12-27-2021, 01:00 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
रात को मम्मी ने दीदी की बात निकाली, पूरे दिन में पहली बार मम्मी ने दीदी को याद किया वो भी पापा सो गये उसके बाद- “मीना यहां आने को बहुत तड़पती है बेटा, पहले तो कभी कभार चोरी छुपे मिल जाती थी, पर एक बार तेरे जीजू को मालूम पड़ गया और उसके बाद तो वो कभी नहीं आई। तेरे पापा को तो मीना से कुछ ज्यादा ही लगाव था। वो मन ही मन कुढ़ते रहते हैं."
मैं मम्मी की बात सुन रही थी पर मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो मम्मी उठ गई, और अंदर रूम में जाते हुये डायरी फेंकते हुये बोली- “बेटा, मीना ने बहुत समय पहले बताया था की तुम चाहो तो सब ठीक हो सकता है..” मैं कुछ बोलूं उसके पहले मम्मी अंदर चली गई।
मैंने डायरी उठाई जिसमें जीजू का मोबाइल नंबर लिखा हुवा था। दूसरे दिन दोपहर को मैंने जीजू को फोन लगाया और कहा- “मैं आपसे मिलने चाहती हूँ...”
जीजू ने मुझसे कहा- “10 मिनट में तुम बाहर आओ मैं तुम्हें लेने के लिए आता हूँ...”
मैंने जल्दी से एक नई साड़ी निकाली जो पारदर्शी थी, और उसका ब्लाउज स्लीवलेश था, हल्का सा मेकप किया और बाहर निकली। तभी जीजू गाड़ी लेकर आए, और दरवाजा खोलकर मुझे अंदर आने का इशारा किया। जीजू ने गाड़ी हाइवे पे ले ली थी। अभी तक हम दोनों में से कोई कुछ नहीं बोला था।
जीजू- “क्यों मिलना चाहती थी मुझसे?” जीजू ने मेरे सामने देखकर पूछा।
मैं- “वो... वो मैं आपसे... मैं...” मैं क्या बोलू वोही मुझे समझ में नहीं आ रहा था।
जीजू- “क्या मैं, मैं कर रही हो? अभी तक वैसी की वैसी ही हो, दिखने में भी और बोलने में भी अपने दिल की बात बताना कब सीखोगी?” जीजू ने मुझे ताना देकर उकसाने की कोशिश की।
मैं- “वो आप जो चाहते थे ना जीजू, उसके लिए मैं तैयार हूँ.” मैंने कहा।
जीजू- “मैं क्या चाहता था मुझे याद नहीं, तुम मुझे याद दिलाओगी?” जीजू ने गाड़ी को रोकते हुये कहा।
मैं समझ गई की जीजू मुझसे क्या बुलवाना चाहते हैं। मैंने कहा- “वो जीजू.. आप मुझसे संभोग करना चाहते थे ना मैं तैयार हूँ..”
जीजू मेरे सामने एकटक देखते रहे और फिर जोर-जोर से हँसने लगे। बहुत देर हँसने के बाद वो रुके- “ये क्या बोल रही हो साली साहिबा? संभोग... तुम अभी भी नहीं सुधरी, इसलिए तो हमें इतनी प्यारी हो... कहते हुये जीजू ने मुझे बाहों में ले लिया और मेरे होंठों को चूसने लगे।
|
|
12-27-2021, 01:00 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
होटेल युवराज के हनीमून सूट में जीजू बेड के किनारे पर 3-4 तकिये को एक साथ करके उसपर सिर रखकर लेटे हुये थे, और उनकी टाँगें जमीन पर थी। और मैं दो टांगों के बीच बैठी जीजू का लिंग चूस रही थी। जीजू का लिंग उसके पूरे रूप में आ चुका था और मेरे थूक से पूरा गीला और चिकना हो गया था। मैंने लिंग को मुठ्ठी में दबोचा हुवा था। उसमें मैंने दबाव को बढ़ाया फिर लिंग की चमड़ी को ऊपर खींचकर सुपाड़े पर चढ़ाया। लिंग पूर्ण रूप में था इसलिए झटका मारा।
मैंने मुँह को ऊपर किया और जीजू के सामने देखा। जीजू ने हाथ नीचे किया और मेरे होंठों को उंगली से सहलाते हुये मुश्कुराए। मैंने फिर अपना मुँह उनके लिंग की तरफ किया। लिंग पर मैंने चमड़ी चढ़ाई हुई थी, इसलिए लिंग का सुपाड़ा दिखाई नहीं दे रहा था। पर लिंग को ऊपर करके देखो तब उसका छेद दिखता था। मैंने लिंग को ऊपर उठाया और छेद को जीभ से चाटा।
जीजू- “आहह... आह... निशा, तुझे तो नीरव ने बहुत कुछ सिखाया हुवा है...” जीजू मेरे बालों की एक-एक लट को पकड़कर ऊपर करके दूसरे हाथ में ले रहे थे।
मैंने ऐसे ही थोड़ी देर लिंग को चूसकर हाथ से छोड़ दिया। लिंग को मैंने ऊपर करके पकड़ा हुवा था। छोड़ते ही उसकी चमड़ी फिर से सुपाड़े पर चढ़ गई और लिंग थोड़ा सा नीचे की तरफ झुक गया।
