08-15-2017, 02:25 PM,
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RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
अब आदेश तो आदेश…वैसे भी अकेले सोने से अच्छा किसिके साथ सोना चाहिए चुदाई के ज़्यादा आसार रहते है... मैं ताइजी के पीछे उनके मुलायम सारी के अंदर के चूतादो का नाप लेते लेते उनके साथ पहला माला चढ़ने लगा, जैसे ही वो पैर उपर रखती चूतड़ मस्त सुर ताल ले मे हिलता और मज़ा आ जाता….
मैं – आपका कमरा कौन्से माले पे है
ताइजी – तीसरे माले पे
मैं – इतना उपर क्यू
ताइजी – मुझे पसंद है…. उपर शान्ती होती है और उपर से सब गाव भी दिखता है ठंडी हवा आती है इसलिए
हम एक बड़े कमरे मे पहुच गये…कमरे मे दो दीवान-पलंग, एक बड़ी मेज, 2-3 कुर्सियाँ, सजने सवरने के लिए एक बड़ा आयना बहुत कुछ था…. ताइजी ने दूसरे पलंग पर पड़ा हुआ बिस्तर थोड़ा ठीक ठाक किया मैं वही खड़ा उनके दूध को और चूचुक(निपल) की मस्ती को देख रहा था… वो चादर डाल रही थी… इससे उनकी चोलिसे उनके मुलायम दूध बाहर आनेकी नाकाम कोशिश कर रहे थे… वो पीछे पीछे आ रही थी… अचानक उनकी बड़ी गांद मेरे जाँघोसे टकरा गयी…
ताइजी – अरे मैने देखा ही नही… माफ़ करदेना
मैं – अरे माफी क्यू.. आप हम से बड़े हो ऐसा मत बोलिए
ताइजी – (हस के)ठीक है… (और बिस्तर ठीक करने लगी)
वाह क्या चेहरा था क्या रुतबा था उस अदा मे, क्या कम्सीन अदा थी … सेठानी की पूरी जवानी और गरमी ताइजी मे उतरी थी… जब वो रास्ते से चलती होगी तो सबके लंड लार ज़रूर टपकाते होंगे…
ताइजी – ये हो गया तुम्हारा बिस्तर तैय्यार अभी तुम सो सकते हो आराम से..( उन्होने हॅस्कर कहा)
मैने हां भरी और पलंग पर गिर गया…
ताइजी बोली – थोड़ी ही देर मे रमिता, रजिता के पिताजी भी आ जाएँगे
मैं – रमिता, रजिता????
ताइजी – ये मेरी दो प्यारी और नटखट बेटियाँ है…जल्द ही मिलवाउंगी मैं तुम्हे उनसे… मैं नीचे जाके आती हू तुम सोजाओ और कुछ लगे तो चंपा को आवाज़ देना
ताइजी नीचे चली गयी… मेरा मान आज सेठानी और छोटी बहुको बहुत याद कर रहा था और याद कर रहा था वो हर एक पल जो मैने उनकी चुदाई करते हुए ट्रेन मे बिताए थे… पर यहा मुझे जागरूक रहना था.. सब परिस्तिथि का अंदाज़ा लेने के बाद ही मैं अपना असली रंग दिखानेवाला था क्यू कि किसिको पता नही चलना चाहिए था कि मैं क्या चीज़ हू नहितो मेरी पूरी आमदनी, नौकरी और पता नही क्या क्या जाना संभव था…
मैने आँख बंद की पर लंड महाराजा चादर को अपनी करतूतो से उपर उठा रहे थे… मैने उपर हाथ रखा पर इससे वहाँ पहाड़ बन गया… मैं एक बाजू पे सोने की कोशिश करने लगा पर वैसे मुझे जल्दी नींद नही आती थी….
