शादीशुदा बहन का गेट खोला - SexBaba
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शादीशुदा बहन का गेट खोला

hotaks444

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Nov 15, 2016
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हैल्लो दोस्तों, में आज आप सभी को अपने जीवन की एक सच्ची घटना को बताने जा रहा हूँ जिसमें मैंने अपनी बहन को एक होटल में ले जाकर चोदा और उसके साथ मस्त मज़े किए. वैसे में यह सब कुछ उसके साथ बहुत पहले से करना चाहता था, लेकिन किसी बात से डरता था और ठीक वैसा ही हाल उसका भी था, जो मुझे उसकी चुदाई करते समय पता चला.

दोस्तों उस दिन मेरे सामने वो सेक्सी मनमोहक द्रश्य आ गया और में उनको देखकर बड़ा चकित रह गया और अब मन ही मन में सोच रहा था कि काश वो नज़ारा एक बार फिर से मेरे सामने होगा, जिसमें मेरी बहन उषा दीदी मेरे सामने अपने सारे कपड़े उतार दे और में कुछ करूँ? जबकि मुझे उस समय तक सेक्स की आदत नहीं थी, लेकिन अब तो क्या वो सब हो पाएगा और यह बात सोचकर में अब अपने कमरे में आ गया.

उसके बाद में कॉफी ऑर्डर करके अपने हाथ मुहं धोने लगा और तभी मुझसे मेरी वो हॉट सेक्सी बहन उषा बोली अरे तुम भी नहा लेते. फिर मैंने उससे कहा कि नहीं दीदी आज गंगा में नहाएगे, वो मुझसे बोली कि तुम मेरी कॉफी को ढककर रख देना, में पहले नहा लूँ और कॉफी में उसके बाद बाहर आकर पी लूंगी और अब में कॉफी की चुस्की लेने लगा और मैंने तब सुना कि पास के उस बाथरूम से दीदी के नहाने की आवाज़ आ रही थी और उसको सुनकर मेरा मन हो रहा था कि में उसी समय बाथरूम में जबरदस्ती घुस जाऊँ और वहीं पर अपनी उषा रानी को चोद दूँ, लेकिन वो कहते है ना कि सब्र का फल हमेशा बहुत मीठा होता है इसलिए में अब कुछ देर तक सब्र करके बैठा रहा.

फिर थोड़ी ही देर में नल से टपकते हुए पानी की आवाज बंद हो गई और मेरे सामने एक सफेद रंग का टावल लपेटकर मेरी दीदी बाहर आ गयी, जिसमें और वो मेरे सामने आकर खड़ी होकर वो अपने बदन को ड्रॉयर से सुखाने लगी.

फिर में उनको देखकर मन ही मन में सोच रहा था कि उनका टावल अब गिरा कि गिरा, लेकिन दीदी ने उनका वो टावल गोरे बदन पर बहुत कसकर बंधा हुआ था और वो अब अपने पैरों को एक एक करके ऊपर उठाकर अपने पैरों को भी सुखा रही थी, जिसकी वजह से मुझे उनके टावल के अंदर का कुछ हिस्सा दिखाई दे रहा था और वो बिल्कुल साफ और चिकना, उनके दोनों पैर अलग अलग दिखाई दे रहे थे और वो बिल्कुल अपने आपमें बड़ी मस्त थी और अब मेरे सब्र का इम्तिहान बहुत हो चुका था और मेरे लंड को खड़ा करने के लिए यह सब बहुत था. अब उसने मुझे उसके कमरे से अपनी ब्रा और पेंटी को लाने के लिए कहा और में एक बिल्कुल शरीफ भाई की तरह उसके एक बार कहने पर ही तुरंत उठकर वो लेने चला गया.

फिर मैंने अपनी दीदी को उसकी ब्रा, पेंटी को लाकर उसको दे दिया और मैंने तभी उसका वो टावल एक जोरदार झटका देकर खींचकर उतार दिया और मेरी इस हरकत की वजह से वो बिल्कुल सन्न बड़ी ही चकित रह गयी और अब वो मेरी तरफ देखकर मुझसे बोली कि वाह भैया तुमने इतने साल लगा दिए अपनी यह हिम्मत दिखाने में, में तो कब से तुम्हारा यह जोश देखना चाहती थी. दोस्तों अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी और मेरा लंड मेरे अंडरवियर से बाहर आने को तड़प रहा था.

