XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
02-27-2021, 12:59 PM,
#61
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अपडेट 65

फिर वो टीना की टांगों के बीच से बाहर निकली और उसकी चूत की फांकों को फैलाते हुए बोली- लो अब चाटो!
पायल के आदेश का पालन करते हुए मैंने टीना की चूत को चाटना शुरू किया, जैसे ही मैंने अपनी जीभ टीना की चूत में फिराई, मुझे कसैला सा स्वाद लगा, मैंने अपने मुंह को पौंछा और दुबार जीभ फिराई, करीब तीन-चार बार ऐसा ही करता रहा और फिर जब वो कसैला स्वाद मेरी जीभ में बैठ गया तो मुझे उसकी चूत चाटने में मजा आने लगा.मैं उसकी चूत चाटता और अपना सिर उठाता, ऐसा करते समय मेरी नजर टीना की लपलपाती हुई गांड के छेद पर पड़ी जो खुल बन्द हो रही थी, मेरी जीभ ने उस छेद के द्वार पर दस्तक दे दी और इधर उधर टहलने लगी.
मेरे ऐसा करने से टीना अपने हाथ से अपनी गांड को और फैला दी ताकि मेरी जीभ उस छेद में अच्छे से घूम सके.
उसके बाद टीना पायल को बोली- ऐ बहन की लौड़ी, अब घूम, मुझे तेरी गांड भी चाटनी है.‘गांड?’ पायल बोली.‘हाँ बहन की लौड़ी, सुन नहीं पाती है, क्या, चल घूम जा और अपने हाथों से अपनी गांड फैला ताकि मैं अच्छे से चाट सकूं.’
मजा तो दोनों को मिल रहा था, पर मैं अपने लंड की सेवा खुद ही कर रहा था. टीना की चूत और गांड काफी गीली हो चुकी थी. मैं भी बीच-बीच में अपने थूक से अपने लंड को गीला कर रहा था.मेरा लंड तन कर तम्बू हो चुका था, मैं खड़ा हुआ और टीना की चूत को लंड से सहलाने लगा.
कुछ देर ऐसे ही चलता रहा. अपनी चूत पर लंड की गर्माहट पाकर टीना अपनी चूत की फांकों को और फैलाने लगी और चूत को लंड की तरफ पुश करने लगी, थोड़ा जोर मैंने लगाया, दो तीन बार लंड फिसलकर जगह से हट गया, लेकिन अगली बार प्रयास करने से मेरा सुपारा उसकी चूत की गुफा में फंस गया था.टीना के मुंह से ‘आह…’ निकला, मुझे ऐसा लगा कि मेरा लंड किसी बहुत ही गर्म जगह पर जाकर फंस गया है, मेरे हाथ-पाँव काम्प रहे थे, मुझे लगा कि कोई चीज मेरे अन्दर से बाहर आना चाहती है.उसके मुंह से बस वो हल्की सी आह निकली, टीना ने मेरी तरफ देखा और फिर वो पायल के मम्मों को पीने लगी.
इधर मैं अपने फंसे हुए सुपारे को चूत के और अन्दर डालने की कोशिश कर रहा था, पर मुझे ऐसा लगा कि मेरे लंड के खाल को कोई चाकू लेकर छील रहा है. तीव्र जलन और दर्द का अहसास हो रहा था, मैंने लंड को बाहर निकाल लिया.लंड बाहर आते ही मुझे सकून सा लगा.
तभी टीना घूमी और मुझसे बोली- क्या हुआ?मैंने कहा- कुछ नहीं!‘तो फिर बाहर क्यों निकाल लिया?’‘थोड़ा जलन होने लगी थी.’‘कोई बात नहीं!’ कहकर वो मेरा लंड चूसने के लिये घुटने के बल बैठ गई और लंड को मुंह में ले लिया.
पायल भी टीना के बगल में बैठ गई और दोनों बारी-बारी से मेरे लंड को चूसने लगी. दोनों अपनी जीभ से मेरे सुपारे को ऐसे चाट रही थी जैसे आईसक्रीम चाट रही हों!अब मेरे लंड की जलन और दर्द दोनों कम होने के साथ-साथ खत्म भी हो गया.
उसके बाद टीना बिस्तर पर लेट गई, मैं उसकी जाँघों के बीच आ गया और पायल बेड पर चढ़ गई और टीना के मुंह में बैठ गई, टीना की जीभ निकली और वो उसकी चूत को चाटने लगी, इधर मैंने भी एक बार हिम्मत की और लंड को टीना की चूत को लंड से सहलाने लगा और ऐसा करते हुए एक बार फिर सुपारा चूत में जाकर फंस गया.
मैंने इस बार थोड़ा पुश किया तो टीना चीख पड़ी.इससे पहले की उसकी आगाज बाहर जाती, पायल उसके मुंह में पूरी तरह बैठ गई, इससे उसकी आवाज गले में फंस कर रह गई, मुझे समझ में नहीं आया. टीना के चीखने के कारण मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई और इस कारण एक जोर का धक्का और लग गया.इस बार टीना की चीख तो नहीं निकली लेकिन उसने पायल को धक्का देकर एक किनारे कर दिया और मुझसे बोली- मादरचोद मेरी बुर में अपना लंड डाल रहा है कि चक्कू से मेरी चूत को काट रहा है.तभी पायल बोली- क्या कह रही हो, चक्कू कहाँ है? टीना; लगता है तेरी सील फट गई है, इतनी कहानी पढ़ती हो और ब्लू फिल्म देखती हो, फिर भी समझ नहीं पाई.चूंकि कहानी मैं भी पढ़ता था, तो मैं झट से टीना के मम्मों को बारी-बारी से चूसने लगा. पायल भी टीना के बगल में लेट गई और मुझसे उसके भी मम्मे पीने को कहने लगी.अब मेरे पास चार-चार मम्मे थे और मैं सभी को बारी-बारी पी भी रहा था और उन्हें मसल भी रहा था.
अचानक मुझे अहसास हुआ कि मुझे नीचे से धक्का दिया जा रहा है, मैंने पलट कर देखा तो पाया कि टीना अपनी कमर उठा-उठा कर मेरे लंड को अपने अंदर लेने की कोशिश कर रही है.मैं सीधा हो गया और धीरे-धीरे टीना की चूत में धक्के मारने लगा. मेरा लंड अब चूत के अन्दर आसानी से अन्दर बाहर आ जा रहा था.

