desiaks
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शादाब अपनी अम्मी के गाल चूम कर बोला:"
" अम्मी आप सच में बहुत खूबसूरत है, आपके गाल एक दम मीठे हैं बिल्कुल शहद की तरह।
अपने बेटे की बात सुनकर वो पूरी तरह से शर्मा कहीं गई और हाथ से निकल कर बोली:
" बेशर्म कहीं का, कोई अपनी अम्मी से ऐसे बात करता हैं !
ऐसा कहकर वो कमरे से बाहर निकल गई। अपने कमरे में जाकर शहनाज़ अपनी सांसे दुरुस्त करने लगी। पता नहीं मुझे क्या हो जाता हैं जब भी मैं अपने बेटे के पास जाती हूं। उफ्फ जैसे ही वो मुझे छूता हैं तो जिस्म का रोम रोम अपने आप महकने लगता हैं जिसके उसके लिए ही बना हो। और वो भी तो मेरी कितनी तारीफ कर रहा था मानो मैं उसकी मा नहीं महबूबा हो। तभी उसकी नज़र फिर से शीशे पर पड़ी तो तो उसने अपने गाल को देखा जहां उसके बेटे ने चूमा था वो जगह लाल हो गई थी। जैसे ही शहनाज़ ने अपने गाल पर उस जगह हाथ रखा तो उसकी आंखे अपने आप मस्ती से बंद हो गई। वो अपने गाल को सहलाने लगी मानो उसका उसका गाल शादाब के होंठो से छूकर धन्य हो गया हो। उसके मुंह से अपने आप हल्की हल्की गर्म गर्म सांसे निकल कर उसके हाथ पर पड़ रही थी जिससे वो और ज्यादा मदहोश होने लगी और गाल पर लगी अपनी उंगली जो कि उसके बेटे के जीभ से निकले रस से हल्की सी गीली थी उसे बहुत ही कामुक दर्शक में अपने होंठो पर फिराने लगी। उसकी चूचियां एक बार फिर से अकड़ गई और उसने अपनी टांगो को एक दूसरे से रगड़ना शुरू कर दिया। तभी उसके कानों में अपने बेटे की आवाज गूंज उठी
" अम्मी नीचे आपको दादा बुला रहे हैं, उनकी जैकेट दे दो।
शहनाज जैसे होश में अाई और बड़ी मुश्किल से खुद पर काबू पाते हुए ससुर की जैकेट उठा कर नीचे की तरफ चल पड़ी। उसने शुक्र मनाया कि उसके बेटे ने उसे अपने रूम से ही आवाज लगाई और अंदर नहीं आया। अगर उसका बेटा उसे ये सब करते देख लेता तो क्या सोचता मेरे बारे में!
उस बेचारी को क्या मालूम कि रात उसका बेटा उसकी फिल्म देख चुका था। वो नीचे अाई और देखा कि उसके सास ससुर उसके बेटे की बड़ी तारीफ कर रहे थे और दुनिया की हर मा की तरह वो भी अपने बेटे की तारीफ सुनकर फूली नहीं समाई।
शादाब:" अच्छा दादा जी मैं जाकर सब काम देखता हूं। कोई कमी तो नहीं है ।
इतना कहकर वो बाहर निकल गया और काम में लगे लोगों से मिला और हलवाई से बात करी, सजावट का काम देखा और सारी प्लानिंग करने लगा। दिन के 10 बज चुके थे और मेहमान आना शुरू हो गए। सबसे पहले उसकी बुआ रेशमा अाई जिसके मुंह पर नकाब लगा हुआ था तो उसने शादाब को नहीं पहचाना लेकिन उसकी सुन्दरता को देख कर लालच भरी निगाहों से घर में चली गई। वहां वो अपने मा बाप से मिली और शहनाज़ से मिली और उसे गले लगा लिया।
रेशमा:" भाभी कैसे हो आप? शादाब कहां है बहुत सालों से नहीं देखा उसे !!
