Mastram Sex kahani मर्द का बच्चा - Page 10 - SexBaba
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Mastram Sex kahani मर्द का बच्चा

वहाँ के शिव मंदिर में प्रभु शिव संकर की पूजा अर्चा कर वो लड़की वही के एक आश्रम में जा कर थोड़ी देर वहाँ आश्रम की सॉफ सफाई की फिर वहाँ से आ गई.
वहाँ से ऑटो पकड़ कर वो कनखल पहुच गई.
जहा वो दक्षेश्वर मंदिर फिर हरिहर मंदिर में जा कर पूजा की.

कनखल में ही एक होटल में वो लड़की एक कमरा ले कर रह रही थी.

वो लड़की वहाँ से पूजा अर्चना कर अपने होटेल चली गई.

कमरे में आ कर खाना का ऑर्डर कर दिया और वॉशरूम में जा कर फ्रेश होने लगी.

जब तक फ्रेश हो कर आई तब तक खाना भी आ गया.

खाना ले कर वो लड़की रूम बंद कर दी और अपने सारे कपड़े खोल कर नंगी हो गई.

जब शरीर थका हुआ था तब वो चलती फिरती कयामत लग रही थी लेकिन कपड़े उतरने के बाद वो तो स्वर्ग से उतरी अप्सरा लग रही थी जो यहाँ हरिद्वार में ग़लती से आ गई.

सब से आकर्षक उसके पीछे कमर पर वो टॅटू था जो उसके पीछे के उभार से जस्ट ऊपर बना हुआ था.
वो लड़की झट से एक जींस पेंट और टीशर्ट निकाल कर पहन ली. फिर खाना खा कर बेड पर लेट गई.

लल्लू सूर्य उदय तक वही नदी किनारे बैठा नदी के जीवों से बात करता रहा फिर फ्रेश हो कर घर को चल दिया.

दालान पर आ कर हाथ पैर धो कर अंदर आ गया.
दालान पर सब बैठे थे.

लल्लू भी वही बैठ गया.

सुनील- कहाँ से आ रही है सवारी
लल्लू- सुबह सुबह थोड़ा बाहर टहलने गया था.

सब काका लोग भैया की शादी की ही बात कर रहे थे की एक महीने की छुट्टी में आया है तो अच्छा है की शादी कर के ही अब भैया को यहाँ से भेजा जाये.

लल्लू फिर वहाँ से उठ कर आँगन आ गया.

लल्लू- कोई चाय दे दो मुझे भी.

काजल- जा रसोई में जा कर काकी से ले लो.

लल्लू चलता हुआ रसोई में पहुच गया.
वहाँ रागिनी काकी खाना बना रही थी.

लल्लू- काकी चाय दे दो थोड़ी सी.

रागिनी- देती हूँ तू बैठ बाहर.

लल्लू फिर बाहर खटिया पर जाने लगा लेकिन वो अपने कदम ऋतु काकी के कमरे की ओर बढ़ा दिया.

ऋतु कमरे में लेटी हुई थी साथ में वहाँ रोमा भी थी.

लल्लू- रोमा दीदी क्या बात है आप भी यही है.

रोमा- हा भाई. मा को बुखार हो गया है. उसे ही दवाई देने आई थी.

लल्लू ऋतु के माथे को च्छू कर देखा.
सच में बुखार था ऋतु को.
लल्लू को बहुत बुरा लग रहा था.
उसे समझ नही आ रहा था की अभी वो अब क्या करे.

तभी बाहर रागिनी लल्लू को आवाज़ दी तो लल्लू बाहर आ गया.

रागिनी चाय ले कर खड़ी थी.

लल्लू आगे बढ़ कर चाय का कप ले कर खटिया पर बैठ गया और सोचने लगा की क्या करे की ऋतु को कुछ आराम मिले.

अभी गाड़ी ले कर कही जा भी नही सकता था सब को जवाब देना मुश्किल था.
सुनील काका को पता था की में गाड़ी चला लेता हूँ लेकिन बाकी को क्या जबाब देगा.

लल्लू चाय पीता यही सोचता रहा.

फिर उठ कर बाहर आ गया.
दालान पर अभी भी सब बैठे थे.

लल्लू सुनील काका के पास जा कर बैठ गया.

