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RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
" आह मुझे माफ कर दो शादाब, शहनाज़ तुम तो मेरी बहन जैसी हो, मुझे छोड़ दो ।
शहनाज़ रोती हुई शादाब के गले लग गई और सुबकती हुई बोली:"
" शादाब इसने दादा दादी को मार दिया है, ये बहुत नीच औरत हैं।
इसे खत्म कर दो बेटा।
रेशमा:" हान शादाब, इसे जीने का कोई हक नहीं हैं,
रेशमा ने गुस्से में रोड उठा ली और वापिस पलट गई पप्पू और काजल की तरफ जो कि अभी तक अजय की पिस्टल के सामने पड़े हुए थे।
रेशमा किसी शेरनी की तरह दहाड़ती हुई आगे बढ़ी और रोड का जोरदार नीचे से नंगे पप्पू के लंड पर कर दिया
" हरामजादे मेरी भाभी पर गंदी नजर डालेगा तू, मेरे घर की इज्जत खराब करेगा
पप्पू सिर कटे हुए जानवर की तरह छटपटाया और रेशमा ने फिर से अगला वार उसके पेट पर कर दिया और पप्पू की आंते बाहर बिखर गई। पप्पु ने तड़पते हुए दम तोड़ लिया और काजल ये सब देख कर बेहोश हो गई।
रेशमा ने एक बार फिर से अपनी रोड उठाई और जोर से चिल्लाई:_ आंखे खोल हरामजादी देख तेरी मौत तेरे सिर पर खड़ी है।
डर के मारे काजल की आंखे खुल गई और रेशमा ने रॉड का वार उसके मुंह पर कर दिया और काजल की दर्दनाक चींखें गूंज उठी।
रेशमा आगे अाई और शहनाज़ के हाथ में रॉड देते हुए बोली:
" ले शहनाज कर से इसका वहीं हाल जो ये तेरा करना चाहती थी। शहनाज़ ने रॉड को थाम लिया और रेशमा ने रेहाना की दोनो टांगे फैला दी तो मौत का खौफ रेहाना की आंखो में नाच उठा।
शादाब और अजय दोनो में अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया और शहनाज़ ने रॉड का भरपुर वार रेहाना की जांघो के बीच में किया और उसकी चूत में रॉड किसी रॉकेट की तरह धंसती चली गई। रेहाना के आंखे बाहर को उबल पड़ी और दर्द के मारे बेहोश हो गई और थोड़ी देर बाद ही उसका जिस्म शांत हो गया
शहनाज़ और रेशमा दोनो एक दूसरे के गले लग गई और रो पड़ी। दोनो चलते हुए शादाब के पास चली और शहनाज़ शादाब से कसकर लिपट गई और रोने लगी। शादाब ने अपनी अम्मी का चेहरा अपने दोनो हाथो में भर लिया और खून साफ करने लगा।
तभी रेहाना के जिस्म में हलचल हुई और उसने अपना खून से लाल हो चुका चेहरे उपर उठाया और अपनी जेब से एक तेज धार चाकू बाहर निकाला और जोर से चिल्लाई:"
" शहनाज़
शहनाज़ जैसे ही पीछे पलटी तो रेहाना ने चाकू का वार उस पर कर दिया और चाकू किसी कमान से निकले तीर की तरह हवा में उड़ता हुआ आया और रेशमा शहनाज़ के आगे अा गई जिससे चाकू रेशमा के पेट में घुसता चला गया। शादाब ने अपनी बुआ को अपनी बांहों में थाम लिया और अजय ने रेहाना पर गोलियों की बौछार कर दी और रेहाना ने तड़पते हुए दम तोड़ दिया।
शहनाज़ रोते हुए रेशमा से लिपट गई और बोली:_
," ये तूने क्यों किया रेशमा, मेरी मौत को अपने सिर पर ले लिया।
रेशमा लंबी लंबी सांस लेते हुए बोली:" तुम हमारे घर की बहू हो और तुम्हारी रक्षा मेरा फर्ज़ था शहनाज़ भाभी।
अजय:_ शादाब जल्दी से इन्हे किसी हॉस्पिटल में ले चलो इससे पहले कि देर हो जाए !!
शादाब ने रेशमा को अपने कंधे पर उठाया और दौड़ पड़ा हॉस्पिटल की तरफ। जैसे ही हॉस्पिटल पहुंचा तो उसने रेशमा को एडमिट किया तो डॉक्टर ने ऑपरेशन करने से साफ मना कर दिया और बोला कि ये तो पुलिस कैस हैं।
शादाब:" हां ये पुलिस कैस हैं, मैं पुलिस को कॉल करता हूं, तुम ऑपरेशन की तैयारी करो।
डॉक्टर:" नर्स जल्दी से ऑपरेशन की तैयारी करो।
शादाब ने पुलिस को फोन किया और उन्हें वहां आने के लिए बोला तो इंस्पेक्टर हसन बोला:"
" तुम कौन बोल रहे हो ?
