06-08-2021, 12:48 PM,
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desiaks
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
Hindi sexi stori-माँ के साथ भाभी फ्री
मित्रो मेरे घर में मेरी सौतेली माँ.. भाभी और भैया रहते थे। मेरे पिताजी ने कम उम्र की लड़की से शादी कर के उन्हें मेरी माँ बना दिया था।
मेरी सौतेली माँ की उम्र 35 साल है। मेरे पिताजी और भाई एक दिन शहर जाते हुए एक्सिडेंट में मारे गए थे। भाई की शादी को सिर्फ 3 महीने ही हुए थे। तब से घर खेत के काम माँ ही देखती हैं और घर के सभी काम भाभी देखती हैं।
मैं माँ और भाभी का लाड़ला हूँ। बचपन से मैं माँ के साथ ही खेतों में लेट्रिंग के लिए जाता था। हमारे गाँव में सभी बाहर ही खेतों में लेट्रिंग जाते थे। हमारे घर के पीछे ही कुछ दूरी पर खेत हैं.. वहीं सभी गाँव की औरतें भी लेट्रिंग जाती थीं।
लेट्रिंग के लिए माँ मुझे अपने पास ही बिठाती थीं, हमेशा अपनी माँ की चूत गाण्ड रोज देखता था। लेट्रिंग के बाद माँ मुझे नहलाया करती थीं। नहाने से पहले.. माँ मेरे लण्ड की तेल से मालिश करती थीं।
भाभी के आने के बाद कई बार मैं भाभी के साथ भी जाता था। कई बार भाभी ने भी मेरे लण्ड की मालिश की है। भाभी भी मुझे अपने पास ही लेट्रिंग के लिए बिठाती थीं।
अब जब मैं बड़ा होने लगा.. तो खुद अकेला ही लेट्रिंग जाता था और नहाता भी अकेला ही था।
अब मैं एक गबरू जवान हो गया था.. और रोज कसरत करता था। मेरी मस्त बॉडी बन गई थी। रोज सुबह जब नहाने जाता था.. तब मेरे लण्ड की मालिश के लिए भाभी मुझे रोज हाथ में तेल जरूर देती थीं.. कभी माँ भी देती थीं।
एक दिन माँ की तबियत खराब हो गई तो माँ जल्दी सो गईं। मैं अब लेट्रिंग के लिए जाने वाला था.. हाथ में पानी का डिब्बा उठाया.. तो भाभी हँसते हुए बोलीं- कहाँ जा रहे हो देवर जी?
मैं- भाभी अभी आता हूँ हग कर..
भाभी- पहले तो मेरे साथ हगते थे.. और अब अकेले-अकेले हग कर आते हो.. क्या आजकल किसी गाँव की दूसरी औरतों के साथ हगते हो?
इतना कह कर वे जोर-जोर से हँसने लगीं।
मैं शरमाते हुए बोला- भाभी आपने ही तो मेरे हगना बंद कर दिया.. और अब ऐसा कहती हो?
भाभी- कोई बात नहीं.. बंद कर दिया तो क्या हुआ.. अब फिर चालू कर देते हैं।
मैं- ठीक है.. चलो चलते हैं।
भाभी और मैं लेट्रिंग के लिए हमारे घर के पीछे वाले खेतों में निकल पड़े। रास्ते में चलते-चलते मैं भाभी के पीछे चलने लगा, भाभी पीछे से मस्त गाण्ड मटका मटका कर चल रही थीं।
कुछ देर में हम दोनों खेत में काफी अन्दर आ गए थे। अच्छी साफ़ जगह देखकर हम दोनों बैठने लगे। भाभी ने अपनी साड़ी ऊपर की और अपनी चड्डी नीचे कर ली और मेरे सामने लेट्रिंग बैठ गईं।
मैं भी पैन्ट और अन्डरवियर नीचे करके लेट्रिंग बैठ गया।
भाभी ने मेरे लण्ड को घूरते हुए कहा- अरे वाह देवर जी.. अब तुम्हारी नुन्नी तो लण्ड बन गई है।
मैं- हाँ.. ये तो माँ और आप की मेहरबानी है।
हम दोनों हँसने लगे।
भाभी- पर इतने बाल हैं लण्ड पर.. कभी निकालते नहीं हो क्या..?
मैं- नहीं इनके बारे में ख्याल ही नहीं आया… और आपने भी बाल निकालना कहाँ सिखाया।
मैं भी भाभी की चूत को गौर से देख रहा था.. और भाभी भी ये देख रही थीं कि मैं उनकी चूत देख रहा हूँ।
भाभी ने हँसते हुए कहा- क्यों देवर जी किसी की चूत नहीं देखी क्या.. जो मेरी चूत इतनी गौर से देख रहे हो।
मैं- देखी तो बहुत हैं और पेली भी हैं भाभी।
भाभी- क्या? कब.. किसकी देख ली और पेल ली..
उन्होंने थोड़ा गुस्सा होते हुए और अचम्भे से पूछा।
मैं- क्या भाभी.. यहाँ तो रोज ही लेट्रिंग आता हूँ.. और गाँव की सारी औरतें भी लेट्रिंग के लिए यहीं आती हैं। अब तक गांव की सारी चूतें देख चुका हूँ। गाँव की हर लड़की.. भाभी और बुढ़ियों तक की देख ली है.. और तो और गाँव की नई-नई दुल्हनों की भी चूतें देखी हैं।
भाभी- अरे वाह.. मेरे शेर.. मैं तो तुम्हें बच्चा समझ रही थी और तुम तो काफी आगे निकले.. तो सिर्फ देखी ही हैं या कुछ किया भी है.. या यूँ ही कह रहे हो कि पेली हैं।
मैं- हाँ भाभी रोज रात में गाँव की जिस भी औरत की चूत में खुजली होती है.. तो वो यहीं आ जाती है और लेट्रिंग के बाद मैं उनकी मस्त पेलता हूँ।
भाभी- क्या रवि.. गांव की इतनी औरतों को चोदा.. और घर की चूतों का ख्याल ही नहीं रखा तुमने?
मैं- मतलब.. भाभी मैं समझा नहीं कुछ?
भाभी- ज्यादा भोले मत बनो। मैंने और सासू माँ ने इतनी मालिश की तुम्हारी.. और तुम हो कि कभी हमारे साथ कुछ किया ही नहीं..
मैं- भाभी आपको और माँ को कैसे चोद सकता हूँ मैं?
भाभी- वाह.. रोज लण्ड की मालिश करवा सकते हो.. हमारे साथ नहा सकते हो.. हग सकते हो.. तो फिर चोद क्यों नहीं सकते..?
मैं- ठीक है आपको तो चोद लूँगा.. पर भाभी.. माँ को कैसे चोदूँ?
भाभी- मैं सब बता दूँगी.. चलो अभी घर चलते हैं.. आज से ही शुरू करते हैं और माँ की चिंता मत करो.. वो खुद तुम्हारे लण्ड के इंतजार में हैं। इसी लिए तो बेचारी वे तुम्हारे लण्ड की मालिश रोज करती थीं।
मैं- क्या सच में?
भाभी- हाँ..
मैं- ये आपको कैसे पता..? और माँ ने भी मुझे कभी नहीं कहा.. वे तो रोज ही लण्ड हाथ में लेती थीं.. जब इतनी बात थी तो आप दोनों ने मेरे लण्ड को चूत में क्यों नहीं लिया?
भाभी- तब तुम बच्चे थे.. अब बड़े जवान और बड़े लण्ड वाले हो.. एक दिन मैंने तुम्हारी माँ को चूत में गाजर डालते देखा था.. तो उन्होंने मुझे देख लिया था। मुझे देखते ही वो थोड़ी डर गई थीं.. और मुझे बुला कर उन्होंने कहा भी था कि किसी को मत बताना। मैंने भी कहा कि इसमें किसी से कहने की क्या बात है। मैं भी तो रोज उंगली या गाजर-मूली डाल लेती हूँ। तब तुम्हारी माँ बोलीं कि अब समय आ गया है कि रवि का लण्ड लिया जाए और जीवन का सूनापन दूर किया जाए।
मैं- अगर ऐसी बात है.. तो मैं अब आप दोनों को कभी प्यासा नहीं रहने दूँगा.. रोज चोदूँगा। आज से गाँव की औरतों की चूत मारना बंद समझो..
भाभी- हाँ जरूर रोज चोदना हम दोनों सास-बहू को.. और हाँ गाँव की चूतें जो तुमने अपने बड़े लण्ड से भोसड़ा बना दी हैं.. उन्हें भी जरूर चोदते रहना। उन्हें क्यों नाराज करते हो.. उनकी भी प्यास मैं समझ सकती हूँ।
मैं- ठीक है भाभी.. जैसा आप कहें।
अब मेरा लण्ड हगते हुए खड़ा हो गया था.. भाभी की भी नजर उस पर पड़ी।
भाभी- अरे ये क्या.. तेरा लण्ड तो अभी से खड़ा हो गया.. शायद रोज इसी समय चुदाई करते हो.. तो इसी कारण खड़ा हो गया होगा।
मैं और भाभी हँसने लगे।
अब हमने अपनी-अपनी गाण्ड धोई.. और घर की तरफ निकलने लगे।
घर जाते ही भाभी ने देखा कि माँ सो रही थीं। भाभी ने घर का दरवाजा ठीक से बंद कर दिया और मुझसे चिपक गईं, भाभी मेरे होंठ चूसने लगीं, मैं भी भाभी के होंठ चूसने लगा।
क्या बताऊँ दोस्तों.. भाभी के होंठ इतने नर्म थे.. जैसे कोई गुलाब के फूल की पंखुरियाँ हों।
हमने लगातार 10 मिनट तक होंठ चूसे।
अब मैं भाभी के बोबे दबाने लगा। उनके बोबे काफी बड़े और सख्त थे.. दबाने में इतना मजा आ रहा था कि क्या बताऊँ। हम दो जिस्म एक जान बन गए थे। इसी में 30 मिनट निकल गए।
मैंने झट से भाभी की साड़ी ऊपर की और उनकी चड्डी निकाल दी, भाभी की झाँटों वाली चूत चाटने लगा।
हम दोनों कुछ देर पहले तो हग कर आए थे.. तो भाभी ने बिना हाथ-पैर धोए और चूत धोए चूमना चालू कर दिया।
क्या मस्त मादक गंध थी भाभी की चूत की.. कभी उनके मूत की गंध.. तो कभी उनकी मादक और प्यासी चूत की गंध..
मैंने चूत को हाथों से सहलाया और चूत चौड़ी करके चाटने लगा। कभी भाभी के मस्त काले हल्के भूरे रंग के दाने को चाटता.. तो कभी पूरी जीभ चूत के अन्दर डालने लगता।
भाभी मेरा सर अपनी चूत पर दबाने लगीं और जोर-जोर से चिल्लाने लगीं- चाट रवि.. चाट.. अपनी इस भाभी की प्यासी चूत को आज खा जा.. आह्ह.. चाट इसे.. आहह..उह्ह..
अब भाभी की चूत से मस्त खारा और चिकना पानी आने लगा। मैं पूरा पानी चाटने लगा और पीने लगा।
पानी छोड़ने के बाद भाभी अब थोड़ी शांत हो गई थीं।
अब भाभी उठीं और मेरे लण्ड को मेरी पैन्ट से निकालने लगीं।
लण्ड निकालने में दिक्कत आ रही थी क्योंकि लण्ड फूल कर काफी कड़ा और बड़ा हो गया था।
भाभी ने मेरी पूरी पैन्ट निकाल दी, अब मैं नीचे से पूरा नंगा हो चुका था, भाभी ने लण्ड हाथ में लिया और बोलीं- बापरे.. ये तो पहले से भी ज्यादा बड़ा दिख रहा है.. इतना लंबा और बड़ा हो गया है कि हाथ में भी नहीं आ रहा है।
मैं बोला- ये तो आप दोनों की मालिश की देन है और आज आपको चोदने की उत्सुकता भी बहुत हो रही है.. इसी कारण इतना फूल गया है।
भाभी ने लण्ड को सहलाना चालू किया और अब मेरे लण्ड को चूसने लगीं।
मैंने भी लेट्रिंग के बाद घर आकर लण्ड और हाथ-पैर नहीं धोए थे.. लण्ड पर लगी मूत की कुछ बूँदें भी भाभी चाट रही थीं।
मेरा गाँव का देशी लण्ड भाभी के मुँह में पूरा जा ही नहीं रहा था.. काफी मोटा था। भाभी सिर्फ मेरे लण्ड का टोपा ही चूस पा रही थीं।
मैं मादक आवाज में बोला- भाभी वाह्ह.. क्या मस्त लौड़ा चूसती हो आप.. अआहहह.. उम्मम.. ओहोहोहो.. हईईईईई..
भाभी मेरे लण्ड को 10 मिनट तक चूसती रहीं।
‘भाभी बस करो.. नहीं तो मुँह में ही झड़ जाऊँगा।’
उन्होंने मेरी बात को अनसुना कर दिया और लण्ड चूसती रहीं।
मैं समझ गया कि भाभी को मेरा वीर्य पीना है।
अब कुछ ही देर में मैंने मेरे लंड का पानी भाभी के मुँह में छोड़ दिया।
भाभी भी मस्त चटकारे लेते हुए पूरा पानी पी गईं.. एक बून्द भी नहीं बाकी रखी।
माल निकल जाने के बाद भी भाभी मेरा लौड़ा चूसती रही थीं.. जिस कारण मेरा लण्ड खड़ा ही था।
भाभी ने तुरंत बिस्तर पर अपनी टाँगें चौड़ी कर दीं.. मैंने भी समय ना गंवाते अपना लण्ड उनकी चूत में रख कर धीरे-धीरे घुसाने लगा। मेरा लण्ड काफी मोटा था तो चूत में घुसने में दिक्कत आ रही थी।
मैं सम्भलते हुए धीरे से डालने लगा, अब तक लण्ड 2 इंच तक जा चुका था।
मैंने धीरे से झटका मारा.. तो भाभी जोर से चिल्ला पड़ीं- रवि आराम से.. बहुत समय से इस प्यासी चूत में लण्ड अन्दर नहीं गया..
मैंने उनकी इस बात पर ध्यान नहीं दिया और एक जोर का झटका मार दिया। अब मेरा पूरा लण्ड चूत में घुस गया था।
भाभी दर्द से छटपटाने लगीं और उनकी आँखों से आंसू आने लगे।
कुछ देर ठहरने के बाद मैं चूत को पेलने लगा, भाभी को मजा मिलना आरम्भ हो गया- फाड़ दे रवि.. अपनी भाभी की चूत को आह.. आह.. उफ़..
