अंतर्वासना Sex Stories - Page 2 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

अंतर्वासना Sex Stories

वो उनके ऊपर से उतर कर पलंग पर लेट गया. उसने शर्मिला का हाथ पकड़ कर उन्हें अपने ऊपर खींचा. शर्मिला लजाते हुए उसके ऊपर आ गईं. उन्होंने उसके लंड को हाथ में पकड़ा और अपनी चूत को उस पर टिकाया. उन्होंने अपनी चूत को धीरे-धीरे नीचे धकेला. कुछ ही पलों में उन्होंने पूरा लंड अपने अंदर ले लिया. उन्होंने विजयी दृष्टि से कमली की ओर देखा तो कमली ने कहा, “बीवीजी, अब आपको जैसे धक्के पसंद हैं, वैसे लगा सकती हैं.”

ज़िन्दगी में पहली बार चुदाई की कमान शर्मिला के हाथ में आई थी. उन्होंने हलके धक्कों से शुरुआत की. जब उनका आत्मविश्वास बढा तो उनके धक्कों में और ताक़त आने लगी. कालू ने उनकी कमर को अपने हाथों से थामा और वो भी उनका साथ देने लगा. उसकी नज़रें उनके फुदकते जिस्म पर जमी हुई थी. वो अपनी किस्मत पर इतरा रहा था कि आज उसे ऐसी हसीन औरत को चोदने का मौका मिला था. साथ ही वो उनकी कसी हुई चूत का पूरा लुत्फ़ उठा रहा था. लुत्फ़ शर्मिला भी उठा रही थीं. वे जान गयी थीं कि चुदाई का मज़ा पुरुष की शक्ल-सूरत पर नहीं बल्कि उसके काम-कौशल और उसके लंड की शक्ति और क्षमता पर निर्भर करता है. और कालू इन सब का स्वामी था. वे एक बार तो चुदने से पहले ही झड़ चुकी थीं और अब दूसरी बार झड़ने के कगार पर थीं.

कालू नीचे से अपनी ताक़तवर रानों से शर्मिला की चूत में पुरजोर धक्के मार रहा था. उसने उनकी कमर को कस के पकड़ लिया था ताकि लंड चूत से बाहर न निकल जाए. शर्मिला के गले से अजीब आवाजें निकल रही थीं. कालू उनके चेहरे के बदलते नक्श देख कर भांप गया था कि वे अब अपनी मंजिल के नज़दीक थीं. उसने उन्हे चोदने में अपनी पूरी ताक़त लगा दी.

शर्मिला अब पूरी दुनिया से बेखबर थीं. उनकी आँखें बंद थी, सांसें उखड रही थीं और जिस्म बेकाबू था. उनका पूरा ध्यान अब उन मदमस्त तरंगों पर केन्द्रित था जो एक के बाद एक उनकी चूत से उठ रही थीं. कमली ने उनसे पूछा, ‘बीवीजी, ये ठीक तरह से चोद रहा है कि नहीं?’

शर्मिला बरबस बोल उठीं, “बहुत अच्छी तरह चोद रहा है, कमली ... बहुत अच्छी तरह!”

और इन शब्दों के साथ ही उनका शरीर अकड़ने लगा. उनकी तनावग्रस्त चूत फड़कने लगी. कालू उनको चोदते हुए बोला, “निकाल दीजिये, मेमसाहब! निकाल दीजिये अपनी चूत का पानी!”

और वही हुआ. शर्मिला बड़े जोर से उसके लंड पर झड़ीं. और ऐसे झड़ीं कि वे अपनी सुधबुध खो बैठीं. उन्हें ब्रह्माण्ड अपने चारों तरफ घूमता हुआ प्रतीत हुआ. उन्हें पता ही नहीं चला कि वे कब आनन्द के अतिरेक में कालू के ऊपर गिर गईं.

जब शर्मिला की चेतना लौटी तब उन्होंने देखा कि उनकी बाँहें कालू के गिर्द कसी हुई थीं, कालू अपने हाथों से उनकी पीठ और नितम्बों को सहला रहा था. उसका लंड अब भी उनकी अलसाई चूत में तना हुआ खड़ा था. कालू ने उनकी आँखों में देखते हुए पूछा, “मज़ा आया, मेमसाहब?”

“हां कालू, बहुत मज़ा आया,” उन्होंने बेझिझक कहा. “पर तुम्हारा अभी नहीं हुआ?”

“अब ज्यादा देर नहीं है,” कालू ने जवाब दिया. “अगर आप मुझे दो मिनट और चोदने दें तो मेरा भी हो जाएगा.”

