Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
02-12-2022, 01:24 PM,
#51
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
दोनों हँसते हुए आगे जाने लगते है की तभी एक आवाज़ सुन कर उर्मिला के कदम रुक जाते है. वो पीछे मुड़ के देखती है तो सामने छेदी मुस्कुराते हुए खड़ा है.

छेदी : लीजिये मैडम जी..आप फिर मिल गए हमसे...

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) आप कहीं हमारा पीछा तो नहीं कर रहे हैं?

छेदी : अजी हमारी इतनी हिम्मत कहाँ की हम आपका पीछा करें. वो तो किस्मत है हमारी जो बार-बार हमे आपसे मिला रही है.

तब तक पायल भी वहां आ जाती है. छेदी पायल को देख कर सलाम ठोकते हुए कहता है.

छेदी : छेदी का आपको भी सलाम मैडम जी...

पायल : (मुस्कुराते हुए) जी नमस्ते..!!

तभी वहां दौड़ती हुई खुशबू आ जाती है. उसके हाथ में २ कुल्फियां है. एक कुल्फी वो मुह में ले कर चूस रही है और दूसरी हाथ में पकडे हुए है. दौड़ते हुए उसके मोटे दूध टॉप में उच्छल रहे है. वो वहां आती है और छेदी से कहती है.

खुशबू : अपनी कुल्फी जल्दी पकडिये भैया नहीं तो पिघल जाएगी.

खुशबू के इस तरह से वहां आ जाने से छेदी थोडा सकपका जाता है. खुशबू के मुहँ से छेदी के लिए 'भैया' सुन कर उर्मिला ये तो समझ जाती है की ये लड़की छेदी की बहन है. पर उसे ये नहीं पता की मुहँ बोली बहन है या सगी. उर्मिला खुशबू को मुस्कुराते हुए ऊपर से निचे देखती है. उसकी उम्र १८-१९ की लग रही थी और जब उर्मिला उसके मोटे-मोटे दूध देखती है तो समझ जाती है की दाल में कुछ काला है.

उर्मिला : ओह ..! तो ये तुम्हारी बहन है.

छेदी : (बनावटी मुस्कान के साथ) जी..जी मैडम जी...ये मेरी बहन है. खुशबू ...मैडम जी को नमस्ते करो.

खुशबू दो अनजान जवान लड़कियों को देख कर हैरानी से छेदी को देखती है फिर पायल और उर्मिला को देख कर नमस्ते करती है.

खुशबू : जी नमस्ते...!!

उर्मिला : (खुशबू के गाल पर हाथ रख कर) बड़ी प्यारी बच्ची है. खुशबू नाम है ना तुम्हारा ?

खुशबू : जी ...

उर्मिला : छेदी भैया तुम्हारे सगे भैया है या...

खुशबू : (उर्मिला की बात काटते हुए) जी सगे भैया ही है.

खुशबू की इस बात पर उर्मिला मुस्कुराते हुए छेदी को देखती है तो वो नज़रे चुरा कर यहाँ-वहां देखने लगता है. उर्मिला फिर खुशबू को देखती है तो अब भी उसके चेहरे पर कुछ सवाल दिखाई पड़ते है.

उर्मिला : अरे खुशबू, तू सोच रहो होगी की हम तेरे भैया को कैसे जानते है. वो हुआ ये था की कल रात हमारी गाड़ी खराब हो गई थी तो तुम्हारे भैया ने ही हमारी मदद की थी. कल तुम्हारे भैया नहीं होते तो पता नहीं हमारा क्या होता.

उर्मिला की बात सुन कर खुशबू को थोडा अच्छा लगता है. उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है.

खुसबू : ओह अच्छा..!! तो कल रात भैया आप लोगों की ही गाड़ी ठीक कर रहे थे. भैया कल रात बहुत देर से आये थे. बता रहे थे की कुछ गाड़ी का काम निकल आया था.

पायल : भाभी अब यहीं धुप में ही बाते करनी है या कहीं जा कर अराम से बैठ कर बाते करें...

उर्मिला : हाँ भाई चलो...मुझे तो भूक भी लगी है. पास के होटल में चलते है. कुछ खा भी लेंगे और बातें भी हो जाएगी.

छेदी : अरे नहीं मैडम जी. अब हम लोग चलते है.

उर्मिला : ये क्या बात हुई छेदी जी? आपने हमारी इतनी मदद की है और हम आपको ऐसे ही जाने दे? चलिए...होटल में चलते है.

उर्मिला की बात मानते हुए सभी लोग पास के एक होटल में जाते है और पहली मंजिल के ए सी वाले 'फॅमिली टेबल' पर जा कर बैठ जाते है. मेनू से कुछ खाना देख कर उर्मिला आर्डर कर देती है. अब चारों बैठ कर बातें करने लगते है. तभी छेदी की फ़ोन की घंटी बजती है तो वो सब से इज़ाज़त ले कर बाहर चले जाता है. टेबल पर बैठी उर्मिला, पायल और खुशबू अपनी बातें करने लगती है. कुछ ही देर में खुशबू उर्मिला और पायल से घुल मिल जाती है जैसे उन्हें बरसों से जानती हो. उर्मिला और पायल को भी खुशबू बहुत पसंद आती है. हालांकि अगर उनके रहन-सहन और परिवार की बात करें तो खुशबू किसी मामले में उनके बराबर की नहीं थी लेकिन उसका वो भोलापन उर्मिला और पायल को भा जाता है. उर्मिला, पायल और खुशबू के बीच जो सामाजिक उंच-नीच की दीवार थी तो पूरी तरह से ढह चुकी थी. किसी ने सच ही कहा है की जब कोई हमे भा जाता है तो हमे सिर्फ वो इन्सान दिखाई देता है और कुछ नहीं. उर्मिला और पायल को खुशबू उनकी किसी पुरानी सहेली की तरह लग रही थी जो उनके दिल के बहुत करीब हो. खुशबू को भी उर्मिला और पायल से लगाव सा हो चूका था.
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02-12-2022, 01:25 PM,
#52
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
तीनो आपस में बातें करते हुए खूब ठहाके लगा रहे थे की तभी छेदी वहां आ जाता है. खुशबू को इस तरह से उर्मिला और पायल से घूल-मिलते देख उसे अच्छा लगता है.

छेदी : अच्छा मैडम जी...अब मुझे चलना होगा. आप लोगों के साथ फिर कभी खाना खा लेंगे...चलो खुशबू...

उर्मिला : अरे अरे..!! आपको जाना हो तो जाइये. खुशबू तो हमारे साथ खाना खा कर ही जाएगी..

छेदी : (आश्चर्य के साथ ) पर मैडम जी, ये...

उर्मिला : ये वो कुछ नहीं छेदी जी. विश्वास करिए. आपकी बहन को सही सलामत हम आपके घर पहुंचा देंगे..

छेदी : अरे मैडम जी ये क्या बोल रही है आप. आप पर तो पूरा विश्वास है.

पायल : तो बस...हो गई बात. अब खुशबू हमारे साथ खाना खा कर ही जाएगी...क्यूँ खुशबू..?

खुशबू : हाँ भैया...आप जाइये. भाभी और पायल दीदी मुझे घर छोड़ देंगी.

खुशबू की बात पर छेदी भी कुछ बोल नहीं पाता है.

छेदी : अच्छा भाई. आप लोग जैसा ठीक समझे. लेकिन खुशबू ३ बजे से पहले घर आ जाना. ठीक है ना?

खुशबू : ठीक है भैया मैं ३ से पहले घर आ जाउंगी.

उर्मिला और पायल से विदा ले कर छेदी वहां से चला जाता है. उसके जाने के बाद तीनो आपस में बातें करने लगते है. कुछ देर बाद उर्मिला खुशबू से कहती है.

उर्मिला : अच्छा खुशबू...एक बात तो बता...

खुशबू : जी भाभी...

उर्मिला : तू अभी १८ साल की है और १२ वीं कक्षा में है. इतनी छोटी से उम्र में तेरे दूध इतने मोटे कैसे हो गए?

उर्मिला की बात सुन कर खुशबू शर्मा के नज़रे झुका लेती है. उसके गालों पर लाली छा जाती है. उर्मिला अपने हाथ से उसका चेहरा उठा कर कहती है.

उर्मिला : अरे बोल ना.. इसमें शर्माने वाली क्या बात है. हम दोनों भी तो कभी तेरी उम्र की ही थी. हमे तो पता है की लड़कियों के दूध मोटे कैसे हो जाते है. बोल...कौन हाथ फेर रहा है इन पर? तेरी क्लास का कोई लड़का है क्या?