भाभी को मैंने लगातार काफी देर तक चोदा.. इस चुदाई में भाभी एक दो झड़ चुकी थीं।
मैंने अपना सारा पानी चूत में नहीं डाला.. लण्ड निकाल कर भाभी के मुँह में डाल दिया।
भाभी के मुँह में 7-8 झटके मारते ही मेरा पानी उनके मुँह में चला गया।
भाभी पूरा पानी पी गईं।
रात भर भाभी की चूत मैंने 4 बार मारी, हम दोनों सुबह 4 बजे सोए..
पर रोज की तरह सुबह जल्दी उठ भी गए।
सुबह माँ भी जल्दी उठीं।
अब माँ की तबियत कुछ ठीक लग रही थी, मैं सुबह फिर लेट्रिंग गया.. पर आज मैं अकेला गया था।
खेत में अन्दर जाते ही मैं लेट्रिंग बैठ गया। उसी समय गाँव की एक लड़की.. जिसकी कुछ दिन पहले शादी हुई थी और आज ही अपने मायके वापस आई थी। मैं इसकी चूत पहले भी मार चुका था.. वो आकर मेरे बाजू में लेट्रिंग बैठ गई।
मैं- अरे सरिता.. कैसी हो.. कब आई ससुराल से?
सरिता भी हगते हुए बोली- मजे में हूँ.. तुम बताओ कैसे चल रहा है.. चुदाई का मजा..
मैंने हगते हुए उसकी चूत देखी और कहा- हाँ.. अब तो गाँव की बहुत चूतों को चोद चुका हूँ और ये क्या.. सरिता शादी के बाद भी तुम्हारी चूत तो पहले जैसे ही है।
सरिता- क्या करूँ.. मेरे ‘वो’ कुछ खास चुदाई नहीं कर पाते हैं। जब से तुमसे चुदी हूँ.. पति के लण्ड में मजा ही नहीं आता.. अब यहाँ आई हूँ.. तो तुमसे चुदवा लेती हूँ।
मैं- हाँ ठीक है.. पर अभी नहीं.. कभी और अभी थोड़ा बिजी हूँ।
सरिता ने हँसते हुए कहा- हाँ.. अब तो घर की चूतों को फाड़ने में लगे होगे।
मैंने चौंकते हुए पूछा- तुम्हें कैसे पता?
सरिता- कल रात तुम्हें डिब्बा लेकर लेट्रिंग जाते देख कर मैं भी तुम्हारे पीछे आई थी। मैंने सोचा था कि चलो आज फिर हगते हुए रवि के बड़े लण्ड से चुदा लेती हूँ.. पर साथ में तुम्हारी भाभी थीं.. इसी लिए कल छुप कर लेट्रिंग बैठी और तुम दोनों की सारी बातें सुन ली थीं।
मैं- क्या करूँ सरिता.. भाभी ठीक ही तो कह रही थीं.. भैया की और पिताजी की मौत के बाद से उन्हें कोई लण्ड ही नहीं मिला.. कैसे रहती होगीं बिना लण्ड के.. आखिर में उन्हें खुश रखना भी तो मेरी जिम्मेदारी ही है।
सरिता- हाँ तुम सही कह रहे हो.. तुम जरूर खुश रखना उन्हें.. और खूब चोद-चोद कर खुश रखना। अभी के लिए मैं बिना तुम्हारा लण्ड लिए चली जाती हूँ.. पर अगली बार 2-3 बार जरूर चोद देना।
मैं- बस इतना ही.. तू कहे तो तुझे मेरे बच्चे की माँ बना दूँ?
सरिता- सच?
मैं- हाँ.. बोल लेगी मेरा बच्चा अपनी कोख में?
सरिता- नेकी और पूछ-पूछ?
हम दोनों हँसने लगे।
अब हमने अपने चूतड़ धोए और घर निकल पड़े।
घर आते ही मैं नहाने घुस गया.. आज भाभी की जगह माँ ने लण्ड की मालिश के लिए तेल दिया।
माँ हँसते हुए बोलीं- ले बेटा.. तेल.. मालिश के लिए.. ठीक से लगाना.. पहले तो तू हमारे हाथों से लगवाता था.. पर अब खुद ही लगाता है.. माँ और भाभी से कैसी शर्म..
माँ के ऐसा कहने पर मैं थोड़ा हड़बड़ा गया.. पर मन में आया कि ऐसे भी कल भाभी को चोदा है और आगे माँ को भी तो चोदना ही है.. क्यों न आज लण्ड पर तेल लगवाते हुए कुछ प्रयास किया जाए।
‘नहीं माँ.. शर्म कैसी.. तेल से मालिश की वजह से शायद तुम्हारे हाथों में दर्द होता होगा.. इसी लिए मैं खुद ही लगा लेता हूँ।’
माँ की आँखों में चमक थी और मादक मुस्कान के साथ वे बोलीं- भला मेरे बेटे के लण्ड की मालिश से मेरा हाथ क्यों दुखेगा.. लण्ड की मालिश से आगे मेरे बेटे की पत्नी काफी खुश रहेगी.. इसी लिए मैं पहले से मालिश करते आ रही हूँ।
मैंने उनके मुँह से लण्ड शब्द सुना तो मैं उनकी चुदास को समझ गया और मैंने कहा- हाँ ठीक है न माँ.. आज तुम्हीं मेरे लण्ड की मालिश कर दो।
हम दोनों घर के बाथरूम में आ गए, माँ ने गर्म पानी की बाल्टी भरी और मुझे मेरे कपड़े निकालने के लिए कहा।
मैं कपड़े निकाल ही रहा था कि माँ ने मुझसे पहले अपने कपड़े निकाल दिए, अब माँ सिर्फ सफेद रंग की चड्डी में थीं।
माँ के बड़े तरबूज के जैसे बड़े-बड़े बोबे मेरे सामने खुले थे। माँ की लंबी-लंबी खुली नंगी टाँगें मेरे सामने थीं। सफेद पैन्टी में माँ किसी हूर जैसी लग रही थीं।
मेरा लण्ड तुरंत खड़ा हो गया।
माँ मेरे लण्ड को देखते ही बोलीं- बाप रे, बेटा रवि इतना बड़ा लण्ड हो गया तेरा.. मेरी मेहनत काफी रंग लाई है।
मैं- हाँ माँ.. ये तुम्हारी और भाभी की मेहनत का नतीजा है।
अब माँ ने मेरे लण्ड पर तेल लगाया और मालिश करने लगीं। माँ मालिश करते करते समय अपने बड़े बोबे मेरी टाँगों को लगा रही थीं.. आज काफी समय बाद माँ ने मेरे लण्ड को हाथ में लिया था।
अब मैं माँ की मालिश से मदहोश हो रहा था। मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं। मेरे मुँह से ‘अअहह..आह.. आह्ह.. अ..अहहा.. हा..’ की आवाजें आ रही थीं।
अचानक माँ ने मेरा लण्ड मुँह में ले लिया.. मैंने झट से आँखें खोलीं।
मैं- आह्ह.. ये क्या कर रही हो।
माँ हँसते हुए बोलीं- नई तरह की मालिश.. क्योंकि बेटा अब तू बड़ा हो गया है न.. और वैसे भी कल रात में तेरी भाभी ने काफी जोरों से मालिश की थी। तेरी और तेरी भाभी की आवाजें कल रात को जब में पानी पीने उठी थी.. तब सुनी थी।
मैं- क्या सच में माँ.. अच्छा हुआ तुमने कल हमारी चुदाई की आवाज सुन ली.. तो फिर अब तुम भी भाभी के जैसी मालिश के लिए तैयार हो या नहीं?
माँ- मैं तो सालों से इसी दिन का इन्तजार कर रही हूँ बेटा।
माँ के ऐसे कहते ही मैंने माँ को खड़ा किया और चूमने लगा।
माँ के होंठ क्या मस्त नरम और मादक थे.. हर चुम्बन पर माँ के होंठों से रस टपक रहा था। मैं अब चूमते हुए माँ के बोबे दबाने लगा.. माँ के बड़े बोबे मेरे हाथों में समा नहीं रहे थे। बोबे मस्त मुलायम और नरम थे.. दबाने में बहुत मजा आ रहा था।
कुछ ही देर बाद मैं नीचे बैठ कर माँ की कच्छी हटा कर मां की चूत चाटने लगा था। उनकी मस्त बिना बालों की चिकनी बुर.. जो पानी छोड़ रही थी.. मस्त मादक गंध के साथ बहुत पानी छोड़ रही थी।
माँ अब मादक सीत्कार निकाल रही थीं ‘म्मम्म.. ऊऊऊ ऊऊह उम्म म्म.. आआअ.. ह्ह्ह्ह्ह.. ईईई ईईई.. चाट बेटा.. चाट.. बहुत सताया है इस बुर ने.. आज पूरी चूत का पानी खाली कर दे.. चाट जोर से चाट.. आआअ.. उम्म्म्म.. ईई..’
अब मैंने चाटना बंद किया और वहीं खड़े होकर माँ की एक टांग ऊपर करके अपना लण्ड माँ की चूत पर सैट किया और धीरे से लण्ड डालने लगा।
माँ की बुर अब भी काफी टाइट थी.. क्योंकि माँ ने पिताजी के मरने के बाद लोकलाज के चलते किसी से चुदाई नहीं करवाई थी।
मैंने एक झटका तेज मारा और लण्ड आधा अन्दर डाल दिया। माँ दर्द से कराहते हुए बोलीं- ओह्ह रवि मार डालेगा क्या.. आराम से चोद न..
मैंने सुनी अनसुनी कर दी और एक और झटका मार दिया। अब मेरा पूरा लण्ड माँ की चूत में था।
माँ और जोर से चिल्लाईं। अब मैं माँ के होंठ चूमने लगा और जब तक माँ का दर्द कम नहीं हुआ.. तब तक चूमता रहा और बोबे दबाते रहा।
अब माँ ने खुद एक झटका नीचे से मारा.. और मैं समझ गया कि अब माँ झटके लेने को तैयार हैं।
मैंने झटके लगाना चालू किया.. अब माँ मेरे झटकों का मजा ले रही थीं।
माँ बोलीं- फाड़ दे रवि.. आज मेरी बुर को.. फाड़ दे.. चोद दे अपनी माँ को.. और जोर से चोद..
