी से बात चल ही रही थी कि, तभी फिर से मेरा मोबाइल बजने लगा. मैने मोबाइल देखा तो, निक्की का कॉल आ रहा था. मेरे कॉल उठाते ही, निक्की ने रोते हुए कहा.

निक्की बोली “वो प्रिया… पता नही प्रिया को क्या हो गया है. वो किसी से बात नही कर रही है. प्लीज़ तुम जल्दी यहाँ आ जाओ. हम सब यहाँ बहुत परेशान है.”

निक्की का रोना सुनकर, मेरी आँखों मे भी नमी छाने लगी. फिर भी मैने खुद को संभालते हुए, निक्की से कहा.

मैं बोला “तुम रो मत, हमारी प्रिया को कुछ भी नही होगा. वो जल्दी ही ठीक हो जाएगी.”

लेकिन निक्की पर मेरी इस बात का कोई असर नही पड़ा और उसने फिर से रोते हुए कहा.

निक्की बोली “मुझे ये सब नही सुनना. मैं ये सब सुनते सुनते थक गयी हूँ. प्लीज़ तुम फ़ौरन यहाँ आ जाओ. मुझे पूरा यकीन है कि, तुम्हारे उसके पास रहने से वो जल्दी होश मे आ जाएगी.”

निक्की को इस तरह रोते देख कर, मेरा हौसला जबाब दे रहा था. फिर भी मैने खुद पर काबू पाने की कोसिस करते हुए निक्की से कहा.

मैं बोला “हां, हां, तुम चिंता मत करो, मैं फ़ौरन ही वहाँ आ रहा हूँ. हमारी प्रिया को कुछ भी नही होगा.”

मगर इतना कहते ही, मेरी आँखों के सामने प्रिया का चेहरा घूम गया. एक तरफ प्रिया के मुस्कुराते हुए चेहरे ने और दूसरी तरफ निक्की के लगातार रोने की आवाज़ ने मुझे तोड़ कर रख दिया था.

मेरी आँखों से आँसुओं का समुंदर बह निकला और मुझसे निक्की से इसके आगे कुछ भी कहते नही बना. मेरी इस हालत को देखते ही, निशा भाभी ने मुझसे मोबाइल ले लिया और वो निक्की को समझाने लगी.

वहीं दूसरी तरफ बरखा दीदी ने मुझे अपने कंधे से लगा कर, मुझे दिलासा देते हुए कहा.

बरखा बोली “मेरे भाई, उस लड़की ने हंसते हंसते बहुत बड़े बड़े दर्द सहे है. ऐसे मे ये दर्द उसका कुछ भी नही बिगाड़ पाएगा. यकीन रखो, वो जल्दी ही ठीक हो जाएगी.”

बरखा दीदी की इस बात से मुझे थोड़ा हौसला मिला और मैने अपने आँसू पोन्छ लिए. लेकिन अब भी मेरी आँखों मे प्रिया का चेहरा घूम रहा था. मैं फ़ौरन ही प्रिया के पास जाना चाहता था.

मगर चंदा मौसी को ऐसी हालत मे छोड़ कर जाने को भी मेरा दिल गंवारा नही कर रहा था. उधर निशा भाभी ने निक्की को समझाने के बाद, कॉल रखते हुए मुझसे कहा.

निशा भाभी बोली “मुझे लगता है कि, तुम्हे भी हमारे साथ, मुंबई चलना चाहिए. तुम्हारे वहाँ होने से सबको हौसला मिलेगा.”

लेकिन मैने निशा भाभी के साथ मुंबई जाने से मना करते हुए कहा.

मैं बोला “भाभी, प्रिया का ख़याल रखने के लिए तो, वहाँ बहुत से लोग है और अब छोटी माँ भी वहाँ जा रही है. मगर यहाँ चंदा मौसी होश मे आते ही, मुझसे और छोटी माँ से मिलना चाहेगी.”

“अब छोटी माँ के यहाँ ना रहने पर, मेरा चंदा मौसी के पास रहना बहुत ज़रूरी हो गया है. वो मेरे परिवार का एक हिस्सा है और मैं उनको ऐसी हालत मे अकेला छोड़ कर, नही जा सकता.”

मेरी इस बात के समर्थन मे छोटी माँ ने भी निशा भाभी से कहा.

छोटी माँ बोली “ये ठीक ही कह रहा है. चंदा मौसी से भले ही हमारा कोई रिश्ता ना हो, लेकिन फिर भी वो हमारे परिवार का एक हिस्सा ही है. मैं तो इसकी जिंदगी मे बहुत बाद मे आई हूँ. लेकिन चंदा मौसी इसके जनम से ही इसके साथ है.”

“जब इसे संभालने वाला कोई नही था. तब वो ही एक माँ की तरह ही इसका ख़याल रखती थी और आज जब इसके पास इसका ख़याल रखने के लिए हम सब है, तब भी वो एक माँ की तरह ही इसका ख़याल रख रही है. हम सब उन्हे, घर के किसी बड़े बूढ़े की तरह ही, प्यार और सम्मान देते है.”

“जिस तरह इस समय प्रिया के परिवार का उसके पास रहना ज़रूरी है. उसी तरह चंदा मौसी के परिवार का भी उनके पास रहना ज़रूरी है. इसलिए जब तक मैं मुंबई से वापस नही आ जाती, तब तक ये और इसकी दोनो बहने यहा चंदा मौसी के पास रह कर, उनका ख़याल रखेगे.”

छोटी माँ की इस बात को सुनकर, निशा भाभी ने भी मेरे यही रुकने की बात पर सहमति दे दी. जिस समय हमारी ये बात चल रही थी. उस समय वाणी दीदी मुंबई जाने की तैयारी कर रही थी.

हमारी बात ख़तम होते ही, उन्हो ने छोटी माँ, कीर्ति और मोहिनी आंटी से अपने चलने की तैयारी करने के लिए कह दिया. जिसके बाद, छोटी माँ कीर्ति के साथ और मोहिनी आंटी मेहुल के साथ घर चली गयी.

वाणी दीदी ने कीर्ति से अपने कमरे से उनका समान भी ले आने को जता दिया था. उनके जाने के बाद, वाणी दीदी की निशा भाभी और बरखा दीदी से बात चलती रही. कुछ ही समय बाद, छोटी माँ, कीर्ति और मोहिनी आंटी वापस आ गयी.

मोहिनी आंटी के साथ नितिका भी थी. वो प्रिया की तबीयत की वजह से बहुत परेशान लग रही थी. उसने वाणी दीदी से उनके साथ मुंबई चलने की बात पुछि तो, वाणी दीदी ने उसे भी साथ चलने के लिए हां बोल दिया.

इसके बाद, हम सब एरपोर्ट के लिए निकल गये. मुझे कीर्ति के मुंबई जाने की बात पर बहुत गुस्सा आ रहा था. लेकिन पता नही, उसे मुंबई जाने की कैसी धुन चढ़ि थी की, वो मेरे गुस्से की कोई परवाह नही कर रही थी.

उसने मुझसे मुंबई वाली सिम भी ले ली थी और मुंबई पहुच कर उसी से बात करने की बात कह रही थी. मैं उसके जाने से खुश तो नही था, लेकिन उसकी खुशी के लिए, मैं उसे हंसते हंसते मुंबई के लिए विदा कर रहा था.

खैर 8:30 बजे उनकी फ्लाइट का समय हो गया और सब हम से विदा लेकर फ्लाइट की तरफ बढ़ गये. उनकी फ्लाइट के छूटते ही, मैं और मेहुल, अमि निमी के साथ वापस हॉस्पिटल आ गये.

निशा भाभी और बरखा दीदी को तो, वापस जाना ही था. लेकिन उनके साथ साथ, छोटी माँ, वाणी दीदी और कीर्ति के भी चले जाने की वजह से मुझे बहुत खाली खाली सा लग रहा था.

जबकि वाणी दीदी के चले जाने से मेहुल बहुत ही ज़्यादा खुश नज़र आ रहा था. उसने हॉस्पिटल वापस आते ही, रिचा आंटी से कहा.

मेहुल बोला “मम्मी, निशा भाभी ने कहा है, चंदा मौसी को देर रात को ही होश आएगा. इसलिए आप लोग अमि निमी को लेकर घर चली जाइए और हम दोनो के खाने के लिए कुछ को भेज दीजिएगा.”

रिचा आंटी को मेहुल की ये बात सही लगी और उन्हो ने मेहुल से कहा.

रिचा आंटी बोली “तू ठीक कहता है. अमि निमी दिन भर से परेशान हो गयी है. मैं अभी इनको लेकर घर चली जाती हूँ और इन्हे सुबह जल्दी लेकर आ जाउन्गी. पुन्नू भी हमारे साथ घर जाकर ही खाना खा लेगा.”

रिचा आंटी की बात सुनकर, मेहुल ने भी उनकी बात की सहमति देते हुए कहा.

मेहुल बोला “ठीक है, आप इसे अपने साथ ले जाइए और मेरे लिए खाना यही भेज दीजिएगा.”

मेहुल की इस बात को सुनकर, रिचा आंटी ने उसे धमकाते हुए कहा.

रिचा आंटी बोली “वाणी तेरा खाना कल सुबह तक के लिए बंद करके गयी है. यदि तूने कल सुबह के पहले कुछ भी खाने की कोसिस की तो, मैं वाणी को तेरी शिकायत कर दुगी. तुझे कल के पहले कुछ भी खाने को नही मिलेगा.”

रिचा आंटी की ये बात सुनते ही, मेहुल की सारी खुशी गायब हो गयी. वो रिचा आंटी को मनाने की कोसिस करने लगा. लेकिन उन्हो ने मेहुल की कोई भी बात नही सुनी और मुझे अपने साथ लेकर घर आ गयी.

हमारे साथ साथ अनु मौसी भी खाना खाने आई थी. उन्हे रात को चंदा मौसी के पास ही रुकना था. इसलिए वो अपने घर नही गयी थी. हम रिचा आंटी के घर पहुचे तो, वहाँ पर अंकल के पास कमल के साथ साथ शिल्पा भी थी.

शिल्पा को इतने समय वहाँ देख कर, जितनी हैरानी मुझे हो रही थी, उतनी ही हैरानी रिचा आंटी और अनु मौसी को भी हो रही थी. लेकिन कमल ने हमारी इस हैरानी को दूर करते हुए, रिचा आंटी से कहा.

कमाल बोला “आंटी, शिल्पा दीदी आज रात को नितिका दीदी के पास रुक कर पढ़ने आई थी. मगर नितिका दीदी यहाँ थी तो, ये भी यहाँ चली आई. ये दोनो मिल कर, हमारा खाना तैयार कर रहे थे कि, तभी मेहुल भैया आ गये.”

“उन्हो ने आकर नितिका दीदी को प्रिया की तबीयत और उनकी मम्मी के मुंबई जाने की बात बताई तो, नितिका दीदी भी मुंबई जाने की ज़िद करने लगी. जिसके बाद मेहुल भैया ने उनसे चलने की तैयारी कर लेने को कहा और नितिका दीदी अपने घर चली गयी.”

“जब नितिका दीदी अपनी मम्मी और मेहुल भैया के साथ हॉस्पिटल जाने लगी तो, वो शिल्पा दीदी से हमारा खाना तैयार करने की बात कह गयी थी. जिस वजह से ये खाना तैयार करने यही रुक गयी थी.”

“हमारा खाना तैयार करने के बाद, ये अकेली ही घर जाने लगी तो, मैने इनको रोक लिया था. मैने इनसे कहा था कि, जब कोई घर वापस आ जाएगा तो, मैं इनको इनके घर छोड़ आउन्गा.”

इतना बोल कर कमल चुप हो गया. लेकिन उसके एक ही साँस मे इतनी लंबी चौड़ी बात बोल जाने से, मैं इतना तो समझ गया था कि, इसके पिछे भी मेहुल का ही हाथ है. वो बस थोड़ी देर के लिए ही, घर आया था.

मगर उसने उस थोड़ी ही सी देर मे कमल को सब कुछ समझा दिया था और शिल्पा का भी उसके घर की रसोई मे प्रवेश करवा कर, घर वालों के दिल मे घर बनाने का रास्ता खोल दिया था.

अब जब उसने इतना कर दिया था तो, रही सही कसर मैने भी पूरी कर देने की बात सोची और शिल्पा से कहा.

मैं बोला “आप तो अपने घर से आज रात को नितिका के घर रुकने का बोल कर आई थी और अब रात भी ज़्यादा हो गयी है. यदि आपका घर वापस लौटना ज़रूरी ना हो तो, आप आज रात को यही अमि निमी के पास रुक जाइए. ये दोनो आज यही रहने वाली है.”

मेरी ये बात सुनते ही, कमाल ने फ़ौरन मेरी हां मे हां मिलाते हुए कहा.

कमाल बोला “हां दीदी, आप यही रुक जाइए. मैं सुबह आपको घर छोड़ दूँगा.”

मेरी और कमल की बात सुनकर, शिल्पा अंकल आंटी की तरफ देखने लगी. जब अंकल ने भी उस से यहीं रुक जाने की बात कही तो, वो इसके लिए तैयार हो गयी. इसके बाद, आंटी लोग खाना लगाने लगी.

हम सबने साथ मिल कर खाना खाया. खाना खाने के बाद, मैने अमि निमी को कुछ ज़रूरी बातें समझाई और फिर मैं अनु मौसी के साथ वापस हॉस्पिटल के लिए निकल गया.

हम लोग जब हॉस्पिटल पहुचे तो, मेहुल मज़े से अपने दोस्त अतुल के साथ बैठा खाना खाने मे लगा था. अतुल वो ही लड़का था, जो मेरे आक्सिडेंट के समय, मेहुल के साथ, मुझे और कीर्ति को लेने आया था.

मेहुल को अतुल के साथ खाना खाते देख कर, मुझे लगा कि, अतुल ही मेहुल के लिए खाना लेकर आया है. ये देखते ही, मैने अतुल से कहा.

मैं बोला “तुमने इसके लिए खाना लाकर, बहुत बड़ी मुसीबत मोल ली है. यदि वाणी दीदी को ये बात पता चल गयी तो, वो इसके साथ साथ तुम्हारी खटिया भी खड़ी कर देगी.”

मेरी बात सुनते ही, खाना खाते खाते, अतुल के हाथ रुक गये और उसने सफाई देते हुए कहा.

अतुल बोला “मैं कहा इसके लिए खाना लाया हूँ. मैं तो बस इस से मिलने आया था. ये खाना खा रहा था और इसने मुझसे खाना खाने को कहा तो, मैं भी इसके साथ खाने के लिए बैठ गया.”

मैं बोला “तो फिर ये खाना कौन लेकर आया.”

मेरी बात सुनकर, हमारे पास खड़े प्रीतम ने कहा.

प्रीतम बोला “ये खाना मैं लेकर आया था. वाणी मेडम जाती समय बोल कर गयी थी की, उनके गुस्से की वजह से यदि आंटी मेहुल को खाना खाने से मना कर दे तो, मैं इसको खाना लाकर दे दूं.”

प्रीतम की बात सुनकर, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और मैने प्रीतम से कहा.

मैं बोला “हमारी वाणी दीदी भी कमाल है. एक तरफ खुद ही इसे खाना खाने से मना किया था और दूसरी तरफ खुद ही इसे खाना देने की भी बोल कर गयी है.”

मेरी बात सुनकर, प्रीतम ने कहा.

प्रीतम बोला “मेडम ने मेहुल के हॉस्पिटल मे रहने की वजह से ही, आख़िरी समय मे इसकी ये सज़ा माफ़ कर दी है. वरना वो ऐसा करने के मूड मे बिल्कुल नही लग रही थी.”

मैं बोला “हम लोगों का खाना तो हो गया है. लेकिन आपके खाने का क्या हुआ.”

प्रीतम बोला “मैं तो अपने घर जाकर ही खाना खाउन्गा. अभी कुछ देर मे विश्वा आ जाएगा. उसके आते ही, मैं घर चला जाउन्गा.”

प्रीतम से इतनी बात करने के बाद, मैं चंदा मौसी को देखने अंदर चला गया. चंदा मौसी को अभी भी होश नही आया था. थोड़ी ही देर बाद, अनु मौसी आ गयी तो, मैं उठ कर बाहर आ गया.

बाहर आने के बाद, मैने सबसे अलग थलग जाकर, निक्की को कॉल लगा दिया. निक्की के कॉल उठाते ही, मैने उसे निशा भाभी के साथ, छोटी माँ, वाणी दीदी और कीर्ति के आने की बात बताने लगा.

लेकिन जब उसे मेरे ना आने की बात पता चली तो, वो मुझ पर गुस्सा होने लगी और उसने इसी गुस्से मे कॉल रिया को पकड़ा दिया. मैने रिया से प्रिया का हाल चल पुछा और उसे भी छोटी माँ और कीर्ति के वहाँ आने की बात बता दी.

इसके बाद मेरी राज से थोड़ी बहुत बात हुई और फिर राज ने वापस निक्की को कॉल थमा दिया. मैने अपने वहाँ ना आ पाने की बात पर निक्की को अपनी सफाई देना चाहा. लेकिन उसने मुझे कोई सफाई देने का मौका दिए बिना ही कॉल रख दिया.

मैं निक्की की इस नाराज़गी को अच्छी तरह से समझ सकता था. वो इस बात को लेकर नाराज़ थी कि, प्रिया मुझे अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करती है और मैं उसकी ऐसी हालत की बात सुनकर, भी उसके पास नही आया.

लेकिन वो इस हक़ीकत से अंजान थी की, मैं सिर्फ़ प्रिया का प्यार ही नही, बल्कि उसका बिछड़ा हुआ जुड़वा भाई भी हूँ. मगर इस वक्त मेरे लिए प्रिया से ज़्यादा चंदा मौसी के पास रहना ज़रूरी था.

क्योकि प्रिया के पास तो, इस समय उसका सारा परिवार था. लेकिन चंदा मौसी के लिए तो, उनका सारा परिवार मैं ही था. उन्हो ने एक माँ की तरह सिर्फ़ मेरी देख भाल ही नही की थी, बल्कि आज मेरी तरफ बढ़ने वाली मौत को भी अपने उपर ले लिया था.

मैं उनकी ममता के इस क़र्ज़ को तो, कभी नही चुका सकता था. लेकिन इस समय उनके पास रह कर, एक बेटे का फ़र्ज़ तो निभा ही सकता था. यही वजह थी कि, मैं चाहते हुए भी प्रिया के पास नही जा पाया था.

लेकिन मेरे प्रिया के पास ना जाने का ये मतलब हरगिज़ नही था कि, मुझे प्रिया की फिकर बिल्कुल भी नही थी. प्रिया को लेकर इस वक्त मेरे दिल मे एक ऐसा दर्द था, जिसे मैं चाह कर भी किसी के सामने बयान नही कर पा रहा था.

जब से मुझे पता चला था कि, प्रिया मेरी बहन है. तब से मैं किसी के सामने दिल खोल कर, प्रिया की इस हालत पर रो भी नही पा रहा था. मुझे अपने दर्द से ज़्यादा, मेरे अपनो का दर्द महसूस होने लगा था.

एक तरह से प्रिया खुद तो बेसुधि की नींद मे सोई हुई थी. लेकिन वो अपनी झूठी मुस्कान, अपनी दर्द छुपाने की आदत मुझे दे गयी थी. मेरे अंदर जो बात बात पर रो देने वाला छोटा सा बच्चा था, वो ना जाने कहाँ खो गया था.

आज भले ही मेरी आँखों मे आँसू नही थे. लेकिन आज मैं महसूस कर पा रहा था कि, प्रिया अपने मुस्कुराते हुए चेहरे के पिछे कितना ज़्यादा दर्द छुपा कर रखा करती थी.

प्रिया का चेहरा बार बार मेरी आँखों के सामने घूम रहा था और मेरे उसके पास ना जाने की वजह से, जो दर्द मुझे हो रहा था, उस दर्द का अहसास निक्की तो क्या कोई भी नही कर सकता था.

मैं अपनी यही हालत निक्की को बताना चाहता था. मगर उसने मुझे अपनी कोई बात कहने का मौका ही नही दिया था. मैं निक्की से ज़रा भी नाराज़ नही था. लेकिन प्रिया के लिए परेशान ज़रूर था.

मेरी इसी परेशानी ने मुझे मेरे दिल की बात निक्की से कहने पर मजबूर कर दिया और मैने जिंदगी मे पहली बार अपने दिल से कुछ लिख कर निक्की को भेज दिया.

मेरा एसएमएस
“आज अच्छी सी कोई सज़ा दो मुझे.
चलो ऐसा करो आज रुला दो मुझे.
उसको भूलु तो मौत आ जाए मुझे.
अपने दिल की गहराई से ये दुआ दो मुझे.”

निक्की को एसएमएस भेजने के बाद, मैं आँख बंद करके बैठ गया और प्रिया की बातों को याद करने लगा. थोड़ी ही देर बाद, मेरे पास निक्की का एसएमएस आ गया.

निक्की का एसएमएस
“एक परिंदे का दर्द भरा फसाना था.
टूटे थे पंख और उड़ते हुए जाना था.
तूफान तो झेल गया पर हुआ एक अफ़सोस,
वही डाली टूटी जिसपे उसका आशियाना था.”

ये एसएमएस मुझे निक्की ने भेजा था. लेकिन इस एसएमएस मे मुझे प्रिया का चेहरा और उसकी बेबसी नज़र आ रही थी. प्रिया की बेबसी और उसके दर्द को महसूस करते ही, मैं चाह कर भी, अपनी आँखों को छलकने से ना रोक सका और मेरी आँखों से आँसुओं की बरसात होने लगी.
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अभी मेरी आँखों ने बरसना सुरू ही किया था कि, तभी मुझे मेहुल मेरी तरफ आते दिखा. उसे देखते ही, मैं अपनी आँखों को सॉफ करने लगा. मेहुल ने मेरे पास आते ही कहा.

मेहुल बोला “अभी निक्की का कॉल आया था. उसने बताया है कि, निधि दीदी ने कहा है कि, कभी कभी दिमाग़ पर चोट लगने या किसी मानसिक आघात की वजह से, मरीज गहरी बेहोशी मे चला जाता है.”

“लेकिन कुछ ही समय बाद, वो बेहोशी से बाहर भी आ जाता है. इसलिए अभी हमे प्रिया के कोमा मे जाने की बात सोच कर, निराश नही होना चाहिए और प्रिया के होश मे आने की पूरी उम्मीद रखना चाहिए.”

मेहुल की इस बात को सुनकर, मैं समझ गया कि, निक्की भले ही मुझसे नाराज़ थी. लेकिन वो मुझे परेशान होते भी नही देखना चाहती थी. इसलिए उसने मेहुल को कॉल करके ये सब बातें बताई थी.

अभी मेरी मेहुल से बात चल ही रही थी कि, तभी अनु मौसी ने आकर बताया कि, चंदा मौसी को होश आ रहा है. अनु मौसी की ये बात सुनते ही, मैं और मेहुल फ़ौरन ही, उनके साथ चंदा मौसी के पास आ गये.

चंदा मौसी को होश मे आते देख कर, मेरी आँखों मे खुशी के आँसू छलक आए और मैं आकर उनके पास बैठ गया. चंदा मौसी के आँख खोलते ही, उनकी नज़र सबसे पहले मेरे उपर ही पड़ी.

वो अपने हाथों से मेरे शरीर को टटोल कर देखने लगी. मेहुल ने चंदा मौसी को मेरे शरीर को टटोलते देखा तो, मुस्कुराते हुए उन से कहा.

मेहुल बोला “मौसी, आप इसकी फिकर मत करो. ये बिल्कुल ठीक है. आपने इसके बदन पर एक खरॉच तक नही आने दी. ये बहुत खुशनसीब है कि, इसे आप जैसी प्यार करने वाली मौसी मिली है. मुझे तो कोई प्यार ही नही करता.”

मेहुल की बात सुनकर, चंदा मौसी ने हौले से मुस्कुराते हुए, उसे अपने पास बुलाया और फिर उसके सर पर भी हाथ फेरने लगी. फिर वो छोटी माँ और बाकी लोगों के बारे मे पुछ्ने लगी. उनकी इस बात के जबाब मे अनु मौसी ने उन से कहा.

अनु मौसी बोली “चंदा, अभी थोड़ी देर पहले सब यही तुम्हारे पास थे. तुम्हारे ऑपरेशन के लिए मुंबई से निशा और बरखा आई थी. सुनीता को किसी काम से अचानक उनके साथ मुंबई जाना पड़ गया. कीर्ति और वाणी भी सुनीता के साथ मुंबई गयी है.”

अनु मौसी की ये बात सुनकर, चंदा मौसी कुछ सोच मे पड़ गयी. उन्हे सोच मे पड़ा देख कर, अनु मौसी ने उन्हे टोकते हुए कहा.

और मौसी बोली “क्या हुआ चंदा, तुम किस सोच मे पड़ गयी.”

अनु मौसी की बात सुनकर, चंदा मौसी अपनी सोच से बाहर निकल आई. लेकिन उन्हो ने अनु मौसी की इस बात का कोई जबाब नही दिया. हमारे घर मे पापा के अलावा सभी चंदा मौसी को चंदा मौसी कह कर बुलाते थे.

लेकिन चंदा मौसी उमर मे अनु मौसी और रिचा आंटी से छोटी थी. जिस वजह से ये लोग चंदा मौसी को उनका नाम लेकर बुलाती थी. मगर ये लोग भी चंदा मौसी को वो ही मान सम्मान देती थी, जो उन्हे छोटी माँ देती थी.

अनु मौसी ने जब चंदा मौसी को उनकी बात का जबाब देते नही देखा तो, वो शायद उनकी इस खामोशी का मतलब समझ गयी थी. उन ने चंदा मौसी को समझाते हुए कहा.

अनु मौसी बोली “चंदा, तुम किसी बात की फिकर मत करो. सुनीता जल्दी ही वापस आ जाएगी. तब तक तुम्हारा ख़याल रखने के लिए, मैं तुम्हारे पास हूँ और फिर तुम्हारे ये दोनो बच्चे भी तो तुम्हारे पास ही है.”

“तुम नही जानती की, निशा तो पुन्नू को भी अपने साथ मुंबई ले जाना चाहती थी. लेकिन इसने तुम्हे ऐसी हालत मे छोड़ कर जाने से सॉफ मना कर दिया. क्या ये सब जानने के बाद भी, तुम्हे किसी बात की चिंता करने की ज़रूरत है.”

अनु मौसी की ये बात सुनकर, चंदा मौसी की आँखों मे आँसू आ गये और वो अनु मौसी से अमि निमी के बारे मे पुच्छने लगी. उनकी इस बात के जबाब मे अनु मौसी ने कहा.

अनु मौसी बोली “रिचा और अमि निमी भी अभी यही थे. कुछ देर पहले पुनीत उनको घर छोड़ कर आया है. अमि निमी अभी रिचा के पास ही है और अब वो सुबह रिचा के साथ तुमसे मिलने आएगी.”

इसके बाद, अनु मौसी ने चंदा मौसी से आराम करने को कहा तो, वो आँख बंद कर के लेट गयी. थोड़ी ही देर मे उनकी नींद लग गयी. उनकी नींद लगते ही, मैं और मेहुल बाहर आ गये. बाहर आते ही मेहुल ने मुझसे कहा.

मेहुल बोला “एक बात बता, क्या पहले कभी तुझे किसी ने बताया था कि, तेरी कोई जुड़वा बहन भी है.”

मेहुल की बात इस बात के जबाब मे मैने उस से कुछ कहा तो नही, लेकिन उसे घूर कर देखने लगा. मेरे इस तरह घूर्ने से मेहुल समझ गया कि, मुझे उसकी इस बात पर गुस्सा आ रहा है.

क्योकि हम दोनो के बीच कभी किसी बात का परदा नही था. यदि कीर्ति की बात को छोड़ दिया जाए तो, मेरी कोई भी बात मेहुल से छुपि नही थी. अपनी बात पर मुझे गुस्सा होते देख, मेहुल ने फ़ौरन ही अपनी बात को बदलते हुए कहा.

मेहुल बोला “आबे गुस्सा क्यो होता है. मैने तो ऐसे ही इस बात को पुच्छ लिया था. लेकिन अब तू जान गया है कि, तेरी कोई जुड़वा बहन भी है और वो कोई ऑर नही, बल्कि प्रिया ही है तो, ऐसे मे तेरा उसके पास जाना बनता है.”

“अब तो चंदा मौसी को भी होश आ गया है. ऐसे मे अब तू बेफिकर होकर वहाँ जा सकता है. मेरी बात मान और तू कल ही मुंबई निकल जा. यदि अमि निमी तेरे साथ जाना चाहे तो, उन्हे भी ले जा. मैं यहाँ सब कुछ संभाल लूँगा.”

मुझे भी मेहुल की ये बात ठीक लग रही थी. इसलिए मैने इस बात पर थोड़ा गंभीर होते हुए कहा.

मैं बोला “तू कह तो ठीक रहा है. लेकिन तूने देखा नही कि, मेरी जुड़वा बहन की बात खुलते ही, छोटी माँ, रिचा आंटी और अनु मौसी किस तरह से घबरा गयी थी. उन्हो ने कुछ सोच कर ही, आज तक इस बात को हमसे छुपा कर रखा था.”

“मोहिनी आंटी की बात से हमे ये तो समझ मे आ गया कि, कोई आदमी हॉस्पिटल से मेरी जुड़वा बहन को लेकर भागा था. लेकिन वो आदमी कौन था और उसने ऐसा क्यो किया, ये बात अभी तक एक राज़ ही है.”

“कहीं ऐसा तो नही की, इस सब के पिछे छोटी माँ का ही कोई हाथ हो और इस सब मे रिचा आंटी और अनु मौसी भी उनके साथ हो. तभी तो इस बात के खुलते ही, तीनो इस तरह से घबरा गयी थी.”

मेरी बात अभी पूरी भी नही हो पाई थी कि, मेहुल ने मेरा गिरेबान पकड़ लिया और मुझे फटकारते हुए कहा.

मेहुल बोला “अपनी ज़ुबान को लगाम दे. यदि तूने आंटी के बारे मे एक शब्द की ग़लत कहा तो, मैं तेरा मूह तोड़ दूँगा. उन्हो ने अमि निमी से ज़्यादा तुझे प्यार किया है और मेरी मम्मी ने भी मुझसे ज़्यादा तुझे प्यार किया है.”

“अनु मौसी ज़रूर तुझे पसंद नही करती थी. लेकिन उन ने भी कभी तेरे साथ कुछ ग़लत नही किया. ये बात उन लोगों ने तुझसे छुपाइ ज़रूर है. मगर हो सकता है कि, वो लोग ये बात तुझे बताने के लिए किसी सही समय का इंतजार कर रही हो.”

“उन्हो ने इस तरह से इस बात के तेरे सामने आ जाने की कभी उम्मीद नही की होगी. इसलिए वो लोग उस समय घबरा गयी थी. मगर आज तुझे तेरी बहन का पता क्या चला गया कि, तूने एक पल मे ही उन सबके प्यार को पराया कर दिया.”

“मुझे मेरी मम्मी और अनु मौसी पर तेरे शक़ करने की बात का ज़रा भी बुरा नही लगा. मुझे बुरा इस बात का लगा कि, तूने आंटी के प्यार पर शक़ किया. आज तुझे अपना दोस्त कहते हुए मुझे शरम आ रही है.”

मेहुल उस समय बहुत गुस्से मे था, इसलिए मैने उसे कुछ भी कहने से नही रोका. लेकिन अपनी आख़िरी बात कहते कहते, उसकी आँखों मे नमी आ गयी. मैने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा.

