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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
बच गईइइइइइ
" और तुम्हारा वाला , … "
मुझसे नहीं रहा गया।
" उसने ,उसने अपने हाथ पर थूका और ढेर सारा थूक अपने सुपाड़े पर पोत लिया। फिर थोड़ा सा थूक मेरे पिछवाड़े भी लगाया। मुड़ के उसना मेरा गाल चूमा औरफिर अपना सेट कर दिया ,वहां। मारे डर के मैंने आँखे बंद कर ली। "
" फिर"
मैं साँस थामे इन्तजार कर रही थी ,इनकी कैसे फटती है।
' मेरी आँखे तो बंद थी ,लेकिन रानू वाले की आवाज आ रही थी , ओह्ह्ह्ह आह उह्ह्ह्ह हाआअ , उसका हो गया था। "
वो बोले। उनकी आवाज से लग रहा था की वो एकदम फ्लैश बैक में चले गए है।
" लेकिन तुम्हारे वाले का , "
मैं अब बेसबरी हो रही थी।
"उसने कोशिश की , लेकिन घुसा नहीं , फिर दोनों अंगूठे से उसने , पूरी जोर से,… फैला के , वहां अपना ,… सुपाड़ा सेट किया और गरजा , एकदम ढीला रखना। "
वो बोले।
और जारी रहे।
" मुझे डर बहुत लग रहा रहा था ,सोच रहा था बहुत दर्द होगा। लेकिन रानू को जो मैंने देखा , तो उसको मरवाते समय एकदम दर्द नहीं हो रही था , बल्कि लग रहाथा , की उसे अच्छा लग रहा है।
मैंने भी सोचा , चलो सारे लड़के तो मरवाते है और कैसे मजे से फिर अपने किस्से सुनाते हैं। तो मैं भी , और जब सुपाड़ा मेरे गांड के छेद पे वो रगड़ रहा था जोर जोरसे तो डर के साथ कुछ और भी लग रहा था , पहली बार। फिर मैंने भी गांड ढीली कर ली।
अब तो गांड नहीं बच सकती ,मुन्ने तेरी मैंने सोचा ,
लेकिन तब तक उन्होंने ,
' तबतक पुलिस के सायरन की आवाज आयी और वो दोनों जोर से चीखे , भाग साल्ले भाग ,पुलिस आ गयी है। और उन दोनों के साथ ही हम दोनों भी , वो दोनोंबाग़ में घुस गए , और हम गली में वापस आ गए। "
"यार , तेरी गांड फिर बच गयी "
उनके क्रैक में मैं उंगली करते बोली।
' किस्मत ' मुस्कारते वो बोले।
" किस्मत की बदकिस्मत ,मन तो तेरा कर रहा था। मान लो पुलिस नहीं आती तो क्या होता। " और जोर से धँसाते मैं बोली।
" कुछ नहीं होता ,मार ली जाती। मैं मरवा लेता मेरे सारे दोस्त तो मरवाते ही थे। "
मुस्कराते वो बोले।
-फिर उन्होंने हाल खुलासा बयान किया , असल में बगल के कालेज के लड़के स्ट्राइक कर रह थे , और वो हमारे स्कूल के प्रिंसिपल ने डर के पुलिस बुलवा ली। बसउसी सायरन से सब ,…
" अच्छा सच सच बोल , जब उस ने तुम्हारी गांड में सुपाड़ा सटाया था तो कैसे लग रहा था , अच्छा लग रहा था की नहीं। खुल के बोलो। "
मैंने पूछा।
वो थोड़ी देर चुप रहे फिर बोले ,
" थोड़ा डर लगा रहा ,लेकिन , हाँ , और ,… अच्छा भी लग रहा था। थोड़ा थोड़ा। "
"एक बार घुस जाता न तो सारा डर चला जाता तेरा ,सिर्फ मजा मिलता।"
मैंने उनके गोरे चिकने गाल को सहलाते समझाया और पूछा ,
फिर कभी
"एक बार घुस जाता न तो सारा डर चला जाता तेरा ,सिर्फ मजा मिलता।" मैंने उनके गोरे चिकने गाल को सहलाते समझाया और पूछा , फिर कभी
" हाँ हाँ कई बार , लेकिन हर बार कुछ न कुछ , और एक बार तो लम्बा प्रोग्राम बना , पूरे तीन दिन का। मैं भी तैयार था। मैंने मन पक्का कर लिया था। "
अब वो खुल के बोल रहे थे , आज कन्फेशन टाइम था। पहले अपनी उस ममेरी बहन के बारे में और अब ,…
" अरे यार पूरा डिटेल में बताओ न "
मैंने और चढ़ाया।
"मैंने भी मन बना लिया था ,हो जाए तो हो जाने दो।
मेरे तो कई पक्के दोस्त एकदम खुल के बताते थे की ,साल्ले ,बिना हिचक के , मरवा के लौटते थे तो बोलते थे की बड़ा मजा आता है , जब रगड़ता दरेरता घुसता है। और उपर से मुझे चिढ़ाते थे , बहुत डरपोक है तू , अरे एक बार ट्राई कर ले , नहीं मन करेगा तो दुबारा मत मरवाना ,कौन लौंडिया है की गाभिन हो जाएगा। "
अब वो एकदम खुल के मस्ती से बोल रहे थे और मैं भी मजे से बिना उन्हें टोके, सुन रही थी।
वो चालू रहे.
