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desiaks
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RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
उर्मिला की इस बात पर तीनो जोर-जोर से हंसने लगती है. फिर खुशबू आगे कहती है.
खुशबू : क्या बताऊँ भाभी. भैया तो हमेशा ही मेरी बूर चोदने के चक्कर में रहते है. माँ को हर वक़्त किसी ना किसी बहाने से यहाँ-वहां ३-४ दिनों के लिए भेज देते है और फिर मेरी खूब बूर चुदाई करते है.
खुशबू की बात सुन कर उर्मिला और पायल की आँखे बड़ी और मुहँ खुला का खुला रह जाता है.
पायल : बापरे खुशबू...!! और जब माँ घर पर होती है तब क्या करते है तेरे भैया?
खुशबू : रात में जब माँ सो जाती है तो भैया देर रात कमरे में आ कर मुझे चुपके से जगा देते है और मुझे बाहर ले आते है. फिर कभी रसोई में तो कभी बाथरूम में तो कभी सोफे के पीछे मेरी पटक-पटक के लेते है.
उर्मिला : उफ़ खुशबू...!! तू अपने भैया का पूरा लेती है क्या?
खुशबू : हाँ भाभी...पहले तकलीफ होती थी पर अब तो भैया जब पूरा घुसा देते है तो बड़ा मजा आता है.
उर्मिला : तो क्या तेरे भैया आज तुझे ३ बजे इसलिए घर आने कह रहे थे की तेरी चुदाई कर सके?
खुशबू : हाँ भाभी. आज ६ बजे माँ आ जाएगी. तो भैया माँ के आने से पहले मुझे २-३ घंटे अच्छे से चोदेंगे.
उर्मिला : हाय खुशबू..!! तेरी बात सुन कर तो बदन में गर्मी चढ़ गई. लगता है घर जा कर बाबूजी के लंड से ही आग बुझानी पड़ेगी.
खुशबू : पायल दीदी आप भी पापा के लंड से अपनी बूर की आग बुझाओगे ना?
उर्मिला : नहीं रे खुशबू. इसकी तो अभी सील भी नही टूटी है. बेचारी कब से अपने पापा से सील तुड़वाने के चक्कर में है.
खुशबू : सच पायल दीदी? आपकी जवानी अब भी सील पैक है?
पायल : हाँ खुशबू. एक बार पापा ने कोशिश की थी लेकिन मुझे दर्द हुआ तो उन्होंने छोड़ दिया.
खुशबू : हाँ पायल दीदी. पहली बार तो थोडा दर्द होता ही है पर एक बार सील टूट गई और लंड अन्दर चला गया तो मजा भी बहुत आता है.
उर्मिला : मैं भी तो कब से इसे येही समझा रही हूँ.
पायल : भाभी अब तो मैं भी पापा का लंड अपनी बूर में लेने के लिए तड़प रही हूँ. आप करिए ना कोई उपाय.
उर्मिला : हाँ बाबा करती हूँ कुछ. अच्छा खुशबू तू मुझे और पायल को अपना नंबर दे दे. जब बात करनी हो तो हम एक दुसरे को कॉल कर लिया करेंगे.
खुशबू भी ख़ुशी-ख़ुशी अपना नंबर दे देती है. तभी खाना भी आ जाता है और तीनो बातें करते हुए खाने लगते है. खाना ख़तम कर के तीनो होटल से बाहर आते है और एक ऑटोरिक्शा में बैठ कर खुशबू के बताये पते पर जाने लगते है. ऑटोरिक्शा में बैठे हुए पायल खुशबू को देखती है. उसकी १८ साली की जवानी जो वो हर रोज अपने भैया से खुल कर लुटवाती है, पायल को अपने पापा से चुदने की प्रेरणा दे रही थी. वो खुशबू को अब अपनी एक पक्की सहेली के रूप में देख रही थी. उर्मिला भी पायल के दिल की बात भांप लेती है. पायल को एक नयी और अच्छी सहेली मिल जाने पर उर्मिला भी बहुत खुश होती है.
