Porn Sex Kahani पापी परिवार
10-03-2018, 03:55 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
" चल अब जा अपने कमरे में ..निक्की आती होगी " ......इस बार अपने डॅड की बात मानती हुई निम्मी उसकी गोद से नीचे उतार कर खड़ी हो गयी और इसके साथ ही एक बार फिर से दीप की आँखों के ठीक सामने उसकी बेटी की कुँवारी चूत आ गयी ...उसने अपना चेहरा ऊपर उठा कर देखा तो निम्मी एक - टक उसे ही देखती हुई दिखाई पड़ी.

" डॅड एक सच बात कहूँ जो मैने आपसे आज तक नही कही " .......निम्मी ने दीप का हाथ पकड़ कर अपनी सख़्त छाति से चिपका लिया ..... " इस दिल में आप के अलावा, आज तक कोई नही रह पाया है और ना ही कभी कोई रह पाएगा " ......इतना कहने के बाद उसने सोफे पर रखा अपना शॉर्ट्स उठाया और नंगी ही दौड़ती हुई सीढ़ियाँ चढ़ने लगी.

दीप उसे दौड़ते हुए गौर से देखने लगा, बेटी के मांसल चूतड़ आपस में रगड़ खाते हुए ज़ोरो से मटक रहे थे, सीढ़ियाँ चढ़ते वक़्त उसकी चूत की लकीर इतनी दूर से भी दीप सॉफ देख सकता था या फिर उसके मष्टिशक में अब बेटी की चूत के अलावा कुछ और शेष बचा ना था.

कमरे में पहुच कर निम्मी सीधे अपने बेड पर गिर पड़ी, आज पहली बार उसने ध्यान से कमरे का दरवाज़ा भी अंदर से लॉक किया था ...बेड पर लेट'ते ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी परंतु उसकी इस मुस्कान में कमीनेपन की झलक लेश मात्र नही थी, वह यह तो शुरूवात से ही जानती थी कि दीप उसे हमेशा से प्यार करता आया है, लेकिन आज उसे भी महसूस हो रहा था कि वह भी उससे उतना ही प्यार करती है ...बस कभी जता नही पाई थी, या कभी उसे इस बात का एहसास नही हो पाया था.

वहीं दीप नीचे हॉल में बैठा अपने ख़यालों में खोया हुआ था ...उसके गहन - चिंतन में आज ना तो शिवानी थी ना ही तनवी, बल्कि अब जो नया चेहरा उसकी आँखों पर पूरी तरह से अपना क़ब्ज़ा बना चुका था ...वह उसकी खुद की सग़ी छोटी बेटी का था.

यूँ ही सोचते - सोचते दोनो बाप - बेटी नींद के आगोश में पहुच गये, कुछ देर बाद निक्की भी कॉलेज से घर लौट आई ...आज तीनो में से किसी से लंच नही किया था तो दीप ने डिन्नर के लिए बाहर जाने का प्लान बनाया.

तीनो शाम को ही घर से घूमने के लिए निकल गये, निक्की ने हमेशा की तरह सलवार - सूट पहना था और निम्मी ने जीन्स - टॉप ...घूमने के पश्चात उन्होने डिन्नर किया और वापसी में थोड़ी देर के लिए बीच पर भी रुके.

दीप लगातार निम्मी की हरक़तें नोट कर रहा था, स्वयं निक्की भी हैरान थी कि आज इस बोलती मशीन को जंग कैसे लग गया ...उसने काई बार कोशिश की अपनी छोटी बहेन से बात करने की लेकिन हर बार निम्मी ने सिर्फ़ उतना ही जवाब दिया ...जीतने में उनकी बात पूरी हो सके, इसके साथ ही दीप ने यह भी महसूस किया कि निम्मी का चेहरा लाज और शरम से भरा हुआ है ...वह अपने डॅड से अपनी आँखें चुरा रही है और कयि बार पकड़े जाने पर घबराहट में अपने होंठ चबाने लगती है, उसकी साँसें भारी हो जाती हैं ...जिसके कारण खुद दईप को ही अपनी आखें उसके लज्जा से पूर्ण चेहरे से हटानी पड़ती.

घूमने के बाद तीनो घर लौट आए ...घर आते ही निम्मी सीधा अपने कमरे में चली गयी, दीप ने निक्की से कुछ नॉर्मल सी बातें की और वे दोनो भी अपने - अपने कमरो में परवेश कर गये.

रात के ठीक 1 बजे दीप के कमरे के दरवाज़े पर दस्तक हुई, वह उस वक़्त सिर्फ़ अंडरवेर में सो रहा था ...उठने के बाद उसने बेड पर पड़ी चादर को अपने जिस्म पर लपेट लिया और दरवाज़े की तरफ बढ़ गया.

दरवाज़ा खोते ही उसे बाहर निम्मी खड़ी दिखाई दी ....... " डॅड मुझे नींद नही आ रही, क्या मैं अंदर आ जाउ ? " ........दीप हथ्प्रथ उसके खूबसूरत चेहरे में खो गया ...निम्मी नहा कर आई थी और उसके बदन से उठती मादक सुगंध ने दीप के नथुने फूला दिए, कुछ देर तक जड़ बने रहने के बाद दीप दरवाज़े से पीछे हट गया और निम्मी उसके कमरे में प्रवेश कर गयी.

दरवाज़े को लॉक करने के बाद दीप भी बेड के नज़दीक आने लगा, निम्मी इस वक़्त एक छोटी सी नाइटी पहेने अपनी टांगे बेड के किनोर पर लटकाए बैठी थी ...उसकी उंगलियाँ अपने पानी से नीचूड़ते गीले बालो को सुलझा रही थी और यह कामुक नज़ारा देखते ही दीप का हलक सूखने लगा और वह ना चाहते हुए भी ठीक निम्मी के बगल में बैठ गया.

" डॅड शायद में आप के रूम में 2 - 3 साल बाद आई हूँ " .......इतना कहने के बाद जब निम्मी ने अपने पिता की आँखों में झाँका वह उनमें छुपि वासने के लाल डोरे सॉफ देख सकती थी ...हड़बड़ाकर निम्मी बेड की पुष्ट की तरफ सरकने लगी और जल्द ही वे दोनो बेड पर पूरी तरह से लेट गये.

" डॅड मैं आप के बारे में सब कुछ जानना चाहती हूँ " .....इतना कह कर निम्मी ने दीप की तरफ करवट ले ली और उसके अंडरवेर में बने तंबू को देखने लगी, वह जानती थी इस वक़्त उसके पिता की हालत खुद उसके जैसी है ...एक जवान लड़की का एक मर्द के इतने नज़दीक होना, उसे उत्तेजना से भरने को काफ़ी था.

" डॅड बोलिए ना " ......निम्मी ने सपने में खोए अपने पिता की नंगी छाती पर अपना हाथ रख दिया, अथाह बालो से भरी दीप की कठोर छाति बड़ी तेज़ी से धड़क रही थी ...खुद निम्मी ने भी महसूस किया ऐसा करते ही उसके अपने बदन में भी कंपन आया है और इसका सीधा असर उसकी चूत में सिरहन पैदा करने लगा.

" क्या जानना चाहती है ? " .....होश में आने पर दीप फुसफुसाया ...वह अपनी बेटी के ठंडे व कोमल हाथ का स्पर्श अपनी छाती पर महसूस कर रोमांच से भर उठा था, वह देख रहा था इस वक़्त उसकी बेटी की नज़रें, अपने पिता के अंडरवेर में बने उभार पर टिकी हैं और वह उस उभार को देखती हुई अपने पिता की मजबूत छाती पर ...अपने हाथ की रगड़ दिए जा रही है.

" सब कुछ डॅड ..आप मोम से अलग क्यों हुए, क्या मोम आप से खुश नही ? " .......यह कहती हुई निम्मी सरक कर दीप से बिल्कुल सॅट गयी, उसका सवाल बेहद पर्सनल था पर वह जानना चाहती थी कि इतने बड़े व कठोर लंड के होते हुए भी उसकी मा अपने पति को कैसे ठुकरा सकती है ...इतने उम्रदराज होने के बाद भी जब वह खुद अपने पिता की तरफ आकर्षित है, तो उसकी मा को भला क्या दिक्कत हो सकती है.

" तेरी मोम मुझे झेल नही पाती और मैं हमेशा से अपनी शारीरिक ज़रूरतो के हाथो विवश होता आया हूँ " .....इतना कहने के बाद दीप रुक गया, वह आगे बोल पाता इससे पहले ही उसे महसूस हुआ जैसे निम्मी का हाथ उसकी छाती से नीचे फिसलने लगा हो ...वह एक बार फिर से विवश हो उठा, चाह कर भी अपनी बेटी का हाथ रोक नही पा रहा था और जल्द ही वक़्त आ गया जब उसकी बेटी ने अपना हाथ पिता की अंडरवेर में प्रवेश करवा दिया.