शादाब ने फोन काट दिया और शहनाज़ और अजय भी हॉस्पिटल पहुंच चुके थे। शादाब शहनाज़ को रेशमा के पास से छोड़कर अजय के साथ घर की तरफ चल पड़ा। दोनो ने अभी तक अपने मुंह पर मास्क लगाया हुआ था जिससे कोई इन्हे नहीं पहचान पाया था।
शादाब और अजय दोनो पाइप से उपर चढ़ गए और घर के अंदर दाखिल हो गए। दोनो नहाए और अपने कपड़े बदल लिए।पुलिस वाले मुस्तैदी के साथ अभी नहीं बाहर पहरा दे रहे थे।
इंस्पेक्टर हसन हॉस्पिटल पहुंच गया और वहां उसे शहनाज मिली जो कि जख्मी थी और रेशमा का अंदर ऑपरेशन चल रहा था।
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RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
हसन ने वापिस हॉस्पिटल आकर डॉक्टर से बात करी और तब तक दिन निकल गया था इसलिए वो शहनाज़ को लेकर घर की तरफ चल पड़ा। रेशमा का ऑपरेशन हो गया था लेकिन अभी तक बेहोश थी।
दूसरी तरफ शादाब और अजय से सारे सबूत मिटा दिए ताकि पुलिस वालों को हल्की सी नहीं भनक ना लगे कि वो कितना बड़ा कांड करके आए हैं।
इंस्पेक्टर ने शहनाज़ को गाड़ी में ही बिठा कर रखा और एक पुलिस वाले को बुलाया और बोला:"
" अरे रामू रात से घर से कोई अंदर या बाहर तो नहीं गया हैं
रामू:" सर मैं खुद पूरी रात जागकर ड्यूटी किया हूं, कोई परिंदा भी अंदर बाहर नहीं हुआ है आदमी तो बहुत दूर की बात हैं।
इंस्पेक्टर शहनाज़ को लेकर अंदर घर के अंदर चला गया तो शहनाज़ लाशों से लिपट कर रोने लगी और उसकी आंखो से आंसू बह रहे थे। शादाब उसे बार बार संभालने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन शहनाज़ की तो जैसे दुनिया ही लुट गई थी। वो दादा दादी के साथ ही तो अपनी आधी ज़िन्दगी रही और उन्हें अपने सगे मा बाप की तरह प्यार करती थी।शहनाज़ का रोना मोहल्ले और परिवार की औरत अा गई और उसे समझाने लगीं।
इंस्पेक्टर शादाब को उपर छत पर ले गया और बोला:"
" रात रेहाना और उसके सभी गुण्डो का किसी ने खून कर दिया है कहीं ये नेक काम आपने तो नहीं किया हैं।
शादाब ने हसन की आंखो में देखते हुए कहा:" ये तो बहुत खुशी की बात हैं, मगर मुझे ज़िन्दगी भर अफसोस रहेगा कि उन कुत्तों को मैं नहीं मार सका।
हसन:":शादाब ज्यादा बनने की कोशिश मत करो, मेरे पास इस बात का पक्का सबूत हैं कि तुम रात को घर से बाहर गए थे और उन्हें सबको मारा और फिर शहनाज़ और रेशमा को हॉस्पिटल में छोड़कर वापिस आ गए।और हान तुम्हारे साथ ये तुम्हारा दोस्त अजय भी था।
शादाब एक पल के लिए तो कांप गया लेकिन अगले ही पल खुद को काबू में करते हुए बोला:'
" इंस्पेक्टर साहब हवा में तीर चलाने से कुछ हासिल नहीं होगा, अगर कोई सबूत हो तो बताओ मुझे।
हसन के होंठो पर स्माइल अा हुई और बोला:_
" हॉस्पिटल के सीसीटीवी कैमरे में तुम और अजय साफ नजर आ रहे हो।
शादाब:' जब मैं घर से बाहर निकला ही नहीं तो वहां कैसे जा सकता हूं, अपने पुलिस वालो से पूछ लो एक बार।
हसन समझ हुआ कि शादाब जरूरत से ज्यादा तेज हैं और बातो के दबाव में नहीं आएगा इसलिए बोला:_
" रेहाना ने तुम्हारे परिवार पर हमला क्यों किया और तुम्हारी उसकी क्या दुश्मनी थी।
शादाब ने सब कुछ वहीं बताया जो शहनाज़ पहले ही बता चुकी थी।
हसन:" क्या मुझे घर के बाहर लगे कैमरे की फुटेज मिल सकती हैं जब रेहाना तुम्हारे घर अाई थी ?
शादाब ने इंस्पेक्टर को वो सभी फुटेज निकाल कर दिखा दी कि रेहाना घर के अंदर दाखिल हुई थी और बाद में गुस्से में बड़बड़ाती हुई चली गई।
हसन:": ठीक है लेकिन जब तक मुझे असली मुजरिम नहीं मिल पाता तुम दोनों मेरी नजरो में ही रहोगे।
शादाब और अजय दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा और मुस्करा दिए। हसन अपने चेहरे पर गुस्से कें भाव लिए हुए चला गया। सभी गांव के लोग, दादा जी के मिलने वाले, रिश्तेदार अा चुके थे इसलिए दादा दादी के जनाजे तैयार किए गए और लोगो की भीड़ उमड़ पड़ी।
दादी दादी दोनो को गमगीन माहौल में सुप्रदे ए खाक कर दिया और शादाब की आंखो से आंसू निकल रहे थे और अजय उसे बार बार समझा रहा था। आखिरकार दोनो घर अा गए और शाम तक सभी मेहमान और गांव वाले चले गए तो तीनो हॉस्पिटल की तरफ चल पड़े जहां अभी तक रेशमा बेहोश पड़ी हुई थी।
शहनाज़ के चेहरे पर भी काफी सारी चोट अाई हुई थी। डॉक्टर ने फिर से शहनाज़ को एडमिट कर लिया । शादाब और अजय आपस में बैठे हुए बाते कर रहे थे कि तभी इंस्पेक्टर हसन अंदर दाखिल हुआ।
हसन:" मेडिकल रिपोर्ट से साबित हो गया हैं कि पप्पू ने काजल का रेप किया है इसलिए इस बात की पुष्टि हो गई हैं कि रेप की वजह से गुण्डो में आपसी लड़ाई छिड़ गई और ज्यादातर मारे गए और बाकी भाग गए। लेकिन मुझे अभी भी लगता हैं कि ये खून तुमने जी किया हैं शादाब ।
शादाब इस बार थोड़े तेज स्वर में बोला:' सिर्फ लगने से कुछ नहीं होता, साबित करके दिखाओ।
