पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे - Page 8 - SexBaba
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,][size=x-large]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-25

सुपर संडे - सुपर लेस्बियन शो
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]हेमा और रीती के कहे अनुसार मैं और ईशा पलंग से उठ कर कमरे में ही पड़े हुए सोफे पर जा कर बैठ गया और ईशा को अपनी साथ में बिठा लिया ईशा मुझे देखते हुए अपना निचे का होठ दायी और से दांत से दबा रही थी और फिर ईशा मेरे गले लग गयी. उसके बाद ईशा ने मुझे पकड़ कर वापिस मेरे होंठो को किस किया . और मेरे सर को जकड़ के अपने मुंह से मुंह लगा दिया. और वह मेरा ऊपर का ओंठ चूसने लगी मैं चुपचाप अनाड़ी की तरह अपना जीभ चुसवा कर मजे ले रहा था तो बोली बिलकुल अनाड़ी हो तुम तो ठीक से किस करनी भी नहीं आती मैंने मजे लेने के लिए कहा तुम सीखा दो .

ईशा बोली प्लीज अनाड़ी बनने के एक्टिंग कर मजे मत लो और मुझे ठीक से किस करो . चूसो मेरे होंठ और मैं उसके निचले ओंठ को चूसने लगा थोड़ी देर बाद वह मेरा निचला होंठ चूसने लगी और मैं उसका ऊपर का ओंठ चूसने लगा फिर वह बोली अपना मुँह थोड़ा खोलो और किस का मजा लो मैंने अपना मुंह थोड़ा सा खोला और ईशा की जीभ मेरे मुंह में चली गयी.

माने कहा अब तुम जैसे कहोगे वही करूंगा और फिर हम किश करते रहे . ईशा बोली ठीक है ऐसा चाहते हो तो ऐसा ही सही अब मेरी जीब को चूसो तो मैं ईशा की जीभ चूसने लगा फिर ईशा बोली मेरी जीभ से अभी झीब दो और खेलो ईशा की जीभ मेरी झीब से खेलने लगी और मैं ईशा की झीभ से खेलने लगा जो ईशा करती थी मैं भी वही कर उसका जवाब देता था वह जीभ फिराती मैं जीभ फिराता वह ओंठ चूसती मैं ओंठ चूसता[/font]




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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]यह सब करते करते ईशा मुझे धीरे धीरे मेरे ऊपर झुक कर मेरी पीठ सोफे पर लगा दी और मेरे साथ लिपट गयी उसका बदन मेरे बदन से चिपक गया उसके स्तन मेरी छाती में दब गए थे ईशा के हाथ भी मेरे बदन पर फिर रहे थे. और वह मेरी जीभ को चूसने लगी. फिर मैंने भी उसकी जीभ को चूसा. ईशा मुझे बेकरारी से चूमने लगी और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। कम से कम 5 मिनट तक वो मेरे लबों को चूमती चुस्ती रही फिर रुक कर सांस लेनी लगी और अपने होंठो को जीब पर फिरते हुए बोली सच मजा आ गया

ईशा बोली कैसी लगी किस मैंने कहा बहुत ज्यादा मजा आया .

फिर ईशा मेरे ऊपर चढ़ गयी और लंड पकड़ कर सर्र से लैंड के ऊपर बैठ गयी और लैंड उसकी चूत में एक झटके में ही पूरा समां गया . और उसकी आह्हः निकली . तो वो धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी पूरी 6-7 इंच ऊपर उठती सिर्फ 1-2 इंच सुपर अंदर रह जाता और फिर बैठ जाती और मैं भी चुतर उठा कर धक्का दे देता

. और वो आह करती थी . ऐसा उसने कई बार किया और वो मुझे चोद रही थी . .. फिर उसकी स्पीड बढ़ गयी और उसके गोल सुडोल चूचे उछलने लगे . मेरे हाथ उसके दूध दबाने खींचने लगा लगे तो वो बोली आराम से दबाओ . मैं उसके हर झटके का साथ चुतर उठा कर दे रहा था और मेरे हर झटके से हर बार उसके मुँह से आह निकलती थी . इस तरह ले में 5-6 मिनट धक्के लगाने के बाद वो मेरे ऊपर झुक गयी और मेरे ओंठो की लिपकिस करने लगी मैंने भी लिप किस का जवाब लिप किस से दिया और दोनों एक दुसरे के ओंठो में खो गए . उसके झटको की रफ़्तार कुछ मंद हुई तो बोली अपनी चूत 6-७ इंच ऊपर उठा कर बोली अब तुम झटके मारो तो मैं नीचे से कसt कस कर झटके मारने लगा तो 10-12 मिनट बाद दोनों झड़ गए .. वो मेरे ऊपर गिर गयी और मैं उसकी पीठ पर हाथ फेरता रहा . .. वो बोली सच में बहुत मजा आया

अभी हम सम्भले भी नहीं थे की हेमा और रीती ने कमरे में प्रवेश किया. हेमा ने गुलाबी रंग की साड़ी और रीती ने हलके नीले रंग साडी पहनी हुई थी, जो उनके शरीर के किसी भी हिस्से को छिपाने के बजाय, केवल उनकी सुंदरता और हर आकर्षण को बढ़ा रही थी, बिलकुल ऐसे जैसे हम चित्रों में अप्सराये नज़र आती हैं।[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]google dice roller[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]दोनो आते ही एक दूसरे से ऐसे लिपट गयी जैसे पुराने प्रेमी हो और बहुत दिनों के बाद मिल रहे हो. दोनों एक दूसरे को बेतहाशा गहरी और जीभ को चूसती हुई किस करने लगी और अपनी चूते एक दूसरे से मिलाने के लिए अपनी अपनी गांड आगे पीछे कर रही थी जैसे खड़े खड़े एक दूसरे को चोद रही हो. ऐसे ही थोड़ी देर एकदूसरे को किस करते करते एक दूसरे की साडी उतारने लगी.

पहले दोनो साडी का पल्लू उतरा तो दोनो की मस्तचुचियाँ नज़र आ रही थी. हेमा की चुचियाँ गोल गोल थी और रीती की आम के शेप की थी. एक के बाद एक दोनो एक दूसरे की चुचियाँ चूसने लगी और साडी के ऊपर र से ही एक दूसरे की चूतो का मसाज करने लगी. फिर दोनों अदा से चलती हुई हमारे पास आयी और और हेमा ने रीती की साडी का पल्लू मेरे हाथ में और रीती ने हेमा की साडी का पल्लू ईशा के हाथ में पकड़ा दिया हमने पल्लू खींचे तो देखते ही देखते दोनो की साडी की गाँठ खुल गयी और और दोनों गोल घूमी और उनकी साडी नीचे फ्लोर पर गिर पड़ी और दोनो नंगी हो गयी और ईशा ने मेरा लंड पकड़ लिया जो ये नज़ारा देख बहुत ज़ोरों से अकड़ गया था और और रीती ने ब्रा और पैंटी नही पहनी हुई थी.

फिर वो दोनों एक दूसरे को चूमने लगी और उनको देखकर कुछ देर बाद मेरे दिल में भी इच्छा जागने लगी और में जोश में आने लगा. में सोचने लगी कि में भी इनके बीच में जबरदस्ती घुस जाऊं, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया और में ईशा के साथ बैठा उसे सहलाता चूमता रहा और उन हम दोनों उन दोनों को देखते रहे . उन दोनों के बूब्स बहुत अच्छे आकार के एकदम गोलमटोल सुडोल और बहुत ही चिकने चिकने आकर्षक थे जिनको देखकर मेरे मुहं में पानी आ गया और मेरा तो लंड पूरी तरह से तनकर खड़ा हो चुका था.

वो दोनों कभी एक दूसरे को किस करती तो कभी एक दूसरे के बूब्स को चाटती तो कभी एक दूसरे से लिपटकर बाहों में आकर बूब्स को बूब्स से दबाती. फिर वो इतना सब कुछ मेरे सामने करने के बाद अब दोनों पूरी तरह से नंगी हो गई और फिर वो एक दूसरे की चूत पर हाथ फेरने लगी उसके साथ साथ अब दोनों ही सिसकियाँ भी लेने लगी और फिर वो बेड की तरफ चली गई और में भी उनका वो खेल, तमाशा देखने लगा.[/font]



[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]हेमा ने रीती [/font][font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]को बेड पर लेटा दिया और वो उसकी चिकनी, गीली, कामुक चूत को चाटने लगी, जिसकी वजह से रीती पूरी तरह से गरम होकर जोश में आकर छटपटा रही थी और वो अपने मुहं से सिसकियों की आवाज भी निकाल रही थी.

हेमा ने रीती को पकड़ लिया और उसके बाद वो दोनों शुरू हो गयी| हेमा रीती के पास गयी और उससे चिपकने लगी और इन्हे देख ईशा मेरे साथ चिपक गयी और वो दोनों और हम दोनों गरम हो गए| वो दोनों कभी एक दूसरे को किस करती तो कभी एक दूसरे के बूब्स को चाटती तो कभी एक दूसरे से लिपटकर बाहों में आकर बूब्स को बूब्स से दबाती.[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]ईशा मुझे अपनी बांहों में ले कर मेरी बाजुए रगड़ने लगी और उधर हेमा भी रीती की बांहों में आ कर उसे सहलाने लगी |

अब हेमा और रीती फिर से जीभ चूसते हुए किस करने लगी और दोनो के हाथ एक दूसरे के चूतड़ों पर थे जिन्है वो ऐसे मसल रही थी और एक दूसरे से चिपकी हुई थी जिस से उनकी चुचियाँ भी एक दूसरे से रगड़ रही थी और दोनो एक दूसरे को ऐसे अपनी ओर खींच रही थी जैसे एक दूसरेको चोदना चाहती हो और उनकी चूते भी आपस मे रगड़ा खा रही थी. दोनो की चूते बिना बालो वाली मक्खन जैसी चिकनी थी.

उसके बाद हेमा ने अपने होंठ रीती के होंठ से लगा कर उसके होंठ को चूसने लगी तो वो भी हेमा का साथ देते हुए हेमा के होंठ को चूसने लगी | हेमा रीती के होंठ को चूसते हुए उसके दूध को दबा रही थी और वो उसके उधर ईशा मेरे होंठ को चूसते हुए मुझसे चिपकी हुई थी | हम दोनों ने एक दूसरे के होंठ को काफी देर तक चूसा | रीती और हेमा के मुंह से आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह की सिअक्रियाँ निकलने लगी |

थोड़ी ही देर मे हेमा ने रीती को बेड पर लिटा दिया जिस से रीती का आधा बदन बेड पर था और उसकी टाँगें नीचे फ्लोर पर थी. हेमा बैठ गई और और रीती की चूत पर अपनी जीभ फेरते हुए चाटने लगी.

तो वो आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए मचलने लगी | हेमा उसकी चूत को चाटते हुए उसके चूत के दाने को भी अपने होंठ में दबा कर चूस रही थी और वो आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए मजे ले रही थी |


रीती ने हेमा का सर पकड़ के अपने चूत मे घुसेड़ना शुरू कर दिया और अपनी गांड उठा उठा के हेमा के मुँह को चोदने लगी और उसके मुँह से आआ ईययड्डि ई ईईई आईिससीईए शियीयी यियी आआआहह बोहोत मज़ा आआ रहाआआअहाई ईई ईईई दीददीईए उउफफफफ्फ़ खाआआअ जऊऊऊ जाआआ आआ आऐईई ईईहह निकल रहा था


रीती ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए हेमा के बालो को सहलाने लगी और हेमा थी के जोश मे रीती की पूरी चूत अपने मुँह मे डाल के काटने लगी जिस से उसकी क्लाइटॉरिस पर हेमा के दाँत लग रहे थे और रीती की मस्ती भरी चीखें निकल रही थी हेमा उसके दूध को जोर जोर से दबा दबा रही थी और वो आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह रही थी | मैंने भी ईशा के स्तनों को को करीब दस मिनट तक चूसता रहा| रीती हेमा और ईशा तीनो कराह रही थी[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]फिर हेमा ने रीती की टांग को चौड़ा कर के रीती की चूत पर अपनी जीभ फेरने लगी और रीती आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए सिस्कारियां लेने लगी | वो रीती की चूत को चाटते हुए चूत को अन्दर तक जीभ डाल कर चोद रही थी और वो आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह की सिस्कारियां लेते हुए उसके मुंह को अपनी चूत पर दबा रहi थी |

ऊ ऊऊहह ईई हीईई आआहह उसकी आँखे बंद हो गई थी और वो अपनी गांड ऊपर उठा उठा के अपनी चूत को हेमा के मुँह से रगड़ रही थी और फिर रीती का बदन ऐसे काँपने लगा जैसे किसी ने उसका गला दबा दिया हो उसके मुँह से आउउह्ह्ह जैसी आवाज़े निकलने लगी और उसने हेमा के सर को पकड़ के अपनी चूत मे बड़ी ज़ोर से घुसा दिया.

रीती ने उस की बगल मे हाथ डाल के अपने ऊपर खिंच लिया और रीती हेमा को किस करते करते उसके ऊपर चढ़ के आ गई और हेमा के बदन के दोनो तरफ अपने दोनो पैर घुटनो से मोड़ के हेमा की जांघो पर बैठ गई और झुक के हेमा की चुचिओ को अपने दोनो हाथो से मसल ने लगी ऐसी पोज़िशन मे दोनो की चूते आमने सामने थी. रीती जैसे जैसे आगे पीछे होती उसकी चूत हेमा की चूत से टच होती और रीती एक बार फिर से गरम होने लगी और थोड़ी देर ऐसे ही पोज़िशन मे हिलते हिलते वो मिशनरी पोज़िशन मे अपने पैर पीछे लंबे कर के हेमा के बदन पर लेट गयी और अपनी चूत को हेमा की चूत से रगड़ने लगी. हेमा ने अपनी टाँगे रीती के नीचे से निकाल के उसके गांड पर फोल्ड कर ली. अब पोज़िशन ऐसी थी जैसे रीती (लंड से ) हेमा की चूत मे घुसा के चुदाई कर रही हो.

रीती अपनी गांड उठा उठा के अपनी चूत को हेमा की चूत पर ऐसे मार रही थी जैसे एक को चोद्ता है और कमरे मे ठप्प ठप्प ठप्प कीआवाज़ें आ रही थी और हेमा ने अपने हाथ रीती की गर्दन मे डाल के उसको अपने ऊपर खेच लिया और दोनो फिर से जीभ चूसते हुए किस करने लगे. रीती के स्पीड बढ़गई थी और वो ज़ोर ज़ोर से हेमा की चूत को अपनी चूत से चोद रही थी और दोनोके मुँह से आआआआअहह और उउउ उउउ उउह्ह्ह्ह्ह् ससस्स्स्स्स् ऊऊहह जैसी आवाज़ें निकल रही थी दोनों फुल जोश मे थी.

कमरे मे दोनो की सिसकारिया के साथ में फच फच ठप फच की आवाज़ें बढ़ने लगी हेमा ने रीती को टाइट पकड़ा हुआ था अपने हाथो से और पैरो से और अपनी गांड उठा उठा के उसकी चूत से अपनी चूत को टकरा रहीथी दोनो के चुचियाँ बड़ी ज़ोर ज़ोर से हिल हिल रही थी. दोनोके मुँह से आआ ह्ह उउह्ह् की आवाज़ आई और मैं ने देखा के दोनो के बदन कापने लगे दोनो जैसे थक्क गयी हो और रीती का बदन हेमा के बदन के ऊपर गिर पड़ा दोनो ऐसी गहरी गहरी साँसें ले रही थी जैसे लम्बी रेस लगा के आई हो.