लल्लू- काका थोड़ा बाइक की चाभी दीजिए ना. बहुत ज़रूरी काम है.
लल्लू सुनील के कान में फुसफुसा कर बोला.

सुनील लल्लू को देखता हुआ जेब से चाभी निकाल कर दे दिया

लल्लू वहाँ से उठ कर बुलेट ले कर लुढ़कता हुआ बाहर आया रोड पर फिर वहाँ स्टार्ट कर तेज़ी से शहर की ओर चल दिया.

शहर में एक लेडी डॉक्टर का क्लिनिक ढूँढने लगा.

फिर उसे एक क्लिनिक मिल गया.

लल्लू बुलेट खड़ी कर उस क्लिनिक में घुस गया.

लल्लू- डॉक्टर से मिलना है. (बाहर बैठी एक लड़की से लल्लू बोला)

लड़की- नाम बताओ.

लल्लू- लल्लू.

लड़की- लल्लू को देखती है. उम्र ..

लल्लू- 18

लड़की- 500 रुपीज़ जमा करो.

लल्लू जेब से 500 का नोट निकाल कर दे दिया.

लड़की पर्ची बना कर देती डॉक्टर के कॅबिन में भेज दी.

लल्लू अंदर गया तो एक 30-35 साल की महिला डॉक्टर अपने चेयर पर बैठी थी.

डॉक- आओ यहाँ बैठो. वो महिला डॉक्टर लल्लू को अपने आगे के चेयर पर बैठने को बोली.

लल्लू जा कर वहाँ बैठ गया.

डॉक- बताओ क्या परेशानी है.

लल्लू- जल्दी जल्दी में तो आ गया यहाँ लेकिन अब उसे समझ नही आ रहा था की क्या कहे.

लल्लू को चुप देख कर वो डॉक्टर फिर बोली.

डॉक- बताओ क्या हुआ है तुम्हे.

लल्लू- डॉक्टर दरअसल बात ये है की मुझे कुछ नही हुआ है.

डॉक- तो.. किसे क्या हुआ है. मरीज को लाना था ना. या वो आने के लायक नही है तो क्या हुआ है ये तो बताओ.

लल्लू- वो डॉक्टर. कैसे कहूं .

डॉक- बताओगे नही तो मुझे पता कैसे चलेगा. में इलाज कैसे करूँगी.

लल्लू- डॉक्टर बात ये है की रात एक लड़की के साथ. नही लड़की नही औरत के साथ..वो क्या है...
लल्लू को बड़ा शरम आ रहा था बताने में.

डॉक- देखो तुम बिना झिझक क बताओ क्या बात है. डॉक्टर से कैसा शरम. तुम खुल कर बताओ..
 
लल्लू- डॉक्टर में कल रात एक औरत के साथ सोया था तो उसे अब काफ़ी प्रॉब्लम हो रहा है पीछे. उसका कोई दबाई दे दीजिए प्लीज़ और उसे बुखार भी है.

डॉक्टर - में कुछ समझी ही नही. तुम सोए थे एक औरत के साथ तो क्या हुआ उसमें. इस से क्या हो गया की दवाई चाहिए.

लल्लू- आप डॉक्टर ही हो ना. एक मर्द और औरत सो रहा था और क्या आप समझ जाओ प्लीज़..
उस औरत को पीछे बहुत दर्द है.और बुखार भी है.

डॉक्टर - क्या तुम दोनो सेक्स किया था.

लल्लू- हा वही वही.

डॉक्टर - क्या ये उसका पहली बार था

लल्लू- हा ये उसका पहली बार ही था.

डॉक्टर - तो आगे से किया था ना तुमने..

लल्लू- नही नही डॉक्टर . पीछे पीछे किया था.

डॉक्टर - तो तुम ने उस औरत के साथ अनेल सेक्स किया था राइट ..
लल्लू- हा जो भी है... आप जल्दी से दवा देदो और उसे बुखार भी है.

फिर डॉक्टर ने लल्लू को कुछ ट्यूब जिसे कैसे लगाना है और कुछ दवाई लिख कर दी और उसे मेडिकल से ले लेने को बोली.

लल्लू- वहाँ से उठ कर मेडिकल से वो दवाई से कर तुरंत घर को चल दिया.