खुशबू शरमाते हुए फिर से नज़रे झुका लेती है और सर हिला कर 'ना' का इशारा करती है.

उर्मिला : (सोचते हुए) उम्म..!! फिर तो तेरे पड़ोस का कोई लड़का होगा. हैं ना?

खुशबू फिर से शर्माते हुए नज़रे झुका लेती है और सर हिला कर 'ना' कर देती है.

उर्मिला : तो..तो वो कहीं तेरे भैया.....(इतना कह कर उर्मिला बड़ी-बड़ी आँखे कर खुशबू को देखने लगती है)

खुशबू शर्माते हुए एक बार भाभी को देखती है फिर मुस्कुरा कर दोनों हाथो में अपना चेहरा छुपा लेती है. पायल और उर्मिला एक दुसरे को बड़ी-बड़ी आँखे कर के देखते है फिर मुस्कुरा देते है. उर्मिला खुशबू के हाथो को उसके चेहरे से हटा देती है और कहती है.

खुशबू : तो इसमें इतना शर्माने वाली क्या बात है. छेदी भैया हैं तेरे. भाई-बहन के बीच तो ये सब चलता ही है.

उर्मिला की बात सुन कर खुशबू की शर्म थोड़ी कम हो जाती है. उसे भी लगने लगता है की उर्मिला और पायल के सामने अगर वो इस बारें में बात करे तो बदनामी का डर नहीं है.

खुशबू : सच भाभी? ये गलत तो नहीं है ना?

उर्मिला : पगली...कोई गलत बात नहीं है. अब मुझे और पायल को ही देख. इसके पापा यानी मेरे ससुर जी हम दोनों के दूध दिन भर मसलते रहते है. अब घर के मर्द घर की लड़कियों और औरतों के दूध नहीं मसलेंगे तो क्या कोई बाहर वाला आ कर मसलेगा ? क्यूँ पायल ?

पायल : और नहीं तो क्या भाभी. बदनामी का डर तो बाहर वालों के साथ रहता है. घर में किस बदनामी का डर?

खुशबू : हाँ पायल दीदी. छेदी भैया भी येही कहते है. लड़कियों को घर में ही ये सब कर लेना चाहिए. लड़कियां बाहर मुहँ मारेगी तो बदनामी हो जाएगी.

उर्मिला : बिलकुल ठीक कहते है तेरे भैया. तो खुशबू तेरे भैया सिर्फ तेरे दूध ही दबाते है या कुछ और भी करते है.

खुशबू अब पूरी तरह से खुल चुकी थी. १८ साल की मासूम लड़की, आज ऐसे दो लड़कियों से मिल रही थी जिनकी नज़र में ये सब पाप नहीं बल्कि पुण्य था. वो अब एक खुली किताब बन चुकी थी.

खुशबू : भैया मेरे दूध तो बहुत पहले से दबा रहे थे. अब तो वो मेरे साथ सब कुछ करते है.

उर्मिला : (उत्साहित हो कर) जरा खुल के बता ना खुशबू. यहाँ हम तीनो के अलवा और कोई नहीं है और हम तीनो एक जैसी ही है.
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02-12-2022, 01:25 PM,
#53
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
उर्मिला की इस बात पर तीनो जोर-जोर से हंसने लगती है. फिर खुशबू आगे कहती है.

खुशबू : क्या बताऊँ भाभी. भैया तो हमेशा ही मेरी बूर चोदने के चक्कर में रहते है. माँ को हर वक़्त किसी ना किसी बहाने से यहाँ-वहां ३-४ दिनों के लिए भेज देते है और फिर मेरी खूब बूर चुदाई करते है.

खुशबू की बात सुन कर उर्मिला और पायल की आँखे बड़ी और मुहँ खुला का खुला रह जाता है.

पायल : बापरे खुशबू...!! और जब माँ घर पर होती है तब क्या करते है तेरे भैया?

खुशबू : रात में जब माँ सो जाती है तो भैया देर रात कमरे में आ कर मुझे चुपके से जगा देते है और मुझे बाहर ले आते है. फिर कभी रसोई में तो कभी बाथरूम में तो कभी सोफे के पीछे मेरी पटक-पटक के लेते है.

उर्मिला : उफ़ खुशबू...!! तू अपने भैया का पूरा लेती है क्या?

खुशबू : हाँ भाभी...पहले तकलीफ होती थी पर अब तो भैया जब पूरा घुसा देते है तो बड़ा मजा आता है.

उर्मिला : तो क्या तेरे भैया आज तुझे ३ बजे इसलिए घर आने कह रहे थे की तेरी चुदाई कर सके?

खुशबू : हाँ भाभी. आज ६ बजे माँ आ जाएगी. तो भैया माँ के आने से पहले मुझे २-३ घंटे अच्छे से चोदेंगे.

उर्मिला : हाय खुशबू..!! तेरी बात सुन कर तो बदन में गर्मी चढ़ गई. लगता है घर जा कर बाबूजी के लंड से ही आग बुझानी पड़ेगी.

खुशबू : पायल दीदी आप भी पापा के लंड से अपनी बूर की आग बुझाओगे ना?

उर्मिला : नहीं रे खुशबू. इसकी तो अभी सील भी नही टूटी है. बेचारी कब से अपने पापा से सील तुड़वाने के चक्कर में है.

खुशबू : सच पायल दीदी? आपकी जवानी अब भी सील पैक है?

पायल : हाँ खुशबू. एक बार पापा ने कोशिश की थी लेकिन मुझे दर्द हुआ तो उन्होंने छोड़ दिया.

खुशबू : हाँ पायल दीदी. पहली बार तो थोडा दर्द होता ही है पर एक बार सील टूट गई और लंड अन्दर चला गया तो मजा भी बहुत आता है.

उर्मिला : मैं भी तो कब से इसे येही समझा रही हूँ.

पायल : भाभी अब तो मैं भी पापा का लंड अपनी बूर में लेने के लिए तड़प रही हूँ. आप करिए ना कोई उपाय.

उर्मिला : हाँ बाबा करती हूँ कुछ. अच्छा खुशबू तू मुझे और पायल को अपना नंबर दे दे. जब बात करनी हो तो हम एक दुसरे को कॉल कर लिया करेंगे.

खुशबू भी ख़ुशी-ख़ुशी अपना नंबर दे देती है. तभी खाना भी आ जाता है और तीनो बातें करते हुए खाने लगते है. खाना ख़तम कर के तीनो होटल से बाहर आते है और एक ऑटोरिक्शा में बैठ कर खुशबू के बताये पते पर जाने लगते है. ऑटोरिक्शा में बैठे हुए पायल खुशबू को देखती है. उसकी १८ साली की जवानी जो वो हर रोज अपने भैया से खुल कर लुटवाती है, पायल को अपने पापा से चुदने की प्रेरणा दे रही थी. वो खुशबू को अब अपनी एक पक्की सहेली के रूप में देख रही थी. उर्मिला भी पायल के दिल की बात भांप लेती है. पायल को एक नयी और अच्छी सहेली मिल जाने पर उर्मिला भी बहुत खुश होती है.
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02-12-2022, 01:25 PM,
#54
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
"बस भैया, यहीं गली के सामने रोक दीजिये" - खुशबू ने ऑटोरिक्शा वाले से कहा. ऑटोरिक्शा एक छोटी से गली के सामने जा कर रुक जाता है. खुशबू ड्राईवर को पैसे देती है और पायल से कहती है.

खुशबू : चलिए दीदी. अब आप लोग यहाँ तक आ गये हो तो मेरा घर भी देख लीजिये और चाय भी पी लीजिये.

पायल : अरे नहीं खुशबू. क्यूँ तकलीफ करती हो. हम लोग फिर कभी आ जायेंगे. अभी वैसे भी देर हो रही है.

पायल की बात पर खुशबू उसका हाथ पकड़ लेती है और जिद करने लगती है.

खुशबू : देखिये ना भाभी, दीदीने कैसे मन कर दिया. आप लोग पहली बार आये हो और ऐसे ही चले जाओगे? बिना चाय पिए मैं नहीं जाने दूंगी.

उर्मिला : (हँसते हुए) अच्छा बाबा ठीक है. चल..! तेरे हाथ की चाय पी ही लेते है.

उर्मिला की बात पर पायल भी हँस देती है और दोनों खुशबू के पीछे-पीछे उस छोटी सी गली में अन्दर जाने लगते है. गली के दोनों तरफ मकान बने हुए है और लगभग सारे मकान एक दुसरे से सटे हुए है. कुछ मकानों के बीच छोटी से जगह खली है और वहां साइकल या मोटर गाड़ी रखी हुई है. गली में थोडा अन्दर जाते ही एक मकान के पास जा कर खुशबू रुक जाती है.

