Ranu
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[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]अब आज जो बढई मिस्तिरी ने दीदी के दरवाजे को ठीक कर दीदी की चुची दबाई थी वह दीदी को चोदने के चक्कर मे लगा थाउसका नाम डब्बु है उसने मुझे अपने दुकान बुलाया और पुछा दरवाजा सही काम कर रहा है तो मैने कहाँ नही तो उसने कहा चलो देख लू फिर मे सीधा दीदी के रूम के पास ले आया और दीदी को आवाज लगायि तो दीदी बाहर आयि और पुछा क्या है तो मैने कहा डब्बु जी दरवाजा चेक करने आए है तो दीदी ने कहा दरवाजा तो ठीक है इसपर डब्बु ने मेरी ओर देखा और बोला उस दिन गेट मे पेच जल्दी मे सही से कस नही पाया था और दीदी की चुचीयों को घुरने लगा दीदी भी शायद चुदना चाहती थी। और मुझे दीदी को चोदने मे शायद डब्बु मदद करे। डब्बु जो शायद समझ गया की मे दीदी कि सेटीगं मे उसकी मदद कर रहाँ हुं।मुझे खुसी से आंख मारते हुऐ कहा भाई जरा मेरे दुकान से औजार ले आओ तो मे तुम्हारी दीदी के दरवाजे सही कर देता हुं। उसकी दुअर्थी बाते सुन दीदी और मे दोनो खुस हो गये। मैने कहा कंहा रखा है तो उसने फिर आंख मारी और कहा दुकान मे मिल जायेगा। फिर मे जल्दी से घर से नीकला। अब डब्बु दीदी के सा थ अकेले था मे भी थोरी देर बाद घर मे गया और दीदी के रूम के पास जो छेद मैने कीया है जीससे मैने दीदी को मामा और उनके दोस्तो का लंड अपने बुर मे लेते देखता था। उंहा से देखने लगा अंदर दीदी सिर्फ पैंट उतार कर चुदा रही थी। सुबह सुबह दीदी की चुदाई देख मुड़ बन गया। मुठ मारने लगा जब माल झरा तब होस आया।फिर जल्दी से अपना माल पोछ के दीदी का गेट खटखटाया तो डब्बु अपना पैट ठीक करते बाहर नीकला और कहाँ आज तुमहारी दीदी की गेट टाईट कर दी है मैने तब दीदी पीछे से आयि मैने देखा उनका पैट मे बुर के पास गीला हुआ है [/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]और बोली हां डब्बु जी ने बहुत मेहनत कीया दरवाजा बनाने मे। फिर डब्बु ने कहा रानु मेरे दुकान पर औजार नही मिला क्या आंख मारक[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]और बोली हां डब्बु जी ने बहुत मेहनत कीया दरवाजा बनाने मे। फिर डब्बु ने कहा रानु मेरे दुकान पर औजार नही मिला क्या आंख मारक[/font]