थोड़ी देर तक दोनो ऐसे ही लेटे लंबी लंबी साँसें लेती रही और फिर जब उनकी सांसे नॉर्मल हुई तो रीती ऐसे ही हेमा के बदन पर लेटे लेटे ही नीचे को सरकने लगी और हेमा की चुचिओ को अपने मुँह मे ले के चूसने लगी तो फॉरन ही हेमा ने रीती का सर पकड़ के अपने सीने मे घुसा लिया हेमा को बहुत मज़ा आने लगा था अपनी चुचिओ को चुसवाने का. !

रीती हेमा की चुचिओ को ऐसे चूस रही थी जैसे सच मे दूध पी रही हो. एक चुचि फिर दूसरी चुचि चुस्ती रही और रीती की चुचियाँ हेमा के जांघो से रगड़ने लगी. थोड़ी देर ऐसे हीचुचिओ को चूसने के बाद देखा के हेमा अब रीती के सर को नीचे की ओर धकेल रही है जैसे कोई सिग्नल दे रही हो और रीती ने भी उसके सिग्नल को फॉरन समझ लिया

वो 69 में आ कर हेमा क i चूत में जीभ डाल कर चोदने लगी और हेमा आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए उसकी चूत में ऊँगली डालने लगी | फिर उसने अपनी स्पीड बढ़ा दिया और जोर जोर से जीभ अन्दर बाहर करते हुए चोदने लगी और मैं आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए सिस्कारियां ले रही थी |

रीती और नीचे को स्लिप हो गई और हेमा की दोनो टाँगो के बीचे मे लेट गई और हेमा की चिकनी चूत को किस करने लगी.

रीती अपना मुँह ऊपर उठा के बोली दीदी तुम्हारी चूत मे से तो मस्त ख़्श्बू आ रही है और तुम्हारी चूत का रस भी तो बोहोत ही मीठा होगा तो हेमा मुस्कुराने लगी और बिना कुछ बोले के रीती के सर को अपनी चूत मे धकेल दिया और अपनी गांड उठा उठा के रीती के मुँह मे अपनी चूत घुसानेलगी. रीती भी फुल जोश मे आ गई और हेमा की पूरी चूत को अपने मुँह मे भर लिया और अपने दांतो से हेमा की चूत को काटने लगी जिस से हेमा मस्ती और जोश मे तड़पने लगी और अपनी गांड उठा के अपनी चूत से रीती के मुँह को चोदने लगी.

हेमा की गांड बेड से तकरीबन 6 – 8 इंच ऊपर र उठी हुई थी और उसकी आँखें फिर से बंद हो गई थी और उसके मुँह से मस्ती की सिसकारिया निकलने लगी

आआआ आआ आहहऱीत ईईईईई उउ आआअहह फिर देखा के हेमा की गांड जल्दी जल्दी ऊपर नीचे हो रही है और वो रीती का सर पकड़ के अपनी चूत को ज़ोर ज़ोर से रीती के मुँह मे रगड़ने लगी.

रीती का सर अभी भी हेमा ने अपने हाथो से पकड़ा हुआ था और हेमा ने रीती के सर को अपने दोनो जाँघो के बीच मे बड़ी ज़ोर से दबा लिया और हेमा का बदन काँपने लगा और एक लंबी सी आआआआ अग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग् ऊऊऊऊऊओह सस्स्स्स्स् वो झड़ने लगी उसका बदन धीरे धीरे शांत होने लगा और फिर वो शांतहो गई उसका बदन ढीला पड़ गया दोनो हाथ और पैर बेजान हो के बेड पर गिर पड़े हेमा लंबी लंबी साँसें लेने लगी. कुछ देर के बाद रीती की चूत ने भी अपना रस छोड़ दी | उसके बाद वो दोनों निढाल हो कर लेट गई |

रीती थोड़ा ऊपर को खिसक आई और हेमा के साथ ही उसके साइड मे लेट गई और हेमा की चुचिओ से खेलने लगी. थोड़ी देरके बाद जब हेमा को ऑर्गॅज़म का नशा ख़तम हो गया तो वो दोनो एक दूसरे की तरफ मुँह कर के करवट से लेट गये और धीरे धीरे किस करने लगी. l. यह सब देखते हुए मेरा मूसल जैसा लंड तो पूरी तरह से खड़ा हो गया और लोहे जैसा सख़्त हो गयाl

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-25

सुपर संडे - सुपर लेस्बियन शो
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]हेमा और रीती के कहे अनुसार मैं और ईशा पलंग से उठ कर कमरे में ही पड़े हुए सोफे पर जा कर बैठ गया और ईशा को अपनी साथ में बिठा लिया ईशा मुझे देखते हुए अपना निचे का होठ दायी और से दांत से दबा रही थी और फिर ईशा मेरे गले लग गयी. उसके बाद ईशा ने मुझे पकड़ कर वापिस मेरे होंठो को किस किया . और मेरे सर को जकड़ के अपने मुंह से मुंह लगा दिया. और वह मेरा ऊपर का ओंठ चूसने लगी मैं चुपचाप अनाड़ी की तरह अपना जीभ चुसवा कर मजे ले रहा था तो बोली बिलकुल अनाड़ी हो तुम तो ठीक से किस करनी भी नहीं आती मैंने मजे लेने के लिए कहा तुम सीखा दो .

ईशा बोली प्लीज अनाड़ी बनने के एक्टिंग कर मजे मत लो और मुझे ठीक से किस करो . चूसो मेरे होंठ और मैं उसके निचले ओंठ को चूसने लगा थोड़ी देर बाद वह मेरा निचला होंठ चूसने लगी और मैं उसका ऊपर का ओंठ चूसने लगा फिर वह बोली अपना मुँह थोड़ा खोलो और किस का मजा लो मैंने अपना मुंह थोड़ा सा खोला और ईशा की जीभ मेरे मुंह में चली गयी.

माने कहा अब तुम जैसे कहोगे वही करूंगा और फिर हम किश करते रहे . ईशा बोली ठीक है ऐसा चाहते हो तो ऐसा ही सही अब मेरी जीब को चूसो तो मैं ईशा की जीभ चूसने लगा फिर ईशा बोली मेरी जीभ से अभी झीब दो और खेलो ईशा की जीभ मेरी झीब से खेलने लगी और मैं ईशा की झीभ से खेलने लगा जो ईशा करती थी मैं भी वही कर उसका जवाब देता था वह जीभ फिराती मैं जीभ फिराता वह ओंठ चूसती मैं ओंठ चूसता[/font]




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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]यह सब करते करते ईशा मुझे धीरे धीरे मेरे ऊपर झुक कर मेरी पीठ सोफे पर लगा दी और मेरे साथ लिपट गयी उसका बदन मेरे बदन से चिपक गया उसके स्तन मेरी छाती में दब गए थे ईशा के हाथ भी मेरे बदन पर फिर रहे थे. और वह मेरी जीभ को चूसने लगी. फिर मैंने भी उसकी जीभ को चूसा. ईशा मुझे बेकरारी से चूमने लगी और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। कम से कम 5 मिनट तक वो मेरे लबों को चूमती चुस्ती रही फिर रुक कर सांस लेनी लगी और अपने होंठो को जीब पर फिरते हुए बोली सच मजा आ गया

ईशा बोली कैसी लगी किस मैंने कहा बहुत ज्यादा मजा आया .

फिर ईशा मेरे ऊपर चढ़ गयी और लंड पकड़ कर सर्र से लैंड के ऊपर बैठ गयी और लैंड उसकी चूत में एक झटके में ही पूरा समां गया . और उसकी आह्हः निकली . तो वो धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी पूरी 6-7 इंच ऊपर उठती सिर्फ 1-2 इंच सुपर अंदर रह जाता और फिर बैठ जाती और मैं भी चुतर उठा कर धक्का दे देता

. और वो आह करती थी . ऐसा उसने कई बार किया और वो मुझे चोद रही थी . .. फिर उसकी स्पीड बढ़ गयी और उसके गोल सुडोल चूचे उछलने लगे . मेरे हाथ उसके दूध दबाने खींचने लगा लगे तो वो बोली आराम से दबाओ . मैं उसके हर झटके का साथ चुतर उठा कर दे रहा था और मेरे हर झटके से हर बार उसके मुँह से आह निकलती थी . इस तरह ले में 5-6 मिनट धक्के लगाने के बाद वो मेरे ऊपर झुक गयी और मेरे ओंठो की लिपकिस करने लगी मैंने भी लिप किस का जवाब लिप किस से दिया और दोनों एक दुसरे के ओंठो में खो गए . उसके झटको की रफ़्तार कुछ मंद हुई तो बोली अपनी चूत 6-७ इंच ऊपर उठा कर बोली अब तुम झटके मारो तो मैं नीचे से कसt कस कर झटके मारने लगा तो 10-12 मिनट बाद दोनों झड़ गए .. वो मेरे ऊपर गिर गयी और मैं उसकी पीठ पर हाथ फेरता रहा . .. वो बोली सच में बहुत मजा आया

अभी हम सम्भले भी नहीं थे की हेमा और रीती ने कमरे में प्रवेश किया. हेमा ने गुलाबी रंग की साड़ी और रीती ने हलके नीले रंग साडी पहनी हुई थी, जो उनके शरीर के किसी भी हिस्से को छिपाने के बजाय, केवल उनकी सुंदरता और हर आकर्षण को बढ़ा रही थी, बिलकुल ऐसे जैसे हम चित्रों में अप्सराये नज़र आती हैं।[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]google dice roller[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]दोनो आते ही एक दूसरे से ऐसे लिपट गयी जैसे पुराने प्रेमी हो और बहुत दिनों के बाद मिल रहे हो. दोनों एक दूसरे को बेतहाशा गहरी और जीभ को चूसती हुई किस करने लगी और अपनी चूते एक दूसरे से मिलाने के लिए अपनी अपनी गांड आगे पीछे कर रही थी जैसे खड़े खड़े एक दूसरे को चोद रही हो. ऐसे ही थोड़ी देर एकदूसरे को किस करते करते एक दूसरे की साडी उतारने लगी.

पहले दोनो साडी का पल्लू उतरा तो दोनो की मस्तचुचियाँ नज़र आ रही थी. हेमा की चुचियाँ गोल गोल थी और रीती की आम के शेप की थी. एक के बाद एक दोनो एक दूसरे की चुचियाँ चूसने लगी और साडी के ऊपर र से ही एक दूसरे की चूतो का मसाज करने लगी. फिर दोनों अदा से चलती हुई हमारे पास आयी और और हेमा ने रीती की साडी का पल्लू मेरे हाथ में और रीती ने हेमा की साडी का पल्लू ईशा के हाथ में पकड़ा दिया हमने पल्लू खींचे तो देखते ही देखते दोनो की साडी की गाँठ खुल गयी और और दोनों गोल घूमी और उनकी साडी नीचे फ्लोर पर गिर पड़ी और दोनो नंगी हो गयी और ईशा ने मेरा लंड पकड़ लिया जो ये नज़ारा देख बहुत ज़ोरों से अकड़ गया था और और रीती ने ब्रा और पैंटी नही पहनी हुई थी.

फिर वो दोनों एक दूसरे को चूमने लगी और उनको देखकर कुछ देर बाद मेरे दिल में भी इच्छा जागने लगी और में जोश में आने लगा. में सोचने लगी कि में भी इनके बीच में जबरदस्ती घुस जाऊं, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया और में ईशा के साथ बैठा उसे सहलाता चूमता रहा और उन हम दोनों उन दोनों को देखते रहे . उन दोनों के बूब्स बहुत अच्छे आकार के एकदम गोलमटोल सुडोल और बहुत ही चिकने चिकने आकर्षक थे जिनको देखकर मेरे मुहं में पानी आ गया और मेरा तो लंड पूरी तरह से तनकर खड़ा हो चुका था.

वो दोनों कभी एक दूसरे को किस करती तो कभी एक दूसरे के बूब्स को चाटती तो कभी एक दूसरे से लिपटकर बाहों में आकर बूब्स को बूब्स से दबाती. फिर वो इतना सब कुछ मेरे सामने करने के बाद अब दोनों पूरी तरह से नंगी हो गई और फिर वो एक दूसरे की चूत पर हाथ फेरने लगी उसके साथ साथ अब दोनों ही सिसकियाँ भी लेने लगी और फिर वो बेड की तरफ चली गई और में भी उनका वो खेल, तमाशा देखने लगा.[/font]



[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]हेमा ने रीती [/font][font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]को बेड पर लेटा दिया और वो उसकी चिकनी, गीली, कामुक चूत को चाटने लगी, जिसकी वजह से रीती पूरी तरह से गरम होकर जोश में आकर छटपटा रही थी और वो अपने मुहं से सिसकियों की आवाज भी निकाल रही थी.

हेमा ने रीती को पकड़ लिया और उसके बाद वो दोनों शुरू हो गयी| हेमा रीती के पास गयी और उससे चिपकने लगी और इन्हे देख ईशा मेरे साथ चिपक गयी और वो दोनों और हम दोनों गरम हो गए| वो दोनों कभी एक दूसरे को किस करती तो कभी एक दूसरे के बूब्स को चाटती तो कभी एक दूसरे से लिपटकर बाहों में आकर बूब्स को बूब्स से दबाती.[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]ईशा मुझे अपनी बांहों में ले कर मेरी बाजुए रगड़ने लगी और उधर हेमा भी रीती की बांहों में आ कर उसे सहलाने लगी |

अब हेमा और रीती फिर से जीभ चूसते हुए किस करने लगी और दोनो के हाथ एक दूसरे के चूतड़ों पर थे जिन्है वो ऐसे मसल रही थी और एक दूसरे से चिपकी हुई थी जिस से उनकी चुचियाँ भी एक दूसरे से रगड़ रही थी और दोनो एक दूसरे को ऐसे अपनी ओर खींच रही थी जैसे एक दूसरेको चोदना चाहती हो और उनकी चूते भी आपस मे रगड़ा खा रही थी. दोनो की चूते बिना बालो वाली मक्खन जैसी चिकनी थी.

उसके बाद हेमा ने अपने होंठ रीती के होंठ से लगा कर उसके होंठ को चूसने लगी तो वो भी हेमा का साथ देते हुए हेमा के होंठ को चूसने लगी | हेमा रीती के होंठ को चूसते हुए उसके दूध को दबा रही थी और वो उसके उधर ईशा मेरे होंठ को चूसते हुए मुझसे चिपकी हुई थी | हम दोनों ने एक दूसरे के होंठ को काफी देर तक चूसा | रीती और हेमा के मुंह से आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह की सिअक्रियाँ निकलने लगी |

थोड़ी ही देर मे हेमा ने रीती को बेड पर लिटा दिया जिस से रीती का आधा बदन बेड पर था और उसकी टाँगें नीचे फ्लोर पर थी. हेमा बैठ गई और और रीती की चूत पर अपनी जीभ फेरते हुए चाटने लगी.

