01-04-2019, 01:40 AM,
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RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
इधर संगीता ने फिर से सवाल पूछा;
संगीता: मुझे ये बताओ आपने मुझे उठाया क्यों नहीं?
मैं: यार आप सब थके हुए थे...सोचा क्या उठाऊँ...|
संगीता: ठीक है....तो आगे से मैं बीमार पड़ी तो मैं भी आपको नहीं बताउंगी|
मैं: Sorry यार! मैं सीरियसली तुम्हें तंग नहीं करना चाहता था...मैंने इसे Lightly लिया....SORRY !
संगीता: ठीक है ...इस बार माफ़ किया!
इतने में फ़ोन की घंटी बज उठी| ये दिषु का फ़ोन था और उसने हाल-चाल पूछने को फ़ोन किया था| मेरे फोन उठाने से पहले ही संगीता ने फ़ोन मुझ से ले लिया और फ़ोन को लाउड स्पीकर पे डाल के खुद बात करने लगी;
संगीता: हेल्लो नमस्ते भैया!
दिषु: नमस्ते भाभी जी, मानु है?
संगीता: हैं पर उनकी तबियत खराब है|
दिषु: वहां जाके भी बीमार पड़ गया?
संगीता: हाँ कल बच्चों के साथ झरने के पानी में खेल रहे थे| अब बुखार चढ़ा हुआ है!
दिषु: ओह्ह...ऐसा करो उसे RUM पिला दो! टनटना जायेगा!!!!
मैं: अबे...तेरा दिमाग खराब है?
दिषु: सही कह रहा हूँ यार...!!!
मैं: साले....मैं दवाई खा के ही खुश हूँ|
दिषु: भाई मैं तो सलाह दे रहा था, आगे तेरी मर्जी| अच्छा ये बता कब आ रहा है?
मैं: 2 जनवरी को|
दिषु: तो New Year वहीँ मनाएगा?
मैं: हाँ भाई!
दिषु: चल सही है...enjoy बच्चों को मेरा प्यार देना| Bye !
मैं: Bye !
फ़ोन रखने के बाद, संगीता की आँखें चमकने लगी थीं;
मैं: उस बारे में सोचना भी मत?
वो उठी और बिना कुछ कहे माँ के कमरे में भाग गई| जब वापस आई तो साथ में माँ भी थी| पिताजी बच्चों को लेके घूमने निकल गए थे|
माँ: बहु ने बताया मुझे..... अगर उससे तू जल्दी ठीक होता है तो पी ले? कौन सा पूरी बोतल पीनी है? दो ढक्कन ही तो पीने हैं?
मैं: आप भी किस पागल की बातों में आ रहे हो? अगर RUM पीने से बिमारी खतम होती तो कंपनी वाले अमीर हो जाते| दवाई ले रहा हूँ, ठीक हो जाऊँगा|
माँ: पर तेरी वजह से बहु-बच्चे घूमने नहीं जा सकते उसका क्या?
मैं: मैं अब पहले से बेहतर महसूस कर रहा हूँ| शाम से ही हम घूमना RESUME करते हैं|
संगीता: नहीं...जबतक आप पूरी तरह ठीक नहीं होते आप यहाँ से हिलओगे भी नहीं!
मैं: Ohhh Come on यार!
संगीता: ना!!!
माँ: बिलकुल सही कह रही है बहु|
मैं: माँ मैंने पिताजी से promise किया था की मैं शराब को हाथ नहीं लगाउँगा|
माँ: बेटा दवाई की तरह पीना है....शराबियों की तरह नहीं?
मैं: Sorry माँ...मैं दवाइयों से ठीक हो जाऊँगा|
माँ: अच्छा अगर तेरे पिताजी कहेंगे तब तो पीयेगा ना?
मैं: ना
माँ: ठीक है! पर ये जानके अच्छा लगा की तो अपने वादे पे अटल है|
माँ कमरे में चली गईं और संगीता मुझे देखने लगीं;
संगीता: एक बात पूछूँ?
मैं: हम्म्म्म....
संगीता: आपका Drink करने का मन करता है?
मैं: हमने तुम्हारे हुस्न का रास चख लिया है ...
अब शराब में क्या रखा है?
हमें बहकाने के लिए तेरी एक मुस्कान ही काफी है!
जानता हूँ काफ़िया नहीं मिला...पर जो दिल में आया कह दिया!!!
संगीता: वाह!!!वाह!!!वाह!!!
मैं: ये कैसा जादू किया तेरे इश्क़ ने ....