लगभग आधा पौना घंटे के बाद कमरे मे किसीकि आहट हुई… दरवाजा बंद हुआ मैं जाग रहा पर आँखे बंद थी… मैने हल्केसे आँखे मिचमिची करके देखा कोई आदमी था… वो मेरे दीवान के पास खड़ा रहा.. काफ़ी अंधेरा था… वो 2-3 मिनट खड़ा रहा और फिर दरवाजा बंद करके मेरे पलंग पे बैठ गया.. मेरे मुँह की अपोजिट दिशा मे…
अब हल्केसे उसने मेरी गांद पे हाथ रखा और उसे सहलाने लगा… मैं अंदर हॅकबॅक्का रह गया… मुझे इस तरह कभी किसी पुरुष ने स्पर्श नही किया था… पहले तो मुझे बहुत गुस्सा आया पर थोड़ा अच्छा भी लगने लगा… वो गांद को सहलाते सहलाते मेरी जाँघो तक पहुच गया और उन्हे सहलाने लगा.. मेरे मन मे एक गुदगुदी होने लगी… मुझे पता नही पर मज़ा आ रहा था….
तभी उसने मेरा एक हाथ पकड़ा मैने भी पता नही क्यू… बेझिझक अपना हाथ ढीला छोड़ दिया.. और अपनी चड्डी मे घुसा दिया और मेरे हाथो को अचानक से कुछ गरम लगा.. वो उसका लंड था.. वो मेरा हाथ उसके लंड पे रखके उपर से अपना हाथ रख के हिलाने लगा… उसका लंड बड़ा ही छोटा लग रहा था पर गरम बहुत था… मेरा लंड पूरा तन गया था पर इसका बिल्कुल ही छोटा सा क्यू था… उसका लंड गरम तो लग रहा था पर अभी भी सोया हुआ था और बहुत ही छोटा, बस करीब 2 इंच तक का लग रहा था…
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08-15-2017, 02:26 PM,
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RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
कॉंट्रॅक्टर बाबू – चुप कर रंडी …. आवाज़ मत निकाल
ताइजी कुछ बोल नही पा रही थी…
कॉंट्रॅक्टर बाबू – मालूम है ना कौन है तू रंडी है तू …रंडी है रंडी…..
ये कह के उसने ताइजी को बिस्तर पर लिटा दिया और अपने कपड़े उतार दिए
कपड़े उतरते ही उसका वो बड़ा काला नाग दिखने लगा… ये मेरे नाग के जितना ही था
अब उन्होने ने ताइजी की सारी निकाल दी और उनका अंत्रावस्त्रा भी निकाल दिया….
अब ताइजी पूरी नंगी दीवान पे पड़ी … होश तो उनसे कोसो दूर जा चुका था
कॉंट्रॅक्टर बाबुने अपने नाग को पकड़ा और ताइजिको पलंग के ईक बाजू खिचा और झपाक करके अपने काले लंड को उसकी उस चिकनी बुर मे घुसा दिया
एक ही झटके मे पूरा लंड ताइजी की बुर के अंदर घुस गया… उसके मुँह से आअहह…. आअहह… की आवाज़ निकलने लगी … मिशनरी पोज़िशन मे कॉंट्रॅक्टर बाबू चोद रहे थे
उसकी गति अभी बढ़ गयी ..कमर ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी ….. उन्होने दोनो आमोको अपने हाथो मे पकड़ लिया और ताइजी को पलंग से और बाहर खिचा और खड़े होके…. फिरसे उसकी बुर मे घुसाया.. और गति बढ़ा दी… गति बढ़ने से पचक पाचक आवाज़ आने लगी और पूरे कमरे मे घूमने लगी
ताइजी के मुँह से अब बड़ी ज़ोर्से आवाज़े निकलने लगी..उसने आमो को छोड़ के ताइजी के मुँह पे हाथ रखा और लंड को जोरोसे अंदर बाहर करने लगा…. उसका वो बड़ा लंड पूरा अंदर बाहर जा रहा था…. ताइजी के चूतर और दीवान ज़ोर के धक्को से बहुत ज़यादा हिल रहे थे ….
मुझे बस कॉंट्रॅक्टर बाबुकी कमर और नंगा च्यूट्र दिखाई दे रहा था….
उतने मे कॉंट्रॅक्टर बाबू चिल्लाया – वाह मेरी रंडी मेरी छिंनाल क्या चीज़ है तू वाह… और जोरोके धक्के मारने लगा
और उसके अगले पल वो ताइजी के उपर गिर पड़ा… उसने पूरा रस अंदर छोड़ दिया था और ताइजी की बुर पूरी खुली और सफेद सफेद रस से भर गयी… सफेद सफेद रस बाहर तक आ गया….
