desiaks
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मेरा नाम है मन्मथ मोहेर. मैं बीस साल का हूँ और मेडिकल कॉलेज के दूसरे वर्ष में पढ़ ता हूँ आज से एक साल पहले मैने एक लड़की को चोदा . वो थी मेरी मौसी की बेटी माधवी. चुदाई के बाद हम ने आपस में वचन दिया था की हमारी चुदाई का राझ हम किसी से नहीं कहेंगे. मैं तो चुप रहा, लेकिन दो महीनो पहले एक ऐसी घटना घटी जिस से मैं वचन से मुक्त हो गया. अब मैं आप से बयान कर सकूंगा की किस हालात में मैने माधवी को चोदा था और कैसे मैं मुक्त हुआ.
आगे कुछ कहूँ इस से पहले थोड़ा परिचय करवा दूं ? मेरी फेमिली में मैं हूँ माताज़ी है पिताजी है और सोलह साल की छोटी बहन है रिया. हम भाई बहन एक दूजे से बहुत प्यार कर ते हें और छेड़ छाड़ भी कर लेते हें. बचपन में हमें एक दूजे को नंगे भी देखे थे. जब रिया चौदह साल की हुई तब उस का बदन जवान होने लगा. उस के खिल ते हुए स्तन और भारी नितंब मेरी नज़रों से छुपे ना रहे थे. इन सब के अलावा रिया को चोद ने का ख़याल तक मेरे दिमाग़ में आया नहीं था.
अब ये जो माधवी है वो मेरी मौसी की बेटी है कई साल पहले मौसा ईस्ट आफ़्रीका चले गये थे. वहाँ उन्हों ने बहुत पैसे कमाए. उन के दो बच्चे परेश और माधवी वहीं जन्मे और बड़े हुए. वो दोनो एक रेसीड़ेनशियल स्कूल में पढ़े.
अचानक मौसा को स्वदेश वापस आना पड़ा. अपने गाँव में चार मज़ले का बड़ा मकान बनवाया उन्हों ने. गरमी क छुट्टियों में मौसी ने मुझे अपने गाँव बुलाया था. मैं दो हपता रहा. उस दौरान मैने माधवी को कस कर चोदा. ये राझ हम किसी को नहीं बताएँगे ऐसा वचन दिया लिया हम दोनो ने.
अभी एक महीने पहले रिया मौसी के घर गयी थी. माधवी ने कुछ व्रत रक्खा था. सात दिन रह कर रिया वापस आई तब रिया रिया नहीं रही थी, इतनी बदल गयी थी. एक तो वो मुझ से शरमा ने लगी थी. नखरें दिखती थी. जब मौक़ा मिले तब मुझे छू लिया करती थी. स्कूल में यूनिफ़ोर्म कंपलसरी था लेकिन घर में अब वो चोली, घाघरी और ओढनी डाल ने लगी थी. मेरे ख़याल से जब वो घर होती थी तब ब्रा नहीं पहनती थी. बड़े आम की साइझ की उस की चुचियाँ वैसे भी बड़ी लुभावनी थी, अब ज़्यादा हो गयी क्यूं की वो ओढनी का आँचल संभाल ती नहीं थी और चोली भी लो कट पहन ती थी. कई बार उस की गोरी गोरी चुचियाँ देख ने का मौक़ा मिला मुझे.
वैसे भी मैं माधवी की याद से परेशन तो था ही. उस की चूत मैं रोज़ सपनों में मार लिया कर ता था. दिन भर उस के रसीले होठ और कड़ी चुचियाँ याद आया करती थी. ऐसे में रिया अजीब सा वर्तन कर ने लगी पहली बार रिया को बाहों में भर कर उस के स्तन मसल देने की इच्छा हुई. फिर मैं संभाल गया. ये क्या ? रिया मेरी छोटी बहन है इस के बारे में ऐसा सोच भी कैसे सकता था मैं ?
इस उलझन हल कर दी रिया ने, हुआ क्या की गाँव में एक संत पधारे सात दिन की कथा के लिए हर रोज़ शाम के चार से छे बजे तक कथा चलती थी. मताज़ी हर रोज़ कथा सुन ने जाया करती थी. एक दिन ------
मैं तीसरे मज़ले पर मेरे कमरे में बैठा पढ़ रहा था की रिया स्कूल से आ गयी कई देर तक छोटी बच्ची की तरह वो दरवाज़े पर खड़ी छुपा छुपी देखती रही. मैने कहा : कौन है ? आ जाओ अंदर.
