XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
08-18-2021, 11:51 AM,
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
बाथरूम से आकर मैंने पूछा- कितनी और?नैना बोली- अभी दो और हैं, अगर आप थक गए हैं तो इन दो को रात में चोद देना तो इस तरह सारी चुद जाएंगी.मैंने कहा- यह ठीक है, इन चारों को अपने कमरे में छोड़ आओ और बाकी दो मेरे बिस्तर की शोभा बढ़ाती रहेंगी.
जब बाकी चारों कपड़े पहनने शुरू कर ही रही थी तो मैंने कहा- इन सबका ब्यूटी कांटेस्ट कर लेती ना लेकिन वो तन्वी भाभी, रेवा और सांवरी भी नहीं हैं तो रहने दो.
सबने अपने नाइटी पहननी शुरू कर दी और थोड़ी देर में वो सब अपनी नाइटी पहन कर तैयार हो गई जाने के लिए. जूही भाभी और बाकी सब लड़कियों ने मुझको जाने से पहले भाव भीनी चुम्मियाँ और टाइट जफ्फी मारी और मेरा शुक्रिया अदा किया और कहा- सतीश यार, तुम तो कमाल की चीज़ हो, तुम जैसा लड़का हमने आज तक नहीं देखा जिसका लंड हमेशा ही खड़ा रहता है? ऐसे कैसे हो सकता है यार?
मेरी जगह नैना ने जवाब दिया- ऐसा है भाभी जी, मैंने छोटे मालिक को बड़ी छोटी उम्र से पाला है और मैं इनके साथ काफ़ी समय से हूँ. मैं इनको बहुत अच्छी तरह से जानती हूँ, इनको एक मेडिकल प्रॉब्लम है जिसके कारण ज़रा सा भी कोई इनके लंड को छूता है तो वो तुरंत खड़ा हो जाता और काफी समय वो ऐसे ही खड़े रहता है चाहे वो इसका इस्तेमाल करें या ना करें.डॉक्टरों से भी चेक करवाया था लेकिन वो यही कहते हैं कि यह बिमारी लाइलाज है. वैसे छोटे मालिक अगर ना चाहें तो भी इनके खड़ा लंड से वीर्य डिस्चार्ज नहीं होता. आप सब ने नोट किया हो गा कि आप सब की चुदाई करते समय छोटे मालिक के लंड से कोई वीर्य नहीं निकला आप किसी की भी चूत में!यह इस बात की गारंटी है कि इनके द्वारा चुदाई एकदम सेफ है और किसी भी लड़की या औरत को कभी कोई नुक्सान नहीं होने देते अगर उसकी स्वयं की मर्ज़ी प्रेग्नेंट होने की ना हो तो!
भाभी बोली- अच्छा ऐसा है क्या? मुझ को पहले बतला नहीं सकते थे क्या? उफ्फ्फ मेरे से कितनी बड़ी गलती हो गई.नैना बोली- क्या गलती हो गई भाभी?भाभी बात छुपाते हुए बोली- कुछ नहीं, लड़कियो, तुम अपना काम करवा चुकी हो, जाओ यहाँ से, जल्दी करो कहीं कोई ना आ जाए यहाँ.
तभी सब लड़कियाँ कपड़े पहनने लगी जल्दी जल्दी और फिर नैना उन सबको छोड़ने के लिए उनके साथ चली गई.
अब सिर्फ जूही भाभी ही रह गई और वो मुझको बड़ी प्यार भरी नज़रों से देखने लगी और धीरे धीरे वो मेरे निकट आने लगी, पास आकर मुझसे लिपट गई और मेरे होटों पर प्रगाढ़ चुम्बन देने लगी.
मैं भी भाभी की चूत पर छाई काली ज़ुल्फ़ों के साथ खेलने लगा और उसके मस्त गोल और मोटे स्तनों को मसलने लगा. मैंने मज़ाक में पूछा- क्यों भाभी, अभी और चुदवाने की इच्छा है क्या?भाभी मेरे गले में बाहें डालते हुए बोली- यार सतीश, नैना ने पहले नहीं बताया कि तुम मुझको गर्भवती बना सकते हो, नहीं तो मैंने अभी तक तुमसे गर्भ धारण कर लिया होता.
अब मैं समझा कि जूही भाभी क्यों रुक गई थी, बाकी लड़कियों के साथ नहीं गई थी.
जब नैना वापस आई तो दरवाज़ा थोड़ा भिड़ा हुआ था, उसको खोल कर वो कमरे के अंदर आ गई.जूही भाभी ने झट उसको घेर लिया और शिकायत के लहजे में बहभी बोली- नैना बहन, बता देती तो मैं भी सतीश से प्रेग्नेंट होने की कोशिश करती ना! तुम तो जानती हो मेरा पति तो एकदम निकम्मा है साले से कुछ नहीं होता. यह मौका था कि मैं सतीश से गर्भ धारण कर लेती?भाभी यह कहते हुए एकदम से रोने लगी और तब नैना ने उसको मुश्किल से चुप करवाया.नैना बोली- भाभी, अब तो कुछ नहीं हो सकता, आप तो कल वापस जा रही हो ना?भाभी बोली- अगर मैं कल रुक जाऊँ तो कुछ हो सकता है क्या?
नैना भाभी को लेकर एक कोने में चली गई और उससे कुछ पूछताछ करने लगी और फिर वापस आकर कहने लगी- छोटे मालिक, भाभी गर्भ के लिए तैयार है, आप उसको आज रात दो तीन बार चोद दो तो शायद यह भी गर्भवती हो जाए, कोशिश कर देखने में क्या हर्ज है?मैं बोला- कोई हर्ज नहीं, पर अभी भाभी को मेरे साथ सोना पड़ेगा?भाभी बोली- वो तुम्हारी मम्मी ने तो यह कमरा मुझको और एक लड़की को सोने के लिए दिया था और तुम्हारे साथ रूम शेयर करने के लिए भी कहा था.नैना बोली- तो फिर ठीक है छोटे मालिक, आज रात को आपको चोदेंगे और आगे आपकी किस्मत है कि आप गर्भवती हो जाती हो या नहीं!मैंने कहा- नैना तुम को भी यहाँ सोना पड़ेगा आज की रात और मैं छोड़ूंगा नहीं तुमको भी!नैना हँसते हुए बोली- मत छोड़ना मुझको और भाभी को भी!

कहानी जारी रहेगी.

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08-18-2021, 11:52 AM,
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पर्बती की ना और बाद में मेरी भी ना


मैंने कहा- नैना, तुमको भी यहाँ सोना पड़ेगा आज की रात और मैं छोड़ूंगा नहीं तुमको भी!नैना हँसते हुए बोली- मत छोड़ना मुझको लेकिन भाभी का काम कर दो, वरना वो बच्चा कहाँ से लाएगी अपने जीवन में!मैं बोला- भाभी की मुराद तो पूरी करनी ही है लेकिन उनसे पूछ लो की उनका पति वापस जाने पर चोद सकेगा क्या?भाभी बोली- वो साला अफीमची है तो मैं उसको जाते ही घेर लूंगी और जैसे भी होगा, उससे चुदवा लूंगी.नैना बोली- तो फिर उतारो नाइटी और शुरू हो जाओ!
मैं तो तैयार था ही और जल्दी से भाभी को जफ्फी मारी, उसके सुंदर होटों पर एक हॉट किस करते हुए मैं उसको जल्दी ही बेड पर ले गया और उधर नैना ने भी अपने कपड़े उतार दिए और वो भी चुदाई के मैदान में कूद पड़ी!जूही भाभी को उस रात मैंने 3 बार चोदा और हर बार मैंने उसकी चूत मैं अपना गाढ़े वीर्य की पिचकारी छोड़ी जो उसके गर्भदानी के अंदर तक चली गई होगी, ऐसा मेरा अनुमान है.हर बार भाभी की चूत को नैना ने गर्भ वाली पोजीशन में रखा ताकि उसको गर्भ ठहरने की पूरी उम्मीद बनी रहे.
जब भाभी थक कर गहरी नींद में सो गई तो मैंने नैना की एकदम गीली चूत को भी चोदा और उसका दो बार छुटाया और साथ में यह वायदा भी ले लिया नैना से की अगली रात में वो निम्मो और पर्बती को भी घेर कर लाएगी मेरे पास!नैना बोली- हाँ, कल तक तो सारे मेहमान चले ही जाएँगे तो वो खाली होंगी दोनों. निम्मो को तो आपने पहले ही चोद रखा है, पर्बती है जो नई है. उसका भी कुछ जुगाड़ करती हूँ, आप निश्चिन्त रहे छोटे मालिक.

