Antarvasna kahani चुदाई का वीज़ा - Page 2 - SexBaba
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Antarvasna kahani चुदाई का वीज़ा

सामने टीवी पर इंडियन सॉंग्स अभी तक चल रहे थे. मैने नोट किया कि भाई जो डीवीडी उस वक़्त अपने टीवी पर प्ले कर रहा था. उस डीईडी के सभी सॉंग्स मर्डर,जिस्म 1,2 और उसी किस्म की गरम मूवीस के गरम सॉंग्स थे.

मुझे भाई के साथ बैठ कर “मेरे साथ कोई रात गुज़ार” जैसे गाने देखने में शरम महसूस हो रही थी.

इस लिए मैने हिचकिचाते हुए कहा “ भाई अगर आप टीवी को बंद कर दें”.

बिलाल भाई: क्यों नबीला तुम ने इस से पहले कभी इंडियन सॉंग्स नही देखे.

में: भाई देखे तो कई बार है मगर इस वक़्त मुझे आप से एक ज़रूरी बात करनी है,इस लिए आप मेहरबानी कर के टीवी को बंद ही कर दें.

में खुल कर कहना नही चाहती थी. कि भाई मुझे आप के साथ बैठ कर इस तरह के गरम गाने देखने में शर्म आ रही है.

मेरी रिक्वेस्ट के बावजूद बिलाल भाई ने मेरी बात को नज़र अंदाज़ कर दिया और डीवीडी को इसी तरह चलने दिया.

मेरे लिए इस सूरते हाल में अपने नंगे बदन भाई के साथ एक ही बेड पर बैठना अब ना क़ाबिले बर्दास्त होने लगा.

में: भाई में अपने कमरे में जा रही हूँ.वैसे मुझे आप से ज़रूरी बात तो करनी है. पर कोई बात नही में फिर आ जाउन्गी या कल सुबह बात कर लेंगे.

बिलाल भाई ने जब देखा कि में उठ कर जाने लगी हूँ. तो उन्हो ने फॉरन मेरे बाज़ू को पकड़ कर मुझे फिर अपने साथ इस तरह बैठा लिया कि अब की बार वो मेरे जिस्म के साथ चिपक से गये.

भाई और में दोनो एक दूसरे के साथ काफ़ी बेतकल्लुफ थे और हम हर बात एक दूसरे से शेयर करते थे. 

लेकेन इस के बावजूद हम आपस में इतने भी बे तकल्लुफ नहीं हुए थे.कि में अपने भाई के साथ कोई गरम सीन वाली फिल्म या गाने देख सकती.

में ऑर भाई बेड पर साथ साथ इतना क़रीब बैठे थे. कि भाई की साँसों की आवाज़ भी में बखूबी सुन रही थी.

भाई के अपने साथ यूँ चिपक कर बैठने से मुझे उलझन होने लगी.

मगर भाई थे कि मेरी मौजूदगी की परवाह किय बैगर बहुत इनमेहक से टीवी पर चलते गानों को सुनने और देखने में मसरूफ़ थे.

मैने बिलाल भाई की तवज्जो टीवी से हटाने के लिए उन से पूछा “ कि भाई आप क्या सोच रहे थे मेरे बारे में”.

बिलाल भाई: नबीला सबर तो करो यार बता ता हूँ तुम्हे”

और वो फिर टीवी पर उछलती कूदती जवानियों को देखने में मगन हो गये.

मेरे लिए अब सबर के सिवा कोई चारा नही था. इस लिए में भी खामोश हो गई और टीवी देख ने लगी. 

टीवी देखते देखते में ये भी सोच रही थी. कि अगर मैने तलाक़ ले लिया .तो अम्मीं का क्या रियेक्शन हो गा और बिलाल का अमेरिका जाने का क्या बने गा.

बाहर हाल कुछ भी हो अब मेरा फ़ैसला अटल था कि अब में तलाक़ ही लूँगी . 

में अपनी ही सोचों में मगन थी. कि भाई ने टीवी देखने के दौरान ही मेरे कंधों पर हाथ रखा.

