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RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
राजीव के घर की मीटिंग.....
वंश..... मुझे तो कुछ भी समझ मे नही आ रहा, वो अकेला लड़का हम सब को नचा रहा है.
राजीव.... उसके दिमाग़ मे चल क्या रहा है जो उसने मार्केट मे शेर्स डालने बोला...
तनु.... एग्ज़ॅक्ट्ली वही जो हमारे दिमाग़ मे था...
रौनक.... क्या था तुम सब के दिमाग़ मे...
तनु... कंपनी के शेर मार्केट मे उतारना, और धीरे-धीरे मूलचंदानी एंड कंपनीज का दीवाला निकाल देना ताकि घाटा कंपानसॅट करने के लिए कंपनी के शेर मार्केट मे उतरता रहे. और उन शेर्स को हम मार्केट से खरीद कर कंप्लीट टेक ओवर कर लेंगे.
रौनक.... अभी वो उतना एक्सपीरियेन्स्ड नही, उसने इतना दूर का कभी सोचा भी नही होगा.... यदि मेरी मानो तो हर्ष और सूकन्या की तरह हमे भी शांत बैठ जाना चाहिए.....
वंश.... और वो क्यों भला...
तभी तनु ने इशारे से सब को शांत होने को कहा, और हॉल मे लगे सोफे के पिछे उंगली दिखाती कहने लगी ... "कोई छिप कर हमारी बातें सुन रहा है"
धीमे कदमों से राजीव आगे बढ़ा और सोफे के पिछे देखने लगा.... "कोई भी तो नही यहाँ... लगता है भरम हुआ है"
रौनक.... एग्ज़ॅक्ट्ली, तुम सब को भी भरम सा हुआ है.... मैं एक बात क्लियर कर दूं.. उस लड़के की इंटेन्षन कंपनी को ले कर कभी बुरी नही रही....
तनु, चिढ़ती हुई.... तो क्या करे हम भी अपने शेर्स उसे दे कर तीर्थ पर चले जाए.
रौनक.... मैने ऐसे तो नही कहा... मैं ये कह रहा हूँ जो प्लान तुम सब का था, उसी का प्रपोज़ल मनु ने तुम सब के सामने रखा तो तुम सब भी साइलेंट्ली अपना गेम प्ले करते उसे काम करने दो. उसका पहला काम होगा ग्रूप के पार्ट्नर्स को स्टिस्फाइ करना... क्योंकि उसे भी तो अपनी टेक बनाए रखने के लिए प्रूफ करना होगा... तो क्यों ना उसे हम अपनी कंपनीज के उपर कोन्स्टरेट करने के लिए फोर्स करे....
वंश.... बात मे दम है... मुझे सही लग रही है ये बात...
तनु.... ह्म ! आगे रौनक जी....
रौनक.... अब ध्यान से सुनो.. अभी हम उसके घर की कहानी दिखा कर मनु से एमडी की पोस्ट तो ले लेंगे लेकिन कंपनी से उसकी शेयर और स्ट्रॉंग पोज़िशन नही छीन सकते ना.... थोड़ा दिमाग़ लगाओ... हम अब भी वही फॉलो करेंगे... अपनी कंपनी के बारे-बारे प्रॉजेक्ट मनु से करवाएँगे... अपने कंपनी की पोज़ीशन कन्सॉलिडेट करेंगे... और इधर धीरे-धीरे उसकी कंपनीज मे सेंध मारते चले जाएँगे...
राजीव... आ गयी पूरी कहानी समझ मे... यानी जब वो पूरी तरह कमजोर हो जाए फिर वॉर करना है...
वंश... पर रौनक हम ये सब हम खुद भी तो कर सकते थे... तुम्हारा सुझाव तो बेस्ट है.. पर मनु को हटा कर हम ये सब खुद करे तो उसमे क्या परेशानी थी...
रौनक.... परेशानी थी वंश, क्योंकि मनु को ये पोज़िशन देने वाले खुद भी यही चाहते हैं कि हम ये सब करे...
तनु.... समझी नही... बात ज़रा क्लियर कीजिए....
रौनक.... बात क्लियर ही तो है... शम्षेर और अमृता ने उसे ये पोस्ट और पोज़िशन इसलिए दिया कि हम उसे जब डिस-पोज़िशन करे तो मनु अपना 25% शेर खुशी-खुशी हर्षवर्धन को दे दे, जैसे उन सब ने मनु को दिया... और मेरे दोस्त यदि अमृता अपने 55% के साथ एमडी की पोस्ट पर आई तो तुम सोच भी नही सकते की क्या-क्या हो सकता है.... मनु, वो हर्मफुल नही है.... पर उसके पीछे से गेम खेलने वाले ... उसे तुम सब नही झेल पाओगे...
राजीव... इतना बड़ा गेम... ये शम्षेर आख़िर चीज़ क्या है... बूढ़ा रिटाइर भी हो गया फिर भी मोह-माया उसकी नही गयी.....
