01-07-2021, 01:23 PM,
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desiaks
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RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
इधर रूबी राम को काम समझाकर खुद भी जानबूझ के अपने आप को काम में बिजी कर लेती है। उसे लगता है की अगर वो फ्री रही तो कहीं मम्मीजी उसको अपने से बातें करने को ना बुला लें। अगर वो अपने आपको बिजी शो करेगी तो मम्मीजी कभी ना कभी उन दोनों को अकेला छोड़ सकती है। इसलिये रूबी जानबूझ कर अपने कमरे में समान को इधर-उधर करने लगती है।
रामू का ध्यान अपने काम में कम और किचेन की तरफ ज्यादा था, जहां पे कमलजीत अपना काम कर रही थी। ना जाने कब कमलजीत उसे मौका देगी रूबी से मिलने का? किचेन का काम खतम करने के बाद आखीरकार, उन दोनों को मौका मिलता है।
कमलजीत- रूबी क्या कर रही हो?
रूबी- कुछ नहीं मम्मीजी, बस कमरे का समान ठीक से रख रही हूँ।
कमलजीत- अच्छा जब फ्री हो गई तो आ जाना। मैं बाहर बैठकर अखबार पढ़ने लगी हैं
रूबी- ठीक है मम्मीजी।
आखीरकार, कमलजीत घर के बाहर बरामदे में बैठकर अखबार पढ़ने लगती है। कमलजीत के जाने के बाद रूबी अब इंतेजार करती है की कब राम उसकी तरफ बढ़ेगा। अपने आपको काम में बिजी शो करती है।
इधर रामू से ज्यादा इंतेजार नहीं होता और कमलजीत के बाहर जाते ही एक-दो मिनट में वो रूबी के कमरे की तरफ दबे पैर बढ़ता है और रूबी के कमरे में दाखिल होता है। रूबी का ध्यान उसकी तरफ ही था और उसे राम के अपने कमरे में दाखिल होने की आहट हो जाती है। राम कुछ देर रूबी को काम करते देखता रहता है। इधर रूबी समझ नहीं पा रही थी के राम अब आगे क्यों नहीं बढ़ रहा। और तभी।
रामू- रूबी जी।
रामू के मुँह से अपना नाम सुनकर रूबी की सांस गले में ही अटक जाती हैं। उधर रामू रूबी के पीछे खड़ा हो जाता है। उन दोनों में बस थोड़ा सा ही फासला होगा।
रामू- रूबी जी।
रूबी को कल की हुई बातें याद आती हैं, और वो रामू का सामना करने की हिम्मत नहीं जुटा पाती। उसे शर्म आ रही होती है की कैसे उसने कल उत्तेजित होकर चुदवाने और लण्ड की बातें की थी। रूबी का कोई रेस्पान्स नहीं मिलता देखकर रामू आगे बढ़कर रूबी का हाथ थाम लेता है और उसको अपनी तरफ खींचता है। इस खींचतान में रूबी रामू के बिल्कुल आमने सामने खड़ी हो जाती है। हालांकी उसने अपना चेहरा नीचे झुकाया हुआ था। रामू समझ जाता है की रूबी शर्मा रही है।
रामू रूबी के चेहरे को थोड़ा ऊपर करता है। रामू इस हसीन चेहरे को देखता ही रह गया। कितना खूबसूरत चेहरा है रूबी का। मोटी आँखें, गुलाबी होंठ। जिनका रामू ने उस दिन रस पिया था। आज वो होंठ उसे फिर से इन्वाइट कर रहे थे। राम आगे बढ़ता है और अपने होंठ रूबी के होंठों पे रखने का प्रयास करता है। तभी रूबी पीछे हट जाती है।
रामू- क्या हुआ रूबी जी?
रूबी कुछ नहीं बोलती बस शर्माकर अपना चेहरे नीचे को ही रखती है।
रामू- कुछ तो बोलिए रूबी जी। उस दिन भी तो हमने किया था, आपको अच्छा नहीं लगा था क्या?