कहानी जारी रहेगी


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#62
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तभी पायल उठी और टीना की नाभि को चूमते हुए उसकी चूत के ऊपर अपनी जीभ चलाने लगी और टीना का हाथ पायल की चूत और गांड को सहला भी रहा था और गोद भी रहा था.तभी पायल मेरी तरफ देखते हुए बोली- मेरी चूत भी तुम्हारे लंड का इंतजार कर रही है!
मैंने एक बात जो नोटिस की थी कि जहाँ टीना बिना गाली के कोई बात नहीं करती थी, वही पायल गाली के प्रयोग करने से बचती थी.
इतना कहने के साथ पायल सीधी होकर लेट गई और अपनी टांगों को मोड़ते हुए उसको फैला दी. इसी बीच टीना बोली- रेशु, बहुत मजा आ रहा है, मेरे अन्दर से कुछ निकलने को बेताब है; इतना कहने के साथ ही वो अपनी कमर और जोर-जोर से चलाने लगी और साथ ही ‘मादरचोद निकला आ… जल्दी निकल तेरी माँ की…’फिर अचानक वो सुस्त हो गई अब टीना में कोई उत्तेजना नहीं बची थी, मैंने भी अपना लंड बाहर निकाला, वो अभी भी तना हुआ था, लंड में खून लगा हुआ था.मेरी नजर टीना की चूत पर पड़ी, सफेद सा लिपलिसा उसका माल निकल रहा था और उसी के साथ खून भी आ रहा था.
पायल अभी भी अपनी टांगों को फैलाये हुए थी और चूत को सहला रही थी और साथ ही अपनी उंगली को मुंह में भरती और गीली करके फिर अपनी चूत सहलाती.मैंने अपने अधर उसकी नंगी चूत पर रख दिए.उम्म्ह… अहह… हय… याह… करके वो गनगना सी गई थी, फिर उसने मेरे सिर को सहलना चालू कर दिया.
इधर टीना अभी भी अपनी आंखें बन्द किये हुए पड़ी थी और अपनी चूत को सहला रही थी.इस बीच मैंने अच्छे से पायल की चूत गीला किया, फिर पायल के ऊपर लेट गया और अपने लंड से उसकी चूत में लंड डालने की जगह को बनाने लगा.
पायल ने नीचे से अपना हाथ डालकर मेरे लंड को पकड़ लिया और अपनी चूत के मुहाने में सेट करती हुई अपनी कमर को उठाने लगी, मैंने हल्का सा जोर लगाया और सुपारे ने एक बार फिर अपना काम किया और जाकर पायल की चूत में फंस गया.दर्द और जलन हो तो रही थी लेकिन इस बार मैंने लंड बाहर नहीं निकाला और पायल की चूत के अन्दर डालता चला गया, हालाँकि पायल की चूत भी टीना की चूत की तरह धधक रही थी, जिससे मुझे मेरे लंड के पिघलने का अहसास सा होने लगा था.
इधर पायल अपने दाँत भींचे हुई थी, और दर्द को बर्दाश्त कर रही थी.मेरे धक्के के दबाव के कारण लंड चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया. मैं पायल के ऊपर लेट गया और उसके मम्मे को पीने लगा.
अभी भी टीना अपनी आंखों को बन्द किये हुए थी और चूत को सहला रही थी, मैंने टीना के निप्पल पर चुकोटी काट ली, वो झट में मेरे हाथ में चपत मारते हुए बोली- पायल को चोद, अभी मुझे मत छू, मेरी चूत में खूब जलन हो रही है.पायल ने मेरे दोनों गालों को अपनी हथेलियों के बीच लिया और मेरे होंठ पीने लगी और साथ ही अपनी कमर उचकाते हुए बोली- रेशु, तुम्हारे लिये मैं पूरा दर्द बर्दाश्त कर लूंगी, आओ अब मेरी भी खुजली मिटा दो.
उसका इतना कहना ही था, मैं जल्दी से उठा और लंड को उसकी चूत से बाहर निकाला और फिर जोर का धक्का लगाते हुए लंड को पायल की चूत में पेल दिया.वो ‘ऑक्…’ करके रह गई और मुस्कुराते हुए बोली- मजा आ गया.मुझे भी अब लगने लगा कि मेरा लंड से भी कुछ बाहर आने वाला है, इस चक्कर में पायल को जोर-जोर से चोदने लगा, पायल भी आह-ओह करती जा रही थी, हम दोनों के शोर से टीना की आँखें खुल गई और वो हम दोनों की चुदाई देखने लगी.
कुछ देर के बाद मेरे लंड से कुछ बाहर आने लगा, चूंकि सेक्सी कहानी पढ़ता था तो समझ गया कि मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया है, उसके बाद भी मैं धक्का लगाता रहा. मुश्किल से 10-15 धक्के और लगाए होंगे कि पायल ने मेरी कमर को अपने पैरों से जकड़ लिया और बोली- मेरा भी पानी निकल रहा है.
हम दोनों साथ ही झड़ चुके थे. मैं औंधे मुंह पायल के ऊपर गिर पड़ा.काफी देर बाद मैं पायल से अलग हुआ तो मुझे अहसास हुआ कि मेरा लंड चिपचिपा रहा है, मैं उठ बैठा और अपने लंड को देखा तो खून पहले से और भी गाढ़ा हो गया था. दो चूत एक साथ चुद चुकी थी और गवाही के रूप में दोनों चूतों का खून मेरे लंड पर लगा था.
पायल और टीना दोनों उठी और सामने बाथरूम में जाकर मूतने लगी और मैं बाहर से उनको मूतते हुए देखता रहा.उसके बाद दोनों ने चादर उठाई और बाथ टब में डाल कर धोने लगी और पायल बाहर आकर बिस्तर को सही करने लगी और उसके बाद अपने कपड़े पहनने लगी, उसको कपड़ा पहनते देखकर टीना ने पूछा तो पायल घर जाने की बात करने लगी.टीना ने मजे लेने के लिये उस रात को साथ में ही रूकने के लिये बोला, पर पायल ने मना कर दिया.इस पर टीना बोली कि उसकी एक बार और लंड को चूत में लेने की इच्छा हो रही है और वो चाहती है कि इस बार भी पायल साथ रहे.
अब मुझे भी आपत्ति नहीं थी पर पायल के कहने पर टीना ने गाउन पहना और नीचे जाकर कुछ मुआयना किया और आकर बोली- सभी लोग सोये हुए हैं.मैं खड़ा उनकी बातें सुनता रहा, दोनों ने आपस में इशारा किया

और मुझे धक्का देकर पलंग पर लेटा दिया और बारी-बारी से मेरे लंड को चूसने लगी. जब एक मेरा लंड चूसती तो दूसरी मेरे मुंह में बैठ जाती और अपनी चूत मुझसे चुसवाती!उनके थोड़े से प्रयास से ही मेरा लंड तनकर एक बार फिर टाईट हो गया था.
लंड टाईट होने के बाद दोनों बिस्तर पर लेट गई और अपनी टांगें फैला दी, मैं बारी-बारी से दोनों की टांगों के बीच जाता और उनकी चूत को अपने लंड से पेलता जाता, इस बार टीना और पायल दोनों ही कुतिया पोजिशन में होकर चुदवाई और काफी देर तक मेरे लंड से खेलती रही.इस बार जब मैं अपनी आखरी पोजिशन में पहुंचा तो दोनों मेरे लंड के नीचे आकर अपना मुंह खोल दी और मेरे लंड से निकलने वाले माल को बारी-बारी से लेकर पीने लगी.
इस तरह से मुझे एक ही दिन में दो कुंवारी वर्जिन लड़कियों की चूत चोदने को मिली.
हाँ एक बात और, स्कूल में हम तीनों की केमेस्ट्री इतनी अच्छी हो गई थी कि जब भी मुझे उनको मूतते हुए स्कूल में देखना होता तो सबकी नजर बचाकर मेरे सामने मूतती और मैं उनके सामने, लेकिन ये बातें हमेशा छुट्टी के बाद होती ताकि किसी को पता न चले.लेकिन टीना कुछ थोड़ा सा ज्यादा एडवांस थी, जब भी उसको घर में मौका लगता तो वो मेरे कमरे में आ जाती और मुझे बाथरूम में खींचकर ले जाती और मेरे लंड पर वो मूतती और मैं उसकी चूत में मूतता.यह खेल पूरे साल तक चलता रहा अगले साल उसके पिताजी का ट्रांसफर हो गया वह पुणे चली गई 12thको मैं अहमदाबाद चाची के पास आगया

कहानी जारी रहेगी
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02-27-2021, 12:59 PM,
#63
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अपडेट 67