मैं बोला “जितनी तकलीफ़ तुझे मेरी इस बेहूदा बात को सुनकर पहुचि है. उस से भी ज़्यादा तकलीफ़ मुझे छोटी माँ, रिचा आंटी और अनु मौसी का घबराया हुआ चेहरा देख कर पहुचि थी.”

“तू कहता है की, अनु मौसी मुझे पसंद नही करती. लेकिन उन्हो ने भी कभी मेरे साथ कुछ ग़लत नही किया. मैं भी तेरी इस बात को ग़लत नही मानता और मुझे लगता है कि, वो भी मुझे किसी से कम प्यार नही करती है.”

“इसलिए उस समय मैं उन सब के घबराए हुए चेहरे को देख कर, अपने मन मे उठ रहे, हर सवाल को भूल गया था. मुझे याद था तो, सिर्फ़ इतना याद था कि, वो तीनो मेरी माँ है.”

“उनके मन से इस घबराहट को मिटाने के लिए, मैने अपने मन के हर सवाल को हँसी मे उड़ा दिया था. यदि प्रिया मेरी बहन ना होती तो, चंदा मौसी के होश मे आते ही, मेरा मुंबई जाना बहुत आसान था.”

“लेकिन अब प्रिया के मेरी बहन होने की वजह से मेरा मुंबई जा पाना इतना आसान नही है. मैं कुछ पल पहले मिली बहन के लिए, मैं इन सबके बरसो के प्यार को छोटा नही दिखा सकता.”

इतना बोल कर मैं चुप हो गया. लेकिन मेरी बात सुनते ही, मेहुल ने मुझे अपने गले से लगाते हुए कहा.

मेहुल बोला “मैं बेकार मे ही तुझे ग़लत समझ रहा था. मम्मी सही कह रही थी. तू तो सच मे बहुत समझदार हो गया है. लेकिन फिर भी प्रिया हमारी बहन है और तुझे इस समय उसके पास रहना ही चाहिए.”

मैं बोला “मुझे कब मुंबई जाना है, इसका फ़ैसला मुझे नही, बल्कि छोटी माँ, रिचा आंटी या फिर अनु मौसी को करना है. इनके बोले बिना मैं मुंबई जाने की बात सोच भी नही सकता.”

मेहुल बोला “यदि तू मुंबई नही जा सकता तो, फिर मैं मुंबई जाउन्गा और कल ही जाउन्गा.”

अभी मेहुल इतनी ही बात बोल पाया था कि, तभी हमे अनु मौसी की आवाज़ सुनाई दी. उन्हो ने मेहुल की इस बात को सुनने के बाद, हमे टोकते हुए कहा.

अनु मौसी बोली “नही, तुमको मुंबई जाने की कोई ज़रूरत नही है. मुंबई पुन्नू ही जाएगा और तुम यही रह कर चंदा का ख़याल रखोगे.”

अनु मौसी की इस बात सुनकर, हम दोनो ही चौक बिना ना रह सके. पता नही वो कब से, हम दोनो के पिछे खड़ी, हमारी बातें सुन रही थी. अनु मौसी को अपने सामने देख कर, हम दोनो से ही कुछ कहते नही बन रहा था. लेकिन अनु मौसी ने हमारे पास आते हुए कहा.

अनु मौसी बोली “प्रिया की जितनी फिकर तुम लोगों को है. उस से ज़्यादा हमे प्रिया की फिकर है. हमने भले ही, इस बात को तुम बच्चों से छुपा कर रखा था. लेकिन फिर भी हम लोग हमेशा प्रिया की तलाश मे लगे रहे थे.”

“जो आदमी प्रिया को लेकर भागा था. उसे कुछ साल पहले उसके एक परिचित ने मुंबई मे देखा था. उसका वो परिचित तुम लोगों के मुंबई जाने के कुछ दिन पहले हमसे मिला था और उसने ये बात हमे बताई थी.”

“हमने इस बारे मे वाणी से बात की थी. उस समय वो किसी केस मे बिज़ी थी और उसने कहा था कि, वो जल्दी ही कोलकाता आ रही है और यहाँ आकर, वो उस आदमी की नये सिरे से तलाश सुरू करेगी.”

“उसी समय तुम लोग भी मुंबई जा रहे थे. लेकिन उस आदमी को तलाश करने की बात यदि तुम्हारे सामने सुनीता या रिचा रखती तो, तुम इस बात को लेकर उन से सवाल करना सुरू कर देते.”

“इसी वजह से उन्हो ने ये काम मुझे करने को कहा था और मैने तुमको उसका मुंबई मे पता करने का काम सौंपा था. लेकिन तुम्हारी इस तलाश से हमे निराशा ही हाथ लगी थी.”

“मगर शिखा से बात करके इस बात की खुशी भी हुई थी कि, मैने तुम्हे जिस पते पर उस आदमी को तलाश करने का काम दिया था. वहाँ शिखा रहती है. मेरी शिखा से इसी बारे मे थोड़ी बहुत हुई थी.”

“मैने शिखा से बताया था कि, मैं जिस आदमी की तलाश कर रही हूँ, वो मेरी सहेली का पति है और अपनी बच्ची को लेकर गायब है. हमारे पास उसकी कोई तस्वीर नही है. जिस वजह से हम उसे अभी तक ढूँढ नही पाए है.”

“लेकिन अब उसकी तलाश करने के लिए मेरी भतीजी वाणी वहाँ आ रही है. वो एक सीआइडी ऑफीसर है और हमे उम्मीद है कि, वो उसे ज़रूर ढूँढ निकालेगी. इसलिए अब इस बारे मे पुन्नू से कोई बात ना की जाए.”

“इसके बाद हम लोग वाणी के यहाँ आने का इंतजार करने लगे. लेकिन वाणी के यहाँ आने के पहले ही, तुम्हारे साथ वहाँ एक के बाद एक हादसे हो गये. जिसे देख कर, हमे लगा कि, कहीं इन सब हादसो के पिछे उसी आदमी का हाथ तो नही है.”

“बस इसी डर की वजह से सुनीता फ़ौरन वहाँ पहुच गयी थी. मगर इसके बाद वहाँ कोई हादसा ना होने से हमे लगा कि, शायद ये सब हम लोगों का वहम था और हमने इस बात को अपने दिमाग़ से निकाल दिया था.”

“मगर आज जब तुम पर हुए हमले के बाद, वाणी को उन हादसों का पता लगा तो, उसने उसी आधार पर सारी कार्यवाही करना सुरू किया. तुम पर हमला गौरंगा ने करवाया था, इसलिए वाणी ने उसे उसके गिरोह के साथ गिरफ्तार कर लिया.”

“गौरंगा से की गयी पुछ ताछ मे ये सॉफ हो गया कि, उसने तुम्हारे नाम की सुपारी लेकर, तुम पर हमला किया था और तुम्हारे नाम की सुपारी मुंबई से एक आदमी देकर गया था.”

“वाणी ने गौरंगा और उसके साथियों के बयान के आधार पर उस सुपारी दे जाने वाले आदमी की तस्वीर बनवाई और वो तस्वीर हमे दिखाई तो, हमने फ़ौरन पहचान लिया कि, ये वो ही आदमी है, जो तुम्हारी बहन को लेकर भागा था.”

“तुम इतने दिन मुंबई मे रहे. लेकिन तुमने एक बात पर ज़रा भी गौर नही किया की, वहाँ तुम्हारे घर के जो भी बड़े थे. वो निक्की के कीर्ति के हमशक्ल होने के बाद भी, उसे देख कर जितना नही चौुक्ते थे, उस से ज़्यादा प्रिया को देख कर चौुक्ते थे.”

“प्रिया पहली नज़र मे ही सबकी लाडली बन जाती थी. सबका झुकाव प्रिया के तरफ होने की वजह ये थी कि, जैसे निक्की की शक्ल कीर्ति से मिलती थी. वैसे ही प्रिया की शकल भी बहुत कुछ तुम्हारी मम्मी से मिलती है.”

“यहाँ तक कि प्रिया की मुस्कुराहट, उसका चुलबुलापन और उसकी शरारातें भी बहुत कुछ तुम्हारी मम्मी से मिलती जुलती है. लेकिन इस सबके बाद भी, हमारे दिमाग़ मे ये बात नही आई थी कि, प्रिया ही तुम्हारी बहन हो सकती है.”

“लेकिन वाणी ने जैसे ही, शिखा की शादी के वीडियो मे प्रिया को देखा, उसके मन मे प्रिया के बारे मे जानने की उत्सुकता बढ़ गयी थी. बस इसी वजह से उसने तुमसे प्रिया की जनम तारीख और जानम स्थान के बारे मे सवाल किया था.”

“लेकिन इस सवाल को करते समय, उसे भी शायद इस बात की उम्मीद नही थी की, उसका किया ये एक सवाल ही, तुम्हारी खोई हुई जुड़वा बहन को, इतनी जल्दी हम सबके सामने लाकर खड़ा देगा.”

“मोहिनी की बातों से ये बात तो सॉफ हो गयी थी कि, प्रिया ही तुम्हारी जुड़वा बहन है और जो मोहिनी की असली भतीजी है, वो इस समय उस आदमी के पास है. मगर अभी हम इस सच्चाई को नही जानते है कि, ये राज़ मोहिनी के परिवार मे कौन कौन जानता है.”

“बस इसी वजह से वाणी और सुनीता मुंबई गयी है. वो पहले मोहिनी की असली भतीजी को ढूँढना चाहती है. इसके बाद ही, वो प्रिया के तुम्हारी जुड़वा बहन होने की बात मोहिनी के परिवार के सामने रखना चाहती है.”

“हमे इस वक्त सबसे ज़्यादा इस बात का डर सता रहा है कि, जो आदमी तुम्हे देखते ही, तुम्हारे खून का प्यासा हो गया था. उसने मोहिनी की भतीजी के साथ, तुम्हारी जुड़वा बहन के धोखे मे, पता नही क्या सलूक किया होगा.”

“हम लोग इस समय सिर्फ़ प्रिया की सलामती के लिए ही नही, बल्कि पद्मि्नी की असली बेटी के लिए भी, ये दुआ माँग रहे है कि, उसके साथ कोई अनहोनी ना हुई हो. क्योकि हमने एक माँ को अपनी बच्ची की जुदाई मे घुट घुट के मरते देखा है.”

“हम नही चाहते कि, ऐसा ही कुछ पद्मि नी के साथ भी हो. यदि पद्मि नी की बेटी के साथ कोई अनहोनी हो गयी होगी तो, हमारे लिए प्रिया के तुम्हारी जुड़वा बहन होने की बात उसके सामने रख पाना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा.”

इतना बोल कर अनु मौसी चुप हो गयी. उनका ये रूप मेरे लिए बिल्कुल ही नया था. उनकी बातों से सॉफ समझ मे आ रहा था कि, वो सिर्फ़ मेरी माँ को ही अच्छे से नही जानती थी, बल्कि मेरे अतीत की बातों को भी अच्छे से जानती थी.

लेकिन इस समय उनके मूह से मेरी मौसी नही, बल्कि एक माँ बोल रही थी. जिसके मन मे एक दूसरी माँ के दर्द का अहसास छुपा हुआ था. मैं भी इस पद्मिलनी आंटी को पहुचने वाले दर्द का अहसास कर सकता था. इसलिए मैने अनु मौसी से कहा.

मैं बोला “मौसी, आपका कहना ज़रा भी ग़लत नही है. पद्मिपनी आंटी की हालत ऐसी नही है कि, वो अपनी बेटी को खोने का दर्द सह सके. यदि ऐसी को स्तिथि आती है तो, मैं यही चाहूँगा कि, पद्मिननी आंटी के सामने प्रिया की सच्चाई को कभी ना खोला जाए.”

“मैं ये तो नही जानता कि, उनके परिवार मे इस सच्चाई को कौन कौन जानता है. लेकिन मैने ये अपनी आँखों से देखा है कि, दादा जी इस सच्चाई को जानते हुए भी, प्रिया को बहुत प्यार करते है और उसे रिया, राज से ज़रा भी अलग नही समझते है.”

“सिर्फ़ दादा जी ही नही, बल्कि आकाश अंकल, पद्मिईनी आंटी, राज और रिया की भी वो बहुत लाडली है. वो उनके घर की रौनक है और उन सबकी जान है. प्रिया भी उन सबको बहुत प्यार करती है.”

“ना तो वो लोग प्रिया के बिना रह सकते है और ना ही प्रिया उनके बिना रह सकती है. ऐसे मे ये सच्चाई उन सबके सामने रखने का मतलब, सिर्फ़ उन सबकी खुशियों को ख़तम करना ही होगा.”

“प्रिया वहाँ उन सबके साथ बहुत खुश है और मैं यहाँ अपनी बहनो के साथ बहुत खुश हूँ. इसलिए अच्छा यही होगा कि, आप लोग भी इस बात को भूल जाए कि, प्रिया मेरी बहन है और उन सब को पहले की तरह खुश रहने दे.”

मेरी बात सुनकर, अनु मौसी ने आगे बढ़ कर, मुझे अपने गले से लगा लिया. मेरी जिंदगी मे ये पहला मौका था, जब अनु मौसी ने इतने प्यार से मुझे अपने गले लगाया था. उन्हो ने प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा.

अनु मौसी बोली “मुझे माफ़ कर दे. मैने हमेशा तुझे दुख ही दिया है. मुझे लगता था कि, तू भी अपने बाप की तरह ही निकलेगा. लेकिन मैं बिल्कुल ग़लत थी. तू अपने बाप की तरह नही, बल्कि अपनी माँ की तरह है. तेरी माँ सच मे बहुत खुशनसीब थी, जिसे तेरा जैसा बेटा मिला.”

अनु मौसी की बात सुनकर, इतने सालों मे पहली बार, मेरी आँखों मे जनम देने वाली माँ को याद करके, आँसू आ गये. लेकिन मैने आँसू भरी आँखों से, एक दर्द भरी मुस्कान के साथ मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “मौसी, आप मेरी माँ की किस खुशनशिबी की बात कर रही हो. मेरी माँ तो दुनिया की सबसे बदनसीब माँ थी. जिनके बेटे ने उन्हे उनके मरने के बाद ही, भुला दिया. यहाँ तक कि मुझे तो, उनका चेहरा तक याद नही है.”

“तभी तो प्रिया को देखने के बाद, मैं उस से कहता था कि, ऐसा लगता है कि, जैसे मेरा तुमसे पिच्छले जनम का कोई रिश्ता है. लेकिन मैं उस से ये कभी ना कह सका कि, तुम्हारी सूरत मेरी माँ से मिलती है.”

“लेकिन मैं प्रिया से ये बात कहता भी तो कैसे कहता. मुझे तो अपनी माँ का चेहरा तक याद नही था. अब आप ही बताओ, जिस माँ के बेटे को उसका चेहरा तक याद नही है. वो माँ एक खुशनसीब माँ कहलाएगी या फिर बदनसीब माँ कहलाएगी.”

मेरी बात सुनकर, अनु मौसी ने मेरे आँसू पोछ्ते हुए कहा.

अनु मौसी बोली “जिस माँ का तेरा जैसा बेटा हो. वो कभी बदनसीब हो ही नही सकती. फिर तेरी माँ पूर्णिमा तो किसी पूनम के चाँद की तरह थी. जितना उजला उसका तन था, उस से भी ज़्यादा उजला उसका मन था. वो, मैं और रिचा तीनो बहुत पक्की सहेलियाँ थी.”

“वो अपनी बेटी की जुदाई सह नही पाई और इसी गम मे उसने घुट घुट कर अपनी जान दे दी. लेकिन मरने के बाद भी, वो अपने बेटे को रोज अपनी आँखों से देखती है और आज बरसों बाद, अपनी खोई हुई बेटी को भी अपनी आँखों से देखेगी.”

अनु मौसी की बातें सुनकर, मेरे साथ साथ मेहुल की आँखें भी पूरी तरह से भीग चुकी थी. लेकिन अनु मौसी की आख़िरी बात सुनकर, हमे कुछ समझ मे नही आया और हम दोनो हैरानी से उनकी तरफ देखने लगे.
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09-11-2020, 11:58 AM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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अनु मौसी ने हमे इस तरफ हैरान देखा तो, उन्हो ने हमारी हैरानी को दूर करते हुए कहा.

अनु मौसी बोली “इसमे इतना हैरान होने वाली कोई बात नही है. एक आक्सिडेंट मे सुनीता की आँखों की रोशनी चली गयी थी. पूर्णिमा ने उसे अपनी आँखे देकर, उसकी अधेरि जिंदगी को फिर से रोशन बनाया था.”

“आज सुनीता भले ही पूर्णिमा की दी हुई आँखों से ये दुनिया देख रही है. लेकिन इस सच्चाई को वो खुद भी नही जानती है कि, उसकी अंधेरी जिंदगी को रोशन बनाने वाली आँखे पूर्णिमा की है.”

“तुम्हारी माँ एक बहुत ही महान औरत थी और उसके दिल मे हर एक के लिए बेशुमार प्यार था. क्या तुम्हे कभी सुनीता की आँखों मे अपनी माँ नज़र नही आती. जो तुम्हे अपनी माँ एक बदनसीब माँ लगती है.”

अनु मौसी की इस बात को सुनकर, मैने अपना चेहरा सॉफ करते हुए कहा.

मैं बोला “मौसी, छोटी माँ सिर्फ़ आँखों से ही नही, बल्कि सर से लेकर पाँव तक मेरी माँ है. उनके प्यार ने कभी मुझे माँ की कमी महसूस नही होने दी और इसी वजह से मुझे मेरी जनम देने वाली माँ का चेहरा तक याद नही रहा.”

“मुझे जनम देने वाली माँ कितनी महान थी, ये तो मैं नही जानता. लेकिन मैं ये अच्छी तरह से जानता हूँ कि, मेरी छोटी माँ दुनिया की सबसे अच्छी माँ है और ये मेरी खुशनसीब है कि, मैं उनका बेटा हूँ.”

मेरी बात सुनकर, अनु मौसी ने मुस्कुराते हुए, एक बार फिर मुझे अपने गले से लगा लिया. तभी उनका मोबाइल बजने लगा. उन्हो ने मोबाइल देखा तो, छोटी माँ का कॉल आ रहा था. उनके कॉल उठाते ही छोटी माँ ने, उनसे कहा.

छोटी माँ बोली “दीदी, हम लोग मुंबई पहुच गये है और अब प्रिया को देखने हॉस्पिटल जा रहे है. वहाँ चंदा मौसी का क्या हाल है और पुन्नू कैसा है.”

अनु मौसी बोली “चंदा को होश आ गया है और अभी वो सो रही है. पुन्नू और मेहुल दोनो मेरे पास ही है. तू खुद ही पुन्नू से बात कर ले.”

ये कहते हुए, अनु मौसी ने मुझे मोबाइल थमा दिया. छोटी माँ ने मुझसे सबका हाल चाल पुछा और फिर मुझे सबका ध्यान रखने के लिए समझाने लगी. मुझसे बात करने के बाद, वो फिर से अनु मौसी से बात करने लगी.

छोटी माँ के बाद, अनु मौसी की वाणी दीदी से बात होने लगी. उन्हो ने वाणी दीदी से मुझे मुंबई भेजने के बारे मे पुछा. मगर वाणी दीदी ने अभी मुझे मुंबई भेजने के लिए मना कर दिया.

वाणी दीदी से बात होने के बाद, अनु मौसी मुझसे और मेहुल से आराम करने को कह कर, वापस चंदा मौसी के पास चली गयी. उनके जाने के बाद, मेरी मेहुल से बातें होने लगी.

मेहुल ने बताया कि, जब मैं खाना खाने घर गया था, तब शीन बाजी और शेज़ा आई थी. वो लोग तब भी आई थी, जब हम प्रीतम के घर खाना खाने गये थे. मेहुल की बात सुनकर, मैं शीन बाजी के बारे मे सोचने लगा.

जब मैं शीन बाजी के घर गया था, तब वो घर पर नही थी और जब वो मुझसे मिलने हॉस्पिटल आई तो, तब मैं यहाँ नही था. मैं जब से वापस आया था, तब से मेरी उनसे मुलाकात नही हो पाई थी.

यदि उनके पास मोबाइल होता तो, मेरी उनसे बात हो सकती थी. लेकिन ना तो उनके पास मोबाइल था और ना ही उनके घर मे फोन था, जिस वजह से मेरी अभी तक उनसे कोई बात भी नही हो पाई थी.

मैं अभी इसी बारे मे सोच रहा था कि, तभी मुझे मेहुल के ख़र्राटों की आवाज़ सुनाई देने लगी. वो मुझसे बात करते करते ही सो गया था. मैने टाइम देखा तो रात के 12:15 बज चुके थे.

अब मुझे भी नींद सताने लगी थी. लेकिन मैं कीर्ति से बात किए बिना नही सोना चाहता था. मगर उसका कॉल आने का नाम नही ही ले रहा था और आख़िर मे उसके कॉल का इंतजार करते करते मेरी नींद लग गयी.

सुबह 6 बजे मेरी नींद किसी के मेरे सर पर हाथ फेरने से खुली. मैने आँख खोल कर देखा तो, मेरी बगल मे शीन बाजी, एक काले रंग का दुशाला ओढ़े बैठी मुस्कुरा रही थी.

शीन बाजी उमर मे मुझसे 8 साल बड़ी थी और ज़्यादा पड़ी लिखी नही थी. उन्हो ने अपनी स्कूल तक की पढ़ाई पूरी की थी और अब दुनियादारी के कॉलेज मे अपनी पढ़ाई पूरी कर रही थी. जिसने उन्हे हम सब से कहीं ज़्यादा समझदार बना दिया था.

शीन बाजी बहुत ज़्यादा सुंदर थी और उनके काले लंबे घने बाल उनकी सुंदरता मे चार चाँद लगा देते थे. कीर्ति के बाल भी बहुत लंबे थे. लेकिन बाजी के मुक़ाबले मे उसके बाल कुछ भी नही थे.

कीर्ति के बाल उसकी कमर के नीचे तक आते थे. जबकि बाजी के बाल उनके घुटनो तक आते थे. यही वजह थी कि, मैं जब कभी भी बाजी के लंबे बालों की तारीफ करता तो, कीर्ति जल भुन जाती थी.

बाजी मुझे बहुत प्यार करती थी. उन्हे कीर्ति का मुझसे लड़ना झगड़ना और मुझे परेशान करना ज़रा भी पसंद नही आता था. वहीं कीर्ति को मेरा बाजी के पास इतनी देर-देर तक बैठे रहना पसंद नही आता था.

यही सब वजह थी कि, कीर्ति और बाजी के बीच मे कभी नही पटती थी और दोनो एक दूसरे को ज़रा भी पसंद नही करती थी. उनके हमेशा के इस झगरे मे मैं पिस जाता था. इसलिए मैं उनके सामने एक दूसरे का नाम लेने से ही बचा करता था.

शीन बाजी के घर मे, उनके अलावा असलम, शेज़ा और उनकी अम्मी थी. उनके अब्बा का कुछ साल पहले इंतिकाल हो गया था. उनके अब्बा एक सरकारी नौकरी मे थे और उनकी जगह अब शीन बाजी को नौकरी मिल गयी थी.

तब से लेकर आज तक शीन बाजी ही अपने परिवार की सारी ज़िम्मेदारी निभाती आ रही थी. मैं शीन बाजी के पास बैठा, उन से घंटो बातें किया करता था और ऐसी ही कुछ आदत शीन बाजी को भी लग गयी थी.

वो हर छुट्टी के दिन मेरे आने का इंतजार करती रहती थी और जब कभी मैं उनके घर नही जा पाता था तो, वो परेशान हो जाया करती थी. पिच्छले एक महीने से, मैं कीर्ति और अंकल के चक्कर मे उनके पास नही जा पाया था.

जिस वजह से वो मुझे ढूँढते हुए पहले घर तक और अब हॉस्पिटल तक आ गयी थी. मैने उन्हे इतनी सुबह सुबह अपने सामने देखा तो, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और मैने मुस्कुराते हुए उनसे कहा.

मैं बोला “बाजी, आप इतनी सुबह सुबह यहाँ क्या कर रही हैं.”

मेरी बात सुनकर, बाजी ने मुस्कुराते हुए कहा.

बाजी बोली “तुमको देखे हुए बहुत दिन हो गये थे. इसलिए सोचा कि, तुमको सोते मे ही पकड़ लिया जाए. वरना फिर से तुमसे मिल पाना मुश्किल हो जाएगा.”

बाजी की इस बात पर मैने शर्मिंदा होते हुए कहा.

मैं बोला “सॉरी बाजी, मैं आपसे मिलने गया था. लेकिन आप घर पर नही थी. मैं कल शाम को आपसे मिलने आता. मगर उसके पहले ही ये सब हो गया.”

मेरी इस बात पर बाजी ने प्यार से मेरे गाल पर छपत लगाते हुए कहा.

बाजी बोली “पागल, मैं सब जानती हूँ. मुझे तुझसे कोई शिकायत नही है. मैं खुश हूँ कि, तू बिल्कुल सही सलामत है. वरना तुझ पर हुए हमले की बात सुनकर तो, मेरी जान ही निकल गयी थी. अब तू ये सब बेकार की बातें छोड़ और उठ कर नाश्ता कर ले. मैं तेरे लिए अपने हाथों से नाश्ता बना कर लाई हूँ.”

बाजी ने अभी इतना ही बोला था कि, मेहुल फ़ौरन उठ कर हमारे पास आ गया और उसने बाजी के हाथ से टिफिन लेते हुए कहा.

मेहुल बोला “बाजी आपने ये बहुत अच्छा काम किया. मुझे सुबह उठते ही भूख लगने लगती है.”

ये कहते हुए मेहुल टिफिन खोल कर मेरे सामने रख दिया और मुझे नाश्ता करने को बोल कर, खुद भी नाश्ता करने लगा. मैने नाश्ता करते हुए बाजी से कहा.

मैं बोला “बाजी, आज आप अकेली ही क्यो आई हो. क्या वो हरी मिर्च अभी तक सोकर नही उठी है. अच्छा हुआ कि, आप उसे अपने साथ लेकर नही आई. वरना वो सुबह सुबह ही मेरे दिमाग़ का दही कर देती.”

मेरी ये बात सुनते ही, मेहुल को एक जोरदार ठन्स्का लग गया. उसे ठन्स्का लगते देख, मैने उस पर गुस्सा करते हुए कहा.

मैं बोला “अबे आराम से नाश्ता कर, नाश्ता कहीं भागा नही जा रहा है.”

मगर वो मेरी बात सुनकर भी, फ़टीफटी आँखों से मुझे ही देखे जा रहा था. उसके इस तरह से देखने से मैं इतना तो समझ चुका था कि, मुझसे ही कहीं कोई ग़लती हो गयी हो.

लेकिन मेरे कुछ समझ मे नही आया तो, मैं मेहुल की इस हरकत को जानने के लिए, सवालिया नज़रों से बाजी की तरफ देखने लगा. बाजी ने मुझे अपनी तरफ देखते पाया तो, उन ने मुझे अपने पिछे देखने का इशारा किया.

बाजी का इशारा समझ मे आते ही, मैने फ़ौरन अपने पिछे पलट कर देखा और पिछे देखते ही, मेरी भी बोलती बंद हो गयी. मेरे पिछे हरे रंग के सलवार सूट मे शेज़ा खड़ी थी.

शेज़ा उमर मे मुझसे एक साल छोटी थी और 9थ क्लास मे पढ़ती थी. उसके उपर बाजी की ही परछाई पड़ी थी. वो बाजी की तरह ही बहुत सुंदर थी. उसके बाल बाजी के बराबर तो नही थे. लेकिन बाकी लड़कियों से कहीं ज़्यादा बड़े थे.

मगर उसकी ख़ासियत उसके चेहरे की मुस्कान थी. उसके चेहरे पर हर समय एक मुस्कान थिरकति रहती थी. जो उसे और भी ज़्यादा सुंदर बनती थी. वो बहुत हँसमुख और चंचल थी.

पल भर मे नाराज़ होना और पल भर मे ही मान जाना उसकी आदत थी. मेरी उस से ज़्यादा बात चीत तो नही होती थी. लेकिन थोड़ी बहुत हँसी मज़ाक चलता रहता था और वो कभी मेरे किसी मज़ाक का बुरा नही मानती थी.

लेकिन इस समय मैने उसका जो मज़ाक उधया था. उसे सुनकर, वो गुस्से मे तमतमयी हुई मुझे देख रही थी. मेरी उस से नज़र मिलते ही, उसने गुस्से मे भड़कते हुए शीन बाजी से कहा.

शेज़ा बोली “अपी आपने सुन लिया ना. भाईजान मेरी पीठ पिछे कैसे मेरी बुराई कर रहे है. अब मैं इनसे कभी बात नही करूगी.”

ये कहते ही, उसकी गुस्से मे तमतमाई आँखों मे आँसू झिलमिलाने लगे. मैं हमेशा ही शेज़ा का इसी तरह से मज़ाक उड़ाया करता था और वो भी मेरे इस मज़ाक का कभी बुरा नही माना करती थी.

मगर आज मैं उसका ये मज़ाक उसकी पीठ पिछे उड़ा रहा था. जिस वजह से मेरा ये मज़ाक उसके दिल को चुभ गया था. लेकिन उसकी आँखों मे आँसू देखते ही, मैने फ़ौरन बात को संभालने की कोसिस करते हुए कहा.

मैं बोला “अरे मैं सिर्फ़ मज़ाक कर रहा था और तू मेरे इस मज़ाक को सच समझ कर, आँसू बहाने लगी. मैने तो तुझे मेरे पिछे खड़े, पहले ही देख लिया था.”

मेरी बात सुनकर, शेज़ा ने सिसकते हुए कहा.

शेज़ा बोली “भाईजान, अब झूठ बोलने की कोसिस मत कीजिए. मैं जानती हूँ कि, आपने मुझे नही देखा था.”

शेज़ा कह तो सच रही थी. लेकिन अब उसको मनाने के लिए मेरे पास अपनी ग़लती पर परदा डालने के सिवा कोई रास्ता नही था. मैने उसे अपनी सफाई देने के लिए एक और झूठ बोलते हुए कहा.

मैं बोला “मैं सच बोल रहा हूँ. मैने तुझे हरा सलवार सूट पहन कर मेरे पिछे खड़े देख लिया था. तभी तो मैने तुझे हरी मिर्च कहा था.”

मेरी बात सुनकर, शेज़ा का सिसकना बंद हो गया और वो कुछ सोच मे पड़ गयी. उसे सोच मे पड़ा देख कर, बाजी ने भी मेरा साथ देते हुए कहा.

बाजी बोली “शेज़ा यदि तुझे इसके मज़ाक का इतना ही ज़्यादा बुरा लगता है तो, आज के बाद ये तुझसे बिल्कुल भी मज़ाक नही करेगा. ये पहले से ही बहुत परेशान है. अब तू सुबह सुबह आँसू बहा कर इसकी परेशानी को और मत बढ़ा.”

बाजी की फटकार सुनते ही, शेज़ा ने फ़ौरन अपना मूड बदलते हुए कहा.

शेज़ा बोली “अपी आप भी मुझे ही गुस्सा कर रही है. भाईजान को तो आपने कुछ भी नही कहा, जब देखो, तब मेरा मज़ाक उड़ते रहते है.”

बाजी बोली “इसे घर आने दे, मैं इसे भी बहुत गुस्सा करूगी. लेकिन अभी तू अपनी शिकायत का पिटारा बंद कर और इन दोनो को चाय दे दे.”

बाजी की इस बात को सुनने के बाद, शेज़ा अपना गुस्सा भूल कर, मुझे और मेहुल को चाय निकाल कर देने लगी. हम लोगों के चाय पीने के बाद, बाजी और शेज़ा चंदा मौसी से मिलने अंदर चली गयी.