खुशबू : लो भाभी...!! आ गया मेरा घर.

खुशबू घर का दरवाज़ा खटखटाती है तो दरवाज़ा खुलता है और सामने छेदी दिखाई पड़ता है. उर्मिला और पायल को देख कर छेदी कहता है.

छेदी : अरे आप लोग? आइये ना...अन्दर आइये.

तीनो घर में चली जाती है. पायल और उर्मिला नज़रे घुमाते हुए घर के अन्दर का हाल देखने लगती है. उनके घर के हिसाब से ये घर कुछ भी नहीं था. छेदी समझ जाता है की उर्मिला और पायल ने शायद ही कभी इतना छोटा घर देखा हो. वो कहता है.

छेदी : बस जी...अब जैसा भी है यही है हमारा घर.

उर्मिला : ऐसा क्यूँ कह रहे है छेदी जी? घर के छोटे या बड़े होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है. उस घर में कौन रहता है वो जरुरी है. खुशबू ने आपके और परिवार के बारें में हमे जितना भी बताया है उस बात से मैं कह सकती हूँ की इस घर में बहुत अच्छे लोग रहते है. और छेदी जी आपने इस घर के लिए जो कुछ भी किया है वो काबीले तारीफ है.

उर्मिला की बात सुन कर छेदी का दिल भर आता है. अपने जीवन में उसने बहुत कठनाइयां देखी थी. लोगो की गालियाँ और मार तक खा चूका था. आज एक ऊँचे परिवार की बहू के मुहँ से अपनी तारीफ़ सुन कर उसे बहुत अच्छा लग रहा था. पास खड़ी खुशबू भी इस बात से बहुत खुश थी. उर्मिला और पायल के लिए उसके दिल में जो इज्ज़त थी वो अब और भी ज्यादा बढ़ गई थी.

छेदी : अरे आप लोग खड़े क्यूँ है? बैठिये ना. खुशबू... जल्दी से ४ कप बढियाँ वाली चाय बनाओ.

उर्मिला और पायल सोफे पर बैठ जाते है और खुशबू रसोई में चाय बनाने चली जाती है. छेदी भी सामने वाले सोफे पर बैठ जाता है और दोनों से बात करने लगता है. उर्मिला, पायल और छेदी में बात-चित का सिलसिला शुरू हो जाता है. दुनियादारी से ले कर काम-काज की बातें होने लगती है.

बात करते हुए बार-बार छेदी की नज़र रसोई में चाय बना रही खुशबू की चौड़ी चूतड़ों पर जा रही थी. घुटनों तक लम्बी स्कर्ट पीछे से उठी हुई दिख रही थी. जब उसकी कमर हिल जाती तो पीछे स्कर्ट पर दोनों चूतड़ों का आकार साफ़ दिखने लगता. छेदी की नज़र ठीक खुशबू की चूतड़ों पर ही थी की उर्मिला ने देख लिया. अपनी कोहनी पायल के हाथ पर मारते हुए उर्मिला उसे भी वो नज़ारा दिखा देती है. दोनों एक दुसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा देते है. उर्मिला को समझने में देर नहीं लगी की छेदी की फिराक में है.

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) क्या बात है छेदी जी? कहाँ ध्यान है आपका?

उर्मिला की बात सुनते ही छेदी झट से अपनी नज़रे खुशबू की चूतड़ों से हटाते हुए कहता है.

छेदी : अरे और कितना वक़्त लगेगा चाय बनने में?

खुशबू : (रसोई से आवाज़ देती है) बस भैया...बन गई है. अभी ला ही रही हूँ.

छेदी : (बनावटी हंसी में ) जी..जी..वो बस देख रहा था की अब तक चाय क्यूँ नहीं बनी.

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) खुशबू तो आपको 'भईया' ही कहती है ना?उसके मुहँ से 'भईया' सुनकर आपको अच्छा लगता होगा ना?

उर्मिला का इशारा अब छेदी समझ जाता है. उस दिन रात में छेदी ने जो 'भईया' वाली बात की थी उसमे आज वो खुद ही फस गया था. वो समझ जाता है की अब बात बदलने का कोई फ़ायदा नहीं है. सर पर हाथ घुमाते हुए वो नज़रे निचे कर लेता है और मुस्कुराते हुए कहता है.

छेदी : (मुस्कुराते हुए) अब क्या कहूँ मैडम जी आपसे. बहुत वक़्त से खुशबू की जवानी ने परेशान कर रखा था. थोडा समय लगा इसे मनाने में पर आखिरकार मान गयी.

उर्मिला : अब तो नखरे नहीं करती हैं ना खुशबू?

छेदी : अरे नहीं नहीं मैडम जी. अब तो पूरा मजा देती है. कभी-कभी तो लगता है की मुझसे ज्यादा मजा इसे ही आता है.

उर्मिला : भाई-बहन को सबसे ज्यादा मजा एक दुसरे के साथ ही आता है छेदी जी.

तभी एक थाली में चाय लिए खुशबू वहां आ जाती है.

उर्मिला : लीजिये...आ गई आपकी लाड़ली बहन.
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02-12-2022, 01:25 PM,
#55
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
खुशबू थाली टेबल पर रख देती है तो उर्मिला उसका हाथ पकड़ कर अपने और पायल के बीच बिठा लेती है. उसके सर पर हाथ फेरते हुए उर्मिला कहती है.

उर्मिला : छोटी सी उम्र में ही बड़ी सयानी हो गई है आपकी बहन छेदी जी. लगता है बहुत ख्याल रखती है आपका.

उर्मिला की बात सुन कर खुशबू थोडा शर्मा जाती है और नज़रे झुका लेती है. छेदी भी खुशबू को देखते हुए कहता है.

छेदी : ये बात तो आपने बिलकुल सही कही मैडम जी. मेरा तो ये बहुत ख़याल रखती है.

उर्मिला हाथ से खुशबू के चेहरा ऊपर उठाते हुए कहती है.

उर्मिला : इतना क्यूँ शर्मा रही है. ऊपर देख. तेरे भैया भी तेरा ख्याल रखते है या नहीं? बोल....

खुशबू एक बार उर्मिला को देखती है फिर छेदी को और मुस्कुराते हुए अपनी नज़रे फिर से झुका लेती है और धीरे से 'हाँ' कह देती है.

उर्मिला : अब इतना भी क्या शर्मना? हम लोग क्या पराये है?

उर्मिला की बात पर खुशबू झट से सर उठा कर उर्मिला को देखते हुए कहती है.

खुशबू : ऐसा मत बोलिए भाभी. आप लोग तो मेरे लिए परिवार के सदस्य की तरह ही हो.

उर्मिला : ये हुई ना बात.

फिर उर्मिला एक टक घूरते हुए खुशबू के मोटे-मोटे दूध देखने लगती है और कहती है.

उर्मिला : एक बात तो मानना पड़ेगा छेदी जी. अमरुद को खरबूजा बनाने में आपने कोई कसार नहीं छोड़ी.

उर्मिला की बात सुनकर खुशबू शर्मा जाती है. छेदी भी थोडा शर्माते हुए कहता है.

छेदी : अब मैं क्या कहूँ मैडम जी. लड़कियां बड़ी होती है तो अमरुद तो खरबूजे बन ही जाते है. छेदी की बात सुन कर खुशबू झट से अपना सर उठा के कहती है.

खुशबू : झूठ मत बोलिए भैया. दिन-रात आप मेरे दबाते और मसलते रहोगे तो बड़े तो होंगे ही ना..

खुशबू की बात सुन कर उर्मिला और पायल जोर-जोर से हँसने लगती है. छेदी भी थोडा शरमाते हुए हँस देता है. खुशबू को जब अपनी कही बात का आभास होता है तो वो शर्म से लाल हो जाती है और अपना चेहरा दोनों हाथों से छुपा लेती है. उर्मिला हँसते हुए उसका हाथ चेहरे से हटाती है.

उर्मिला : क्यूँ हँस रहे हो तुम लोग? सही तो कह रही है ये. अब इसके भैया हमेश इसके दूध दबाते रहेंगे तो बड़े नहीं होंगे क्या? दिखा दे खुशबू अपने भैया को उनका कारनामा.