रात को हम दोनों काफी देर बाद सोये लेकिन सोने से पहले मैंने नैना से पूछा कि यह भाभी गर्भवती हो पायेगी कि कह नहीं सकते.नैना ने विश्वास दिलाया कि सवेरे तक वो बता देगी कि उसका कुछ काम हुआ या नहीं अन्यथा उसको लखनऊ शहर में बुला लेंगे और वहाँ इतमीनान से इन को गर्भवती कर देना.
अगले दिन जाने से पहले सब लड़कियाँ मुझ से मेरे कमरे में मिलने आयी और मुझ को बहुत ही हॉट जफ्फी मारी चुम्मियाँ भी ली और थैंक्स भी कहा.सांवरी और रेवा जो बाद में जाने वाली थी, उनके भी भाई आ गए थे, वो भी सबके साथ सवेरे का नाश्ता पानी करके अपने अपने घरों के लिए चली गई थी.
लड़कियों से मिलने के बाद दोनों भाभियाँ भी आईं मुझसे मिलने और मेरा बहुत धन्यवाद करने लगी क्यूंकि नैना ने कन्फर्म कर दिया था कि वो दोनों भी प्रेग्नेंट हो चुकी हैं.सब मेहमानों के जाने के बाद मम्मी और पापा और मैं बैठक में बैठे थे कि पापा जी बोले- वाह सतीश, तुम तो लखनऊ जाकर पूरे ट्रेंड हो गए कि कैसे मेहमानों का स्वागत करना है और कैसे उनका ध्यान रखना है… बहुत खूब सतीश, वेल डन!
मम्मी भी हँसते हुए बोली- तुमने लड़कियों का काफी अच्छा ख्याल रखा और सब तुम्हारी तारीफ़ कर रही थी. अच्छा कोई इनमें से पसंद आई तुमको अपनी दुल्हन के रूप में?मैं एकदम से हैरान हो गया- क्या बात कर रही मम्मी जी? मैं और शादी अभी? कभी नहीं. अभी में तो कॉलेज के प्रथम साल में हूँ मम्मी जी! मुझ को कम से कम बी ए तो कर लेने दो फिर सोचना शादी का, क्यों पापा जी आपका ख्याल है?पापा बोले- सतीश ठीक कह रहा है अभी इसको पढ़ने दो शादी की बाद में सोचेंगे.
आज कोई काम नहीं था, मैं पापा की बाइक लेकर अपने गाँव ही घूम आने की बात सोच ही रहा था कि नैना मेरे कमरे में आ गई और बोली- छोटे मालिक क्या करने का विचार है आज आपका?मैं बोला- मैं सोच रहा था कि ज़रा गाँव ही घूम आते हैं! क्यों ठीक नहीं क्या?नैना बोली- ठीक है, घूम आइये लेकिन मैंने पर्बती से बातचीत की है, वो कह रही थी हवेली में तो आपसे मिलना उसके लिए ठीक नहीं सो कहीं और जगह मिल लेते हैं?मैं हैरान होकर बोला- वो ऐसा क्यों बोली?

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08-18-2021, 11:52 AM,
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नैना हँसते हुए बोली- उसको मम्मी जी का डर है, इसलिए! मैंने कहा भी कि मम्मी जी कभी ऊपर सतीश के कमरे में रात को नहीं जाती लेकिन वो अभी भी डर रही है.मैं बोला- तो फिर क्या करें?नैना बोली- आप उसको कॉटेज में क्यों नहीं मिल लेते आज लंच के बाद?मैं बोला- तुमको भी तो वहाँ रहना ज़रूरी है ना तो तुम भी चलो!नैना बोली- ठीक है मैं भी चल पडूँगी उसके साथ!
खाना खाकर नैना आ गई और कहने लगी- कैसे चलेंगे वहाँ?मैंने कहा- बाइक पर चलते हैं, तुम दोनों पीछे बैठ जाना, क्यों ठीक नहीं क्या?नैना बोली- ठीक तो है, पर यह गाँव खेड़ा है यहाँ मालिक और नौकरों के बीच फर्क रखा जाता है.मैं बोला- ठीक है, मैं पहले चलता हूँ बाइक पर, तुम दोनों आ जाना पैदल.
मैं बाहर निकला और पापा की बाइक उठाई और थोड़े समय में कॉटेज पहुँच गया और चौकीदार को कोक की बोतलें और बर्फ लाने के लिए भेज दिया.दस पंद्रह मिन्ट में वो दोनों भी पहुँच गई.
पर्बती दिखने में सुंदर थी, चाहे उसका रंग सांवला था लेकिन उसका जिस्म भरापूरा था और वो चाल में मस्तानी और आँखों से शराबी लग रही थी.वो बिना कुछ बोले ही अंदर आ गई और नैना उसके पीछे आई.दोनों को बिठा कर मैं अंदर घूमने लगा और फिर थोड़ी देर बाद चौकीदार कोकाकोला की बोतलें भी दे गया.नैना ने बोतलें खोल कर हम सब के हाथ में दे दी.
फिर मैं बोला- क्यों नैना. आगे का क्या प्रोग्राम है?नैना बोली- आप बोलो, क्या करना है. पर्बती से बात की थी लेकिन वो बोली कि छोटे मालिक तो लड़के लगते हैं वो पूरी तरह से मर्द नहीं हैं. अभी तो मैं चुप कर गई.मैं हंस पड़ा- हाँ, पर्बती ठीक कहती है लेकिन एक बात तो है यह खाना बड़ा ही लज़ीज़ बनाती है इसमें कोई शक नहीं. बिल्कुल अपनी पारो की तरह… क्यों?नैना बोली- हाँ छोटे मालिक, वो भी तो कहती थी ना कि आप तो अभी लड़के लगते हैं.मैं बोला- वही तो, ऐसा करते हैं हम दोनों पर्बती को एक नमूना दिखाते हैं फिर उसके ऊपर छोड़ देते हैं जैसे वो चाहे, क्यों पर्बती?
पर्बती कुछ नहीं बोली और हम तीनों बैडरूम में चले गये. वहाँ नैना मेरे कपड़े उतारने लगी, जब वो मेरे कच्छे तक पहँची तो अपना मुंह पीछे कर लिया और फिर मेरे कच्छे को नीचे खींच लिया.जैसे ही उसने कच्छे को उतारा मेरा लंड एकदम खड़े नाग की तरह उछल कर बाहर आ गया और नैना ने उसको अपने मुंह में ले लिया और उसको चूसने लगी.
मैंने उसको उठाया और उसके कपड़े उतारने लगा जैसे कि पहले उसकी साड़ी को उतारा और फिर उसके हल्के नीले ब्लाउज को उतार दिया और एकदम सफ़ेद ब्रा से ढके मुम्मों को आज़ाद किया.और अब मैंने उसके पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया, उसका पेटीकोट झट से नीचे उतर गया, मैंने अपने मुंह को उसकी चूत पर छाई काली घटाओं में छुपा लिया और उसकी चूत में से निकल रही खुशबू को सूंघने लगा.
फिर मैं खड़ा हो कर उसके मुम्मों के चूचुकों को चूसने लगा और नैना का हाथ मेरे लौड़े से खेल रहा था.हम दोनों पर्बती से बेखबर अपनी काम क्रीड़ा में लगे हुए थे और अब नैना खड़े होकर चुदवाने के लिए तैयार हो गई. मैंने उसको बिस्तर पर थोड़ा झुकाया और पीछे से अपने लम्बे लंड को उसकी गरम चूत में डाल दिया और फिर मैंने धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने में लग गया.
मेरे हाथ पीछे से नैना के मोटे और सॉलिड मुम्मों को मसलने में लगे हुए थे और कभी कभी उसके चूतड़ों पर भी हाथ की थपकी मार रहा था, नैना भी मेरे मूड को समझती हुई मज़े में चुदवा रही थी.मैं अब उसको काफी गहरे धक्कों की चुदाई करने लगा था. मैंने महसूस किया कि नैना अपने छूटने की कगार पर पहुँच रही थी और अब मैंने उसकी बड़ी तेज़ चुदाई शुरू कर दी.
मेरी अंधाधुंध स्पीड के आगे मेरी गुरु नैना भी नहीं टिक सकी और अपने शिष्य से हार बैठी और जैसे ही उसका छूटा वो ज़ोर ज़ोर से काँपने लगी और मैंने उसको कस कर उसके चूतड़ों को अपने लंड के साथ जोड़ लिया.जब वो छूट गई तो उसने मुझको अपने गले से लगा लिया और मेरे मुंह पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी.जवाब में मैं भी उसको बार बार जफ्फी लगाने लगा और उसके गालों को चूमने लगा.फिर हम दोनों थक कर पलंग पर एक दूसरे की बाहों में लेट गए.

