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RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
कुछ दिनो बाद उनका प्रेम घरवालो पर ज़ाहिर हुआ और काफ़ी समझहिशो के बाद भी दोनो प्रेमी अलग ना हुए .... दीप कम्मो को घर से भगा कर मुंबई ले आया और अपने अभिन्न मित्र जीत की मदद से सामान्य रोज़गार भी प्राप्त कर लिया परंतु जल्द ही भीषण ग़रीबी उन पर पुनः हावी होने लगी और इस बार दीप की डूबती नैया पार हुई .... एक मश - हूर नगर - सेठ की जवान विधवा बहू का साथ पाकर.
भरी जवानी में बेचारी दुखिया हो गयी थी .... फॅक्टरी के बाद पार्ट टाइम की कमाई में दीप उसके ससुर की कार ड्राइव करता था .... कुछ दिनो बाद ससुर साहेब भी हवा हो गये और अब उनकी जवान बहू ने सारा राज - पाट सम्हाल लिया.
कुछ कुद्रती हादसे और कुछ दीप की मर्दानगी .... मालकिन और नौकर का मिलन ऐसा हुआ जिसने मुंबई जैसे बड़े शहेर में दीप को हर तरह से स्थापित कर दिया.
मालकिन आज विदेशी कारोबार समहाल्ती हैं .... वे अपने साथ दीप को भी ले जाना चाहती थी परंतु वह अपनी पत्नी व नन्हे बच्चो से विमुख ना हो सका और अपने परिवार की खातिर उसने मालकिन की गान्ड पर भी लात मार दी.
वर्तमान में वह बहुत पैसे वाला है, उसकी काफ़ी जान पहचान है लेकिन उसके जीवन में प्रेम नही .... आज तक सिर्फ़ वासना उसके गले से लिपटी रही, कभी उसने भी अपनी अर्धांगनी कम्मो के साथ ऐसे हज़ार मन - भावन सपने देखे थे .... अपनी जवानी में वह ग़रीबी के चलते मजबूर था और आज जब उसके पास अथाह पैसा है तब अपनी पत्नी का साथ नही .... बाहरी जिस्म तो केवल उत्तेजित तंन की तपन मिटा सकते हैं परंतु आंतरिक प्रसन्नता का अनुभव एक बीवी या पेमिका ही प्रदान करवा सकती है.
यह पहली मर्तबा हुआ जब किसी स्त्री ने दीप की अवहेलना की, उसका तिरस्कार किया था और वह स्त्री कोई बाज़ारू नही उसकी अपनी कम्मो है .... यक़ीनन दीप उसके साथ ज़बरदस्ती कर सकता था, एक हक़ से लेकिन जो कार्य वह बीती अपनी पूरी जवानी में नही कर पाया .... तो अब कैसे मुमकिन होता.
आज से पहले जब भी उसने कम्मो के साथ सहवास की इक्षा जताई, उसकी पत्नी ने उसे कभी मना नही किया था .... भले ही वह बिस्तर पर निष्प्राण पड़ी रहती लेकिन अपने पति की आग्या का पालन करती आई थी .... स्वतः ही दीप का ध्यान कम्मो से हट कर अपनी छोटी बेटी निम्मी पर पहुच गया, जिसने अल्प समय में ही अपने पिता पर अपना सर्वस्व न्योछावर करना स्वीकार किया और भविश्य में भी करती रहेगी .... बिना किसी हिचकिचाहट व शंका के दीप का दिल इस बात की गवाही देने लगा और उसके होंठो पर मुस्कान फैलती चली गयी.
इन 2 - 3 दिनो में बाप - बेटी के दरमियाँ जो कुछ पाप घटित हुआ .... अब दीप ने उसमें अपना स्वार्थ क़ुबूल कर लिया और वह तंन के साथ मन से भी अपनी सग़ी बेटी का भोग लगाने को लालायित हो चला .... शायद यही वह चोट थी या इंतज़ार जिसमें उसे कम्मो की भी मज़ूरी मिल गयी थी.