एक काफ़िर को शायर बना दिया!!!
संगीता: वाह!!वाह!!!वाह!!! अच्छा बहुत होगी शायरी अब आप आराम करो, मैं आपके पास बैठती हूँ|
मैं: नहीं...आपको भी exposure हो जायेगा?
संगीता: नहीं मैं तो यहीं बैठूंगी!
मैं: यार मना करो? आप लोगों को एक्सपोज़र ना हो इसलिए तो मैं रात को सोफे पे सोया था| (इस बार मैंने कठोरता दिखाते हुए कहा)
वो उठीं और माँ के पास चली गईं| वैसे पिछले कुछ दिन से मेरी बहुत शिकायत की जा रही थी!!! फिर से माँ उनके साथकमरे में आ गईं,
माँ: क्यों रे? बहुत तंग कर रहा है बहु को?
मैं: मैंने क्या किया?
माँ: बहु तेरा सर दबाना चाहती है और तू उसे मना कर रहा है? अब अगर उसके सर दबाने से तुझे नींद आ जाएगी तो क्या बुराई है इसमें?
मैं: माँ वो....ये प्रेग्नेंट हैं और इन्हें एक्सपोज़र हो गया तो? ये भी बीमार पड़ जाएँगी और फिर ऐसी हालत में जब ये माँ बनने वाली हैं इनका बीमार पड़ना होने वाले बच्चे के लिए सही नहीं|
माँ: ऐसा कुछ नहीं होगा? मामूली सी सर्दी-खांसी तो लगी रहती है| वैसे भी अपनों में बीमारी ऐसे ही नहीं फ़ैल जाती|
अब माँ से तर्क कौन करे? कौन उन्हें समझाए की ये सर्दी खांसी communicable disease होते हैं| मैंने हाथ जोड़े और माफ़ी माँगी| I believe की अगर आप जीत नहीं सकते तो माफ़ी मांग लो भाई! खेर माँ फिर से चली गईं और उन्होंने दरवजा लॉक किया और मेरे पास आके कम्बल में बैठ गईं|
मैं: हम्म्म...तो आपने माँ से शिकायत की?
संगीता: करनी पड़ी....आप मेरी बात तो मानते नहीं?
मैं: यार I'm very particular about you .... !!!
संगीता: तो इसका मतलब आप मुझे खुद से दूर कर देंगे?
मैं: यार ये कोई इतनी बड़ी बिमारी नहीं की मैं महीनों तक बिस्तर पे पड़ा रहूँ|
संगीता: लगता है आप ऐसे नहीं मानोगे? मैं माँ को बुलाती हूँ....
वो उठ के जाने लगीं तो मैंने उनका हाथ पकड़ के उन्हें रोक लिया|
मैं: Sorry ...Sorry ..... Sorry ..... Sorry .......
संगीता वपस मेरे पास बैठ गईं और सर दबाने लगीं| मेरे दिमाग में अब भी एक्सपोज़र वला ख्याल घूम रहा था तो मन जानबूझ के दूसरी तरफ करवट ले के लेट गया ताकि मेरी साँसों के जरिये कहीं वो बीमार न पड़ जाएं|
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RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
नेहा: पापा ...आप यहाँ क्यों सो रहे हो?
मैं: बेटा.... आप उठ गए? उम्म्म्म....
नेहा आके मेरे ऊपर ही सोने लगी;
मैं: बेटा आप बीमार हो जाओगे?
मैंने बड़े प्यार से फिर से अपनी बात दुहराई ...पर नेहा ने अनसुना कर दिया और मेरी छाती पे सर रख के सो गई| मैं जानता था की जगह कम्फ़र्टेबल नहीं है और वो आराम से सो नहीं पायेगी तो मैं बड़े संभाल से उठा और वापस पलंग पे लेट गया, मेरे लेटते ही संगीता बोली;
संगीता: आ गए ना वापस?
मैं: हम्म्म...तो ये अब दोनों माँ-बेटी की मिली-भगत थी?
संगीता: अब मेरी बात तो आप मानते नहीं? एक नेहा है जिसकी हर बात मानते हो!
मैं: अच्छा? मैं कौन सी बात नहीं मानी? हमेशा तो आप माँ को या पिताजी को या बच्चों को आगे कर देते हो!
संगीता: awwwww ....जानती हूँ की आप सब को मन नहीं करोगे इसलिए!
मैं: अगर एक बार आप भी प्यार से कोशिश करो तो आपकी भी हर बात मानूँगा!
संगीता: अच्छा? चलो test करते हैं! Kiss Me!
