desiaks
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शहनाज़ को लग रहा था जैसे सामने उसका बेटा नहीं बल्कि उसके सपने का शहजादा बैठा हुआ हैं और ठंडी ठंडी हवा का असर भी हो रहा था। इसीलिए मुंह नीचे किए हुए बोली:"
" बेटा दोस्त तो हम दोनों भी है!!
शादाब झट से बोल पड़ा :'
" हां अम्मी हम एक दूसरे से प्यार भी करते है इसका मतलब हम भी कपल हो गए।
शहनाज़ समझ गई कि उसका बेटा जरूरत से ज्यादा ही समझदार हो गया है। हल्की सी उंगली पकड़ाते ही पूरा हाथ खुद पकड़ लिया। शहनाज उसका हाथ हल्का सा दबाते हुए बोली:"
" लेकिन हम तो मा बेटा भी हैं ना मेरे राजा फिर कपल कैसे हो सकते हैं ?
शादाब को अचानक से उस दिन सिनेमा हॉल में हुआ हादसा याद अा गया और बोला:"
शादाब:" अम्मी उस दिन शहर में वो सेल्स गर्ल्स आपको मेरी मा नहीं बल्कि दोस्त समझ रही थी और ब्यूटी पार्लर वाली ने तो आपको मेरी बीवी ही समझा लिया था।
शहनाज़ भी आग में घी डालते हुए बोली:"
" अरे हां याद हैं ना जब हम मूवी देख रहे थे तो सामने मा बेटा दोनो कपल ही तो थे।
इतना कहते वो अपने बेटे के एक दम पास खिसक गई। शादाब ने उसके दोनो हाथ पकड़ लिए और उसकी आंखो में देखने लगा तो शहनाज़ बोली:"
" बेटा तुझे पक्का यकीन हैं ना कि यहां से कोई हमे देख नहीं पाएगा
शादाब समझ गया कि उसकी अम्मी काफी हद तक रोमांस के लिए तैयार हैं लेकिन डर रही हैं। शादाब बोल:"
" अम्मी मुझे पूरा यकीन है कोई नहीं देख पाएगा, आप घबराए नहीं।
इतना कहकर शादाब ने उसे अपनी तरफ खींच लिया तो शहनाज शर्म से अपनी आंखे किए हुए अपने बेटे की बांहों में अा गई। उसका पूरा जिस्म कांप रहा था। शादाब ने उसे मचान पर पड़ी चादर पर लिटा दिया और खुद उसके बराबर में लेट गया। अब दूर दूर से कोई पूरी कोशिश करके भी उन्हें नहीं देख सकता था। शहनाज़ शादाब की तरफ थोड़ा खिसकते हुए उससे सट गई और बोली:"
" बेटा तू सच में बहुत प्यारा है शादाब, काश तू मेरा बेटा ना होता।
शादाब ने उसके चेहरे को अपने दोनो हाथो में भर लिया और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"
" अगर बेटा ना होता तो क्या अम्मी ? आप भी मुझे बहुत अच्छी लगती है
शहनाज़ उसके गाल पर एक उंगली घुमाते हुए बोली:'
" उफ्फ कुछ नहीं , मुझे शर्म आती है मेरे राजा, तू समझ जा
इतना कहकर शहनाज़ ने अपना मुंह उसके चौड़े सीने में छुपा लिया और जोर जोर से सांस लेने लगी। शादाब उसकी कमर सहलाते हुए बोला:"
" अम्मी बताओ ना प्लीज़, अगर बेटा ना होता तो क्या होता ?
शहनाज़ उसकी कमर में हल्के हल्के घुसे मारते हुए :"
" जा मुझे नहीं पता, शर्म आती हैं मुझे बहुत, तुझे खुद समझना हैं तो समझ जा नहीं तो रहने दे।
शादाब:" उफ्फ अम्मी, आप पता नहीं इतना क्यों शर्माती हो, आप अपने राजा पर यकीन कर सकती हो आराम से ?
शहनाज़:" नहीं बेटा मुझसे ना हो पाएगा, तुम खुद ही समझ लेना अगर सच में तुम समझदार हो तो
शादाब:" उफ्फ अम्मी ये किस मुश्किल में डाल दिया मुझे आपने ? कुछ समझ नहीं अा रहा है मुझे तो अब।
शहनाज़ उसके पेट में गुलगुली करते हुए :"
"बेटा तुम्हे समझना ही पड़ेगा ये तो खुद ही मेरे राजा। वैसे मुझे कुछ समझ में आ रहा हैं
शादाब:" हान अम्मी बोलो ना प्लीज़ आपको क्या समझ में आ रहा हैं ?