दबे पाँव जैसे डरती हो, वो चली आई. हाथ मलती हुई नीची नज़र किए मेरे पास खड़ी हो गयी मैने पूछा : क्या बात है रिया ? परेशन क्यूं हो ?
रोती सूरत बना कर वो बोली : भैया, मुझे बहुत बेचैनी लग रही है
मैं : सेहत तो ठीक है ना ?
रिया : पता नहीं. सारा दिन दिल धक धक कर ता है अभी भी करता है देखिए ना
मैं कुछ कहूँ इस से पहले उस ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने सीने पर रख दिया और दबा दिया. मेरे पन्जे में उस की दाइ चुचि पकड़ी गयी पल भर के लिए मुझे लगा की मैने माधवी की चुचि पकड़ ली है इसी लिए थोड़ी सी दबा भी ली. जब होश आया तब पता चला की रिया ने मेरा हाथ छोड़ दिया था फिर भी मेरा हाथ चुचि पर लगा रहा था. एक झटके से मैने हाथ हटा दिया.
शर्म से उस का चहेरा लाल लाल हो गया था और वो दाँतों से होठ काट रही थी. वो बोली : कैसी है मेरी चुचि ? पसंद आई ?
मैं : ग़लती हो गयी चली जा यहाँ से.
रिया : ऐसा भी क्या करते हें आप ? मैं आप को पसंद नहीं हूँ ?
मैं : पसंद क्यूं ना हो ? मेरी छोटी बहन जो हो.
रिया : बस इतना ही ? बहन से ज़्यादा कुछ नहीं ?
मैं : क्या मतलब?
रिया : अभी आप ने मेरी चुचि दबा देखी, पसंद आई ?
मैं : रिया, चली जा. हम भाई बहन हें, ऐसा नहीं करना चाहिए.
रिया : क्या कर लिया है हम ने? ज़रा सी चुचि दबा दी तो क्या आसमान गिर पड़ा ? लाइए आप का हाथ
उस ने फिर से मेरा हाथ पकड़ कर स्तन पर रख दिया. वो इतनी क़रीब आ गयी थी की उस की जाँघ मेरी जाँघ से लग रही थी. मुझे लगा की वो मुझ से अपना स्तन दबवाना चाहती थी. मुझे भी मीठा लग रहा था. मैने पन्जे में ले कर स्तन सहलाया और धीरे से दबाया. उधर मेरा लंड खड़ा हो ने लगा.
मैं हाथ हटा लूं इस से पहले वो ऐसे घूम गयी की मेरी गोद में बैठ गयी उस ने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी, मेरा दूसरा हाथ उस की कमर से लिपट गया. तब मुझे पता चला की वो रो रही थी. मैने उस के आँसू पोंछे और कहा : जो हुआ सो हुआ, रो मत
मेरे सीने में चहेरा छुपा कर वो बोली : भैया, मैं माधवी दीदी से कम हूँ ? उन में क्या है जो मुझ में नहीं है ?
मैं चोन्क पड़ा. मैने पूछा : ऐसा क्यूं कहती हो ? तू तो माधवी से कहीं ओर ज़्यादा ख़ूब सूरत हो.
रिया : बस ? मैं आप को ख़ूब सूरत ही नज़र आती हूँ ? ज़्यादा कुछ नहीं ?
सच कहूँ तो उस का कोमल बदन बाहों में भर लेना मुझे बहुत मीठा लगता था. मेरा हाथ स्तन सहला रहा था, दूसरा पीठ पर रेंग रहा था. मेरा लंड खड़ा हो गया था. रिया मुझे एक लड़की दिखाई देने लगी बहन नहीं.
मैने कहा : क्यूं नहीं ? तू बहुत सेक्सी लग रही हो.
रिया : सच ? मैं आप को सेक्सी लगती हूँ तो --- तो --- आप मेरे साथ वो करेंगे जो आप ने माधवी दीदी से किया था ?
मैं सुन्न रह गया, मैने पूछा : क्या कहती हो ? क्या किया है मैने माधवी के साथ ?