सूबह १० बाजे के निकले वो ५ घंटे के बाद लौट. मैंने सोचा था की चाचा चाची को उतार के क्लिनिक चले जायेंगे पर वो घर में आये और चाची किचन में काम करने लगी. चचा ने बताया की आज उनके जाने का मूड नहीं हे, में थोड़ा सा निराश हो गया की आज का दिन सच में वेष्ट हो जायेगा और मेरा इतना सोचना ही था की चाचा को कॉल आ गया की इमरजेंसी आई हे और उन्हें जाना पडेगा. मैं खुश हो गया और चाची के बिहेवियर से भी लग रहा था की वो भी खुश हे चाचा के जाने से. फिर आधे घंटे में चाचा लंच निपटा के चले गए चाचा के साथ हम सब ने भी खाना खा लिया. लंच के दौरान में चाची को देख रहा था और दो तीन बार चाची को चोर नज़र से मुझे देखते हुए पकड़ा भी.
मै उठ के बाहर चाचा के साथ बैठा पर चाचा जल्दी में थे, तो वो निकल गए और में वही बैठा रहा. चाची किचन में काम निपटा रही थी, जैसे ही चाची का काम निपटा तो वो बाहर आई पर वो जैसे ही मेरे साथ आ के बैठी तो में उठ के अपने रूम की और चलपडा मैं अपने रूम में जा के बेड पे आराम से पैर लम्बा कर के बैठा और चाची भी मेरे पीछे पीछे मेरे रूम में आयी, जो की पता था चाची मेरे साथ में मेरे पास में पैर लम्बा कर के बैठ गयी और मेरी और देखने लगी, थोड़ी सी शरारती लग रही थी चाची के बिहेवियर मे. चाची ने मेरे और खिसकते हुए कहा
.क्या बात हे रेशु, कुछ बोल क्यों नहीं रहा...? जैसे कुछ पता ही न हो वैसे पूछ रही थी.
मै भी चाहता था की वो मनाये तो में भी झूठा गुस्सा बनता रहा. मैंने चाची की बात पे ग़ुस्से में चाची की और देख. चाची ने मस्त नॉटी स्माइल दी तो मैंने फिर से मुँह स्ट्रैट कर लिया कहीं चाची की स्माइल देख के मेरा गुस्सा न उतार जाए.
लगता हे किसी बात पे गुस्सा हो...
चाची बन क्यों रही हो..आप ग़ुस्से होने वाला काम भी करे और कोई गुस्सा भी न करे ऐसा कैसे हो सकता हे...? मैंने साफ़ साफ़ कहा.
क्यों क्या हुआ...?
चाचा से क्यों कहा की में मंदिर नहीं आने चाहता.?
“एक बात सच बताऊं रेशु, अब तो पता ही नहीं चलता की तुमसे कौनसी बात करू और कौनसी नही, तुम्हारे साथ रहने का मन करता हे और जब अकेली होती हूँ तो ऐसा लगता हे की में तुम्हारे साथ कोई गलती तो नहीं कर रही”... चाची अब तक डीसाइड नहीं कर पा रही की क्या करे और क्या ना करे. मेरा सारा गुस्सा उतर गया चाची की बात सुन के
“चाची आपको में कुछ एडवाइस तो नहीं कर सकता और आप हे भी मुझसे समझदार पर एक बात हे की आप को जो अच्छा और सही लगे वही करो”.. मैं चाची की और देख रहा था और चाची मेरी और लेकिन फिर मैंने अपना मुँह फिर से नाटक करते हुए फेरते कहा की “लेकिन सुबह जो कहा उसमे आपकी गलती थी”. चाची भी नॉटी मूड में थी तो चाची ने अपने लेफ्ट हैंड से मेरी चिन को पकड़ा और मेरी और आते हुए अपने मस्त रेड लिप्स से मेरे गाल पे किस किया पर चाची ने जानबूझ के एकदम मेरे लिप्स के ठीक पास में किस किया और कहा “सॉरी”. मैंने चाची की और देखा और कह्
“मैं आपसे नराज़ होता तो कहीं और किस करके सॉरी कहता”... और मैंने कहते टाइम चाची के लिप्स को देखा और चाची भी समझ गयी और हँसते हुए फिर से ठीक से बैठ गयी और मेरी और चेहरा घुमा के कहा की
“पता हे, पर में नहीं कहूँगी”.
“अच्छा हे तो फिर कभी मुझे मानाने का एक मौका तो दो”.
ओर मेरे कहते ही हम दोनों हंस पड़े फिर मैंने फट से टॉपिक चेंज किया की कहीं चाची फिर निकल न ले
“चाची एक बात कहूं..आज आप इस साड़ी में बहुत सेक्सी लग रहे हो”...
“पता हे, कबसे तुम मुझे घूरे जा रहे हो..ये मेरी फेवरिट साड़ी में से एक हे, क्यूँकि इसका चॉकलेट कलर अच्छा हे.. चाची ने जैसे चॉकलेट का नाम लिया की में झट से अपने रंग में आ गया और
“वैसे चाची चॉकलेट आपको बड़ी पसंद हो तो एक बेहद मस्त चॉकलेट मेरे पास भी हे”.. मैंने सोच समझ के डबल मीनिंग डायलॉग मारा था चाची ने जैसे ही संमझा की मैंने डबल मीनिंग में उनसे कहा हे तो वो जैसे आधी लेटि थी की एक दम से उठ बैठ गयी और कहा
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02-27-2021, 12:59 PM,
#64
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अपडेट 68

