ससुरजी ! आज की रात मैं आपके नाम - SexBaba
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ससुरजी ! आज की रात मैं आपके नाम

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Aug 28, 2015
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सारे दोस्तों को कामुक स्टोरी डॉट कॉम Antarvasna Sex Stories पर माही ओझा का नमस्कार. आज मैं आपको अपनी जिंदगी की एक गुप्त बात बताने जा रही हूँ. मेरी शादी को अभी ६ महीने ही हुए है. मेरी शादी बिजनौर में हुई है. शादी के १ महीने बाद ही मेरे पति गुजर गए. मेरी सास मुझे तरह तरह के ताने मारने लगी और बात बात पर कहनी लगी की मैं उनके लड़के को खा गयी. पर मेरे ससुर श्री पुरषोत्तम ओझा ने मुझे बहुत सहारा दिया. उन्होंने अपनी बीबी यानि मेरी सास को बहुत समझाया की मैं कोई अपशकुनी नही हूँ. जिंदगी और मौत तो उपरवाले के हाथ में है. तो इस तरह उन्होंने मुझे बहुत सहारा दिया. मेरे पति जाते जाते मुझे पेट से कर गए. इस दौरान मेरे ससुर जी मेरा सहारा बने.

मैं उनके वारिस को अच्छे से जन्म दूँ, इसके लिए वो मेरे लिए रोज फल, मेवा, मांस, मछली, सब लाते थे. ८ महीने बाद मैंने एक हट्टे कट्टे लड़के को जन्म दिया. मैंने अपनी ससुराल को वारिस दिया था, इसलिए मेरी कद्र अब जादा ही बढ़ गयी. मेरी सास और ननदों ने अब ताना मारना बंद कर दिया. सब मुझे फिर से पहले ही तरह प्यार करने लगे. मेरी ससुरजी तो मेरा बड़ा ख्याल रखते थे. हर शाम को वो मुझे अपने सामने बैठ के खाना खिलाते थे. पर जैसे जैसे दिन बीतने लगे मैं पति की याद कर करके रोती रहती. ससुर जी ने मेरा दुःख देख लिया तो पास के एक स्कूल के प्रिंसिपल से बात करके मुझे पढाने की नौकरी दिलवा दी. अब मैं पढाने लगी तो वहां स्कूल में मुझे ४ ५ अच्छी सहेलिया मिल गयी. धीरे धीरे मैं अपना गम भूल गयी. मेरे ससुर पुरषोत्तम जी वास्तव में मेरे लिए भगवान का दूसरा अवतार था.

हर दिन सुबह शाम पहले मेरा ख्याल रखते थे. पहले ननदों से पुछवा लेटे की बहू ने चाय पी या नहीं, उसके बाद वो चाय पीते. जादातर घरों में सास की सबसे अच्छी दोस्त उनकी बहू होती है, पर मेरे घर में मेरे ससुर जी मेरे सबसे अच्छे दोस्त थे. मैं उसको पापा कहकर पुकारती थी. सच में अगर वो ना होते तो मेरी सास और मेरी नन्दे मिलकर मुझे कबका इस घर से निकाल देते. इसलिए मैं अपने ससुर को बहुत चाहती थी. एक दिन मैं अपने लड़के को बैठी दूध पिला रही थी की पता नही कहाँ से अचानक पापा [मेरे ससुर जी] आ गए. मैंने ब्लौस खोलकर लड़के को दूध पिला रही थी. मैंने अपना बड़ा सा मम्मा मुन्ने के मुंह में दे रखा था. मेरे मम्मे में दूध ही दूध भरा पड़ा था.

मेरा मुन्ना [मेरा लड़का] मजे से मेरा दूध पी रहा था. की इतने में ससुर जी आ पहुंचे. उन्होंने मेरे बड़े से उस गोल मम्मे को देख लिया. कुछ पल को उनकी नजरे दूध से भरे उस मम्मे पर ठहर गयी. मैं ससुर को देखा तो शर्मा गयी. तुरंत मैंने अपने साडी के पल्लू से अपने मम्मे को ढक लिया.