अपने बेटे की बात सुनते ही शहनाज़ ने अपना चेहरा उपर उठाया और अपने होंठ शादाब के होंठो पर टिका दिए। उफ्फ ये पहली बार था जब खुद शहनाज़ ने किस की शुरुआत करी थी। उसने अपने बेटे के नीचे के होंठ को अपने होंठो में भर कर चूसना चालू कर दिया। शादाब भी सब कुछ भूलकर अपनी मा के होंठो पर टूट पड़ा और दोनो मा की मजे से आंखे बंद हो गई और किस में डूब गए। काफी देर के बाद दोनो के होंठ अलग हुए तो दोनो एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्करा दिए और शहनाज़ अपने बेटे से चिपक गई। शादाब ने भी उसे अपनी बाहों में कस लिया तो शहनाज़ को बड़ा सुकून मिला और वो बोली:"
" बेटा कितना सुकून मिल रहा हैं तेरी बांहों में मुझे, सो जाऊं क्या ?
शादाब अपनी अम्मी के बालो में उंगली निकालते हुए:"
" हान अम्मी, आप अपने बेटे की बांहों में पूरी तरह से महफूज हो, आप आराम कर लो।
शहनाज़ पूरी तरह से शादाब की बाहों में सिमट गई और आंखे बंद कर ली। ठंडी ठंडी हवा का असर दोनो मा बेटे पर होने लगा और जल्दी है दोनो की आंख लग गई।
शाम तक दोनो ऐसे ही सोते रहे और दोनो के साथ जाग गए तो शहनाज़ बोली:"
" बेटा सच में बड़ा सुकून मिला तेरी बांहों में मुझे, शाम हो गई हैं चलो घर चले ।
शादाब:" ठीक हैं अम्मी, पहले मैं उतर जाता है फिर आपको उतार लूंगा !
इतना कहकर शादाब नीचे उतर गया और फिर शहनाज धीरे धीरे नीचे उतरने लगी लेकिन उसका हाथ स्लिप हो गया और शादाब के उपर गिर पड़ी लेकिन शादाब ने उसे पूरी तरह से संभाल लिया और शहनाज़ डर के मारे उससे चिपक गई।
शहनाज़:" उफ्फ बेटा, तू कितना अच्छा हैं, हर बार मुझे बचा लेता हैं, सच में एक औरत मर्द के बिना कितनी अधूरी होती हैं।
शादाब:" अम्मी जब तक मैं हूं आपको कुछ नहीं होने दूंगा, आप बेकिफ्र रहे।
उसके बाद दोनो घर की तरफ चल पड़े। थोड़ी दूर पैदल चलने के बाद शहनाज़ के पैर दर्द करने लगे तो वो बोली:"
" बेटा मेरे तो पैर दर्द करने लगे, मुझसे अब नहीं चला जाता।
अपनी अम्मी की बात सुनते ही शादाब ने उसे अपनी गोद में उठा लिया और चलने लगा। शहनाज़ शर्म के मारे नीचे उतरने की कोशिश करने लगीं तो शादाब बोला:"
" अम्मी क्या हुआ क्यों उतर रही हो आप ?
" बेटा दोस्त तो हम दोनों भी है!!
शादाब झट से बोल पड़ा :'
" हां अम्मी हम एक दूसरे से प्यार भी करते है इसका मतलब हम भी कपल हो गए।
शहनाज़ समझ गई कि उसका बेटा जरूरत से ज्यादा ही समझदार हो गया है। हल्की सी उंगली पकड़ाते ही पूरा हाथ खुद पकड़ लिया। शहनाज उसका हाथ हल्का सा दबाते हुए बोली:"
" लेकिन हम तो मा बेटा भी हैं ना मेरे राजा फिर कपल कैसे हो सकते हैं ?
शादाब को अचानक से उस दिन सिनेमा हॉल में हुआ हादसा याद अा गया और बोला:"
शादाब:" अम्मी उस दिन शहर में वो सेल्स गर्ल्स आपको मेरी मा नहीं बल्कि दोस्त समझ रही थी और ब्यूटी पार्लर वाली ने तो आपको मेरी बीवी ही समझा लिया था।
शहनाज़ भी आग में घी डालते हुए बोली:"
" अरे हां याद हैं ना जब हम मूवी देख रहे थे तो सामने मा बेटा दोनो कपल ही तो थे।
इतना कहते वो अपने बेटे के एक दम पास खिसक गई। शादाब ने उसके दोनो हाथ पकड़ लिए और उसकी आंखो में देखने लगा तो शहनाज़ बोली:"
" बेटा तुझे पक्का यकीन हैं ना कि यहां से कोई हमे देख नहीं पाएगा
शादाब समझ गया कि उसकी अम्मी काफी हद तक रोमांस के लिए तैयार हैं लेकिन डर रही हैं। शादाब बोल:"
" अम्मी मुझे पूरा यकीन है कोई नहीं देख पाएगा, आप घबराए नहीं।
इतना कहकर शादाब ने उसे अपनी तरफ खींच लिया तो शहनाज शर्म से अपनी आंखे किए हुए अपने बेटे की बांहों में अा गई। उसका पूरा जिस्म कांप रहा था। शादाब ने उसे मचान पर पड़ी चादर पर लिटा दिया और खुद उसके बराबर में लेट गया। अब दूर दूर से कोई पूरी कोशिश करके भी उन्हें नहीं देख सकता था। शहनाज़ शादाब की तरफ थोड़ा खिसकते हुए उससे सट गई और बोली:"
" बेटा तू सच में बहुत प्यारा है शादाब, काश तू मेरा बेटा ना होता।
शादाब ने उसके चेहरे को अपने दोनो हाथो में भर लिया और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"
" अगर बेटा ना होता तो क्या अम्मी ? आप भी मुझे बहुत अच्छी लगती है
शहनाज़ उसके गाल पर एक उंगली घुमाते हुए बोली:'
" उफ्फ कुछ नहीं , मुझे शर्म आती है मेरे राजा, तू समझ जा
इतना कहकर शहनाज़ ने अपना मुंह उसके चौड़े सीने में छुपा लिया और जोर जोर से सांस लेने लगी। शादाब उसकी कमर सहलाते हुए बोला:"
" अम्मी बताओ ना प्लीज़, अगर बेटा ना होता तो क्या होता ?