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वहीं कम्मो मरणासन्न बिस्तर पर लेटी अपने आँसू बहा रही थी .... वह जानती थी आज उसने अपने पति का घोर अपमान किया है परंतु ऐसा करने को वह विवश थी .... अपने तंन से भी और मन से भी.
जिस वक़्त दीप ने उससे सहवास का आग्रह किया, वह प्रसन्नता से भर उठी थी .... उसने पल में निश्चय कर लिया था कि आज वह अपने पति को काम - क्रीड़ा का ऐसा जोहर दिखाएगी .... जिसकी दीप ने हमेशा से कल्पना की थी.
वह खुद भी अपनी उत्तेजना का हरसंभव मर्दन चाहती थी, उसे ललक थी एक घनघोर चुदाई की .... आज वह मर्ज़ी से अपने पति का विशाल लिंग भी चूस्ति और उसे अपनी स्पंदानशील योनि का रस्पान भी करवाती, उसके जिस्म में इतना ज्वर समा चुका था कि वह उसकी आग में अपने पति को स्वाहा कर देना चाहती थी परंतु ज्यों ही उसका ऊपरी धड़ नंगा हुआ वह बुरी तरह से काँप उठी .... कारण, उसके निच्छले धड़ का उसके अनुमान से कहीं ज़्यादा पतित हो जाना था.
उस वक़्त कम्मो की धधकति योनि से गाढ़े रस की धारा - प्रवाह नदी बह रही थी जबकि दीप ने उसे हर संसर्ग पर बेहद ठंडा पाया था .... यक़ीनन वह इस अप्रत्याशित बदलाव को झेल नही पाता और कम्मो का संपूर्ण भविष्य बेवजह ख़तरे में पड़ जाता .... कहीं दीप उसके चरित्र पर उंगली ना उठा दे, सोचने मात्र से उसके मश्तिश्क में अंजाने भय की स्थापना हो गयी और खुद - ब - खुद उसकी कामग्नी,
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RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
वह बेड पर लेटी खुद को कोस रही थी .... उसके दैनिक जीवन में जिस तेज़ी से उथल - पुथल मची, उससे उसका निरंतर पतन ही होता जा रहा था .... कल तक वह अपने पति की पवित्रा थी और आज पूर्णरूप से एक कुलटा नारी में बदल चुकी थी .... कल तक जिस शारीरिक ज़रूरत का उसे भान भी नही था आज वह अपने ही पुत्रो के साथ अपना मूँह काला करने को लालायित थी.
शर्मसार होने के बावजूद कम्मो का पापी मन उसे प्रायश्चित करने का कोई मौका नही दे रहा था .... उसने जाना अब भी वह निकुंज को तीव्रता से पाना चाहती है, अपने विचलित मन को समझाना उसके वश से से कहीं ज़्यादा बाहर हो चला था.
ज्यों ही उस पापिन के मश्तिश्क में पुत्र लोभ पैदा हुआ स्वतः ही उसका हाथ अंधेरे का फ़ायदा उठा कर रघु के निष्प्राण शरीर पर रैंगने लगा .... अपने पति की उपस्थिति में वह इस कार्य को करने से अत्यधिक रोमांच महसूस करने लगी और कुछ देर के अथक प्रयासो के उपरांत मनवांच्छित सफलता मिलने पर उसके बंदन में सिरहन का पुनः संचार होने लगा.
वह अपने बेटे के सुस्त लिंग से खेलने लगी और अगली खुशनुमा सुबह के इंतज़ार में उसकी योनि भरकस लावा उदेलने लगी.
उस रात घर के अन्य सदस्य :-
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डिन्नर करने के फॉरन बाद निक्की अपने कमरे में दाखिल हो गयी थी, उसने ना तो ठीक से खाना खाया और ना ही परिवार के किसी मेंबर से कोई बात - चीत की .... डाइनिंग - टेबल पर बार - बार उसकी नम्म आँखें निकुंज का चेहरा देखने लगती लेकिन उसके भाई ने इक - पल को भी उसे कोई तवज्जो नही दी.
बेहद दुखी मन से वह अपने कमरे में लौटी और फूट - फूट कर रोने लगी .... निकुंज का उसे यूँ इग्नोर करना खाए जा रहा था, काई बार उसने अपने आँसुओं को रोकने की नाकाम कोशिश की परंतु वे 1000 प्रयत्नो के बाद भी नही रुके और थक - हार कर वह बिस्तर पर ढेर हो गयी.