उनके अंदर जाने के थोड़ी ही देर बाद अनु मौसी बाहर आ गयी. उन्हो ने बाहर आते ही, मुझसे और मेहुल से कहा.

अनु मौसी बोली “शीन अभी रिचा के आने तक यही रुकी है. इसलिए मैं अब घर जा रही हूँ. तुम दोनो मे से जो भी मेरे साथ घर चलना चाहता हो, वो घर चल सकता है.”

अभी मेहुल के घर मे शिल्पा रुकी हुई थी. इसलिए मैने मेहुल को ही अनु मौसी के साथ घर भेज दिया. उनके जाने के बाद, मैं अपना मोबाइल निकाल कर देखने लगा. उसमे रात को 1:30 बजे के आस पास कीर्ति के 3 कॉल आए थे.

लेकिन अभी सुबह के 7 बाज जाने के बाद भी, उसका कोई कॉल नही आया था. इसलिए मैने खुद ही उसको कॉल लगा लेना ठीक समझा और उसे कॉल लगा दिया. मगर उसने मेरा कॉल जाते ही, कॉल काट दिया.

उसके कॉल काटने से मैं इतना तो, समझ गया था कि, वो सोकर उठ चुकी है और इस समय किसी के साथ है. लेकिन मेरी समझ मे अभी तक ये बात नही आ रही थी कि, आख़िर इस बंदी को मुंबई जाने की इतनी ज़्यादा उतावली क्यो पड़ी थी.

कहाँ तो मेरे कहने से भी, वो मुंबई आने को तैयार नही थी और अब कहाँ मुझे यहाँ अकेला छोड़ कर, अपनी इतनी तबीयत खराब होने के बाद भी, ज़िद करके मुंबई मे जाकर बैठी थी.

मुझे उसके मुंबई जाने से कोई परेशानी नही थी. लेकिन अभी उसकी तबीयत सही ना होने की वजह से उसकी फिकर सता रही थी. मैं अभी कीर्ति के बारे मे सोच ही रहा था कि, तभी उसका कॉल आने लगा.

उसका कॉल आते देख कर, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और मैने फ़ौरन ही उसका कॉल उठा कर, मूह फुलाने का नाटक करते हुए उस से कहा.

मैं बोला “तुझे मुझसे बात करने की बड़ी जल्दी फ़ुर्सत मिल गयी. अब इतनी जल्दी भी कॉल करने की क्या ज़रूरत थी. सीधे यहाँ वापस आने के बाद ही बात करना था ना.”

मेरी बात सुनते ही, कीर्ति खिलखिला कर हँसने लगी. उसे हंसते देख कर, मैने उस पर झूठा गुस्सा दिखाने का नाटक चालू रखते हुए कहा.

मैं बोला “किसी का मज़ाक उड़ाने की भी हद होती है. मैं तेरे उपर गुस्सा कर रहा हूँ और तुझे मेरी बात पर हँसी आ रही है.”

मेरी इस बात के जबाब मे कीर्ति ने हंसते हुए कहा.

कीर्ति बोली “आए तुम्हारा ये झूठा गुस्सा दिखाने का नाटक बहुत हो गया. अपना ये नाटक बंद करो और सीधे तरीके से बात करो. यदि तुम सच मे ही गुस्सा होते तो, अपना मूह फूला कर बैठे होते. ऐसे एक ही बार मे मेरा कॉल ना उठा लिया होता.”

कीर्ति की ये बात सुनकर, मेरी भी हँसी छूट गयी. मैने गुस्सा करने का नाटक बंद करते हुए उस से कहा.

मैं बोला “अच्छा बाबा, अब तू ये बता की, तेरी तबीयत कैसी है.”

मेरी ये बात सुनकर, कीर्ति ने थोड़ा गंभीर होते हुए कहा.

कीर्ति बोली “मेरी तबीयत बिल्कुल ठीक है. मगर प्रिया को अभी तक होश नही आया है. मैं और वाणी दीदी तो रात को 1 बजे बरखा दीदी के साथ, अजय भैया के बंगलो मे आ गये थे. लेकिन मौसी रिया के घर वालों के साथ सारी रात हॉस्पिटल मे ही थी.”

“अभी जब तुमने मुझे कॉल किया था, तब ही वो अजय भैया के साथ हॉस्पिटल से वापस लौटी थी. वो प्रिया की तबीयत को लेकर बहुत ज़्यादा परेशान थी और वाणी दीदी से तुम्हे यहाँ बुलाने की बात कर रही थी.”

“वाणी दीदी ने उनसे दोपहर तक इंतजार करने को कहा है. शायद आज रात तक या फिर कल किसी समय तुम्हे भी अमि निमी के साथ यहा के लिए निकलना पड़ सकता है. तुम अपनी और अमि निमी की यहाँ के लिए निकलने की तैयारी करके रखना.”

प्रिया की हालत के बारे मे सुनते ही, मेरी आँखों मे नमी छा गयी. शायद कीर्ति को भी मेरी इस हालत का अहसास था, इसलिए उसने मुझे समझाते हुए कहा.

कीर्ति बोली “तुम फिकर मत करो, प्रिया को कुछ नही होगा. प्रिया का इलाज निधि दीदी कर रही है. निशा भाभी बता रही थी कि, निधि दीदी एक बहुत अच्छी नुरोसर्जन है और वो प्रिया की तबीयत पर पल पल नज़र रखे हुए है.”

“मैं जानती थी कि, तुम अभी यहाँ नही आ पाओगे. लेकिन तुम्हे वहाँ प्रिया की तबीयत की चिंता सताती रहेगी. इसलिए मैं ज़िद करके यहाँ आ गयी थी. ताकि मैं तुम्हे यहाँ का सारा हाल बताती रहूं.”

“मैने तुम्हारी मुंबई वाली सिम चालू कर ली है. तुम भी अपने मोबाइल मे मेरी सिम डाल कर चालू कर लेना. वो सिम से बात करना अभी भी फ्री ही है. उस से तुम यहाँ की सारी बात चीत अपने कानो से सुन सकोगे.”

कीर्ति ने थोड़ी बहुत बातें करने के बाद, मुझसे उसकी दी हुई सिम मोबाइल मे डाल कर, एक मिस्ड कॉल देने की बात जाता कर कॉल रख दिया. उसके कॉल रखने के बाद, मैने उसकी दी हुई सिम मोबाइल मे डाली और उसे एक मिस्ड कॉल दे दिया.

कीर्ति को मिस्ड कॉल देने के बाद, मैं उसके बारे मे सोचने लगा. वो ज़िद करके मुंबई सिर्फ़ मेरी वजह से ही गयी थी. इस से ही पता चलता था कि, वो मेरी सोच से कहीं ज़्यादा गहराई तक मुझसे जुड़ी हुई थी.

मैं अभी कीर्ति के बारे मे सोच रहा था कि, तभी शेज़ा आ गयी. उसने मुझे गुम-सूम सा बैठे देखा तो, हँसी मज़ाक करके मेरा दिल बहलाने लगी. उसके इस हँसी मज़ाक से मेरा सारा तनाव दूर हो गया.

ऐसे ही शेज़ा से बात करते करते 9 बज गये. अभी मेरी शेज़ा से बात चल ही रही थी कि, तभी किसी लड़की की आवाज़ ने मुझे चौका दिया. मैने पिछे पलट कर देखा तो, मेरे सामने रेड कलर का पटियाला सलवार सूट मे अंकिता खड़ी थी.

अंकिता को इस तरह से अचानक अपने सामने देख कर, मेरे तो पसीने छूट गये. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, ये अचानक यहाँ कैसे आ गयी और अब मैं इसके बारे मे शेज़ा को क्या सम्झाउन्गा.

वही दूसरी तरफ शेज़ा कभी अंकिता की तरफ तो, कभी मेरी तरफ गौर से देखे जा रही थी. मुझे इस बात का डर भी सता रहा था कि, कहीं अंकिता शेज़ा के सामने कुछ उल्टा सीधा ना बोल जाए. इसलिए अंकिता के कुछ बोलने के पहले ही, मैने उस से कहा.

मैं बोला “आप यहाँ कैसे.? क्या आपका भी कोई यहाँ भरती है.”

मेरी बात सुनकर, अंकिता ने मुस्कुराते हुए कहा.

अंकिता बोली “अरे नही, मेरा यहाँ कोई भरती नही है. वो तो कल मैने टीवी पर न्यूज़ देखी थी और अभी मेरी फ्रेंड से मेरी बात हुई तो, उस से पता चला कि, अभी आप यहीं हो. इसलिए मैं आप से मिलने यहाँ चली आई.”

अंकिता की ये बात सुनकर, मैं समझ गया कि, अभी उसकी कीर्ति से बात हुई है और कीर्ति ने उसे यहाँ आने दिया है तो, इसका मतलब है कि, उसने सब कुछ समझा कर ही अंकिता को भेजा होगा.

इस बात के समझ मे आते ही, मेरे मन मे अंकिता के आने से जो भी डर था, वो निकल गया था और मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी थी. मैने मुस्कुराते हुए अंकिता से कहा.

मैं बोला “उन न्यूज़ वालों ने तो, राई का पहाड़ बना दिया. पता नही उनको ऐसा करने मे क्या मिल गया.”

लेकिन अंकिता ने जैसे मेरी इस बात को सुना ही नही था. उसने शेज़ा की तरफ इशारा करते हुए कहा.

अंकिता बोली “आपने इनसे तो मेरा परिचय करवाया ही नही है.”

अंकिता की बात सुनकर, मैने उसका शेज़ा से परिचय करवाते हुए कहा.

मैं बोला “ये मेरे दोस्त की बहन शेज़ा है और शेज़ा ये मेरी फ्रेंड अंकिता है.”

मेरे उन दोनो का परिचय करवा देने के बाद, दोनो आपस मे बातें करने लगी. अभी उन दोनो की बात चल ही रही थी कि, तभी व्हील्चैर पर एक लड़की को हॉस्पिटल के अंदर आते देख कर, हम तीनो की ही नज़रें उस पर जाकर टिक गयी.

वो लड़की इस समय एक ब्लॅक स्कर्ट टॉप पहनी थी और शेज़ा की उमर की लग रही थी. उसके बाल ज़्यादा लंबे तो नही थे. लेकिन उसके खुले हुए बाल, उसके चेहरे को खूबसूरत ज़रूर बना रहे थे.

वो ना तो शेज़ा की तरह सुंदर थी और ना ही शेज़ा की तरह उसके चेहरे पर कोई मुस्कान थिरक रही थी. फिर भी उसके चेहरे पर एक मासूमियत झलक रही थी. जो हमारा ध्यान उसकी तरफ खीच रही थी.

उस मासूम से चेहरे वाली लड़की को व्हील्चैर पर देख कर, ना जाने क्यो मुझे उसके साथ हमदर्दी सी हो रही थी. ऐसा ही कुछ शायद शेज़ा और अंकिता के साथ भी हो रहा था. वो दोनो भी बड़े गौर से उसी लड़की को देख रही थी.

एक आदमी उस लड़की की व्हील्चैर को धकेलते हुए, उसे आइ.सी.यू. रूम के अंदर ले गया. उस लड़की के हमारी नज़रों से ओझल होते ही, शेज़ा ने उसके साथ हमदर्दी जताते हुए, मुझसे कहा.

शेज़ा बोली “भाईजान, उस लड़की का चेहरा कितना प्यारा लग रहा था. लेकिन लगता है कि, उस बेचारी के पैर खराब है.”

मैने भी शेज़ा की इस बात की सहमति दी. इसके बाद, अंकिता हम दोनो से इजाज़त लेकर, वापस जाने लगी. शेज़ा मुस्कुराती हुई, अंकिता को जाते हुए देखने लगी. मैं जानता था कि, अब ये उसके जाते ही, मेरे उपर सवालों की बौछार कर देगी.

लेकिन अंकिता के हॉस्पिटल से बाहर निकलते ही, हमे रिचा आंटी और अमि निमी हॉस्पिटल के अंदर आते दिखाई दे गयी. रिचा आंटी को आते देख कर, मैने भी राहत की साँस ली कि, अब मेरा शेज़ा के सवालों से पिछा छूट जाएगा.

रिचा आंटी ने हमारे पास आकर शेज़ा से एक दो बातें की और फिर मुझसे चंदा मौसी की तबीयत के बारे मे पुछ्ने लगी. मैने उन्हे चंदा मौसी की तबीयत का बताया और फिर वाणी दीदी की अनु मौसी से हुई बात का हवाला देते हुए कहा.

मैं बोला “आंटी, रात को अनु मौसी की वाणी दीदी से बात हुई थी. वाणी दीदी ने कहा है कि, वो जल्दी ही मुझे भी मुंबई बुला लेगी. मुझे किसी भी समय अमि निमी के साथ मुंबई के लिए निकलना पड़ सकता है.”

मेरी बात सुनने के बाद, रिचा आंटी मुझे मुंबई जाने की तैयारी करने के लिए समझाने लगी. लेकिन तभी हमारी मुंबई जाने की बात सुनकर, अमि ने मुझे टोकते हुए कहा.

अमि बोली “भैया, अभी मेरी स्कूल मे एग्ज़ॅम चल रहे है और मैं अपने एग्ज़ॅम छोड़ कर मुंबई नही जा सकती हूँ. यदि मैं मुंबई नही गयी तो, निमी भी मेरे बिना मुंबई नही जाएगी.”

“अभी यहाँ मम्मी और कीर्ति दीदी भी नही है. आपको पता है कि, निमी रात को अकेले मे कितनी ज़्यादा डर जाती है. ऐसे मे आप हम दोनो को अकेले छोड़ कर मुंबई कैसे जा सकते है.”

अमि की ये बात सुनकर, मेरे साथ साथ रिचा आंटी भी सन्न रह गयी. क्योकि कल प्रिया के बारे मे जो भी बातें हुई थी, वो अमि निमी के सामने ही हुई थी. वो दोनो अपने कानो से सुन चुकी थी कि, प्रिया मेरी जुड़वा बहन है.

वो ये भी अच्छी तरह से जानती थी कि, छोटी मा मुंबई क्यों गयी है और हम लोगों को मुंबई क्यो जाना है. इसके बाद भी अमि का ये बात कहना मेरे गले से नीचे नही उतर रहा था.

निमी तो अभी नासमझ थी और उस से इस तरह की बात करने की उम्मीद की भी जा सकती थी. लेकिन अमि मे इन सब बातों की अच्छी ख़ासी समझ थी और उस से इस तरह की बात करने की उम्मीद हरगिज़ नही की जा सकती थी.

वो एक तरह से मुझे मुंबई जाने से रोकना चाहती थी. उसने कोलकाता मे एक ऐसा बॉम्ब फोड़ा था. जिसकी गूँज मुझे मुंबई तक सुनाई दे रही थी और जिसके धमाके ने मेरे मन मे एक अंजाना सा डर पैदा कर दिया था.
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09-11-2020, 11:59 AM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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वहीं जब रिचा आंटी ने अमि की ये बात सुनी तो, उसे समझाते हुए कहा.

रिचा आंटी बोली “अमि बेटा, तुम ये कैसी बात कर रही हो. तुम जानती हो कि, प्रिया तुम्हारी दीदी है. अभी इस वक्त उसकी तबीयत सही नही है. ऐसे मे तुम सब का मुंबई जाना बहुत ज़रूरी है.”

लेकिन अमि ने उनकी ये बात सुनकर, तुनक्ते हुए कहा.

अमि बोली “कीर्ति दीदी और वाणी दीदी बस ही हमारी दीदी है. इनके सिवा हमारी कोई दीदी नही है. हमे किसी को देखने मुंबई नही जाना है और हम मुंबई से भी यहाँ किसी को नही आने देगे.”

अमि की इस बात ने उसके दिल का डर खुल कर, हमारे सामने ला दिया था. अभी तक किसी ने भी इस बात पर ध्यान नही दिया था की, छोटी माँ और कीर्ति को मुंबई जाते देख कर भी, अमि निमी ने उनके साथ मुंबई जाने की ज़िद क्यो नही की थी.

लेकिन अब निमी के इस जबाब से उनके मुंबई ना जाने की बात का मतलब समझ मे आ गयी थी, उनके मन मे ये डर घर कर गया है कि, कहीं प्रिया की वजह से मैं उन से दूर ना हो जाउ.

अमि की बात सुनने के बाद, रिचा आंटी ने उन्हे समझाना चाहा. लेकिन मैने रिचा आंटी को चुप रहने का इशारा किया और फिर अमि ने कहा.

मैं बोला “बेटू, ऐसा नही कहते. तू प्रिया को अपनी दीदी नही मानती है तो, तुझे कोई उसे अपनी दीदी मानने के लिए मजबूर नही करेगा. लेकिन तू इस बात को क्यो भूलती है कि, प्रिया के हमारी बहन होने वाली बात हमे अभी पता चली है.”

“जबकि प्रिया तो अभी इस बात को जानती भी नही है. मुंबई से तुम लोगों के लिए सबसे ज़्यादा गिफ्ट उसने ही भेजे है. उसने सिर्फ़ तुम लोगों के लिए गिफ्ट ही नही भेजे है. बल्कि मुंबई मे मेरी जान भी बचाई है.”

“वो हमारी बहन बाद मे, उसके पहले वो मेरी एक बहुत अच्छी दोस्त है. मगर मेरे लिए प्रिया से बाद कर तुम दोनो की खुशी है. यदि ये सब जानने के बाद भी, तुम दोनो मुंबई जाना नही चाहती हो तो, हम हरगिज़ मुंबई नही जाएगे.”

अमि गौर से मेरी बात सुन रही थी. अभी वो कुछ बोलने ही वाली थी कि, तभी शीन बाजी आ गयी. उन्हो ने आते ही कहा कि, चंदा मौसी अमि निमी को पुच्छ रही है. उनकी बात सुनकर, मैने अमि निमी को चंदा मौसी के पास जाने का इशारा किया.

जिसके बाद, अमि ने निमी का हाथ पकड़ा और दोनो चंदा मौसी के पास जाने लगी. उसी समय वो व्हील्चैर वाली लड़की आइ.सी.यू. रूम से वापस निकल आई. वो शायद वहाँ किसी से मिलने आई थी.

मेरे देखते ही देखते वो लड़की हॉस्पिटल से बाहर निकल गयी. वहीं दूसरी तरफ शीन बाजी ने हम सबको किसी गहरी सोच मे देखा तो, हम से इसकी वजह पुच्छने लगी.

मैने उन्हे कल से लेकर अभी तक की सारी बातें बताने लगा. जिसे शीन बाजी और शेज़ा बड़ी हैरानी के साथ सुनती रही. जब मैं अपनी बात बोल कर चुप हुआ तो, शीन बाजी ने कहा.

बाजी बोली “अमि निमी तो अभी बच्ची है. लेकिन तुम तो समझदार हो. तुम्हे अमि निमी को समझाना चाहिए कि, प्रिया उनकी दीदी है और उन्हे इस समय उसके पास रहना चाहिए. मगर तुम हो कि, उनकी हां मे हां मिला रहे हो.”

मैं बोला “बाजी, आपकी बात सही है. लेकिन इस समय उन्हे समझाना से ज़्यादा, उनके दिल से डर को निकालना ज़रूरी था कि, प्रिया के मेरी बहन होने से, मेरे दिल मे उनके लिए जो प्यार है, उसमे कोई कमी नही आई है.”

“मुझे उम्मीद है कि, मेरी इस बात को सुनने के बाद, वो खुद ही खुशी खुशी मुंबई जाने के लिए तैयार हो जाएगी. फिर रही बात उनके प्रिया को अपनी दीदी मानने की तो, इस बात को हम बाद मे भी समझा सकते है.”

मेरी बात सुनकर, रिचा आंटी ने भी मेरी बात की सहमति दी और फिर वो मुझसे घर जाकर आराम करने की बात कह कर, चंदा मौसी के पास चली गयी. कुछ देर बाद, अमि निमी हमारे पास वापस आ गयी.

शीन बाजी और शेज़ा उनसे बात करने लगी. लेकिन अब कोई भी मुंबई के बारे मे बात नही कर रहा था. जब अमि ने किसी को भी मुंबई के बारे मे बात करते नही देखा तो, फिर उसने खुद ही इस बात को सुरू करते हुए कहा.

अमि बोली “भैया, यदि हम तीनो भी मुंबई चले गये तो, फिर यहाँ चंदा मौसी का ख़याल कौन रखेगा.”

अमि की बात सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “चंदा मौसी का ख़याल रखने के लिए यहाँ पर अनु मौसी, मौसा जी, रिचा आंटी और मेहुल है. बाजी भी यहाँ रोज आती रहेगी. लेकिन जब हमे वहाँ जाना ही नही है तो, फिर इसके बारे मे सोचने का क्या फ़ायदा है.”

अमि बोली “नही भैया, उन्हो ने आपकी जान बचाई थी. हम उनको देखने ज़रूर जाएगे. लेकिन आप सारे समय हमारे साथ ही रहोगे.”

अमि की बातों से मेरे साथ साथ शीन बाजी और शेज़ा के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी. मैने प्यार से अमि निमी के सर पर हाथ फेरते हुए कहा.

मैं बोला “तुम लोग जैसा चाहती हो, वैसा ही होगा. मैं हम लोगों के चलने की तैयारी कर लेता हूँ.”

अमि, निमी, बाजी और शेज़ा से थोड़ी बहुत बात और करने के बाद, मैं आराम करने मेहुल के घर जाने के लिए हुआ तो, शीन बाजी मुझे हॉस्पिटल के बाहर तक छोड़ने के लिए आ गयी.

मुझे लगा था कि, वो ऐसे ही मुझे बाहर तक छोड़ने आ रही है. लेकिन ऐसा नही था, उन्हो ने बाहर आते ही, मुझे कुछ ऐसी बात बताई. जिसे सुनकर मुझे कीर्ति के उपर गुस्सा आने लगा.

लेकिन मैं अपना गुस्सा दबाए, चुप चाप बाजी की बातें सुनता रहा. अपनी बात ख़तम होने के बाद, बाजी ने मुस्कुराते हुए मेरे हाथ मे एक छोटा सा बॉक्स थमा दिया. जिसे देख कर, मैने बाजी से कहा.

मैं बोला “लेकिन बाजी आपके पास इतने पैसे कहाँ से आए.”

बाजी बोली “अरे मैं जॉब करती हूँ. क्या मेरे पास इतने पैसे भी नही हो सकते. इसे तू अपने जनमदिन का गिफ्ट समझ कर रख ले.”

मैं बोला “कब से आप अपने लिए एक मोबाइल लेने की सोच रही है. लेकिन आज तक आप एक मोबाइल नही ले पाई और आज आपके पास अचानक इतने सारे पैसे आ गये कि, आप मुझे सोना गिफ्ट करने लगी.”

“अब आप बेकार मे मुझे बहलाना बंद कीजिए और सीधी तरह से बताइए कि आपके पास इतने पैसे कहाँ से आए है. यदि आपने मुझे सच नही बताया तो, फिर आज के बाद, मैं भी आपको कुछ नही बताउन्गा.”

बाजी बोली “तुम ज़िद कर रहे हो तो सुनो. मैने जो पैसे अपने मोबाइल के लिए जोड़े थे, उनसे ही ये लिया है.”

मैं बोला “बाजी, आप फिर मुझसे झूठ बोल रही है. यदि आपने इतने पैसे अपने मोबाइल के लिए जोड़ लिए होते तो, आपका मोबाइल कब का आ गया होता. यदि आप सच बताना नही चाहती तो, झूठ भी मत बताइए.”

बाजी बोली “मैं झूठ नही बोल रही. कुछ पैसे मेरे मोबाइल के लिए जोड़े हुए थे और बाकी के पैसों के लिए मैने अपने कान के झाँके गिरवी रखे है.”

बाजी की बात सुनकर, मैं हैरानी से उनकी तरफ देखने लगा. मुझसे तो वो कभी कोई महँगा गिफ्ट लेती नही थी और आज मेरे लिए अपने कान के झुमके तक, गिरवी रख दिए थे. इस से पहले की मैं उनसे कुछ बोलता, उन्हो ने मुझे टोकते हुए कहा.

बाजी बोली “अभी तुम इस सबके बारे मे मत सोचो. ना तो मैं कहीं भागी जा रही हूँ और ना ही मेरे झुमके कहीं भागे जा रहे है. हम इस बारे मे फ़ुर्सत से बैठ कर बातें कर लेगे. अभी तुम घर जाकर आराम करो.”

मैने इसके बदले मे बाजी से कुछ बोलना चाहा तो, उन्हो ने मुझसे चुप करा दिया. मुझे भी उनकी ये बात मानना सही लगा और मैं उनसे अमि निमी का ख़याल रखने की बात बोल कर मेहुल के घर के लिए निकाल लिया.

मैं जब मेहुल के घर पहुचा तो 10:30 बज चुके थे. अंकल अपने कमरे मे थे और मेहुल, कमल के साथ बैठा टीवी देख रहा था. शिल्पा दिखाई नही दी तो, पुछ्ने पर पता चला कि, वो अपने घर जा चुकी है.

मेहुल ने मुझसे खाने का पुछा तो, मैने सोकर उठने के बाद, खाना खाने की बात बोली और फिर मैं मेहुल के कमरे मे आ गया. कमरे मे आकर मैने कपड़े बदले और फिर प्रिया के बारे मे सोचते सोचते मेरी नींद लग गयी.

फिर मेरी नींद 1:30 बजे निमी के जगाने पर खुली. वो और अमि शिल्पा के साथ घर आई थी. मैने उठ कर फ्रेश होने चला गया. फ्रेश होने के बाद, मैं तैयार होकर बाहर आया तो, अमि, निमी, कमाल और मेहुल खाने पर मेरा इंतजार कर रहे थे.

उनके साथ शिल्पा भी थी. शिल्पा को फिर से यही देख कर, मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, अभी तो नितिका यहाँ नही है. फिर ये अपने घर मे क्या कह कर इस तरह यहाँ रुकी हुई है.

मैं मेहुल से ये बात पुछ्ना चाहता था. लेकिन मैं ये भी जानता था कि, उसके पेट मे ये बात ज़्यादा देर तक नही पच सकती. वो मुझे खुद ही सारी बात बता देगा. इसलिए मैं चुप चाप खाना खाने लगा. खाना खाने के बाद, मैने मेहुल से कहा.

मैं बोला “देख, वाणी दीदी का कॉल आते ही, मुझे कभी भी मुंबई के लिए निकलना पड़ सकता है. मुझे अपने मुंबई जाने के लिए कोई खास तैयारी नही करना है. लेकिन अमि निमी के समान की पॅकिंग करना बहुत ज़रूरी है.”

“तू ऐसा कर कि, शिल्पा और अमि निमी को लेकर घर चला जा. शिल्पा अमि निमी के समान की पॅकिंग कर देगी और तू मेरे समान की पॅकिंग देख लेना. मैं जो बॅग मुंबई ले गया था. वो अभी वैसा का वैसा ही मेरे कमरे मे रखा हुआ है.”

“मैने उसमे से सिर्फ़ पहने हुए कपड़े अलग किए है. तू उसमे सिर्फ़ कुछ कपड़े रख देना, इसके सिवा तुझे कुछ भी नही करना है. मैं कीर्ति को फोन कर देता हूँ, वो शिल्पा को सब बता देगी.”

मैने मेहुल से पॅकिंग के बाद, हमारे बॅग यही लाने की बात भी जताई और फिर कीर्ति को भी कॉल करके सारी बात बता दी. इसके बाद, मेहुल, शिल्पा और अमि निमी को अपने साथ लेकर मेरे घर के लिए निकल गया.

अब मैं और कमाल अकेले ही घर मे थे. थोड़ी देर मैं कमल से यहाँ वहाँ की बातें करता रहा. इसके बाद कमल ने खुद ही शिल्पा के मेहुल के घर मे रुके रहने का सारा राज़ खोल कर दिया.

कमल से ऐसे ही यहाँ वहाँ की बात करते करते 4 बज गया और मेहुल लोग वापस आ गये. मेहुल के आने के बाद मैं उसके साथ हॉस्पिटल जाने लगा तो, अमि निमी भी हॉस्पिटल जाने की ज़िद करने लगी.

लेकिन मैने उन्हे समझाया कि, छोटे बच्चों का हॉस्पिटल मे ज़्यादा देर रहना उनकी सेहत के लिए अच्छा नही होता है. मेरे समझाने पर वो मेरी बात समझ गयी और फिर मैं मेहुल के साथ हॉस्पिटल के लिए निकल गया.

शीन बाजी और शेज़ा, रोज़ की वजह से, मेरे हॉस्पिटल पहुचने के कुछ देर पहले ही घर जा चुकी थी. अब चंदा मौसी की हालत मे भी बहुत कुछ सुधार था. लेकिन अभी उन्हे कम से कम एक हफ्ते आइसीयू मे ही रहना था.

दिन के समय मे चंदा मौसी के पास रिचा आंटी और बुआ जी (वाणी दीदी की मम्मी) थी. जबकि रात के समय मे उनके पास अनु मौसी को रुकना था. छोटी माँ के ना रहने पर भी बहुत अच्छी तरह से चंदा मौसी का ख़याल रखा जा रहा था.

इतने सारे लोगों के चंदा मौसी के पास बने रहने से मुझे किसी बात की कोई चिंता नही थी. शायद अपने परिवार के साथ रहने का सबसे बड़ा फ़ायदा यही होता है की, बड़ी से बड़ी मुसीबत घड़ी भी अपना ज़्यादा असर नही दिखा पाती है.

मैं हॉस्पिटल आने के बाद, बाकी के सारे समय हॉस्पिटल मे ही रहा. बीच बीच मे मेरी छोटी माँ, वाणी दीदी, कीर्ति, शिखा दीदी और राज लोगों से भी बात होती रही. लेकिन निक्की अभी भी मुझसे बात नही कर रही थी.

ऐसे ही देखते देखते शाम के 7 बज गये और मुझे अमि निमी, शिल्पा के साथ हॉस्पिटल के अंदर आती नज़र आई. उन्हे इतनी समय हॉस्पिटल मे देख कर, मैं उन्हे गुस्से मे घूर्ने लगा. लेकिन अमि ने मेरे पास आते ही, अपनी सफाई देते हुए कहा.

अमि बोली “भैया, हमने हॉस्पिटल आने की ज़रा भी ज़िद नही की थी. आंटी ने ही घर फोन करके कहा था कि, तुम दोनो शिल्पा दीदी के साथ यहाँ आ जाओ. फिर हम चारो घर वापस चलेगे.”

अमि की इस बात के बाद, मेरे पास उस पर गुस्सा करने के लिए कुछ नही बचा था. फिर भी मैने अपनी बात रखने के लिए उस से कहा.

मैं बोला “तुम तीनो यहाँ हो तो, फिर अभी अंकल के पास कौन है.”

अमि बोली “अभी अंकल के पास कमाल भैया और अतुल भैया (मेहुल का दोस्त) है. मेहुल भैया ने ही अतुल भैया को अंकल के पास घर भेजा है.”

अमि की बात सुनकर, मैने उसे चंदा मौसी के पास जाने को कहा और मैं मेहुल की तरफ देखने लगा. मेहुल ने इस बात पर सफाई देते हुए कहा.

मेहुल बोला “मैं ये बात तुझे बताने ही वाला था. मगर तू उस समय किसी से फोन पर बात करने मे लगा था. उसके बाद ये बात मेरे दिमाग़ से ही निकल गयी.”

इतना कह कर, वो मुझसे पिछा छुड़ाने के लिए अमि निमी के पिछे पिछे चंदा मौसी के पास चला गया. मैं उसकी इस हरकत को अच्छी तरह से समझ गया था. इसलिए उसकी इस हरकत पर मुस्कुराए बिना ना रह सका.