रूबी- नहीं रामू तुमने वादा किया था की मेरी मर्जी के बिना कुछ नहीं करोगे।
रामू- “रूबी जी वो तो चोदने की बात की थी... और रामू जानबूझ के चोदने जैसे शब्द इश्तेमाल करता है। जिससे रूबी धीरे-धीरे उसके साथ खुलना शुरू हो जाए।
उधर रूबी चोदने वाला शब्द सुनकर शर्म से पानी-पानी हो जाती है।
राम- अगर आपको डर है की हम अपने ऊपर काबू नहीं कर पाएंगे तो हम आपकी कसम खाकर बोलते हैं आपको दिक्कत नहीं होने देंगे कोई भी। आपको मेरी कसम कुछ तो बोलिए?
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RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
रूबी नजरें नीचे झुकाए हुए हिम्मत करके धीरे से बस इतना ही बोलती है- "दा-अ-र-वा-जा...
रामू- क्या रूबी जी?
रूबी- रामू दरवाजा।
राम समझ जाता है की रूबी पहले दरवाजा थोड़ा सा बंद करने को बोल रही है। ताकी अगर कमलजीत घर के अंदर आ जाए तो उसकी नजर उन दोनों पे सीधे ना पड़े। राम झट से दरवाजा थोड़ा सा बंद कर देता है। और वापिस आकर रूबी के चेहरे को अपने हाथों में ले लेता है और ऊपर की ओर उठाता है।
इधर रूबी शर्माकर अपनी आँखें बंद कर लेती है और राम के होंठों का इंतेजार करती है। तभी उसे रामू के गरम होंठों का स्पर्श अपने गुलाबी होंठों पे महसूस होता है। रामू अपने होंठ अच्छे से रूबी के होंठों से चिपका देता है। कुछ सेकेंड दोनों ऐसे ही रहते हैं, और फिर रूबी अपने को रामू से अलग करती है और आँखें खोलती है और रामू की आँखों में देखती है।
रामू रूबी की आँखों में देखते हुए- “कैसा लग रहा है मेरी जान को?"
रूबी जान शब्द सुनकर शर्माकर आँखें नीचे कर लेती है। लेकिन रामू फिर से उसके चेहरे को ऊपर करके अपने होंठ दुबारा उसके होंठों में डाल देता है और धीरे-धीरे रूबी के मीठे होंठों का रस पीने लगता है। रूबी भी धीरे-धीरे उसका साथ देने लगती है। रामू का स्पर्श रूबी पे जादू करने लगा था। वो चाहती थी की रामू उसके होंठों को अच्छी तरह चूस ले। रामू रूबी की गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठों को प्यार से भोग रहा था। दोनों के जिस्मों में गर्मी बढ़ने लगी थी।
रामू ने धीरे-धीरे अपनी जुबान को रूबी के होंठों के भीतर डाल दिया और रूबी की जुबान से सटा दिया। रूबी रामू के इस कदम से रामू के साथ और खुल गई। दोनों एक दूसरे की लार को भी चाटने लगे थे। अब तो रूबी की झिझक भी धीरे-धीरे खतम होने लगी थी। रामू ने तो उस पे जादू कर दिया था। इधर रामू बड़ी मुश्किल से अपनी भावनाएं कंट्रोल में कर रहा था। उसका दिल तो कर रहा था की वो अभी इस हसीना को बेड पे लेटा के चोद दे। पर नहीं वो पहले वाली गलती नहीं करेगा। जब तक कमलजीत जा हरदयाल में से कोई एक घर पे है, रूबी को चोदने का जोखिम नहीं ले सकता है।
रूबी की टाइट चूत उसका 9 इंच का लण्ड जल्दी नहीं झेल पाएगी। उसको टाइम लगेगा इसके साइज को अपने अंदर लेने में। और मालेकिन के होते हुए उनके पास टाइम कम था। इधर रूबी को रामू का टाइट लण्ड अपने पेट पे महसूस होता है और वो घबरा जाती है, और रामू से अलग हो जाती है। उसकी नजर रामू के तने हुए पायजामे पे थी। रामू रूबी की इस हरकत पे हैरान रह जाता है। रामू रूबी की हालत समझ जाता है।
राम- रूबी जी क्या हुआ?