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RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
उर्मिला पायल को ले कर छेदी के घर के पास पहुँच जाती है. पायल कुछ बोलने जाती है तो उर्मिला उसे चुप रहने का इशारा करती है. एक नज़र यहाँ-वहाँ देखने के बाद उर्मिला छेदी के घर और पड़ोस के घर के बीच की एकदम छोटी सी जगह में घुसने लगती है. वहां एक फ्रिज के बड़े से खोखे के पीछे जा कर उर्मिला पायल को आने का इशारा करती है. पायल भी धीरे से उस खोखे के पीछे चली जाती है. उर्मिला धीरे से छेदी के घर की खिड़की से अन्दर झांकती है. फिर वो पायल को भी अन्दर झाँकने का इशारा करती है. पायल भी खिड़की से अन्दर देखती है तो उसे छेदी सोफे पर बैठा दिखाई पड़ता है. सामने खुशबू चाय के कप धो रही है. ये खिड़की घर के रसोई की थी. रसोई घर के बड़े कमरे से लगी हुई थी. रसोई की खिड़की से कमरे का एक बड़ा हिस्सा साफ़-साफ दिखाई दे रहा था.
कप धो कर खुशबू अन्दर वाले कमरे में जाते हुए छेदी से कहती है.
खुशबू : भैया मैं कपडे बदल कर आती हूँ.
खुशबू के जाते ही उर्मिला और पायल की नज़रे छेदी पर टिक जाती है. वो देखते है की कुछ देर छेदी सोफे पर बैठा अपने फ़ोन में कुछ देख रहा है. फिर अचानक से वो आगे झुक कर अन्दर वाले कमरे में देखता है. उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वो फ़ोन टेबल पर रह कर अन्दर वाले कमरे में चले जाता है. उसके कमरे में जाते ही, उर्मिला और पायल को खुशबू के हंसने और हँसते हुए धीरे-धीरे चिल्लाने की आवाज़े आने लगती है. दोनों ध्यान लगा कर सुनती है तो खुशबू कह रही है, "ही ही ही ही ...छोड़िये ना भैया...आप बहुत गंदे हो". दोनों को समझने में देर नहीं लगती की छेदी अपने काम में लग गया है. दोनों एक दुसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा देती है. जैसे ही उर्मिला और पायल अपने कान खिड़की पर लगाने के लिए होते है, सामने खुशबू दौड़ती हुई अन्दर के कमरे से बाहर आती है. उसके बदन पर एक भी कपडा नहीं है और वो पूरी नंगी है. दौड़ने से उसके मोटे-मोटे दूध उच्छल रहे है. हँसते हुए वो सामने वाले कमरे में आती है. उसके पीछे छेदी भी बिना कपड़ो के दौड़ता हुआ बाहर आता है. उसका १० इंच लम्बा और ३ इंच मोटा लंड दौड़ने से झटका खाता हुआ उच्छल रहा है. छेदी खुशबू को पीछे से पकड़ लेता है. दोनों हाथों को उसके सीने पर ले जा कर वो उसके मोटे दूध दोबोच लेता है. खुशबू की नंगी पीठ और पिछवाड़ा छेदी के सीने और लंड पर चिपक जाते है. खुशबू के मोटे दूध को दबाते हुए छेदी पीछे से खुशबू के पिछवाड़े पर ५-६ जोरदार ठाप मार देता है. हर ठाप पर खुशबू की कमर आगे की और हो जाती है. खुशबू हँसते हुए छेदी से कहती है.
खुशबू : छोड़िये ना भैया...
खुशबू की बात पर छेदी उसे छोड़ देता है और कहता है.
छेदी : ले छोड़ दिया. अब दोनों हाथों को उठा कर खड़े हो जा.