“बच्चू बड़े रंग में उड़ रहे हो..कल डबल पॉइंट में बात कर रहे थे आज डबल मीनिंग में. चाची किसी भी एंगल से नाराज़ नहीं लग रही थी तो मैंने फिर कहा”
“चाची मेरी चॉकलेट का तो पॉइंट भी अच्छा हे, क्रीम भी बड़ा अच्छा छोड़ता हे”.. अब चाची ने मज़ाक़ में अपना तकिया उठा लिया और मुझे मारने लगी तो में बचने लगा और वो मुझे मारने लगी तो मैंने एक दम से चाची को उठा के पकड़ लिया और सट से अपने ऊपर ले लिया. कुछ पल के लिए सब जैसे रुक गया हो, लेकिन फिर चाची मेरे ऊपर से हट के मेरे पास में ही लेट गयी. हम दोनों के मुँह ऊपर की और थे
“चाची कहीं आप इस बात पे फिर से तो नाराज़ नहीं होंगीं ना”.
“नही..अब तुमसे नाराज़ होने का दिल नहीं करता”. चाची ने अब सच कहा था और इससे मुझे और उन्हें भी रिलीफ मीली.
लेकिन बस तुरंत ही चाची ने कहा
“नहीं रेशु..तुमने गलत किया, ऐसा नहीं बोलना चाहिए था तुम्हे” में सच में हैरान हो गयी हूँ अब.. दो पल के लिए में सोच में पड़ गया, कुछ समझ में नहीं आया में लेट के बैठ गया और चाची की और देखने लगा, चाची मेरी और देख रही थी और मुस्कुरा रही थी, मतलब तो क्लीन था की वो हर्ट तो नहीं थी पर क्या कहना चाहती थी..तभी एक स्पार्क हुआ और दिमाग में आया तो में सट से चाची के ऊपर आ गया. अब चाची का फेस मेरे सामने था मैं चाची के ऊपर ठीक चढ़ गया और चाची के पाँव से पाँव भी जुड़ा लिये. चाची मेरे सामने देख रही थी और में भी चाची की और.
“डबल मीनिंग बोलने में टाइम नहीं लगाते पर कोई कहे तो बड़ी देर लगाते हो सोचने में”.
“क्या करू चाची ये सोच के बाहर था की आप ऐसा कहेंगी”..जब आप हर्ट हो गयी हे तो सॉरी तो बोलना ही पडेगा”. . मैंने चाची के सर से ले के गले तक ऊँगली घुमायी और फ़ीर दोनों हाथों से चेहरे से बाल हटा दिए और दोनों हाथों में चाची के गाल ले लिए और दोनों हाथों के अँगूठे से लिप्स पे हल्का सा प्रेशर देणे लगा.ओर अँगूठा लिप्स पे घुमाने भी लगा.
“प्लीज जल्दी सॉरी बोलो ना कितनी देर लगाते हो”.
“अरे चाची पहली बार हे, ठीक से नहीं कहुंगा तो आप फिर से बुरा मान जाएंगी”.. लेकिन मेरे इतना कहने से पहले ही चाची ने अपने हाथ से मेरे सर को पकड़ा और मुझे अपने से सटा ते हुए मेरे लिप्स को अपने लिप्स से पकड़ लिया और चूसने लगी. मैं भी चाची के लिप्स को चूसने लगा और थोड़ा चूसते ही मैंने अपने जीभ चाची के मुँह में दे दी और चाची ने भी अपने जीभ से मेरी जीभ लगा ली. आह्ह्ह्ह क्या मज़ा आ रहा था मैंने मस्त चूसा और चाची के लिप्स को चूसते चूसते हुए मैंने अपना लंड चाची के चुत पे घिसा भी..और अपने दोनों हाथो से चाची के शोलडर पकड़ने के बहाने से अपने थम्स चाची के बॉब्स पे भी रख दीये. चाची तो मानो खो सी गयी थी, और बड़ी पैशनेटली किस करने लगी थी, और में भी पैशनेटली से चाची के लिप्स को चूस रहा था पर शायद चाची ज्यादा ही एक्ससायटेड थी. मैंने फिर चाची को पकड़ के पलटा दिया और चाची को अपने ऊपर ले लिया. चाची के बॉब्स मेरे सीने पे फील हो रहे थे, मेरी साँसे अब तेज़ हो रही थी. मैंने सोचा नहीं था की चाची इतनी जल्दी किस करने देगी पर अंदर ही अंदर वो भी बेचैन थी. बैचैनी उनकी साफ़ दिख रही थी किस करने मे. मेरे हाथ अब चाची के पीठ पे किस करते करते थोड़े ढीले होने लगे थे, चाची भी लग रहा था की सेंस में आ रही हे, फिर उन्होंने भी मेरे लिप्स को छोड़ते हुए एक दम से चैन की सांस ली और मेरे साइड में फिर से लेट गयी. मैंने चाची को देखा तो एक स्माइल तो नहीं पर कुछ सटिस्फैक्शन सा लग रहा था बॉस मस्त लग रहा था चाची का पल्लो अब ठीक नहीं था लेकिन चाची आँखें बंद कर के मेरे साइड में लेती थी. फिर एक मिनट के बाद चाची ने आँख खोली और मेरी और देख, खुश होने का एहसास साफ़ चेहरे पे झलक रहा था चाची ने मेरी और देखा और मैंने उनकी और और मैंने कहा
“देखना फिर यहाँ से बाहर जा के गुस्सा मत करना की मैंने कुछ गलत कर दिया और यह नहीं होना चाहिए था और वो सब”...
चाची भी कुछ कहना चाहती थी पर इतने में उनका फ़ोन बज गया और उन्हें उठनापडा लेकिन जाते जाते कहा की
“थैंक्स रेशु”... और वो अपने बाल सवारती अपने रूम में चलि गयी कॉल अटेंड करने. जब चाची अपने रूम में कॉल अटेंड करने चलि गयी तब में सोचता रहा की आगे क्या करू..? पर बाद में ख्याल आया की अब तो ऐसी सिचुएशन हे की चाची ख़ुदबख़ुद मेरे पास आने लगी हे,ओर अगर किसी भी तरह कोई प्रॉब्लम भी अगर आ जाती हे तो अब इतनी तो समझ आ गयी हे की किसी भी सिचुएशन को हैंडल कर सकूँ. मैं बाद में अपने रूम में से बाहर आ के चाची की रूम की और चला और जान बूझ के बिना नॉक कर के उनके बैडरूम में चला गया. चाची मेरी और बैक कर के खड़ी थी, वो अपनी साडी चेंज कर रही थी. अभी तो वो अपनी साडी उतार रही थी.
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02-27-2021, 12:59 PM,
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अपडेट 69

चाची को पता चल गया की रूम में कोई आया हे. मेरे अलावा और किसी के होने का सवाल नहीं था लेकिन फिर भी जैसे ही चाची ने मुझे देखा की में आया हूँ फिर भी चाची ने अपनी साडी का पल्लु जो उतार के निचे फेंका था उसे फिर से उठा लिया और अपने सीने से लगा के बॉब्स को छूपाने लगी. मैं थोड़ा सा हडबडा गया, और थोड़ा सा हैरान भी हुआ, और में वहीँ पर रूक गया. मैंने ये सोचा नहीं था की चाची मुझसे छुपेगी पर मैंने देखा की वो थोड़ी सी अनकंफर्टबल हो रही हे मेरी वजह से तो में भी वापस बाहर जाने के लिए पीछे मुदा
“रेशु..कोइ बात नही, तुम आ सकते हो”.. जैसे ही में बाहर जाने लगा तो चाची ने कहा और में रूक गया. सच में अच्छा लगा, में वापस मूड़ा और देखा तो चाची अभी भी मेरे सामने अपने सीने से पल्लु लगाए खड़ी थी, पर मुझे आ के उनके बेड पे बैठने को कहा मैं भी समझ गया की चाची का शॉक हो जाना नेचुरल था पहली बार शायद वो ऐसे किसी के सामने ऐसी सिचुएशन में थी. लेकिन अच्छा लगा, में वापस आ के चाची के बेड पे बैठा.
“सॉरी.रेशु, आदत नहीं है ना..कीसी के सामने चेंज कर ने की”.
“मैं समझ सकता हु चाची, अगर आप काहे तो में बाहर जा सकता हूँ.
“नहीं नहीं वो तुम्हारे चाचा का कॉल था और मुझे अभी जाना पड़ेगा, उनके हॉस्पीटल, इसीलिए चेंज कर रही थी”. . चाची ने ऐसे कहा और फिर अपने सीने से पल्लु हटा के निचे छोड़ दिया और में तो चाची के बॉब्स की और ही देख रहा था चाची ने भी देखा की में उन्हें ही देख रहा हू, और वो भी आँखें फाड़ फाड़ के, सच में मेरी हालत ख़राब हो रही थी और मेरे पैंट में हल चल होने लगी थी. फिर मैंने देखा की चाची मुझे घूरते हुए देख रही हे तो मैंने अपने आप को थीक किया और नजरें चाची के बॉब्स से हटा के चाची की और देखा तो चाची भी मुस्कुरा पडी और अपनी कमर में नैवल के पास हाथ दाल के साड़ी खोलने लगी. बॉस जैसे ही चाची ने साडी में हाथ डाला की मेरा हाथ खुद बी खुद ही मेरे लंड पे चला गया, लेकिन तुरंत ही मैंने अपने पे कण्ट्रोल कर लिया. फिर चाची ने नैवल के पास फसायी हुई साडी बाहर निकाली और वो जान बूझ के बड़े आराम से कर रही थी ता की में सिड्यूस हो जाऊं, में तो मन में सोच रहा था की चाची आपके लिए तो कभी भी हाजिर हू, फिर चाची ने पूरी साडी खोल ली और चाची अब मेरे सामने पेटीकोट में और ब्लाउज में थी, फिर चाची मेरे पास में आ गयी और मेरे पास आ के पीछे मूड गयी और अपनी अल्मारी में से साडी ढूँढ़ने लगी, चाची की गांड मेरे सामने थी और क्या मस्त लग रही थी, ठीक मेरे सामने चाची जानबूझ के खड़ी हो गयी और में भी इशारा पा के चाची की गांड के और भी पास आ गया और चाची की गांड के पास अपना मुँह ले गया और स्मेल लेने लगा. चाची की चुत की मस्त खूशबू आ रही थी, मतलब की चाची भी अंदर वेट हो रही होंगी. बॉस मज़ा आ रहा था चाची बड़े मज़े से साडी ढूँढ़ने में देर लगा रही थी, फिर अचानक चाची थोड़ा सा पीछे खिसकी और चाची की गांड मेरे मुँह से टकरा गयी और फिर चाची अन्जान बनते हुए मेरी और मूड गयी और कहा
“रेशु..तुम क्या कर रहे थे...?
पहले तो थोड़ा सा चौंका पर फिर मासूम बन के कहा
“कुछ नहीं चाची..मस्त स्मेल आ रही थी वो सूँघ रहा था”. चाची ने सोचा नहीं था की में सच कहूंगा..की में क्या कर रहा था पर जैसे ही मैंने मासूम बन के कहा तो चाची शर्मा गयी और मुस्कुरा पडी, लेकिन फिर बनते हुए कहा
“अच्छा..वो सब बाद में करना..पहले मेरी मदद तो कर”,. चाची के मुँह से बाद में शब्द सुनते ही तुरंत ही मैंने पूछ लिया
“बाद में..? बाद में कब चाची...?
“बाद में का मतलब बाद में”, अभी मेरी मदद कर, कौनसी साडी पहनु ये पता नहीं चल रहा, तु ही कुछ बता”.
कया मस्त सिन था सिंगल रूम में में और चाची, वो भी अल्मारी के अंदर, साइड में खड़े रहने की जगह नहीं और में भी बेशर्म बन के जान बूझ के अल्मारी के अंदर ही आ के खड़ा था चाची को में आसानी से फील कर पा रहा था ऊपर से चाची के जिस्म पे साडी नहीं और मेरा लंड परेशान.
“हा..हा, उसमे क्या बात हे, लाओ में मदद कर देता हू”..

