Maa Sex Kahani मम्मी मेरी जान - Page 10 - SexBaba
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Maa Sex Kahani मम्मी मेरी जान

रात ९.३० सानिया ने खाना बनाने के बाद मोना से कहा के जाओ खाना खाने के लिए सतीश को बुला लाओ.
मोना सतीश के रूम मे गई पर सतीश वहां नहीं था... उसने पूरा घर छान मारा पर सतीश उसे कहीं नहीं मिला, फिर वो छत पे गई वहां उसने देखा के सतीश बहुत उदास है और खड़े खड़े कुछ सोचते हुए सिग्रेटे पि रहा है.
मोना ने धीरे से कहा “भाई”!
पर सतीश ने नही सुना.
मोना ने दो तीन बार और आवाज़ दी पर सतीश तो अपने ख़यालों मे कुछ ऐसा खोया हुआ था के उसे मोना की आवाज़ सुनाई नहीं दि.
मोना सतीश के पास गई और उसे हिला के “कहा कहाँ खोये हुए हो, सुनायी नहीं देता क्या तुझे, मैं कब से तुझे आवाज़ दे रही हु और एक तू है के सुनता ही नही, कहाँ खोया हुआ है तु?
खाना लग गया है...
मम्मी खाना खाने बुला रही है,
ओर ये क्या तू सिगरेट पि रहा है चल फ़ेंक अच्छे लड़के सिगरेट नहीं पीते और तू तो सिगरेट पिता हुआ बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता,

चल सिगरेट फेक और चल मेरे साथ्”
सतीश बड़े गौर से मोना की बात सुनता है.
उसे रात की चाँदनी रौशनी
मे मोना का प्यारा चेहरा और भी प्यारा लगने लगता है.
वह मोना की बात सुन के अपनी सिगरेट फ़ेंक देता है और उसे सॉरी कहता है,
सतीश : आज तक किसी ने मुझे इतने प्यार और अपने पण से....
मुझे आज तक किसीने इतने प्यार और हक़ से नहीं समझाया,
तूम कहती हो तो ठीक है, मैं आज से कभी सिगरेट नहीं पियूँगा, अब तुम्हे भी मुझ से एक वादा करना पड़ेगा की, तुम हमेशा खुश रहोगी और मुझे तुम्हारे परी से चेहरे पे हमेशा एक प्यारी सी स्माइल चाहिये, क्यों की परी कभी रोती नहीं समझी”.
“जी समझ गई अब चले खाना खाने”.
“हा चलो”.
फिर मोना और सतीश मुस्कुराते हुए निचे खाना खाने डाइनिंग टेबल पे जाते है.
दोनों को मुस्कराता देख सानिया भी खुश हो जाती है.
सानिया : “देखा तुम मुस्कुराते हुए कितनी अच्छी लगती हो,
सतीश आज से अब ये तुम्हारी ज़िम्मेदारी है के मोना हमेशा खुश और मुस्कुराती रहे उसकी आँखों मे तुम कभी आँसु आने नहीं दोगे वादा करो मुझसे”.
“वादा मम्मी, पक्का वादा मैं दीदी को अब हमेशा खुश रखुंगा”.
फिर तीनो खाना खा के सोने चले जाते है.

सतीश बेड पे करवट बदलता रहता है पर उसे नींद नहीं आ रही है.
उसे मम्मी की याद सता रही है. अभी उसकी शादी को एक दिन भी नहीं गुज़रा है और उसे अपनी बीवी से अलग सोना पड़ रहा है.
उधार सानिया का भी यही हाल है उसे भी नींद नहीं आ रही है, उसे सतीश के लंड की याद सता रही है. और मस्ती मे बेड पे लेटे लेटे वो सतीश के लंड को याद कर के वो अपनी चुत सेहला रही है.
सतीश से जब बर्दाश्त नहीं होता तो वो उठ के अपने कमरे से बाहर निकल जाता है और पहले मोना के रूम को खोल के चेक करता है के मोना क्या कर रही है कहीं वो जाग तो नहीं रही है. पर मोना तो गहरी नींद में सो रही है वो मोना को सोया हुआ देखता है तो उसकी नज़रें मोना के प्यारे से चेहरे पे अटक जाती है.
उसे ऐसा लगता है जैसे छोटी मासूम बच्ची सो रही हो,
ओ बड़े गौर से मोना के प्यारे चेहरे को देखने लगता है.
अचानक उसे याद आता है उसे तो सानिया के कमरे मे जाना था वो यहाँ क्या कर रहा है और वो वहां से निकल के सानिया के रूम मे जाता है और देखता है के बेड पे सानिया करवट ले के लेटी हुई है.
ओ पीछे से जाकर उस से लिपट जाता है.
फिर

 
थोड़ी देर के बाद सानिया सतीश के लंड को पकड कर उसको अपने हाथों से सहलाते हुए बोलि, " बेटा लग रहा है की तुम्हारा औज़ार (डंडा) किसी भी औरत को और खास कर मुझे खुश कर सकता है.
ओर अगर किसी कुंवारी लड़की के चूत मे चला जाये तो उसकी चूत ही फट जाएगी." फिर सानिया सतीश के सामने जमीन पर बैठ गयी और सतीश के लंड से खेलने लगी. धीरे धीरे सानिया ने सतीश के सुपारे को अपनी जीभ से सहलाने लगी सतीश का तो सर घूम रहा था और मूह लाल हो रहा था.
सतीश ने अपनी मम्मी को पकड़ कर उठाया और अपनी गोद पर अपने तरफ मुह करके बैठा लिया.
फिर वह अपनी मम्मी से लिपट गया और उनको चूमने लगा थोड़ी देर तक चूमने के बाद मे हाथ बढा कर सानिया के पीछे ले गया और उनकी ब्रा की हुक खोल दिया.
ब्रा ख़ुलते ही सानिया की बड़ी बडी, गोल गोल और भरी भरी स्तन बाहर सतीश की नज़रों के सामने निकल आई.
ओर..............
मम्मी के स्तन बहुत ही सुन्दर है और उनका साइज करिबन 39 डी है और ऊपर की तरफ तने हुए है.
मम्मी के स्तन के निप्पल हलके गुलाबी रंग और चने के साइज के है.
सतीश ने जैसे उन स्तनो को छुआ उसे वह दोनों बहुत नरम और गरम लगे.
सतीश झुक कर सानिया के स्तन के निप्पल को अपने मुह में लिया और धीरे धीरे चुसने लगा.
जैसे जैसे वह निप्पल को चुस रहा था उनकी साइज बढ्ने लगी और पूरी तरह से तन कर खड़े हो गये.
जैसे किसी पत्थर से बनी मूर्ति की होती है.
सतीश बुरी तरह से अपनी मम्मी के स्तन को चूस रहा था और सानिया कभी कभी दर्द से कराह देती मगर सानिया ने एक बार भी उसको ऐसा करने से नहीं रोका और उसको अपनी मर्ज़ी का करने दिया.
सतीश सानिया के स्तन चुसते हुए सानिया से लिपटे जा रहा था और जब वह बहुत गरम हो गया तो वह बगल में अपनी मम्मी को लेकर लेट गया. सानिया सतीश के ऊपर लेट गयी.
सतीश फिर सानिया को पकड़ कर पलट गया और सानिया के ऊपर चढ़ कर सानिया को चूमने लगा और दोनों हाथों से उनके स्तन मसलने लगा.
थोड़ी देर के बाद सतीश को लगा की शायद बाहर कोई मम्मी के बैडरूम की तरफ आ रहा है.
किसी के कदमो की आहट तेज होती जा रही है.
आचानक कमरे का दरवाज़ा खुला और मोना कमरे दाखिल हो गयी.
ओ सीधे बेड के पास आके खड़ी हो गई और फिर उसने जो देखा वो चोंका देणे वाला था..............
उसकी आँखे और मुह दोनों खुले के खुले रह गये.
उसने सोचा क्या ऐसा भी हो सकता है ........................?
क्या.....