हमारी चुदाई लम्बी चली.. मैंने मेरा सारा पानी माँ की प्यासी चूत में डाल दिया।
मैं हाँफते हुए माँ से अलग हुआ.. तो देखा कि भाभी बाथरूम के दरवाजे पर खड़ी होकर अपनी चूत साड़ी के ऊपर से मसल रही थीं और हमारी चुदाई देख रही थीं।
माँ.. मैं और भाभी एक-दूसरे को देख कर हँसने लगे।
अब मैं रोज मेरी माँ और भाभी को पेलता हूँ और कभी-कभी लेट्रिंग जाने पर गाँव की बुरें भी चोद लेता हूँ।
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06-08-2021, 12:48 PM,
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
मेरी माँ और हमारे मकान मालिक
प्यारे साथियो आपके लिए एक अंतरजातीय सेक्स कहानी लाया हूँ . भाइयो मेरा मकसद सिर्फ़ मनोरंजन करना और करवाना है किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना नही आशा करता हूँ आप इस कहानी को सिर्फ़ मनोरंजन की दृष्ट से ही देखेंगे . ये सच्ची घटना है,मेरी माँ और हमारे मकान मालिक, राज के बीच हुए सेक्स की. मेरा नाम अनवर है. मैं पहले अपने माँ, और बाप के साथ कोलकाता में रहता था. मेरा बाप एक राजनैतिक पार्टी का कार्यकर्ता था, और माँ स्टेट बॅंक ऑफ इंडिया में काम करती थी. मेरी माँ एक बेहद खूबसूरत बंगाली औरत थी, उसका कद लगभग 5’5” था, फिगर 37द-31-38 थी. उसके लंबे बाल थे जो उसकी कमर तक पहुँचते थे, वो गोरे गदराए बदन, सुडोल बाहों और वक्ष की मालकिन थी. सेक्स में मेरी रूचि तब हुई जब मैं 11 साल का था. स्कूल में दोस्त लोग सेक्स की बातें करते और मस्तराम जैसी किताबें पढ़ते. कुछ दोस्त अपने माँ-बाप के सेक्स की बातें करते, मैं भी अपने माँ-बाप के सेक्स देखने की कोशिश करता, पर मेरे माँ-बाप के बीच सेक्स बहुत ही कम होता था. कभी कभी महीने में एक दो बार वो लोग सेक्स करते, उसमें भी उनका सेक्स कभी 5-7 मिनिट से ज़्यादा नही चलता था. मेरा एक दोस्त था विनय, वो अक्सर अपने बाप धरम और उसकी सेक्रेटरी नजीबा के सेक्स के किस्से सुनाता. मेरी भी बहुत इच्छा होती अपनी माँ को सेक्स करते देखने की. पर मेरे बाप को सेक्स में कोई रूचि नहीं थी, बात तब की हैं जब में 12 साल का था, माँ की उम्र तब 39 साल थी. पार्टी के चक्कर में मेरे बाप का एक लोकल नेता से झगड़ा हो गया. वो नेता वेस्ट बंगाल कमिटी का मेंबर था, और उसकी पहुँच बहुत उपर तक थी. बदला लेने के लिए उसने माँ का ट्रान्स्फर मुर्शीदाबाद के डोंकल इलाक़े में करा दिया. अब माँ के पास और कोई चारा नहीं था, वैसे भी घर उसी की सेलरी से चलता था, इसलिए वो नौकरी भी नहीं छोड़ सकती थी. बाप ने कोशिश की ट्रान्स्फर रुकवाने की, पर कुछ ना हुआ. फिर उन्होने फ़ैसला किया मैं और मेरी माँ डोंकल चले जाएँगे, क्यूंकी यही एक रास्ता बचा था. डोंकल बांग्लादेश की सीमा से बस 5 किमी दूर था, ये पूरा मोमडन इलाक़ा था, यहाँ की 95% जनसंख्या हिंदू थी, 5% हिंदू थे, जो की सब दलित थे यहाँ माहौल बहुत कन्सर्वेटिव था. कोलकाता में तो माँ स्लीव्ले ब्लाउस वाली ट्रॅन्स्परेंट साड़ियाँ पहनती थी. यहाँ वो साड़ियाँ नही पहन सकती थी, ऐसे माहौल में साड़ी पहनती तो पूरा बाज़ार पागल हो जाता. इसलिए माँ अब सलवार कमीज़ पहनने लगी, पर उसके टाइट सलवार कमीज़ में भी उसके गदराए बदन को देख के लोग उसको घूरते थे. यहाँ घर ढूँढने में भी दिक्कत थी, माँ के बॅंक मॅनेजर ने बॅंक के पास ही अज़ीम गंज इलाक़े में एक घर ढूँढ दिया. घर का मालिक एक पहलवान था, उसकी डोंकल में बहुत बड़ी मिठाई की दुकान थी, सभी होटेलों में उसी की दुकान से मिठाई जाता था. उसकी दुकान भी घर के पास ही थी. उसका नाम राज था, वो एकदम जैसा दिखता था, उसका कद 6 फुट, बदन हटटा-कॅटा, चौड़ी छाती, थोड़ा काला रंग था. उसने मूछें नहीं रखी थीं, पर वो लंबी दाढ़ी का मालिक था. वो हमेशा पठानी कुर्ता पाजामा या कुर्ता लुंगी पहनता था. कभी कभी सर पे टोपी भी पहन लेता था. मिठाई की दुकान चलाने के साथ साथ वो पहलवानी भी करता था, और अखाड़े में कुश्ती करता था, इसलिए वो सांड जैसा दिखता था. उसका घर काफ़ी बड़ा था, नीचे वो खुद रहता था, उपर का फ्लोर हमें किराए पर दे दिया. उसने शादी नहीं की थी, उसकी उम्र लगभग 42 साल की थी. वो लोकल मुनिसिपल काउन्सिल का काउन्सिलर भी था, इसलिए थोड़ी गुंडागर्दी भी करता था, मैने कई बार उसे फोन पे गाली गलोच करते सुना था, पर माँ और मेरे साथ बहुत प्यार से बात करता था. मुझे खिलोने या चॉक्लेट देता, माँ को हसाने की कोशिश करता. इसका एक कारण था, मैने देखा वो माँ को बहुत अजीब नज़र से घूरता था, माँ के बदन और उसकी मटकती गाँड को निहारता. वो उसको उसी नज़र से देखता जिस नज़र से एक ठरकी आदमी एक खूबसूरत औरत को देखता है. शायद माँ को भी ये बात पता थी, इसलिए वो उससे ज़्यादा बात नहीं करती थी, हालाँकि वो कभी कभी अपनी बातों से माँ को हंसा देता था. उसे शायरी भी आती थी, इसलिए वो उसको गालिब के शेर सुनाता. धीरे-धीरे मैने देखा माँ की झिझक कम होने लगी थी, वो भी अब उसे खुल के बात करती. बातों बातों में कभी कभी राज माँ के बदन को छू देता. अब तो वो कभी कभी हमारे साथ ही रात का खाना ख़ाता. एक महीने के बाद सब नॉर्मल सा लगने लगा था. जो डर था की हम एक इलाक़े में जा रहे हैं वो कम हो गया था. माँ अब राज के साथ घुल मिल गयी थी, मुझे भी वो अच्छा लगने लगा था. तकरीबन एक महीने बाद की बात है, रविवार का दिन था. मैं उपर अपने कमरे में बैठ के होमवर्क कर रहा था. मैने देखा माँ मेरे कमरे के बाहर खड़ी छुप के नीचे आँगन की तरफ देख रही थी. काफ़ी देर तक नीचे देखने के बाद वो अंदर आ गयी. मैं बाहर गया और आँगन की तरफ़ देखा, वहाँ डंब-बेल और कुछ फिज़िकल एक्सर्साइज़ का सामान पड़ा था. मैं समझ नहीं पाया माँ क्या देख रही थी. जैसे ही मैं अंदर आने लगा, नीचे राज आँगन में आया. वो केवल एक छोटे से लंगोट में था, उसका पूरा बदन पसीने से भीगा हुआ था. क्या बदन था उसका, एकदम डब्ल्यूडब्ल्यू एफ के पहलवानों जैसा, पर उसके बाल बहुत थे. पूरा बदन और पीठ बालों से भरी हुई थी. मुझे समझने में देर ना लगी, माँ राज को कसरत करते हुए देख रही थी. ऐसे मर्दाना बदन को देख के कोई भी औरत गर्म हो जाए. मैने सोचा माँ राज के पसीने से भरे मर्दाना जिस्म को देख रही थी. एक महीने से वो अपने पति से दूर थी. वैसे भी उसका पति सेक्स में कम ही रूचि रखता था, उसकी शारीरिक ज़रूरतें पूरी नहीं हो पा रहीं थी. वो तो बस ऐसे ही एक नंगे पहलवान को देख के नयनसुख प्राप्त कर रही थी, और अपने अंदर की आग को तृप्त कर रही थी. मुझे भी अजीब सी उत्तेजना हुई, मेरी माँ एक ग़ैर मर्द की तरफ़ आकर्षित थी, क्या वो इससे ज़्यादा कुछ करेगी, या बस ऐसे ही राज को नंगा देख के अपनी आप को शांत करेगी? अगले ही दिन एक और घटना हुई. मैं उपर अपने कमरे में बैठ के होमवर्क कर रहा था. तभी मुझे माँ और राज की हँसने की आवाज़ सुनाई पड़ी. मैं बाहर आ के देखने लगा. वो दोनों नीचे आँगन में खड़े थे. माँ ने काले रंग का टाइट सलवार सूट पहना था, वो एकदम बला सी सुंदर लग रही थी. राज एक कुर्ते और लुँगी में था. वो उसको शायरी सुना रहा था, और उसके खूबसूरत गोरे बदन की तारीफ कर रहा था. माँ भी मुस्कुरा रही थी. तभी अचानक राज ने माँ को अपनी बाहों में भर लिया, और उसे चूमने की कोशिश करने लगा. माँ एकदम से चौंक गयी, उसने अपने आप को राज की बाहों से छुड़ाने की कोशिश की और अपना मुँह फेर लिया ताकि राज उसको किस ना कर सके.
वो बोली, “क्या कर रहें हैं आप?”
राज बोला, “माँ जी आपको प्यार करने की कोशिश कर रहा हूँ.”
माँ, “छोड़िए मुझे प्लीज़, मैं शादीशुदा हूँ, ऐसी हरकत मत कीजिए मेरे साथ.”
राज, “आप भी तो मुझे चाहती हो!”
माँ, “क्या कह रहे हैं आप?”
राज, “कल आप मुझे छुप-छुप के देख रही थीं, सच बताइए!”
माँ के पास कोई जवाब नहीं था, राज ने उसकी चोरी पकड़ ली थी.
राज, “देखिए मुझे आप बहुत अच्छी लगती हैं, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ. आप मुझसे प्यार नहीं करती?”
माँ, “पर मैं शादीशुदा हूँ, मेरा 12 साल का बच्चा है, मैं आपके साथ रिश्ता नहीं बना सकती.”
मैने सोचा माँ ने साफ मना नहीं किया बल्कि अपने शादीशुदा होने का बहाना लगाया.
राज, “अगर मैं आपको पसंद हूँ तो इसमें बुरा क्या है? आपको किसी से डर लगता है?”
माँ, “नही ये रिश्ता नहीं बन सकता, मैं एक हिंदू औरत हूँ, और आप हिंदू, ये रिश्ता समाज को मंज़ूर नहीं होगा.”
राज, “तो हम किसी को पता नहीं चलने देंगे. आपकी बातों से मुझे लगा था आपके और आपके पति में प्यार नहीं है, मैं आपको वो प्यार दे सकता हूँ जो आप ढूँढ रही हो. मान जाइए माँ जी प्लीज़, मैं आपको बहुत प्यार करूँगा, मुझसे अब आपसे दूर नही रहा जाता.”
माँ, “नहीं ये ग़लत है.”
राज, “कुछ ग़लत नहीं है, आपको प्यार का पूरा हक़ है, अगर आपका पति अपना फ़र्ज़ नही निभा रहा तो आपको हक़ है की आप बाहर से वो प्यार पायें जो हर औरत की चाहत होती है.”
माँ चुप रही. राज ने अभी भी माँ को अपनी मज़बूत बाहों में जकड़ा हुआ था. मुझे बहुत उत्तेजना हो रही थी, मेरी माँ को एक लंबी दाढ़ी और मूछों वाले मर्द ने अपनी मज़बूत बाहों में जकड़ा हुआ था, और वो बेबस छटपटा रही थी.
राज बोला, “मैं चाहता तो आपके साथ ज़बरदस्ती भी कर सकता था, पर उससे आपको दुख होता. और वैसे भी मर्ज़ी में जो मज़ा है वो ज़बरदस्ती में नहीं. मैं चाहता हूँ कि आप अपनी मर्ज़ी से मेरे साथ सेक्स करें मैं आपको जाने देता हूँ, पर मैं तब तक कोशिश करूँगा जब तक आप खुद चलके मेरी बाहों में नहीं आतीं.”
माँ उपर आ गयी, मैने नाटक किया जैसे मैने कुछ सुना या देखा नहीं. रात भर मुझे नींद नहीं आई, मेरी आखों में वही दृश्य घूम रहा था, मेरे माँ एक ग़ैर मर्द, राज की बाहों में. मैं यही सोच रहा था क्या मेरी माँ मुस्लिम समाज की मर्यादाओं को तोड़ते हुए शादीशुदा होते हुए भी एक ग़ैर हिंदू मर्द से शारीरिक रिश्ता बनाएगी और क्या वो उसके साथ सेक्स करेगी? वैसे भी वो प्यासी है, कब से उसने सेक्स नही किया है. मुझे विनय के किस्से याद आए, कैसे एक शादीशुदा औरत नजीबा विनय के बाप धरमके साथ सेक्स करती थी. विनय बताता था, धरमऑफीस में या अपने घर में दिन रात नजीबा के साथ सेक्स करता था, और नजीबा भी धरमके प्यार में पागल थी. मैं तो पहले ही अपनी माँ को सेक्स करते देखना चाहता था. क्या मेरी माँ एक हिंदू मर्द से सेक्स करेगी? ये ख्याल ही मेरे लिए बहुत एग्ज़ाइटिंग था. रात के सन्नाटे में मुझे माँ के कमरे से गरम आहें सुनाई दे रही थी, मैं समझ गया, शाम की घटना के बाद माँ भी गर्म थी. माँ राज से शारीरिक रिश्ता बनाने से डर रही थी, क्यूंकी, एक तो वो शादीशुदा थी, और दूसरा, राज एक हिंदू था. कहाँ एक शुद्ध मुस्लिम औरत, माँ, और कहाँ एक पहलवान हिंदू मर्द राज . एक मुसलमान औरत होते हुए वो एक हिंदू के साथ सेक्स करने के बारे में सोच भी कैसे सकती थी. कहाँ उसका पति पार्टी का कार्यकर्ता था और मुस्लिम धर्म का प्रचार करता था, और कहाँ वो एक पहलवान हिंदू मर्द से सेक्स का सपना देख रही थी. पर क्या वो अपनी सेक्स की आग को भुजाने के लिए अपनी शादी और धर्म को भुला के एक हिंदू मर्द की बाहों में जाएगी? पता नहीं क्यों, मैं चाहता था कि ऐसा ही हो, मेरी मुस्लिम माँ, सब कुछ भुला के उस हिंदू मर्द के बिस्तर में जाए और उस हिंदू मर्द से वो प्यार पाए जो हर औरत का हक़ होता है, और जिस प्यार को वो अपने पति से नहीं प्राप्त कर पाई थी. अगले 2-3 दिनों तक राज ने माँ से बात नहीं की, पर वो माँ को अपना मर्दाना जिस्म दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ता था. वो सिर्फ़ एक लुंगी में घूमता, उसकी बालों वाली चौड़ी छाती देख के माँ के जिस्म में आग लग जाती थी. माँ भी मौका ढूँढती रहती राज के आधे नंगे शरीर को देखने की. 2 दिन यही चलता रहा. राज जान भूझ कर माँ के सामने सिर्फ़ लंगोट या लुंगी में घूमता. माँ का धैर्य टूट रहा था, उसका दिमाग़ मना कर रहा था एक हिंदू मर्द से शारीरिक रिश्ता बनाने को, पर उसका दिल नहीं मान रहा था, वो भूखी थी एक मर्द के प्यार के लिए. और आख़िर वही हुआ, माँ के सब्र का बाँध टूट गया, ये बात भुलाते हुए की वो एक मुस्लिम औरत है और राज एक हिंदू, वो अब उसके साथ सेक्स करने के लिए पागल थी.
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06-08-2021, 12:49 PM,
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
उस घटना के बाद तीसरे दिन मैं घर पे बैठा पढ़ रहा था. माँ बॅंक से 3 बजे ही वापिस आ गयी, वैसे 5:30 बजे तक आती थी. आते ही अपने कमरे में घुस गयी, कहते हुए की मेरी तबीयत ठीक नहीं है. कुछ देर बाद मुझे उसके कमरे से आवाज़ आई. मैं कान लगा के सुनने लगा. वो फोन पर राज के साथ बात कर रही थी,.
माँ, “…..मुझसे भी अब रहा नहीं जाता, आपके बिना.” ….
माँ, “पर अनवर को पता नहीं चलना चाहिए.” …..
माँ, “नींद की गोलियाँ, दूध में?” ……
माँ, “ठीक है. पर शॉपिंग किस लिए?” …..
माँ, दुल्हन जैसे सजके? पर किस लिए?” …..
माँ, “ठीक है, जैसे आप कहो.” और उसने फोन रख दिया.
