10-26-2020, 12:44 PM,
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RE: Horror Sex Kahani अगिया बेताल
कालिया मसान मेरे पैरों पर गिर पड़ा।
“मुझे माफ़ कर दो... मेरा कोई कसूर नहीं...।” वह गिड़गिड़ाया।
“यह ठीक कहता है आका... इस बेचारे का क्या कसूर...यह तो हुक्म का गुलाम है। चल बे मसान.. अब यहां से भाग जा और अपने गुरु की चोटी पर चढ़ जा... उसे बता देना बेताल ने भेजा है।”
कालिया मसान भाग खड़ा हुआ।
“अब आप सब कुछ देख सकते है आका।”
सचमुच मुझे सब कुछ नजर आ रहा था। भोर हो रही थी। मैंने बेताल को विदा दी और वापसी के लिए चल पड़ा।
मैं चन्द्रावती के पास पहुंचा। उसे लपककर सीने से लगाया और उसका मुंह चूम लिया। मैंने उसको भोगा था पर उसका खूबसूरत जिस्म देखा नहीं था। आज मुझे वह अत्यंत सुन्दर लग रही थी।
“मैं देख सकता हूं... सारी दुनिया देख सकता हूं।” मैंने कहा – “और सबसे पहले मैं तेरा भीतरी रूप देखना चाहता हूँ।”
“जो हुक्म तांत्रिक।”
कहने की बात नहीं थी कि मैं पूर्णतया बदल चुका था। अब मैं जालिम इंसान था और अगिया बेताल जैसी शक्ति मेरी गुलाम थी। कहने की बात यह भी नहीं थी कि चन्द्रावती अब मेरी लौंडी थी।
“तू ठाकुर के घर नहीं जायेगी आज के बाद।”
“आपका हुक्म सर आँखों पर...।”
उसके बाद वह मेरे आदेश का पालन करने लगी।
***
मेरी शक्ल अत्यधिक भयानक हो चुकी थी... मेरे कहकहों में दहशत थी और आवाज बर्फ के सामान ठंढी प्रतीत होती थी। मेरी आँखें हर समय आग उगलती प्रतीत होती थी।
दो दिन तक मैं शांत मन से अपनी योजना के बारे में सोचता रहा। सबसे पहले मुझे यह जानना था की ठाकुर के पास सुरक्षा का क्या प्रबंध है। मैं अपनी व्यूह रचना में ऐसी कोई कमी नहीं छोड़ना चाहता था जो उसे बचने का अवसर मिल जाए।
दूसरे दिन की शाम हो गई थी।
शाम ने जैसे ही रात का आवरण पहना, मैं सैर सपाटे की इच्छा से बाहर बाहर निकल गया। हवा में शीतलता थी और शमशान सन्नाटे में खोया हुआ था। मैं उन जगहों पर घूमता रहा, जहाँ मैं साधना के दौरान आया जाया करता था।
अचानक मैंने घोड़े के टापों का स्वर सुना... यह टापें जंगल के रास्ते हो कर आ रही थी। मैं एक झाड़ी में छिप कर बैठ गया। ये दो सवार थे। वे बड़ी तेज़ी के साथ उस और बढ़ रहे थे, जहाँ हमारा मकान था।
मैंने तुरंत वापसी की तैयारी कर ली।
जैसे ही मैं मकान के करीब पहुंचा, मैंने दोनों सवारों को रुकते देखा। वे घोड़े बाँधकर मकान के अंदर जा रहे थे।
दरवाज़ा पहले से ही खुला था।
मैं दीवारदीवार के सहारे-सहारे आगे बढ़ा और एक खिड़की के रास्ते अंदर दाखिल हो गया। फिर धीरे-धीरे मैं उस कमरे के द्वार पर पहुंचा, जिसके भीतर से बातचीत का स्वर उभर रहा था।
“अभी...इसी समय।” किसी पुरुष का स्वर था।
“लेकिन आज मेरी तबियत ठीक नहीं है।” चन्द्रावती कह रही थी – ठाकुर से कह देना कल आ सकूंगी।”
अचानक दूसरा पुरुष बोला – “हमें हुक्म है की तुम्हें हर हाल में गढ़ी में पहुंचाया जाये।”
“तो क्या जबरदस्ती।”
“अगर तुम अपनी इच्छा से नहीं चलती तो ऐसा भी हो सकता है।”
“अच्छा ! आप लोग जरा तशरीफ़ रखिये, मैं अभी तैयार होकर आती हूँ।”
“ठीक है ज्यादा देर न करना।”
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10-26-2020, 12:45 PM,
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RE: Horror Sex Kahani अगिया बेताल
चन्द्रावती की वह दशा मुझसे असहनीय हो गई। अंत में उस शाही व्यक्ति ने चंद्रावती के बाल पकड़ कर उसके चेहरे पर तमाचे मारे।
“बेताल.... अगिया बेताल....।”
मैंने मन्त्रों का उच्चारण करके बेताल को पुकारा। आग का दायरा सिमट कर इंसानी रूप में बदल गया। बेताल सामने खड़ा था।
“चन्द्रावती पर यह जुल्म क्यों हो रहा है?” मैंने पूछा।
“यह आपके बारे में पूछताछ कर रहा है।”
“क्यों...?”
