hotaks444
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हर ख्वाहिश पूरी की भाभी ने
दोस्तो एक तीर हमने भी मार दिया वैसे हमें कहानी लिखने का एबी सी भी नही पता पर कॉपी पेस्ट करना तो आता आता ही है तो इस कहानी का मज़ा लीजिए
दोस्तों, कुछ रिश्ते ऐसे होते है, जो होने नहीं चाहिए, पर बस हो जाते है, जैसे की साली जीजा, भाभी देवर... और ये सब हो जाते है क्योकि हमारे दिमाग में पहले से ही ये सब खयाल आ जाते है, चाहे कहानिया पढ़ पढ़ कर, चाहे पोर्न विडियो देख देख कर....मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है।
यह कहानी सच्ची घटना पर आधारित है... अब आते है कहानी के पात्र पर
मुख्य पात्र
मैं: मेरा नाम दोस्तों समीर है, २८ साल का, मैं देखने में इतना भी बुरा नहीं हूँ, और हां मेरा कोई सिक्स पैक नहीं है, पर हा लड़कियो के पास से गुज़रु और उनका ध्यान ना जाये, ऐसा शायद ही होता होगा, उतना तो मेंटेन कर के रख्खा है... एक साधारण देखाव का मैं, अपना हथियार काफी बड़ा रखता हूँ। १०" लंबा और ३" गोलाई...
भाभी: मेरी भाभी का नाम कीर्ति... मेरे भाई मुझसे ६ साल बड़े है। भाभी और भैया के बीच का आयु अंतर भी ६ साल होने की वजह से, मैं और भाभी हमउम्र है। क्या कहूँ भाभी के बारे मैं? भैया की शादी ५ साल पहले हुई थी, तब मैं जावानी में कदम रख चूका था, और लडकियो का गोरा कलर और अंग उपांग स्वाभाविक से मुझे अपनी और आकर्षित करते थे, वैसा ही भाभी के साथ हुआ था। पहला रिएक्शन था की भैया की तो लॉटरी लग गई.... ५'६" की हाइट, बिलकुल मेरी हाइट जैसी... एक परफेक्ट फिगर जो होना चाहिए वही था। तब तो नही पता क्या साइज़ था पर आज कुल मिला के ३६-२४-३६ का परफेक्ट फिगर बना रख्खा है। हमेशा साडी पहनती है, पहले नही, पर अब घर में जितना डीप हो सके उतना डीप गले वाला ब्लाऊज़ पहनती है, साडी वैसे ही ट्रांसपैरंट होती है... बहोत सारी लिंगरी भी खरीद की हुई है, कुछ तो मैंने ही दिलवाई है। अपने जिस्म पर उसे बहुत गुरुर है, और होना ही चाहिए उसे... क्योकि कई लोग उसे पाने की ख्वाहिश रखते है, और कई लोगो के साथ वो हमबिस्तर बनके उसकी प्यास बुजा चुकी है.. भाभी की परोपकारी भावना ही यह कहानी का मुख्य कारण बना है... पुरष का बिस्तर, पुरुष की इच्छा अनुसार गरम करना औरत का सबसे बड़ा कर्तव्य होता है ... ऐसी भाभी की सोच है...
घर में ऐसे कपडे? हा तो मैं एक बात बताना भूल गया, मेरे माँ बाप बहोत पहले ही एक आकस्मिक घटना के शिकार हो कर कार एक्सिडेंट में भगवान् को प्यारे हो गए है...
भैया की जब शादी हुई थी, तब माँ बाप ज़िंदा थे। और सिर्फ १ साल में ही हादसा हुआ और चल बसे। घर में भाई के ऑफिस जाने बाद, में भी कॉलेज चला जाता था। घर में भाभी अकेली ही रहती थी। पसंद आये ना आये पर यही होता था। भैया को ऑफिस जाना पड़ता था, सब जिम्मेदारी उनके ऊपर थी, और मैं तो ठीक कभी जाता था कॉलेज तो कभी नहीं। कॉलेज के दिन तो यही होता है ना....?
पर माँ बाप के जाने का सदमा मुझे इस कदर लगा था के, मैं कॉलेज की परीक्षा में फ़ैल हुआ। भैया कभी गुस्सा नहीं करते मुज पर, और उस दिन भी नही किया, मुझे पास बिठा कर शांति से समजाया के संसार का यही नियम है। तुम्हे धक्का जरूर लगा है, मुझे भी लगा है, पर हमारे माँ बाप तभी सुखी होंगे जब हम कामयाब होके बताएँगे....