 
मोना सानिया को बेड पे बिना ब्लाउज के लेटा देख के चोंक जाती है.

ओ यह नहीं समझ पाती की मम्मी ऐसे आधी नंगी हो के क्यों सो रही है.
सानिया मोना को बेड के पास खड़े खुद को घुरता देख डर जाती है. और गहरी नींद में सोने का नाटक करती है.
ओ यह सोच के ज्यादा डर रही होती है के एक तो वो खुद बेड पे बिना ब्लाउज के आधी नंगी लेटी हुई है और बेड के निचे सतीश बिना पाजामे के अगर मोना ने सतीश को बेड के निचे पकड़ लिया तो क्या होगा?
अगर उसे सानिया और सतीश के इस नए रिश्ते के बारे में पता चल गया तो?
कया सोचेगी मोना उनके बारे में ?
कया उनका ये रिश्ता मोना से छुप पायेगा?
क्या वह उनके इस रिश्ते को समझ पायेगी?
कया जवाब डेगी वो मोना को?
यही सोचते हुए सानिया गहरी नींद में सोने का नाटक करती है.
चुप चाप लेटे रहने में ही उसे अपनी भलाई समझ में आती है.
मोना सानिया को गहरी नीद में सोता देख कर उसके जिस्म पे चादर डाल के वहीँ सानिया की बगल में बेड पे लेट जाती है.
बेड के निचे से सतीश जब मोना को बेड पे लेटता हुआ देखता है तो डर जाता है के अब वो बेड के निचे से बाहर कैसे निकलेगा. और अगर वो वहीँ बेड के निचे सो जाता है तो भी उसके पकडे जाने का डर है क्यों की नींद में उसे हाथ पैर चलाने की आदत है.
इस लिए वो मोना के सोने का इंतज़ार करता है.
करीब एक घंटा इंतज़ार करने के बाद सतीश बेड से किसी को निचे उतरते देख के डर जाता है.
कही ये मोना तो नहीं ?
सतीश डर के मारे आँख बंद कर लेता है.
अचानक उसे अपने कंधे पे किसे का हाथ मेहसुस होता है और जैसे ही डर के मारे उसकी चीख़ निकलने को होती है.....
धीरे से उसके कान में आवाज़ आती है सतीश सतीश मैं हूँ चीख़ना मत
सतीश आँख खोल के सानिया को अपने पास पाता है तो राहत की सांस लेता है.
सानिया अभी भी बिना ब्लाउज के ही है सतीश ये देखते ही फिर मस्ती में आ जाता है और.

सतीश को फिर मस्ती में देख सानिया फ़ौरन सतीश का हाथ अपनी स्तन से हटा के कहती है पागल मत बनो मोना ऊपर बेड पे सोइ हुई है.
तूम अभी जल्दी से जाओ.
मोना का नाम सुन के सतीश फ़ौरन सानिया के स्तन को छोड़ देता है और चुपके से बेड के निचे से निकल के अपने रूम में जा कर सो जाता है.
इधर सानिया भी चैन के सांस लेती है और वो भी अब आराम से मोना के बगल में सो जाती है.
सुबह जब मोना की आँख खुलती है तो वो अपनी बगल में मम्मी को सोते हुए पाती है फर्क सिर्फ इतना होता है की कल रात मम्मी आधी नंगी यानी बिना ब्लाउज के सोइ हुई थी और अब उसके बदन पे चादर है पर ब्लाउज तो उसने अभी भी नहीं पहना हुआ है.
मोना मम्मी को बेड पे सोता छोड़ अपने रूम में चलि जाती है और जॉगिंग के लिए कपडे चेंज करती है.
मोना को बचपन से ही सुबह जॉगिंग करने की आदत थी.
पर ये आदत शादी के बाद उसे छोड़नी पड़ी क्यों के दिन भर घर का काम और रात भर पति से मार और बेरहमी से हुई चुदाई के बाद सुबह जोग्गिंग करने की उसकी हिम्मत नहीं होती.
पर अब बात कुछ और है अब वो अपने घर पे है और यहाँ उसके अपने उस से प्यार करने वाले हैं यहाँ वो बड़े आराम से रह के अपने सब अरमान पूरे कर सकती है.
ये सोचते हुए मोना बाथरूम में पेशाब करने जाती है.
पेशाब करने के बाद जब पानी डाल कर अपनी लालपरी (चूत)को धोती है तो मन करता है कुछ देर तक यूँ ही रगडती रहूं.
गोरी चुत का उपरी हिस्सा झांटो से बिलकुल ढक गया था
नहाते वक्त जब कपड़े उतार कर अपने स्तनों और चूत पर साबून लगाती तो बस मज़ा ही अजाता,
हाथ में साबून लेकर चूत में डाल कर थोड़ी देर तक अन्दर बाहर करती और दुसरे हाथ से स्तनों को रगडती.....
आहहहहः... ..
खुद को बाथ रूम में लगे बड़े मिरर में देख कर बस मस्त हो जाती है.
उसे बड़ा मज़ा आता है.
उसका मन करता है की बस अपनी चूत और स्तनों से खेलति रहूं.
सतीश के लंड के बारे में सोचते सोचते उसकी चुत गरम हो कर पानी छोड़ने लगती है और अपनी चुत की गर्मी कम करने के लिए उंगलियो से अपनी लालपरी की ऊपर वाली चोच को मसलती है और निचे वाले छेद में ऊँगली घूसा के अन्दर बाहर करती है.
उसे बडा मजा आने लगता है.
एक साल से सीड ने उसकी चुदाई नहीं की है,
जब से सतीश के ९" इंच के लोहे जैसे लंड की घर्षण कार में उसकी चुत पे हुई है तबसे उसके अंदर लंड के लिए इतना दिवानापन जाग गया है.उसके पती का लंड सिर्फ 5 इंच का था हा पर मोटा सतीश के लंड जितना ही था
अपनी चुत में दो ऊँगली डाल कर धक्के मारते हुए सिसकारी लेने लगती है