बाहर रोड पर ही गाड़ी बंद कर अंदर लुढ़ काता हुआ ला कर खड़ा कर दिया.
दवाई ले कर लल्लू ऋतु के कमरे में चला गया.

ऋतु गान्ड ऊपर किए बेड पर लेटी हुई थी.

लल्लू जा कर दरवाजा बंद कर दिया.

लल्लू- काकी ये दवाई लाया हूँ में.

ऋतु उसे देख कर अपने पास बुलाई..
लल्लू दवाई ले कर ऋतु के पास बेड पर जा पहुचा.

ऋतु खिच कर एक चमत लल्लू को लगा दी.

ऋतु- साले कमीने ये क्या कर दिया है. तुम्हे पता भी है सब को जबाब देना कितना मुश्किल हो रहा है.

लल्लू सिर झुकाए खड़ा रहा.

ऋतु- किसी को पता चला ना तो हम दोनो को मार कर यही खेत में गाड़ देंगे किसी को पता भी नही चलेगा.

लल्लू- ये दबाई लाया हूँ. ये ट्यूब उस में जहा तक हो सके अंदर लगाना है और ये गोली खाने की.

लल्लू ऋतु को वो दवाई पकड़ा कर वहाँ से बाहर आ गया.

बाहर राघव बैठा हुआ था खटिया पर.
राघव- कहाँ था भाई सुबह से. में कब से तुम्हे ढूँढ रहा हूँ.

लल्लू- भैया वो में सुबह खेत की ओर चला गया था तो वही से आने में लेट हो गया.

राघव- वाहह क्या बात है. तुम काका लोगो के साथ खेती में मदद भी करते हो. गुड ये तो बहुत अच्छी बात है.

दोनो वही बैठे हुए बाते करने लगे.
 
लल्लू- भैया वो में सुबह खेत की ओर चला गया था तो वही से आने में लेट हो गया.

राघव- वाहह क्या बात है. तुम काका लोगो के साथ खेती में मदद भी करते हो. गुड ये तो बहुत अच्छी बात है.

दोनो वही बैठे हुए बाते करने लगे.

गौरी- भैया आप बोले थे सुबह हमारे लिए लाए हुए गिफ्ट दोगे तो दो ना.
सभी बहने गौरी को पकड़ कर लाई थी.

राघव - हँसता हुआ. अरे में तो मज़ाक किया था. में आज यही बाज़ार से ला दूँगा.

सभी बहने एक साथ- क्याअ.. आप हमारे लिए कुछ नही लाए.

राघव- सॅड फेस बनाता हुआ मुन्डी ना में हिला दिया.

सभी बहने सॅड हो गई. सब का मूह लटक गया.

राघव उठ कर हँसता हुआ बोला.
राघव- अरे में मज़ाक कर रहा हूँ. सब खुस हो जाओ. में तुम सब के लिए लाया हूँ.

फिर राघव उठ कर घर से अपना बॅग ले कर आया और उसे खोल कर सब को उसका गिफ्ट्स देने लगा.

सभी बहने बहुत खुस थी.
राघव सब के लिए नये देसी जींस और टॉप लाया था
सब ले ले कर अपने को पहन कर देखने के लिए होड़ लगा लिए.

आँगन में सब इन लड़कियो को देख कर हस रहे थे.

रागिनी- सब घोड़ी जैसे हो गई है लेकिन अकल एक ढेले का नही है किसी में.
 
लल्लू- भैया मेरे लिए क्या लाए हो

राघव- भाई सब के लिए लाया हूँ. तू तो मेरा प्यारा छोटा भाई है तेरे लिए तो में स्पेसल लाया हूँ.

लल्लू- तो दिखा दो ना भैया मेरे लिए क्या लाए हो.
राघव एक जींस पेंट और एक टीशर्ट निकाल कर लल्लू को दिया. फिर एक प्लास्टिक का पॅकेट निकाल कर दिया.
लल्लू वो पॅकेट खोल कर देखा तो उस में एक सनग्लास था.
वाउ मस्त है भैया.

राघव- कुछ और भी है तुम्हारे लिए.

लल्लू- भैया एक एक कर मत निकालो. इतनी ख़ुसी समा नही रहा है. जो भी है एक बार में ही देदो ना.

फिर राघव एक और पॅकेट निकाला.

लल्लू झपट कर उसे खोलने लगा.