"मैं ११वे में बैडमिण्टन में स्कूल का चैम्पियन था। बहुत अच्छा खेलता था। सभी लोग कहते थे मेरे रीजनल चैम्पियनशिप बनने का चांस बहुत है। एक बार वहां नंबर २ भी हो गया न तो स्टेट तक जाने का चांस था। मेरा कैप्टेन , एकदम क्या कहते हैं एकदम , वो , ( थोड़ा झिझके वो ) ....तुम्हारे कमल जीजू टाइप था।
थोड़ा डॉमिनेटिंग भी , और बाकी दोनों प्लेयर्स भी उसी टाइप के ,उसके चमचे। जब से टीम तय हुयी थी ,
वो दोनों मुझे छेड़ते थे ,तुम्हारा सोलहवां सावन जम के बरसेगा। इतनी दिनों की बचायी नथ उतर जायेगी। और वहां रहने का अरेंजमेंट भी ऐसा था , हम चारों को एक ही कमरे में रहना था। जो टीचर जा रहे थे ,उन का घर वहां से पास में था , इस लिए उन्होंने पहले ही कैप्टेन से तय कर लिया था की , वो हमारी टीम के पहुंचते ही , वो अपने घर चले जाएंगे और चौथे दिन , गेम के लास्ट डे ही आएंगे।
कुछ देर रुक के फिर वो बोले , " मैंने घर में सबको सेट कर लिया था ,सबकी परमिशन मिल गयी थी। मैंने पैकिंग भी कर ली थी। "
मैं सोच रही थी , अबकी तो उनकी फाड़ी गयी होगी धूम धड़ाके से , लेकिन उनकी टोन बदल गयी , एकदम रुक रुक के उदास।
" लेकिन , जो हर बार होता , तुम मेरी मझली बहन को जानती हो ,मेरी मौसी की लड़की। उनकी कितनी चलती है घर में , जिस रात जाना था , उसी दिन वो आयीं और सब गुड़गोबर कर दिया उन्होंने , मुझे जो डांटा वो तो अलग , घर में भी सबको , फालतू में टाइम वेस्ट , एक महीना बचा है , छमाही इम्तहान को। वो तीन चार दिन के लिए आई थीं। एकदम सब ,… "
मैं प्यार से उनके गाल और गांड को सहलाते बोली।
"तेरी सारी मायकेवालियाँ न, मेरी सास समेत ,पक्की छिनार हैं . खुद तो मोहल्ले में घूम घूम के बांटती है ,और मेरे मुन्ने को , चल घबड़ा मत , बहुत जल्द मैं और मम्मी करवा देंगी तेरी नथ उतराई।
और फिर इसमें गड़बड़ क्या है , सिर्फ गांड मरवाने से कोई गे थोड़ी हो जाता है। ये तो बहुत अच्छी बात है , तुम दोनों ओर से मजा ले सकते हो , डबल मजा। और फिर लड़कियों ,औरतों के साथ भी तो तुम , देखो मम्मी ने कहा और तुम्माण भी गए हो ,मेरी सास के भोसड़े की , मेरी उस ननद के पीछे तो तुम तब से पड़े थे जब उस के टिकोरे बस आना शुरू हुए थे ,
कमल जीजू भी तो लड़कों का शौक रखते हैं लेकिन चीनू दी का बिना नागा , … ऐसे लोगों को 'बाई' कहते हैं जो डबल मजा लेते हैं , लड़कों से भी लड़कियों से भी ,नो जेंडर डिस्क्रिमिनेशन , तो ये तो बहुत अच्छा है न। अच्छा हुए तूने मुझे बता दिया। मैं भी जेंडर डिस्क्रिमिनेशन में विश्वास नहीं रखती। "
खुश होकर वो मेरी ओर मुड़े और मुझे बाँहों में भींच लिया , चूम के बोले ,
" तुम भी "
उन की ख़ुशी एकदम छलक रही थी।
जवाब में मैंने भी जोरदार चुम्मी दी और बोली ,
" और क्या , लेकिन तुम्हारी तरह से मैं घबडाती शर्माती नहीं थी , खुद आगे बढ़ के। …
फिर मैंने हाल खुलासा बयान किया।
[
"अरे यार जहाँ तक लड़कों का सवाल है मैं तेरी ही तरह से नौसिखिया , ...सब तुम्ही ने किया पहली रात लेकिन लड़कियों के मामले में ,.... हाईस्कूल के बाद मैं बोर्डिंग में चली गयी , वहां रैगिंग वैगिंग पहले नहीं होती थी ,लेकिन जब मैं १२ में गयी उस साल से एकदम , और रैगिंग में लड़कियों को ऊँगली करवाने से शुरू हो के।
यहाँ तक की नयी नयी लड़कियां जो नौवीं में आती थी , उन को भी ,
और सिखाते सिखाते मजे भी , वो तेरी छिनाल बहना काम माल आएगी न , जब तेरे मायके जाएंगे न , तो उसे ले आएंगे तो तुम क्या समझते हो।रात भर तो तुम चढ़ोगे उसके नयी बछेड़ी पे , तो दिन में ? अरे दिन में मैं भोगूँगी उसे। जैसे लड़के आपस में मजे लेते हैं , उससे बहुत बहुत ज्यादा लड़कियां , औरतें आपस में मजे लेती हैं , ..कभी मर्दों को आपस में होली में मजे लेते देखा है लेकिन लड़कियां , कोई ननद नहीं बचती जिसकी भाभी ऊँगली न करती हूँ , अरे लड़के मुट्ठ मारते हैं की नहीं , लड़कियां ऊँगली करती हैं की नहीं , बस एकदम उसी तरह कभार आपस में करने से न कोई लड़की लेस्बियन हो जाती है न लड़का गे , हाँ मुंह का स्वाद बदलने के लिए , चल कोई बात नहीं , मैं और मम्मी हैं न तेरे पिछवाड़े का भी "
हम दोनों सो गए एक दूसरे की बाहों में , लेकिन सोने के पहले ,… वो बुदबुदा रहे थे।
" लास्ट टाइम , यू नो , …सिर्फ तीन चार साल पहले , जब मेरी पहली जॉब लगी थी , हम लोग इन्डकशन ट्रेनिंग के लिए एक मैनेजमेंट कालेज में गए थे।
यूरिनल स्टाल पे मेरे बगल में एक और कोई ट्रेनिंग में आये थे , सीनियर मैनेजमेंट में , ४५-५० के रहे होंगे। गलती से मेरी निगाह उनके स्टाल पे ,जान बूझ के नहीं बस यु हीं , .... क्या मस्त कड़ियल मोटा नाग ,मुट्ठी में न समाये , ऐसा। सुपाड़ा भी बहुत दमदार। मुझे लगा नहीं की उन्होंने मुझे देखते हुए देखा होगा ,हाथ धोते समय वो मुझे देख के मुस्कराये और मैंने भी स्माइल दे दिया। लंच में वो खुद मेरे पास आके बैठ गए और काफी बातें की , मुझे लग गया था किवो सीन सेट कर रहे हैं ,और मैंने भी , अच्छा तो मुझे भी लगा था , तो मैंने भी ,… रूम्स की कुछ शार्टेज थी इसलिए हम लोगों शायद शेयर करना पड़ता , लेकिन कोई जूनियर ट्रेनी ही मेरा रूम पार्टनर होता।
पर रिसेप्शन ने बताया की उन्होंने खुद रिक्वेस्ट कर के स्वैप कर लिया है और मेरे रूम पार्टनर होंगे। रात को हमारा ट्रेनिंग सेशन देर से खत्म हुआ मैं लौटा तो दो मेसेज थे , एक तो सडेनली कोई ट्रेनिंग प्रोग्राम कैंसल हो गया था इसलिए सबके रूम सिंगल कर दिए गए। सारे ट्रेनीज खुश थे , सिवाय मेरे। और रूम में लौटा तो उनका नोट थे की कुछ उनके घर में इमरजेंसी थी इसलिए ही इज गोइंग बैक।
हम दोनों सो गए।
कब शाम ढली मुझे पता नहीं चला।
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05-04-2021, 12:11 PM,
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
शाम ढली
हम दोनों सो गए।
कब शाम ढली मुझे पता नहीं चला।
थोड़ी देर में रात ने चादर फैला दी।
" चाय चाय , गरम चाय। "
आवाज ने मेरी नींद खोल दी , और जब मैंने अपनी बड़ी बड़ी पलकें खोलीं , सामने वो ,
चाय की ट्रे के साथ , दो प्याले।
चाय हमने बाद में पी , पि को अपनी ओर खींच के उनके होंठों को अपने होंठों का रस पिला दिया।
' मुझे उठा देते , " मैंने शिकायत की।
' उठाया तो ,"
मुस्करा के उन्होंने कहा और चाय की प्याली पकड़ा दी।
एक चुस्की मैंने ली , और मेरी आँखे पट्ट से खुल गयीं , एकदम परफेक्ट ,कड़क।
" मस्त चाय है बहुत अच्छी ,और बनाने वाला भी ,"
मुस्करा के मैं बोली और उन के प्यासे होंठों पे अबकी टिट्स से टिप दे दिया।
' पीने वाली भी ,बहोत अच्छी है। "
उन्होंने भी टिट्स के टिप कबूलते हुए जवाब दिया।
'बहोत मस्का लगा रहे हो , कुछ चाहिए क्या। "
मुझे नजर लगाते ,जैसे कोई नदीदा बच्चा , स्कूल के बाहर ठेले पर रखे लॉलीपॉप ,कैंडी को देखता है बस वैसे देख रहे थे मुझे वो। बोले ,
" एकदम चाय पीने वाली। "
उन्हें चाय की प्याली पकड़ाते उनकी आँखों में अपनी आँख डाल के प्यार से अपनी आँखों का मय छलकाती मैं बोली ,
" एकदम मिलेगी , और कितनी जल्दी मिलेगी , डिपेंड करती है कितनी जल्दी तुम खाना बनाते हो, मेरे रसिया बालम। "
थोड़ी देर में वो किचेन में थे और पीछे पीछे मैं ,
अपने आप गुलाबी एप्रन उन्होंने पहन लिया था , जिसपर सुनहली कढ़ाई में कढ़ा था ,
JKG .