भाई: नबीला खुश रहा करो चाहे कुछ भी हो, देखो तुम्हारी सेहत कैसी हो गई है और आँखों में धब्बे भी पड़ गये हैं. 

इन्ही बातों के दौरान भाई का हाथ मेरे कंधे से फिसल कर अब ना सिर्फ़ मेरी कमर के गिर्द लिपट चुका था. बल्कि अब आहिस्ता आहिस्ता मेरी कमर भी सहला रहे थे. 

भाई का हाथ मेरी कमर को सहलाते हुए मेरी हिप के बिल्कुल उपर आ गया. 

अपने भाई का हाथ इस जगह पर मौजूद पा कर में एक दम चोंक गई.

लेकिन फिर सोचा कि भाई टीवी देखने में मगन हैं.इस लिए शायद उसे ख्याल नहीं रहा हो गा.

भाई का हाथ मेरी हिप पर रुक गया और अब वहीं रुके हुए मेरी बटक्स को सहला रहे थे. 

हम दोनो ही चुप थे. में इस इंतेज़ार में थी कि कब ये डीवीडी ख़तम हो तो में भाई से अपनी बात करूँ. 

इसी दौरान भाई का हाथ दुबारा मेरे कंधे पर आन पहुँचा और फिर भाई के हाथ मेरे कंधे पर आहिस्ता आहिस्ता रेंगने लगा.

में अपने भाई की इस हरकत से मज़ीद परेशान हो गई. कि आज मेरे भाई को ये क्या हो रहा है और वो क्यों इस तरह मेरे साथ बिहेव कर रहे है.

मेने सोचा कि बेहतरी इसी में है कि में अब उन के कमरे से चली जाऊं और बाद में बात कर लूँ. 

मगर में अब उठती भी तो कैसे मेरे कंधे पर भाई का मज़बूत हाथ मुझे अपने भाई के आगोश में बैठने पर मजबूर कर रहा था.

मेरे भाई को शुरू से हाथ की लकीरों (पल्मीस्त्री) को देखने का शौक था.
 
जब मैने देखा कि भाई किसी तरह भी मेरी बात सुनने और मेरे मसले पर तवज्जो देने पर आमादा नही हो रहा तो मेरे दिल में एक ख्याल आया और में बोली.

में: भाई क्या क़िस्मत का हाल हाथ की लकीरों से मालूम किया जा सकता है. 

बिलाल भाई: बिल्कुल सही तो नही मगर काफ़ी हद तक काफ़ी सारी बातों का अंदाज़ा हो जाता है.

में: भाई आप मेरा हाथ देख कर बता सकते हो कि मेरी क़िस्मत में क्या है.

बिलाल भाई: अच्छा में कोशिस करता हूँ कि तुम को सही सही बता सकूँ. 

अपने भाई के जवाब पर मैने अपना हाथ उन के सामने फैला दिया.

भाई ने मेरी हाथ आहिस्ता से पकड़ अपनी गोद में रख लिया. और मेरी हाथ की लकीरों को बगौर देखते हुए मुझे मेरी किस्मेत का हाल बताने लगे.

उस लम्हे एक ऐसी बात हुई जिस ने मेरे जिस्म का सारा खून ही खुश्क कर के रख दिया.

बिलाल भाई जब मेरा हाथ अपनी गोद में रख कर मुझे मेरी किस्मते हाल बता रहे थे.

तो मेरे हाथ के बिल्कुल नीचे तोलिये में क़ैद भाई का सख़्त और गरम लंड उछाल उछल कर मुझे अपनी मौजूदगी का अहसास दिला रहा था.

मुझे भाई के लंड को यूँ पहली बार अपने हाथ से टच होता हुआ महसूस कर के शरम तो बहुत आई.

मगर इस के बावजूद पता नही मुझे उस वक़्त क्या हुआ कि मैने सब कुछ जानते बुझते अपनी हथेली की पोज़ीशन चेंज नही की. 

भाई ने मेरे मुतलक कुछ बातें सहीं बताई और कुछ के मुतलक उन्होने सिर्फ़ तुक्का ही लगाया.

बिलाल भाई मेरा हाथ देखते हुए मुझे मेरी किस्मत का हाल बताने में मसरूफ़ तो थे. मगर में इस दौरान उन की आवाज़ मे लरज़िश सॉफ महसूस कर रही थी.