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08-18-2021, 11:52 AM,
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तब मैंने पर्बती की तरफ देखा तो वो अपने एक हाथ को अपनी साड़ी के अंदर डाल कर चूत घर्षण कर रही थी.मैंने और नैना ने पर्बती को पूरी तरह से इग्नोर किया और फिर हम दोनों अपने कपड़े पहनने लगे और वापस जाने के लिए तैयार हो गए.तब पर्बती बोली- मेरा क्या होगा?नैना बोली- तुम्हारा क्या होना है पर्बती? तुमने तो छोटे मालिक से करवाने के लिए इंकार कर दिया था, हम अब वापस चल रहे हैं.पर्बती ने कहा- नहीं, मैंने दुबारा सोचा, मैं तैयार हूँ छोटे मालिक से करवाने के लिए!मैं बोला- पर्बती, तुमने एक बार ना कर दी, मैं अब तैयार नहीं हूँ तुम्हारे साथ कुछ भी करने के लिए, चलिए नैना.
यह कह कर मैं बाहर निकल आया और अपने मोटर साइकिल की तरफ जाने लगा.तब नैना मेरे पास आई और बोली- जाने दो छोटे मालिक, पर्बती से गलती हो गई है, उसको सुधारने दो ना!मैं बोला- ऐसा नहीं नैना, मैं बिना किसी की मर्ज़ी के कुछ भी नहीं करता, पर्बती ने अपनी मर्ज़ी बता दी तो कहानी यहीं खत्म करो ना! अच्छा मैं चलता हूँ, तुम दोनों पीछे आ जाना.यह कह कर मैं हवेली की तरफ चल दिया.
दोपहर के खाने के बाद मैं अपने कमरे में आलखन कर रहा था और ना जाने कब मेरी आँख लग गई.
शाम की चाय लेकर नैना मेरे पास आई और कहने लगी- वो पर्बती बड़ी पछता रही है, आपसे माफ़ी माँगना चाहती है, आप मान जाइए ना प्लीज?मैं बोला- ऐसा है नैना, मैं चाहता हूँ एक दो दिन उसको ज़्यादा घास मत डालो, उसके बाद देखेंगे! और हाँ, आज रात तुम और निम्मो आ जाना मेरे कमरे में!नैना बोली- ठीक है छोटे मालिक, जैसे आप कहो! वैसे मेरी सलाह मानिए, पर्बती हमारे सारे राज़ जानती है, जैसे आपने उन मेहमान लड़कियों से कुछ किया, यह वो जानती है, हालांकि पूरी तरह से नहीं लेकिन थोड़ी बहुत तो जानती है. और फिर आज उसने हम दोनों को देखा है तो आप उसको माफ़ कर दीजिये और आज रात उसका काँटा खींच दीजिये.
मैं थोड़ी देर सोचता रहा और फिर बोला- ठीक है नैना डार्लिंग, जैसे तुम कहो वैसे ही कर लेंगे. और कोई नई लड़की या औरत आई है हवेली में?नैना बोली- हाँ, आई तो है लेकिन वो सिर्फ दिन के काम के लिए है, रात को नहीं रहती यहाँ.मैं बोला- कैसी है दिखने में? सेक्सी है क्या?नैना अब हँसते हुए बोली- छोटे मालिक, आप भी न… कभी कभी सरकारी सांड की तरह व्यवाहर करते हो? अच्छी है देखने में और सेक्सी भी है और उसका पति भी यहाँ नहीं है, कई महीनों से वो आम भी पका हुआ है, तोड़ लेंगे कभी उसको.मैंने नैना को जफ्फी मारते हुए कहा- वाह नैना रानी… अच्छा सुनो, उस दिन नदी पर एक बड़ी ही सुन्दर सांवली सी औरत नहा रही थी, उसके बारे में पता करो ना प्लीज!नैना मुस्कराते हुए बोली- मैं उस दिन ही समझ गई थी कि आपकी नज़र इस काले हीरे पर ज़रूर पड़ेगी, मैंने उसके बारे में पूरा पता कर लिया है और समय आने पर उसको भी आपकी झोली में ज़रूर डाल दूँगी.मैं इतना ज़्यादा खुश हो गया कि मैंने नैना को बाहों में भर कर एक ज़ोरदार किस उसके रसीले होटों पर जड़ दी.

कहानी जारी रहेगी.

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08-18-2021, 11:52 AM,
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें

पर्बती की कसी चूत चोदी


नैना मुस्कराते हुए बोली- मैं उस दिन ही समझ गई थी कि आपकी नज़र इस काले हीरे पर ज़रूर पड़ेगी, मैंने उसके बारे में पूरा पता कर लिया है और समय आने पर उसको भी आपकी झोली में ज़रूर डाल दूँगी.मैं इतना ज़्यादा खुश हो गया कि मैंने नैना को बाहों में भर कर एक ज़ोरदार चुम्मी उसके रसीले होटों पर जड़ दी.
उस रात पर्बती और निम्मो नैना के साथ आई और आते ही पर्बती ने मुझसे माफ़ी मांगी.मैंने पर्बती से कहा- देखो पर्बती, मैं किसी भी औरत के साथ कोई ज़बरदस्ती नहीं करता और ना ही मैं अपने ज़मींदार साहिब के लड़के होने का नाजायज़ फायदा ही उठाता हूँ. आज तक जितनी भी औरतों या फिर लड़कियों से मेरे सम्बन्ध रहे है वो सब उनकी ख़ुशी और इच्छ से ही रहे हैं. जब कभी भी तुमको लगे कि तुमको किसी काम को करने की मर्ज़ी नहीं है तो खुल कर मुझसे या फिर नैना से कह दो और वो काम करने के लिए तुमको कोई मजबूर नहीं करेगा.
पर्बती बोली- आप ठीक कह रहे हैं छोटे मालिक, जैसा आप या फिर नैना बहन कहेंगी मैं वैसा ही करूंगी.मैं बोला- तो आओ मुझको एक जफ्फी मारो और लबों पर गर्मागर्म चुम्मी दो.