और काँपते हुए वो झड जाती है.
फिर नहा के जोग्गिंग सूट पहन के सतीश को उठाने उसके बेड रूम में जाती है.
जैसे ही सतीश के बैडरूम का दरवाज़ा खोल के वो अन्दर सतीश के बेड के पास पहुंचती है.
अचानक ही वो चोंक जाती है.......

 
मोना की समझ में नहीं आता के ये माजरा क्या है?
रात को उसने सानिया को बेड पे बिना ब्लाउज के आधा नंगा सोते हुए देखा और अब यहाँ सतीश भी अपने बेड पे बिना पाजामा पहने सोया हुआ है.
आखिर दो साल में ऐसा क्या हुआ जो उसकी मम्मी और भाई आधे नंगे हो कर अपने अपने बेड पे सोने लगे हैं.पहले तो ऐसा नही होता था,
मोना ने देखा के सतीश के सर से ले कर लंड तक का हिस्सा चादर से धका हुआ है और सतीश का 9 इंच" का टाइट लंड चादर के अन्दर से टेंट बन कर खडा है.
मोना सतीश के टेंट बने हुए लंड को दूर से निहार रही थी.
सतीश भी उस वक़्त जागा हुआ था उसने मोना को कमरे में आते हुए देख लिया था और चादर के अन्दर एक होल से सब देख रहा था.
वह ये देखना चाहता था के उसे नंगा बेड पर लेटा देख मोना क्या करती है.
उसे मोना ट्रैकसूट में बहुत ही सेक्सी और प्यारी लग रही थी.
मोना का ट्रैकसूट बहुत हे टाइट था, उसके स्तन ऐसे लग रहे थे जैसे बड़े बड़े गुब्बारे हो
मोना ने एक पल के लिए इधर उधर देखा और फिर धीरे से सतीश के पास आ गई और अपना एक हाथ आगे कर के सतीश के लंड के सुपारे को चादर के ऊपर से ही अपनी मुट्ठी में ले लिया और प्यार से सहलाने लगी..
मोना की साँसे भारी भारी हो रही थी...
फिर उसने अपना दूसरा हाथ आगे बड़ा दिया और सतीश के लंड को दोनों हाथो में लेकर सहलाने लगी..
सतीश का लंड पूरी तरह से टाइट हो कर पत्थर जैसे सख्त हो रहा था.
मोना के दोनों हाथो में सतीश के लंड का सूपाड़ा अन्दर बाहर हो रहा था..
अब मोना के मूह से सिसकारी निकली.
म्म्म्मम्...............
पता नहीं वो क्या सोच रही थी.
पर सतीश को भी अब मज़ा आने लगा था
आखीर मोना से रहा नहीं गया और उसने चादर हटा के सतीश के लंड को पकड़ लिया जो के अभी पूरी तरहा से नंगा था
सतीश को मोना के हाथो से मज़ा आ रहा था...
मोना सतीश के बिस्तर के पास
बैठि हुई उसके लंड को प्यार से सहला रही थी.
ओर जैसे ही....

सतीश के बदन में हरकत हुई और मोना ने फ़ौरन सतीश के लंड को छोड़ दिया.
कुछ देर इंतज़ार करने के बाद मोना ने फिर से सतीश के लंड को प्यार से सहलाना शुरू कर दिया.
ओ बड़े ही प्यार से सतीश के लंड से खेल रही थी.
फिर उसने सतीश के लंड के सुपारे को अपने होंठो से लगा लिया और सुपारे को जोर जोर से चूसने लगी और फिर लंड को अपने मुह में भर लिया..
आधा लंड उसके मुह में और आधे लंड को अपने हाथों में भरा हुआ था
अचानक सानिया की आवाज़ आई
“सतीश उठ जा बेटे”.
बेडरूम के बाहर से सानिया की आवाज़ सुनते ही मोना के होश उड़ गये,
वह फ़ौरन उठ के बाथरूम से अपने रूम में भाग गयी.
मैं ये बताना भूल गया था की जिस रूम में मोना अभी रह रही है उस रूम और सतीश के रूम का एक ही अटैच टॉयलेट बाथरूम है जिसका दरवाज़ा दोनों के रूम में खुलता है.
सानिया फिर आवाज़ देती है
“देख सुबह हो गयी है तुझे जॉगिंग के लिए लेट हो जायेगी,उठो ना बेटा”.
सानिया सतीश के रूम में एंटर होती है और सतीश को नंगा लेता हुई देख कर चोंक जाती है,
इस से पहले के सानिया कुछ कहती सतीश उसे इशारे में चुप रहने को कहता है.
ओर फिर धीरे से उसे बताता है के मोना जाग रही है और बाथरूम में है.
तूम चलो मैं अभी आता हु.
मोना का नाम सुनके सानिया फ़ौरन कमरे से बाहर निकल जाती है.
सतीश भी उठ के पाजामा पहनता है और बाथरूम का दरवाज़ा खोलता है तो वहां उसे मोना वाश बेसिन के पास खड़ी दीखती है,
ओ सॉरी बोल के जैसे ही जाने लगता है मोना उस से कहती है
“तुम टॉयलेट यूज़ कर लो मैं बाहर जोग्गिंग के लिए तुम्हारा इंतज़ार कर रही हु,
जलदी से तैयार होकर आओ”.
मोना बाहर आकर सोफ़े पे बैठ जाती है और सोचने लगती है.
आज तो मेरी इस कमीनी चुत ने मुझे मरवा ही दिया था,
ओ तो मेरी किस्मत अच्छी थी
अच्छा हुआ मम्मी ने बाहर से आवाज़ दिया.
वह रूम के अन्दर नहीं आई.
नही तो मैं मम्मी को क्या मुह दीखाती ?
कया जवाब देती की मैं अपने नींद में सोये हुए भाई का लंड क्यों चुस रही हूँ ?