खुशबू अपने दोनों हाथों को उठा कर खड़ी हो जाती है. बगलों के निचे और जाँघों के बीच घने बाल है. छेदी कुछ क्षण अपनी बहन को ऊपर से निचे तक देखता है फिर अपनी नाक उसकी बगलों में लगा कर सूंघने लगता है. खुशबू ये देख कर कहती है.
खुशबू : भैया...!! बाहर बहुत गर्मी थी. पसीने से सारा बदन भीग गया था. आप ऐसे मत सुंघिये. पसीने की गंद आ रही होगी.
छेदी पायल की दोनों बगलों में नाक लगा कर सूंघते हुए कहता है.
छेदी : मेरी बहन की पसीने की गंध के आगे तो दुनिया के बेहतरीन इत्र भी फ़ैल है. सूंघने दे जरा अपने पसीने की गंद.
खुशबू भी मजे से छेदी को पाने पसीने की गंध सूंघने देती है. छेदी खुशबू की दोनों बगलों, दूध, पेट और फिर जांघो के बीच अपनी नाक लगा कर अच्छे से उसकी पसीने की गंध सुन्घ्ता है. फिर खुशबू के पीछे जा कर उसकी चूतड़ों को फैलाकर नाक घुसा देता है और पिछवाड़े की भी गंध सुन्घ्ता है. अच्छी तरह से गंध सूंघने के बाद छेदी नशे में झूमते हुए किसी शराबी की तरह खुशबू का हाथ पकड़ता है और उसे सोफे पर पटक देता है. सोफे पर गिरते ही खुशबू सीधा लेते हुए मुस्कुरा देती है. छेदी उसके पैरो के पास आता है और उसकी दोनों टाँगे घुटनों से मोड़ कर खुशबू के सीने पर लगा देता है. निचे जांघो के बीच खुशबू की बूर फूल कर फ़ैल गई है. एक पैर सोफे पर रख कर अपने दुसरे पैर को घुटने से मोड़े हुए छेदी अपने मोटे लंड को खुशबू की बूर के मुहँ पर रखता है. कमर निचे करते ही उसका मोटा लंड खुशबू की बूर को फैलाता हुआ अन्दर जाने लगता है. निचे सोफे पर लेती खुशबू की आँखे बंद हो जाती है और चेहरे पर हलके से दर्द और आनंद के भाव आ जाते है.
उर्मिला और पायल ये नज़ारा खिड़की से आँखे फाड़े देख रहे थे. भाई-बहन का ये मिलन देख कर दोनों की बूर में पानी आने लगा था. एक दिसरे को हैरानी से देख कर दोनों फिर से अन्दर झाँकने लगती है.
अन्दर छेदी अपने मोटे लंड को खुशबू की बूर में पूरा भर चूका था. अपनी कमर को ऊपर निचे करते हुए वो खुशबू की बूर छोड़ रहा था. वो अपनी कमर खुशबू की जांघो के बीच इतनी जोर से पटक रहा था की जब लंड की ठाप बूर पर पड़ती तो खुशबू की बूर से पानी के कुछ छींटे उड़ जाते. ३०-४० जोर दार ठाप मारने के बाद छेदी अपना लंड खुशबू की बूर से बाहर निकालता है. वो खुशबू का हाथ पकड़ कर उसे खड़ा करता है और फिर उसके पीछे जा कर उसे गोद में उठा लेता है. खुशबू की जाँघों को निचे से पकडे हुए छेदी उसे ऊपर उठता है. खुशबू की पीछे हो कर छेदी के सीने पर अपनी पीठ चिपका लेती है. खुशबू को ऊपर उठा कर छेदी अपना मोटा लंड उसकी बूर में निचे से ठूँस देता है. लंड के अन्दर जाते ही खुशबू छेदी के लंड की सवारी करते हुए उच्छालने लगती है.