“उसे सन्देह हो गया है कि आपने भैरव तांत्रिक का जादू काट दिया है, जिसे अगिया बेताल ही काट सकता है।”
“चन्द्रावती ने क्या कहा ?”
“वह अधिक पीड़ा सहन नहीं कर सकती है।”
“तो उसने बता दिया है।”
“हाँ आका... उसने ठाकुर भानुप्रताप को कहा कि अब उसकी तबाही सर पर आ गई है, उसने फौरन भैरव तांत्रिक के लिए सन्देश भिजवा दिया है, शायद वह कल तक पहुँच जायेगा आका। अगर भैरव ने उस औरत पर जादू चला दिया तो आप मुसीबत में फंस जायेंगे, क्योंकि वह आपके सब राज जानती है और आपकी एकमात्र सहायक रही है।”
“तब तो हमें उसे छुड़ा ना पड़ेगा। क्या भैरव तांत्रिक तुम्हें परास्त कर सकता है ?”
“उसके पास दूसरी शक्तियां है। वह मेरा रास्ता रोक सकता है।दरअसल बेताल ऐसी किसी शक्ति के वश में नहीं आता जो पहले उसके दुश्मनों को गुलाम बना चुका होता है। अधिकांश लोग बेताल को सिद्ध नहीं करते, क्योंकि उसके बाद तांत्रिक दूसरी शक्ति प्राप्त करने योग्य नहीं रहता और वे दोनों एक दूसरे के गुलाम रहते है।”
“तो इसका कोई उपाय सुझाओ।”
“उपाय है।”
“भैरव के आने से पहले चन्द्रावती को उस कैद से मुक्त करा लिया जाये और किसी ऐसी जगह पलायन कर लिया जाये जिसके बारे में उनको पता न हो...।”
“ऐसी कौन-सी जगह है, जो सुरक्षित रहेगी...।”
“मैं आपको एक जंगली गुफा में ले चलूँगा...आपको सारी सुविधा वहां मिल जाएगी। इस गुफा के आस-पास बेतालों के कई ठिकाने है। एक प्रकार से वह मेरी ससुराल है और वे लोग बड़े शक्ति संपन्न है... उसके राज्य में बड़े से बड़ा जादू नहीं चल पाता।”
“ऐसा क्यों...?”
“हम लोग—जिन्न बेताल या भूत-प्रेत आपस में कुछ शर्तों पर समझौता कर लिया करते है... जैसे आप लोगों की दुनिया में देश की सीमा बाँध दी जाती है और उसे पार करना गैर-कानूनी होता है, उसी तरह हम लोगों की दुनिया है। फर्क सिर्फ इस बात का है कि हमारी दुनिया अदृश्य है और आपकी दुनिया दृश्य वान। हम लोग आपकी दुनिया में दखल नहीं देते, जब तक कोई इंसानी शक्ति प्रेरित न करे... परन्तु हम कभी-कभी नाराजगी अवश्य प्रकट कर देते है, फिर भी भारी नुक्सान नहीं पहुंचाते...
मुझे अभी यह नहीं मालूम कि भैरव तांत्रिक के पास कौन-कौन से शस्त्र है, और जब तक यह पता नहीं चलता सुरक्षा जरूरी है।”
“ठीक है... पर चन्द्रावती को कैसे छुड़ाया जाए ?”