वो मेरी तरफ देखकर अब अपने शरारती अंदाज में हंसने लगी और उसने कुछ देर बाद आगे बढ़कर मेरी अंडरवियर का नाड़ा तोड़ दिया और वो मुझसे बोली कि ओह्ह्ह्हह वाह यह तो इतना लंबा है. बहुत अच्छा लगा इसको देखकर और यह मोटा भी और मुझसे इतना कहकर उसने झट से नीचे बैठकर मेरा लंड अपने मुहं में ले लिया वो मेरे टोपे पर अपनी जीभ को घुमाने लगी थी. वो यह सब किसी बहुत अनुभवी, लेकिन भूखी बिल्ली की तरह कर रही थी, जैसे कि उसको मेरे लंड को चाटने और चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा हो और उसके साथ साथ अब उसने मेरी जांघ को भी अपने एक हाथ से दबाना सहलाना शुरू किया और अब मेरा जोश धीरे धीरे बढ़ता जा रहा था इसलिए मैंने भी अब उसके दोनों बड़े आकार के बूब्स को पकड़कर ज़ोर ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया.

फिर वो अब कुछ परेशान सी हो गयी और वो मुझसे कहने लगी कि अब थोड़ा सा जल्दी से करो में तो पूरे सफर में बस इसके बारे में सोचती हुई आई हूँ इसलिए अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता, प्लीज़ तुम कुछ करो.

फिर मैंने उसको बेड पर पटक दिया और बिना किसी बात को सोचे मैंने एक जोरदार धक्का देकर उसकी चूत में अपना पूरा लंड डाल दिया, जिसकी वजह से वो पूरी तरह से हिल गई और फिर में उसको ज़ोर ज़ोर से धक्के मारकर उसकी चुदाई करने लगा.

फिर वो कुछ देर तक तो मेरे धक्को को बर्दाश्त करती रही, लेकिन फिर वो अब बहुत ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी और वो मुझसे बोलने लगी कि बड़ी देर कर दी भैया, नहीं तो बहुत पहले से ही तू बनता मेरा सैया, लेकिन अब भी कुछ ऐसा नहीं बिगड़ा तू आज अपना पूरा दम लगाकर डाल दे अपने लंड को और आज मेरी इस चूत को फाड़ दे ओह्ह्ह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ मेरे प्यारे भैया में कब से इसकी मस्त चुदाई के मज़े लेने के लिए तरस रही हूँ और आज तुम मेरी चूत को चोदकर मेरी प्यास को बुझा दो, मुझे चुदाई के पूरे मज़े दो.

दोस्तों अब उसकी चूत और मेरे लंड का वो असली खेल शुरू हो गया था और आराम से लेकिन जल्दी ही उसमे तेज़ी आ गयी और में भी ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चुदाई करने लगा और वो दर्द से चीख रही थी चिल्ला रही थी और मेरा वो उसकी चुदाई का कार्यक्रम अब भी जारी था.

फिर करीब दस मिनट तक उसको लगातार धक्के देकर चोदने के बाद वो अब धीरे धीरे शांत होने लगी थी, क्योंकि उसकी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया था और में भी कुछ देर धक्के देने के बाद अब झड़ गया. फिर मैंने अपने लंड का वीर्य उसकी चूत में पूरा अंदर तक डाल दिया और उसके बाद में थककर वैसे ही एक दूसरे से लिपटकर पड़े रहे और शाम को नहा धोकर पास ही के एक गार्डन की तरफ चले गये और उसके बाद पास के एक मंदिर में जा पहुंचे और हम दोनों देर रात तक घूमते रहे.

फिर वो मेरे कान के पास आकर मुझसे बोली कि मुझे तब बहुत भूख लगी थी इसलिए मैंने खा लिया और इसका असली इम्तिहान तो अब आज रात को होगा.

फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है उषा दीदी, तभी वो मुझसे बोली कि अब तो तुम मुझे दीदी ना कहो छोटू अब तो तुम्हारा लंड मेरी चूत के अंदर जा चुका है, तो मैंने कहा कि हाँ ठीक है मेरी उषा रानी पहले वो काम तो हम खत्म कर लें, जिसके लिए हम यहाँ पर आए है और अब वो कहने लगी कि अरे छोटू वो तो पंडित जी खत्म कर चुके होंगे, चलो अब उनकी फीस भी दे दी जाए, मैंने कहा कि हाँ ठीक है और हम लोग एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले पति पत्नी की तरह घूमते रहे और पंडित जी को कुछ पैसे देकर हम वापस अपने होटल की तरफ आ गये. फिर वहाँ पहुंचकर सबसे पहले हमने खाने का ऑर्डर दिया और साथ में बियर भी ले ली.

फिर खाने के साथ बियर के दो गिलास उषा रानी को और मैंने चार गिलास बियर चड़ा ली और अब हम अपने अगले प्रोग्राम के लिए तैयार होने लगे, तभी उषा बोली कि सबसे पहले परिचय हो जाए और इतना कहकर मेरी पेंट की चेन को खोलते हुए वो मेरे लंड को अपने एक हाथ में लेकर बोली कि छोटू के पास जो कुछ है वो बस यही है और इसको लंड बोलते है, अरे छोटू यह तो बहुत बड़ा हो गया है, पिछली बार जब मैंने देखा था तब तो यह आकार में बड़ा छोटा था एकदम तेरे नाम की तरह. फिर मैंने हंसकर कहा कि हाँ मेरी उषा रानी यह अब सयाना हो गया है पिछले दो तीन साल में इसकी लंबाई और मोटाई तीन इंच और 1.5 इंच बड़ी है हाँ मम्मी भी कभी कभी मेरे लंड को देखकर मुझसे कहती थी कि छोटू का यह हथियार बिल्कुल अपने मामा पर गया है, तो वो चकित होकर बोली कि क्या कहा तूने, क्या मम्मी ने मामा का लंड भी देखा था? तो मैंने कहा कि हाँ उन्होंने ज़रूर उनका लंड देखा होगा तभी तो वो मुझसे यह बात बोल रही थी.

अब उषा कहने लगी अच्छा उनका रिश्ता बहुत पुराना है क्योंकि पहले तो भाई बहन को ऐसे सीधे नहीं चोदते थे, वो कभी अपनी आँखों से तो कभी चोरी छिपे देख लिया करते थे और वैसे उस समय भी बूब्स को दबाना तो आम बात थी, लेकिन आजकल का माहोल कुछ अलग है, तुम्हारी भी अगर इच्छा बूब्स को दबाने की है तो तुम भी मेरे बूब्स को दबा लो, अच्छा है.

फिर मैंने भी तुरंत हाँ कह दिया और कहा कि मेरी उषा जानू अब आप ठीक कह रही हो, अच्छा अब मेरी बारी कहते हुए मैंने तुरंत ही उसका ब्लाउज उतार दिया और अब पेश है दो नागपुर के बड़े आकार से रसभरे संतरे जिसको चूसने और खाने में भी बहुत मज़ा आता है और साथ में इनको दबाने में भी बहुत मज़ा आता है और यह बात कहते ही मैंने एक बूब्स को अपने मुहं में डाल लिया और में उसके निप्पल को मन लगाकर चूसने लगा और फिर उसके पेटिकोट को खोलकर में बोला कि हाँ तो जनाब अब पेश है इंडिया गेट, उषा इसमे कितने लोग समा जाए कोई पता नहीं, मेरे संतरे चूसने और दबाने से उषा अब धीरे धीरे गरम होने लगी थी और फिर वो मुझसे बोली आह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ प्लीज थोड़ा आराम से करो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है और में कहीं भागी नहीं जा रही हूँ.

मैंने कहा कि हाँ ठीक है मेरी उषा डार्लिंग और उसने कहा कि हाँ ऐसे ही तुम बहुत अच्छे लड़के हो और हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे को अपना परिचय देते रहे और उसके साथ हम मस्ती में भी डूबते तैरते रहे, क्योंकि अब हम दोनों पर वो बियर भी अपना रंग दिखा रही थी और अब उषा ने भी नीचे बैठकर उसी समय अब मेरा लंड अपने मुहं में लेकर चूसना शुरू कर दिया और में हल्के हल्के गरम होने लगा और में भी उसके बूब्स को अपने हाथों से मसल रहा था और निप्पल को दबा रहा था और उस वजह से में भी धीरे धीरे लेकिन बहुत आनंदित हो रहा था.

