Mastram Sex kahani मर्द का बच्चा - Page 11 - SexBaba
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Mastram Sex kahani मर्द का बच्चा

लल्लू से अब बर्दास्त नही हुआ तो वो रागिनी के चेहरे को देखता हुआ उसके माथे पर अपने तपते होंठ रख दिया.

रागिनी सोते हुए ही मुस्कुरा उठी.

लल्लू को बड़ा प्यार आया.

वो रागिनी के बालो को सहलाता उसे अपने बाहों में लिए आँख बंद कर सोने की कोशिश करने लगा.

सुबह जब रागिनी की नींद खुली तो वो लल्लू की बाहों में थी.
दोनो एक दूसरे से चिपके हुए थे.

रागिनी को बहुत शरम आया.
वो लल्लू के हाथो को हटा कर उठाने लगी तो देखती है की उसकी सारी उसके कमर से थोड़ा ही नीचे तक था और पीछे से तो बिल्कुल उठा हुआ था.

रागिनी एक नज़र लल्लू पर डालती अपनी सारी सही कर ली.
जब वो सारी सही कर के लल्लू के पास से थोड़ा हट कर दूर हुई तो जो देखती है वो देख कर तो एक पल के लिए उसे लगा की उसकी साँस ही रुक जाएँगी.

लल्लू का धोती उसके कमर से खुल गया था और अभी सुबह सुबह उसका डंडा अपने पूरे जाऊउबान पर खड़ा था.

रागिनी की साँसे तेज हो गई लल्लू के लौड़े को देख कर.
रागिनी को नीचे अपने कच्छी में गीलापन का अहसास हुआ तो वो और शरमा गई.

रागिनी- हाय राम ये जिस पर चढ़ जायगा वो तो मर ही जाएँगी. कैसे झेलेगी इसकी वाइफ इसे.

रागिनी बहुत आहिस्ता से उठ के लल्लू के ऊपर उसका धोती डाल दी.
फिर बेड से उतर कर अपने कमरे से बाहर आ गई.
बाहर काजल और ऋतु पहले से उठी हुई थी.
 
फिर रागिनी फ्रेश होने चली गई.

सुबह लल्लू थोड़ा देर से उठा.

बाहर आ कर आँगन में खाट पर बैठ गया.\

लल्लू- मा. चाय.

काजल- कहाँ था तू. अभी सो कर उठा है क्या.

लल्लू- हा मा. मझली काकी के रूम में सोया था. रात लाइट चली गई तो उन्हे डर लग रहा था.
काकी बोली साथ सोने को तो वही सो गया था जा कर.

ऋतु चाय ले कर लल्लू को दे दी.

शादी का एक वीक था तो अब सब के ज़ुबान पर सिर्फ़ शादी की ही बाते थी.
मा और काकी तो शादी की बातों में लगी थी.

शालिनी काकी ओर रागिनी काकी रसोई में थी.
भैया बाहर घूमने गये थे.

में भी चाय पी कर फ्रेश होने चला गया.

फ्रेश हो कर आया तो दादू सभी काका और पापा सभी लोग आँगन में बैठे चाय पी रहे थे.

दादू- लल्लू बेटा क्या बात है आज सुबह नही उठा था क्या.

लल्लू दादू के साथ बैठता हुआ.
लल्लू- कहाँ दादू. रात लेट से सोया था तो अभी अभी नींद खुली.

पापा- घर में अब काम है तो तुम्हे नींद आ रहा है.

सुनील- बेटा आज सब को ले कर बाज़ार जाना है.

समय कम है तो लॅडीस पार्टी को ले कर दोनो भाई बाज़ार से मार्केटिंग कर लो. वैसे भी एक बार में तो हो नही पाएगा.
क्या कहते हो.

लल्लू- जैसा आप कहे काका.

लल्लू- काका कब जाना है बाज़ार.
अनिल- बेटा खाना पीना हो जाये जल्दी से फिर चले जाना.

लल्लू- ठीक है काका. वैसे काका क्या सब लेना है और कहाँ से लेना है.

सुनील- कपड़े का तो दो दुकान तुम देख ही रखे हो.

लल्लू- दो कहाँ काका. एक ही दुकान तो गये थे उस दिन वो भी छोटा रेडीमेड का दुकान था.

सुनील- हाहाहा, में पहले दिन मेरे साथ गये थे उसका बात नही कर रहा. सोनम बेटा के साथ दूसरे दिन गये थे उसका बता रहा हूँ.
वो शोरुम तो बड़ा है ना.

लल्लू- ओह्ह तो वो अंकल आप को बता दिए.

सुनील- बताता कैसे नही. वो तो वो उसका बाप भी बताता.

लल्लू- अच्छा और दूसरा.

सुनील- दूसरा दुकान उसके भाई का है उस से कहना तो वो दिखा देगा.

बाकी तुम लोगो का जहा दिल करे और कपड़े अच्छा लगे वाला लेना.

लल्लू- ठीक है काका.

फिर ऐसे ही बाते होने लगी.
 
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