RE: rajsharmastories धोबन और उसका बेटा
मटकते हुए चूटरो के पिच्चे चलने का एक अपना ही आनंद है आप सोचते रहते हो की "हाई कैसे दिखते होंगे ये चूतर बिना कपरो के" या फिर आपका दिल करता हाई की आप चुपके से पिच्चे से जाओ और उन चूटरो को अपने हथेलियों में दबा लो और हल्के मस्लो और सहलाओ फिर हल्के से उन चूटरो के बीच की खाई यानी की गांद के गड्ढे पर अपना लंड सीधा खरा कर के सता दो और हल्के से रगर्ते हुए प्यार से गर्देन पर चुम्मिया लो. ये सोच आपको इतना उत्तेजित कर देती जितना शायद अगर आपको सही में चूतर मिले भी अगर मसल्ने और सहलाने को तो शायद उतना उत्तेजित ना कर पाए. चलो बहुत बकवास हो गई आगे की कहानी लिखते हाई, तो मैं अपना लंड पाजामा में खरा किए हुए अपनी लालची नज़रो को मा के चूटरो पर टिकाए हुए चल रहा था. मा ने मूठ मार कर मेरा पानी तो निकाल ही दिया था इस कारण अब उतनी बेचैनी ऩही थी, बल्कि एक मीठी मीठी सी कसक उठ रही थी, और दिमाग़ बस एक ही जगह पर अटका परा था. तभी मा पिच्चे मूर कर देखते हुए बोली "क्यों रे पिच्चे पिच्चे क्यों चल रहा हाई, हर रोज़ तो तू घोरे की तरह आगे आगे भागता फिरता रहता था" मैं ने शर्मिंदगी में अपने सिर को नीचे झुका लिया, हालाँकि अब शर्म आने जैसी कोई बात तो थी ऩही हर कुच्छ खुलाम खुला हो चुक्का था मगर फिर भी मेरे दिल में अब भी थोरी बहुत हिचक तो बाकी थी ही. मा ने फिर कुरेदते हुए पुचछा "क्यों क्या बात हाई तक गया हाई क्या" मैने कहा "ऩही मा ऐसी कोई बात तो हाई ऩही, बस ऐसे ही पिच्चे चल रहा हू". तभी मा ने अपनी चल धीमी कर दी और अब वो मेरे साथ साथ चल रही थी. मेरी र अपनी तिरच्चि नज़रो से देखते हुए बोली " मैं भी अब तेरे को थोरा बहुत समझने लगी हू, तू कहा अपनी नज़रे गाराए हुए हाई ये मेरी समझ में आ रहा हाई, पर अब साथ-साथ चल मेरे पिच्चे पिच्चे मत चल, क्यों की गाओं नज़दीक आ गया हाई कोई देख लेगा तो क्या सोचेगा" कह कर मुस्कुराने लगी. मैने भी समझदार बच्चो की तरह अपना सिर हिला दिया और साथ साथ चलने लगा. मा धीरे से फुसफुसते हुए बोलने लगी, "घर चल तेरा बापू तो आज घर पर हाई ऩही फिर आराम से जो भी देखना होगा देखते रहना". मैं हल्के से विरोध किया "क्या मा, मैं कहा कुच्छ देख रहा था, तुम तो ऐसे ही बस, तभी से मेरे पिच्चे पारी हो". इस पर मा बोली "लालू मैं पिच्चे पारी हू या तू पिच्चे परा हाई इसका फ़ैसला तो घर चल के कर लेना. फिर सिर पर रखे कपरो के गत्थर को एक हाथ उठा कर सीधा किया तो उसकी कांख दिखने लगी. ब्लाउस उसने आधे बाँह का पहन रखा था, गर्मी के कारण उसकी कांख में पसीना आ गया था और पसीने से भीगी उसकी कनखे देखने में बरी मदमस्त लग रही थी. मेरा मन उन कनखो को चूम लेने का करने लगा था. एक हाथ को उपर रखने से उसकी सारी भी उसके चुचियों पर से थोरी सी हट गई थी और थोरा बहुत उसके गोरे गोरे पेट भी दिख रहे थे, इसलिए चलने की ये पोज़िशन भी मेरे लिए बहुत अच्छी थी और मैं आराम से वासना में डूबा हुआ अपनी मा के साथ चलने लगा.
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