रागिनी- अरे आराम से खोल बेटा. किस बात की इतनी जल्दी है.

लल्लू जल्दी से उसका कवर हटा दिया फिर खोला तो एक स्मार्ट फोन था.
लल्लू राघव को गले से लगा लिया.

भैया ये मोबाइल जो लाए हो ना ये सब से बढ़िया काम किए हो.
में आज कल में ही खरीदने वाला था.

राघव- तुम्हे पसंद आया.

लल्लू- आप पसंद की बात कर रहे हो. बहुत पसंद आया.

काजल- चल बढ़िया है अब तुम्हे नया खरीदना नही पड़ेगा.

लल्लू- भैया पहले ही समझ गये थे की उनके भाई के पास मोबाइल नही है तो इसी लिए ले आए.

रोमा- भैया में कैसी लग रही हूँ.

सब उधर देखने लगे.
रोमा भैया का लाया कपड़ा पहन कर आई थी.

लल्लू- तुम तो बो...बहुत खूबसूरत लग रही हो रोमा. मुझे पता ही नही था चुड़ेल भी खूबसूरत होती है.

( बच गया फला बॉम्ब निकल रहा था मूह से. सब मार मार कर मेरा गुब्बारा बना देते)
रोमा- क्या. क्या कहा तुम ने बंदर. में चुड़ेल लगती हूँ.. ठहर अभी ये चुड़ैल बताती है की वो क्या करती है बंदरो के साथ.
रोमा गुस्से में लल्लू की ओर दौड़ी.
लल्लू आँगन से भाग कर दालान पर आ गया.

लल्लू- आ बच गया आज तो. नही तो ये चुड़ैल सच में आज खा जाती.

दालान पर दादू और पापा के साथ साथ तीनो काका भी आज बैठे हुए थे.

राम- बेटा जा आँगन में बोल एक बार और चाय बना दे.

लल्लू जा कर शालिनी काकी को बता दिया चाय के लिए.

लल्लू वहाँ से लड़कियो के कमरे में चल दिया.
दरवाजे पर पहुच कर वो दरवाजा खटकाया.

दरवाजा गौरी ने खोला.

गौरी- भाई तुम्हारे लिए भैया क्या लाए है.

लल्लू- दी मेरे लिए तो भैया ने बहुत कुछ लाए है.

कोमल- क्या सब भाई.

लल्लू- दी मेरे लिए एक जींस पेंट एक टी शर्ट एक सनग्लास और एक मोबाइल भी लाए है.
लल्लू वही सोफे पर बैठता हुआ बोला.

रानी- क्या ये तो चिट्टिंग है. तुम्हारे लिए मोबाइल भी और मेरे लिए सिर्फ़ कपड़े. भैया...भैया.

रानी कमरे से ही चिल्लाति हुई बाहर चली गई.

रोमा पीछे से आ कर लल्लू का गला पकड़ ली.
रोमा- अब बता अब कहा भाग कर जायगा बंदर. अब तो तू गया काम से.

लल्लू- मेरी प्यारी दी. में आप से भाग कर कहा जाउन्गा. में तो खुद आप के पास माफी माँगने आया था. मुझे माफ़ कर दो. में वैसे ही मज़ाक किया था.

रोमा- अच्छा बंदर मज़ाक भी करता है. आज तुम्हे छोड़ूँगी नही.

लल्लू- दी मासूम भाई का गला दबा कर क्या होगा. वैसे भी भैया एक महीने बाद चले जाएँगे तो यही बंदर भाई यहाँ आप सब के साथ रहेगा.

ये क्या कर रही है रोमा. पीछे से सोनम दीदी आ कर रोमा को डाँटती बोली.

रोमा- दी इस बंदर ने मुझे चुड़ैल बोला है.

सोनम- ठीक ही बोला है. काम तो वही कर रही है तुम. वैसे भी तुम कई बार उसे बंदर कह कर छेड लिया है तो अब बदला पूरा हो गया. चल छोड़ भाई को.

रोमा मूह बनाती लल्लू को छोड़ कर अलग हट गई.
 
सोनम- भाई तुम्हे क्या सब मिला है भैया से.
फिर लल्लू सोनम को बता दी की उसे क्या सब मिला है.

सोनम- वाउ भाई तुम्हारे पास भी अब मोबाइल हो गया. चालू किया क्या उसे.