रूबी- रामू तुमने कहा था की तुम मेरी मर्जी के वगैर कुछ भी नहीं करोगे।
रामू रूबी की कमर में हाथ डालता है और अपनी तरफ खींचकर कहता है- “अरे मेरी जान मैंने आपकी कसम खाई है। मेरे ऊपर विश्वाश रखो, मैं कुछ नहीं करूंगा। आपकी इज्जत का ख्याल है मुझे..” और फिर से होंठों को रूबी के होंठों में रख देता है और रसपान करने लगता है।
रूबी को राम के दुबारा विश्वाश दिलाने से तसल्ली होती है, और वो भी खुद को राम को समर्पित कर देती है। रामू रूबी के गुलाबी होंठों का भरपूर मजा ले रहा था। रूबी अब और ज्यादा खुलने लगी थी। उसने अपनी बाहें रामू की गर्दन से लपेट ली। रामू रूबी के इस कदम से खुश हो गया। उसे लगा कि यह अच्छा मौका है आगे बढ़ने का और वो अपने एक हाथ को रूबी के चूतड़ों पे ले जाता है और एक चूतर को हथेली में लेकर मसलने लगता है। रूबी रामू के इस वार को सह नहीं पाती और अपने होंठों को राम के होंठों में और धकेलने लगती है। रामू का हाथ रूबी के चूतरों का अच्छे से जायजा ले रहा था।
रूबी की चूत अब पानी छोड़ने लगी थी। रामू के कठोर हाथ रूबी की गाण्ड को अब जोर-जोर से मसलने लगे थे। दोनों बेपरवाही से एक दूसरे का रस पीने में व्यस्त थे। अब रूबी और राम के बीच में से हवा जाने के लिए भी जगह नहीं बची थी। दोनों में से किसी को टाइम का अंदाजा नहीं था। रूबी की चूत में तो मानो आग लगी थी। रूबी अपना कंट्रोल खो देती है और बेतहाशा रामू के होंठों को चूसने लगती है।
रामू अब अपने होंठों को चुसवाने का भरपूर मजा ले रहा था। उसने तो जादू कर दिया था रूबी पे। ऊपर से रूबी होंठों का रस पी रही थी, तो नीचे रामू के हाथ उसके चूतरों पे घूम रहे थे। तभी घर के दरवाजे के खुलने की आवाज आती है। राम रूबी को एक झटके से अपने से अलग करता है।
रूबी रामू की इस हरकत को समझ नहीं पाती। वो तो अपनी चरम सीमा पे पहँचने वाली थी। पर अचानक राम ने खेल को बीच में ही क्यों रोक दिया?
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01-07-2021, 01:23 PM,
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RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
रामू- शुक्रिया रूबी जी।
रूबी- शुक्रिया किस बात का?
राम- अपने हमें अपने होंठों का रस पीने दिया, और उभारों को मसलने दिया इसलिए। आपको भी मजा आया था ना रूबी जी?
रूबी- हाँ।
राम- तो फिर आपको हमारा भी शुक्रिया करना चाहिए। आखीरकार, हमने ही तो आपको मजा दिया था।
रूबी रामू की मासूम सी बातों पे हँसते हुए- “शुक्रिया रामू जी."
राम- सच में रूबी जी मैंने अपनी जिंदगी में इतने रसीले होंठ कभी नहीं चूसे थे और आपके रूई जैसे नरम उभारों का एहसास मैं अपने हाथों में अभी भी महसूस कर सकता हूँ।
रूबी- अच्छा जी। झूठ बोलना तो तुमसे सीखे कोई।
राम- नहीं सच में आपकी कसम।
रूबी- वो जो 12 औरतों के साथ समंध हैं, उनके नहीं है क्या?