" उफफफफफ्फ़ !!! " ......दोनो के मूँह से करारी आह निकल गयी ...अपने पिता का पूर्ण विकसित लंड निम्मी अपने हाथ की मुट्ठी में जकड़ने की कोशिश करने लगी, वह मदहोशी से भर उठी थी ...लेकिन फड़फड़ाते उस दानव लौडे की मोटाई इतनी ज़्यादा थी कि वह चाह कर भी उसे अपनी छोटी सी मुट्ठी में क़ैद करने से महरूम रह गयी.
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10-03-2018, 03:55 PM,
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दीप ने अपनी कामुक मनोदशा को फॉरन झटका और वह उठ कर बैठने लगा ....... " निम्मी छोड़ दे बेटा ..यह सही नही है " .......परंतु उसके समझाने के बावजूद निम्मी ने फुर्ती दिखाते हुए उसकी अंडरवेर को नीचे खीच दिया.

" डॅड आपने मेरी हेल्प की है तो मैं आप की करूँगी ..इसमें ग़लत क्या है और अब मैं आप को कभी विवश नही होने दूँगी ..प्रॉमिस " ......दीप भौचक्का अपनी बेटी के चेहरे को देखने लगा ..हलाकी नाइट बल्ब की रोशनी इतनी ज़्यादा नही थी, लेकिन फिर भी काफ़ी हद्द तक दोनो एक दूसरे की हरक़तें सॉफ देख सकने में सक्षम थे.

" मुझे कोई हेल्प नही चाहिए निम्मी ..मैं ठीक हूँ " ......दीप बड़बड़ाया, निम्मी उसकी छाती पर अपना चेहरा रगड़ने लगी और साथ ही नीचे उसकी उंगलियाँ लंड के मोटे सुपाडे से छेड़खानी करने लगी.

" आहह !!! " .......दीप उच्छल पड़ा निम्मी ने उसके निपल पर अपने दाँत गढ़ा दिए थे ...वह पूरी तरह से काम लूलोप व अंधी हो चुकी थी, उसके लिए इस बात पर विश्वास करना कठिन नही था कि वह अपने पिता पर पूरी तरह से मोहित हो चुकी है ...धीरे - धीरे वह अपनी जीब रगड़ती हुई पिता की नाभि तक आ गयी ...उसे अपने पिता के जिस्म से आती अजीब सी मर्दाना महक उत्साह से भर रही थी.

दीप भी कब तक कंट्रोल कर पाता ...वह भी काफ़ी दिनो से भरा बैठा था, आख़िर कार उसका सैयम डगमगा गया और उसके हाथ स्वतः ही निम्मी के सर को नीचे की तरफ धकेलने लगे.

कुछ देर तक पिता की गहरी नाभि और हल्की बाहर को निकली तोंद का नमकीन पसीना चाटने के बाद निम्मी को उसका लक्ष्या बेहद करीब दिखाई देने लगा ...उसकी आँखें चमक उठी और इसके बाद उसने अपनी दोनो टांगे दीप के कंधो के आजू - बाजू से ऊपर ...उसके सर के पार निकाल दी.

दीप फॉरन उसका आशय समझ गया और बेटी की नाइटी उसकी कमर के ऊपर पलटने के बाद उसकी रस भीगी पैंटी नीचे सरका दी .... " डॅड उतार कर अलग कर दो " ......निम्मी ने अपना निचला ढीला कर लिया और दीप ने एक - एक कर उसकी दोनो टाँगो से पैंटी को बाहर खीच लिया ...अब दोनो मुक्त थे पूरी तरह से अनाचार का लुफ्त उठाने को.

दोनो ही एक - दूसरे के रस से सराबोर नाज़ुक अंग की सुगंध से अपना नियंत्रण खोने लगे और यहाँ पहला वार निम्मी का रहा ...उसने अपने खुश्क होंठ पिता के सिरहन से काँप रहे लंड के अग्र भाग से बुरी तरह चिपका दिए और फिर अपनी लंबी जिहवा बाहर निकालते हुए मोटे सुपाडे पर स्थित गाढ़े प्रेकुं को चाट लिया.

" ह्म्‍म्म्मम !!! " ........दीप आनंदविभोर हो उठा और बदले में उसने भी निम्मी के चूतड़ो को अपने पंजो में भीचते हुए उसकी संपूर्ण चूत एक बार में ही अपने मूँह के अंदर भर ली ...निम्मी ने उसके सुपाडे को तेज़ी से चाटना शुरू कर दिया और फिर पुरजोर मूँह फाड़ते हुए उस छोटे सेब समान सुपाडे को अपने होंठो के अंदर लेने लगी ...वह आश्चर्य चकित थी और एक अंजाना भय भी उसके मश्तिश्क में बवाल करने लगा था, हलाकी वह सुपाडे को अपने छोटे से मूँह के अंदर प्रवेश करवाने में कामयाब हो गयी थी लेकिन उसे चूसने के लिए उसके मूँह में ज़रा भी गॅप नही बन पा रहा था.
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10-03-2018, 03:55 PM,
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पापी परिवार--46

दीप को कल्प्नास्वरूप यह एहसास हुआ जैसे उसका मोटा सुपाड़ा इस वक़्त किसी कुँवारी चूत के अंदर फस गया हो और वह जान गया कि निम्मी को लंड चूसने का सही ग्यान नही होने से वह कुछ भी कर सकने में असमर्थ है ...... " दिक्कत हो रही हो तो मत कर " ......कुछ देर तक जब निम्मी के मूँह ने कोई हलचल नही की तब दीप ने उसे समझाइश दी और इसके परिणामस्वरूप निम्मी आहत हो उठी ..... " नही ठीक है " .....बस इतना कहने के लिए उसने सुपाडे को मूँह से बाहर निकाला और फिर जितना मूँह फाड़ सकती थी, फाड़ने के बाद पुनः मूँह के अंदर दाखिल कर लिया ...दूसरी बार की कोशिश में वह काफ़ी हद्द तक सफल हुई थी और अब उसके होंठ भी लगभग संपूर्ण सुपाड़ा चूसने में कामयाब होने लगे थे, बेटी की इस कोशिश ने दीप को नयी ऊर्जा से भर दिया और वह भी पूरी तत्परता से उसकी चूत का मर्दन करने लगा.

निम्मी की कोशिशें लगातार ज़ारी रही और उसने अपनी थूक से लंड को भिगो डाला, तत्पश्चात अपनी जीब को सुपाडे पर गोल - गोल घुमाती हुई पूरी कठोरता से उसे चूसने भिड़ गयी ...उसके मश्तिश्क में दिक्कत और विवशता बस यही दो शब्द उथल - पुथल मचाए हुए थे ....... " वह अपने पिता से अत्यधिक प्रेम करती है, फिर उसे कैसी दिक्कत ? " ......हौले - हौले वह भी सारी काम - कलाओं का अच्छा - ख़ासा ग्यान अर्जित कर लेगी और फिर अपने पिता की सारी विवशता का पूर्ण रूप से अंत कर देगी ...शारीरिक सुख की चाहत को तो वह भी कभी नज़र - अंदाज़ नही कर सकती है, भले ही वे सुख उसे अपने पिता से प्राप्त होंगे ...परंतु उसे यह मज़ूर है, आख़िर वे दोनो ही सूनेपन से गुज़र रहे हैं फिर इसमें कैसा पाप ...जो है बस आनंद ही आनंद है.

अपने अजीबो - ग़रीब तर्क - वितर्क में उलझने के बाद भी निम्मी पूरे होशो - हवास में थी ...दीप भी पूरे ज़ोर - शोर से उसके भग्नासे को चूस रहा था और साथ ही अपनी तीन उंगलिओ की मदद से वह, बेटी की चूत की आंतरिक गहराई में उमड़ते गाढ़े रस को बाहर निकाल कर उसे सुड़कने लगता ...उसने कई बार अपनी लंबी जिह्वा चूत मुख से लेकर गुदा - द्वार तक रगडी थी और उसके ऐसा करने से निम्मी का उत्साह दोगुना हो जाता ...वह कयि - कयि बार अपने मूँह को नीचे दाबति हुई पूरा लंड निगलने की असफल कोशिश करने लगती ...जो अभी मुश्किल से सुपाड़ा भी क्रॉस नही कर पाया था.

कमरे में पाप और वासना का अच्छा ख़ासा खेल चल रहा था, जिसमें जीत एक बाप की होगी या फिर एक बेटी की और अब वे दोनो ही हारने के बेहद करीब आ चुके थे ...इस जद्दो - जहद में निम्मी का हौसला पहले पस्त हुआ और वह अपने पिता के मूँह पर तेज़ी से अपनी चूत थप्तपाने लगी, वह झड़ने लगी और इसी जोश में उसके होंठ इंचो में सरकते हुए सुपाडे के नीचे की खाल पर अपना क़ब्ज़ा जमाने लगे.