उसी वक़्त कमरे में रखे टीवी पर “लबों को लबों से मिलाऊ” वाला गाना चलना शुरू हुआ. 

भाई की नज़रें स्क्रीन पर चलते हुए इस गाने पर जम गईं.

फिर ना जाने भाई को क्या सूझा कि मेरा हाथ देखते देखते भाई ने अचानक मेरे हाथ को अपनी गोद में रखा. और अपने दोनो हाथों से मेरे चेहरे को थामते हुए बोले “क्यों ना आज हम दोनो भी अपने लबों को एक दूसरे के लबों से मिला लें नबीला” 

ये कहते हुए भाई ने मेरे चेहरे को अपने क़रीब किया और फिर अचानक मेरे होंठों पर अपने होंठ जज़्ब कर दिए.

में: भाईईईईईईईईईईईईई आप्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प. 

मेरी बात अभी मेरे मुँह में ही थी कि भाई के होंठों ने अपने होंठो से मेरी ज़ुबान को ताला लगा दिया.

में सोच भी नहीं सकती थी कि वो कभी इस तरह मेरे होंठों पेर किस करेंगे. 

मैने जल्दी से भाई को एक धक्का दे कर अपने आप से थोड़ा अलग किया.

में: भाई ये आप क्या कर रहे हैं. क्या आप भूल गये हैं कि में आप की बहन हूँ.

भाई फिर तेज़ी से मुझ पर झपटा और मुझे अपने बाजुओं की गिरफत में क़ैद करते हुए बोला. “नबीला तुम मेरी बहन तो हो मगर कमाल हो. में शवर के दौरान तुम्हारे बारे में ही सोच रहा था. और मेरी किस्मत देखो कि तुम खुद चल कर मेरे पास आ गई हो”

में: भाई ये ठीक नही हम दोनो बहन भाई है.

बिलाल भाई: नबीला मुझ पता है कि जमाल के बगैर तुम परेशान और बेकरार हो. कोई बात नही में हूँ ना.
 
भाई ने मेरी बात को अन सुनी करते हुए अपनी गोद में रखे हुए मेरे हाथ को अलग किया और एक दम अपना तोलिया खोल कर मेरे सामने पूरी तरह नंगा हो गया.

तोलिया की भाई के जिस्म से अलहदा होने की देर थी. कि भाई का लंड जोश में आ कर एक दम अकड कर खड़ा हो गया था.

अपने भाई का सेहतमंद, लंबा और मोटा लंड पहली बार यूँ अपनी नज़रों के सामने देख कर शरम और हेरत से मेरी आँखे खुली की खुली रह गईं.

अभी में हेरत के इस सुमंदर से बाहर नही निकली थी. कि भाई ने मेरे हाथों को पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया ऑर खुद अपने हाथ मेरे हाथों पर रख कर आगे पीछे करवाने लगे.

उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ भाई के लंड में इतनी गर्मी थी कि मुझे अपने हाथ की स्किन जलती हुई महसूस होने लगी.

शरम के मारे मेरे चेहरे और हाथों से पसीना छूटने लगा. 

मैने अपने हाथ को फॉरन अपने भाई के तने हुए लंड से अलहदा करने की कॉसिश की. मगर मेरे हाथ के उपर सख्ती से जमे अपने भाई के हाथ ने मेरी कॉसिश नाकाम बना दी.

दूसरे ही लम्हे भाई ने अपने दूसरे हाथ को बढ़ा कर मेरे मम्मे पर रखा और मेरे मम्मे को प्रेस करने लगा.

मैं अपने भाई के इस बे बाक रवैये से हेरान परेशान होते हुए सोचनी लगी कि “ वाह नबीला तेरी किस्मत”

में तो अपने ससुर और उन के दामाद से तंग आ कर अपने अम्मी और भाई के पास इस नीयत से आई थी. कि मेरा भाई मेरा मुहाफ़िज़ बन कर मेरी इज़्ज़त की रखवाली करेगा. 


