05-06-2019, 11:37 AM,
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sexstories
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RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
शाजिया के चेहरे पर हल्की सी लाली आ गयी और उसकी नज़रें झुक गयीं। शाजिया फिर सोचने लगी कि कहीं राज को शक तो नहीं हो गया है कि वो हर उपलब्ध मौके पर कुत्तों से चुदवा रही थी। अगर राज को संदेह हो गया था तो शायद उसे इस बात की परवाह नहीं थी और वो इस बात को नज़रअंदाज़ कर रहा था। अगर राज को परवाह नहीं तो वो स्वयं क्यों चिंता करे।
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शाजिया ने अपनी नज़रें उठा कर ऊपर देखा और नटखट मुस्कुराहट के साथ बोली, “ठीक है तू उन्हें खिला-पिला कर खुद भी खाना खाले... तुने भी काफी कसरत की है....'
राज ने फिर से गर्दन हिलायी। वो सोच रहा था कि उसकी मालकिन ने क्या अभी-अभी इशारे में ये कबूल कर लिया था कि वो कुत्तों से चुदवाती थी। जो भी हो उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था। राज मुड़ा और कमरे के बाहर चला गया।
शाजिया भी बिस्तर से उठी और बार के पास जा कर एक ड्रिंक बनाने लगी। उसके कदम अभी भी हाई-हील के सैंडलों में लड़खड़ा रहे थे।
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हफ्ते भर बाद की बात है। शाम के छः बज रहे थे। चंडीगढ़ से शाजिया की कॉलेज के दिनों की सहेली, नजीबा, उसके साथ दो-तीन दिन रहने आयी हुई थी। मौसम बहुत ही सुहाना था। सुरज ढलने को था और मंद सी ठंडी हवा चल रही थी। दोनों घर के पीछे लॉन में बड़ी सी छतरी के नीचे कुर्सियों पर बैठी वोडका पी रही थीं और अपने कॉलेज के दिनों की अपनी शरारतों और साथ बिताये वक्त की बातें कर रही थीं। सामने पहाड़ों की चोटियों का दृश्य बड़ा मनोहर था।
राज पकौड़े तल कर उनकी टेबल पर रखने के बाद चार-पाँच घंटे की छुट्टी ले कर पास के गाँव में अपने किसी दोस्त की शादी में शामिल होने के लिये चला गया था। वो रात को देर से लौटने वाला था। जाने से पहले, शाजिया के कहने पर उसने मूवेबल बार भी बाहर ला कर उनके पास रख दिया था जिस पर बर्फ की बाल्टी, ग्लास और वोडका, व्हिस्की, जिन इत्यादि कि कईं बोतलें मौजूद थीं।
दोनों सहेलियों पर हल्का नशा छाया हुआ था और वो पुरानी बातें याद करती हुई कहकहे। लगा रही थीं।
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“याद है शाजिया! किस तरह तू हॉस्टल से रात को भाग कर लड़कों के कमरों में चुदवाने । जाती थी?; नजीबा ने हँसते हुए कहा।
तू क्या कम थी.. तू तो लड़कों को गर्ल्स हॉस्टल में ही छिपा कर ले आती थी।'
मुझे तो आज भी याद है जब हम दोनों ने उस रिक्शा वाले को सुनसान जगह पर रिझाया था।
हाँ! बेचारा उत्तेजना से काँपने लगा था
और जब तूने उसकी धोती में हाथ डाल कर उसका लंड पकड़ा था तो बेचारा तेरे हाथ में झड़ गया था और फिर बिना पैसे लिये ही भग गया था
दोनों इसी तरह अपनी ऐयाशियाँ याद करते हुए डिंक पी रही थीं। दोनों की चूत गरमाने । लगी थी।
“कितनी मज़ की जिंदगी थी... आखिरी साल में फ्रेशर लड़कियों कि रैगिंग में तो हमने हद कर दी थी... जब हमने अपने रूम में उन्हें शराब पिला कर उन्हें नंगी नचाया था।
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“पी तो हमने भी रखी थी..."
सिर्फ शराब ही नहीं पी रखी थी.... उस दिन तो हम सीनियर लड़कियों ने गाँजे की सिगरेट भी पी थी... वो वंदना कहीं से सब को सपलाई करती थी।
शाजिया ने दोनों के ग्लास में व्हिस्की और वोडका मिला कर कुछ तगड़ा कॉकटेल बनाया।
“हाँ यार हमें भी कहाँ होश था... तभी तो रैगिंग इस हद तक पहुँच गयी थी कि हमने उन फ्रेशर लड़कियों कि चूत मोटी-मोटी मोमबत्तियों से चोदी थीं और बाद में उनसे अपनी चूत चटवायी थीं?”
और तूने तो हद ही कर दी थी जब तूने एक लड़की के मुंह में मूत ही दिया था?”
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