“अभी तो बहुत सरल है। आप वहां चलिए... मैं आपके साथ हूँ।”
“मैं तैयारी करता हूँ।”
“तो मैं आपके लिए सवारी की व्यवस्था करूँ...बाहर आपको मेरी सवारी मिल जायेगी।”
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10-26-2020, 12:50 PM,
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RE: Horror Sex Kahani अगिया बेताल
कुछ देर बाद ही जब मैं बाहर पहुंचा तो वहां एक काला घोडा तैयार खडा था। वह काफी मुस्तैदी के साथ खड़ा था। उसकी पीठ पर एक सुनहरी जीन लगी थी। मैंने उसकी पीठ थपथपाई और उस पर सवार हो गया। घोडा मेरा इशारा पाते ही अपने पथ पर बढ़ गया। वह बड़ी तेज़ गति से भाग रहा था...और उसके लिए मार्ग समझाने की आवश्यकता महसूस नहीं हो रही थी।
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एक घंटे के भीतर-भीतर घोडा खंडहरों के पास पहुँच गया। मैंने उसे एक वृक्ष के नीचे छोड़ दिया। उसी समय मैंने बेताल को याद किया।
“चलते रहिये... मैं साथ-साथ हूँ।” बेताल का संकेत मिला।
मैं खण्डहर की ओर बढ़ गया।
खण्डहर से खुलने वाली गुप्त सुरंग का रास्ता बेताल खोलता गया। सुरंग खाली थी। उसमें गहरा अन्धकार छाया हुआ था।
सुरंग के किनारे सीढियों का रास्ता था। यह सीढियां और सुरंग की दीवारें सीलन से भरी हुई थी।
सीढियाँ पार करके जंग लगी लोहे की जंजीर खिंच गई। सामने का रास्ता खुलते ही मैं गलियारे में आ गया।
गलियारे में मशाल जल रही थी।
जैसे ही मैंने वहां कदम रखा सामने चौकसी पर बैठा एक व्यक्ति चौंक पड़ा। दूसरे ही पल वह अपनी बन्दूक संभाल कर खड़ा हुआ। परन्तु उसकी बन्दूक एक पल बाद ही उसके हाथ से निकल कर हवा में तैर गई। वह बौखला कर उपर की तरफ देखने लगा। सहसा बन्दूक का कुन्दा उसके सर पर जा टकराया। वह एक ही हमले में जमीन पर आ गिरा उसके बाद उठ ना सका।
मैंने आगे बढ़कर दरवाजे को खोला जिस पर बन्दूकधारी तैनात था।
अब मैं उस कैदखाने में दाखिल हुआ, जिसमें चन्द्रावती को बांधकर डाला हुआ था। वहां कोई रक्षक नहीं था। शायद चन्द्रावती के कैद से भाग निकलने की कल्पना भी ठाकुर नहीं कर सकता था। अज्ञात बेताल हर ओर से मेरी हिफजात करने में तल्लीन था।
मैंने चंद्रावती को खोला, वह बेहोश पड़ी थी, मैंने उसे उसी स्तिथि में उठा लिया और बाहर की तरफ निकल पड़ा। मार्ग में कोई बाधा नहीं आई, बड़ी सरलता से खण्डहर के बाहर निकल गया।गढ़ी में उस वक़्त भी सन्नाटा छाया हुआ था। किसी को भी खबर नहीं थी कि गढ़ी में क्या हो रहा है।
मैंने चन्द्रावती को घोड़े पर लिटाया और फिर स्वयं सवार हो गया।
मैंने बेताल को फिर याद किया।
“आप चिंता न करें... घोड़ा आपको सुरक्षित मुकाम पर ले जायेगा। हमें जल्दी से जल्दी ठाकुर की सरहद से बाहर निकल जाना चाहिए।”
“ठीक है।”
इतना कह कर मैंने घोडा फिर दौड़ा दिया, मेरे लिए अब कोई बात आश्चर्यजनक नहीं थी, यह भी नहीं की घोडा अपने आप सही मुकाम की ओर कैसे बढ़ रहा है।
उस वक्त मुझे अपने भविष्य की कोई चिंता नहीं थी। मैं अपने भीतर एक खूंखार व्यक्तित्व छिपाए बढ़ रहा था। चलते-चलते सुबह की लालिमा फूट पड़ी और एक भयानक जंगल का रास्ता शुरू हो गया।यह जंगल काफी लम्बा और खतरनाक जानवरों से भरा-पूरा लगता था। किसी मनुष्य के इस ओर आने की कल्पना नहीं की जा सकती थी।