हसन:' वो तो मैं जरूर करता लेकिन अभी फिलहाल मेरा ट्रांसफर हो रहा हैं और कमिश्नर साहब ने ये फाइल बंद करने का ऑर्डर दिया हैं क्योंकि वो सभी अपराधी थे इसलिए उनके मरने से कानून को फायदा ही हुआ है। रेहाना का पति अभी जेल में ही बंद हैं और उसे 20 साल की सजा हुई हैं। अब तुम दोनों मेरी तरफ से आजाद हो।
इतना कहकर हसन बाहर अा गया और अजय और शादाब दोनो मुस्कुरा दिए।
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RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
अजय:" अच्छा शादाब बात सुन भाई मुझे अब घर जाना होगा क्योंकि मेरी मम्मी के काफी फोन अा रहे हैं और मेरी बड़ी बहन भी मुझे बहुत याद कर रही हैं।
शादाब ने उसे जोर से गले लगा लिया और बोला:"
" अजय भाई मैं तुम्हारा ये एहसान कभी नहीं चुका पाऊंगा, मेरी कभी भी जरूरत पड़े तो मुझे याद करना।
अजय उसके गाल पर हल्की सी चपत लगाते हुए बोला:"
" भाई भी बोलता हैं और बात एहसान की करता हैं, सुधर जा अब तू।
शादाब एक बार फिर से अजय से लिपट गया और थोड़ी देर बाद अजय अपने घर की तरफ निकल गया। शादाब और शहनाज़ दोनो अलग अलग कमरे में थी। शादाब शहनाज़ के कमरे में गया तो देखा की शहनाज़ सो रही है तो वो फिर अपनी बुआ के कमरे में गया तो रेशमा अभी तक बेहोश थी ।
शादाब वापिस आया और शहनाज़ के माथे को चूम लिया। शहनाज़ अभी तक दवाई के नशे में पड़ी हुई थी और सुबह से पहले नहीं उठने वाली थी। शादाब शहनाज़ के कमरे में खाली पड़े हुए बेड पर लेट गया। वो बुरी तरह से थका हुआ था इसलिए जल्दी ही गहरी नींद में सो गया।
रात को करीब दो बजे शहनाज़ की आंख खुली और उसने शादाब को अपने सामने दूसरे बेड पर सोते हुए देखा तो उसे खुशी हुई। हालाकि दादा दादी की मौत से वो बुरी नजर से टूट गई थी लेकिन वो जानती थी कि शादाब अपनी दादा दादी से बहुत प्यार करता था इसलिए उसे बहुत ज्यादा दुख हुआ होगा। शहनाज़ जैसे ही उठने लगी तो उसे आपके सिर में दर्द का एहसास हुआ और उसके मुंह से एक दर्द भरी आह निकल पड़ी । शादाब की आंख खुल गई तो देखा कि शहनाज़ बेड से उतरने की कोशिश कर रही हैं तो वो एकदम से खड़ा हो गया और शहनाज़ के सामने जा पहुंचा।
शादाब को उठते हुए देखकर शहनाज़ को दुख हुआ और बोली:_ बेटा तुम आराम कर लो
शादाब शहनाज़ के पास बेड पर बैठ गया और उसका हाथ पकड़ते हुए बोला:'
" अम्मी जब आप दिक्कत में हो तो मुझे नींद कैसे अा सकती हैं ?
शहनाज़ ने शादाब की बात सुनकर आपके दोनो हाथ फैला दिए और शादाब उसकी बांहों में समा गया। शहनाज़ ने उसे अपनी गले से लगाकर जोर से कस लिया और दोनो मा बेटे कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे। दादा दादी को याद करके शहनाज़ की आंखे भर आई और उसकी रुलाई फूट पड़ी।
शहनाज़ रोते हुए बोली:" शादाब ये सब मेरी वजह से हुआ है, ना मेरी रेहाना से लड़ाई होती और ना आज ये दिन देखना पड़ता।
शादाब ने अपनी मा के चेहरे को साफ किया और और उसकी आंखो में देखते हुए बोली:"
" अम्मी दादा दादी की मौत का मुझे भी दुख हैं लेकिन होनी को कौन टाल सकता है, आप अपने आपको इसके लिए जिम्मेदार ना मानिए। मुझे रेहाना से ऐसी उम्मीद नहीं थी।
शहनाज़ के आंसू बहते रहे और शादाब साफ करता रहा। जब शहनाज के आंसू नहीं रुके तो शादाब ने उसका चेहरा अपने दोनो हाथो में भर लिया और बोला:" अम्मी बस आपको अब मेरी कसम, चुप हो जाइए।
शादाब की कसम से जैसे कमाल हो गया और शहनाज़ के आंसू अपने आप सूखते चले गए। शादाब शहनाज़ पीठ थपथपाते हुए बोला:"
" अम्मी आपने खुद अपने हाथों से उस कमीनी को उसके लिए की सजा दी हैं। बताओ शहनाज़ आपके लिए मैं और क्या कर सकता हूं ?
शहनाज़ को शादाब की बात सुनकर कुछ सुकून मिला और उसे वो पल याद आ गया जब उसने लोहे की वो मोटी रॉड रेहाना की चूत में घुसा दी थी और वो दर्द से तड़प रही थी।
शहनाज:" हान बेटा उस कूतिया की चींखें सुनकर जरूर दादा दादी को आराम मिला होगा।
शादाब:" अम्मी मैं दादा दादी के बाद बिल्कुल अकेला पड़ गया हूं, उनकी बहुत याद आएगी मुझे।
शहनाज़:" शादाब तेरा दर्द मैं समझ सकती हूं लेकिन मेरे लिए तो वो ही सबसे बड़ा सहारा थे। घर कितना खाली खाली लगेगा उनके बिना, मुझे तो उनकी आवाजे सुनाई देगी शहनाज बेटी चाय ले आओ, खाना ले आओ, शहनाज़ मेरे कपड़े प्रेस कार दो, शहनाज़ खाने में मसाला कुटा हुआ डालना।
मसाले शब्द मुंह से निकलते ही शहनाज़ की आंखे शर्म से झुक गई। शादाब की आंखो के आगे वो दृश्य याद अा गए कि किस तरह उनका प्यार मसाला कूटने से शुरू हुआ था।
शादाब ने शहनाज़ का हाथ हल्का सा दबा दिया और बोला:"
" अम्मी आप फिक्र ना करे, आपका बेटा कभी आपको किसी चीज की कमी नहीं होने देगा।
शहनाज़ को शादाब पर बहुत प्यार आया और उसने अपने बेटे का मुंह चूम लिया। शादाब प्यार से शहनाज़ के चेहरे को सहलाने लगा जो कि थप्पड़ पड़ने की वजह से लाल हुआ था और हल्के हल्के काले निशान पड़े हुए थे।
शादाब:" हरामजादी रण्डी साली रेहाना, क्या हाल कर दिया हैं मेरी जान शहनाज का उसने!!