हम दोनों ने काम शुरू कर दिया , उन्होंने सब्जी धोने ,छीलने ,काटने का ,
और मैंने इंस्ट्रक्शन देने का।
" सुबह की तरह ज्यादा इलैबोरेट नहीं ,बस क्विक बाइट सा।
" मैं बोली।
कुछ हेल्प भी किया , फिर ये बोल के निकल आई
' आधे घंटे में खाना लगा देना। "
मुझे बेड रूम में 'कुछ काम'' था ,रात के लिए सेटिंग तय ठीक करनी थी।
२५ मिनट में ही टेबल भी लग गयी थी और खाना भी।
हाँ खाना खत्म करते , हमें जरूर टाइम लग गया था। साढ़े आठ बजे गए थे।
' बस टेबल साफ कर के ,बरतन किचेन कर के , सीधे बेड रूम में बेबी जाएगा ,और कल की तरह , मेरा वेट करना।
मैं पौने दस बजे घुसी , वो बेड पर थे , पूरी तरह निर्वस्त्र , निरावृत , ।
आधे घंटे से वेट करते ,
डार्क ब्लैक साटन की बेड शीट सिर्फ एक नाइट लैम्प , वो भी बेड से बहुत दूर।
आज मै मिस्ट्रेस पेट्रीसिया थी ,
एक डॉमीनेटरिक्स ,जिससे वो चैट रूम्स में अक्सर मिलते थे।
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05-04-2021, 12:12 PM,
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
जोरू का गुलाम भाग २१
मिस्ट्रेस पेट्रीसिया
आज मै मिस्ट्रेस पेट्रीसिया थी ,
एक डॉमीनेटरिक्स ,जिससे वो चैट रूम्स में अक्सर मिलते थे।
फर्स्ट वेंट इन , मेरे डार्क ब्लैक हाई हील्ड ,पेंटेंट लेदर स्टील्टो , ५ इंच हील्स ,एकदम शार्प।
और उनकी निगाहें मेरी काली चमकती काली पेटेंट लेदर की सैंडल पर चिपकी थीं , और फिर दूसरा पैर।
ब्लैक फिशनेट स्टॉकिंग्स ,
मेरे गोरे पैरो से चिपकीब्लैक लेदर स्कर्ट , घुटनों से करीब दो बित्ते ऊपर,
चांदी की एक चेन नागिन सी बलखाती मेरी पतली कमर मेंलिपटी , चिपकी और लेदर कोर्सेट ,
मेरी हावर ग्लास फिगर को कसे ,
बड़े बड़े उभारों को और जोर से उभारता , गोल गोल कड़े कड़े कंचे ऐसे निपल ब्लैक लेदर कॉर्सेट के बाहर छलकते हुए,…
लेकिन उनकी निगाहें मेरी काली चमकती सैंडल से चिपकी थीं।
वो फर्श पे थे , निहुरे पूरी तरह , झुके , …
और मैं पलंग पर थी ,मेरा एक पैर फुट स्टूल पे, हलकी हलकी रोशनी मेरी देह के हर कटाव ,उभार को और उभार रही थी।
डायरेक्ट लाइट की तेज बीम सिर्फ फुट स्टूल पर थी। मेरी ब्लैक पेटेंट लेदर की हाई हील सैंडल चमक रही थी।
और उनकी आँखों में एक अनबुझ प्यास छलक रही थी।
" वांट टू लिक इट बेबी "
हस्की आवाज।
जोर से उन्होंने हामी में सर हिलाया , और मैंने अपना पैर उनकी ओर बढ़ाया फिर वापस खींच लिया।
" यू मस्ट डू समथिंग टू अर्न दिस प्रिविलेज , मदर फकर "
हलके से मैं बोली।
" यस यस्स्स , "
उनकी हालत ख़राब हो रही थी।
और मैं बेड के पास आ गयी थी।
' श्योर "
मैंने फिर पूछा।
उनकी हालत खराब थी ,जीभ बाहर लपलपा रही थी ,आँखे मेरी ब्लैक शाइनिंग पेटेंट लेदर सैंडल से चिपकी थीं
" जी , हाँ यस ,श्योर ,"
मैंने सैंडल थोड़ा सा उनकी ओर बढ़ाया , हलकी सी झुकी , और फुसफुसा कर मैं बोली
" विल यु फक योर मदर , फार थिस प्रिविलेज ".