शहनाज़:" मैं ठीक हूं बाज़ी, शादाब यहीं हैं, बाहर काम में लगा होगा, मैं आपके लिए पानी लाती हूं।
शहनाज पानी लेकर अा गई और रेशमा की तरफ ग्लास बढ़ा दिया तो रेशमा पानी पीकर बोली;"
" पहले शादाब से मिलती हू, फिर सबसे बात करूंगी।
इतना कहकर वो बाहर की तरफ अाई और एक छोटे बच्चे को बुला कर कहा:"..
" बाहर से शादाब को बुला लाओ, बोलना उसकी बुआ रेशमा अाई हैं
लड़का बाहर गया तो शादाब खुशी के मारे दौड़ता हुआ घर के अंदर घुस गया और अपनी बुआ के पास अा गया जो अब नकाब उतार चुकी थी।
शहनाज़:" बेटा ये तुम्हारी बुआ हैं रेशमा, बचपन में तू उनके साथ ही सबसे ज्यादा खेलता था और ये भी तुझे बहुत प्यार करती थी।
शादाब को एक के बाद एक बाते याद आने अपने बचपन की और वो खुशी से दौड़ता हुआ अपनी बुआ से लिपट गया तो रेशमा ने भी उसे अपने गले लगा लिया।
रेशमा: मेरे बच्चे तुझे मैंने बहुत याद किया, तेरी बहुत फिक्र होती थी मुझे , बेटा तो बड़ा खूबसूरत जवान बन गया है।
शहनाज को अपने बेटे का अपनी बुआ से यूं चिपकना और रेशमा की ऐसे तारीफ करना अच्छा नहीं लगा और उसे जलन महसूस होने लगी। उसका खूबसूरत चेहरा गुस्से से लाल होने लगा और वहां से उपर की तरफ चली गई।
रेशमा ने आगे बढ़कर शादाब का गाल चूम लिया और बोली:"
" बेटा मुझे बहुत खुशी हुई तुझसे मिलकर, कुछ दिन के लिए मेरे साथ चलना शहर में!!
" अम्मी आप सच में बहुत खूबसूरत है, आपके गाल एक दम मीठे हैं बिल्कुल शहद की तरह।
अपने बेटे की बात सुनकर वो पूरी तरह से शर्मा कहीं गई और हाथ से निकल कर बोली:
" बेशर्म कहीं का, कोई अपनी अम्मी से ऐसे बात करता हैं !
ऐसा कहकर वो कमरे से बाहर निकल गई। अपने कमरे में जाकर शहनाज़ अपनी सांसे दुरुस्त करने लगी। पता नहीं मुझे क्या हो जाता हैं जब भी मैं अपने बेटे के पास जाती हूं। उफ्फ जैसे ही वो मुझे छूता हैं तो जिस्म का रोम रोम अपने आप महकने लगता हैं जिसके उसके लिए ही बना हो। और वो भी तो मेरी कितनी तारीफ कर रहा था मानो मैं उसकी मा नहीं महबूबा हो। तभी उसकी नज़र फिर से शीशे पर पड़ी तो तो उसने अपने गाल को देखा जहां उसके बेटे ने चूमा था वो जगह लाल हो गई थी। जैसे ही शहनाज़ ने अपने गाल पर उस जगह हाथ रखा तो उसकी आंखे अपने आप मस्ती से बंद हो गई। वो अपने गाल को सहलाने लगी मानो उसका उसका गाल शादाब के होंठो से छूकर धन्य हो गया हो। उसके मुंह से अपने आप हल्की हल्की गर्म गर्म सांसे निकल कर उसके हाथ पर पड़ रही थी जिससे वो और ज्यादा मदहोश होने लगी और गाल पर लगी अपनी उंगली जो कि उसके बेटे के जीभ से निकले रस से हल्की सी गीली थी उसे बहुत ही कामुक दर्शक में अपने होंठो पर फिराने लगी। उसकी चूचियां एक बार फिर से अकड़ गई और उसने अपनी टांगो को एक दूसरे से रगड़ना शुरू कर दिया। तभी उसके कानों में अपने बेटे की आवाज गूंज उठी
" अम्मी नीचे आपको दादा बुला रहे हैं, उनकी जैकेट दे दो।
शहनाज जैसे होश में अाई और बड़ी मुश्किल से खुद पर काबू पाते हुए ससुर की जैकेट उठा कर नीचे की तरफ चल पड़ी। उसने शुक्र मनाया कि उसके बेटे ने उसे अपने रूम से ही आवाज लगाई और अंदर नहीं आया। अगर उसका बेटा उसे ये सब करते देख लेता तो क्या सोचता मेरे बारे में!