तो वो आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए मचलने लगी | हेमा उसकी चूत को चाटते हुए उसके चूत के दाने को भी अपने होंठ में दबा कर चूस रही थी और वो आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए मजे ले रही थी |


रीती ने हेमा का सर पकड़ के अपने चूत मे घुसेड़ना शुरू कर दिया और अपनी गांड उठा उठा के हेमा के मुँह को चोदने लगी और उसके मुँह से आआ ईययड्डि ई ईईई आईिससीईए शियीयी यियी आआआहह बोहोत मज़ा आआ रहाआआअहाई ईई ईईई दीददीईए उउफफफफ्फ़ खाआआअ जऊऊऊ जाआआ आआ आऐईई ईईहह निकल रहा था


रीती ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए हेमा के बालो को सहलाने लगी और हेमा थी के जोश मे रीती की पूरी चूत अपने मुँह मे डाल के काटने लगी जिस से उसकी क्लाइटॉरिस पर हेमा के दाँत लग रहे थे और रीती की मस्ती भरी चीखें निकल रही थी हेमा उसके दूध को जोर जोर से दबा दबा रही थी और वो आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह रही थी | मैंने भी ईशा के स्तनों को को करीब दस मिनट तक चूसता रहा| रीती हेमा और ईशा तीनो कराह रही थी[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]फिर हेमा ने रीती की टांग को चौड़ा कर के रीती की चूत पर अपनी जीभ फेरने लगी और रीती आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए सिस्कारियां लेने लगी | वो रीती की चूत को चाटते हुए चूत को अन्दर तक जीभ डाल कर चोद रही थी और वो आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह की सिस्कारियां लेते हुए उसके मुंह को अपनी चूत पर दबा रहi थी |

ऊ ऊऊहह ईई हीईई आआहह उसकी आँखे बंद हो गई थी और वो अपनी गांड ऊपर उठा उठा के अपनी चूत को हेमा के मुँह से रगड़ रही थी और फिर रीती का बदन ऐसे काँपने लगा जैसे किसी ने उसका गला दबा दिया हो उसके मुँह से आउउह्ह्ह जैसी आवाज़े निकलने लगी और उसने हेमा के सर को पकड़ के अपनी चूत मे बड़ी ज़ोर से घुसा दिया.

रीती ने उस की बगल मे हाथ डाल के अपने ऊपर खिंच लिया और रीती हेमा को किस करते करते उसके ऊपर चढ़ के आ गई और हेमा के बदन के दोनो तरफ अपने दोनो पैर घुटनो से मोड़ के हेमा की जांघो पर बैठ गई और झुक के हेमा की चुचिओ को अपने दोनो हाथो से मसल ने लगी ऐसी पोज़िशन मे दोनो की चूते आमने सामने थी. रीती जैसे जैसे आगे पीछे होती उसकी चूत हेमा की चूत से टच होती और रीती एक बार फिर से गरम होने लगी और थोड़ी देर ऐसे ही पोज़िशन मे हिलते हिलते वो मिशनरी पोज़िशन मे अपने पैर पीछे लंबे कर के हेमा के बदन पर लेट गयी और अपनी चूत को हेमा की चूत से रगड़ने लगी. हेमा ने अपनी टाँगे रीती के नीचे से निकाल के उसके गांड पर फोल्ड कर ली. अब पोज़िशन ऐसी थी जैसे रीती (लंड से ) हेमा की चूत मे घुसा के चुदाई कर रही हो.

रीती अपनी गांड उठा उठा के अपनी चूत को हेमा की चूत पर ऐसे मार रही थी जैसे एक को चोद्ता है और कमरे मे ठप्प ठप्प ठप्प कीआवाज़ें आ रही थी और हेमा ने अपने हाथ रीती की गर्दन मे डाल के उसको अपने ऊपर खेच लिया और दोनो फिर से जीभ चूसते हुए किस करने लगे. रीती के स्पीड बढ़गई थी और वो ज़ोर ज़ोर से हेमा की चूत को अपनी चूत से चोद रही थी और दोनोके मुँह से आआआआअहह और उउउ उउउ उउह्ह्ह्ह्ह् ससस्स्स्स्स् ऊऊहह जैसी आवाज़ें निकल रही थी दोनों फुल जोश मे थी.

कमरे मे दोनो की सिसकारिया के साथ में फच फच ठप फच की आवाज़ें बढ़ने लगी हेमा ने रीती को टाइट पकड़ा हुआ था अपने हाथो से और पैरो से और अपनी गांड उठा उठा के उसकी चूत से अपनी चूत को टकरा रहीथी दोनो के चुचियाँ बड़ी ज़ोर ज़ोर से हिल हिल रही थी. दोनोके मुँह से आआ ह्ह उउह्ह् की आवाज़ आई और मैं ने देखा के दोनो के बदन कापने लगे दोनो जैसे थक्क गयी हो और रीती का बदन हेमा के बदन के ऊपर गिर पड़ा दोनो ऐसी गहरी गहरी साँसें ले रही थी जैसे लम्बी रेस लगा के आई हो.

थोड़ी देर तक दोनो ऐसे ही लेटे लंबी लंबी साँसें लेती रही और फिर जब उनकी सांसे नॉर्मल हुई तो रीती ऐसे ही हेमा के बदन पर लेटे लेटे ही नीचे को सरकने लगी और हेमा की चुचिओ को अपने मुँह मे ले के चूसने लगी तो फॉरन ही हेमा ने रीती का सर पकड़ के अपने सीने मे घुसा लिया हेमा को बहुत मज़ा आने लगा था अपनी चुचिओ को चुसवाने का. !

रीती हेमा की चुचिओ को ऐसे चूस रही थी जैसे सच मे दूध पी रही हो. एक चुचि फिर दूसरी चुचि चुस्ती रही और रीती की चुचियाँ हेमा के जांघो से रगड़ने लगी. थोड़ी देर ऐसे हीचुचिओ को चूसने के बाद देखा के हेमा अब रीती के सर को नीचे की ओर धकेल रही है जैसे कोई सिग्नल दे रही हो और रीती ने भी उसके सिग्नल को फॉरन समझ लिया

वो 69 में आ कर हेमा क i चूत में जीभ डाल कर चोदने लगी और हेमा आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए उसकी चूत में ऊँगली डालने लगी | फिर उसने अपनी स्पीड बढ़ा दिया और जोर जोर से जीभ अन्दर बाहर करते हुए चोदने लगी और मैं आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए सिस्कारियां ले रही थी |

रीती और नीचे को स्लिप हो गई और हेमा की दोनो टाँगो के बीचे मे लेट गई और हेमा की चिकनी चूत को किस करने लगी.

रीती अपना मुँह ऊपर उठा के बोली दीदी तुम्हारी चूत मे से तो मस्त ख़्श्बू आ रही है और तुम्हारी चूत का रस भी तो बोहोत ही मीठा होगा तो हेमा मुस्कुराने लगी और बिना कुछ बोले के रीती के सर को अपनी चूत मे धकेल दिया और अपनी गांड उठा उठा के रीती के मुँह मे अपनी चूत घुसानेलगी. रीती भी फुल जोश मे आ गई और हेमा की पूरी चूत को अपने मुँह मे भर लिया और अपने दांतो से हेमा की चूत को काटने लगी जिस से हेमा मस्ती और जोश मे तड़पने लगी और अपनी गांड उठा के अपनी चूत से रीती के मुँह को चोदने लगी.

हेमा की गांड बेड से तकरीबन 6 – 8 इंच ऊपर र उठी हुई थी और उसकी आँखें फिर से बंद हो गई थी और उसके मुँह से मस्ती की सिसकारिया निकलने लगी

आआआ आआ आहहऱीत ईईईईई उउ आआअहह फिर देखा के हेमा की गांड जल्दी जल्दी ऊपर नीचे हो रही है और वो रीती का सर पकड़ के अपनी चूत को ज़ोर ज़ोर से रीती के मुँह मे रगड़ने लगी.

रीती का सर अभी भी हेमा ने अपने हाथो से पकड़ा हुआ था और हेमा ने रीती के सर को अपने दोनो जाँघो के बीच मे बड़ी ज़ोर से दबा लिया और हेमा का बदन काँपने लगा और एक लंबी सी आआआआ अग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग् ऊऊऊऊऊओह सस्स्स्स्स् वो झड़ने लगी उसका बदन धीरे धीरे शांत होने लगा और फिर वो शांतहो गई उसका बदन ढीला पड़ गया दोनो हाथ और पैर बेजान हो के बेड पर गिर पड़े हेमा लंबी लंबी साँसें लेने लगी. कुछ देर के बाद रीती की चूत ने भी अपना रस छोड़ दी | उसके बाद वो दोनों निढाल हो कर लेट गई |

रीती थोड़ा ऊपर को खिसक आई और हेमा के साथ ही उसके साइड मे लेट गई और हेमा की चुचिओ से खेलने लगी. थोड़ी देरके बाद जब हेमा को ऑर्गॅज़म का नशा ख़तम हो गया तो वो दोनो एक दूसरे की तरफ मुँह कर के करवट से लेट गये और धीरे धीरे किस करने लगी. l. यह सब देखते हुए मेरा मूसल जैसा लंड तो पूरी तरह से खड़ा हो गया और लोहे जैसा सख़्त हो गयाl

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-26

सुपर संडे - लेस्बियन त्रिकोण
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैंने अपने होंठ ईशा के होंठ पर रख दिये । फिर मैं अपने होंठों से ईशा के होंठ खोलते हुए ईशा का निचला होंठ चूसने लगा। ईशा ने अपने होंठ चुसाई से गर्म हो कर मेरे कन्धों पर अपना सर रख दिया। मैंने ईशा का रिएक्शन देख कर धीरे से अपना हाथ बढ़ा कर ईशा की एक चूची पकड़ ली। मैं एक हाथ से ईशा की एक चूची सहला रहा था और दुसरा हाथ उसके चूतड़ पर फेर रहा था।

ईशा मेरी इस हरकत पर पहले तो थोड़ा कसमसाई और हेमा और रीती की तरफ़ देखते हुए उसने भी मेरे को जोर से अपनी बाँहों में भींच लिया। मैंने अब ईशा की दोनों चूचियों पर अपने दोनों हाथ रख दिये और ईशा की दोनों चूचियों को पकड़ कर मसलने लगा। वो बहुत गर्म हो गयी और उसकी साँसें जोर-जोर से चलने लगी। मैं ईशा के चूची को मसलते हुए ईशा को होंठों को चूमने लगा। ईशा इस बीच हेमा और रीती की तरफ़ देखती रही .

तो मैंने भी देखा कि हेमा और रीती भी अपना- अपना बदन सहला रही हैं और दोनों बड़े गौर से मेरा और ईशा के बीच चल रही चूमा चाटी को देख रही थी ।

मैंने फिर से अपना ध्यान ईशा के शरीर पर डाला। मैं ईशा की निप्पल को लेकर मसल रहा था और ईशा मेरे कन्धो से लिपटी चुप चाप आँखें बंद करके अपनी चूची मलवा रही थी। मैं ईशा की एक चूची अपने मुँह में भर ली और मज़े ले ले कर चूसने लगा।

कुछ देर के बाद हेमा , जो कि इन तीनो में सबसे बड़ी थी, अपना हाथ अपने बदन पर और चूची पर फेरने लगी। और एक फूल उठा कर ईशा के छाती पर मारा और फिर जब ईशा ने उसकी और देखा तो मैंने भी उसकी और देखा तो हेमा ने बड़े ही मादक तरीके से हेमा ने ऊँगली से अपने पास आने का इशारा किया तो मैं उसकी तरफ़ लपका, उसने मुझे रोक दिया। हेमा बोली- राजाजी आप थोड़ा रुको और नज़ारे देखो , सब आपका ही है। मुझे राजाजी बुलाने पर मैं चौंक गया और मैंने सोचा इस बारे में पता लगाना चाहिए मैं ये सोच रहा था

इतने में मेरी ढीली हो चुकी पकड़ से निकल ईशा उठ कर उनके पास चली गयी दोनो नंगी लेटी हुई किस कर रही थी और दोनो के हाथ कभी एक दूसरे की चूतो को मसलने लगते तो कभी चुचिओ को दबाने लगते.

ईशा बेड के ऊपेर आ के रीती और हेमा के बीचे मे बैठ गई और अपने दोनो हाथो से दोनो की चुचिओ को मसल्ने लगी हेमा और रीती ने भी अपने अपने एक एक हाथ बढ़ा के ईशा की दोनो चूचियों को पकड़ लिया और दबाने लगी , चूसने लगी और उसके निपल्स को काटने लगी.

हेमा ने ईशा को लिटा दिया और ईशा की टाँगें खोल के उसकी टाँगो के बीच मे पेट के बल लेट गई और उसकी चूत को किस करने लगी. हेमा का मूह उसकी चूत पे लगते ही ईशा मस्ती मे पागल हो गई और हेमा का सर पकड़ के अपनी चूत मे घुसा लिया रीती अपनी जगह से उठ के ईशा के सर के दोनो तरफ अपने घुटनेमोड़ के उसके मूह पे अपनी चूत रख के बैठ गई और ईशा रीती की चूत को चूसने लगी और रीती टेडी होकर हेमा की टाँगें खोल के उसकी टाँगो के बीच मे लेट गई और उसकी चूत को चाटने करने लगी.

अब ईशा पीठ के बल लेटी हुई थी और उसकी दोनो खुली हुई टाँगो के बीच मे हेमा लेट के ईशा की चिकनी चूत को अपनी जीभ से चाट रही थी और रीती ईशा के मूह पे उल्टा लेटी अपनी गांड उठा उठा कर ईशा के मुँह को चोद रही थी और साथ साथ हेमा की चूत को भी चाट रही थी..

इस समय एक त्रिकोण बना कर तीनो लड़कियों मुखमैथुन कर रही थी और साथ में ईशा दाए हाथ से हेमा के एक स्तन के दबा रही थी और दुसरे हाथ से रीती के स्तन और निप्पल से खेल रही थी वही रीती भी एक हाथ से हेमा और दुसरे हाथ से ईशा की चूचिया दबा रही थी और यही काम हेमा भी कर रही थी . सच बड़ा ही मादक दृश्य था, तीन अति सुन्दर कामुक लड़किया आपस में मुख मैथिन करती हुई देख मेरा लंड बार बार तुनक रहा था.

आपस के इस तींन तरफा हमले से तीनो लड़कियों का जोश और उत्तेजना और बढ़ गयी .और उनके मुँह से के मूह से मस्ती की सिसकारिया निकलने लगी और तीनो बोल रही थी आहह डीईईई आआहह हाय्यय अह्ह्ह्ह

और फिर जल्द ही तीनो अपनी कमर हिला हिला कर और चूतड़ उठा के ज़ोर ज़ोर से जो भी मुँह उनकी चूत पर चल रहा था उसपे अपनी चूत को रगड़ने लगी ये नज़ारे मैं अपने लंड को धीरे धीरे सहला कर सांत्वना दे रहा था और इससे मेरे लंड को फौलादी हो गया था और मेरा मन कर रहा था बस तीनो को जल्दी से चोद डालूं .

मैं उठ कर ईशा के पास पलंग पर बैठ गया। मैंने पहले ईशा के सर पर हाथ रखा और एक हाथ से उसके कन्धों को पकड़ लिया। इससे ईशा का चेहरा मेरे सामने हो गया। मुझे देखते ही पहले ईशा ने हेमा और रीती की तरफ देखा और फिर अपना सर रीती की चूत से हटा कर मेरे हाथों में ढीला छोड़ दिया। मैंने फटाफट उसके ओंठो पर एक चुम्मा दे दिया .