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02-27-2021, 12:59 PM,
#66
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छोटी चाची.png अपडेट 70

चाची के पीछे में भी सारीस देखने लगा. हालाँकि चाची सच में खेल ही रही थी, शायद उनको भी मज़ा आने लगा था मुझे अंदर से जलाने मे. लेकिन में भी छोड़ने वाला नहीं हू, बस एक ग्रीन सिग्नल मिला की चाची ज़िन्दगी भर याद करें ऐसे चोदूंगा. अभी तो में पीछे से चाची की सारीस ढूँढ़ने के बजाए, चाची को ही देख रहा था चाची पीछे से क्या मस्त लग रही थी. मैं थोड़ा सा चाची से चिपकने लगा, था की मस्त क्लीवेज देख सकूँ, और बॉस क्या मस्त क्लीवेज था चाची का, ऊपर से देखने की बात ही अलग थी. चाची ने भी देख लिया की में उनके क्लीवेज को देख रहा हूँ तो चाची ने मुझे सताने के लिये, अपने खुले बाल जो पीछे थे उन्हें आगे ले लिया और क्लीवेज को ढ़क् लिया, और फिर मन में ही मन में खुश हो उठी. मैं अब थोड़ा सा पीछे हट गया और अब सारीस की और ध्यान लगाने लगा, मुझे तो कुछ पता ही नहीं चल रहा था इसीलिए में तो बस टाइमपास कर रहा था इतने में चाची ने ऊपर रक्खी एक साड़ी देखने के लिए हाथ ऊपर उठाय और मैंने पीछे से चाची की ब्लैक ब्रा देखि,ज़ो चाची के शोल्डर से स्लीप हो गयी थी और दिख रही थी. अब मुझे चाची को ब्रा में देखने था तो मैंने ऐसे ही चाची से कह दिया की ये ब्लैक साडी आप पे मस्त लगेगी तो चाची ने भी पता नहीं फट से मान लिया और अल्मारी बंद कर दि, हालाँकि ऐसे कोई डॉक्टर मोस्टली ब्लैक कलर को पहनना पसंद नहीं करत, पर चूँकि मैंने कहा था तब तो फिर चाची को मान ना ही था
फिर चाची ने ब्लैक साडी को बेड पे रक्खा और वो ड्रेसिंग टेबल पे बैठ गयी, जो की मेरे राईट में था मैं तो चाची को बगैर ब्लाउज देखने का इंतज़ार में था की इतने में फिर से चाचा का कॉल आ गया और उन्होंने कहा की रेशु को भी साथ ले कर आने क्यूँकि वो घर पे अकेला बार हो जायेगा तो चाची ने ठीक हे कह के कॉल काट दिया. और मुझसे कहा
"रेशु..तुमहारे चाचा ने तुम्हे भी मेरे साथ चल्ने को कहा हे, तो जाओ तुम भी तैयार हो जाओ, तब तक में भी चेंज कर लेती हू.. चाची ने ये बोलते टाइम सोचसमझ के चेंज वर्ड पे प्रेशर दिया था की में बाहर चला जाऊं और वो ब्लाउज आराम से चेंज कर सके, लेकिन मैंने भी कह दिया की चाची में तो २ मिनट में चेंज कर लूंग. पहले आप तैयार हो जाये.
अब चाची ने भी ज़िद छोड़ दी और मेरी और मुस्कुरायी और फिर सामने मिरर में अपने आप को देखने लागी, तो में भी फट से मौके का फायदा उठाने के लिये, झट से चाची के पीछे खड़ा हो गया और बात करने लगा
"क्या देख रही हो..चाचि.?
"कुछ नही...
"सच में कुछ नही.. और कहते कहते में चाची के पीछे स्टूल पे बैठ गया, थोड़ा सा कंजस्टेड था पर हम दोनों आराम से बैठे थे, चाची भी कुछ बोल नहीं रही थी, मैंने भी बोलना बंद नहीं किया पर कंटिन्यू रक्खा था की इस सडक्शन का टेम्पो ब्रेक न हो.
"चाची..आप सच में बहुत सुन्दर हो, आपको देख के सच में न चाहते हुए भी गलत विचार आ जाते हे". और कहते कहते मैंने पीछे से चाची की गर्दन पे एक किस किया और चाची ने शर्मा के अपने कंधे हिला के मुझे ऐसा न करने का इशारा दि, लेकिन मैंने फिर से गर्दन पे किस किया. चाची अब अपना सर मेरे सीने पे लगा रही थी और सिड्यूस हो चुकी थी. बॉस मज़ा आने लगा था ऐसे में मैंने चाची से कह.चाची...?
"हम्म्म.
"एक बात कहूं..अगर आप बुरा न मने तो...
"क्या हे कहो ना"
"चाची कैन आई ओपन उर ब्लौस...? और मेरे कहते ही चाची होश में आ गयी पर उन्हें भी शायद मेरा हाथ लगाना अच्छा लग रहा था तो मैंने चाची के पीछे फिर से किस किया और चाची ने अपने हाथों से अपने बॉब्स को धक् लिया पर चाची ने अब तक हाँ भी नहीं कहा और ना भी, तो मैंने साइड में से आराम से ब्लैक ब्लाउज उठाय और फिर चाची के दोनों हाथों पे अपने हाथ रख दिए और चाची को रिलैक्स करने के लिये, चाची को शोल्डर और गर्दन पे आराम से सलौली सलौली कुछ किस्सेस दि, और फिर अपने दोनों हाथों से धीरे धीरे चाची के दोनों हाथों को अपने हाथों से पकड़ लिया. अब चाची के दोनों हाथ मेरे हाथ में थे और फिर मैंने धीरे धीरे चाची के हाथों को जो की चाची के सीने पे थी, उनको हलके हलके से स्लाइड करते हुए चाची के बॉब्स पे ले जाने लगा, शुरू शुरू में चाची ने हाथो से हलकी सी नाराज़गी जताई पर मैंने चाची के हाथों को छोड़ा नहीं और दोनों बॉब्स पे दोनों हाथ रख दीए. जैसे ही मैंने अपने हाथों से चाची के बॉब्स पे हाथ रक्खा तो चाची के बदन में एक करंट सा दौड गया हो, उन्होंने अचानक एक अंगडाई ली, लेकिन फिर शांत भी हो गयी और मेरी और सर घुमा के देखने लगी, मैंने भी बड़े प्यार से चाची के लिप्स को अपने लिप्स से पकड़ लिया और चाची ने भी बिना किसी रूकावट के मस्त किस करने लागी.
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02-27-2021, 01:00 PM,
#67
RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 70

