03-30-2019, 11:20 AM,
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RE: Muslim Sex Stories मैं बाजी और बहुत कुछ
मैं खाना खा के ऊपर कमरे में आ गया और लैपटॉप पे लव सॉंग सुनने लगा। और सोचने लगा कि मैं भी बाजी से अपने प्यार का इजहार कर दूँ? फिर अपने सर पे हल्के से एक थप्पड़ रसीद किया कि बाजी मेरी चचेरी बहन तो है नहीं। जैसे अम्मी अब्बू की चचेरी बहन हैं। । । आज तो अपने रूटीन के अनुसार नींद नहीं आ रही थी मुझे। ये सच है सुना था कि प्यार में भूख कम लगती है और नींद भी कम आती है। । ऐसे ही समय लव सॉंग सुनते हुए बीतता रहा और बाजी का मेसेज आया कि मुझे पिक करने आ जाओ। । मैं उठा और कार लेकर बाजी के कॉलेज की ओर चल पड़ा। ।
वहाँ पहुँच के बाजी को मेसेज किया कि बाहर आ जाएं तो थोड़ी ही देर में बाजी गेट से सामने आई और कार की ओर बढ़ी पर उनके साथ 2 लड़कियों और थी जिनमें से इक मेरी प्रेमिका साना और दूसरी को आज पहली बार देख रहा था । । कार मैंने साइड मे पार्क की और बाहर निकल आया बाजी और उस लड़की को नमस्कार करके साना से पूछा कि वह यहां कैसे तो साना ने बताया कि उसके साथ में उसके चचेरे भाई है जिनका यहाँ पे एडमिशन हुआ है . कॉलेज के समारोह में उसने आज मुझे भी इनवाइट किया था । साना से मैंने पूछा कि आओ आप लोगों को मैं ड्रॉप कर दूंगा तो उसने कहा कि नहीं हमारी अपनी कार है तुम जाओ।
में, साना और उसके चचेरे भाई को बाय बोलता हुआ कार में आ गया और बाजी भी उन्हें बाय कहती हुई कार में बैठ गई। । (बाजी साना को मेरी वजह से बहुत अच्छे से जानती थी और ये भी जानती थी कि हम दोनों बहुत अच्छे फ्रेंड्स हैं)
बाजी कार में क्या आ बैठी मुझे लगा कि जैसे कार में बहार आ गई। । मेरे आसपास जैसे फूल खिलने लगे। । और मेरा दिल चुपके से मुस्कुरा उठा। । बाजी से मैंने आज के समारोह के बारे में पूछा और बाजी मुझे समारोह के बारे में बताने लगी। । मेरा प्यार मेरा सब कुछ मुझसे कुछ ही इंच दूरी पे बैठा था आज बाजी के साथ कार में बैठ कर जो सफ़र कर रहा था दिल चाह रहा था कि यह सफ़र कभी समाप्त न हो और दिल भी चाह रहा था कि कार किसी ऐसी रोड पे ले जाऊं जो कभी न खत्म होने वाली रोड हो। । । पर यह सब ख्वाहिशें ऐसी थीं जिन्हें सोच में अपने दिल को कुछ पल आराम ही दे सकता था। । तथ्य वही था कि जो मैं चाहता था वह असंभव और बेकार था। । । । । । कुछ ही देर बाद हम घर पहुंचे। । हम घर के अंदर एंट्री हुए। । बाजी अम्मी से मिलने उनके कमरे में चली गई और मैं अपने कमरे में आ गया।
आज मेरा अपने दोस्तों की ओर जाने का भी कोई दिल नहीं कर रहा था। । मेरी यह कैफियत थी कि मैं बस अकेला रहना चाहता था और अगर मेरी तन्हाई को खत्म करने इख्तियार किसी को अब था तो वह मेरी बहन थी। । रात को जब खाने का समय हुआ तो मैं खाने के लिए नीचे गया और सबको सलाम करके खाना खाने बैठ गया। अम्मी वही रोज की प्यार और ममता की चाहत भरी नज़रों से हम दोनों भाई बहन को खाना खाते देख रही थी . जबकि अबू वही हमेशा की तरह चुप बैठे थे। । । अबू ऐसे ही हमेशा चुपचाप रहते थे जिससे हम दोनों बहन भाई बहुत डरते थे। खैर खाना खत्म किया और मई अपने रूम में आ गया। ।
थोड़ी देर बाद कमरे के दरवाजे पे दस्तक हुई और मैंनेडोर खोला तो सामने बाजी खड़ी थी और बाजी ने कहा कि सलमान मुझे अभी स्टडी करनी है स्टडी करके तुम्हारे कमरे में सोने आऊंगी। (जैसा मैंने पहले ही कहा था कि बाजी जब भी बुरा सपना देखती हैं तो 2 या 3 दिन उन्हें अपने कमरे में नींद नहीं आती) बाजी की यह बात सुनते ही मेरा दिल जोर जोर से धड़कना शुरू हो गया। बड़ी मुश्किल से मेरी ज़ुबान से यह शब्द निकले '' जी बाजी ठीक है '' फिर बाजी अपने रूम में चली गई और मैं डोर बंद करके अपने बेड पे आकर गिर गया। । ।
मेरा प्यार मेरे जीवन में आज रात मेरे साथ मेरे बेड पे सोने आ रही है। यह सोच के ही मेरे शरीर से प्राण निकल चुके थे । । पता नहीं बाजी इससे पहले कितनी बार मेरे कमरे में सोई थी। । मुझे तो गिनती भी भूल गई थी। पर पहले मेरे साथ मेरी बाजी सोया करती थी। आज वह सिर्फ मेरी बाजी ही नहीं बल्कि मेरी जिंदगी और मेरा प्यार भी थी जो मेरे साथ मेरे बेड पे सोने वाली थी। । । । । । । एक एक पल मेरे लिए वर्षों के बराबर था। समय था कि बीतने का नाम ही नहीं ले रहा था। । मेरा रोम रोम बस मेरे प्यार को आकर्षित करके बुला रहा था और चीख के कह रहा था कि मेरी रात की रानी आ भी जाओ ना क्यों मुझे सता रही हो आओ मेरी रात की रानी और आकर मेरी भावनाओं और चाहत की दुनिया को अपनी खुशबू से सुगंधित कर दो। । । । । । ।
आखिर वह समय आ गया और मेरे रूम के दरवाजे पे दस्तक हुई। । में एक तेज़ दिल के साथ उठा और डोर खोला और तो सामने बाजी खड़ी थी। । । बाजी ने मुस्कुरा के कहा कि छोटे भाई आजडोर पे ही खड़ा रखना है या अंदर भी आने दोगे . मैं बहुत मुश्किल से बाजी की इस बात पे मुस्कुराया और एक साइड पे हो गया और बाजी को अंदर आने का रास्ता दिया। । । बाजी रूम के अंदर आई और बेड की ओर बढ़ी मैने रूम का दरवाजा बंद कर दिया। और बाजी को बेड पर जाते हुए देखने लगा . मेरा दिल किया कि बाजी को पीछे से जाकर जोर से हग कर लूं और अपने दिल की बात कह दूं। । सच कहते हैं कि प्यार इंसान के मन को कहीं का नहीं छोड़ता और मानव मस्तिष्क को जंग लग जाती है। । मैंने अपने सिर को हल्के से झटका और बड़ी मुश्किल से अपने आप को कंट्रोल किया । ।
बाजी बेड पे टेक लगा कर लेट चुकी थी मैं भी अपनी शहज़ादी के साथ बेड पे आकर टेक लगाकर लेट गया। । । में बाजी से बहुत देर तक बातें करना चाहता था। पर बाजी ने काफ़ी देर तक मुझसे बात नहीं की और मुझे कहा कि सलमान अब तुम पढ़ाई करो और सोने जा रही हूँ। । । (बाजी क्या जाने कि उनका भाई 2 ही दिन में उन्हें कैसे दीवानों की तरह चाहने लगा है।। और अब बाजी की निकटता ही दीवाने भाई के लिए राहत की बात है अपनी सगी बहन के बिना तो यह पागल भाई बिल्कुल अकेला और अधूरा है) मैंने चुपचाप लाइट ऑफ करके टेबल लैंप ओं की और पुस्तक खोल ली। । । और बाजी थोड़ी ही देर में सो गई। । । मैंने बाजी के सोते ही बुक बंद की और करवट बदल के बाजी की तरफ मुंह कर लिया और बाजी के चेहरे को देखने लगा । । बाजी सीधी होकर लेटी हुई थी। । बाजी सोते हुए कितनी सुन्दर लग रही थी। । । । । । । । । । । । । । । मुझे कुछ खबर नहीं रही कि मैं ऐसे कब तक अपना प्रेम दर्शन करता रहा। बंद आँखों पे सजी पलकों का , आधे खुले गुलाबी होंठ, और चंदा की तरह चमकते गाल। मैं इस आलम में सब कुछ भूल चुका था। आलम यह था कि दुनिया से बेखबर हो चुका था। । ऐसा लगता था कि बस इस दुनिया में मैं हूँ और साथ मे मेरी बाजी। । बाकी दुनिया भूल बैठा था। ।