कई बार शेर चीतों के दर्शन हुए। हमें देखते ही वे रास्ता छोड़ देते थे। किसी ने भी घोड़े पर हमला करने का प्रयास नहीं किया। शायद इसलिए कि जानवर छिपी हुई शक्तियों को भी देख लेते है।
आखिर दोपहर ढलते ही घोडा एक गुफा में जा कर रुक गया मैंने गुफा में प्रवेश किया। यह गुफा ऐसी लगती थी जैसे यहाँ पहले भी लोग आते-जाते या ठहरते रहें है। इसकी दीवारें तराशे गए पत्थरों से बनी थी। इससे पता लगता था की इसे इन्सानों ने बनाया है, यह जानवरों की प्राकृतिक गुफा नहीं है।
मैंने चन्द्रावती को एक स्थान पर लिटा दिया।
मैंने बेताल को पुकारा।
बेताल गुफा में ही उपस्थित था।
“यहाँ रहने या खाने पीने का सामान नहीं है।”
“वह अभी आ जाता है आका।”
कुछ देर बाद वहां सभी उपयोगी सामान आ गया। हमारे घर का सारा सामान वहाँ आ रहा था। बेताल ने अपना वचन पूरा किया।
थोड़ी देर बाद चन्द्रावती को भी होश आ गया।
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10-26-2020, 12:50 PM,
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RE: Horror Sex Kahani अगिया बेताल
“क्या खबर लाये हो बेताल ?”
“ठाकुर की गढ़ी में पहुंचना मेरे लिए अब संभव नहीं। वहां के हालत मुझसे समझौता नहीं कर सकते।”
“उसकी वजह बेताल।”
“भैरव के बाईस दैत्य वहां मौजूद है जब तक ये दैत्य भगाए नहीं जाते, तब तक वहां मेरा साया नहीं पड़ सकता, उन्होंने गढ़ी को अपनी सरहद में बाँध रखा है।”
“तो यह काम कैसे होगा ?”
“उसकी एक तरकीब है, गढ़ी की चार दिशाओं में भैरव ने चार हांडियां गाड़ रखी है इनमें उसका टोटका बंद है – जब तक वे हांडियां बाहर नहीं निकल आती और उन्हें किसी दूसरी जगह नहीं पहुंचाया जाता तब तक कुछ नहीं हो सकता। मैं बाईस जिन्नों का एक साथ मुकाबला नहीं कर सकता।”
“लेकिन यह काम कैसे होगा... क्या तुम्हे मालूम है की वे हंडियां कहाँ गड़ी हैं।”
“नहीं – यह मुझे पता नहीं... इसके लिए हमें ठाकुर के किसी विश्वास पात्र आदमी को तोड़ना होगा। मेरे ख्याल से शमशेर सिंह उसका सबसे वफादार साथी है और उस पर तभी अधिकार जमाया जा सकता है जब वह गढ़ी से बाहर रहे। इसके लिए गढ़ी में कोई जासूस भेजना उपयुक्त होगा ताकि वह शमशेर का अता-पता रखे।”
“यह काम कौन करेगा ?”
“गढ़ी का मेहतर कर सकता है वह कस्बे में रहता है... आपको उससे मिलना होगा, उसे आतंकित करना होगा... उसका एक बेहतरीन तरीका है... मेहतर की बीवी गर्भवती है... मैं उसके पेट में घुस जाता हूँ... और उसे आतंकित करता हूँ... ठीक वक़्त पर आप उसके घर पर पहुँच जाइये। वह अपनी बीवी की जान बचाने के लिये समझौता कर लेगा... अब आप जा कर बेताल वाली खोपड़ी उसके घर के आँगन में गाड़ आइये... तो मैं वहां किसी के भी भीतर समा जाउंगा...।”
“ठीक है...मैं तैयार हूँ।”
तंत्र विद्या में मैं अनाड़ी था, पर धीरे-धीरे सीख रहा था। मैं तुरंत चल पड़ा और अगली रात कस्बा सूरजगढ़ पहुंचा। बेताल ने मुझे बता दिया था कि मुझे सावधान रहना होगा क्योंकि गढ़ी के गुण्डे मुझे तलाश करते फिर रहें है।
“उस मेहतर का क्या नाम है ?”