लल्लू- नही दी अभी सिम नही है मेरे पास. अब कभी बाज़ार जाउन्गा तो ले लूँगा.

सोनम- भाई जाना तो मुझे भी बताना. में भी चलूंगी.

लल्लू- दी में तो बुलेट से जाउन्गा.

सोनम- हा तो में भी उस पर चली जाउन्गी. क्यू तू किसी और के साथ जायगा क्या.

लल्लू- नही में तो इस लिए कह रहा था की कल आप डर रही थी ना.

सोनम- भाई मुझे नही पता था ना की तू पहले से जानता था चलना. वैसे भाई ये बता की तू ये सब सीखा कब.

लल्लू- दी ये तो टॉप सीक्रेट है. अभी नही बता सकता. लेकिन प्रोमिस में सब से पहले आप को ही बताउन्गा.

वैसे दी आप अपना ड्रेस पहन कर देखी क्या.

सोनम- नही भाई अभी नही पहनी हूँ.

लल्लू- तो पहन कर दिखाओ ना.

सोनम- प्यार से शरमाती हुई. तुम्हे मुझे उसमें देखना है.

लल्लू- हा दी. में देखना चाहता हूँ की मेरी प्यारी दी कैसी लग रही है उस ड्रेस में.

सोनम- ठीक है तुम दो मिनट यहाँ बैठो में अभी पहन कर आई.

लल्लू वही बैठा रहा तब तक सारी लड़किया भैया के पास शिकायत कर रही थी की उनके लिए मोबाइल क्यू नही लाए और लल्लू के लिए लाए.

थोड़ी देर में सोनम जींस और टॉप पहन कर आ गई.
सोनम- भाई कैसी लग रही हूँ बता.

लल्लू गर्दन घुमा कर सोनम की ओर देखा.

सोनम इस समय किसी कयामत से कम नही लग रही थी.
जींस बिल्कुल उसके बदन से चिपका हुआ था.
सोनम घूम घूम कर लल्लू को दिखा रही थी.
सोनम जैसे ही पीछे घूम कर दिखाई.
लल्लू की साँसे उसके गले में ही अटक गया.

लल्लू- वाउ दी उ आअहह कयामत. काश आप मेरी बहन ना होती.

सोनम चौक कर घूम गई.

सोनम- क्या मतलब में तुम्हारी बहन नही होती तो.

लल्लू- दी अगर आप मेरी बहन नही होती तो में आप से शादी कर लेता.

सोनम शरम से लाल अपनी नज़रे झुकाए.
सोनम - क्या में तुम्हे इतनी सुंदर लगती हूँ.

लल्लू- सुंदर.. आप तो सुंदरता की पराकाष्ठा हो. सुंदरता भी आप को देख कर शरमा जाये.

सोनम- हाय्ी रामम्म. भाई प्लीज़ ऐसे मत बोल. मुझे बहुत शरम आ रहा है.

लल्लू- में सच कह रहा हूँ दीदी. आप से सुंदर में इस दुनिया में किसी को नही देखा और मुझे यकीन है चाँद भी आप को देख कर रस्क करता होगा.

सोनम- ऑश मयी गोद्ड़द्ड. क्या में तुम्हे इतनी पसंद हूँ.

लल्लू- पसंद. आप तो मेरी सासो की डोर हो दीदी. आप मेरे रोम रोम में बसी हो.

सोनम आ कर लल्लू को गले से लगा ली.

सोनम- प्लसस. अब और कुछ मत बोल. मुझे कुछ कुछ होने लगता है.

लल्लू सोनम को अपने बाहों में लिए उसकी पीठ को सहलाता खड़ा था.
लल्लू के हाथ में सोनम के ब्रा का स्त्रेप बार बार च्छू रहा था.

लल्लू और सोनम दोनो के बदन में चिंगारी उठ चुकी थी जिसे बस शोला बनना था.

तभी लड़कियो के आने का आभास हुआ तो सोनम लल्लू की बाहों से निकल कर दूसरे कमरे में भाग गई.

लल्लू अपने हाथो को चूम कर मुस्कुरा ता वहाँ खड़ा रहा.

लल्लू- कहा गई थी मेरे बहनो की टोली.

कोमल- हम भाई के पास गये थे.

लल्लू- किस लिए कोई काम था.