रौनक.... यदि मैं तुम्हारे साथ हूँ तो मेरी बात समझने की कोसिस करो .. वरना मैं अपने शेयर और अपनी कंपनी से खुश हूँ... और आने वाला समय पता है मुझे इसलिए मैं जानता हूँ की मुझे क्या करना है...
वंश....नही रौनक... जो भी बात होगी हम आपस मे डिसकस कर लेंगे .. और जैसा तुम चाहोगे वैसा ही होगा...
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RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
कानपुर की सुबह.....
आज फिर मानस और ड्रस्टी एक दूसरे से टकराए.... मानस को देख कर ड्रस्टी जला बुझा सा एक्सप्रेशन दी, लेकिन मानस बिना कुछ रिएक्ट किए जॉगिंग करता रहा.... फिर से दोनो बेंच पर आ कर बैठे और मानस को देख कर ड्रस्टी फिर से जला बुझा सा एक्सप्रेशन देने लगी.
मानस.... आप क्या पागल है, जान ना पहचान कल से देख रहा हूँ, जो मन मे आए बके जा रही हैं. और मुझे देख कर अजीब सा चेहरा बनाए जा रही हैं...
ड्रस्टी.... लड़की देखी नही कि पड़ जाते हैं पिछे, कमीने लड़के....
मानस उसकी बातों पर हंस दिया और कान मे अपना हेडफोन लगा कर बेंच से टिक गया.... "खुद को बड़ा होशियार समझता है.. हुहह ज़ाहील कहीं का".... ड्रस्टी को खुद भी पता नही था कि वो मानस को कोस क्यों रही है, बस चिढ़ि सी थी. उसे कोस्ती ही वो वापस घर लौट आई.
ड्रस्टी आज जब घर से निकली तो पहले ही सोच कर निकली थी चाहे आज कुछ हो जाए वो शेयर ऑटो मे नही बैठेगी. रोड तक आई और अपने कॉलेज जाने के लिए एक ऑटो हाइयर की. जैसे ही ड्रस्टी उस ऑटो मे बैठी मानस भी जल्दी से बैठ गया...
ऑटो वाला.... सर ये रिज़र्व्ड है आप दूसरे ऑटो मे बैठ जएए...
मानस.... किस तरफ जा रहे हो...
ऑटो वाला... जेडी कॉलेज जा रहा हूँ...
मानस.... भाई चल जल्दी, जो पैसा होगा वो मैं पूरा दे दूँगा... पर तू चल जल्दी...
ड्रस्टी घुनघुनाती आवाज़ मे कही.... "ओये ऑटो वाले उतारो इसे, ये मैने रिज़र्व की है"
ऑटो वाला बिना कुछ सुने ऑटो स्टार्ट किया और सीधा चल पड़ा.... "मेडम हमे भी दो पैसे कमाने आए हैं. जाना तो एक ही जगह है ना.... वैसे भी सर काफ़ी शरीफ दिखते हैं .. आप टेन्षन ना लो किसी भी बात की"...
ऑटो वाले की बात पर ड्रस्टी बुद-बुदाती अपना मुँह फेर ली... ऑटो के रुकते ही ड्रस्टी उतर कर भागी... पिछे से ऑटो वाला टोका... "मेडम पैसे तो देती जाओ"
ड्रस्टी.... ज़बरदस्ती लाया है.. पैसे की बात की तो सॅंडल से मारूँगी यहीं...
ड्रस्टी जिस तेज़ी से भाग रही थी.. लग रहा था किसी बात के लिए उसे देर हो रही है... मानस भी दौड़ा-दौड़ा उसके पीछे गया... लेकिन जैसे ही उसे टोका ... ड्रस्टी लगी ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने.....
"तुम मेरा पिच्छा क्यों नही छोड़ते... क्यों मेरे पिछे पड़े हो... क्या चाहते हो चैन से ना जियू मैं... सुसाइड कर लूँ... मर जौन"....
ड्रस्टी का चिल्लाना सुन कर वहाँ स्टूडेंट जुटने लगे, और ड्रस्टी फिर मानस को सुना कर चली गयी... मानस, ड्रस्टी के रूप को देख कर हँसता हुआ जल्दी से खिसका. तकरीबन 10 मिनट हुए होंगे, मानस को लगा कि अब सारे लड़के अपने-अपने काम मे लग गये हैं... वो कॉलेज के गेट की ओर बढ़ा...
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RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
कॉलेज के गेट पर जब मानस पहुँचा तब वहाँ ड्रस्टी बैठ कर रो रही थी... मानस बिना उसे डिस्ट्रब किए, उसकी गोद मे उसका हॅंड बॅग डाल दिया ....
. जो वो ऑटो-रिक्शा मे भूल गयी थी और जिसे देने मानस गया तो उसे खरी खोटी सुन'नी पड़ी थी...