दीप ने इस बार भी बेटी की जवानी का अंश मात्र भी व्यर्थ नही जाने दिया और ...... " गून - गून " ......करती निम्मी को और भी ज़्यादा सुख पहुचाने की गर्ज से उसके अति संवेदनशील, कोमल गुदा - द्वार पर अंगूठे की मालिश करने लगा ...जब उसने चूत की फांको के अंदर छिपा सारा गाढ़ा रस चूस्ते हुए अपने गले के नीचे उतार लिया ...इसके फॉरन बाद वह अपनी दूसरी मनपसन्द चीज़ गान्ड के सिकुदे छेद पर टूट पड़ा.

गुदा - द्वार पर दीप की जिह्वा का स्पर्श पाते ही निम्मी सिहर उठी और अपना सारा ज़ोर इकट्ठा करते हुए उसने लगभग आड़ा लंड अपने मूँह के अंदर उतार लिया ...पित्रप्रेम में वह इससे भी आगे बढ़ना चाहती थी लेकिन अब ऐसा कुछ भी संभव नही हो पाता, लंड का अग्र भाग सीधा उसके गले को चोट करते हुए अंदर फस गया और इसके साथ ही निम्मी की साँसे उखाड़ने लगी ...उसकी आँखों से आँसू बहने लगे और अपना दम घुट'ता देख वह घबरा गयी, उसने ऊपर उठने की भरकस कोशिशें की लेकिन उसके जिस्म की ताक़त को इस आशाए पीड़ा ने लकवा मार दिया था.

अपना अंत इतने करीब से देखने के बाद निम्मी ने एक अंतिम गुहार अपने पिता से लगानी चाही और इसके लिए उसने अपने दाँत सख्ती से दीप के विकराल लौडे पर गढ़ा दिए ...दीप चीख उठा, हलाकी उसकी चीख निक्की के कमरे तक नही पहुच पाती परंतु उसने झटके से निम्मी की कमर थाम ली और उसे ऊपर को खीचने लगा ...लंड मूँह से बाहर आते ही निम्मी बेहोश हो गयी और उसका पस्त शरीर अपनी पिता के शरीर पर ढेर हो गया.

" निम्मी !!! " ......अपने दर्द की परवाह ना करते हुए दीप ने फॉरन अपनी बेटी का सुस्त जिस्म पलट दिया और अब निम्मी अपनी पीठ के बल बेड पर लेट गयी ...दीप ने उसके मूँह से बहती लार देख कर अनुमान लगाया कि आख़िर ऐसा क्यों हुआ है और काफ़ी कुछ उसका अनुमान सही बैठा ...इसके बाद उसने बेटी के कंधे थामते हुए उसे अपनी छाति से चिपका लिया ...वह रुन्वासा होने लगा था, कयि बार उसने निम्मी के चेहरे को थपथपाया और अथक कोशिशों के बाद उसकी बेटी की आँखें खुल गयी.

अपनी आँखें खोलने के बाद कुछ पल तक निम्मी खाँसती रही ...उसके गले में उसे अब भी काफ़ी तीव्र पीड़ा महसूस हो रही थी ....... " सॉरी डॅड !!! मैं हार गयी " .......बस उसने इतना ही कहा और अपनी बाहें दीप के पीठ पर बाँध ली और वह सिसकती हुई जाने कब सो गयी ...खुद दीप भी नही जान पाया.

इस हादसे ने दीप को विचलित कर दिया था, उसका अंतर्मन कुंठित हो कर उसके तोचने लगा ...वह इसी तरह सारी रात अपनी बेटी को अपनी धधकति छाती से चिपकाए बैठा रहा और जब सुबह के 5 बज गये ...उसे गोद में उठा कर उसके कमरे में सुला दिया.
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10-03-2018, 03:55 PM,
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सुबह नाश्ते की टेबल पर निक्की और दीप ...निम्मी का इंतज़ार कर रहे, कयि बार उसकी बड़ी बहेन उसे पुकार चुकी थी और जब निम्मी अपने कमरे से बाहर आई ...एक चमत्कार हो गया.

वह तेज़ी से सीढ़ियाँ उतरती हुई नाश्ते की टेबल पर आ गयी, पहले उसने दीप को पीछे से हग किया और इसके बाद अपनी बड़ी बहेन निक्की के भी गले लगी ...आज के चमत्कार में शामिल था उसके बदन पर चढ़ा लिबास.

इस वक़्त वा बिल्कुल प्लेन वाइट सलवार - कमीज़ पहने थी, जिसे देख कर निम्मी और दीप दोनो सकते में आ गये ...... ओ हेलो !!! मैं कोई भूत नही हूँ और अब से यही मेरा ड्रेस कोड है " ......और इतना कह कर वह ज़ोर से हँसने लगी, दीप तो जैसे उसकी खूबसूरती में खो सा गया था ...वह बेटी जिसे हमेशा उसने लगभग नग्न ही देखा था, आज अपना पूरा बदन ढके किसी परी समान दिख रही थी.

निम्मी अपने पिता की गोद में बैठ गयी ...... " चलो खिलाओ मुझे " ......और ज़बरदस्ती उसके हाथो से नाश्ता करने लगी ...यह देख कर निक्की भी अधीर हो उठी, आख़िर वह भी तो कुछ ऐसा ही प्यार चाहती थी लेकिन वह प्यार उसे अपने पिता से नही अपने भाई निकुंज से पाना था.

उसने अपने मर्म को ज़ाहिर ना करते हुए निम्मी को खूब चिढ़ाया ..खूब हसी, खूब मज़ाक किया और फिर नाश्ता ख़तम कर कॉलेज के लिए रवाना हो गयी.

" डॅड !!! आज मैं पूरा दिन आप के साथ घूमूंगी, मुझे मूवी देखना है ..थोड़ी शॉपिंग करनी है &; हां !!! कार ड्राइविंग भी सीखनी है " ......दीप अपनी बेटी के अंदर आए इतने बदलाव को देख कर हैरान था, लेकिन कल रात की बात को भी नही भुला पाया था ...हलाकी कम्मो से किया वादा निभाने में वह काफ़ी कामयाब हुआ था, लेकिन उसकी इस कामयाबी में उसके बड़े - बड़े पाप शामिल थे.

दिन भर दोनो बाप - बेटी सारे शहेर की खाक छानते रहे .... पीवीआर टॉकीज में मूवी देखते वक़्त भी निम्मी ने एक पल को अपने पिता का हाथ नही छोड़ा .... वह अब पूर्ण रूप से दीप पर मंत्रमुग्ध हो चुकी थी.

लेकिन जो अदायें उसमें कल से पहले थी .... उतावलापन, चंचलता, नटखटिया अंदाज़, छेड़ - खानी करना या सीधे शब्दो में उंगली करना, दूसरो को हलाल करना .... वह इतने कम समय में अपनी इन हरक़तों में सुधार तो कतयि नही ला सकती थी और ना लाना चाहती थी .... बस एक चीज़ जिससे उसका नया नाता जुड़ा, वह था ...... ' प्रेम ' ..... और जिस पुरानी चीज़ का उसने त्याग किया, वह थी ...... ' जलन '

टॉकीज से बाहर आने पर दोनो शॉपिंग स्टोर्स के गलियारे में घूमने लगे, दीप जानता था निम्मी को खरीद - दारी करना बेहद पसंद है और इसलिए वह जान कर उसे एक मेगा स्टोर के सामने ले आया ...... " चल बोल !!! कितने से काटेगी मुझे ? " ...... उसने बेटी की हर वक़्त चिड - चिड़ी दिखने वाली सुंदर नाक को अपने अंगूठे व तर्जनी के बीच फ़साते हुए पूछा और साथ हस्ते हुए उसका दाहिना कान भी पकड़ लिया.

" औचह !!! डॅड " ....... निम्मी क्रत्रिम क्रोध व दर्द भरा चेहरा बनाते हुए बोली ...... " क्यों !!! आज क्या मेरा हॅपी वाला बर्थ'डे है या आप का हलाल होने का ज़्यादा मन कर रहा है " ....... यह कहते हुए उसने पहले तो दीप के पंजे को जी भर के सूँघा और फिर अचानक से अपनी लंबी जिह्वा पूरे पंजे पर घुमाने लगी.