वो एक पल के लिए झिझके ,एक पल के लिए मैं सहमी।
ये मेक आर ब्रेक सिचुएशन थी , मैंने लाइन खींच दी थी , अब देखना था की मैं उन्हें कहाँ तक पुश कर सकती हूँ।
पांच -सात सेकेण्ड वो रुके होंगे , फिर एक नए जोश से बोले ,
"हाँ यस ,आई विल "
" से टेन टाइम्स वेरी लाउडली ,
आई एम अ मदर फकर, आई विल फक माई मदर। "
और उन्होंने बोलना शुरू कर दिया ,
आई एम अ मदरफकर ,… "
पांच बार के बाद मैंने फिर ऑर्डर बदला।
" हिंदी में बोल मादरचोद ,"
और बिना रुके वो चालू हो गए ,
" मैं मादरचोद हं , .... "
दस बार खत्म होते ही मैंने सैंडल उनकी ओर बढ़ा दिया , और एक नदीदे की तरह झुक के चपर चपर ,
वो जिस तरह से सैंडल चाट रहे , किस कर रहे थे उसे ,
" और जोर से चाट , चमका दो उसको , अच्छी तरह , हाँ हाँ ऐसे ही ,अच्छा चाटोगे न तो तेरी माँ की गांड भी चटवाउंगी ,
बोल चाटेगा न उसकी गांड "
मैंने ज़रा हड़काते पूछा ,
पहले उन्होंने सर हिला के हामी भरी और फिर , मेरे हड़काने के पहले बोल के भी ,हाँ हाँ चाटूंगा।
मेरी सैंडल उन्होंने एकदम चमका दी , स्पिट क्लीन।
मैंने अपने स्टील्टो हील ,पूरे पांच इन्च उनके मुंह में
ठेल दी और बोली
" मादरचोद चाट इसको "
और उन्होंने चाटना शुरू कर दिया।
"सिर्फ चाटो नहीं , चूस चूस जोर से हाँ ,एकदम ऐसे , जैसे कोई मोटा लंड चूस रहा है ,"
और अब वो मेरी हील चूस रहे थे ,पूरी ताकत से।
क्या कोई छिनार प्रोफेशनल लौंडिया चूसेगी ,
दोनों होठ हील के चौड़े बेस से लेकर अगले हिस्से तक ,
जैसे कोई लंड के बेस से लेकर , एकदम सुपाड़े तक जोर जोर से चूसे ,
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05-04-2021, 12:13 PM,
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
बेग फॉर इट यू मदर....मादर"
और अब वो मेरी हील चूस रहे थे ,पूरी ताकत से।
क्या कोई छिनार प्रोफेशनल लौंडिया चूसेगी ,
आज मुझे उन के मन के सारे जाले झाड़ पोंछ कर साफ़ कर देने थे , उन अँधेरे बंद कमरों में घुस कर सारी फैंटेसी , .... बस उन के मन बैठ जाए , कुछ भी गलत नहीं , कुछ भी बुरा नहीं , ... एक एक टैबू ,... सब कुछ ,... ये बर्थ डे उन की असली री बर्थ ,...
दोनों होठ हील के चौड़े बेस से लेकर अगले हिस्से तक ,जैसे कोई लंड के बेस से लेकर , एकदम सुपाड़े तक जोर जोर से चूसे ,
'सक इट बेबी , सक इट हार्ड ,सक इट लाइक अ हार्ड कॉक , सक ,सक , येस्स्स्स सक ,… हार्ड "
मैंने और उकसाया।
"बेग फॉर इट यू मदर फकर , बेग। "
मुंह में ५ इंच की हील ठूंसी हुयी थी फिर भी ऊऊग्गग्ग ओआगग करते वो बोले ,
' आई बेग , प्लीज गिव मी ,गिव मी '
और मेरे मन में एक बात और जगी
जो आज तिझरिया को खाने के बाद उन्होंने कबूली थी , ४ बार उनके पिछवाड़े ,... और जब मैंने छेड़ कर पूछा था ,
" मान लो तेरी मार ली जाती तो ,... "
हंस के उन्होंने कबूल कर लिया , " अरे यार मार ली जाती तो , मरवा लेता ,... मेरी क्लास के आधे से ज्यादा तो मरवाते थे ,... "
थोड़ा सा हील बाहर निकाल कर , फिर एक झटके में मैंने हील पेल दिया , एकदम अंदर तक जैसे कोई , किसी नयी लौंडिया के गले तक अपना मोटा लंड ठूस दे।
' सक इट लाइक अ हार्ड कॉक , यस टेक इट डीप बेबी , ... यू लव टू सक कॉक ,... "
कुछ देर बाद मैंने हील निकाल लिया लेकिन न उनकी लालची निगाहें मेरी सैंडल पर से हटीं , न मेरे इरादे कम हुए।
उनकी जीभ पूरी तरह निकली हुयी थी , आँखे भी बाहर ,
और अब नंबर था सैंडल के अपर का ,
पूरी जीभ बाहर निकाल के वो चाट रहे थे , नीचे से उपर तक ,हाथ से पकड़ के ,
" चाट मादरचोद , तेरी माँ बहनो की भी ऐसे ही चटवाउंगी , बहुत रस है उनकी फुद्दी में "
मैं बोली और फिर हड़काया ,
जब मम्मी पूछ रही थीं तेरी माँ के जोबन की साइज तो बताया क्यों नहीं खुल के , साल्ले मादरचोद , मुंह खोल , खोल पूरा।
और उन्होंने बड़ा सा मुंह खोल दिया जैसे डाक्टर के सामने लोग आ करते हैं और मैंने जोर से अपना सैंडल उनके मुंह में ठेल दिया , जितना घुस सका , फिर प्रेशर लगा के ,
" और खोल , और फैला मादरचोद, जैसे तेरी माँ बहने गांड मराने के लिए फैलाती हैं ,
हाँ और और,
धीमे धीमे कर के मैंने आधा पैर उनके मुंह में ठूस दिया।
उनकी आँखे उबली पड़ रही थीं , गाल फूले फूले , मुंह फटा जा रहा था ,लेकिन प्रेशर मैंने कम नहीं किया , ऊपर से गालियों की बौछार ,
" बोल फिर कभी मम्मी पूछेंगी तो मना करेगा बताने से "
उन्होंने सर हिला के बताया नहीं मना करेंगे।
"खोल खोल और मुंह , अरे तेरे मुंह इसलिए फैला रही हूँ की तू मम्मी के समधन के बड़े बड़े dd साइज के + साइज जे जोबन पूरा घोंट सके , चूस सके , काट सके , बोल चूसेगा न मेरी सास की बड़ी बड़ी चूंचियां। "
उन्होंने सर ऊपर नीचे कर के हामी में सर हिलाया , और मैंने एक बार फिर सैंडल अंदर पेली।
मैंने दूसरे सैंडल को उनके मोटे खूंटे के ऊपर रखा , वो फनफना रहा था।
इसका मतलब माम की बात सही थी , मेरी सास के ऊपर इन्हे चढाने का जो उनका इरादाथा ,हलके से मैंने सैंडल से उनके खूंटे को रगड़ा , और बोला ,
" चल , आँखे बंद कर के मेरी सैंडल को ऐसे चूस , जैसे मेरी सास की बड़ी बड़ी मोटी मोटी चूंची चूस रहे हो ,आँख बंद और २० तक गिनती , सोचो तेरे मुंह में ,… "
२० तो दूर , १० पार करने तक ही खूंटा एकदम खड़ा हो गया।
मेरा शक और मम्मी का प्लान एकदम परफेक्ट था।
और अब मैंने मोर्चा बदला।
सैंडल जो उनके मुंह में घुसी थी बाहर निकाल के दूसरी सैंडल उनकी ओर बढ़ाई।
" चाटेगा , बोल "
उनका मुंह अब तक दुःख रहा होगा लेकिन वो बोले , " हाँ "
" ठीक है दूंगी लेकिन पहले बोल अपने माल कम बहन की भी चाटेगा न। "
"हूँ "उनकी आँखों में एक अजब सी चमक थी।
लेकिन डांट पड़ गयी ,
" नाम ,क्या चाटेगा ,खुल के। "
" चाटूंगा , गुड्डी की चूत ,गुड्डी की चूत चाटूंगा। "
" सिरफ चूत , गांड नहीं चाटेगा ?
