hotaks444
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मलीहा को संकोच करता देखकर मैंने कहा राफिया तुम्हारी आपी ही उठ जाएँगी या मुझे जाकर हाथ पकड़ कर उठाना होगा उन्हें। मेरी बात सुनकर राफिया बोली आप दोनों का आपस का मामला है मुझे तंग मत करो मुझे समोसा खाने दें आराम से। राफिया की बात सुनकर मेरी एकदम से हंसी निकल गई जबकि मेरी बात सुनकर मलीहा अपनी जगह खड़ी हो चुकी थी कि कहीं मैं वास्तव उसका हाथ पकड़कर उसे उठाने के लिए न आ जाऊ मलीहा काउन्टर के पास आई तो मैंने समोसों की एक प्लेट उसके सामने कर दी और सॉस की प्लेट भी उसके आयेज कर दी राफिया ने अपनी प्लेट से चम्मच उठाकर वह भी मलीहा की थाली में रखते हुए कहा चलें शुरू हो जाएँ , दोनों मिलकर खालें इसी चम्मच से मुझे तो हाथों से खाना अच्छा लगता है। मैंने कहा नहीं मैं तो नहीं खाउन्गा मैंने अभी रोटी खाई है मेरी बात सुनकर राफिया बोली वह तो आपने अकेले खाई है न, अब जरा बाजी के साथ भी थोड़ा खा देख लें शायद कुछ अपना अपना सा लगे। मलीहा उसकी बात सुन कर हल्का सा मुस्कुराई और बोली आप उसकी बातों का बुरा न मानें उसको तो बकवास करने की आदत है। मैंने कहा शुक्र है आप भी कुछ बोलीं वैसे आपकी बहन बकवास नहीं कर रही बल्कि उसने बहुत पते की बात की है। आज मैं भी तो देखूँ कि अपनी मंगेतर के साथ खाते हुए कैसा स्वाद आता है।
मेरी बात पूरी होने तक मलीहा एक चम्मच अपने मुंह में डाल चुकी थी तब मैं भी दूसरी चम्मच से समोसा तोड़ने लगा मगर फिर खुद ही वह चम्मच राफिया को वापस कर दिया और कहा राफिया मैंने सुना है कि एक ही चम्मच से खाने से प्यार भी बढ़ता है। राफिया के मुंह में समोसा था वह ऐसे ही समोसा खाते खाते बोली बढ़ती होगी, मुझे क्या पता मैं तो अभी बच्ची हूँ। उसकी बात सुनकर मैं हंस पड़ा और कहा नहीं तुम इतनी भी बच्ची नहीं। जबकि मेरा प्यार बढ़ने वाली बात सुनकर मलीहा ने अपना हाथ बढ़ाकर चम्मच मेरी ओर कर दिया था कि मैं भी इसी चम्मच से समोसा खा सकूँ जिससे मलीहा ने खाया था। मैंने वह चम्मच पकड़ा और थोड़ा सा समोसा अपने मुंह में डाल चम्मच वापस मलीहा को पकड़ा दिया और कहा वाह। । । इस चम्मच से तो समोसा भी मीठा मीठा लग रहा है। मेरी बात सुनकर मलीहा और राफिया दोनों ही मुस्कुराने लगीं। में पीछे होकर बैठ गया ताकि मलीहा आराम से खा सके उसने मुझे फिर से चम्मच पकड़ाया मगर मैंने यह कह कर मना कर दिया कि नहीं बिल्कुल जगह नहीं, आप पहले बताकर आतीं तो मैं आपके लिए कुछ अच्छा भी मंगवा लेता और हम तीनों मिलकर खाते, मगर आपके आने से पहले ही खाना खाया था अब अधिक गुंजाइश नहीं है मेरे पेट में