" यह !!! यह क्या कर रही है बेटा ? " ....... भरे हुज़ूम के बीच बेटी की इस हरक़त पर दीप हैरान रह गया और फॉरन उसके चेहरे से अपने दोनो हाथ पीछे खीच लिए.
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10-03-2018, 03:56 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
एक - आह - निम्मी को भी पता नही चला, आख़िर उसने यह ग़लती कैसे कर दी और वह भौचक्की हो कर अपनी नज़रें इधर - उधर घुमाने लगी .... दीप ने भी सॉफ पाया, एक - दम से निम्मी की साँसे काफ़ी तेज़ रफ़्तार से बढ़ी हैं पर ऐसा क्यों हुआ .... जिग्यसावश उसने पूछ लिया ...... " सब ठीक है ना ? "

" डॅड !!! आप की बॉडी से बड़ी स्ट्रेंज स्मेल आती है और आप का पसीना भी बहुत नमकीन है " ...... निम्मी ने फुसफुसाते हुए कहा ..... " और डॅड आप यकीन नही करोगे .. मुझे पता नही कैसा फील होता है बट लगता है जैसे मैं इन दोनो चीज़ो को हमेशा अपने बेहद करीब महसूस करती रहूं " ...... इतना कह कर उसने अपना चेहरा सीधा दीप की बाईं आर्म्पाइट से चिपका दिया और कुछ पल तक गहरी साँसे लेती हुई .... वहाँ से उठती मादक मर्दाना सुगंध सूंघति रही ...... " देखा डॅड !!! मैं पागल हो जाती हूँ इस स्मेल से .. और " ...... इसके आगे वह जो कुछ कहना चाहती थी नही कह पाई और उसका लज़्जतरण चेहरा नीचे झुक गया.

दीप ने उसका कहा हर लफ्ज़ बड़े गौर से अपने जहेन में उतारा और कुछ देर विचार्मग्न रहने के बाद उससे पूछा ..... " और क्या ? " ..... सवाल पूछ्ते वक़्त उसका चेहरा बेहद शांत व गंभीर हो चला था था ... वह आतुर था इस ...... " और " ....... शब्द के पीछे का रहस्य जान'ने को.

पिता की इस हैरानी को निम्मी सह नही पाई और हौले - हौले कुछ बुदबुदाने लगी, ऐसा जो शायद वह खुद भी नही सुन सकती थी.

" बोल ना !!! मैं सुन'ना चाहता हूँ " ...... यह कहते हुए दीप ने बेटी की ठोडी को थाम कर उसे ऊपर उठाया और एक प्यार भरी मुस्कान देते हुए उसे पूचकारने लगा.

" वो वो डॅड !!! स्मेल करते ही मुझे अपनी पुसी में पेन होने लगता है " ...... इतना कहते ही निम्मी की साँसे मानो उसके नियंत्रण से बाहर हो गयीं और अपने ही अश्लील कथन को सुन'ने के बाद उसका चेहरा उत्तेजनावश लाल हो उठा .... जिसे उसने दोबारा नीचे झुकाना चाहा परंतु उसके ऐसा करने से पहले ही दीप ज़ोरो से हँसने लगा.

" ओह माइ गॉड !!! तू जोक अच्छा मारती है .... अरे पागल मैने कल भी नही नहाया था और आज भी नही नहाया .... वो खुश्बू नही बदबू है " ....... दीप ने अपना अति - गंभीर चेहरा पल भर में बदलते हुए कहा ...... " वैसे सोच रहा हूँ मेरी बेटी ने इतनी तारीफ़ की है तो दो - चार दिन और नही नहाउ " ...... उसने निम्मी के गाल पर हल्की चपत लगा दी.

वहीं निम्मी उसकी बातों में फॉरन उलझ गयी .... उसका स्वाभाव ही कुछ ऐसा था, वह घड़ी - घड़ी कभी अंतरिक्ष में पहुच जाती थी और कहो तो अगले ही क्षण धरातल पर वापस लौट आए ...... " डॅड फिर तो मैं भी नही नहाउन्गि .. एक काम करते हैं, हम मस्त वाला पर्फ्यूम ले लेते हैं और देखना किसी को हमारे नहाने के बारे में पता भी नही चलेगा " ..... वह खिलखिला कर हंस दी .... जाने क्यों दीप को अपनी बेटी की बेवकूफी पर इतना प्यार आया कि भारी भीड़ में उसने उसे अपनी छाति से चिपका लिया.

" कभी ना बदलना निम्मी .. तू नही जानती मैं तुझे कितना प्यार करता हूँ " ...... दीप ने लगभग दो मिनिट तक उसे अपनी छाति से चिपका कर रखा ....... " चल आज तुझे खुली छूट दी, जो लेना है ले .. डॅड पेमेंट करेंगे " ...... वह उसका हाथ थामते हुए मेगा स्टोर की तरफ बढ़ गया.

यहीं निम्मी को एक शरारत सूझी और वह स्टोर के अंदर जाते ही काउंटर गर्ल से बोल पड़ी ...... " देखिए मेरे बाय्फ्रेंड को मेरे लिए कुछ हॉट ड्रेसस ख़रीदनी हैं .. क्या आप हेल्प करेंगी ? " ...... इतना कह कर उसने अपने पिता के हाथ पर ज़ोर से चींटी काट ली और फॉरन दीप हतप्रभ निम्मी को घूर्ने लगा परंतु वह अब उससे कहता भी क्या .... अपने दाँत बाहर निकाले उसकी बेटी उसे, सुंदरता की मूरत दिखाई पड़ रही थी .... जिसे वह हमेशा वैसा ही खुश देखने का आदि था.
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10-03-2018, 03:56 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
" शुवर मॅम !!! वेलकम है आप का स्टोर में " ...... काउंटर गर्ल ने एक नज़र मुस्कुराती निम्मी पर डाली और उसके बाद दीप का चेहरा देखने लगी .... पहले तो वह उनके आगे डिफरेन्स को लेकर थोड़ा हैरान हुई फिर ऑटोमॅटिक उसका चेहरा भी स्माइल करने लगा .... आख़िर रोज़ ना जाने कितने ऐसे कपल स्टोर में शॉपिंग करने आते थे और बात जब मुंबई शहेर की हो तो इग्नोर कर देना ही उचित होगा.

" जानू बताओ ना !!! किस हॉट ड्रेस में आप मुझे देखना चाहते हो .. वैसे घर पर तो कुछ पहेन'ने देते नही " ...... निम्मी का स्पष्ट संवाद सुन कर दीप के साथ काउंटर गर्ल के भी कानो से धुआँ निकल गया ..... " ओह्ह्ह !!! डोंट माइंड थोड़ी पर्सनल बात कह गयी " ..... इतना कह कर उसने दीप की कमर में अपना हाथ लपेट लिया .... मानो सारी दुनिया को बताना चाहती हो कि वा वहाँ अपने पिता के साथ नही बल्कि अपने प्रेमी के साथ खड़ी है.

" माफी की ज़रूरत नही मॅम .. आप हैं ही इतनी हॉट " ..... काउंटर गर्ल ने मस्का लगाते हुए कहा ... वह समझ गयी पार्टी पैसे वाली है और यहाँ से वह अच्छा ख़ासा साले कमिशन गेन कर लेगी ..... " वाकाई सर आप बहुत लकी हैं .. काफ़ी कम लॅडीस का फिगर मॅम की तरह फुल्ली शेप्ड होता है .. क्या मैं अपनी तरफ से कुछ हॉट &; लग्षुरी ड्रेसस सजेस्ट कर सकती हूँ .. आप को ज़रूर पसंद आएँगी " ..... इतना कह कर उसने निम्मी का पूरा फिगर अपनी अनुभवी आँखों में क़ैद कर लिया और वाजिब ड्रेसस निकालने लगी.

" यहाँ स्टोर में अलोड है ना .. एक्चूली !!! मैं इन्हे ड्रेसस पहेन कर दिखाना चाहती हूँ, यू नो ... बाद के लफदे " ...... निम्मी को अपने कमीनेपन पर वापस आने में ज़्यादा वक़्त नही लगा और दीप ना चाहते हुए भी उसकी हार बात पर मानो कठ - पुतली की तरह मोहर लगाता रहा.

" बिल्कुल अलाउड है मॅम !!! बट ट्राइयल रूम्स के बाहर कॅमरास लगे हैं जो हर 10 मिनिट्स बाद बीप करते हैं ताकि अंदर कोई दुर्घटना ना हो जाए .... आख़िर लोग कंट्रोल करें भी तो कैसे आंड आप की हॉटनेस्स देख कर तो लगता है .... सर वाकाई कंट्रोल नही कर पाते होंगे " ...... काउंटर गर्ल ने निम्मी की ओपननेस में अपनी नॉटीनेस्स मिक्स करते हुए कहा ...... " मॅम !!! ये सारी ड्रेसस ऊपरवाले ने ख़ास आप के लिए ही बनाई हैं आंड सर बी करेफ़ूल्ल " ....... इतना कहते हुए उसने बाप - बेटी दोनो को ट्राइयल रूम की सिचुयेशन बता दी और अपने अन्य कामो में व्यस्त हो गयी.

दीप ने देखा काउंटर पर इतने छोटे - छोटे कपड़े रखे हुए थे जितने तो शायद निम्मी ने पहले कभी नही पहने होंगे .... नाम मात्र के कपड़े जिन्हे पहेनना - ना पहेनना सब बराबर होता.