असल मे शिल्पा अभी एक बार भी चंदा मौसी से मिलने नही आई थी. इसलिए मेहुल ने अमि निमी के बहाने से शिल्पा को हॉस्पिटल बुलाया था. उसने घर मे मुझे अमि निमी को हॉस्पिटल आने से मना करते भी देख लिया था.

जिस वजह से उसे इस बात का डर भी लगा हुआ था कि, कहीं मैं अमि निमी के हॉस्पिटल आने की बात सुनकर, उन्हे हॉस्पिटल आने से मना ना कर दूं. इसलिए उसने अमि निमी के शिल्पा के साथ, यहाँ आने की बात मुझे नही बताई थी.

वो ज़रूरत से बहुत ज़्यादा तेज भाग रहा था और इस तेज़ी मे वो ये तक भूल गया था कि, शिल्पा के बारे मे वाणी दीदी सब कुछ जानती है. अभी वो बहुत सी बातों मे उलझी होने की वजह से इस बात को ठंडे बस्ते मे डाल कर चली गयी है.

लेकिन यहाँ ना होते हुए भी, उनकी बहुत सी आँखें यहाँ लगी हुई है और उन्हे यहाँ की पल पल की खबर मिल रही है. जब वो मुंबई से यहाँ वापस आएगी तो, इसकी ये सारी हरकतें, इसके साथ साथ पता नही किस किस को ले डुबेगी.

मैं अभी इन्ही सब बातों मे खोया हुआ था कि, तभी रिचा आंटी फोन पर बात करते हुए बाहर आई. उन्हो ने मेरे पास आकर मुझे बताया कि, वाणी दीदी का फोन है. मेरे हेलो कहते ही, वाणी दीदी ने कहा.

वाणी दीदी बोली “तुम्हारे लिए एक अच्छी खबर है. अब तुम किसी भी समय यहाँ आ सकते हो. तुम फ़ौरन अपने यहाँ आने की तैयारी कर लो.”

वाणी दीदी की ये बात सुनते ही, मेरे चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गयी और मैने धड़कते दिल से उन से कहा.

मैं बोला “दीदी, मेरी वहाँ आने की सारी तैयारी है. लेकिन क्या पद्‍मिनी आंटी की लड़की का पता चल गया है.”

वाणी दीदी बोली “हां, उसका भी पता चल गया है. तुम यहाँ आ जाओ, तुम्हे भी सब पता चल जाएगा. तुम 8 बजे से 10:30 बजे तक की, जिस भी फ्लाइट से यहाँ आना चाहो, उस से आ सकते हो.”

“मैं अभी माणिक को कॉल कर देती हूँ. वो कुछ ही देर मे तुम्हारे पास पहुच जाएगा. तुम उस से जिस फ्लाइट का बोलॉगे, वो उस फ्लाइट से तुम्हारे यहा आने का इंतेजाम कर देगा.”

इसके बाद, वाणी दीदी ने मुझे कुछ ज़रूरी बातें समझा कर, कॉल रख दिया. उनके कॉल रखने के बाद, मैने सारी बातें रिचा आंटी को बताई तो, उन्हो ने कहा.

रिचा आंटी बोली “हां, वाणी मुझे ये सब बातें बता चुकी है. मैने अमि निमी की भी वाणी से बात करवा दी थी. वरना वो फिर से कोई नया नाटक सुरू कर देती.”

रिचा आंटी की ये बात सुनकर, मेरी हँसी छूट गयी. फिर उनके साथ चंदा मौसी से मिलने आ गया. मैने उन से अपने और अमि निमी के मुंबई जाने की बात बताई तो, उन्हो ने बड़े प्यार से मुझे आशीर्वाद दिया.

मेरी चंदा मौसी से बात चल ही रही थी कि, तभी माणिक आ गया. उसने मुझसे फ्लाइट का पुछा तो, मैने उस से 9:30 बजे की फ्लाइट का जता दिया. उसने हम लोगों से एरपोर्ट पर मिलने की बात कही और वो चला गया.

उसके जाते ही, हम चंदा मौसी, रिचा आंटी और बुआ जी से इजाज़त लेकर, मेहुल के घर के लिए निकल पड़े. शिल्पा भी हमारे साथ ही घर वापस जा रही थी. मैने ये बात बताने के लिए, अनु मौसी को कॉल लगा दिया.

लेकिन छोटी माँ ने अनु मौसी को कॉल करके ये बात पहले ही बता दी थी और अब वो मेहुल के घर मे हमारे आने का इंतजार कर रही थी. कुछ ही देर मे हम लोग मेहुल के पहुच गये.

हमे वहाँ अनु मौसी और अंकल से मिलकर सीधे एरपोर्ट के लिए निकलना था. मगर वहाँ खाना लगा देख कर, हम सब चौक गये. हमे हैरान देख कर, अनु मौसी ने टोकते हुए कहा.

अनु मौसी बोली “ज़्यादा चौकने की ज़रूरत नही है. तुम सबको तो देर से खाना खाने की आदत है. लेकिन मैं अमि निमी को खाना खाए बिना यहाँ से नही निकलने दूँगी. इसलिए इनके साथ तुम सबको भी खाना खाना पड़ेगा.”

अनु मौसी की ये बात सुनकर, मेरी आँखों मे कीर्ति का चेहरा आ गया. उसने भी छोटी माँ को बिना खाना खाए, घर से नही निकलने दिया था. मैने अमि निमी से खाना खाने को कहा और मैं भी उनके साथ खाने के लिए बैठ गया.

वैसे तो जब से मैने प्रिया की तबीयत का सुना था, एक नीवाला भी मेरे गले से नही उतरता था. मगर अपनी दोनो बहनो की खुशी के लिए मुझे उनके साथ खाने के लिए बैठना ही पड़ता था.

लेकिन आज अनु मौसी के प्यार ने मुझे खाने के लिए बैठने पर मजबूर कर दिया था. हम सबने एक साथ मिल कर खाना खाया. खाने के बाद, अंकल और अनु मौसी से इजाज़त लेकर, हम एरपोर्ट के लिए निकल पड़े.

हम 9 बजे एरपोर्ट पहुचे. लेकिन माणिक के वहाँ होने से, हमे एरपोर्ट मे कहीं कोई परेशानी नही हुई. कुछ ही देर मे हमारी फ्लाइट की घोषणा भी हो गयी और हम मेहुल से विदा लेकर फ्लाइट की तरफ बढ़ गये.

कुछ ही देर बाद, मैं अमि निमी के साथ प्लेन मे था. अमि निमी का प्लेन मे सफ़र करने का ये पहला मौका था. इसलिए दोनो इस सफ़र को लेकर बहुत ही ज़्यादा उत्साहित नज़र आ रही थी.

हमारी फ्लाइट के उड़ान भरते ही अमि निमी का जोश दुगना हो गया. वो विमान की खिड़की से विमान को धरती से उपर जाते देख रही थी. विमान के उपर जाने से छोटे छोटे मकानो को देख कर निमी शोर मचाने लगी.

मैं निमी को शोर मचाने से मना कर रहा था. लेकिन वो भी अपनी आदत से मजबूर कुछ देर चुप रहने के बाद, फिर से शोर मचाने लगती थी. कुछ देर तक ऐसे ही चलता रहा.

लेकिन कुछ देर बाद, निमी अचानक ही चुप हो गयी और अपने दोनो हाथों से अपने कानो को मसल्ने लगी. फिर अचानक ही उसने रोना सुरू कर दिया और रोते हुए कहा.

निमी बोली “भैया, मेरे कान सुन्न हो गये. मेरे कान खराब हो गये है.”

निमी की बात सुनकर, अमि ने भी उसकी हां मे हां मिलाते हुए कहा.

अमि बोली “भैया, मेरे कान भी सुन्न हो गये है. मुझे भी काम सुनाई दे रहा है.”

उनकी बात सुनकर, मैने उन्हे समझाते हुए कहा.

मैं बोला “छोटी, तुम दोनो बेकार मे डर रही हो. हम हमारा प्लेन अब आसमान मे है और हवा का दबाव कम होने की वजह से ऐसा हो रहा है. तुम्हारे कान को कुछ भी नही हुआ है. वो बिल्कुल सही है.”

मेरी बात सुनकर, दोनो ने राहत की साँस ली और फिर से प्लेन के बाहर देखने लगी. अमि निमी की छोटी मोटी शरारतों के बीच हमारा मुंबई तक का सफ़र पूरा हो गया और 12 बजे फ्लाइट ने उड़ान भरना बंद कर दिया.

मैं अमि निमी के साथ प्लेन से नीचे उतर आया. वाणी दीदी ने कहा था कि, वो हमे लेने आएगी. इसलिए मैं उनको देखते हुए, वेटिंग लाउंज की तरफ बढ़ गया. वेटिंग लाउंज मे हमे वाणी दीदी, कीर्ति और बरखा दीदी नज़र आ गयी.

उनको देखते ही, निमी ने कीर्ति की तरफ दौड़ लगा दी. मैं और अमि भी जल्दी से उनके पास पहुच गये. वाणी दीदी ने मुझे अपने गले से लगा लिया और फिर मेरे बालों पर हाथ फेर कर मेरा स्वागत करने लगी.

बरखा दीदी ने भी मुस्कुराते हुए मेरा स्वागत किया. कीर्ति भी मुझे देख कर, बहुत खुश नज़र आ रही थी. लेकिन मैं उस से नाराज़गी वजह से उस की तरफ देख भी नही रहा था.

कुछ ही देर मे हम एरपोर्ट से बाहर आ गये. बरखा दीदी, कीर्ति और अमि निमी गाड़ी मे पिछे बैठ गयी और मैं वाणी दीदी के साथ गाड़ी मे आगे बैठ गया. लेकिन अब कीर्ति मुझे गुस्से मे देख रही थी.

इसी सबके बीच हम लोग हॉस्पिटल पहुच गये. मेरे मुंबई आने की खबर सबको हो चुकी थी. इसलिए इतनी रात हो जाने के बाद भी, अभी तक सभी लोग हॉस्पिटल मे ही रुके हुए थे.

हॉस्पिटल मे इस समय छोटी माँ, अलका आंटी, शिखा दीदी, निशा भाभी, अजय, अमन, सीरू दीदी, निक्की, आकाश अंकल, पद्‍मिनी आंटी, मोहिनी आंटी, राज, रिया, नितिका और नेहा मौजूद थे.

छोटी माँ ने मुझे देखते ही अपने गले से लगा लिया. अमि निमी भी आकर छोटी माँ से लिपट गयी. छोटी माँ से मिलने के बाद, मैं शिखा दीदी से मिला. उन्हो ने भी मुझे अपने गले से लगा लिया.

मुझे अपने सामने सही सलामत देख कर, उनकी आँखों से खुशी के आँसू छलक निकल आए. मैने उनके आँसू पोन्छ्ते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी, अब तो आपने देख लिया ना कि, मैं बिल्कुल सही सलामत हूँ. अब आप बिल्कुल भी आँसू नही बहाएगी. मुझसे तो आपने बहुत लाड कर लिया. अब अपना थोड़ा सा लाड, मेरी दो नन्ही शैतानो के लिए बचा कर रख लीजिए.”

ये कहते हुए मैने अमि निमी को अपने पास बुलाया और उन्हे शिखा दीदी से मिलने लगा. अमि निमी को शिखा दीदी के पास छोड़ कर, मैं पद्‍मिनी आंटी के पास आ गया. प्रिया की वजह से उनकी आँखें आँसुओं से भरी हुई थी.

उन्हे दिलासा देने के बाद मैं आकाश अंकल और राज, रिया से मिला. उन से मिलने के बाद, मैं अजय और अमन से मिला. फिर सीरू दीदी से मिलने के बाद, मैं निक्की के पास आ गया. निक्की अभी भी मुझसे नाराज़ लग रही थी.

मैं उसकी नाराज़गी को दूर करना चाहता था. मगर उसके लिए ये समय सही नही था. इसलिए मैने निक्की से प्रिया का हाल पुछ्ते हुए कहा.

मैं बोला “प्रिया अब कैसी है. क्या मैं अभी प्रिया से मिल सकता हूँ.”

निक्की बोली “हां तुम प्रिया से मिल सकते हो. तुम चल कर खुद अपनी आँखों से देख लो कि, वो कैसी है.”

ये कहते हुए, उसने मुझे अपने साथ चलने का इशारा किया. मैं निक्की के साथ प्रिया के पास जाने लगा. हमे प्रिया के पास जाते देख कर, निशा भाभी रिया और कीर्ति भी हमारे पिछे आने लगी.

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09-11-2020, 11:59 AM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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प्रिया के रूम की तरफ बढ़ते हर कदम के साथ साथ, मेरे दिल की धड़कने भी तेज़ी से बढ़ रही थी. मैं अभी प्रिया के कमरे के पास पहुचा ही था कि, तभी मेरा मोबाइल बजने लगा.

मैने मोबाइल निकाल कर देखा तो, अनु मौसी का कॉल आ रहा था. मैने सबको ये बात बताई और सबसे अंदर चलने को कह कर, मैं मौसी से बात करने के लिए बाहर ही रुक गया.

मेरी बात सुनकर, सब अंदर चले गये. मगर कीर्ति मेरे पास ही खड़ी थी. मैने उसकी तरफ देखा तो, वो यहाँ वहाँ नज़र घुमा कर देखने लगी. मैने उसकी इस हरकत को अनदेखा करते हुए, मौसी का कॉल उठा कर कहा.

मैं बोला “हेलो मौसी.”

अनु मौसी बोली “तुम सब अच्छे से पहुच गये हो ना. वाणी तुमको लेने समय पर पहुच गयी थी ना.”

मैं बोला “जी मौसी, हम सब यहाँ पहुच गये है. वाणी दीदी भी हमे लेने समय पर आ गयी थी और अभी हम सबके साथ, यहा हॉस्पिटल मे है.”

मौसी बोली “तू प्रिया से मिला कि नही, अब प्रिया की तबीयत कैसी है.”

मैं बोला “नही मौसी, अभी मैं प्रिया से नही मिला हूँ. मैं उस से मिलने जा ही रहा था कि, तभी आपका कॉल आ गया. मैं अभी प्रिया के कमरे के बाहर ही खड़ा हूँ.”

मौसी बोली “चल ठीक है, तू प्रिया से मिल ले. मैने सिर्फ़ ये कहने के लिए कॉल किया था की, मैने तुझसे जो कुछ भी कहा है, वो सब तू सुनीता से मत कह देना. सही समय आने पर, वो खुद ही तुझे सारी बातें बता देगी.”

मैं बोला “मौसी, आप ज़रा भी फिकर मत करो. छोटी माँ मुझे कुछ बताए या ना बताए, मैं उनसे कोई सवाल जबाब नही करूँगा और ना उनके सामने आपसे हुई किसी बात का जिकर करूँगा.”

मेरी बात सुनकर, अनु मौसी ने राहत की साँस ली और फिर प्रिया का हाल बताने की कह कर कॉल रख दिया. उनके कॉल रखने के बाद, मैने कीर्ति की तरफ देखा तो, वो बड़े गौर से मेरी और अनु मौसी की बातें सुनने मे लगी थी.

मेरे उसकी तरफ देखते ही, वो फिर से यहाँ वहाँ देखने लगी. उसे समझ मे तो आ गया था कि, मैं उसकी मम्मी से बात कर रहा हूँ. लेकिन मेरा बिगड़ा हुआ मूड देख कर, उसकी मुझसे कुछ पुच्छने की हिम्मत नही हो रही थी.

उसकी इस हरकत पर मुझे हँसी तो, बहुत आ रही थी. लेकिन मैं किसी तरह से अपनी हँसी को रोकते हुए प्रिया के कमरे की तरफ बढ़ गया. मुझे प्रिया के कमरे मे जाते देख कर, कीर्ति भी मेरे पिछे पिछे आने लगी.

सबको बाहर खड़े देख कर, मेरी समझ मे नही आ रहा था कि, इस समय प्रिया के पास कौन है. लेकिन प्रिया के कमरे मे कदम रखते ही, दादा जी को वहाँ देख कर, मेरी ये हैरानी खुद ब खुद दूर हो गयी.

एक नज़र वहाँ खड़े सब लोगों पर डालने के बाद, मैने प्रिया की तरफ देखा तो, वो बेहोशी की हालत मे बेड पर लेटी थी. उसके चेहरे पर अभी भी जमाने भर की मासूमियत तैर रही थी.

उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि, जैसे वो बहुत गहरी नींद मे सो रही हो और अभी उठ कर, हम सब से बातें करने लगेगी. उसके इस मासूम चेहरे को देख कर, मेरे कानो मे उसकी हँसी गूंजने लगी.

मैं अभी प्रिया को देखने मे ही खोया हुआ था कि, तभी दादा जी मेरे पास आ गये. उनकी आँखें आँसुओं से भीगी हुई थी. मेरे पास आते ही, उन्हो ने मेरे गले लगते हुए कहा.

दादा जी बोले “बेटा देखो, हमारी प्रिया को क्या हो गया है. ये कल से आँख तक नही खोल रही है. इस से बोलो ना, हम सब से बात करे.”

दादा जी की बात सुनकर, मेरा दिल भर आया. लेकिन मैने अपने आपको संभालते हुए उन से कहा.

मैं बोला “दादू, आप फिकर मत कीजिए. प्रिया को जल्दी ही होश आ जाएगा. हमारी प्रिया को…………”

लेकिन मैं अपनी बात पूरी भी नही कर पाया था कि, मेरी आँखों के सामने प्रिया का हंसता खिलखिलाता चेहरा आ गया और मेरे कानो मे प्रिया की हँसी गूंजने लगी. जिसके गूंजते ही, मेरा गला रुंध गया.

मुझसे आगे कुछ भी कहते नही बना और प्रिया का चेहरा देख देख कर मेरी आँखों मे नमी छाने लगी. जो लड़की मेरे आने की आहट से ही, मुझे पहचान जाया करती थी. आज उसे मेरे उसके पास आने का कोई अहसास नही था.

जो लड़की मुझसे हमेशा साए की तरह चिपकी रहना चाहती थी, वो आज मुझे आँख खोल कर देख तक नही रही थी. जो लड़की मुझे अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करती थी, वो ही मेरे सामने बेजान पड़ी थी.

मगर मेरे लिए सबसे दर्द देने वाली बात ये थी कि, जो लड़की मेरे सामने बेजान सी पड़ी थी, वो मेरी जुड़वा बहन थी. मैं उसकी खुशी के लिए ना तो कल कुछ कर सका था और ना ही आज उसके लिए कुछ कर पा रहा था.

मेरी इस बेबसी ने मेरी आँखों की नमी को आँसुओं मे बदल दिया. मैं दादा जी को दिलासा देते देते खुद ही उन से लिपट कर रोने लगा. कीर्ति ने मुझे रोते देखा तो, उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मुझे समझाने लगी.

मगर कीर्ति को अपने पास पाकर, मेरी रही सही हिम्मत भी जबाब दे गयी. वो ही तो एक थी, जो मेरे दर्द को अच्छी तरह से समझ सकती थी. उसके सिवा मेरी हालत को समझने वाला कोई नही था.

कीर्ति के समझाने का मेरे उपर कोई असर नही पड़ा और मैं उस से ही लिपट कर रोने लगा. मेरे इस तरह रोने ने कीर्ति की आँखों को भी आँसुओं से भर दिया और उसका मुझे समझाना बंद हो गया.

वो मुझे समझाना चाहते हुए भी, अपने खुद के बहते आँसुओं की वजह से मुझसे कुछ बोल नही पा रही थी. वो अपने होंठों से अपने आँसू पीती जा रही थी और मेरी पीठ पर हाथ फेरते हुए, मुझे शांत करवाने की कोसिस कर रही थी.

निशा भाभी ने जब मुझे इस तरह से रोते देखा तो, वो मेरे पास आ गयी. उन्हो ने प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरा और मुझे हौसला रखने को कहने लगी. उनकी बातों का मेरे उपर असर हुआ और मैं अपने आपको सभालने की कोसिस करने लगा.

अभी वो मुझे हौसला रखने के लिए समझ ही रही थी कि, तभी निक्की ने हम सबको चौकाते हुए कहा.

निक्की बोली “भाभी, भाभी, ये देखिए, प्रिया की आँख से आँसू निकल रहे है.”

निक्की की बात सुनते ही, निशा भाभी मेरे पास से हट कर, प्रिया के पास चली गयी और हम सब की नज़र भी प्रिया के चेहरे पर जाकर जम गयी. प्रिया की आँखों के किनारों से सच मे आँसू की धाराएँ बह रही थी.

ये देखते ही, निशा भाभी को लगा कि, प्रिया को होश आ रहा है. वो प्रिया के गाल थपथपा कर उसे जगाने की कोसिस करने लगी. लेकिन प्रिया के शरीर ने कोई भी हरकत नही की और वो बेहोश ही पड़ी रही.

निशा भाभी ने निक्की से फ़ौरन अमन को बुलाने को कहा और वो खुद निधि दीदी को कॉल करके ये सब बातें बताने लगी. निशा भाभी की बात सुनते ही निक्की ने बाहर की तरफ दौड़ लगा दी.

निशा भाभी ने निधि दीदी से बात करके फोन रखा ही था कि, निक्की के साथ अमन और बाकी लोग भी हमारे पास आ गये. निशा भाभी ने प्रिया के आँसू वाली बात अमन को बताई तो, वो भी प्रिया को देखने लगा.

लेकिन उसे भी प्रिया के शरीर मे कोई हरकत होती नज़र नही आई. मगर प्रिया के आँसुओं ने हम सबके मन मे प्रिया के होश मे आने की एक उम्मीद की किरण ज़रूर जगा दी थी.

कुछ ही देर मे निधि दीदी भी आ गयी. उन्हो ने आकर प्रिया को देखा और उसकी कुछ ज़रूरी जाँच करने के बाद हम सब से कहा.

निधि दीदी बोली “प्रिया की अभी की रिपोर्ट से तो उसकी हालत मे कोई सुधार होता नज़र नही आ रहा है. लेकिन उसके आँसू निकलने से इस बात की उम्मीद ज़रूर जताई जा सकती है कि, वो जल्दी ही होश मे आ सकती है.”

निधि दीदी की इस बात को सुनकर, एक बार फिर हम सब के चेहरे लटक गये. हमारे लटके हुए चेहरे देख कर, अमन ने हमे समझाते हुए कहा.

अमन बोला “अरे आप सब इस तरह निराश क्यो होते है. आप लोगों को शायद मालूम नही कि, एक आक्सिडेंट मे आरू की हालत प्रिया से भी कहीं ज़्यादा खराब हो गयी थी और वो तीन दिन तक होश मे नही आई थी.”

“सबको लग रहा था कि, आरू कोमा मे चली जाएगी. लेकिन मैने उम्मीद नही छोड़ी थी और मैं घंटों आरू के पास बैठ कर बातें किया करता था और ऐसे ही मेरी बातें सुनते सुनते तीसरे दिन आरू को होश आ गया था.”

“अभी भी शायद आप लोगों के बीच चल रही बातों की वजह से ही, प्रिया के आँसू निकल आए. आप लोग यदि अपनी निराशा को छोड़ कर, प्रिया से बातें करते रहेगे तो, उसे जल्दी ही होश आ जाएगा.”

हम सब गौर से अमन की बातें सुन रहे थे. मैं निशा भाभी और अजय से इस बारे मे पहले ही सुन चुका था. इसलिए मुझे अमन की ये बात सही लग रही थी. लेकिन निधि दीदी ने अमन की इस बात को काटते हुए कहा.

निधि दीदी बोली “क्या जीजू, आप एक डॉक्टर होकर भी ये कैसी बातें कर रहे है. अभी प्रिया के दिमाग़ ने पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया है. जिस वजह से वो हमारी किसी बात को सुन और समझ नही सकती है.”

“उसके कानो तक हमारी बातें जाती तो ज़रूर है. लेकिन हमारी बातें उसके कान के पर्दे मे पड़ते ही, किसी काँच की तरह टूट कर बिखर जाती है और उसका दिमाग़ उन बातों को जोड़ नही पाता है.”

“इसलिए हमारे कुछ भी बोलने या करने का उस पर कोई असर नही पड़ेगा और ना ही हमारे कुछ करने से उसका शरीर कोई हरकत करेगा. ये तो अभी किसी सुई की चुभन तक महसूस नही कर सकती.”

ये कहते हुए, निधि दीदी ने एक इंजेक्षन लिया और प्रिया के हाथ मे लगाने लगी. उनके प्रिया को इंजेक्षन लगाने पर भी प्रिया के शरीर मे कोई हरकत नही हुई. प्रिया को इंजेक्षन लगाने के बाद, निधि दीदी ने कहा.

निधि दीदी बोली “आप लोग बिल्कुल भी निराश मत होइए, प्रिया को जल्दी होश आ जाएगा. यदि प्रिया को कल तक होश नही आया तो, परसों हम प्रिया को अपने नये हॉस्पिटल मे शिफ्ट कर देगे.”

“परसों हमारे नये हॉस्पिटल का लोकार्पण (इनॉग्रेषन) है और उसमे मेरे गुरु ड्र. रॉबर्ट भी आ रहे है. ड्र. रॉबर्ट दुनिया के नंबर वन नूरॉलजिस्ट है और उनकी सफलता का प्रतिशत, शत-प्रतिशत (सेंट पर्सेंट) ही रहा है.”

“मेरी उनसे प्रिया के बारे मे चर्चा हो चुकी है और वो खुद भी आकर प्रिया को देखेगे. लेकिन उसके पहले मैं आप सब से प्रिया को लेकर कुछ ज़रूरी बातें करना चाहती हूँ.”

ये कहते हुए निधि दीदी ने हम सब से अपने साथ चलने का इशारा किया और वो प्रिया के कमरे से बाहर निकल गयी. मैने एक नज़र प्रिया की तरफ देखा और फिर सबके साथ साथ मैं भी निधि दीदी के पिछे पिछे जाने लगा.

निधि दीदी हम सबको निशा भाभी के रूम मे लेकर आ गयी. उन्हो ने हम सबको बैठने को कहा और फिर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

निधि दीदी बोली “आप सबको पता है कि, प्रिया दिल की मरीज है और इस हादसे के बाद वो दिमाग़ की मरीज भी बन गयी है. कोमा एक ऐसी बीमारी है, जिसमे मरीज का दिमाग़ सो जाता है और उसके दिल के अलावा बाकी का शरीर काम करना बंद कर देता है.”

“कोमा के मरीज के लिए ये कहना मुश्किल होता है कि, वो कब कोमा से बाहर आएगा. कभी कभी तो कोमा का मरीज जिंदगी भर ही कोमा मे रहता है और कभी कभी ऐसा होता है की, कोमा के मरीज के कोमा से बाहर आ जाने के बाद भी, उसके शरीर के कुछ हिस्से जिंदगी भर काम नही कर पाते.”

“ये सब बातें आपको बताने के पिछे मेरा मकसद आपको डराने या आपसे ये कहने का नही है कि, प्रिया पूरी तरह से ठीक नही हो सकती. बल्कि मैं आपको सिर्फ़ इतना समझाना चाहती हूँ कि, प्रिया के कोमा बाहर आ जाने के बाद भी, उसके दिमाग़ को पूरी तरह से ठीक होने मे एक लंबा समय लग सकता है.”

“प्रिया के दिल की मरीज होने की वजह से उसके लिए कोई भी सदमा पहले ही जान लेवा था. ऐसे मे अब उसके दिमागी तौर पर भी बीमार हो जाने की वजह से उसकी हालत और भी ज़्यादा संगीन हो गयी है.”

“अब कोई भी सदमा उसके दिल और दिमाग़ दोनो पर बहुत ज़्यादा असर करेगा और यदि ऐसी हालत मे उसे पता लगे कि, वो इतने बरसों तक जिस घर मे पली बढ़ी, वो उस घर की बेटी नही है तो, इस बात का उस पर बुरा असर पड़ सकता है.”

“उसे आकाश अंकल की बेटी ना होकर, पुनीत की बहन होने वाली बात का हरगिज़ पता नही चलना चाहिए. हमे उसके कोमा से बाहर आने के बाद भी, उसके सामने वही महॉल बना कर रखना होगा, जो उसके कोमा मे जाने से पहले था.”

“यदि उसे भूले से भी इस बात की भनक लग गयी और वो फिर से कोमा मे चली गयी तो, फिर उसे दोबारा कोमा से बाहर ला पाना हमारे तो क्या, भगवान के बस की भी बात नही होगी.”

इतना बोल कर निधि दीदी चुप हो गयी. लेकिन उनकी ये बात सुनते ही पद्‍मिनी आंटी फफक कर रो पड़ी. उन्हे रोते देख कर, छोटी माँ ने उन्हे दिलासा देते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “प्रिया को कुछ नही होगा. वो जल्दी ही ठीक हो जाएगी. वो ठीक हो जाए, इस से ज़्यादा मुझे कुछ नही चाहिए. आपका आज भी प्रिया पर उतना ही हक़ है, जितना आज से पहले था.”

“आप जब तक उसे अपनी बेटी बना कर रखना चाहे, रख सकती है. प्रिया आपके घर की नही, हमारे घर की बेटी है, ये बात मेरे या मेरे घर वालों के मूह से ये बात कभी भी नही निकलेगी.”

“हम इसी बात से संतोष कर लेगे कि, हमारी बेटी सही सलामत है और एक ऐसे परिवार मे है, जहाँ उसे अपने घर से भी ज़्यादा प्यार मिल रहा है. फिर भी उसे हमारे घर की हर चीज़ पर उतना ही अधिकार रहेगा, जितना कि पुन्नू को है.”

इतना बोल कर छोटी माँ चुप हो गयी. लेकिन उनके मूह से प्रिया के पद्‍मिनी आंटी की बेटी बनकर ही रहने की बात सुनकर, पद्‍मिनी आंटी के साथ साथ आकाश अंकल की आँखों से आँसू आ गये.

वो प्रिया से कितना प्यार करते थे, ये बात मुझसे छुपि नही थी. मैने उन्हे सबसे ज़्यादा प्रिया से ही लाड़ करते देखा था. ऐसे मे प्रिया के उनसे दूर होने की बात से उनके दिल पर क्या गुज़री होगी, ये तो उनके सिवा कोई नही जान सकता था.

लेकिन इस समय उनके चेहरे पर जो खुशी झलक रही थी. वो हम सबको ज़रूर दिखाई दे रही थी. लेकिन ये हाल सिर्फ़ पद्‍मिनी आंटी और आकाश अंकल बस का नही था, बल्कि राज और रिया का भी कुछ ऐसा ही हाल था.

उन्हो ने भी जब छोटी माँ के मूह से ये बात सुनी तो, उनकी आँखों मे भी आँसू झिलमिलाने लगे और दोनो उठ कर, छोटी माँ के पास आ गये. रिया आकर छोटी माँ से लिपट गयी और राज ने झुक कर, छोटी माँ के पैर पकड़ लिए.

छोटी माँ ने राज को अपने पैरों से उठाया और रिया के साथ साथ उसे भी अपने गले से लगा लिया. रिया ने छोटी माँ को अपनी बाहों मे ज़ोर से जकड़ते हुए कहा.

रिया बोली “आंटी, हमने जितना सोचा था, आप तो उस से भी ज़्यादा महान है. आपने एक पल मे ही हमारे घर की सारी रौनक, सारी खुशियाँ हमे वापस कर दी.”

राज और रिया दोनो छोटी माँ से लिपटे हुए थे और उनकी आँखों से खुशी के आँसू बह रह थे. ये नज़ारा देख कर, हम सबकी आँखें भी नम हो गयी. वहीं छोटी माँ ने रिया की बात पर समझाते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “नही बेटी, मैने कोई महान काम नही किया. मैं भी एक माँ हूँ और एक माँ के दर्द को अच्छी तरह से समझ सकती हू. पुन्नू को मैने निमी की उमर से पाला है और आज मेरी खुद की दो बेटियाँ है.”