जीजू- “मार डालोगी क्या?” जीजू ने सिसकारी भरते हुये कहा।
फिर मैंने लिंग को फिर से पकड़ा और मुँह में लेकर जोरों से चूसने लगी। जीजू सिसकारी लेते हुये कभी मेरे बालों को, तो कभी मेरी पीठ सहला रहे थे। मैं उनके लिंग पर टूट पड़ी थी, पूरा निगल जाना चाहती थी। मैं लिंग को पूरा मुँह के अंदर लेकर फिर से बाहर निकालती थी और वापस मुँह में ले लेती थी। जीजू की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। उन्होंने अपना पैर ऊपर किया और अंगूठे से मेरी योनि को सहलाने लगे। मैं भी मादक-मादक सिसकारियां लेती हुई जीजू के लिंग को चूस रही थी।
तभी जीजू ने मेरे बालों को खींचा, तो मैंने मुँह में से लिंग निकालकर ऊपर देखा तो उन्होंने मुझे ऊपर आने का इशारा किया। मैं ऊपर उठी तो जीजू ने मुझे किस करते हुये एक हाथ से मुझे गले से पकड़कर उनके ऊपर से । उठाकर साइड पर किया और वो मेरे ऊपर आ गये। जीजू मेरे होंठों को छोड़कर नीचे झुक के मेरी चूचियों को। मुँह में पकड़ लिया।
मैं जीजू के बाल सहलाते हुये उन्हें उकसाने लगी।
जीजू मेरी निप्पल को चूसने लगे- “निशा, 6 साल के बाद भी तुझमें थोड़ा सा भी बदलाव नहीं आया। मुझे तो आज भी ऐसा लग रहा है की तुम कुँवारी ही हो...” कहते हुये जीजू ने मेरे चूचियों को पूरी मुँह में भरने की नाकाम कोशिश की।
मैं- “आहह... जीजू..” मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई।
जीजू ने मेरे निप्पल को मुँह में लेकर चूसा और फिर छोड़कर और थोड़ा झुके, नाभि के पास जाकर किस करते हुये मेरी योनि के होंठों को उंगली से सहलाते हुये उंगली को योनि में दाखिल कर दिया। मेरी गीली योनि ने। उनकी उंगली को भिगा दिया। उन्होंने उंगली को निकालकर मुँह में लेकर चूसा।
ये देखकर मैं मचल उठी और अपने दोनों पैरों को एक दूसरे से घिसने लगी। मुझे इस तरह करते हुये देखकर जीजू मुश्कुराते हुये मेरी टांगों के बीच आ गये।
जीजू- “तुम बहुत ही गरम हो निशा, नीरव का बैंड बजा देती होगी.” जीजू बार-बार नीरव को याद कर रहे थे।
मुझे नीरव को याद करना अच्छा नहीं लग रहा था, पर मैंने कुछ कहा नहीं।
जीजू ने उनका लिंग मेरी योनि पर टिकाके धक्का दिया, मैंने मेरे होंठ सख्ती से भींच लिए थे, मुझे डर था की बहुत दर्द होगा पर दर्द की जगह बहुत मीठी मस्ती की अनुभूति हुई। जीजू ने धीरे-धीरे हिलाना चालू किया। उनके दोनों हाथ मेरे कंधे के आजू-बाजू थे, हम दोनों के चेहरे आमने सामने थे। जीजू बेड के नीचे खड़े होकर मेरी योनि में उनके लिंग से फटके मार रहे थे।
जीजू के हर फटके से मैं सीत्कार रही थी। मैंने मेरे दोनों हाथों को माला बनाकर जीजू के गले में डाल दिए थे और टांगों को उनकी कमर पे लपेट दिया था। मेरी कमर को उठाकर मैं उनके हर फटके का जवाब दे रही थी। जीजू बीच-बीच में झुक के मेरे होंठों को चूम रहे थे। अब मुझे लगने लगा था की मेरे जज्बात कभी भी जवाब दे सकते हैं, मैं कभी भी झड़ सकती हूँ।
मैंने जीजू का मुँह खींचा और उनके होंठ को चूसने लगी और उनकी पीठ को नाखून से कुरेदने लगी। जीजू भी शायद झड़ने ही वाले थे, उनके फटके की स्पीड बढ़ गई और थोड़ी ही देर में मैं और जीजू एक साथ झड़ गये।
|
|
12-27-2021, 01:00 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
हम दोनों अपना प्लान डिटेल में बनाने लगे। क्या कपडे पहनने हैं से लेकर क्या डायलॉग बोलने हैं तक सब सोच लिया था। इन दो दिनों में कई बार रिहर्सल भी कर के देख ली थी। प्लान A के अलावा प्लान B और C भी तैयार रखा था।
आखिर वो निर्णायक शाम भी आयी। मैंने खाना तैयार कर लिया था और अच्छे से मेक अप लगा लिया उसको रिझाने के लिए। हलके रंग की पारदर्शी साडी के अंदर स्लीवलेस डीप नैक ब्लाउज पहना, बिना ब्रा के। उस ब्लाउज को बांधने के लिए सिर्फ दो डोरिया थी, एक पीछे गर्दन के नीचे और दूसरा कमर पर। पूरी पीठ और कमर नंगी थी जिससे मेरा पूरा ऊपरी फिगर दिख रहा था।