खुशबू का चेहरा रसोई की खिड़की की रताफ है. उर्मिला और पायल छेदी के मोटे लंड को खुशबू की बूर में अन्दर-बाहर होता साफ़-साफ़ देख पा रहे थे. दोनों को यकीन नहीं हो रहा था की इतना मोटा लंड खुशबू अपनी बूर में ले कैसे रही है. छेदी निचे से ठाप पर ठाप मारे जा रहा था. अब पायल की हालत खराब हो चुकी थी. वो एक हाथ अपनी टॉप के निचे से अन्दर डाल कर एक निप्पल को मसलने लगती है. उर्मिला जब ये देखती है तो वो समझ जाती है की पूरी तरह से गरमा गई है.
उर्मिला : (धीमी आवाज़ में) क्या हुआ पायल ?
पायल : (धीमी आवाज़ में) आह..!! भाभी...!! प्लीज मुझे पापा का लंड दिलवा दीजिये.
उर्मिला : (धीमी आवाज़ में) तेरे पापा तो लंड पकड़ के तैयार बैठे है. तू ही तो नखरे करते रहती है.
पायल : (धीमी आवाज़ में) नहीं करुँगी भाभी. सारा दर्द सह लुंगी, बस आप किसी भी तरह से पापा का लंड दिलवा दीजिये.
उर्मिला : (धीमी आवाज़ में) अच्छा चल अब यहाँ से. ये दोनों की चुदाई देखने में रह गए तो घर जाने में देरी हो जाएगी. ये तो ३-४ घंटे जम के चुदाई करने वाले है.
एक बार खिड़की के अन्दर छेदी और खुशबू की चुदाईदेख कर उर्मिला और पायल धीरे से बाहर निकलते है. चलते हुए दोनों गली से बाहर निकल जाती है और एक बंद दूकान के पास खड़ी हो जाती है. पायल पसीना-पसीना हो चुकी थी. उसकी साँसे तेज़ थी और सांसो से उसके मोटे दूध ऊपर-निचे हो रहे थे.
पायल : भाभी प्लीज. मुझे पापा का लंड चाहिए.
उर्मिला : देख पायल. सबके घर में होते हुए तो मुश्किल है. लंड डालते वक़्त तूने चिल्ला दिया तो सब पकडे जायेंगे. जब घर में कोई नहीं होगा तब ही ये हो पायेगा.
पायल : भाभी मुझसे नहीं रहा जा रहा. प्लीज कुछ करीये ना.
उर्मिला : (कुछ देर सोचने के बाद) देख पायल मैं कुछ जुगाड़ कर भी दूँ पर फिर तेरे नखरे शुरू हो गये तो?
पायल एक हाथ से अपना गला छुते हुए कहती है.
पायल : कोई नखरा नहीं करुँगी भाभी. गॉड प्रॉमिस...!!
उर्मिला : पक्का...!!
पायल : हाँ भाभी....एक दम पक्का...!!
उर्मिला : चल ठीक है. रुक मुझे एक फ़ोन करने दे.
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RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
उर्मिला रमेश को देखते हुए धीरे से अपनी एक ऊँगली दुसरे हाथ की उँगलियों के टाइट छल्ले में डालने की कोशिश करती है तो रमेश समझ जाते है की वो पायल की बूर बहुत टाइट होने का इशारा कर रही है. रमेश भी अपनी एक ऊँगली दुसरे हाथ की उँगलियों के टाइट छल्ले में घुसाने की कोशिश करते है और जोर लगा कर घुसा देते है फिर ३-४ बार जोर-जोर से अन्दर-बाहर कर देते है. उर्मिला भी बाबूजी का पायल की सील तोड़ के उसकी जम के बूर चुदाई करने का इशारा समझ जाती है. दोनों एक दुसरे को देख कर हँसते है और फिर उर्मिला बाबूजी से विदा ले कर स्टेशन के अन्दर जाने लगती है.