मैंने अपने होंठ ईशा के ओंठो पर रख दिये । फिर अपने होंठों से ईशा के होंठ खोलते हुए उसका का निचला होंठ चूसने लगा। ईशा का मुँह रीती की चूत से हट्ते ही रीती तड़पो उठी और उसने ईशा की तरफ देखा और उसके कारण उसका मुँह भी हेमा की चूत से हट गया और हेमा भी तड़प उठी और बोली रीती रुक क्यों गयी और इसके कारण उसका मुँह भी ईशा की चूत से हट गया .

मैंने एक रस्सी ली और हेमा और रीती के हाथो को बाँध दिया

तीनो झड़ने की कगार पर थी और इस समय मेरे आ जाने के कारण से उनका ओर्गास्म भी रुक गया था और .. तीनो बिलकुल जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी और बोली प्लीज राजा जी हमे छोड़ो या चोद दो पर ऐसे मत तड़पाओ पर मेरा इरादा अभी कुछ और था

फिर ईशा ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और बोली मुझे चोदो और हेमा और रीती भी बोली मुझे चोदो, मुझे चोदो और ईशा मेरा लंड पकड़ कर अपनी योनि पर दबाने लगी और अपनी कमर ऊपर-नीचे करने लगी जिससे लंड अंदर चला जाए । अब मैं समझ गया कि अब ईशा मेरा लंड अपनी चूत के अंदर लेना चाहती है।

उसने उसका मुँह चूम कर धीरे से उसके कान पर मुँह रख कर पूछा, “ ईशा कहो , क्या हो रहा है चूत क्यों उठा रही हो ?” ईशा बोली, “हाँ मेरे राजा अब तड़पाओ मत, मेरे राजा तुम सही कह रहे हो, मुझे कुछ हो रहा है .. मुझ से सहन नहीं हो रहा है मेरी चूत में चीटियाँ रेंग रही हैं। मेरा सारा बदन टूट रहा है, अब तुम लंड को जल्दी से अंदर डाल मुझे चोदो ।” मैंने फिर पूछा, “क्या तुम अपनी चूत मेरे लंड से चुदवाना चाहती हो?” ईशा बोली, “ मैं क्या? इस समय तो हम तीनो चुदाई के लिए तड़प रही है. क्यों तड़पा रहे हो राज... ?”

मैं बोला क्या हुआ? रुक क्यों गयी ? पूरा बोलो तभी अब मैं तुमको तभी चोदुँगा, जब तुम मुझे अपनी असलियत बता दोगी बताओ! तुम तीनो कौन हो और कहाँ से आयी हो तुम्हे किसने भेजा है ?

तुम तीनो जो दिख रही हो वो बिलकुल नहीं हो सच बताओ कौन हो तुम और उसके बाद उन तीनो को साडी ले कर उनके हाथ पैरो को बाँध दिया.


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-27

सुपर संडे - सुरक्षा 
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]तीनो तड़प रही थी और मैंने इनकी तड़प बढ़ाने के लिए धीरे धीरे तीनो को अपने हाथो से सहलाते हुए उत्तेजित करना जारी रखा पर बीच बीच में रुक जाता था ताकि वो चरम पर ना पहुंचे और झड़ न जाए .. और तीनो मेरी मिन्नत कर रही थी ,जोर से करो, जल्दी करो, रुको मत!, पर मैंने कहा पहले सच्चाई बताओ तुम कौन हो ?

तो हेमा बोली ये दोनों तो मर जाएंगी पर बोलेंगी नहीं क्योंकि इन्हे न बोलने के लिए प्रशिशिक्षिक किया गया है . हम तीनो आपके प्रति पूर्णतया वफ़ादार हैं .. हमे महर्षि अमर ने आपकी सुरक्षा और सहायता के लिए भेजा है .. मैं उनका नाम सुन कर चौंका तो हेमा बोली जब आप उन से मिल कर आये तो उन्होंने महाराज हरिमोहिंदर के सुरक्षा प्रमुख को बुलाया जो गुप्तचर विभाग के भी प्रमुख हैं और उन्होंने उन्हें आपकी सुरक्षा के लिए हमे नियुक्त किया था क्योंकि आप उनके छोटे भाई राजकुमार दीपक हैं ..

उन्हें ने मुझे सचिव नियुक्त किया है और ईशा आपकी सूरत ही सुरक्षा प्रमुख हैं और रीती आपकी सेविका हैं l

फिर उसने बोला महर्षि ने अभी हमे गुप्त रूप से आप का साथ देने की आज्ञा दी थी इसलिए हम आपके आस पास ही रहते हैं .. हमारे तीनो के पास आपके लिए महर्षि का एक पत्र है जो उन्होंने ऐसे ही किसी अवसर पर या जब हम पकड़ी जाए तो आपको देने के लिए दिया था .. और फिर हेमा ने एक विशेष मन्त्र बोला जो महाराज ने मुझे बताया था जो की हमारे लिए गुप्त कोड था .. और बताया वो पत्र कहाँ रखा है

मैंने वो पत्र निकाल कर पढ़ा जिसमे महर्षि ने इनका परिचय और यज्ञ प्रक्रिया पूरी होने तक गोपनीयंता बनाये रखने का आदेश दिया था जो मुझे बिलकुल उचित लगा और मैंने तीनो के हाथ पैर खोल दिए l

तो तीनो ने प्रणाम किया और ईशा बोली आप हमे क्षमा कर दे और जब आप इस होटल में आये और ब्यूटी पारलर वाली के लिए बोले तो मेरे पास कोई चारा नहीं बचा इन्हे बुलाने के सिवा .. और फिर हेमा बोली आप हमे क्षमा कर दे .. तो मैंने कहा आपसे मुझे कोई शिकायत नहीं है और महृषि के आदेश अनुसार अभी थोड़ी गोपनीयता बनाये रखना ही उचित है l

उसके बाद मैंने कहा थोड़ी देर में मुझे जीतू से भी मिलने जाना होगा .. तो हेमा बोली राजकुमार अब उसकी कोई आवश्यकता नहीं है .. वो भी आपका ही सेवक है शाम के 4 बज गए थे और मैं मानसिक तौर पर थका हुआ महसूस कर रहा था तो रीती ने फिर उस दिव्य हर्बल तेल से मेरी मालिश कर दी जिससे मैं फिर तरोताजा महसूस करने लगा और स्नान करने के बाद हम होटल से निकल आयेl

वापिस आ कर कुछ चाय नाश्ता करने के बाद मैं और मानवी भाभी सैर करने को पार्क में गए और भाभी ने उस दिन आसमानी रंग की साडी पहनी हुई थी और उसमे वो बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी और फिर मैं भाभी को उसी जगह ले गया जहाँ मैंने ईशा को पकड़ा था और भाभी को उसी बेंच पर बिठा कर उसे किश करने लगा l


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-28

सुपर संडे - 
मानवी
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]घर पर वापिस आ कर कुछ चाय नाश्ता करने के बाद मैं और मानवी भाभी सैर करने पार्क में गए और भाभी ने उस दिन आसमानी नीले रंग की साडी उसी रंग का पहनी हुई थी और उसमे वो बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी और फिर मैं भाभी को उसी जगह ले गया जहाँ मैंने ईशा को पकड़ा था और भाभी को उसी बेंच पर बिठा कर उसे किश करने लगा.

जब मैंने मानवी भाभी को किश किया तो भाभी बोली ये तो आप मुझे आज किसी लग जगह पर ले आये हो .. क्या यहां करना सुरक्षित रहेगा .. तो मैंने बोलै हाँ ये सुरक्षित हैं मैंने इस जगह को कुछ दें पहले देखा था और यहाँ पर मैंने ना के बराबर लोगो को ही इधर आते हुए देखा है .. भाभी हम भी यहाँ पहले कहाँ आये है ?

तभी ठंडी हवा चलने लगी और काले बादल आने लगा और मौसम सुहाना होने लगा और रौशनी भी कम होने लग गयी मुझे कामायनी की कुछ पंक्तिया याद आयी

अरी आँधियों ओ बिजली की, दिवा-रात्रि तेरा नर्तन,
उसी वासना की उपासना, वह तेरा प्रत्यावर्तन।

कुसुमित कुंजों में वे पुलकित, प्रेमालिंगन हुए विलीनl[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]और हम बहुत देर तक आलिंगनबद्ध हुए किस करते रहे फिर मैंने कहा भाभी अब तो अँधेरा होने लगा है इसलिए अब यहाँ किसी के आने की संभावना बहुत कम है और भाभी को आयी लव यू कहते हुए उसे चूमा औरसाडी के ऊपर से उसके स्तनों को दबाने लगा

भाभी बोली काका! मैं भी आपसे बहुत प्यार करती हूँ पर ऐसे खुले में बहुत डर लगता है अगर किसी ने देख लिया तो कितनी बदनामी होगी क्या हम ये आराम से घर के बंद कमरे में नहीं कर सकते तो मैंने कहा भाभी घर में तो और लोग भी होते हैं इसलिए घर में करना बहुत मुश्किल है आप कहे तो होटल में चल सकते हैं .. तो भाभी बोली नहीं वहां भी किसी के देख लेने का खतरा रहेगा ..

तो मैंने भाभी का हाथ पकड़ कर लंड पर रखते हुए कहा भाभी खुले में चुदाई करने का अपना एक अलग मजा हैl भाभी आप इसके बारे में कुछ कीजिये कमरे का बाद में कुछ इंतजाम करते हैं

तो भाभी बोली आप मुझे पिछले पूरे महीने से ऐसे ही बहला रहे हो लेकिन काका आप मुझे बताओ कि आपने मुझसे क्या वादा किया था।"

मैंने भाभी का हाथ लंड पर दबाते हुए जवाब दिया, "आपका ये दीवाना आपके बिना नहीं रह सकता और ये मैं आपके दिखा सकता हूँ ।"

"ओह, तो फिर मुझे जल्दी से दिखाओ," भाभी की बड़ी बड़ी सुंदर उज्ज्वल आंखों में देखने से मुझे निर्देश दिया की अब भाभी मेरा लंड देखना चाहती है और साथ में उसने मेरी पंत के ऊपर से लंड पर हाथ फेरते हुए ज़िप खोल दी ।

मैंने उसे हाथ पेण्ट के अंदर ले जाने दिया और उसके सुंदर स्तनों को अपनी छाती पर दबाते हुए , मेरा मुँह उसके से चिपक गया और उसे हर्षातिरेक से चूमा।[/font]




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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]भाभी ने मेरे इस गहरे चुम्बन का कोई प्रतिरोध नहीं किया बल्कि मुझे प्यार से वापस चूमने लगी और उसके हाथ ने मेरे लंड को मेरे अंडरवियर के अंदर जा कर सहलाया ।

उधर मेरे हाथो ने भाभी की चोली की डोरिया खोल कर उसके स्तनों को आज़ाद कर दिया . उस दिन भाभी ने ब्रा नहीं पहनी हुई थी और उसके स्तनों को मैं सहलाने लगा और उसके निप्पल खींचने लगा ..

फिर बिना किसी विरोध के मैंने अपना हाथ सुंदर मानवी भाभी के पैरो के पास से पेटीकोट के अंदर डाल कर उसकी टांगो को सहलाते हुए मेंरी भटकती उंगलियाँ अब उसकी जवान जाँघों के कोमल और गुदगुदे मांस को छू गईं। मानवी भाभी की साँसें तेज़ और तेज़ हो गईं, हालाँकि उन्हें लगा कि मैंने ये थोड़ा जल्दी ही उनके आकर्षण पर हमला कर दिया है परन्तु वो विरोध करने के स्थान पर इसका स्पष्ट रूप से रोमांचक आनंद ले रही थी ।

मैं अपनी उंगलिया उसकी योनि के पास ले गया .उस दिन भाभी ने पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी .. जब मैंने हाथ योनि के आस पास लगाया तो उसकी योनि बिलकुल चिकनी थी और बी अभी बोली आज ही साफ़ की है तुम्हारे लिए ,

"काका ! मनवी भाभी फुसफुसायी , "आप इसे छु सकते हैं।"

मुझे अब और निमंत्रण की आवश्यकता नहीं थी, वास्तव में मैं पहले से ही आगे बढ़ने की तैयारी कर रहा था और तुरंत अनुमति को ध्यान में रखते हुए, मैंने अपनी उंगलियों को आगे बढ़ाया।

मैंने जैसे ही भाभी की जांघें खोलीं, और अगले ही पल मेरे हाथ ने उनके सुंदर चिकनी योनि के नाजुक गुलाबी होंठों को ढक दिया।

अगले दस मिनट तक हम लगभग स्थिर बने रहे, हमारे होंठ जुड़े रहे और हमने सांस लेते हुए उन संवेदनाओं को महसूस किया जिनका हम पर नशा का नशा चढ़ा हुआ था। मुझे एक नाजुक अंग महसूस हुआ जो मेरे द्वारा छेड़े जाने पर कड़ा हो गया ।

मानवी भाभी ने आनंद में अपनी आँखें बंद कर लीं, वो थोडा थरथरायी और अपना सिर पीछे की और फेंकते हुए मेरी बाँह पर टिका दिया. "ओह, काका," वह बड़बड़ायी , "यह आप क्या कर रहे हैं? ऐसे करने से आपको कौन सी रमणीय संवेदनाएं मिलती हैं।"

इस बीच वो निष्क्रिय नहीं थी , लेकिन मैंने उसे जिस विवश स्थिति में कर दिया था उसमे भी वो मेरे अंडरवियर के अंदर पूरी तरह से खोजबीन कर रही थी, उसकी हाथ पहले मेरी जांघो फिर अंडकोषों पर गए और उसके नरम मुलायम हाथ के संपर्क में आने के कारण मेरा लंड उठ खड़ा हुआ था l

उसके कोमल स्पर्श ने मेरे जोशीले जुनून को बढ़ा दिया और उधर भाभी ने अपना शरीर मेरे सुपुर्द कर दिया था क्योंकि वो जानती थी की मेरी उंगलियों उसे बहुत अधिक खुशी देने में सक्षम है।

मैं उसके स्तनों को एक हाथ से पकड़ कर उसकी चोली से आजाद करते हुए बाहर निकाल लिया और उसे दबा कर सहलाने लगा अगले ही पल मेरे लंड का कड़ापण महसूस करते हुए भाभी ने मेरा अनुकरण किया और लंड को पेण्ट से बाहर निकाल प्रकाश में ला कर सहलाने लगी ।

मेरा लंड उस समय पूरा अकड़ा हुआ जिसके शिश्न के ऊपर से त्वचा भाभी के सहलाने से पीछे हो गयी

और लाल लंडमुंड बाहर आ गया था और फिर उसने इसे दबाया, और ज्यादा करीब से देखने के लिए अपनी तरफ झुका लिया।

उत्तेजना से मेरी आँखें चमक उठीं और मेरे हाथ भाभी के खजाने पर मंडराता रहा, जिसे मैंने अपने अपने कब्जे में ले लिया था।

इस बीच भाभी के द्वारा मेरे लंड की दबाने सहलाने और संपर्क के कारण मेरा लंड बिलकुल लोहे की रोड जैसा गर्म और कठोर हो गया और उधर भाभी भी पूरी गर्म हो गयी थी ।