दरवाज़े की घंटी बजी पति ने की-होल से देखा नरेश ही था। वो वापस अंदर सोफे पर आकर बैठ गए और प्लान के अनुसार मैंने दरवाज़ा खोला। मुझ हसीन को देखते ही नरेश की आँखें फटी रह गयी।
हाय हेलो हुआ। पर उसकी नज़रे मेरे सीने पर जा टिकी, पारदर्शी साडी में क्लीवेज दिख रहा था जिसे वो घूर रहा था। उसको अंदर लिया और गैलरी से होते हुए हम हॉल की तरफ बढे। वो मेरे पीछे चल रहा था जिससे मेरी नंगी पीठ और कमर को देख पाए।
पति और नरेश आपस में बातें करने लगे और मैं खाना लगाने चली गयी। हमने साथ में बैठ कर खाना गया और फिर वापिस आकर तीनो हॉल में बातें करने लगे। मुझसे बात करते वक़्त उसकी नज़रे लगातार मेरे शरीर को स्कैन कर रही थी।
रात 9:30 के करीब पति ने नरेश को बोला कि इतनी लेट तुम कहाँ दूर होटल में वापिस जाओगे, आज रात यही रुक जाओ। वो भी रुकना तो चाहता था पर कहा कि तुम दोनों को तकलीफ होगी। हम दोनों ने उसको कन्विंस कर लिया रात रुकने के लिए।
पति ने उसको अपना एक पाजामा और टीशर्ट दे दिया रात को पहनने के लिए और दोनों हॉल में फिर बातें करने लगे। रात के दस बजे मैंने बैडरूम से पति को फ़ोन किया। उन्होंने ऑफिस में किसी से बात कर रहे हो ऐसा नाटक किया।
फ़ोन रखने के बाद मैं हॉल में आयी। पति ने प्लान के अनुसार बहाना बनाया कि ऑफिस में कोई अर्जेंट इस्यु आया हैं और उनको जाना पड़ेगा। नरेश मन ही मन बहुत खुश हुआ पर ऊपर से बोला कि अशोक तुम जा रहे हो तो मैं भी निकलता हूँ।
पति ने कहा कि मैं अपनी पत्नी को रात को घर पर अकेला नहीं छोड़ता सेफ्टी के लिए पर अच्छा हुआ आज तुम घर पर हो तो मुझे टेंशन नहीं। मैं तुम्हारे भरोसे जा सकता हूँ। वह खुश हो गया, बिल्ली को दूध की रखवाली करने को मिल गयी थी।
मेरे पति थोड़ी देर में तैयार होकर निकलने लगे और बोल गए, नरेश मैं सुबह वापिस ना आउ तब तक जाना मत। उन्होंने पहले से ही प्लान के मुताबिक हमारी बिल्डिंग से थोड़ी ही दूर उनके अपने ऑफिस के बैचलर लड़को के फ्लैट में रहने चले गए और वहां बहाना मार दिया कि वाइफ मायके गयी हैं और मेरी चाबी फ्लैट में अंदर रह गयी, रात को चाबी बनाने वाला नहीं मिलेगा तो रात वही रुकेंगे।
मैं और नरेश अब बातें करने लगे। इस बीच वो मुझे प्यासी निगाहों से घूरता रहा। उसकी नज़रे जैसे मेरे कपड़ो के अंदर झांक रही थी।
पहले वो हॉल में सोफे पर सोने वाला था अब मैंने उसको कहा की मेरा बेड किंग साइज हैं और पति नहीं हैं तो बिस्तर आधा खाली पड़ा हैं, तो वो अंदर सो सकता हैं, सोफे के मुकाबले आरामदायक रहेगा।
अंधे को क्या चाहिए दो आँखें। पर अपने आप को शरीफ बताने के लिए उसने बोला अशोक को बुरा न लग जाए। मैंने सांत्वना दी की अशोक भी यही कहते सो चिंता मत करो। उसने कहा आपको प्रॉब्लम नहीं हैं तो चलेगा और हम दोनों बैडरूम में आ गए।
नाईट लैंप लगा दिया और हम दोनों एक दूसरे की आमने सामने करवट लेकर बातें करने लगे। जैसा कि हम रिहर्सल कर चुके थे, लेटने से मेरे वक्षो पर दबाव पढ़ा और वो डीप कट ब्लाउज से आधे बाहर झांकने लगे। उसकी निगाहें दो सेकंड मेरे चेहरे पर तो दस सेकंड सीने पर टिक रही थी।
मैंने अब गुड नाईट बोल कर दूसरी तरफ करवट ली। मेरी नंगी पीठ उसकी तरफ थी जिस पर सिर्फ ब्लाउज की दो डोरियों की गांठे थी। थोड़ी ही देर में मैंने हलके नकली खर्राटों की आवाज़े निकाली ताकि उसको अहसास हो कि मैं सो चुकी हूँ।
अब वो खिसक कर मेरे इतने करीब आ गया कि उसकी गर्म सांसें मैं अपने पीठ और गर्दन पर महसूस कर पा रही थी। बीच बीच में उसकी उंगलिया जरा सी मेरे बदन को छू रही थी।
इतनी देर से कण्ट्रोल किये हुए उसने अब एक एक करके मेरी ब्लाउज की डोरियों की दोनों गांठे खोल दी। मेरा ब्लाउज ढीला हो कर वक्षो से थोड़ा दूर हो गया। उसने पीठ और कमर पर हाथ फ़ेरना शुरू कर दिया। मैं गरम होने लगी।