“ठीक है,” उन्होंने कहा. “तुम मुझे अपने नीचे ले कर चोद लो!”

शर्मिला कालू के ऊपर से उतर कर चित लेट गईं. इस बार कालू ने देर नहीं की. वह जानता था कि उनकी चूत तैय्यार है. वह उनके ऊपर सवार हो गया. उसने उनकी चूत में अपना लंड घुसाया और फिर से चुदाई शुरू कर दी. कमली ने ताकीद की, “देख, प्रेम से लेना और ज्यादा देर न लगाना.”

उसे जवाब शर्मिला ने दिया, “कोई जल्दी नहीं है, कमली. इसे जी भर कर लेने दे.” उन्हें फिर से मज़ा आने लगा था.

मज़ा कालू को भी आ रहा था और वो वास्तव में शर्मिला की चूत बहुत प्रेम से ले रहा था. धीरे-धीरे उसका मज़ा बढ़ा तो उसके धक्कों ने रफ़्तार पकड़ ली. शर्मिला भी उसी लय में अपने चूतड़ उठा-उठा कर चुदवाने लगीं. उनके गले से फिर मस्ती भरी आहें और सिसकियां निकल रही थीं. कमली विस्मय से उन्हें देख रही थी. अब उसे वे एक बड़े घर की शालीन स्त्री नहीं बल्कि खुद जैसी आम औरत दिख रही थीं, ऐसी औरत जो खुल कर चुदाई का मज़ा लेती है. कमली यह भी देख रही थी कि कालू उन्हें पूरी मस्ती से चोद रहा था. हर धक्के के साथ उसके चूतड़ संकुचित हो रहे थे. उसने शर्मिला के कन्धों को कस के पकड़ रखा था ताकि वे उसकी गिरफ्त से निकल न जाएँ. उसका लंड तेज़ी से उनकी चूत में प्रहार कर रहा था. कुछ देर बाद उसके गले से गुर्राने जैसी आवाज निकलने लगी. शर्मिला को लगा कि अब वो झड़ने वाला था. वे खुद भी फिर से झड़ने को आतुर थीं. तभी गुर्राहट के बीच कालू बोला, “मेमसाहब, मेरा निकलने वाला है ... आsssह!”

यह सुन कर शर्मिला की चूत स्वतः ही लंड पर भिंच गई और उनके नितम्ब बेकाबू हो कर उछलने लगे. कालू भी अब धुआंधार धक्के मार रहा था. दोनों दुनिया से बेखबर थे. दोनों का ध्यान अब सिर्फ उनके संधि-स्थल पर केन्द्रित था जहां लंड और चूत एक-दूसरे को पछाड़ने की होड़ में जुटे थे. कोई हार मानने को तैयार न था और इस मुकाबले में किसी की हार होनी भी न थी. एक मिनट की घमासान टक्कर के बाद कालू किसी जख्मी शेर की तरह गुर्राया. उसका जिस्म अकड़ गया और उसका लंड शर्मिला की चूत में दनादन पिचकारियां मारने लगा. जब पहली बौछार चूत में पड़ी तो शर्मिला का शरीर भी तन गया. उनकी कमर ऊपर उठ गई. तीव्र सिसकारियों के बीच उनकी चूत भी पानी छोड़ने लगी. लंड से पानी की आखिरी बूँद निकलने के बाद कालू शर्मिला के ऊपर बेसुध हो कर गिर पड़ा.

थोड़ी देर बाद जब कालू की सांसें सामान्य हुईं तो वो शर्मिला के ऊपर से उतरा और उनके पास लेट गया. शर्मिला ने उसकी तरफ करवट ले कर अपना सर उसके कंधे पर रख दिया. कालू के दूसरी तरफ लेट कर कमली ने भी यही किया. शर्मिला ने अपना हाथ कमली के हाथ पर रखा और उससे नज़रें मिला कर वे कृतज्ञता से मुस्कुराई. जिस अभूतपूर्व आनन्द का उन्होंने आज अनुभव किया था उसका श्रेय वे कालू के साथ-साथ कमली को भी दे रही थीं. वे सोच रही थीं कि उनके पति के सामने कमली ने वो अजीब शर्त न रखी होती तो वे इस आनंद से वंचित रह जातीं. अपने खयालों में डूबी वे न जाने कब नींद की गोद में चली गयी.