समोसे खाने के बाद राफिया और मलीहा दोनों ही गहने देखने लग गई और मैं बहुत शौक के साथ उन्हें दिखाता रहा। मैं जानता था कि उन्होंने लेना कुछ नहीं बस ऐसे ही समय बिताने की खातिर ज्वैलरी देख रही हैं। क्योंकि अभी मलीहा और मैं इतने फ्री नहीं हुए थे कि लम्बी लम्बी बातें कर सकते हों यह तो हमारी पहली मुलाकात थी। ज्वैलरी देखने के दौरान मलीहा एक दो बार अंडर गारमेंट की ओर भी नजर उठाकर देखती मगर फिर तुरंत ही फिर से गहने देखने में व्यस्त हो जाती। जब दोनों जी भर कर ज्वैलरी देख चुकीं तो राफिया ने मलीहा से कहा आपे चलें अब ??? मैंने कहा अरे इतनी जल्दी ??? राफिया ने कहा जीजा जी आपी के आने की खुशी में आपको समय का पता ही नहीं चला हमें आए घंटे से ऊपर का समय हो चुका है। मैंने दीवार घड़ी की ओर नज़र डाली तो वाकई 4 बजकर 15 मिनट हो रहे थे। उनको आए हुए 2 घंटे बीत चुके थे। और मेरी दुकान अब तक बंद थी जबकि इस समय तक दुकान खोल लेता था।
मलीहा ने भी कहा हां चलो चलते हैं। राफिया सोफे से अपना सामान लेने के लिए बढ़ी तो मैंने मलीहा का हाथ पकड़ कर उसे अपने पास रोक लिया और बहुत प्यार से उसकी तरफ देखते हुए कहा मलीहा आप पहली बार मुझसे मिली हो, मेरे पास यहाँ कोई बहुत कीमती चीज तो नहीं लेकिन मैं आपको एक छोटा सा उपहार देना चाहता हूँ अगर आपको आपत्ति न हो तो। मैंने महसूस किया कि मेरे हाथ में मलीहा हाथ कांप रहा था। शर्म की वजह से उसे समझ नहीं आ रही थी कि वह क्या करे। मुझे इस तरह उसका कांपता हाथ देखकर उस पर बहुत प्यार आया, मैंने हौले से उसके हाथ दबाया और धीरे से कहा आपका हाथ किसी गैर के हाथ में नहीं जो तुम इतना डर रही हैं, अब तो आप मेरी और मैं आपका हूँ। मेरी बात सुनकर मलीहा का हाथ तो नहीं रुका, वह लगातार कांपता ही रहा मगर उसके गालों पर लाली और होठों पर एक मुस्कान जरूर आई। इतनी देर में राफिया अपना सामान उठाकर वापस पहुंची तो मुझे ऐसा मलीहा हाथ पकड़ा देखकर बोली, ओ हो .... यहाँ तो रोमांस चल रहा है ऐसे ही कबाब में हड्डी बन गई। राफिया बात सुनकर मलीहा ने अपना हाथ छुड़ाना चाहा मगर मैंने नहीं छोड़ा और कहा बस एक मिनट ... यह कर कि मैं ऐसे ही वापस मुड़ा और आभूषणों में से एक अंगूठी निकाली जिसे पहले राफिया और मलीहा बहुत देर तक देखती रही थीं।
मेरी बात पूरी होने तक मलीहा एक चम्मच अपने मुंह में डाल चुकी थी तब मैं भी दूसरी चम्मच से समोसा तोड़ने लगा मगर फिर खुद ही वह चम्मच राफिया को वापस कर दिया और कहा राफिया मैंने सुना है कि एक ही चम्मच से खाने से प्यार भी बढ़ता है। राफिया के मुंह में समोसा था वह ऐसे ही समोसा खाते खाते बोली बढ़ती होगी, मुझे क्या पता मैं तो अभी बच्ची हूँ। उसकी बात सुनकर मैं हंस पड़ा और कहा नहीं तुम इतनी भी बच्ची नहीं। जबकि मेरा प्यार बढ़ने वाली बात सुनकर मलीहा ने अपना हाथ बढ़ाकर चम्मच मेरी ओर कर दिया था कि मैं भी इसी चम्मच से समोसा खा सकूँ जिससे मलीहा ने खाया था। मैंने वह चम्मच पकड़ा और थोड़ा सा समोसा अपने मुंह में