|
|
12-27-2021, 01:00 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
वो तुरंत मान गया और वादा किया कि कभी किसी को नहीं बताएगा और आज के बाद मेरे सामने भी नहीं आएगा।
तभी वो बाहर जाकर सो गया। मुझे यकिन था कि वो डर गया हैं और मेरा प्लान कामयाब रहा। सुबह पति के घर आने के बाद बिना नज़रे मिलाये हुए ही जल्दी में वह बाय बोलकर एक अपराधी की तरह तेजी से भाग निकला।
हमारी फ़साने की चाल तो कामयाब रही पर परिणाम जैसा चाहा वैसा नहीं मिला। एक बार की चुदाई से मैं माँ नहीं बन पायी, शायद एक दो बार और करवाने से काम हो जाता। पर अब हमें पता था कि काम कैसे निकलवाना हैं।
हमारा काम अभी भी पूरा नहीं हुआ था, और हमें ये साजिश फिर से रचनी थी। आज की कहानी में आपको मैं बताउंगी कि अगला शिकार हमने किसको बनाया और कैसे।
हमारी जो मोडस ऑपरेंडी था उसके हिसाब से हम एक ही मर्द को दो बार नहीं फंसा सकते थे वरना पकड़े जाते। अब हमने सोच लिया था कि एक के बाद एक दो तीन लोगो को फंसाना होगा, जिससे मेरे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाये। साथ ही साथ बाकी की बातों का भी ध्यान रखना था जो मैंने आपको पिछली सेक्स कहानी में बताई थी।
हमें अपना अगला शिकार काफी आसानी से मिल गया। पिछली कहानी में आपको याद होगा मेरे पति अशोक रात को रहने के लिए अपने ऑफिस के सहकर्मी के यहाँ गए थे, जो कि हमारे घर के पास ही रहता था। वो एक दो बार हमारे घर आ चूका था। उसका नाम रौनक था और 22 साल का बैचलर लड़का था। मुझसे 3 साल ही छोटा था।
रौनक बहुत ही शरीफ लड़का था, पति की तरह लंबा था। शायद उसकी शराफत की वजह से उसको फंसाना थोडा मुश्किल होता पर उसको डराना उतना ही आसान होता, तो फिर हमने उसी को चुना।
हमें इतना तो पता था कि सुबह के वक्त किया हुआ सेक्स प्रेग्नेंट होने के लिए ज्यादा फायदेमंद होता हैं। हमने इसी समय के हिसाब से अपना प्लान बनाना शुरू किया। पिछले प्लान की कामयाबी के बाद हमारा हौसले बुलंद थे।
रौनक रोज सुबह जॉगिंग के लिए हमारे घर के पास वाले गार्डन में आता हैं। हमें इसी वक्त उसको पकड़ना था। शनिवार और रविवार को छुट्टी होती हैं तो हमने रविवार की सुबह का प्लान बनाया।
रविवार सुबह जल्दी उठ हमने सारा सेटअप कर लिया था। सुबह सात बजे के करीब दूध वाला थैली दरवाज़े के बाहर टांग कर बेल बजा कर चला जाता हैं। पति ने बाहर जाकर चेक किया दूध आ गया था, उन्होंने दूध वही छोड़ा और अंदर आकर रौनक को फ़ोन घुमाया।
रौनक को फ़ोन पर बताया कि उसकी एक मदद चाहिए। पति ने उसको बताया कि वो शनिवार को ही आउट ऑफ़ स्टेशन के लिए निकल गए थे और आज सुबह आने वाले थे पर अब दोपहर तक ही पहुंचेंगे। सुबह से वाइफ को यानि मुझे फ़ोन कर रहे हैं पर फ़ोन लग नहीं रहा हैं। शायद वाइफ पीहर जाने का प्लान बना रही थी तो शायद सच में चली गयी हैं और ट्रेवल कर रही हैं इसलिए फ़ोन नहीं लग रहा।
उनको रौनक से ये मदद चाहिए कि दूध वाला थैली लगा कर गया हैं तो वो आकर डोरमेट के नीचे छिपा कर रखी चाबी से दरवाज़ा खोले और दूध अंदर फ्रीज में रख दे, ताकि दोपहर पति के आने तक दूध खराब न हो जाये।
रौनक वैसे भी जॉगिंग पे निकलने ही वाला था और हमारे घर की तरफ ही आने वाला था तो उसने हां कर दी। हमने जल्दी से पोजीशन लेनी शुरू कर दी।
मैंने पहले से इस दिन के लिए लिए ख़रीदा हुआ पारदर्शी गाउन पहन लिया जो घुटनो तक ही आता था। गाउन के अंदर कुछ नहीं पहना था तो थोड़ा बहुत अंदर का सामान दिख रहा था।
मैं हॉल में सोफे के पास नीचे कारपेट पर लेट गयी। एक पाँव सोफे के ऊपर और एक जमीन पर था, जिससे मेरे दोनों टांगो के बीच के गैप से सब कुछ दिख रहा था। पति ने मेरी टांगो कि पोजीशन चेक कर ली जिससे जो भी दरवाज़े के अंदर आये उसे सबसे पहले मेरे टांगो के बीच का खुला दरवाज़ा दिखे।