 
मोना सोफ़े से उठ कर अपने रूम में चलि जाती है और मिरर के सामने खड़ी हो कर अपने होंठो पे लिपस्टिक लगाती है.
लिपस्टिक को होंठो पे फिराते हुए उसे फिर से सतीश के लंड की याद आ जाती है और उसकी चुत में फिर से हलचल होने लगती है.
“छि कितनी बेशरम है तू अपने भाई के लंड के बारे में सोच कर तूने मुझे फिर से परेशान करना शुरू कर दिया.
अरे कुछ तो शर्म कर वो तेरा भाई है और तू उसके बारे में ऐसी गन्दी सोच रखती है,
देख मैं तुझे समझा देती हूँ अभी भी वक़्त है सुधर जा नहीं तो बहुत मारूंगी मैं तुझे”.
ये कह्के मोना अपनी चुत पे दो तीन थप्पड़ मारती है और उसे डाँटने लगती है.
“बोल कमीनी करेगी फिर ऐसा,
चल सॉरी बोल”.
सतीश बहुत देर से मोना की हरकतों को पीछे से देखता रहता है. और मन ही मन खुश होता रहता है.
मोना को उसका लंड पसंद है.
सतीश को इस बात की ख़ुशी है के आज नहीं तो कल मोना मुझ से ज़रूर चुदवायेगी.
सतीश फिर मोना को आवाज़ देता
है.
मोना जल्दी बाहर निकल जाती है.
सतीश मोना को ऊपर से निचे तक देखता है, मोना ब्लू कलर की टाइट टीशर्ट पहने रह्ती है जिसमे उसके बड़े-बड़े कठोर स्तन को देख कर मस्त हो जाता है और उसका लंड खड़ा होने लगता है,
वह मोना के चेहरे की और देखता है मोना उस समय बहुत ही खूबसूरत नजर आ रही थि, उसकी हाफ बाह की टीशर्ट उसकी कलाई पर एक घडी उसके कंधे तक बाल, उसके
माथे पर एक छोटी सी बिंदी और उसके रसीले होंठो पर हलकी लिपस्टिक उसे बहुत खूबसूरत बना रही थी,
सतीश हसरत भरी निगाहो से उसके रूप सोंदर्य को देख रहा था, उसका दिल कर रहा था की मोना को अपनी गोद मे बैठा कर उसके रसिले
होंठो को खूब कस के चुमे और उसकी कसी हुई मस्तानी छतियो को अपने सीने से लगा कर उसे अपनी बांहो मे भर ले...
मोना उसको ख़यालों की दुनिया से वापस लाती है और कहती है “अब चलें जोग्गिंग करने”?
फिर सतीश बाइक निकालता है.

मोना बाइक पे बैठि अब उसकी स्तन सतीश के पीठ से टकरा रहे थे , क्या बताये कितनी मस्त फीलिंग आ राई सतीश को वह सॉफ्ट सॉफ्ट स्तन माय गॉड इसको वर्ड्स में बताना बहुत मुश्किल है, सतीश धीरे धीरे बाइक चलाने लगा छोटा सा भी गढ्ढ़ा अगर रोड पे आता तो सतीश ब्रेक मार देता उसपे मोना बोलती
“सतीश ये क्या कर रहा है बाइक चलना भूल गया क्या”?
सतीश : “नहीं रे वो क्या है के रोड ख़राब हैं ना तो बाइक चलाने में थोड़ी सी मुश्किल हो रही है,चल एक काम कर मुझे ज़ोर से पकड़ ले वरना कही तू बाइक से निचे ना गिर जाये”.
सतीश तो मोना के स्तन को अपनी पीठ पे दबवा दबवा के उनके मज़े ले रहा था,
ओर सतीश का लंड अब सतीश के पाजामे में खड़ा होकर सलामी दे रहा था,

 
मोना ने अब उसे कमर से कस पकड़ लिया था और झटके लाग्ने की वजह से बार बार अब मोना का हाथ सतीश के लंड से टकरा रहा था,
जैसे ही मोना की ऊँगली सतीश के लंड से टकरातीं सतीश का लंड उछलने लगता.
मोना को अब ये एहसास हो गया था की सतीश का लंड अब खड़ा है.
मोना : “सतीश तेरी पैंट में यह क्या हलचल मची हुई है, क्या है यह” ?
सतीश : “क्या है कुछ भी तो नहीं है”.
मोना : “नहीं भाई कुछ तो ज़रूर है?
जो बार बार मेरे हाथ से टकरा रहा है”.
सतीश : “कुछ नहीं दीदी वो मेरा मोबाइल है, वाइब्रेटिंग मोड़े पे है, वहि तेरे हाथ से टकरा रहा है, शायद किसी का फ़ोन आया है”.
अचानक बाइक के सामने बिल्ली के आ जाने से सतीश ब्रेक मारता है और मोना गिरने लगती है तो खुद को गिरने से बचाने के लिए वो सतीश को और कस के पकड़ लेती है,
सतीश के मुह से एक आह निकल जाती है.
उसे ये नहीं पता चलता की खुद को गिरने से बचाने के लिए उसने जिस चीज़ को पकड़ा हुआ है वो कुछ और नहीं बल्कि सतीश का लंड है.
मोना : “सतीश क्या करता है, तू बाइक चला रहा है के मज़ाक़ कर रहा है मै अभी गिर जाती, संभाल के चला”.
सतीश : “मममममै क क क्या करू ब्ब्ब्बिली अचानक अअअअअ गयी”.
मोना : “तु हकला क्यों रहा है ? और ये बिल्ली कहाँ से आ गई बीच मे”?