मैं समझ गया मेरी माँ उस मर्द से शारीरिक रिश्ता बनाने के लिए तैयार हो गयी है. आज रात ही उनका सेक्स का प्लान है, तभी वो दूध में नींद की गोलियाँ मिलाने की बात कर रही थी, ताकि में पूरी रात बेहोश रहूं. तब माँ और राज निश्चिंत होकर अपने सेक्स का आनंद उठा सकते हैं. कितनी प्यास भरी थी मेरी माँ में उस हिंदू के लिए. थोड़ी देर में राज भी घर आ गया. माँ बोली की राज उसको डॉक्टर के पास लेकर जा रहा है. करीब दो घंटे बाद वो लौटे. लग रहा था जैसे माँ ब्यूटी पार्लर जा के आई है, उसने हाथों और कलाइओं में मेहन्दी लगा रखी थी. उसके पास एक बड़ा सा शॉपिंग बॅग था, जिसे उसने झट से अपने कमरे में छुपा दिया. डॉक्टर तो बहाना था, राज तो उसे शॉपिंग ले के गया था, जैसे मैने माँ की बातों से सुना था. वो ब्यूटी पार्लर भी गयी थी अपने नये प्रेमी के लिए सजने. बॅग में क्या था ये मुझे पता नहीं चला उस वक़्त. रात 8 बजे खाना खाया. फिर माँ ने मुझे दूध का गिलास दिया, मुझे पता था इसमें नींद की गोलियाँ हैं, मैं दूध का गिलास लेकर अपने कमरे में आ गया और पीछे की खिड़की से बाहर फेंक दिया. अब माँ निश्चिंत थी. 9 बजे मैंने सोने का नाटक किया, जबकि वैसे मैं आम तौर पर 10 बजे सोता था. माँ एक बार मेरे कमरे में आई और मुझे हल्के से हिलाया. मैने सोने का नाटक किया. फिर वो चली गयी और मेरे कमरे को बाहर से बंद कर दिया. मैं झट से उपर रोशनदान की तरफ बढ़ा जहाँ से उसके कमरा के अंदर सब साफ़ दिखाई देता था. माँ ने बॅग खोला और उसमें से नयी लाल रंग की साड़ी निकाली. और उसके बाद नयी काले रंग की ब्रा और पैंटी निकाली. फ़िर वो नहाने चली गयी. 20 मिनिट बाद वो बाहर आई. उसके बाल भीगे हुए थे. उसने लाल रंग का ब्लाउस और पेटीकोट पहना था. ब्लाउस स्लीवेलेस्स, बॅकलेस और बेहद छोटा था, अंदर से काली ब्रा दिखाई दे रही थी, उसका पूरा मिड-रिफ भी दिखाई दे रहा था, उसने पेटीकोट अपनी नाभि से 2 इंच नीचे पहना था. फिर माँ आईने के सामने बैठ के शिंगार करने लगी. नयी लाल रंग की चूड़ीयाँ पहनी, जैसे एक नयी नवेली दुल्हन पहनती है, फिर आँखों में काजल लगाया, होठों पे लाल लिपस्टिक और लिपलाइनर, हल्का मेक-अप भी लगाया. उसने अपना मंगलसूत्र अपने सुडोल वक्षों के बीच रखा. आख़िर में उसने उठ के साड़ी पहनी, साड़ी पूरी ट्रॅन्स्परेंट थी, नीचे से उसका छोटा स्लीव्ले ब्लाउस, मिड-रिफ, और पेटीकोट साफ़ दिखाई दे रहे थे. वो बिल्कुल एक नयी नवेली दुल्हन लग रही थी, जैसे तैयार हो अपनी सुहाग रात मनाने के लिए. पर ये सुहाग रात वो अपने पति के साथ नहीं बल्कि एक ग़ैर मर्द के साथ मनाने जा रही थी. मेरी माँ, सजी सँवरी हुई थी एक नयी दुल्हन की तरह, सिर्फ़ उस राज के साथ सेक्स करने के लिए. और फिर वो उठ के चल दी, नीचे जाने के लिए, राज के कमरे में.
मैं झट से रोशनदान से नीचे उतरा और पीछे की खिड़की से बाहर टेरेस पर आ गया. राज के कमरे में छत के पास एक रोशनदान था जो टेरेस में खुलता था. मैं दौड़ता हुआ वहाँ पहुँचा. अंदर लाइट जल रही थी और सब साफ़ दिखाई दे रहा था. राज भी बिस्तर पर तैयार बैठा था. उसने गहरे सफेद रंग का कुर्ता-पाजामा पहना हुआ था. वो बिल्कुल एक मर्द जैसा दिख रहा था, जैसे आम तौर पर हिंदू दिखते हैं. और मेरी माँ इसी हिंदू के साथ सेक्स करने के लिए बेताब थी. माँ ने दरवाज़ा खटखटाया, दरवाज़ा खुला था, माँ अंदर आ गयी. राज उसे देख के बिस्तर से उठा. माँ ने दरवाज़ा अंदर से बंद किया.
राज और माँ दोनों एक दूसरे की तरफ बढ़े. दोनों एक दूसरे के सामने खड़े थे, और एकदम शांत खड़े एक दूसरे की आँखों में झाँक रहे थे. माँ आगे बढ़ी और राज से लिपट गयी. सिर्फ़ एक महीने में ही मेरी माँ को उस कट्टर हिंदू ने पटा लिया था, और आज वो औरत खुद चलके उस हिंदू की बाहों में आई थी, ताकि उस हिंदू के साथ उसके बिस्तर पर सेक्स कर सके. राज ने भी माँ को अपनी बाहों में भर किया और कस के जकड़ लिया. माँ ने अपनी बाहें राज के गले में डालीं और उससे चिपक गयी. माँ ने अपना सर राज की मर्दाना चौड़ी छाती में छुपा लिया. राज के हाथ माँ की कमर और गाँड को सहला रहे थे. 1-2 मिनिट तक माँ और राज ऐसे ही एक दूसरे के बदन से लिपटे रहे. फिर राज ने एक हाथ से माँ के चेहरे को अपनी छाती से हटाया, और उपर की तरफ किया. राज ने आगे की तरफ झुक के अपने होंठ माँ के लाल होठों पर लगा दिए. जैसे ही राज के होंठ मेरी माँ माँ के लाल होठों पर पड़े, माँ के बदन में जैसे करंट दौड़ गया हो. उसको झटका लगा और उसने राज को और कस के पकड़ लिया. और वो भी पूरी तमक से राज को चूमने लगी. राज ने सिर्फ़ अपने होंठ माँ के होठों से छूहाए थे, पर माँ ने तो राज के होठों को ऐसे चूसना शुरू किया जैसे आज क़यामत की रात हो और राज से सेक्स करने का बस यही एक मौका हो उसके पास. क्या मादक दृश्य था. मेरी माँ एक नयी नवेली हिंदू दुल्हन की तरह सजी हुई एक मूछों वाले से लिपटी हुई थी और उसके गरम होठों को अपने लाल होठों से चूस रही थी. क्या किस्मत थी राज की, उस मादक खूबसूरत मुस्लिम औरत के लाल होठों के शहद का मज़ा वो राज ले रहा था, नाकि माँ का पति. माँ अपनी एडियाँ उठाए राज को चूम रही थी और राज ने अपना मुँह आगे झुकाया हुआ था, क्यूंकी राज 6 फुट लंबा था और माँ 5 फुट 5 इंच. फिर राज ने माँ को अपनी मज़बूत बाहों में उठा लिया. अब उनके मुँह एक दूसरे के सामने थे, उनका किस और पॅशनेट हो गया. अब तो माँ और राज एक दूसरे के जीभ भी चाटने लग गये थे. माँ के हाथ अब राज के कुर्ते के अंदर थे और कुर्ते के अंदर से राज के पीठ को सहला रहे थे. राज ज़ोर ज़ोर से माँ की गाँड को मसल रहा था. 10 मिनिट तक दोनों एक दूसरे के होठों का स्वाद चखा, बिना रुके. ऐसा तगड़ा किस तो मैने हॉलीवुड मूवीस में भी नहीं देखा था. क्या मस्त हो के किस कर रही थी मेरी माँ उस को.. फिर राज ने माँ को छोड़ दिया और अपने पैरों के सहारे खड़ी हुई. माँ ने राज के कुर्ते के बटन खोलने शुरू किए.
राज ने कुर्ता निकालने में माँ की मदद की. फिर राज ने माँ के पल्लू को हटाया और उसकी साड़ी का पल्लू नीचे ज़मीन पर गिरा दिया. माँ ने खुद अपनी साड़ी अपने पेटीकोट से निकाली और नीचे फेंक दी, राज के कुर्ते के उपर. अब माँ राज के सामने सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज पहने खड़ी थी. फिर माँ राज के छाती के बालों के साथ खेलने लगी, उसके निपल्स को अपने होठों में लेके चूसने और दाँतों में लेके काटने लगी. वो अपनी जीभ से राज की छाती को चाट रही थी.
माँ, “तेरे बड़े बाल हैं, बहुत इच्छा थी बालों वाली छाती चाटने की, आज पूरी हुई.”
राज, “तेरे पति की छाती पर बाल नहीं हैं?”
माँ, “नहीं.”
3-4 मिनिट तक माँ ऐसे ही राज की छाती से खेलती रही. राज धीरे धीरे माँ के बदन को सहलाता रहा. फिर माँ ने राज के पाजामे का नाडा खोल दिया. राज ने सफेद रंग का फ्रेंचिए अंडरवेर पहना हुआ था, जिसमें बहुत बड़ा तंबू बना हुआ था. मैं सोच रहा था, कितना बड़ा होगा राज का लोड़ा. माँ अंडरवेर के उपर से ही राज के लंड को सहलाने लगी. फिर से दोनों का किस शुरू हो गया. कुछ देर बाद राज ने माँ के ब्लाउस के बटन खोलने शुरू किए. माँ ने अपनी दोनों बाहों को खोल कर अपने ब्लाउस को अपने शरीर से अलग कर दिया और नीचे फेंक दिया, अपनी साड़ी और राज के कुर्ते के उपर. राज ने उसकी ब्रा की हुक खोल दी. माँ ने ब्रा निकाल के अपने ब्लाउस के उपर फेंक दी.
अब वो उपर से नंगी थी. क्या मस्त दूध थे माँ के, एकदम सफेद, और बीच में पिंकिश ब्राउन निपल्स (चुचियाँ) एकदम तने हुए थे, मतलब ये था माँ पूरी गरम हो चुकी थी. राज ने आगे झुक के लेफ्ट दूध की निपल को चूसना चालू किया और राइट को अपने हाथ में लेके दबाना शुरू किया. वो माँ के निपल पे अपनी जीभ फिराता, और दाँत से काटता. दो-तीन बार राज ने माँ के निपल पर थूका और फिर अपनी जीभ से चाटा. वो दूसरे दूध की निपल को अपने अंगूठे और उंगली में लेके ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था. क्या गर्म सीन था, मेरी माँ आधी नंगी खड़ी थी, और एक नंगे मूछों वाले मर्द के सामने और वो उसके दूध चूस रहा था.
राज, “क्या गोरे और शहद जैसे मीठे हैं तेरे दूध.” जिस दूध को चूसने का हक़ सिर्फ़ उसके पति का था, उनको मेरी माँ एक कट्टर हिंदू को चुस्वा रही थी. माँ के उभारों का रस उसका पति नही बल्कि उसका मकान मालिक ले रहा था. माँ का एक हाथ राज के सर में था, और अपने हाथ से उसके मुँह को अपने उभारों पर दबा रही थी, और कह रही थी, “और ज़ोर से चूस, खा जा इनको, तेरे लिए हैं अब मेरे ये दूध, जितना रस पीना है पी ले, रुक मत, दबा और ज़ोर से.” दूसरे हाथ से माँ राज के लंड को सहला रही थी.
मैने देखा अब माँ का हाथ राज के अंडरवेर के अंदर था और अब वो उसके लंड को अपने हाथ में लेके सहला रही थी. फिर माँ ने अपने हाथ से राज का अंडरवेर निकाल दिया. राज अब पूरा नंगा खड़ा था माँ के सामने. माँ पीछे हटी, राज के मुँह से उसके निपल छूट गये. माँ ने राज के लंड की तरफ़ देखा. वो थोड़ी सी चौंकी हुई बोली, “क्या बड़ा लंड है तेरा! कितना बड़ा है ये?”
राज, “10” का है. तेरे पति का कितना बड़ा था?”
माँ, “अरे उसका तो 4.5” का ही था, लगता था जैसे 10 साल के किसी बच्चे का हो. तेरा कितना कसा हुआ है.
राज, “पहले कभी देखा नही तूने लंड?”
माँ, “नहीं आज पहली बार देखा है. जो सुना था वैसा ही है.”
राज, “क्या सुना था?”
माँ, “वही, बहुत बड़े और कसे हुए होते हैं लंड. सुपाड़ा भी कितना बड़ा है तेरे लंड का.”
राज, “तो चूस ना अपने लाल लाल होठों में लेके.”
माँ, “मैने पहले कभी चूसा नही है अपने पति का, उसको पसंद नहीं था, वो सेक्स से थोड़ा घबराता था, कहता था सेक्स करने से पाप लगता है.”
राज, “चूसना आता है?”
माँ, “नहीं.”
राज, “कोई बात नहीं, लोलीपोप तो चूसा होगा ना बचपन में, बस वैसे ही समझ ले, मेरा लंड एक लोलीपोप है.”
माँ राज के आगे बैठ गयी अपने घुटनों के सहारे, और राज के 10” लंड को अपने दोनों हाथों में लेके सहलाने लगी. फिर धीरे से उसने अपनी जीभ से उसके सुपाड़े को चाटना शुरू किया.
राज बोला, “अब अपनी जीभ से पूरे लंड को चाट सुपाड़े से लेके जड तक.”
माँ ने वैसा ही किया. 1-2 मिनिट तक वो ऐसे ही करती रही.
राज, “अब थूक और अपने हाथ से थूक को मेरे लंड पे रगड़.”
माँ ने वैसा ही किया. राज का लंड अब माँ के थूक से चमक रहा था.
राज, “अब धीरे धीरे इसको अपने मुँह में ले, और अपने मुँह को आगे पीछे कर. मेरे लंड को अपने होठों में जकड़ ले कस के और अपने को मुँह हिला जैसे मैने बताया.”
माँ एक स्कूल की छात्रा के तरह राज की हर एक इन्स्ट्रक्षन को मान रही थी.
राज, “अब मेरी आंडो को अपने होठों में ले, और अपनी तरफ खींच. हाँ ऐसे ही.”
राज, “अब सब बारी बारी से रिपीट कर, कभी सुपाड़े को चाट, कभी लंड को जीभ से सहला, कभी थूक के रगड़, कभी अपने होठों में लेके चूस और कभी आंडो के साथ खेल. समझ गयी?”
माँ ऐसे ही कर रही थी. राज का लंड चूस्ते वक़्त वो बहुत ही मादक अंदाज़ से राज की आँखों में झाँक रही थी.
राज बोला, “रुक”
माँ ने उसका लंड छोड़ दिया.
