hotaks444
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सामने टीवी पर इंडियन सॉंग्स अभी तक चल रहे थे. मैने नोट किया कि भाई जो डीवीडी उस वक़्त अपने टीवी पर प्ले कर रहा था. उस डीईडी के सभी सॉंग्स मर्डर,जिस्म 1,2 और उसी किस्म की गरम मूवीस के गरम सॉंग्स थे.
मुझे भाई के साथ बैठ कर “मेरे साथ कोई रात गुज़ार” जैसे गाने देखने में शरम महसूस हो रही थी.
इस लिए मैने हिचकिचाते हुए कहा “ भाई अगर आप टीवी को बंद कर दें”.
बिलाल भाई: क्यों नबीला तुम ने इस से पहले कभी इंडियन सॉंग्स नही देखे.
में: भाई देखे तो कई बार है मगर इस वक़्त मुझे आप से एक ज़रूरी बात करनी है,इस लिए आप मेहरबानी कर के टीवी को बंद ही कर दें.
में खुल कर कहना नही चाहती थी. कि भाई मुझे आप के साथ बैठ कर इस तरह के गरम गाने देखने में शर्म आ रही है.
मेरी रिक्वेस्ट के बावजूद बिलाल भाई ने मेरी बात को नज़र अंदाज़ कर दिया और डीवीडी को इसी तरह चलने दिया.
मेरे लिए इस सूरते हाल में अपने नंगे बदन भाई के साथ एक ही बेड पर बैठना अब ना क़ाबिले बर्दास्त होने लगा.
में: भाई में अपने कमरे में जा रही हूँ.वैसे मुझे आप से ज़रूरी बात तो करनी है. पर कोई बात नही में फिर आ जाउन्गी या कल सुबह बात कर लेंगे.
बिलाल भाई ने जब देखा कि में उठ कर जाने लगी हूँ. तो उन्हो ने फॉरन मेरे बाज़ू को पकड़ कर मुझे फिर अपने साथ इस तरह बैठा लिया कि अब की बार वो मेरे जिस्म के साथ चिपक से गये.
भाई और में दोनो एक दूसरे के साथ काफ़ी बेतकल्लुफ थे और हम हर बात एक दूसरे से शेयर करते थे.
लेकेन इस के बावजूद हम आपस में इतने भी बे तकल्लुफ नहीं हुए थे.कि में अपने भाई के साथ कोई गरम सीन वाली फिल्म या गाने देख सकती.
में ऑर भाई बेड पर साथ साथ इतना क़रीब बैठे थे. कि भाई की साँसों की आवाज़ भी में बखूबी सुन रही थी.
भाई के अपने साथ यूँ चिपक कर बैठने से मुझे उलझन होने लगी.
मगर भाई थे कि मेरी मौजूदगी की परवाह किय बैगर बहुत इनमेहक से टीवी पर चलते गानों को सुनने और देखने में मसरूफ़ थे.
मैने बिलाल भाई की तवज्जो टीवी से हटाने के लिए उन से पूछा “ कि भाई आप क्या सोच रहे थे मेरे बारे में”.
बिलाल भाई: नबीला सबर तो करो यार बता ता हूँ तुम्हे”
और वो फिर टीवी पर उछलती कूदती जवानियों को देखने में मगन हो गये.
मेरे लिए अब सबर के सिवा कोई चारा नही था. इस लिए में भी खामोश हो गई और टीवी देख ने लगी.
टीवी देखते देखते में ये भी सोच रही थी. कि अगर मैने तलाक़ ले लिया .तो अम्मीं का क्या रियेक्शन हो गा और बिलाल का अमेरिका जाने का क्या बने गा.
बाहर हाल कुछ भी हो अब मेरा फ़ैसला अटल था कि अब में तलाक़ ही लूँगी .
में अपनी ही सोचों में मगन थी. कि भाई ने टीवी देखने के दौरान ही मेरे कंधों पर हाथ रखा.
भाई: नबीला खुश रहा करो चाहे कुछ भी हो, देखो तुम्हारी सेहत कैसी हो गई है और आँखों में धब्बे भी पड़ गये हैं.
इन्ही बातों के दौरान भाई का हाथ मेरे कंधे से फिसल कर अब ना सिर्फ़ मेरी कमर के गिर्द लिपट चुका था. बल्कि अब आहिस्ता आहिस्ता मेरी कमर भी सहला रहे थे.
भाई का हाथ मेरी कमर को सहलाते हुए मेरी हिप के बिल्कुल उपर आ गया.
अपने भाई का हाथ इस जगह पर मौजूद पा कर में एक दम चोंक गई.
लेकिन फिर सोचा कि भाई टीवी देखने में मगन हैं.इस लिए शायद उसे ख्याल नहीं रहा हो गा.
भाई का हाथ मेरी हिप पर रुक गया और अब वहीं रुके हुए मेरी बटक्स को सहला रहे थे.
हम दोनो ही चुप थे. में इस इंतेज़ार में थी कि कब ये डीवीडी ख़तम हो तो में भाई से अपनी बात करूँ.
इसी दौरान भाई का हाथ दुबारा मेरे कंधे पर आन पहुँचा और फिर भाई के हाथ मेरे कंधे पर आहिस्ता आहिस्ता रेंगने लगा.
में अपने भाई की इस हरकत से मज़ीद परेशान हो गई. कि आज मेरे भाई को ये क्या हो रहा है और वो क्यों इस तरह मेरे साथ बिहेव कर रहे है.
मेने सोचा कि बेहतरी इसी में है कि में अब उन के कमरे से चली जाऊं और बाद में बात कर लूँ.
मगर में अब उठती भी तो कैसे मेरे कंधे पर भाई का मज़बूत हाथ मुझे अपने भाई के आगोश में बैठने पर मजबूर कर रहा था.