रामू- आपके सामने तो वो कुछ भी नहीं है।
रूबी- लड़की की झूठ-मूठ की तारीफ करना कोई तुमसे सीखे। झूठे कहीं के। ऐसे ही झूठ बोलकर पता नहीं कितनी लड़कियों को पटाया होगा और अब मझे फाँस रहे हो।।
रामू- नहीं रूबी जी, हम आपसे झूठ नहीं बोल सकते। अगर झूठ बोलना होता तो कभी ना बताते की हमारी जिंदगी में और भी लड़कियां आई हैं। आपसे से तो हम कभी झूठ नहीं बोल सकते।
रूबी पे राम की बातों का जादू हो रहा था। उसकी मासूम सी सीधी बातें रूबी के मन को भा रही थी। रूबी ने कहा- “तो तुमने वो भी 12 लड़कियों से ही किया है आज तक या कम से?"
रामू- जी। हमने सबसे किया है।
रूबी- तो अब तुम्हारा रीलेशन नहीं है उनके साथ क्या?
राम- नहीं रूबी जी अभी भी है। घर जाते है तो मिलकर आते हैं। अब जब भी जाएंगे तब भी मिलेंगे।
रूबी हमसे प्रेम करते हो तो फिर उनका क्यों सोचते हो?
रामू- हम आपसे बहुत प्रेम करते हैं, और हम उनके बारे में नहीं सोचते। वो खुद ही जिद करती हैं मिलने को।
रूबी- “ऐसा क्यों करती है वो? उनको बोलो अपने पति के साथ खुश रहें। उनको बोल दो तुम किसी और के हो.."
और हँसने लगती है।
राम- रूबी जी, मैंने तो कई बार उनको बोला है पीछा छोड़ने के लिये पर वो नहीं मानती। असल में जब कोई आदमी अपनी औरत को चरमसुख देने में नाकाम रहता है और कहीं वो औरत किसी तगड़े लण्ड को भोग लेती है तो बार-बार उसका मन उसी को पाने की चाहत रखता है।
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01-07-2021, 01:24 PM,
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RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
रूबी- तुम्हें क्यों लगता है की वो औरतें अपने पति से खुश नहीं है?
रामू- अरे रूबी जी, इसमें ना समझी वाली तो बात ही नहीं है। मुझसे मिलने का कारण उनका सिर्फ और सिर्फ संभोग करने का ही होता है। अगर समाज का डर ना हो तो वो सब मेरे साथ रहने लग जाएं।
रूबी- ऐसी बात नहीं होती राम्। औरत तो अपने पति से हमेशा खुश होती है। चाहे उसे चरमसुख मिले या नहीं।
राम- यह सब फजूल की बातें हैं। असल जिंदगी में औरत को एक तगड़ा लण्ड चाहिए होता है, और कुछ नहीं। आप जितना भी पैसा दे दो या कुछ भी। दे दो, पर जो सुख औरत को एक तगड़े लण्ड से मिलता है वो किसी और इस दुनियांवी चीज में नहीं मिल सकता।
रूबी- तुम तो बड़ी-बड़ी बातें कर लेते हो, जैसी कोई ज्ञानी हो।
रामू- सच में रूबी जी। आप बताओ आप क्यों मुझसे प्रेम करती हो? आपके के पास पैसा है, दुनियां की तमाम सहूलियतें है। फिर भी आप मुझसे क्यों प्रेम करने लगी हो?
रूबी- पता नहीं राम्। शायद दिल पे जोर नहीं चलता।
रामू- रूबी जी आप अपने जिश्म की भूख को शांत करने के लिए तड़प रही हैं। आपके पति आपके पास नहीं हैं। जिससे आप अपनी अंदर की आग को ठंडा नहीं कर पाती। यह तो कुदरत का नियम है जिसके कारण आप मेरी तरफ आकर्षित हुई, और प्रेम करने लगी।
रूबी चुपचाप उसकी बातें सुनती रहती है। शायद रामू ठीक ही तो कह रहा था। वो मर्द से मिलन करने के लिए ही तो रामू की तरफ आकर्षित हुई थी, और अपना दिल दे बैठी थी।
रामू- रूबी जी एक बात बोलूँ?
रूबी- हाँ।
राम- अपने कल बताया था की आपके पति लण्ड 5 इंच का है।
रूबी हिचकचती हुई- “हाँ....
रामू- तो इसका मतलब आपकी चूत मेरे लण्ड के लिए काफी टाइट होगी। क्या मैं कल आपकी चूत के दीदार कर सकता हूँ?
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