“इसके बाद भी यदि आज कोई मुझे पुन्नू से अलग कर दे तो, मेरी जान ही निकल जाएगी. फिर तुम्हारी माँ ने तो प्रिया के जनम के बाद से ही, उसे अपना दूध पिला कर पाला है. उनके लिए तो प्रिया को छोड़ पाना और भी ज़्यादा मुश्किल काम है.”

“आज जिसे तुम मेरी महानता कह रही हो. कल यही बात जब लोगों को पता चलेगी तो, वो ये ही कहेगे कि, मेरी खुद की दो बेटियाँ थी, इसलिए मैने पुन्नू की सग़ी बहन को उस से दूर कर दिया. क्योकि मैं एक सौतेली……”

अभी छोटी माँ अपनी बात पूरी भी नही कर पाई थी कि, मैने फ़ौरन ही उनकी बात को बीच मे ही काट कर, गुस्से मे भड़कते हुए कहा.

मैं बोला “छोटी माँ, कौन लोग, कैसे लोग, आप लोगों के कुछ कहने की परवाह मत कीजिए. मैं मानता हूँ कि, आपने जो फ़ैसला लिया है. बिल्कुल सही फ़ैसला लिया है. मैं आपके इस फ़ैसले के साथ हूँ.”

“लेकिन अपने मूह से दोबारा कभी भी इस बात को मत निकलने देना कि, आप मेरी सौतेली माँ है. आप सिर्फ़ मेरी माँ है. मेरे लिए आपसे बढ़ कर, दुनिया मे ना तो कोई था, ना ही कोई है और ना ही कभी कोई होगा.”

मेरी बात सुनकर, छोटी माँ के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और बाकी सब भी हँसे बिना ना रह सके. वहीं जब वाणी दीदी ने मुझे ये कहते सुना तो, प्यार से मेरे सर के पिछे चपत लगा दी.

लेकिन वाणी दीदी की ये प्यार से लगाई चपत भी इतनी जोरदार थी कि, मैं अपने सर के पिछे हाथ फेरने लगा और सब वाणी दीदी को गौर से देखने लगे. वाणी दीदी को भी अपनी इस ग़लती का अहसास हुआ और उन्हो ने बात को संभालते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “ये पहले से बहुत समझदार हो गया है. लेकिन गुस्सा अभी भी इसकी नाक पर ही बैठा रहता है. पता नही इसकी ये ज़रा ज़रा सी बात पर गुस्सा करने की आदत कब जाएगी.”

वाणी दीदी की बात सुनकर, एक बार फिर सबकी हँसी छूट गयी. अब जब हँसी मज़ाक चल रहा हो और सीरू दीदी चुप रह जाए. ऐसा कैसे हो सकता था. उन्हो ने वाणी दीदी की बात सुनते ही, फ़ौरन सबको अपनी उपस्तिथि का अहसास कराते हुए कहा.

सीरत बोली “यदि इसके गुस्सा करने के बाद, आप इसे ऐसी ही प्यार भरी चपत लगाती रही तो, मुझे उम्मीद है कि, इसका गुस्सा जाना तो दूर की बात है, आना भी भूल जाएगा.”

सीरू दीदी की बात सुनकर, एक बार फिर सबके क़हक़हे गूँज गये. अब सबके चेहरो पर मुस्कुराहट नज़र आ रही थी. लेकिन नेहा किसी गहरी सोच मे पड़ी हुई थी. वाणी दीदी नेहा को किसी सोच मे पड़ा देखा तो, सबका ध्यान अपनी तरफ खिचते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “हमने इस बात का फ़ैसला तो कर लिया कि, प्रिया अभी पद्‍मिनी आंटी के पास ही रहेगी. लेकिन किसी ने ये नही सोचा कि, नेहा तो पद्‍मिनी आंटी की बेटी है और अब उनके साथ ही रहेगी.”

“अब यदि नेहा पद्‍मिनी आंटी के साथ रहेगी तो, हमे प्रिया को नेहा के बारे मे कुछ तो बताना ही पड़ेगा कि, वो अब उसके घर मे किस हैसियत से रह रह रही है. ये बात तो हम प्रिया से छुपा कर रख नही सकते.”

वाणी दीदी के मूह से नेहा के पद्‍मिनी आंटी की असली बेटी होने की बात सुनकर मुझे एक झटका सा लगा. क्योकि अभी तक मैं पद्‍मिनी आंटी की असली बेटी कौन है, इस बात से पूरी तरह से अंजान था.

लेकिन नेहा के पद्‍मिनी आंटी की बेटी होने की बात पता चलते ही, मुझे ये बात भी समझ मे आ गयी कि, दुर्जन ही वो आदमी था, जो प्रिया को बचपन मे लेकर भागा था. मगर उसने ऐसा क्यो किया था, ये बात अभी भी मेरे लिए एक राज़ ही थी.

मैं अभी इसी सोच मे खोया हुआ था कि, तभी वाणी दीदी की बात सुनते ही, राज ने तपाक से कहा.

राज बोला “दीदी, इसमे परेशानी वाली कोई बात नही है. नेहा और प्रिया दोनो ही हमारी बहन है. हम पुन्नू की जगह नेहा को प्रिया की जुड़वा बहन बता देगे और बाकी की कहानी वो ही बता सकते है, जो अभी है.”

राज की ये बात सभी को सही लगी और सबने इस बात पर अपनी सहमति दे दी. इस बात को सुनते ही, नेहा के चेहरे पर भी खुशी झलकने लगी. आख़िर उस घर की असली बेटी तो, वो ही थी और उसको अनदेखा किए जाने से उसका परेशान होना भी ग़लत नही था.

लेकिन वाणी दीदी की समझदारी ने उसके मन के इस डर को भी अलग कर दिया था और अब सब खुश नज़र आ रहे थे. लेकिन अब नेहा के पद्‍मिनी आंटी की बेटी होने की बात ने मेरे मन मे बहुत सारे सवाल पैदा कर दिए थे.
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जिनके जबाब छोटी माँ, वाणी दीदी, कीर्ति या निक्की मे से ही कोई दे सकता था. मगर छोटी माँ से मुझे कुछ पुच्छना नही था और वाणी दीदी से कुछ पुच्छने की मेरे अंदर हिम्मत नही थी.

मैं सिर्फ़ कीर्ति और निक्की से ही कुछ पुच्छ सकता था. लेकिन इस समय अपनी नाराज़गी के चलते, मैं कीर्ति से बात करना नही चाहता था. जबकि निक्की अपनी नाराज़गी के चलते, मुझसे बात नही कर रही थी.

मैं अभी इसी सोच मे खोया हुआ था कि, तभी सबके क़हक़हे सुनकर, मैं अपनी सोच से बाहर निकल आया और ये देखने लगा कि, अचानक सब हँसने क्यो लगे है. सबकी नज़र अमन और निशा भाभी पर टिकी हुई थी.

मुझे इतना तो समझ मे आ गया था कि, सब इन्ही की वजह से हंस रहे है. लेकिन ये समझ मे नही आया कि, आख़िर हुआ क्या है. जब मेरी कुछ समझ मे नही आया तो, मैने मेरे बगल मे बैठी बरखा दीदी से कहा.

मैं बोला “दीदी, क्या हुआ.? सब लोग अमन और निशा भाभी को देख कर, हंस क्यो रहे है.”

मेरी बात सुनकर, बरखा दीदी ने मुझे हैरानी से देखते हुए कहा.

बरखा दीदी बोली “तुम यहाँ बैठे बैठे सो रहे हो क्या, जो तुमको नही मालूम नही कि, यहाँ पर अभी क्या हुआ है.”

बरखा दीदी की बात सुनकर, मैने थोड़ा शर्मिंदा सा होते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी, मैं किसी सोच मे खोया हुआ था. इसलिए मेरा ध्यान यहाँ की बातों पर नही था.”

मेरी बात सुनकर, बरखा दीदी ने हंसते हुए कहा.

बरखा दीदी बोली “जैसा अभी तुम्हारा हाल है, वैसा ही अमन जीजू का भी हाल था. निधि दीदी उनसे कुछ पुच्छ रही थी. मगर वो बस एक-टक वाणी दीदी को देखने मे खोए हुए थे.”

“जब निधि दीदी के दो तीन बार पुच्छने पर भी उन ने कोई जबाब नही दिया तो, निशा भाभी ने उन्हे ज़ोर से कोहनी मारी और वो हड़बड़ा कर, यहाँ वहाँ सबको देखने लगे. बस इसी वजह से हम सबको हँसी आ गयी.”

बरखा दीदी की बात सुनकर, मैं भी अमन और निशा भाभी की तरफ देखने लगा. निशा भाभी धीरे धीरे उन्हे खरी खोटी सुना रही थी और अमन उनको अपनी सफाई देने की कोसिस कर रहा था.

अमन की बात सुनने के बाद, निशा भाभी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और उन्हो ने मुस्कुराते हुए, वाणी दीदी से कहा.

निशा भाभी बोली “वाणी, तुम अपने जीजू का इस तरह से तुमको घूर्ने का कोई ग़लत मतलब मत निकाल लेना. असल मे तुम्हारे जीजू एक प्लास्टिक आंड कॉसमेटिक सर्जन्स है और इन्हे लोगों के चेहरे की सुंदरता ज़्यादा प्रभावित करती है.”

“इन्हो ने खालिद भाई से सुना था कि, वाणी एक बहुत ख़तरनाक सीआइडी ऑफीसर है. इनको लगा था कि, वाणी कोई बहुत सख़्त मिज़ाज की कठोर चेहरे वाली लड़की होगी. लेकिन तुम तो देखने मे बहुत सुंदर और बहुत नाज़ुक लगती हो.”

“तुमको देख कर, इन्हे यकीन नही हो रहा है कि, एक छुयि मुई और नाज़ुक सी दिखने वाली लड़की, ख़तरनाक से भी ख़तरनाक मुजरिम के छक्के छुड़ा देती है. ये इसी सोच मे गुम थे कि, तुम इतना सब कुछ बिना किसी डर के कैसे कर लेती हो.

निशा भाभी की बात सुनकर हम सबकी हँसी छूट गयी. वहीं वाणी दीदी ने मुस्कुरा कर, अमन की तरफ देखते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “ऐसा नही है. सबकी तरह मुझे भी डर लगता है. मगर मुझे किसी मुजरिम का नही, बल्कि इस बात का डर लगता है कि, मेरे हाथ से कभी कोई मासूम या बेगुनाह ना मारा जाए.”

वाणी दीदी की ये बात सुनते ही, नेहा ने पहली बार अपना मूह खोलते हुए कहा.

नेहा बोली “दीदी, मेरे बाबा बेगुनाह है. मैं मानती हूँ कि, उन्हो ने मुझे मेरे माता पिता से दूर कर दिया था. लेकिन उन्हो ने मेरी परवरिश मे कभी कोई कमी नही की है और मुझे बड़े लाड प्यार से पाला है.”

“यहाँ तक कि, ग़रीबी के महॉल मे रहने के बाद भी, उन्हो ने मुझे बड़े से बड़े स्कूल मे पढ़ाया और मेरी हर छोटी बड़ी ख्वाहिश को पूरा किया है. उन्हो ने एक पल के लिए भी मुझे अहसास नही होने दिया कि, मैं उनकी बेटी नही हूँ.”

“फिर भला मेरे बाबा गुनहगार कैसे हो सकते है. आप अलका बुआ और शिखा दीदी से पुच्छ कर देख लीजिए कि, मेरे बाबा कैसे है. इस सबको करने के पिछे ज़रूर उनकी कोई मजबूरी रही होगी. वरना मेरे बाबा इतना बुरा काम कभी नही करते.”

ये कहते कहते नेहा की आँखें आँसुओं से भीग गयी. उसकी भीगी आँखों को देख कर ही पता चल रहा था कि, वो दुर्जन से कितना ज़्यादा प्यार करती है. उसे रोते देख कर, वाणी दीदी उसके पास आई और उसे समझाते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “मुझे किसी से कुछ पुछ्ने की ज़रूरत नही है. तुम्हे सही सलामत देख कर ही, मुझे समझ मे आ गया कि, उन्हो ने तुम्हारे साथ कुछ भी बुरा नही किया है.”

“लेकिन तुम ये बात क्यो भूलती हो कि, उन की वजह से एक माँ ने अपनी बच्ची के लिए तड़प तड़प कर जान दे दी और तुम्हे अपनी माँ के होते हुए भी, उसकी छाती से लग कर दूध पीना नसीब नही हुआ. तुम जिंदगी भर माँ के प्यार के लिए तरसती रही.”

“एक बच्चे को उसकी माँ से दूर करना, सिर्फ़ क़ानून ही नही, बल्कि इंसानियत की नज़र मे भी गुनाह है. फिर ये भी तो देखो कि, उन ने पुन्नू के उपर भी जान लेवा हमला करवाया है.”

मगर नेहा पर वाणी दीदी की इस समझाइश का कोई असर नही हुआ. उसने फिर दुर्जन का बचाव करते हुए कहा.

नेहा बोली “दीदी, मैं नही जानती, मेरे बाबा ने ऐसा क्यो किया. मैं बस इतना जानती हूँ कि, जब से होश संभाला है. तब से मैने मेरे बाबा को कभी कोई ग़लत काम करते नही देखा.”

“ये भी तो हो सकता है कि, आप सबको कोई ग़लतफहमी हो रही हो. मेरे बाबा ने ऐसा कुछ किया ही ना हो और उनको फसाने की कोसिस की जा रही हो. मेरे बाबा कभी ऐसा काम कर ही नही सकते.”

“वो बेचारे अभी बहुत बीमार चल रहे है. उन्हे अभी इलाज की बहुत ज़रूरत है. यदि मेरे बाबा को कुछ हो गया तो, मैं उनके बिना जी नही पाउन्गी.”

इतना कह कर, नेहा फिर बिलख कर रोने लगी. उसे इस तरह से दुर्जन के लिए रोता देख कर, मुझे भी उसके उपर तरस आने लगा और अब मेरा दिल भी यही चाह रहा था कि, दुर्जन को उसके किए की, सज़ा ना दी जाए.

वहीं नेहा को रोते देख कर, शिखा दीदी और अलका आंटी उसके पास आ गयी. शिखा दीदी नेहा को चुप करवाने लगी और अलका आंटी ने नेहा के सर पर हाथ फेरते हुए वाणी दीदी से कहा.

अलका आंटी बोली “वाणी बेटा, नेहा ठीक कह रही है. दुर्जन भैया पहले चाहे जो रहे हो और पहले उन्हो ने चाहे जो किया हो. लेकिन अब वो वैसे बिल्कुल भी नही है. वो पूरी तरह से बदल चुके है.”

“किसी समय वो मंबई के माने हुए गुंडे हुआ करते थे. लेकिन जैसे जैसे नेहा बड़ी होती गयी. उनके अंदर का बुरा इंसान मरता गया और उसकी जगह एक बाप ने ले ली. उन्हो ने नेहा की देख भाल बिल्कुल सगे बाप की तरह की है.”

“मैने नेहा को अपने इन्ही हाथों ने पाला है. मुझसे इस बच्ची का दुख देखा नही जा रहा है. तुम से यदि हो सके तो, दुर्जन भैया को छोड़ दो. पुन्नू मेरा भी बेटा है और मैं जबाब्दारी लेती हूँ कि, पुन्नू को उनसे कोई ख़तरा नही होगा.”

अपनी बात कहते कहते अलका आंटी की आँखे भी आँसुओं से भीग चुकी थी. नेहा और अलका आंटी के आँसुओं ने हम सबकी आँखों मे भी नमी ला दी थी. वहीं इस महॉल को देख कर, वाणी दीदी भी कुछ परेशान सी नज़र आने लगी थी.

शायद वो इस बारे मे कुछ सोच रही थी. वाणी दीदी अभी अपनी सोच मे ही खोई हुई थी कि, तभी छोटी माँ ने उनके पास आते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “वाणी बेटा, यदि गुनाह करने वाला गुनहगार है तो, गुनाह करने के लिए मजबूर करने वाला भी उतना ही बड़ा गुनहगार है.”

“यदि गुनाह करने वाले को सज़ा मिल रही है तो, फिर गुनाह करने के लिए मजबूर करने वाले को भी सज़ा मिलनी चाहिए और यदि गुनाह के लिए मजबूर करने वाले को सज़ा नही दी जा रही है तो, फिर गुनाह करने वाले को भी सज़ा नही दी जानी चाहिए.”

छोटी माँ की बात सुनकर, वाणी दीदी फटी फटी आँखों से छोटी माँ को देखने लगी. लेकिन उस समय छोटी माँ के चेहरे पर कोई भाव नही थे. उनका चेहरा बहुत सख़्त सा हो गया था.

मुझे छोटी माँ की ये बात समझ मे नही आई और मैं हैरानी से उनको देखता रह गया. मगर शायद वाणी दीदी उनकी बात का मतलब समझ चुकी थी. उन्हो ने छोटी माँ की इस बात के जबाब मे कहा.

वाणी दीदी बोली “मौसी, मैं आपकी बात को मानती हूँ. लेकिन क़ानून सिर्फ़ सबूतों को मानता है और अभी सारे सबूत उनके खिलाफ है. गौरंगा और मोहिनी आंटी के बयान ही, उनको सज़ा दिलवाने के लिए काफ़ी है.”

वाणी दीदी की ये बात सुनते ही, मोहिनी आंटी ने फ़ौरन ही कहा.

मोहिनी आंटी बोली “यदि सब नही चाहते कि, उनको सज़ा मिले तो, मैं अपना बयान बदलने के लिए तैयार हू. मैं कह दूँगी कि, मुझसे उनको पहचान ने मे ग़लती हो गयी थी.”

मोहिनी आंटी की बात सुनकर, वाणी दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “आंटी सिर्फ़ आपके बयान बदल लेने से कुछ नही होगा. उनके सबसे बड़े गुनाह का गवाह तो गौरंगा है और वो भला अपना बयान क्यो बदलने लगा.”

अभी वाणी दीदी की बात पूरी भी नही हो पाई थी कि, एक आवाज़ ने हम सबको चौका दिया.

आने वाली आवाज़ “गौरंगा क्या, अपुन तो गौरंगा के बाप का भी बयान बदलवा देगा.”

इस आवाज़ को सुनते ही, हम सबने पिछे पलट कर देखा. खालिद भाई अपनी मस्त चाल मे, हमारे पास ही चले आ रहे थे. उनकी नज़र अजय और अमन पर थी और उन्हो ने अपनी उस बात के बाद, अमन लोगों से कहा.

खालिद बोला “मैं वहाँ प्रिया और दादा जी के पास बैठा, तुम लोगों के आने का इंतजार कर रहा था और तुम दोनो चिंदी चोर यहाँ महफ़िल जमा कर बैठे हो.”

ये कहते हुए खालिद भाई अजय और अमन की तरफ बड़े आ रहे थे. लेकिन तभी सीरू दीदी को ना जाने क्या सूझा कि, वो दौड़ कर खालिद भाई के सामने जाकर खड़ी हो गयी और उनसे कहा.

सीरत बोली “भाई जान, अच्छा हुआ आप आ गये. हम यहाँ महफ़िल सज़ा कर नही बैठे है. हम सबको पोलीस ने हिरासत मे ले लिया है.”

सीरू दीदी की बात सुनते ही, खालिद भाई को गुस्सा आ गया. उन्हो ने गुस्से मे आग बाबूला होकर अपनी रेवोल्वेर निकलते हुए कहा.

खालिद बोला “मेरे रहते किसी पोलीस वाले की इतनी औकात नही की, वो तुम लोगों को हाथ भी लगा सके. कौन है वो साला, जिसने तुम लोगों को हिरासत मे लिया है.”

ये कहते हुए खालिद भाई यहाँ वहाँ देखने लगे. वहीं सीरू दीदी ने बड़ी ही मासूमियत से कहा.

सीरत बोली “भाई जान, वो साला नही, साली है.”

ये कहते हुए, सीरू दीदी उनके सामने से हट गयी. सीरू दीदी के उनके सामने से हटते ही, खालिद भाई की नज़र सीधे वाणी दीदी पर पड़ी और उन्हे सीरू दीदी की सारी शरारत समझ मे आ गयी.

उन्हो ने अपनी रेवोल्वेर को वापस जेब मे वापस रखा और सीरू दीदी की तरफ बढ़ने लगे. उन्हे अपनी तरफ बदते देख, सीरू दीदी क़हक़हे लगाते हुए निशा भाभी के पिछे आकर खड़ी हो गयी. खालिद भाई ने सीरू दीदी को घूरते हुए कहा.

खालिद बोला “तूने फिर अपुन को मामू बना दिया.”

सीरू दीदी से इतना कहने के बाद, खालिद भाई वाणी दीदी के पास आए और उनसे कहा.

खालिद बोला “मेडम आप और मुंबई मे, मुझे अभी भी अपनी आँखों पर यकीन नही हो रहा है. आप ने तो कसम खाई थी कि, आप एक सीआइडी ऑफीसर की हैसियत से कभी मुंबई मे कदम नही रखेगी.”

खालिद की ये बात सुनते ही, अमन ने आगे आते हुए खालिद से कहा.

अमन बोला “अबे तू आते ही ये क्या बकवास लेकर बैठ गया. क्या तुझे पता नही है कि, पुनीत इनका भाई है. उसके लिए तो इनको यहाँ आना ही था.”

अमन की बात सुनकर, खालिद भाई ने शर्मिंदा सा होते हुए कहा.

खालिद बोला “सॉरी मेडम, मेरा इरादा आपको चोट पहुचने का नही था. असल मे मुझे आपकी पिच्छली बातें याद आ गयी थी. पुनीत आपका ही नही, मेरा भी भाई है. मैने जब टीवी पर न्यूज़ देखा तो, मेरा भी खून खौल गया था.”

“यदि आपने गौरंगा को नही पकड़ा होता तो, उसकी इस ग़लती के लिए, मैं खुद वहाँ जाकर उसका गेम बजा डालता. आपको यदि उस से कोई बयान दिलवाना है तो, मुझे बताइए. मेरे एक इशारे पर वो कोई भी बयान देने को तैयार हो जाएगा.”

खालिद की बात सुनकर, वाणी दीदी छोटी माँ की तरफ देखने लगी. छोटी माँ ने उन्हे हां मे सर हिला कर, इशारा किया. जिसके बाद, वाणी दीदी ने खालिद से कहा.

वाणी दीदी बोली “नेहा के पिता ने गौरंगा को पुन्नू के नाम की सुपारी दी थी. जिस वजह से उसने पुन्नू पर जान लेवा हमला किया था. इसके जबाब मे मैने गौरंगा के चार साथियों का ख़ात्मा करके, उसके पूरे गिरोह को हिरासत मे ले लिया.”

“गौरंगा के बयान के अनुसार हमने सुपारी देने वाले की तस्वीर बनाई और उसी आधार पर हमने नेहा के पिता को हिरासत मे ले लिया है. लेकिन ये सब चाहते है कि, नेहा के पिता को इसकी सज़ा ना मिले और उनको सुधरने का एक मौका दिया जाए.”

इतना कह कर वाणी दीदी चुप हो गयी. मगर खालिद भाई जैसे डॉन के समझने के लिए इतनी ही बात काफ़ी थी. उन्हो ने वाणी दीदी की इस बात के जबाब मे कहा.

खालिद बोला “मेडम समझिए कि, आपका ये काम हो गया. अपने दिए गये बयान से मुकरना मुजरिमो के लिए कोई नयी बात नही है. पुन्नू पर हमला गौरंगा ने करवाया था तो, अब उसकी सज़ा भी वो या उसका कोई आदमी ही भोगेगा.”

खालिद की ये बात सुनते ही, नेहा के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और वो आकर वाणी दीदी से लिपट गयी. वाणी दीदी ने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “मैं इस सबके सख़्त खिलाफ हूँ. मगर सिर्फ़ तुम्हारी वजह से एक मुजरिम का साथ दे रही हूँ. कल सुबह तक तुम्हारे बाबा तुम्हारे पास होंगे. लेकिन ये अब तुम्हारी जबाब्दारी है कि, तुम अपने बाबा को सही रास्ते पर लेकर आओ.”

वाणी दीदी की बात सुनते ही, नेहा ने चहकते हुए कहा.

नेहा बोली “थॅंक्स दीदी, आप फिकर मत करो. मैं कहूँगी तो, मेरे बाबा आपकी सब बात मानेगे. वो कभी मेरी कोई बात नही काटते है. वो आपको शिकायत का कोई मौका नही देगे.”

नेहा की बात सुनकर, खालिद भाई ने भी दुर्जन की वकालत करते हुए कहा.

खालिद बोला “मेडम, मैं दुर्जन को अच्छी तरफ से जानता हूँ. वो एक बहुत अच्छा और दिलेर इंसान है. पता नही, उसने ऐसा घटिया काम किस खुन्नस मे आकर कर दिया. मैं भी उसे अपनी तरफ से समझाने की कोसिस करूँगा.”

“आपको यदि मेरी पहली वाली बात बुरी लगी हो तो, मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. आप यकीन मानिए, आपको एक सीआइडी ऑफीसर की हैसियत से, एक बार फिर से मुंबई मे देख कर, मुझे सच मे बहुत खुशी हो रही है.”

खालिद भाई की इस बात पर वाणी दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “मैं मुंबई मे ज़रूर हूँ. लेकिन अब मैं एक सीआइडी ऑफीसर नही हूँ. मुंबई आने के पहले ही, मैने अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया था और मेरे अनुरोध पर मेरा इस्तीफ़ा मंजूर भी कर लिया गया है.”

वाणी दीदी की इस बात ने एक-दम से सबको चौका दिया था. नितिका और मोहिनी आंटी के अलावा, सभी से वाणी दीदी को मिले एक दो दिन से ज़्यादा नही हुआ थे. इसके बाद भी इस बात को सुनते ही सबके चेहरे मुरझा गये.

लेकिन इस बात ने सबसे बड़ा झटका मुझे पहुचाया था. क्योकि एक तो उनकी ये नौकरी मेरी वजह से ही गयी थी और दूसरा मुझे उनके सीआइडी ऑफीसर होने से, अपने आप पर बहुत नाज़ था.

मैं उनके कारनामे अपनी स्कूल मे बहुत बढ़ा चढ़ा कर बताया करता था. उनके गौरंगा को पकड़ने के कारनामे ने भी पूरे वेस्ट बंगाल मे तहलका मचा कर रखा कर रखा था और जिस वजह से मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया था.

मुझे उम्मीद थी कि, वो स्कूलगर्ल के रेप-केस को भी चुटकियों मे हल कर देगी. लेकिन उनके इस्तीफ़ा देने की बात ने मेरा सारा घमण्ड चूर चूर करके रख दिया था और इसी गुस्से मे मैं उनको खा जाने वाली नज़रों से घूर कर देख रहा था.

मगर वो मेरी इस हालत से अंजान, ऐसे मुस्कुराए जा रही थी, जैसे कि कुछ हुआ ही ना हो. अचानक ही उनकी नज़र मुझ पर पड़ी और उन्हो ने मुझे इस तरफ से घूरते देखा तो, हंसते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “ये तुम्हे क्या हुआ. तुम ऐसे खा जाने वाली नज़रों से मुझे क्यो देख रहे हो.”

वाणी दीदी की बात को सुनकर, मैं तो खामोश ही रहा. लेकिन अजय ने पहली बार अपना मूह खोलते हुए कहा.

अजय बोला “आपके इस्तीफ़े की बात सुनकर, जब हम लोगों को इतना बड़ा झटका लगा है तो, फिर पुनीत को तो और भी बड़ा झटका लगा होगा. आख़िर आपने ये सब उसी की वजह से ही तो किया है.”

मगर अजय की ये बात सुनकर भी वाणी दीदी के चेहरे पर कोई शिकन नही आई. वो मेरे पास आई और मेरे कंधे पर हाथ रख कर, पहले की तरह ही, मुस्कुराते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “तुम्हे तो मेरे काम की वजह से मैं वाणी नही, सूनामी लगती थी ना. लो अब मैने सूनामी वाला काम छोड़ दिया और अपनी ज़ुबान को भी शिखा की तरह मीठा कर लिया है.”

“अब मेरे ‘आइ लव यू’ बोलने पर तुम्हारे होने वाले जीजू को ना बोलने की हिम्मत भी आ जाएगी और उन्हे शादी के बाद, यूएसए छोड़ कर इंडिया भी नही आना पड़ेगा. अब तो तुम्हारे जीजू की किस्मत खराब नही होगी ना.”

वाणी दीदी ये बात सिर्फ़ मुझे छेड़ने के लिए कह रही थी. लेकिन उनकी इन बातों से समझ मे आ रहा था कि, उन्हो ने मेहुल के घर मे मेरे और कीर्ति के बीच, उनके बारे मे हुई सारी बातें सुन ली थी.

इस बात का अहसास होते ही, मेरा सर शरम से झुक गया और मैने इस बात पर शर्मिंदा होते हुए उनसे कहा.

मैं बोला “दीदी, मैं कीर्ति से वो बातें सिर्फ़ मज़ाक मे कह रहा था और जब आप आई तब मैं जीजू की किस्मत खराब होने की बात नही कह रहा था. मैं कीर्ति से कहने वाला था कि, हमारे जीजू की किस्मत अच्छी है. लेकिन मेरी बात पूरी भी नही हो पाई और आप मेरे सामने आ गयी. जिस वजह से मेरी बात अधूरी रह गयी थी.”

मेरी बात सुनकर, वाणी दीदी ने कहा.

वाणी दीदी बोली “तो अपनी उस बात को अभी सबके सामने पूरा कर लो.”

लेकिन मैं वाणी दीदी की ये बात सुनकर, भी चुप ही खड़ा रहा तो, उन्हो ने फिर से मुझे इस बात को पूरा करने को कहा और उनके साथ साथ सीरू दीदी भी मुझे बात पूरा करने के लिए उकसाने लगी.

क्योकि वाणी दीदी की बातों से शायद वो भी समझ चुकी थी कि, मैं दिल खोल कर वाणी दीदी की बुराई करने मे लगा हुआ था और आगे की बात भी ऐसी ही कुछ निकलेगी. आख़िर मे उनके बार बार कहने पर मैने अपनी उस बात को पूरा करते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी, उस दिन मैं कीर्ति से कहने वाला था कि, हमारे जीजू की किस्मत अच्छी है, जो उनकी शादी हमारी दीदी से हो रही है. उन्हे शादी के बाद, दुनिया मे किसी से भी डर नही लगेगा.”

इतना कह कर मैं रुक गया. मुझे बात पूरी करते ना देख कर, वाणी दीदी ने मुझसे कहा.

वाणी दीदी बोली “आगे बोलो, तुम्हारे जीजू क्यो किसी से डर नही लगेगा.”

मैं बोला “क्योकि………”

लेकिन इसके आगे कहने की मेरी हिम्मत ही नही हो रही थी. मुझे आगे की बात कहने से हिचकते देख कर, सीरू दीदी समझ गयी कि असली बात अब ही आने वाली है. उन्हो ने मेरे पास आकर, मेरा हाथ हिलाते हुए कहा.

सीरत बोली “हां, हां, रुक क्यो गये. तुम तारीफ ही तो कर रहे हो. अब क्योकि के भी आगे बोलो.”

सीरू दीदी की बात सुनकर, मैं उनको घूर्ने लगा. लेकिन वो मुझे छेड़ते हुए बात पूरी करने को कहने लगी. जिसके बाद, मैने अपनी बात को पूरा करते हुए कहा.

मैं बोला “क्योकि आप खुद ही डर का दूसरा नाम हो. शादी के बाद, जीजू आप से ही इतना डर जाएगे कि, उन्हे आपके डर के अलावा कोई डर परेशान नही कर पाएगा.”