उधर पायल काफी देर से बैचैन हो कर पापा के आने का इंतज़ार कर रही है. पापा आयेंगे तो क्या करेंगे ये सोच कर उसकी धड़कने बार-बार तेज़ हो जा रही है. वैसे तो पायल पापा के साथ कई बार मस्ती कर चुकी थी पर ना जाने क्यूँ आज किसी के न होने पर भी उसका दिल घबरा रहा था. उसके अन्दर की बेशर्मी न जाने कहाँ चली गई थी. पापा के आने के खयाल से ही वो शर्मा जा रही थी. सोफे पर बैठे हुए उसकी नज़रे हर गुजरती गाड़ी को आशा भरी नज़रों से देखने लगती. तभी एक गाड़ी की आवाज़ से उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. वो झट से खिड़की से झांक कर देखती है तो पापा की गाड़ी गेट के अन्दर घुस रही है. उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता है.
रमेश गाड़ी से उअतर कर गेट बंद करते है और दरवाज़े के पास आते है. वो जैसे हे दरवाज़े की घंटी बजने के लिए हाथ उठाते है, दरवाज़ा खुलता है और सामने पायल शर्माते हुए खड़ी है. पायल को देख कर रमेश के चेहरे पर भी मुस्काम आ जाती है. वो अन्दर आते है और दरवाज़ा अन्दर से बंद कर देते है. अपने हाथ की दोनों पन्नी टेबल पर रख कर वो सोफे पर बैठ जाते है. पायल दौड़ कर रसोई में जाती है और एक गिलास में ठंडा पानी ला कर रमेश को देती है.
पायल : पापा...! पानी पी लीजिये...
रमेश गिलास लेते हुए पायल की ऊपर से निचे घुर कर देखते है. पापा की इस खा जाने वाली नज़र से पायल शर्म से लाल हो जाती है.
रमेश : पायल बेटी. अब तो २ दिनों तक घर में सिर्फ हम दोनों अकेले है. बहुत दिनों से मैंने अपनी प्यारी बिटिया के साथ वक़्त नहीं बिताया. अब पूरे २ दिनों तक मैं अपनी पायल के साथ ही रहूँगा. ना कोई कसरत, ना कोई टहलना. सिर्फ मैं और मेरी पायल बिटिया. ठीक है ना बेटी?
रमेश की बात सुन कर पायल शर्मा जाती है. अपनी नज़रे झुका कर शर्माते हुए पायल कहती है.
पायल : हाँ पापा. ठीक है. अब २ दिनों तक में भी टीवी नहीं देखूंगी और पढ़ाई भी नहीं करुँगी. सिर्फ अपने पापा के साथ ही रहूंगी.
दोनों एक दुसरे की तरफ देखते है. दोनों की आँखों में प्यार के साथ-साथ हवस भी दिखाई पड़ रही थी. कुछ देर वैसे ही नज़रों से बातें करने के बाद रमेश खड़े होते है.
रमेश : अच्छा पायल ये तुम्हारी भाभी ने कुछ तुम्हारा सामान दिया था, देख लो. मैं कपडे बदल के आता हूँ. फिर दोनों बाप-बेटी अराम से बातें करेंगे. अब तो २ दिनों तक कोई रोकने-टोकने वाला भी नहीं है.
पायल : (मुस्कुराते हुए) जी पापा..
रमेश के जाते ही पायल टेबल पर रखी एक पन्नी खोल कर देखती है तो उसमे माला-डी की गोलियां है. वो देखते ही पायल थोड़ी शर्मा जाती है और भाभी को याद कर के वो मुस्कुरा देती है. तभी उसकी नज़र दुसरी पन्नी पर पड़ती है. उत्सुकता से वो उस पन्नी में हाथ डालकर उसमे रखी एक शीशी बाहर निकालती है. जैसे ही उसकी नज़र उस शीशी पर पड़ती है तो उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है. शीशी पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था - 'शीलाजीत - एक्स्ट्रा पॉवर'.