मुझे अचानक होश तब आया जब बाजी ने सोते में करवट बदली और मुंह दूसरी तरफ कर लिया। । । और मुझे ऐसा लगा कि किसी सांप ने अचानक मुझे डॅन्स लिया हो एक नशा सा मेरी नस नस में दौड़ना शुरू हो गया। । । यह था मेरे इस प्यार का दूसरा रुख। । प्यार के इस रुख को कैसे भुला सकता था। । एसी रुख से तो पहले वाले रुख को जान पाया था। । यह शरीर का प्यार मुझे बाजी से न हुआ होता तो आत्मा के प्यार को कैसे समझ पाता। । यही तो वह दो पहलू यानी शरीर का प्रेम और पवित्र प्यार। ये दोनों जब मिलते हैं तो प्रेम पूर्ण होता है
दो दिन पहले की ही तो बात थी जब पहली बार मैंने अपनी बहन को ऐसी करवट लेते देखा था और अपनी बहन के शरीर के साथ मेरी दीवानगी की हद तक प्यार उसे करवट लेते हुए ही तो शुरू हो गया था । ।
इस समय मेरा दिल इतनी तेज़ी से धड़क रहा था कि मेरा गला सूख चुका था थूक निगलने की हिम्मत मुझमें बाकी नहीं बची थी। । शरीर में जान नाम की कोई चीज नहीं थी। जहां था वही पे एक मूर्ति बना रह गया। । मेरा मुझ पे कोई कंट्रोल नहीं था। । अब तो जैसे प्यार का देवता मुझे अपने इशारों पे नचाने मेरे कमरे में आ गया था। मेरी नजरें अपनी बहन की मोटी और मुझे तरसाने और तड़पा ने वाली गाण्ड पे जम गई। मैंने सोचा कि दीदी की मोटी और बाहर निकली हुई गाण्ड जब सलवार से बाहर आएगी तो जाने मेरा क्या हश्र कर देगी उस दिन। । । ऊपर से देख कर इतनी उत्तेजना में हूँ अगर अंदर से देख ली तो पता नहीं उस दिन बहन के प्यार में कहीं मर ही न जाऊं । । ।
इसी नशे और दीवानगी की हालत में मेरा एक हाथ आगे की ओर बढ़ा और मैंने बाजी की कमीज को धीरे धीरे सलवार के ऊपर से हटाना शुरू कर दिया। और फिर मैंने कमीज़ को पूरी तरह से बाजी की गाण्ड पर से हटाकर ऊपर कर दिया। । बाजी कीगांड की लाइन काफी स्पष्ट सलवार सेदिख रही थी। और मेरी जान के दो नशेमन वो गाण्ड पब। मैंने जी भर के अपनी बहन की इस क़यामत ढाती गाण्ड को देखा और अपनी आंखों को जितना हो सका इस नज़ारे का दर्शन करवाया। ताकि बाद में कहीं वह मुझसे शिकायत न करें। । । । मैंने अपने हाथ को आगे की ओर करके अपनी बाजी की गाण्ड के एक पब को पकड़ लिया।
हां अब मेरी बाजी की प्यारी मोटी बाहर निकली हुई गान्ड का एक पब मेरे हाथ में था मैं बाजी की गाण्ड का मरने की हद तक दीवाना बन गया था। । । बाजी की गाण्ड जितनी मोटी और सेक्सी और बाहर निकली हुई मस्त थी उतनी ही बाजी की गाण्ड नरम भी थी। मुझे ऐसा लगा कि मैं इस दुनिया का राजा हूँ मैंने जैसे आज सब कुछ जीत लिया हो। । । ।
मैं ने पहली बार अपनी बाजी के चूतड़ को हल्के से दबाया आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ह और साथ ही मैंने अपना अंगूठा अपनी बाजी कीगांड की लाइन में आराम से डाल दिया । मेरा अंगूठा मेरी बहन की गांड की लाइन में अंदर होता जा रहा था और अंदर और अंदर बाजी की लाइन गहरी थी बहुत ज्यादा गहरी। । मेरी बाजी की गांड की जो गहरी लाइन थी न इसी गहरी लाइन की वजह से ही तो मेरी बाजी कीगांड बाहर निकल के अपनी सुंदरता में वृद्धि करती थी। । । अब बाजी का एक पूरा चूतड़ मेरी पकड़ में था। । मेरा दिल खुशी से झूम रहा था और मेरा लंड वह तो जैसे मेरी सलवार को फाड़ने की पूरी तैयारी में था।
अब बाजी का जो चूतड़ मेरी पकड़ में था उसे दबाना शुरू हो किया हाय क्या मजा था आराम था नशा था तब। । । मुझे दुनिया का कोई होश और कोई डर नहीं था। मैं अपनी मस्ती में बाजी के इस नरम और घातक चूतड़ को अब जोर से दबाना शुरू हो गया। और चूतड़ को देख दिल में कहना शुरू हो गया देखा मुझे चिढ़ा रहे थे न कल। अब देख लो मैंने तुम्हें पकड़ भी लिया है और अब तुम्हारे साथ मजे भी ले रहा हूँ। मैं मस्ती की हालत में डूबा हुआ था कि अचानक बाजी के शरीर को इक झटका सा लगा और बाजी ने मुझे पीछे मुड़ के देखा। । । मेरा नशा मज़ा और आनंद की बुलंदी यह सब कुछ साबुन के झाग की तरह इक दम से बैठ गया। । । । और मिट्टी दबानेवाला बन जहां था जैसा था वही रह गया। । । बाजी ने जब यह सारा दृश्य अपनी आंखों से देखा तो तड़प के उठकर बैठ गई। । मुझे कुछ होश नहीं रहा था। बाजी ने मेरा हाथ पकड़ा और पकड़ के पीछे की फैंक सा दिया। । । और साथ ही बाजी ने एक जोर का थप्पड़ मेरे मुंह पे दे मारा। । और कहा कि तुम इतने नीच और घटिया भी हो सकते हो कभी ऐसा सपने में भी नहीं सोच सकती थी। । । ऐसा लगता है कि बाजी ने एक और थप्पड़ मेरे मुंह पे लगा दिया। । । और कहा कि एक लड़की के लिए उसका भाई जो उसका रक्षक होता है। । जो लड़की की इज्जत की रक्षा करता है। और तुम भाई हो कि अपनी बहन की इज्जत के दुश्मन हो। बाजी की गुस्से से लाल आँखें टेबल लैंप की रोशनी में स्पष्ट नजर आ रही थीं। । ऐसा लग रहा था कि आज बाजी मुझे जान से मार देगी। । । और फिर बाजी बेड से उठी और कमरे के दरवाजे की ओर जाने लगी कि फिर वहां से वापस आई और फिर एक तीसरा थप्पड़ मेरे मुंह पे लगा दिया। । और फिर बाजी रूम से बाहर चली गई। । ।
मेरे आँसू थे कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। । । जाने उस दिन में कितनी देर तक रोता रहा। । मेरे आँसुओं ने मेरी चादर को भिगो कर रख दिया । । बाजी ने जो कहा था सही ही तो कहा था। । पर बाजी यह नहीं जानती थी कि मेरे दिल का आलम क्या है मेरे दिल की भावनाए उनके लिए क्या कर रही हैं। । न बाजी ने मुझे मौका दिया कि मैं कुछ कह सकूँ। । । और वह मुझे मौका देती भी क्यों। जो भाई अपनी बहन से प्यार कर बैठा था तो उस भाई के लिए इस दुनिया में कही भी कोई जगह नहीं थी। । ऐसे ही रोते रोते जाने कब सो गया
सुबह जब मेरी आँख खुली तो मैं पहले ऐसे ही कुछ देर बेड पे लेटा रहा और रात के बारे में सोचता रहा। । । इस एक रात ने मेरी आत्मा को झकझोर कर रख दिया था। इन बीते लम्हों को याद किया तो मेरी रूह कांप उठी। 3 दिन ही तो हुए थे मुझे प्यार किए हुए और 3 दिन के भीतर ही इस बेरहम दुनिया के निराधार सिद्धांतों ने धर्म की बनाई हुई सीमाओं ने मेरे प्यार के मुँह पे एक थप्पड़ दे मारा था। । .किस ने बनाई थीं ये सीमाए और क्यों बनाई थीं?