मैं: ऐसे नहीं...प्यार से कहो!
संगीता: जानू प्लीज Kiss me !
वो मेरे नजदीक आइन और मैंने उन्हें Kiss किया!
संगीता: हम्म्म.... ठीक है ...तो आज से मैं इसी तरह आपसे हर काम लिया करुँगी!
इस तरह प्यार से KISS करते हुए वो रात गुजरी| अगला दिन 31 दिसंबर था, और पार्टी करने का फुल मूड था| तबियत अब पहले से बेहतर थी....owing to some extra love and care from her. चूँकि हम बाहर थे और खाना-पीना बाहर ही था तो 31st Night कुछ ख़ास नहीं लग रही थी, पर जब तक मानु मौजूद है भला ये दिन ऐसे कैसे गुजर जाता? सुबह के नाश्ते के बाद मैं होटल से निकला और मार्किट में कुछ पता किया| सारा काम सेट कर के मैं एक पैकेट में कुछ सामान लेके वापस लौटा| अब दोपहर के खाने के समय पिताजी ने बात शुरू की;
पिताजी: तो तुम दोनों का क्या प्रोग्राम है आज?
मैं: हम दोनों का नहीं हम सब का है...प्लानिंग तो कर चूका हूँ ... अब बस प्लान को अंजाम देना बाकी है| और आज रात कोई नहीं सोने वाला!
माँ: क्यों आज रात हमसे भजन करने का इरादा है?
मैं: नहीं माँ.... आज रात तो पार्टी है|
माँ: बेटा तुम दोनों जाओ नाचो पार्टी-शार्टी करो...हमें कहाँ खींचते हो इन सब में| हम तो खाना खा के सो जायेंगे|
संगीता: नहीं माँ ...बिना आप लोगों के हम नया साल कैसे मनाएंगे?
मैं: वैसे भी यहाँ नजदीक में Pubs नहीं हैं|
खेर खाने के बाद मैं संगीता और बच्चे walk के लिए निकले|
संगीता: बताओ न क्या surprise प्लान किया है?
मैं: अगर बता दिया तो surprise कैसा?
संगीता: Please !!!
मैं: ना
संगीता: इसीलिए मैं बच्चों को आगे करती हूँ|
मैं: इस बार तो मैं बच्चों को भी नहीं बताने वाला| बस इतना कह सकता हूँ की ये कोई बहुत बड़ी सेलिब्रेशन नहीं है| यहाँ के बारे में मैं इतना नहीं जानता तो छोटा-मोटा जो भी प्लान कर सका...कर लिया|
संगीता: आप जो भी लें करते हो वो मजेदार होता है| खेर अब हम निकले हैं तो क्यों ना माँ-पिताजी के लिए कुछ GIFTS ले लिए जाएँ?
मैं: Good Idea ...पर अभी जाके मत दे देना...रात 12 बज के बाद देंगे|
संगीता: Great.
हमने मिलके सब के लिए कुछ न कुछ खरीदारी की...सिर्फ अपने लिए कुछ नहीं लिया| जब हम होटल पहुंचे तो देखा की माँ-पिताजी वाला कमरा लॉक्ड है! हमने जल्दी-जल्दी सामान अंदर रखा और इससे पहले की मैं पिताजी को फोन मिलाता मुझे ही एक कॉल आ गई| उस कॉल ने मेरा मूड खराब कर दिया! मेरी New Year की सारी planning धरी की धरी रह गई| दरअसल मैंने Camping जाने का प्लान किया था पर वो already booked थे| हालाँकि मैंने एक जुगाड़ ढूंढा था पर उस ने फ़ोन कर के अपने हाथ खड़े कर दिए| मैं सोचा था की हम रात को कैंपिंग करेंगे और वहीँ New Year celebrate करेंगे...पर हर बार मेरा प्लान सफल हो ये जरुरी तो नहीं| खेर पिताजी को फोन किया तो उन्होंने हमें एक restaurant में खाना खाने को बुलाया| पर अभी तो सिर्फ सात बजे थे! खेर हम चारों निकल पड़े| रेस्टुरेंट के बाहर पिताजी मिले...फिर हम ऐसे ही टहलते हुए कुछ देर निकले..... संतोष का फोन आया तो उसने बताया की काम काफी slow चल रहा है| उससे मैंने बात की तो उसे कुछ selective काम करवाने को बोला ताकि हमारे आने तक कुछ तो काम कम हो! बेकार में Labor Hours Waste करने से तो अच्छा था की selective काम करवाएं जाएँ|| मैंने उसे बाथरूम की fitting और falseceiling के काम के अलावा बाकी के चुट-पुट काम उन्हें पकड़ा दिए| मूड की तो "लग" ही चुकी थी! आठ बजने तक हम आस-पास ही घूमते रहे| आठ बजे तो पिताजी ने पूछा;
पिताजी: तो क्या प्रोग्राम है?