पापा जी आप?? मैंने पूछा

हाँ बहू, तुने खाना खाया की नही ?? उन्होंने पूछा

हाँ पापा जी खा लिया' मैंने कहा

आपने खाया?? मैंने पूछा

नही बेटी, पर आज तुम अपने हाथ से मुझको खाना खिला दो' ससुर जी बोले

ठीक है! आप अपने कमरे में चलिए. मैं मुन्ने को दूध पिलाकर आती हूँ! मैंने कहा

ससुरजी अपने कमरे में चले गए. मैंने मुन्ने को दूध पिला दिया. वो सो गया. रात का खाना लेकर मैं उनके पास उनके कमरे में गयी. मेरे ससुर जी धोती कुर्ते पहनते थे. ये उनपर बहुत जमता भी था. वो मेरा इतंजार ही कर रहें थे.

बेटी आज एक चीज मांगू तू देगी?? अचानक उन्होंने कहा.

हाँ हाँ पापा जी, आपको तो मैं देवता समझती हूँ. आप जो मांगेंगे मैं आपको दूंगी. इनके [मेरे पति] के गुजरने के बाद मैं इस घर में हूँ तो सिर्फ आपकी वजह से. वरना माँ जी मुझे इस घर से निकाल देती' मैंने कहा

बेटी! मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ. आज की अपनी रात तू मुजको दे दे! ससुर जी बोले.

दोस्तों, ये सुनकर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ. मैं जान तो गयी की ससुर जी मुझे अपने कमरे में क्यूँ बुला रहें है. मैं जान गयी की ससुर जी मुझे रात भर कसके चोदना चाहते है. मेरी झूमती जवानी का मजा उठाना चाहते है. मेरी मस्त कसी कसी चूत में मार मार कर ढीला कर देना चाहते है. मैं जान गयी थी उनकी मंशा. मैं बड़ी कसमकस में पड़ गयी थी. एक तरह मुझे आश्चर्य हो रहा है की मैं अपनी ससुर से कैसे चुदवा सकती हूँ. पर दूसरी तरह इस बात की खुसी भी हो रही थी की कोई तो इस दुनिया में है जो मुझसे प्यार करता है. इसलिए दोस्तों, मैंने सोच लिया की अब मुझे तो दोबारा प्यार करने का मौका उपरवाले ने दिया है, मैं उसको नही ठुकराउंगी. हाँ मैं अपने ससुर से इश्क लड़ाऊँगी. कुछ देर बाद रात हो गयी. मैं ससुर जी के कमरे में आ गयी. वो मुझे दूसरी ही नजरों से देखने लग गए. मैं भी उनको उसी नजर से देखने लग गयी.

उनके इशारे पर मैंने दरवाजा अंडर से बंद कर लिया. ससुर जी के पास गयी तो उन्होंने बढ़कर मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया. और चूम लिया. मुझे घूरकर देखने लगे. मैं कुछ नही कहा क्यूंकि मैं भी ससुर से इश्क लड़ाना चाहती थी. मीर सहमती पाकर वो मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर बार बार चूमने लग गए. मुझे अपने पति की याद आ गयी. वो भी ऐसे ही मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर चुमते थे. धीरे धीरे मैं ससुर के बिस्तर पर ही चली गयी.

बहू! तुम अभी भी मना कर सकती हो ! ससुर बोले

नही पापा जी! मैं आपसे प्यार करती हूँ! मैंने भी कह दिया.

मेरे ससुर श्री पुरुषोत्तम जी बड़े खुश हो गए. अब मुझे वो अच्छे से खुलकर प्यार करने लगे. 'पापा जी आज की रात आपको जो जो करना कर लीजिए. आज की रात मैं आपके नाम करती हूँ' मैंने उनसे कह दिया. ससुर जी मस्त हो गए. पहले तो मेरा काला रंग का ब्लोस खोल दिया. मुन्ना को जन्म देने का बाद मेरे मम्मे अब खूब बड़े बड़े हो गए है और दूध से भर गए है. सायद ससुरजी को मेरा दूध पीना था. उन्होने मुझे अपने मुलायम पलंग पर लिटा दिया. मेरे दोनों दूधों को दबा दबा कर पीने लगे. जैसे ही मेरे काले काले टोपी वाले बड़े बड़े दूध दबाते तो उनमे चलल से दूध उपर आ जाता. ससुर जी मेरे लड़के मुन्ना की तरह मेरा दूध पीने लगे. एक ६० साल के आदमी को मैं पहली बार अपनी छाती का दूध पिला रही थी. थोडा थोडा आश्चर्य हो रहा था, थोडा थोडा अच्छा लग रहा था. मैं अपने ससुर से इश्क फरमा रही थी. कोई तो इस दुनिया में था जो मुझसे दिलो जान ने प्यार करता था.