***************************************************************************************************


शर्मिला को अपने सीने पर एक गीले स्पर्श का अनुभव हुआ. वे गहरी नींद में डूबी इस मीठे सपने का आनन्द ले रही थीं. स्पर्श एक गीली जीभ का था जो उनके निप्पल से कामुक छेड़छाड़ कर रही थी. जब उन्हें अपने दूसरे स्तन पर एक मुट्ठी का दबाव महसूस हुआ तो उनकी आँखें खुलीं. उन्होंने पाया कि ये सपना नहीं था. कालू ने उनके एक उरोज पर अपने हाथ से और दूसरे पर अपने मुंह से कब्ज़ा किया हुआ था. पता नहीं यह कब से चल रहा था. शर्मिला का तन उनके वश में नहीं था. कालू अपने काम-कौशल से उनकी वासना को भड़का चुका था. तभी उनकी अधखुली आंखें खिड़की पर पड़ीं. परदे से छन कर हल्का प्रकाश अन्दर आ रहा था. उन्होंने अपनी घडी पर नज़र डाली. पांच बजने वाले थे. गर्मी के मौसम में सुबह पांच बजे थोड़ी आवाजाही शुरू हो जाती है. उनका अचेतन मन उन्हें यहां रुकने को कह रहा था ताकि वे बीती रात वाला मज़ा फिर से ले सकें. पर उनका मष्तिष्क कह रहा था कि अब एक मिनट भी रुकना ठीक नहीं था. उन्होंने मष्तिष्क की बात मानी और कालू को धकेलते हुए कहा, “नहीं कालू, अब मुझे जाना होगा.”

कालू जैसे आसमान से गिरा. उसने याचनापूर्ण स्वर में कहा, “मेमसाहब, बस एक बार और चोद लेने दीजिये! आप थोड़ी देर और रुक जायेंगी तो क्या बिगड़ जाएगा?”

“सुबह हो रही है, कालू.” शर्मिला अब पूरे होश में थीं. उन्होंने कमली से कहा, “कमली, इसे समझाओ कि किसी ने जाते हुए मुझे पहचान लिया तो ठीक नहीं होगा.”

कालू यह सुन कर रुआंसा सा हो गया. वो अटकता हुआ बोला, “मेमसाहब, मुझे आप जैसी अप्सरा फिर कभी नहीं मिलेगी. अगर एक बार और आपकी कृपा हो जाये ...”

“तुम ऐसा क्यों सोच रहे हो,” शर्मिला ने कहा. “तुम्हारा जब मन करे, कमली से कहला भेजना. मैं आ जाऊंगी.”

कालू को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था. उसने आश्चर्य से पूछा, “क्या? आप सच में आ जायेंगी?”

“हाँ, जब तुम चाहोगे.” शर्मिला स्वयं आश्चर्यचकित थीं कि उन्होंने ऐसा किस तरह कह दिया. बहरहाल कालू उनकी बात सुन कर खुश हो गया.

“मेमसाहब, आप भी बाबूजी को कह देना कि वे जब चाहें तब कमली को चोद सकते हैं.” कालू ने कहा. “कमली ने तो पहले ही उनसे अदला-बदली की बात की थी.”


*****************************************************************************************


कुछ मिनट बाद शर्मिला कमली के साथ बाहर निकलीं और अपने घर की तरफ चल दीं. चलते-चलते उनका दिमाग स्वतः ही पिछले कुछ घंटों में घटी घटनाओं पर जा रहा था. वे सोच रही थीं कि फिर से आने की बात कह कर उन्होंने कुछ गलती तो नहीं कर दी! उनके मन ने उनसे कहा, “तुम्हारे पति ने कमली के साथ जो किया, वो सिर्फ अपनी वासना की पूर्ती के लिए किया. उन्होंने तुम्हारी भावनाओं के बारे में एक बार भी सोचा? और कालू वो फिल्म न बनाता तो क्या होता? अखिल तुम्हे बताते कि उन्होंने कमली के साथ क्या किया था? अगर कालू को एतराज़ न होता तो वे कमली को फिर से भोगने का कोई मौका छोड़ते? वे तुम्हे कालू के पास भेजने के लिए तैयार हुए तो खुद को बचाने के लिए. वे तो अपने स्वार्थ के लिए तुम्हारी बलि चढ़ा रहे थे. अब कालू औरत को मज़ा देने में माहिर निकला तो इसका श्रेय तुम्हारे पति को नहीं जाता! तुम्हारा पति तो सजा के काबिल है जो उसे तुम ही दे सकती हो. ... और हां, कालू ने अदला-बदली की बात की थी ना. अदला-बदली में क्या होता है? किसी ने तुम्हे कुछ दिया है वो उसे लौटाना. तुम्हारे पति ने तुम्हे दी है बेवफाई, सिर्फ अपने मज़े के लिए. अब यही तुम्हे लौटानी है, ब्याज के साथ. तुम्हारा लौटाना तो अभी शुरू हुआ है!”

