किराए का कमरा - SexBaba
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किराए का कमरा

hotaks

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Dec 5, 2013
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[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं बहुत साहस करके अपनी खुद की वास्तविक कहानी आप लोगों का बता रहा हूँ। मैं राजस्थान का रहने वाला हू और अभी गांधीनगर, गुजरात में रह रहा हूँ। गांधीनगर में मैं एक सिक्योरिटी कम्पनी में नौकरी करता हूँ और हर 3-4 महीने बाद घर जाता हूँ।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वैसे आप सब लोगों को बता दूँ कि मैं एक नम्बर का चूत का चुस्सू हूँ।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]यह बात उन दिनों की है जब मैं 11वीं कक्षा में पढ़ने हिण्डौन सिटी गया। हिण्डौन सिटी हमारे गॉंव से 18 किमी पड़ता है। मुझे रोज घर से स्कूल आने-जाने में परेशानी होती थी इसलिए मुझे हिण्डौन सिटी में ही एक कमरा किराए पर लेना पड़ा। बड़ी मुश्किल से कमरा मिला। उसका मकान मालिक 5 साल पहले एक दुर्घटना में मर गया था। अब उसकी विधवा औरत ही उस घर की मालकिन थी। उसका नाम नीलम, उम्र 30-32 के करीब थी। उसकी छोटी बहन और वो अपनी दो लड़कियों के साथ उस मकान में रहती थी। उसकी बहन का नाम रीता और लड़कियों के नाम नीतू और गीता थे।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसकी बहन रीता की उम्र 25 के करीब थी और बेटियों की उम्र 18 और 20 होगी। उसके मकान में 3-4 कॉलेज की लड़कियाँ भी रहती थी। उनमें एक मेरे गाँव की लड़की सविता भी रहती थी, वो भी कॉलेज में पढ़ती थी। उसकी उम्र बीस साल थी। उसने ही मुझे बताया था कि उस मकान में एक कमरा खाली है यदि तुम चाहो तो तुम वो मकान किराये पर ले सकते हो।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]उसने कहा था- वैसे तो वो लड़कों को कमरा किराये पर देती नहीं है, यदि तुम कहो तो मैं उनसे पूछ लेती हूँ।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैंने कहा- ठीक है, तुम पूछ लेना ! मुझे कमरा किराये पर नहीं मिल रहा है, मैं उसी में रह लूंगा।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अगले दिन मुझे बताया कि मकान मालकिन बडी मुशिकल से तैयार हुई है, तुम अपना सामान लेकर आज शाम को ही आ जाओ। यदि कोई लड़की आ गई तो वो कमरा उसे दे दिया जायेगा।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं शाम को ही अपना सामान लेकर कमरे पर चला गया। वो कमरा उस मकान की पहली मंजिल पर था। मेरे कमरे के पास में ही बाथरूम था। बाथरूम के नाम पर एक बड़ा सा कमरा था। बाथरूम में एक टंकी थी उसमें पानी भरा रहता था। सभी वहीं नहाते थे। नहाने के लिए कोई अलग से बाथरूम नहीं था। उस कमरे में एक तरफ़ चार लेट्रीन थी पर एक का ही दरवाजा था, बाकी तीन पर दरवाजा ही नहीं था।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मेरे कमरे से बाथरूम की ओर एक खिड़की थी जिससे उसमें सब कुछ दिखाई देता था। मेरे कमरे के साथ में एक कमरा और था उसमें एक टीवी लगा था। उस कमरे की दीवार में भी एक छोटी खिड़की थी और एक खिड़की बरामदे की तरफ भी थी।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अगले दिन जब मैं जगा तो देखा कि सभी लडकियॉं नंगी ही बाथरूम में नहा रही हैं और आपस में मस्ती कर रही हैं। कोई किसी की चूत में उंगली कर रही है, कोई किसी की चूची दबा रही है। यह देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया और मैं उसे शांत करने में लग गया। यार, मैं उनको देखते हुए मुठ मारने लगा।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर जब सब नहा कर निकल गई, मैं तब नहाने गया तो उस दिन मैं स्कूल के लिए लेट हो गया।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अगले दिन मैं सुबह 4 बजे ही जग गया और तैयार होने बाथरूम में गया और दरवाज़े वाली लेट्रीन में घुस गया। थोड़ी देर बाद मकान मालकिन बाथरूम में तैयार होने आई तो वो अपने कपड़े खोल के ब्रा और पेण्टी में लेट्रीन के लिए आई तो दरवाजे वाली में तो मैं था, तो वो बगल वाली बिना दरवाजे की लेट्रीन में घुस गई।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]जब मैं बाहर निकला तो वो अपनी चूत की झाँटें काट रही थी। जैसे ही मैंने उसे देखा, देखता ही रह गया, बाप रे ! क्या मस्त चूत थी ! एकदम पाव रोटी की तरह ! और क्या चूची थी पूरी 36 इन्च की ! मुझ पर उसकी नज़र पड़ी तो उसका हाथ ऐसे ही रूक गया जहाँ पर था। मैं उसे सॉरी बोल के जल्दी नहा कर अपने कमरे में आ गया, पर मेरे दिमाग में वही उसकी चूत का दृश्य आ रहा था। फिर मैंने उसके नाम की मुठ मारी और स्कूल आ गया। मेरे दिमाग में वही दो दिनों के दृश्य घूम रहे थे तो मैं आधी छुट्टी में ही वापस आ गया। जैसे ही मैं कमरे में पहुँचा तो टीवी वाले कमरे से अजीब आवाज आ रही थी। मैंने जब खिड़की से उस कमरे में देखा तो दंग रह गया।