मैं: प्रोग्राम क्या....सब .....फुस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स !
माँ: क्यों? क्या हुआ?
मैं: सोचा था की सारे camping पे जायेंगे ...पर सब जगह आलरेडी booked हैं! तो अब तो खाना खाओ और सो जाओ!
संगीता: कोई बात नहीं...अगली बार सही! इस बार पहले से ही book कर लेंगे!
मैं: वो तो अगली बार ना? इस बार का क्या?
पिताजी: चलो आज मैं तुम सबको सरप्राइज देता हूँ! आज मैं तुम्हें विशुद्ध South Indian खाना खिलता हूँ!
आजतक मैंने Authentic खाना तो नहीं खाया था...और मैंने क्या किसी ने नहीं खाया था| हमने कुल चार थालियाँ आर्डर की थी और हम एक Family Table पे बैठे थे| एक थाली इतनी बड़ी थी की उसे एक आदमी एक बार में ही ला सकता था| हिंदी भाषा में बोलें तो "परात" (जिसमें आंटा गूंदा जाता है) से भी बड़ी थाली! हम देख के दंग रह गए की भला ये चार थालियाँ खतम कैसे होंगी? करीब-करीब दस तरह की dishes थीं... जिनके नाम तक हमें नहीं मालूम थे| मैंने खाना serve करने वाले से पूछा तो उसने फटाफट नाम बताये; Medu Vada, Rice, Sambar, Potato fry, Kosumari, Rasam, Kootu, Pappad fried, Curd, Mango Pickle, Akkaravadisal (Sweet Dish).
नेहा: दादा जी ...ये इतनी बड़ी थाली?
आयुष: ये तो मुझसे भी बड़ी है? मैं कैसे खाऊँगा?
आयुष की बात सुन सब हँसने लगे!!!
नेहा: बुद्धू ये हम दोनों share करेंगे|
जब सब की थालियाँ आ गई तो हमने एक साथ खाना शुरू किया| सबसे दिलचस्प बात ये थी की आज नेहा आयुष को अपने हाथ से खिला रही थी! अब चूँकि मैं नेहा की बायीं तरफ बैठा था तो मैं भी उसे बीच-बीच में अपने हाथों से खिला दिया करता था| I gotta say DAD saved the day!!! सब ने खाना बहुत एन्जॉय किया पर अभी सेलिब्रेशन क्तम् नहीं हुई थी| कुछ था जो मैं लेके आया था! हम सब साढ़े नौ बजे तक होटल पहुंचे और फिर पिताजी वाले कमरे में सारे बैठ गए और टी.वी. देखने लगे| मैं जानता था की बच्चे सोना चाहेंगे पर मैं उन्हें जगाये हुए था...कभी हम कोई game खेलने लगते तो कभी "चिड़िया उडी"! नेहा को तो चिड़िया उडी गेम बहुत पसंद था| इधर घडी टिक-टॉक करते हुए बारह बजाने वाली थी| जैसे ही बारह बज के एक मिनट हुआ हम सारे (माँ-पिताजी को छोड़के) छिलाये, HAPPY NEW YEAR !!! हम चारों ने बारी बारी माँ-पिताजी का आशीर्वाद लिया और नेहा और आयुष ने पहले अपने दादा-दादी का और फिर हम दोनों का आशीर्वाद लिया| अब बारी थी PRESENTS की;
मैं: माँ...पिताजी...आप लोग आँखें बंद करो?
उन्होंने आँखें बंद कीं और मैं अपने कमरे में आया और गिफ्ट्स ले के फटाफट वापस आ गया| एक गिफ्ट मैंने संगीता को दिया जो माँ के लिए था और पिताजी वाला गिफ्ट मेरे हाथ में था|
मैं: अब आप लोग आँखें खोलिए|
सबसे पहले मैंने अपना गिफ्ट पिताजी को दिया| उन्होंने आशीर्वाद दिया पर गिफ्ट नहीं खोला| फिर संगीता ने माँ को गिफ्ट दिया और माँ ने भी उन्हें आशीर्वाद दिया पर गिफ्ट नहीं खोला! अब हम दोनों हैरान एक दूसरे की शकल देख रहे थे की आखिर उन्होंने गिफ्ट क्यों नहीं खोला, तभी अचानक पिताजी बोले;
पिताजी: अब तुम चारों आँखें बंद करो|
हमने बिना कुछ कहे आँखें मूँद लीन और फिर अगले पल उन्होंने आँखें खोलने को कहा| हम सब हैरान थे की वो हम चारों के लिए कुछ न कुछ गिफ्ट लाये थे|
मैं: पिताजी पहले आप गिफ्ट खोलो फिर हम लोग खोलते हैं|
पिताजी: ठीक है!