ड्रस्टी ने जैसे ही अपना बॅग अपनी गोद मे देखा, वो नज़र उपर कर के देखने लगी. मानस ने उसे स्माइल का इशारा किया और बिना कुछ बोले वहाँ से चला गया... ड्रस्टी भी जल्दी मे अपने बॅग से अपना हॉल टिकेट निकाली और एग्ज़ॅम देने के लिए भागी....
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पहला प्रॉजेक्ट और नताली की मीटिंग...
नताली के पास इस प्रॉजेक्ट को हॅंडल करने के लिए ना तो उम्र थी और ना ही तजुर्बा, बस जो कुछ था वो था विस्वास और जोश .... इसलिए वो इस प्रोजेक्ट से जुड़े हर पहलू को समझना चाहती थी....
शिप्पिंग कॉर्पोरेशन को देख रहे डाइरेक्टर के साथ बात-चीत करते हुए नताली पूछने लगी.... "नेगी जी आख़िर क्या कारण था कि हमे अब तक ये प्रॉजेक्ट नही मिला"
नेगी.... मेडम क्या मैं कुछ भी बोलने के लिए फ्री हूँ...
नताली.... हां-हां बिल्कुल आप कह सकते हैं...
नेगी.... मेडम ऊपर मॅनेज्मेंट टीम से कोई अपने टेंडर की क़ुटेशन लीक करता है...
नताली.... नेगी जी आप को कैसे पता क़ुटेशन लीक होती है...
नेगी.... क्योंकि तीन साल पहले मैं ही मनु के सर के अंडर इस प्रॉजेक्ट को हॅंडेल कर रहा था, और मनु सर ने मुझे फ्री किया
था .... डू व्हाटएवर डू ...
नताली.... ह्म ! फिर क्या हुआ....
नेगी.... बहुत मुश्किल से मैने टेंडर पास करने वाले ऑफीसर और परिवहन मंत्रालय को मॅनेज किया था... अंदर से मैने अपोनेंट
का कोटेड रेट निकाला ... पर जब टेंडर खुला तो उनका रेट हमारे रेट से कम था...
नताली.... ह्म ! फिर ये बात मनु को नही बताई...
नेगी.... बताई थी, पर मनु सर तो मनु सर हैं... उन्हे कौन समझाए... उन्होने एक लाइन मे कहा.... "नेगी जी जब गेम मॅनेज की थी तो जैसे आप ने मॅनेज किया वैसे ही उन्होने मॅनेज कर लिया होगा... आइ बिलीव इन माइ पीपल, और मुझे नही लगता किसी ने क़ुटेशन लीक किया है"
नताली.... इंप्रेस्सिव यार ... ये मनु चीज़ क्या है... यहाँ एक प्रॉजेक्ट जाते हैं तो उपर से ले कर नीचे तक की मॅनेज्मेंट चेंज हो जाती है... और इसने तो कोई गद्दार भी हो सकता है इस बात को ही नकार दिया... है क्या ये...
नेगी.... आप भी जान जाएँगी मेडम.. अब तो आप भी टीम मे ही हैं...
नताली.... ह्म ! राइट मिस्टर नेगी... थॅंक्स फॉर इन्फर्मेशन ... आप एक टीम बनाइए और 5 बार की रेट हिस्टरी उठा लाइए.... पूरी टीम से मुझे मिलवाइए ... दिस टाइम हिस्टरी विल चेंज, और ये टेंडर एस.एस शिप्पिंग को ही मिलेगा. और इस जीत का
जश्न हम पूरी टीम के साथ इस बार किसी फॉरिन कंट्री मे मनाएँगे... और हां हर टीममेट्स अपने साथ अपने बेटरहाफ़ को
भी ले जाएगा.... पर उसके लिए पहले .... दिन रात एक कर के इस प्रॉजेक्ट को पाना है ....
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RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
स्नेहा के घर....
स्नेहा अपने पापा का सामना नही करना चाहती थी, शुरू से ही उसके पापा काफ़ी स्ट्रिक्ट रहे थे, इसलिए शुरू से ही वो अपनी सारी बात अपने माँ से ही कहती थी. लेकिन जब आज स्नेहा ने अपनी शादी की बात अपनी माँ से की तो पहली बार उसकी
माँ बोली.... "स्नेहा ये शादी की बात है, ना कि तुम्हारे कॉलेज की फी की जो मैं तुम्हारे पापा को बता कर ले लूँ. अच्छा यही होगा कि तुम खुद बात कर लो"
खाने के टेबल पर स्नेहा खा कम रही थी और बस यही सोच रही थी कि पापा से आख़िर बात कैसे करे.... संकोच मे सोचते
-सोचते आख़िर उसने बताने का फ़ैसला कर ही लिया.....
स्नेहा.... पापा मुझे आप से कुछ ज़रूरी बात करनी है...
पापा.... पहले ठीक से खाना खा लो, फिर बात करते हैं...
पापा की रोबदार आवाज़ सुन कर वो चुप-चाप खाने लगी...... और खाने के बाद उसकी हिम्मत नही हुई कि वो पापा से इस बारे मे बात कर सके....
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नताली का प्रॉजेक्ट वर्क...