डाल चम्मच वापस मलीहा को पकड़ा दिया और कहा वाह। । । इस चम्मच से तो समोसा भी मीठा मीठा लग रहा है। मेरी बात सुनकर मलीहा और राफिया दोनों ही मुस्कुराने लगीं। में पीछे होकर बैठ गया ताकि मलीहा आराम से खा सके उसने मुझे फिर से चम्मच पकड़ाया मगर मैंने यह कह कर मना कर दिया कि नहीं बिल्कुल जगह नहीं, आप पहले बताकर आतीं तो मैं आपके लिए कुछ अच्छा भी मंगवा लेता और हम तीनों मिलकर खाते, मगर आपके आने से पहले ही खाना खाया था अब अधिक गुंजाइश नहीं है मेरे पेट में
समोसे खाने के बाद राफिया और मलीहा दोनों ही गहने देखने लग गई और मैं बहुत शौक के साथ उन्हें दिखाता रहा। मैं जानता था कि उन्होंने लेना कुछ नहीं बस ऐसे ही समय बिताने की खातिर ज्वैलरी देख रही हैं। क्योंकि अभी मलीहा और मैं इतने फ्री नहीं हुए थे कि लम्बी लम्बी बातें कर सकते हों यह तो हमारी पहली मुलाकात थी। ज्वैलरी देखने के दौरान मलीहा एक दो बार अंडर गारमेंट की ओर भी नजर उठाकर देखती मगर फिर तुरंत ही फिर से गहने देखने में व्यस्त हो जाती। जब दोनों जी भर कर ज्वैलरी देख चुकीं तो राफिया ने मलीहा से कहा आपे चलें अब ??? मैंने कहा अरे इतनी जल्दी ??? राफिया ने कहा जीजा जी आपी के आने की खुशी में आपको समय का पता ही नहीं चला हमें आए घंटे से ऊपर का समय हो चुका है। मैंने दीवार घड़ी की ओर नज़र डाली तो वाकई 4 बजकर 15 मिनट हो रहे थे। उनको आए हुए 2 घंटे बीत चुके थे। और मेरी दुकान अब तक बंद थी जबकि इस समय तक दुकान खोल लेता था।
मलीहा ने भी कहा हां चलो चलते हैं। राफिया सोफे से अपना सामान लेने के लिए बढ़ी तो मैंने मलीहा का हाथ पकड़ कर उसे अपने पास रोक लिया और बहुत प्यार से उसकी तरफ देखते हुए कहा मलीहा आप पहली बार मुझसे मिली हो, मेरे पास यहाँ कोई बहुत कीमती चीज तो नहीं लेकिन मैं आपको एक छोटा सा उपहार देना चाहता हूँ अगर आपको आपत्ति न हो तो। मैंने महसूस किया कि मेरे हाथ में मलीहा हाथ कांप रहा था। शर्म की वजह से उसे समझ नहीं आ रही थी कि वह क्या करे। मुझे इस तरह उसका कांपता हाथ देखकर उस पर बहुत प्यार आया, मैंने हौले से उसके हाथ दबाया और धीरे से कहा आपका हाथ किसी गैर के हाथ में नहीं जो तुम इतना डर रही हैं, अब तो आप मेरी और मैं आपका हूँ। मेरी बात सुनकर मलीहा का हाथ तो नहीं रुका, वह लगातार कांपता ही रहा मगर उसके गालों पर लाली और होठों पर एक मुस्कान जरूर आई। इतनी देर में राफिया अपना सामान उठाकर वापस पहुंची तो मुझे ऐसा मलीहा हाथ पकड़ा देखकर बोली, ओ हो .... यहाँ तो रोमांस चल रहा है ऐसे ही कबाब में हड्डी बन गई। राफिया बात सुनकर मलीहा ने अपना हाथ छुड़ाना चाहा मगर मैंने नहीं छोड़ा और कहा बस एक मिनट ... यह कर कि मैं ऐसे ही वापस मुड़ा और आभूषणों में से एक अंगूठी निकाली जिसे पहले राफिया और मलीहा बहुत देर तक देखती रही थीं।