ये बोल कर उर्मिला झट से खुशबू की टॉप निचे से उठा देती है. उसके दोनों मोटे दूध उच्छल के बाहर आ जाते है. पायल भी खुशबू के दूध देख कर दांग रह जाती है. १८ साल की उम्र में इतने बड़े-बड़े दूध देख कर उसे यकीन नहीं होता है. अपनी बहन के दूध देख कर छेदी की भी हालत ख़राब हो जाती है. भोली-भली खुशबू को यही लगता है की उर्मिला सच में छेदी को दिखाना चाह रही है की उसने दबा-दबा कर अपनी बहन के दूध कितने बड़े कर दिए है. वो भी छेदी की तरफ देख कर कहती है.

खुशबू : हाँ भैया अच्छे से देखिये. ये आप ने ही किया है.

उर्मिला मुस्कुराते हुए छेदी को देखती है. छेदी भी मुस्कुरा देता है. उर्मिला जब छेदी की पैंट में बना तम्बू देखती ही तो वो समझ जाती है की अब उनके विदा लेने का वक़्त आ गया है. वो खुशबू की टॉप निचे करते हुए कहती है.

उर्मिला : अच्छा अब हम लोग चलते है.

खुशबू : इतनी जल्दी भाभी? थोड़ी देर और रुकिए ना.

उर्मिला : फिर कभी खुशबू. अब हमे भी देर हो रही है. घर में सब इंतज़ार कर रहे होंगे.

छेदी : ठीक है मैडम जी. फिर आइयेगा.

चारों दरवाज़े पर आते है. उर्मिला और पायल बाहर निकल आते है. उर्मिला छेदी को देख कर धीरे से कहती है.

उर्मिला : ध्यान से छेदी जी. बिस्तर मद तोड़ दीजियेगा.

उर्मिला की बात पर पायल को हंसी आ जाती है. छेदी और खुशबू दोनों शर्मा जाते है. खुशबू पास खड़ी पायल के गले लगती है. फिर वो उर्मिला से भी गले मिलती है तो उर्मिला धीरे से उसके काम में कहती है.

उर्मिला : माँ के आने से पहले भैया का लंड अपनी बूर में ३-४ बार अच्छे से निचोड़ लेना.

खुशबू : (मुस्कुराते हुए धीरे से) हाँ भाभी. आज भैया के लंड से एक-एक बूँद निचोड़ लुंगी अपनी बूर में.

छेदी और खुशबू से विदा ले कर दोनों गली से बाहर निकलते है. पायल कहती है.

पायल : बापरे भाभी. दोनों भाई-बहन की गर्मी देख कर तो मेरे पसीने छूट गए.

उर्मिला : हाँ रे सच. मैं तो ये सोच के हैरान हूँ की ये लड़की कैसे अपने भैया का मोटा लंड लेती होगी.

पायल : हाँ भाभी. खुशबू के मोटे दूध देख कर छेदी के पैंट में जो तम्बू बना था वो पापा की धोती वाले तम्बू जैसा ही था. छेदी का भी पापा जैसा ही होगा.

उर्मिला कुछ सोचती है. फिर पायल का हाथ पकड़ के गली की तरफ वापस जाते हुए कहती है.

उर्मिला : चल पायल मेरे साथ.

पायल : (कंफ्यूज होते हुए) कहाँ भाभी? आप करना क्या चाह रही है?

उर्मिला : (पायल का हाथ पकड़ के गली में घुस जाती है) अरे तू चल तो सही.
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02-12-2022, 01:25 PM,
#56
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
उर्मिला पायल को ले कर छेदी के घर के पास पहुँच जाती है. पायल कुछ बोलने जाती है तो उर्मिला उसे चुप रहने का इशारा करती है. एक नज़र यहाँ-वहाँ देखने के बाद उर्मिला छेदी के घर और पड़ोस के घर के बीच की एकदम छोटी सी जगह में घुसने लगती है. वहां एक फ्रिज के बड़े से खोखे के पीछे जा कर उर्मिला पायल को आने का इशारा करती है. पायल भी धीरे से उस खोखे के पीछे चली जाती है. उर्मिला धीरे से छेदी के घर की खिड़की से अन्दर झांकती है. फिर वो पायल को भी अन्दर झाँकने का इशारा करती है. पायल भी खिड़की से अन्दर देखती है तो उसे छेदी सोफे पर बैठा दिखाई पड़ता है. सामने खुशबू चाय के कप धो रही है. ये खिड़की घर के रसोई की थी. रसोई घर के बड़े कमरे से लगी हुई थी. रसोई की खिड़की से कमरे का एक बड़ा हिस्सा साफ़-साफ दिखाई दे रहा था.

कप धो कर खुशबू अन्दर वाले कमरे में जाते हुए छेदी से कहती है.

खुशबू : भैया मैं कपडे बदल कर आती हूँ.

खुशबू के जाते ही उर्मिला और पायल की नज़रे छेदी पर टिक जाती है. वो देखते है की कुछ देर छेदी सोफे पर बैठा अपने फ़ोन में कुछ देख रहा है. फिर अचानक से वो आगे झुक कर अन्दर वाले कमरे में देखता है. उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वो फ़ोन टेबल पर रह कर अन्दर वाले कमरे में चले जाता है. उसके कमरे में जाते ही, उर्मिला और पायल को खुशबू के हंसने और हँसते हुए धीरे-धीरे चिल्लाने की आवाज़े आने लगती है. दोनों ध्यान लगा कर सुनती है तो खुशबू कह रही है, "ही ही ही ही ...छोड़िये ना भैया...आप बहुत गंदे हो". दोनों को समझने में देर नहीं लगती की छेदी अपने काम में लग गया है. दोनों एक दुसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा देती है. जैसे ही उर्मिला और पायल अपने कान खिड़की पर लगाने के लिए होते है, सामने खुशबू दौड़ती हुई अन्दर के कमरे से बाहर आती है. उसके बदन पर एक भी कपडा नहीं है और वो पूरी नंगी है. दौड़ने से उसके मोटे-मोटे दूध उच्छल रहे है. हँसते हुए वो सामने वाले कमरे में आती है. उसके पीछे छेदी भी बिना कपड़ो के दौड़ता हुआ बाहर आता है. उसका १० इंच लम्बा और ३ इंच मोटा लंड दौड़ने से झटका खाता हुआ उच्छल रहा है. छेदी खुशबू को पीछे से पकड़ लेता है. दोनों हाथों को उसके सीने पर ले जा कर वो उसके मोटे दूध दोबोच लेता है. खुशबू की नंगी पीठ और पिछवाड़ा छेदी के सीने और लंड पर चिपक जाते है. खुशबू के मोटे दूध को दबाते हुए छेदी पीछे से खुशबू के पिछवाड़े पर ५-६ जोरदार ठाप मार देता है. हर ठाप पर खुशबू की कमर आगे की और हो जाती है. खुशबू हँसते हुए छेदी से कहती है.

खुशबू : छोड़िये ना भैया...

खुशबू की बात पर छेदी उसे छोड़ देता है और कहता है.

छेदी : ले छोड़ दिया. अब दोनों हाथों को उठा कर खड़े हो जा.

खुशबू अपने दोनों हाथों को उठा कर खड़ी हो जाती है. बगलों के निचे और जाँघों के बीच घने बाल है. छेदी कुछ क्षण अपनी बहन को ऊपर से निचे तक देखता है फिर अपनी नाक उसकी बगलों में लगा कर सूंघने लगता है. खुशबू ये देख कर कहती है.

खुशबू : भैया...!! बाहर बहुत गर्मी थी. पसीने से सारा बदन भीग गया था. आप ऐसे मत सुंघिये. पसीने की गंद आ रही होगी.

छेदी पायल की दोनों बगलों में नाक लगा कर सूंघते हुए कहता है.

छेदी : मेरी बहन की पसीने की गंध के आगे तो दुनिया के बेहतरीन इत्र भी फ़ैल है. सूंघने दे जरा अपने पसीने की गंद.

खुशबू भी मजे से छेदी को पाने पसीने की गंध सूंघने देती है. छेदी खुशबू की दोनों बगलों, दूध, पेट और फिर जांघो के बीच अपनी नाक लगा कर अच्छे से उसकी पसीने की गंध सुन्घ्ता है. फिर खुशबू के पीछे जा कर उसकी चूतड़ों को फैलाकर नाक घुसा देता है और पिछवाड़े की भी गंध सुन्घ्ता है. अच्छी तरह से गंध सूंघने के बाद छेदी नशे में झूमते हुए किसी शराबी की तरह खुशबू का हाथ पकड़ता है और उसे सोफे पर पटक देता है. सोफे पर गिरते ही खुशबू सीधा लेते हुए मुस्कुरा देती है. छेदी उसके पैरो के पास आता है और उसकी दोनों टाँगे घुटनों से मोड़ कर खुशबू के सीने पर लगा देता है. निचे जांघो के बीच खुशबू की बूर फूल कर फ़ैल गई है. एक पैर सोफे पर रख कर अपने दुसरे पैर को घुटने से मोड़े हुए छेदी अपने मोटे लंड को खुशबू की बूर के मुहँ पर रखता है. कमर निचे करते ही उसका मोटा लंड खुशबू की बूर को फैलाता हुआ अन्दर जाने लगता है. निचे सोफे पर लेती खुशबू की आँखे बंद हो जाती है और चेहरे पर हलके से दर्द और आनंद के भाव आ जाते है.