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निकुंज अपने बड़े भाई का बेड रेडी करने के बाद अपने कमरे में वापस लौट आया था .... इस वक़्त उसके चेहरे पर बेहद गंभीरता छायि हुई थी, वह निक्की से कहीं ज़्यादा दुखी अपनी मा से था.
जब कभी वह खाने की टेबल पर अपनी बहेन की तरफ देखता स्वतः ही उसकी आँखें कम्मो की आँखों से टकरा जाती और भयवश वह दोबारा ऐसा प्रयत्न नही कर पाता .... वह जानता था निक्की की उदासी की असल वजह क्या है लेकिन वह खुद को बेहद लाचार महसूस कर रहा था .... बेड पर लेटे हुए उसे 2 घंटे ज़्यादा बीत चुके थे परंतु अत्यंत थकान होने के बावजूब उसे ज़रा भी नींद नही आ रही थी, उसकी तड़प बढ़ने लगी और वह बिस्तर से उतर कर बाहर हॉल में जाने लगा.
कमरे के गेट पर पहुचते ही उसकी नज़र हॅंगर पर टाँगे अपने गंदे कपड़ो पर गयी .... ज्यों ही उसने अपना शॉर्ट्स देखा, बीते कुछ दिनो पहले की याद उसके जहेन में ताज़ा हो गयी .... यह वही शॉर्ट्स था, जिस पर उसकी बहेन का ब्लड लगा हुआ था और जो अब उस पर पूरी तरह से अपना दाग छोड़ चुका था .... निकुंज ने वह शॉर्ट्स हॅंगर से उतार लिया ...... " मैने तो बेचारी से उसकी चोट तक के बारे में नही पूछा " ....... यह कहते वक़्त उसके चेहरे पर छायि उदासी और ज़्यादा बढ़ गयी थी.
वह सोच में डूबा था और तभी उसे कुछ ऐसा यादा आया जिसके फॉरन बाद उसके पूरे जिस्म में कप - कपि दौड़ गयी ....... " अब तक रखी है " ....... शॉर्ट्स की जेब में हाथ डाल कर उसने उसमें रखी अपनी बहेन निक्की की रेड पैंटी बाहर निकाल ली और स्वतः ही उसके ढीले लंड में हलचल होने लगी, वह एक - टक कभी उस पैंटी को देखता तो कभी उस द्रश्य को याद करता .... जब उसकी सग़ी बहेन अपने भाई की आँखों में झाँकति हुई हस्त - मैथुन कर रही थी.
" नही ये सरासर ग़लत है " ...... उसके इस कथन को झूठा साबित करते हुए उसके लंड ने विकराल रूप धारण कर लिया था ....... " मुझे अभी इसे निक्की के बाथ - रूम में रख आना चाहिए " ....... यह सोच कर उसने अपने खड़े लंड को पॅंट में अड्जस्ट किया और अपने कमरे से बाहर निकल आया.
इस वक़्त पूरे घर में सन्नाटा खिचा हुआ था और जल्द ही उसके कदम निक्की के कमरे की खुली चौखट पार कर गये .... अंदर ट्यूब - लाइट जल रही थी और किसी शातिर चोर की भाँति निकुंज ने कमरे को बोल्ट कर लिया और धीरे - धीरे चलता हुआ वह अपनी बहें के बिस्तर के ठीक सामने पहुच गया.
नींद में निक्की का चेहरा बेहद मासूम दिखाई दे रहा था और अब निकुंज खुद को रोक पाने में बिल्कुल असमर्थ महसूस करने लगा .... वह बिस्तर पर उसके नज़दीक बैठ गया और ज्यों ही उसने निक्की के बालो पर प्यार से अपना हाथ फेरा, सीढ़ियों पर से किसी के उतरने की तेज़ आवाज़ उसके कानो में सुनाई पड़ी और घबराहट में निकुंज बेड से उठ खड़ा हुआ.