मेरी ये बात सुनते वहाँ खड़े सभी लोग हँसने लगे और मैं सर झुका कर खड़ा हो गया. आज पहली बार मैने वाणी दीदी से इतनी मज़ाक भरी बातें की थी. लेकिन अब अंदर ही अंदर मुझे उनसे डर भी लग रहा था.

क्योकि वाणी दीदी इन सब बातों मे वो बहुत सख़्त थी और उन्हे छोटों का बडो का मज़ाक उड़ाना ज़रा भी पसंद नही था. यदि और कोई समय होता तो, इस बात के कहने पर उन्हो ने अभी तक मेरे कान के नीचे एक दो बजा दिए होते.

लेकिन आज अपने इस्तीफ़े की वजह मुझे परेशान देख कर, उन्हो ने मेरा दिल हल्का करने के लिए खुद ही इस बात को छेड़ा था. ताकि मैं उनकी इस बात मे उलझ जाउ और उनके इस्तीफ़े वाली बात मेरे दिमाग़ से निकल जाए.
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मगर उनकी इस कोसिस के बाद भी ये बात मेरे दिमाग़ से नही निकल सकी थी. सबका हँसना रुकते ही, मैने फिर से उसी बात पर वापस आते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी, मैं कोई बच्चा नही हूँ, जो आप मुझे इन बातों से बहलाना चाहती है. यदि आप एक सीआइडी ऑफीसर की हैसियत से मुंबई नही आना चाहती थी तो, आपको यहाँ आना ही नही चाहिए था.”

“आपको मेरी वजह से इस्तीफ़ा देकर मुंबई आने की कोई ज़रूरत नही थी. मुझे आपके सीआइडी ऑफीसर होने का बहुत घमंड था. लेकिन आज आपने इस्तीफ़ा देकर मेरे सारे घमंड को चूर चूर कर दिया.”

मेरी बात सुनकर, वाणी दीदी के चेहरे की मुस्कुराहट गंभीरता मे बदल गयी और उन्हो ने मुझे समझाते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “देखो, मेरे लिए मेरे फ़र्ज़ से बढ़ कर, कुछ भी नही है. मैने अपने हर फ़र्ज़ को पूरी ईमानदारी के साथ निभाया है और अपने फ़र्ज़ को निभाने से कभी पिछे नही हटी.”

“अभी मैने जो भी किया है, वो मेरे परिवार के लिए मेरा फ़र्ज़ था. मेरे इस फ़र्ज़ को निभाने मे मेरी नौकरी एक दीवार बन कर खड़ी थी और मैने उस दीवार को तोड़ दिया. जिसका मुझे ज़रा भी अफ़सोस नही है.”

इतना कहने के बाद, उनके चेहरे पर वापस वही मुस्कान थिरकने लगी. उनकी इस बात मे गहरी सच्चाई थी और इसकी गवाही उनका चेहरा दे रहा था. जिसमे उनकी नौकरी चले जाने के बाद भी, एक शिकन नज़र नही आ रही थी.

उन्हो ने बिना किसी सोच विचार के और बिना किसी को इस बात की खबर लगे, मेरे लिए वो सब कुछ कर दिया था. जिसे लाख बार सोचने के बाद भी, मेरा बाप कभी नही कर सकता था.

मुझे हमेशा से यही लगता था कि, वाणी दीदी सबसे ज़्यादा कीर्ति को प्यार करती है. लेकिन आज उनकी इस बात ने साबित कर दिया था कि, उनके दिल मे मेरे लिए भी कीर्ति से कम प्यार नही है.

शायद उन्हे किसी से अपना प्यार जताना आता ही नही था या फिर उन्हे कभी इस बात की परवाह ही नही रही कि, उनके बारे मे कौन क्या सोचता है. वो बस अपने ही बनाए उसूलों पर चलती रही.

उनकी इतनी ज़्यादा कामयाबी की एक वजह शायद ये भी थी कि, उन्हो ने घर या बाहर किसी की भी बात की कोई परवाह नही की थी. लेकिन मुझे उनकी परवाह हो रही थी और उनके इस कदम से मेरे दिल को ठेस भी पहुचि थी.

शायद वाणी दीदी इस बात को अच्छी तरह से समझ रही थी. इसलिए जब उन्हो ने मुझे अपनी बात सुनने के बाद भी, खामोश देखा तो, फिर से मुझे समझाते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “अब तुम किस सोच मे पड़े हो. क्या तुम ये नही जानते की, मैं शादी करके यूएसए मे बसना चाहती थी. मगर अपनी नौकरी की वजह से ऐसा कर नही पा रही थी. लेकिन अब नौकरी छोड़ देने से मेरी शादी का रास्ता भी सॉफ हो गया है.”

“तुम्हे तो खुश होना चाहिए कि, तुम्हारी वजह से मेरे शादी करने का रास्ता खुल गया है. अब यदि इसके बाद भी तुम्हे मेरी नौकरी जाने का दुख हो रहा है तो, मेरे पास तुम्हारे इस दुख को दूर करने का भी एक रास्ता है.”

वाणी दीदी की ये बात सुनकर, मेरे साथ साथ बाकी सब भी सवालिया नज़रों से वाणी दीदी की तरफ देखने लगे. वाणी दीदी ने हमारी इस हैरानी को दूर करते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “मेरे पास सीआइडी ऑफीसर से भी बड़ी एक नौकरी की पेशकश आई है.सरकार मेरे काम करने के तरीकों से प्रभावित होकर मुझे अंडरकवर एजेंट बनाना चाहती है.”

वाणी दीदी की ये बात सुनकर, सबके मूह खुले के खुले रह गये. किसी की समझ मे नही आ रहा था कि, आख़िर वाणी दीदी क्या बला है. उन्हो ने एक नौकरी को लात मारी तो, उस से बड़ी दूसरी नौकरी खुद ही उनके पास चल कर आ गयी.

मैं भी उनकी इस बात को सुनकर, बस उन्हे देखता रह गया. उन्हो ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “अब तुम खुद ही फ़ैसला ले लो कि, मुझे अब शादी कर लेना चाहिए या फिर अभी भी ये ही सब काम करते रहना चाहिए.”

वाणी दीदी की इस बात को सुनकर, सबके चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गयी. क्योकि अब वो दोनो मे से चाहे कोई भी काम करती बात खुशी की ही थी. लेकिन उनकी इस बात ने मुझे उलझन मे डाल दिया था.

क्योकि मैं दिल से चाहता था कि, वो शादी कर ले. लेकिन उनके काम से उनकी खुद की एक पहचान थी और शादी के बाद, उनकी वो पहचान ख़तम होने वाली थी. मेरी समझ मे नही आ रहा था कि, मैं उन्हे क्या जबाब दूं.

मैं अपनी इसी उलझन मे उलझा हुआ था कि, तभी कीर्ति ने हमारी बात के बीच मे कूदते हुए कहा.

कीर्ति बोली “दीदी आप शादी कर लो. हम लोग कब से आपकी शादी होने का इंतजार कर रहे है.”

कीर्ति की इस बात पर छोटी माँ और नितिका ने भी हां मे हां मिला दी. उन सबको ऐसा करते देख कर, मैने भी इस बात पर अपनी सहमति की मोहर लगा दी. जिसके बाद वाणी दीदी ने अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “ठीक है, मैं अभी से बात करती हूँ. वैसे भी वो प्रिया को देखने आने ही वाला है. उसी समय हम बाकी सब बातें भी तय कर लेगे.”

वाणी दीदी की बात सुनते ही, पहली बार अमि की आवाज़ सुनाई दी. वो वाणी दीदी की शादी होने की बात सुनकर, बहुत खुश नज़र आ रही थी. लेकिन निमी कीर्ति की गोद मे बैठी बैठी सो चुकी थी.

यदि इस समय निमी जाग रही होती तो, उसने ज़रूर ये बात सुनते ही नाचना सुरू कर दिया होता. इन सब बातों के चलते 3 कब बज गये, किसी को पता ही नही चला. जब निधि दीदी ने घर जाने की इजाज़त माँगी, तब सबका ध्यान इस तरफ गया.

इसके बाद, बाकी सब भी घर जाने की तैयारी करने लगे. राज भी अपने घर वालों को घर जाने के लिए कहने लगा. पहले तो कोई भी घर जाने को तैयार नही हो रहा था. लेकिन बाद मे राज के समझाने पर वो भी घर जाने के लिए तैयार हो गये.

लेकिन निक्की और रिया दोनो फिर से हॉस्पिटल मे रुकने की बात पर आपस मे बहस करने लगी. उन्हे बहस करते देख, राज ने निक्की को समझाया और उसे भी बाकी लोगों के साथ घर जाने के लिए तैयार कर लिया.

कुछ ही देर बाद, मुझे राज और रिया को छोड़ कर बाकी सब घर जाने लगे. सबसे पहले निधि दीदी घर के लिए निकली. उनके जाने के बाद दादा जी, आकाश अंकल, पद्मिपनी आंटी, मोहिनी आंटी, नितिका, नेहा और निक्की घर के लिए निकले.

इसके जाने के बाद, छोटी माँ, वाणी दीदी, कीर्ति, अमि, निमी और बरखा दीदी भी घर चली गयी. फिर सबसे आख़िरी मे खालिद भाई, अजय, अमन, निशा भाभी, शिखा दीदी, अलका आंटी और सीरू दीदी भी घर चले गयी.

अजय मेरे साथ हॉस्पिटल मे ही रुकना चाहता था. लेकिन कल उसे अपने नये हॉस्पिटल की तैयारी भी देखना था. जिस वजह से मैने ज़बरदस्ती उसे घर भेज दिया था. अब रिया अंदर प्रिया के पास बैठी थी और मैं राज के साथ बाहर बैठा था.

बीच बीच मे मैं और राज अंदर प्रिया को देखने चले जाते और फिर वापस आकर वही बैठ कर बातें करने लगते. मेरी रात भर राज से यहाँ वहाँ की बातें होती रही और ऐसे ही हमारा सारा समय कट गया.

सुबह के 7 बजते ही आकाश अंकल हॉस्पिटल आ गये. उनकी आँखे बता रही थी कि, हमने उन्हे ज़बरदस्ती घर तो भेज दिया था. लेकिन वो घर जाकर भी शुकून की नींद सो नही पाए और सुबह होते ही वापस हॉस्पिटल आ गये.

वो आते ही, हम लोगों से घर जाने की बोलने लगे. लेकिन हम उन्हे अकेला छोड़ कर जाना नही चाहते थे. इसलिए हम उनके साथ वही रुके रहे. फिर 7:30 बजे अजय और शिखा दीदी भी आ गये.

उनके आते ही, आकाश अंकल फिर हम लोगों से घर जाने को कहने लगे. अंकल की बात सुनकर, शिखा दीदी ने हमसे कहा कि, अब वो प्रिया के पास रहेगी. हम लोग बेफिकर होकर घर जाए.

अजय ने अपने ड्राइवर को हमे घर छोड़ने को कहा और फिर हम लोग घर के लिए निकल पड़े. पहले मैने राज और रिया को उनके घर छोड़ा और फिर मैं अजय के बंगलो के लिए निकल पड़ा.

मुझे वहाँ पहुचते पहुचते 8:30 बज चुके थे. जब मैं वहाँ पहुचा तो, छोटी माँ और वाणी दीदी तैयार बैठी हुई थी. मैने उन्हे इतनी सुबह सुबह तैयार बैठे देखा तो, छोटी माँ से कहा.

मैं बोला “छोटी माँ, आप सब इतनी सुबह सुबह कहाँ जा रही है. क्या आप लोग हॉस्पिटल जा रही है.”

मेरी बात सुनकर, छोटी माँ ने कहा.

छोटी माँ बोली “हां, हम लोग अभी हॉस्पिटल ही जा रहे है और वही से चंदा मौसी को देखने घर भी जाना चाहते है. हम सोच रहे थे कि, आज ही मौसी को देख कर वापस आ जाते.”

“मगर ये अमि निमी हमारे साथ घर जाने को तैयार ही नही हो रही है. दोनो ज़िद किए बैठी है कि, वो तुम्हारे साथ यहाँ आई थी और तुम्हारे साथ ही घर वापस जाएगी. बरखा और कीर्ति उनको दूसरे कमरे मे समझा रही है.”

“इन दोनो लड़कियों ने तो मेरी नाक मे दम करके रख दिया है. दोनो की ज़िद दिनो दिन बढ़ती जा रही है. अब इनको संभालना मेरे लिए मुश्किल होता जा रहा है. मेरी समझ मे नही आता कि, मैं इन दोनो लड़कियों का क्या करूँ.”

छोटी माँ की बात सुनकर, वाणी दीदी ने उन्हे समझाते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “मौसी, उनके बिगड़ने मे आपका कोई दोष नही है. उनको बिगाड़ने मे पूरा हाथ इसी का है. इसने ही उनको सर पर चढ़ा रखा है. जिस वजह से उन की ज़िद दिनो दिन बढ़ती जा रही है.”

“यदि मैं चाहती तो, मेरे चुटकी बजाते ही, वो दोनो हमारे साथ जाने को तैयार हो जाती है. मगर तब हमे इनकी ड्रामेबाजी देखने को नही मिल पाती. अब ये लाट-साब आ गये है तो, इनकी और इनकी लाडलियो की ड्रामेबाजी भी देख लीजिए.”

ये कहते हुए, वाणी दीदी ने कीर्ति को आवाज़ लगाई और उस से अमि निमी को बाहर ले आने को कहने लगी. उसी समय सीरू दीदी, सेलू दीदी और आरू आ गयी और वो लोग छोटी माँ से चलने के बारे मे पुच्छने लगी.

छोटी माँ उनको अमि निमी के बारे मे बता ही रही थी कि, तभी कीर्ति और बरखा दीदी, अमि निमी के साथ बाहर आ गयी. उन ने मुझे देखा तो, सीधे मेरे पास आ गयी और मुझसे छोटी माँ की सीकायत करने लगी.

सीरू दीदी उनकी बात सुनकर, कुछ बोलने ही वाली थी कि, वाणी दीदी ने उनको चुप रहकर, हमारी बात सुनने का इशारा किया. जिसके बाद वो भी चुप चाप अमि निमी की बातें सुनने लगी.

जब अमि निमी की सीकायत करना बंद किया तो, मैने भी उनकी तरफ़दारी करते हुए कहा.

मैं बोला “तुम दोनो की बात बिल्कुल सही है. तुम दोनो मेरे साथ यहाँ आई हो और तुम्हे मेरे साथ ही घर वापस जाना चाहिए. मेरे रहते तुम्हे किसी बात की चिंता करने की ज़रूरत नही है.”

“मैं शाम को सोकर उठने के बाद, तुम दोनो को घुमाने भी ले जाउन्गा. लेकिन मैं तो दिन भर यहाँ सोता रहूँगा और आज नये हॉस्पिटल की वजह से सीरू दीदी लोगों के पास समय नही है. ऐसे मे तुम दोनो यहाँ दिन भर बोर हो जाओगी.”

“छोटी माँ सिर्फ़ दिन भर के लिए ही घर वापस जा रही है. यदि तुम दोनो दिन भर के लिए उनके साथ जाना चाहती हो तो, जा सकती हो. मुझे तुम्हारे जाने का ज़रा भी बुरा नही लगेगा और मैं तुम्हारे आने के बाद, तुम्हे घुमाने ले जाउन्गा.”

मेरी बात सुनकर, अमि सोच मे पड़ गयी और निमी, उसका चेहरा देखने लगी. अमि शायद मेरे दिन भर और अपने अकेले बोर होने की बात सोच रही थी. कुछ देर सोचने के बाद, उसने मुझसे कहा.

अमि बोली “ठीक है भैया, यदि आपको हमारे जाने का बुरा नही लग रहा है तो, हम दोनो मम्मी के साथ घर चले जाते है. आप फिकर मत करना, हम लोग मम्मी के पिछे पड़ कर, उन्हे शाम तक ज़रूर वापस ले आएगे.”

अमि की बात सुनते ही सबके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. वहीं वाणी दीदी ने छोटी माँ से कहा.

वाणी दीदी बोली “देख लिया मौसी, मुझे पता था कि, ये ही सब होना है. मैं इसी वजह से चुप थी और आपसे भी शांति बनाए रखने को कह रही थी. अब आप अपना गुस्सा ख़तम कीजिए और जल्दी चलिए. हमे अपनी फ्लाइट भी पकड़ना है.”

वाणी दीदी की बात सुनकर, छोटी माँ उठ कर खड़ी हो गयी. उन्हो ने मुझे कुछ ज़रूरी बातें समझने लगी और बरखा दीदी सोकर उठने पर खाने के लिए कॉल लगाने की बात जताने लगी. इसके बाद सब छोटी माँ के साथ चले गये.

उनके जाने के बाद, मैने दरवाजा बंद किया और कमरे मे आकर मूह हाथ धोने लगा. मूह हाथ धोने के बाद, मैने कपड़े बदले और आकर बेड पर लेटते हुए मेहुल को कॉल लगा दिया.

मेहुल से बात करके मैने उसका कॉल रखा ही था कि, तभी कीर्ति का कॉल आ गया. वो मुझे उस से सही से बात ना करने की वजह से लड़ती रही. उसके कॉल रखने के बाद, मैं उसके और प्रिया की तबीयत के बारे मे सोचते सोचते सो गया.

फिर मेरी नींद किसी के डोरबेल बजने की आवाज़ सुनकर खुली. कोई लगातार डोरबेल बजाए जा रहा था. मैने समय देखा तो, 4:30 बज गये थे. मैं उठ कर दरवाजा खोलने चला गया.

मैने दरवाजा खोला तो सामने बरखा दीदी और निक्की खड़ी थी. वो मेरे लिए खाना लेकर आई थी. उन्हे खाना लिए देख कर, मैने बरखा दीदी से कहा.

मैं बोला “दीदी, आपको मेरे खाने के लिए परेशान होने की ज़रूरत नही थी. मैने आपसे कहा तो था कि, मैं सोकर उठते ही आपको कॉल कर दूँगा.”

बरखा दीदी बोली “मुझे पता है और मैं ये बात शिखा दीदी को भी समझा रही थी. मगर वो 12 बजे के बाद से ही, मेरे पिछे पड़ी थी. फिर जब वो खुद ही यहाँ खाना लेकर आने की बात कहने लगी तो, मुझे यहाँ आना ही पड़ गया.”

उनकी बात सुनकर, मैने उन्हे बताया कि, मैं अभी सोकर उठा हूँ और मुझे तैयार होने मे समय लगेगा. मैं नहाने के बाद खाना खा लूँगा. इसके बाद, मुझसे थोड़ी बहुत बात करने के बाद, वो वापस चली गयी.

उनके जाने के बाद, मैं फ्रेश होने चला गया. फ्रेश होने के बाद, मैने खाना खाया और फिर तैयार होकर हॉस्पिटल के लिए निकल गया. मुझे हॉस्पिटल पहुचते पहुचते 6:30 बज गये.

अभी हॉस्पिटल मे पद्मिननी आंटी, राज, रिया, निक्की और बरखा दीदी थी. शिखा दीदी को पुच्छने पर पता चला कि, वो बरखा दीदी के मेरे पास से वापस आते ही, घर चली गयी थी. जबकि निशा भाभी और सीरू दीदी लोग नये हॉस्पिटल मे थी.

इस समय प्रिया के पास रिया थी. सबसे मिलने के बाद, मैं बरखा दीदी के साथ प्रिया के पास चला गया. अभी मुझे प्रिया के पास थोड़ी ही देर हुई थी कि, फिर से उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे.

ये देखते ही, बरखा दीदी ने फ़ौरन निधि दीदी को कॉल लगा दिया. निधि दीदी भी इस समय नये हॉस्पिटल मे थी. उन्हो ने सारी बात सुनने के बाद कहा कि, उन्हे आने मे थोड़ा समय लगेगा. वो प्रिया की जाँच करने ड्यूटी डॉक्टर को भेज रही है.

उनके कॉल रखने के थोड़ी ही देर बाद, एक डॉक्टर आया और प्रिया की जाँच करने लगा. प्रिया की जाँच करने के बाद, उस ने निधि दीदी को कॉल करके सारी रिपोर्ट दे दी. तब तक रिया ने भी बाहर जाकर सबको ये बात बता दी.

सभी भागते हुए, प्रिया के पास आ गये. अभी भी प्रिया की आँखों से आँसू बहने के अलावा, उसके शरीर मे कोई हरकत नही हो रही थी. मगर इस समय उसके ये आँसू सबको इस बात की उम्मीद दिला रहे थे कि, शायद वो होश मे आ जाए.

पिच्छले 48 घंटों से बेहोश पड़ी, प्रिया के आँसू भी, इस समय सबके लिए उसकी मुस्कान से कुछ कम कीमती नही थे. मगर उसकी इस हालत को सहन कर पाना मेरे बस मे नही था.

जब मेरे सहन करने की शक्ति ख़तम होने लगी और मेरी आँखों मे नमी छाने लगी तो, मैं वहाँ से बाहर आ गया. मैं बाहर समुंदर के किनारे आकर बैठ गया और तन्हाई मे प्रिया के बारे मे सोचने लगा.

मैं देख तो समुंदर की तरफ रहा था. लेकिन मुझे नज़र सिर्फ़ प्रिया का चेहरा आ रहा था. मेरी आँखों मे प्रिया का हंसता हुआ चेहरा नज़र आ रहा था और मैं उस चेहरे को देख देख कर आँसू बहाए जा रहा था.

मेरे आँसू बहते जा रहे थे और मैं उन्हे पोंछने की कोसिस भी नही कर रहा था. मैं प्रिया को याद करने मे इतना खोया हुआ था कि, मुझे अहसास ही नही हुआ कि, कब कोई मेरे पास आकर खड़ा हो गया.

मुझे इस बात का अहसास तब हुआ, जब किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा. मैने जब अपना सर उठा कर पिछे देखा तो, मेरे पिछे कीर्ति खड़ी थी. उसे अपने सामने देखते ही, मैं फ़ौरन अपने आँसू पोन्छ्ने लगा.

मेरा आँसुओं से भरा चेहरा देख कर, कीर्ति की आँखों मे भी आँसू झिलमिलाने लगे थे. उसने मेरे पास बैठते हुए कहा.

कीर्ति बोली “क्या हुआ, मुझे देख कर चुप क्यो हो गये. समझ लो मैं तुम्हारे पास हूँ ही नही और इस तूफान को अपने अंदर से बाहर निकल जाने दो. अपनी बहन के दर्द मे आँसू बहाना कोई बुरी बात नही है.”

“मगर तुम ना जाने क्यो, कब से इस तूफान को अपने अंदर छुपाये हुए हो और अंदर ही अंदर घुटे जा रहे हो. आज इसे बाहर निकल जाने दो और अपने हर दर्द को इसमे बह जाने दो. शायद इस से तुम्हारे दिल का बोझ कुछ कम हो जाए.”

कीर्ति की बात सुनकर, मैने अपना चेहरा उसके कंधों मे छुपा लिया और एक बार फिर मेरी आँखों से आँसू छलकने लगे. अब मुझसे प्रिया का दर्द सहन नही हो पा रहा था और मैने इस दर्द से कराहते हुए कहा.

मैं बोला “मुझसे अब प्रिया की हालत देखी नही जा रही है. वो उपर वाला पता नही, उस से किस बात का बदला ले रहा है. पहले उसे जनम लेते ही, उसके माता पिता से दूर कर दिया. वो इस बात से अंजान होने की वजह से खुश थी.”

“मगर उस उपर वाले से उसकी ये खुशी भी नही देखी गयी. उसने उसे एक ऐसी बीमारी दे दी, जिसकी वजह से उसे उसके सबसे बड़े सपने स्विम्मिंग को भूलना पड़ गया. फिर भी उस लड़की ने उस उपर वाले पर से विस्वास नही उठाया.”

“मगर उस उपर वाले को इतने के बाद भी उस मासूम पर रहम नही आया और उसने उसके दिल मे मेरे लिए प्यार पैदा कर दिया. वो शायद इसे एक सुंदर सपना समझ कर भूल भी जाती.”

“लेकिन फिर उस उपर वाले ने मुझे उसके सामने लाकर खड़ा कर दिया और मेरे ही हाथों से उसका दिल तुडवा दिया. मगर इतना सब हो जाने के बाद भी उस मासूम ने किसी से कोई शिकायत नही की और हर दर्द सहकर भी मुस्कुराती रही.”

“शायद उस उपर वाले को उसका मुस्कुराना ही पसंद नही था. उसने अबकी बार उस लड़की को पालने वाले माँ बाप को ही, उस से पराया कर दिया और जिस लड़के को वो अपनी जान से ज़्यादा प्यार करती है, उसे उसका भाई बना कर उसके सामने लाकर खड़ा दिया.”

“बस उस उपर वाले ने उस बेजुबान पर एक मेहरबानी कर दी की, उसे कोमा मे भेज दिया. वरना इस सच्चाई को जानने के बाद, वो चाह कर भी मुस्कुरा नही पाती और सुनते ही, अपना दम तोड़ देती.”

“हम दोनो जुड़वा भाई बहन है. फिर उस उपर वाले का ये कैसा इंसाफ़ है कि, मैं हमेशा ही खुशियों मे पलटा रहा और मेरी मासूम जुड़वा बहन हमेशा ही दुख दर्द सहती रही.”

“तुम सब मुझसे हमेशा पुछ्ते थे ना कि, मैं ज़रा सी बात पर लड़कियों की तरह क्यो रोने लगता हूँ. आज मुझे समझ मे आ रहा है कि, मैं ज़रा ज़रा सी बात पर क्यो रोने लगता था.”

“मैं इसलिए रोता था, क्योकि मेरी बहन को दर्द मे भी रोना नही आता. अपनी बहन के हिस्से के आँसू भी मैं ही बहा लिया करता था. मैं अभी भी जिंदगी भर ऐसे ही रोने को तैयार हूँ.”

“बस वो उपर वाला मेरी बहन के हर दुख दर्द का अंत कर दे और उसके चेहरे की मुस्कुराहट उसे वापस कर दे. उस मासूम पर वो रहम कर दे. इसके बदले मे वो चाहे तो, मेरी जान ले ले.”

मैं कीर्ति के कंधे पर अपना चेहरा छुपाए, रोते हुए, अपने दिल का हर गुबार बाहर निकाले जा रहा था और कीर्ति चुप चाप मेरी बात सुनती जा रही थी. उसकी आँखें भी आँसुओं से भरी हुई थी.

लेकिन वो ना तो खुद के आँसुओं को बहने से रोक रही थी और ना ही मेरे आँसुओं को बहने से रोक रही थी. जब मैं अपनी बात कहते हुए शांत हो गया तो, उसने अपने आँसू पोन्छे और फिर मेरी आँखों को सॉफ करते हुए कहा.

कीर्ति बोली “निक्की बता रही थी कि, प्रिया सिद्धि विनायक को बहुत मानती है. हम ऐसा करते है की, कल सिद्धि विनायक मंदिर चलते है. वो हमारी प्रार्थना ज़रूर सुनेगे और उनके आशीर्वाद से प्रिया जल्दी ठीक हो जाएगी.”

कीर्ति की बात सुनकर, मैं उसके चेहरे को देखने लगा. मुझे भी उसकी ये बात सही लग रही थी. इस समय प्रिया को दुआओं की बहुत ज़रूरत थी. लेकिन कल प्रिया को नये हॉस्पिटल मे भी ले जाया जाना था. इसी बात को ध्यान मे रखते हुए मैने कहा.

मैं बोला “लेकिन कल तो प्रिया को नये हॉस्पिटल मे शिफ्ट किया जाना है और कल ही नये हॉस्पिटल की सुरुआत भी है. क्या ऐसे मे हमारा वहाँ जाना ठीक होगा.”

कीर्ति बोली “प्रिया को 2 बजे के बाद यहाँ से शिफ्ट किया जाएगा और नये हॉस्पिटल का इनॉग्रेषन का समय10:30 बजे का है. हम सुबह जल्दी वहाँ चलेगे और 10:30 बजे के पहले वापस भी आ जाएगे.”

कीर्ति की ये बात सुनकर, मैने उसे चलने की सहमति दे दी. अभी हमारी इस बारे मे बात चल ही रही थी कि, तभी हमे ढूँढते हुए, बरखा दीदी के साथ अमि निमी हमारे पास आ पहुचि. उन्हो ने आते ही कीर्ति से कहा.

अमि बोली “दीदी, आप यहाँ भैया को बुलाने आई थी और आप खुद ही यहाँ बैठ कर रह गयी.”

अमि की बात सुनकर, कीर्ति ने अपनी सफाई देते हुए कहा.

कीर्ति बोली “मैं तो इसे बुलाने ही आई थी. लेकिन इसके सर मे दर्द था तो, ये थोड़ी देर और यहाँ बैठने की बात करने लगा. इसलिए मैं भी इसके साथ यही बैठ गयी और तुम लोगों को घूमने ले चलने की बात करने लगी.”

कीर्ति की बात सुनकर, अमि गौर से मेरा चेहरा देखने लगी. मुझे लगा कि वो ये देख रही है कि, कहीं कीर्ति उस से झूठ तो नही बोल रही है और अब शायद वो इस बारे मे मुझसे कुछ सवाल करेगी.

लेकिन जैसा मैं सोच रहा था, वैसा कुछ भी नही था. अमि ने मेरा चेहरा गौर से देखने के बाद, मुझसे तो कुछ नही कहा. लेकिन बरखा दीदी की तरफ देखते हुए, उनसे पुछा.

अमि बोली “दीदी, क्या आज भैया ने खाने के बाद, चाय नही पी थी.”

अमि की ये बात सुनकर, बरखा दीदी ने अपना सर पीटते हुए कहा.

बरखा दीदी बोली “सॉरी, शिखा दीदी ने मुझसे कहा भी था कि, खाने के बाद इसे चाय देना ना भूलु. लेकिन इसने खाना लेकर हम लोगों वापस भेज दिया था. मैने भी सोचा था कि, जब ये यहा आएगा तो, तब यही से चाय लेकर इसे पिला दुगी. मगर जब ये यहाँ आया तो, ये बात मुझे याद ही नही रही.”

बरखा दीदी की बात सुनकर, निमी ने अमि से एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा.

निमी बोली “हमारे भैया को जब खाने के बाद, चाय नही मिलती तो, उनका सर दर्द करने लगता है. मैं अभी शिखा दीदी को जाकर बताती हूँ कि, बरखा दीदी ने भैया को चाय नही दी थी.”

ये कह कर निमी हॉस्पिटल के अंदर जाने के लिए मूड गयी. लेकिन बरखा दीदी ने फ़ौरन उसका हाथ पकड़ कर, उसे रोकते हुए कहा.

बरखा दीदी बोली “मेरी माँ, तू शिखा दीदी से कुछ मत बोल, वरना वो अभी सबके सामने मुझे खरी खोटी सुनाने लगेंगी. तू चल मेरे साथ, मैं अभी इसे चाय लेकर देती हूँ.”

ये कहते हुए, बरखा दीदी निमी का हाथ पकड़ कर, चाय लेने जाने लगी. मैने उन्हे रोकने की कोसिस करता रहा, मगर वो नही रुकी. बरखा दीदी और निमी को जाते देख, अमि भी उनके पिछे पिछे चली गयी. मैं और कीर्ति तब तक उन्हे जाते हुए देखते रहे, जब तक कि वो लोग हमारी आँखों से ओझल नही हो गये.
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09-11-2020, 12:00 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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अमि बोली “दीदी, क्या आज भैया ने खाने के बाद, चाय नही पी थी.”

अमि की ये बात सुनकर, बरखा दीदी ने अपना सर पीटते हुए कहा.