उर्मिला और पायल ये नज़ारा खिड़की से आँखे फाड़े देख रहे थे. भाई-बहन का ये मिलन देख कर दोनों की बूर में पानी आने लगा था. एक दिसरे को हैरानी से देख कर दोनों फिर से अन्दर झाँकने लगती है.

अन्दर छेदी अपने मोटे लंड को खुशबू की बूर में पूरा भर चूका था. अपनी कमर को ऊपर निचे करते हुए वो खुशबू की बूर छोड़ रहा था. वो अपनी कमर खुशबू की जांघो के बीच इतनी जोर से पटक रहा था की जब लंड की ठाप बूर पर पड़ती तो खुशबू की बूर से पानी के कुछ छींटे उड़ जाते. ३०-४० जोर दार ठाप मारने के बाद छेदी अपना लंड खुशबू की बूर से बाहर निकालता है. वो खुशबू का हाथ पकड़ कर उसे खड़ा करता है और फिर उसके पीछे जा कर उसे गोद में उठा लेता है. खुशबू की जाँघों को निचे से पकडे हुए छेदी उसे ऊपर उठता है. खुशबू की पीछे हो कर छेदी के सीने पर अपनी पीठ चिपका लेती है. खुशबू को ऊपर उठा कर छेदी अपना मोटा लंड उसकी बूर में निचे से ठूँस देता है. लंड के अन्दर जाते ही खुशबू छेदी के लंड की सवारी करते हुए उच्छालने लगती है.

खुशबू का चेहरा रसोई की खिड़की की रताफ है. उर्मिला और पायल छेदी के मोटे लंड को खुशबू की बूर में अन्दर-बाहर होता साफ़-साफ़ देख पा रहे थे. दोनों को यकीन नहीं हो रहा था की इतना मोटा लंड खुशबू अपनी बूर में ले कैसे रही है. छेदी निचे से ठाप पर ठाप मारे जा रहा था. अब पायल की हालत खराब हो चुकी थी. वो एक हाथ अपनी टॉप के निचे से अन्दर डाल कर एक निप्पल को मसलने लगती है. उर्मिला जब ये देखती है तो वो समझ जाती है की पूरी तरह से गरमा गई है.

उर्मिला : (धीमी आवाज़ में) क्या हुआ पायल ?

पायल : (धीमी आवाज़ में) आह..!! भाभी...!! प्लीज मुझे पापा का लंड दिलवा दीजिये.

उर्मिला : (धीमी आवाज़ में) तेरे पापा तो लंड पकड़ के तैयार बैठे है. तू ही तो नखरे करते रहती है.

पायल : (धीमी आवाज़ में) नहीं करुँगी भाभी. सारा दर्द सह लुंगी, बस आप किसी भी तरह से पापा का लंड दिलवा दीजिये.

उर्मिला : (धीमी आवाज़ में) अच्छा चल अब यहाँ से. ये दोनों की चुदाई देखने में रह गए तो घर जाने में देरी हो जाएगी. ये तो ३-४ घंटे जम के चुदाई करने वाले है.

एक बार खिड़की के अन्दर छेदी और खुशबू की चुदाईदेख कर उर्मिला और पायल धीरे से बाहर निकलते है. चलते हुए दोनों गली से बाहर निकल जाती है और एक बंद दूकान के पास खड़ी हो जाती है. पायल पसीना-पसीना हो चुकी थी. उसकी साँसे तेज़ थी और सांसो से उसके मोटे दूध ऊपर-निचे हो रहे थे.

पायल : भाभी प्लीज. मुझे पापा का लंड चाहिए.

उर्मिला : देख पायल. सबके घर में होते हुए तो मुश्किल है. लंड डालते वक़्त तूने चिल्ला दिया तो सब पकडे जायेंगे. जब घर में कोई नहीं होगा तब ही ये हो पायेगा.

पायल : भाभी मुझसे नहीं रहा जा रहा. प्लीज कुछ करीये ना.

उर्मिला : (कुछ देर सोचने के बाद) देख पायल मैं कुछ जुगाड़ कर भी दूँ पर फिर तेरे नखरे शुरू हो गये तो?

पायल एक हाथ से अपना गला छुते हुए कहती है.

पायल : कोई नखरा नहीं करुँगी भाभी. गॉड प्रॉमिस...!!

उर्मिला : पक्का...!!

पायल : हाँ भाभी....एक दम पक्का...!!

उर्मिला : चल ठीक है. रुक मुझे एक फ़ोन करने दे.
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02-12-2022, 01:26 PM,
#57
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
उर्मिला अपना फ़ोन निकाल कर कोई नंबर मिलाती है और फिर कान में लगाये हुए थोड़ी दूर जा कर खड़ी हो जाती है. पायल देखती है तो उर्मिला हँस-हँस के किसी से बात कर रही है. वो समझ नहीं पा रही थी की भाभी किस से बात कर रही है और उसके दिमाग में क्या है. १० मिनट बात करने के बाद उर्मिला पायल के पास आती है और मुस्कुराते हुए कहती है.

उर्मिला : ले कर दिया तेरा काम.

पायल : मैं कुछ समझी नहीं भाभी.

उर्मिला : घर चल, सब समझ जाएगी.

उर्मिला एक ऑटोरिक्शा रोकती है और दोनों बैठ जाते है. ऑटोरिक्शा चल पड़ता है. पायल के दिमाग में वही सब घूम रहा था. वो उलझन में थी की आखिर भाभी ने ऐसा क्या कर दिया की उसका काम हो जायेगा. उर्मिला पायल को देख कर मुस्कुरा रही थी. तभी उर्मिला का फ़ोन बजता है. वो देखती है तो उमा का कॉल था. उर्मिला मुस्कुराते हुए फ़ोन उठती है.

उर्मिला : जी मम्मी जी...हम लोग बस पहुँच ही रहे है....................क्या बात कर रहे हो मम्मी? कब हुआ?............हे भगवान...!!.................किसी ने बताया भी नहीं..............ठीक है मम्मी जी हम बस पहुँच ही रहे है.

उर्मिला फ़ोन काट देती है. पायल बड़ी हैरानी के साथ उर्मिला को देखती है.

पायल : क्या हुआ भाभी?

उर्मिला : अरे कहा तो था. तेरा काम हो गया.

पायल : बताइए ना भाभी की आपने क्या किया और ये मम्मी को अचानक क्या हो गया? आपको फ़ोन कर के क्या कह रही थी?

उर्मिला पायल को मुस्कुराते हुए देखती है. फिर अपना चेहरा उसके पास ला कर कहती है.

उर्मिला : अपना जुगाड़ लगाया बस..!! देख..! एक हफ्ते पहले मेरी बात अपने भाई से हुई थी. उसका कोई दोस्त तेरे मामाजी का पडोसी है. उस से पता चल था की तेरे मामाजी का हाथ टूट गया है.

पायल : हे भगवान भाभी..!! कब टूटा?

उर्मिला : डेढ़ हफ्ते हो गए. अब तू मम्मी जी को जानती ही है. उनके मायके में कुछ भी होता है तो वो दौड़ते हुए पहुँच जाती है.

पायल : हाँ भाभी. और पापा इस बात पर हमेशा गुस्सा करते है.

उर्मिला : हाँ. और इसलिए तेरे मामाजी ने ये खबर तेरी मम्मी तक नहीं पहुँचने दी. उनके पडोसी से मेरे भाई को पता चला और फिर मुझे.अब मैंने अपने भाई से कह कर तेरे मामाजी के पडोसी से मम्मी जी को फ़ोन करवा दिया. बस...!! मम्मी जी अपना सामान पैक कर के तैयार हो गई.

पायल : पर भाभी मामाजी के घर कैसे जुगाड़ होगा?

उर्मिला : धत्त बुध्धू ..!! मामाजी के घर मम्मी जी, मैं और सोनू जायेंगे. तू और पापा घर पर ही रहेंगे.

पायल : (खुश होते हुए) पर भाभी ये होगा कैसे?

उर्मिला : वो तू मुझ पर छोड़ दे. तुझे बस अपने ख़ुशी पर कुछ देर के लिए ताला लगाना है और चाबी नदी में फेक देनी है. समझ गई ना?