पिताजी ने अपना गिफ्ट खोला तो उसमें एक BUSINESS SUIT था! मैं हमेशा से उन्हें के business suit में देखना चाहता था| अब बारी थी माँ की, संगीता ने उन्हें कांजीवरम साडी गिफ्ट की थी! माँ ने उन्हें आशीर्वाद दिया और पिताजी ने मुझे गले लगा लिया| अब बारी थी हमारे गिफ्ट खोलने की! मेरे लिए गिफ्ट तो पिताजी की तरफ से था, मैं जल्दी-जल्दी गिफ्ट खोला तो वो एक Timex की chronograph वाली घडी थी! मेरी फेवरट !!!
मैं: पिताजी...ये तो मेरी फेवरट घडी है!
पिताजी: बेटा आखिर बाप हूँ तेरा! मुझे याद है, कुछ दिन पहले तू अपनी माँ से कह रहा था की तुझे ये घडी चाहिए!
मैंने उस घडी के बारे में पता किया था तो वो दस हजार की थी! अब उस वक़्त मैं काम में इतना उक्झा था की सोचा बाद में खरीदेंगे| पर मैंने ये बात सिर्फ माँ से कही थी.... खेर संगीता का गिफ्ट माँ की तरफ से था और उसमें उन्होंने संगीता को "बाजू बंद" दिए थे!
संगीता: WOW !!! माँ ...ये बहुत खूबसूरत हैं?
माँ: बेटा ये मेरी माँ के हैं!
संगीता: Thank You माँ!
माँ ने उन्हें अपने गले लाग्या और फिर से आशीर्वाद दिया| बच्चों के लिए माँ ने और पिताजी ने कपडे और ख़ास कर नेहा के लिए पिताजी ने एक कलरिंग सेट दिया था| बच्चों ने उनके पाँव छुए और आशीर्वाद लिया|
माँ: बच्चों ...अभी एक गिफ्ट बाकि है...
नेहा: क्या दादी जी?
माँ: बेटा आप दोनों के नाम एक-एक FD ताकि जब आप बड़े हो जाओ तो आप अच्छे से पढ़ सको|
ये सब देख के संगीता की आँखों में आँसूं आ गए थे,
मैं: Hey? क्या हुआ? इस ख़ुशी के मौके पे आँसूं?
माँ: बेटा क्या हुआ?
संगीता: माँ.....कभी सोचा नहीं था की मुझे इतनी खुशियाँ मिलेंगी?
पिताजी: बेटा इन ख़ुशियों पे तुम्हारा हक़ है| देर से ही सही पर तुम्हें ये खुशियाँ मिलनी थी|
अब मुझे माहोल को अपने सरप्राइज से थोड़ा बदलना था वरना सारे emotional हो जाते|
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01-04-2019, 01:41 AM,
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RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
मैं बाथरूम में कपडे पहन रहा था जब मुझे किसी आदमी के चीखने की आवाज आई, मैं हैरान हो गया और परेशान भी क्योंकि ये आवाज बस एक ही इंसान की थी जिसे मैं नहीं देखना चाहता था| मैं फटफट बाहर आया और किचन की तरफ बढ़ा| वहाँ जो देखा उसे देखते ही बदन में एक बिजली सी कौंधी और मैं तेजी से चन्दर के ऊपर लपका| मैंने दाहिने हाथ से उसकी गर्दन दबोच ली और उसे दबाने लगा, आँखों में खून उतर आया था और खून उबलने लगा था| जब मेरे हाथ का दबाव उसकी गर्दन पे बढ़ा तो आनन-फानन में उसने संगीता की गर्दन तो छोड़ दी पर आयुष का हाथ नहीं छोड़ा|मैंने अपने दूसरे हाथ से आयुष का हाथ चुदवाया और संगीता को देखा तो वो सांस लेने की कोशिश कर रही थी...उन्हें ऐसे तड़पता देख मेरा गुस्सा बेकाबू हो उठा और मैंने दोनों हाथों से उसकी गर्दन दबानी शुरू कर दी, मैंने नेहा की तरफ देखा और बोला;
मैं: नेहा....आयुष और अपनी मम्मी को लेके अंदर जाओ!