ऐसे ही बहुत से सवाल और विश्लेषण की ग़ज़बनाक लड़ाई मेरे अंदर लगी हुई थी कि अचानक किसी सोच से मैं चौंक पड़ा। । में बीती रात क्योंकि इतना अपसेट हो चुका था कि मैं भूल गया कि बाजी तो रूम से गुस्से से बाहर निकली थी। । यह न हुआ हो कि उन्होंने गुस्से में अम्मी अब्बू को मेरी की हुई खता के बारे मे बता दिया हो। । ये बात मन में आते ही में सब बातें भूल इस बात को लेकर परेशान हो गया और बहुत घबरा गया। ।
ये परेशानी भी तो इसी समाज की देन थी ना। । प्यार करने वाले को इस समाज में कहीं भी कोई ऐसी जगह तो नहीं न कि जहां जा कर वो कुछ पल के लिए स्वतंत्र रूप से सांस ले सके। । । अब मैं सोच रहा था कि पता नहीं नीचे जाऊँगा तो वहां कौन सा नया तमाशा मेरा इंतज़ार कर रहा होगा। । नीचे जाने से मैं बहुत घबरा रहा था। । नीचे जाना तो था मुझे। । अब सारी ज़िंदगी तो इस कमरे में बैठा तो नहीं सकता था। । ।
अबू का चेहरा मेरी आँखों के सामने आता तो शरीर पे कपकपी दौड़ जाती। क्योंकि अपने अबू का मुझे पता था कि वह मुझे जान से मार देंगे। । वह तो किसी बाहर की लड़की से मेरा अफेयर सहन नहीं कर सकते थे। बाजी के साथ छेड़छाड़ के लिए तो वह मुझे गोली मारने से भी नहीं रुकेंगे । । अम्मी का ममता से भरपूर चेहरा मेरी आँखों के सामने आता तो मैं एक पल के लिए आँखे बंद कर सिर को झटक देता। । .क्यों कि उनका सामना करने की मुझ में हिम्मत न थी। । । और मेरी चाहत मेरा प्यार मेरी बहन जब उनका चेहरा मेरी आँखो के सामने आता तो आंखें जानेक्यों भीगने लगती
खैर मैंने एक गहरी साँस ली और बाथरूम में चला गया यह सोचते हुए कि अब जो होगा वह मेरी किस्मत मेरा नसीब। । जब मैं तैयार होकर बाथरूम से निकला तो बहुत मुश्किल से कांपते हुए हाथों से रूम काडोर खोला और काँपती टाँगो सेसीढ़यों से नीचे उतरने लगा। । जब मैं नीचे पहुंचा तो सामने डाइनिंग टेबल पे अबू और अम्मी बैठे नाश्ता कर रहे थे और बाजी कहीं नज़र नहीं आ रही थी। । । मैंने डरते डरते अम्मी और अबू कोसलाम किया तो अम्मी ने मुस्कुरा के जवाब दिया और अबू ने भी सलाम का जवाब दिया। । । उनके अभिवादन का जवाब और अम्मी की रोज की्रह विशेष मुस्कान से मेरे दिल और दिमाग पे छाया भय और डर एक दम से उतर गया। । ।
यह था वह दया का टुकड़ा जो मेरी चाहत ने मेरे प्यार ने यानी मेरी बाजी ने मेरी झोली में फेंका था। मैं जान चुका था कि बाजी ने इसलिए अम्मी अब्बू को नहीं बताया था कि वह जानती थी कि अबू मुझे गोली मारने से भी पीछे नहीं हटते। बाजी की दया को अपनी झोली में समेटे नाश्ता करने लगा। । और फिर बाजी प्यार करे या न करे। उसकी निगाह में घृणा हो या प्यार। इससे क्या फर्क पड़ता है। । मेरे लिए इतना ही काफी था कि मेरा प्यार मेरी बाजी ने मेरा इतना ही ख्याल रखा था और मेरी जान बख्श दी। और अपने इस दीवाने आज मरने नहीं दिया। । । । ।
में नाश्ता करते हुए सोच रहा था कि अम्मी से पूछूँ कि बाजी कहाँ हैं नज़र नहीं आरहीं। पर मेरे दिल में चोर था। । इस लिए पूछने से घबरा रहा था। । फिर भी पूछना तो था ही बाजी का क्योंकि वह रोज मेरे साथ ही तो जाया करती थीं। मैंने हिम्मत कर के अम्मी से पूछा कि बाजीकहाँ हैं। तो अम्मी ने आगे जो कहा वह मेरे दिमाग पे किसी परमाणु बम के विस्फोट से कम न था। । । । । । । । । । । । । । । । । । । ।
अम्मी ने कहा कि बाजी आज से होस्टल जा रही हैं। । । मेरे मन में आंधियां और तूफान फिर से चलना शुरू हो गए। । । मैने मरी हुई ज़ुबान मे अम्मी से पूछा कि वह क्यों? अम्मी ने कहा कि हिना (मेरी बाजी का नाम) कहती है कि घर पर पढ़ाई सही नहीं होती। । हॉस्टल में सबी क्लास की साथी लड़कियों के साथ में मिल के पढ़ाई करेगी तो ज़्यादाअच्छे से पढ़ाई होगी। मैं तो मना कर रही थी तुम्हारे अब्बू को अब कौन समझाए कहते हैं कि जहां हिना की इच्छा है हिना वहां रह कर पढ़े, हमें बस इसी बात से मतलब है कि यह स्टडी अच्छे से करे। । । । । । ।
अजीब बेरहम प्यार था मेरा एक तरफ तो मुझे मारने नहीं देता और दूसरी तरफ मुझसे दूर जाकर मुझे अकेला तड़पने और मरने के लिए छोड़ के जा रहा है। । । । साथ ही अम्मी ने कहा कि सलमान तुम कॉलेज चले जाओ बाजी को अबू उसके हॉस्टल में छोड़ देंगे उसका काफी सामान भी है कि तुम्हारी कार मे नहीं आएगा । और हां जा के बाजी से मिल भी आओ और बाय बोल आओ। । में नाश्ता क्या करता बस वही पे छोड़ दिया। । पर अम्मी जो मुझे बाजी से मिलने को कह रही थी मैं कैसे मिल सकता था बाजी को कैसे फेस कर सकता था उन्हें। । ।
उनके रात को कहे हुए शब्द अभी भी तो मेरे कानों में गूंज रहे थे और ऊपर से उनका हॉस्टल शिफ्ट होने का फैसला । । यह सब बातें तो इस बात की घोषणा कर रही थीं कि सलमान तुम्हारी बाजी तुमसे नफरत करती है। और अब वह तुम्हारा चेहरा कभी नहीं देखना चाहती। । । । में हारे होय जुआरी की तरह चेयर से उठा जो अपना सब कुछ हारी हुई बाजी में लगा बैठा था। सीढ़ियाँ चढ़ता हुआ ऊपर की ओर बढ़ा अपने रूम में जाकर थोड़ी देर के लिए खड़ा हो गया। ताकि अम्मी को यह लगे कि मैं बाजी से मिल रहा हूँ। । फिर रूम से बाहर निकला और अपनी बाजी के रूम केडोर की ओर एक बार देखा । इस दरवाजे के दूसरी ओर ही तो मेरा प्यार बैठा था। । ।
कॉलेज पहुंचा और कॉलेज मे एक साइड पे लगे एक बेंच पे जा के बैठ गया। यहाँ बहुत कम ही कोई आता था। । । पर एक था जो मुझे कहीं भी देख सकता था वह थी मेरी प्रेमिका साना। । । मुझे अपने पीछे से किसी के गाना गाने की आवाज आई '' चुप चुप बैठे हो जरूर कोई बात है '' मुझे साना की च्वाइस पे हमेशा हंसी आती थी। । आज जानेक्यों मुझे उसका यह गाना दिल को बहुत भा गया। । यह समय और हालात ही तो होते हैं जो इंसान को क्या से क्या बना देते है । साना ने कहा क्या बात है जनाब आज यहाँ कहाँ और कैसे आए। । ।
मैंने मुश्किल से साना के आगमन पे स्माइल की और कहा कि कुछ नहीं बस वैसे दिल कर रहा था यहाँ थोड़ी देर बैठने का। । साना ने कहा, न बताओ जब दिल करे तो दिल की बात साझा कर लेना। । । और साना मेरे साथ बेंच पे आ के बैठ गई। । फिर हम लोग वैसे ही गपें लगाते रहे कुछ देर। उस दिन मैंने जाना कि औरत अगर मर्द को जख्म देती है तो यही औरत आदमी को मरहम भी तो लगाती है, चाहे जख्म देने वाली महिला कोई और हो और मरहम लगाने वाली कोई और। । जब मेरी कॉलेज में एंट्री हुई थी तो मुझे अपने दोस्त दूर से नज़र आये पर मैंने उनसे बात नहीं की और उनसे नज़रें बचाकर यहाँ आकर बैठा था जब साना यहाँ आई और मैंने साना से कुछ देर गपशप की तो मुझे ऐसा लगा कि साना की गपशप ने मेरे ज़ख़्मों पे मरहम का काम किया है सच कहते हैं '' अपोजिट अट्रॅक्टिव। ' । पर जो भी था मेरे जख्म ऐसे थे कि अब उनका पूरा इलाज एक ही इंसान के पास था और वह थी मेरी प्यार यानी कि मेरी अपनी बाजी। । ।
अचानक बात करते करते साना ने कहा कि सलमान तुम्हें तुम्हारी दीदी के बारे में तुम्हें कुछ बताऊँ? ? साना की बात जैसे मेरे दिमाग पे हथौड़ा का वार साबित हुई और मेरा मन धड़क कर रह गया साना ने जैसे मेरी दुखती रग पे पैर रख दिया था। मैं अपने आप को और अपनी दिली भावनाओं को नियंत्रित करके साना से पूछा कि हां बताओ क्या बात है। तो साना ने कहा कि मेरी जो चचेरे भाई हैं तमखा है तमखा की फ्रेंड के ही कॉलेज में पढ़ती है वह कुछ दिन पहले तुम्हारी दीदी की कुछ फ्रेंड्स के साथ बैठी थी और तुम्हारी दीदी की फ्रेंड्स तुम्हारी दीदी के बारे में ही आपस मेंबात कर रही थीं .... ।
साना कुछ देर के लिए खाँमोश हो गई। मैंने तड़प के साना से कहा कि आगे कुछ बताएगी या नहीं। । साना ने अपनी बात आगे बढ़ाई और कहा कि सलमान वह बात कर रही थीं कि हमारे कॉलेज में बहुत कम ऐसी लड़कियां हैं जिनका किसी लड़के के साथ कोई अफेयर नहीं है और उनमें से एक हिना है (यानी मेरी बाजी)। । साना ने कहा कि सलमान तुम्हारी दीदी के साथ कॉलेज के कई लड़के अपने प्यार का इजहार कर चुके हैं पर तुम्हारी बाजी इन सब बातों के सख्त खिलाफ हैं। । । मेरी चचेरे भाई को उनकी फ्रेंड्स ने यह भी बताया है कि तुम्हारी दीदी की यह सोच है कि लड़की की इज्जत और लड़की हया ही लड़की का गहना है। तुम्हारी दीदी की यह सोच है कि लड़की को सारा जीवन शालीनता में गुजारना चाहिए और जब लड़की की शादी की उम्र आए तो उसके माता-पिता को ही उसकी शादी तय करना चाहिए। और लड़की जब पहली बार प्यार करे तो वह शादी के बाद अपने हसबंड के साथ ही करे।
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RE: Muslim Sex Stories मैं बाजी और बहुत कुछ
हमारी क्लास का समय हो चुका था। हम उठे और क्लास की ओर चल पड़े । । साना की बातों से मेरे अंदर मौजूद कई सवालों के जवाब मुझे मिल चुके थे। । । जहां मुझे एक ओर अपनी बहन की पवित्र सोच और अच्छी भूमिका पे गर्व हो रहा था, दूसरी ओर बाजी की अच्छी सोच और सॉफ चरित्र से परेशानी भी। अजीब भाई था मैं भी जो अपनी बहन के पवित्र और नेक होने पे परेशान था। आज तो साना की बातों के बाद मुझे ऐसा लगना शुरू हो गया कि मैं बाजी को लेकर जीतने भी सपने सजाए थे और जो कुछ भी सोचा था अब मुझे भूलना पड़ेगा। पर प्यार करने वाला हार कैसे मान सकता है। चाहे मंजिल मिले या न मिले। । । । । । । । अब मुझे लगने लगा था कि ये विवश्ता के आंसू और ये अधूरी ख्वाहिशें ऐसे ही मेरे सीने में रहते रहते मेरे साथ मर जाएंगी। । । ।
घर पहुँचने पर पता चला कि बाजी जा चुकी हैं। । मेरा मन कर रहा था कि मैं चीख चीख कर रो पडूं। दीवार टक्कर मारूं। आज मुझे मेरा ही घर ही काट खाने कोदोड़ रहा था। ।
आज बाजी को देखे 2 सप्ताह हो चुके थे। । मैं अपने बाथरूम में बैठा स्मोकिंग कर रहा था। । । जीवन तो बर्बाद हो ही चुका था मेरा तो मैने सोचा स्मोकिंग करके थोड़ा और बर्बाद कर लेते हैं। । प्यार में विफलता के बाद इंसान तरह तरह के काम करता है। । चैन तो उसी के पास होता है जिससे वह प्यार करता है ...