चाची के पीछे में भी सारीस देखने लगा.
हालाँकि चाची सच में खेल ही रही थी,
शायद उनको भी मज़ा आने लगा था मुझे अंदर से जलाने मे.
लेकिन में भी छोड़ने वाला नहीं हू, बस एक ग्रीन सिग्नल मिला की चाची ज़िन्दगी भर याद करें ऐसे चोदूँगा.
अभी तो में पीछे से चाची की सारीस ढूँढ़ने के बजाय, चाची को ही देख रहा था चाची पीछे से क्या मस्त लग रही थी.
मैं थोड़ा सा चाची से चिपकने लगा,
ताकी मस्त क्लीवेज देख सकूँ,
और बॉस क्या मस्त क्लीवेज था चाची का,
ऊपर से देखने की बात ही अलग थी.
चाची ने भी देख लिया की में उनके क्लीवेज को देख रहा हूँ
तो चाची ने मुझे सताने के लिये,
अपने खुले बाल जो पीछे थे उन्हें आगे ले लिया और क्लीवेज को धक् लिया,
और फिर मन ही मन में खुश हो उठी.
मैं अब थोड़ा सा पीछे हट गया और अब सारीज की और ध्यान लगाने लगा,
मुझे तो कुछ पता ही नहीं चल रहा था इसीलिए में तो बस टाइमपास कर रहा था
इतने में चाची ने ऊपर रक्खी एक साड़ी देखने के लिए हाथ ऊपर उठाय और मैंने पीछे से चाची की ब्लैक ब्रा देखि,
ज़ो चाची के शोल्डर से स्लीप हो गयी थी और दिख रही थी.
अब मुझे चाची को ब्रा में देखने था तो मैंने ऐसे ही चाची से कह दिया की ये ब्लैक साडी आप पे मस्त लगेगी तो चाची ने भी पता नहीं फट से मान लिया और अल्मारी बंद कर दि,
हालाँकि ऐसे कोई डॉक्टर मोस्टली ब्लैक कलर को पहनना पसंद नहीं करता, पर चूँकि मैंने कहा था तब तो फिर चाची को मानना ही था
फिर चाची ने ब्लैक साडी को बेड पे रक्खा
और वो ड्रेसिंग टेबल पे बैठ गयी,
जो की मेरे राईट में था मैं तो चाची को बगैर ब्लाउज देखने का इंतज़ार में था की इतने में फिर से चाचा का कॉल आ गया
और उन्होंने कहा की रेशु को भी साथ ले कर आना क्यूँकि वो घर पे अकेला बार हो जायेगा तो चाची ने ठीक हे कह के कॉल काट दिया.
और मुझसे कहा

रेशु..तुमहारे चाचा ने तुम्हे भी मेरे साथ चलने को कहा हे,
तो जाओ तुम भी तैयार हो जाओ,
तब तक में भी चेंज कर लेती हू..
चाची ने ये बोलते टाइम सोचसमझ के चेंज वर्ड पे प्रेशर दिया ताकी में बाहर चला जाऊं और वो ब्लाउज आराम से चेंज कर सके,
लेकिन मैंने भी कह दिया की चाची में तो २ मिनट में चेंज कर लूंगा. पहले आप तैयार हो जाये.
अब चाची ने भी ज़िद छोड़ दी और मेरी और मुस्कुरायी और फिर सामने मिरर में अपने आप को देखने लगी,
तो में भी फट से मौके का फायदा उठाने के लिये, झट से चाची के पीछे खड़ा हो गया और बात करने लगा
“क्या देख रही हो..चाचि.?
“कुछ नही...
“सच में कुछ नही.. और कहते कहते में चाची के पीछे स्टूल पे बैठ गया, थोड़ा सा कंजस्टेड था पर हम दोनों आराम से बैठे थे,
चाची भी कुछ बोल नहीं रही थी, मैंने भी बोलना बंद नहीं किया पर कंटिन्यू रक्खा ता की इस सीडक्शन का टेम्पो ब्रेक न हो.
“चाची..आप सच में बहुत सुन्दर हो, आपको देख के सच में न चाहते हुए भी गलत विचार आ जाते हे”.
और कहते कहते मैंने पीछे से चाची की गर्दन पे एक किस किया और चाची ने शर्मा के अपने कंधे हिला के मुझे ऐसा न करने का इशारा दिया,
लेकिन मैंने फिर से गर्दन पे किस किया. चाची अब अपना सर मेरे सीने पे लगा रही थी और सिड्यूस हो चुकी थी. बॉस मज़ा आने लगा था ऐसे में मैंने चाची से कह.
“चाची...?
“हम्म्म”.
“एक बात कहूं..अगर आप बुरा न माने तो...
“क्या हे कहो ना”.
“चाची कैन आई ओपन योअर ब्लौउस...? और मेरे कहते ही चाची होश में आ गयी पर उन्हें भी शायद मेरा हाथ लगाना अच्छा लग रहा था
तो मैंने चाची के पीछे फिर से किस किया और चाची ने अपने हाथों से अपने बॉब्स को धक् लिया पर चाची ने अब तक हाँ भी नहीं कहा और ना भी, तो मैंने साइड में से आराम से ब्लैक ब्लाउज उठाया और फिर चाची के दोनों हाथों पे अपने हाथ रख दिए
और चाची को रिलैक्स करने के लिये, चाची को शोल्डर और गर्दन पे आराम से स्लोवली स्लोवली कुछ किस्सेस दि,
और फिर अपने दोनों हाथों से धीरे धीरे चाची के दोनों हाथों को अपने हाथों से पकड़ लिया.
अब चाची के दोनों हाथ मेरे हाथ में थे और फिर मैंने धीरे धीरे चाची के हाथों को जो की चाची के सीने पे थे,
उनको हलके हलके से स्लाइड करते हुए चाची के बॉब्स पे ले जाने लगा, शुरू शुरू में चाची ने हाथो से हलकी सी नाराज़गी जताई पर मैंने चाची के हाथों को छोड़ा नहीं और दोनों बॉब्स पे दोनों हाथ रख दीये.
जैसे ही मैंने अपने हाथों से चाची के बॉब्स पे हाथ रक्खा तो चाची के बदन में एक करंट सा दौड गया हो,
उन्होंने अचानक एक अंगडाई ली, लेकिन फिर शांत भी हो गयी और मेरी और सर घुमा के देखने लगी,
मैंने भी बड़े प्यार से चाची के लिप्स को अपने लिप्स से पकड़ लिया और चाची भी बिना किसी रूकावट के मस्त किस करने लगी.
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02-27-2021, 01:00 PM,
#68
RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 71