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मेरी मकान मालकिन और मेरे गांव वाली लड़की सविता दोनों नंगी होकर आपस में एक-दूसरे की चूतों को 69 पोजिशन में चूस रही थी और सविता नीलम से कह रही थी- नीलम डॉर्लिंग, अब मैं तेरे लिए एक 18 साल का मस्त लड़का लाई हूँ। अब तू जल्दी से उसे पटा कर चुदवा ले और हमें भी चुदवा दे।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तो नीलम बोली- सविता डार्लिंग मुझे पहले ही बहुत जल्दी है इसलिए आज जब वो नहाने गया तो मैं भी अपना रेजर लेकर झाँटें काटने पहुँच गई जिससे उसे मेरी चमकती चूत के दर्शन हो जायें और उसे वो बाथरूम के पास वाला कमरा भी इसीलिए दिया है कि वो रोज चूतों और चूचियों के दर्शन कर ले ! क्यों डार्लिंग ?[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]मैं उनकी बातें सुन कर उत्तेजित हो गया और उन्हें देखते हुए मुठ मारने लगा। थोड़ी देर बाद अचानक एक हाथ ने मेरे लण्ड को पकड़ा तो अचानक मेरा ध्यान भंग हुआ।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]देखा तो सामने रीता खड़ी हुई मेरा लण्ड हिला रही है। रीता बोली- प्यारे, इस बेचारे की क्यों गर्दन मरोड़ रहा है, मुझे बोल, मैं इसको अपनी चूत के स्वर्ग में पहुँचा देती हूँ ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]और वो मेरा लण्ड चूसते बोली- तुम मेरी चूची दबाते हुए अन्दर का नजारा देखते हुए मजा लो और मैं तुम्हारा रस पीती हूँ ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अब वो मेरा लण्ड चूस रही थी और मैं उसकी चूची दबाते हुए अन्दर का नजारा देखने लगा।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अन्दर सविता और नीलम 69 पोजीशन में होकर एक-दूसरे की चूत चूस रही थी और उंगली भी पेल रही थी। उनके सामने दीवार पर प्रोजेक्टर के द्वारा एक ब्लू फिल्म चल रही थी। अचानक सविता उठी और आलमारी से एक प्लास्टिक का लण्ड निकाल कर उसका बेल्ट अपनी कमर में बॉधा। यह प्लास्टिक का लण्ड बेल्ट के दोनों ओर था जिससे सविता के बेल्ट कमर पर बाँधने से बेल्ट के पीछे वाला[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]प्लास्टिक का लण्ड सविता की चूत में घुस गया। अब सविता लण्ड को झूलाते हुए नीलम के पास आई और बोली- जान अभी एक दो दिन ओर इस प्लास्टिक के लण्ड से चुद लें, फिर तो तू राजेश के असली लण्ड का स्वाद चखेगी ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]इधर उनकी बातें सुनते हुए और रीता के लण्ड चूसने से मेरा हाल बुरा होता जा रहा था, अब मैं झड़ने के करीब था।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तो मैंने रीता को कहा- साली रण्डी, रीता कितना चूसेगी ? अब मेरा निकलने वाला है ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तो रीता बोली- मैं तेरे लण्ड के वीर्य का ही इन्तजार कर रही हूँ ! मुझे तेरा वीर्य पीना है ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तो ले पी साली ! और मैंने अपने वीर्य की पहली बरसात रीता के मुंह में कर दी।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]और साली रीता मेरा पूरा वीर्य चाट-पोंछ के पी गई। उधर अन्दर सविता प्लास्टिक के लण्ड से नीलम को चोद रही थी, इधर रीता कहने लगी- साले तेरा लण्ड तो मैं चूस रही हूँ ! साले मेरी चूत को चूसने को क्या तेरी मां आयेगी?[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तो मैंने कहा- साली, तेरी चूत भी मैं चूसूंगा ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]और मैं उसे उठा कर उल्टा करके उसके पैरों को अपने कंधों पर रख कर उसकी चूत चूसने लगा और वो उल्टे लटके हुए मेरा लण्ड चूस रही थी। 15 मिनट तक उसकी चूत चूस कर मैंने उसको सभी पोजीशन में चोदा । सबसे पहले मैंने रीता को उठा कर अपने लण्ड पे बिठा कर खड़े-खड़े चोदा, फिर घोड़ी बना के चोदा। मैंने रीता को 3 बार दिन और 4 बार रात में चोदा।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]वो कहने लगी- तुम पहले आदमी जिससे मैं पहली बार चुदी हूँ, वैसे मैं अब तक रोज उसी प्लास्टिक के लण्ड से चुदवाती थी जिससे अभी नीलम दीदी चुदवा रही थी। अब तुम जल्दी ही नीलम दीदी और सविता को चोद लोगे पर तुम जल्दी मत करना क्योंकि तुम देखो कि दीदी और सविता तुमको कैसे चोदने के लिए तैयार करती हैं।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]तो मैंने कहा- ठीक है, तुम रोज मुझ से चुदवाने मेरे कमरे में आ जाया करो ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]और ऐसा 7-8 दिन चला।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]फिर एक दिन नीलम ने मुझ से चुदवा ही लिया और उसके 3-4 दिन बाद सविता ने भी चुदवा लिया।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]और वहाँ रहने वाली हर लडकी को चोदा ![/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]पर कैसे ?[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]इसके लिए आपको इन्तजार करना पडेगा क्योकि वो मैं अगली कहानी में बताउंगा।[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]आपको मेरी कहानी कैसी लगी?[/font]
 
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