भाभी ने मेरे लंड को मुग्ध हो देखती रही फिर उसे पकड़ कर कोमल दबावों के साथ सहलाया तो लंडमुंड के ऊपर की चमड़ी वापिस आ गयी और उसने लाल लंडमुंड को अपने अंदर छुपा लिया तो फिर बड़े ही कलात्मक तरीके से जैसे विशाल अखरोट को छीलते हैं वैसे ही भाभी ने लंड के ऊपर की सिलवटों को वापस खींच लिया और लंडमुंड को बाहर निकल लिया

कामोतेजना से रक्त प्रवाह बढ़ने और भाभी के हाथ के दबाब से इकठा हुए रक्त के कारण लंडमुंड अब बैंगनी रंग का हो चूका था और लंडमुंड का छोटा छिद्र अब बड़ा दिखने लगा था जिसमे से थोड़ा से चिकना पदार्थ निकला जिससे मेरी वासना में वृद्धि हुई, और उधर भाभी ने मेरे लंड को धीरे धीरे सहलाते हुए हाथ को लंड के ऊपर नीचे करना जारी रखा, इससे मेरी संवेदनाओं में नए और अजीब परन्तु उत्तेजक और उत्साहपूर्ण बवंडर आ रहे थे ।

उसकी सुंदर आँखें आधी बंद होने के साथ, उसके रस भरे होंठ जुदा हो गए, और उसकी त्वचा गर्म हो गयी और अनियंत्रित आवेग के साथ चमक रही थी, ये मेरे लिए उचित अवसर था . मुझे पता था मेरे रखा में नियुक्त ईशा और हेमा आस पास ही थे और इस तरफ आने वाले किसी भी आगंतुक को वो रोक देंगे इसलिए बेफिक्र होकर मैंने पहले भाभी की साडी उतारी फिर उसके पेटीकोट का नाडा खोल कर उसे मैंने लेटा दिया

नंगी होने से वह अब शरमा रही थी और अपना चेहरा मेरी छाती में छुपा लिया। इसी दौरान मैंने मानवी भाभी की चूची को चूसना फिर से चालू कर दिया। भाभी की चूचियाँ अब पत्थर के समान कड़ी हो गयी थीं।

मैंने अपनी उंगलियों के नीचे उसकी जांघो के मध्य उसकी गीली योनि को धड़कती हुई महसूस किया, उत्तेजना से भाभी लेटी हुई भारी भारी साँसे लेने लगी जिससे उसके शानदार स्तन ऊपर नीचे होने लगे और उसका ऐसा कामुक भावनाआओ को भड़काने वाल रूप मेरे सामंने था उसके भरे, मुलायम और चिकनी टाँगे मुझे ललचा रही थी ।[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]फिर मेरा ध्यान भाभी के मनमोहक आकर्षण के केंद्र स्थान उसकी नरम और गुलाबी योनि पर गया जिसने मेरी उत्तेजना को भड़का दिया भाभी की योनि मेरे द्वारा छेड़छाड़ करने के कारण उसकी योनि से निकले सबसे अच्छे और प्राकृतिक मधुर स्नेहक रस के लबालब चिकनी और रसभरी लग रही थी ।

मैंने अपना मौका देखा। धीरे से अपने लंड को उसके हाथ की पकड़ से छुड़ाने के लिए, मैं भाभी के ऊपर लेट गया ।

मेरी बायीं बाजू भाभी की कमर में डाल कर अपने ओंठो से भाभी के ओंठो को भावुक और लम्बे चुंबन में दबाया. मेरी गर्म सांस उसके गालो को छू रही थी और और अपने दोनों हाथो से भाभी के सतहों के एक साथ लाकर दबाने लगा जिससे भाभी कामुक आनंद में कराहने लगी .. आह

इस बीच मेरा लंड मानवी भाभी की योनि के द्वार पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए दस्तक देना लगा , भाभी को उम्मीद नहीं थी ये सब आज इतनी जल्दी हो जाएगा इसलिए वो उत्तेजना से स्पष्ट रूप से थरथरा रही थी और साथ साथ ये सब खुले में होने कारण घबरा भी रही थी

मैं निश्चित तौर पर भाभी के इस रूप पर मुग्ध था, और अपने इस मौके का पूरा आनंद लेने के लिए अभी काफी कुछ पूरा करना बाकी था और मैं उत्सुकता से इसे जल्द ही पूरा करना का भरपूर प्रयास कर रहा था।

भाभी के अंग और स्तन पूर्णता और ताजगी लिए हुए पूरी तरह से तैयार थे उसकी छोटी योनि रस के लबालब चिकनी और रसभरी थी और मैंने दाए हाथ से लंड को पकड़ा और योनि के द्वार पर लगाया और दबाया और भाभी के नाजुक योनि पे प्रवेश करने के लिए के लिए धक्का दिया । पर लंड अंदर नहीं गया

फिर मैंने ढेर सारा थूक अपने हाथ में लेकर पहले अपने लंड पर लगाया फिर भाभी की चूत पर लगाया। थूक से सना अपना खड़ा लंड चूत के मुँह पर रखा और धीरे से कमर को आगे बढ़ा कर अपना सुपाड़ा मानवी भाभी की चूत में घुसा दिया और उस के ऊपर चुपचाप पड़ा रहा। थोड़ी देर के बाद जब भाभी नीचे से अपनी कमर हिलाने लगी तो मैंने धीरे-धीरे अपना लंड नीता की चूत में डालना शुरु किया। भाबी का बदन दर्द से कांपने लगा

मेरा लंड भाभी की योनि की गुलाबी सिलवटों और छोटे छिद्र में दो इंच अंदर चला गया और भाभी उत्तेजना के रोष में पागल हो गयी मैंने दुबारा जोर लगाया और लंड आगे बढ़ गया मैंने उसके कंधों को पकड़ कर नीचे को दबाया और एक जोरदार शॉट मारा और लंड जड़ तक भाभी की योनि के अंदर चला गया।

आह ! भाभी की हलकी सी आन्नद भरी कराह निकली क्योंकि उसने अपने अंदर मेरे लंड को महसूस किया। मैंने भाभी की एक चूची को अपने मुँह में लेकर जीभ से सहलाना शुरु कर दिया और दूसरी चूची को हाथ से सहलाना शुरु कर दिया। थोड़ी देर बाद भाभी ने नीचे से अपनी कमर को ऊपर नीचे करना शुरु किया।

इसके बाद मैंने बार-बार लंड को योनि के अंदर पहले धीरे धीरे आगे पीछे किया और फिर तेजी के साथ चुदाई शुरू कर दी ।

भाभी ने भी अब जोरदार धक्के देना शुरु किया और जब मेरा लंड उसकी चूत में होता तो भाभी उसे कस कर जकड़ लेती और अपनी चूत को सिकोड़ लेती थी। अब मैं समझ गया कि भाभी को अब मज़ा आने लगा है तो मैं अपनी कमर को ऊपर खींच कर अपना लंड पूरा का पूरा भाभी की चूत से बाहर निकाल लेता, सिर्फ़ अपना सुपाड़ा अन्दर छोड़ देता और फिर जोर दार झटके के साथ अपना लंड उसकी चूत में पेल दे रहा था। मानवी भाभी बुरी तरह मुझ से लिपटी हुई थी और उसने मेरे को अपने हाथ और टाँगों से जकड़ रखा था ।

पार्क के उस कोने में भाभी की सिसकारी और उनकी चुदाई की ‘फच’ ‘फच’ की आवाज गूँज रही थी। भाभी के मुँह से “आह! आह! ओह! ओह! हाँ! हाँ! और जोर से, और जोर से… हाँ हाँ ऐसे ही अपना लंड मेरी चूत में पेलते रहो,” बोल रही थी। मैं फ़ुल स्पीड से भाभी की चूत में अपना लंड अन्दर-बाहर करके उसको चोद रहा था और वो बुरी तरह से मुझ से चिपकी हुई थी। इतनी देर से में मानवी भाभी की चूत चोद रहा मैं झड़ने वाला था और मैंने 8-10 काफ़ी जोरदार धक्के लगाये और मेरे लंड से मेरा वीर्य भाभी की चूत में गिरा और समा गया। मेरे झड़ने के साथ ही साथ भाभी की चूत ने भी पानी छोड़ दिया और उसने अपने बाँहों और टाँगों से मेरे को जकड़ लिया। मैं हाँफते हुए मानवी भाभी के ऊपर गिर गया और थोड़ी देर तक हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे से चिपके रहे।


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-29

सुपर संडे - रूपाली के साथ सुहागरात
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पार्क में चुदाई का सत्र खत्म करने के बाद मैंने और मानवी भाभी ने अपने कपड़े ठीक किए और घर वापस आ गए। रास्ते में मानवी ने मुझ से कहा कि आज उसे बहुत अच्छा लगा क्योंकि मैंने आज उसकी खुल कर अच्छी तरह से चुदाई की है और वो चाहती है ये सिलसिला चलता रहे .

दूसरी तरफ घर में रूपाली भी मेरे बारे में सोच में ही रही थी कि कल मेरे साथ थिएटर में और आज सुबह क्या हुआ । उसने मेरे साथ चुदाई के हर पल का आनंद लिया। अब उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि उसका पति भी था । रात के खाने से पहले वह मेरे कमरे में आई उस समय घर में अकेला था और उसने मेरी आँखों में आँखे दाल कर बड़े प्यार से देखा और कहा, “जब तक तुम हमारे साथ हमारी मंजिल में हो, मैं शादी शुदा औरत होने के बावजूद तुम्हारी प्रेमीका और पत्नी बनना चाहूंगी क्या तुम मुझे अपनी प्रेमिका और पत्नी के तौर पर स्वीकार करोगे? "[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]"हाँ, मेरी प्यारी रुपाली, इसi पल से, तुम मेरी प्यारी पत्नी हो।" मैंने कहा और उसे गले लगा कर उसके होठों पर एक गर्म चुम्बन किया । और मैंने उससे कहा चुकी अब हम दोनों पति पत्नी बन गए हैं तो मैं आज रात तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूं। कल सोमवार है और मैं छुट्टी ले रहा हूँ और ऑफिस नहीं जाऊँगा इसलिए मैं आज रात तुम्हारे साथ सुहागरात मनाना चाहता हूँ ।

मैंने रूपाली से कहा कि मैं आपको अपने पसंदीदा सुहाग -जोड़े में सुहागरात के कमरे में सबसे अच्छा मेकअप किये हुए और और गहने पहने हुए दुल्हन के रूप में देखना चाहता हूं, इसलिए कृपया आप दुल्हन की तरह से त्यार हो जाए और सुहागरात के कमरे में वैसे ही बैठें जैसे कि फिल्मों और धारावाहिकों में दिखाया जाता है।

10 बजे तक उसने सुनिश्चित किया की सब सो जाए . जब सब सो गए तो मेरे पास आ गयी और उसने सुहागरात की तैयारी शुरू की और पूरा श्रृंगार करने के बाद और सभी दुल्हन के गहने पहन कर दूध का गिलास पकड़ कर उसने विशेष रूप से सजे सुहागरात के कमरे में प्रवेश किया। कमरे की सजावट देख कर उसका मन प्रसन्न हो गया .[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]बिस्तर पर गुलाब के फूलों की पंखुड़ियाँ बिछी हुई थी । पूरे कमरे में फूलों की ही महक थी ! बिस्तर सुंगधित फूलों के साथ सजा हुआ था कमरे में फूलों के बूके, और बिस्तर पर फूलों की झालरे लगी हुयी थी , साटन की नयी बेडशीट और कुशन बिछे हुए थे . कमरे में ड्रिंक, स्नैक्स फल और कुछ स्पैशल खाने-पीने की चीजें रखी हुई थी कमरे में लाइटिंग के लिए अरोमा कैंडल्स लगा कर गुलाबी रंग की रौशनी की हुई थी कमरे में सुंगधित परफ्यूम की मनमोहक खूशबू आ रही थी ( ये सब सजावट मैंने होटल में जिसने आज मेरा कमरा सजाया था उसे गुप्त तौर पर बुला कर करवा ली थी ) कमरे में बहुत धीमा रोमांटिक संगीत बज रहा था l

रूपाली ने साइड टेबल पर दूध का गिलास रखा और लेहेंगा और सेक्सी ब्लाउज चमकदार लाल चमक वाले सिल्की जरी कपड़े के थे और ओधनी (चुनरी) सभी पारदर्शी कपड़े पहने हुए थे। रुपाली ने अपनी ओढ़नी को एक घूँघट के तौर पर प्रयोग किया और बीस्ट की एक साइड में बैठ गयी कुछ समय बाद मैंने कमरे में प्रवेश किया मुझे देख रुपाली खड़ी हो गयी तो मैंने वहां रखा एक फूलो का बड़ा हार उठा कर उसके गले में दाल दिया और उसने भी दूसरा हार मेरे गले में दाल दिया और मेरे पैर छूने के लिए रुपाली नीचे झुक गयी तो मैंने उसे उठाया और अपने गले लगा कर कहा तुम्हे जगह मेरे दिल में है और दोनों कुछ देर ऐसे ही लिपटे रहे .

रुपाली लाल लेहेंगा चोली और गहने पहने हुए बिलकुल स्वर्ग से उत्तरी अप्सरा लग रही थी , उसके बालों में फूले का गजरा था मेरा लंड बिलकुल कड़ा हो गया था. उसने कहा काका मैं इस समय एक कुंवारी की तरह महसूस कर रही हूं।

फिर मैंने उसे बिठा दिया तो डबल बेड पर बैठकर अपने चारों ओर के सबसे बड़े घेरे में अपना बहुत बड़ा लहंगा फैला दिया। फिर मैंने रूपाली से कहा “मैं आपको अपने भविष्य के जीवन के लिए कुछ विशेष और आवश्यक बताना चाहता हूं। लेकिन मैं अपने सर को आपकी गोद में रख कर आप से बात करना चाहता हूँ । फिर मैंने अपना सिर उसकी गोद में रख दिया। तब मैंने कहा कि “सुनो रुपाली तुम्हारा रूप म देख कर मेरी सेक्स की भूख बहुत बढ़ गयी है । और जब मैंने तुम्हे पहले दिन देखा था तभी से मैं तुम्हे बहुत पसंद करता हूँ और तुम्हे चाहने लग गया था .