सेंटर टेबल पर शराब की लगभग खाली बोतल, एक गिलास और साथ में चखना रख दिया। ताकि कोई भी आये तो उसे लगे कि मैं शराब के नशे में धुत हूँ। मैं शराब नहीं पीती पर थोड़ी सी अपने होठों पर और थोड़ी अपने कपड़ो पर छिड़क ली ताकि शरीर से शराब की बदबू आये।
पति अब अंदर बेडरूम में गए और हमारे वॉक इन क्लोसेट में छुप गए।
कुछ मिनटों के बाद ही ताला खुलने की आवाज़ आयी। मैंने आँखें इस तरह बंद की कि सामने से लगे वो बंद हैं पर पलकों के नीचे थोड़े गैप से थोड़ा दीखता रहे। ये भी थोड़ी रिहर्सल के बाद पति से टेस्ट करवा के किया हुआ था।
|
|
12-27-2021, 01:01 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
उसने मेरा साइड में पड़ा गाउन उठाया और मेरी योनी पर लगा पानी साफ़ करने लगा जो संदीप छोड़ कर गया था। अब उसने अपना लंड पकड़ कर मेरे छेद में डालना शुरू किया।
थोड़ी देर पहले उसका मुँह में लेने से ही मुझे उसकी मोटाई का अंदाजा था। मुँह में बड़ी मुश्किल से समां रहा था तो नीचे के छोटे छेद में कैसे जायेगा ये सोच मैं घबरा गयी।
वैसा ही हुआ, दो इंच भी अंदर नहीं गया और अटक गया, मेरी तो हालत खराब हो गयी इतने में ही। उसने थोड़ा जोर लगाने की कोशिश की पर कामयाब नहीं हुआ, उल्टा मुझे दर्द हुआ और थोड़ी चीख निकल गयी।
संदीप ने पीछे से उसको बोला कि सारा लुब्रीकेंट तो तूने साफ़ कर दिया अब सूखे में कैसे जाएगा, पहले गीला कर।
उसने अपना लंड पूरा बाहर खींच लिया। मैंने चैन की सांस ली। अब उसने झुक कर अपने होठ मेरे योनी के होठों पर लगा दिए। थोड़ी देर चूमने के बाद अपनी जबान ऊपर से नीचे रगड़ने लगा चूत की दरार पर।
ऐसे ही वो अपनी खुरदरी गीली जुबान दरार में फेराता रहा तो मुझे मज़ा आने लगा। थोड़ी देर में उसने अपनी जबान रोल की और अंदर छेद में डाल कर जीभ लपलपाने लगा। मेरी तो झुरझुरी छूट गयी। अंदर एक करंट दौड़ गया।
कुछ मिनटों तक ऐसे ही मुझे वो करंट लगाता रहा फिर सीधा बैठ गया। मेरे अंदर अच्छा खासा गीला हो गया था। थोड़ी देर पहले ही छूटी थी और अब उसने फिर मेरा मूड बना दिए था। अब उसने अपना लंड धीरे धीरे प्यार से अंदर घुसाना शुरू किया।
उसकी मोटाई इतनी ज्यादा थी कि मेरा छोटा छेद उसको सहन नहीं कर पा रहा। मुझे बहुत दर्द हुआ, ऐसे मोटे लंड का ये पहला अनुभव था।
मेरी जागरण वाली कहानी में मोहित के लंड से भी ये थोड़ा मोटा था। मुझे डर लगा कही मेरी चूत फट ही ना जाए।
अगले कुछ सेकंड में उसका लगभग 6 इंच से भी लम्बा रहा होगा लंड मेरे अंदर था। हालांकि वो बहुत प्यार से अंदर डाल रहा था पर मैं तो दर्द से एक बार फ़िर चीख रही थी। अब रौनक ने अपना लंड वैसे ही धीरे धीरे करते पूरा बाहर निकाल लिया।
बाहर निकालते ही एक बार फिर पहले की तरह पूरा अंदर घुसा दिया। ऐसे 8 -10 बार रौनक ने ऐसे पूरा बाहर और फिर पूरा अंदर डाला। पता नहीं कैसा खेल खेल रहा था वो।
पति क्लोसेट के पीछे छिपे थे, कही मेरा दर्द देख कर बाहर ना जाये। सारा भांडा फुट जायेगा ऐसे तो। पर सब देख सुन कर भी वो सहन करते रहे अंदर से।
अब रौनक मेरे पास आकर लेट गया। मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचने लगा, उधर से संदीप ने मेरी टाँगे और कमर उठा कर मुझे धकेलते हुए रौनक पर सुला दिया। नीचे रौनक था और उसके ऊपर पीठ के बल मैं लेटी थी।
रौनक ने अपना हाथ नीचे ले जा कर अपना लंड एक बार फिर मेरे अंदर डालना शुरू किया। उसके पुरा अंदर जाने के बाद उसने अंदर बाहर धीरे धीरे झटका मारना शरू कर दिया।
संदीप मेरे पास आकर बैठ गया और मेरी नाभी और उसके आस पास चूमने लगा। मेरा बदन वहां से थर थर कापने लगा। संदीप ने अब अपनी एक ऊँगली मेरी चूत के थोड़ा ऊपर रख मलने लगा।