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RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
अपडेट २९ :
शीलाजीत की शीशी वापस पन्नी में रख कर पायल सोफे पर बैठ जाती है. उसका दिल अब भी तेज़ी से धड़क रहा था. वो जानती थी की शीलाजीत के बहुत से आयुर्वेदिक फायेदे है पर वो ये बात भी अच्छे से जानती थी की इसका इस्तेमाल संभोग की क्षमता को बढ़ाने के लिए भी किया जाता है. पन्नी में रखी वो शीशी संभोग की क्षमता को कई गुना बढ़ाने वाली शीलाजीत की ही थी. पायल के अन्दर डर के साथ-साथ उत्तेजना भी थी. डर, की जब पापा शीलेजीत खायेंगे तो उनके पहले से ही गधे जैसे लंड का क्या हाल होगा. उत्तेजना, की जब उस भीमकाय लंड से पापा उसकी चुदाई करेंगे तो जो आनंद और संतुस्टी उसे मिलेगी वो अकल्पनीय होगी. इसी डर और उत्तेजना में संतुलन बनाते हुए पायल अपने कमरे की ओर चल देती है. कमरे में पहुँच कर कुर्सी पर रखे टॉवेल को गले में डाले वो ड्राइंग रूम से होते हुए बाथरूम की ओर जाने लगती है.
अपने ख्यालों में खोई पायल जैसे ही बाथरूम के दरवाज़े पर पहुँचती है, उसे पापा की आवाज़ सुनाई देती है.
रमेश : कहाँ जा रही हो पायल बेटी?
पायल घूम कर देखती है तो थोड़ी दूर पर पापा खड़े है. बिना कुर्ते के, निचे एक पतली सी लुंगी लपेटे हुए वो पायल को घुर रहे थे. इतने सालों में पायल ने पापा को कभी भी बिना कुर्ते के नहीं देखा था. धोती के अलावा वो कुछ और पहनते भी नहीं थे. आज उनको इस तरह से देख कर उसे आश्चर्य भी हो रहा था और ख़ुशी भी. अपने पापा को मुस्कुराकर देखते हुए वो कहती है.
पायल : कुछ नहीं पापा, नहाने जा रही हूँ. आज धुप बहुत थी तो बदन पसीने से भर गया था.
पायल की बात सुन कर रमेश धीरे-धीरे चलते हुए उसके करीब आते है. अपना हाथ उसके गालों पर रख कर सहलाते हुए कहते है.
रमेश : अरे मेरी गुड़िया रानी. नाहा कर अपने पापा को साबुन की खुशबू सुन्घायेगी क्या? साबुन की खुशबू क्या मेरी बेटी के बदन की खुशबू से ज्यादा अच्छी है? नहाने की कोई जरुरत नहीं है.
पापा की बात सुन कर पायल भी शर्मा जाती है. वो इस बात को भूल ही गई थी की उसके बदन की खुशबू से पापा पागल हो जाते है. वो मुस्कुराते हुए कहती है.
पायल : सॉरी पापा. अब मैं २ दिन बिना नहाये ही रहूंगी.
रमेश : (पायल के सर पर हाथ फेरते हुए) शाबाश मेरी बिटिया...!! चल..अब ये टॉवेल रख कर मेरे पास सोफे पर आजा.
पायल टॉवेल पास की कुर्सी पर रख देती है. रमेश भी सोफे पर अराम से बैठ जाते है. टॉवेल रख कर पायल भी उनके पास आ कर बैठ जाती है. रमेश पायल के बदन को निहारते हुए अपने हाथ से उसके घने बालों को कान के पीछे करते हुए कहते है.
रमेश : पायल बेटी, तुम कितनी सुन्दर हो. दूध सी गोरी और तुम्हारा बदन भी किसी संगेमरमर की मूरत जैसा है. सही जगहों पर भरा हुआ, आकर्षित उठाव और किसी स्वर्ग की अप्सरा जैसा आकार. तुम्हे अपनी बेटी के रूप में पाकर मैं तो धन्य हो गया.