रुपाली ने मुझे वो गिलास दिया मैंने खुद कुछ दूध पी लिया और बाकी दूध का गिलास रूपाली को दे दिया। जो उसने खुशी से पी लिया। मैंने पहले से ही चुपके से दूध के गिलास में एक विशेष दवा की कुछ बूंदें मिला दी थी, जिससे मेरी कामुकता भड़क गई थी,

मैं फिर मैंने उसके साथ बात करना जारी रखा। दवा का असर होने लगा।[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]जैसा कि अब आप मेरी बहुत प्यारी प्रिय प्रेमिका हैं और मैं आपका दीवाना हो गया हूँ और मुझे कल और आज आपके साथ सेक्स करके बहुत मजा आया है . आपको कैसा लगा .. वो शर्मा गयी तो मैंने कहाः शर्माओ मत मेरी जान अब हम गुप्त रूप से पति पत्नी हैं स्पष्ट रूप से बोलो तभी हम खुल कर मजे कर पाएंगे तो वो धीरे से बोली मुझे भी बहुत अच्छा लगा

तो मैंने कहा आप भी चाहती हैं हम ये फिर करे बार बार करे तो उसने शर्मा कर सर हाँ में हिलाया, तो ठीक है रूपाली फिर ये तय रहा आप कभी भी मेरे साथ सेक्स के लिए मना नहीं करेंगी । इसके अलावा मैं आपके साथ चुदाई में हर संभव बदलाव लाने की कोशिश कर इसे मजेदार बनाए की कोशिश करूंगा ताकि हम सेक्स का पूरा मजा ले सके और आप मुझे इस उद्देश्य के लिए हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ सहयोग देने के लिए तैयार रहेंगी । इस तरह हम दोनों एक दुसरे को हमेशा यौन क्रिया में पूरी तरह से संतुष्ट रखे आज की इस विशेष रात में मैं आपसे यही चाहता हूं

.. ”रूपाली ने कहा“ मैं आपकी प्रिय जीवनसाथी बन आपको हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ सहयोग दूंगी और आपको हमेशा संतुष्ट रखूंगी और आपकी सभी सेक्स कल्पनाओ को साकार करने में सहायक बनूँगी और आपके साथ सेक्स करने के लिए सदा त्यार और ततपर रहूंगी । अब आप कृपया बताएं कि मुझे अब क्या करना है। ”

मैंने कहा "मैं आपको दुल्हन के रूप देखकर बहुत उत्तेजित हूं कि सबसे पहले मैं आपको चोदना चाहता हूं, उसके बाद हम आगे बात करेंगे।"

लाल लहंगे चोली पहने हुई , फूलो और गहने से सजी और स्तनों की दरार और चूत केओंठो के अंदर शहद लगाए हुए रुपाली ने कहा काका मैं आज कुंवारी की तरह महसूस कर रही हूं।

मैंने ललचाई हुई नज़रो से उसके स्तनों को दरार के माध्यम से झाँका और मैंने अपने होंठो पर अपनी जीभ फेरी

उसने मेरी आँखों में देखा और मुस्कुराते हुए बोली , " अब हम दोनों को किस चीज़ के लिए इंतज़ार कर रहे हैं ? कही आप इसके लिए तो चिंतित नहीं हैं की मैं कुंवारी नहीं हूँ ?"[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं बोला "मैं तुम्हे अपने नीचे लिटा कर तुम्हारे खूबसूरत नंगे बदन को सहलाते हुए तुम्हें चोदना चाहता हूँ और इस बिस्तर पर तुम्हारी चूत के अंदर जड़ तक अपना लंड घुसा कर तुम्हारी खुजली को भड़का दू ताकि तुम हर समय मुझ से चुदाने के लिए तड़पती रहो और मैं तुम्हे आज पूरी रात बार बार चोदता रहूँ । "

" शर्माते हुए उसने सुझाया प्लीज आराम से करना ।" मैंने एक गुलाब का फूल दिया बातें करते करते मैने अपना हाथ रुपाली पर रख दिया। उसने कोई विरोध नहीं किया, फिर घूंघट उठा कर मैंने उसे तोहफा दिया और बिस्तर से एक गुलाब उठाया और उसको मसल कर उसके ओंठो पर अपने ऊँगली फेरने लगा ..

मैंने उसके ऊपरी होंठ पर अपनी ऊँगली फेरी और अब मैंने अपने हाथों से उसका चेहरा उठाया और उसके गालों पर चूम लिया। उसने अपनी आँखे बन्द कर लीं। अब मैंने उसके होंठों पर चूमा। उसके होंठो को अपने होंठ रख कर चूमने लगा.
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,][font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,][size=large]कहानी जारी रहेगी[/font][/font][/size]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-30

सुपर संडे - रूपाली के साथ सुहागरात 
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फिर मैंने बोला भाभी मुझे भी चूमो नहीं तो मैं ये मानूंगा आपको मेरा प्रताव स्वीकार नहीं है और आपने उसे उसे नापसंद किया है मैंने इस प्रकार से भाभी को प्रोत्साहित किया कि वह मुझे चुंबन करने लगी. फिर मैंने पहले भाभी के माथे पर और फिर आँखों और फिर होठों पर चूमा।

रुपाली ने कहाः " काका मुझे कुछ हो रहा है मैं अपने को कंट्रोल नही कर पा रही हू तो मैं बोला भाभी मैं मदद करू तुम्हारी इतना कहते ही मैं उस से लिपट गया और उनके गालो का चुम्बन किया थोड़ी देर मैं उनसे लिपटा रहा फिर मैने उनके होंटो को चूसना शुरू किया पता नही कितनी देर मैं किस करता रहा फिर उन्होने किस को तोड़ा और मेरी ओर देखने लगी. अब मेरा मन तो कर रहा था कि बस चूमता, चाटता रहूँ और अपनी बाहों में जकड़ कर मसल डालूँ और जिंदगी भर ऐसे ही पड़ा रहूँ और उफ क्या-क्या नहीं करूँ!




मैंने चुंबन लेने प्रारंभ किए। मैं उसकी जीभ और उपर नीचे के होठों को चूसने लगा। मैं उसके होठों को पूरी तरह से जकड़ उसका पूरा साँस अपने फेफड़ो में ले लेता जिससे वह बिना साँस के व्याकुल हो छटपटाने लगती और जब उसे छोड़ता तो ज़ोर-ज़ोर से साँस भरने लगती। यह क्रिया काफ़ी देर तक चली l

मैने दुबारा किस करना शुरू किया और धीरे से अपने हाथ उनकी पीठ पर फेरता रहा अब भाभी की साँसे उखड़ने लगी थी मेरे हाथ उनकी गोलमटोल सुडोल छातियों पे पहुँच गये थे जैसे ही मैने उनकी चूचियो को हल्का सा दबाया और मेरे हाथ रुपाली भाभी की चूचियो पर कस गये उनके मूह से एक हल्की सी सिसकारी निकल गयी जिस से मैं और उत्तेजित हो गया l मैं अपनी जीभ से चूची को चाट चाट कर मजा लेना शुरू कर दिया. शहद में डूबी चूचियों को मैं खींच खींच कर चूसने लगा.

मैने भाभी की चोली की डोरियों को खोल कर उतार दिया और एक चूची को अपने मूह मे भर कर चूसने लगा और दूसरी को अपने हाथ से मसल्ने लगा जैसे जैसे भाभी की निप्पल को चूस्ता गया उनके मूह से उफ हाय आह ईईई जैसी आवाज़े निकालने लगी फिर मै रुपाली भाभी के स्तनों पर आ गया। मैने पहले धीरे-धीरे स्तन मर्दन करना प्रारंभ किया। फिर चूचुक पर धीरे-धीरे जीभ फेरनी शुरू की। इससे रुपाली भाभी की काम ज्वाला भड़क के सातवें आस' मान पर जा पाहूंची। वह व्याकुल हो उठी।

मैं बारी बारी से रुपाली भाभी की दोनो चुचियो को चूसता रहा फिर मैंने रुपाली भाभी को खड़ा किया और उनके लहंगे का नाडा खींच दिया जैसे ही वो नीचे गिरा तो अब भाभी ने बड़ी स्टाइलिश पैंटी पहनी हुई थी . जिसकी डोरिया खोल कर मैंने भाभी को वस्त्रहीन कर दिया

फिर भाभी ने स्त्री सुलभ शर्म के कारण अपने हाथों से अपना चेहरा ढंक लिया लेकिन मैंने भाभी को धीरे धीरे सहलाना और उसकी अलग अलग अंगो को चूमना जारी रखा जिससे वो अपनी इस स्थिति की आदी हो गयी मैंने अपना कुरता और लुंगी उतार फेंकी और उसके हाथ उसके चेहरे से दूर करने के लिए खड़े होकर उसके हाथ पकड़ कर उसके ओंठो पर एक आवेशपूर्ण चुंबन किया जब मैंने ऐसा किया तो मेरा लंड जाकर भाभी को जांघों के बीच जा लगा। मेरे लंड ने भाभी की योनि के नग्न होंठों का चुंबन लिया । इससे भाभी का चेहरा शर्म से गर्म हो लाल हो गया है और वो मुझसे लिपट गयी और उसकी बाहे मेरी पीठ पर चली गयी.




मैंने भाभी को अपनी गोदी मे बिठा लिया और उनको किस करने लगा मेरे हाथ उनकी चुतडो पर पहुच गये और मैं उन्हे सहलाने लगा मेरा लंड उनके चुतडो की दरार पर महसूस हो रहा था अब मैने भाभी को लिटा दिया और उनके बदन को चूमना शुरू कर दिया भाभी की पप्पी लेते लेते मैने एक हाथ उनकी चूत पे रख दिया और उसको सहलाने लगा. भाभी ने अपनी चूत बिलकुल साफ़ की हुई थी ..

मैंने भाभी को मसलना शुरू ककिया तो भाभी बोली प्लीज अब गहने उतार दो ये चुभ रहे हैं .. तो मैंने एक एक करके सब गहने उतार दिए और जिस गहने को उतारता गया वह वह किस करता गया l

साथ साथ मै रुपाली भाभी के स्तनों के दबाता और उसके चुचकों को मसलने लगा रुपाली भाबी इससे चूत मैं लंड लेने के लिए व्याकुल हो उठी। पर मुझे तो कोई जल्दी थी ही नहीं . तब मैं भाभी की नाभी के इर्द गिर्द जीभ फेरने लगा। कभी-कभी बीच मैं उसकी झांटों मैं हल्के से अंगुली फिरा देता। साथ मैं वह उस के नितंबों के नीचे अपनी हथैली ले जा उन्हे सहलाए भी जा रहा था और उस के गोल नितम्बो पर कभी-कभी हलके से नाख़ून भी गाढ रहा था। इन क्रियाओं के फल स्वरूप भाभी ज़ोर-ज़ोर से साँस लेने लगी और मुझ से चोदने के लिए विनती करने लगी।

मैने भाभी की मांसल केले के पेड़ जैसे तनी चिकनी जाँघो को चूमना शुरू किया और मैने अपने होंठ भाभी की चूत पे रख दिए और ऐसा करते ही भाभी का पूरा बदन कांप उठा

मेरा मन कर रहा था अब एक ही झटके मे लंड पूरा घुसा दूं पर मैं इस रात को यादगार बनाना चाहता था मैने अपनी जीभ अंदर घुसा दी और भाभी की चूत को अपने मूह मे भर लिया और भाभी की सिसकारियो से कमरा गूँज उठा तो मैंने अपना हाथ उसके मुँह पर रख दिया ताकि उसकी कराहे सुन कोई जाग न जाए . तो भाभी बोली आप चिंता मत करो कोई नहीं आएगा ,, आज खाने में मैंने आपकी दी हुई थोड़ी सी नींद की दवाई मिला दी थी .. सब आराम से सुबह तक सोयेंगे आप बस मजे लो

तब मैंने रुपाली भाभी की चूत मैं एक अंगुली डाली। मैं धीरे-धीरे उसके चूत के दाने पर अंगुली के अग्रभाग से छेड़ रहा था। फिर मैंने दो अंगुल डाली और अंत मैं तीन अंगुल उसकी चूत मैं डाल दी। मैं ऐसे ही काफ़ी देर तक उस' की अंगुल से चुदाई करने लगा तो वो उछल पड़ी और मेरे बालों को अपने हाथ में लेकर सिसकारी भरने लगी और बड़बडाने लगी कि काका 10 साल से मेरे पति ने मुझे चोदा नहीं है मेरी प्यास तुमने आज और भड़का दी है.

भाभी गान्ड उपर उठा-उठा के झटके देने लगी मानो उसका पूरा हाथ ही अपनी चूत मैं समा लेना चाहती हो। आधी से अधिक रात्री बीत चुकी थी। और भाभी ने अपने दोनो हाथ मेरे सिर पे रख दिए और मेरे सर को अपनी चूत पे दबाते हुए बोली " काका मेरा सारा रस निचोड़ लो, अब तो मैं तुम्हारी ही हूँ आह ओह्ह ओह! भाभी की साँसे उखड़ने लगी थी

भाभी मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पे रगड़ने लगी थोड़ी देर रगड़ने के बाद वो मेरे कान मे बोली अब देर मत करो घुसा दो अंदर तो मेने हल्का सा धक्का मारा तो सुपाडा चूत मे चला गया भाभी ने अपनी टांगो और गांड को टाइट कर लिया था जिससे उनकी गर्म चूत काफ़ी टाइट ही गयी थी और उनके मूह से आह की आवाज़ निकल गयी.

तब मैंने बहुत ही शान्ती के साथ उसकी योनि मैं अपने लंड पर बहुत सारा शहद लगाकर जोर का धक्का दे मारा और अपना लिंग घुसा दिया और लंड को थोड़ा थोड़ा आगे पीछे घूमा फिरा कर उसकी चूतके अंदर की हर जगह को छूने लगा .

मैने एक झटका और मारा और आधा लंड अंदर डाल दिया वो बोली थोड़ा धीरे से डालो आपका लंड बहुत बड़ा है फेयर मैंने एक धक्का और मारा और मेरा लंड पूरा उनकी मस्त चूत मे घुस गया भाभी की सिसकी निकल गयी उन्होने अपनी आँखे बंद करली मैने हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिए

जब भी भाभी अपनी चूत से लंड को कस के निचोड़ना चाहती। मैं अपना आधे से ज्यादा लंड बाहर निकाल लेता . भाभी ने ज्यादा मजा लेने के लिए अपनी टांगो और गांड को टाइट कर लिया था जिससे मुझे लंड घीउसते हुए एकदम टाइट नयी कुंवारी चूत के जैसे मजे आ रहे थे .




। थोड़ी देर मे वो भी सहज होने लगी और उन पलो का आनंद लेने लगी हमारे होंठ एक दूसरे के होंठो से जुड़ गये और हम एक दूसरे मे समाते चले गये उन्होने अपनी जाँघो को फैला दिये ताकि मैं खुल के धक्के मार सकु 15 मिनिट तक ऐसे ही धक्के लगाने के बाद मेरा लंड उसकी चूत की हर दीवार का घर्षण कर रहा था। रुपाली भाभी अब मेरी चुदाई से अब तक आत्मसमर्पण कर चुकी थी। मैं अब आराम से उसके मम्मे दबाते हुए उसको चोद रहा था। फिर भाभी खुद अपनी गांड को आगे पीछे कर चुदने का मजा लेने लगी थी।

भाभी ने अपनी जांघे मेरी कमर के पे लिपटा दी और बोली शाबाश काका ऐसे ही जोर से करो लगे रहो तभी उनका बदन ऐंठ गया और चूत की चिकनाई बढ़ गयी और कि वो चर्म सुख की ओर बढ़ गयी. फिर अचानक से भाभी ने मुझे कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया और झड़ गयी और मुझे चूमने लगी.