उधर रौनक लगातार झटके मार रहा था जबकि संदीप लगातार मेरे पेट पर चूमते हुए मेरी उत्तेजना बढ़ा रहा था। मुझे मजा तो बहुत आ रह था पर जल्दी से ये सब ख़त्म करना था क्यों कि दर्द सहन नहीं हो रहा था।
अब धीरे धीरे रौनक ने झटको की रफ़्तार बढ़ा दी, तब संदीप ने पेट चूमना बंद किया और मेरे वक्षो को मसलने लगा। एक हाथ से वक्ष तो दूसरे हाथ की ऊँगली से मेरी चूत के ऊपर की तरफ मालिश कर रहा था।
रौनक बहुत देर तक करता रहा पर उसक तो ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था जबकि मेरा तो अच्छा ख़ासा पानी छूटने लगा था। इससे पहले कि मैं दोबारा छूट जाती रौनक ने लंड बाहर निकाल दिया। मुझे पता था कि उसका अभी हुआ नहीं हैं।
रौनक ने मुझे अपने ऊपर से उतार कर उल्टी लेटा दिया और मेरे दोनों पाँव पकड़ कर बिस्तर से नीचे लटका दिए जब की कमर के ऊपर का हिस्सा पलंग पर था। उसने मेरी एक टांग पकड़ कर शरीर टेढ़ा किया और एक टांग ऊपर 90 डिग्री पर खड़ी कर दी जब की दूसरी टांग नीचे जमीन पर।
मैंने अब टेडी होकर लेटी थी। मेरी दोनों टाँगे विपरीत दिशा में थी जिससे छेद पूरा खुल गया था। रौनक ने अपना एक पाँव मोड़ कर पलंग के किनारे पर टिकाते हुए अपना लंड मेरे अंदर एक बार फिर घुसा दिया।
उधर संदीप मेरे चेहरे के पास आया और मेरे गालो को दबा कर मुँह खोलते हुए अपना नरम चूसा पड़ा लंड मेरे मुँह में डाल दिया। इधर संदीप मेरे मुँह में नरम छोटा लंड अंदर बाहर कर रहा था तो नीचे के छेद में रौनक अपना मोटा लंड झटके मारते हुए दर्द के साथ आनंद दे रहा था।
नीचे अब मेरे पानी के रिसने के साथ ही रौनक का पानी भी आ मिला था और फचाक फचाक की आवाज़े कमरे में गूंजने लगी। इन सब के दौरान मेरी आँखें लगातार बंद थी और पलकों के नीचे झिर्री से थोड़ा बहुत देख रही थी।
संदीप ने अपना लंड मेरे मुँह में लगाए रखते हुए मेरे वक्षो को दबाना शुरु कर दिया। साथ ही बेरहमी से मेरे निपल दबा रहा था। ऊपर और नीचे दोनों तरफ बराबर दर्द हो रहा था।
रौनक के चरम के नजदीक पहुंचते हुए इतनी जोर के झटके मारे कि मेरी तो जान ही निकल गयी थी। उसके मोटे लंबे लंड में इतना पानी भरा था कि सब मेरे अंदर खाली होने लगा था। फिर उसने एक जोर की हुंकार भरी और उसका किला ढह गया।
|
|
12-27-2021, 01:01 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
रौनक ने काम ख़त्म कर कपडे पहनना शुरू कर दिया था पर संदीप अभी भी अपना नरम लंड मेरे मुँह में फिरा रहा था। रौनक ने उसको भी कपडे पहनने की हिदायत दी। फिर दोनों ने मिलकर मुझे मेरा गाउन फिर से पहना दिया और सीधा लेटा दिया।
संदीप ने बोला चल निकलते हैं, पर रौनक ने कहा बाहर से पानी का गिलास ले कर आ, इनको उठाना तो पड़ेगा। संदीप पानी ले आया और रौनक को दिया। उसने उंगलिया गीली कर हल्का हल्का पानी मरे मुँह पर दो बार छिड़का। मैंने अपनी आँखें मिचमिचाई और फिर बंद कर ली।
संदीप झल्लाया ला मुझे दे और अगले ही सेकंड मेरे मुँह पर बहुत सारा पानी आकर गिरा। उसने तो पूरा गिलास ही मुँह पर उंढेल दिया। थोड़ा पानी नाक में भी चला गया तो मेरी सांस रुक गयी और मैं तुरंत खांसते हुए बैठ गयी। अपना मुंह हाथों से पौंछते हुए उनकी तरफ आश्चर्य से देखा जैसे पहली बार देखा हो।
मैं जिस हड़बड़ाहट से उठी दोनों झेंप गए। तुरंत अपनी सफाई देने लगे कि मैं वहां बाहर नशे में पड़ी थी तो वो लोग मुझे अंदर ले आये और पानी छिड़क कर उठाने की कोशिश कर रहे थे।
मैंने दोनों को अविश्वास की नजरो से देखा। रौनक ने बोला कि अशोक का फ़ोन आया था आप फ़ोन नहीं उठा नहीं थी तो मुझे देखने के लिए भेजा था। वो बोले अब हम चलते हैं आप आराम करो।
अब नाटक के दूसरे भाग की बारी थी। मैंने अपने हाथ से अपना पेट पकड़ा, बदन में दर्द तो वैसे भी थोड़ा हो ही रहा था तो ओर दर्द के भाव लाते हुए उनसे कहा एक मिनट रुको, तुमने क्या किया यहाँ। वो घबरा गए। हकलाते हुए बोले कुछ नहीं बस आपको लेटाया और पानी छिड़का।