पर्बती फ़ौरन आई, मुझको एक टाइट जफ्फी मारी और अपने गर्म होंट मेरे होंटों पर रख दिए और मैंने भी उसके मुम्मों को अपने हाथों में ले कर खूब मसला और एक हाथ उसकी चूत में उसकी नीली साड़ी के ऊपर से ही रख दिया.
उसको छोड़ कर मैं निम्मो की तरफ मुड़ा और उसको भी एक टाइट जफ्फी मारी और उसके होटों पर एक रस भरी चुम्मी कर दी.फिर मैंने नैना की तरफ देखा और उसको भी जफ्फी मारने के बाद एक गर्म चुम्मी भी की और फिर बाकी औरतों की तरफ देख कर मैं बोला- पर्बती और निम्मो शायद यह नहीं जानती कि नैना और मेरा रिश्ता एक गुरु और चेले का रिश्ता है. जो कुछ भी मैंने आज तक कामकला के बारे में सीखा है वो सब नैना की देन है. यह नैना ही थी जिसने मुझमें मौजूद असाधारण काम शक्ति को पहचान लिया था शुरू से ही और उसको ठीक रास्ते पर ले कर गई, अब तक वरना अगर वो ना होती तो हो सकता है मैं बहुत ही गलत रास्ते पर चल पड़ा होता. इस लिए हमेश से नैना का बहुत अधिक ऋणी हूँ और आगे चल कर भी रहूंगा. धन्यवाद आप दोनों ने मेरी कहानी का एक छिपा हुआ अध्याय सुना और मैं यह उम्मीद करता हूँ कि आप इस को केवल अपने तक ही रखेंगे.
नैना ने अपनी आँखें पौंछते हुए दोनों से कहा- चलो शुरू हो जाओ चुदाने वाली कन्याओं. उतारो अपनी धोतियाँ और ब्लाउज पेटीकोट.मैं बोला- पर्बती के कपड़े मैं उतारूंगा क्यूंकि नई लड़की या फिर औरत का चीरहरण मैं स्वयं ही करता हूँ! इधर आओ पर्बती.
और जब वो मेरे पास आ गई तो मैंने पहले उसकी साड़ी को उतार दिया और फिर उसका ब्लाउज, और फिर उसका पेटीकोट भी निकाल दिया. और फिर मैं थोड़ा पीछे हट कर उसकी जिस्मानी ख़ूबसूरती को देखने लगा जो वाकयी में ही बड़ी सुंदर थी. उसके मुम्मे बड़े गोल और सॉलिड और सांवले थे लेकिन मक्खन की तरह मुलायम थे और इसी तरह ही उसकी जांघें भी गोल और मुलायम थी.उसकी चूत पर छाई काली घटायें बड़ी ही आकर्षक लग रही थी, कुल मिला कर वो एकदम सेक्स का मजस्मा लग रही थी.
उधर देखा तो निम्मो और उसकी बहन नैना दोनों नंगी खड़ी थी और दोनों भी अपने स्टाइल में काफी सेक्सी लग रही थी.मैंने पर्बती को कहा- मेरे भी कपड़े उतारो न कोई?तब पर्बती आगे बढ़ कर मेरे कपड़े भी उतारने लगी, पहले कुरता, फिर पयजामा उतार दिया और उसके बाद मेरे अंडरवियर तक जब पहुँची तो नैना और निम्मो दोनों एकदम रुक गई और मेरे कच्छा उतारने का नाटक देखने लगी.
पर्बती का चेहरा मेरे लंड की सीध में ही था, जैसे ही उसने कच्छे को नीचे की तरफ खींचा तो मेरा नाग की तरह लंड उछल कर सीधा उसके मुंह पर लगा और वो हतप्रभ हुई पीछे गिर गई.दोनों औरतों इतने ज़ोर से हंस दी कि मुझको लगा ज़रूर यह आवाज़ मम्मी के कमरे तक पहुँच गई होगी.मैंने पर्बती को उठाते हुए कहा- पर्बती कहीं चोट तो नहीं लगी न?
अब वो सारी शरारत समझ गई थी तो ज़बरदस्ती मुस्कराने की कोशिश करते हुए बोली- कल तो नैना के साथ ऐसा नहीं हुआ था?नैना और निम्मो बोली- हमारे साथ भी यह हो चुका है लेकिन अब हम इस लंड लाल की काली करतूत समझते हैं तो छोटे मालिक का कच्छा बड़े ध्यान से उतारती हैं.