“कल्लू मेहतर... वह मेहतरों की बस्ती में सबसे नुक्कड़ वाले मकान में रहता है। कभी-कभी उसकी सुंदर औरत भी काम पर जाती है।” वहां जा कर मैंने बेताल से मालूम किया।
आधी रात के वक़्त किसी खौफनाक औघड़ बाबा की तरह मैं उस मेहतर के प्रांगण में सांस ले रहा था।
अचानक एक कमरे में से किसी औरत के बोलने की आवाज़ सुनाई दी ............... नही न कल्लू ये नही करूँगी |
मैं चौंका........ये आवाज़ तो कल्लू की पत्नी की लगती है, उत्सुकतावश मैने कमरे के दरवाजे से कान लगा दिए तभी दूसरी आवाज़ ने मुझे रुकने पर विवश कर दिया...........
अरे मुँह में नही लोगी तो सुखा ही घुसाऊँ फिर ? ये आवाज़ कल्लू मेहतर की ही थी और अब मै लगभग सारा माजरा समझ चुका था | मैंने सोचा की अगर दरवाजा खोला तो ये दोनों सतर्क हो जाएँगे और मेरे हाथ कुछ भी नही लगेगा | मैंने देखा की पुराना होने के कारण दरवाजे में कई ज़गह दरारें और छोटे छोटे सुराख थे |
मैंने जल्दी से एक सुराख पर अपनी आँख लगा दी | अंदर का माजरा देख कर मेरे होश उड़ गए | कल्लू की पत्नी केवल ब्रा और पैंटी में एक चद्दर पर लेटी हुई थी और उसने अपने एक हाथ में कल्लू मेहतर का लण्ड पकड़ रक्खा था | कल्लू मेहतर पूरा नंगा था और उसका एक हाथ अपनी पत्नी की
चुचीयों पर था और दुसरा हाथ पैंटी के उपर से ही उसकी चूत को सहला रहा था |
तभी कल्लू की पत्नी बोली ..... सुखा क्यों मैंने कहा था न की वैसलीन ले आना बाजार से |
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10-26-2020, 12:51 PM,
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RE: Horror Sex Kahani अगिया बेताल
अभी उसने दो चार बार ही रगड़ा होगा की कल्लू की पत्नी ने अपने हाथ से चूत की फाँकों को फैला दिया और बोली ...............यार अब घुसा दे , टाइम ज्यादा नही है अपने पास | अब मुझे तेरे लण्ड के धक्कों की ज़रूरत है | कल्लू भी लण्ड चुसाई के कारण अपने चरम के निकट पहुँच चुका था सो उसे भी अब चूत मारने की जरूरत महसूस होने लगी थी | कुल मिला कर उन दोनों बैचैन थे चुदाई के लिए |
कल्लू मेहतर बोला ये ले संभाल मेरे छोटू की चोट अपनी मुनिया पर और यह कहते हुए कल्लू मेहतर ने चूत के छेद पर लण्ड का सुपाड़ा टिका कर एक हल्का लेकिन लम्बा धक्का दिया या यूँ कहें की लगभग ३० सेकेण्ड का समय ले के बिना रुके एक ही धीमी रफ्तार से लण्ड को चूत में तब तक पेलते गया जब तक उसका लण्ड जड़ तक पत्नी की चूत में दाखिल नहीं हो गया |
इस दौरान कल्लू की पत्नी के मुँह से आनन्दातिरेक चीख निकल गई .........आआआआआआआऐईईईईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ हाआआआआआआआआय्य्य्य्य तेरा इस तरह घुसाना ही मुझे तेरा दीवाना बना देता है रे कल्लू | और कल्लू की पत्नी अपनी दोनों टांगें कल्लू मेहतर की कमर में लपेट देती है |
सुन कल्लू की जान ...... यह कहते हुए कल्लू मेहतर उसी तरह धीरे से लण्ड को चूत से बाहर निकाल लेता है केवल सुपाड़े को छोड़ कर |
अरे कल्लू मेहतर तेरा सुपाड़ा तो फुल पिचक रहा है | मतलब तू अब कुछ देर का ही मेहमान है| आज फिर मुझे मुँह से ही करेगा क्या ?