ये सब सोचते-सोचते उनका घर आ गया. कमली उन्हें पहुंचा कर वापस चली गई. अखिल बेसब्री से उनका इंतजार कर रहे थे. उनकी रात करवटें बदलते गुजरी थी. रात भर वे यही सोचते रहे थे कि लम्पट कालू उनकी पत्नी की कैसी दुर्गति कर रहा होगा! शर्मिला के घर पहुँचते ही उन्होंने उसे अपनी बांहों में भींच लिया. उन्होंने व्यग्रता से पूछा, “तुम ठीक तो हो?”

शर्मिला ने शांत स्वर में उत्तर दिया, “हां, मुझे भला क्या होगा?”

अखिल ने पूछा, “मैं कह रहा था कि वो तुम्हारे साथ सख्ती से तो पेश नहीं आया?”

“अब ऐसे काम में मर्द का सख्त होना तो जरूरी होता है,” शर्मिला ने कहा.

अखिल के समझ में नहीं आया कि शर्मिला क्या कहना चाहती थी. उन्होंने फिर पूछा, “मेरा मतलब था कि उसने तुम्हे चोट तो नहीं पहुंचाई?”

शर्मिला ने सोचा, ‘इन्हें मेरी शारीरिक चोट की तो इतनी फ़िक्र है पर कमली का मज़े लेने से पहले इन्होने मेरी मानसिक चोट के बारे में सोचा था? अब इन्हें सबक सिखाने का समय आ गया है.’ उन्होंने कहा, “अगर यह काम स्त्री कि सहमति से किया जाए तो मर्द उसे चोट नहीं पहुंचा सकता, फिर चाहे वो कालू जैसा मुश्टंडा ही क्यों न हो!”

“भगवान का शुक्र है कि तुम ठीक हो ... और यह मामला सुलझ गया है!” अखिल ने कहा. वे मन ही मन खुश थे कि वे खुद दुर्गति से बच गए थे.

“सुनो जी, वे लोग कह रहे थे कि कमली ने तुम से अदला-बदली जारी रखने की बात की थी!” शर्मिला ने पत्ता फेंका.

“हां, पर मैंने उसी वक़्त मना कर दिया था.” अखिल थोड़े चिंचित थे कि यह बातचीत किसी ग़लत दिशा में न चली जाये!

“पर कालू का बहुत मन है,” शर्मिला ने बाज़ी को आगे बढाया. “बेचारा गिड़गिड़ा रहा था कि यह काम आगे भी चलता रहना चाहिए. मुझे तो उस पर दया आ रही थी.”

“क्या?” अखिल ने अचम्भे से कहा. उन्हें यह कतई गवारा नहीं था कि कालू जैसा बदमाश उनकी पत्नी का मज़ा लूटे! ... एक बार तो चलो मजबूरी थी, पर बार बार? ... फिर उन्हें खयाल आया कि बात अदला-बदली की हो रही है! अगर अपनी पत्नी के बदले में उन्हें कमली मिल जाये तो कैसा रहेगा? एक तरफ पुरानी पत्नी और दूसरी तरफ नई कमली! ... उनका मन डोलने लगा! ... आखिर जीत पुरुष की कमज़ोरी की हुई; परायी स्त्री का आकर्षण होता ही ऐसा है! उन्होंने अपनी ख़ुशी छिपाते हुए पूछा, “तो तुमने हां कर दी?”

“उस बेचारे की हालत देख कर मेरा दिल पिघल गया,” शर्मिला ने कहा. “मैंने उसे कह दिया कि जब उसका मन करे, वो कमली को बता दे. मैं कल रात की तरह उनके घर चली जाऊंगी. ठीक किया न मैंने?”

अखिल तपाक से बोले, “हां, इसमें क्या गलत है?”

“मुझे पता था कि तुम्हे भी कालू पर दया आएगी,” शर्मिला ने आखिरी पत्ता फेंका. “मुझे सिर्फ एक बात का अफ़सोस है! पता नहीं क्यों तुमने भगवान की कसम खा ली कि तुम पराई स्त्री की तरफ देखोगे भी नहीं! कमली तो तुम्हारी इच्छा पूरी करने को तैयार है पर तुमसे भगवान की कसम तुड़वाने का पाप मैं नहीं करूंगी! अब तो कालू की ही इच्छा पूरी हो पायेगी.”

अखिल खुद को कोस रहे थे कि उन्हें इतनी ज्यादा एक्टिंग करने की क्या जरूरत थी? भगवान की कसम के बिना भी काम चल जाता. अब कालू के तो मज़े हो गए और बदले में उन्हें कुछ नहीं मिला.

== समाप्त ==
 
Back
Top