उधर कॉंट्रॅक्टर बाबुने अपने कपड़े पहने. ताइजी को 2-4 गालिया दी और उसी हालत मे छोड़ के कमरे से निकल गये
मेरा लंड पूरा तंबू बन गया था और इतना तन गया था कि क्या बोलू….. वैसे मेरे हाथ मे भी मौका था मैं भी इस बहती गंगा मे हाथ धो सकता था पर मैने परिस्तिथि का जायज़ा लेना चाहा… और वैसे ही पड़ा रहा….. ताइजी थोड़ी हिली और उसने अपने पैर पूरे खुले कर दिए इससे उनकी बुर और खुल गयी और वीर्य रस की गन्ध पूरे कमरे मे घूमने लगी…..
तभी दरवाजे पे आहट हुई मुझे पता था ज़रूर कोई ना कोई होगा…. जैसे ही वो अंदर आया मैने भाप लिया ये कोई दूसरा तीसरा कोई नही वकील बाबू है
वकील बाबू अंदर आके सीधे कपड़े उतारने लगे, कपड़े उतार के वो अपने लंड को हाथ मे लेके सहला के बड़ा करने लगे, दो मिनट मे उन्होने अपने नाग को बड़ा किया और सीधे ताइजी के आमो को चूसने लगे… दोनो आमो को हाथ मे पकड़ के ज़ोर्से रगड़ते थे, और मुँह मे भर के काट लेते, वकील बाबू की आँखे चमक रही थी उन्हे बड़ा मज़ा आ रहा था.....
ताइजी दारू की नशे मे कुछ तो बड़बड़ रही थी, उसपे वकील बाबू ने उसे रंडी…… कही की चुप रह साली कह के गाली दी. और अपनी दो उंगलिया ताइजी की बुर मे घुसा के हिलाने लगे, दोनो उंगलिया वीर्य से भर गयी जो कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपनी बहेन की चूत मे छोड़ा था, और आधा वीर्य बुर के आजूबाजू फैला हुआ था… वकील बाबू ने उंगलियाँ निकाल के ताइजी के मुँह मे घुसाई और “चाट साली चाट इसे रंडी….” कहके उसके मुँह मे उंगलिया घुसाने लगे…. सफेद रस से लथपथ उंगलिया ताइजी के कोमल होंठो पे नाच रही थी… ताइजी की कमर तक के बाल दीवान से नीचे तक आ चुके थे….
क्रमशः...................
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08-15-2017, 02:26 PM,
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RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
नौकरी हो तो ऐसी--17
गतान्क से आगे…………………………………….
वकील बाबू ने उंगलियो का नृत्य बंद करके ताइजी की घोड़ी बनाई, दो हाथ उसे पकड़ा, उल्टा किया सर दीवान के सामने वाले बाजू पे रखा और अपने सूपदे की चमड़ी को पीछे करके उसपे थोड़ी सी थूक लगा डाली, सूपड़ा लाल काले रंग पर चमक रहा था …. वकील बाबुने ताइजी की गांद को दोनो हाथो से फैलाया… और निशाना लगा डाला…ताइजी के मुँह से चीख सी निकल गयी…वकिलबाबू प्रहार करते रहे अपनी कमर को आगे पीछे करते रहे …ताइजी चुदति रही ..कुछ तो बड़बड़ा रही थी …उन्हे शायद और दारू चाहिए थी ….. ताइजी की गांद एक दम मस्त हिल रही थी ….दीवान से कुई कुई की आवाज़ निकल रही थी …..लगभग 5 मिनट के बाद वकिलबाबू ढेर हो गये और पूरी वीर्य ताइजी की नदी मे छोड़ दिया ….ताइजी के उपर गिर पड़े…और बोले “तुझे चोदने के लिए क्या क्या नही करना पड़ता रंडी …. पर तुझे चोदने मे जो मज़ा है उसके सामने कुछ भी फीका है ….” उनका लंड बुर से बाहर निकल आया…बुर से वीर्य रस की गंगा बह रही थी … आधे से अधिक चादर दारू और वीर्य की वजह से गीला हो चुका था और ताइजी को पता भी नही था कि यहाँ पर क्या हो रहा है और कैसे उनका एक एक भाई उनकी ले रहा है ….