मैं आवाज़ में दर्द लाते हुए उन पर चिल्लाने लगी, मुझे बेवक़ूफ़ मत बनाओ, तुमने मेरे साथ कुछ तो गलत किया हैं। चारो तरफ नज़रे फेराते हुए एक दो जो भी हलकी फुलकी गाली आती थी देते हुए कहा तुम लोगो ने मेरे अंदर कोई तो डंडा या ऐसी कोई चीज़ डाली हैं।
दोनों की सिट्टी पिट्टी घूम हो गयी। मैंने चिल्लाना जारी रखा, सच सच बोलो क्या किया तुम लोगो ने, मैं अभी सबको इकठ्ठा करती हूँ। दोनों हाथ जोड़ कर माफ़ी मांगते हुए बोले डंडा नहीं डाला,, वो हमने,, हमने खुद ही सेक्स किया था आपको ऐसी हालत में देख कर बहक गए थे। पर आप हमको माफ़ कर दो हमारा करियर जस्ट शुरू ही हुआ हैं सब बर्बाद हो जायेगा।
मैंने उनको डराना जारी रखा, तुम लोगो ने मेरी ऐसी वैसी फोटो वीडियो निकाली हैं न, ताकि बाद में मुझे बदनाम कर सको। दोनों गिड़गिड़ाने लगे, फ़ोन मेरी तरफ बढ़ा कर बोले आप हमारा फ़ोन चेक कर लो कुछ नहीं हैं। मैंने दोनों के फ़ोन लिए और चेक करने लगी, हालांकि मुझे पता था की कुछ फोटो वीडियो नहीं लिया हैं।
मैंने फोन लौटाते हुए कहा अकेली देख कर जबरदस्ती कर रहे थे। मेरे पति को पता चल गया तो तुम्हारा खैर नहीं। तुम्हारे खिलाफ केस चलेगा। मुझे बदनाम करने की कोशिश कर रहे हो तुम दोनों।
दोनों घुटनो के बल बैठ गए, और हाथ जोड़ कर बोले ऐसा कुछ नहीं हैं। हम किसी को कुछ नहीं कहेंगे। हम तो वैसे भी अपने होम टाउन के पास ट्रांसफर लेने वाले हैं। अपना छोटा भाई समझ कर माफ़ कर दो दीदी।
मैंने कहा दीदी बोल के ऐसा काम करते हो। मैं ये कपडे संभल कर रखने वाली हूँ जिसमे तुम्हारा सीमेन लगा हैं, अगर मैं कभी मुसीबत में फंसी तुम्हारी वजह से तो ये सबूत हैं तुमको नहीं छोडूंगी। फिर एक दो गाली देकर कहा दोनों यहाँ से जल्दी से फुट लो और कभी मेरे सामने मत आना।
दोनों फिर दुम दबा कर भाग गए। मैंने बाहर जाकर चेक किया वो जा चुके थे। मैं बैडरूम में आयी और पति को कहा कि बाहर आ जाओ रास्ता साफ़ हैं।
पति बाहर आये और मेरी तारीफ़ करने लगे सब गड़बड़ हो जाती अगर तुम संभालती नहीं तो। हमने सोचा ही नहीं कि दोनों दोस्त आ जायेंगे।
खैर हमने तो एक बार में एक को फंसाने का प्लान किया था पर एक साथ दो मुर्गे फंस गए, हालांकि मेरी हालत बहुत खराब हुई थी। दो तीन दिन तक शरीर में बहुत दर्द रहा। इस तरह हमारी साजिश का दुसरा पड़ाव पूरा हुआ।
फिर जब हमने दूसरा जाल फैलाया तो कही न कही मैं खुद ही फंस गयी और लेने के देने पड़ गए। हालांकि हमारा प्लान दोनों बार कामयाब रहा, पर कुछ दिनों तक बदन में बहुत दर्द रहा।
प्रैग्नैंसी टेस्ट तो चार पांच हफ्तों से पहले हो नहीं सकता था, इस बीच हम इंतज़ार करें या एक बार और साजिश करके किसी को फंसाया जाए ये निश्चित नहीं कर पा रहे थे।
मेरे शरीर के साथ रौनक और संदीप ने जैसे मजे लिए थे और जो मेरे साथ बीता इसके बाद मेरी तो हिम्मत नहीं हो रही थी।
इस बीच मेरे ससुराल से फ़ोन आया कि घर में एक फंक्शन हैं तो छुट्टी लेकर आ जाओ। ट्रैन के टिकट नहीं मिल रहे थे। दोनों शहरो के बीच ओवरनाइट स्लीपर बस की सर्विस थी, तो पति ने एक डबल स्लीपर बुक करवा दिया। इन चार पांच दिनों में मेरा दर्द धीरे धीरे कम पड़ते हुए ख़त्म हो गया था और मैं सामान्य होती जा रही थी।
अगले दिन होम टाउन जाना था और शाम को पति ने आकर बताया कि आज रंजन का फ़ोन आया था। रंजन मेरे पति का दूर के रिश्ते में भाई लगता हैं।
|
|
12-27-2021, 01:01 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
मैं शादी के पहले से उसको जानती थी, क्यों कि स्कूल में मेरी क्लास में ही पढता था। उसका घर भी हमारे होम टाउन में ही हैं।
पति ने बताया कि रंजन कल हमारे शहर आने वाला हैं वीसा स्टांपिंग के लिए। उसकी कंपनी उसको अपने विदेश वाली ब्रांच में शिफ्ट कर रही थी।