वहीं निम्मी कुछ ज़्यादा ही एग्ज़ाइटेड हो गयी और सारे कपड़े समेट'ते हुए उसने दीप से कहा ....... " चलें डॅड !!! " ...... हलाकी यह वाक्य उसके मूँह से हड़बड़ी या अपार आनंद में निकल गया होगा परंतु जब तक वह कुछ समझ पाती .... तब तक वहाँ भूचाल आ गया.

काउंटर गर्ल .... जो उस वक़्त एक्सट्रा ड्रेसस शिफ्ट करने में लग चुकी थी एक दम से उसके हाथ से सारे कपड़े नीचे फ्लोर पर गिर गये और फॉरन पलट'ते हुए उसने बाप - बेटी के चेहरे को देखा .... अपने आप उसका हाथ अपने खुले मूँह पर चला गया और वह हैरान रह गयी.

पल भर में ही अत्यंत बेज़्ज़ती का अनुभव कर दीप का चेहरा शर्मसार हो गया और उसने निम्मी के हाथ में पकड़े हुए सारे ड्रेसस फुर्ती में काउंटर पर रखवा दिए .... वे दोनो स्टोर से बाहर निकलने लगे, दीप ने अपनी बेटी का हाथ थाम रखा था और निम्मी ने जब पलट कर पीछे देखा तो काउंटर गर्ल के चेहरे पर कुटिल मुस्कान तैर रही थी .... यह देखते ही निम्मी भी उसी अंदाज़ में मुस्कुराइ और उसे आँख मार दी .... शायद वह उसे एक नयी पापी सीख देना चाहती होगी.

जल्द ही दोनो तेज़ कदमो से चलते हुए पार्किंग में पहुच गये ...... " चल बैठ अंदर और अब एक लफ्ज़ नही सुनना मुझे " ..... इतना कह कर दीप ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और निम्मी ने भी अपनी मुकम्मल जगह पर तशरीफ़ रख दी.

" यू नो डॅड आप की प्राब्लम क्या है .... आप बहुत बड़े फत्तु हो " ..... निम्मी ने उसके गियर डालने से पहले ही हमला बोल दिया .... वह रास्ते में ही तय कर चुकी थी, आज फाइनल बात करने के बाद ही घर जाएगी.

" क्या बोली तू !!! मैं फत्तु हूँ, शरम कर निम्मी ... देखा नही वह लड़की कैसे घूर कर हमे देख रही थी " ........ दीप की टोन निम्मी से ज़्यादा ऊँची हो गयी थी और वह लगभग चिल्लाते हुए बोला.

" तो देखने दो ना डॅड !!! क्या बंद कमरे की हरक़त कोई नही देखता .. हम तो देखते हैं, तब इस शरम को कहाँ ले कर जाएँगे ? " ...... निम्मी ने अपनी साइड का गेट ओपन करते हुए कहा ....... " मैं अब घर पर नही रहूंगी " ....... इतना कहती हुई वह कार से नीचे उतरने लगी.

" चुप चाप बैठ अंदर .. मैं बात कर रहा हूँ ना " ....... दीप ने उसे नीचे नही उतरने दिया और उसका हाथ पकड़ कर वापस उसे अंदर खीच लिया ....... " सुन निम्मी !!! जो हो गया सो हो गया, अब हम नॉर्मल लाइफ जियेंगे और तू भी भूल जा सब कुछ " ....... वह गियर डालते हुए बोला.

" आइ सेड स्टॉप दा कार डॅड !!! मैं कोई बाज़ारू रांड़ नही हूँ जिनसे आज तक आप घर के बाहर अपना जी बहलाते आए हो .. दो बार आप मेरा जिस्म चूस चुके हो, एक बार मैं आप का बदन चूस चुकी हूँ .. क्या इसके बाद भी भूलने की कोई गुंजाइश बचती है ? " ...... निम्मी ने अपनी बात पूरी की और दीप के बलिश्त हाथ की पाँचो उंगलियाँ उसके नर्म व गोरे गाल पर छप गयी .... थप्पड़ की उस करारी गूँज से पूरी कार हिल गयी थी.

" बस अब आपकी यही मर्दानगी बची है डॅड !!! वाकाई आप फत्तु हो .. यह मत समझना क़ी मैं रोने लग जाउन्गि .. निम्मी ने आज तक लोगो को रुलाया है और उसके आँसू जब वह खुद चाहती है तभी बाहर आते हैं .. कहीं ऐसा ना हो जाए किन आप भी अपनी बेटी के आँसुओ की जलन में तप जाओ " ...... निम्मी ने एक पल को भी अपने दर्द पर ध्यान नही दिया और अब वह ख़ूँख़ार शेरनी की तरह दीप पर चढ़ने लगी.
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10-03-2018, 03:56 PM,
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" डॅड !!! अगर आप यही चाहते हो कि हम सब भूल कर अपनी लाइफ री - स्टार्ट करें तो यह अब पासिबल नही .. आप नही जानते मेरे जिस्म की आग को, अरे आप को तो इस बात का भी अंदाज़ा नही होगा कि कल रात मैं बेहोश क्यों हुई .. मैने 1स्ट टाइम सकिंग की थी और अपना प्यार जताने के लिए जो किया, जितना किया .. आप कभी नही समझ पाओगे " ..... निम्मी अपनी बात कहना तो सॉफ लॅफ्ज़ो में चाहती थी लेकिन वह यह नही भूली कि उसकी बात सुनने वाला शक्स उसका पिता है .... बीती रात उसने दीप को प्लेषर रिटर्न किया था, वह खुद आनंद से सराबोर थी और चाहती थी उसके डॅड को भी उतना ही आनंद मिले .... तभी उसने पूरी ताक़त लगा दी थी दीप के विकराल लंड को चूसने में, परंतु उसका छोटा मूँह चाह कर भी इसमें सफल नही हो पाया.

" मुझे सब पता है निम्मी .. चल गुस्सा थूक दे, सब ठीक हो जाएगा " ....... दीप सारा सच जानता था लेकिन अब भी उसका दिल और आगे जाने को तैयार नही हो पा रहा था .... उसे निम्मी से उतना ही प्यार था परंतु वह उस प्यार में एक प्रेमिका की झलक नही ढूंड पा रहा था.

" गुस्सा तो मुझे आ रहा है डॅड और अब यह गुस्सा बढ़ना ही है .. जब आप विवश हो तो मैं भी हूँ, आप नही तो कोई और सही .. अब आप की कोई दखल अंदाज़ी मैं बर्दाश्त नही करूँगी, मुझे भी ऐश करनी हैं और आप तो हमेशा करते आए हो " ....... यह कहते हुए निम्मी ने घूर कर दीप की आँखों में देखा, उसकी रक्त - रंजित लाल आँखों से दीप ज़्यादा देर तक अपनी आँखों का मिलान नही कर पाया और घबरा कर उसने गियर डाल दिया .. अब उनकी कार पार्किंग से निकल कर मेन रोड पर आ गयी.

" उस मेडिकल स्टोर पर रोकना डॅड .. मुझे कुछ ज़रूरी सामान खरीदना है " ...... निम्मी के कहने पर दीप ने कार रोक दी और उसकी शर्ट की जेब में जितना भी माल रखा था सब एक झपटते में निम्मी के हाथ में आ गया .... वह कार से उतर कर बाहर निकल गयी.

" हे भगवान !!! मैं पागल हो जाउन्गा " ....... दीप ने अपना सर पकड़ लिया ...... " आज तक मैं इसके चेहरे को नही पढ़ पाया .. जहाँ सिर्फ़ देखने मात्र से ही मैं लड़की की पूरी कुंडली जान जाता हूँ, आज मेरी अपनी बेटी ने मुझे हरा दिया है " ...... दीप ने पहली बार जाना असमंजस की स्थिति किसे कहते हैं .... उसका पूरा घमंड निम्मी चूर - चूर कर चुकी थी और जाते - जाते भी 10 हज़ार से ज़्यादा पर हाथ सॉफ कर गयी.

कुछ देर बाद कार का गेट फिर से ओपन हुआ और निम्मी अंदर आ गयी ...... " अब हमे चलना चाहिए " ...... उसने हाथ में पकड़ा पॉलीबेग डॅश - बोर्ड के ऊपर रखते हुए कहा.

वे फिर से आगे बढ़ गये .... जितनी देर के लिए निम्मी बाहर गयी थी उतने में ही वह पसीना - पसीना हो चुकी थी, उसने फॉरन अपना दुपट्टा उतारा और अपना चेहरा पोंछने लगी .... उसके बदन से उठती मादक महक ने मानो दीप को मजबूर कर दिया और वह अपनी बेटी की हरक़तें चोर नज़र से देखने लगा.