शहनाज़ उसकी कमर में हल्के हल्के घुसे मारते हुए :"
" जा मुझे नहीं पता, शर्म आती हैं मुझे बहुत, तुझे खुद समझना हैं तो समझ जा नहीं तो रहने दे।
शादाब:" उफ्फ अम्मी, आप पता नहीं इतना क्यों शर्माती हो, आप अपने राजा पर यकीन कर सकती हो आराम से ?
शहनाज़:" नहीं बेटा मुझसे ना हो पाएगा, तुम खुद ही समझ लेना अगर सच में तुम समझदार हो तो
शादाब:" उफ्फ अम्मी ये किस मुश्किल में डाल दिया मुझे आपने ? कुछ समझ नहीं अा रहा है मुझे तो अब।
शहनाज़ उसके पेट में गुलगुली करते हुए :"
"बेटा तुम्हे समझना ही पड़ेगा ये तो खुद ही मेरे राजा। वैसे मुझे कुछ समझ में आ रहा हैं
शादाब:" हान अम्मी बोलो ना प्लीज़ आपको क्या समझ में आ रहा हैं ?
अपने बेटे की बात सुनते ही शहनाज़ ने अपना चेहरा उपर उठाया और अपने होंठ शादाब के होंठो पर टिका दिए। उफ्फ ये पहली बार था जब खुद शहनाज़ ने किस की शुरुआत करी थी। उसने अपने बेटे के नीचे के होंठ को अपने होंठो में भर कर चूसना चालू कर दिया। शादाब भी सब कुछ भूलकर अपनी मा के होंठो पर टूट पड़ा और दोनो मा की मजे से आंखे बंद हो गई और किस में डूब गए। काफी देर के बाद दोनो के होंठ अलग हुए तो दोनो एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्करा दिए और शहनाज़ अपने बेटे से चिपक गई। शादाब ने भी उसे अपनी बाहों में कस लिया तो शहनाज़ को बड़ा सुकून मिला और वो बोली:"
" बेटा कितना सुकून मिल रहा हैं तेरी बांहों में मुझे, सो जाऊं क्या ?
शादाब अपनी अम्मी के बालो में उंगली निकालते हुए:"
" हान अम्मी, आप अपने बेटे की बांहों में पूरी तरह से महफूज हो, आप आराम कर लो।
शहनाज़ पूरी तरह से शादाब की बाहों में सिमट गई और आंखे बंद कर ली। ठंडी ठंडी हवा का असर दोनो मा बेटे पर होने लगा और जल्दी है दोनो की आंख लग गई।
शाम तक दोनो ऐसे ही सोते रहे और दोनो के साथ जाग गए तो शहनाज़ बोली:"
" बेटा सच में बड़ा सुकून मिला तेरी बांहों में मुझे, शाम हो गई हैं चलो घर चले ।
शादाब:" ठीक हैं अम्मी, पहले मैं उतर जाता है फिर आपको उतार लूंगा !
इतना कहकर शादाब नीचे उतर गया और फिर शहनाज धीरे धीरे नीचे उतरने लगी लेकिन उसका हाथ स्लिप हो गया और शादाब के उपर गिर पड़ी लेकिन शादाब ने उसे पूरी तरह से संभाल लिया और शहनाज़ डर के मारे उससे चिपक गई।
शहनाज़:" उफ्फ बेटा, तू कितना अच्छा हैं, हर बार मुझे बचा लेता हैं, सच में एक औरत मर्द के बिना कितनी अधूरी होती हैं।
शादाब:" अम्मी जब तक मैं हूं आपको कुछ नहीं होने दूंगा, आप बेकिफ्र रहे।
उसके बाद दोनो घर की तरफ चल पड़े। थोड़ी दूर पैदल चलने के बाद शहनाज़ के पैर दर्द करने लगे तो वो बोली:"
" बेटा मेरे तो पैर दर्द करने लगे, मुझसे अब नहीं चला जाता।
अपनी अम्मी की बात सुनते ही शादाब ने उसे अपनी गोद में उठा लिया और चलने लगा। शहनाज़ शर्म के मारे नीचे उतरने की कोशिश करने लगीं तो शादाब बोला:"
" अम्मी क्या हुआ क्यों उतर रही हो आप ?