बाथरूम से बाहर आया और बेड पे बैठ गया। अचानक मेरी मृत आँखों में इक चमक आई और मैं अपने कमरे से बाहर आया और सीढ़ियाँ उतर के अम्मी के कमरे में आ गया। । अम्मी अपने कमरे में सोई हुई थी मैंने उन्हें जगाया और कहा कि हमारे परिवार की फोटो एल्बम कहां है। अम्मी ने पूछा क्या करना है बेटा परिवार की फोटो एल्बम का। मैंने कहा वैसे ही आज दिल कर रहा थाबचपन के फोटोग्राफ देखने का। अम्मी ने मुझे अपनी चाबी देकर कहा यह लो वहाँ से ले लो। और मैं गया और परिवार का फोटो एल्बम सैफ से निकाल लिया और अम्मी कोचाबियां वापस करते हुए अपने रूम में आ गया। एक अनजानी सी खुशी थी मेरे चेहरे पे जो आज बहुत दिनों बाद मैंने देखी थी।
मैंने एल्बम को खोला और उसके पन्नों को पलट पलट कर देखने लगा। फिर मैं एक पृष्ठ पे आके रुक गया। क्योंकि इस पृष्ठ पे उसकी तस्वीर थी जिस हस्ती के दर्शन के लिये मैं यह एल्बम नीचे ले आया था। और वह सख्श स्पष्ट रूप से एक ही हो सकता है। हाँ वह हस्ती मेरी जान से प्यारी मेरी बाजी की थी। बाजी की ये फोटो आज से 1 साल पहले की थी। । हम लोग अपने एक चचेरे भाई की शादी पे गए थे और वहां मैंने बाजी की यह तस्वीर बनाई थी। तब जब मैंने ये फोटो बनाई थी तब मुझे क्या पता था कि इसी फोटो को 1 सालबाद में देखकर रो रहा हुँगा । मेरे आँसू थे कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। । ।
मैंने बाजी की फोटो एलबम से निकाली और जी भर के अपनी बाजी का दीदार किया। बाजी की बड़ी बड़ी सुंदर सी आँखें और बाजी की प्यारी सी नाक बाजी के पिंक होंठ उनके केचमकते गाल और काले लम्बे बाल, बाजी उस दिन व्हाइट ड्रेस में किसी हूर से कम नहीं लग रही थीं। । किसी को वो फोटो दिखा दो और उससे पूछो कि इस दुनिया में सबसे सुंदर स्त्री कौन है तो वो एक ही जवाब देता कि सलमान तेरी मोहब्बत। । । । ।
अचानक मैंने फिर एल्बम के पन्ने फिर पलटने शुरू किए और एक पृष्ठ पे आकर रुक गया। । इस पृष्ठ पे बाजी की एक और तस्वीर थी जिसमें बाजी घास पे बैठी थी। । हम परिवार के सदस्यों के साथ एक बार पिकनिक पर गए थे ये फोटो वहां बनाई थी मैने। । इस तस्वीर में बाजी की गाण्ड की साइड बाजी की कमीज और सलवार के ऊपर से सही नजर आ रही थी क्योंकि बाजी घास पे बैठी थी जिस वजह से बाजी की गाण्ड जमीन पे लगने से बहुत चौड़ी हो गई थी। । मैंने सोचा कि बाजी की पहली वाली तस्वीर देखने के बाद अपनी आत्मा को पल भर का आराम दे दूँ . अब इस तस्वीर को देखते हुए ज़रा अपने शरीर को भी आराम दे लूँ। मैंने बाजी का फोटो एलबम से बाहर निकाला और हाथ में पकड़ के बेड से टेक लगा के लेट गया ....
और अपनी नज़रें बाजी की मोटी गाण्ड की साइड पे जमा ली . मैंने दूसरे हाथ से अपनी सलवार से अपना लण्ड बाहर निकाला जोकि लगभग अब तकखड़ा हो ही चुका था और तस्वीर देखते देखते मुठ मारने लगा। यह उस रात के बाद आज मेरा पहला मुठ था। और मेरे प्यार का आलम यह था कि यह मूठ भी में अपनी बाजी नाम की ही मार रहा था। अजीब आराम और लज़्जत की लहरें मेरी रगों में दौड़ रही थीं। मैं एक नज़र बाजी पे डालता और एक नज़र बाजी बाकी के शरीर पे। । । मेरे लंड से स्पर्म निकल निकल कर मेरे ही हाथों मे लग रही थी और मैं उस स्पर्म को अपनेलंड के ऊपर मस्ल रहा था । अब मेरा हाथ अपनेलंड पे बहुत हल्का महसूस हो रहा था और स्लिप कर रहा था। । । और स्लिप से बहुत मज़ा आ रहा था। पता नहीं ऐसेही कब तक बाजी की तस्वीर को देखते हुए मुठ मा रता रहा। । ।
जब भी फारिग होने लगता तो मुठ में थोड़ा ब्रेक लगा लेता। । । क्योंकि मैं इस मजे की दुनिया से बाहर बेरहम दुनिया में वापस नहीं जानाचाहता था। । । साथ में उसकी आखिरी रात को याद कर रहा था जब मैंने अपने हाथ में बाजी की गाण्ड का वह मोटा पब पकड़ा हुआ था और अपने अंगूठे को अपनी बाजी की गाण्ड की गहरी लाइन में घुसाया हुआ था। यह सोचते सोचते तो जैसे मैं नशे और मज़े में पागल हो चुका था। । अब मैं अपने लंड से निकलती स्पर्म को अपनेलंड के नीचे जो बॉल्स थे उनके पर मलना शुरू कर दिया। अब मामला मेरी बर्दाश्त से बाहर हो गया था। । । मैंने अपने हाथ से मुट्ठी बनाई और उस मुट्ठी के छेद में अपने लंड को डाला और धीरे धीरे नीचे की ओर ले के गया और फिर ऊपर की ओर, नज़रें बाजी की तस्वीर पे मन में वही अंतिम रात का दृश्य और साथ ही आह आह की आवाज के साथ फारिग होना शुरू हो गया और साथ ही मैं सिहर के आगे की ओर हो गया और स्पर्म मेरी टांगों पे गिरना शुरू हो गई। । । । । । । । । । ।
दिन बीतते जा रहे थे। । ।
अब तो मैंने दीदी के छात्रावास के चक्कर भी लगाने शुरू कर दिए थे। । कितनी कितनी देर उनके छात्रावास के बाहर जा के अपनी कार साइड पे पार्क कर कार में बैठा रहता और यही सोच के दिल को सुकून रहता कि चारदीवारी के पार बाजी कहीं बैठी होगी। । । ।
बाजी को घर से गए आज 25 दिन हो चुके थे। । । । । । । । । । ।
ऐसे ही घर पर नीचे टीवी के सामने बैठा अपनी बाजी की यादों में खोया हुआ था कि घर की बेल बजी। मैं उठा और बाहर जा के जबगेट खोला तो मेरा सिर चकरा गया और चक्कर खा के गिरते गिरते बचा और बहुत मुश्किल से मैंने अपने आप को संभाला। । यह सपना तो नहीं हो सकता कि मेरे सामने मेरी बाजी खड़ी थी।
मेरे शरीर में जैसे कीड़े काट रहे थे। । मेरे मन में भी मुझे ऐसे ही लग रहा था कि कुछ कीड़े दौड़ रहे हैं शरीर ठंडा सा पड़ने लगा। क्योंकि बाजी के चेहरे पे अभी भी वही नफरत थी जो उस आख़िरी रात उनके चेहरे पे थी। । । ज़ुबान इतनी भारी हो गई थी कि कोई शब्द निकल ही नहीं पा रहा था मेरी जीभ से। । । बड़ी मुश्किल से मैंने दीदी को सलाम किया जिसका बाजी ने कोई जवाब नहीं दिया और अंदर की ओर चली गई। जिसकी खातिर रातों को नींद नहीं आती, जिसके लिए दिन का चैन छिन गया, जिसकी खातिर खाना पीना भूल गया, और सिगरेट को मुंह से लगा लिया और मेरा वही प्यार आज चुप्पी का थप्पड़ मेरे मुंह पे मार चली गई। । । ।
मैं गेट बंद किया और निराशा के आलम में अंदर आ गया। । बाजी अम्मी के साथ बैठी बातें कर रही थीं। ज्यों ही मैं अंदर आया अम्मी ने मुझे कहा कि तुम्हारी यह जो बहन है ना उसका अब हम से मिलने को जरा सा भी दिल नहीं करता। आज इससे फोन पे कितनी मन्नतें की फिर कहीं जा के यह 2 दिन रहने घर आई है। अम्मी मेरे और दीदी के बीच होने वाले सभी मामले से अनजान मुझसे बाजी की शिकायतें कर रही थीं। में अम्मी की बात सुन बमुश्किल एक स्माइल ला पाया अपने चेहरे पे और अपने रूम की तरफ जाने लगा कि अम्मी ने कहा बहन इतने दिन बाद घर आई है उसके पास बैठो ना। ऊपर कहाँ जा रहे हो। । । में अम्मी के साथ ही बैठ गया और अम्मी ने कहा तुम दोनों बहनभाई बातें करो मैं खाने को जरा देख के आई। । । । अम्मी चली गई। । । ।