मगर इधर तो मामला ही उलट हो गया था. मेरी इज़्ज़त की हिफ़ाज़त करने वाला मेरा भाई मेरे ससुर और खालिद की तरह मुझ बे आबरू करने पर तुल आया था.

आज से पहले जब भी मेरे ससुर और खालिद ने मुझ इस तरह जबर्जस्ती अपनी हवस का निशाना बनाया .तो मुझ उन की ये हरकत कभी अच्छी नही लगी और ना मैने उन दोनो से चुदवाते वक़्त कभी एंजाय किया था.

मगर पहले की तरह आज मुझ अपने भाई का यूँ अपने साथ जबर्जस्ती करना बुरा नही लगा.

बल्कि सच बात ये थी. कि में भी भाई के लगे हुए गरम सॉंग्स को देख देख कर अंदर से गरम हो चुकी थी.

इस लिए जब बिलाल भाई ने मुझ से छेड़ छाड़ शुरू की. तो मेरे लिए अपने प्यासे बंदन में सुलगती आग को काबू करना मुश्किल होने लगा.

मैने एक लम्हे के लिए सोचा कि मेरा भाई ये जो सब कुछ मेरे साथ कर रहा है. क्या में ये सब कुछ होने दूं या फिर उसे मज़ीद आगे बढ़ने से रोक लूँ.

इधर में अपनी सोच में मगन थी. उधर भाई के हाथ मेरे मम्मो पर अपना जादू चलाने में मसरूफ़ थे.

कुछ भी हो एक बहन से पहले में आख़िर में हूँ तो एक औरत.

और एक आम औरत की तरह मेरे भी जज़्बात और जिस्म की ज़रूरते हैं.

में तो इस से पहले भी कई बार अपनी अस्मत अपनो के हाथों लूटा चुकी थी.इस लिए शायद अब अपने भाई के होंठों और हाथों का लमास मुझे बुरा नही लग रहा था.

फिर अपने भाई के हाथों की बढ़ती हुई मस्तियों की वजह से मुझे यूँ लगा कि मेरा दिमाग़ सुन्न हो चुका है. 

में इतनी गरम हो गई कि मेरे सोचने समझने की सारी सलाहियतें गायब हो गईं.

मेरा जिस्म ढीला पड़ने लगा. और मैने भी अपने आप को हालात और अपने भाई के हाथों के हवाले कर दिया.

भाई ने जब ये देखा कि में अब उन के सामने किसी भी किसम की मुज़मत नही कर रही थी. 

तो उन का होसला बढ़ता गया और उन्हो ने मेरे होंठों,गालों और गर्दन पर अपने प्यार की बारिश कर दी.

अपने ही भाई का ये प्यार पा कर मेरी साँसें तेज होती जा रही थी.

मेरा भाई भी मेरे मम्मे दबा कर और मेरी किस्सिंग कर के खुद भी बहुत गरम हो चुका था.

बिलाल भाई का मुझे यूँ चूमना चाटना बहुत अच्छा लग रहा था और मुझे बहुत मज़ा भी आ रहा था, 

फिर भाई के हाथ मेरी पीछे आए ऑर उस ने मेरी क़मीज़ मे पीछे की तरफ लगी ज़िप खोल दी. जिस से मेरी क़मीज़ एक दम लूस हो गयी.

उस के बाद भाई ने आहिस्ता आहिस्ता मेरी क़मीज़ मेरी शोल्डर से नीचे कर दी. 

जिस की वजह से ब्रा में कसे मेरे टाइट और गोल मम्मे ऊपर से सॉफ नज़र आने लगे. 

मेरे मम्मो को नंगा करते ही बिलाल भाई थोड़ा झुके और मेरे नंगे मम्मो को अपने होंठों से चूमा और साथ ही उन्हो ने मेरी कमीज़ और ब्रा मेरे जिस्म से अलग कर दी.

में अब अपने सिर से ले कर कमर तक बिल्कुल नंगी हो चुकी थी. और मेरा सगा भाई मेरे बड़े बड़े तने हुए गोल गोल मम्मों को पहली बार यूँ पूरा नंगा देख रहा था.