सतीश : “अब मैं क्या जानु कहाँ से आई ये बिल्ली, अच्छा संभल के बैठ और कस के पकड़ गिरना मत अगर तुझे कुछ हो गया तो मेरी तो जान ही निकल जायेगी.
("कस के पकड़ी रह मेरे लंड को छोड़ना मत, झटके की वजह से तेरे हाथ ऊपर निचे हो रहे हैं और मुझे पूरा मज़ा दे रहे है")
मोना : “तुझे दुःख होगा मेरे गिरने से पर क्यों” ?
सतीश : “कहा ना होगा तो होगा बस”.
मोना : “वही तो मैं पूछ रही हूँ क्यों”
सतीश : “क्यों की तुम मेरी बहन हो और मै तुम्हसे प्यार करता हु,
मोना : “अच्छा सिर्फ यह बात है, कितना प्यार करते हो”?
सतीश : “तुम्हे क्या पता तूम मेरे लिए क्या हो, यह तो मैं ही जानता हु”.
मोना : “क्या बात है तुम्हे बड़ा प्यार आ रहा है मुझ पर, कही मुझे अपनी गर्ल फ्रेंड बनाने का इरादा तो नहीं है तुम्हारा” ?
कह के मुस्कुराने लगती है.
ओर सतीश के गाल चूम लेती है.
सतीश : “तुम ना बहुत बदमाश हो गई हो”.
मोना का हाथ और स्तन का एहसास सतीश को पागल बनाये जा रहा था.
उसको अब इतनी मस्ती चढ़ी हुई है की उसे अब बाइक चलाने मैं परेशानी हो रही है.
उसके हाथ काँप रहे हैं ऐसा मेहसुस हो रहा है की वो अब किसी भी पल झड जायेगा.
पर लगता है अब उसकी किस्मत ने उसका साथ देना बंद कर दिया है.
मोना के हाथ जो उसे मज़ा दे रहे थे अब उसका साथ छोड़ देंगे.
मोना : “चलो शुक्र है पार्क तो आ गया”.
सतीश को बाइक रोकनी पड़ती है और जो मज़ा उसे अभी नसीब हो रहा था वो ख़तम हो जाता है.
फिर दोनों पार्क के अन्दर चले जाते है.
सतीश एक पेड़ के नीचे बैठ जाता है,
मोना : “अरे क्या हुआ यहाँ क्यों बैठ गये जोग्गिंग नहीं करना क्या” ?
सतीश : “नहीं मैं यहीं थोड़ा एक्सरसाइज करुन्गा, तुम जोग्गिंग करो”.
मोना : “क्यों क्या हुआ” ?
सतीश : “कुछ नहीं अभी मेरा जोग्गिंग करने का मूड नहीं है”.
फिर मोना जोग्गिंग करने लगती है.
ओर सतीश अपनी किस्मत को कोसने लगता है.
पिछले २४ घंटे में उसका ४ बार केएलपीडी हो गया है.
ओ बहुत ही उदास मन से वहां बैठा हुआ था की
अचानक....

अचानक बारिश शुरू हो गई और सतीश भिगने लगा और दिल ही दिल में अपनी किस्मत को कोसने लगा.
वहा कहीं भी बारिश से बचने की जगह नहीं है.
ओ अपने ख़यालों में खोया हुआ था के उसे किसी के चीखने की आवाज़ सुनायी देती है.
आई...........


 
चीख सुन के सतीश चोंक जाता है.
ये आवाज़ तो जानी पहचानी है वो फ़ौरन उस आवाज़ की तरफ जाता है.
कुछ दूर पे उसे मोना ज़मीन पे गिरी नज़र आती है.
वह मोना के पास जाता है. और क्या देखता है के मोना के कपडे भीगे हुए है, दोनों हाथ छिले हुए हैं उसे काफी चोट आई हुई है. और वो दर्द के मारे रोये जा रही है चुप होने का नाम ही नहीं ले रही है.
सतीश मोना को अपने गले लगा
लेता है और उसके आँसु पोछ के उसे चुप कराने लगता है.
मोना की ऐसी हालत देख कर सतीश डर जाता है और खुद रोने लगता है,
सतीश को रोता देख मोना चुप हो जाती है और हैरत से देखने लगती है.
मोना को ठीक देख के सतीश की जान में जान आ जाती है और वो मोना के चेहरे को बेतहाशा चूमने लगता है.
सतीश : “भगवान का शुक्र है के तुम ठीक हो अगर तुम्हे कुछ हो जाता तो” ?
मोना : “तो” ?
सतीश : “तुम समझती क्यों नहीं अगर तुम्हे कुछ हो जाता तो मे भी मर जाता,
भले ही तुम हमेशा अपने दिल की करती हो. पर आज से तूम वही ही करोगी जिसमे तुम्हारी भलाई हो और तुम्हे ख़ुशी मिले ना की आंसू,मैं तुम्हारे ये आँसु नहीं देख सकता.
तुम्हारे आँसु निकलते हैं तो पता नहीं क्यों मेरा कलेजा फ़टने लगता है,
चलो अब उठो घर चलो बहुत करली तुम्हने जॉगिंग”.
मोना कुछ कहती नहीं है बस सतीश को घूरे जा रही है.
सतीश मोना से खड़े होने को कहता है पर दर्द के मारे मोना से तो हिला भी नहीं जाता है.
फिर सतीश मोना को अपनी गोद में उठा लेता है और मोना एक प्रेमिका की तरह अपनी बाँहें सतीश के गले में डाल देती है और सतीश उसे पार्क के बाहर ले आता है. और बाइक पे बैठा देता है.
फिर टैक्सी की तलाश करता है....