नही कल्लू की रानी, टाईम देख काफ़ी टाइम हो गया हैइसीलिए तो बोल रहा हूँ की मैं तुझे चोदता हूँ और साथ में तू अपने हाथ से अपना भगनासा रगड़ | इस तरह हम दोनों एक साथ झड़ जाएँगे |
चल ठीक है अब तू पैसेंजर से सुपरफास्ट बन और लगा हुमच कर धक्के |
ये ले मेरी जान और ये कहते हुए एक ज़ोरदार धक्के के साथ कल्लू मेहतर ने पूरा लण्ड पत्नी की चूत में पैबस्त कर दिया और लगा धक्के लगाने |
कल्लू की पत्नी और कल्लू मेहतर की कमर के टकराने से थप थप थपा थप की आवाज़, चूत में लण्ड अंदर बाहर होने से फच फच फचर फचर फचा फच की आवाजें और कल्लू की पत्नी और कल्लू मेहतर की बहकी हुई सिस्कारियां और आनंद में डूबी हुई आवाजें.......... आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरे बालम मार ले, ले ले सारा मज़ा, चोद दे अपनी रानी को, फाड़ डाल साली चूत को | अरे मम्मी से ज्यादा मज़ा
मुझमे है उसे छोड़ और मुझे चोद मेरे बालम | बहुत परेशान करती है साली चूत ; ठंडी कर दे इसकी गर्मी मेरे राजा और कल्लू मेहतर हंह हंह हूँ हूँ
आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ये ले साली चूस ले सारा रस | इतनी टाईट कैसे है रे इतना चुदने के बाद भी | अरे चूस लिया रे साली ले ले मेरा रस अपनी चूत में आआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मैं गया रे मादरचोद तेरी माँ की चूत मारूं |
कल्लू की पत्नी भी अब आने वाली थी लेकिन कल्लू मेहतर के सुपाड़े के फूलने पिचकने के कारण उसे महसूस हो गया था की अब वो झड़ेगा तो वो
बोली ..........अरे कल्लू अंदर मत झड़ना | जल्दी बाहर निकाल |
अरे तेरी माँ की; साली थोड़ी हल्दी ले लेना | मज़ा किरकिरा मत कर और ये कहते हुए कल्लू मेहतर ने एक ज़ोरदार धक्का अंदर ठेला और लण्ड जड़ तक चूत में डाल कर झड़ने लगा आआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अरे साली ले ले सारा रस और उसके लण्ड से पहली पिचकारी छूटी और उसकी पत्नी की बच्चेदानी पर पड़ी |
उसकी गर्मी और गुदगुदाहट ने कल्लू की पत्नी को भी झड़ने पर मजबूर कर दिया | ऊऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईईईईईईईईई मैं भी आई मेरे बालम आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह भर दे मेरी चूत को अपने लण्ड के रस से | तभी कल्लू मेहतर के लण्ड से दूसरी पिचकारी छूटी | इस तरह कल्लू मेहतर के लण्ड ने पांच पिचकारियाँ छोडीं और हर पिचकारी के साथ कल्लू मेहतर और कल्लू की पत्नी दोनों झटका खाते हुए एक दूसरे को इस तरह जकड़ लेते मानो उन दोनों के बीच हवा भी पास नही हो सकती | दोनों झड़ने के बाद निश्चल पड़े रहे
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10-26-2020, 12:51 PM,
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RE: Horror Sex Kahani अगिया बेताल
उनकी गरमा गर्म चुदाई देख कर मेरा सारा शरीर पसीने से तर बतर हो चुका था और बुरी तरह तप रहा था तभी मुझे याद आया कि मैं यहाँ क्या करने आया था
ठीक दहलीज़ के सामने मैंने बेताल वाली खोपड़ी गाड़ दी। अब बेताल ने उस घर को बाँध लिया था। अपना काम ख़त्म करके मैं खिसक गया और निकट ही वट वृक्ष के नीचे बैठ गया।
……………………………….
