12-09-2019, 02:43 PM,
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sexstories
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RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
संजीब उठा उसने चाहा कि निशा को अपनी बाहों में भर ले पर वहाँ सबकी मज़ूद्गी का अहसास उसे था बाहर तक छोड़ने निशा उसे आई तो लाज्जो ने एक बार फिर उसे देखते देखते आख़िर में पहचान लिया...वो जैसे निशा को देखते हुए झेंप गयी काम करने लगी....संजीब फिर से अंजुम के कमरे में उसे नमस्ते करने आया और वहाँ से चला गया....निशा वापिस कमरे में चली गयी...इस बीच अंजुम जैसे किचन में आई....तो लाज्जो ने उसका हाथ पकड़ लिया कस कर.
लज्जो : ये कौन था?
अंजुम : क्या जानू बेटा ? सुना है कि तेरी भाभी का कोई भाई लगता है
लज्जो : हुहह भाई (एक पल को लाज्जो रुक गयी उसने आगे ना कहा कि वो कौन था बस इतना कहा कि वो देखा देखा लग रहा है अंजुम ने पूछा भी पर उसने फिर ज़्यादा कुछ नही कहा तो अंजुम चुपचाप काम में व्यस्त हो गयी)........
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"चियर्स चियर्स ये लीजिए अरे आप भी लीजिए सर यू आर दा शो स्टॉपर ऑफ माइ पार्टी हाहाहा"......
."वाक़ई मानना पड़ेगा मिस्टर संजीब आपकी ये पार्टी काफ़ी रॉकिंग है"......
"थॅंक यू थॅंक यू"......
.सीने पे हाथ रखते हुए...."लेकिन पार्टी में एक कमी है दोस्तो".....
"बोलिए सर कैसी कमी?".....
."वी वन्ना देसी हॉट चिक टू गेट सम फन बेबी"....
."ओह्ह्ह हो हो हो हाहहा".........टहाका लगते कीमती सूट बूट में...4 तोंद निकले करीब करीब 50 के उपर के संजीब के आज़ु बाज़ू खड़े टहाका लगाए हँसी मज़ाक कर रहे थे...
कहने को बिज़्नेस्मेन थे लेकिन हवस सड़क के उस छिछोरे टपोरी से भी बदतर ऐसे ही लोग ज़िम्मेदार होते है अपनी हसरत पूरी करने के लिए किसी के हँसते खेलते घर को उजाड़ना चाहे वो औरत किसी के घर की बीवी हो बेटी हो या फिर कुछ और .....संजीब ये सुनके शरमाया जो खुद भी राइज़ सा बना उनके साथ मज़ूद था...पीछे पार्टी में हल्की हल्की म्यूज़िक बज रही थी जाम और शाम का मज़ा दोनो लिए जा रहा था लेकिन संजीब जानता था मुश्टन्डो को वादें के अनुसार शादी शुदा औरत को चोदने की इच्छा हो रही थी...अगर उसने वैसी औरत उनके सामने पेश की तो शायद उसका स्पॉन्सेर्स मिलना तो बिज़्नेस के लिए सोने पे सुहागा जैसा....वो इसी फ़ायदे के चक्कर में ये कमिटमेंट कर चुका था पार्टी में उन बिज़्नेस्मेन को कि आप आइए मज़ा हम देंगे
"अरे रंजीत सर प्लीज़ कम डाउन बस आती ही होगी पर थोड़ा नखरेबाज़ है तो थोड़ा सा यू नो"......
"वी कॅन हॅंडल दा चिक्स ऑन और ओवन् संजीब वैसे भी हम जैसे मर्दो की कंपनी तो कोई भी औरत पाना चाहेगी पेश करो जल्द से जल्द सवर् नही हो रहा ये शराब तो बस गले की प्यास बुझा रही है जिस्म की नही"......रंजीत जो उनमें से 2न्ड वाला बिज़्नेसमॅन था उसने बड़ी अदाओ से कहा....
संजीब : अरे सवर् में ही तो मज़ा है बस आप भी श्याम सर और बाकी के हमारे सुशील सर और आलम सर जी की तरह इन्तिजार कीजिए
आलम : क्यूंकी इन्तिजार का फल मीठा होता है बस आज खुश कर ही दो संजीब स्पोन्सर हमारी तरफ से पक्का क्रोरोडो में कमाओगे हाहाहा (संजीब लालच में पड़ गया)
इतने में निशा साड़ी पहनी हिचकते हुए अंदर आई...उसने देखा कि पार्टी चका चौंध थी...उसने संजीब को ढूँढा और उसके पास आई..."हियर कम्ज़ माइ लेडी टू गेंटल्मन ये है मेरी लकी चर्म माइ स्वीट वाइफ निशा"........ये सुनके निशा काठ सी गयी...एका एक संजीब ने उसकी कमर पे अपने हाथ लपेट लिए उसके पेट को हल्का सा दबाते हुए उसने उसकी आँखो में देखा...चारो बुड्ढे शराब के ग्लास को खाली करके उसे गुलाबी निगाहो से ताड़ रहे थे...निशा उन्हें देखके हिचकिचाई...
निशा : संजीब ये क्या कह रहे हो? ! (संजीब ने निशा के होंठ पे उंगली रखी)
संजीब : देखो निशा ये मेरे बिज़्नेस्मेन है अगर इन्हें हमारा ये आटिट्यूड पसंद आया और उन्हें खुश किया तो बहुत कुछ मिलेगा समझ रही हो ना दुगनी तरक़्क़ी फिर हम और तुम
निशा : पर तुमने मुझे अपनी पत्नी क्यूँ कह डाला?
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