पायल : (खुश होते हुए) हाँ भाभी...समझ गई...

उर्मिला : गुड...!! देख घर आ गया है. अपने चेहरे पर उदासी ला ले. और घर में मुहँ बंद कर के रखना. मैं सब संभाल लुंगी.

पायल : ठीक है भाभी.

घर के सामने ऑटोरिक्शा रक्त है और पैसे दे कर उर्मिला और पायल घर के अन्दर आते है. सामने सोफे पर उमा आँखों में आंसू लिए बैठी है. उनके पैरों के पास दो बड़े बैग रखे हुए है. सामने बाबूजी और सोनू बैठे है.

रमेश : अरे अब बस भी करो उमा. इसमें इतना रोने वाली क्या बात है? हाथ टूटा है बस.

उमा : (रोते हुए) आप तो रहने दीजिये. मेरे घर वालों की चिंता आपको क्यूँ होगी. आपके घर वाले होते तब पता चलता.

तभी उर्मिला उमा के पैरों के पास बैठ जाती है. उर्मिला को देख कर उमा की आँखों से आंसुओ की धरा बहने लगती है.

उमा : (रोते हुए) देख ना बहु....कैसे मोहन ने अपना हाथ तुडवा लिया. कितना दर्द हो रहा होगा उसे.

उमा की बात पर रमेश धीरे से बोल पड़ते है.

रमेश : (धीमी आवाज़ में) मेरा बस चले तो साले की टाँगे भी तोड़ दूँ.

सोनू और पास खड़ी पायल झट से अपने मुहँ पर हाथ रखे अपनी हंसी छुपाने लगते है.

उमा : (चेहरे पर गुस्से के भाव लाते हुए रमेश को देखती है) क्या? क्या कहा आपने?

रमेश : (सकपकाते हुए) क..क..कुछ नहीं उमा. मैं तो ये कह रहा था की हाथ टूटने पर दर्द तो होता ही है.

उमा आँखों में आंसू लिए उर्मिला से कहती है.

उमा : बहु...तुम और पायल भी जल्दी से अपना सामान पैक कर लो. हमे अभी ही निकलना पड़ेगा.
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02-12-2022, 01:26 PM,
#58
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
उर्मिला पायल को देखती है तो उसका चेहरा सच में उतर जाता है. पायल के सारे सपने टूट के बिखरने लगते है. उर्मिला पायल को देखती है फिर उमा की तरफ मुहँ कर के कहती है.

उर्मिला : मम्मी जी. मामाजी के साथ बहुत ही बुरा हुआ. और आप बिलकुल सही कह रही है की हमे जाना चाहिए लेकिन.....

उमा : लेकिन क्या बहु?

उर्मिला : वो बात ये है ना मम्मी जी की बाबूजी के घुटनों में दर्द रहता है. वहां गाँव में आसपास कोई अच्छा अस्पताल भी नहीं है. दर्द बढ़ गया तो हम क्या करेंगे? आप मामाजी का ख्याल रखोगे या बाबूजी का?

उर्मिला की बात से उमा सोच में पड़ जाती है. कुछ देर सोचने के बाद उमा रमेश से कहती है.

उमा : आप रहने दीजिये. हम लोग हे चले जायेंगे.

उर्मिला : पर मम्मी जी, घर पर भी तो बाबूजी का ख्याल रखने वाला कोई चाहिए ना?

उर्मिला की बात सुन कर सोनू ख़ुशी से सोफे से उच्छल पड़ता है.

सोनू (ख़ुशी से ) मैं रुक जाता हूँ भाभी पापा के साथ.

उर्मिला सोनू को घुर के देखती है और कहती है.

उर्मिला : हाँ सोनू ठीक है. पर बाबूजी को रोज खाना बना के खिला देगा ना?

उर्मिला की बात सुन कर सोनू चुप-चाप फिर से सोफे पर बैठ जाता है. उर्मिला उमा की तरफ देख कर आगे कहती है.

उर्मिला : एक काम करते है मम्मी जी. पायल को बाबूजी के साथ ही छोड़ देते है. वो बाबूजी का ख़याल भी रखेगी और खाना तो अच्छा बना ही लेती है.

उर्मिला की बात पर रमेश और पायल के दिल में लड्डू फूटने लगते है. रमेश धीरे से पायल को देखते है तो वो भी पापा को देख कर शर्मा जाती है.

उमा : ठीक है बहु. पायल तू यहीं रुक जा. हम लोग हो कर आते है.

पायल : (भोला सा चेहरा बना कर) जी मम्मी...

उमा : अच्छा बहु. तुम जल्दी से अपना सामान पैक कर लो. हमे निकलना होगा.

उर्मिला : जी मम्मी...

उर्मिला उठ कर अपने कमरे में जाने लगती है. उसके पीछे पायल उच्छलते हुए चल देती है.

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३० मिनट बाद
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सोनू गाड़ी में सारे बैग रख देता है और सामने वाली सीट पर जा कर बैठ जाता है. बाबूजी भी ड्राइविंग सीट पर बैठ कर गाड़ी शुरू कर देते है. पायल गाड़ी के पास खड़ी है और उर्मिला उसके पास आती है.

उर्मिला : चल पायल. अब तू बाबूजी को संभाल लेना.

पायल को उर्मिला पर बहुत प्यार आता है. वो उसे भाभी नहीं एक देवी का रूप दिखाई देने लगती है. भावनाओ में बहते हुए पायल उर्मिला से गले लग जाती है. उर्मिला भी बड़े पयार से उसके सर पर हाथ फेरती है. कुछ क्षण दोनों भाभी और ननद एक दुसरे के गले लगे रहते है फिर अलग हो कर एक दुसरे को प्यार से देखते ही. उर्मिला पायल से कहती है.

उर्मिला : चल पायल. मैं चलती हूँ. ध्यान रखना...कोई नखरे नहीं करना है तुझे. दोनों पूरे मजे लेना. मैं पहुँच कर फ़ोन करुँगी.

पायल : (शर्माते हुए) जी भाभी.

उर्मिला पायल से विदा ले कर गाड़ी में पीछे उमा के साथ बैठ जाती है और गाड़ी स्टेशन के लिए चल पड़ती है. गाड़ी के जाते ही पायल भी घर में आ कर दरवाज़ा बंद कर लेती है.

उदार गाड़ी स्टेशन की तरफ तेज़ी से बढ़ रही है. रमेश तेज़ी से गाड़ी चला रहे है ताकी इन्हें स्टेशन छोड़ कर जल्द से जल्द घर जा सके. तभी उर्मिला बोल पड़ती है.

उर्मिला : बाबूजी...!! २ मिनट के लिए गाड़ी रोकिये.

रमेश गाड़ी सड़क के किनारे रोकते है.

उमा : क्या हुआ बहु?

उर्मिला : वो मम्मी जी, ट्रेन में मुझे उलटी आती है तो सामने वाली दवाई की दुकान से उलटी रोकने की दावा ले लेती हूँ.

उमा : अच्छा ठीक है बहु.

उर्मिला गाड़ी से उतर कर दवाई की दूकान में जाती है और अपना सामान एक पन्नी में ले कर फिर से गाड़ी में बैठ जाती है. तभी बाबूजी भी बोल पड़ते है.

रमेश : अरे अब रुक ही गए हैं तो मैं भी अपने घुटनों के दर्द की दावा ले ही लेता हूँ.

उमा : जल्दी आईयेगा...

रमेश भी गाड़ी से उअतर कर दवाई की दूकान जाते है और अपना सामान एक पन्नी में ले कर आ जाते है. गाड़ी फिर से निकल पड़ती है. रमेश तेज़ी से गाड़ी चलाते हुए १० मिनट में ही स्टेशन पहुँच जाते है. स्टेशन के सामने गाड़ी रोक कर सब उतारते है. सोनू सामान निकालने लगता है और उमा रमेश के पास आती है. रमेश के पैर छु कर उमा कहती है.

उमा : अपना ख्याल रखियेगा जी.

रमेश : हाँ उमा. और तुम भी अपना ख्याल रखना. भाई की सेवा करते हुए अपनी सेहत मत बिगाड़ लेना.

रमेश उमा के सर पर हाथ रखते है. सोनू भी आ कर रमेश के पैर पढता है तो बाबूजी उसे भी आशीर्वाद देते है. उमा और सोनू धीरे-धीरे स्टेशन की और जाने लगते है. उर्मिला रमेश के पास आती है और उनके पैर पढ़ती है. रमेश भी बड़े प्यार से उमा को आशीर्वाद देते है. उर्मिला खड़ी होती है और कहती है.