" भाई !!! उउउम्म्म्मम " ....... हलचल महसूस कर निक्की की भी आँखें खुल गयी और जैसे ही उसने अपने भाई को अपने कमरे में पाया .... वह खुशी लगभग चिल्लाने को हुई और तभी निकुंज ने फुर्ती से अपना हाथ उसके खुले मूँह पर रखते हुए उसे चुप करवा दिया.
" श्ह्ह्ह्ह्ह !!! " ........ हड़बड़ाहट की इस जद्दो - जहद में निकुंज को भान तक नही रहा था कि जिस हाथ से उसने निक्की का मूँह बंद किया है .... उसी हाथ में उसने उसकी रेड पैंटी पकड़ रखी थी और जब तक वह सम्हल पाता .... निक्की ने उसके हाथ से वह पैंटी अपने हाथ में ले ली.
" अन्बिलीवबल भाई !!! यह अब तक आप के पास थी " ....... शाम के घटना - क्रम से दुखी होने के बाद निक्की यह तय कर के बैठी थी कि अब से वह निकुंज से खुल कर बात करेगी .... शायद उसकी चुप्पी ही उसकी सबसे बड़ी दुश्मन है और इसी को ध्यान में रखते हुए उसने निकुंज से यह लफ्ज़ कहे.
" न .. न नही निक्की !!! वो मैं पूना चला गया था तो कमरे में रखी रह गयी थी " ....... निकुंज का चेहरा उतर गया, बात सच थी ... वह पैंटी और शॉर्ट्स वाली बात पूरी तरह से भूल चुका था और तभी वह उसे लौटाने अपनी बहेन के कमरे में आया था लेकिन किस्मत ने उल्टा उसे फसा दिया.
" बड़े नॉटी हो .. जैसे मैं कुछ समझती ही नही हूँ " ....... निक्की ने उसके सामने अपनी पैंटी को अपने बूब्स पर फैला कर रख लिया .... वह इस वक़्त बेड पर लेटी हुई थी और निकुंज बैठ हुआ था ..... " वैसे तब से ही मेरे पास पॅंटीस की शॉर्टेज हो गयी थी लेकिन आप को चाहिए हो तो रख लो " ....... यह कहते हुए उसने अपने भाई का हाथ अपने बूब्स पर रख दिया जैसे उसके हाथ में पैंटी वापस पकड़वाना चाहती हो.
एका - एक से निक्की का यह हमला निकुंज सह नही पाया और उसकी बहेन ने उसके हाथ को अपने राइट बूब पर ताक़त से दबा दिया ...... " इष्ह !!! " ....... दोनो के जिस्म एक साथ सुलग उठे और जिसमें निकुंज काफ़ी हद्द तक पिघल गया.
" निक्की यह सही नही है .. बेटा हम कल सुबह बात करेंगे " ....... उत्तेजित होने के बावजूद निकुंज ने फॉरन अपना हाथ उसके बूब से हटाना चाहा लेकिन मस्ती से सराबोर निक्की उसके हाथ से अपनी दाई चूची पंप करने लगी ...... " आअहह !!! भाई आप को बहुत मिस किया मैने " ...... उसकी बढ़ती आहों ने निकुंज के लंड में बेहद तनाव ला दिया और कुछ देर बाद उसके हाथो ने स्वतः ही अपनी बहेन की मांसल चूची को दबोचना शुरू कर दिया.
" उफफफफफ्फ़ भाई ज़ोर से !!! यहीं मेरा दिल है .. जिसे आप ने तोड़ दिया " ...... निक्की फुसफुसाई .... वह अपना हाथ बूब से हटा चुकी थी, जिसे अब निकुंज अपनी मर्ज़ी से दबाए जा रहा था ....... " ह्म्म्म्मम !!! लव मी भाई " ....... निक्की का फ्री हाथ तेज़ी से उसकी सलवार के अंदर पहुच गया और वह अपनी कुँवारी चूत से छेड़ - खानी करने लगी.
काफ़ी देर से निकुंज अपनी बहेन के वश में था .... वह बिना कुछ बोले उसके इशारे पर नाच रहा था, वहीं निक्की की चूत में अत्यधिक स्पंदन होने से रति - रस का रिसाव होने लगा और इसके साथ ही उसकी मानसिक स्थिति पूर्ण रूप से डाँवाडोल हो गयी.