मेरी चादर मे पॅंट के अंदर पता नही कितनी बार तंबू बने और तंबू उखड़ गये….वकील बाबू दीवान से उठ खड़े हुए एक बॉटल मे थोड़ी सी दारू बाकी थी वो पी ली और कपड़े पेहेन्के चुपकेसे दारवाजा खोल के निकल गये…..
अभी जैसे कि कंट्रेटरबाबू और वकील बाबू अपना अपना काम करके चले गये थे, मुझे पूरी आशंका थी अभी और कोई नही रावसाब ही आएँगे…. पर बहुत टाइम होनेपर भी कोई नही आया…. उधर ताइजी थोडिसी नींद मे थी और तभी भी थोडिसी बड़बड़ा रही थी…. उसकी बुर पे हुए प्रहार से उन्हे मज़ा और सज़ा दोनो मिल रही थी… बुर पूरी तरह से सूजी थी …लाल लाल दिख रही थी …बुर के होठ तो ऐसे लग रहे थे जैसे खून छोड़ रहे है इतने लाल थे …उसके उपर वो मुलायम रेशमी बॉल एक दम आकर्षक और मस्त दिख रहे थे….. और उसमे उनके गोल मटोल बड़े बड़े लाल लाल निपल वाले दूध मेरी काम अग्नि को और जला रहे थे…..
बहुत वक़्त होने पर भी कोई नही आया.. मैं सोच रहा था कि अभी कोई तो आएगा पर बहुत वक़्त होनेपर कोई नही आया…. दरवाजा खुला ही था …. मैं सोच रहा था मैं भी हाथ सॉफ करलू…. वीर्य की वो खुशबू पूरे कमरे मे घूम रही थी और उससे मैं पूरा पागल हो गया था…. कब जाके ताइजी के उपर मैं चढ़ु ऐसे मुझे हो रहा था पर मैं यहा हू ये बात जो छुपी थी वो मैं छुपी ही रहने देना चाहता था इसलिए कुछ कदम उठाए बिना अपने लंड की नाराज़गी सहते हुए पड़ा ही रहा था….
लगभग एक घंटा हुआ पर कोई नही आया, अब मेरे मे हिम्मत आ गयी थी… पूरी सावधानी से मैं उठा और जाके दरवाजे को बंद कर दिया…. अपनी पॅंट उतार दी और अपने लंड थोड़ा सा सहलाया और जाके ताइजी के मम्मे पकड़ लिए… उनके वो चूतर और वो मम्मे मुझे कभी छोड़ने का मन ही नही कर रहा था… उनके मम्मे गोल मटोल और इतने रसभरे थे कि मैं उनको दांतो मे पकड़ के चूसने लगा, मम्मो के निपल्स पे दाँत के निशान गढ़े थे और निशान हल्के फुल्के नही बल्कि बहुत ही अंदर तक गये थे…. निपल्स पूरे उभर कर कठोर हो रखे थे. मैं एक एक करके चुसता गया वाह क्या आनंद था उन मम्मो को चूसने का…..
मैने अब वक़्त जाया नही किया औरअपने नाग को थोडिसी थूक लगाई और बुर के प्रवेष्द्वार पे रख के ताइजी की दोनो टाँगे जितना फैला सकता था उतनी फैला दी… प्रवेष्द्वार पहले से ही बहुत सारे वीर्य रस से चिकना हो रखा था… मुझे थूक भी लगाने की ज़रूरत नही थी…उलटा बुर से ही उलटी गंगा बह रही थी जिसमे अब मैने देर ना करते हुए अपने लंड को पेल दिया और एक ही झटके मे आधा लंड बुर मे घुसा दिया…. वाह वाहह…अजब ….मस्त ……लाजवाब….. दिलखुश…. मन खुश … क्या अनुभव था ऐसा लग रहा था कि लंड इस जनम मे इस बुर से फिर कभी नही निकालु…..मैं हल्के हल्के लंड को पेलने लगा और एक हाथ से बुर के रेशमी बालो को सहलाने लगा क्या अदभुत क्षण था वो….