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08-18-2021, 11:53 AM,
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
मैंने पर्बती को अपने गले लगाया और उसके होटों पर एक ज़बरदस्त चुम्मी की और उसके गोल और सॉलिड मुम्मों को चूसने लगा, एक ऊँगली उसकी चूत में डाल कर उसकी भग को रगड़ने लगा.पर्बती ने भी मेरा लंड अपने हाथों में पकड़ लिया, उससे खेलने लगी.
उसकी चूत अभी इतनी गीली नहीं हुई थी, मैंने उसको बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी जांघों में बैठ कर उसकी चूत को चूसने लगा. जैसे ही मैंने उसकी चूत में मुंह लगाया तो वो एकदम से बिदक उठी और अपने हाथों से मेरे सर को हटाने लगी.मैंने पूछा- क्या हुआ पर्बती?पर्बती बोली- यह आप क्या कर रहे हो छोटे मालिक? यहाँ क्यों मुंह लगा रहे हो?
मैं हैरान हो गया और फिर पूछा- क्यों पर्बती, क्या तुम्हारी चूत में किसी ने मुंह से नहीं किया कुछ भी?पर्बती बोली- नहीं छोटे मालिक, यह तो गन्दी चीज़ है ना, यहाँ कभी मुंह नहीं डालते!नैना जो सब देख रही थी बोली- देख पर्बती, मैं भी तो निम्मो की चूत को चाट रही हूँ ना? यहाँ चाटने से हम औरतों को बड़ा मज़ा आता है. तू एक बार अपनी चूत को चटवा तो सही और मुंह से करवा तो सही ना छोटे मालिक से?
अब पर्बती ने अपनी टांगें फैला दी और मैं फिर से उसकी जाँघों में बैठ कर उसकी चूत को मुंह से चाटने लगा.जैसे ही उसकी चूत पर मुंह रखा तो पर्बती के शरीर में एक सिहरन दौड़ गई और जैसे ही मैंने उसकी भग को चूसना शुरू किया, उसकी कमर ऊपर को मेरे मुंह से जुड़ गई, मैंने तब उसके चूतड़ों के नीचे हाथ रख कर उसकी भग को पूरी तरह से चूसना शुरू किया. तब उसका एक हाथ मेरे बालों में उनको पकड़ कर और ऊपर खींचने लगा.
कुछ मिनटों में पर्बती का भग चुसाई में पानी ज़ोर से झड़ गया और उसकी जाँघों ने मेरे सर को पूरी तरह से कैद कर दियाअब मैंने अपना मुंह उठाया, सीधा उसके खुले हुए होटों पर रख दिया, उसके होटों को चूसने लगा और नीचे से मैंने अपने लंड को चूत के मुंह के ऊपर रख कर एक हल्का सा धक्का मारा और लंड फ़च से अंदर चला गया, फिर मैं इत्मीनान से पर्बती को चोदने लगा.
उधर नैना अपनी बहन के साथ लेस्बो सेक्स में व्यस्त थी और दोंनो एक दूसरे से गुत्थम गुत्था हो रही थी.अब पर्बती के दोनों बाहें मेरे गले का हार बनी हुई थी और उसकी कमर मेरे धक्कों का पूरा जवाब दे रही थी. उसकी चूत बहुत ही टाइट थी और उसकी पकड़ भी काफी जानदार थी, ऐसा लगता था कि वो बहुत ही कम चुदी हुई चूत थी.
अब मैं उसके चेहरे पर आने वाले भावों से साफ़ देख रहा था कि वो चुदाई को काफी एन्जॉय कर रही थी और काफी आनंदित हो रही थी.कोई 10 मिन्ट की चुदाई के बाद पर्बती एकदम पगला सी गई और अपने सर को इधर उधर मारने लगी और मुझको एकदम अपने से चिपका लिया और फिर उसकी चूत से सहस्रधारा बह निकली.
पर्बती की आँखें बंद थी और सांसें ज़ोर ज़ोर से चल रही थी और हम दोनों दो शरीर एक जान हो गए थे, नैना और निम्मो हम दोनों को आँखें फाड़ कर देख रहीं थी.जब पर्बती कुछ संयत हुई तो उसने मुझको अपनी कैद से छोड़ा और मैं उठ कर नैना के पास आकर खड़ा हो गया.निम्मो भी अपनी ऊँगली चूत में डाले हुए यह सारा गरम नज़ारा देख रही थी.
अब नैना पर्बती के पास गई और उससे पूछा- क्यों री पर्बती, कितने अरसे से नहीं चुदी तू?पर्बती की आँखों से जल की धारा बह चली, उसने रोते हुए ही बताया कि जब से उसका पति उसको छोड़ कर नाचने वाली के साथ भागा, तब से उसने कभी भी चुदाई नही की. उसको भागे हुए अब 3 साल हो गए थे.
नैना और निम्मो हैरान हो कर बोली- साली, तू 3 साल से नहीं चुदी और छोटे मालिक से कल तो ऐसे भाग रही थी जैसे कि तुझको लण्डों की लाइन लगी है. यह तो शुक्र कर, छोटे मालिक ने तुझको माफ़ कर दिया वरना आज भी तू आधी अधूरी ही रहती.
अब मैंने निम्मो को पकड़ा, उसको थोड़ी देर चूमा चाटी के बाद उसको घोड़ी बना कर चोदना शुरू कर दिया. थोड़े समय में ही वो परास्त हो गई और फिर आई नैना की बारी जिस को चोदना एक रोज़ का नियम सा बन गया था जैसे कि अक्सर मियां बीवी में होता है.बाकी की रात पर्बती और निम्मो को दो दो बार चोदा और उसके बाद हम एक ही पलंग पर घोड़े बेच कर सो गए.

कहानी जारी रहेगी.

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08-18-2021, 11:54 AM,
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें

पुरानी मोहब्बतें, फुलवा और छाया


सुबह उठे तो मेरी चाय फुलवा ले कर आई और मैं फुलवा को देख कर हैरान रह गया.चाय उसके हाथों से लेने से पहले मैंने उठ कर उसको एक बड़ी ही सेक्सी जफ्फी मारी और एक गरमागरम चुम्मी उसके होटों पर दे दी.
अब मैं चाय पीते हुए उससे सारा हाल पूछने लगा तो उसने बताया- छोटे मालिक, आपकी किरपा से मेरा घर अब बिल्कुल ठीक चल रहा है, मेरा पति अब मेरा पूरा ख्याल रखता है और मेरे बच्चे से भी बहुत प्यार करता है. सब आपकी वजह से हुआ यह… वो अब अपना काम करता है और अच्छी कमाई कर लेता है.
मैं बड़ा खुश हुआ और उसको फिर गले लगाया और पूछा कि अब कभी अपनी दोगी मुझको?वो हँसते हुए बोली- वही तो बताने के लिए मैं यहाँ आई हूँ, मेरा पति और उधर छाया का पति कुछ दिनों के लिए बाहर गए हैं काम से तो हम दोनों आप से मिलना चाहती हैं कॉटेज में!
मैं बड़ा ही खुश हुआ और फुलवा को फिर बाहों में भर कर एक चुम्मी दे दी उसके होटों पर और कहा- हाथ तो लगा ज़रा, मेरा लौड़ा तो तुझ को देखकर पगला गया है देख क्या फन फैलाये लहलहा रहा है तेरी चूत के लिए… बोल शुरू हो जायें अभी क्या?
फुलवा हँसते हुए बोली- नहीं छोटे मालिक, अभी कोई आ सकता है! आज खाने के बाद आ जाना कॉटेज में, वहीं छाया को भी बुला लूंगी और नैना बहन को भी ले आना, हम मिल कर ढेर सारी बातें करेंगे और जो तुम कहोगे वो भी करेंगे.मैं खुश होकर बोला- ठीक है फुलवा हम ज़रूर आएंगे वहाँ.