नेहा भी रो रही थी पर उसने बहुत हिम्मत दिखाई और खुद को संभाला और आयुष को और अपनी मम्मी को सहारा दे के कमरे में ले गई| मैं नहीं चाहता था की बच्चे हिंसा देखें..... मैंने चन्दर का गाला छोड़ा, वो तड़पने लग और सांस लेने की कोशिश करने लगा, मैं गरजते हुए बोला और उसका कालर पकड़ के उसे दिवार से दे मारा;
मैं: तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी बीवी-बच्चों को छूने की?
बस इतन कहते ही मैंने उसे घुसे मारना शुरू कर दिया....बिना सोचे-समझे बस उसे मारता रहा..... मैंने स्कूल में Taekwondo सीखा था पर कभी नहीं सोचा था की उसकी जर्रूरत आज पड़ेगी| चन्दर की चींखें निकलने लगी और ये शोर सुन के आस पड़ोस के लोग भी इकठ्ठा हो गए| उन्होंने आके मुझे पकड़ लिया ताकि मैं उस दरिंदे को और न मार सकूँ! पर मेरे अंदर तो शैतान जाग चूका था....मैं उन सब से खुद को छुड़ाने लगा और छुड़ा भी लिया और भाग के फिर से उसे दबोचा और फिर पीटने लगा.....आज पहली बार उसे दर्द देके मुझे सकूँ मिल रहा था! उसे इतना मारा ...इतना मारा की उसका चेहरा खूनम खून हो गया... मैं बस इतना कह रहा था की; " I’m gonna beta you up…until my knuckles bleed….I swear to GOD…I’m gonna kill you…you….” भीड़ इकठ्ठा होने लगी और आस=पड़ोस के लड़कों ने मुझे थाम लिया| वो लोग चन्दर को जानते थे की ये मेरा चचेरा भाई है ...और मेरी और संगीता की शादी हो चुकी है| वो लोग मुझे समझने लगे की मैं खुद को काबू कर लूँ ...पर नहीं .... मैं फिर से एक बार उनकी पकड़ से छूटा और उसका कालर पकड़ के उसे झिंझोड़ा ताकि वो होश में आ जाये
मैं: वो मेरा खून है....तेरा नहीं.....
वो फिर से बेहोश होने लगा तो मैंने उसका कालर पकड़ के उसे झिंझोड़ा और अपनी बात पूरी की;
मैं: और याद हैं वो papers जो तूने sign किये थे? उसमें लिखा था की बच्चों की कस्टडी तू मुझे दे रहा है और अब तेरा उन पे कोई हक़ नहीं है| तो अगर तू दुबारा.... मेरे परिवार के आस-पास भी भटका ना तो मैं तुझे जिन्दा नहीं छोड़ूंगा| सुन लिया?
चन्दर: मुझे.....मुझे....माफ़ ... माफ़ कर दो!.....मुझे....मुझे माफ़ कर दो! मैं....मैं दुबारा....दुबारा कभी नहीं..... कभी नहीं ..... आगे वो बोलने से पहले ही बेसुध हो गया!
मैं: दिनेश (हमारा पडोसी) इसे हॉस्पिटल ले जा...और इसके भाई का नंबर लिख 98XXXXXXX इस्पे कॉल कर दिओ...वो आके इसे ले जायेगा|
दिनेश: जी भैया!
मैंने पलट के देखा तो संगीता खड़ी हुई ये सब देख रही थी और रो रही थी| मुझे लगा की उन्हें चाकर आ रहा है, क्योंकि उनकी आँखें ऊपर उठने लगी थीं. मैं उनके पास भाग के पहुंचा और उन्हें संभाला फिर हम दोनों अंदर आ गए.........
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RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
मैं: बाबू..... प्लीज चुप हो जाओ? देखो सब ठीक हो गया....प्लीज.....नेहा...आयुष..... बेटा आप तो मेरे बहादुर बच्चे हो ना? आप दोनों चुप हो जाओ....मैंने भगा दिया उसे.....प्लीज .....
मेरा दाहिना हाथ संगीता के सर पे था और मैं उन्हें सहला के चुप करा रहा था और बायाँ हाथ बच्चों के सर पे था| बच्चे तो सुबकते-सुबकते चुप हो गए....पर मैं महसूस कर पा रहा था की वो डरे हुए हैं| पर संगीता का रो-रो के बुरा हाल था....