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
राज टेबल की तरफ गया और वहाँ से डिगई-कॅम उठाया. फिर वो माँ के सामने आ के खड़ा हो गया. माँ ने फिर से उसका लंड चूसना शुरू किया, राज माँ को अपने कॅम में रेकॉर्ड करने लग गया. मुझे यकीन नहीं हो रहा था. मेरी माँ आधी नंगी बैठी थी, सिर्फ़ एक लाल पेटीकोट में, एक नंगे मूछों वाले, मिठाई खाने वाले पहलवान मर्द के सामने और पूरी मस्ती में उसका 10” लंबा लोड़ा चूस रही थी. माँ ने ज़रा भी ना सोचा उसका पति पार्टी का कार्यकर्ता है, और यहाँ वो मुस्लिम परिवार से होते हुए भी मिठाई खाने वाले के सामने आधी नंगी बैठी हुई उसका लोड़ा चूस रही थी. 15 मिनिट तक माँ राज के कसे हुए लंड को चूस्ती रही.
राज, “मेरा निकलने वाला है.”
माँ, “क्या करना है अब?”
राज, ‘रुक मत, चूस्ती रह, और वीर्य को अपने मुँह पर गिरा देना या मुँह में अंदर ले लेना.”
माँ चूस्ती रही, पर इसके पहले की राज का निकलता उसने अपना लोड़ा माँ के मुँह से निकाल लिया.
माँ, “क्या हुआ?”
राज, “ऐसे ही बैठी रह.” राज ने अपना लोड़ा हाथ में पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से हिलाना शुरू किया. दूसरे हाथ से वो अभी भी वीडियो बना रहा था. 2 मिनिट बाद राज का छूट गया. राज ने अपना लोड़ा पकड़ के माँ के मुँह पे रख दिया. राज के लंड से थिक सीमेन का पहला शॉट माँ की आँखों पर पड़ा. राज ने लोड़ा घुमा के सुपाड़ा माँ के माथे पे लगाया, जहाँ उसने लाल सिंदूर पहना था. दूसरा शॉट उसकी माँग में पड़ा, जहाँ माँ ने अपने हिंदू सुहाग की निशानी लाल सिंदूर को पहना था, अब वहाँ लंड की गाढ़ी मलाई पड़ी थी. फिर राज ने अपना लंड घुमा के माँ के लाल होठों पर लगाया और बाकी का सीमेन छोड़ दिया.
माँ के लाल होंठ अब राज के सीमेन से सफेद हो गये थे. 1-1.5 मिनिट तक राज के लंड से थिक सीमेन का ईजॅक्युलेशन हुआ. माँ का पूरा चेहरा, उसकी माँग, माथा, आँखें, नाक, होंठ राज के थिक सीमेन से चमक रहे थे.
राज, “अब इसको होठों पर लगी मलाई को चूस ले और निगल जा.”
माँ, “ह्म्म्म्म म, मस्त टेस्टी है तेरी मलाई.”
फिर राज ने कॅम बेड की तरफ़ फेंक दिया और माँ को अपनी बाहों में उठाया. और कस के जकड़ लिया. फिर माँ के होठों को अपने होठों में लेके चूसा. माँ भी राज से कस के चिपक गयी और उसके दूध राज की बालों वाली छाती से दबे हुए थे. मेरी माँ आधी नंगी एक नंगे मर्द से लिपटी हुई थी. उसके माँग में लाल सिंदूर की जगह एक लंड की मलाई थी, और वो पूरे मज़े से उस हिंदू मर्द को अपने लाल होठों का रस चखा रही थी.
राज, “जा धो ले, फिर बिस्तर पर करते हैं प्यार.”
माँ बाथरूम की तरफ चल दी. राज पूरा नंगा बिस्तर पर आकर लेट गया. राज ने डिगई-कॅम टेबल पर रख दिया और उसका फोकस अड्जस्ट किया ताकि पूरा कमरा उसके डिगई-कॅम के फोकस में आ जाए. माँ अपना मुँह साफ करके बाहर आई. उसके बाल खुले थे, और अभी भी थोड़े गीले थे. जब वो बाहर आई और बिस्तर की तरफ़ जा रही थी, तो उसने अपने दोनों हाथ अपने बालों में फिराए. एकदम मस्त लग रही थी इस वक़्त वो. उपर से नंगी, नीचे सिर्क एक लाल पेटीकोट, आँखों में काजल, गले में हिंदू मंगलसूत्र, और बाहों में लाल चूड़ियाँ. उसका मंगलसूत्र उसके दूधों के बीच पड़ा था, जब वो अपनी बाहें उठा के अपने बाल सहला रही थी तो उसके आर्म्पाइट्स दिखाई दिए, एक भी बाल नही था वहाँ, और क्या गोरे आर्म्पाइट्स थे उसके. माँ राज की बगल में आकर लेट गयी. राज टांगे फैलाए नंगा लेटा हुआ था. उसका लंड थोड़ा मुरझा गया था, पर अब भी वो कम से कम 6 इंच लंबा था. माँ ने अपना सर राज की छाती पर रखा और एक हाथ से उसकी छाती और निपल्स को सहलाने लगी. बीच बीच में अपने होठों और जीभ से राज की छाती और निपल्स को चाटती. फिर अपने हाथ से हल्के हल्के उसके लंड को सहलाना शुरू किया. फिर माँ उठी और पूरी तरह राज के उपर लेट गई, और धीरे से राज के होठों को अपने होठों से चूमा. दोनों ने एक दूसरे के हाथों को कस के पकड़ लिया. फिर से उनका ज़बरदस्त किस शुरू हो गया. वो अपनी कमर हिला रही थी धीरे धीरे, राज के लंड को अपनी चूत पर रगड़ रही थी, पेटीकोट के उपर से ही.
क्या मादक नज़ारा था, मेरी माँ आधी नंगी लेटी हुई थी एक नंगे मर्द के उपर, और पूरे ज़ोर से उस मर्द के होठों को चूस रही थी. 5 मिनिट तक दोनों ने ज़बदस्त स्मूच किया. फिर राज ने माँ को अपने उपर से हटाया और उठ के बैठ गया. फिर उसने माँ को अपने उपर लेटाया, माँ की पीठ राज के छाती पर थी, और उसका सर राज के कंधे और सर के बीच था. राज ने दोनों हाथों से माँ के उभारों को अपने मज़बूत हाथों में लेकर दबाना शुरू किया. माँ सिसकियाँ लेने लगी, “आइईईईई….और ज़ोर से दबा, कितने सख़्त मर्दाना हाथ हैं तेरे. इन पर अब सिर्फ़ तेरा हक़ है. निकाल दे जितना दूध हैं इनमें और पी ले उस दूध को.”
राज अब माँ की निपल्स को भी ज़ोर ज़ोर से भींच रहा था. 4-5 मिनिट तक माँ के दूध रगड़ने के बाद राज ने एक हाथ उसके पेटीकोट के अंदर डाल दिया. राज अब माँ की चूत में उंगली करने लगा. माँ ऐसे छटपटाने लगी जैसे एक मछली छटपटाती है पानी के बिना. राज एक हाथ से माँ के दूध कस के दबा रहा था और दूसरे हाथ से माँ की चूत में ज़ोर ज़ोर से उंगली कर रहा था. बीच बीच में राज माँ की चुचियों को अपनी उंगलियों में लेकर खींच रहा था. माँ बहुत गर्म हो गयी थी अब, वो अपने होंठ अपने दाँतों में भींच रही थी. माँ की सिसकियों से पूरा कमरा गूँज रहा था. माँ ने अपना एक हाथ राज के उस हाथ पर रखा जिससे वो उसकी चूत दबा रहा था और उसके हाथ को दबाया ताकि राज और ज़ोर से उसकी चूत में उंगली करे. फिर माँ ने खुद अपने हाथ से अपने पेटीकोट का नाडा खोला ताकि राज को उंगली करने में दिक्कत ना हो. दूसरा हाथ माँ ने राज के सर के पीछे रखा और उसके सर को अपनी तरफ़ घुमाया. फिर माँ ने अपना सर घुमाया और अपनी जीभ निकाल के राज के होंठ चाटने लगी. वो राज के सर को अपने हाथ से अपनी ओर खींच रही थी और पूरे तगड़े तरीके से राज के होठों को चाट रही थी. राज ने भी माँ की जीभ को अपने मुँह मे लेके चूसना शुरू किया. अपनी माँ को ऐसी आधी नंगी अवस्था में एक नंगे मर्द को ऐसे चूमते देख मैंने भी अपना लंड हिलाना शुरू कर किया.
राज अब बहुत तेज़ी से माँ की चूत में उंगली कर रहा था. 5 मिनिट बाद वो रुका, और अपना हाथ माँ के पेटीकोट से निकाला. उसकी उंगलियाँ माँ के चूत की मलाई से भीगी हुई थी, राज ने अपनी उंगलियाँ अपने मुँह में लेके चाटी, और फिर माँ को चटाई.
राज बोला, “तेरा दूध जितना मीठा है, तेरी चूत उतनी ही नमकीन है, मज़ा आ गया.” और फिर से राज और माँ ने एक तगड़ा किस किया. अब राज ने माँ को लेटा दिया और ख़ुद उठ के माँ की टाँगों के पास आ गया. उसने माँ के पेटीकोट निकाल दिया. माँ ने नीचे काले रंग की लेस पैंटी पहनी हुई थी. राज ने माँ के पैंटी भी निकाल दी. माँ ने खुद अपने चूतड़ उठा कर राज को अपनी पैंटी निकालने में मदद की. अब माँ पूरी तरह नंगी हो गयी थी. पहली बार मेरी माँ एक ग़ैर मर्द के आगे नंगी हुई थी, और ये ग़ैर मर्द एक 42 साल का गोरा, मूछों वाला और लंबी दाढ़ी वाला एक मर्द था. राज माँ की टाँगों के बीच लेट गया. माँ ने भी अपनी टाँगें फैला के राज को अपनी गोरी चिकनी चूत के दर्शन कराए. एक महीना में ही मेरी माँ ने अपनी टाँगें फैला दी मकान मालिक के आगे. राज जीभ निकाल के माँ की चूत को चाटने लगा. जैसे एक कुत्ता एक कुतिया की चूत चाट कर उस कुतिया को गर्म कर देता है, वैसे ही राज माँ की चूत चाट कर उसको गर्म कर रहा था. राज पूरे ज़ोरों से माँ की चूत के दाने को अपनी जीभ से रगड़ रहा था,
माँ तो जैसे जन्नत में पहुँच गयी थी, वो पूरे ज़ोर से सिसकियाँ के रही थी, वो भूल गयी थी की उसका 12 बरस का बेटा उपर सो रहा है, अब बस वो राज के साथ सेक्स में पागल हो गयी थी. माँ के दोनों हाथ राज के सर पर थे और वो ज़ोर से उसके सर को अपनी चूत की तरफ़ धकेल रही थी, और राज को और ज़ोर से अपनी चूत चाटने का इशारा कर रही थी. माँ नीचे से अपने चूतड़ भी उपर को उठा रही थी. “हे भगवान, क्या कर रहा है राज तू मेरी चूत के साथ, रुक मत अब, खा जा मेरे दाने को तू, और ज़ोर से……और ज़ोर से….आइईईईई….हिस्स्स्स्स्सस्स” वो अपने दाँतों से अपने होठों को भींच रही थी, कभी कभी अपने एक हाथ से अपने दूध और निपल्स भी दबाती.
माँ ने अपनी दोनों टाँगों से राज के सर को कसा हुआ था. आख़िर 10 मिनिट बाद माँ ने अपनी चूत की मलाई राज के मुँह में छोड़ दी और वो वहीं निढाल हो के लेट गयी. राज उठा, उसका मुँह माँ की चूत की मलाई से भीगा हुआ था. वो माँ की पूरी मलाई को निगल गया. फिर वो माँ की बगल में लेट गया. दोनों एक दूसरे से लिपट गये. मेरी माँ पूरी तरह नंगी एक नंगे हिंदू मर्द के साथ लिपटी हुई थी उसके बिस्तर पर. दोनों एक दूसरे की नंगी कमर को अपने हाथों से हल्के हल्के सहला रहे थे. दोनों की आँख लग गयी. 10 मिनिट बाद राज उठा. वो बाथरूम में गया. जब वो बाहर आया तो मैने देखा उसका 10” का लोड़ा अभी भी पूरी तरह अकड़ा हुआ था. हो भी कैसे ना, एक बेहद ख़ूबसूरत और गदराए बदन वाली औरत उसके सामने नंगी लेटी हुई थी, सिर्फ़ अपना मंगलसूत्र और चूड़ियाँ पहने. ऐसे में मिठाई खाने वाले एक का कसा हुआ लंड कैसे शांत रह सकता था. राज के उठने से माँ की आँख भी खुल गयी. उसने राज को बाथरूम से बिस्तर की तरफ आते देखा, जब उसने उसका 10” लंबा कसा हुआ लंड अकड़ा देखा तो वो मुस्कुराई.