इससे पहले वो जाती, मैंने अच्छी तरह से उसके मुम्मे और चूतड़ों को टीपा और कई चुम्मियाँ दे डाली उसके होटों पर!वो भी खाली कप लेकर चली गई, उसके जाने के बाद नैना आई कमरे में, बोली- मिल गई आपकी चहेती आपको? तो दोपहर को चलने का विचार है क्या?मैं बोला- हाँ हाँ यार, पूरा इरादा है और तुमने भी चलना है गुरु जी!नैना खुश होते हुए बोली- हाँ चलेंगे, आपकी पुरानी रानियों से मिलना जो है!
लंच करने के बाद मैंने नैना को अपनी बाइक पर बिठाया और उसको लेकर कॉटेज पहुँच गया.हमारे जाने के थोड़ी देर बाद ही फुलवा और छाया भी आ गई.हम सब बड़ी गर्म जोशी से एक दूसरे से मिले और खूब चूमाचाटी हुई, फिर हम सब एकदम नंगे हो गए और ध्यान से एक दूसरे को देखने लगे.
फुलवा और छाया में काफी फर्क आ गया था जब से वो दोनों माँ बनी थी. उन दोनों का जिस्म अब पूरी तरह से मातृत्व से खिल उठा था और उन दोनों की सुंदरता में निखार भी आ गया था. उनके मुम्मे अब दूध से भरे होने के कारण बड़े भारी और मोटे हो गए थे और उनके चूतड़ भी गोल और मोटे हो गए थे.
दोनों मुझको बड़े ध्यान से देख रही थी और मेरे शरीर की तुलना मेरे पहले वाले शरीर से कर रही थी. फिर दोनों मेरे लंड को पकड़ कर उसका नरीक्षण परीक्षण करने लगी.दोनों एक ही नतीजे पर पहुँची कि यह उनके टाइम से ज़्यादा लम्बा और मोटा हो गया है और अब बिल्कुल एक क्रोधी नाग की तरह लहलहाता है.
फिर नैना ने कहा- अब छोटे मालिक को अपने अपने बच्चों का भी तो बताओ ना कुछ?दोनों एक साथ बोल पड़ी- छोटे मालिक, आपका कोटि कोटि धन्यवाद, आप ने हमको गर्भ दान दिया.मैं बोला- नहीं नहीं, मेरा इस में कुछ भी योगदान नहीं, यह सब तुम्हें तुम्हारे पतियों ने तुम को दिया है और हमेशा उनका ही शुक्रिया अदा किया करो.
दोनों बोली- छोटे मालिक, आप महान हैं.तब नैना बोली- चलिए महान जी, अब इन भूखी गायों को हरा कर दीजिये एक सरकारी सांड की तरह!.
पहले मैंने फुलवा को ही लिया चुदाई के लिए और उसको बिस्तर की तरफ ले जाने लगा, तब मैंने उससे पूछा- तेरा पति कैसे चोदता है तुझको?वो फिर उदास हो कर बोली- कहाँ छोटे मालिक, वो तो कभी कभी जब शराब के नशे में होता है तो एक आध बार चोद देता है वर्ना कई कई दिन मेरी तरफ देखता भी नहीं.नैना बोली- तुम कल मेरे पास आना हवेली में, मैं तुमको एक नुस्खा दूंगी, जिससे हो सकता है तेरा काम ठीक होने लगे!
और फिर फुलवा मुझ से बेतहाशा लिपट गई, मैं उसको लेकर बिस्तर में लेट गया और उसके मुम्मों को छोड़ कर सारे शरीर को चूमने लगा.तभी नैना ने छाया को भी बिस्तर में हमारे साथ लिटा दिया और एक तरफ से छाया मेरे साथ जुड़ गई और दूसरी तरफ फुलवा… और मैं उन दोनों की पुरानी यादों के साथ अपना दूसरा हनीमून मनाने लगा.
बारी बारी से पहले फुलवा के ऊपर चढ़ा और उसको बड़े आलखन से चोदने के बाद मैं छाया के ऊपर चढ़ गया और उन दोनों का 2-3 बार छुटाने के लिए मैंने उन दोनों को कभी घोड़ी बना कर चोदा और कभी खड़ा करके चोदा और कभी अपने ऊपर बिठा कर चोदा और उन को तभी छोड़ा जब दोनों ने कहा- बस करो छोटे मालिक, हमारा महीनों का काम आपने कर दिया.
उसके बाद मैंने उन दोनों को 100-100 रूपए का इनाम भी दिया जो उनको बहुत ही पसंद आया और दोनों ने बार बार मेरा शुक्रिया अदा किया.पुरानी यादों को ताज़ा करके मैं और नैना हवेली में वापस आये.

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08-18-2021, 11:54 AM,
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें

फिल्म कम्पनी की डांस डायरेक्टर की चूत चुदाई


अगले दिन पापा ने मुझको नाश्ते के टेबल पर बताया- बॉम्बे से फिल्म वाले आने वाले हैं और वो यहाँ गाँव में फिल्म की शूटिंग करने आ रहे हैं, उस फ़िल्म का फ़ाइनेंस भी हम कर रहे हैं.मैं एकदम से खुश हो गया और बड़े ही जोश में पूछने लगा- पापा कौन सी फिल्म की शूटिंग करेंगे वो यहाँ?पापा बोले- वो आज लंच से पहले आ रहे हैं सो यह सारी बात उन से ही पूछ लेना.
लंच से पहले ही दो बड़ी बड़ी कारें हमारी हवेली के अंदर आकर रुकी और मैंने और पापा ने फिल्म यूनिट का स्वागत किया और उनको बैठक में ले आए.आने वालों में एक तो अधेड़ उम्र वाले सज्जन थे और दो चालीस की उम्र वाले आदमी थे और साथ ही उन में दो बड़ी खूबसूरत औरतें भी थी.उनको देख कर मेरे मन में कोई ख़ास उत्सुकता तो नहीं उत्पन्न हुई और ना ही उन फ़िल्मी सुंदरियों को देख कर मेरे मन में कोई हलचल उत्पन्न हुई.
बातों बातों में पता चला कि ये दोनों औरतें फिल्म में होने वाले डांस का सीन नदी किनारे करेंगी.