बाजी टीवी को देखने लगी और मैं उसकी ओर। । कितने दिन बाद देख रहा था अपनी चाहतों की रानी को। । । मेरे सपनों की रानी को क्या पता था कि मेरे अंदर क्या भावनाओं हैं इसके लिए। । वो तो बस मेरे सीने पे खंजर चलाना जानती थी। । । । अचानक मैंने अपने दिमाग में कुछ सोचा और बाजी कहा; बाजी;
ज्यों ही मेरी आवाज बाजी के कानों से टकराई तो उनके चेहरे पे नफरत और गुस्से के मिलेजुले भाव उभर आए। । । और वह उठकर रसोई मे चली गई। । । और मैं मुंह खोले बाजी को जाते हुए देखता रहा। । ।
इतनी नफरत इतना गुस्सा। । । मेरा अपराध आखिर क्या था कि मुझे बाजी की आत्मा और बाजी के शरीर से प्यार था। । मैं उठा और अपने कमरे में आ गया। रात के खाने पे भी बाजी ने एक बार भी मुझ पे नहीं डाली। । खाने के बाद मैं अपने कमरे में आ गया और अपनी विफलता ए प्यार पे मातम करने लगा।
रात के 1 बज रहे थे। । । एकाएक बस मेरे मन में यही ख्याल था कि मुझे बाजी से प्यार है सच्चे दिल का प्यार। फिर बाजी को मेरा प्यार समझना चाहिए। । वह बेशक ही मुझसे प्यार न करें जैसा मैं उनसे करता हूँ पर मुझे एक बार मेरे दिल की बात कहने का मौका तोदें। । ।
मैंने अपने रूम का डोर खोला और बाजी के रूम की ओर बढ़ा। । । बाजी के रूम के पास पहुंच के मैंने उनके कमरे के दरवाजे नोक किया। थोड़ी ही देर में कमरे का दरवाजे खुला और मेरे सामने वही सुंदर चेहरा और हूर बदन खड़ी थी। मुझे देखते ही बाजी ने गुस्से से कहा कि '' क्यों आए हो यहाँ '' लगभग 25 दिन बाद आज बाजी ने मुझसे बात की थी। । । । । । मेरी आंखों में आंसू आ गए और कपकपाती आवाज में बोला कि आप से कुछ बात करनी है। । । । बाजी ने मेरे आँसुओं की परवाह न करते हुए कहा मैंने तुम जैसे घटिया और कमीने आदमी से कोई बात नहीं करनी। दफा हो जाओ यहाँ से। । । और मुझसे अब जीवन भर कभी बात करने की कोशिश मत करना। ।
बाजी मुझे घटिया और कमीना और ज़लील आदमी समझती थी। .क्यों कि उन्होंने मुझे उस रात जिस हालत में अपने साथ देखा था। वह उनके लिए नाक़ाबिले माफी था। । बाजी के सामने जो मेरा इमेज बन गया था वह इसलिए कि बाजी ने एक एंगल से मुझे देखा बाजी को यह तो पता था ही नहीं कि वह मेरी जिंदगी मेरी जान बन चुकी हैं। और मैं यही तो बाजी को बताने आया था। उन्होंने उस दिन की तरह आज भी मुझे कोई मौका नहीं दिया। । । मैं आज एक पक्के इरादे के साथ बाजी के पास आया था कि अगर बाजी ने मुझे कुछ कहने का मौका दिया तो ठीक वरना आज मैं अपने आप को खत्म कर दूंगा। । । वह चाहे मुझसे मेरे जैसा प्यार न करें पर एक बार मेरे दिल का हाल तो सुन ले . । बेशक मेरे प्यार को ठुकरा दें पर मेरे दिल की कहानी तो सुनें । ।
पर आज भी बाजी ने मेरी कोईबात सुने बिना मुझे दफा हो जाने का जब कहा तो मैंने अपनी जेब में हाथ डाला और उसमें से एक ब्लेड निकाला (जब रूम से निकला था तब मैं जेब में अपने साथ ले आया था) और बाजी की आँखों में आँखें डाल के उस ब्लेड से अपने हाथ की नस को काट दिया। । । । । । । । । खून का एक फव्वारा सा मेरे हाथ से अचानक निकला और फिर टिप टिप खून जमीन पे गिरना शुरू हो गया। । । खून इतना निकल चुका था कि मेरी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा। शायद मौत का अंधेरा और फिर ख्यालों में कहीं गिरता जा रहा था। । । । बाजी का जो अंतिम शब्द मेरे कानों से टकराया वह यह था "सलमान यह तुमने क्या कर दिया"
जब मुझे होश आया तो मैं अस्पताल के कमरे में लेटा हुआ था। । । अम्मी, अबू और बाजी मेरे पास ही मौजूद थे। अम्मी अब्बू के चेहरे पे गंभीर परेशानी थी। जब कि बाजी रो रही थी। उनकी हालत सख्त खराब लग रही थी। । । । । मुझे होश में देख अम्मी अब्बू के चेहरे पे खुशी की लहर दौड़ गई जब कि बाजी थी कि चुप ही नहीं हो रही थी। । अम्मी ने आगे बढ़कर मुझे अपने साथ चिपका लिया और रोना शुरू कर दिया। । जब अम्मी चुप हुई तो मुझसे पूछा कि तुमने ये हरकत क्यू की बेटा। । जरा सा नहीं सोचा अपनी इस माँ के बारे में कि तुम्हारे बिना यह कैसे जी पाएगी । हमें हिना ने बताया कि तुम रात को उसके कमरे में गये और उसे यह कहा कि अम्मी अब्बू से कह देना कि अगर मुझे कुछ गलती हो गई हो तो मुझे माफ कर देना और फिर तुमने अपने हाथ की नस काट ली। । बेटा ये क्या बेवकूफी है। ऐसा क्यों किया तुमने। ।
मेंसमझ गया कि दीदी ने मेरे और उनके बीच के मामले को सामने नहीं आने दिया। मैं चूँकि इकलौता बेटा था इसलिए सारे परिवार के लिए बहुत इम्पोर्टेंट भी था। । अबू के मजबूत दिल का मुझे उस दिन अंदाजा हुआ। कि अबू ने अपने अंदर की परेशानी उस दिन भी पता नहीं होने दी
अम्मी ने मुझे कहा कि सलमान देखो न तुम्हारी बहन कैसे रो रही है तुम्हारे लिए। । । कुछ कहती नहीं है। । बस रोये जा रही है। । इतना प्यार करनेवाली बहन को छोड़ तुम कहाँ जा रहे थे। । ।
मैंने बाजी को देखा जो अभी भी रो रही थीं। । । मैंने कहा: बाजी चुप हो जाओ मैं अब ठीक हूँ ना। । ।
पर बाजी ने फिर भी रोना बंद नहीं किया। । । । अम्मी ने भी काफ़ी कोशिश की कि मैं बता दूं कि ऐसा मैं क्यों किया। पर मैं आगे चुप ही रहा। अम्मी ने कहा: बेटा कोई समस्या है तो हमें बताओ हम तुम्हारी उस समस्या का समाधान करेंगे ।
पर मैं सो बात की इक बात बस चुप ही रहा। । ।
जब अम्मी के बहुत पूछने पे भी कुछ न बोला तो अबू आगे बढ़े और अम्मी केशोल्डर पकड़ के दबा दिया। । शायद वह अम्मी को मेरे से ज़्यादा कुछ पूछने के लिए मना कर रहे थे। । । अम्मी ने कहा: अच्छा बाजी तुम्हारे पास ही रहेगी हम लोग जरा घर से हो आएँ और खाने को भी कुछ ले आएं। । हिना ने कब से कुछ खाया ही नहीं। । और ऐसा कह कर अम्मी अब्बू घर चले गए। ।
अम्मी और अब्बू के जाते ही बाजी मेरे पास चेयर पे आके बैठ गई। और मेरा एक हाथ अपने दोनों हाथों में लेकर उस पे अपनी आँखें रख कर रोने लगी। । । इतना रोई कि मेरा हाथ उनके आंसुओं से भीग गया। । । मुझे पता था कि बाजी के यह आंसू अपने भाई के लिए हैं। । न कि अपने भाई के उस प्यार के लिए जो उनका भाई उनसे करता है। मेरा दिल ऊब चुका था अब इस दुनिया से। । और मैं चाहता था कि कुछ ऐसा हो कि मैं मर जाऊं। .क्यों बच गया मरने से। । । । अचानक बाजी ने रोते रोते सिर उठाया और कहा: सलमान ऐसा क्यों किया तुमने। तुम्हें पता है तुम मौत के मुंह से वापस आए हो। ।
मैंने कहा: बाजी अब क्या फायदा पूछने का उस दिन तुम्हारे पास आया था आपको कुछ बताने तब तो आपने सुना नहीं। अब मुझे पे यह प्यार कैसा तरस कैसा? और क्यों? बाजी ने कहा व्यर्थ की बातें मत करो और मुझे बताओ क्यों किया ऐसा। । । अपनी बाजी के आँसू देख के अब मेरा दिल भी धीरे धीरे पिघलना शुरू हो गया। ।
फिर आख़िर थोड़ी देर बाद मेरे दिल में जो भी बाजी के लिए था मैंने उन्हें सब कुछ बता दिया। शरीर के प्यार का भी उन्हें बताया साफ साफ शब्दों में नहीं। बाजी मेरी सारी बात सुनती रहीं और जब मैं चुप हुआ तो तब तक उनका रोना भी बंद हो चुका था। । बाजी ने एक गहरी साँस मी और हल्के से सख्त लहजे में कहा कि सलमान तुम कैसी बात कर रहे होभला भाई बहन कैसे एक दूसरे से प्यार कर सकते हैं। । यह प्यार तो ऐसा प्रेम है जो इस समाज में मौजूद ही नहीं है। तुम बच्चों वाली बात कर रहे हो। । । यह सिर्फ तुम्हारी उम्र का तक़ाज़ा कि इस उम्र में आदमी ऐसी व्यर्थ बातें सोच सकता है। नहीं सलमान ऐसा तो संभव ही नहीं। अपने ही भाई से प्यार। ।