मेरा लंड अंदर जाते ही धक्को से पच्चक पच्छाक आवाज़ होने लगी मैने अपनी गति बढ़ा दी और लंड को ताइजी के चूतरो को हाथ मे पकड़ के बुर की आखरी सीमा तक घुसने लगा पूरा लंड अंदर जाने से ताइजी की आवाज़ अब ज़रा ज़्यादा निकल रही थी… और उससे उसका हुस्न और मस्त और लुभावना लग रहा था ….. मैं पेलता रहा… कुछ देर बाद मैं ताइजी पे गिर पड़ा और अपनी पिचकारी ताइजी की बुर मे रंग दी….. मुझे अंदर बहुत दबाव महसूस हुआ क्यू कि उसमे पहलेसे ही बहुत सारा रस भरा था …मैने अपने लंड को बाहर निकाला और ताइजी के पेटको पोछ के थोड़ा साफ किया और उनके मुँह के पास जाके उनके होटोसे लगा के होंठो को और रस भरित कर दिया…. क्या मज़ा आया था ….जिंदगी मे सबसे ख़ास चुदाई मे एक ये चुदाई थी…..
अब ताइजी पूरी तरह रस से भर गयी थी उनके हर एक अंग पर वीर्य ही वीर्य लगा हुआ था बालो मे वीर्य की बूंदे गिरी थी और उन्हे इस बात का ज़रा भी ख़याल नही था….. अब मैं क्या करूँ इस बात का मुझे ठिकाना नही था … क्यू कि सबेरे जब वो उठेगी तो मुझसे कुछ ना कुछ तो ज़रूर पूछेगी….?
मैने उनकी ब्रा पहेना के, उपर से ब्लाउस चढ़ा दी….. ब्लाउस के उपर से एक बार उनके मम्मो को चूस लिया और थोड़ा आगे पीछे करके उनके पूरे अंगो को सारी ढक दिया…
और अब मैं आके अपने दीवान पे शांति से सो गया… मैं पूरी तरह खुश हो गया था ताइजी की बुर मे अपना पानी छोड़ के…जिसकी गंध अभी भी पूरे कमरे मे घूम रही थी…..ऐसे ही सोते सोते मैं कब सो गया पता ही नही चला
सबेरे जब मैं उठा तो लगभग 7 बज गये थे. मैं उठ कर नीचे जाके नहा धो लिया और सेठ जी के साथ काम पे चल दिया…
आज मुझे खुदसे काम करना था… सेठ जी ने मुझे एक बड़ी लिस्ट दे दी और बोले कि ये लोग है जिनके कुछ पैसे आने है तुम ड्राइवर को साथ लेके जाओ और इन सबसे पूछ के आओ के पैसे कब देनेवाले हो…
मैं पैसे वसूलने के लिए निकल पड़ा, पहला कोई किसान था…मुझे ड्राइवर ने बोला कि ये जो किसान है ये बहुत ही स्याना है…. पैसे होनेपर ऐयाशी करता है…. इसके पास पैसे होनेपर भी सेठ जी का पैसा नही देता …जो भी इसके पास पैसे माँगने जाता है वो वापस से सेठ जी के पास उसे थोड़ा टाइम दे दो कहके बिना पैसे वैसे ही आता है …… थोड़ी देर मे हम जब उसके घर के पास पहुचे तो पाया कि उसका घर नदी के उस पार है उस पूल पे से गाड़ी नही जा सकती. मैने ड्राइवर को नदी के उस पार ही गाड़ी को संभालते हुए बैठने को बोला और मैं वो छोटे से पूल को पार करके उसके घर के पास पहुचा… नदी मे थोड़ा पानी था जो कि धीरे धीरे बह रहा था …. आजूबाजू हल्की हल्की हरियाली थी…. उस किसान का घर ठीक ठाक ही था… मैने उधर खड़े आदमी को पूछा कि इस नाम का व्यक्ति इधर रहता है तो उसने हां मे जवाब दिया… और मुझे उस घर के अंदर लेके गया…..
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