मैंने और रगड़ा , और उन्होंने कबूला ,
" वो भी गांड भी , गुड्डी की गांड भी चाटूंगा। "
और अब मैंने उन्हें थोड़ी देर दूसरे पैर की सैंडल किस करने , लिक करने दी।
५ मिनट तक लगातार वो जोर जोर से चाटते रहे , लेकिन अब बीच बीच में उनकी निगाह मेरी ब्लैक फिशनेट स्टॉकिंग पर पड़ रही थीं। ललचाई निगाहें बार बार वहीँ,…
यू हैव बीन अ गुड ब्वॉय , गो अहेड।
मुस्करा के मैं बोली और जैसे किसी बच्चे को हवा मिठाई मिल जाए , बस उसी तरह ,
ढेर सारे किस और लांग लिंक्स
फिशनेट स्टॉकिंग के अंदर मेरी गोरी मखमली पिंडलियाँ झलक रही थीं और उन्हें देख देख के , उनकी तो ,…
पहले तो बटरफ्लाई किसेज ,,… फिर तो दिल अभी भरा नहीं ,… और ,…और ,…
मेरे घुटनों के पास पहुँच के वो एक पल के लिए ठहर गए , लेकिन मेरी बड़ी बड़ीआँखों ने आगे बढ़ने की इजाजत दे दी।
मैं प्यार से उनके घने बाल सहला रही थी।
और अब मैंने उन्हें थोड़ी देर दूसरे पैर की सैंडल किस करने , लिक करने दी।
५ मिनट तक लगातार वो जोर जोर से चाटते रहे , लेकिन अब बीच बीच में उनकी निगाह मेरी ब्लैक फिशनेट स्टॉकिंग पर पड़ रही थीं। ललचाई निगाहें बार बार वहीँ,…
यू हैव बीन अ गुड ब्वॉय , गो अहेड। मुस्करा के मैं बोली और जैसे किसी बच्चे को हवा मिठाई मिल जाए , बस उसी तरह ,
ढेर सारे किस और लांग लिंक्स
धीमे धीमे मैंने अपनी स्टॉकिंग्स नीचे दोनों हाथों से रोल डाउन करनी शुरू कर दी।
दूसरे पैर की स्टॉकिंग उनके होंठ हलके से उसे पकड़ के उतार रहे थे।
मैं बिस्तर के एकदम किनारे आ गयी थी , झुकी हुयी थी और उनकी आँखे अब एकदम मेरे कोर्सेट से बाहर छलकते हुए 34 सी उभारों से चिपकी हुयी थीं।
और फिर मेरे पैर के तलुवे
मैं अपने दोनों हाथ पीछे ले गयी और बोली
" ओके बेबी , बी अ गुड बेबी , अपनी दोनों आँखे बंद कर लो , जोर से , एकदम जबतक मैं नहीं कहूँ खोलना मत। "
जब उनकी आँखे खुलीं मिस्ट्रेस पैट्रिशिया गायब हो चुकी थीं और सिडक्ट्रेस मैं , उनके सामने थी।
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05-04-2021, 12:13 PM,
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
जोरू का गुलाम भाग २२
सिडक्ट्रेस
मेरे लम्बे रेशमी घने बाल , लहराते, मेरे गोल गोल कन्धों को सहलाते , बस मेरे उभारों को कभी ढकते कभी दिखाते।
एक हाफ कप, लेसी गुलाबी ब्रा, बस किसी तरह मेंरे गोरे गोरे मांसल कबूतरों को कैद रखने की असफल कोशिश कर रहा था।
पतली सी चांदी की चेन अभी भी मेरी अंगूठी सी कमर को घेर रही थी और एक लहराती साटन की करीब करीब पारदर्शी स्कर्ट , घुटनो से बहुत ऊपर तक और
उसके नीचे एक पतली , गुलाबी थांग ,
उनकी जब आँखे खुली तो बस उनकी हालत ख़राब हो गयी ,
लेकिन उनके होश उड़ा दिए मेरे पांवों ने।
खूब गोरे , पेडिक्योर्ड , चांदी की छोटे छोटे घुंघरू वाली पतली सी पायल ,
रुनझुन करते बिछुए ,
और सबसे बढ़कर खूब गाढ़ा, स्कारलेट शेड का लाल महावर ,
पतला सा पूरे तलवे के किनारे किनारे , जो मेरे गोरे गोरे तलुवों को और उभार रही थी।
ललचाई निगाहों से वो देख रहे थे , उसी तरह जमींन पे बैठे हुए ,
और मेरा पैर फुट स्टूल पे।
मैंने हलके से अपने पैर हिला दिए और ढेर सारे घुँघरू बिछुए के , रुनझुन रुनझुन आवाज , रात के सन्नाटे को तोड़ती ,…
जैसे बरसों से शांत तालाब में किसी ने ककड़ फ़ेंक दिया हो और ढेर सारी लहरें उठ गयी हों.