रमेश की बातों से पायल के दिल में हलचल मचने लगती है. यूँ तो उसकी सुन्दरता और मदहोश कर देने वाले शरीर की तारीफ वो पहले भी कई बार जाने-अनजाने लोगों से सुन चुकी थी पर आज अपने ही पापा के मुहँ से ये बातें सुन कर उसके अन्दर एक अजीब सी गर्मी पैदा हो गई थी. उस गर्मी से उसे पसीना तो आ रहा था पर वो पसीना उसके माथे पर नहीं बल्कि उसकी जांघो के बीच में बह रहा था. तेज़ सांसों से वो पापा से कहती है.
पायल : थैंक यू पापा. मेरी कॉलेज की सहेलियां भी कहती है की पायल तेरे बदन पर हर तरह के कपडे अच्छे लगते है, चाहे तो कुछ भी पहन ले.
रमेश : तेरी सहेलियाँ बिलकुल ठीक कहती है पायल. तेरे बदन पर तो हर तरह के कपडे अच्छे लगेंगे. पर फिर भी तू ये टॉप और लम्बी स्कर्ट ही पहन कर रहती है.
पायल : मम्मी के डर से पापा. आप तो जानते हैं ना मम्मी को. वो मुझे मन चाहे कपडे पहनने ही नहीं देती.
रमेश : जानता हूँ पायल. इसलिए तो मैंने तुझे कह रखा है की जब मम्मी घर पर ना हो तो जो चाहे वो कपडे पहन लिया कर. अब देख, तेरी मम्मी तो २ दिनों के लिए नहीं है. अब तो तू अपने मन चाहे कपडे पहन सकती है ना?
पायल : (शर्माते हुए) हाँ पापा. अब मम्मी नहीं है तो मैं जो चाहे वो पहन सकती हूँ.
रमेश : तो जा बेटी. एक अच्छी सी ड्रेस पहन ले.
पायल मुस्कुरा कर एक बार पापा को देखती है फिर अपनी चुतड हिलाते हुए अपने कमरे में जाने लगती है. सोफे पर बैठा रमेश अपनी बेटी की मटकती हुई चुतड को देख कर बड़ा खुश होता है. कई दिनों के बाद आज उसे अपनी बेटी की जवानी लूटने का मौका मिला था. वो अपनी धोती में हाथ डाल कर अपने मोटे लंड को एक बार जोर से मसल देते हैं.
सोफे पर बैठे रमेश पायल का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार कर रहे है. उनका ध्यान बार-बार पायल के कमरे की तरफ जा रहा था. वो सोच रहे थे की पायल क्या पहन कर आने वाली है. उनकी नज़र टेबल पर रखी शीलाजीत की शीशी पर जाती है. वो मन हे मन सोचते है की आज तो शीलाजीत खा कर पुरे जोश में पायल की चुदाई करूँगा की तभी उनके कानो में पायल की आवाज़ पड़ती है. " मैं कैसी लग रही हूँ पापा...?"
रमेश झट से सर उठा कर देखते है तो रसोई के पास पायल खड़ी है. पायल ने एक बिना बाह की लाल रंग की छोटी सी नाईटी पहन रखी है. नाईटी का गला काफी बड़ा और गहरा होने की वजह से उसके आधे दूध उठ के दिख रहे थे. गोर-गोर बड़े दूध और बीच में लम्बी गहराई. देखने से हे पता चल रहा था की पायल ने अन्दर ब्रा नहीं पहनी है और उसके दोनों निप्पल मात्र नाम के वास्ते ढके हुए थे. नाईटी को थोडा सा निचे खींच दो तो मानो अभी दिखाई देने लगेंगे. नाईटी की लम्बाई भी बहुत ज्यादा नहीं थी. कमर से बस थोड़ी निचे. सोफे पर बैठे रमेश को नाईटी के निचे से पायल की पैन्टी साफ़ दिखाई पड़ रही थी. अपनी बेटी को इस रूप में देख कर रमेश का लंड धोती में तांडव करने लगता है. रमेश एक बार खड़े होते है और अपनी धोती में लंड को ठीक करते हुए कहते है.