इतना कहकर वो धीरे धीरे शहनाज़ के जख्मों को हल्का हल्का चूमने लगा। शहनाज़ को दर्द तो बहुत था लेकिन अपने बेटे का प्यार देखकर बड़ा सुकून मिल रहा था।
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इतना कहकर वो धीरे धीरे शहनाज़ के जख्मों को हल्का हल्का चूमने लगा। शहनाज़ को दर्द तो बहुत था लेकिन अपने बेटे का प्यार देखकर बड़ा सुकून मिल रहा था।
शहनाज़:" बस कर शादाब, बेटा रेशमा मेरे लिए रेहाना और उसके गुण्डो से बहुत लड़ी जिस कारण उसे काजल ने बहुत बुरी तरह से पीटा था। अगर वो ना होती तो आज मैं ज़िंदा ना रहती ।
शादाब अपनी बुआ की तारीफ सुनकर खुश हुआ और बोला:"
" अम्मी सच में बुआ बिल्कुल बदल गई है, दादा दादी भी उसकी बड़ी तारीफ कर रहे थे।
शहनाज़:" हान शादाब, उसने सच में मेरे दिल को छू लिया है। लगता हैं जैसे मेरी सगी बहन हो ।
शादाब:" अम्मी बस आप और हुए ठीक हो जाए, मुझे आप दोनो की बड़ी फिक्र हैं ।
शहनाज़:" बेटा मुझे ज्यादा चोट नहीं हैं लेकिन रेशमा की तरह मुझे भी फिक्र हो रही हैं। उसके दो बच्चे हैं शादाब।
शादाब: सब ठीक हो जाएगा, बुआ का ऑपरेशन ठीक हो गया है और वो अब खतरे से बाहर है , कल दिन में उन्हें होश अा जाएगा।
शहनाज शादाब की बात सुनकर खुश हो गई और उसके बाद दोनो मा बेटे एक दूसरे की बाहों में सो गए। शहनाज़ को आज अपने बेटे की बांहों में बहुत सुकून मिल रहा था और ऐसा आज पहली बार हुआ था कि ना तो शादाब का लंड ही खड़ा हुआ और ना ही शहनाज़ के जिस्म में कोई हलचल हुई। आज दोनो को एहसास हो रहा था कि सेक्स और वासना कभी भी खून पर भारी नहीं पड़ सकती।
अगले दिन सुबह शादाब की आंख खुली और उसने खुद को अपनी अम्मी शहनाज़ की बांहों में पाया तो प्यार से उसका मुंह चूम लिया और धीरे से बेड पर से उठ गया और रेशमा को देखने के लिए चला गया। रेशमा अभी तक बेहोश ही पड़ी हुई थी और उसका चेहरा हल्का पीला पड़ा हुआ था। शादाब को एपीएम बुआ ज़िन्दगी में पहली बार इतनी प्यारी लगी और धीरे से नीचे झुकते हुए उसने रेशमा का माथा चूम लिया। रेशमा अपने खून के इस एहसास को महसूस करके बेहोशी की हालत में भी स्माइल करने लगी और उसने कसमसाते हुए अपनी आंखे खोल दी तो शादाब को अपने उपर झुका हुआ पाया।
शादाब ने रेशमा को स्माइल दी और बोला:"
" खुदा का लाख लाख शुक्र है बुआ कि आपको होश अा गया। मुझे तो आपकी बड़ी फिक्र हो रही थी।
रेशमा की आंखो में दर्द साफ उभर आया और उसकी पीड़ा उसके चेहरे से साफ छलक रही थी। शादाब ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:"
" आप आराम से लेटी रहिए बुआ, अभी आपके जख्म हरे हैं, आपको आराम को सख्त जरूरत हैं बुआ।
रेशमा:" बेटा वो अम्मी पापा को अगर में आखिरी बार देख लेती तो अच्छा होता।
रेशमा की बात सुनकर शादाब की भी आंखे भर अाई और बोला:"
" बुआ मुझे माफ़ कर देना, उन्हें दफना दिया गया हैं। आप दो दिन से बेहोश थी।
रेशमा को इससे बहुत दुख पहुंचा और उसकी आंखो से आंसू छलक पड़े। शादाब ने अपनी बुआ का चेहरा अपने हाथों में भर लिया और बोला:"
" मैं दादा दादी की जगह तो नहीं ले सकता पर वादा करता हूं कि आपको ज़िन्दगी में कोई कमी नहीं आने दूंगा बुआ।
रेशमा:" शादाब शहनाज कैसी हैं? बेटा मैंने बहुत कोशिश करी लेकिन दादा दादी और शहनाज़ को नहीं बचा पाई मैं ठीक से ?
शादाब ने रेशमा का हाथ पकड़ लिया और बोला:"
" बुआ आप इतनी बड़ी बहादुर निकलोगी मुझे अंदाजा नहीं था, आपने तो मेरी अम्मी शहनाज़ को बचाया हैं। मुझे ये सोचकर खुशी हुई कि आप मेरी बुआ हैं।
रेशमा के होंठो पर अपनी तारीफ सुनकर दर्द में भी एक स्माइल अा गई और बोली:"
" शादाब शहनाज़ कैसी हैं? ठीक तो हैं वो ?