सतीश टैक्सी की तलाश करता है पर बारिश की वजह से उसे टैक्सी नहीं मिलती.
वह मोना से कहता है के बाइक से ही चलना पडेगा.
मोना : “पर मैं पीछे नहीं बैठ पाऊँगी”.
सतीश : “तूम फ़िक्र मत कर मैं हूँ ना”.
बस इतना समझ लो की जब तक मैं ज़िंदा हूँ तुम्हे कोई भी तकलीफ नहीं होने दूंगा”.
फिर सतीश बाइक पे मोना को अपनी तरफ घुमा के बैठा देता है.
अब बाइक पे दोनों के चेहरे आमने सामने हो जाते हैं और मोना एक तरह से सतीश की गोद मैं बैठि है.
सतीश मोना को देख कर अचानक मुस्कुराने लगता है.
मोना सतीश को अचानक मुस्कुराते देख कर चोंक जाती है.
मोना : “क्या हुआ ऐसे क्यों मुस्कुरा रहे हो”?
सतीश : “कुछ नही..........
मोना : “बताओ ना क्या हुआ” ?
सतीश : “कहा ना कुछ नही.........
मोना : “देखो बताओ नहीं तो मैं तुमसे नाराज़ हो जाऊंगी”.
सतीश : “वह तुम्हारी.....................!!!!!
मोना : “वह तुम्हारी क्या” ?
सतीश : “वह तुम्हारी ट्रैक फटी हुई है और बिना पेन्टी के तुम्हारा सब खुला हुआ दिख रही है”.
सतीश की बात सुन के मोना फ़ौरन झुक के अपनी ट्रेक पेंट की तरफ देखति है,
ओर उसे अपनी फटी हुई ट्रैक से बिना पेन्टी के बाहर झाँकती चुत नज़र आती है
ओर वह शर्मा के फ़ौरन सतीश को अपने गले से लगा लेती है और उसे कहती है.
मोना : “तुम वहां मत देखो और मुझे जल्दी से घर पहुंचा दो प्लीज”.
सतीश फ़ौरन बाइक स्टार्ट करता है और घर की तरफ निकल जाता है.
मोना बाइक पे सतीश की गोद में बैठि हुई सतीश को कस के गले लगाए हुये है.
आब वापसी में भी ख़राब रोड के कारन सतीश के मज़े हो जाते हैं.
मोना की स्तन अब सीधे सतीश के सीने में दबे हुये है और सतीश का लंड खड़ा हो कर मोना की गांड और चुत से सटा हुआ है.
रोड के झट्को की वजह से जिस तरहा लोग घुडसवारी करते वक़्त उछलते हैं ठीक उसी तरहा मोना भी उछल रही है.
यहाँ घोडे की पीठ के बजाये पाजामे के अन्दर लोहे के रॉड की तरहा सख्त सतीश का लंड है जिस पे अभी मोना की नंगी चुत और गांड उछल कुद मचा रही है.
अगर ..?

अगर सतीश का पाजामा बीच में नहीं होता तो मोना और सतीश की चुदाई इस भरी बरसात में बाइक पे हो जाती है...............
क्या सिन होता वह......................
"ये सोच सोच के शायद अभी तक आप लोगों ने अपना लंड हिला कर और अपनी चुत में ऊँगली करके अपना पानी निकला होगा मुझे यकीन है.


 
मोना अब मस्ती में आने लगी और सतीश के लंड पे अपनी चुत रगड़ने लगी.
उसके मुह से सिसकारी निकलने लगी.
ये सुन के सतीश डर जाता है उसे लगता है के मोना दर्द में ऐसी आवाज़ें निकाल रही है.
वह मोना को एक हाथ से कस के गले लगाता है और उसके गाल को चूम के कहता है रोओ मत दीदी बहुत जलद हम घर पहुँच जायेंगे.
ये सुन के मोना को हँसी आती है पर वो अपनी हँसी रोक लेती है.
सतीश के लंड पे अपनी चुत को रगडते रगडते हुये मोना कापते हुए झड़ने लगती है.
उसकी चुत अब बेतहाशा रोने लगती है.
अब मोना की चुत से गंगा जमुना बहने लगती है और सतीश के पाजामे से होते हुए उसके लंड को भिगोने लगती है.
सतीश को अपने लंड पे गरम गरम पानी महसूस होता है और वो ये सचता है के लगता है मोना को बेतहाशा दर्द हो रहा है जिसकी वजह से उसने मेरी गोद में बैठे बैठे पिशाब कर दिया,
खैर चलो कोई बात नहीं अब तो मुझे इसकी आदत हो गई है,
इसको मिला के दीदी अब तक २ बार मेरी गोद में पिशाब कर चुकी है.
अभी सतीश ये सोच ही रहा था के उसका घर आ जाता है और वो बाइक रोक देता है.
सतीश जैसे ही बाइक से उठने लगता है मोना उसे रोक देती है.
मोना : “कहाँ जा रहा है मम्मी को अपने मोबाइल से कॉल करदे ना वह बाहर आ जायेगी”.
सतीश : मेरे पास मोबाइल नहीं है, मेरा मोबाइल तो अन्दर रूम में है”.
मोना : “अगर तेरे पास मोबाइल नहीं है और तेरा मोबाइल अन्दर रूम में है तो जो पार्क जाते वक़्त तेरे पैंट में वाइब्रेट कर रहा था वो क्या था”?
सतीश मोना को कुछ जवाब नहीं देता बस मुस्कुराके उसे अपनी गोद में उठा लेता है और गेट खोल के घर के अन्दर चला जाता है.
मोना को अब समझ में आता है के सतीश के पैंट में जो हलचल मची थी वो मोबाइल की नहीं उसके लंड की थी.
फिर सतीश मोना को सोफ़े पे लिटा देता है.
फिर मोना के सामने अपना सर झुका के उस से माफ़ी मांगता है.
मोना : तुमम माफ़ी क्यों मांग रहे हो ?
इसमे तुमम्हारी कोई ग़लती नहीं है.
सतीश : “नहीं मेरी ही ग़लती है,
मुझे तो तुमम्हारा ख्याल रकना चाहिए था पर मैं ने तुमम्हे पार्क में अकेला जोग्गिंग करने छोड़ दिया अगर उस वक़्त मैं तुमम्हारे साथ होता तो तुमम नहीं गिरती तुमम्हे दर्द नहीं होता सब मेरी ग़लती है,
तुमम तो एक नाज़ुक परी हो तुमम्हे तो फूलों की तरहा सम्भालना चाहिए था और मैंने क्या किया,
मैं बहुत कमीना हूँ मुझे तो सजा मिलनि चहिये,
तूम जो सजा मुझे दोगी वह मंज़ूर होगी”.
मोना : “मैंने कहा ना इसमें तुमम्हारी कोई ग़लती नहीं है फिर तुमम क्यों खुद को कसुरवार मान रहे हो,
चलो अब रोना बंद करो और ख़बरदार जो खुद को कमीना कहा तो”.
फिर सतीश सानिया को आवाज़ लगता है. पर उसे कोई जवाब नहीं मिलता.
फिर वो फर्स्ट ऐड बॉक्स कॉटन और गरम पानी लाता है और बड़े ही आराम और प्यार से मोना के बदन पे लगी मिटटी और घाव साफ़ करता है और धीरे धीरे उसपे मरहम लगाता है.
मोना प्यार भरी नज़र से सतीश को देखति रहती है और मन में सोचती है क्या सतीश जैसे मर्द भी हैं इस दुनिया में जो औरत को हवस की नज़रों से नहीं बल्कि प्यार भरी नज़र से देखते हैं.
ओ औरतों को जिस्म की भूक मिटाने का सामान या कटपुतली नहीं बल्कि एक इंसान समझते है.
सतीश मोना के सीने पे खून के धब्बे को देख कर अपना हाथ बढ़ाता है पर वापस हटा लेता है उसकी नज़रें शर्म से झुक जाती है.
मोना उसे कहती है “तुमम्हे मैं इजाज़त देती हूँ मेरे सीने के घाव साफ़ करने और मेरे बदलने के लिये”.
सतीश शर्माते हुए धीरे धीरे मोना की टीशर्ट निकालता है और जैसे ही उसकी नज़र मोना की गोल गोल स्तनों पे जाती है उसका मुह और आँखें दोनों खुली की खुली रह जाती है, वो देखता ही रह जाता है.
मोना उसे छेडते हुए कहती है के “मैं ने तुमम्हे अपने जिस्म को नज़र लगाने को नहीं कहा है”