रिया : माधवी दीदी ने मुझे सब बता दिया है भैया, कहाँ, कब, कितनी बार सब. अब मेरे साथ भी कीजिए ना ? मैने दीदी से सुना है तब से बेचैन हो गयी हूँ
मैं : रिया, हम भाई बहन हें, आपस में ऐसा नहीं करते. माधवी की बात अलग है वो हमारी मौसी की लड़की है
रिया फिर रोने लगी बोली : आप चाहते हें की मैं ओर किसी के पास जा उन ?
आगे कुछ कहूँ इस से पहले थोड़ा परिचय करवा दूं ? मेरी फेमिली में मैं हूँ माताज़ी है पिताजी है और सोलह साल की छोटी बहन है रिया. हम भाई बहन एक दूजे से बहुत प्यार कर ते हें और छेड़ छाड़ भी कर लेते हें. बचपन में हमें एक दूजे को नंगे भी देखे थे. जब रिया चौदह साल की हुई तब उस का बदन जवान होने लगा. उस के खिल ते हुए स्तन और भारी नितंब मेरी नज़रों से छुपे ना रहे थे. इन सब के अलावा रिया को चोद ने का ख़याल तक मेरे दिमाग़ में आया नहीं था.
अब ये जो माधवी है वो मेरी मौसी की बेटी है कई साल पहले मौसा ईस्ट आफ़्रीका चले गये थे. वहाँ उन्हों ने बहुत पैसे कमाए. उन के दो बच्चे परेश और माधवी वहीं जन्मे और बड़े हुए. वो दोनो एक रेसीड़ेनशियल स्कूल में पढ़े.
अचानक मौसा को स्वदेश वापस आना पड़ा. अपने गाँव में चार मज़ले का बड़ा मकान बनवाया उन्हों ने. गरमी क छुट्टियों में मौसी ने मुझे अपने गाँव बुलाया था. मैं दो हपता रहा. उस दौरान मैने माधवी को कस कर चोदा. ये राझ हम किसी को नहीं बताएँगे ऐसा वचन दिया लिया हम दोनो ने.
अभी एक महीने पहले रिया मौसी के घर गयी थी. माधवी ने कुछ व्रत रक्खा था. सात दिन रह कर रिया वापस आई तब रिया रिया नहीं रही थी, इतनी बदल गयी थी. एक तो वो मुझ से शरमा ने लगी थी. नखरें दिखती थी. जब मौक़ा मिले तब मुझे छू लिया करती थी. स्कूल में यूनिफ़ोर्म कंपलसरी था लेकिन घर में अब वो चोली, घाघरी और ओढनी डाल ने लगी थी. मेरे ख़याल से जब वो घर होती थी तब ब्रा नहीं पहनती थी. बड़े आम की साइझ की उस की चुचियाँ वैसे भी बड़ी लुभावनी थी, अब ज़्यादा हो गयी क्यूं की वो ओढनी का आँचल संभाल ती नहीं थी और चोली भी लो कट पहन ती थी. कई बार उस की गोरी गोरी चुचियाँ देख ने का मौक़ा मिला मुझे.
वैसे भी मैं माधवी की याद से परेशन तो था ही. उस की चूत मैं रोज़ सपनों में मार लिया कर ता था. दिन भर उस के रसीले होठ और कड़ी चुचियाँ याद आया करती थी. ऐसे में रिया अजीब सा वर्तन कर ने लगी पहली बार रिया को बाहों में भर कर उस के स्तन मसल देने की इच्छा हुई. फिर मैं संभाल गया. ये क्या ? रिया मेरी छोटी बहन है इस के बारे में ऐसा सोच भी कैसे सकता था मैं ?
इस उलझन हल कर दी रिया ने, हुआ क्या की गाँव में एक संत पधारे सात दिन की कथा के लिए हर रोज़ शाम के चार से छे बजे तक कथा चलती थी. मताज़ी हर रोज़ कथा सुन ने जाया करती थी. एक दिन ------
मैं तीसरे मज़ले पर मेरे कमरे में बैठा पढ़ रहा था की रिया स्कूल से आ गयी कई देर तक छोटी बच्ची की तरह वो दरवाज़े पर खड़ी छुपा छुपी देखती रही. मैने कहा : कौन है ? आ जाओ अंदर.
दबे पाँव जैसे डरती हो, वो चली आई. हाथ मलती हुई नीची नज़र किए मेरे पास खड़ी हो गयी मैने पूछा : क्या बात है रिया ? परेशन क्यूं हो ?