उस बेचारी को क्या मालूम कि रात उसका बेटा उसकी फिल्म देख चुका था। वो नीचे अाई और देखा कि उसके सास ससुर उसके बेटे की बड़ी तारीफ कर रहे थे और दुनिया की हर मा की तरह वो भी अपने बेटे की तारीफ सुनकर फूली नहीं समाई।
शादाब:" अच्छा दादा जी मैं जाकर सब काम देखता हूं। कोई कमी तो नहीं है ।
इतना कहकर वो बाहर निकल गया और काम में लगे लोगों से मिला और हलवाई से बात करी, सजावट का काम देखा और सारी प्लानिंग करने लगा। दिन के 10 बज चुके थे और मेहमान आना शुरू हो गए। सबसे पहले उसकी बुआ रेशमा अाई जिसके मुंह पर नकाब लगा हुआ था तो उसने शादाब को नहीं पहचाना लेकिन उसकी सुन्दरता को देख कर लालच भरी निगाहों से घर में चली गई। वहां वो अपने मा बाप से मिली और शहनाज़ से मिली और उसे गले लगा लिया।
रेशमा:" भाभी कैसे हो आप? शादाब कहां है बहुत सालों से नहीं देखा उसे !!
शहनाज़:" मैं ठीक हूं बाज़ी, शादाब यहीं हैं, बाहर काम में लगा होगा, मैं आपके लिए पानी लाती हूं।
शहनाज पानी लेकर अा गई और रेशमा की तरफ ग्लास बढ़ा दिया तो रेशमा पानी पीकर बोली;"
" पहले शादाब से मिलती हू, फिर सबसे बात करूंगी।
इतना कहकर वो बाहर की तरफ अाई और एक छोटे बच्चे को बुला कर कहा:"..
" बाहर से शादाब को बुला लाओ, बोलना उसकी बुआ रेशमा अाई हैं
लड़का बाहर गया तो शादाब खुशी के मारे दौड़ता हुआ घर के अंदर घुस गया और अपनी बुआ के पास अा गया जो अब नकाब उतार चुकी थी।
शहनाज़:" बेटा ये तुम्हारी बुआ हैं रेशमा, बचपन में तू उनके साथ ही सबसे ज्यादा खेलता था और ये भी तुझे बहुत प्यार करती थी।
शादाब को एक के बाद एक बाते याद आने अपने बचपन की और वो खुशी से दौड़ता हुआ अपनी बुआ से लिपट गया तो रेशमा ने भी उसे अपने गले लगा लिया।
रेशमा: मेरे बच्चे तुझे मैंने बहुत याद किया, तेरी बहुत फिक्र होती थी मुझे , बेटा तो बड़ा खूबसूरत जवान बन गया है।
शहनाज को अपने बेटे का अपनी बुआ से यूं चिपकना और रेशमा की ऐसे तारीफ करना अच्छा नहीं लगा और उसे जलन महसूस होने लगी। उसका खूबसूरत चेहरा गुस्से से लाल होने लगा और वहां से उपर की तरफ चली गई।
रेशमा ने आगे बढ़कर शादाब का गाल चूम लिया और बोली:"
" बेटा मुझे बहुत खुशी हुई तुझसे मिलकर, कुछ दिन के लिए मेरे साथ चलना शहर में!!