शातिर निम्मी को भी पता था दीप उसे ही देख रहा है और उसने जान कर दुपट्टे को अपने उभरे क्लीवेज पर घुमाना शुरू कर दिया ...... " उफफफ्फ़ !!! काश मैं थोड़ी देर बिना कपड़ो के रह पाती .. बहुत गर्मी है " ....... और इतना कहते हुए वह सच में अपनी कमीज़ उतारने लगी.

" निम्मी !!! मैं तेरे हाथ जोड़ता हूँ .. हम मार्केट में हैं " ....... दीप की साँसे उसके हलक से अटकने लगी .... जो डर उसे पहले अपनी बेटी से था इस वक़्त उसकी आँखों में सॉफ देखा जा सकता था.

" तो क्या मैं गर्मी से मर जाउ ? " ....... फॉरन निम्मी का मिजाज़ रुआसी में बदला और इसके बाद उसने अपना दुपट्टा भी डॅश - बोर्ड पर रख दिया ... उसके ऐसा करने से दीप की नज़र उस पॉलीबेग पर गयी जिसे उसकी बेटी मेडिकल स्टोर से साथ लेकर आई थी और वह चीखते हुए अपनी सीट पर उच्छल पड़ा.

" यह क्या है निम्मी ? " ...... दीप चिल्लाया .... उसकी आँखें इस बात पर विश्वास नही कर रही थी कि पूरा पॉलीबेग सिर्फ़ कॉनडम्स और पिल्स से भरा हुआ है .... उनसे तेज़ी से ब्रेक लगाए और कार रोड की लेफ्ट साइड रोक ली.

" सेफ सेक्स .. मैं नही चाहती आप जल्दी दादा बन जाओ " ...... निम्मी ने अपने दाँत बाहर निकाल दिए ...... " बन भी जाओगे तो कोई फिकर नही मेरे डॅड अपने पोते को बहुत प्यार से रखेंगे .. मैं जानती हूँ " ...... उसके कमीनेपन के वार दीप को रुलाए जा रहे थे और उसने गुस्से में आ कर पॉलीबेग कार से बाहर फेंक दिया.

" वैसे सिंगल कॉंडम मैने अपनी ब्रा में छुपा लिया था .. आप फिकर ना करो डॅड, मैं आपकी नाक नही काटने दूँगी .. आप अपने ऐश करो मैं अपने करूँगी " ...... निम्मी ने बड़े सेडक्टिव अंदाज़ में अपना हाथ अपने स्ट्रॉंग क्लीवेज पर घुमाते हुए उसे कमीज़ के अंदर डाला और ब्रा में छुपे एक स्पेशल कॉंडम की हल्की सी झलक दीप को दिखाई .... फिर वापस उसे अंदर करते हुए अपने दाँत बाहर निकाल दिए.

" कितना परेशान करेगी निम्मी .. मैं तेरा बाप हूँ " ...... दीप की घुटि आवाज़ इस वक़्त उसका ज़रा भी साथ नही दे रही थी ...... " अब नही रहे .. इतना सब होने के बाद तो बिल्कुल नही .. बट आइ स्टिल लव यू " ...... निम्मी ने उसकी जाँघ पर अपना हाथ रखते हुए कहा और दीप एक बार फिर से विचलित हो उठा.

निम्मी लगातार उसकी जाँघ सहलाती रही और क्लीवेज से बाहर को झाँकते उसके 60 फीसदी बूब्स .... उसके पिता का मोह भंग करने को काफ़ी थे, धीरे - धीरे वह अपना हाथ उसके लंड के उभार तक ले गयी और जब उसे पता चला दीप का तंन और मन दोनो पूरी तरह से उसके काबू में आ गये हैं .... उसने फॉरन उस विध्वंसक लौडे को अपने दोनो हाथो की मुट्ठी में बुरी तरह से जाकड़ लिया.

" डॅड !!! क्या अब भी कहोगे .. आप मुझे बेटी की नज़र से देखते हो ? " ....... निम्मी की आवाज़ से दीप होश में लौटा और जब उसने अपने खड़े लंड पर बेटी के दोनो हाथो का क़ब्ज़ा पाया .... अपनी हार पर वह कुछ नही कह सका, बस एक आख़िरी बार निम्मी के बालो पर हाथ फेरते हुए उसने कार स्टार्ट कर ली और दोनो घर जाने को अग्रसर हो गये.

रास्ते भर दीप निम्मी के चेहरे पर आई खुशी और कामुक उत्तेजना को देखता रहा .... वहीं निम्मी की कुँवारी चूत सारे रास्ते बस अपने पिता के विकराल लौडे से चुदने के बारे में सोच - सोच कर पानी छोड़ती रही .... जल्द ही वे दोनो घर पहुच गये और अपनी बिगड़ी हालत में सुधार करने के पश्चात हॉल में आ गये.

निक्की घर पर मौजूद थी और उसने बताया ...... कम्मो - निकुंज - रघु आधे घंटे से घर आने वाले हैं .... बोलते वक़्त उसका चेहरा भी खुशनुमा हो गया था या शायद यह अपने भाई / प्रेमी से पुनः मिलन की अग्रिम मुस्कान थी.

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10-03-2018, 03:56 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
उनके इंतज़ार की घड़ियाँ जल्द ही समाप्त हो गयी और सफ़ारी का हॉर्न सुनाई देते ही तीनो बाप बेटी हॉल से निकल कर बाहर आ गये.

वाकाई एक पल में वहाँ सब कुछ बदल गया .... रघु को देखते ही दीप - निक्की - निम्मी तीनो की आँखें बहने लगी, अपने पिता की मदद से निकुंज ने अपने भाई को हॉल तक पहुचाया और उसे सोफे पर बिठा कर सफ़ारी से लगेज निकालने बाहर चला गया.

निक्की भी फॉरन बाहर आ गयी और अपनी मोम का हॅंड बाग उठाते हुए उसने निकुंज के चेहरे को देखा .... दोनो ही इस वक़्त घोर दुविधा में थे, किस तरह अपने बहते आँसू को संभाले.

" भाई !!! " ....... निक्की ज़्यादा देर तक खुद को नही रोक पाई और निकुंज की छाती से चिपक कर रोने लगी ...... " आपको बहुत मिस किया मैने " ....... वह सिसकती हुई निकुंज की मजबूत बाहों में दम तोड़ने लगी.

" निक्की सम्हाल अपने आप को " ...... निकुंज की नज़र हॉल की खुली खिड़की पर गयी और वह फॉरन निक्की को अपने काँपते बदन से दूर करने लगा .... कम्मो यह नज़ारा बड़े गौर से देख रही थी और निकुंज उसकी आँखों से ज़्यादा देर तक अपनी नज़रें नही मिला सका .... उसने उस वक़्त अपनी मा की आँखों में एक अजीब सी तड़प / नाराज़गी देखी और जिसे देखने के बाद वह सकते में आ गया.

" निक्की अब तो मैं आ गया हूँ .. चल अंदर चलें " ....... उसने पुरज़ोर ताक़त लगा कर अपनी बहेन का जिस्म खुद से दूर किया .... अचानक से उसके इस रवैये ने निक्की के टूटे दिल पर मानो नुकीला खंजर घोंप दिया और वह हथ्प्रत निकुंज को हॉल के अंदर जाते हुए देखने लगी .... उसका सारा उत्साह जैसे पल भर में चकना - चूर हो कर रह गया था, आँखों से बहते अश्रु उसने अपने दुपट्टे से पोन्छे और फिर लड़खड़ाते कदमो से हॉल में आ कर खड़ी हो गयी.

रघु को किस कमरे में शिफ्ट करवाया जाय इस बात पर बहुत देर तक चर्चा होती रही .... आख़िर में फ़ैसला हुआ वह अपने माता - पिता के कमरे में रहेगा, ख़ास कम्मो ने ज़ोर देकर यह बात कही .... वासना एक तरफ और प्यार एक तरफ और उसके इस फ़ैसले ने घर के बाकी सदस्यों को काफ़ी राहत पहुचाई क्यों कि अब लगभग सभी के दिल में चोर बस गया था.

रात का खाना होने के पश्चात सभी अपने कमरो में तशरीफ़ ले जाने लगे .... दीप और निकुंज ने एक सिंगल बेड रघु के लिए सेट कर लिया जो अब जुड़ कर ट्रिपल बेड में कॉनवर्ट हो गया.

रात भी अपने शबाब पर पहुच गयी परंतु पूरा परिवार सिर्फ़ करवटें बदलने में लगा रहा.
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10-03-2018, 03:58 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
पापी परिवार--47

दीप और कम्मो आजू - बाजू लेटे हुए हैं और रघु कम्मो की साइड सो रहा है.

कम्मो सफ़र की थकान से चूर लेट'ते ही सो चुकी है परंतु दीप की नींद तो आज रात भी गायब है.