रोती सूरत बना कर वो बोली : भैया, मुझे बहुत बेचैनी लग रही है
मैं : सेहत तो ठीक है ना ?
रिया : पता नहीं. सारा दिन दिल धक धक कर ता है अभी भी करता है देखिए ना
मैं कुछ कहूँ इस से पहले उस ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने सीने पर रख दिया और दबा दिया. मेरे पन्जे में उस की दाइ चुचि पकड़ी गयी पल भर के लिए मुझे लगा की मैने माधवी की चुचि पकड़ ली है इसी लिए थोड़ी सी दबा भी ली. जब होश आया तब पता चला की रिया ने मेरा हाथ छोड़ दिया था फिर भी मेरा हाथ चुचि पर लगा रहा था. एक झटके से मैने हाथ हटा दिया.
शर्म से उस का चहेरा लाल लाल हो गया था और वो दाँतों से होठ काट रही थी. वो बोली : कैसी है मेरी चुचि ? पसंद आई ?
मैं : ग़लती हो गयी चली जा यहाँ से.
रिया : ऐसा भी क्या करते हें आप ? मैं आप को पसंद नहीं हूँ ?
मैं : पसंद क्यूं ना हो ? मेरी छोटी बहन जो हो.
रिया : बस इतना ही ? बहन से ज़्यादा कुछ नहीं ?
मैं : क्या मतलब?
रिया : अभी आप ने मेरी चुचि दबा देखी, पसंद आई ?
मैं : रिया, चली जा. हम भाई बहन हें, ऐसा नहीं करना चाहिए.
रिया : क्या कर लिया है हम ने? ज़रा सी चुचि दबा दी तो क्या आसमान गिर पड़ा ? लाइए आप का हाथ
उस ने फिर से मेरा हाथ पकड़ कर स्तन पर रख दिया. वो इतनी क़रीब आ गयी थी की उस की जाँघ मेरी जाँघ से लग रही थी. मुझे लगा की वो मुझ से अपना स्तन दबवाना चाहती थी. मुझे भी मीठा लग रहा था. मैने पन्जे में ले कर स्तन सहलाया और धीरे से दबाया. उधर मेरा लंड खड़ा हो ने लगा.
मैं हाथ हटा लूं इस से पहले वो ऐसे घूम गयी की मेरी गोद में बैठ गयी उस ने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी, मेरा दूसरा हाथ उस की कमर से लिपट गया. तब मुझे पता चला की वो रो रही थी. मैने उस के आँसू पोंछे और कहा : जो हुआ सो हुआ, रो मत
मेरे सीने में चहेरा छुपा कर वो बोली : भैया, मैं माधवी दीदी से कम हूँ ? उन में क्या है जो मुझ में नहीं है ?
मैं चोन्क पड़ा. मैने पूछा : ऐसा क्यूं कहती हो ? तू तो माधवी से कहीं ओर ज़्यादा ख़ूब सूरत हो.
रिया : बस ? मैं आप को ख़ूब सूरत ही नज़र आती हूँ ? ज़्यादा कुछ नहीं ?
सच कहूँ तो उस का कोमल बदन बाहों में भर लेना मुझे बहुत मीठा लगता था. मेरा हाथ स्तन सहला रहा था, दूसरा पीठ पर रेंग रहा था. मेरा लंड खड़ा हो गया था. रिया मुझे एक लड़की दिखाई देने लगी बहन नहीं.
मैने कहा : क्यूं नहीं ? तू बहुत सेक्सी लग रही हो.
रिया : सच ? मैं आप को सेक्सी लगती हूँ तो --- तो --- आप मेरे साथ वो करेंगे जो आप ने माधवी दीदी से किया था ?
मैं सुन्न रह गया, मैने पूछा : क्या कहती हो ? क्या किया है मैने माधवी के साथ ?
रिया : माधवी दीदी ने मुझे सब बता दिया है भैया, कहाँ, कब, कितनी बार सब. अब मेरे साथ भी कीजिए ना ? मैने दीदी से सुना है तब से बेचैन हो गयी हूँ
मैं : रिया, हम भाई बहन हें, आपस में ऐसा नहीं करते. माधवी की बात अलग है वो हमारी मौसी की लड़की है
रिया फिर रोने लगी बोली : आप चाहते हें की मैं ओर किसी के पास जा उन ?