शादाब:" हान बुआ अम्मी बिल्कुल ठीक हैं बस सो रही है, जैसे ही उठेगी आपके पास ले आऊंगा।
रेशमा:" ठीक हैं शादाब, और बेटा मैं माफी के काबिल तो नहीं हूं लेकिन ही सके ती मुझे माफ़ कर देना मैंने तेरे साथ भी सही नहीं किया, जिस्म की आग के लालच में मैने तुझे बहकाया था। शादाब मुझे उस रात....
शादाब ने अपनी एक उंगली रेशमा के होंठो पर रख दी और नीचे झुकते हुए उसका गाल चूम लिया और बोला:"
" बुआ आप सब बाते अपनी दिल और दिमाग से निकाल दीजिए। आप बस आराम कीजिए।
शादाब इतना कहकर उठ गया तो रेशमा ने उसे स्माइल दी और शादाब एक बार फिर से शहनाज के कमरे में अा गया। शहनाज़ उठ गई थी और किसी गहरी सोच में डूबी हुई थी। शादाब को देखकर वो अपनी सोच से बाहर निकली और बोली:"
" रेशमा को होश अा गया क्या शादाब ? मेरा बहुत मन हैं उसे देखना का
शादाब एक बार फिर से शहनाज़ के पास बैठ गया और बोला :"
" अम्मी रेशमा बुआ को होश अा गया है और वो भी आपके ही बारे में पूछ रही थी। आप किस सोच में डूबी हुई थी ?
शहनाज़ अपनी आंखे बंद करके बोली:'
" बेटा बस ये ही सोच रही थी कि सच में रेशमा कितनी बदल गई हैं, दादा दादी का कितना ख्याल करने लगी थी, मेरे लिए तो वो एक फरिश्ता साबित हुई है।
और मैं उसके बारे में कितना गन्दा सोच रही थी।
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शादाब:" अम्मी हान सच में बुआ बदल गई है, आज मुझसे भी माफी मांग रही थी।
शहनाज़ चौंकते हुए:': तुझसे किस बात की माफी शादाब ?
शादाब:"; बोल रही थी मैंने तुझ पर गलत नजर रखी और तुझे बिगाड़ना चाहा, मैं माफी के काबिल तो नहीं हूं लेकिन फिर भी हो सके तो मुझे माफ़ कर देना।
शहनाज़ की आंखे भर आईं और वो बोली:" बेटा मुझसे जल्दी से उसके पास ले चल, आंखे तरस रही है उसे देखने के लिए।
शादाब ने शहनाज़ को अपनी गोद में उठा लिया और शहनाज़ ने खुशी के मारे अपने बेटे का मुंह चूम लिया और शादाब स्माइल करते हुए उसे लेकर चल पड़ा। जैसे ही वो रेशमा के कमरे में घुसे तो रेशमा शहनाज़ को देखते ही बोली:"
": आप ठीक तो हो भाभी ? देखो अभी कितना जख्म और चोट के निशान हैं आपके चेहरे और जिस्म पर ?
शादाब ने शहनाज़ को रेशमा के पास बेड पर बिठा लिया तो शहनाज़ उसका हाथ पकड़ कर बोली:"
" ये जख्म तो भर जाएगी पगली लेकिन अगर तुझे कुछ हो जाता तो मै खुद को कभी माफ नहीं कर पाती, क्या जरूरत थी तुझे ये सब करने की ?
रेशमा जैसे ही हल्का सा शहनाज़ की तरफ झुकी तो उसके टांको में दर्द हुआ और उसके मुंह से एक आह निकल पड़ी। शहनाज़ ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली:"
" उठो मत रेशमा बाज़ी, अभी जख्म ताजा हैं तुम्हे दर्द होगा।
इतना कहकर शहनाज़ ने आपका चेहरा उसके चेहरे के पास कर दिया तो रेशमा ने आज सालो के बाद शहनाज़ के मुंह से अपने लिए बाज़ी शब्द सुना तो वो खुश हो गई और शहनाज का गाल चूम लिया और बोली:"
"भाभी आप हमारे घर की इज्जत हो और आपके दादा दादी की सेवा के लिए दूसरी शादी नहीं करी जिससे नाराज होकर आपके परिवार ने आपको ठुकरा दिया। आपने मेरे मा बाप के लिए इतना कुछ किया है तो मेरा भी फर्ज़ बनता है कि आपकी रक्षा करने का मेरी प्यारी भाभी।
शहनाज़ की आंखे भर आई और उसने एक बार रेशमा का गाल चूम लिया तो रेशमा शर्मा गई जिससे दोनो के होंठो पर स्माइल अा गई और शादाब ने वहां से निकलने में भलाई समझी ताकि दोनो खुलकर अपने दुख सुख की बाते कर सके।
शादाब:' अम्मी बुआ आप लोग बाते करो तब तक मैं आपके लिए खाने का कुछ सामान लेकर आता हूं ।
इतना कहकर शादाब बाहर चला गया तो रेशमा बोली:"
" भाभी रेहाना के साथ क्या हुआ था जो उसने इतना बड़ा कदम उठाया। जहां तक मुझे याद हैं वो तो दादा जी को बहुत मानती थी।
शहनाज़ ने उसे सारी बाते एक एक करके बता दी और रेशमा हैरानी से सब सुनती चली गई। फिर बोली:'
" ओह तो उसकी नीयत शादाब पर खराब हो गई थी इसलिए इतना पंगा हुआ। वैसे भाभी एक बात कहूं आगर आपको बुरा ना लगे तो ?
शहनाज़ रेशमा का हाथ दबाते हुए बोली:' बोल रेशमा मुझे अब तेरी कोई बात बुरी नहीं लगेगी
रेशमा अपनी आंखे झुका कर बोली:' अपना शादाब हैं सच में बहुत खूबसूरत, पहली नजर में ही लड़कियां तो छोड़ो औरतें भी इसकी दीवानी हो जाती हैं।
शहनाज़ प्यार से उसका गाल खींचती हुई बोली:'
":कहीं तू भी तो शादाब की दीवानी नहीं हो गई रेशमा ?