मैं उनकी ओर देख रही थी , और वो एकदम खोये हुए ,सिर्फ ,
मेरे ' फायर इंजिन रेड ' नेल्स , अंगूठे और अँगुलियों को देखते ,
अल्ट्रा स्मूथ सोल्स , सक्युलेन्ट टोज़ ,
और मैंने फिर जरा सा पैर हिला दिया ,
बिछुओं की रुनझुन के साथ ,पायल की झंकार भी अब कमरे में गूँज गयी ,
और वो बस पागल नहीं हुए।
मैंने कनखियों से 'उसकी ' ओर देखा , 'बहादुर सिपाही ' एकदम तैनात , चुस्त खड़ा , पूरे ९० डिग्री पे
I know you like my cute feet
and the way i wiggle my toes
I know you'll love their aroma
come give them a sniff with your nose
Do you prefer them in
bare, shoes, stockings, or in socks
the mere thought of my feet
gets you hard as a rock
You love painting my toenails
and rubbing yourself to the thought of my feet
I've lost count of the times
that has made you wet and sticky
I put my feet in your face
so you can give them a whiff
and it doesn't take long
you to get turned on and stiff
Every chance you get
you're like a kid in a candy store
and my toes are your favorite satisfying treat
मैं हलके हलके ऑलमोस्ट फुसफुसाते हुए बोल रही थी और वह अपने कानों में हर शब्द रोप रहे थे ,
और हर लाइन के बाद ,
यस्स ,यस्स्स , माई , प्लीज , प्लीज दो न ,
वो अपने घुटनो के बल मेरे तलुवों से बस कुछ इंच दूर और वो बस तड़प रहे थे
“कुछ चाहिए क्या किसी को "
, मैंने आँख नचा के मुस्करा के पूछा ,
" हाँ , हाँ , "
वो बोल पड़े , आँखे अभी भी महावर रंगे , गोरे तलुओं से चिपकी थीं।
मैंने हलके से पैर हिलाया ,मेरे बिछुओं की रुनझुन और पायल की झंकार ने हामी भर दी।
और फिर तो उनके होंठ ,
पहले एक एक उँगलियाँ , फिर अंगूठा , सिर्फ किस और लिक ही नहीं , उनकी प्यासी लालची जीभ कभी उन्हें फ्लिक करती कभी सक करतीं।
और फिर मेरे तलवे का आर्च ,
उसकी गहराई , हजारों छोटे छोटे चुम्बन जैसे सावन भादों की झड़ी लगी हो।
फिर लम्बी जीभ से लिकिंग , और उसके बाद जैसे कोईनाउँ महावर लगा रही हो , एड़ी से लेकर ,किनारे किनारे , फिर सारी उंगलियां , एक के बाद एक ,…
और फिर दूसरा पैर , फिर मेरी गोरी गोरी मांसल पिंडलियाँ , जो पिण्डारियों की तरह उनका मन लूट रही थीं ,चुम्बन के पुष्पों का अर्पण ,
मैंने कनखियों से 'वहां ' देखा , एकदम टनाटन , ऐसा कड़ा औ खड़ा की पूछिये मत।
और जब उनके होंठ मेरे घुटनों तक पहुँच गए , तो मैंने उन्हें उनके सपने से जगाया।
" यू हैव बीन अ वेरी गुड ब्वॉय ,यू विल गेट टू गिफ्ट्स , " मेरी सेक्सी आवाज ने उन्हें सपने से उठाया।
जैसे किसी ने जादू कर दिया हो बस वो मन्त्र्वत देख रहे थे ,
मैंने उनके पैरों की ओर इशारा किया और उन्होंने एक पैर आगे बढ़ाया ,
मैंने धीमे से अपने पैर की चांदी की घंघरुओं वाली पायल खोली , और उनके पैरों में बाँध दी।
" ये लो , मेरी गिफ्ट , अब तुझे ये हरदम मेरी याद दिलाएगी , हरदम तुम्हारे साथ ,हाँ लेकिन अब तुम इसे कभी भी उतारनहीं सकते , हैं न अच्छी। "
उनकी निगाहें मेरी पायल से चिपकी थीं।
और वह अभी उस से उबर भी नहीं पाये थे की मेरी दूसरी गिफ्ट
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05-04-2021, 12:13 PM,
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desiaks
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
गिफ्ट
और वह अभी उस से उबर भी नहीं पाये थे की मेरी दूसरी गिफ्ट
…..
मैंने एक सिल्कन सारोंग सी लपेट रखी थी , वो एक झटके में खुल के मेरे हाथ में और अगले पल , उनके चेहरे पे।
वो ख़ुशी से निहाल हो गए , लेकिन असली गिफ्ट तो अभी बाकी थी।
मेरी गुलाबी चुन्मुनिया सिर्फ एक छोटे से गुलाबी थांग में छुपी थी , छुपी कम खुली ज्यादा।
आगे से दो अंगुल की पट्टी , लेसी मेरी पुत्तियों से चिपकी ,उन्हें दबोचे ,
लेकिन पीछे से तो बस एक पतले धागे सी , मेरी नितम्बों के दरार के बीच छुपी,
और मैं अब नीचे थी , पलंग को दोनों हाथों से पकडे , अपने पिछवाड़े से उन्हें ललचाती ,अपने नितम्बों से उन्हें ललचाती , लुभाती।
चूतड़ के मामले में मैं एकदम अपनी मम्मी पे गयी थी।
उनकी एकलौती बिटिया होने के नाते बहुत कुछ इन्हेरिट किया था मैंने , लेकिन सबसे बढ़कर , यही
दीर्घ नितम्बा , लम्बे सुरु की तरह पैरों और २६ इन्च की कटीली पतली कमरिया पे , एकदम कड़े कड़े ,
भरे हुए ३५ + के हिप्स कुछ ज्यादा ही जानमारु लगते थे , और अब जब मैं निहरी हुयी तो दो कटे तरबूजों की तरह ,
परफेक्ट शेप भी साइज भी ,
मैं जान रही थी ,
उनकी क्या हालत हो रही होगी और ऊपर से मुड़ कर जो मैंने उन्हें आँख मारी और अपनी लम्बी उँगलियों से अपने चूतड़ को सहला के ,
थोड़ा फैलाके पूछा ,
" बोल चाहिए "
" हाँ , हाँ एकदम प्लीज दो न ,प्लीज "
उनकी हालत खराब हो रही थी।
ही वाज जस्ट सैलीवेटिंग विद लस्ट।
" लो न "
बड़ी अदा से मैं बोली और फिर सामने देखने लगी। [/
अगले ही पल मेरे दोनों चूतड़ों पर चुम्मियों की बारिस होने लगी और साथ में लिकिंग भी ,
सच में लिप सर्विस में माहिर थे वो।
कुछ देर के बाद बिना कुछ बोले मेरे हाथों ने फिर मेरे चूतड़ों को फैलाया , हलके से थांग को सरकाया , और फिर सीधे असली टारगेट ,
' स्वर्ग द्वार 'का रास्ता।
बिना कुछ कहे उनके होंठ वहां पहुंच गए थे और छोटे छोटे चुम्बन सीधे मेरी गांड के चारो ओर ,
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05-04-2021, 12:14 PM,
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
स्वर्ग द्वार
असली टारगेट ,' स्वर्ग द्वार 'का रास्ता।
बिना कुछ कहे उनके होंठ वहां पहुंच गए थे और छोटे छोटे चुम्बन सीधे मेरी गांड के चारो ओर ,
' चाट ,जोर जोर से चाट। "
मैं ने बोला
और बिना रुके उनके हाथ जो अब प्यार से मेरे चूतड़ सहला रहे थे ,
उन्होंने अब ताकत लगा के उन्हें फैला दिया और जीभ सीधे गांड के मुहाने पे।
और नीचे से ऊपर , नीचे से ऊपर ,बार बार ,
मैं गिनगीना रही थी, काँप रही थी , मस्त हो रही थी ,