नेगी से सारे डीटेल लेने के बाद, नताली खुद से पता करने निकल गयी कि आख़िर परिवहन विभाग मे चल क्या रहा है. उसने
परिवहन मंत्री के पीए से मीटिंग अरेंज की....
पीए.... कहिए मेडम कौन सा काम करवाना है मंत्री जी से..
नताली.... सर, मुझे एक्सपोर्ट & एम्पोर्ट के शिप्पिंग कांट्रॅक्ट के बारे मे बात करनी है...
पीए.... इसमे हम क्या कर सकते हैं मेडम. ओपन टेंडर है, आप अपना रेट कोट कर दीजिए, जो भी होगा वो टेंडर खुलने के बाद होगा...
नताली.... सर, ओपन टेंडर है ये तो मुझे भी पता है, लेकिन...... क्या कोई बॅकडोर ऑप्षन नही.
पीए.... देखिए मेडम, सरकारी विभाग का मतलब घूसखोरी नही होता है... ये चीज़ आप बड़े लोगों को समझ मे नही आती क्या. पैसों के दम पर आप क्या सोचती हैं, अपना हर काम करवा लेंगी... जाइए और टेंडर भरिये... आएन्दा ऐसे प्रस्ताव ले कर आप आई तो मजबूरन मुझे आक्षन लेना पड़ेगा.
नताली, पीए की बात सुन कर वहाँ से चली आई, शायद अनुभव की कमी थी जो वो ये मौका भूना नही पाई... लेकिन जब पीए के ऑफीस से निकल रही थी तो गेट के बाहर ही पार्थ से मुलाकात हो गयी... ये वही पार्थ था जिस से जिया और नताली की मुलाकात क्लब मे हुई थी....
पार्थ... हेलो मिस नताली, आप यहाँ कैसे..
नताली...... सॉरी मैने आप को पहचाना नही...
पार्थ उसे फिर क्लब की मुलाकात याद दिलाया और उस से यहाँ आने का कारण पूछने लगा. नताली ने भी अपने आने का कारण बता दिया...
पार्थ.... नताली मुझे कल का राक ऑन शो दिखाओ, और वहाँ राक हो कर मैं तुम्हे शॉकिंग इन्फर्मेशन दूँगा....
नताली.... हहे, उस दिया और आज मैं. मिस्टर. मेरी कमज़ोरी का ये कोई फ़ायदा तो नही...
पार्थ.... दिखने से तो काफ़ी तन्द्रुस्त हो, कहीं से भी कमजोर नही लग रही.... खैर जोक आ पार्ट... यदि तुम अपने पॉइंट से भी सोचो कि मैं तुम्हारे किसी काम का नही, तो भी राक ऑन शो मेरे साथ देखना बुरी डील नही... बाकी कल तुम खुद समझ जाओगी ये डील तुम्हे कितना फ़ायदा दे सकता है...
नताली.... डन पार्थ... तुमने मुझे कॉन्वियेन्स कर लिया... सी यू देयर... बाइ
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RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
जिया और रौनक....
जिया अपने पापा से उनकी हुई मीटिंग के बारे मे पूछने लगी... रौनक ने अपनी मीटिंग का विस्तृत बीवरण जिया को दे दिया...
जिया... पापा, आप को क्या लगता है, हमे किस से फ़ायदा मिल सकता है...
रौनक.... जिया मुझे तो कुछ भी समझ मे नही आ रहा.... पहले लगता था कि हर्षवर्धन और मेरी दोस्ती ऐसी है कि हम एक दूसरे के लिए कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन अब किसी पर भरोसा नही रहा.
जिया... पापा मैं एक बात कहूँ, लोग उगते सूरज को प्रणाम करते हैं. यदि आप मनु का भरोसा जीतने मे कामयाब हो जाओ, तो फिर जो अदर्स पार्ट्नर और मनु की फॅमिली प्लान कर रही है वो धरी की धरी रह जाएगी...
रौनक.... लेकिन जिया... मनु के पिछे इतने लोग पड़े हैं कि, उसका टिके रहना मुस्किल है.
जिया... इतने लोग पिछे पड़े हैं फिर भी कोई मनु का कुछ बिगाड़ तो नही पाया. लोग उसे नीचे गिरते देखना चाहते हैं, और
उसे नीचे गिराने के चक्कर मे उसे और उपर ही उठा'ते जा रहे हैं.
रौनक... लेकिन जिया ये उसकी शुरुआती जीत है... आगे तो उसके पैरों तले से ज़मीन खिसक जाएगी.
जिया.... ऐसा आप सब का सोचना है. लेकिन मेरे हिसाब से तो मनु को हर बात की भनक है... और मुझे ऐसा क्यों लगता है, जल्द ही वो सब को सॉफ करने वाला है...
रौनक.... तुम इतनी श्योर कैसे हो जिया...