मैं: नेहा...बेटा एक गिलास पानी लाओ|
नेहा पानी ले के आई और मैंने संगीता को अपने हाथ से पानी पिलाया ताकि वो चुप हो जाएं....पर पानी पीते-पीते भी उनका रोना बंद नहीं हुआ और आखिर उन्हें खाँसी आ गई.... मैंने उनकी पीठ थपथपाई ताकि खाँसी शांत हों पर उन्होंने मुझे अपनी गिरफ्त से आजाद नहीं किया था और अब भी रोये जा रही थीं;
मैं: बाबू...प्लीज Listen to me ....everything's fine now ..... He won't bother us anymore .....प्लीज चुप हो जाओ.....
संगीता ने रोते हुए...टूटी-फूटी भाषा में कहा;
संगीता: नहीं........वो......आय..........
मैं: नहीं बाबू....मैं हूँ ना आपके पास? वो अगर अाया तो मैं उसे जिन्दा नहीं छोड़ूँगा...प्लीज ....
इतने में माँ-पिताजी आ गए और उन्होंने घर के बाहर खड़े लोग देखे होंगे तो वो डरे हुए से अंदर आये और हम दोनों को इस तरह देख घबरा गए|
पिताजी: क्या हुआ बेटा?
माँ दौड़ी-दौड़ी आईं और संगीता के पास बैठीं, संगीता ने अपना सर उनके कंधे पे रखा और माँ उन्हें चुप कराने लगी|
मैं: पिताजी....
मैं उन्हें अपने साथ बाहर ले आया और अनदर कमरे में दो आंटी जो हमारे पड़ोस की थीं वो संगीता और बच्चों को सँभालने के लिए अंदर गईं| मैं: पिताजी.....चन्दर आया था.....
पिताजी की नजर मेरे पोर (knuckles) पर पड़ी, उनमें कहीं-कहीं पे जखम हो गया तो ...इसलिए मुझे आगे विवरण देने की कोई जर्रूरत नहीं पड़ी|
पिताजी: वो यहाँ करने क्या आया था? (पिताजी ने गुस्से में कहा)
मैं: आयुष के लिए........ (मैंने बात अधूरी छोड़ दी)
इतने में एक कांस्टेबल आ गया, कारन साफ़ था!!! पिताजी अंदर गए और एक फाइल उठाई और माँ को बता के हमदोनों Police Station पहुँचे....दरअसल अजय भैया ने ही पुलिस को इत्तिला दी थी! दरअसल वो और चन्दर दोनों ही दिल्ली आये थे...आयुष को लेने| थाने में हम तीनों की मुलाकात हुई..... अजय ने पिताजी को नमस्ते की पर मुझे घूर के देखा! I don't blame him for that! मं अगर उनकी जगह होता तो मैं भी शायद ऐसे ही करता....और अगर वो मेरी जगह होते तो शायद वही करते जो मैंने किया...and I don’t have any regrets.
पुलिस इंस्पेक्टर: आइये बैठिये ....ये आपके भतीजे हैं? (उसने पिताजी से सवाल किया)
पिताजी: जी ...ये मेरे बड़े भाई का लड़का है|
पुलिस इंस्पेक्टर: इसने आपके लड़के मानु के खिलाफ कंप्लेंट दर्ज की है! इसका कहना है की आप ने इनके भाई के बेटे के लड़के को जबरन अपने घर में रखा हुआ है, और आज जब इसका भाई आप से बात करने गया तो आपके लड़के मानु ने उसके साथ मार-पीट कर के हॉस्पिटल पहुंचा दिया|
पिताजी: ये papers देखिये| (पिताजी ने पुलिस इंस्पेक्टर:को divorce papers दिखाए) इसमें साफ़-साफ़ लिखा है की चन्दर इसका भाई अपनी मर्जी से दोनों बच्चों की custody मेरे बेटे मानु को सौंप रहा है| नीचे उसी के दस्तखत हैं .....
पुलिस इंस्पेक्टर: हम्म्म्म....कागज़ तो जायज हैं| पर इसका मतलब ये नहीं की तुम (मैं) किसी के साथ मार-पीट करो! आखिर पुलिस होती किस लिए है?
मैं: उस ..... (मैं गुस्से में गाली देने वाला था, पर किसी तरह खुद को रोक और बात पूरी की) कुत्ते के हाथों में मेरी पत्नी की गर्दन थी.....आप ही बताओ मैं क्या करता? पहले आपको फोन करता या अपनी बीवी को उससे कुत्ते से बचाता?