पति ने आगे बताया कि रंजन ने फ़ोन करके कहा था कि उसको कल वापस घर जाने के लिए कोई ट्रैन या बस की रिजर्वेशन नहीं मिल रही हैं। वो एक दिन के लिए हमारे घर में रुकने के लिए कह रहा था। मैंने बताया कि मगर कल तो हम बस से घर के लिए निकलने वाले है। तो उसने पूछा कि क्या हम उसे अपने साथ उस डबल स्लीपर में एडजस्ट कर सकते हैं क्या।
पति ने मुझसे पूछ कर उसको जवाब देने के लिए समय मांग लिया। उन्होंने मुझसे पूछा कि तुम्हे कोई तकलीफ तो नहीं उसे हमारे साथ ही ले जाने में। वैसे भी तुम तो उसको पहले से जानती हो स्कूल टाइम से।
मैंने कहा डबल स्लीपर में तीन लोग होंगे तो जगह की समस्या से हमें असुविधा तो होगी। अभी आप ही सोच लो आपका ही रिश्तेदार हैं।
पति ने कहा मैं रंजन की माँ को भुआजी कहता हूँ, ऐसे कैसे उसको मना बोल दू। पहली बार उसने मदद मांगी हैं, एक रात की ही तो बात हैं, जैसे तैसे एडजस्ट कर लेंगे। मैंने कहा ठीक हैं जो आपकी इच्छा।
रात को सोते वक़्त पति ने पूछा ये रंजन कैसा लड़का हैं। मैंने कहा क्या मतलब कैसा लड़का हैं। उन्होंने कहा कि अब तुम्हारी तबियत भी ठीक हैं, और हम वैसे भी चार हफ्ते इंतज़ार करने वाले हैं प्रेग्नेंसी टेस्ट के लिए। अगर रौनक और संदीप से पिछली बार कुछ नहीं हुआ होगा तो हमें फिर सब शुरू से करना पड़ेगा।
पति ने पूछा कि क्यों ना हम रंजन का इस्तेमाल कर ले अपने काम के लिए। वो तो तुम्हारे साथ पढ़ा हुआ हैं तो उसका तुम्हारे प्रति कोई झुकाव रहा होगा। ऐसे में उसको फंसाना आसान होगा।
मैंने कहा स्कूल के टाइम पर इतना कहा पता होता हैं। वो पढ़ने में तेज था तो सिर्फ नोट्स मांगने के लिए बात होती थी। स्कूल के बाद वो कॉलेज के लिए बड़े शहर चला गया। उसके बाद तो कभी कभार ही दिखता था। हालांकि मेरी सहेलिया कहती थी कि रंजन का मुझमे इंटरेस्ट हैं, पर उस उम्र में कभी ध्यान नहीं दिया।
पति ने कहा कि रंजन हमारे लिए सही शिकार हैं। वो वैसे भी कुछ दिनों बाद विदेश चला जायेगा। नजदीकी रिश्तेदार हैं तो शर्म और झिझक के मारे किसी को ये राज बताएगा भी नहीं। अगर तुम्हे पहले से थोड़ा बहुत चाहता होगा तो आसानी से फंस भी जायेगा।
मैंने सवाल उठाया मगर करेंगे कहाँ?
उन्होंने बताया कि बस में, वैसे भी जगह कम होगी तो उसको तुम्हारे नजदीक लाना मुश्किल नहीं होगा। बस में ही करवा लेंगे उससे अपना काम।
मैंने कहा तुम्हारे वहा होते हुए उसकी हिम्मत तो नहीं होगी मुझे हाथ लगाने की।
उन्होंने कहा कि उसके बारे में प्लान कर लेते हैं, कोशिश करने में कोई बुराई नहीं।
हमारे पास ज्यादा समय नहीं था प्लान बनाने का। आधी रात तक हमने सोच विचार किया पर ज्यादा कुछ बना नहीं पाए। फिर सबकुछ किस्मत पर छोड़ दिया। बस में देखा जाएगा क्या करना हैं। जैसी परिस्तिथि होगी वैसे करते जायेंगे।
अगली सुबह तक जो भी दिमाग में आया हमने आपस में विचार विमर्श कर लिया। अब रात की बारी थी। रंजन हमें बस स्टॉप पर ही मिलने वाला था। साडी से सफर में दिक्कत होती हैं तो मैंने बटन डाउन शार्ट शर्ट पहना और नीचे केपरी पैंट थी।
रात आठ बजे की बस थी तो हम वहा पहुंच गए, रंजन पहले से हमारा इंतज़ार कर रहा था। हमने टिकट चेक करवा कर कंडक्टर को थोड़े एक्स्ट्रा रुपये देकर एडजस्ट कर लिया ताकि तीसरे आदमी की अनुमति दे दे।
स्लीपर बस में दो टियर होते हैं। हमारा स्लीपर ऊपर की तरफ था। गैलरी के एक तरफ डबल स्लीपर तो दूसरी तरफ सिंगल स्लीपर होते हैं।
हम तीनो ने हमारे डबल स्लीपर के केबिन में चढ़ कर उसका शटर बंद कर दिया। अब हम तीनो आपस में बातें करने लगे। थोड़ी देर में बस रवाना हो गयी।
उसके आगे के क्या फ्यूचर प्लान हैं वो बताने लगा। उसका प्लान विदेश में ही बसने का था, जो की हमारे राज को बनाये रखने के लिए भी ठीक ही था।
|
|
|