रानी- भाई हमें सिर्फ़ कपड़ा और तुम्हे कपड़े के साथ सनग्लास और मोबाइल भी दिए इस लिए गये थे की हमें भी चाहिए.

लल्लू- फिर क्या हुआ दिए क्या भैया आप लोगो को मोबाइल.

गौरी- नही. लेकिन बोले है कल तक ला देंगे.

लल्लू- वाउ. ये तो बहुत अच्छी बात है.
चलो में तो चला आप लोग बाते करो.

लल्लू वहाँ से निकल के ऋतु के कमरे में चला गया.

वहाँ पहले से ही काजल थी तो लल्लू वहाँ से जल्दी से भाग आया.
 
राघव- भाई चल कही घूम कर आते है.
लल्लू- कहाँ चलना है भैया.
राघव- कही भी ये गाँव ही घूम लेते है.

लल्लू- ठीक है फिर चलो.

लल्लू और राघव आँगन से निकल कर दालान पर आ गये.

दालान से बाहर निकल कर दोनो आगे बढ़ने लगे की लल्लू बोला

भैया कहो तो बुलेट ले लू या पैदल ही चलना है.

राघव- नही अभी पैदल ही चल. बुलेट से फिर कभी चल देंगे.

दोनो वहाँ से निकल कर गाँव के चॉक की ओर चल दिए.

रास्ते में जो भी मिलता लल्लू को राम राम ज़रूर करता चाहे वो लल्लू से बड़ा हो या छोटा.
राघव- क्या बात है भाई. गाँव में इतना रेस्पेक्ट तो काका लोगो का भी नही है जितना तुम्हारा है.
 
लल्लू- ऐसा कुछ नही है भैया. ये सब मुझ से डर कर राम राम कर रहे है. मन में तो गाली ही दे रहे होंगे.

राघव- ऐसा क्यू.

लल्लू- क्योंकि मुझे अगर कही ग़लत होता दिखता है तो फिर चाहे वो कोई भी हो में अपने आप को नही रोक पाता हूँ. उसकी मा बहन एक कर देता हूँ. बस एक ही रह गया है जिसका मुझे मौका ही नही लग रहा है.

राघव- ऐसा क्या रह रहा है. जिस का तुम्हे मौका नही मिल रहा.

लल्लू- यहाँ अपने स्टेट में शराब बॅन है. लेकिन सुनने में आया है की गाँव के पूर्व में नदी किनारे कोई दारू बेच रहा है. में जा रहा था उसी दिन लेकिन उस दिन रात ज़्यादा हो गया था तो मुझे वापस घर जाना पड़ा फिर मौका ही नही मिला अभी उधर जाने का.

राघव- तो अभी उधर ही जाना था ना. इधर क्यू आ गया. चल उसी ओर चलते है. देखे तो सही कौन है वो जो यहाँ सब गाँव वालो में जहर घोल रहा है.

लल्लू- इसी लिए तो पूछा था की बुलेट ले लू तो आप मना कर दिए. अब नेक्स्ट टाइम बुलेट से उधर ही चलेंगे.

राघव- चल ठीक है.

फिर दोनो भाई गाँव घूमते हुए चॉक तक गये.

चॉक पर दोनो थोड़ी देर हंसी मज़ाक करते हुए गाँव वालो के साथ बैठ कर चाय पी और फिर वापस घर को आ गये.

काजल- कहाँ गया था भैया को ले कर.

लल्लू- वो भैया घर पर बैठे बैठे बोर हो रहे थे तो थोड़ा बाहर घूमने गये थे.

काजल- चल बैठ नाश्ता भी नही किया दोनो. आ जा खाना खा ले.

फिर दोनो बैठ कर खाना खाने लगे.

खाना खा कर लल्लू जा कर ऋतु को देखा तो वो सो रही थी.
अब ऋतु को बुखार नही था.
लल्लू वहाँ से आ कर आँगन में बैठ गया.

तभी सोनम के मरे से बाहर निकली.
दोनो की नजरें टकराई. सोनम शरमा कर नज़रे झुका ली.

लल्लू आँगन से उठ कर आ गया.

दादू- बेटा तेरे पापा बोले है ज़रा खेत चला जा. वो सभी बाहर है आज.

लल्लू- दादू तो पहले बताना था ना. में तो कब से खाली ही था. चला जाता हूँ में.