पुलिस इंस्पेक्टर: Control Yourself!
पिताजी: मानु..... (पिताजी की आवाज गंभीर थी और उन्होंने मुझे मेरी जुबान सँभालने के लिए आगाह किया)
पुलिस इंस्पेक्टर: देखो.... केस तो दर्ज हो चूका है!
पिताजी आगे कुछ नहीं बोले सीधा सतीश जी को फोन मिलाया और वापस आके पुलिस इंस्पेक्टर से बोले;
पिताजी: सुनिए इंस्पेक्टर साहब हमारे वकील साहब आ रह हैं|
पुलिस इंस्पेक्टर: कौन हैं वो?
पिताजी: सतीश जी! वो High Court में वकील हैं| अभी आ रहे हैं ......
अगले पंद्रह मिनट में सतीश जी आ गए और उन्हें देखते ही पुलिस इंस्पेक्टर पहचान गया|
पुलिस इंस्पेक्टर: अरे आप ....आइये-आइये बैठिये!
सतीश जी: यार तुम (पुलिस इंस्पेक्टर) न बहुत तंग करते हो! क्या कर दिया हमारे लड़के ने? रफा-दफा करो!
पुलिस इंस्पेक्टर: ये लो.... (उसने FIR फाड़ दी) बस खुश मालिक! चाय मंगाऊँ?
सतीश जी: नहीं यार चलते हैं...!
पुलिस इंस्पेक्टर: मालिक बस ये मामला सुलझा दो...इन्हें कहो आपस में प्यार से सुलझा लिया करें, तो हमें आपको तंग न करना पड़े|
सतीश जी: चिंता न करो यार...अब आया हूँ तो सब सुलझा दूँगा| चलो ...चलते हैं!
हम Police Station के बाहर आये और बाहर सड़क पे ही बात होने लगी;
सतीश जी: देख भाई ...हाँ क्या नाम है तेरा?
अजय: अजय
सतीश जी: हाँ-हाँ अजय...देख वो तलाक के कागज़ मैंने ही बनाये थे| तू शकल से समझदार लगता है तो तुझे बता दूँ; तेरे भाई ने उन कागजों पे sign किये हैं मतलब अब न तो उसका संगीता से कुछ रिश्ता है और ना ही बच्चों से| ऐसे में जो आज हुआ है ....वो कतई ठीक नहीं है| और ऊपर से तूने पुलिस केस कर दिया.....अब अगर मैं तेरे भाई पे ALIMONY का केस थोक दूँ तो तुम सब के सब सड़क पे आ जाओगे| और ये ही नहीं Domestic violence, Attempt to kill और भी बहुत सी दफाएं हैं जो मैं बड़ी आसानी से ठोक सकता हूँ! मेरा रसूख तो देख ही लिया तूने..... जाके अपने घर में सब को इत्मीनान से समझा दियो|
अजय: जी.....
पिताजी: अगर तुम लोग आराम से बात करते तो इसकी नौबत नहीं आती| खेर ये लो....(पिताजी ने उन्हें कुछ पैसे दिए ताकि वो चन्दर की मलहम-पट्टी कर सकें|)
सतीश जी: देखा....पाँव छू अपने चाचा के.... इतना सब होने के बाद भी ...इनके दिल में तुम सब के लिए प्यार है|
अजय ने पाँव छुए पर पिताजी ने कुछ कहा नहीं और फिर वो निकल गया| सतीश जी पुलिस स्टेशन से सीधा अपने घर निकल गए और मैं और पिताजी घर आ गए| घर आके देखा तो माँ अब भी संगीता के पास वहीँ बैठीं थीं और संगीता का सर अब भी माके कंधे पे था और माँ उनका सर सहला रहीं थीं| जब संगीता ने मुझे देखा तो वो उठीं और आके मेरे गले लग गईं| पिताजी दूकान से कुछ खाने के लिए पैक करवा रहे थे| इससे पहले की उनका रोना फिर शुरू होता मैं बोला;
मैं: बाबू....सब ठीक हो गया है| सतीश जी ने अजय को सब समझा दिया है....everything's alright!
संगीता शांत लगीं पर अब भी मायूस महसूस कर रही थीं| मैं उनके बालों में हाथ फेर रहा था ताकि वो काबू में रहे और फिर से न रोने लगें| जब पिताजी आये तो वो मुझसे अलग हुईं और सर पे पल्ला किया| हम सारे कुछ खाने के लिए बैठ गए|
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