बल्कि दवा लगाने को कहा है.

 
सतीश मोना की बात सुनके हडबडा जाता है.
सतीश : “म म म मैं तो बस............
अभी लगाता हु मेरा मतलब है दवा,
एक बात कहुँ दीदी”?
मोना : (मुस्कुराते हुए) “हाँ कहो .......!!
सतीश : “तुम बुरा तो नहीं मानोगी” ?
मोना : “नहीं कहोगे तो मानूंगी”.
सतीश : “तुम बहुत सूंदर हो बिलकुल एक एंजेल के जैसी,
हाथ लगने भर से मैली हो जाऒगी.
मैंने तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की कभी नहीं देखि,
मेरा बस चले तो.............
मोना : “तो” ?
सतीश : “अपनी बीवी बना के अपने दिल में पूरी दुनिया से छुपा के रखू”.
मोना सतीश की बात सुन के शर्मा जाती है और उसका गोरा चेहरा शर्म से लाल हो जाता है.
वह सतीश से कहती है.
मोना : “मुझे मस्का मत लगाओ तुम्हे जो कहा है वो करो”.
सतीश फिर मोना के सीने के घाव को साफ़ करता है और उसका गीला ट्रैक निकाल के उसे नाइटी पहनाता है.

फिर उसे गोद में उठा के बेड पे लिटा देता है.
सतीश : “तुम आराम करो मैं तुम्हारे लिए नाश्ता बना के लाता हु”.
सतीश किचन में जा के नाश्ता तैयार करता है और बेड रूम में मोना के बेड के पास बैठ जाता है और अपने हाथ से बड़े ही प्यार से उसे नाश्ता कराता है. नाश्ते के बाद उसे ज़बर्दस्ती हल्दी वाला दूध पिलाता है.
सतीश का बेइन्तेहा प्यार देख कर मोना की आँखों में आँसु आ जाते है.
सतीश मोना के आँसु देख कर चोंक जाता है.
सतीश : “क्या हुआ दीदी, फिर से क्यों रो रही हो दर्द हो रहा है क्या”?
मोना : “नही”.
सतीश : “फिर” ?
मोना : “मेरा इतना ख़याल जो रख रहा है, तेरा प्यार देखकर आंखों में आंसू आगये”.
सतीश : “क्यूँ शर्मिंदा कर रही हो दीदी, मैंने तो कुछ भी नहीं किया,
ओर वैसे भी ये तो बस शुरुवात है, तुम देखति जाओ मैं आगे तुम्हे इतनी ख़ुशी दूंगा के तुम अपने सारे गम भूल जाऒगी”.
मोना : “तुम्हे किसने कहा के मुझे गम है”?
सतीश : “वो मैंने तुमम्हारी और मम्मी की बाते सुनली थी,तब मुझे पता चला मेरी दिदिने कितनी तकलीफे झेली है,और मैं कुछ नही कर सका,पर मैं अब तुम्हे इतना प्यार दूंगा की तुम सारा दुःख भूल जाओगी,
अब तुम आराम करो और सारी चिंता मुझ पे छोड़ दो”.
सतीश : “चलो दीदी अब आराम करो,चलो लेट जाओ”.
मोना : “भाई एक बात मुझे बता तू इतना अच्छा क्यों है?
मेंने आज तक तेरा इतना अच्छा रूप नहीं देखा था,तूझे मेरी कितनी फ़िक्र है,
आज तक मेरी इतनी फ़िक्र किसी ने नहीं की.
बहूत प्यारे हो तुम”.
सतीश : “किसने कहा मैं अच्छा हूं,
वह तो तूम खुद ही इतनी अच्छी और प्यारी हो की तुम्हे सब अच्छे लगते हैं,
तुमम्हारा चेहरा कितना मासूम है, कितना प्यारा है मेरी तो नज़र ही नहीं हटती तुम्हारे चेहरे से,दिल करता है के तूम सामने बैठि रहो और मैं तुम्हे देखता रहु,
कितनि प्यारी है मेरी एंजेल,
हा बिलकुल एक एंजेल के जैसी, नहीं एंजेल से भी अच्छी.एंजेल, मेरी एंजेल”.
मोना : “चल चल बस कर मुझे शर्म आ रही है. अगर तू इसी तरहा करता रहा तो..........!
सतीश : “तो क्या” ?
मोना : “तो ये मेरे भोले भाई मैं कहीं ख़ुशी में पागल ना हो जाऊं मुझे कहीं तुमसे प्यार ना हो जाये”.
सतीश : “अरे वाह इस से अच्छी और क्या बात होगी,मेरी एंजेल मेरी गर्ल फ्रेंड वॉव,
कही मैं सपना तो नहीं देख रहा के एक सूंदर नहीं बेहद सूंदर सी एंजेल को मुझ से प्यार है,
मैं तो दुनिया का सब से खुश नसीब इंसान हु”.
मोना : “ज्यादा खयाली पुलाव मत पकाव मैंने नहीं कहा के मुझे तुमसे प्यार है,
मैं तो यह कह रही हूँ के तेरी इन प्यारी हरकतों पे मुझे प्यार आ रहा है”.
सतीश : “चलो कोई बात नही, आज मेरी हरकतों पे तुम्हे प्यार आ रहा है,हो सकता है कल तुम्हे मुझ से प्यार हो जाये”.
मोना : “अरे ओ शेखचिल्ली होश में आजा,ओर दिन में सपने देखने बंद कर,ओर मुझे एक बात बता, के जब हम बाइक पे थे, और तेरी पैंट में मोबाइल था ही नहीं, तो वाइब्रेट क्या कर रहा था”?
यह कह के मोना मुस्कुराने लगती है.