जिया.... श्योर इसलिए हूँ पापा, क्योंकि सब की मनसा पता चलती है, केवल एकलौता मनु है जिसके बारे मे किसी को पता
नही कि वो क्या चाहता है.... और पापा जिसके बारे मे पता ना हो कुछ भी वो सब से ज़्यादा ख़तरनाक होता है.
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RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
खोए-खोए से एसपी साहब....
अखिल अपने कॅबिन मे बैठा हुआ बस काया के बारे मे ही सोच रहा था. तीन प्यारी सी मुलाकात, पर बात नही बनी... आशिक़ जैसा कुछ हाल लग रहा था एसपी साहब का....
ड्राइवर.... खोए-खोए से सरकार नज़र आते हैं... सर जी मोबाइल को हाथ मे ले कर क्या सोच रहे, फोन करूँ कि ना करूँ....
अखिल.... मिश्रा जी, सारे हालात को जानते हुए भी आप मज़े ले रहे हैं...
ड्राइवर..... बॉस से मज़े लेने की औकात है मेरी, सर जी. अब इतना सोच क्यों रहे हैं कॉल लगा भी दीजिए.
अखिल.... डर लगता है मिश्रा जी, हर बार ये लड़की मुझ पर भारी पड़ती है...
ड्राइवर.... मुझे क्या पता, वो तो आप दोनो जानो... मैं भी आता हूँ थोड़ा अपनी होम मिसनिटरी को कॉल कर के...
"मिश्रा जी मज़धार मे छोड़ कर चले गये. अब तो उसी की आवाज़ सुन लूँ जिसने सीने मे आग लगाया है".... अखिल ने काया को कॉल लगा दिया....
काया.... क्या सही समय पर कॉल लगाए हैं एसपी सर, मुझे आप से बहुत ज़रूरी बात करनी है...
"ओ' मेरे ख़ुदाया, काया जी को मुझ से कुछ ज़रूरी बात करनी है".... अखिल... "इतने तकलुफ्फ की क्या ज़रूरत है, कहिए ना क्या बात है".
काया.... अखिल सर कल राक ऑन का लाइव शो होगा, मुझे वहाँ की 3 टिकेट दिलवा दीजिए ना.
अखिल..... टिकेट्ट्ट्ट....
काया.... क्या हुआ, आप ऐसे शॉक्ड क्यों हो गये. नही हो पाएगा क्या...
अखिल.... हो जाएगा, मैं अरेंज करवाता हूँ....
काया.... थॅंक यू सूऊओ मच अखिल सर. वैसे आप भी आओ ना हमारे साथ... बहुत मज़ा आएगा...
अखिल.... फॉरमॅलिटी रहने दीजिए काया जी, आप को कल टिकेट मिल जाएगा...
काया.... हहहे.. आप समझ गये कि मैं फॉरमॅलिटी कर रही... सो सॉरी सर, आंड थॅंक्स आ लॉट....
"कमाल है एक बार भी अहसास ना हुआ कि मुझे बुरा लगा होगा... एक बार इन्सिस्ट भी ना की, उल्टा खी-खी कर दी. इन लड़कियों मे तो ज़रा भी एमोशन्स नही होते"
ड्राइवर.... होता है होता है...
अखिल.... क्या होता है मिश्रा जी...
ड्राइवर.... जब पागलपन सवार होता है तो लोग आप की तरह ही बड-बडाते रहते हैं...
अखिल.... चलो मिश्रा जी, कुछ काम कर आते हैं.... वरना आप तो मुझे मजनू ही घोषित ना कर दो.
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RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
शाम के वक़्त मनु के घर.....
"भला कीजे भला होगा, बुरा कीजे बुरा होगा
बही लिख-लिख के क्या होगा, यहीं सब कुछ चुकाना है
सजन रे झूठ मत बोलो, खुदा के पास जाना है"....
मनु पूल साइड मे अपने रिलॅक्सिंग चेयर पर लेट कर गाने सुन रहा था.... "ये सुन'ने की अभी तुम्हारी उम्र नही मनु"
आँखें खोल कर देखा तो पास मे श्रेया खड़ी थी... "अर्रे श्रेया तुम कब आई"
श्रेया, मनु के चेहरे को हैरानी से देखती हुई पूछने लगी.... "मनु तुम इतना नॉर्मल कैसे रह सकते हो".
मनु.... मैं समझा नही तुम कहना क्या चाहती हो...
श्रेया.... इतना कुछ कहा था तुम्हे, ना तो तब तुम ने कुछ कहा... और ना अभी तुम्हारे चेहरे पर किसी भी तरह का चिढ़ है उन बातों के लिए.
मनु.... ओह्ह्ह कम ऑन श्रेया... छोड़ो भी उसे... अर्रे श्रमण किधर गया रे... घर मे मेहमान आए हैं साला तू गायब किधर है....
श्रेया.... मनु उसे छोड़ो भी, मुझे कुछ कहना है तुम से..
मनु.... कोई परेशानी है क्या श्रेया...