चोदो काका मुझे चोदो, और जोर से और फिर मैंने उसकी जमकर धुनाई करते हुई चुदाई की और उसको 2 बार और झड़ाने के बाद अपना रस उसकी चूत में ही डाल दिया.
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]कुछ देर वो मजा आ गया कर ऐसा कहते हुए वह उठी और मुझे अपने लिप्स और जीभ से चाटने लगी . उसके ऐसा करने से मैं जोश में भर कर अपना लंड उसकी चुत में घुसेड़ दिया , और जैसे माखन की टिकिआ में चाकू जाता है उसी सरलता से वह अंदर चला गया . और मेने उसकी बेरहमी से उछाल उछाल कर चुदाई की और उसने भी चूतड़ उठा उठा कर अलग अलग आसान में चुदाई का मज़ा लिया और मैंने ढेर सारा वीर्य उसकी योनि में छोड़ा

कहानी जारी रहेगी
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-31


सुपर संडे - रूपाली के साथ[/font]



[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]रुपाली भाभी की बेरहमी से उछाल उछाल कर चुदाई करने के बाद हम ऐसे ही लिपट कर सो गए

सुबह चार बजे मेरी आँख खुली तो रुपाली भाभी मुझसे से चिपट कर सो रही थीं. वे मेरे सीने से लिपटी हुई सोते हुए बड़ी प्यारी और मासूम लग रही थीं, उसे देख मुझे उन पर प्यार आ गया और धीरे से मैंने उसके होंठो को चूमा . मेरे स्पर्श से वह जग गईं और बड़े प्यार से बोलीं- मेरी आँख लग गयी थी.

मैंने प्यार से उनके गुलाबी होंठों को चूमते हुए पूछा- क्या आपको अच्छा लगा? मजा आया ?

वे धीरे से बोलीं- अच्छा भी लगा ... मजा भी बहुत आया ... और मैंने कितने साल से सब्र किया हुआ था मेरे पति के साथ तो चुदाई करने का मौका ही नहीं मिलता था पर तुमने मेरी ऐसी चुदाई की है की मैं सोच रही हूँ तुमसे रोज चुदे बिना अब कैसे रह पाऊँगी

मैंने कहा- भाभी आप बहुत सुन्दर, गोरी और मेरे से बड़ी होने के बावजूद मस्त माल हो. दो बच्चो की माँ होकर भी कॉलेज जाने वाली लड़की जैसी दिखती हो और आपकी चूत भी अभी तक टाइट है और आपके स्तन भी गोल मटोल और बिलकुल ढलके हुए नहीं हैं आपको देखकर तो मैं पहली नज़र में ही आपका दीवाना हो गया था अब तो मेरा मन अब बेकाबू हो गया है

भाभी बोली काका अब आप मेरी जान हो आओl मुझे ऐसे ही प्यार करते रहना.[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैंने भाभी की बात सुन कर मस्ती में उनकी चूची मसल दी तो कराहते हुए उन्होंने मेरे होंठों को चूम लिया- आराम से करो मैं अब तुम्हारी ही हूँ.

मैंने फिर से चूची मसली तो शरमाते हुए उन्होंने कहा- आपने मुझे बड़ी बेरहमी से चोदा है, देखो मेरी कैसे सूज गयी है.

रुपाली भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चुत पर रख दिया. सच में भाभी की चुत एकदम सूजी हुई थी. मैंने प्यार से चुत को ऊपर से ही को सहलाया ... फिर मैं उनके होंठों को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगीं. मैंने अपनी जीभ उनके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगीं. मैंने भी उनकी जीभ को चूसा. मेरी जीभ जब उनकी जीभ से मिली, तो उनका शरीर सिहरने लगा और वे रिसने लगीं क्योंकि मेरे हाथों को उनकी चुत गीली गीली लगने लगी थी. उसके बाद मैं अपने हाथों से उनके मस्त मोमे दबाने लगा. एक पल बाद ही मुझे उनका निप्पल कड़ा होता सा महसूस हुआ.

अपनी उंगलियों से मैंने निप्पल को खींचा तो वो कराह उठीं- आआह धीरे मेरे राजा धीरे ... देखे कैसे सूज गए हैं और बहुत दुख रहे हैं.

मैंने निप्पल को किस किया और फिर उनके होंठों को चूमा. फिर मैंने उन्हें दबोच लिया और उनके रसीले होंठों को किस करने लगा.

जिसका उन्होंने बड़ी कामुक और मादक अंदाज में जवाब दिया. वह बोलीं- काका धीरे से करो घर में बच्चे और मानवी भाभी भी हैं और सुबह भी होने वाली हैं .

रुपाली भाभी की गोल गोल चूचियों से भरी उनकी छाती और भरे भरे गालों के साथ उनकी नशीली आंखें, मुझे नशे में कर रही थीं.

मैं उन पर चढ़ कर बेकरारी से उनको चूमने लगा. चूमते वक्त हमारे मुँह खुले हुए थे ... जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थीं ... और हमारे मुँह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था. मैं कम से कम 15 मिनट तक उनके होंठों का किस लेता रहा. साथ मेरे हाथ उनके मम्मों को दबाने में लगे हुए थे, वो भी मेरा साथ देने लगी थीं.

मैं उनकी चुचियों को बेरहमी से मसलने लगा और वो मादक आवाजें निकालने लगीं- उम्म्ह... अहह... हय... याह...

मादक आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थीं फिर मैंने उनके मम्मों को चूसना शुरू कर दिया. उनके मम्मे कड़क हो गए थे और चूचियां कह रही थीं कि हमें जोर से चूसो.

कुछ देर तक अपनी होने वाली भाभी के स्तनों को चूस कर मजा लेने के बाद मैंने उनके स्तनों पर कमरे में रखी बोत्तल उठा कर बहुत सारा शहद डाल दिया. भाभी खुद अपने स्तनों पर शहद टपकते देख और ज्यादा उत्साहित हो गई थीं. फिर मैंने भाभी की आंखों में झांका, भाभी भी वासना से मेरी आंखों में झाँक रही थीं.[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं अपनी जीभ से रुपाली भाभी की चूची को चाट चाट कर मजा लेना शुरू कर दिया. मैंने उन्हें देखते हुए ही उनकी एक चूची को मुँह में ले लिया और भूखे जानवर की तरह भाभी के स्तन चूसने लगा. शहद में डूबी चूचियों को मैं खींच खींच कर चूसने लगा. भाभी जोर जोर से कामुक सिसकारियां ले रही थीं. मैं बोला भाभी ज्यादा आवाज मत करो कोई आ सकता है .

रुपाली भाभी कह रही थीं- आह चूसो न . मैंने फिर से उनके स्तन चाटने लगा. अब भाभी दबी हुई आवाज में गर्म सिसकारियां ले रही थीं.

मैंने अपना बांया हाथ उसके शरीर पर घुमाते हुए उसकी चूत के छेद पर रख दीया और उसे मसलने लगा । रुपाली भाभी और बुरी तरह से छट्पटाने लगी। सालो से उसके अंदर दबी पड़ी कामवासना अब भड़क गयी थी। थोड़ी देर में अपना मुंह रुपाली भाभी के कान के पास ले गया और धीरे से उसके कान में बोला " अब तुम्हे जीवनभर अपनी बना कर रखूंगा। मैं पिछले कई महिनों से तरस रहा था रुपाली भाभी तुम्हारी चूत के लिये। आआआह्ह्ह्ह्ह तुम कितनी खूबसूरत हो आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह तुम्हारा गदराया बदन तो कयामत है मेंरी रानी ।

चूचियों के बाद मैंने भाभी की गहरी नाभि. और चूत में शहद डाला और नाभि में जीभ घुसा कर चूसने लगा.

आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह फिर मैंने अपना मुँह रुपाली भाभी की चिकनी चूत पर रख दिया. अब वो उसकी चिकनी चूत की फ़ांको पर अपनी जीभ रगड़ने लगता है और उसके चूत के अंदर के गुलाबी भाग को अपनी जीभ से सहलाने लगता है । रुपाली भाभी मारे उत्तेजना के पागल हो जाती है और अपनी चूत जोर जोर से हिलाने लगती है। अब मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के छेद में ड़ाल कर उसे अंदर बाहर करने लगता है।

इस तरह जीभ के अंदर बाहर होने से रुपाली भाभी थरथराने लगी और वो बुरी तरह से उत्तेजित हो गयी । वो आंखे बंद किये अपना सर तेजी से इधर उधर पटकने लगी , जिसने मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित कर दिया और मैं और भी अधिक जोश से रुपाली भाभी की चूत को चूसने लग गया ।

चूत इस बुरी तरह से चूसे जाने के कारण रुपाली भाभी का खुद से नियंत्रण पूरी तरह से खतम हो गया था और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे चिकना पानी निकलने लगा । मेरा लंड़ अब बुरी तरह से झटके मार रहा था और बुरी तरह से दुखने लगा था, और यदि इसे जल्दी से रुपाली भाभी की चूत में ना ड़ाला तो ये फट जायेगा।

फिर मैंने अपने लंड पर बहुत सारा शहद लगाकर जोर का धक्का दे मारा. मैं लंड पेलने के बाद कुछ देर के लिए उनके ऊपर ही पड़ा रहा. और मैं उनके स्तनों को चूसने लगा. अपने एक हाथ से उनके बालों और कानों के पास सहलाने लगा था. फिर कुछ ही देर के बाद मैंने उनके कानों को भी चूमना शुरू कर दिया. अब कुछ पल बाद वो फिर से गर्म हो गईं और उनकी कमर ने हिल कर मेरे लंड को इशारा दिया.

मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया ... तो पहले पहल वो चिल्लाईं, लेकिन फिर कुछ देर के बाद चुप होकर लंड को जज्ब करने लगीं. मैंने 10-15 जोर से धक्के मारे और साथ साथ भाभी को किस करने लगा. मैं लंड को पूरा अंदर जड़ तक घुसा कर भाभी की चूत चुदाई करने लगा. वो पूरी मस्ती में थीं ... मस्ती में सिसकारियां ले रही थीं- अआहह आआइईई ... काका और करो ... आह काका बहुत मजा आ रहा है.

फिर मैंने भाभी की चूत चुदाई करने की स्पीड और तेज कर दी. सच में भाभी की चूत टाईट थी मुझे चुदाई करने में मजा आ रहा था. कुछ देर तक चुदवाने के बाद भाभी बोलीं- काका और तेज करो आह आह.. काका मुझे कुछ हो रहा है और अपने चुतर ऊपर को उठा कर मेरे धक्को से ताल मिलाने लगी …. मैंने और जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. मैंने कमर उठा आकार लम्बे लम्बे धक्के देना चालू कर दिए. मैं भाभी की चूत में जोर जोर से धक्के लगाता रहा करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद रुपाली भाभी आह… आह…. अहहहहह करते हुए झड़ गईं.

इसके बाद मैंने उनको घोड़ी बना दिया. अब मैंने उनकी चूत में पीछे से लंड को डालकर चोदना शुरू किया. .

रुपाली भाभी भी मस्ती में गांड आगे पीछे कर मेरा साथ देने लगीं. मैं उन्हें लगातार धक्के देकर चोदता रहा. बीच बीच में पीछे से उनके मम्मों को पकड़ कर दबाता भी रहा. जब मैं उनके मोमे दबाता था, मैंने करीब दस मिनट तक लगातार उनको उसी पोज़िशन में चोदा, उनकी हालत बुरी हो गई थी ... वह झड़ चुकी थीं. और निढाल हो कर पेट के बल लेट गयी[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं भी नीचे लेटा उन्हें सीधा किया को बेकरारी से चूमने लगा. चूमते हुए हमारे मुँह खुले हुए थे, जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थीं. मैंने रुपाली भाभी की फिर जम कर चुदाई की भाभी कई बार झड़ने के बाद निढाल हो रही थीं. आखिरी बार हम दोनों एक साथ झड़ गए.

सुबह हुई तो भाभी का चेहरा ख़ुशी से चमक रहा था. मैंने उसके गाल पर एक प्यार भरा चुम्बन दिया, तो उसने मुस्कुराते हुए मुझे किस किया और मुझे प्यार से अपनी बांहों में भर लिया. और हमने एक दुसरे के साथ ऐसे ही प्यार करते रहने का वादा किया .

उसके बाद वो मुझे बोली काका आप दुसरे कमरे में चले जाओ मैं कमरा साफ़ करके ठीक कर देती हूँ .. उसके बाद सुबह मैं पहले मंदिर गया और महर्षि द्वारा बातये गए पांच दाएं और पूजा पाठ किये वहां मुझे हेमा . ईशा और रीती मिली और मैंने उससे आगे के कार्यक्रम के बारे में चर्चा की .. चुकी अब मैं कुछ दिन छुट्टी पर जाने वाला था इसलिए फिर दिन में मैं थोड़ी देर ऑफिस गया और स्टाफ को जरूरी हिदायते दे आया और फिर मेरी माँ और पिताजी दिल्ली से आ गए और एयरपोर्ट पर हेमा ने उन्हें भाई महाराज हरमोहिंदर जी के पास ले जाने की सारी व्यवस्था की हुई थी ..

उस गर्म दोपहर में तीन घंटे में सड़क के मार्ग से हम हमारे पैतृक निवास स्थान में पहुंचे।

ये हम सबका अपने पैतृक स्थान का पहला दौरा था अपने पैतृक निवास स्थान के प्रवेश द्वार पर ही मेरे चचेरे भाई महाराज हरमोहिंदर जी अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ हमारा स्वागत करने के लिए उपस्थित थे।[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]उन्होंने [/font][font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]हमे दरवाजे पर गर्मजोशी से गले लगाया और उसकी सभी रानिया जो बेहद खूबसूरत थी जिनकी आयु 25-35 के बीच थी और सुन्दर साड़ी और आभूषण पहने हुई थी सबने हस्ते हुए हम सबका स्वागत किया और हम पर इत्र और फूल छिड़कते हुए शाही स्वागत किया ।

कुछ देर आराम और चाय नाश्ता करने के बाद मैं अपने चचेरे भाई महाराज हरमोहिंदर जी के साथ हमारा पूरा निवास स्थान देखने गया था। यह एक बड़ा और भव्य महल नुमा घर था। जिसे काफी अच्छी तरह से बनाए रखा गया था और पंजाब में हमारी हवेली, दिल्ली और लंदन में हमारे घर भी इसी तरह के डिजाइनों पर बनाए गए थे।

महाराज हरमोहिंदर जी ने मुझे सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित एक विशेष और भव्य कमरा रहने के लिए सौंपा।