बिलाल भाई मेरे जवान गरम तने हुए टाइट मम्मो को देख कर पागल हो गया और वो मेरी जवान छातियों पर अपने गरम होंठ रख कर उन्हे प्यार करने लगा.
 
में बता नही सकती कि मुझे कितना मज़ा आ रहा था ऑर उस वक़्त में अपने और भाई के रिश्ते के मुतलक सब कुछ भूलती जा रही थी.

मुझे अगर कुछ याद रहा तो वो ये कि भाई एक मर्द है और में एक प्यासी गरम औरत.

कुछ देर मेरे मम्मो को प्यार करने के बाद भाई ने मेरी इलास्टिक वाली शलवार को भी मेरे बदन से अलग कर मुझे पूरा नंगा कर दिया.


बिलाल भाई ने बैठे बैठे अपने हाथों से मेरी गुदाज रानों को आहिस्ता आहिस्ता टच करना शुरू किया.

भाई मेरी गोश्त भरी गुदाज रानों को दबाने और मसलने लगे.

बिलाल भाई का हाथ आहिस्ता आहिस्ता मेरी रानों के उपर बढ़ते हुए आया और फिर वो अपने हाथ को मेरी फुद्दी के उपर फैरने लगे,उफफफफफफफफफफफफफ्फ़ में बता नहीं सकती उन के हाथ की सरसारहात जो में अपनी पुसी लिप्स पर फील कर रही थी, 

में तो सिर्फ़ आँखे बंद किये लज़्ज़त भरी साँसे ले रही थी, 

में ने एक दिन पहले ही रिमूविंग क्रीम से अपनी चूत से बाल सॉफ किये थे.जिस की वजह से मेरी फुद्दी के लिप्स निहायत चिकने और मुलायम हो गये थे.

भाई के हाथ मेरी चिकनी चूत पर फिर रहे थे और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

थोड़ी देर तक वो मेरी चूत के लिप्स को अपनी उंगलियों से रगड़ते रहे ओर उन की इस हरकत से मेरी साँसें तेज होती गईं.

में अपने भाई के हाथों की बदौलत लज़्ज़त की उस मंज़ल पर पहुँच चुकी थी.जिस के बारे में अल्फ़ाज़ में इज़हार करना मेरे लिए मुश्किल ही नही बल्कि ना मुमकिन था. 

में उस वक़्त सिर्फ़ एंजाय कर रही थी. इस लिए मेरे ज़हन ने अब ये सोचना ही बंद कर दिया था कि क्या ग़लत हे ऑर क्या सही. 

इसी लिए मे चाहने के बावजूद ना अपने भाई को रोक पा रही थी और ना अपने जिस्म को. जो मेरे भाई के हाथों में पिघला जा रहा था.

जिस्म की आग में शायद शिदत ही इतनी ज़्यादा होती है कि इस आग में झुलस कर इंसान सब भुला देता हे, ऑर मेरे साथ भी यही कुछ हो रहा था.

भाई की उंगलियाँ मेरी चूत की सारी नर्मी,गर्मी को जाँच रही थी. जब कि भाई के होंठ मेरे नादां होंठों का रस चूसने में मसरूफ़ थे.
 
बिलाल भाई:नबीला मेरी बहन तुम एक अप्सरा की तरह बहुत ही खूबसूरत हो.तुम्हारे खूबसूरत तने हुए मम्मे और ये चिकनी और मुलायम चूत, उफफफफफफफफफफफफ्फ़ दिल चाहता है तुम यूँ ही मेरे साथ इसी तरह नंगी बिस्तर पर पड़ी रहो और में तुम्हें इसी तरह सारी उम्र प्यार करता रहूं.

में भाई के मुँह से अपनी तारीफ सुन कर फूली ना समाई और मेरी चूत पहले से ज़्यादा पानी छोड़ने लगी.

फिर भाई अपने होंठों को मेरे गालों और गरदन पर फेरते फेरते हुए मेरी छाती पर आया और मेरी तने हुए निपल्स को अपने मुँह में ले कर चूसने लगे. 

मेरी मस्त तनी हुई निपल्स कस के खड़ी हो गयी थी,

भाई का मेरे निपल्स को यूँ चूसना मुझे काफ़ी अच्छा लग रहा था. 