श्रेया.... हां मनु. दिल पर एक बोझ जैसा है, वही उतारने आई हूँ... आइ आम रियली वेरी सॉरी. पता नही उस दिन मैं क्या-क्या बोल गयी...
मनु.... इट'स ओके ना... बताओ क्या सेवा किया जाए.. सॉफ्ट ड्रिंक, हार्ड ड्रिंक, टी, कॉफी... कुछ भी..
श्रेया.... कुछ भी नही... और इट्स ओके से मुझे स्टिस्फॅक्षन नही होगा. गिल्टी जैसा फील हो रहा है मनु...
मनु.... हां बाबा समझ गया... सुन भी लिया ना... अब भूल जाओ उस बात को....
श्रेया... नही, जब तक मुझे लगेगा नही कि तुम ने मुझे माफ़ किया, तब तक मुझे चैन नही आएगा....
मनु... ठीक है माफ़ कर दिया, अब बताओ क्या लोगि...
श्रेया.... ऐसे नही, पहले मेरी दोस्ती आक्सेप्ट करो और कल के राक ऑन शो मेरे साथ देखने चलोगे तभी मैं तुम्हारी बात
मानूँगी.
मनु...... ओके बाबा ठीक है ... मैं कल चलूँगा तुम्हारे साथ और कुछ....
श्रेया, मनु के गालों को चूमती.... "बस थॅंक्स, और कल मैं तुम्हे पिक करने आ जाउन्गी.. अभी बाइ"...
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RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
कॉलेज जाते वक़्त जो हादसा हुआ था उस से ड्रस्टी पूरी तरह से स्तब्ध थी. उसे बहुत बुरा लग रहा था. रात भर वो बस मानस के बारे मे ही सोचती रही. मानस के ख्यालों ने उसे सोने नही दिया. सुबह वो काफ़ी जल्दी उठ गयी, और जॉगिंग करने पार्क निकल गयी...
मानस पहले से वहाँ जॉगिंग कर रहा था... ड्रस्टी उसका रास्ता रोकते हुए कहने लगी... "क्या हम दो मिनट के लिए बात कर सकते हैं".
मानस.... ह्म ! आइए बैठा जाए...
ड्रस्टी.... मैं अपने बिहेव के लिए आप से माफी चाहती हूँ.... आइ आम रियली वेरी सॉरी...
मानस..... इट'स ओके मिस. मैं नही जानता कि आप क्या सोच कर दो दिनो से मेरे साथ ऐसे बिहेव कर रही थी. शायद कल मेरे पास आप का हॅंड बॅग नही होता और मुझे अपने किसी काम के लिए आप को टोकना पड़ता तो मैं और भी बर्डा लोफर हो जाता....
ड्रस्टी... मैं शर्मिंदा हूँ, कही तो.. अब आप क्यों मुझे और गिल्टी फील करवा रहे हैं...
मानस.... नही, मैं आप को कोई गिल्टी फील नही करवा रहा... मैं तो बस यही कहना चाहता हूँ कि बिना किसी को जाने उसके बारे मे राई कायम करना ग़लत हैं... बाकी आप मेरे बारे मे कुछ भी सोचे मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता.... मैं तो यहाँ का हूँ भी नही....
ड्रस्टी... ह्म ! सही कहा आप ने, और शायद ग़लत थी मैं. छोड़िए जाने दीजिए, आप ने अभी कहा आप यहाँ के नही रहने वाले तो आप कहाँ से हैं...
मानस..... एक कप कॉफी...
ड्रस्टी.... मतलब..
मानस.... एक कप कॉफी पीते हुए बात करें आज शाम को... दरअसल मुझे अभी जाना है... और शायद आप को भी जाना होगा... एग्ज़ॅम होगा ना आप का...
ड्रस्टी.... आप को कैसे पता मेरा एग्ज़ॅम है...
मानस... हा.. हा.. हा... उस कॉलेज मे मैं आप के पिछे थोड़े ना जाता था... मेरा दोस्त उस कॉलेज मे है, और एग्ज़ॅम टाइम मे उसके पास काम ज़्यादा आ जाता है, तो मैं उसकी हेल्प के लिए जाता था... इनफॅक्ट कल आप की आवाज़ नही सुनता तो मुझे पता भी नही चलता की वो आप हैं...
ड्रस्टी..... डफर थी मैं, मुझे अब तक यही लगता था कि आप मेरा पिछा कर रहे हैं... अब इतने को-इन्सिडेन्स हुए कि ... यू
नो थोड़ी सी मिशनडरस्टॅंडिंग हो गयी...
मानस.... ओके दोस्त मैं चलता हूँ, आज शाम कॉफी पीते-पीते बात करते हैं.
ड्रस्टी.... वेट, वेट... हम ईव्निंग मे कॉर्डिनेट कैसे करेंगे...
मानस.... ओह्ह्ह हां ... मैं भी ना...