रमेश : बहुत प्यारी लग रही है मेरी पायल. आओ बेटी अपने पापा के पास.
रमेश धोती में लंड को ठीक करके फिर से सोफे पर बैठ जाते है और पायल धीरे-धीरे शर्माते हुए उनके पास आने लगती है. पायल पापा के ठीक सामने आ कर खड़ी हो जाती है. रमेश ऊपर से निचे अपनी बेटी की जवानी को आँखे फाड़-फाड़ कर देखते है फिर कहते है.
रमेश : बहुत खूबसूरत लग रही है मेरी बिटिया रानी.
फिर रमेश आगे से पायल की नाईटी थोड़ी ऊपर कर के बूर पर कसी हुई लाल कच्ची देखते है. कच्ची बूर पर कसी हुई है और दोनों तरफ से हलके बाल निकले हुए है. कच्ची पर पायल की बूर उभर के दिख रही है जिस की वजह से बीच में एक हलकी सी लकीर भी दिखाई पड़ रही है. रमेश जब ये नज़ारा देखते है तो उनके मुहँ में पानी आ जाता है. वो कच्छी पर उभरी हुई बूर को देखते हुए कहते है.
रमेश : सीईईई...!! बहुत प्यारी लग रही है. अब जरा पीछे से दिखाओ तो कैसी है.
पापा की बात पर पायल घूम जाती है. उसके घूमते ही पीछे से उसकी चौड़ी चुतड नाईटी के अन्दर उठ के दिखने लगती है. नाईटी छोटी होने की वजह से पीछे से पायल की चूतड़ों पर कसी हुई कच्ची भी दिखने लगती है. रमेश पायल की नाईटी उठा के देखते है तो छोटी सी कच्ची किसी तरह पायल की चूतड़ों पर टिकी हुई है. उसकी चूतड़ों के बीच कच्ची मानो गायब सी हो गई है. रमेश दोनों हाथ से पायल के चूतड़ों को खोल के देखते है तो अन्दर कच्ची पायल के गांड के छेद और निचे बूर की किसी तरह से ढके हुए है.
रमेश : आह पायल..!! बहुत अच्छे कपडे पहने है बिटिया तुमने.
पायल फिर से पापा की तरफ घूम जाती है और कहती है.
पायल : पापा ये नाईटी भाभी की है. भाभी तो मुझे उस दिन ही ये पहनने कह रही थी पर मुझे शर्म आ रही थी इसलिए नहीं पहनी.
रमेश : कोई बात नहीं बेटी. उस दिन नहीं तो आज सही.
दोनों एक दुसरे की आँखों में देखने लगते है. बाप-बेटी के पवित्र रिश्ते पर तो पहले ही कालिख पूत चुकी थी. रमेश और पायल अब इस रिश्ते को हवस के गंदे दलदल में डुबोने को तैयार थे. रमेश का दिल तो कर रहा था की पायल को पटक कर उसकी कच्छी फाड़ दे और अपना मोटा लंड उसकी बूर में ठूँस दे. पर वो अच्छी तरह से जानता था की पायल अभी उसका लंड लेना भी चाहे तो बूर में नहीं ले पायेगी. रमेश और पायल के पास २ दिनों का वक़्त था. रमेश जानता था की पायल जब पूरी तरह से गरमा जाए और उसकी बूर से लगातार पानी बहने लगे और वो खुद बाप का लंड पकड़ के अपनी बूर में ठूँसने लगे, तभी वो पायल की बूर अच्छी तरह से चोद पायेगा. इस बात को ध्यान में रखते हुए वो पायल से कहते है.
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