रेशमा के गाल गुलाबी हो उठे और बोली:'
":अब नहीं भाभी, पहले कभी थी, अब मैंने अपने आपको बदल दिया है और सच कहूं तो मेरे अंदर ये बदलाव शादाब की वजह से ही आया हैं। अब देखना आप मैं आपको कभी शिकायत का मोका नहीं दूंगी।
शहनाज और रेशमा बाते कर ही रहे थे कि तभी शादाब खाना लेकर अा गया। उसके आते ही दोनो चुप हो गई और सभी खाना खाने लगे। रेशमा को शहनाज ने खुद आपके हाथ से खाना खिलाया।
खाना खाकर शहनाज़ बोली:'
" शादाब डॉक्टर से बोलकर एक बड़ा बेड रेशमा बाज़ी के कमरे में लगवा दो मैं अब इनके पास ही सोया करूंगी ताकि इन्हे किसी चीज की दिक्कत ना रहें।
शादाब के बोलने पर डॉक्टर ने एक बड़ा बेड रेशमा के कमरे में लगवा दिया और करीब सात दिन के बाद शहनाज़ तो पूरी तरह से ठीक हो गई जबकि रेशमा की भी हॉस्पिटल से छुट्टी हो गई। बस उसके टांको में अभी थोड़ा दर्द था लेकिन शादाब को एक बार रेशमा को हॉस्पिटल लेकर आना था ताकि उसके टांके कट जाए।
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RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
आखिरकार आज करीब आठ दिन के बाद शादाब अपने घर वापिस लौट रहा था। जैसे ही गाड़ी घर के गेट पर रुकी तो पड़ोसी इकट्ठा हो हुए और शहनाज़ और रेशमा का हाल चाल पूछने अा गए।
शादाब ने रेशमा को अपनी गोद में उठा लिया और घर के अंदर ले जाकर नीचे ही बेड पर लिटा दिया। घर में तीनो की नजरे रह रह कर दादा दादी को ढूंढ रही थी लेकिन तीनो जानते थे कि अब उन्हें दादा दादी की परछाई भी मिलने वाली नहीं हैं।
सबसे ज्यादा दुख शहनाज़ को हो रहा था और उसे पूरा घर खाली खाली और काटने को दौड़ रहा था। दादा दादी को याद करके शहनाज़ की आंखे भर आईं और वो शादाब के गले लग कर फिर से रोने लगी। शहनाज़ की देखा देखी रेशमा भी पिघल गई और उसने भी रोना शुरू कर दिया। माहौल पूरी तरह से गमगीन हो चुका था इसलिए शादाब भी अपने आंसू नहीं रोक पाया और शहनाज़ के गले लग कर जोर जोर से रोने लगा। पड़ोसियों ने बड़ी मुश्किल से तीनो को चुप कराया और एक आदमी पड़ोस से ही खाना लेकर अा गया।
पड़ोसी:' शादाब बेटा खुद को संभालो और अपनी अम्मी और बुआ को भी क्योंकि अब सारा कुछ तुम्हे ही देखना हैं।
शादाब भरे हुए गले से बोला:'
" दादा जी मुझसे बहुत प्यार करते थे, लगता हैं जैसे वो अभी मुझे आवाज लगाकर बुलाएंगे
पड़ोसी:'' बेटा मैं तुम्हारा दर्द समझ सकता हूं लेकिन तुम्हे आपको संभालना ही होगा शादाब , मैं कुछ खाना लेकर आया हूं थोड़ा सा खा लो तुम सभी लोग।
इतना कहकर उस आदमी ने खाना टेबल पर लगा दिया तो शहनाज़ सुबकती हुई बोली:"
": रहने दीजिए भाई साहब आप, हमारा किसी का खाने का बिल्कुल भी मन नहीं हैं।
पड़ोसी:" बहन होनी को कौन टाल सकता हैं तुझे अब घर को अपने बेटे को संभलना होगा, थोड़ा थोड़ा खा लो आप लोग।
पड़ोसी के ज्यादा जिद करने पर सभी ने थोड़ा थोड़ा खाना खाया और जैसे जैसे रात होती गई एक एक करके पड़ोसी आपके घर चले गए।
चूंकि सबने नीचे ही सोना था इसलिए शहनाज़ ने बिस्तर तैयार कर दिए और तीनो आराम से लेट गए। थोड़ी देर के बाद उन्हें नींद अा गई और वो अपना सब दुख दर्द भूलते हुए सो गए।
............................................
अगले दिन सुबह शहनाज़ थोड़ा जल्दी ही उठ गई और उपर जाकर नहाई और शादाब और रेशमा के लिए नाश्ते का इंतजाम करने लगी। शहनाज़ जानती थी कि अगर वो ज्यादा दुखी रही तो इसका सीधा असर शादाब और रेशमा पर पड़ सकता हैं इसलिए उसने अपने आपको आने वाले मुश्किल समय के लिए तैयार किया और अपने काम में जुटी रही। दादा दादी जी मौत का सबसे ज्यादा दुख शहनाज़ को हुआ था और वो अंदर से पूरी तरह से टूट गई थी लेकिन फिर भी अपने सीने पर पत्थर रख लिया । जल्दी ही नाश्ता बन गया और शहनाज़ नीचे गर्म अपनी लेकर अा गई और रेशमा और शादाब को उठाया। शादाब उपर नहाने के लिए चला गया जबकि शहनाज़ ने खुद रेशमा का मुंह धोया। थोड़ी देर बाद शहनाज़ ने नीचे से शादाब को आवाज लगाई कि बेटा उपर से आते हुए नाश्ता भी लेते आना।
जल्दी ही शादाब नाश्ता लेकर अा गया और उसने अपने हाथ से शहनाज़ और रेशमा को खुद नाश्ता कराया। दोनो के मना करने भी जबरदस्ती खिलाने लगा तो रेशमा बोली:"
" बस कर शादाब बेटा, मेरा पेट भर गया हैं, जिद मत कर अब नहीं खाया जाएगा मुझसे और
शादाब ने एक आखिरी निवाला बनाया और रेशमा के मुंह की तरफ करते हुए बोला:"
" बस ये आखिरी बाइट बुआ, मना मत करना आप। प्लीज़
शादाब के इतना जिद करने पर रेशमा ने अपना मुंह खोल दिया और निवाला खा लिया तो शादाब किसी छोटे बच्चे की तरह खुश होकर ताली बजाने लगा तो उसे देख कर दोनो मुस्कुरा उठी। दरसअल ये ही तो शादाब चाहता था और वो अपने प्लान में कामयाब रहा।
शादाब अपना पेट पकड़ते हुए बोला:" अम्मी मुझे भी भूख लगी हैं बहुत जोर से, मुझे कौन खाना खिलाएगा ?