मानस ने अपना नंबर ड्रस्टी को नोट करवाया, और वहाँ से चलते बना.... ड्रस्टी अपनी बेवकूफी पर हँसने लगी..... "मैं बुर्क़े मे थी, फिर भी मुझे कैसे लग सकता है कि वो मेरा पिछा कर रहा है, मैं भी ना डफर हे हूँ... बेचारे को ना जाने क्या-क्या उल्टा सीधा बोल दिया"
ड्रस्टी रात भर तो मानस के ख्यालों मे बिताई ही, दिन भी उसी के ख्यालों मे डूबी हुई थी.... एग्ज़ॅम जैसे ही ख़तम हुआ,
ड्रस्टी ने वैसे ही मानस को कॉल लगाई....
मानस..... यस मिस कहिए...
ड्रस्टी.... हेलो सर, कैसे हैं आप..
मानस.... मैं मस्त हूँ, आप कैसी हैं और एग्ज़ॅम कैसा गया...
ड्रस्टी.... सर, कॉफी पीते बात करे..
मानस..... मानस नाम है मेरा... आप मुझे सर कहना बंद करेंगी...
ड्रस्टी.... मैं भी केवल मिस नही, मिस ड्रस्टी हूँ...
मानस.... हा हा हा... ठीक है ड्रस्टी बताइए फिर कॉफी कहाँ पीना है...
ड्रस्टी.... आप होस्ट हैं, जहाँ आप की मर्ज़ी हो...
मानस.... हा हा हा... मैं ही होस्ट हूँ... चलिए ठीक है, बी माइ गेस्ट, लेकिन जगह आप की होगी...
ड्रस्टी.... ठीक है डी बी सिटी माल के काफेटरिया मे मिलते हैं हाफ आवर मे.
ड्रस्टी ने घर फोन कर के बता दिया, कॉलेज से वो अपने दोस्त के साथ घूमने जा रही है. इधर मानस भी तय समय पर कॅफेटीरिया मे पहुँच गया... वहाँ बुरखे मे कोई बैठी थी, मानस वहाँ जा कर बैठ गया....
मानस.... हाई...
सामने से कोई रिप्लाइ नही आया...
मानस.... क्या हुआ आप कुछ बोल क्यों नही रही....
लड़की.... कौन हो, यहाँ क्या कर रहे हो...
मानस... ऊप्स गड़बड़ हो गयी....
महॉल ही कुछ अजीब था, वो लड़की मानस को बोले ही जा रही थी और मानस उसे सॉरी कहे जा रहा था... इतने मे ड्रस्टी भी पहुँच गयी. कुछ पल लगा होगा और ड्रस्टी पूरे महॉल को समझ मे गयी... और जब उसने महॉल समझा तो क्या बरसी वो.
दोनो दूसरे कॅफेटीरिया मे पहुँचे, मानस.... "ड्रस्टी, आप का गुस्सा कमाल का था.. इतना कोई भड़कता है क्या".
ड्रस्टी... क्यों ना भड़कूँ, आप जब माफी मॅग रहे थे, कह रहे थे ग़लती हो गयी है, फिर भी वो समझने का नाम ही नही ले रही थी....
मानस.... हा हा हा... कॉफी पीते-पीते बात करे...
उस शाम मानस और ड्रस्टी के बीच विचारों का ऐसा आदान-प्रदान हुआ कि कब साम बीत गयी पता हे नही चला. शायद ड्रस्टी के घर से कॉल नही आया होता तो रात भी बीत जाती.
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11-17-2020, 12:13 PM,
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desiaks
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RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
नेक्स्ट डे देल्ही...
संयोग, नताली-पार्थ, मनु-श्रेया और काया & फ्रेंड्स को राक ऑन लाइव शो मे जाना था. दुर्भाग्यवश नताली और श्रेया दोनो को वहाँ की टिकेट नही मिली और दोनो ने मनु से कॉंटॅक्ट किया....
इधर अखिल अपने दो सर्कल इनस्पेक्टर को बुलाए हुए था....
अखिल.... यार ये राक ऑन शो क्या है....
पहला सी.आइ.... कोई फिरंगी सूपरस्टार के नाच गाने का लाइव शो है.. सर जी देल्ही की छोरियाँ तो मरी जा रही हैं इस शो को देखने के लिए...
अखिल.... तो तुम क्यों यहाँ नाच रहे हो, ठीक से खड़े रहो...
दूसरा सीआइ... सर जी उस कॉन्सर्ट मे कुछ गड़बड़ होने वाला है क्या...
अखिल.... कुछ होने नही वाला है, मेरे एक दोस्त को वहाँ की टिकेट नही मिल रही, 3 टिकेट अरेंज करना है...
पहला सीआइ.... जररूर कोई मिस देल्ही ही होगी सिर..
अखिल.... विल यू शटअप. और मुझे बताओगे क्या तुम से 3 टिकेट अरेंज होंगे...
वो दोनो हां बोलते हुए चले गये, अखिल ड्राइवर से कहने लगा.... "कैसे-कैसे गधे हैं अपने डिपार्टमेंट मे मिश्रा जी"
ड्राइवर.... सर जी बड़े काम के हैं दोनो गधे, आप चिंता ना करो आप का काम हो जाएगा...