अब मैंने चाची के दोनों हाथों को छोड़ दिया और अपने हाथो को वहीँ पर बॉब्स पे रखा.
चाची ने भी बड़े आराम से अपने हाथों को उठाते हुए मेरे गर्दन पे रख दिया और किस करने लगी,
अब तो बॉब्स मसलना बनता ही था मैंने चाची के बॉब्स पे हाथो को घुमाना शुरू किआ और फिर धीरे धीरे दबाने भी लगा,
फिर थोड़ी देर बाद मैंने चाची के बॉब्स को अपने दोनों हाथो में मानो जकड ही लिया,
तो चाची भी सडनली इतने प्रेशर से एक बार तो ऊंचा उठ गयी, क्यूँकि मैंने बड़े जोर से पकड़ा था और अपने हाथ से मेरे हाथ पे एक बार मारा भी,
फिर मैंने चाची के बॉब्स को छोड़ दिया और वो फिर से किस करने में मस्त हो गयी,
अब तो वो मेरे मुँह में जीभ डालने के लिए उतावली होने लगी,
और मैंने अभी तीन चार ही सेकण्ड्स हुए होंगे की फिर से चाची के बॉब्स को बड़े जोर से पकड़ लिया और फिर से चाची उंचा उठने लगी तो मैंने फट से अपना मुँह खोला और चाची की जीब को अपने मुँह में समां लिया,
अब चाची भी बॉब्स को भूल गयी और में भी अब धीरे धीरे की बजाये जोर जोर से बॉब्स दबाने लगा.
अब चाची तड़प के मारे मॉनिंग करने लगी थी,
और मुझे मज़ा आने लगा था
फ्रेंड्स इतना मज़ा आ रहा था जिन बॉब्स के बारे में कई बार ड्रीम किया अब जा के वो मेरे हाथ में थे फाइनली.
अब मैंने दोनों बॉब्स को दबाने के बाद मैंने चाची के ब्लाउज के हूक्स खोलना शुरू किया और अब तो चाची के बारे में कोई टेंशन नहीं था पर इतने में चाची ने मेरे गर्दन से हाथ तो हटाया और हूक्स खोलने से रोक्ने के लिए मेरे हाथों पे रक्खा,
लेकिन मुझे रोक्ने के लिए कुछ खास ट्राय नहीं किया.
मैं समझ गया की चाची को रोक्ने की इच्छा नहीं पर ऐसे ही उनका हाथ चला गया होगा,
तो मैंने फिर से चाची के हाथों को पकड़ा और अपने गर्दन पे फिर से लगा दिया और चाची के हूक्स खोलने लगा,
एक एक कर के आरामसे चारो हुक खोल दिए और उतावला बनते हुए फिर से बॉब्स दबाने लगा.
बॉस मास फर्म बॉब्स थे. कितना मज़ा आ रहा था लेकिन फिर से चाचा ने कॉल कर दिया और सारे मज़े पे पाणी फेर दिया.
कसम से बड़ा गुस्सा आया था मुझे, क्यूँकि चाची भी थोड़ा सा डर गयी और उठ के अपने ब्लाउज को ठीक किया और बॉब्स संभालने लगी,
और मुझे जाने को इशारा किया,
और चाची की सिचुएशन को समझते हुए में भी बाहर निकल गया और चाची अब थोड़ा कम्फर्टेबले फील करने लगी.
मैं वहा से निकल के सीधे बाथरूम में गया और अपने तने हुये लंड से मास्टरबैट करने लगा और बाद में अपने रूम में जा के रेडी हो गया,
मुझे पता नहीं अब बाहर चाची के सामने जाने में थोड़ी सी शर्म सी आ रही थी.
मैं अपने रूम में ऐसे ही बेड पे बैठ के सोच रहा था और इतने में चाची रेडी होके मेरा नाम लेते हुए मेरे रूम में आई और कहा
अरे रेशु, तुम यहाँ पे ऐसे बैठे हो,
और वहाँ तुम्हारे चाचा कब से जल्दी लगा रहे हे, तो चलो चलना नहीं हे क्य...?
मैन भी हाँ चाची कह के उठ गया और दोनों बाहर निकल पडे,
चाची अभी तो नार्मल लग रही थी,
पर में शायद अभी बात करने में शर्मा रहा था या शायद में नार्मल नहीं था हम दस मिनट चल के बस स्टैंड आ गए
और इतनी दूरी तक हमने कोई बात नहीं की और बस रेडी थी तो हम बस में सीधे बैठ गए और बस भी तुरंत ही चल पडी.
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02-27-2021, 01:01 PM,
#69
RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 72

मै अभी भी शायद उन हसीन पलो को याद कर रहा था और चाची सारा सामान चेक कर रही थी की चाचा ने जो भी मँगवाया था वो ले लिया की नही..और इतने में उन्हें लगा की में कहीं खोया हुआ हूँ तो उन्होंने, मेरे चेहरे को अपनी और घुमाया और मेरी और देखने लगी. तो मैंने चाची से पूछ लिया
“चाची आप ठीक है ना...?
“घनचक्कर, में तो ठीक हू, पर तुझे क्या हुआ हे, क्यों इतना खोया खोया हे..?
“कुछ नहीं चाची..बस ऐसे हि, कुछ सोच रहा था”.
“अच्छा अभी सोचना बंद कर, मुझे पता हे तेरी सोच कहाँ तक जा रही हे.. और चाची ऐसे डबल मीनिंग बात कह के हंस पडी और में भी चाची को ऐसे नॉर्मली खुश हो के हँसता देख हंसपडा तब मुझे लगा की चाची सच में खुश हे और अब तो बड़ा मज़ा आने वाला हे. फिर तो चाची बस में बहुत खुल के बात करने लगी और आधे घंटे में हम चाचा के हॉस्पिटल पहुँच गए और चाचा से मिले, फिर चाचा ने मुझसे पूरा अस्पताल घुमने को कहा और में बाहर निकल के हॉस्पिटल में घुमने लगा, चाची भी बाहर निकल के लेडीज वार्ड में चक्कर लगाने लगी.
एक घंटे तक घुमने के बाद में बोर होने लगा, तो फिर से में लौट आया. चाची ने भी कहा की वो भी बोर हो रही हे, पर चाचा ने कहा की थोड़ा रुको तो सब साथ में चलते हे. और हम वही बैठे रहे, पर चाचा फ्री नहीं हुए, आखिर फिर से एक घंटा बीत गया तब चाचा ने कहा की वो आ नहीं पायेंगे, तो तुम लोग निकलो, वैसे भी बड़ा लेट हो गया हे, और बारिश का सीजन हे. मुझे सच में चाचा पे गुस्सा आ गया था एक तो दोपहर का सीन बिगाडा और अब दो घंटे ऐसे ही वेस्ट कर दिये. फिर से हम दोनों बाहर निकले और बस का वेट करने लगे,वैसे चाचा का हॉस्पिटल शहर से बाहर था, पर हाईवे पे होने से कोई कोई बस रुक जाती थी, तो हम ऐसे ही बाहर खड़े रहे और बस के आने का इंतज़ार करने लगे, दो बस आई और चलि गयी पर कोई रुकि नही.
“शिटयार” मुझे बड़ा गुस्सा आ रहा था और जब तीसरि बस भी निकल गयी तो मेरे मुँह से ये निकल गया और मुँह से निकलने के बाद चाची का ख्याल आया तो मैंने चाची की और देखा तो वो मेरे ग़ुस्से पे जोर से हंस पड़ी और कहा
“गुस्सा मत करो, अक्सर जब कुछ अच्छा होने वाला होता हे तो, कुछ बुरा भी सहना पडता हे”.. और इतना कहना ही था की एक बस आई और मैंने हाथ फ़ैलाया तो बस रुकि भी सा₹हि, पर बस में बड़ी भीड़ थी. तो चाची ने चड़ने से मना कर दिया, लेकिन इतने में हलकी सी बारिश भी होने लगी तो वो भी चढ़ गयी. बस में जगह बिलकुल नहीं थी, और ऊपर से शाम का पैक टाइम तो भीड़ तो होनि ही थी. लेकिन ड्राइवर कुछ भला आदमी लगा तो उसने हमें उसकी केबिन के पीछे बैठने को कहा और हम वहीँ बैठ गये. थोड़ी जगह काम थी पर दोनों को कस के बैठने में झिझक नहीं थी..उलटा मुझे तो मज़ा आ रहा था चाची खिड़की के पास बैठी थी और बारिश तेज़ हो रही थी, तो वो खिड़की से दूर होने के चक्कर में मेरे करीब हो रही थी, और में भी मौके का फ़ायदा उठाते हुए चाची को अपनी और खिंच रहा था चाची ने मेरी और देखा और मैंने भी चाची की और देख, कुछ कहा नहीं पर ड्राइवर की और इशारा करते हुए चाची ने कहा की ड्राइवर यहाँ बैठा हुआ हे तो कुछ मत करना. तो मैंने भी इशारे से कहा की ड्राइवर की परवा कौन करें? और अपना हाथ चाची की गांड पे रख दिया. चाची इशारे से मना कर रही थी, पर में चाची की गांड से खेलने लगा. फिर मैंने हाथ गांड से हटाया और धीरे से चाची के बॉब्स के साइड में रख दिया, चाची ने चौंकते हुए मेरी और देखा पर मुझे रोकने की बजाये अपनी साड़ी से मेरे हाथ को धक लिया और मेरी और देखते हुए इशारे से आँख मारी, और चाची का इशारा पाते ही मैंने चाची के बॉब्स को मस्त अपनी पकड़ में ले लिया और मस्त बूब दबाने लगा. हम दोनों को मज़ा आ रहा था लेकिन एक बात मुझसे चाची की निप्पल जोर से अचानक दब गयी और चाची के मुँह से आह निकली, तो ड्राइवर ने अचानक मूड के देखा पर सिचुएशन सम्हालते हुए में दूसरी तरफ देखने लगा और चाची दूसरी और, सच में बड़ा मज़ा आया, ऐसे चोरी छुपे बचने का. ड्राइवर के फिर से आगे देखते ही चाची ने और मैंने एक दूसरे की और देखा और हंसपडे इतने में हमारा उतार ने का स्टेशन आ गया और हम उतर गये.
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02-27-2021, 01:01 PM,
#70
RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
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अपडेट 73