शहनाज़ स्माइल करते हुए बोली:"
फिक्र मत कर बेटा, तेरी मा हैं ना मेरे राजा तुझे खाना खिलाने के लिए ।
शादाब ने रेशमा की तरफ देखा तो रेशमा पड़े पड़े ही बोली:"
" एक बार मुझे ठीक हो जाने देे, फिर तुझे इतना खाना खिलाऊंगी कि तुझसे पचाना मुश्किल हो जाएगा बच्चे।
शहनाज़ ने खाने का निवाला बनाया और उसकी तरफ बढ़ाया तो शादाब बोला:"
" ऐसे नहीं आपकी गोद में बैठ कर खाऊंगा अम्मी ।
शहनाज़ ने अपनी बांहे खोल दी और शादाब उसकी गोद में बैठ गया और शहनाज़ उसे खाना खिलाने लगी। रेशमा मा बेटे का अद्भुत प्यार देखकर खुश हो गई। थोड़ी देर बाद शहनाज़ ने शादाब को अच्छे से नाश्ता करा दिया और शादाब उसकी गोद से उतर गया और बोला:"
" अम्मी मैं दोपहर के खाने के लिए कुछ सब्जी लेकर आता हूं, घर में जो जी सामान चाहिए आप मुझे एक लिस्ट बनाकर दे दीजिए।
शहनाज़ ने एक लिस्ट बनाकर उसे दे दी और शादाब सामान लेने के लिए निकल गया।
शादाब के जाने के बाद रेशमा बोली:" देखो भाभी जो होना था वो तो हो गया। लेकिन अब हमे अपने आपको संभालना होगा, अगर हम नहीं संभले तो शादाब पर इसका बुरा असर पड सकता हैं। वो बच्चा हैं अभी।
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10-08-2020, 02:20 PM,
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desiaks
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RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
रेशमा के मुंह से शादाब के लिए बच्चा सुनकर शहनाज़ अंदर ही अंदर सोचने लगी कि बच्चा नहीं सांड बन गया हैं वो। शहनाज़ रेशमा की बातो में हान से हान मिलाती हुई बोली:_'
" हान बाज़ी, लेकिन क्या करू दादा दादी के साथ ही रहती थी मैं तो सारा दिन। बहुत याद आती हैं उनकी।
रेशमा:" भाभी मैं आपका दर्द समझ सकती हूं लेकिन फिर भी आपको खुद को संभालना ही होगा।
शहनाज़;': ठीक हैं मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगी।
दोनो बात कर ही रही थी कि रेशमा का मोबाइल बज उठा और कॉल उसके पति वसीम का था।
रेशमा:'' अस्सलाम वालेकुम, कैसे हैं आप ?
वसीम:':सलाम, ठीक हूं, दादा दादी के बारे में पता चला और तुमने तो मुझे खबर करना भी जरूरी नहीं समझा।
रेशमा:' जी आप दुबई में थे बस इसलिए ही हमने फोन नहीं किया कि आप परेशान ना हो।
वसीम:' मैं इंडिया अा रहा हूं और शाम तक तुम्हारे पास अा जाऊंगा।
रेशमा के होंठो पर मुस्कान अा गई और बोली:'
' ठीक है अा जाइए मैं आपका इंतजार करूंगी।
इतना कहकर रेशमा ने फोन काट दिया और शहनाज को वसीम के आने के बारे में बताया तो शहनाज़ उसे छेड़ते हुए बोली:_
" सालो के बाद साजन जी घर अा रहे है इसलिए इतना खुश दिख रही हो।
शहनाज़ की बाते सुनकर रेशमा बुरी तरह से झेंप गई और मुंह शर्म से लाल हो गया। रेशमा ने शहनाज़ का हाथ जोर से दबा दिया और बोली:"
" चुप करो भाभी, क्यों मेरी टांग खींच रही हो!!
शहनाज़ उसकी आंखों में देखते हुए बोली:'
" मैं क्यों तुम्हारी टांग खींचने लगी, अब तो अा रहा है तुम्हारी टांग खींचने वाला ।हर रात खिंचेगी
रेशमा ने शर्म के मारे अपना चेहरा दोनो हाथो से ढक लिया और बोली:'
'" उफ्फ बस भी कीजिए भाभी, मुझे शर्म आती हैं।
शहनाज:' अच्छा मुझसे शर्म अा रही हैं और वसीम तो जैसे तुम्हे बेशर्मी की दवा पिला देंगे।
रेशमा:_" भाभी आप बड़ी शैतान हो गई है। मेरी हालत तो देखो।
शहनाज़:' अरे पेट में ही चोट लगी हैं और अब लगभग ठीक हो चुकी है, बेचारा वसीम सालो से प्यासा हैं। आज तो तू गई रेशमा ।
तभी गेट पर नॉक हुआ तो शहनाज ने दरवाजा खोल दिया और शादाब सब सामान लेकर अंदर अा गया। शहनाज ने उसे वसीम के आने के बारे में बताया तो शादाब खुश हुआ और बोला:"
" मैं बहुत छोटा था तब उन्हें देखा था। आज बहुत दिनों के बाद मुलाकात होगी।
शहनाज़:' शादाब तुम अपनी बुआ का ख्याल रखो तब भी मैं खाना बना देती हूं।
शादाब:" ठीक हैं अम्मी, आप बुआ की फिक्र ना करे।
शहनाज़ उपर चली गई और खाना बनाने में लग गई जबकि रेशमा शादाब से बात करने लगी।
रेशमा:" बेटा कॉलेज कब से जाना हैं तुझे ? तेरी पढ़ाई भी खराब हो जाएगी।
शादाब:" बुआ कॉलेज तो जाना ही होगा लेकिन अब दादा दादी के बाद अम्मी घर में अकेली कैसे रहेगी इसका फिक्र हैं मुझे।
शादाब की बात सुनकर रेशमा के चेहरे पर फिर से एक दर्द भरी लकीर उभर आई क्योंकि अपने मा बाप फिर से याद अा गए। रेशमा सोच में पड़ गई और थोड़ी देर बाद बोली:"
" बेटा यहां गांव में हमारे पुश्तैनी घर और जमीन हैं इन्हें भी तो छोड़ा जा सकता है। लेकिन तू फिक्र ना कर तेरे फूफा अा रहे है तो बैठ कर बात करेंगे तो कुछ ना कुछ मसला हल हो जाएगा।
शादाब में अपनी हुआ की तरफ सहमति से गर्दन हिला दी। तभी रेशमा बोली:"
" बेटा शादाब क्या तुम मुझे थोड़ा सा गर्म पानी ला दोगे पीने के लिए?