 
मोना : “मुझे एक बात बता, के जब हम बाइक पे थे, और तेरी पैंट में मोबाइल था ही नहीं, तो वाइब्रेट क्या कर रहा था”?
यह कह के मोना मुस्कुराने लगती है.
सतीश ये बात सुनते ही शर्मा जाता और साथ में परेशान भी की वह अब इस बात का दीदी को क्या जवाब दु.
मोना : “क्या हुआ बता ना, बोलता क्यों नही”?.
सतीश : “कुछ नहीं दीदी वह तो बस, वो सब छोडो और आराम करो तुम्हे आराम की सख्त ज़रूरत है”.
मोना : “बताना, क्या हुआ अब तेरी बोलती क्यों बंद हो गयी”.
सतीश : “अरे कुछ नहीं वो तो बस मैं ऐसे ही वो कुछ नहीं था, समझा करो ना दीदी तूम भी ना अब परेशान मत करो”.
मोना : “चल ठीक है,जाने दे पर तुम्हे मेरा एक काम करना पडेगा”
सतीश : “हाँ बोलो ना क्या काम है दीदी,तुम्हारे लिए तो मेरी जान भी हाज़िर है. तुम बोलो तो सही”.
मोना : “नहीं रे मुझे तेरी जान नहीं चाहिए वो तो पहले से ही मेरी है”.
सतीश : “तो फिर क्या चाहिए तुम्हे”?
मोना : “पहले तूम वादा करो जो मैं तुम्हे करने कहुँगी वो तूम किसी को नहीं बताआगे”
सतीश : “लगता है आज मेरी इज़्ज़त खतरे में है, तुम्हारे ईरादे तो नेक हैंना”?
मोना : “बकवास मत कर और मुझ से वादा करो”
सतीश : “वादा, पक्का वादा,मेरी एंजेल का हुकुम सर आँखों पे”.
मोना : “मुझे ना”.
सतीश : “हाँ बोलो”
मोना : “पहले तूम आँखे बंद करो”.
सतीश : “तुम्हारे ईरादे तो नके है ना, मेरी आँखे बंद करके क्या करने वाली हो” ?
मोना : “तुम आँखें बंद करते हो या नही”.
सतीश : “करता हूँ बाबा, तूम नाराज़ मत होना, चलो बंद करदी मैंने अपनी आंखें,आब बोलो क्या बात है”.?
मोना : “मुझे ना पेशाब करना है, तूम मुझे टॉयलेट में ले चलो”.
सतीश : “बस इतनी सी बात और तूम ने तो मुझे डरा ही दिया था…..क्या? पे..पे…पेशाब तुम्हे टॉयलेट जाना है पर मैं कैसे”?.
मोना : “हाँ मुझे पेशाब करना है, बहुत ज़ोर से लगी है, मैं खुद तो जा नहीं सकती क्यों की मुझे चोट लगी है और मेरा हाथ भी ज़ख़्मी है, अब तूम बताओ मेरी मदत करोगे के नही”?
सतीश : “मैं तुमम्हारी मदत करूँगा, ज़रूर करूँगा पर”?
मोना : “पर क्या” ?
सतीश : “पर मुझे शर्म आ रही है”.
मोना : “मैं लड़की हो कर नहीं शर्मा रही हूँ और एक तूम हो, अब जल्दी करो मुझे बहुत ज़ोर की लगी है”
सतीश फिर मोना को अपनी गोद में उठाता है और टॉयलेट में ले जा कर बैठा देता है.
ओर घूम के जाने लगता है.
मोना : “कहाँ जा रहे हो मुझे वापिस कौन लेके जायेगा तूम यहीं रुको”.
सतीश वही पे मोना की तरफ पीठ करके खड़ा हो जाता है.
मोना : “पीछे मत देखना”.
सतीश : “नहीं देखुंगा, तुम बेफिक्र रहो”.
ओर फिर?

ओर फिर मोना की चुत से सिटी की आवाज़ के साथ पिशाब निकलना शुरू हो गया.
सिटी की आवाज़ सुन के सतीश चोंका.
सतीश : “मैंने पहली बार किसी लड़की को सिटी बजाके पेशाब करते हुये देखा है”.
मोना : “क्या? (चीख़ते हुए) तूम मुझे देख रहे हो?बेशरम मैंने तुम्हे मना किया था ना फिर क्यूं,तुम्हे शर्म नहीं आई ऐसा करने में,कोई अपनी बहन के साथ ऐसा करता है, बहुत बेशरम हो गये हो तूम तो”
सतीश : “अरे मैं तुम्हे नहीं देख रहा, मैं तो बस सुन रहा हु, काआअश ये खूबसूरत नज़ारा मैं देख सकूँ, पर तूम मुझे एक बात बताओ की तूम सिटी क्यों बजा रही हो, टॉयलेट में क्या कोई सिटी बजाता है”?
मोना : “मैं सिटी नहीं बजा रही, मैं भी सब की तरहा चुपचाप टॉयलेट करती हु”
सतीश : “तो क्या मेरे कान बज रहे है, मैंने अभी सिटी की आवाज़ सुनि है”.
मोना : “अरे भाई, मुह से थोड़ी सिटी बजा रही हूँ, वो तो लडकियो की जब पेशाब निकलती है, तब सिटी की आवाज आती है, ये कुदरति है,
तुम्हने कभी सुनि नहीं क्या” ?
सतीश : “मैं लेडीज के टॉयलेट में कान लगा के नहीं सुनता मुझे क्या पता, मैंने कभी किसी लड़की को पिशाब करते नहीं देखा,हो सकता है तूम मुझे बेवकुफ बना रही हो”.
मोना : “मैं तुम्हे बेवकुफ नहीं बना रही. मैं सच कह रही हु, चलो नेक्स्ट टाइम तूम देख लेना के कैसे बजती है सिटि, अब मुझे उठा के ले चल बेड पे मेरा हो गया”

 
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