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RE: Muslim Sex Stories मैं बाजी और बहुत कुछ
मेरा एक हाथ पीछे से बाजी की गर्दन मे डला हुआ था और दूसरे हाथ से मैंने बाजी के बाल दुपट्टे के ऊपर से ही पकड़ लिए थे। अब बाजी पे मेरी पकड़ बहुत टाइट थी। । । मैंने अब अपने होंठ बाजी के होंठों पे रखे और बाजी होंठों को चूमना शुरू कर दिया। । बाजी ने हर तरह से कोशिश की कि वह मुझसे अपने आप को छुड़ा लें पर वह नाकाम रहीं। पर फिर भी उन्होंने अपनी यह असफल कोशिश जारी रखी मैं पागलों की तरह बाजी के होठों को चूम रहा था और अब तो अपनी ज़ुबान भी मैंने बाजी होंठों के बीच में डालनी शुरू कर दी थी। पूरी जीब बाजी के होंठों के बीच से गुज़ारता हुआ बाजी के मुंह में डालता। । और मैने अपनी जीब को बाजी की जीब पे फेरता और फिर ऐसे ही करता हुआ वापस अपनी जीब बाजी के मुंह से बाहर निकाल लेता और फिर इसी प्रक्रिया के साथ ही फिर अंदर डाल देता । । ।
मेरा पूरा बदन इस प्रक्रिया में जैसे मस्ती के समुंदर में गोते खा रहा था। । । । काफी देर ऐसा करने के बाद अब मैं फिर बाजी होंठ चूमने चूसने लगा। पर इसके साथ ही कुछ ऐसा हुआ जिससे मेरा रोम रोम झूम उठा। । ।
बाजी ने अचानक मेरे होंठों को अपने सुंदर गुलाबी होठों से पकड़ लिया। और मेरे होठों को चूम लिया। । मेरे सपनों की देवी, मेरा जीवन, मेरा पहला प्यार और उसका मुझे पहला चुंबन। । । उस समय मौत भी आ जाती तो कोई ग़म नहीं था। । । । बाजी के ऐसे करने से मेरी भावनाओं की गर्मी को जो ठंडक मिली इस से मेरे प्यार की तीव्रता जैसे कई गुना और बढ़ गई और मैं बाजी के होंठों को प्यार और चाहत से चूमने और चूसने लगा। । । बाजी भी अब मेरे होंठों पे पलट कर मेरे चुम्बन का जवाब दे रही थीं पर उसके साथ ही बाजी मुझे अपने हाथों से पीछे भी करने की कोशिश कर रही थीं। जिससे यह लग रहा था कि जो हम दोनों बहन भाई के बीच हो रहा है बाजी नहीं चाहती थी कि यह हो। । । मैंने फिर भी अपने हाथों और होठों की पकड़ को ढीला नहीं छोड़ा
ऐसे ही हम दोनों बहन भाई पता नहीं कितनी देर एक दूसरे को चूमते रहे और एक दूसरे की सांसों की गर्मी को एक दूसरे में उतारते रहे। । । ।
किस करते करते मैंने अपने होंठ बाजी के होंठों से उठाए और बाजी के गालों को चूमने लगा। । बाजी का सफेद चेहरा इस प्रक्रिया से गीला हो चुका था। । । बाजी के होठों से होंठ उठाने की देर थी कि बाजी ने हल्की से चीख के साथ कहा सलमान पीछे हटो, ऐसा मत करो मेरे साथ, पर सलमान होश-ओ-हवा में कहां था जो अपनी बाजी की आवाज सुन पाता। । मैंने बाजी की नाक माथा कान को चूमा और फिर अपने एक हाथ जो बाजी की गर्दन के आसपास था उसे वहां से उठाया और बाजी के शोल्डर पे रख दिया। और अपने होंठ बाजी की गर्दन पे जमा दिए। उस दिन मुझे पता चला कि गर्दन लड़की का कितना संवेदनशील बिंदु है। । जैसे ही मैंने अपनी बाजी की सुंदर नरम नाजुक और सफेद गर्दन पे अपने होंठ जमाए। । । बाजी के मुँह से एक सिसकी निकली। । । और बाजी के मुंह से बेइख्तियार निकला सलमान नहीं। । । । । । । ।
बाजी की ये सिसकी एक और ही तरह का जादू गई मेरे पर । । और मैं पागल वार अपनी बाजी की गर्दन को किस करने लगा। । । और बाजी पता नहीं किस जहां में खोई हुई बस यही कहती रही: सलमान नहीं सलमान नहीं सलमान क्या है यह सलमान
सारी दुनिया सोई हुई थी और हम दोनों बहन भाई एक दूसरे में खोेये हुए थे। । । मैं अब बाजी की सुंदर गर्दन को अपने होठों से चूम रहा था और अपनी जीभ भी उस पर फेर रहा था। में बाजी की पूरी गर्दन पे जीब फिरता रहा ऊपर से नीचे तक, फिर नीचे से ऊपर तक। । । और साथ ही जिस हिस्से पे ज़ुबान फेरता उस हिस्से को चूमता भी। मेरी इस प्रक्रिया से बाजी की हालत बुरी से बुरी होती जा रही थी और बाजी की सिसकियों में भी वृद्धि होती जा रही थी और बाजी ने आँखें बंद कर ली थीं। पर अब भी बाजी के नरम नाजुक हाथ मेरे सीने से टकरा रहे थे। इन नरम नाजुक खाथों से बाजी मुझे पीछे करने की कोशिश भी साथसाथ कर रही थीं। । । । । । । ।
बाजी की गर्दन को ऐसे ही चूमते चाटते में अब बाजी के शोल्डर पे पड़े अपने हाथ से बाजी केशोल्डर दबाने लगा। । मेरा प्यार मेरी सपनों की वहशहज़ादी मेरे सामने मेरे अधिकार में थी, भला यह कैसे हो सकता था कि मैं उसके शरीर की इंच इंच को जी भर के प्यार न करता। । । अगर मैं ऐसा नही करता तो प्यार में बेमानी हो जाती । । । मैं तो ऐसा दीवाना था जो शायद यही एक प्यार का उद्देश्य इस दुनिया में ले के आया था। ।
मस्ती और खुमार की स्थिति और जुनून की हालत में डूबे हुए, मेरा हाथ बाजी के शोल्डर को दबा रहा था वह अब धीरे धीरे नीचे की ओर आया और मैंने अपने उस हाथ से बाजी का नरम, मोटा और सख़्त खड़ा मम्मा शर्ट के ऊपर से ही पकड़ लिया और आराम से प्यार से दबाने लगा। । । मेरी बाजी का मम्मा आज मेरे हाथ में था, वह मम्मा जिसे मैंने आज तक छुप छुप कर देखा था, वह मम्मा जिसे आज तक तस्वीर में ही देख कर मैंने मुठ मारी थी, वह मम्मा जिसे छूना एक सपने जैसा लगता था, जी हाँ वही मम्मा आज मेरे हाथ की गिरफ़्त में था और उस मम्मे को मैं दबा रहा था। । । । उसी दिन के अंदर मजे की एक नई दुनिया से परिचित हो चुका था।
में बाजी की गर्दन को वैसे ही चूम चाट रहा था और साथ ही बाजी का मम्मा भी दबा रहा था। । । बाजी किसी और ही दुनिया मेंखोई हुई थी कि अचानक उनके शरीर को एक झटका लगा और साथ ही बाजी ने मेरा हाथ अपने बालों से हटाया और फिर दूसरा हाथ अपने मम्मे से हटाया, फिर दोनों हाथो से मुझे पूरी ताकत के साथ पीछे की ओर धक्का दिया और कहा कि सलमान ये क्या बदतमीज़ी है? ऐसा मत करो। । । पीछे हो। यह सब पाप है, यह गलत है सलमान पीछे हो जाओ। । । बाजी ऐसे ही कितना कुछ बोल गई। और बाजी के धक्के कारण लड़खड़ाते हुए कॉफी कदम पीछे हो गया। । । । । बाजी के चेहरे पे सख्त नाराजगी थी। । । । और बाजी को खो देने के डर से सिर झुकाए कमरे से बाहर चला गया। वैसे भी हम दोनों के बीच एक अंजाना सा छुपे प्यार का सिलसिला चल रहा था, जिसे अब कुछ कह कर खराब नहीं करना चाहता था। । । ।
मैं अपने रूम में आकर बेड पे गिर गया और आज के उस हसीन समय की यादों में खो गया। । । और उन यादों से अपनी आत्मा को सारॉबार करने लगा। । । यह जो कुछ भी हो रहा था सपने जैसा लगता था। । । । बाजी का यूं मुझे किस करना, मेरा बाजी के शरीर को छूना बाजी के अपने होंठों की गर्मी खुद मुझे देना। ।