लल्लू बाहर आ कर खेत की ओर चल दिया.

खेत में फसल की कटाई हो रहा था.
काफ़ी सारे मजदूर लगे थे कटाई में.

लल्लू वही के पेड़ केनीचे जा कर बैठ गया.

वहाँ से शाम में सारा फसल बंधवा कर सही से खेत से खलिहान में पहुचावाया.
इस सब में अंधेरा हो गया.

लल्लू के घर आते आते रात हो गया.

आँगन आ कर लल्लू नलका पर हाथ पैर धो कर खाना खाया.
खाना खा कर लल्लू खटिया पर बैठा हुआ था.
फिर सब लॅडीस खाना खाने आ गई.
 
ऋतु का खाना उसके कमरे में ही पहुचा दिया. वो वही खाना खा ली.
सोनम बार बार लल्लू को ही देख रही थी
लल्लू से नज़र मिलती तो वो फिर शरमा कर पलके झुका लेती.
सब का खाना हो गया तो सब लड़किया बर्तन समेट कर धोने ले गई और काकी ओर मा रसोई समेट कर उसे सही से व्यवस्थित करने लगी.
सब फ्री हो कर अपने करे में चले गये.

आज लल्लू देखता ही रह गया उसे किसी ने पूछा ही नही.

लल्लू उदास हो कर खटिया पर ही लेट गया.
 
सुबह लल्लू की नींद खुली.
उठ कर अपने नियम के अनुसार नदी किनारे जा कर बैठ गया.''

फिर सूर्य उदय के बाद लल्लू उधर से फ्रेश हो कर खेत की ओर चला गया जहा कल का फसल कटाई के बाद रखा गया था.

वहाँ कुछ देर काम देख कर वापस घर आ गया.

सुनील- क्या बात है बेटा. आज काफ़ी देर लगा दी आने में.
लल्लू- वो काका आज ज़रा खेत चला गया था. कल वो फसल कटाई हुई थी वो खलिहान में रखवा दिया था तो उसी को देखने गया था.

पापा- वाहह तुम ये सब काम भी करते हो. वेरी गुड. मुझे तो पता ही नही था मेरा बेटा अब बड़ा हो गया है.

दादू- लल्लू बेटा. आज कुछ मेहमान आने वाले है तो देख आँगन में कैसी तैयारी है. और अब कही जाना नही.

लल्लू- ठीक है दादू. वैसे कौन आ रहे है.

सुनील- तुम्हारे भैया को देखने लड़की वाले आ रहे हैं.

लल्लू- वाउ ये बात तो पहले बताना था ना. लल्लू भागता हुआ आँगन चला गया.

सब हँसने लगे.

आँगन में लड़किया राघव को बीच में बैठाए उसे छेड़ने में लगी हुई थी.

लल्लू- अरे मेरे भैया को तुम लोग क्यू तंग कर रहे हो.

रोमा- आ गया भैया का चमचा.

लल्लू- में उनका सिर्फ़ प्यारा भाई हूँ. आप लोगो को तो आज खुश होना चाहिए की आज भैया की शादी तैय हो गया तो कितना मज़ा आने वाला है.

ऋतु- शादी तय है बस वो डेट पक्की करने आ रहे हैं.

लल्लू ऋतु की आवाज़ सुन पीछे घूम कर देखा.

लल्लू- काकी अब कैसी तबीयत है आप की.
लल्लू ऋतु के पास आता बोला.

ऋतु- ठीक है अब. ( ऋतु बुरा सा मूह बनाती बोली.)

लल्लू का मूह लटक गया.
काजल दूर से ये सब देख रही थी.

थोड़ी देर में मेहमान आ गये.

फिर क्या था सब लग गये उनके आव भगत में.

लल्लू तो सिर्फ़ आँगन से दालान पर चाय पानी नाश्ता यही सब पहुँचाने में लगा हुआ था.

ऋतु जैसा पहले ही बताई थी की शादी पहले से तय था ये लोग सिर्फ़ डेट फिक्स करने आए थे.
पंडित को बुला कर डेट फिक्स किया गया.

डेट भी एक वीके बाद का निकाला. आगे सूभ मुहूँर्त नही था.
समय कम था और काम ज़्यादा.
मेहमान सब शाम तक रुके फिर अपने घर चले गये.