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) बाबूजी...पायल का ख्याल रखियेगा. और जरा ध्यान से, बिस्तर और सोफे मत तोड़ दीजियेगा.

उर्मिला की बात पर रमेश मुस्कुराते हुए कहते है.

रमेश : कोई बात नहीं बहु. बिस्तर और सोफे टूट भी गए तो क्या हुआ? ज़मीन तो अन्दर नहीं धंसेगी ना....

इस बात पर दोनों हंसने लगते है. उर्मिला अपने हाथ की पन्नी बाबूजी को देते हुए कहती है.

उर्मिला : बाबूजी ये पायल को दे दीजियेगा. उसका कुछ सामान है.

रमेश : ठीक है बहु. अपना ख्याल रखना.
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02-12-2022, 01:26 PM,
#59
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
उर्मिला रमेश को देखते हुए धीरे से अपनी एक ऊँगली दुसरे हाथ की उँगलियों के टाइट छल्ले में डालने की कोशिश करती है तो रमेश समझ जाते है की वो पायल की बूर बहुत टाइट होने का इशारा कर रही है. रमेश भी अपनी एक ऊँगली दुसरे हाथ की उँगलियों के टाइट छल्ले में घुसाने की कोशिश करते है और जोर लगा कर घुसा देते है फिर ३-४ बार जोर-जोर से अन्दर-बाहर कर देते है. उर्मिला भी बाबूजी का पायल की सील तोड़ के उसकी जम के बूर चुदाई करने का इशारा समझ जाती है. दोनों एक दुसरे को देख कर हँसते है और फिर उर्मिला बाबूजी से विदा ले कर स्टेशन के अन्दर जाने लगती है.

उधर पायल काफी देर से बैचैन हो कर पापा के आने का इंतज़ार कर रही है. पापा आयेंगे तो क्या करेंगे ये सोच कर उसकी धड़कने बार-बार तेज़ हो जा रही है. वैसे तो पायल पापा के साथ कई बार मस्ती कर चुकी थी पर ना जाने क्यूँ आज किसी के न होने पर भी उसका दिल घबरा रहा था. उसके अन्दर की बेशर्मी न जाने कहाँ चली गई थी. पापा के आने के खयाल से ही वो शर्मा जा रही थी. सोफे पर बैठे हुए उसकी नज़रे हर गुजरती गाड़ी को आशा भरी नज़रों से देखने लगती. तभी एक गाड़ी की आवाज़ से उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. वो झट से खिड़की से झांक कर देखती है तो पापा की गाड़ी गेट के अन्दर घुस रही है. उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता है.

रमेश गाड़ी से उअतर कर गेट बंद करते है और दरवाज़े के पास आते है. वो जैसे हे दरवाज़े की घंटी बजने के लिए हाथ उठाते है, दरवाज़ा खुलता है और सामने पायल शर्माते हुए खड़ी है. पायल को देख कर रमेश के चेहरे पर भी मुस्काम आ जाती है. वो अन्दर आते है और दरवाज़ा अन्दर से बंद कर देते है. अपने हाथ की दोनों पन्नी टेबल पर रख कर वो सोफे पर बैठ जाते है. पायल दौड़ कर रसोई में जाती है और एक गिलास में ठंडा पानी ला कर रमेश को देती है.

पायल : पापा...! पानी पी लीजिये...

रमेश गिलास लेते हुए पायल की ऊपर से निचे घुर कर देखते है. पापा की इस खा जाने वाली नज़र से पायल शर्म से लाल हो जाती है.

रमेश : पायल बेटी. अब तो २ दिनों तक घर में सिर्फ हम दोनों अकेले है. बहुत दिनों से मैंने अपनी प्यारी बिटिया के साथ वक़्त नहीं बिताया. अब पूरे २ दिनों तक मैं अपनी पायल के साथ ही रहूँगा. ना कोई कसरत, ना कोई टहलना. सिर्फ मैं और मेरी पायल बिटिया. ठीक है ना बेटी?

रमेश की बात सुन कर पायल शर्मा जाती है. अपनी नज़रे झुका कर शर्माते हुए पायल कहती है.

पायल : हाँ पापा. ठीक है. अब २ दिनों तक में भी टीवी नहीं देखूंगी और पढ़ाई भी नहीं करुँगी. सिर्फ अपने पापा के साथ ही रहूंगी.

दोनों एक दुसरे की तरफ देखते है. दोनों की आँखों में प्यार के साथ-साथ हवस भी दिखाई पड़ रही थी. कुछ देर वैसे ही नज़रों से बातें करने के बाद रमेश खड़े होते है.

रमेश : अच्छा पायल ये तुम्हारी भाभी ने कुछ तुम्हारा सामान दिया था, देख लो. मैं कपडे बदल के आता हूँ. फिर दोनों बाप-बेटी अराम से बातें करेंगे. अब तो २ दिनों तक कोई रोकने-टोकने वाला भी नहीं है.

पायल : (मुस्कुराते हुए) जी पापा..

रमेश के जाते ही पायल टेबल पर रखी एक पन्नी खोल कर देखती है तो उसमे माला-डी की गोलियां है. वो देखते ही पायल थोड़ी शर्मा जाती है और भाभी को याद कर के वो मुस्कुरा देती है. तभी उसकी नज़र दुसरी पन्नी पर पड़ती है. उत्सुकता से वो उस पन्नी में हाथ डालकर उसमे रखी एक शीशी बाहर निकालती है. जैसे ही उसकी नज़र उस शीशी पर पड़ती है तो उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है. शीशी पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था - 'शीलाजीत - एक्स्ट्रा पॉवर'.

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02-12-2022, 01:26 PM,
#60
RE: Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड
अपडेट २९ :

शीलाजीत की शीशी वापस पन्नी में रख कर पायल सोफे पर बैठ जाती है. उसका दिल अब भी तेज़ी से धड़क रहा था. वो जानती थी की शीलाजीत के बहुत से आयुर्वेदिक फायेदे है पर वो ये बात भी अच्छे से जानती थी की इसका इस्तेमाल संभोग की क्षमता को बढ़ाने के लिए भी किया जाता है. पन्नी में रखी वो शीशी संभोग की क्षमता को कई गुना बढ़ाने वाली शीलाजीत की ही थी. पायल के अन्दर डर के साथ-साथ उत्तेजना भी थी. डर, की जब पापा शीलेजीत खायेंगे तो उनके पहले से ही गधे जैसे लंड का क्या हाल होगा. उत्तेजना, की जब उस भीमकाय लंड से पापा उसकी चुदाई करेंगे तो जो आनंद और संतुस्टी उसे मिलेगी वो अकल्पनीय होगी. इसी डर और उत्तेजना में संतुलन बनाते हुए पायल अपने कमरे की ओर चल देती है. कमरे में पहुँच कर कुर्सी पर रखे टॉवेल को गले में डाले वो ड्राइंग रूम से होते हुए बाथरूम की ओर जाने लगती है.

अपने ख्यालों में खोई पायल जैसे ही बाथरूम के दरवाज़े पर पहुँचती है, उसे पापा की आवाज़ सुनाई देती है.

रमेश : कहाँ जा रही हो पायल बेटी?

पायल घूम कर देखती है तो थोड़ी दूर पर पापा खड़े है. बिना कुर्ते के, निचे एक पतली सी लुंगी लपेटे हुए वो पायल को घुर रहे थे. इतने सालों में पायल ने पापा को कभी भी बिना कुर्ते के नहीं देखा था. धोती के अलावा वो कुछ और पहनते भी नहीं थे. आज उनको इस तरह से देख कर उसे आश्चर्य भी हो रहा था और ख़ुशी भी. अपने पापा को मुस्कुराकर देखते हुए वो कहती है.

पायल : कुछ नहीं पापा, नहाने जा रही हूँ. आज धुप बहुत थी तो बदन पसीने से भर गया था.

पायल की बात सुन कर रमेश धीरे-धीरे चलते हुए उसके करीब आते है. अपना हाथ उसके गालों पर रख कर सहलाते हुए कहते है.

रमेश : अरे मेरी गुड़िया रानी. नाहा कर अपने पापा को साबुन की खुशबू सुन्घायेगी क्या? साबुन की खुशबू क्या मेरी बेटी के बदन की खुशबू से ज्यादा अच्छी है? नहाने की कोई जरुरत नहीं है.

पापा की बात सुन कर पायल भी शर्मा जाती है. वो इस बात को भूल ही गई थी की उसके बदन की खुशबू से पापा पागल हो जाते है. वो मुस्कुराते हुए कहती है.