बरखा दीदी बोली “सॉरी, शिखा दीदी ने मुझसे कहा भी था कि, खाने के बाद इसे चाय देना ना भूलु. लेकिन इसने खाना लेकर हम लोगों वापस भेज दिया था. मैने भी सोचा था कि, जब ये यहाँ आएगा तो, तब यही से चाय लेकर इसे पिला दुगी. मगर जब ये यहाँ आया तो, ये बात मुझे याद ही नही रही.”

बरखा दीदी की बात सुनकर, निमी ने अमि से एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा.

निमी बोली “हमारे भैया को जब खाने के बाद, चाय नही मिलती तो, उनका सर दर्द करने लगता है. मैं अभी शिखा दीदी को जाकर बताती हूँ कि, बरखा दीदी ने भैया को चाय नही दी थी.”

ये कह कर निमी हॉस्पिटल के अंदर जाने के लिए मूड गयी. लेकिन बरखा दीदी ने फ़ौरन उसका हाथ पकड़ कर, उसे रोकते हुए कहा.

बरखा दीदी बोली “मेरी माँ, तू शिखा दीदी से कुछ मत बोल, वरना वो अभी सबके सामने मुझे खरी खोटी सुनाने लगेगी. तू चल मेरे साथ, मैं अभी इसे चाय लेकर देती हूँ.”

ये कहते हुए, बरखा दीदी निमी का हाथ पकड़ कर, चाय लेने जाने लगी. मैने उन्हे रोकने की कोसिस करता रहा, मगर वो नही रुकी. बरखा दीदी और निमी को जाते देख, अमि भी उनके पिछे पिच्चे चली गयी.

मैं और कीर्ति तब तक उन्हे जाते हुए देखते रहे, जब तक की वो लोग हमारी आँखों से ओझल नही हो गये. उनके हमारी नज़रों से ओझल होते ही, कीर्ति ने कहा.

कीर्ति बोली “क्या तुमने सच मे चाय नही पी थी.”

मैं बोला “हां, आज मेरा चाय पीने का मन ही नही किया था.”

कीर्ति बोली “मैने तो तुम्हारे रोने की बात छुपाने के लिए उनसे सर दर्द का बहाना बना दिया था. मगर वो दोनो इस बहाने को भी सच समझ कर, अपने घूमने जाने की बात भूल कर, तुम्हारे लिए चाय लेने चली गयी.”

“वो इतनी छोटी होकर भी, तुम्हारी परेशानी को, अपनी खुशी से ज़्यादा आएहमियत देती है. कभी कभी तो, मुझे खुद भी लगता है कि, उनके मुक़ाबले मे मेरा प्यार कुछ भी नही है.”

“मैं जानती हूँ कि, तुम भी उन्हे अपनी जान से ज़्यादा प्यार करते हो. लेकिन मुझे लगता है कि, तुम लोगों के बीच प्रिया के आ जाने से, अमि को इस बात का डर सता रहा है कि, कहीं उनके लिए तुम्हारा प्यार कम ना हो जाए.”

“आज सुबह जब मैं और बरखा दीदी, अमि निमी को घर चलने के लिए समझा रहे थे. तब अमि उल्टे मुझे ही घर ना जाने के लिए समझाने लगी. उसकी बातों से सॉफ समझ मे आ रहा था कि, वो तुम्हे प्रिया के पास छोड़ कर जाना नही चाहती थी.”

कीर्ति की ये बात सुनकर, मेरे दिमाग़ मे हमारे यहाँ आने की समय की बात घूम गयी और मैं कीर्ति को अमि से हुई बातों के बारे मे बताने लगा. जिसे सुनने के बाद कीर्ति ने कहा.

कीर्ति बोली “इसका मतलब ये ही है कि, मेरी सोच ग़लत नही थी. यदि ऐसा है तो, हमे जल्दी ही उनके मन से इस डर को निकालना होगा. वरना उनका ये डर, कहीं उनके और प्रिया के बीच मे दीवार ना बन जाए.”

कीर्ति की इस बात के जबाब मे मैने कहा.

मैं बोला “तेरा कहना ठीक है. लेकिन प्रिया को इस सच्चाई पता नही लगना है और छोटी माँ ने भी कह दिया है कि, प्रिया पद्‍मिनी आंटी के साथ ही रहेगी. ऐसे मे अमि के मन से प्रिया का डर अपने आप ही निकल जाएगा.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति मुझे हैरानी से देखने लगी और फिर अचानक ही मुझ पर गुस्से मे भड़कते हुए कहा.

कीर्ति बोली “लगता है, प्रिया के साथ साथ तुम्हारे दिमाग़ ने भी काम करना बंद कर दिया है. अरे तुम से ज़्यादा दिमाग़ तो, उस छोटी सी बच्ची अमि के पास है. जिसने प्रिया के तुम्हारी जुड़वा बहन होने की बात सुनते ही, हमारे साथ यहाँ आने की ज़रा भी ज़िद नही की और तुम्हारे साथ वहाँ चिपकी रही.”

“क्या कभी तुमने अमि को निमी की तरह ज़िद करते देखा है. मगर आज तो उसने ज़िद करने मे निमी को भी पिछे छोड़ दिया था. कल सबके सामने ये सुन लेने के बाद भी कि, प्रिया यही रहेगी. वो आज तुम्हे यहाँ अकेला छोड़ कर, मौसी के साथ जाने को तैयार नही हो रही थी.”

“तुम ने मौसी के मूह से प्रिया के यही रहने के बारे सुनकर, ये सोच लिया कि, मौसी ने प्रिया को उसके हाल पर छोड़ दिया है. लेकिन मौसी ने अपना फ़ैसला बहुत सोच समझ कर लिया है.”

“उन्हो ने पद्‍मिनी आंटी से सिर्फ़ ये कहा है कि, वो जब तक प्रिया को अपनी बेटी बना कर रखना चाहे, रख सकती है. उन्हो ने ये नही कहा कि, वो प्रिया को अपने साथ नही रखना चाहती है.”

“क्योकि वो अच्छे से जानती है कि, ये बात हमेशा के लिए प्रिया से छुपा कर रख पाना मुमकिन नही है और प्रिया को इस सच्चाई का पता चलने पर यहाँ के हालत बदल भी सकते है.”

“इसलिए उन ने सबके सामने ये बात भी सॉफ कर दी थी कि, प्रिया को उनके घर की हर चीज़ पर उतना ही अधिकार रहेगा, जितना कि तुम्हे है. मौसी के ये बात कहने का मकसद सिर्फ़ ये था कि, प्रिया के घर के रास्ते उसके लिए हमेशा खुले है.”

“जब मौसी और अमि प्रिया के एक ना एक दिन अपने घर आने की बात को सोच कर, अपने कदम उठा रही है तो, तुम्हे भी प्रिया के अपने घर वापसी करने की बात सोच कर ही, अपने कदम उठाना होगा.”

“मौसी ने आज तक जिस सौतेले-पन के भेद भाव को तुम्हारे और अमि निमी के बीच मे नही आने दिया. अब उस सौतेले-पन के भेद भाव को प्रिया और अमि निमी के बीच मे ना आने देने की, तुम्हारी ज़िम्मेदारी है.”

“अभी अमि निमी छोटी है और इस समय यदि उनके दिल दिमाग़ पर कोई बात बैठ गयी तो, उसे जिंदगी भर उसे निकाल पाना आसान नही होगा. इस समय वो दोनो भी उस मोड़ से गुजर रही है, जिस दौर से तुम बचपन मे अपनी नयी माँ को देख कर गुज़रे थे.”

“तुम्हे उनकी भावनाओं को समझना होगा और उनके दिल पर बिना कोई ठेस लगाए, उनके दिल मे प्रिया को लेकर जो जलन है, उसे बाहर निकालना होगा. उन्हे ये अहसास कराना होगा कि, प्रिया के आ जाने से भी, वो दोनो ही तुम्हारी लाडली रहेगी.”

“एक बार ये बात उनके मन मे बैठ गयी तो, फिर उनके मन मे प्रिया के लिए जो जलन है, वो अपने आप ही ख़तम हो जाएगी और उनके दिल मे प्रिया को लेकर जो डर समाया हुआ है, वो डर भी निकल जाएगा.”

इतना कह कर कीर्ति चुप हो गयी और मैं उसकी बातों को सोचने लगा. उसकी सारी बातों मे सच्चाई थी और मैं भी अमि निमी के बारे मे ऐसा ही कुछ सोच रहा था. इसलिए मैने कीर्ति से कहा.

मैं बोला “तेरी ये बात सही है और मैं भी अमि निमी के बारे मे ऐसा ही कुछ सोच रहा था. लेकिन मैं उन्हे प्रिया के बारे मे कुछ भी समझाने से इसलिए बच रहा हूँ. ताकि उन्हे ये ना लगे कि, मैं प्रिया की तरफ़दारी कर रहा हूँ.”

मेरी ये बात सुनते ही कीर्ति हँसने लगी. इतनी गंभीर बात पर उसे हंसते देख कर, मैने उस से हँसने की वजह पुछि तो, उसने इसकी वजह बताते हुए कहा.

कीर्ति बोली “आज सुबह सुबह ही अमि ने मौसी पर प्रिया की तरफ़दारी करने का इल्ज़ाम लगाया था. वो तो वाणी दीदी ने मौसी को रोक लिया और हम अमि निमी को दूसरे कमरे मे ले गये. वरना तुमको आते ही, अमि निमी रोती हुई मिलती.”

उसकी इस बात को सुनने के बाद, मैने उस से कहा.

मैं बोला “इस सबको देखने के बाद भी, तुझे लगता है कि, मुझे अभी उन्हे कुछ समझाने की कोसिस करना चाहिए.”

कीर्ति बोली “हां, इस सबके बाद भी मुझे लगता है कि, तुमको उन्हे समझाना चाहिए. क्योकि तुम उन्हे हम लोगों से ज़्यादा अच्छी तरह से समझते हो और वो दोनो भी सिर्फ़ तुम्हारी बात को मानती और समझती है.”

“इसकी एक मिसाल सुबह तुम्हारे समझते ही, उनका हमारे साथ जाने के लिए तैयार हो जाना है. तुम ये अच्छी तरह से जानते हो कि, उन्हे कब, किस बात के लिए, किस तरह से समझाया जा सकता है.”

“मैं उन्हे अपनी तरफ से समझाने की पूरी कोसिस करूगी. लेकिन उनके उपर जितना असर तुम्हारे समझाने का पड़ेगा. उतना असर मेरे या किसी और के समझाने का नही पड़ेगा. इसलिए तुम्हे खुद भी उनको समझाना पड़ेगा.”

कीर्ति की ये बात सुनकर, मैं एक बार फिर से इस अमि निमी को समझाने के बारे मे सोचने लगा. मैं अभी कीर्ति से कुछ कहने ही वाला था कि, तभी अमि निमी बरखा दीदी के साथ चाय लेकर आ गयी.

बरखा दीदी ने मुझे चाय दी और फिर मुझसे एक दो बातें करने के बाद, अमि निमी को अपने साथ लेकर वापस हॉस्पिटल मे जाने के लिए मूड गयी. लेकिन मैने उनको जाने से रोका और फिर अमि के सर पर हाथ फेरते हुए उस से कहा.

मैं बोला “बेटू, मैं चाय पीकर आता हूँ. फिर हम घूमने चलते है. तब तक तू चल कर छोटी माँ को जाता दे कि, हम लोग घूमने जा रहे है.”

लेकिन उसने मेरी बात सुनकर, बड़े ही भोलेपन से कहा.

अमि बोली “भैया, आज मैं और निमी बहुत थक गये. आज हम लोग आपके साथ घूमने नही जा पाएगे.”

ये कहते हुए उसने पुछा.

अमि बोली “क्यो निमी, मैने ठीक कहा ना.”

अमि की बात सुनते ही, निमी ने अपनी आदत से मजबूर होकर, अपने दोनो हाथ, अपने पैरो पर रखते हुए कहा.

निमी बोली “हाँ भैया, मेरे पैरो मे इतना दर्द है कि, मुझसे तो अब चला तक नही जा रहा है.”

ये कहते हुए, वो अपने ही हाथों से अपने पैरों को दबाने लगी. उसकी ये हरकत देख कर, बरखा दीदी और कीर्ति के साथ साथ मेरी भी हँसी छूट गयी. बरखा दीदी ने हंसते हुए, आगे बढ़ कर निमी को अपनी गोद मे उठा लिया.

उन्हो ने मुझे जल्दी आने का जताया और अमि निमी को अपने साथ लेकर, हॉस्पिटल के अंदर चली गयी. उन के जाने के बाद, कीर्ति ने मुस्कुराते हुए कहा.

कीर्ति बोली “ये दोनो बहुत बड़ी नौटंकी है. पल पल मे अपने रंग बदलती है. अभी अंदर कह रही थी, भैया को जल्दी बुलाओ, हमे घूमने जाना है और अब कह रही है कि, हम लोग बहुत थक गये है.”

मैं बोला “तूने निमी की हरकत नही देखी. अच्छी भली चलते हुए, चाय लेकर आई थी. लेकिन अमि की बात सुनते ही, उसके पैरों मे दर्द होने लगा.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति खिलखिला कर हँसने लगी. ऐसे ही अमि निमी की बात पर हँसी मज़ाक करते हुए मैने अपनी चाय ख़तम की और फिर कीर्ति के साथ वापस हॉस्पिटल के अंदर आ गया.

हम जब अंदर पहुचे तो, आकाश अंकल, पद्‍मिनी आंटी, छोटी माँ, निशा भाभी, शिखा दीदी, सेलू दीदी, आरू, रिया और राज सब बैठे आपस मे बात करने मे लगे थे. मेरे उनके पास पहुचते ही, निशा भाभी ने थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा.

निशा भाभी बोली “आए हीरो, हम सब क्या तुम्हे बेवकूफ़ नज़र आते है. जो हम सब यहाँ बैठे है और तुम बाहर बैठ कर आराम से चाय पी रहे हो. तुम यहाँ प्रिया की देख भाल के लिए आते हो या फिर बाहर बैठ कर चाय पीने आते हो.”

निशा भाभी की ये बात सुनकर, मुझे थोड़ी शर्मिंदगी सी महसूस होने लगी और मैने उनके सामने शर्मिंदा होते हुए कहा.

मैं बोला “सॉरी भाभी, मैं तो चाय के लिए मना कर रहा था. लेकिन बरखा दीदी और अमि निमी ने मेरी बात नही मानी और मुझे चाय पीना पड़ गया.”

मेरी इस बात सुनते ही, निशा भाभी की हँसी छूट गयी और उन्हो ने हंसते हुए कहा.

निशा भाभी बोली “अरे मैं तो मज़ाक कर रही थी. मैने इन सब से पहले ही कहा था कि, देखो मैं कैसे तुमको डराती हूँ. मगर तुम तो सच मे मेरे मज़ाक से डर गये.”

उनकी बात सुनकर, मैने थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “भाभी, आप भी सीरू दीदी से कुछ कम नही हो. लेकिन सीरू दीदी यहाँ कहीं दिखाई नही दे रही है. क्या वो प्रिया के पास है.”

निशा भाभी बोली “नही, प्रिया के पास इस समय निक्की है. सीरू तो इस समय घर मे हेतल के साथ है.”

हेतल दीदी का नाम सुनते ही, मेरे चेहरे की मुस्कुराहट गहरी हो गयी और मैने निशा भाभी से कहा.

मैं बोला “भाभी, क्या हेतल दीदी यही पर है. लेकिन वो प्रिया को देखने और मुझसे मिलने क्यो नही आई.”

मेरी इस बात के जबाब मे निशा भाभी ने थोड़ा गंभीर होते हुए कहा.

निशा भाभी बोली “वो आज ही यहा आई और आते ही तुम्हारे बारे मे पुच्छ रही थी. लेकिन हमने उस से कह दिया की, तुम कल आ रहे हो और अभी हमने उसे प्रिया की तबीयत के बारे मे भी कुछ नही बताया है.”

निशा भाभी की इस बात पर मैने थोड़ा हैरान होते हुए कहा.

मैं बोला “लेकिन क्यो भाभी.”

निशा भाभी बोली “वो क्या है की, परसों हेतल की प्लास्टिक सर्जरी होना है. जिस सर्जन को उसकी सर्जरी करना है. वो कल हॉस्पिटल के इनॉग्रेषन मे यहाँ आ रहा है. उस से हमारी ये बात पहले ही तय हो चुकी थी कि, इनॉग्रेषन के दूसरे दिन वो हेतल की सर्जरी कर देगा.”

“लेकिन तुमने खुद देखा है कि, हेतल ने अजय की शादी की बात सुनते ही, कैसे अपनी सर्जरी को टाल दिया था. हमे डर था कि, वो कहीं प्रिया की तबीयत की बात सुनते ही, फिर से अपनी सर्जरी को टाल ना दे.”

“यदि हम फिर से उस सर्जन को सर्जरी के लिए मना करते तो, इस से उसके सामने हमारी छवि (इमेज) खराब होने का ख़तरा था. इसलिए अभी हमे हेतल से प्रिया की तबीयत की बात को छुपा कर रखना पड़ा है.”

“हेतल ने यहाँ आते ही, हमसे कहा था कि, उसकी सर्जरी के समय तुम्हे ज़रूर बुला लिया जाए. लेकिन हम प्रिया की तबीयत की बात उस से छुपा रहे थे. इसलिए हमने उसे तुम्हारे यहाँ होने की बात भी पता नही चलने दी.”

“हमने उस से कह दिया कि, तुम कल हॉस्पिटल के इनॉग्रेषन मे आ रहे हो और हेतल की सर्जरी की बात हम तुम्हे यहाँ आने पर ही बताएगे. इसलिए हेतल ने भी तुमको अचानक चौका देने की बात सोच कर, इस बारे मे तुम्हे कॉल नही किया.”

निशा भाभी की ये बात सुनकर, मैने कुछ सोचते हुए कहा.

मैं बोला “भाभी, ये तो बहुत खुशी की बात है कि, हेतल दीदी की सर्जरी हो रही है. मैने खुद ही हेतल दीदी से कहा था कि, अपनी सर्जरी के समय पर मुझे बुलाना मत भूलना.”

“लेकिन भाभी कल तो प्रिया को नये हॉस्पिटल मे शिफ्ट किया जा रहा है और कल हेतल दीदी भी वहाँ रहेगी. ऐसे मे प्रिया की बात उनसे कैसे छुपि रह सकेगी और वो प्रिया के बारे मे भी तो पुछ सकती है.”

मेरी ये बात सुनकर, सेलू दीदी ने हंसते हुए कहा.

सेलिना बोली “उसकी फिकर तुम मत करो. उनकी हर बात का जबाब देने के लिए सीरू दीदी, हर समय उनके साथ है. उन्हो ने हेतल दीदी के बिना कुछ पुच्छे ही, उनको बता दिया है कि, प्रिया अभी अपनी चाची के घर गयी है.”

“अभी भी हम सबको यहाँ आना था तो, वो हमारे निकलने के पहले ही, हेतल दीदी को अपने साथ लेकर निकल गयी. सीरू दीदी के रहते, तब तक कोई गड़बड़ नही हो सकती, जब तक वो खुद ही कोई गड़बड़ करना ना चाहे.”

सेलू दीदी की ये बात सुनते ही, सबकी हँसी गूँज गयी. इसके बाद, सब कल के बारे मे बात करते रहे. फिर 8:30 बजे के बाद, निशा भाभी लोग घर चली गयी. उनके जाने के कुछ देर बाद, छोटी माँ और पद्‍मिनी आंटी लोग भी घर चली गयी.

अब हॉस्पिटल मे कल की तरह मैं, राज और रिया ही रह गये थे. शिखा दीदी ने जाते जाते, पद्‍मिनी आंटी से जता दिया था की, हम लोगों के लिए खाना वो भेजेगी. इसलिए अब राज के घर से किसी के आने की कोई उम्मीद नही थी.

आज सुबह के बाद से, मेरी अजय से कोई मुलाकात या बात नही हो पाई थी. लेकिन शिखा दीदी के खाना भेजने की बात की वजह से से, मुझे अभी अजय के आने की उम्मीद ज़रूर लगी हुई थी.

लेकिन देखते देखते, 10 बज गया. मगर ना तो अजय का कुछ पता था और ना ही अभी तक शिखा दीदी के यहाँ से हमारा खाना आया था. राज ने जब समय देखा तो, मुझसे कहा.

राज बोला “यार, 10 बज गया है और अब मुझे बहुत भूख लग रही है. लेकिन हमारे खाने का कुछ पता नही. कहीं ऐसा तो नही कि, शिखा दीदी घर जाकर, हमारा खाना भेजने की बात भूल गयी हो.”

राज की बात सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “नही, ऐसा नही हो सकता. तुम भूल रहे हो कि, अमन के यहाँ डिन्नर का समय 9:30 बजे का है. मुझे लगता है कि, हमारा खाना अजय लेकर आएगा और अजय यहाँ आया तो, फिर वो देर रात तक हमारे साथ ही रुकेगा. इसलिए शायद हमारा खाना उनके डिन्नर के बाद ही आएगा.”

मेरी बात सुनकर, राज चुप हो गया. लेकिन उसकी हरकतों से पता चल रहा था की, उसे सच मे बहुत ज़ोर की भूख लगी है. एक बार तो, मेरा मन किया कि, मैं शिखा दीदी से कॉल करके खाने की पुच्छ लूँ.

लेकिन फिर मैने कुछ देर और इंतजार करने की बात सोच कर, अपना ये इरादा टाल दिया. मेरा सोचना ज़रा भी ग़लत नही निकला. कुछ ही समय बाद, हमे अजय और अमन दोनो आते दिखाई दे गये. अजय ने हमारे पास आते ही कहा.

अजय बोला “सॉरी यार, इस अमन की वजह से तुम लोगों का खाना लाने मे देर हो गयी. मैं खाना लेकर निकल ही रहा था कि, ये भी मेरे साथ चलने की बोल कर, खुद डिन्नर करने बैठ गया.”

अजय की बात सुनकर, अमन ने अपनी सफाई देते हुए कहा.

अमन बोला “यार तुम लोग ही बोलो कि, मैने डिन्नर से फ़ुर्सत होने के बाद, यहाँ आकर क्या बुरा किया. अब कम से कम हम बिना किसी फिकर के, चाहे जितनी देर यहाँ रुक सकते है.”

अमन की बात सुनकर, अजय उसे लताड़ने लगा. कुछ देर हम उनकी इस प्यार भरी नोक झोक का मज़ा लेते रहे. फिर अमन ने इस नोक झोक से अपना पिछा छुड़ाते हुए कहा.

अमन बोला “अब ये सब बातें छोड़ो और तुम लोग अपना डिन्नर कर लो. मैं प्रिया के पास जाता हूँ और रिया को यहाँ भेजता हूँ.”

ये कह कर, अमन हमारे पास से चला गया और कुछ ही देर बाद रिया आ गयी. रिया के आने के बाद, हम एक रूम मे आ गये. अजय बिना डिन्नर किए आया था. इसलिए उसने भी हमारे साथ ही डिन्नर किया.

डिन्नर करने के बाद, रिया वापस प्रिया के पास चली गयी और अमन हमारे पास आ गया. इसके बाद हमारी काफ़ी देर तक प्रिया और नये हॉस्पिटल के बारे मे बातें होती रही. फिर रात को 1 बजे अजय और अमन घर वापस चले गये.

उनके जाने के बाद, मैने राज को बताया कि, मैं सुबह सिद्धि विनायक के मंदिर जा रहा हूँ. इसलिए मैं सुबह जल्दी घर चला जाउन्गा. इसके बाद, मेरी राज से यहाँ वहाँ की बातें होती रही.

मैं और राज बीच बीच मे, अंदर जाकर प्रिया को देख आते थे. ऐसे ही करते करते सुबह के 5 बज गये. सुबह होते ही, मैने कीर्ति को कॉल लगा दिया. लेकिन शायद वो अभी भी सोकर, नही उठी थी. इसलिए उसने मेरा कॉल नही उठाया था.

मेरे दो तीन बार कॉल लगाने पर उसने मेरा कॉल उठा लिया. मैने उस से अपने घर आने की बात जाता कर कॉल रख दिया. इसके बाद, मैने राज को घर जाने की बात जताई और मैं घर के लिए निकल पड़ा.

कुछ ही देर बाद मैं घर पहुच गया. घर पहुच कर, मैने कीर्ति को कॉल लगा कर, दरवाजा खोलने को कहा. थोड़ी देर बाद, कीर्ति ने आकर दरवाजा खोला और मैं उसके साथ अंदर आ गया. लेकिन घर के अंदर का नज़ारा देख कर मैं हैरान हुए बिना ना रह सका.
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09-11-2020, 12:00 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मुझे तो लग रहा था कि, अभी सब सो रहे होगे. इसलिए मैने घर आने के बाद, डोरबेल बजाने की जगह, कीर्ति को कॉल लगा कर दरवाजा खुलवाया था.

मगर यहाँ का नज़ारा तो मेरी सोच के बिल्कुल ही उल्टा था. इस वक्त घर मे सब कहीं जाने की तैयारी करते नज़र रहे थे. जिस वजह से घर मे काफ़ी चहल पहल का महॉल बना हुआ था.

उस से भी बड़ी हैरानी की बात ये थी कि, इस समय निक्की और नितिका भी यही होना थी. मैं खड़े खड़े हैरानी से सबको देख रहा था कि, तभी बरखा दीदी ने मेरे पास आते हुए कहा.

बरखा दीदी बोली “अरे, तुम आते ही खड़े क्यो हो गये. हम सब तैयार है, तुम भी जाकर जल्दी से तैयार हो जाओ.”

बरखा दीदी की बात सुनकर, मुझे इतना तो समझ मे आ गया कि, शायद वो सब भी हमारे साथ ही जा रहे है. लेकिन ये सब कब और कैसे हुआ. ये बात मेरी समझ मे नही आ रही थी.

मैने भी इस समय इस बात मे समय गवाना ठीक नही समझा और अपने कमरे मे आकर फ्रेश होने चला गया. मैं जब नहा कर बाथरूम से बाहर निकला तो, अमि निमी मेरे बेड पर बैठी थी.

मुझे देखते ही, निमी फ़ौरन दौड़ लगा कर बाहर भाग गयी. जबकि अमि वही बैठी रही. मैने तैयार होते हुए अमि से कहा.

मैं बोला “बेटू, ये निम्मो मुझे देख कर क्यो भाग गयी. क्या इसने सुबह सुबह कोई शरारत की है.”

अमि बोली “नही भैया, वो कीर्ति दीदी ने हमे यहा बैठाया था और कहा था कि, जैसे ही आप नहा कर बाहर निकले, हम उनको आकर बता दे. वो आपके लिए चाय लेकर आ जाएगी.”

मुझे अमि की बातों से समझ मे तो आ गया था कि, निमी मुझे देख कर, इस तरह क्यो भागी है. फिर भी मैने अंजान बनते हुए अमि से कहा.

मैं बोला “लेकिन बेटू, इसके लिए निम्मो को भागने की क्या ज़रूरत थी. वो आराम से जाकर भी तो कीर्ति को ये बात बता सकती थी.”

अमि बोली “भैया, निमी को लगा कि, कहीं उस से मैं जाकर कीर्ति दीदी को ये बात ना बता दूं. इसलिए उसने आपको देखते ही दौड़ लगा दी.”

इतना कह कर, वो खुद ही अपनी बात पर खिलखिला कर हँसने लगी और उसकी इस हँसी मे मैं भी उसका साथ देने लगा. मेरे तैयार होते ही कीर्ति चाय लेकर आ गयी. मैने चाय पी और फिर मैं अमि निमी और कीर्ति के साथ बाहर आ गया.

मुझे देखते ही, सब जाने के लिए उठ कर खड़े हो गये और हम घर को ताला लगा कर बाहर आ गये. लेकिन हम इतने लोग हो चुके थे कि, एक गाड़ी मे नही आ सकते थे. इसलिए निक्की छोटी माँ से एक कार और निकाल लेने को कहने लगी.

निक्की की बात सुनकर, छोटी माँ ने एक कार और निकाल ली. लेकिन अब सवाल ये उठ रहा था कि, कौन किसके साथ बैठेगा. क्योकि सबके सब छोटी माँ के साथ ही बैठने ले लिए खड़े हुए थे.

क्योकि वाणी दीदी से अभी भी सबको दहशत लग रही थी. वाणी दीदी ने हमे गाड़ी मे बैठने की आवाज़ लगाई तो, मैने कीर्ति को वाणी दीदी की कार मे चलने इशारा किया और बरखा दीदी को भी अपने साथ ले आया.

हम तीनो आकर वाणी दीदी की गाड़ी मे बैठ गये और बाकी सब छोटी माँ के साथ हो गये. हम सबके गाड़ियों मे बैठते ही, हमारी गाड़ियाँ सिद्धिविनायक मंदिर जाने के लिए निकल पड़ी.

अभी सुबह के 6:15 बजे थे, इसलिए रास्ते मे ज़्यादा भीड़ नही थी. हम 6:30 बजे सिद्धिविनायक मंदिर पहुच गये. लेकिन वहाँ इतनी सुबह सुबह भी अच्छी ख़ासी भीड़ नज़र आ रही थी.

गाड़ियों को पार्किंग मे लगाने के बाद, छोटी माँ प्रसाद लेने लगी. वाणी दीदी ने भीड़ से बचने के लिए, छोटी माँ से वीआइपी दर्शन करने की बात कही तो, छोटी माँ ने उनको समझाते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “हम कोई फिल्म देखने नही आए है कि, भीड़ से बचने के लिए ब्लॅक से टिकेट ले ले. हम भगवान के दर्शन करने आए है और भगवान के डर पर कोई छोटा बड़ा, अमीर ग़रीब नही होता है.”

“भगवान छोटा बड़ा, आमिर ग़रीब नही देखते. वो तो केवल भक्ति भाव देखते है और जो उन के दर्शन पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ करता है. वो उसे अपने दर्शनों का फल ज़रूर देते है.”

“इसलिए हम सब भी आम लोगों की तरह ही बप्पा के दर्शन करेगे. मुझे विस्वास है कि, बप्पा हमे अपने दर्शनों का फल ज़रूर देगे और हमारी प्रिया जल्दी ही कोमा से बाहर आ जाएगी.”

छोटी माँ की इस बात को सुनने के बाद वाणी दीदी ने कुछ नही कहा और फिर हम सब आकर दर्शन करने वालों की कतार मे खड़े हो गये. लेकिन दर्शन करने वालों की कतार मे लगने के कुछ ही देर बाद, निमी की नौटंकी सुरू हो गयी.

वो अपने पैरों मे दर्द होने की बात कह कर, कीर्ति की गोद मे आ गयी. अब निमी इतनी छोटी भी नही थी कि, कीर्ति ज़्यादा देर तक उसे अपनी गोद मे ले सके. कुछ ही देर बाद, कीर्ति के हाथ दर्द करने लगे और उसने निमी को नितिका की गोद मे थमा दिया.

मगर कुछ ही देर बाद, नितिका को भी हाथों मे दर्द महसूस होने लगा तो, उसने निमी को निक्की की गोद मे दे दिया. लेकिन कुछ देर बाद, निक्की की हिम्मत भी जबाब दे गयी और निमी बरखा दीदी की गोद मे आ गयी.

बरखा दीदी को निमी को गोद मे लेने से ज़्यादा परेशानी नही हुई. लेकिन जब वो बहुत देर तक उसे गोद मे लिए रही तो, वाणी दीदी उनसे निमी को अपनी गोद मे देने की बात कहने लगी.

निमी ने जैसे ही वाणी दीदी की गोद मे जाने की बात सुनी तो, उसने फ़ौरन बरखा दीदी की गोद से नीचे उतरते हुए कहा.

निमी बोली “दीदी, अब मेरे पैर का दर्द ठीक है. मैं अमि दीदी के पास जाती हूँ.”