अँधेरी रात थी।
आसमान सूना-सूना लग रहा था।
रात के तीसरे पहर मेहतर के घर में चीख पुकार का शोर मचा। आतंक में डूबा रुदन शुरू हुआ और मैंने मेहतर को बाहर निकलते देखा। वह जल्दी-जल्दी पड़ोसियों के मकान की तरफ जा रहा था, मैंने दौड़कर अँधेरी राह पर उसका रास्ता रोक लिया।
“अलख निरंजन...।” मैंने जोर से कहा।
वह एकदम डर गया। अन्धेरे में मेरी खौफनाक आकृति किसी को भी दहशत में डाल सकती थी, वह काँपता हुआ पीछे हटा।
“तेरा नाम कल्लू मेहतर है ?”
“हां...हां...।”
“और तेरी बीवी गर्भवती है क्यों...?”
“हाँ...।उसका पेट गुब्बारे की तरह फूलता जा रहा है... मुझ पर रहम करो... आप कोई अन्तर्यामी लगते हो...?” उसकी आवाज़ काँप रही थी।
“औघड़ बाबा सब ठीक कर देगा... एक जुगत लड़ानी होगी।”
“क्या ?”
“मेरे साथ आ।”
वह मेरे पीछे-पीछे आ गया, मैं उसे वटवृक्ष के पीछे झाड़ी-झंकार में ले गया। वह बहुत डरा हुआ था, पर सम्मोहित सा मेरे पीछे आ गया। उसने भागने का प्रयास नहीं किया।
“औघड़ बाबा ! मेरी बीवी की जान बचा दो।”
“बच जाएगी... लेकिन तेरे घर का विनाश मुझे नजर आ रहा है।”
“बाबा...कोई उपाय नहीं।”
“उपाय है...मगर तेरा हौसला नहीं।”
“अपनी बीवी के लिए जान भी दे सकता हूँ।”
“यह बात है तो सुन। तेर घर में जो भूत घुसे हैं, मैं उन्हें बाँधकर रखता हूँ... तुझे एक काम करना होगा।”
“क्या ?”
“गढ़ी में एक शमशेर सिंह नाम का आदमी रहता है...रहता है न...।”
“हाँ...।”
“वह तेरी सुंदर बीवी पर बुरी निगाह रखता है... और यह काम उसी ने किया है।”
“हे भगवान् – मैं क्या करूँ... वह तो बड़ा जालिम है।”
“उस जालिम पर मैं उलटा भूत मार दूंगा और तेरा घर विनाश लीला से बच जाएगा, लेकिन तुझे एक काम करना होगा।”
“क्या ?”
“जब तक शमशेर गढ़ी के भीतर है, तब तक उस पर भूत असर नहीं डाल सकता, तुझे यह पता करना होगा की गढ़ी से बाहर वह कब निकलता है और कहां-कहां जाता है। तुझे बड़ी सावधानी से इसका पता निकालना होगा। किसी को कानो कान खबर न लगे... और तेरे घर में जो कुछ हो रहा है उसका किसी से जिक्र न करना... बोल यह काम कर सकेगा ?”
“कर लूंगा... यह कोई मुश्किल काम नहीं।”
“अब जाकर घर के लोगों को शांत कर तेरी बीवी को कुछ नहीं होगा, और सुन...तुझे लिखना आता है।”
“थोड़ा-थोड़ा।”
“तो तू जो कुछ मालूम करे वह कागज़ में लिखकर वटवृक्ष की जड़ में छोड़ता रह... रोज रात को तुझे यह काम करना है... आ मैं बताता हूँ कहाँ पर कागज़ छोड़ना है।”
मैंने उसे कागज़ छोड़ने की जगह बताई और उसे रुखसत किया। अब मैंने पास के जंगल की शरण ली।
जब तक मुझे सारी रिपोर्ट नहीं मिल गई तब तक मैं उसी कस्बे के आस-पास भटकता रहा, मैंने अपने आपको लोगों की निगाह से बचा कर रखा – क्योंकि ठाकुर के कुत्ते मेरी गन्ध सूंघते फिर रहे थे।
आखिर मुझे एक विशेष जानकारी मिली, मेरा काम बन गया था। शमशेर सिंह एक अय्याश आदमी था और हर दूसरे-तीसरे रोज एक सुंदर वैश्या के यहाँ जाता था, आधी रात तक वहीं रहता था।
इस वैश्या का नाम कमला बाई था और यह उसी कसबे में रहती थी, कमला बाई के कोठे पर नाच गाना भी होता था और वह ठाकुरों की चहेती थी। शमशेर उस पर दिलो जान से फ़िदा था।
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