जब कि साथ ही साथ भाई के हाथों की उंगलियाँ मेरी चूत के साथ खेल रही थीं.

मेरे मम्मो को चूस्ते चूस्ते भाई मेरे बदन पर मज़ीद नीचे झुकते गये ऑर मेरे पेट पर किस्सिंग शुरू कर दी.

भाई साथ साथ मेरी चिकनी चूत को भी अपने हाथों से सहलाता रहा.

कुछ देर मेरे गोरे कसे पेट को अपनी गरम ज़ुबान से चाटने के बाद बिलाल भाई अपने होंठो को आहिस्ता आहिस्ता और नीचे लाता गया और बिलख़िर उस ने अपने होंठ मेरी पानी छोड़ती गरम चूत के उपर जज़्ब कर दिए.

बिलाल भाई ने जब मेरी चूत के उपर अपने लिप्स को ला कर रखा तो मुझे किसी किसम का कोई ताज्जुब नही हुआ.

क्यों कि मेरे शोहर जमाल इस से पहले कई दफ़ा मेरी चूत को चाट कर मुझे जवानी के इस नये तजुर्बे से रोशनाश करवा चुके थे.

मगर अपने ही सगे भाई की गरम ज़ुबान अपनी चूत पर पहली दफ़ा महसूस कर के उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ में बता नही सकती कि मुझे कितना मज़ा आ रहा था.

भाई की ज़बान एक शेष नाग की ज़ुबान की तरह फुन फुन करती हुई मेरी चूत के अंदर की तह तक जा कर अपना डंक मार रही थी.

बिलाल भाई मेरी चूत को बड़े मज़े से चाट रहे थे.और उन की ज़ुबान का लांस मेरी चूत को बे पनाह लज़्ज़त दे रहा था.

उफफफफफफफफफफफफ्फ़ ऊऊऊऊऊऊीीईईईई ईईईईईईईईईईईई मुझे ऐसा लग रहा था कि मे सातवें आसमान पर उड़ रही हूँ. उफ्फ मुझे कितना मज़ा आरहा था में बयान नहीं कर सकती.

मुझी भाई की लज़्ज़त ने बिल्कुल ही पागल कर दिया ऑर मे खुद भी बेसखता अपने मम्मे अपने हाथों में पकड़ कर सहलाने लगी ऑर मेरे मुँह से भी सिसकारियाँ निकलने लगी. “अहह हूफ्फ़ फफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ फफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ फफफ्फ़ उफुउ फुउऊुफ़ुउफ़ुउूऊहह हफफा.. .सीईईईई. उफफफफफफफफफफ्फ़ हीईीईईईईईईईईईईईईईई”

थोड़ी देर मेरी चूत का पानी चाटने के बाद बिलाल भाई फिर मेरे उपर आए और मेरे मुँह में मुँह डाल कर मुझ से एक बार फिर लिपट गये.

बिलाल भाई के होंठों और ज़ुबान पर लगा अपनी चूत का पानी मुझे बहुत मजेदार लगा और में जोश में आते हुए भाई के होंठो से अपनी ही चूत का पानी सक करने लगी.

अब हम दोनो बहन भाई के नंगे जिस्म एक दूसरे से फिर चिमटे हुए थे.

मेरी तनी हुई चुचियाँ भाई के सीने में खूब रहीं थीं और भाई का गरम तना हुआ लंड मेरी बिना बालों वाली चूत की चुम्मियाँ ले रहा था.

अपनी मेरी नादां फूली हुई चूत से रगड़ खाते हुए मेरे भाई के लंड ने मेरी चूत को बे काबू कर दिया.

“भाई अब बर्दाश्त नही हो रहा अंदर डाल भी दो ना” मैने लज़्ज़त से भरपूर लहजे में भाई को अपनी तरफ खींचते हुए फरियाद की.

बिलाल भाई ने मेरी टाँगों को उठा कर अपने कंधे पर रखा और फिर दुबारा मेरे उपर आए.और मेरे ऊपर लेट कर अपना लंड मेरी चूत के सुराख पर रख दिया.