" उंघह भाई !!! मेरी पुसी को प्यार करो ना .. जैसा आप ने उस दिन पार्क में किया था " ...... निक्की तड़प कर बड़बड़ाई, वह कयि दिनो से भरी बैठी थी और ऊपर से अपने भाई का तिरस्कार .... अब तो वह अपनी सारी इक्षाओ को आज रात ही पूरा करने को मचल उठी थी.
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RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
निकुंज अपनी बहेन के मूँह से निकले शब्द सुन कर स्तब्ध रह गया .... पुसी वर्ड का इतना सॉफ उच्चारण वह भी निक्की जैसी भोली, मासूम व संस्कारी लड़की के मूँह से .... सोचते ही निकुंज के होश उड़ गये और जब उसने जाना उसकी बहेन की चूची वह अपनी मर्ज़ी से मसले जा रहा है .... उसकी हैरानी का पार नही रहा ...... " नही निक्की !!! " ..... यह कहते हुए उसने अपना हाथ बहेन के बूब से हटा लिया और बेड से नीचे उतर कर खड़ा हो गया .... हलाकी अब भी उसका वह हाथ अपने आप पंप हुए जा रहा था, लेकिन इस बात से उसे कोई मतलब नही रहा.
निकुंज की इस हरक़त ने निक्की का जिस्म अधर में लटका दिया .... वह आनंद के जिस अकल्पनीय सागर में ढेरो गोते लगा रही थी .... फॉरन बह कर किनारे आ लगी और अपनी चूत पर उसके हाथ की सहलाहट का भी उसी क्षण अति - निर्दयी अंत हो गया.
" भाई ये कैसा मज़ाक है .. पहले मेरे दिल से खेलते हो और जब मैं खुद पर काबू नही रख पाती .. दिल तोड़ देते हो " ...... तैश में आ कर निक्की के मूँह से यह कथन निकल गया और जिसे सुनने के पश्चात निकुंज उसके कमरे के दरवाजे की तरफ अपने बेजान कदम बढ़ाने लगा.
" सच कहा तूने निक्की .. मैं तेरा दिल तोड़ रहा हूँ पर जो दिल से खेलने वाली बात तूने कही .. यह सरासर झूठा इल्ज़ाम है मुझ पर, क्या मैं उत्तेजित नही होता लेकिन मैं इस पाप का भागीदार नही बनना चाहता और ना तुझे बनने दूँगा " ...... इतना कहते हुए वह उसके कमरे से बाहर चला गया और निक्की नाराज़गी में तकिये से अपना चेहरा ढक कर लेट गयी.
अपने कमरे में आने के बाद तो जैसे निकुंज सारी सुध बुध खो बैठा .... उसने अपने उसी काँपते हाथ को गंभीरतापूर्वक देखा जिससे उसने अपनी बहेन की गुदाज़ चूची मसली थी, वह खुद पर कितना भी कंट्रोल करता लेकिन पॅंट के अंदर खड़ा उसका लंड इस बात की सच्ची गवाही दे रहा था की वह निक्की के जिस्म की तपन से तप रहा है .... फॉरन निकुंज ने अपना पॅंट उतार कर डोर उच्छाल दिया और अंडरवेर की जकड़न से अपने विकराल लंड को मुक्ति दिला दी.
इसके बाद उसने अपना वही कांपता हाथ अपने पूर्ण विकसित लंड के इर्द - गिर्द लपेट लिया और काफ़ी कठोरता से हस्त - मैथुन करने लगा .... आनंद से सराबोर वह बार - बार निक्की की झांतो भरी चूत को याद करते हुए अपने लंड में निर्दयता से झटके देता और साथ ही उसके मूँह से काई ऐसे शब्द फूट जाते .... जिनसे यह साबित हो चला कि उसके मन में भी अब चोर बस चुका है.