पायल : सॉरी पापा. अब मैं २ दिन बिना नहाये ही रहूंगी.

रमेश : (पायल के सर पर हाथ फेरते हुए) शाबाश मेरी बिटिया...!! चल..अब ये टॉवेल रख कर मेरे पास सोफे पर आजा.

पायल टॉवेल पास की कुर्सी पर रख देती है. रमेश भी सोफे पर अराम से बैठ जाते है. टॉवेल रख कर पायल भी उनके पास आ कर बैठ जाती है. रमेश पायल के बदन को निहारते हुए अपने हाथ से उसके घने बालों को कान के पीछे करते हुए कहते है.

रमेश : पायल बेटी, तुम कितनी सुन्दर हो. दूध सी गोरी और तुम्हारा बदन भी किसी संगेमरमर की मूरत जैसा है. सही जगहों पर भरा हुआ, आकर्षित उठाव और किसी स्वर्ग की अप्सरा जैसा आकार. तुम्हे अपनी बेटी के रूप में पाकर मैं तो धन्य हो गया.

रमेश की बातों से पायल के दिल में हलचल मचने लगती है. यूँ तो उसकी सुन्दरता और मदहोश कर देने वाले शरीर की तारीफ वो पहले भी कई बार जाने-अनजाने लोगों से सुन चुकी थी पर आज अपने ही पापा के मुहँ से ये बातें सुन कर उसके अन्दर एक अजीब सी गर्मी पैदा हो गई थी. उस गर्मी से उसे पसीना तो आ रहा था पर वो पसीना उसके माथे पर नहीं बल्कि उसकी जांघो के बीच में बह रहा था. तेज़ सांसों से वो पापा से कहती है.

पायल : थैंक यू पापा. मेरी कॉलेज की सहेलियां भी कहती है की पायल तेरे बदन पर हर तरह के कपडे अच्छे लगते है, चाहे तो कुछ भी पहन ले.

रमेश : तेरी सहेलियाँ बिलकुल ठीक कहती है पायल. तेरे बदन पर तो हर तरह के कपडे अच्छे लगेंगे. पर फिर भी तू ये टॉप और लम्बी स्कर्ट ही पहन कर रहती है.

पायल : मम्मी के डर से पापा. आप तो जानते हैं ना मम्मी को. वो मुझे मन चाहे कपडे पहनने ही नहीं देती.

रमेश : जानता हूँ पायल. इसलिए तो मैंने तुझे कह रखा है की जब मम्मी घर पर ना हो तो जो चाहे वो कपडे पहन लिया कर. अब देख, तेरी मम्मी तो २ दिनों के लिए नहीं है. अब तो तू अपने मन चाहे कपडे पहन सकती है ना?

पायल : (शर्माते हुए) हाँ पापा. अब मम्मी नहीं है तो मैं जो चाहे वो पहन सकती हूँ.

रमेश : तो जा बेटी. एक अच्छी सी ड्रेस पहन ले.

पायल मुस्कुरा कर एक बार पापा को देखती है फिर अपनी चुतड हिलाते हुए अपने कमरे में जाने लगती है. सोफे पर बैठा रमेश अपनी बेटी की मटकती हुई चुतड को देख कर बड़ा खुश होता है. कई दिनों के बाद आज उसे अपनी बेटी की जवानी लूटने का मौका मिला था. वो अपनी धोती में हाथ डाल कर अपने मोटे लंड को एक बार जोर से मसल देते हैं.

सोफे पर बैठे रमेश पायल का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार कर रहे है. उनका ध्यान बार-बार पायल के कमरे की तरफ जा रहा था. वो सोच रहे थे की पायल क्या पहन कर आने वाली है. उनकी नज़र टेबल पर रखी शीलाजीत की शीशी पर जाती है. वो मन हे मन सोचते है की आज तो शीलाजीत खा कर पुरे जोश में पायल की चुदाई करूँगा की तभी उनके कानो में पायल की आवाज़ पड़ती है. " मैं कैसी लग रही हूँ पापा...?"

रमेश झट से सर उठा कर देखते है तो रसोई के पास पायल खड़ी है. पायल ने एक बिना बाह की लाल रंग की छोटी सी नाईटी पहन रखी है. नाईटी का गला काफी बड़ा और गहरा होने की वजह से उसके आधे दूध उठ के दिख रहे थे. गोर-गोर बड़े दूध और बीच में लम्बी गहराई. देखने से हे पता चल रहा था की पायल ने अन्दर ब्रा नहीं पहनी है और उसके दोनों निप्पल मात्र नाम के वास्ते ढके हुए थे. नाईटी को थोडा सा निचे खींच दो तो मानो अभी दिखाई देने लगेंगे. नाईटी की लम्बाई भी बहुत ज्यादा नहीं थी. कमर से बस थोड़ी निचे. सोफे पर बैठे रमेश को नाईटी के निचे से पायल की पैन्टी साफ़ दिखाई पड़ रही थी. अपनी बेटी को इस रूप में देख कर रमेश का लंड धोती में तांडव करने लगता है. रमेश एक बार खड़े होते है और अपनी धोती में लंड को ठीक करते हुए कहते है.

रमेश : बहुत प्यारी लग रही है मेरी पायल. आओ बेटी अपने पापा के पास.

रमेश धोती में लंड को ठीक करके फिर से सोफे पर बैठ जाते है और पायल धीरे-धीरे शर्माते हुए उनके पास आने लगती है. पायल पापा के ठीक सामने आ कर खड़ी हो जाती है. रमेश ऊपर से निचे अपनी बेटी की जवानी को आँखे फाड़-फाड़ कर देखते है फिर कहते है.

रमेश : बहुत खूबसूरत लग रही है मेरी बिटिया रानी.

फिर रमेश आगे से पायल की नाईटी थोड़ी ऊपर कर के बूर पर कसी हुई लाल कच्ची देखते है. कच्ची बूर पर कसी हुई है और दोनों तरफ से हलके बाल निकले हुए है. कच्ची पर पायल की बूर उभर के दिख रही है जिस की वजह से बीच में एक हलकी सी लकीर भी दिखाई पड़ रही है. रमेश जब ये नज़ारा देखते है तो उनके मुहँ में पानी आ जाता है. वो कच्छी पर उभरी हुई बूर को देखते हुए कहते है.

रमेश : सीईईई...!! बहुत प्यारी लग रही है. अब जरा पीछे से दिखाओ तो कैसी है.

पापा की बात पर पायल घूम जाती है. उसके घूमते ही पीछे से उसकी चौड़ी चुतड नाईटी के अन्दर उठ के दिखने लगती है. नाईटी छोटी होने की वजह से पीछे से पायल की चूतड़ों पर कसी हुई कच्ची भी दिखने लगती है. रमेश पायल की नाईटी उठा के देखते है तो छोटी सी कच्ची किसी तरह पायल की चूतड़ों पर टिकी हुई है. उसकी चूतड़ों के बीच कच्ची मानो गायब सी हो गई है. रमेश दोनों हाथ से पायल के चूतड़ों को खोल के देखते है तो अन्दर कच्ची पायल के गांड के छेद और निचे बूर की किसी तरह से ढके हुए है.

रमेश : आह पायल..!! बहुत अच्छे कपडे पहने है बिटिया तुमने.

पायल फिर से पापा की तरफ घूम जाती है और कहती है.

पायल : पापा ये नाईटी भाभी की है. भाभी तो मुझे उस दिन ही ये पहनने कह रही थी पर मुझे शर्म आ रही थी इसलिए नहीं पहनी.

रमेश : कोई बात नहीं बेटी. उस दिन नहीं तो आज सही.

दोनों एक दुसरे की आँखों में देखने लगते है. बाप-बेटी के पवित्र रिश्ते पर तो पहले ही कालिख पूत चुकी थी. रमेश और पायल अब इस रिश्ते को हवस के गंदे दलदल में डुबोने को तैयार थे. रमेश का दिल तो कर रहा था की पायल को पटक कर उसकी कच्छी फाड़ दे और अपना मोटा लंड उसकी बूर में ठूँस दे. पर वो अच्छी तरह से जानता था की पायल अभी उसका लंड लेना भी चाहे तो बूर में नहीं ले पायेगी. रमेश और पायल के पास २ दिनों का वक़्त था. रमेश जानता था की पायल जब पूरी तरह से गरमा जाए और उसकी बूर से लगातार पानी बहने लगे और वो खुद बाप का लंड पकड़ के अपनी बूर में ठूँसने लगे, तभी वो पायल की बूर अच्छी तरह से चोद पायेगा. इस बात को ध्यान में रखते हुए वो पायल से कहते है.
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