मेरे भाई को शुरू से हाथ की लकीरों (पल्मीस्त्री) को देखने का शौक था.
मुझे भाई के साथ बैठ कर “मेरे साथ कोई रात गुज़ार” जैसे गाने देखने में शरम महसूस हो रही थी.
इस लिए मैने हिचकिचाते हुए कहा “ भाई अगर आप टीवी को बंद कर दें”.
बिलाल भाई: क्यों नबीला तुम ने इस से पहले कभी इंडियन सॉंग्स नही देखे.
में: भाई देखे तो कई बार है मगर इस वक़्त मुझे आप से एक ज़रूरी बात करनी है,इस लिए आप मेहरबानी कर के टीवी को बंद ही कर दें.
में खुल कर कहना नही चाहती थी. कि भाई मुझे आप के साथ बैठ कर इस तरह के गरम गाने देखने में शर्म आ रही है.
मेरी रिक्वेस्ट के बावजूद बिलाल भाई ने मेरी बात को नज़र अंदाज़ कर दिया और डीवीडी को इसी तरह चलने दिया.
मेरे लिए इस सूरते हाल में अपने नंगे बदन भाई के साथ एक ही बेड पर बैठना अब ना क़ाबिले बर्दास्त होने लगा.
में: भाई में अपने कमरे में जा रही हूँ.वैसे मुझे आप से ज़रूरी बात तो करनी है. पर कोई बात नही में फिर आ जाउन्गी या कल सुबह बात कर लेंगे.
बिलाल भाई ने जब देखा कि में उठ कर जाने लगी हूँ. तो उन्हो ने फॉरन मेरे बाज़ू को पकड़ कर मुझे फिर अपने साथ इस तरह बैठा लिया कि अब की बार वो मेरे जिस्म के साथ चिपक से गये.
भाई और में दोनो एक दूसरे के साथ काफ़ी बेतकल्लुफ थे और हम हर बात एक दूसरे से शेयर करते थे.
लेकेन इस के बावजूद हम आपस में इतने भी बे तकल्लुफ नहीं हुए थे.कि में अपने भाई के साथ कोई गरम सीन वाली फिल्म या गाने देख सकती.
में ऑर भाई बेड पर साथ साथ इतना क़रीब बैठे थे. कि भाई की साँसों की आवाज़ भी में बखूबी सुन रही थी.
भाई के अपने साथ यूँ चिपक कर बैठने से मुझे उलझन होने लगी.
मगर भाई थे कि मेरी मौजूदगी की परवाह किय बैगर बहुत इनमेहक से टीवी पर चलते गानों को सुनने और देखने में मसरूफ़ थे.
मैने बिलाल भाई की तवज्जो टीवी से हटाने के लिए उन से पूछा “ कि भाई आप क्या सोच रहे थे मेरे बारे में”.
बिलाल भाई: नबीला सबर तो करो यार बता ता हूँ तुम्हे”
और वो फिर टीवी पर उछलती कूदती जवानियों को देखने में मगन हो गये.
मेरे लिए अब सबर के सिवा कोई चारा नही था. इस लिए में भी खामोश हो गई और टीवी देख ने लगी.
टीवी देखते देखते में ये भी सोच रही थी. कि अगर मैने तलाक़ ले लिया .तो अम्मीं का क्या रियेक्शन हो गा और बिलाल का अमेरिका जाने का क्या बने गा.
बाहर हाल कुछ भी हो अब मेरा फ़ैसला अटल था कि अब में तलाक़ ही लूँगी .
में अपनी ही सोचों में मगन थी. कि भाई ने टीवी देखने के दौरान ही मेरे कंधों पर हाथ रखा.
भाई: नबीला खुश रहा करो चाहे कुछ भी हो, देखो तुम्हारी सेहत कैसी हो गई है और आँखों में धब्बे भी पड़ गये हैं.
इन्ही बातों के दौरान भाई का हाथ मेरे कंधे से फिसल कर अब ना सिर्फ़ मेरी कमर के गिर्द लिपट चुका था. बल्कि अब आहिस्ता आहिस्ता मेरी कमर भी सहला रहे थे.
भाई का हाथ मेरी कमर को सहलाते हुए मेरी हिप के बिल्कुल उपर आ गया.
अपने भाई का हाथ इस जगह पर मौजूद पा कर में एक दम चोंक गई.
लेकिन फिर सोचा कि भाई टीवी देखने में मगन हैं.इस लिए शायद उसे ख्याल नहीं रहा हो गा.
भाई का हाथ मेरी हिप पर रुक गया और अब वहीं रुके हुए मेरी बटक्स को सहला रहे थे.
हम दोनो ही चुप थे. में इस इंतेज़ार में थी कि कब ये डीवीडी ख़तम हो तो में भाई से अपनी बात करूँ.
इसी दौरान भाई का हाथ दुबारा मेरे कंधे पर आन पहुँचा और फिर भाई के हाथ मेरे कंधे पर आहिस्ता आहिस्ता रेंगने लगा.
में अपने भाई की इस हरकत से मज़ीद परेशान हो गई. कि आज मेरे भाई को ये क्या हो रहा है और वो क्यों इस तरह मेरे साथ बिहेव कर रहे है.
मेने सोचा कि बेहतरी इसी में है कि में अब उन के कमरे से चली जाऊं और बाद में बात कर लूँ.
मगर में अब उठती भी तो कैसे मेरे कंधे पर भाई का मज़बूत हाथ मुझे अपने भाई के आगोश में बैठने पर मजबूर कर रहा था.
मेरे भाई को शुरू से हाथ की लकीरों (पल्मीस्त्री) को देखने का शौक था.