फिर मेरे बिना कहे उन्होंने वो किया ,जो मैं इन्तजार कर रही थी ,चाह रही थी ,
उनके जीभ की टिप , पहले गांड के छेद को चाटती रही खोदती रही , फिर अंदर।
" ओह्ह हाँ , हान्न्न्न्न्न्न ,और , और, प्लीज ऐसे ही बहुत अच्छा लग रहा है , और अंदर घुसेड़ो न ,प्लीज ,… "
मेरे मुंह से सिसकियाँ निकल रही थीं।
और अब जो मुझे अच्छा लगता था , बस उन्हें भी वही अच्छा लगता था , जोर से उन्होंने दोनों हाथों से मेरे गांड को पूरी ताकत से फैलाया और , पूरी ताकत से जीभऔर अंदर ,
" ओह्ह हाँ , साल्ले , मादरचोद , चाट चाट ऐसे ही चाट , चल अगर मुझे खुश कर दिया न तो
तेरी माँ की भी गांड भी ऐसे हीचटवाउंगी तुझसे , उसके चूतड़ तो जगत मसहूर है एकदम बड़े बड़े ,
चाट साल्ले मादरचोद , और अंदर , हाँ ,…हाँ , …
गांडभी मरवाउंगी तेरी माँ की ,
पहले चटवाउंगी अपने सामने , ओह्ह बहुत अच्छा , प्लीज और थोड़ा सा ,
और थोड़ा सा , हाँहांआआअ , ओह्ह ओह्ह्ह्ह्ह मादर , बहन के भंडुए ,ओह्ह अहह "
गूई,लिसलिसी सी , लिथड़ी चिपकी जीभ की टिप अब वहां पहुँच गयी थी ,
और मेरी पूरी देह में गिनगिनी हो रही थी ,
जोर से दोनों हाथों से मैंने पलंग को पकड़ रखा था ,मस्ती से मेरी आँखे बंद हो रही , यही तो मैं चाहती थी ,
कुछ भी गर्हित ,वर्जित न हो हम दोनों के बीच में , नो होल्ड्स बार्ड ,
और मैंने भी अपनी मस्त गांड के छेद को जोर से पीछे धक्का दे उनके मुंह पे एकदम चिपका दिया।
उन्होंने भी दुगने जोश से ,
वो गुई गुई सी लिसलिसी सी , और वो भी , जैसे कोई चम्मच से करोच रहा हो ,
गांड के अंदर की दीवारों पे उनकी जीभ रगड़ रगड़ के , गोल गोल
जैसे जैसे मेरी गालियां बढ़ रही थी वैसी ही उनकी गांड के अंदर की चटाई ,
"मादरचोद , जल्द ही जिस भोंसडे से निकला है न तू रंडी का पूत , उस भोंसडे में भी तुझे घुसवाऊँगी , और उस की गांड में , घबड़ा मत मुन्ना तुझे मेरी सारी ससुरालवालियाँ मिलेंगी , चोदना , कस कस के , बोल चोदेगा न मेरी सास को ,... "
माँ की गाली का तो एकदम जादू सा असर हुआ
दोनों हाथ से पूरी ताकत से मेरे तरबूजे की तरह बड़े बड़े चूतड़ों को उन्होंने फैलाया और एक बार फिर पूरी ताकत से अपनी जीभ अंदर , दोनों होंठ मेरी गाँड़ के छेद से चिपके , और जीभ अंदर करोचती , वो गिजगिजी सी फीलिंग मेरे अंदर हो रही था , लसलसी ,... पर उनके मेरी गाँड़ के अंदर चाटने में कोई कमी नहीं हो रही थी
" मादरचोद,मेरी सास के यार , ओह्ह चाट साले चाट तेरी बहना की भी गांड मरवाउंगी तुझसे , अपने सामने , बहुत कसीहोगी उस छिनार की हचक हचक के मारना उस की गांड , चाट मादरचोद। "
और जीभ का जोर दुगुना होगया ,
थोड़ी देर में हम पलंग पे थे।
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05-04-2021, 12:14 PM,
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desiaks
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
कथा रति विपरीत की
थोड़ी देर में हम पलंग पे थे।
वो नीचे ,मैं ऊपर।
मैं उन्हें चोद रही थी , चुदवा रही थी , दोनों धुआंधार चुदाई का मजा ले रहे थे।
अब वो चुदाई का असली पाठ सीख चुके थे , पहले मुझे झाड़ने का , कम से कम तीन बार मैं झड़ूं फिर उनका नंबर
और लंड के अलावा भी लौंडिया को मजा देने की बहुत सी चीजें हैं ,
होंठ ,अंगुलियां , उन सबका इस्तेमाल।
तीन बार तो नहीं लेकिन मैं दो बार झड़ी ,
और साथ में गालियों की वर्षा , जैसे घोड़े की रफ़्तार बढ़ानी हो तो ऐड लगाते हैं न ,
बस वही हालत उनकी माँ बहन की गालियों की होती थी ,
अगर कहीं वो ज्यादा जोर से धक्के मारते तो मैं तुरंत अपनी सास को बीच में ले आती , न न
" स्साले तेरी माँ की फुद्दी मारुं , ... तेरी गधा घोडा चोदी माँ का भोंसड़ा नहीं है , माना गदहे घोड़े कुत्ते से चुदवा के तुझे , गदहे के लंड वाले को पैदा किया ,... "
बस उनके धक्के दस गुना तेज हो जाते , लगता था आज मेरी चूत के चीथड़े उड़ जाएंगे ,...
और बीच बीच में उन्हें उनकी बहन कम माल की भी याद दिलाती ,
" चलना मायके अबकी , ऐसे ही तेरी बहन को चढ़ाउंगी तेरे लौंड़े पर , ... बोल चोदेगा न अपनी माँ बहन को ,... "
और जब तक वो तीन बार हाँ नहीं कहते , मैं न धक्का मारती न उन्हें मारने देती ,
जब मैं दूसरी बार झड़ी तब वो मेरे साथ.
और क्या मस्त झड़े वो।
बस झड़ते ही रहे , वो जब रुके तो एक बार फिर मेरी चूत चटोरी ने उसे दबोच लिया , निचोड़ लिया ,
फिर तो पूरे सावन की बारिश जैसे एक रात में हो जाय ,
देह उनकी पूरी शिथिल हो गयी थी, आँखे बंद हो गयी थी ,लेकिन लंड उनका , उसका फुव्वारा रुकने का नाम नहीं ले रहा था ,
खूब गाढ़ी थक्केदार मलाई , मुट्ठी भर से तो ज्यादा ही रही होगी।
और मेरी भूखी नदीदी चूत ने न सिर्फ हर बूँद घोंट लिया ,बल्कि निचोड़ के , एक बूँद भी बाहर नहीं जाने दी उसने।
हम लोग बहुत देर तक ऐसे ही पड़े रहे , करवट , एक दूसरे की बाहों में ,बंधे हलके हलके सहलाते और उनका खूंटा मेरे अंदर ही धंसा रहा।
आधे घंटे भी शायद ही गुजरे होंगे और ,इस बार शुरआत उन्होंने ही की ,
मैं सिर्फ लेटे लेटे मुस्कराती रही ,उन्हें उकसाती रही ,मजे लेती रही.
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05-04-2021, 12:14 PM,
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
सजनी -साजन --- रात भर
आधे घंटे भी शायद ही गुजरे होंगे और ,इस बार शुरआत उन्होंने ही की ,मैं सिर्फ लेटे लेटेमुस्कराती रही ,उन्हें उकसाती रही ,मजे लेती रही।
उनके होंठ अब डाकू हो गए थे।
पहले मेरे रसीले गालों पे ,और उसके बाद उनका जो असली टारगेट था , मेरे गददर जोबन ,
जीभ उनकी मेरे कांच के कंचे ऐसे कड़े कड़े गोल गोल निपल फ्लिककरती ,
कभी नीचे से ऊपर तक चाटती तो कभी वो उसे होंठों में ले के चूस लेते , हलके से बाइट कर लेते।
मेरी हालत खराब हो रही थी , मस्ती से आँखे मुंद गयी थी ,
सिसकियाँ निकल रही थी
लेकिन सबसे ज्यादा निचले होंठ , फड़क रहे थे , गीले हो रहे थे और मैं बसजोर जोर से उन्हें कस के भींचे ,सिकोड़े , ....