वो समय भी आ गया जब उषा मुझसे बोली कि अब तो बेड पर चले ही चले तो अच्छा है मुझे अब ज्यादा देर रुके रहना नहीं हो सकता. फिर मैंने उसको उसी समय अपनी गोद में उठाकर अब बेड पर ले गया और उसको बेड पर लेटाकर में उसके दोनों पैरों को पूरा फैलाकर उसके गोल्डन गेट को अपने एक हाथ से खोलकर मैंने अपने लंड उसके गोल्डन गेट के मुहं पर रख दिया और धीरे धीरे प्यार से धक्के लगाने लगा, जिसकी वजह से धीरे धीरे मेरा लंड इंच बाइ इंच उसके अंदर घुसता जा रहा था और वो अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह आईईईई कर रही थी और जब में कुछ देर बाद अपनी पूरी स्पीड से धक्के देने लगा.

तो वो अब दर्द से चिल्लाने लगी और मुझसे कहने लगी हाँ बहनचोद, चोद दे अपनी दीदी को आह्ह्ह्हह हाँ और भी ज़ोर से धक्के लगा अफ्फफ्फ्फ़ में मर गई हाँ लगा मेरे राजा लगा बहुत देर कर दी मेहरबान आते आते स्सीईईईइ हाँ लगाए जा, ऐसे ही फाड़ दे मेरी इस चूत को, यह मेरी चूत बहुत दिनों से बड़ी प्यासी है आह्ह्ह्ह तूने पहले पहल की होती तो तू ही इस चूत का मलिक होता, अब तो तुझे मेरी चुदी चुदाई मिल रही है मेरे भाई को यह फटी चूत मिलने का मुझे बड़ा दुःख है, लेकिन तू तो बस अब लगाए जा, वैसे भी तो हर 28 दिन में हर चूत दोबारा से नयी हो जाती है उफ्फ्फ्फ़ हाँ लगा मेरे भाई और ज़ोर से धक्के लगा, तेरा लंड तेरे जीजाजी से भी बहुत बड़ा है, लेकिन इसको मेरी चूत आराम से संभाल लेती है चोद मुझे, हाँ और ज़ोर से धक्के देकर चोद, मुझे तेरी इस मस्त चुदाई के इन धक्को के तरीको ने बिल्कुल पागल बना दिया है, में अब बहुत जोश में हो रहा था और वो मुझसे ऐसे ही चिपक रही थी जैसे मेरे अंदर ही घुस जाएगी, लेकिन में अब बड़े ही आराम से धक्के देकर उसको चोदे जा रहा था और फिर वो वक़्त भी आ ही गया जब में ठंडा होने वाला था और में अब झड़ने वाला था. मैंने उससे कहा कि में अपने वीर्य को कहाँ निकालूं?

और वो उस समय ज्यादा जोश में आ गयी और वो मुझसे बोली कि हाँ भर दे तू अब मेरी चूत को अपने इस गरम गरम वीर्य से, साले मुझे लगता है कि तू मन लगाकर चोदता तभी तो तेरे लंड से इतनी गरमी बाहर निकलती है उफफ्फ्फ् अरे बहनचोद बता ओह्ह्ह्हह यह क्या गरम गरम गिर रहा है मेरे अंदर ओह्ह्ह्ह. फिर हम दोनों एक एक करके झड़कर थककर सीधे पड़ गये और हम दोनों दूसरे दिन सुबह तक ऐसे ही पड़े रहे और दोपहर को चलने से पहले एक बार फिर हम दोनों ने चुदाई का मज़ा लिया और उसके बाद होटल का बिल देकर हम दोनों हंसी ख़ुशी अपने घर वापस आ गये.

दोस्तों उसके बाद से अब तक पिछले 14 दिनों से में उषा के घर पर ही हूँ और उसको हर कभी जब मेरी इच्छा होती है में उसको चोदता हूँ. मुझे तो उसकी चुदाई करके बहुत मज़ा आया और अब भी आ रहा है.
 
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