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रात के 1 बजे दीप का मोबाइल बजने लगा, नंबर देखा तो किसी पार्टी वाले का था.

" हां बस 20 मिनिट में पहुच रहा हूँ " ....... इतना कह कर उसने कॉल कट किया और तेज़ी से नाइट ड्रेस चेंज करते हुए कमरे से बाहर निकल गया.

( कॉल गॉडबोले का था जिन्होने दीप की इवेंट कंपनी को अपने ऑफीस की एक एक्सप्लोसिव मीट हॅंडल करने का ऑफर दिया था .... गॉडबोले बिज़्नेस टाइकून हैं और विदेशो में भी इनके काफ़ी काम - काज सुचारू रूप से चलते रहते हैं .... अभी उन्होने दीप को एरपोर्ट बुलाया है ताकि जापान जाने से पहले उसे पार्टी की तैयारियों के बारे में बता सकें.)

दीप के रूम से बाहर जाते ही कम्मो की नींद खुल गयी .... जल्दबाज़ी में दीप ने काफ़ी खतर - पतर की थी और जाते - जाते रूम की ट्यूब लाइट भी खुली छोड़ गया था.

नींद खुलने के बाद कम्मो ने टाइम देखा और बेड से नीचे उतर कर बॉटल से पानी पीने लगी .... घर लौटने के बाद भी वो अपने कपड़े चेंज नही कर पाई थी और जैसे ही उसने बॉटल का ढक्कन लगाया उसकी नज़र बेड सोते अपने बड़े बेटे रघु पर टिक गयी.

" यह क्या किया इसने ? " ...... कम्मो वापस बेड पर चढ़ती हुई उसके करीब आ गयी ...... " इसने तो पाजामे में पेशाब कर दी " ...... पुणे हॉस्पिटल से निकलते वक़्त रघु ने वहीं का स्काइ ब्लू कुर्ता - पाजामा पहेन रखा था, जिसे चेंज करने पर घर के किसी मेंबर का ध्यान नही जा पाया था.

" पाजामे के साथ बेड भी गीला हो गया है, अब क्या करूँ ? " ....... कम्मो असमंजस की स्थिति में फस गयी ....... " लेकिन बदलना तो पड़ेगा " ....... वह कुछ देर तक सोचती रही और फिर बेड से नीचे उतर कर कमरे से बाहर जाने को कदम आगे बढ़ाने लगी.

" नही !!! थक गया होगा बेचारा और फिर कब तक उसकी मदद लेती रहूंगी " ...... उसने सोचा था निकुंज को बुला कर रघु का पाजामा बदलवा देगी और गद्दा भी चेंज हो जाएगा परंतु जल्द ही उसने अपना विचार त्याग दिया और कमरे का गेट लॉक कर वापस रघु के पास पहुच गयी.

इसके बाद उसने कुर्ता पकड़ कर रघु के पेट पर पलट दिया .... घने बालो की एक व्रहद लकीर उसकी चौड़ी छाती से नीचे आ कर उसके पाजामे के अंदर जाती हुई दिखाई पड़ी, कम्मो के दिल की धड़कने स्वतः ही बढ़ने लगी और उसका हलक सूखने लगा.

" हे भगवान !!! तूने सारे करम मेरे ही पल्ले क्यों लिख दिए हैं ? " ....... यह कहते हुए उसका खुद का चेहरा शर्मसार हो गया .... भले ही वह रघु की मा थी परंतु इस वक़्त वा जो करने जा रही थी, इसमें अच्छे - अछो का सैयम डोल जाता .... जवान बेटे का निच्छला धड़ नंगा करना और वह भी ऐसे समय में जब कम्मो अपने दूसरे बेटे की तरफ बुरी तरह से आकर्षित थी .... उसने जाना सोचने मात्र से ही उसकी योनि में स्पंदन होने लगा है, उत्तेजना की एक बड़ी लहर ने उसे घेरना शुरू कर दिया था.

काफ़ी देर तक वह अपने पापी दिमाग़ को फटकार लगाती रही परंतु जब - जब वह पाजामे के नाडे की तरफ देखती .... उसके अंदर की मा फॉरन एक कामुक स्त्री का रूप लेने लगती और उसकी आँखों के ठीक सामने उसे एक विशाल काल्पनिक लिंग दिखाई पड़ने लगता.

वह अपने होंठ चबाने लगी, उसके हाथो में कंपन आना शुरू हो गया .... वह अपने दिल को समझाने में लगी थी और तभी उसके हाथो ने उसके पापी दिमाग़ का साथ देते हुए बेटे के पाजामे का नाडा खोल दिया.

" ह्म्‍म्म !!! " ...... वह मदहोशी की खुमारी में ज़ोर - ज़ोर से साँसे लेने लगी .... उसके मूँह में अत्यधिक लार उत्पन्न होने लगी थी, वह चाहती थी इसी वक़्त अपने बेटे की पहुच से दूर भाग जाए लेकिन उसका पापी दिमाग़ बार - बार कह रहा था ....... " रुक मत !!! पाजामे के अंदर तेरी मनपसंद वस्तु छुपि है "

कम्मो से सबर नही हुआ और वा मचल उठी .... एक हाथ से अपनी बाईं चूची मसलती हुई वा अपने होंठो पर गीली जिहवा घुमाने लगी .... जल्द ही उसकी धधकति प्यासी योनि ने उसे अपनी जायज़ माँग बता दी और इसके बाद वा सारा मातरप्रेम भूलकर बेटे के पाजामे को उतार फेकने पर मजबूर हो गयी.

इसे कम्मो की दयनीय उत्तेजक अवस्था का प्रमाण कह सकते हैं .... जो उसने पाजामे को साइड से नीचे ना खीचते हुए, सीधा सामने से उतारना शुरू कर दिया .... वह लिंग लोभ में पूरी तरह से पागल हो चुकी थी और जल्द से जल्द उसे देखना चाहती थी .... एक बहुगामी रंडी की भाँति उसने यह अंतर तक नही कर पाया था कि सामने लेटा वह जवान युवक निकुंज नही लाचार रघु है.

जल्द ही वह पापिन अपने निकृष्ट मक़सद में कामयाब हो गयी और रघु की घनी काली झांतो के बीच उसका मुरझाया लिंग देख कर तेज़ी से आँहे भरने लगी.

लिंग की अनुमानित लंबाई और मोटाई देख वह हैरान तो हुई परंतु साथ ही एक कुटिल वैश्या की तरह मुस्कुराने भी लगी .... ज़ाहिर था उसके बड़े बेटे का लिंग उसके पति व छोटे बेटे निकुंज से भी कहीं ज़्यादा विकराल था.

" इससे बड़ा तो किसी का नही हो सकता " ...... अपना ही बेशर्म संवाद सुनते हुए उसे बड़ा मज़ा आया और इसके बाद उसने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए बेटे के स्थूल लिंग को अपनी मुट्ठी में जाकड़ लिया .... अल्प में ही वह सिरहन से भरने लगी और कौतूहलवश लिंग की खाल को नीचे खीचते हुए उसने .... छोटे सेब समान गुलाबी सुपाड़ा खाल से बाहर निकाल दिया.

पेशाब से तर - बतर काली झांतो का घनत्व कम्मो को अपनी तरफ आकर्षित किए जा रहा था और उनमें से उठती मादक मर्दाना गंध उसके नाथुए फुलाने लगी थी ..... वह जितनी गहराई तक उस अधभूत सुगंध को अपने अंदर समा सकती थी, समाने लगी.

" जाने इनमें कब वीर्य भरेगा ? " ...... लिंग से हाथ हटा कर उसने रघु के दोनो अंडकोषों को थाम लिया और उनकी मृत खाल पर अपनी उंगलियों की गरम सहलाहट देने लगी .... उसके चेहरे के भाव सॉफ बयान कर रहे थे कि वह अत्यंत लालायित है अपने बेटे के गाढ़े वीर्य से अपना सूखा गाला तर करने को.

इसके बाद तो जैसे कम्मो पागलो की तरह हरक़तें करने लगी .... कभी वह उसके सुपाडे को अपने पंजो पर रगड़ने लगती तो कभी कलाईयों के ज़ोर से संपूर्ण लिंग हिलाने लगती .... इस वक़्त यदि कोई वयस्क व समझदार जन्तु उसके क्रिया - कलापो को देख रहा होता, अवश्य ही उसे मनोरॉगी साबित कर देता .... जिस तेज़ी से वह अपने बेटे के निष्प्राण लिंग में जान फूकने का व्यर्थ प्रयत्न कर रही थी वह देखने लायक द्रश्य बन गया था.
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10-03-2018, 03:58 PM,
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
काफ़ी देर तक लिंग से अठखेलियाँ करने के पश्चात, प्रबल कामुकता से अभिभूत कम्मो ने यह निश्चय कर लिया कि अब वह उस विकराल वास्तु को चूसे बगैर नही रह सकती और अपने पापी मन की इक्षपूर्ति के लिए वह वाकाई रघु के पेट पर अपना सर रख कर लेट गयी.