लेकिन अब उन्हें सारे मंतर आ गए थे।
उनके होंठ सीधे मेरे निचले होंठों पे,
जवानी का खजाना खुल गया , अपने आप दोनों दरवाजे ,मेरे रसीले गुलाबी भगोष्ठ , मेरे बस में नहीं थे।
और उनकी जीभ ने सेंध लगा दी , कुठरिया में , जहाँ उनकी थोड़ी देर पहले की उनकी गाढ़ी मलाई जमा थी।
किसी नदीदे बच्चे की तरह , आम की फांक तरह फैला के , लपर लपर वो चाट रहे थे , चूस रहे ,
और एकदम अंदर तक
ओह्ह हाँ हाँ हाँ और चाट चाट ,पूरा , ओह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह प्लीज ,
मैं चूतड़ उठा उठा के सिसक रही थी , मस्ती से गांड पटक रही थी ,
प्लीज बस बस , अब और नहीं , बस ,
मैं बेबस थी लेकिन वो , मेरे साजन आज बस नहीं करने वाले थे।
उनका खूंटा भी पागल हो रहा था।
और जब मैं एकदम झड़ने के कगार पे थी , उन्होंने मेरी दोनों लम्बी टाँगे उठा के सीधे अपने कंधो पे , दोनों हाथ मेरे उठे बड़े बड़े चूतड़ पे ,
और पूरी ताकत से पहला धक्का ,
पहले धक्के में उनके मोटे पहाड़ी आलू ऐसे सुपाड़े ने मेरी बच्चे दानी पे ऐसी चोट मारी की मेरा कलेजा काँप गया
और मैं झड़ने लगी ,देर तक झड़ती रही , कांपती रही, जैसे बारिश बंद होने के बाद भी पत्तों से ,अटारी से पानी की बूंदे टपकती रहती हैं , रस मेरी चूत से टपकता रहा ,टप टप।
पहली बार चुदाई शुरू होने के साथ मैं झड़ी थी।
मेरे साजन यही तो मैं चाहती थी।
धक्के उन्होंने रोक दिए थे , जब तक मैं झड़ रही थी लेकिन लंड का जोर , मेरी बच्चेदानी पे ज़रा भी कम नहीं हुआ था।
और मेरा झड़ना रुका भी नहीं था दरेरते ,रगड़ते ,मेरी कसी ,संकरी चूत की दीवाल से रगड़ते उन्होंने पहले हलके हलके
फिर हचक हचक के चोदना शुरू किया।
थोड़ी देर में उनका तिहरा हमला चालू हो गया था , एक हाथ चूंची दबाता ,कभी निपल मसलता तो दूसरा , क्लिट सहलाता रगड़ता , और होंठ कभी गाल पे तो कभीजुबना पे।
और साथ में लंड उनका तूफान मेल हो रहा था।
धक्के के बाद जिस तरह से लंड का बेस जिस तरह से मेरे क्लिट को रगड़ता मैं सिसकियाँ भरने लगती।
इस बार मैं सिर्फ चुदवा रही थी नीचे लेटे मजा ले रही थी।
और बीच बीच में चूतड़ उठा उठा के उनके धक्कों का जवाब दे रही थी।
और अब जब मैं झड़ी , तो बाहर आसमान में हलकी लाली हो रही थी।
रात कब की जा चुकी थी।
हम दोनों साथ साथ झड़ते रहे। देर तक।
फिर मैं उन्हें अपनी बाहों में बांधे बांधे सो गयी ,
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05-04-2021, 12:15 PM,
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
जोरू का गुलाम भाग २३
अगली सुबह
और अब जब मैं झड़ी , तो बाहर आसमान में हलकी लाली हो रही थी।
रात कब की जा चुकी थी।
हम दोनों साथ साथ झड़ते रहे।
देर तक।
फिर मैं उन्हें अपनी बाहों में बांधे बांधे सो गयी ,
और देर तक सोती रही।
बेड टी ,गरम गरम चाय की आवाज से नींद खुली।
साढ़े नौ बज रहे थे।
वो चाय की ट्रे के साथ , चाय एकदम वैसी जैसे मुझे पसंद थी , खूब गरम , खूब कड़क। साथ में बिस्किट।
............................
चाय हम दोनों ने बिस्तर पे साथ साथ पी ,और फिर मैंने 'उनका नाश्ता 'कर लिया।
और मैंने बेईमानी नहीं की ,
उन्हें भी खूब 'रबड़ी मलाई ' खिलाई।
उनके ऊपर चढ़ के , चेहरे पे बैठ के ,फेस सिटिंग ,
सीधे अपनी चूत से , आखिर उन्ही की रबड़ी मलाई थी।
" हे मुझे अभी नींद आ रही है , डेढ़ दो घंटे बाद , ब्रेकफास्ट यही "
मैं सो गयी और वो किचेन में।
११ बजे उन्होंने उठाया ,
आमलेट , एकदम परफेक्ट ,
टोस्ट और फ्रेश मैंगो जूस।
खाना बनाने में मैंने उनका साथ दिया
लेकिन काम सब उन्होंने ही किया।
तीन दिन में वो एकदम परफेक्ट हो गए ,
किचेन में भी ,बेड पर भी।
मंडे के दिन जब वो आफिस जा रहे थे , हग और किस के साथ मैंने देखा ,
उनके माथे पे बड़ी सी लाल बिंदी अभी भी दमक रही थी।
" अरे ये निकाल दो , घर के लिए ठीक है , लेकिन,… "
और बिंदी मैंने उनके माथे से निकाल दी।
आफ कोर्स मेरी पायल अभी भी उनके पैर में थी , मोज़े के अंदर , देह का हिस्सा बनी।
और मेरी पैंटी भी जो मैंने पिछले दो दिनों से पहनी थी ( और मम्मी कीआइडिया थी ,थोड़ी स्वायल्ड भी हो तो ,और , …
मम्मी की बात तो मैं टालती नहीं ) मेरी देह गंध और देह रस की उन्हें याद दिलाती।
" हे लेकिन अब तो तुम जोरू के गुलाम के साथ , तो ,… फिर तो कोई तो सुहाग की निशानी होनी चाहिए न तेरी देह पे , "
और मैंने अपने पाँव से बिछुआ निकाल केउन्हें पहना दिया।
सवा बारह बजे उनकी मंडे मीटिंग शुरू होती थी , उस के आधे घंटे पहले से ,… कोई भी फोन ,एस एम एस कोई सोच भी नहीं सकता था।
ठीक बारह बजे मैंने फोन किया। [
आफिस में भी ,
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