अभी दोनो बात कर ही रहे थे कि मनु का कॉल आ गया अखिल के पास....
अखिल.... मनु, सब ठीक तो है ना, ऑफीस अवर मे फोन किया...
मनु... वो सब छोड़, आज ईव्निंग मे क्या कर रहा है...
अखिल.... अपनी दुल्हन भगा रहा हूँ, किसी और से शादी करवाने के लिए...
मनु.... हा हा हा... अच्छा है, पापा नही तो मामा का सुख तो मिलेगा ही... वो छोड़ सीधा-सीधा बता ना फ्री है या नही...
अखिल.... हां फ्री ही हूँ...
मनु.... तो ठीक है, एक कोन्सेर्ट हो रहा है राक ऑन उसके 5 टिकेट साथ मे तू... विदाउट फैल .. चल बाइ शाम को मिलते हैं...
अखिल फोन टेबल पर पटकता... माथे पर हाथ डाल कर बैठ गया...
ड्राइवर.... क्या हुआ सर जी...
अखिल.... मेडम के साथ-साथ उसके भाई का भी कॉल आया था... 5 टिकेट और...
मिश्रा जी ज़ोर से हँसते हुए कहने लगे..... "सर जी सारी खुदाई एक तरफ और जोरू का भाई एक तरफ... फोन कर दूं क्या उन्हे 5 टिकेट और चाहिए"
"हां .... कर ही दो मिश्रा जी.... एसपी से तो टिकेट बेचने वाला बना दिया"
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11-17-2020, 12:13 PM,
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desiaks
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RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
सुबह-सुबह.....
मनु खुद मे कुछ खाली-खाली फील कर रहा था. उसे लगा जैसे वो स्नेहा को मिस कर रहा हो. उसे गये 2 दिन हो गये थे, और इन दो दिनो मे कोई बात भी नही हुई थी. जब कि मानस के बाद स्नेहा ही एकलौती ऐसी थी जिस से मनु की सब से ज़्यादा बात होती थी....
मनु को पता भी नही था कि क्या बातें करनी है स्नेहा से, बस उसने फोन लगा दिया.....
स्नेहा.... मनु, गुड मॉर्निंग.. सुबह-सुबह फोन लगाया बात क्या है....
मनु.... आमम्म्ममम......... (बीच की एक छोटी सी खामोशी) ...... कुछ नही बाद मे बात करता हूँ...
स्नेहा.... रूको, मनु....
मनु.... हां स्नेहा....
स्नेहा, कुछ पल खामोश रहने के बाद..... "छोड़ो, तुम्हे काम होगा, बाद मे बात करते हैं"
दोनो का इतना लंबा साथ था कि मनु को भाँपते देर ना लगी, स्नेहा कुछ उलझन मे है..... "क्या हुआ है वहाँ, किस उलझन मे हो".
स्नेहा.... रहने दो मनु, कुछ भी नही...
मनु.... तुम तो पापा से शादी की बात करने गयी थी ना क्या हुआ....
स्नेहा.... अभी नही हो पाई है... मैं आज रात बात कर लूँगी...
मनु.... ह्म ! मतलब तुम्हारे पापा भी मेरे और मेरे पापा जैसे है...
स्नेहा.... नही.... वो बात नही है....
मनु.... फिर बात क्या है स्नेहा...
स्नेहा.... दिल के बुरे नही हैं पापा, मुझ से बहुत प्यार भी करते हैं.....
मनु.... ओह्ह्ह ! लेकिन बात क्या हो गयी, कहीं शादी से इनकार तो नही कर गये जो बताने से झिझक रही हो..
स्नेहा.... मनु, कुछ भी बोलते हो. दरअसल बात ये है कि, वो इतने स्ट्रिक्ट हैं कि मेरी ज़ुबान ही नही खुलती उनके सामने.
उपर से अपनी शादी की बात मैं खुद उन से करूँ... सोच कर ही ज़ुबान हलक मे अटक जाती है...
मनु.... हा हा हा.... यहाँ तो बैरी पापा हैं....
स्नेहा.... तुम हंस रहे हो मनु.... हाउ मीन...
मनु.... एक काम करो फॅमिली टाइम एंजाय करो, और तुम सही सोची हो अपनी शादी की बात तुम्हे खुद नही करनी चाहिए. हम सब जल्द वहाँ आते हैं तब आमने-सामने बैठ कर तुम्हारे पापा से बात की जाएगी.... और हां टेन्षन ना लिया करो ...
हँसती हुई अच्छी लगती हो... बाइ
स्नेहा.... बाइ... ल....
स्नेहा बाइ लव टू बोलना चाहती थी, लेकिन रुक गयी... इधर मनु भी फोन रखते वक़्त कुछ प्यार से कहना तो चाह रहा था,
पर बोल नही पाया... और दोनो ही कॉल डिसकनेक्ट कर के कुछ देर बस फोन को ही देखते रहे.
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