कुछ ही देर के घमासान के पश्चात उसकी टांगे ऐंठन से भरने लगी और वह अपनी बहेन के नाम की रॅट लगाते हुए झड़ने लगा .... आश्चर्य से परिपूर्ण वीर्य स्खलन ने उसके पूरे जिस्म में अजीब सी सनसनी फैला दी थी और साथ ही कुछ पॅलो के लिए उसके जहेन में अपनी मा का वही चेहरा घूमने लगा .... जब उसके गुलाबी होंठो के बीच निकुंज का लंड प्रचंडता से झटके खाए जा रहा था और कम्मो उतनी ही तेज़ी से अपने जवान बेटे के गाढ़े वीर्य की फुहारों से .... अपना गला तर करती रही थी.
सब कुछ सामान्य हो गया, बिस्तर पर जहाँ - तहाँ उसकी पापी करतूत के अंश बिखरे पड़े थे लेकिन निकुंज के चेहरे पर किसी प्रकार की कोई संतुष्टि नही आ सकी थी .... वह किसी जायज़ वास्तु की बेहद कमी महसूस कर रहा था, फिर चाहे वह वास्तु उसकी मा का प्रभावित मूँह हो .... जिससे कम्मो ने निकुंज को अपनी बलपूर्वक लंड चुसाई का आनंद दिलाया था या वह वास्तु उसकी सग़ी छोटी बहेन निक्की की कुँवारी चूत हो .... जिसे वह खुद अपने भाई के लंड से कुटवाने की, अपनी बेशरम इक्षा ज़ाहिर कर चुकी थी.
यूँ ही सोचते - सोचते निकुंज भी नींद के आगोश में समाने लगा इस प्रण के साथ, कि अब वह कभी अपने पापी मन को अपने ऊपर हावी नही होने देगा परंतु आँखें बंद करते ही उनमें .... कभी निक्की तो कभी कम्मो के अक्स बारी - बारी से उतरते रहे .... अत्यधिक बेचैनी की इस अवस्था ने निकुंज को और भी ज़्यादा ध्यांमग्न कर दिया और जल्द ही उसने ऐसा फ़ैसला ले लिया, जिसमें एक मा की उदारता .... एक बहेन की निकृष्ट'ता से हार गयी और इसके बाद निकुंज की सारी सोच सिर्फ़ अपनी जवान बहेन के ऊपर केंद्रित हो गयी .... अब उसकी आँखों ने झपकना छोड़ दिया था और वह नींद की गोद में चला गया.
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RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
इस मोड़ में भी उसने सारे सीन बड़ी बारीकी से देखे .... कैसे चूस - चूस कर लड़की ने जल्द ही लंड को फिर से विकराल बना दिया और इसके बाद उसके बाप ने दो बार उसकी चूत को चाटा .... इसी दौरान दोनो में दर्जनो किस भी हुए आंड अट लास्ट बाप ने अपने विशाल लंड से बेटी की अति - नाज़ुक चूत की धज्जियाँ उड़ा कर रख दी .... इस वक़्त निम्मी बेहद गंभीर हो चुकी थी वरना अन्य कोई कुँवारी लड़की इस निर्मम चुदाई को देख रही होती .... अवश्य ही डर के मारे आजीवन कुँवारी रहने का संकल्प कर लेती.
वीडियो समाप्त होने के पश्चात निम्मी ने भी अपना चरमुत्कर्ष पा लिया .... उसकी उंगलियों ने भी उसकी कमसिन चूत पर कोई रहमत नही बक्शी थी बल्कि उसे तो मज़ा आ रहा था इस बुरी तरह से अपनी कुँवारी चूत पर ज़ुल्म करने में.
वह अब जान गयी थी चुदाई का सही अर्थ क्या है, कोई शरम कोई हया इसमें काम नही आती ..... " मैं भी ऐसा ही करूँगी और डॅड को अपना दीवाना बना कर छोड़ूँगी " ...... कुछ इसी प्रकार का प्रण करने के बाद वह भी बिस्तर पर ढेर हो गयी या शायद अत्यधिक खुशी से सराबोर हो उसकी आँखें स्वतः ही बंद हो गयी होंगी.