हम लोग थोड़ी देर तक इसी पोज़ीशन मे एक दूसरे को चूमते चाटते रहे.

मेरी चूत तो भाई के चाटने की वजह से पहले ही पानी पानी हो रही थी. इसी लिए हमारी चूमा चाटी के दौरान ज्यूँ ही बिलाल भाई ने मेरी चूत के बिल्कुल उपर रखे हुए अपने लंड को थोड़ा सा झटका दिया. तो भाई का तना हुआ मोटा सख़्त लंड किसी दिक्कत के बगैर मेरी चूत में समाने लगा.

मुझे अपने भाई का लंड अपनी चूत के अंदर लेते वक़्त इस बात का अंदाज़ा तो हो रहा था. कि ये जो कुछ मेरे और भाई के बीच हो रहा है वो बहुत ग़लत है.

मगर इस सब के बावजूब चुदाई का मज़ा और नशा उस वक़्त इतना शदीद ऑर मुँह ज़ोर हो चुका था.कि में सब कुछ भूल गई.

बिलाल भाई अपना लंड मेरी फुद्दी मे आहिस्ता आहिस्ता अंदर करते जा रहे थे ऑर हाथों से मेरी मम्मो को प्रेस कर रहे थे ऑर साथ साथ मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर किस्सिंग भी कर रहे थे, 

आहिस्ता आहिस्ता बिलाल भाई का लंड मेरी चूत के अंदर तक पहुँच गया.

मेरी चूत अभी मेरे भाई के लंड को अपने आगोश में ले कर उसे खुशामदीद कहने ही वाली थी.

कि भाई ने फॉरन अपने आप को मेरे जिस्म से उपर उठा कर अपने लंड को मेरी फुद्दी से थोड़ा बाहर निकाला. 

इस से पहले कि में कुछ समझ पाती, भाई ने एक ज़ोर दार धक्के के साथ अपने लंड को दुबारा मेरी चूत में पेल दिया.
 
मेरे मूँह से एक आह सी निकली और में सिसक पड़ी, आआयययययईईईई ईईए..

भाई का पूरा लंड अब मेरी फुद्दी में अंदर तक चला गया था.

बिलाल भाई के टटटे मेरी चूत के लिप्स से टकरा रहे थे और अजीब सी आवाज़ निकल रही थी.

भाई मुझे एक दो जबर्जस्त धक्के मारने कर बाद रुक गये और दुबारा से मेरे तने हुए टाइट मम्मों को चूसने लगे.

बिलाल भाई: नबीला जमाल बहुत खुश नसीब है जिसे तुम जैसी खूबसूरत बीवी मिली है.उफफफफफफफफफ्फ़ तुम बहुत मस्त हो और तुम्हारी चूत तो बहुत ही टाइट है. देखो मेरा लंड कैसे तुम्हारी चूत में फँसा और जकड़ा हुआ है.

में: भाई खुशनसीब जमाल नही बल्कि आप हैं. जो अपनी ही सग़ी बहन की जवानी के मज़े लूट रहे हैं.

बिलाल भाई: हां में वाकई ही इस दुनियाँ का खुशनसीब इंसान हूँ. जिसे अपनी बहन के बदन को ना सिर्फ़ नंगा देखने बल्कि उसे चूसने और प्यार करने का मोका मिल रहा है. 

इस के साथ ही भाई ने एक और ज़ोरदार झटका मारा और पूरी मस्ती के साथ मेरी चुदाई शूरू कर दी.और अब में भी अपनी गान्ड उठा उठा कर भाई का साथ दे रही थी,

हम दोनो की सिसकारियाँ कमरे मे गूँज रही थी. और फिर मुझे ऐसे लगा कि कोई चीज़ मेरे अंदर से निकली हो,में ने बेसखता बिलाल भाई को अपने दोनो हाथों से दबोच लिया ऑर फिर मेरा जिस्म अकड गया ऑर मे छूट गइईईई उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़.

मेरे छूटने के बाद भी बिलाल भाई मुझे थोड़ी देर मज़ीद छोड़ते रहे और फिर ऐसा लगा जैसे उन के धक्कों में तेज़ी आ गई हो.