ये कहते हुए, वो दौड़ कर अमि के पास चली गयी और बाकी सब उसकी इस हरकत को देखते रह गये. निमी की इस हरकत पर नितिका ने बुरा सा मूह बनाते हुए कहा.

नितिका बोली “ये निमी भी बड़ी अजीब है. हम सबकी गोद मे रहकर, हमारे हाथों मे दर्द कर दिया और जब वाणी दीदी की उसे गोद मे लेने की बारी आई तो, उसके पैरों का दर्द ही गायब हो गया.”

नितिका की ये बात सुनकर, सब हँसने लगे और कुछ ही देर मे हम कतार मे चलते चलते बप्पा के सामने पहुच गये. हम सब ने बारी बारी से बप्पा के दर्शन किए. फिर छोटी माँ के प्रसाद चढ़ाने के बाद हम बाहर आ गये.

अभी सिर्फ़ 8 बजे थे. हमारे सुबह जल्दी यहाँ आ जाने की वजह से हमे ना तो ज़्यादा भीड़ भाड़ का सामना करना पड़ा था और ना ही हमे दर्शन करने मे ज़्यादा समय नही लगा था.

मगर सुबह जल्दी उठने और नाश्ता ना करने की वजह से अब सबको भूख लगने लगी थी. बरखा दीदी नाश्ता करने के लिए सबसे घर चलने की बात कहने लगी. लेकिन वाणी दीदी ने उनकी बात काटते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “नही, हमे 10 बजे के पहले हॉस्पिटल के इनॉग्रेषन मे भी पहुचना है और यदि हमने घर जाकर नाश्ता किया तो, हमे हॉस्पिटल के लिए निकलने मे देर भी हो सकती है.”

“इसलिए अच्छा यही होगा कि, हम यही आस पास के किसी रेस्टोरेंट मे चल कर नाश्ता कर ले और वही से प्रिया को देखते हुए, नये हॉस्पिटल चल चलेगे.”

वाणी दीदी की ये बात हम सबको सही लगी. हमने पास के ही एक रेस्टोरेंट मे नाश्ता किया और नाश्ता करने के बाद, हम सब 9:15 बजे प्रिया को देखने हॉस्पिटल पहुच गये.

इस समय हॉस्पिटल मे आकाश अंकल, मोहिनी आंटी और दादा जी थे. दादा जी और मोहिनी आंटी बाहर बैठे थे. जबकि आकाश अंकल प्रिया के पास थे. हम सब दादा जी और आंटी से मिलने लगे.

उनसे मिल लेने के बाद, छोटी माँ, अमि निमी और निक्की प्रिया के पास चली गयी. थोड़ी देर बाद, छोटी माँ और अमि निमी, प्रिया को देख कर वापस आई तो, वाणी दीदी और बरखा दीदी प्रिया को देखने चली गयी.

उनके प्रिया के पास से लौटने के बाद, कीर्ति और नितिका प्रिया को देखने गयी. जब वो लोग भी प्रिया को देख कर, आ गयी तो, फिर मैं प्रिया के पास पहुचा. आकाश अंकल उसके पास बैठे थे और निक्की उसके बेड पर ही बैठी थी.

लेकिन वो इस सब बेख़बर बेहोशी की नींद मे सोई हुई थी. उसके चेहरे पर कोई भाव नही था. फिर भी वो हमेशा की तरह बहुत प्यारी लग रही थी और ऐसा लग रहा था कि, जैसे वो अभी आँख खोल कर मुझसे बातें करने लगेगी.

मैं उसके चेहरे को देखने मे खोया हुआ था कि, तभी उसकी आँखों से आँसू बहने लगे. उसके आँसू बहते देख, अंकल ने काँपती आवाज़ मे निक्की से कहा.

आकाश अंकल बोले “निक्की बेटा, जल्दी से निधि को कॉल लगाओ. ये देखो फिर से प्रिया के आँसू आ रहे है.”

निक्की ने प्रिया के आँसू देखे तो, उसकी आँखों मे नमी आ गयी और उसने प्रिया के आँसू पोन्छ्ते हुए अंकल से कहा.

निक्की बोली “अंकल, निधि दीदी को कॉल लगाने का कोई फ़ायदा नही है. वो पहले ही बता चुकी है कि, प्रिया के आँसू दवाइयों की वजह से आ रहे है. जब तक इसका शरीर कोई हरकत नही करता, तब तक ये कोमा मे ही है.”

निक्की की ये बात सुनकर, अंकल की आँखों ने बरसना सुरू कर दिया. वो प्रिया का हाथ अपने हाथों मे लेकर, उसे अपनी आँखों मे लगाए, रोए जा रहे थे. ना जाने कितनी बार मैं उन्हे प्रिया के लिए रोते देख चुका था.

मैं पहले से इस प्रिया के लिए उनके इस प्यार की कदर करता था. लेकिन आज उनके इन आँसुओं की कीमत बहुत ज़्यादा बाद गयी थी. क्योकि आज उनकी आँख से गिरने वाला हर आँसू सिर्फ़ उनकी बेटी के लिए ही नही, बल्कि मेरी बहन के लिए भी गिर रहा था.

वो रोए जा रहे थे और निक्की उनको चुप करने की कोसिस कर रही थी. उनका रोना देख कर मेरी आँखों मे भी नमी आ रही थी. लेकिन मैने अपनी आँखों की नमी को सॉफ किया और अंकल को पकड़ के अपने साथ बाहर ले आया.

मैं उनको दिलासा देते हुए बाहर सबके पास ले आया और नितिका को अंदर भेज दिया. अंकल की ये हालत देख, छोटी माँ और वाणी दीदी उनको दिलासा देने लगी. उनकी बात सुनकर, अंकल ने आँसू भरी आँखोने से अपनी बेबसी जाहिर करते हुए कहा.

अंकल बोले “प्रिया मेरी सबसे लाडली बेटी है और उसकी हँसी से मेरा सारा घर गूँजता रहता था. लेकिन आज उसकी हँसी के बिना मेरा घर, घर ही नही लगता. मैने अपने इन्ही हाथों के झूलों मे मैने उसे झूलाया है और मेरी इन्ही उंगलियों को पकड़ कर उसने चलना सीखा है.”

“लेकिन आज ये हाथ इतने बेबस और लाचार हो गये है कि, अपनी बेटी को उसकी नींद से जगा भी नही पा रहे है. पता नही, मेरे किस गुनाह की सज़ा मेरी इस मासूम बेटी को मिल रही है. मुझसे उसकी ये हालत देखी नही जा रही है.”

अपनी बात कहते कहते अंकल के सबर का बाँध टूट गया और बिलख कर रोने लगे. उनका रोना देख कर, हम सबकी आँखें भी आँसुओं से भीग गयी. दादा जी ने उन्हे आगे बढ़ कर अपने गले से लगा लिया और उन्हे समझाने लगे.

तभी कहीं से निधि दीदी आ गयी. उनको इस समय यहाँ देख कर, हम सबको थोड़ी हैरानी हो रही थी. लेकिन वो खुद भी यहाँ का महॉल देख कर कुछ हैरान और परेशान सी हो गयी. उन ने हमारे पास आते ही कहा.

निधि दीदी बोली “क्या हुआ, यहा सब ठीक तो है ना.”

निधि दीदी की बात सुनकर, मैने उन्हे सारी बात बता दी. जिसे सुनने के बाद, उन्हो ने अंकल को दिलासा देते हुए कहा.

निधि दीदी बोली “अंकल आप प्रिया की ज़रा भी फिकर मत कीजिए. प्रिया की जितनी फिकर आपको है. उतनी ही उसकी फिकर मुझे भी है. तभी तो मैं डॉक्टर. रॉबर्ट के यहा पहुचते ही, उन्हे पहले प्रिया को दिखाने लेकर आई हू.”

ये कहते हुए, निधि दीदी ने अपने साथ आए डॉक्टर. रॉबर्ट का परिचय अंकल से करवाया और फिर वो डॉक्टर. रॉबर्ट को लेकर, प्रिया के कमरे की तरफ बढ़ गयी. हम लोग भी उनके पिछे प्रिया के कमरे तक आए.

लेकिन निधि दीदी ने हम सबको बाहर ही रोक दिया. निधि दीदी के अंदर जाने के थोड़ी देर बाद, निक्की और नितिका भी बाहर आ गयी. उन्हो ने बाहर आकर बताया कि, निधि दीदी के साथ आए, डॉक्टर ने उन लोगों को बाहर भेज दिया.

इसके बाद, हम सब बड़ी बेचैनी से निधि दीदी के बाहर आने का इंतजार करने लगे. करीब 10 मिनट बाद, निधि दीदी बाहर आई और आकाश अंकल को अपने पास बुलाया. उनकी कुछ देर आकाश अंकल से बातें होती रही.

फिर आकाश अंकल ने हमारे पास आकर निक्की को निधि दीदी के पास भेज दिया. निक्की के निधि दीदी के पास पहुचने पर निधि दीदी ने उस से कुछ बातें की और फिर उसे अपने साथ प्रिया के कमरे मे ले गयी.

शायद उनके साथी डॉक्टर को निक्की से कुछ पूछना था. करीब 10 मिनट बाद निक्की बाहर आई और छोटी माँ को अपने साथ बुला कर ले गयी. अब अंदर शायद छोटी माँ से मेरे बारे मे कुछ पुछा जाना था.

छोटी माँ के अंदर जाने के करीब 15 मिनट बाद, निक्की को छोड़ कर, बाकी सब बाहर निकल आए. छोटी माँ हमारे पास आकर खड़ी हो गयी और निधि दीदी, डॉक्टर. रॉबर्ट को लेकर अपने रूम मे चली गयी.
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09-11-2020, 12:00 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
213
हम सब बेचैनी से उनके वापस आने का इंतेजार करने लगे. कुछ देर बाद, वो अपने कमरे से बाहर निकली. उनके चेहरे पर खुशी झलक रही थी. उन ने हमारे पास आकर मुस्कुराते हुए कहा.

निधि दीदी बोली “अंकल, एक खुश-खबरी है. डॉक्टर. रॉबर्ट तो यहाँ सिर्फ़ आज के लिए आए थे. लेकिन प्रिया को देखने के बाद, उन्हो ने अपना इरादा बदल दिया है और उन्हो ने फ़ैसला किया है कि, वो कुछ दिन यही रहकर, खुद ही प्रिया का केस देखेगे.”

“उनके बारे मे तो मैं आपको पहले ही बता चुकी हूँ कि, वो अपने किसी भी केस मे असफल नही रहे है और ये हम सबके लिए बहुत खुशी की बात है कि, उन्हो ने खुद ही प्रिया का केस अपने हाथ मे ले लिया है.”

निधि दीदी की बात सुनकर, हम सबके चेहरे पर रौनक आ गयी. वही इस बात को सुनते ही नितिका ने कहा.

नितिका बोली “ये सब आज बप्पा के दर्शन करने का फल है. उन्हो ने ही डॉक्टर. रॉबर्ट के मन को बदल दिया होगा.”

नितिका की इस बात के जबाब मे निधि दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा.

निधि दीदी बोली “ये सच है कि, सच्चे मन से की गयी प्रार्थना कभी बेकार नही जाती और ये भी सच है कि, उपर वाला अच्छों के साथ कभी बुरा नही करता है. इसलिए विस्वास रखो कि, प्रिया जल्दी ठीक हो जाएगी.”

निधि दीदी की ये बात सुनकर, सबको बहुत हौसला मिला. लेकिन मेरा ध्यान इस समय इन सब बातों पर ना होकर, छोटी माँ के उपर था. वो प्रिया के कमरे से बाहर आने के बाद से चुप चुप सी थी.

अभी भी निधि दीदी की बात से उन पर कोई असर पड़ते नही दिखा. वो हम सब के साथ होते हुए भी, ना जाने किस सोच मे खोई हुई थी. वो अपनी सोच मे गुम थी कि, निधि दीदी ने अपनी बात का रुख़ उनकी तरफ मोड़ते हुए कहा.

निधि दीदी बोली “आंटी, इनॉग्रेषन का समय तो कब का हो चुका है. क्या आप वहाँ नही जाएगी.”

निधि दीदी की इस बात को सुनकर, छोटी माँ ने चौंकते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “हां, हां, हम सब भी वही के लिए निकालने वाले थे कि, तभी तुम आ गयी. अब देर करना ठीक नही है, चलो चलते है.”

ये कह कर, छोटी माँ ने आकाश अंकल, दादा जी और मोहिनी आंटी से जाने की इजाज़त ले ली. मगर कीर्ति ने हमारे साथ आने से मना कर दिया. उसने कहा कि, वो प्रिया के साथ ही वहाँ आएगी.

छोटी माँ ने भी उसे यही रुकने की इजाज़त दे दी. इसके बाद, निक्की को बुलाया गया तो, उसने भी सबसे यही बात कही. लेकिन निधि दीदी ने जब उसे हेतल दीदी के बारे मे समझाया तो, वो हमारे साथ चलने को तैयार हो गयी.

इसके बाद, कीर्ति और नितिका को प्रिया के पास ही छोड़ कर, हम सब निधि दीदी के साथ नये हॉस्पिटल के जाने के लिए निकल पड़े. कुछ ही देर मे हम सब नये हॉस्पिटल पहुच गये.

मैं पहली बार इस हॉस्पिटल मे आ रहा था. इसलिए इसे देख कर, मेरी आँखें खुली की खुली रह गयी. हॉस्पिटल की इमारत तीस मंज़िला होने के साथ साथ, उसके आस पास का महॉल भी हॉस्पिटल के हिसाब से ही था.

हॉस्पिटल के एक तरफ विशाल समुंदर तो, दूसरी तरफ एक बहुत बड़ा गार्डन था. इस समय गार्डन मे अच्छी ख़ासी भीड़ नज़र आ रही थी. इनॉग्रेषन प्रोग्राम उसी गार्डन मे चल रहा था.

जिस हॉस्पिटल मे अभी प्रिया थी, ये हॉस्पिटल उस से चार गुना बड़ा था. हॉस्पिटल के सामने गाड़ियों की पार्किंग के लिए बहुत बड़ी जगह दी गयी थी. जो अभी गाड़ियों से पूरी तरह से भरी हुई थी.

हम भी अपनी गाड़ियाँ वही पार्क करने लगे. गाड़ी से उतरते समय मेरी नज़र उस पार्किंग के पिछे बनी एक आलीशान इमारत पर पड़ी. जो किसी होटेल से कम नही लग रही थी. उसे देख कर, मैने बरखा दीदी से उसके बारे मे पुछा तो, उन्हो ने कहा.

बरखा दीदी बोली “ये एक धरमशाला है. इसे बाहर से आने वाले मरीजों को ध्यान मे रख कर बनाया गया है. जिस से कि मरीज के साथ आने वालों को यहा रुकने मे कोई परेशानी ना हो. यहाँ रुकने के साथ साथ खाने पीने की भी सुविधा है.”

बरखा दीदी से बात करते हुए हम सब उसी गार्डन मे पहुच गये. अजय ने अपने खास मेहमानो से हमारा परिचय कराया. इस समय वहाँ संतरी से लेकर मंत्री तक सभी मौजूद थे.

मगर मेरे जानने वालो मे, अजय, अमन, निशा भाभी, शिखा दीदी, अमन की मोम, चाचा, चाची, सीरू दीदी, सेलू दीदी, आरू, हेतल दीदी, हेटल दीदी की मोम, धीरू शाह, अभय, खालिद और अजय अमन के कुछ रिश्तेदार के अलावा कोई नही था.

इसलिए मैं छोटी माँ को सबसे मिलता छोड़ कर, शिखा दीदी के पास आ गया. मेरी शिखा दीदी से बात चल रही थी कि, तभी सीरू दीदी और हेतल दीदी आ गयी. हेतल दीदी ने मुस्कुराते हुए मुझे अपने गले से लगा लिया.

अमि निमी उनको देख कर, थोड़ा घबरा रही थी और उनकी इस घबराहट को देख कर, मैं उनका परिचय हेतल दीदी से करवाने से बच रहा था. क्योकि मैं अमि निमी की किसी हरकत की वजह से हेतल दीदी के दिल को चोट पहुचाना नही चाहता था.

लेकिन हेतल दीदी की नज़र अमि निमी पर पड़ गयी और उन्हो ने खुद ही मुझसे उनके बारे मे पुच्छ लिया. आख़िर मे मजबूर होकर, मैने उनका परिचय अमि निमी से करवाते हुए कहा.

मैं बोली “दीदी, ये अमि निमी है.”

इसके साथ ही मैने अमि निमी को भी हेतल दीदी का परिचय देते हुए कहा.

मैं बोला “बेटू, छोटी ये हेतल दीदी है.”

मेरे मूह से हेतल दीदी का नाम सुनते ही, अमि निमी का सारा डर भाग गया और उनके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. उनके चेहरे पर मुस्कुराहट देख कर, मेरा चेहरा भी फिर से खिल उठा.

असल मे उनके इस डर के भाग जाने की दो वजह थी. पहली सबसे ज़रूरी वजह तो ये थी कि, यहाँ वालों के भेजे गये, गिफ्ट और खिलोनो मे से उन्हे सबसे ज़्यादा, हेतल दीदी के भेजे हुए खिलोने ही पसंद आए थे.

जबकि दूसरी वजह ये थी कि, वो वीडियो मे हेतल दीदी को पहले ही देख चुकी थी. उस समय मैं उनको बता चुका था कि, तुमको इतने प्यारे गिफ्ट भेजने वाली हेतल दीदी यही है और जल्दी ही सर्जरी से इनका ये चेहरा ठीक हो जाएगा.

उस समय तो उन दोनो ने भी बड़े जोश मे कह दिया था कि, चेहरा खराब होने से क्या होता है. हमारी सबसे अच्छी दीदी तो यही है. लेकिन यहाँ अचानक उनको अपने सामने देख कर, वो शायद उन्हे पहचान नही पाई और घबरा गयी.

मगर जब उन्हे हेतल दीदी का नाम पता चला तो, उनका डर खुद-ब-खुद भाग गया और उनके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. मगर यहाँ भी निमी अपनी हरकत से बाज नही आई. उसने हेतल दीदी के सामने अपना रोना रोते हुए कहा.

निमी बोली “दीदी, आपने अमि दीदी को कितनी अच्छी नाचने वाली गुड़िया दी है. लेकिन मुझे ढोल बजाने वाला, ऐसा गुड्डा दिया है कि, वो ढोल बजाते बजाते ही गिर जाता है और सब मेरा मज़ाक उड़ाते है.”

निमी की बात सुनकर, सब हँसने लगे और हेतल दीदी ने उसके सामने बैठ कर, प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा.

हेतल दीदी बोली “तुम फिकर मत करो. मैं तुम्हे उस से भी प्यारी गुड़िया दूँगी.”

हेतल दीदी की बात सुनते ही, निमी ने खुश होते हुए कहा.

निमी बोली “दीदी, जल्दी से दे देना. नही तो आप हॉस्पिटल मे…….”

अभी निमी अपनी बात पूरी भी नही कर पाई थी कि, तभी सीरू दीदी ने उसे अपनी गोद मे उठा लिया. ये देख कर हेतल दीदी ने, सीरू दीदी को टोकते हुए कहा.

हेतल दीदी बोली “अरे उसे कहाँ ले जा रही हो. उसे उसकी बात तो पूरी करने दो.”

लेकिन सीरू दीदी ने उनकी बात को अनसुना करते हुए कहा.

सीरू दीदी बोली “अरे ये जब से आई है, तुम से ही बतियाए जा रही है. इस से थोड़ा मुझे भी तो बात करने दो. तब तक तुम पुन्नू से अपनी ज़रूरी बात को पूरा कर लो.”

ये कहते हुए, सीरू दीदी ने अमि को अपने साथ आने का इशारा किया और उन दोनो को हमारे पास से दूर लेकर चली गयी. हेतल दीदी को सीरू दीदी की ये हरकत समझ मे नही आई और वो हैरानी से उन्हे देखती रह गयी.

लेकिन मैं उनकी इस हरकत को समझ चुका था. असल मे निमी शायद बातों बातों मे हतेल दीदी के भरती होने की बात बोलने वाली थी. जिसे वक्त रहते सीरू दीदी ने बोलने से रोक दिया था और इसी वजह से वो उन्हे हम से दूर ले गयी थी.

हेतल दीदी को इस तरह हैरान देख कर, मैने बात का रुख़ अपनी तरफ मोड़ ते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी, वो लोग अभी वापस आ जाएगी. आप ये बताइए कि, आपको मुझसे क्या ज़रूरी बात करनी है.”

मेरी बात सुनकर, हेतल दीदी का ध्यान सीरू दीदी की तरफ से हट गया और उन्हो ने मुस्कुराते हुए कहा.

हेतल दीदी बोली “पहले तुम ये बताओ कि, तुम कितने दिन के लिए यहाँ आए हो. तब ही मैं तुम्हे अपनी बात बताउन्गी.”

मैं उनकी बात का मतलब समझ रहा था. फिर भी मैने अंजान बनते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी, मैं तो हॉस्पिटल के इनॉग्रेषन के लिए आया हू और इसके बाद चला जाउन्गा.”

हेतल दीदी बोली “तब तुम अपना जाना कुछ दिन के लिए टाल दो.”

मैं बोला “क्यो दीदी.”

हेतल दीदी बोली “क्योकि कल मेरी सर्जरी होने वाली है. ऐसे मे तुम्हे एक दो दिन तो मेरे पास रुकना ही पड़ेगा.”

हेतल दीदी की ये बात सुनकर, मैने भी थोड़ा नखरा करते हुए कहा.

मैं बोला “नही दीदी, मैं तो यहाँ खुद से आया हूँ. आपने तो मुझे ये बात बताने की ज़रूरत ही नही समझी. यदि मैं यहा नही आया होता तो, मुझे ये बात पता भी नही चलती और आपकी सर्जरी भी हो गयी होती.”

मेरी बात सुनते ही, हेतल दीदी ने कसम खाते हुए कहा.

हेतल दीदी बोली “अरे नही नही, मैं तुमको कॉल करने ही वाली थी. तभी निशा भाभी ने बताया कि, तुम यहाँ आ रहे हो. तुमको चौकाने के लिए ही, हमने ये बात अभी तक छुपा कर रखी थी.”

“लेकिन अब यदि तुमने मेरी सर्जरी के पहले यहाँ से जाने की बात सोची भी तो, मैं सर्जरी से सच मे भाग जाउन्गी और तुम जानते हो कि, मेरे लिए ऐसा करना कोई बड़ी बात नही है.”

उनकी ये बात सुनकर, मुझे मन ही मन हँसी आ गयी. क्योकि इसी डर की वजह से तो, सब उनसे प्रिया की बात को छुपा कर रखे हुए थे. मैने उनकी इस बात को सुनकर, उन्हे यकीन दिलाया कि, मैं उनकी सर्जरी के बाद भी यही रुकुंगा.

इसके बाद, मेरी उनसे इसी बारे मे बात चलती रही. तभी निधि दीदी हमे बुलाने आ गयी. अब कार्यक्रम के मुख्य-अतिथि हॉस्पिटल का लोकार्पण करने वाले थे. हम सब उन्ही के पास आकर खड़े हो गये.

उन्हो ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच के संग-मरमर के शीला-लेख का अनावरण किया और फिर से तालियों की गड़गड़ाहट गूँज गयी. लेकिन जैसे ही मेरी नज़र शिला-लेख पर लिखे हॉस्पिटल के ट्रस्टीस के नाम पर पड़ी, मैं चौके बिना ना रह सका.

हॉस्पिटल के ट्रस्टीस मे मेरा नाम भी लिखा हुआ था. ट्रस्टीस मे अपना नाम देख कर मैने चौुक्ते हुए निशा भाभी से कहा.

मैं बोला “भाभी ये सब क्या है. हॉस्पिटल के ट्रस्टीस मे मेरा नाम क्यो लिखा हुआ है.”

मेरी बात सुनकर, निशा भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा.

निशा भाभी बोली “तुम ट्रस्टीस मे शामिल हो. इसलिए तुम्हारा नाम लिखा हुआ है. तुम पूरे नाम पढ़ो, तुम्हे और भी नये नाम नज़र आएगे.”

निशा भाभी की बात सुनकर, मैं एक बार फिर से हॉस्पिटल ट्रस्टीस का नाम पड़ने लगा. ट्रस्टीस मे सबे पहले अजय, फिर अमन, फिर निशा भाभी, फिर शिखा दीदी, फिर निधि दीदी, फिर बरखा दीदी, फिर हेतल दीदी, फिर सीरू दीदी, फिर सेलू दीदी, फिर आरू, फिर निक्की, फिर प्रिया और सबसे आख़िरी मे मेरा नाम था.

पहले हॉस्पिटल के 7 ट्रस्टीस बनाए गये थे. जिनमे कि अजय और आरू का नाम जोड़ा जाना था. लेकिन अब हॉस्पिटल के 13 ट्रस्टीस थे. जिनमे अजय और आरू के साथ साथ, निधि दीदी, निक्की, प्रिया और मेरा नाम भी जोड़ दिया गया था.

मुझे उसमे किसी के नाम पर कोई ऐतराज नही था. लेकिन फिर भी अपना और प्रिया का नाम जोड़े जाने पर कुछ अजीब ज़रूर लग रहा था. मैने अपनी इस हैरानी को निशा भाभी पर जाहिर करते हुए कहा.

मैं बोला “भाभी, इसमे बाकी नाम तो ठीक है. लेकिन इसमे मेरा और प्रिया का नाम क्यो जोड़ा गया है.”

निशा भाभी बोली “प्रिया निक्की की सहेली है और उसका नाम निक्की के कहने पर जोड़ा गया था. इसलिए प्रिया का नाम देख कर तुमको हैरान होने की ज़रूरत नही है. हां तुम अपने नाम का ज़रूर पुच्छ सकते हो कि, वो किसके कहने पर जोड़ा गया.”

मैं बोला “इसमे पुछ्ना क्या है. मेरा नाम शिखा दीदी या बरखा दीदी के कहने पर जोड़ा गया होगा.”

मेरी बात सुनकर, निशा भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा.

निशा भाभी बोली “नही, तुम्हारा नाम हम मे से किसी के कहने पर नही जोड़ा गया. असल मे तुम्हारे जाने के बाद, हम सब तुम्हारी हॉस्पिटल का नाम बदलने की बात पर चर्चा कर रहे थे.”

“शिखा और बरखा तो इस बात पर अपनी सहमति दे चुकी थी. लेकिन अलका आंटी से इस बारे मे बात करना बाकी रह गया था. जब हमने उनसे इस बारे मे बात की तो, उन्हो ने भी इस पर कोई ऐतराज नही जताया.”

“उन्हो ने सिर्फ़ इतना कहा कि, उन्हे हॉस्पिटल का नाम शेखर के नाम पर ना रखे जाने से कोई ऐतराज नही है. लेकिन वो चाहती है कि, पुन्नू उनके बेटे जैसा है और उसने शेखर की जगह, शिखा के भाई का फ़र्ज़ निभाया है.”

“यदि इस हॉस्पिटल मे किसी तरह से उसको भी जोड़ लिया जाए तो, उन्हे बेहद खुशी होगी. उनकी ये बात सुनकर, हम सबके चेहरे खुशी से खिल उठे और अमन ने तुम्हारा नाम ट्रस्टीस मे जोड़े जाने की बात रख दी.”

“तुम्हारा नाम ट्रस्टीस मे नाम जोड़े जाने के बाद, अजय, आरू और निक्की का नाम भी वापस ट्रस्टीस मे जोड़े जाने की बात चल रही थी कि, तभी बरखा ने निधि का और निक्की ने प्रिया नाम जोड़ने की बात रख दी.”

“प्रिया का नाम ट्रस्टीस जोड़े जाने की सहमति हमने आकाश अंकल से ले ली थी. जबकि तुम्हारा नाम जोड़े जाने की सहमति सीरू ने सुनीता आंटी से ली थी. इस तरह ये सारे नाम सबकी सहमति से ही जोड़े गये है.”

निशा भाभी की इस बात से याद आया कि, जब यहाँ से जाने के बाद, हम मेहुल के घर मे थे, तब सीरू दीदी ने छोटी माँ से बात करके, उनका गुस्सा शांत किया था. शायद यही बात करके उन्हो ने छोटी माँ गुस्सा शांत किया था.

लेकिन निक्की का नाम वापस जोड़े जाने की बात मेरी समझ मे नही आ रही थी. क्योकि निशा भाभी ने पहले जिन 7 ट्रस्टीस के नाम बताए थे, उनमे निक्की का नाम नही था. मैने जब निशा भाभी के सामने ये बात बात रखी तो, उन्हो ने कहा.

निशा भाभी बोली “निक्की का नाम पहले ट्रस्टीस मे शामिल किया जाना था. लेकिन जब अजय और आरू का नाम उसमे शामिल नही किया गया तो, निक्की ने भी अपना नाम शामिल करने से मना कर दिया था.”

मेरी निशा भाभी से बात चल रही थी कि, तभी शिखा दीदी मेरे पास आ गयी और मेरी उनसे बात होने लगी. अब सभी लोग हॉस्पिटल मे थे और अमन सबको हॉस्पिटल मे प्रदान की जाने वाली सुविधाओं के बारे मे बता रहा था.

इस सबके चलते चलते 1 बज गया और लोगों का जाना सुरू हो चुका था. कुछ ही देर मे कुछ खास लोगों को छोड़ कर, बाकी लोग जा चुके थे. अब अमन नये हॉस्पिटल के डॉक्टर और नर्स से चर्चा कर रहा था और उन्हे कुछ ज़रूरी निर्देश दे रहा था.

जब अमन का सबको निर्देश देना हो गया तो, वो हमारे पास आ गया और हेतल दीदी से घर जाकर आराम करने को कहने लगा. मगर हेतल दीदी हम सबको छोड़ कर घर जाने को तैयार नही हो रही थी.

तब अमन ने मुझसे और सीरू दीदी से हेतल दीदी के साथ घर जाने को कहा. हम अमन के ऐसा करने का मतलब समझ रहे थे. इसलिए हम बिना कोई सवाल जबाब किए, हेतल दीदी के साथ जाने को तैयार हो गये.

निशा भाभी हमसे अमि निमी को अपने साथ घर ले जाने को कहने लगी. जिसके बाद, मैं, अमि निमी, सीरू दीदी और हेतल दीदी घर के लिए निकल गये. अमन के घर पहुच कर, हम सब यहाँ वहाँ की बातें करते रहे.

इसी बीच हम लोगों ने एक साथ मे खाना खाया. फिर 5 बजे के बाद सेलू दीदी, आरू, अमन और निशा भाभी घर वापस आ गयी. उन्हो ने बताया कि प्रिया को नये हॉस्पिटल मे शिफ्ट कर दिया गया और अब हम लोग वहाँ जा सकते है.

निशा भाभी से इजाज़त मिलने के बाद, मैं सीरू दीदी और अमि निमी के साथ हॉस्पिटल आ गया. प्रिया का रूम हॉस्पिटल के 25थ फ्लोर पर था. हम लोग सीधे 25थ फ्लोर पर पहुच गये.

प्रिया इस समय जिस रूम मे थी, उसे देख कर, लग ही नही रहा था कि, वो इस समय किसी हॉस्पिटल मे है. उसका रूम किसी होटेल के सूयीट से कम नही लग रहा था. इस समय प्रिया के पास सभी लोग मौजूद थे.

अजय उन से कुछ बात कर रहा था और किसी ने भी हमे आते हुए नही देखा था. लेकिन तभी प्रिया की आँखों से फिर आँसू बहने लगे और प्रिया के आँसू देखते ही, एक एक करके, सबकी नज़र खुद-ब-खुद दरवाजे की तरफ बढ़ती चली गयी.

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