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नेक्स्ट मॉर्निंग :-
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5 बजे के अलार्म से निकुंज की नींद खुल गयी .... हलाकी उसका उठने का ज़रा भी मन नही हुआ लेकिन वह रात में ही तय कर के सोया था कि सुबह टाइम से निक्की के साथ पार्क जाएगा और उससे अपने किए की माफी भी माँगेगा.
" अपनी तरफ से सेक्स के लिए कोई ज़ोर नही दूँगा और कोशिश करूँगा निक्की भी मेरी बात को समझे .. बाकी सारा कुछ किस्मत के ऊपर छोड़ा " ....... इतना सोचने के बाद वह फ्रेश होने के लिए बाथ - रूम में एंटर हो गया, मीडियम शवर ले कर वह रूम में वापस लौटा और फिर शॉर्ट्स &; टी-शर्ट पहेन कर पूरी तरह से रेडी हो गया.
" अरे हां !!! सर्प्राइज़ गिफ्ट तो निकाल लूँ .. आख़िर मेरी प्यारी शहज़ादी को मनाना जो है " ...... कमरे से बाहर निकलने से पहले उसके दिमाग़ की बत्ती जली और उसने वॉर्डरोब खोल कर अंदर रखी कर्ध्नी अपनी शॉर्ट्स की ज़िप्ड पॉकेट में छुपा ली ..... " अब देखता हूँ कैसे नही मानेगी .. मोम के लिए दूसरी ले लूँगा " ..... मुस्कुराता हुआ वह फॉरन हॉल में आया और बिना कोई एक्सट्रा खतर - पतर किए निक्की के कमरे में चला गया.
वह सीधा उसके बेड पर जा कर बैठ गया, निक्की बेहद गहरी नींद में सो रही थी .... एक पल को तो निकुंज को लगा जैसे वह उसे यूँ ही सोते हुआ देखता रहे लेकिन आज कैसे भी कर उसे अपनी रूठी बहेन को मनाना था और इसके लिए वह चाहता था .... जल्द से जल्द वे दोनो घर की इस चार - दीवारी से बाहर निकल जाएँ, एक ऐसी जगह जहाँ उन दोनो के अलावा कोई तीसरा मौजूद ना हो.
बीती रात की सारी बातें उसके जहेन में उतनी ही ताज़ा थी जितनी रात को करते वक़्त थी .... उसकी आँखों के ठीक सामने निक्की की वह चूची थी जिसे उसने काफ़ी देर तक अपने हाथ से मसला था ..... " निक्की चल उठ जा फटाफट .. पार्क चलना है " ...... वह उसके कान में फुसफुसाया.
" अरे उठ जा मेरी मा " ..... काई आवाज़ें देने के बाद भी जब निक्की नही उठी, शरारतवाश निकुंज ने उसकी दाहिनी चूची पर जान बूझ कर अपना हाथ रखते हुए उसके बदन को हल्का सा हिलाया .... इसके साथ ही उसके खुद के बदन में कामुकता की एक लघु लहर दौड़ गयी और वह बिना कुछ बोले अगले चन्द सेकेंड्स तक अपनी बहेन के गुदाज़ बूब को अपने हाथ में फील करने लगा.
अब उसकी नज़र निक्की के सोते चेहरे पर टिक गयी थी, जैसे - जैसे वह उसकी चूची पर अपने हाथ को पंप करता वैसे - वैसे उसकी बहेन के चेहरे पर दर्ज़नो तरह के भाव आ कर चले जाते .... निकुंज को भी इसमें अत्यधिक आनंद का अनुभव होने लगा था और वह अपनी मर्ज़ी से अपने हाथ में और ज़्यादा कठोरता लाने लगा लेकिन जल्द ही उसे अपने लंड के अप्रत्याशित कदकपन्न का एहसास हुआ और फाइनली उसने अपना हाथ पीछे खीच लिया.
" निक्की !!! " ...... चूची पर से हाथ हटाने के पश्चात उसने अपनी बहेन के दोनो कंधे ताक़त से झंझोड़ दिए और निक्की एक झटके से अपनी आँखें मसल्ति हुई बिस्तर पर उठ कर बैठ गयी ..... " चल तैयार हो जा पार्क चलते हैं " ..... निकुंज ने उसे स्माइल देते हुए कहा जिसके एवज़ में निक्की उसे घूर कर देखने लगी .... माना उसकी आँखें खुल चुकी थी मगर अब भी वह पूर्णरूप से जाग नही पाई थी.