शादाब खड़ा होते हुए बोला:' ओह बुआ मैं अभी लेकर आया।
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10-08-2020, 02:20 PM,
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RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब उपर छत पर गया तो उसने देखा कि शहनाज़ मसाला कूट रही हैं तो शादाब बोला:"
" अम्मी मैं कुछ मदद करूं क्या आपकी ?
शहनाज़ ने पलट कर उसे देखा और बोली:" तुम यहां क्या कर रहे हो ? तुम्हे तो मैं रेशमा के पास छोड़ा था नीचे।
शादाब:" वो बुआ ने पीने के लिए गर्म पानी मांगा हैं इसलिए आया हूं ऊपर।
शहनाज उठी और रसोई में चली गई और गैस पर पानी रख दिया।उसके बाद वो फिर से कमरे में अा गई और देखा कि शादाब मसाला कूटने वाली औखली को ध्यान से देख रहा था। शहनाज की सांसे तेज होने लगी और बोली:"
" इतने ध्यान से क्या देख रहा हैं शादाब बेटा ?
शादाब:" अम्मी आपने मसाला कूटने के लिए नई औखली निकाली हैं क्या ?
शहनाज़ उसकी तरह स्माइल करते हुए बोली:"
" और क्या करती, पुरानी वाली की तो तूने तली निकाल दी थी अब इसकी भी निकालेगा क्या जो ऐसे घूर घूर कर देख रहा है।
इतना कहकर शहनाज़ का चेहरा शर्म से लाल हो गया और उनकी नजरे झुकती चली गई। शादाब थोड़ा सा आगे बढ़ा और शहनाज़ का चेहरा ऊपर उठाया तो शहनाज़ सादाब से लिपटी चली गई और जोर से अपनी बांहों में कस लिया और बोली:'
" शादाब मेरा बेटा, मैं बिल्कुल अकेली हो गई हूं अब, मुझे छोड़ कर मत जाना कहीं ।
शादाब ने भी अपनी अम्मी को अपनी बांहों में कस लिया और उसका माथा चूमते हुए कहा:"
" नहीं जाऊंगा आपको छोड़कर, कहीं नहीं जाऊंगा मेरी शहनाज़।
शादाब के मुंह से अपना नाम सुनकर शहनाज़ बहक गई और उसके शादाब का चेहरा थामकर अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए। शादाब ने बिना देर किए अपनी अम्मी के होंठो कि चूसना शुरु कर दिया।
तभी नीचे से रेशम की आवाज अाई :" क्या हुआ शादाब पानी गर्म नहीं हुआ क्या ?
शादाब और शहनाज़ जैसे होश में आए और शादाब किस तोड़कर जोर से बोला:"
":हो गया हैं बुआ बस लेकर अा रहा हूं,
शहनाज़ ने शादाब का गाल चूम लिया तो शादाब ने आपके दोनो हाथ उसकी गान्ड पर रखकर हल्के से उसकी गान्ड को मसल दिया तो शहनाज़ के मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी।
" आह क्या करता है शादाब, जा जल्दी से नीचे पानी लेकर जा, नहीं तो रेशमा शक करेगी
शादाब अपनी अम्मी को स्माइल देता हूं पानी लेकर नीचे अा गया और रेशमा ने धीरे धीरे गर्म पानी पिया। थोड़ी देर दोनो बैठे हुए बाते करते रहे और इतने में शहनाज़ ने खाना बना दिया और टेबल पर लगा दिया तो सभी ने साथ में खाना खाया।
उसके बाद शहनाज़ बरतन धोने चली गई और करीब दो बजे के आस पास वो वापिस अा गई। उसके बाद नीचे हॉल में ही सभी सो गए।
शाम को करीब छह बजे दरवाजे पर दस्तक हुई तो शादाब ने देखा कि एक करीब 44 साल का आदमी और उसके साथ दो बच्चे खड़े हुए थे
शादाब:': जी बोलिए
वसीम:" तुम शादाब हो क्या?
शादाब हल्का सा हैरान होते हुए बोला:" जी लेकिन आप कौन ?
वसीम:" मैं तेरा फूफा हूं शादाब।काफी छोटा था जब तुझे देखा था, अब तुम गेट से हटो मैं अंदर आऊ?
शादाब को अपनी गलती का एहसास हुआ और वो हट गया तो वसीम अपने बच्चो को लेकर अंदर आ गया तो दोनो बच्चे रेशमा को देखकर अम्मी अम्मी चिल्लाते हुए इससे लिपट गए।
रेशमा ने अपने दोनो बच्चो को गले से लगा गया और उनका मुंह चूमने लगी। अपने बच्चो को गले से लगाकर रेशमा का दिल भरी हो गया और उसकी आंखो से आंसू छलक पड़े।
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