उस बेरहम को मुझ पे थोड़ा रहम आ चुका था। पर बाजी जिस तरह की लड़की थी उनके लिए इतना सब कुछ कर लेना भी बहुत ज़्यादा था। एक ऐसी लड़की जो हया और सम्मान को अपना सिंगार समझती थी। । आज उसने अपनी इज़्ज़त और हया को अपने छोटेभाई के प्यार और दीवानगी पे लूटाया था।
सुबह जब मैं उठा तो वही रात वाली स्थिति मुझ पे अभी भी वैसे ही छाई हुई थी। । । मैं अब दीवानगी की उस हालत में पहुंच चुका था कि मुझे अब जिंदगी ही एक सपने जैसी लगना शुरू हो गई थी। । । शायद प्यार इतनी मुश्किल के बाद पाने के कारण ये हाल था मेरा। । ।
पर अभी मेरे प्रिय ने मुझे वह विकल्प नहीं दिया था, जो मैं उस से चाहता था। । । मैं चाहता था कि वह भी मुझे ऐसे ही दीवानों की तरह प्यार करे जैसे मैं करता हूँ।
मैं उठा तैयार हुआ और नीचे आ गया। । । नीचे सब उपस्थित थे और अम्मी नाश्ता लगा रही थी। । । नाश्ते के दौरान बाजी ने मुझे बिल्कुल नहीं देखा। । बाजी को हिम्मत करके मैंने कहा कि बाजी ब्रैड देना इधर बाजी ने बिना कोई उत्तर दिए चुपचाप ब्रैड ऐसे पास की कि उनके चेहरे और एक्सपरेशनज़ से मुझे अंदाजा हो गया कि वह मुझसे सख्त नाराज हैं। । अजीब ही प्रेम कहानी थी मेरी। एक पल ऐसा लगता था कि महबूब पे मेरा बस मेरा ही अधिकार है और दूसरे पल ऐसा लगता था कि मेरे महबूब ने तो आज तक मुझे बिल्कुल चाहा ही नहीं। । । । । नाश्ते के बाद मुझे अम्मी ने कहा: बेटा शाम को बाजार चलना है, कुछ खरीदारी करनी है। । । मैं ओके कह के अपने रूम में आ गया। । । दिन गुजरा और शाम आई। । । मैं अम्मी और बाजी को लेकर बाजार में चला गया। । बाजी के चेहरे पे अब भी वही नाराजगी थी। जिसे केवल मैं देख सकता था। । । हम दोनों बहन भाई की तो कोई और ही दुनिया है, इस दुनिया की भाषा को सिर्फ हम दोनों ही समझ सकते थे। । । इस लोगों से भरी दुनिया वाले तो हमें बहन भाई ही समझते . बाजी की यह नाराजगी मुझे अंदर ही अंदर खाए जा रही थी। । । मेरा मन कर रहा था कि बाजी को गले लगा लूँ और उन्हें रो रो के मना लूँ। । । पर मजबूर मरता क्या न करता। । । चुप ही रहा । ।
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RE: Muslim Sex Stories मैं बाजी और बहुत कुछ
बाजार पहुंचने के बाद शॉपिंग के दौरान मुझे पीछे से एक आवाज आई "हाय देख के चलो, कहीं गिर न जाओ" आवाज़ जानी पहचानी थी। । । मैंने मुस्कुरा के पीछे देखा तो साना खड़ी मुस्कुरा रही थी, साथ में उसकी अम्मी भी थी वह भी मुस्कुरा रही थी। । । साना की अम्मी बहुत अच्छे से मुझे जानती थी और साथ में हम दोनों की दोस्ती को भी। । इतनी में मेरी अम्मी और बाजी भी पीछे पलट आई साना की अम्मी और साना से हाय हेल्लो की। । । मैंने मुस्कुराते हुए कहा: यह तुम्हारा फयूरेट स्टाइल है?
साना ने कहा: कौन सा?
मैंने कहा: हमेशा पीछेसे आवाज़ देने वाला। । । साना मेरी बात पे हँस दी।
साना की अम्मी का नाम नीलम था। । आंटी और अम्मी एक दूसरे को मेरी और साना की दोस्ती के कारण जानती तो थी, पर ऐसे फेस टू फेस मुलाकात पहली बार ही कर रही थीं। । आंटी नीलम और अम्मी बातें करने लगे और बाजी उनके साथ ही खड़ी हो गई। मैं और साना बातें करते करते एक साइड पे हो गए। साना आज बहुत प्यारी लग रही थी। पिंक कलर की शर्ट और नीचे व्हाइट कलर की सलवार साना पे बहुत सूट कर रही थी। साना का रंग सफेद था। । आज पता नहीं क्यों मैंने पहली बार साना के शरीर पे एक निगाह डाली। । । साना नशीले रूप के साथ जवान हो रही थी बचपन के साथी होने के बावजूद मैंने साना को पहले कभी ऐसे नहीं देखा था। । अभी भी साना के लिए मेरी निगाह मे इरादा गलत नहीं था पर फिर भी आज उसके शरीर पर एक भरपूर निगाह जरूर डाली थी मैने । जिसकी समझ मुझे खुद नहीं आई कि ऐसा मेरे साथ हुआ क्यों। । शायद प्यार की वजह से आने वाले परिवर्तनों में से एक परिवर्तन यह भी था । ।
साना और मेरे बीच ऐसी दोस्ती थी कि हम एक दूसरे को मुंह पे जो आए कह देते थे। । । मेरे मुंह से निकल गया कि: साना आज बहुत सुंदर लग रही हो। ।
साना के लिए यह बात मेरे मुंह से निकलना बिल्कुल असंभव था। । उसने मुझ पे एक गहरी निगाह डाली। । । जिससे मैं घबरा गया। । और मुझे तब पता चला कि चाहे हम दोनों जितने भी गहरे फ्रेंड्स हैं। पर हम ऐसा तो कभी एक दूसरे को नहीं कहा। मैंने बात कॉलेज की ओर मोड़ दी कि कॉलेज फिर से शुरू हो गया है वग़ैरह वग़ैरह । । मैंने साना से बात करते हुए अम्मी आदि की तरफ देखा तो अम्मी आंटी नीलम से गपशप में लगी थीं, जबकि बाजी मुझे और साना को ही देख रही थी। । बाजी ने ज्यों ही मुझे देखा कि मैं उनकी ओर देख रहा हूँ तो बाजी ने हम पर से नजरें हटा ली। । ।
इतने में अम्मी और आंटी ने बातचीत समाप्त की, और आंटी को कभी घर आने के लिए कहा। । और फिर आंटी और साना चले गए। जाते-जाते मैंने आंटी और साना को पीछे मुड़ के देखा तो उसी समय साना ने भी पीछे मुड़कर देखा साना चेहरे पे मुझे एक साथ बहुत सारे सवाल दिखे। । ।
खरीदारी के बाद हम घर को निकले तो मैं ड्राइविंग करते करते एक मिरर से बाजी को भी साथ साथ देख रहा था। । बाजी कार से बाहर पता नहीं किन विचारों में खोई हुई थी। । । मैंने आज बाजी को मनाना था। हर हाल में हर कीमत पे। । । प्यार के जिस मोड़ पे हम दोनों बहन भाई खड़े थे, इस मोड़ पे बाजी की नाराजगी से मेरी जान निकल रही थी। । ।
रात के 11 बज रहे थे। । । । 12 बजने के इंतजार में अपने रूम में ही चिंता में चल रहा था। । बैठने की कोशिश की पर बैठा नहीं जा रहा था। ख़ैर 12 बजे और मैं अपने कमरे से निकला और बाजी के रूम की ओर बढ़ा। बाजी के रूम का गेट नोक किया। । तो बाजी नेडोर नहीं खोला। । मैंने फिर नोक किया। । पर फिर भी गेट नहीं खुला। । । मैं परेशान हो गया। । । मैं इस बात की उम्मीद बिल्कुल नहीं कर रहा था। । । जो नहीं सोचा था, वही हुआ और काफी देर खड़ा रहने के बाद भी बाजी ने गेट नहीं खोला । ।
मैं निराश और परेशान अपने रूम में वापस पलटा और अपने रूम के दरवाजे पे पहुँच के जैसे ही मैंने अपने रूम काडोर ओपन किया। बाजी ने अपने रूम के दरवाजे को खोला पर सामने नहीं हुई, जस्ट अपनाडोर ओपन किया। । । मैं वापस बाजी के रूम की तरफ बढ़ा और जब बाजी के रूम के दरवाजे के पास पहुंचा तो बाजी अपने बेड पे बैठी अपनी किताब पे सिर झुकाए उसमे गुम थी। । रूम में प्रवेश कर रूम काडोर बंद करने वाला था कि दीदी ने ऊपर देख कहा: इसे ऐसे ही रहने दो। ।
मैं दरवाजा वैसे ही खुलारहने दिया। और चेयर पे आ के बैठ गया। । बाजी ने अपना सिर फिर झुका लिया और बुक को देखते लगी। । काफी देर रूम में ऐसे ही चुप्पी छाई रही। । और मैं चुपचाप इस दौरान बाजी को ही देखता रहा। । । और फिर इस चुप्पी को मेरे सेल पे आने वाली कॉल की आवाज़ ने तोड़ा कॉल की वजह से मई चौंक गया, क्योंकि इस समय मेरे नंबर पे किसी की कॉल नहीं आती थी। मैंने सेल जेब से निकाला और स्क्रीन पे साना का नाम आता देख के हैरान हो गया साना ने कभी मुझे इस समय कॉल नहीं की थी। । फिर आज ऐसा क्यों। मैं हैरान परेशान उसका नाम स्क्रीन पे देखता रहा। अचानक बाजी ने पूछा: किसकी कॉल है। । मैंने कहा: साना की। । बाजी फिर से अपनी बुक पे झुक गई। मेरी जान मेरे लिए कुछ तो बोली इससे मेरे डूबते दिल को कुछ सहारा मिला। । ।