फ़िल्म यूनिट को एक तो अपने स्टाफ़ के रहने की समस्या थी, दूसरे उनको फ़िल्मी डांस के लिए उपयुक्त स्थान को ढूंढना था.जो थोड़े बज़ुर्ग से दिखने वाले सज्जन थे, वो ही पापा से बात कर रहे थे.
नाश्ता पानी के बाद पापा उनको अपनी कार में गाँव घुमाने के लिए ले गए.अगले दिन यह तय हुआ कि फिल्म यूनिट कॉटेज में रहेगी और फिल्म कम्पनी कॉटेज और गाँव की भूमि का इस्तेमाल करेगी और उस का तयशुदा पैसा भी देगी ज़मींदार साहब को!उनको बावर्ची और बर्तन इत्यादि दिलवा दिए जाएंगे ताकि वो अपनी पसन्द का खाना खुद बनवा सकें.
पापा ने मुझसे कहा कि मैं उनको समस्त सुविधाएँ देने का जिम्मा अपने ऊपर ले लूँ.उनमें से जो एक हीरोइन जैसी सुंदर स्त्री थी मुझ को उसे रहने की जगाह दिखानी थी तो मैं उनकी बड़ी गाड़ी में उनको लेकर कॉटेज में गया और वहाँ की सारी सुविधाएँ उनको दिखा दी.कमरे तो केवल 5 ही थे लेकिन उनके साथ टॉयलेट बहुत काम के थे उनके लिये.उस मेनका ने अपना नाम मधु बताया था और देखने में वो खासी खूबसूरत लग रही थी और उसने बड़े ही फैशनेबुल कपड़े पहन रखे थ.
जब वो हमारी कॉटेज के मुख्य बैडरूम में पहुँचे तो वो कहने लगी कि वो थोड़ा आलखन करना चाहती है और उसको प्यास भी लगी है.मैं झट से उनके लिए कोकाकोला की बोतल खोल कर ले आया और उसको देख कर वो बेहद खुश हुई.
फिर उन्होंने मुझ से पूछा- तुम्हारा नाम क्या है?मैंने मुस्कराते हुए कहा- मेरा नाम सोमेश्वर है लेकिन सब मुझ को प्यार से सतीश बुलाते हैं और आप भी मुझको इसी नाम से बुला सकती हैं.
मधु बोली- क्या कॉलेज में पढ़ते हो तुम?मैं बोला- जी हाँ मैं लखनऊ में कॉलेज में फर्स्ट ईयर इंटर में पढ़ता हूँ और वहीं ही रहता हूँ.मधु बोली- अच्छा है! तुम जानते हो तुम काफी हैंडसम दिखते हो बिलकुल फिल्म के हीरो के माफिक.मैं बोला- थैंक्यू मधु आंटी लेकिन मेरी सूरत कोई ख़ास नहीं है ना!मधु बोली- मुझ को आंटी मत कहो ना प्लीज. तुम मुझको मधु के नाम से बुला सकते हो!
मैं बोला- आप इस फिल्म की हिरोइन हैं क्या?मधु बोली- नहीं रे, मैं तो सिर्फ फिल्म की डांस डायरेक्टर हूँ. कल जो लड़कियाँ डांस करने के लिए आ रही हैं मैं उनको डांस के स्टेप्स सिखाऊँगी और कैसे डांस करना है यह बताऊँगी. तुमको डांस करना आता है क्या?मैं बोला- नहीं मैडम जी, मैंने कभी डांस नहीं किया.मधु बोली- अरे सतीश, कुछ भी मुश्किल नहीं है, मैं सिखा दूंगी तुमको, इधर आओ मैं तुमको बताती हूँ कुछ स्टेप्स.
मधु मैडम ने मेरा हाथ अपने हाथ में पकड़ा और दूसरा हाथ मेरी कमर में डाला और मुझको कमरे में गोल गोल घुमाने लगी और इसी चक्कर में मेरा हाथ दो तीन बार उसके गोल उभरे हुए स्तनों पर जा लगा और दो तीन बार उसका भी हाथ मेरे लंड पर लग था.
मैडम की हाइट होगी 5.6 फ़ीट थी और मेरी हाइट जो 5 .11 फ़ीट से बड़ी मैच कर रही थी.हम दोनों थोड़ी देर हाथों में हाथ डाले कमरे के चारों तरफ चक्कर काटते रहे और मैंने मौका देख कर उसके गोल चूतड़ों पर भी दो बार हाथ लगा दिया.फिर चक्कर लगाते हुए मैडम का पैर मेरे पैरों से उलझा और वो गिरने लगी तो मैंने उसको अपनी बाहों में संभाल लिया और उस को अपनी छाती से लगा लिया.
कुछ समय वो मेरी छाती से ही चिपकी रही और मैं भी उसके सुडोल मुम्मों का आनन्द लूटता रहा, फिर वो मुझसे अलग हुई और उसने अपने होटों को मेरे होटों पर रख कर एक हलकी सी चुम्मी कर दी.मैं भी नैना का सिखाया हुआ शिष्य था, झट से मैंने उसको अपनी बाँहों में भींच लिया और उसके गर्म लबों पर कई चुम्मियाँ कर दीं.
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08-18-2021, 11:54 AM,
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
इस जफ्फी के दौरान मेरा खड़ा लौड़ा उसकी साड़ी के बाहर से उसकी चूत पर लग रहा था और तभी मैंने महसूस किया कि उसका एक हाथ मेरे लंड के साथ पैंट के ऊपर से खेल रहा था.उसने मेरी तरफ देखा एक भेद भरी नज़र से और मैंने भी उसको एक हल्की सी आँख मार दी.
अब मैंने उसको अपनी बाहों में लेकर बहुत ज़ोर से जफ्फी डाल दी और फिर उसकी साड़ी को उतारने के लिए हाथ आगे बढ़ाया तब वो बोली- अरे कमरे के दरवाजे को तो बंद कर लो ना प्लीज.
मैंने कहा- मैडम जी, फ़िक्र ना करें, बाहर चौकीदार है ना… वो किसी को अंदर नहीं आने देगा.फिर भी मैडम की तसल्ली के लिए मैंने कमरे को बंद करके कुण्डी लगा दी और अब मैंने मैडम की साड़ी की तरफ हाथ बढ़ाया.मैडम स्वयं ही अपनी साड़ी उतारने लगी और मैं एक फैशनेबुल लेडी को कपड़े उतारने का जलवा देखने लगा.
मैडम सच में फ़िल्मी स्टाइल में अपनी साड़ी उतारने लगी, थोड़ी सी साड़ी खोली और फिर एक चक्कर कमरे का और मेरे इर्दगिर्द लगाया और फिर उसने सारी साड़ी उतार दी और उसी कलर का सिल्क का पेटीकोट सामने आ गया जो बेहद सेक्सी लग रहा था.फिर उसका एक हाथ अपने ब्लाउज की तरफ बढ़ा और उसने मुझको आँख से इशारा किया मैं भी अपने कपड़े उतारने शुरू करूँ.
मैडम का ब्लाउज़ और मेरी कमीज एक साथ उतरे और फिर उसने अपनी रेशमी ब्रा के हुक्स को खोलने के लिए हाथ बढ़ाया तो मैंने अपनी बनियान उतार दी और जैसे ही मेरी छाती नंगी हुई वैसे ही मैडम की ब्रा खुल कर नीचे गिरी और उसके मुम्मे उछल कर बाहर आ गए.
अब मैडम ने अपने सिल्क के चमकते हुए पेटीकोट में हाथ डाला और मैंने अपनी पैंट के बटन खोलना शुरू कर दिया.उसने पेटीकोट को धीरे धीरे अपनी कमर से खिसकाना शुरू किया और मैंने उसके साथ साथ ही अपनी पैंट नीचे खिसकानी शुरू कर दिया..
जैसे ही उसका पेटीकोट नीचे गिरा वैसे ही मेरी पैंट नीचे गिरी और उसने मेरे अंडरवियर के नीचे बने टैंट को देखा और कहने लगी- उफ़्फ़ सतीश, क्या चीज़ है यह!और मैंने देखा कि उसने भी सिल्क की पैंटी पहन रखी थी.अब मैंने कहा- आप मेरा अंडरवियर उतारो और मैं आपकी पैंटी उतारता हूँ, क्यों ठीक है ना?मैडम बोली- ठीक है, आओ मेरे पास!
मैं मैडम के पास गया और पहले उसकी पैंटी उतार दी और फिर मैं मैडम के सामने खड़ा हो गया और वो मेर अंडरवियर उतारने लगी और जैसे ही उसने अंडरवियर को नीचे खींचा, मेरा नाग नुमा लंड उछल कर मैडम की तरफ लपका लेकिन मैडम भी चतुर थी सो उस ने झट अपना चेहरा पीछे कर लिया.
यह देख कर मैडम बहुत ज़ोर से हंस पड़ी और कहने लगी- सतीश लाल मैं तुम्हारी चाल समझ गई थी जब मैंने तुम्हारे टेंट का साइज देखा तो यह बात साफ़ हो गई थी कि तुम एक नागपाल हो और यह मैंने गेस कर लिया था.मैं थोड़ा शर्मिंदा हुआ और थोड़ा हिचकते हुए बोला- यह बात नहीं है मैडम जी, लेकिन क्या करूँ जब कोई बेध्यानी से नाग का ढक्कन खोलता है तो उसको उसका परिणाम तो भुगतना पड़ता है न!
अब मैडम खड़ी हुई तो यह देख कर मैं हैरान रह गया कि उसकी चूत पर काले बालों की लटें छाई हुई थी जबकि मुझको उम्मीद थी कि वो भी सफाचट चूत वाली होगी क्योंकि वो इतनी फैशनेबुल औरत है.मैंने उससे पूछ ही लिया तो उसने जवाब में कहा- मेरे पति को सफाचट पुसी नहीं अच्छी लगती क्यूंकि वो मानते हैं सफाचट पुसी रखने वाली औरतें और लड़कियाँ सिर्फ रंडियों के समान होती हैं.
मैं वहीं बैठ गया और उसकी चूत में मुंह डाल कर उसकी चूत को चूसने लगा, धीरे धीरे जीभ को उसकी भग पर रख कर हल्के हल्के चूसने लगा और यह मैडम को इतना पसंद आया कि वो मुझको उठा कर बेड पर ले गई और मैं वहाँ लेट कर उसके मुम्मों को बड़ी ही बेसब्री से चूसने लगा.फिर उसने मेरे लौड़े को खींचना शुरू कर दिया और तब मैंने उसकी टांगें चौड़ी कर उसके ऊपर से लंड लाल को लटों से भरी चूत के मुंह पर रख दिया और उसकी एकदम गीली चूत के अंदर धकेल दिया.उसकी चूत और उसके पेट पर झुरियाँ ना होने से मैं समझ गया कि वो अभी तक माँ नहीं बनी थी और लंड उसकी बहुत ही टाइट चूत में एकदम से दूर तक चला गया.
अब मैं मैडम के अंदर से पूरा लंड निकाल कर फिर पूरा का पूरा अंदर डाल कर चोदने लगा और हर बार मैडम अपनी कमर उठा कर लंड का स्वागत करती थी और फिर हम दोनों एक दूसरे को खूब एन्जॉय करते हुए चोदने लगे.जीवन में पहली बार एक बहुत ही फैशनेबुल औरत को चोदने का मौका मिला था तो मैं पूरी कोशिश में था कि मैडम को किसी नए ढंग से चोदूं लेकिन मुझको समझ नहीं आ रहा था कि वो नया ढंग क्या हो सकता है.
मैं अब मैडम को निहायत ही कामातुर हुआ चोद रहा था, कभी उसके गोल मुम्मों को चूसता था और कभी उसके चूतड़ों के नीचे हाथ रख कर धक्के मार रहा था.थोड़ी देर में मधु मैडम झड़ने के करीब पहुँच गई थी, उसकी आँखें मुंदी हुई थी, होंट खुले हुए थे, सांसें तेज़ चल रही थी और मैं पूरे जोश और खरोश से लंड के धक्के मार रहा था.
और फिर मेरे लंड ने महसूस किया कि उसकी चूत में सिकुड़न आरम्भ हो गई और उसकी चूत में से हल्की सी जलधारा बहनी शुरू हो गयी थी.अब मैंने मैडम की टांगों को हवा में कर दिया, सरपट धक्कों की स्पीड चला दी और कुछ ही क्षणों में मैडम ने मुझको अपनी टांगों में बाँध लिया, उसकी कमर ज़ोर ज़ोर से कांपने लगी और मैडम ने मुझको कस कर अपनी छाती से बाँध लिया.थोड़ी देर हम दोनों एकदम से शांत हुए एक दूसरे से जुड़े हुए पड़े रहे और फिर मैडम अपनी टांगें सीधी करने लगी और मैं एक गहन चुम्बन मैडम के लबों पर देकर बेड पर लेट गया.