फिर कुछ ही देर में बिलाख़िर बिलाल भाई ने अपना सारा पानी मेरी चूत के अंदर छोड़ दिया.

बिलाल भाई ने अपने लंड के पानी से मेरी चूत को पूरा भर दिया.

मेरी चूत की तह में फारिग होते साथ ही बिलाल भाई मुझ पर लेट गये ऑर मुझे ज़ोर से अपने सीने से लिपटा लिया.

भाई का लंड की सख्ती में थोड़ी कमी ज़रूर आ गई मगर इस के बावजूद भाई का लंड अभी तक पूरे का पूरा मेरी चूत के अंदर समाया हुआ था.

हम दोनो कुछ देर यूँ ही लेटे रहे और फिर थोड़ी देर बाद बिलाल भाई के लंड में फिर से सख्ती आना शुरू हो गई.

फिर क्या था. कुछ लम्हे बाद बिलाल भाई बिस्तर पर पीठ के बल लेटे हुए थे. और में उन के लंड के उपर बैठ कर हवा में झूला झूल रही थी.

सुबह होने तक बिलाल भाई ने मुझे दो दफ़ा मज़ीद चोद कर अपने लंड और मेरी फुद्दी की तसल्ली की.

अगली सुबह जब में भाई के बिस्तर से उठ कर फर्श पर बिखरे अपने कपड़े इकट्ठे कर के पहनने में मसरूफ़ थी कि बिलाल भाई बोले “ नबीला मुझे याद आया तुम ने मुझ से कोई बात करनी थी.

में: आप से जो बात करने आई थी, वो तो में भूल ही गई.

ये कहते हुए में बाहर निकली तो मेरे पूरा जिस्म मुकम्मल पुरसकून था.और मेरे होंठों पर एक हल्की सी मुस्कुराहट थी.

एक पूरी रात अपने ही भाई के बिस्तर पर गुज़ारने के बाद में अब उस को क्या बताती कि उस से पहले मेरे ससुराल वाले भी मुझे उसी की तरह लूट चुके हैं.

ये हक़ीकत थी कि मुझे अपने ससुर ,खालिद बल्कि अपने शोहर के साथ भी कभी इतना मज़ा नही आया था. जितना मैने उस रात अपने भाई बिलाल के साथ लिया था.

ये शायद मेरे भाई के भरपूर प्यार और उस की तवज्जो का ही असर था. कि एक ही हफ्ते में मेरी आँखों के नीचे के सारे धब्बे ख़तम होगये और में फिर से निखर कर जवान हो गई. 

उस के बाद में जब तक पाकिस्तान रही तो वो सारा वक़्त मैने अपनी अम्मी के घर में अपने भाई की बाहों में ही बसर किया.

इस दौरान में जब भी ससुराल गई तो वो भी सिर्फ़ एक आध दिन के लिए गई.और उस वक़्त भी बिलाल भाई मेरे साथ उधर ही रहते थे. 

फिर आख़िर कार मेरा ग्रीन कार्ड के साथ साथ मेरी अम्मी और बिलाल भाई का वीसा भी लग गया.और में,अम्मी और बिलाल भाई अमेरिका चले आए.

दोस्तो में उस दिन उस एंबसी गई तो थी अपने शोहर के पास, अमेरिका जाने का वीसा लेने. 

मगर मेरे अपने सुसरर ने मेरी इज़्ज़त को “तार तार” कर के मेरी चूत के पासपोर्ट पर “ मल्टिपल एंट्रीस” का एक ऐसा “वीसा-ए- चुदाई” लगाया. कि उस के बाद मेरे ससुर ,नंदोई और फिर अपने ही सगे भाई का लंड किसी चेकिंग के बगैर मेरी चूत की पोर्ट ऑफ एंट्री में बिना रोक टोक आने जाने लगे.

अब अमेरिका में मेरे शोहर के इलावा मेरा एक मेरा सगा महबूब भी है.

जो मोका मिलने पर अब भी मेरी फुददी के पेज पर ठपा ठप अपने लंड से वीसा की मोहरें लगाता रहता है.

तो दोस्तो कैसी लगी कहानी ज़रूर बताना फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राजशर्मा

दा एंड.
 
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