ससुर जी मेरे मम्मे को दबा दबा के पीने लगे. मेरी दोनों छातियों के उपरी छोर को वो जरा सा दबाते तो तुरंत उनमे से छल छल करके दूध बहने लग जाता. ससुर जी मेरा मीठा दूध पी लेते. मुझे बहुत सुख मिल रहा था दोस्तों. बड़ी तृप्ति हो रही थी. आज कोई मर्द १ साल बाद मेरे दूध पी रहा था. आज एक साल बाद मैं फिर से चुदने वाली थी. ससुर ने मुझसे साडी निकालने की कही तो मैंने देर नही लगाई. खुद अपनी काले रंग की साड़ी निकाल दी. मेरे मेरे बदन पर मेरा सिर्फ मेरा काले रंग का पेटीकोट था. क्यूंकि मेरे ब्लोस को तो ससुर ने पहले ही निकाल दिया था. उन्होंने मेरी पेटीकोट को उपर जरा सा किया तो मेरी गोरी गोरी टांगें काले पेटीकोट में से कोहिनूर हीरे की तरह चमक उठी. ससुर को वो लालच आ गया. मेरे गोरे गोरे पैर, मेरी उँगलियाँ, मेरे पैर का अंगूठा सब वो पागलों की तरह चूमने लगे. मुझे बड़ी खुसी हुई. मेरी पति भी मेरे खूबसूरत पैरों की बड़ी तारीफ़ करते थे. हर रोज मेरे पैरों को चूमते थे फिर मुझको चोदते थे.

मेरे ससुर जी भी बिल्कुल ऐसा ही कर रहें थे. धीरे धीरे वो मेरा पेटीकोट उपर और उपर उठाते जा रहें थे. नगीने से बिजली गिराते मेरे हसीन पैर को वो अपने होंठों से चूम रहें थे. बार बार मैं इन्ही ख्यालों में डूब गयी थी की इनका लौड़ा कितना बड़ा होगा. क्या ६० साल की उम्र में ही इनका लौड़ा खड़ा होता होगा. क्या इस बुजुर्गी की उम्र में ये मुझको चोद पाएँगे. कई तरह के सवाल, कई तरह की संका मेरे मन में थी. फिर कुछ देर में वो मेरी मोटी मोटी गदराई, तराशी हुई जाँघों पर पहुच गए. उसको चूमने चाटने लगी. मुझे बड़ी चुदास चढने लगी. ससुर जी ने मेरा पेटीकोट उपर कर दिया. मैंने काले रंग की पैंटी पहनी थी. मेरे गोरी गोरी जाघों के बीच में मेरी काले रंग की पैंटी बड़ी फब रही थी. मेरी उभरी चूत की दरारे मेरी काली पैंटी से दिख रही थी. ससुर जी ने कुछ देर मेरी चूत के दीदार किये. फिर अपनी ऊँगली काली पैंटी पर सहला दी. मैं सिसक गयी.

फिर उन्होंने मेरी पैंटी निकाल दी. मेरा काला पेटीकोट फिर से मेरी जाँघों पर गिर गया. ससुर जी ने फिर उसे उपर कर दिया. और आखिर में उनकी मेरी नगिने जैसी नंगी चूत के दीदार हो गए. बिना देर किये उन्होंने अपने होंठ मेरी चूत के होंठों से मिला दिए और पीने लगा. ससुर ने मेरा पेटीकोट मेरे पेट पर पलट दिया था. काला पेटीकोट ही इस समय मात्र एक कपड़ा था जो मेरे तन पर था. उसने मेरा अंडर का बदन कुछ जादा ही मादक लग रहा था. मैंने नीचे नजर डाली तो ससुर जी मेरी चूत पी रहें थे. ६० साल की उम्र में उनको २० साल की चूत चोदने को मिल गयी थी. क्यूंकि जो नसीब में होता है उसे कोई नहीं छीन सकता. मेरी जवान चूत ससुर जी के नसीब में थी. वो मजे ले लेकर मेरी चूत पी रहें थे. मुझे चरम सुख की प्रप्ति हो रही थी. कुछ देर बाद उन्होंने अपनी सूती धोती निकाल दी. अपना पटरे वाला कच्छा भी निकाल दिया. मैंने उनका लौड़ा देखा तो दंग रही गयी. मेरे पति के लौडे से भी बड़ा ससुर जी का लौड़ा था. एक तरफ जहाँ मैं बड़ा ताज्जुब कर रही थी की ससुर जी का लौड़ा इतना बड़ा बड़ा है, तो दूसरी तरह मुझे दबी खुशी भी हो रही थी की चलो अच्छा है, ये लम्बे लौडे से आज मैं चुद जाउंगी.