अब उस काम - लूलोप मा को रोक पाना किसी के बस में नही रहा और वह अपनी लंबी जिहवा से बेटे की गहरी नाभि का रस पान करने लगी .... सैकड़ो बार उसने अपना थूक उसकी नाभि में ऊडेला और फिर होंठो द्वारा सुड़कते हुए पुनः उसे अपने मूँह में खीचती रही .... जाने वह स्वाद के किस बदलाव में खो सी गयी थी .... उन्माद का नशीला ज्वर उस पर इस कदर हावी हो चुका था, जिसके चलते उसके संवेदनशील गुदा - द्वार में हज़ारो चींतियों के ज़हरीले डॅंक उसे बेहद कष्टकारी महसूस होने लगे थे और स्वतः ही वह अपने गुदाज़ चूतड़ आपस में रगड़ने लगी.

इसके बाद उसकी निकृष्ट हरक़तो की बढ़ती गति ने रघु के सुषुप्त लिंग को अपनी उंगलियों से थामा और उसका गुलाबी मोटा सुपाड़ा अपने रसीले होंठो के बिल्कुल नज़दीक कर लिया .... एक सुगंधित झोंके ने उसकी आँखों को और भी ज़्यादा कामांध बना दिया और वह सुपाडे के अति नाज़ुक छिद्द्रो पर अपनी जिह्वा की नोक से छेड़ - खानी करने को मचलि ही थी .... तभी उसके कमरे के दरवाज़े पर ज़ोरदार दस्तक हुई और वह क्षणमात्र में अंतरिक्ष की अधभूत सैर से सीधी धरालत पर आ गिरी.

" कम्मो !!! " ...... यह उसके पति की आवाज़ थी जो वापस घर लौट आया था ... फॉरन कम्मो ने दरवाज़े की ओर देखा, उसके चेहरे की सारी कामुकता क्षणमात्र में ही किसी गहन उदासी में विलीन होकर रह गयी .... वह अपनी किन्क्तर्तव्यविमूध अवस्था झेलने में पूर्णरूप से नाकाम थी और लाख प्रयत्न के बावजूद उसकी पापी आँखों ने अपने पुत्र के अकल्पनीय लिंग को घूर्ना नही छोड़ा.

" कम्मो गेट खोल " ....... दीप ने पुनः दरवाज़े पर दस्तक दी जिसे सुनकर कम्मो का मष्टिसक ज़ोरों से बवाल मचाने लगा और उस दुखिया मा ने ना चाहते हुए भी अपना सर बेटे के पेट से ऊपर उठा लिया .... वह सरक कर बेड से नीचे उतरी और अपनी बद - किस्मती को कोसते हुए उसने .... गीले पाजामे से अपनी पसंदीदा वास्तु ढक कर, अपनी नम्म आँखों से उसे ओझल कर दिया.

" इतनी रात को आप कहाँ चले गये थे ? " ....... दरवाज़ा खोलने के उपरांत उसने दीप से पूछा.

" ज़रूरी काम से गया था .... तुमने ड्रेस चेंज नही की, ज़्यादा थकान हो गयी क्या ? " ...... दीप ने कम्मो की लाल रक्त -रंजित आँखों में झाँकते हुए कहा .... जो उसके अनुमान से कहीं ज़्यादा सुर्ख और सूजी हुई थी और अपने पति की अजीब सी हैरानी से घबरा कर कम्मो बाथ - रूम की तरफ जाने लगी.

" रूको मैं भी आ रहा हूँ " ...... जाने दीप को क्या सूझा और वह भी कामो के पिछे बाथ - रूम में एंटर हो गया ...... " लाओ मैं मदद कर देता हूँ " ..... यह कहते हुए उसने उसकी साड़ी का पल्लू थाम लिया.

सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि कम्मो सम्हल नही पाई और जब तक उसे होश आ पाता दीप ने साड़ी उसके बदन से अलग कर दी और इसके बाद वह तेज़ी से ब्लाउस के हुक खोलने लगा.

" ये !!! ये क्या कर रहे हैं ... छोड़िए ना " ...... सकपका कर कम्मो ने मजबूती से दीप की दोनो कलाइयाँ पकड़ ली ..... " क्या हुआ .. आज मैं अपनी जान के साथ नहाना चाहता हूँ " ...... एक फरमान सुनाते हुए दीप ने ज़बरदस्ती उसके ब्लाउस के सारे हुक खोल दिए और इसके बाद अपने कपड़े उतारने लगा.

" जल्दी कर कम्मो .. मैं दो - तीन दिन बहुत तड़पा हूँ, आज जी भर के तुझे चोदना चाहता हूँ " ...... यह थी दीप की अधीरता जो वह कम्मो के साथ सहवास कर .... बीते 2 दिनो की आग ठंडी करना चाहता था, ना तो वा इन दो दीनो में एक बार भी झाड़ा था और - तो - और निम्मी की हरक़तों ने उसके लंड में अत्यंत दर्द पैदा कर दिया था.

वहीं कम्मो को भी इस वक़्त एक ज़ोरदार चुदाई की आवश्यकता थी .... उसकी योनि त्राहि - त्राहि मचा रही थी, ज्यों ही दीप ने उसे अपनी मंशा बताई, कम्मो के जिस्म में प्रचंडता के साथ सिरहन पैदा होने लगी .... उसने बिना कुछ सोचे तीव्र गति से नग्न होना शुरू कर दिया और जब तक वह अपने ऊपरी धड़ से नंगी हो पाती .... दीप के शरीर से सारे कपड़े उतर चुके थे.

" कम्मो देख मेरा क्या हाल है " ...... दीप ने अपने पूर्ण विकसित लिंग को हाथ में पकड़ा ही था कि कम्मो ने अपनी ब्रा का हुक वापस लगा कर उसे चौंका दिया ..... " अभी नही रघु कमरे में है " ....... यह कहते हुए वह अपना ब्लाउस पहनने लगी .... दीप फटी आँखों से उसके चेहरे को देखने लगा और स्वतः ही उसके लिंग का सारा तनाव भी जाता रहा.

कम्मो साड़ी पहन कर कमरे में चली गयी .... उसके बाथ - रूम से बाहर जाते ही दीप की आँखों से आग बरसने लगी और वह शवर के नीचे खड़ा हो कर अपने तंन - बदन की ज्वाला को शांत करने लगा .... साथ ही मजबूरी में उसने अपने जीवन का पहला हस्त - मैथुन किया.

इसके बाद टवल लपेट कर वह भी कमरे में लौट आया .... कम्मो बेड पर आँख बंद किए लेटी थी, दीप ने अपने गीले बदन पर रात्रि के वस्त्र धारण किए और उसके बगल में लेट गया .... इस वक़्त उसे अपनी पत्नी पर बेहद क्रोध आ रहा था और इसके चलते उसके मष्टिशक ने जल्द ही उसे अतीत की यादों में पहुचा दिया.

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26 साल पहले .... जिस वक़्त उसके ऊपर चौबीसों घंटे सिर्फ़ और सिर्फ़ लड़कियों का नशा छाया रहता था .... अपनी कद - काठी से तो वह बचपन से ही काफ़ी मजबूत था और जल्द ही उसने स्त्री जात की सबसे बड़ी कमज़ोरी भी प्राप्त कर ली.

जब उसे प्रथम चुदाई का अवसर मिला उसने 40 साल की रंडी को रुला कर रख दिया और इसके आशीर्वादसवरूप उस छिनाल ने दीप का भावी जीवन हमेशा रंगीन रहने की अचूक भविष्यवाणी की थी.

इसके बाद तो जैसे वह किसी भयानक दानव में तब्दील होता गया .... बिस्तर पर लड़कियों की मिन्नतें, उनकी असहाय चीखें उसके अट्टहास का मुख्य विषय बन'ने लगी .... उसके हैवानी मश्तिश्क में कोई भी लड़की घर नही कर पाई सिवाए कम्मो के.

शुरूवाती दौर में उसने कम्मो को भी चोदने मात्र का साधन समझा था परंतु जैसे - जैसे उनकी दोस्ती गहरी होती गयी .... उसके लिए दीप के मन से बुरे ख़यालात भी मिट'ते गये.

लेकिन कम्मो का प्यार पाने के बाद उसे पता चला कि उसकी प्रेयसी सेक्स में कोई ख़ास दिलचस्पी नही रखती .... लाख कोशिशो के बाद भी वह उसके बदन की ज़ालिम आग के आगे फॉरन दम तोड़ देती लेकिन प्रेमवश वह कम्मो को ज़्यादा विवश नही कर पाता .... बस अंदर ही अंदर जलने लगा था और यही मुख्य कारण भी बना उसके परगामी होने का.
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