सच में एक वक़्त आता हे जब औरत और मर्द में लिहाज़ शब्द की सीमा ख़त्म हो जाती हे, और वैसा ही अब मेरे और चाची के साथ हो रहा था मैं समझ रहा था की चाची मेरे साथ बड़ी खुश हे और मुझे उनके खुश होने से ख़ुशी हो रही थी. ये बात भी समझ में आ रही थी की चाची के मन में भी मेरे साथ सेक्स करने के विचार बार बार आ रहे होंगे पर पता नहीं क्यों अपने आप को वो रोक लेती हे या फिर पता नहीं क्यों वो रुक सी जाती हे. खैर ऐसे विचार मेरे मन में चल रहे थे, और हम दोनों बस से उतर के सड़क पे चल रहे थे. चाची की चाल से पता चल रहा था की वो मेरे कितने क्लोज हे, अमुमन औरतेँ बच्चों से या फिर किसी भी मर्द से ओपन में दूरी बना कर चलति हे, लेकिन चाची की बात कुछ और थी.
“क्या सोच रहे हो रेशु...?
चाची ने अचानक चलते चलते मेरे दिमाग में चल रहे विचारो पे ब्रेक लगाते हुए कहा. कभी कभी मन की बात कोई पढ़ लेता हे और आप जानते हे की वो आपको पढ़ रहा हे पर फिर भी आप बन ने की कोशिश करते हे, वैसे ही मैंने भी चाची से कहा
“कुछ नहीं चाची,मैं तो कुछ नहीं सोच रह’..
ओर मेरा इतना कहना ही था की चाची जोर से हंस पडी, मानो मेरा मज़ाक़ उडती हो ऐसे. ऐसे कोई भी औरत खुले में हँसति नहीं पर रस्ते में कोई नहीं था और अँधेरा तो पूरा हो चुका था मैंने सवालिया लुक से चाची को देखा लेकिन इससे पहले की में कुछ कहूँ चाची ने कहा
“तुम समझते क्या हो मुझे, आरे रेशु..तुम्हारी चाची ने तुमसे ज्यादा दिवालियां देखि हे..तो अब बणो मत और बताओ की क्या सोच रहे थे? . नहीं तो..नही तो में खुद बता दूँगी की तुम क्या सोच रहे थे.? बॉस अब तो पक्का में चाची की बात सुन के हेरान हो गया पर फिर ऐसे ही कह दिया की अच्छा आप ही बताओ में क्या सोच रहा था
“बता दुं...
“हाँ..हाँ अब कागज़ पे लिखके दू क्य..? बताओ भी.. मैं जनने के लिए बेक़रार था की वो आखिर बताती क्या हे.
“रहने दो अब चाची का बताने का मूड नहीं हे... चाची बात को बिना वजह खिंच रही थी.
चाची ने इतना बोला ही था की अचानक जोर से बूँदाबाँदी शुरू हो गयी और चाची भाग के एक पेड़ के पास जा के खड़ी हो
हम वहा पेड़ के नीचे खड़े हो गये ऐसे सिचुएशन में मैं और चाची भीग गये थे चारो और सन्नाटा था कोई नही था चाची भीग कर बहोत सेक्सी लग रही थी वह हस कर मुझे देख रही थी मुझसे रहा नही गया मैन उन्हें खिंचकर अपने गले लगा लिया उन्हें जोरसे भींच लिया हमारे होठ आपस मे मिल गए मस्त किस स्टार्ट हुई जीभ आपस मे में मिलने लगी दस मिनट हमारी किस चली फिर सांस लेने के लिये होठ अलग हुये फिर होठोसे होठ मिल गये एक हाथ उनके बोब्स पर रख कर उनके बोब्स मस्त दबाने लगा दूसरा हाथ उनके अस्स पर रखकर उनकी गांड मस्त दबाने लगा बॉस क्या मस्त लग रहा था दिल कर रहा था यह समय यही रुक जाये हम दोनों मस्ती में पूरी तरह खो गये थे हमे कुछ होश नही था मेरे हाथ उनकी शरीर की सब गोलाई पर घूम रहे थे उन्हें दबा रहे थे महसूस कर रहे थे हम पूरी तरह सेक्स में डूब रहे थे कि तभी चाची का फोन बजा हम होश में आये चाचा का फोन था पूछ रहे थे कि हम पहुंचे की नही फिर मैंने कहा की चलो चाची भीगते भीगते घर चलते हे वैसे भी बहुत देर हो चुकी हे, और हम घर की और चल पडे.
हम दोनों पूरी तरह से भीग चुके थे. लेकिन बारिश की वजह से एक बार फिर बात चुप हो गयी और में फिर से थोड़ा सा सोचने लगा की हर बार किसी न किसी वजह से प्लान चौपट हो जाता हे.
“तुम बारिश को कोस रहे हो ना.. ओह माय गॉड. व्हाट अ मोमेंट.. बॉस सच में वो मेरे मन की बात पढ़ रही थी..मेरा मुँह खुला का खुला रह गया, लेकिन अपने आप को सम्हाला और कहा
“क्यों में क्यों बारिश को कोस ने लगा...? चाची के सवाल से चौंक तो गया था पर फिर अपने पैंट की जेब में हाथ दाल के बारिश में चलने लगा और चाची मेरे बिहेवियर पे फिर से हंस पड़ी और वो भी मेरे साथ तेज़ चलने लगी.
“साफ़ दीखता हे..तुम बारिश को कोस रहे थे..
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