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06-08-2021, 12:49 PM,
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
राज बिस्तर की बगल में आकर खड़ा हो गया. राज के बिना कुछ कहे ही माँ अपने आप राज के सामने आकर लेट गयी, और अपने दोनों हाथों से उसके लंड को सहलाने लगी और उसके सुपाड़े को अपनी जीभ से चाटने लगी. मेरी माँ दीवानी हो गयी थी उस राज के 10” लंबे कसे हुए लंड की. 5 मिनिट तक माँ ऐसे ही बिस्तर पर लेटे हुए राज के लंड को चूसती रही. फिर राज ने कुछ ऐसा किया जिससे मैं चौंक गया. राज ने अपने दोनों हाथ माँ के आर्म्पाइट्स के नीचे डाले, और एक झटके से माँ को अपनी बाहों में उठा लिया. राज में बहुत ताक़त थी, मेरी 60 किलो की माँ को उसने ऐसे उठाया अपनी मज़बूत बाहों में जैसे कोई 7 साल की एक छोटी बच्ची को उठाता है. उसने दोनों हाथ माँ की मांसल जांघों के नीचे डाले और उसे अपने मर्दाना जिस्म से चिपका लिया. माँ ने अपनी टाँगों को राज की कमर के गिर्द लपेट लिया, और अपनी बाहें उसके गले के. और उनका ज़बरदस्त किस शुरू हो गया. मैं अब बहुत उत्तेजित हो गया था, मेरी शादीशुदा माँ को एक मूछ वाले ने अपनी मज़बूत बाहों में उठाया हुआ था और वो पूरी नंगी उस नंगे हिंदू मर्द से लिपटी हुई थी.,
मेरी माँ के गोरे दूध, राज के बालों वाली छाती से चिपके हुए थे, और मेरी माँ पूरी तबीयत से उस के होठों को अपने लाल लाल होठों में लेकर चूस रही थी. 5 मिनिट तक दोनों ने ऐसे ही ज़बरदस्त तरीके से एक दूसरे के होंठ और जीभ चाटे. फिर राज ने माँ को नीचे रखा और अब वो दोनों बिस्तर के बगल में नंगे एक दूसरे से लिपटे खड़े थे. माँ ने झट से राज के कसे हुए अकड़े लंड को अपने हाथ में कस के पकड़ किया और उस पर अपना मेहन्दी लगा हाथ रगड़ने लगी. उनके होंठ अभी भी चिपके हुए थे. उसकी चूड़ियों की ख़न- ख़न की आवाज़ और उसकी मादक सिसकियाँ बहुत मधुर लग रहीं थी. फिर माँ ने किस तोड़ा और राज के लंड की तरफ़ देखा. माँ ने अपनी एडियाँ उठाईं और राज के लंड का सुपाड़ा अपनी चूत पर रगड़ा. पहली बार एक लंड का सुपाड़ा मेरी माँ की चूत को छुआ था, और इतने में ही माँ का पूरा बदन सिहर उठा, उसने बहुत ज़ोर से सिसकी ली, ऐसे जैसे किसी ने गरम लोहा उसके बदन से छुआ दिया हो. वो ऐसे ही राज के लंड के सुपाड़े को अपनी चूत पर रगड़ती रही. फिर राज ने अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ा और माँ की चूत पर ज़ोर से रगड़ा, राज ने अपनी टाँगें थोड़ी मोड़ीं और झुक के अपने कूल्हे से आगे की ओर एक झटका मारा. उसके लंड का चौड़ा सुपाड़ा माँ की चूत को भेदता हुआ ऐसे अंदर घुसा जैसे गर्म छुरी मक्खन के अंदर घुसती है. माँ की हल्की चीख निकल गयी. पर राज ने झुक के उसके होंठों को अपने होठों में भर लिया, और उसकी चीख बीच में ही दबा दी. एक और ज़ोर के झटके से राज का लंड लगभग पूरा मेरी माँ की चूत में घुस गया. एक मुस्लिम परिवार की औरत के बदन के साथ गाय की मिठाई खाने वाला एक पहलवान हिंदू मर्द खिलवाड़ कर रहा था, और उसकी चूत में अपना लोड़ा रगड़ रहा था. पर सच तो ये था, मेरी माँ ने ख़ुद सब मान मर्यादा भुला के उस मर्द से शारीरिक रिश्ता बनाया था, और वो खुद चल के आई थी इस हिंदू मर्द के बिस्तर में उसके साथ सेक्स करने.
राज अब ज़ोर ज़ोर से धक्के दे रहा था, माँ का पूरा बदन हिल रहा था, और उसने राज को कस कर पकड़ा हुआ था. माँ अपने गोरे मखमली बदन को राज के बालों वाले काले गठीले बदन पर रगड़ रही थी. 10 मिनिट तक माँ और राज ऐसे ही बिस्तर के पास खड़े खड़े प्यार करते रहे. राज ज़ोर ज़ोर से धक्के दे रहा था, माँ मदहोश होकर राज के होठों को चूमे जा रही थी. माँ के हाथ राज के चूतड़ों पर थे, और वो आवने नाख़ून उसके चूतड़ों में घुसा रही थी जैसे इशारा कर रही हो की और ज़ोर से धक्के मार अपने लंड से मेरी चूत में. बहुत ही गर्म सेक्स हो रहा था मेरी माँ और उस मर्द के बीच. फिर राज बिस्तर पर बैठ गया, माँ उसकी तरफ बढ़ी और इसकी गोद में बैठ गयी. और अपने हाथ से राज का लोड़ा पकड़ के एक बार फिर अपनी चूत में घुसाया.
अब माँ अपने कूल्हे हिला हिला कर अपनी चूत को राज के लंड पर रगड़ने लगी. माँ और राज के बदन चिपके हुए थे, राज ने माँ को अपनी मज़बूत बाहों में जकड़ा हुआ था, माँ के गोरे दूध राज की बालों वाली छाती में घुसे होने के कारण बाहर के तरफ़ फैले हुए थे. और माँ और राज फिर से तगड़े किस करने में लगे हुए थे. अपनी माँ को एक गैर मर्द की गोद में पूरी नंगी बैठी देख और अपनी माँ का एक पहलवान मर्द के साथ ऐसा गर्मा-गर्म सेक्स करता देख मेरा भी बुरा हाल हो रहा था. फिर राज लेट गया और माँ उसके उपर लेट गयी. राज नीचे से अपने चूतड़ हिला के धक्के दे रहा था, और माँ उपर से अपने चूतड़ हिला हिला के राज के लंड पर नाच रही थी. राज पलटा और अब माँ उसके नीचे थी, और वो माँ के उपर. वो एक बार फिर पलटे और फिर से माँ राज के उपर आ गयी. वो दोनों बिस्तर पर लोट-पोट हो रहे थे. कुछ देर ऐसे ही लोट-पोट होने के बाद राज माँ के उपर आ गया. अब वो जैसे पागल हो गया था, वो पूरे ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे आज माँ की चूत को फाड़ ही डालेगा.
माँ भी कस के राज से लिपटी हुई थी, और अपने हाथों से राज के चूतड़ दबा रही थी. पिछले 40 मिनिट से राज का लोड़ा माँ की चूत को रगड़ रहा था. माँ और राज के बदन पसीने से भीग गये थे. ऐसा लग रहा था जैसे दोनों नहा के आए हों, इतने चमक रहे थे उनके बदन पसीने से. बहुत ही गर्म सेक्स हो रहा था मेरी माँ और उस हिंदू मर्द राज के बीच. 40 मिनिट तक माँ और राज ने जानवरों की तरह सेक्स किया. फिर राज ने अपना वीर्य माँ की बच्चेदानी में गिरा दिया. माँ की कोख में पहली बार एक हिंदू का वीर्य गया था. 2 मिनिट तक राज का लंड माँ के हिंदू गर्भाशय में अपना वीर्य बोता रहा. मेरी माँ उस मर्द के साथ सेक्स करने में इतनी बेधड़क हो गयी थी की उसने उस मर्द को कॉंडम पहनने के लिए भी नही कहा. मैने सोचा शायद अब उसके गर्भ में एक बच्चा पले, पर मेरी माँ को कोई परवाह नहीं थी, वो मदहोश थी उस मर्द के साथ सेक्स करने में. मैं सोच भी नहीं सकता था की 40 की उम्र में भी मेरी माँ अपने पति को भुला कर एक हिंदू के साथ इतना गरमा-गर्म सेक्स कर सकती है. माँ की कोख में अपना वीर्य बोने के बाद 2 मिनिट तक राज माँ के उपर ही लेटा रहा. माँ हल्के हल्के अपने हाथों से राज के बालों वाली पीठ को सहला रही थी. फिर राज माँ के उपर से हटा और उसकी बगल में लेट गया. दोनों बुरी तरह हाँफ रहे थे, और दोनों के बदन पसीने से भीगे हुए चमक रहे थे. माँ की योनि में राज का गाढ़ा वीर्य पड़ा हुआ था. थोड़ा सा निकल कर माँ के जांघों पर भी बह गया था.
राज का लोड़ा उसके और माँ की योनि की मलाई से चमक रहा था. हाँफते हाँफते राज और माँ बातें करने लगे.
राज, “कैसा लगा मेरी रांड़, इस बंदे का सेक्स?”
माँ, “आज पहली बार औरत होने का एहसास हुआ है. आज पता चला कैसे होता है असली सेक्स और कितना मज़ा आता है सेक्स करने में.”
राज, “तेरे पति के साथ सेक्स नही करती थी तू?”
माँ, “हाँ करती थी, पर महीने में 1-2 बार. उसे सेक्स करने में शर्म आती थी, वो सेक्स को ग़लत मानता था”
राज, “तो अब मेरे साथ और सेक्स करेगी?”
माँ, “अब तो मैं तेरे सेक्स के बिना पागल हो जाऊंगी, अब तो मुझे हमेशा चाहिए तेरा सेक्स.”
राज, “तू तो मुस्लिम औरत है, एक हिंदू बंदे के साथ बार-बार सेक्स करेगी?”
माँ, “अब एक बार कर लिया तो फ़िर कैसे परहेज़? अब तो कोई परवाह नही, अब तो हज़ार बार तेरे कसे हुए लंड को चूत में डालूंगी. रोक सको तो रोक लो!” ऐसा कहते हुए माँ ने राज के होठों को हल्के से चूमा और उसके साथ लिपट गयी. राज ने माँ को अपनी बाहों में ले लिया. मेरी माँ भी नंगी ही उस नंगे मर्द की बाहों में बाहें डाले और टाँगों में टाँगें डाले लिपट कर सो गयी. मैं कभी सपने में भी नही सोचा था की ऐसा दृश्य देखूँगा. इस इलाक़े में आने के बाद एक महीने में ही मेरी माँ का रूप बदल गया था. आज मेरी माँ पूरी नंगी लेटी हुई थी, एक गैर मर्द की बाहों में. ये हिंदू मर्द एक पहलवान था और क्या गर्म सेक्स किया था मेरी हिंदू माँ ने उस मर्द के साथ. कितनी तबीयत से उसने उस मर्द के होठों और लंड को चूसा था. और अब कैसे मदहोश हो के उस मर्द की बाहों में नंगी सो रही थी. किसी की परवाह नहीं थी उसको, जैसे अब उसकी ज़िंदगी का एक ही मक़सद था, उस मर्द के साथ सेक्स करना. इन सब ख्यालों में खोए हुए, और अपनी माँ को एक हिंदू मर्द की बाहों में नंगी लेटे देख मैं भी ज़ोर ज़ोर से अपना 5” का लोड़ा रगड़ रहा था, और अपना पानी छोड़ दिया.
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06-08-2021, 12:50 PM,
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
रात के 3 बज चुके थे. पिछले 5 घंटों में मेरी माँ ने उस हिंदू मर्द के साथ बिना रुके लगातार सेक्स किया था. मैं भी वहीं टेरेस पर ही सो गया. 6:30 बजे मेरी आँख खुली. माँ और राज अभी भी नंगे ही एक दूसरे से लिपटे सोए हुए थे. अपनी माँ को एक हिंदू मर्द के साथ नंगी देख मेरा फ़िर से खड़ा हो गया, पर अब मुठ मारने का समय नहीं था. मैं झाँक ही रहा था की अंदर माँ भी नींद से जागी. वो बिस्तर से उठी और ज़मीन पर पड़े अपने कपड़े उठाए, ब्लॅक ब्रा, पैंटी, पेटीकोट ब्लाउस और साड़ी. उसने बस अपने बदन पर अपनी ट्रॅन्स्परेंट साड़ी लपेटी और कमरे से बाहर निकल गयी. राज अभी भी पूरी नंगा अपने बिस्तर पर सो रहा था. मैं फटाफट भाग के अपने कमरे में आ गया और अपने बिस्तर पर लेट गया. माँ उपर आई और मेरे कमरे में झाँका. मैने सोने का नाटक किया. उसने मेरे कमरे का दरवाज़ा खोला और नहाने चली गयी. मैं भी 7 बजे उठ के नहा धो कर स्कूल चला गया. पर स्कूल में पूरे वक़्त मेरी आँखों के आगे मेरी माँ और उस मर्द के बीच रात भर हुए गर्म सेक्स के दृश्य घूमते रहे.
मेरा मन कर रहा था फ़िर से अपनी माँ को उस राज की बाहों में नंगी देखने का. मेरा बस चलता तो स्कूल में ही माँ और राज के सेक्स के बारे में सोच कर मुठ मार लेता. शनिवार का दिन होने के कारण 12 बजे ही छुट्टी हो गयी. घर आते ही मैने रात के दृश्यों के बारे में सोचा, कैसे मेरी माँ उस राज की बाहों में नंगी हो कर पूरी रात उसके साथ सेक्स करती रही, यही सोच सोच मैने ज़ोर ज़ोर से दो बार मुठ मारी. शनिवार होने के कारण माँ भी बॅंक से जल्दी वापिस आ गयी. आते ही अपने कमरे में सोने के लिए चली गयी. मुझे पता था, कल रात वो ठीक से नही सोई थी, वो राज रगड़ रगड़ के चोद जो रहा था उसकी चूत को रात भर. शाम 6 बजे वो अपने कमरे से निकली और रसोई में खाना बनाने लगी. रात का खाना खाने के बाद मैने कल रात की ही तरह दूध खिड़की से बाहर गिरा दिया. कल रात की ही तरह आज भी माँ मेरे कमरे को बाहर से बंद करके नहाने चली गयी. फिर से नहा धो कर नयी साड़ी पहनी, आज साड़ी भगवे रंग की थी, जैसी कोई हिंदू साध्वी पहनती हैं. इसका ब्लाउस भी बेहद छोटा स्लीव्ले और बॅकलेस था. और आज फिर मेरी माँ सजी थी एक नयी नवेली हिंदू दुल्हन की तरह अपनी सुहाग रात मनाने के लिए एक पहलवान हिंदू के साथ. कितनी खूबसूरत थी मेरी माँ, और उसके इस खूबसूरत बदन का मज़ा उसका पति नहीं बल्कि एक पहलवान हिंदू मर्द लूट लूट के ले रहा था.
राज भी कुर्ते पाजामे में अपनी प्रेमिका का इंतज़ार कर रहा था. जैसे ही माँ राज के कमरे में घुसी, दोनों एक दूसरे से लिपट गये, और फिर पागलों की तरह एक दूसरे के होठों को चूसने लगे. मैं भी कल की तरह रोशनदान से सब देख रहा था और बहुत उत्तेजित था, कि आज फिर अपनी माँ का एक हिंदू मर्द के साथ गरमा-गर्म सेक्स देख पाऊँगा. और वही हो रहा था, क्या गर्म सेक्स चल रहा था माँ और राज के बीच. कल की तरह आज भी माँ ने राज को पूरा नंगा करके उसका 10” लंबा लोड़ा अपने मुँह में लेकर चूसा, और राज ने अपना गाढ़ा वीर्य माँ की सिंदूर से भरी माँग में छोड़ा, फिर राज ने माँ को पूरी नंगी करके उसकी चूत को चाटा और उसकी चूत के दाने के साथ खिलवाड़ किया, फिर माँ ने अपनी चूत का पानी राज के मुँह में छोड़ दिया. फिर दोनों नहाने चले गये. राज ने शवर ओंन किया और माँ उसके नंगे मर्दाना शरीर से लिपट गयी और अपने गोरे मखमली नंगे बदन को राज के काले बालों वाले गठीले बदन के साथ रगड़ने लगी. दोनों पानी में भीगे हुए थे, और एक दुसरे के मुंह में मुंह डाले ज़बरदस्त किस कर रहे थे. माँ के लम्बे बाल पूरी तरह भीगे हुए उसकी कमर के साथ चिपक गए थे. माँ ने अपनी एक टांग उठाई और राज के कमर के गिर्द लपेट ली.