कहानी जारी रहेगी.

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08-18-2021, 11:54 AM,
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें

फिल्म डांस डायरेक्टर ने मुझे चोदा


थोड़ी देर में मधु मैडम झड़ने के करीब पहुँच गई थी, उसकी आँखें मुंदी हुई थी, होंट खुले हुए थे, सांसें तेज़ चल रही थी और मैं पूरे जोश और खरोश से लंड के धक्के मार रहा था.
और फिर मेरे लंड ने महसूस किया कि उसकी चूत में सिकुड़न आरम्भ हो गई और उसकी चूत में से हल्की सी जलधारा बहनी शुरू हो गयी थी.अब मैंने मैडम की टांगों को हवा में कर दिया, सरपट धक्कों की स्पीड चला दी और कुछ ही क्षणों में मैडम ने मुझको अपनी टांगों में बाँध लिया, उसकी कमर ज़ोर ज़ोर से कांपने लगी और मैडम ने मुझको कस कर अपनी छाती से बाँध लिया.थोड़ी देर हम दोनों एकदम से शांत हुए एक दूसरे से जुड़े हुए पड़े रहे और फिर मैडम अपनी टांगें सीधी करने लगी और मैं एक गहन चुम्बन मैडम के लबों पर देकर बेड पर लेट गया.
काफी देर हम ऐसे ही पड़े रहे, फिर मैडम ने आँखें खोली और मुझको देख कर कहा- सतीश यार, तुम तो गज़ब के फकर हो. तुमने मुझ को आज बड़ी ही अच्छी तरह से फ़क किया है और ऐसे फक किया जैसे कि बहुत ही ज़्यादा तुम को इस काम का अनुभव हो. कहाँ से सीखा यह सब?मैं काफी शरमाया और चुप रहा.
मैं नंगा ही उठा और किचन से कोका कोला की बोतलें उठ लाया और मैडम को एक खोल कर दी और दूसरी स्वयं पीने लग गया.खाने के लिए कुछ बिस्कुट पड़े थे, वो मैंने मैडम को खाने के लिए दिए लेकिन मैंने देखा कि मैडम की नज़र मेरे लंड पर टिकी हुई थी.
मैंने पूछा- क्या देख रही हो मेरे लंड में?मैडम बोली- तेरा यह अभी भी खड़ा है क्या?मैं बोला- मैडम जी, यह तब तक खड़ा रहता है जब तक मेरे सामने वाली औरत या फिर लड़की मेरे सामने से चली नहीं जाती और जहाँ यह नंगी औरत को देखता है यह अपना सर उठा लेता है और नीचे नहीं झुकाता जब तक वो कपड़े नहीं पहन लेती या फिर चली नहीं जाती.

मधु मैडम बोली- वाह सतीश राजा, तुम्हारा यह लंड दर्जनों औरतों को चोदने की क्षमता रखता है क्या?मैं बोला- दर्जनों को तो कभी नहीं एक साथ चोदा लेकिन मैंने अभी तक 5-6 औरतों को एक के बाद एक को चोदा है और मेरा लौड़ा उस के बाद भी खड़ा था.मधु मैडम बोली- यह कैसे पॉसिबल है सतीश? तुम गप्प मार रहे हो या फिर लम्बी हाँक रहे हो या फिर बम्बईया भाषा में बहुत फ़ेंक रहे हो?मैं बोला- अपने मुंह अपनी तारीफ़ क्या करूँ, आप कभी आज़मा कर देख लेना.मैडम बोली- चलो आ जाओ, अभी फिर आज़मा लेते हैं.मैं मुस्कराया और बोला- जितना चाहे आज़मा लो मैडम जी!
और मैं अब फिर मैडम के पास चला गया और उनके साथ पलंग पर लेट गया. मेरा लंड तब भी हवा में लहलहा रहा था और मैडम उस को हाथ में पकड़ कर उस के साथ खेल रही थी.मैं बोला- अब बोलिए कैसे चुदवाना पसंद करेंगी आप?मैडम बोली- मैं अब तुमको ऊपर से फ़क करती हूँ… क्यों ठीक है ना?मैं बोला- मैडम आप जैसे चाहे फक कर लीजिये, बंदा तो तैयार है आपके लिए!
अब मैडम मेरे ऊपर बैठ गई अपनी दोनों टांगों को मेरी दोनों साइड में रख कर, फिर उसने अपने हाथ से मेरे खड़े लौड़े को अपनी चूत में डाला और पूरा डाल कर वो बड़े मज़े से धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी.मैं नीचे से मैडम के उरोजों के साथ खेल रहा था और उसके मोटे चूतड़ों को लगातार एक हाथ से मसल रहा था, वो काफी मोटे उभरे हुए और गोल शेप में थे.
थोड़ी देर में मैडम की चूत में से सफ़ेद क्रीम की तरह रस निकलने लगा और वो मेरे लौड़े के ऊपर से बहता हुआ मेरे पेट पर जमा होने लगा.मैडम अब पूरे जोश के साथ मुझको चोदने में लगी हुई थी और उसके धक्कों की गति भी तेज़ होती जा रही थी.मैडम की आँखें बंद थी और मुंह खुला हुआ था और उसके दोनों हाथ मेरी सफाचट चौड़ी छाती पर पड़े हुए थे और वो ऊपर से धक्के पर धक्के मारने में पूरी तरह से संलग्न थी..
थोड़ी देर में ही मैडम की उछल कूद और तेज़ हो गई और अब मैं भी नीचे से उसकी चूत में अपने लंड को पेल रहा था. मैंने एक ऊँगली से उसकी भग को भी मसलना शुरू कर दिया और इस दोहरे हमले के सामने मैडम की चूत बिलबिलाती हुई परास्त हो गई और मैडम मेरी छाती पर पूरी तरह से पसर गई.मैडम की चूत में सुकड़न हो रही थी और उसकी चूत से बहते हुए क्रीमी रस से मेरा पेट भर गया था.

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