फिर ससुर ने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और मुझे चोदने. इतना मोटा लंड था की जल्दी मेरी चूत में जा ही नही रहा था. क्यूंकि मेरे पति का लंड तो छोटा ही था. फिर से ससुरजी ने ठोक पीट कर अपना मोटा लंड मेरी चूत में डाल ही दिया. और बड़ी आत्मीयता से मुझे पेलने लगे. मेरे हसबैंड की यादें ताजा हो गयी. ससुर जी का मुझे चोदने का एक एक स्टाइल बिल्कुल मेरे पति जैसा था. मैं तो अपने पति की यादों में डूब गयी और ससुर मेरी यादों में डूबकर मुझे पेलने लगे. ससुर ने अपनी आँखें मेरी आँख में डाल दी तो मैंने भी अपनी आँखें उनकी आँखों में डाल दी. इस तरह तो मुझे ससुर से आँख में आँख डालकर चुदने में खूब मजा आने लगा. मेरी भी आँखों में चुदाई का नशा छा गया, उधर ससुर जी की आँखों में भी वासना ही वासना छा गयी.

मैंने अपनी दोनों टाँगे हवा में उठा रखी थी, कुदरत की ऐसी सेटिंग है की जब कोई औरत चुदती है तो उनकी दोनों टागें अपने आप उठ ही जाती है. मैंने भी अपनी दोनों टाँगे हवा में उठा दी थी. मैं ससुर की तरफ देख रही थी. वो मुझे गचागच चोद रहें थे. पट पट की अवाज कमरे में बज रही थी. उनके मोटे लंड के चुदने से मेरी चूत कुप्पा जैसी फूल गयी थी. मेरी पति से भी अच्छी तरह से ससुर जी मुझको चोद रहें थे. वो मेरे रूप पर फूली आसक्त थे. कुछ देर बाद तो उन्होंने अच्छी रफ़्तार हासिल कर ली. बड़ी जल्दी जल्दी मुझे लेने लगे. आह !! दोस्तों, बड़ा अच्छा लग रहा था मुझे. उनके धक्कों से मेरे दोनों मम्मे हिल रहें थे. तभी उन्होंने मेरे दूध को कसके निचोड़ दिया. मेरी छातियों में भरा दूध बाहर निकलने लगा. कुछ दूध बहकर मेरे पेट पर गिर गया. ससुर ने एक भी बूंद बेकार नही जाने दी. मुझे चोदते रहे, और सारा गिरा हुआ दूध पी गए. फिर उन्होंने अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया. मुझे अपने लंड पर बैठा लिया और चोदने लगे.

मेरे पति भी मुझको अपने लौडे पर बिठाके चोदते थे. ससुर जोर जोर से नीचे से अपनी कमर चलाने लगे तो उनका मोटा लंड मेरी चूत को बड़ी जल्दी जल्दी चोदने लगा. मेरे मम्मे हवा में जोर जोर से उछलने लगे. अचानक ससुर ने मुझे अपने सीने पर घसीट लिया. और खुद से चिपका लिया. हूँ हूँ हूँ !! की आवाज करते हुए वो मुझे इतनी जल्दी जल्दी नीचे से चोदने लगी की मेरी चूत से फट फट की बाँसुरी जैसी आवाज आने लगी. मेरे नरम नरम चूतडों को सहलाते हुए वो मुझको विद्दुत की गति से चोद रहें थे. फिर अचानक उन्होंने मुझे कसके सीने से चिपका लिया और चोदते चोदते वो झड गए. सुबह तक ससुर जी मुझको ८ बार ले चुके थे. सुबह के ५ बजे मैं जल्दी से अपने कमरे में आ गयी की कहीं कोई हमारे बारे में जान ना जाए. ये कहानी आपको कैसी लगी? अपनी राय कामुक स्टोरी डॉट कॉम पर जरुर लिखें.
 
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