राज थोड़ा झुका और अपने लोड़े को माँ की चूत में घुसा दिया. और ऐसे खड़े खड़े ही मेरी माँ और वह हिंदू मर्द एक दुसरे के साथ गरमा-गर्म सेक्स करने लगे. 10 मिनट तक ऐसे ही उसका सेक्स चलता रहा. पानी से भीगे उसके बदन चमक रहे थे. फिर राज नीचे फर्श पर लेट गया, और माँ वहीँ शवर के पानी के नीचे उसका 10” लम्बा लोड़ा चूसने लगी. 3-4 मिनट तक माँ ऐसे ही राज का लोड़ा चूसती रही. क्या हो गया था मेरी माँ को, वो हिंदू के लोड़े को चूस रही थी. उस हिंदू के साथ सेक्स करने की इतनी हवस भरी थी मेरी माँ में वो ऐसे ही मादक तरीके से राज का लोड़ा चूसे जा रही थी. कुछ देर बाद राज फ़िर से खड़ा हुआ और माँ को अपनी मज़बूत मर्दाना बाहों में उठा लिया. वो अभी भी शवर के नीचे ही थे. राज ने अपना लोड़ा माँ कि चूत में घुसाया और उसे पेलना शुरू किया. बहुत ही मादक दृश्य था, मेरी माँ पूरी नंगी थी. उसको एक नंगे हिंदू ने अपनी मज़बूत बाहों में उठाया हुआ था, और मेरी माँ अपने बदन को उस हिंदू के बदन से चिपकाये, उसके गले में अपनी बाहें डाले बेतहाशा उस हिंदू के होठों को चूस रही थी. 15 मिनट तक राज ने ऐसे ही माँ को साथ खड़े खड़े शवर के पानी के नीचे गरमा-गर्म सेक्स किया. और एक बार फ़िर माँ कि कोख़ में अपना वीर्य बो दिया.
मुझे लग रहा था राज ज़रूर माँ को अपने बच्चे कि माँ बना देगा. मैं सोच रहा था माँ इतनी बेफिक्र कैसे हो गयी थी, एक औरत होते हुए वो एक हिंदू का बच्चा अपनी कोख़ में कैसे पाल सकती थी. वो राज के साथ सेक्स करने कि हवस में अंधी हो गयी थी. उसे तो बस राज के साथ सेक्स चाहिए था, उस सेक्स का नतीजा क्या होगा उसको परवाह नहीं थी इस बात की. बाथरूम में सेक्स करने के बाद माँ और राज बहार बिस्तर पर आकर लेट गए.
माँ, “भूख़ लग रही है, कुछ खाने को है?”
राज, “मुझे भी, पर खाने के लिए फ्रिड्ज में सिर्फ मिठाई पड़ा है. खायेगी?”
माँ, “ नहीं .”
राज, “रात के 1 बजे तो कहीं बाहर से भी नहीं मंगा सकते.”
माँ, “चल मिठाई ही खा लेते हैं.”
राज अपनी रसोई में गया और 2 प्लेट में मिठाई भर के ले आया. फ़िर दोनों एक साथ सोफे पर बैठ कर खाने लगे. वो लोग अभी भी नंगे ही थे. मुझे यकीन नहीं हो रहा था. रात के 1 बजे मेरी माँ पूरी नंगी बैठी थी, एक पहलवान हिंदू मर्द के साथ और उसके साथ मिल मिठाई खा रही थी.
माँ, “अम्म्म्म्म्म, बहुत स्वाद है ये तो, मुझे पता नहीं था . ”
राज ने आगे झुक कर माँ के लाल लाल होठों पर चुम्बन लिया. मिठाई खाने के बाद दोनों बिस्तर पर आ कर एक दुसरे से लिपट कर सो गए. मैं भी उनके गरमा-गर्म सेक्स को देख के मुठ मारी और सो गया. अगला दिन रविवार था. सब लोग घर पर थे. राज भी अपनी मिठाई की दुकान पर नहीं गया. सुबह 9 बजे उठने के बाद मैंने माँ को देखा तो थोड़ा झटका लगा. माँ ने स्लीव्ले ब्लाउज वाली ट्रॅन्स्परेंट साड़ी पहनी थी जैसी वो कोलकाता में पहनती थी. इसका एक ही कारण था, अब वो राज के आगे अपने गदराए गोरे जिस्म की नुमाइश कर रही थी. राज भी केवल एक लुंगी में घूम रहा था. उसका बालों से भरा गठीला मर्दाना बदन देख के मेरी माँ गर्म हो थी. पर मेरे घर पर होने की वजह से दोनों कुछ कर नहीं पा रहे थे. फ़िर भी मौका देख कर उन दोनों ने 3-4 बार तगड़ा किस किया. पर इससे ज़्यादा वो कुछ कर न पाये. माँ के बेताबी देख के लग रहा था वो बेसब्री से रात होने का इंतज़ार कर रही है ताकि रात होते ही अपने प्रेमी की बाहों में जा सके और उसके साथ गरमा-गर्म सेक्स कर सके. रात में फ़िर माँ ने राज के साथ 4 बार धमाकेदार सेक्स किया ऐसे ही चलता रहा कुछ दिनों तक. फ़िर एक दिन माँ सुबह-सुबह बोली उसकी तबियत ठीक नहीं है, वो बैंक नहीं जाएगी. मुझे शक हुआ. मैं स्कूल की तरफ निकला पर आधे रास्ते से ही वापस आ गया. और चुप के घर के अंदर घुस गया. और मेरा शक ठीक था. माँ की सेहत को कुछ नहीं हुआ था, उसको तो बस उस हिंदू का सेक्स चाहिए था. क्या जानवरों की तरह सेक्स किया माँ और राज ने दिन भर. रसोई में, बहार आँगन में, बाथरूम में, राज के बिस्तर पर… पूरा दिन एक भी कपडा नहीं पहना उन्होंने. दिन भर में 6 बार सेक्स किया माँ ने राज के साथ. पर अभी भी मेरी माँ की हवस शांत नहीं हुई थी क्यूंकि रात में फ़िर से माँ ने राज के साथ 4 बार सेक्स किया.
रात में सेक्स करने के बाद राज हाँफते हुए बोला, “मैंने बहुत सुना था कि बंगाली औरतों, खासकर मुस्लिम औरतों में बड़ी गर्मी होती है सेक्स करने की, बिलकुल सच बात निकली. बड़ी गर्मी है तुझमें . आज दिन भर में ये 10वीं बार सेक्स किया है हमने. क्या मस्त होकर सेक्स करती है तू, बहुत खूब मैंने कभी सोचा नहीं था एक औरत भी इतनी मस्त होकर सेक्स कर सकती है.”
पसीने से भीगी माँ भी हांफती हुए बोली , “मैंने भी हिंदू मर्दों के बारे में जो सुना था वो ठीक निकला.”
राज, “क्या सुना था?”
माँ, “यही कि बहुत मर्दाना ताकत होती है हिंदू मर्दों में, और सेक्स करने में उनका मुक़ाबला कोई नहीं कर सकता. क्या दम है तुझमें राज, आज 10वीं बार सेक्स किया तूने मेरे साथ, इतना सेक्स तो मैं अपने पति के साथ एक साल में करती थी, जितना तेरे साथ एक दिन में कर किया. सच में तेरे साथ सेक्स करने के बाद ही मुझे औरत होने का पूरा एहसास हुआ. तू जब अपनी मर्दाना बाहों में जकड़ता है या मेरे होठों को चूमता है या अपने लोड़े से मुझे पेलता है तब लगता है कि किसी असली मर्द को प्यार कर रही हूँ. अब लगता है कितना मज़ा आता है सेक्स करने में. पहले कितना दबी हुई थी मैं, बहुत झिझक होती थी, और अब उतना ही आनंद आता है.”
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06-08-2021, 12:50 PM,
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
पंजाबी सूपरवाइज़र की गोरी चूत
मैं सुरदर्शन हाज़िर हूँ, अपने जीवन की एक सेक्सी कहानी लेकर. ये बात कॉलेज के टाइम की है. जब मैं 6 महीने के लिए पार्ट टाइम जॉब कर रहा था.
मेरे एक पड़ोसी उसमे काम किया करते थे. उनका बवासीर का ऑपरेशन हुआ था. वो मुझसे बोले – इस बार मेरी जगह तुम काम कर लो.
मैं काम करने गया. सूपरवाइज़र मेडम चेक करने राउंड पर आई, तो उन्होने मुझसे पूछा, तुमने कहीं पर ट्रैनिंग ली थी?
मैने कहा – नही..
उसने मुझे हटा दिया.
दूसरे दिन, मैं फिर से गया ओर बोला – मेडम, मैं आपके इन बाकी के वर्कर के साथ फ्री मे काम करके सीखना चाहता हूँ.
उन्होने हाँ कर दी.
बाद मे धीरे – धीरे मुझे अगले महीने से काम मिलने की आस जाग गई. जब एक दिन मेरे सामने एक लड़के को मेडम ने डाट कर बोला – निकल जाओ, बदतमीज़.
वो चला गया ऑर बस मैं उसकी जगह रख लिया गया.
बाद मे लोगो ने बताया, कि उस लड़के ने मेडम को आँख मार दी थी.
मेडम दो बच्चों की माँ थी. उनकी खूबसूरत चुचिया.. नवयुवतियो की भाँति छोटी – छोटी ऑर पुष्ट ऑर उन्नत थी.
वो गोरी इतनी थी, कि धूप मे निकलने ऑर गुस्से मे आने से उनके चहरे पर लाली आ जाती थी.
धीरे – धीरे, मैं अधिक समय देने लगा.. ऑफीस मे. लोग 2 बजे छूट जाते थे.. पर मैं चार बजे तक लगा ही रहता था.
मेडम मुझसे सूपरविषन का काम भी करवाने लगी थी. धीरे – धीरे मेरी ऑर इनकी बनने लगी. यहाँ तक कि, किसी वर्कर को रखने ऑर हटाने मे मेरी मर्ज़ी चलने लगी.
मैं कार मे मेडम के साथ रोज़ फाइल रिपोर्ट देने हेडऑफिस जाता था. हेड ऑफीस के लोग भी मुझे जानने लगे थे.
एक बार उनके पति का ट्रान्स्फर झाँसी हो गया ओर उसी दौरान एकदिन उनके दोनो बच्चे गर्मियो की छुट्टी मे नानी के घर चले गये.
तो वो अब घर मे अकेली रह गई थी.
एकदिन, जब बाकी वर्कर चले गये, तो मैं हमेशा की तरह फाइलो की समीक्षा कर रहा था.
तभी मेडम ने मुझे आवाज़ दी – शुधर्शन, ज़रा यहाँ आना.
मैं अंदर गया- मुझे वो कुछ बीमार सी लग रही थी. मैने पूछा – मेडम, क्या आपकी तबीयत खराब है?
वो बोली – हां..
उन्होने शरमाते हुए कहा – एक फोड़ा हो गया है.
मैने कहा – अरे दिखाओ, कहाँ है?
वो मुझसे झिझकते हुए बोली – मेरे पिछवाड़े मे (गान्ड मे) फोड़ा हुआ है. प्लीज़ देखना बहुत दर्द कर रहा है.
पहले तो मैं चौक गया ऑर फिर परिस्थिति को हल्के मे लिया ऑर कहा – ठीक है, दिखाइए..
उन्होने अपनी सलवार उतार दी.. वो पेंटी नही पहनी हुई थी. उसने अपनी नंगी गान्ड को मेरी तरफ कर दिया. मैने देखा, वास्तव मे उनकी गान्ड की उपरी दरार मे एक फोड़ा था. जो अभी पूरी तरह से पका नही था.
उन्होने मुझे लगाने वाली दवा दी. मैने दवा लगा दी ऑर बात ख़तम हो गई.
अब वो मुझे रोज़ बुलाती ऑर दवा लगवाती. मैं भी रोज़ उनकी गान्ड मे दवा लगाता. तीन दिन बाद, फोड़ा पक गया ऑर फिर मैने उसे फोड़ दिया.
अब फोड़ा के घाव की सफाई रोज़ाना करके, मैं उस पर दवाई लगाता ऑर चार ही दिन मे उनका घाव भर गया.
वो मुझसे खुल गई थी.
उन्होने मुझसे कहा – मैं तुम्हारे सामने नंगी हो जाती थी.. फिर भी तुमने मुझे ग़लत तरीके से टच नही किया. वरना तो लोग, ऐसे मे रेप भी कर देते है.
मैने बोला – मैं आपसे प्यार करता हूँ.. इसलिए
उन्होने मुस्कुरा कर अपनी बाहें फेला दी ओर मुझे अपने आगोश मे ले लिया.
फिर उन्होने मुझे चूमते हुए कहा – ये जिस्म तुम्हारा है ऑर अब सेवा का मेवा खाने की तुम्हारी बारी है.
मेडम ने मेरे सिर को पकड़ लिया ओर मेरे होंठो को चूसना शुरू कर दिया ऑर मेरे होंठो को चाटने लगी. मेडम की गरम ऑर हल्की मीठी लार का स्वाद मेरे मूह मे घुलने लगा.
फिर मैं उनको निवस्त्र करके.. उनकी चुचियो को दबाने लगा. उनकी चुचियो की तनी घुड़कियो को उंगली से अंदर धकेल देता ऑर वो फिर.. बाहर को उठ जाती.
फिर मेडम मुझे बाथरूम मे ले गई ऑर हम दोनो ने अच्छी तरह से अपने बदन के हर अंग को सॉफ किया ऑर तोलिये से जिस्म को पोंछ कर बाहर आए.
फिर मैने उनके अत्यंत गोरे बदन को पाव से सिर तक.. आगे से पीछे तक… खूब चूमा.. फिर उनकी टाँगो के बीच मे हल्की भूरे ऑर गोरे रंग की मिश्रित बुर को पहले बाहर से चूमा.. फिर दोनो फांको को फेला कर चूत को चाटने लगा.