" ओये कुम्भ्कर्न !!! " ....... निकुंज अपनी बहेन की इस सुंदर निश्छल अवस्था पर मोहित हो गया और प्रेमवश उसने अपने हाथो की मजबूत पकड़ से उसे बिस्तर से अपनी गोद में उठा लिया ...... " चलिए शहज़ादी जी !!! आप को रेडी होना है पार्क जाने के लिए " ...... वह हँसता हुआ बाथ - रूम के गेट पर पहुचा और निक्की के गोरे गाल पर एक किस देने के बाद उसे अपनी गोद से नीचे उतार कर फ्लोर पर खड़ा कर दिया.
" जा और जल्दी आना .. मैं वेट कर रहा हूँ " ..... इतना कह कर निकुंज वापस बिस्तर पर बैठ गया और निक्की कुछ देर तक अपने भाई के चेंज्ड बिहेवियर को हैरानीपूर्वक देखने के बाद बाथ - रूम में एंटर हो गयी .... उसे कल रात से ही निकुंज पर बेहद गुस्सा आ रहा था ...... " हुहह !!! अब मैं किसी झाँसे में नही आउन्गि " ..... वह जल्द ही फ्रेश हो गयी लेकिन इस जल्दबाज़ी में उसे याद नही रहा कि उसने अपने सारे कपड़े उतार कर पानी से भारी बकेट में डाल दिए हैं और अब अपना गीला बदन पोंच्छने के लिए बाथ - रूम में टवल तक मौजूद नही था.
अगले पाँच मिनिट वह असमंजस की स्थिति में खड़ी रही ...... " बेटा तू अपने साथ नये कपड़े ले कर तो गयी नही !!! रुक मैं हॉल में जा रहा हूँ .. जल्दी आना " ....... निकुंज की यह बात सुनते ही निक्की के तंन - बदन में बिजली कौंध गयी ....... " क्या भाई को पता है मैं नंगी हूँ ? " ....... उसके इस कथन में क्रोध, निराशा, अनियंत्रित कामुकता के तीनो रूप शामिल थे और जिसका सीधा असर उसकी धड़कनो से कहीं ज़्यादा उसकी कुँवारी चूत पर हुआ .... उसने जाना एक दम से उसके निपल कड़क हो गये हैं और इसके बाद वह अपनी टाँगो में बेहद कंपन महसूस करने लगी.
" ईश्ह्ह्ह्ह !!! यह क्या हो रहा है मुझे ? " ...... वह ज़्यादा देर तक खड़ी ना रह सकी और नीचे गिरने से अपना बचाव करने हेतु उसने आगे बढ़ते हुए बाथ - रूम के दरवाज़े की कुण्डी पकड़ ली .... कुछ देर तक गहरी साँसे लेने के पश्चात वह अपने कमरे में दाखिल हुई और फॉरन अपने बिस्तर पर जा कर लेट गयी.
वहीं भाई - बेहन के अलावा घर का एक और सदस्य अपनी आँखें खोल चुका था और वह थी कम्मो .... वह तो लगभग पूरी रात ही नही सो पाई थी और उसने अपने पति की मौजूदगी में जी भर के अपने बड़े बेटे के ढीले लिंग से खेला था, उसमें जान फूकने की नाकाम कोशिश करती रही थी .... हॉल के सोफे से निकुंज ने ज्यों ही अपनी बहेन को आवाज़ दी, कम्मो के कान भी खड़े हो गये .... वह फॉरन समझ गयी दोनो भाई - बहेन पार्क में दौड़ने जा रहे हैं.
" मैं भी साथ जाउन्गि " ...... विद्युत की गति से कम्मो अपने बिस्तर से नीचे उतरी और तब तक निक्की भी अपनी बिगड़ी हालत में काफ़ी सुधार ला चुकी थी .... इसके बाद तो जैसे दोनो मा - बेटी में होड़ सी लग गयी ...... " कौन पहले तैयार हो पाता है ? "
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