अध्याय 5 समाप्त

कहानी जारी रहेगी
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,][size=x-large]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे[/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,][size=x-large]CHAPTER- 6[/font][/size]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,][size=x-large]विवाह, यज्ञ और शुद्धिकरन [/font][/size]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,][size=x-large]PART 01-  पैतृक स्थान[/font][/size]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मेरे चहेरे भाई  महाराज हरमोहिंदर जी  का और  हिमालय  की रियासत के महाराज वीरसेन की सुपत्री का विवाह   महाराज वीरसेन के महल में हिमालय नगरी में होना  था  और फिर गुरुदेव ने इसके  लिए परिवार के कुछ लोगो को  विवाह से दो दिन पहले उनके आश्रम में आने की आज्ञा दी थी ताकि यज्ञ और शुद्धिकरन की प्रक्रिया पूरी की जाए.[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]इस विवाह में  शामिल होने के लिए भाई  महाराज हरमोहिंदर जी  के निमंत्रण  पर मेरे पिताजी और माँ  दिल्ली से सूरत आ गए थे और फिर मैं उनके साथ महाराज की गुजरात , राजस्थान और मध्यप्रदेश तीनो राज्यों के सीमान्त पर स्तिथ  हमारी पुश्तैनी रियासत में हमारे पुश्तैनी निवास स्थान में चले गए . [/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]तीन घंटो के सफर में रास्ते भर में मैं  शनिवार और रविवार के बारे में सोचता रहा जिसमे ये रविवार सुपर संडे की तरह गुजरा जिसमे सुबह सुबह मैंने और रुपाली भाभी ने सम्भोग किया  फिर ईशा हे के साथ दोपहर में  , मानवी भाभी के साथ  शाम को पार्क में और रुपाली भाभी के साथ पूरी रात सेक्स किया. [/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]दोपहर में तीन घंटे में सड़क के मार्ग से हम हमारे पैतृक निवास स्थान में पहुंचे जहाँ  प्रवेश द्वार पर ही मेरे चचेरे भाई महाराज हरमोहिंदर जी अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ  हम पर इत्र और फूल छिड़कते हुए हमारा शाही स्वागत किया ।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं अपने चचेरे भाई महाराज हरमोहिंदर जी के साथ भव्य महल नुमा  निवास स्थान देखने गया और पंजाब में हमारी हवेली, दिल्ली और लंदन में हमारे घर भी इसी तरह के डिजाइनों पर बनाए गए थे।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]महाराज हरमोहिंदर जी ने मुझे सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित एक विशेष और भव्य कमरा रहने के लिए सौंपा।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]कमरे में ईशा और रीती उपस्थित थी और हेमा ने बोला कुमार  आप सफर करने के बाद  थक गए होंगे अब  रीती आपकी मालिश कर देगी तो  मैंने अपने सब  कपडे निकाल दिए  और रीती ने हरे रंग के तेल की शीशी  से तेल लेकर वह मेरे ऊपर झुककर अपने हाथों से मालिश करने लगी.[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]वह मेरे कंधों और बाजुओं पर अपने नर्म हाथों को फिराने लगी.  मेरी छाती पर थोड़ा हाथ मसलने के बाद रीती  मेरे पाँव की मसाज करने लगी.  दादा गुरूजी द्वारा प्रदान किये गए  जड़ी बूटियों वाले इस तेल की सुगंध से बहुत अच्छा महसूस हो रहा था और  जल्द ही थकान मिट गयी.[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]फिर  मैंने स्नान किया तो स्नान घर में  बाल्टी में भी  जड़ी बूटी वाला पानी था और  उसमे से भी  बड़ी मनमोहक  खुशबू आ रही थी.  उससे स्नान करने के बाद मैं एकदम तरोताज हो गया और साड़ी थकान  मिट गयी  [/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]फिर थोड़ी देर में  हमे बैठक में बुलाने हेमा आयी वहां पिताजी मेरी माँ,  भाई महाराज और राजमाता  के साथ हमारे कुलगुरु आये और उन्होंने  बताया  की महाराज के विवाह  से पहले परिवार के रीती रिवाज के अनुसार   छोटे से यज्ञ का अनुष्ठान किया जाएगा  और इसमें मेरे पिताजी जो परिवार के अग्रज हैं  उन्हें भाई महाराज के विवाह  अनुष्ठान को पूरा कर्म का संकल्प लेना होगा .. उसके बाद परिवार की महिलाये कुछ जरूरी रस्मो को करेंगी .. और इस  संकल्प लेने के बाद  सबसे पहले यही  कार्य पूरा किया जाएगा. [/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]फिर  भाई महाराज ने पिताजी से मेरे बारे में बात करते हुए पुछा आपने  राजकुमारी ज्योत्स्ना से मेरे विवाह के बारे में क्या सोचा है   .. महर्षि ने बोलै है  अब  दीपक का विवाह भी शीघ्र करना  होगा.  तो पिताजी ने बोलै हम पहले एक बार राजकुमारी ज्योत्स्ना से मिलना चाहेंगे ..[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]तो भाई महाराज ने हिमालय राज महाराज वीरसेन  से पता किया तो मालूम चला कामरूप क्षेत्र के महाराज उमा नाथ  परिवार सहित  वापिस कामरूप चले गये हैं   तो फिर कुछ देर बाद  हिमालय राज महाराज वीरसेन ने  ज्योत्स्ना के पिता महाराज उमा नाथ से बात कर हमे शीघ्र कामरूप आने के लिए आमत्रित किया .. [/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]तो भाई  महाराज  ने अगले ही दिन कामरूप जाने का  कार्यक्रम बना दिया   .[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]फिर रात के खाने के बाद  नाच गाने का एक कार्यक्रम हुआ  जिसमे कलाकारों  और नर्तक मण्डली ने सुन्दर लोक नृत्य और लोक संगीत  का कार्यक्रम पेश किया .[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]कहानी जारी रहेगी[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]दीपक कुमार[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]CHAPTER- 6[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]विवाह, यज्ञ और शुद्धिकरन[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]PART 02-  गुप्त राज [/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]भोजन हुए नाच गाने के कार्यक्रम के बाद  पिता जी आराम करने चले गए  मैं और  भाई महाराज के साथ महल में चहल कदमी करने लगे. घुमते घुमते हम  भवनों के पीछे एक बहुत बड़ा सुन्दर बगीचा तक चले गए  जिसके बीचो बीच एक मंदिर था और भाई महाराज ने बताया ये हमारे कुल देवता नागराज का मंदिर है जिनके दर्शन हम कल प्रातः काल में करेंगे l जिसके  पीछे कुछ खेत और चरागाह भूमि थी और उसके पीछे काफी बड़ा जंगल है l मुझे  महाराज ने वह सब कुछ दूर से दिखाया l [/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]भाई महाराज  लौटते हुए ने एक बार फिर मुझे  महल  दिखाया  जिसमे मुख्यता तीन बड़े बड़े भवन हैं l [/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]एक  हिस्से में रानिवास था l ये हिस्सा घर मुख्या हिस्से से थोड़ा अलग है l राज माता जी (मेरी ताई  जी)   और भाई  महाराज  की रानिया सभी  इस हिस्से में रहती थी l ये हिस्सा मुख्य भवन से थोड़ा सा बड़ा हैl जिसमे एक बहुत बड़ा हाल और काफी सारे  कमरे हैं l  इसी में  एक तरणताल भी था  और  महारानी  और अन्य रानियों के सभी सेविकाएं  इसी भाग  में रहती थी घर के इस हिस्से की  प्रमुख  राजमाता थी  और इसके इलावा इसमें  कुछ अन्य स्त्रिया भी  रहती थी ( हमारे यहाँ पुरुषो के द्वारा एक से अधिक स्त्रियाँ रखने की प्रथा रही है) l [/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]और फिर इसके इलावा तीसरे  हिस्से में कुछ सेवक सेविकाओं के कमरे थे जिनमे सेवक सेविकाएं और उनके परिवार रहते थे l [/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]सबसे आगे का एक भवन जिसमे बैठक वहां  रियासत की  जनता उनसे मिलने आती थी .. चुकी अब वे विधायक भी चुने गए थे तो वहां दिन में काफी भोड़ लगी ही रहती थी  और महाराज का दफ्तर था  जो काफी बड़ा और भव्य था जिसे काफी अच्छे से मेन्टेन किया गया था  और  उसके पिछले एक हिस्से में  भाई महाराज का निवास  कक्ष था l  इसी में महमानो का भी  कक्ष था  और मेरे लिए भी कक्ष इसी भवन में था. महाराज और  राजकुमार  इसी पहले मुख्य भवन में रहते हैंl इसमें काफी सारे कमरे थे. [/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]फिर महाराज मुझे अपने कक्ष में ले गए  और वहां  मुझे  कमरे में दाहिने हिस्से में रखे एक मूर्ति नजर आयी  हमारी दिल्ली और पंजाब के घर में भी बिलकुल  ऐसी ही मूर्ति थी  मैंने मूर्ति को घुमाया तो मूर्ति घूम गयी  और महाराज  के  बिस्तर के साथ  साइड में एक गुप्त दरवाजा खुल गया  बिलकुल वैसे ही जैसे    गुप्त दरवाजे का जिक्र मेरे दादाजी की डायरी में था और ऐसा ही दरवाजा हमारे घर में भी था. [/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैंने भाई महाराज से पुछा क्या आपको  ये राज मालूम था , भाई महाराज तो हैंरानी से मुँह खोले हुए देख रहे थे और उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था .. उन्हें देख मैं समझ गया उन्हें  इसके बारे में कुछ मालूम नहीं है [/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]अब इसमें आगे क्या था l ये जानने के लिए हमारा उसके अंदर जाना जरूरी था पर दरवाजे के अंदर अँधेरा था तो  मैंने  कहा महाराज  आप रुकिए  यहां पर  जरूर  रौशनी की व्यवस्था होगी  मैंने  मोबाइल में  टोर्च  चालु की  और हमने मूर्ति को वापिस घुमाया तो दरवाजा बंद हो गया और फिर उसे दूसरी दिशा में घुमाया तो दरवाजा फिर खुल गया l पर मुझे यहाँ दोनों का एक साथ अंदर जाना ठीक नहीं  लगा तो मैं बोला महाराज  ऐसी ही मूर्ति और  दरवाजा हमारे पंजाब , दिल्ली और लंदन वाले घर में भी है और उनका भी  नक्शा  इसी निवास स्थान जैसा ही है आप रुकिए  मैं अंदर जाता हूँ  अगर मुझे अंदर से अंदर दरवाजा खोलने का रास्ता नहीं मिला तो आप  5 मिनट बाद दुबारा मूर्ति हिला कर दरवाजा खोल देना l[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]अंदर जा कर मैंने  मोबाइल से टोर्च जला कर अंदर देखा तो वहां लाइट के स्विच नज़र आये उन्हें दबाया तो वहां रौशनी हो गयी और नीचे उतरने की सीढिया नज़र आयी मैं नीचे उतर गया आगे दीवार थी ।[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]वहां एक हैंडल भी था मैंने उसे घुमाया तो कमरे वाला दरवाजा बंद हो गया और सीढ़ियों के अंत में एक दरवाजा खुल गया मैंने उस हैंडल को उल्टा घुमाया तो कमरे का दरवाजा खुल गया और सीढ़ियों के अंत में खुला दरवाजा बंद हो गया । वहीँ मूर्ति के पास एक डायरी और एक  चाबी रखी हुई थी [/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैंने देखा आगे सब सुरक्षित है तो महाराज को बुला लिया   उस  डायरी में  जो  राइटिंग थी उसे भाई महाराज ने पहचान लिया वो लिपि  मेरी समझ में नहीं आयी  ये  डायरी  भाई महाराज के  दादाजी के दादा जी की थी  जिसे भाई महाराज में पढ़ लिया और उसमे  सबसे पहले हम दोनों  भाइयो का स्वागत किया था  और लिखा था यहाँ तक तब पहुंचा जाएगा जब  उनके भाई  जो उनसे  अलग  हो विदेश चले गए हैं  उनका वंशज  इस द्वार को खोल कर अंदर आएगा . [/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]उससे पहले उसके  अतिरिक्त इस द्वार को कोई नहीं खोल पायेगा जिसके लिए  हमारे कुल गुरु महर्षि बड़े अमर मुनि जी दो दादा गुरु महारिषि अमर मुनि जी की पिताजी और गुरु थे उन्होंने  इसे मंत्रो द्वारा अभिरक्षित कर दिया है .. और उन्होंने भविष्यवाणी की थी मैं जब मैं  आऊँगा तो   परिवार को मिला हुआ शाप समाप्त हो जाएगा   और फिर मैं  हिमालय में महर्षि से मिलने के बाद यहाँ आऊंगा तो बड़े ही आराम से इस स्थान पर आ जाऊँगा . [/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]उसमे लिखा था इस कमरे में ऊपर के कमरे जैसी तीन मूतिया रखी हैं जिनको घूमाने से तीन अलग अलग रास्ते खुलेंगे l उनमे से एक से वो दरवाजा खुलेगा जिससे हम कमरे से इस तहखाने वाले हाल में आये थे l दुसरे से रास्ता पहले मुख्या भवन के हाल में खुलता है तीसरे से रास्ता से तीसरे भवन के पास खुलता है और उसी से आगे एक रास्ता मैदान के पास बड़े बरगद का पास पेड़ो के झुण्ड में खुलता है और चाबी ऊपर रखी अलमारी की थी ।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मेरे पास मेरे फ़ोन में जो डायरी मुझे अपने दिल्ली वाले घर में मिली थी उसके उस पन्नो   की  फोटो थी जो मैं लिपि नहीं जानने के कारण से  नहीं पढ़ पाया था  मैंने वो भी महाराज को पढ़वाई .. और जो लिपि इस डायरी और मेरे दादा की डायरी में थी दोनों बिलकुल एक थी . और दोनों में यही बात लिखी हुई थी. [/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,] मुझे लगा चुकी ये एक गुप्त रास्ता है और इसका जिक्र दादाजी की डायरी में है तो सुरक्षित ही होगा मैंने    हैंडल घुमा कर कमरे का दरवाजा बंद किया और आगे का दरवाजा खुल गया l हम उस दरवाजे के अंदर गए तो वहां एक शानदार हाल था l जिसमे बहुत सुन्दर सुन्दर लड़कियों की बहुत कामुक मुर्तिया और कामुक अंतरंग चित्र कलाकृतिया लगी हुई थी l और कमरे के अंदर एक शानदार बिस्तर जिसपर आठ से दस लोग आराम से सो सकते थे ।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]किनारो पर शानदार आरामदायक सोफे लगे हुए थे l और हाल में एक बड़ा शानदार बाथरूम भी था ।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मेरे मुँह से अनायास निकला?बहुत शानदार" हमारे पूर्वज पूरे रसिक थे ।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पूरा हॉल साउंड प्रूफ था और  सुविधाओं से लैस था l  उस डायरी में ये भी लिखा था के किस प्रकार से सब दरवाजो को लॉक किया जा सकता था, जिससे कोई भी दरवाजा खोल न सके और साथ ही ये हिदायत भी थी के सुरक्षा की दृष्टि से ये राज गुप्त ही रखा जाए।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]हम दोनों हाल की सब लाइट इत्यादि बंद करते हुए और डायरी में बताये गए तरीके से दरवाजे लॉक करके वापिस मेरे कमरे में आ गए ।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]हमने  वापिस आ कर  महाराज के कक्ष में देखा तो वहां ऐसी ही दो मूर्तिया और थी l एक मुख्या भवन की और एक बायीं और थी जो की एक गुप्त रास्ता था जो घर के बाहर ले जाता था मैंने दोनों को घुमाया तो जैसा डायरी में बताया था  वैसे दो दरवाजे खुले ।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]फिर महराज  बोले  अब तुम आराम करो  बाकी खोज बीन कल करेंगे [/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,] मैं अपने कक्ष में आ गया  और मुझे  एक  संदूक दिखा  मैंने संदूक को  हाथ लगाया तो संदूक  खुद ही खुल गया  और उसमे  एक दूसरी डायरी और एक चाबी रखी हुई थी उसमे  ऐसी ही दो मूर्तिया की पेंटिंग बनी हुई थी और एक तीसरे पेज पर चाबी बनी  हुई थी    चौथे पेज पर  नागदेवता  का चित्र था जिसमे उनके आगे दूध का कटोरा रखा था  और अन्य पूजा सामग्री रखी हुई थी .  [/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,] चाबी उसकी के साथ  रखी अलमारी की थी ।   [/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]ये VOLUME 1  यही समाप्त कर रहा हूँ [/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]इसके आगे क्या हुआ अलमारी  खोलने  के बाद  क्या  मैंने  देखा और  आगे क्या हुआ  ये  पढ़िए  VOLUME 2 में[/font]
 
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