उस समय उतेजना के कारण, उनका नमकीन पानी भी मुझे अमृत सा लग रहा था. मैं बुरी तरह से उतेज़ित हो चुका था ऑर मेरे लंड से प्री-कम (चूत का लिपलीपा पानी) निकलने लगा.
मैने कहा – मेडम, अब मैं नही रुक सकता. अब मैं तुम्हे चोदना चाहता हूँ.
वो बोली – अभी तुम बहुत उतेज़ित हो, तो तुम्हारा पानी भी जल्दी निकल जाएगा.
फिर वो मेरे लंड से निकलते प्री-कम को अपने अंगूठे से लंड के छेद ऑर सुपाडे पर रगड़ने लगी.
करीब 1 मिनिट बाद, मेडम को मैने बोला – मेडम, मेरा निकलने वाला है.
उन्होने लंड को अपने मूह मे ले लिया ऑर उनकी जीभ की गरमी पाकर, उसी वक्त मैं भी झड गया. वीर्य की पहली धार तेज़ी से निकलने के कारण, उनके गले का कौआ (गले के अंदर लटकने वाली मांसल रचना) से टकरा गया ऑर उनको ख़ासी आने लगी.
मैने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाला. वो वीर्य को पीने के बाद फ्रेंच किस करने लगी.. जिस से वीर्य का स्वाद उनकी जीभ से मुझे भी आने लगा.. हल्का नमकीन सा…
वो फिर से मेरा लंड चूसने लगी ऑर मेरा लंड जल्दी ही खड़ा होकर उनके छेद मे घुसने को बेताब हो गया.
मेडम बोली – लंड को बिना हाथ से पकड़े हुए चूत मे घुसेडो.
मैने कई बार कोशिश की, पर इस तरह लंड चूत मे नही जा सका. मैने लंड को हाथ मे पकड़ कर बुर मे घुसेड दिया ऑर लंड सटा – सट अंदर – बाहर होने लगा. कुछ समय बाद, मेडम ने मुझे धक्का दे दिया ऑर मेरा लंड बाहर निकल गया.
वो मुझ पर चढ़ गई ऑर अपनी बुर मेरे मूह पर घिसने लगी ऑर एक तेज धार से मेरे मूह को भिगो दिया.
मैने मेडम को नीचे किया ऑर उनकी टाँगो को अपने कंधे पर रखा.. लंड बुर मे डालने के बाद, दोनो हाथो से उनकी चुचियों को पकड़ कर खिचते हुए धक्का देने लगा.
धे-चक धे-चक… ऑर झड़ने के बाद भी, 8-10 धक्के लगाता ही रहा. मेडम को पूरी तरह से शांति मिल गयी.
फिर तो जब भी मौका मिलता.. मेडम मुझे फोन कर देती ऑर मैं मेडम को चोदने पहुच जाता. कुछ दिनो बाद, सीईओ ने मेरे काम को देखते हुए, मुझे मेडम की जगह सूपरवाइज़र बनने का ऑफर दिया.
उन्होने कहा – सारा काम तुम करते हो, मेडम को हटा कर तुम सूपरवाइज़र बन जाओ.
मैने सोचा – 6 दिन के 3000+ ऑर गाड़ी के तेल का पेसा कम नही होता. रही बात चूत की.. तो मेरे अंडर मे 10 लोन्डे + 6 लोंड़िया काम करेंगे.. किसी को भी पटा कर पेल दूँगा.
मेडम को जब पता चला, कि मैने उनको रीप्लेस कर दिया, तो वो मुझसे नाराज़ हो गयी. फिर उसने चूत तो क्या.. झांट भी नही दी ऑर मुझे धमकी देने लगी, कि वो मेरे घर मे सब को बता देगी.
मैने कहा – कोई बात नही.. ज़्यादा से ज़्यादा घर वाले मेरी शादी ही कर देंगे.. चलो रोज़ बुर का जुगाड़ हो जाएगा.. वैसे भी सभी लोग आपको ही दोष देंगे. कि अपने से आधी उमर के लड़के को खराब कर दिया.
फिर मेडम शांत हो गई. और मैने मेडम की जगह नौकरी कर ली. और मज़े करने लगा
समाप्त
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06-08-2021, 12:50 PM,
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
रंगीन परिवार
एक 16 बाइ 13 की चॉल मे, 5 लोग माँ, बाप, बेटा, बेटी, और बहू है ,रहते हैं सब एक ही छत के नीचे रहते थे. किचन भी उसी में था और किचन की तरफ, एक खिड़की थी.
दिन में वो लोग दरवाजा खुला ही रखते और रात में खिड़की खुली रखते थे. कहते हैं की माहौल का असर, लोगों की प्रकृति पर पड़ता है. इस परिवार के लोगों के साथ भी ऐसा ही कुछ था. परिवार वैसे इज़्ज़त दार था पर बदरपुर जैसे एरिया में रहते थे.
वैसे उनकी गली मे सब अच्छे लोग ही रहते थे. बेटा, अनीता को भगा कर लाया था. घर वालों के पास, कोई चारा नहीं था. शादी से पहले, अनीता कॉलेज में 3-4 बॉय फ्रेंड्स बना चुकी थी, इसीलिए चेतन ने उसे भगा कर शादी कर ली. सोचा – वो, किसी और की ना हो जाए.
अरे हाँ दोस्तो मैं इन सबका परिचय देना तो भूल गया चलो अब बता देता हूँ माँ – शन्नो. बाप – नारायण.
लड़का – चेतन. बहू – अनीता. लड़की – डॉली.
नारायण और उसकी बीवी शन्नो, जवानी के दिनो मे बहुत रंगीन थे, उन्हीं का खून चेतन और डॉली के अंदर था.
मोहल्ले मे परिवार की इज़्ज़त थी, पर घर में कभी कभी बाप बेटे की, बेटी माँ को, पति पत्नी को, भाई बहन को गाली देते थे.
जैसा की बहुत से परिवार में होता है, सब एक दूसरे से चिढ़ते थे, और एक छोटे घर में रहने के कारण, वो बहुत बार हद पार कर जाते थे.
रात को औरतें, बीच मे सोती और बाप और बेटा दीवार की साइड मे.
डॉली, एकदम सब के बीच मे सोती थी.
किचन की खिड़की से स्ट्रीट लाइट की डॉली से सारा कमरा जगमगा जाता था.
डॉली कम करने के लिए, उन्होंने एक परदा लगा रखा था पर वो भी हवा से लहराते रहता था.
रात मे 10 बजे ही, सब बिस्तर लगा कर सो जाते.
रात मे चेतन की माँ, 2 मिनट मे सो जाती थी.
नारायण भी बीड़ी पी कर सो जाता था और चेतन का प्रोग्राम 10:30 को स्टार्ट हो जाता था और वो भी 12 बजे तक सो जाता था.
चेतन को सुबह ऑफीस जाना होता था, डॉली को कॉलेज.
नारायण घर मे बैठा रहता या फिर बाहर किसी ना किसी दोस्त के घर जा कर आता.
3 साल पहले, नारायण का एक्सीडेंट हुआ था, तब से वो घर मे ही रहता था.
चेतन, जब शादी करके अनीता को घर लाया था तब से उनकी लाइफ मे सेक्स नहीं हो रह था.
हनिमून के लिए, कही नहीं गये क्यों की ऑफीस से छुट्टी नहीं मिली.
अनीता, एक दम डिप्रेस और चेतन, फ्रस्टरेट हुए जा रहा था.
रात मे दोनों के बीच, सिर्फ़ किस और टच ही हो रहा था.
लगभग 3-4 महीने बाद दोनों रात मे बिंदास होने लगे और सेक्स करने लगे.
दोनों, इस बात का ख़याल रखते थे की आवाज़ ना हो.
शादी के पाँच महीने के बाद, एक रात डॉली की आँख खुली तो उसने देखा की चेतन के ऊपर भाभी बैठी हैं.
चेतन की तरफ लाइट नहीं पड़ती थी इसलिए वो दोनों दीवार की तरफ सेक्स करते थे.
डॉली को समझ मे नहीं आ रहा था की क्या हो रहा है.
सुबह उठने के बाद, कॉलेज मे उसने एक लड़की को पूछा तो उसने डॉली को सब समझाया.
डॉली ये सुन कर, बहुत हैरान हो गई और सारा दिन सोचने लगी.
उसने देखा की भाभी के व्यवहार में कोई चेंज नहीं था और वो नॉर्मल थी, चेतन भी नॉर्मल ही था.
रात को सोने के टाइम, डॉली चेतन की तरफ मुंह करके सो गई.
कुछ देर बाद, भाभी ने चेतन की और फेस किया.
चेतन ने किस्सिंग सीन स्टार्ट किया पर डॉली को कुछ नहीं दिख रहा था क्यों की वो पीछे थी.
चेतन ने फिर अनीता को, अपनी तरफ़ खींचा और लिपट गया.
डॉली के दिल की धड़कन तेज़ होने लगी.
2 मिनट के लिपटा लिपटी के बाद, चेतन उठ कर बैठ गया और कपड़े उतारने लगा.
डॉली, देख रही थी.
फिर, चेतन ने अनीता के भी कपड़े उतार दिए.
डॉली, चोरी चोरी देख रही थी दोनों को.
डॉली के साइड मे ही उसकी भाभी नंगी हो गई थी और उसका भाई चुदाई स्टार्ट करने वाला था.
डॉली को डर भी लग रहा था इसलिए कुछ देर के लिए अपनी आँखे बंद कर ली.
फिर जब आँख खोली तो देखा की भाभी के ऊपर भैया लेटे हुए है और भाभी के मम्मे चूस रहे है.
डॉली के आँखो के सामने, 1 फुट दूर ये सब हो रहा था.
फिर डॉली डर गई और आँखे बंद कर ली.
पर डॉली से रहा भी नहीं जा रहा था, और वो देख भी रही थी.
चेतन ने फिर लण्ड अनीता से चुस्वाया, फिर अनीता के पैरों को उठा कर चोदना चालू किया.
10 मिनट के बाद थोड़ा रुक कर किस करने लगा और फिर चोदने लगा.
चुदाई को डॉली देख ही नहीं सुन भी रही थी.
डॉली को समझने मे देर नहीं लगी की चुदाई से हवा मे एक अजीब गंध आ गई है.
चुदाई के अंत मे चेतन ने अपना लण्ड बाहर निकाला और अनीता के बदन पर छोड़ दिया.
डॉली को फिर एक अजीब स्मेल आई जो की वीर्य की थी.
तभी अचानक नारायण ने आवाज़ लगाई और कहा – चेतन, अब सो जा… कल ऑफीस जाना है…
चेतन चुप चाप सो गया.
डॉली के बदन मे गरमी होने लगी थी, पर उसे नहीं पता था की गरमी क्या है.
सारा दिन, डॉली यही सोचती रही की चुदाई कैसे होती है, क्या होता है, क्यों होता है.
डॉली अगले दिन भी, चुदाई देखने के लिए बेकरार थी.
और डॉली का तो रोज़ का कार्यक्रम हो गया था.
एक रात, डॉली ने सलवार मे हाथ डाला और देखा की उसके चूत मे पानी है.
वो अपना हाथ ऐसे ही घूमने लगी और उसे पता चला की जी-स्पॉट” कहाँ है, क्लिटरोस पर घिसकर उसने पानी निकाला और बेड गीला कर दिया.
उसने देखा की कुछ वैसा ही गंध आ रही थी जैसे चेतन और अनीता जब खेलते हैं, तब आती है.
अगले दिन, कॉलेज मे डॉली से रहा नहीं गया उसने सलवार मे ही ऊपर से मुट्ठी मारी, जिससे की उसकी सलवार पर गीला दिख रहा था.
उसके बाद वो घर आई और एक साइड मे बिस्तर लगा कर इंतेज़ार करने लगी की कब भैया भाभी की चुदाई होगी.
रात मे सब जब सो गये तब डॉली अपने बूब और चूत को पकड़ कर चेतन और अनीता की चुदाई देखने लगी.
रोज़ उसे अलग अलग पोज़ मे चुदाई देखने मिलता था.
उस रात उसने देखा की चेतन ने लण्ड अनीता के मुंह मे डाला है और काफ़ी देर से अनीता की मुंडी हिला रहा है.
आवाज़ से पता चल रहा था की अनीता नहीं करवाना चाहती थी पर चेतन फोर्स कर रहा था.
बीच मे, चेतन की माँ उठ कर बोली – क्या सोना नहीं है, क्या… रात के 11:30 बज गये हैं…
चेतन बोला – तुझे सोना है तो सोजा… मुझे सीखा मत…
माँ बोली – जबसे शादी हुई है, अपनी पत्नी के साथ चिपका रहता है… एक रांड़ को घर ले आया और कहता है की चुप बैठो…
फिर माँ उठ कर बैठी और हाथ लंबा कर के अनीता की टपली मारी और बोली – साली, क्या मन नहीं भरता तेरा… बहन की लौड़ी, कुतिया… मेरे बेटे को खा जाएगी, क्या… ?? कल सुबह बताती हूँ… भाडवी, कुतरी…
चेतन दोनों हाथ से अनीता का सिर पकड़े हुए ही था, और बोला – माँ, अब बहुत हो गया… चल सो जा… शांति रख…
माँ वापस सोते हुए बोली – मेरे तो करम ही फुट गये… ये दिन देखना पड़ेगा, पता नहीं था… घर को रंडी बाज़ार बना दिया है…
डॉली की आँखे बंद थी पर उसे समझ मे आ गया था की माँ को सब पता है.
डॉली ने आँख खोली और देखा की अनीता अजीब मुंह बना रही है और चेतन झटके मार रहा है.
सारा रस अनीता के मुंह मे डालने के बाद वो बोला – चल अब पी कर सो जा…
अनीता भाग कर, घर के बाहर गई और थूक कर आई.
और हल्की आवाज़ मे बोली – बहुत गंदा है…
फिर सब सो गये.
डॉली की लाइफ मे, अब वासना का रंग गहरा होने लगा था.
डॉली का ध्यान पढ़ाई मे नहीं लगता और वो रात होने का इंतज़ार करती.
कॉलेज के बाद, आवारा लड़को के साथ बैठ कर बातें करती और घर मे देरी से पहुँचती.
अनीता घर मे सारा दिन काम करती और रात मे, रिवॉर्ड लेती.
पर अनीता को अपनी सास के ताने बहुत सुनने पड़ते थे.
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