फिर मैंने कॉल अटेंड की। । । साना से नमस्ते कहने के बाद मैंने उससे पूछा कि इस समय कैसे कॉल किया खैरियत है ना? साना ने कहा: बस वैसे ही हैलो हाय के लिए कॉल की थी। । मैंने कहा यह समय है हेलो हाय का। । । मेरे स्वर में हल्का सा गुस्सा था। । । क्योंकि इस समय में अपने प्यार के पास बैठा था। और इस समय की डिस्टरबेंस मुझे अच्छी नहीं लगी थी। । । साना ने अचानक कॉल काट दी। । शायद मैंने थोड़ा गुस्से में उससे बात कर दी। । मुझे इस समय साना की नाराजगी से कुछ खास लेना देना नहीं था। । ।
सेल जेब में रखने के बाद मैंने बाजी को देखा तो बाजी वैसे ही सिर झुकाए बैठी थी। । पर अब उनके फेस पर एक्सपरेशनज़ बहुत अजीब सेथे। जिन्हें मैं कम से कम इस समय समझ नहीं पाया। । बाजी थी कि मेरी ओर देख ही नहीं रही थी। अब मेरी सहनशक्ति जवाब दे चुकी थी। मैं उठा और बाजी के पास आ खड़ा हो गया। और बाजी के एक गाल पे हाथ रख दिया। । । बाजी ने मेरे हाथ को पीछे किया और उठ कर खड़ी हो गई और अपने बाथरूम में चली गई और बाथरूम के दरवाजे को बंद कर दिया। । । मैं अंदर से जैसे कट रह गया। । ।
क्या बाजी अब जल्दी बाहर आएंगी? क्या बाजी मुझे सख्त नाराजगी की वजह से मुझे ऐसे इग्नोर कर रही हैं ताकि रूम से चला जाऊं? ऐसे ही कितने सवाल मेरे दिमाग में एक ही समय में घूमे मैं बहुत देर वहीं खड़ा बाजी का वेट करता रहा पर बाजी बाहर नहीं आई। । अब मुझे पक्का यकीन होता जा रहा था कि बाजी चाहती हों कि मैं कमरे में चला जाऊं। इसीलिए तो इस हद तक इग्नोर कर रही हैं। ।
मैं इन्ही विचार और सवालों में उलझा हुआ था कि मेरे सेल पे किसी का मेस्सेज आया। । । मुझे पता था कि साना ने गुस्से में किया होगा। जब मेस्सेज ओपन करके चेक किया तो ये मेस्सेज बाजी का था। । । मैं हैरान हो गया कि बाजी तो बाथरूम में हैं तो वहाँ से मेस्सेज की क्या जरूरत है। मैसेज में लिखा था: साना तुम्हें क्यों कॉल करती है? उसका तुम से क्या रिश्ता है?
मैं पहले तोसमझ नहीं पाया। फिर ज्यों ही समझा एक मुस्कान मेरे चेहरे पे आ गई। । । तो यह बात है। बाजी मेरे और साना के बीच दोस्ती से आगे कुछ और ही समझना शुरू हो गई थीं। । । बाजी के अंदर की लड़की जाग चुकी थी। गलतफहमी पे ही सही पर जागी जरूर थी। । और भड़क भी गई थी। । । बाजी बाजार में भी तो मुझे और साना को ही देख रही थी। । । । और धीरे धीरे मुझे जबाब मिलते जा रहे थे । । पर अब मुझे बाजी को समझा ना था कि ऐसा कुछ नहीं है। इतनी मुश्किल से उन्हें पा के अब एक गलतफहमी की वजह से खो नहीं सकता था।
पर बाजी के इस सवाल से मैंने यह भी सोचा जरूर कि साना ने मुझे फोन किया क्यों। वैसे तो कभी उसने मुझे इस समय कॉल नहीं की। खैर मैंने साना वाले टॉपिक को बाद पे छोड़ा और बाजी के मैसेज का रिप्लाई किया कि: साना मेरी दोस्त है इससे ज़्यादा और कुछ नहीं। आप जानती हैं कि आप से बढ़ कर मेरे लिए और कोई नहीं। । एक बार आपको अपने प्यार का सबूत दे चुका हूँ अगर कहें तो एक बार और दे दूं ? ? (मैंने अपना हाथ काटने वाली बात का ज़िक्र करते हुए) मैसेज सेंड किया कुछ सेकंड भीनहीं हुए थे कि बाथरूम काडोर खुला और बाजी अपने ड्रेसिंग रूम से होती हुई तेजी से बाहर आई और आते ही मुझे एक थप्पड़ दे मारा। । बाजी का चेहरा गुस्से से लाल हुआ जा रहा था और उनके गाल बेहद गुस्से की वजह से कांप भी रहे थे। । उन्होंने मुझे कहा कि: आज के बाद ऐसा सोचा भी ना तो मैं तुम्हारी जान ले लूँगी।
मेरे मरने की बात से मेरी बहन को इतना गुस्सा आ जाना, मुझे बहुत अच्छा लगा, इतना अच्छा कि बाजी का थप्पड़ ही भूल गया और आगे बढ़ कर बाजी को गले लगा लिया। । । । मैंने बाजी को दोनों बाजुओं के घेरे में लिया हुआ था। जबकि बाजी के दोनों हाथ ढीले से नीचे ही रहे। । । बाजी ने मुझे पीछे नहीं किया। काफी देर गले लगा केरखने के बाद मैंने अपना चेहरा बाजी के शोल्डर से उठाया और बाजी के चेहरे की ओर देखा। । । मेरे इतने पास से देखने पे बाजी घबरा गई। । और उन्होंने आंखें बंद कर ली। । मैंने अपने होंठ बाजी के होंठों पे रखे और उन्हें चूमने लगा। । । कुछ देर बाजी ने मुझे रिटर्न में किस नहीं किया। पर कुछ ही देर बाद बाजी ने मेरे होंठों को अपने नरम होठों से पकड़ा और मेरे होंठों को चूमने लगी। । । अजीब सा करंट था बाजी की किस पर। । मेरे पूरे शरीर को हिला के रख देती थी बाजी की ये चुम्मि । । ।
बाजी के किस मिलते ही जैसे मेरे दीवानेपन की बेटरी फुल चार्ज हो गई। । । मैंने किस करते हुए बाजी के मुँह में अपनी जीब घुसा दी। । और बाजी की जीब के साथ टच करने लगा। । बाजीने भी मेरी जीभ को अपनी जीभ से स्पर्श किया। । अब हम दोनों बहन भाई एक साथ ज़ुबान मिला रहे थे। । मैंने आहिस्ता आहिस्ता अपनी जीभ को बाहर निकालना शुरू कर दिया। । बाजी की जीब मेरी जीब का पीछा करते करते बाहर आ रही थी। । । जब मैंने अपनी जीब बाजी के मुँह और होठों से होते हुए पूरी बाहर निकाल ली तो बाजी की जीब उनके मुंह से बाहर आ चुकी थी और लेफ्ट राइट लेफ्ट राइट हरकत कर रही थी शायद वह मेरी जीब की खोज में थी। । मैंने बाजी की बाहर निकली जीब को अपने मुंह में ले लिया और उसे चूसने लगा। में बाजी की जीब को पूरा मुंह में जब लेता तो साथ ही अपने होंठ बाजी के होठों से स्पर्श करता और अपनी जीब बाजी के ऊपर वाले होंठ पे फिराता और फिर अपनी जीब बाजी की जीब पे लेटा देता और अपनी जीभ को उनकी जीब से रगड़ता और अपने होंठों से उनकी जीब को चूसता। । । ।
पता नहीं कितनी देर हम बहन भाई शरीर को मस्ती के समुंदर में डुबो देने वाली वेट किसिंग करते रहे। ।
एक पल को मैंने आँखें खोल के बाजी के चेहरे पे नज़र दौड़ाई तो बाजी का चेहरा गुलाबी गुलाबी हो चुका था और बाजी आंखें बंद किए कहीं खो चुकी थी। । । अब बाजी के मुँह में मैंने जीब दी तो बाजी ने भी वैसा ही किया जैसे मैंने उनकी जीब के साथ किया था। । । । फिर मैंने अपने होंठों को पीछे करके बाजी के पूरे चेहरे को चूमा। । । बाजी के चेहरे को इंच इंच चूमने के बाद, मैंने अपने होंठ बाजी की गर्दन पे जमा लिए। । और पागलों की तरह बाजी की गर्दन को चूमने चाटने लगा। । गर्दन पे किस करने से बाजी को मैंने मस्ती के नशे में जाते देखा था। । इसलिए मैंने कल की तरह बाजी को फिर दीवार से लगा दिया और एक हाथ में बाजी के बाल पकड़ लिए और दूसरे हाथ को बाजी की कमर के चारों ओर घुमा लिया। और बाजी की गर्दन को चूमने चाटने लगा। ऐसा करने से बाजी की साँसें बहुत तेज होने लगीं और जितनी बाजी सांसें तेज लेती इतना ही में और बहकता जाता।
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