यहाँ सब बहुत खुस थे. एक वीक बाद ही शादी थी. घर में ख़ुसीयो का महॉल था. सब के चेहरे पर खुशिया देखते ही बनती थी.

शाम में सभी ख़ुसी से इसी बारे में बाते करते हुए खाना पीना कर सोने को चल दिए.
लल्लू अपने खटिया पर ही लेटा हुआ था.

सब अपने कमरे में चले गये सोने.

थोड़ी देर में रागिनी बाहर निकल कर नलका पर गई.
तभी लाइट चली गई.

रागिनी को अंधेरे में बहुत डर लगता था.
वो वहाँ से वापस आ कर लल्लू के पास पहुचि.

रागिनी- लल्लू बेटा सो गये क्या.

लल्लू- नही काकी क्या हुआ बताओ. कोई काम था.

रागिनी- लल्लू बेटा ये लाइट चली गई. मुझे अंधेरे से डर लगता है तुम्हे तो पता है. क्या तुम थोड़ा नलका पर चलोगे. मुझे बाथरूम जाना है.

लल्लू- ठीक है काकी चलो.

लल्लू आगे और उसके पीछे रागिनी नलका तक आ गये.
लल्लू- लो काकी हो आओ बाथरूम से.

रागिनी- बेटा तू जाना नही. यही रहना.

लल्लू- काकी में यही हूँ. आप हो कर आओ.
 
फिर रागिनी अपना सारी उठा कर कच्छि नीचे खिच मुतने को बैठ गई.

अंधेरे में भी रागिनी की गोरी बड़ी सी गान्ड चमक रही थी.
लल्लू को तो देख कर ही बाबूराव सलामी देने लगा.

लल्लू का मन कर रहा था की पीछे से जाये और काकी की इस बड़ी सी गान्ड को खा जाये मूह लगा कर.

रागिनी जब मूत रही थी तो बड़ी मधुर आवाज़ फ़िज़्जा में घुल रही थी.

लल्लू का बाबूराव जिसके मूह अब खून लग चुका था वो तो पागल हुआ पड़ा था. बार बार ठुमूक ठुमूक कर अपनी मनोदशा लल्लू को बता रहा था.

रागिनी मूत कर खड़ी हो गई. अपने मखमली गान्ड को फिर से साड़ी से धक ली.
लल्लू झट से पीछे घूम गया.

रागिनी हाथ पैर धो कर वहाँ से आँगन में आ गई.

रागिनी- लल्लू बेटा अब लाइट तो पता नही कब आएगा. क्या तुम मेरे साथ आज सो जाओगे.

लल्लू- ये भी कोई कहने की बात है. आप जब भी कहेंगे में आप के साथ सो जाउन्गा.

फिर दोनो रागिनी के कमरे में आ गये.

फिर दोनो बेड पर लेट गये.

लल्लू को तो नींद ही नही आ रहा था. एक तो नया बेड ऊपर से अभी जो रागिनी अपना मटका दिखा दी थी.

रागिनी थोड़ी देर में खर्राटे लेते हुए सो गई.
लल्लू वैसे ही लेटा हुआ आँखे बंद किए सोने की कोशिश कर रहा था.
पता नही कब तक वो यू ही जगा रहा.

आधी रात को अचानक लल्लू की नींद खुली.
लाइट आ गया था.
रागिनी की सारी उसके जाँघो तक ऊपर आ गया था और वो एक हाथ और एक पैर लल्लू के ऊपर रखे लल्लू को बाहों में भर कर मज़े से चिपकी सो रही थी.

लल्लू को ये देख कर नींद ही अर गई.

लल्लू का डंडा बिल्कुल सीधा खड़ा हो कर रागिनी की जाँघो के नीचे दबा हुआ था.

लल्लू बहुत बेचैन हो रहा था.

जब लल्लू से नही रहा गया तो वो रागिनी की जाँघो को पकड़ कर अपने ऊपर से हटा दिया और फिर उसके हाथ को हटाने लगा तो रागिनी और कस कर लल्लू से चिपक गई.

लल्लू के छाती में रागिनी की बड़ी बड़ी चुचिया दब कर पिस रहा था.

लल्लू घूम कर रागिनी को अपने बाहों में ले लिया और उसे अपने से चिपका लिया.
 
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