बात भी सही थी उनकी... पर मेरा एक ही कन्सर्न था के भाई तो फिर भी ठीक है, रात को अपनी फ्रस्ट्रेशन निकाल देते होंगे, भाभी भी पूरा दिन भैया के लिए अपने आपको संवारती थी, और रात को भाई की बाहों में टूट के बिखर जाती थी। मैं भाई का बिस्तर गरम होते कई बार देख चूका था। शायद चस्का लग गया था मुझे, भैया और भाभी की चुदाई देखने का। भाभी को नंगा देखने की तलब ऐसे खत्म होगी ये नही पता था मुझे। हर रोज़ भाई भाभी आगोश में लिपटे एक दूसरे को सुख देने में नही पर एक दूसरे से सुख लेने में लगे होते दीखते थे। भाई का चहेरा सुबह और खिल जाता था।
कई बार ये सवाल ध्यान में आता है, की कोई गुज़र जाए तो चुदाई करनी चाहिए या नहीं? मैं कहता हु के हा, मन हो रहा है तो कर ही लेनी चाहिए तो ही आपका दिमाग शांत रहेगा और लड़ने की ताकत मिलती रहेगी...
तो यही बात थी जो मुझे खटक रही थी की, अब मेरा कौन... मुझे कई बार खयाल आता था के मैं रंडी बाजार चला जाउ। और अपनी वासना को शांत कर दूँ। पर ये इतना आसान नही होता। तो बस मैं शांत होने लगा, और शांत, और शांत... भैया ने मुझे छूट दे दी थी की अगर एक साल ड्रॉप लेना चाहते तो ले सकते हो और घूमने जाना चाहते तो वो भी कर सकते हो... मानसिक सपोर्ट भैया और भाभी दोनों दे रहे थे... पर शायद मुझे शारीरिक सपोर्ट चाहिए था....
भैया वैसे सब समजते थे, क्योकि वो शादीशुदा थे....
एक दिन की बात है, मैं कॉलेज नहीं गया था, और भाभी मुझसे बाते कर रही थी अचानक मुझसे पूछा
कीर्ति: भैया आपके कोई फ्रेंड्स नहीं है क्या जहा आप अपने दिल की बाते शेयर कर सको? (वो मुझे रिश्ते के कारन भैया बुलाती थी)
मैं: हा है तो सही भाभी पर सब मतलबी होते है, कुछ कुछ लोग सही भी है, जो मेरी केर करते है, पर ठीक है, मैं दुरिया बनाता हूँ।
कीर्ति: ऐसा क्यों भला? जब तक जानोगे परखोगे नहीं तब तक कैसे पता चलेगा?
मैं: हम्म बात तो सही है आपकी.. ठीक है मैं कोशिश करूँगा।
यही वार्तालाप मेरे हसीन पलो को दस्तक देंगी ये पता नहीं था... मैं अपने दोस्तों से मिलने लगा... सब के साथ मस्ती मारने लगा... अच्छा लगा और में नेक्स्ट परीक्षा में पास भी हुआ !!!!! में मन से खुश रहने लगा था... दोस्तों के साथ बात करता तो पता चला के सब कोई न कोई लड़की पे मरता है कैसी फेंटेसी लेके बेठे है, एक अजीब रोमांच देता था, पर वासना को और भड़का रहा था... मिलके अब हम सिर्फ ५ फ्रेंड्स है.... केविन, सचिन, राजू, कुमार और मैं...
केविन के पापा बहुत बड़े बिजनसमैन थे, सचिन के पापा किराने की दुकान थी, राजू के और कुमार के पापा मजदुर थे तो लॉन लेकर पढ़ते थे... पर हमारे बिच पैसा नही था, बस विश्वास और प्यार था... उसीके कारन दोस्ती इतनी गहरी हुई थी...
इक बार हम पांच जन बैठे थे और शांति से मोबाईल में देख रहे थे के, वासना से अँधा मैं बोल पड़ा...
मैं: मैंने अपने भाई भाभी की चुदाई देखी है...
थोडा सन्नाटा जरूर हुआ पर...
केविन: भाई ठीक है पर ये क्या बोल दिया तूने?
मैं: नहीं पता शायद मैं अपनी भाभी को....
केविन: (बात काटते हुए) प्यार करने लगा है?
मैं: शायद हा....
केविन: क्या वो जानती है?
मैं: नहीं... क्योकि अभी तक मैं ज़िंदा जो हूँ...
राजू: पर ये गलत है...
मैं: पर क्या करू? पोर्न देखो भाभी देवर, वार्ता पढ़ो भाभी देवर... सब जगह भाभी देवर... और ये एक ही तो औरत है तो मेरे सब से करीब है...
सब शांति से सुन रहे थे मैं बोले जा रहा था...
मैं: सुबह उठो... एक चाँद सा चहेरा नज़र आता है... घर में पायल की आवाज़ खन खन करती रहती है... पसीने से लथबथ जब उसकी कमर दिखती है तो होश खो बैठता हूँ। पूरा दिन काम करके आराम करे तो जब सोती है तो बाहे और तड़पाती है... उसके छाती के उभार... और ब्लाउज़ के हुक पर आते प्रेशर कुछ अलग सा रोमांच पैदा करती है... कपडे धोती है तो भीना बदन मेरे अंदर आग लगा देता है... रात को भैया की बाहो में देखता हूँ, कितनी शिद्धत से अपने आपको भैया को समर्पित कर के अपने बदन पे गुमान करना... बड़ी बड़ी चुचिया को इस कदर भैया को हवाले करना के जैसे एक बच्चा खिलवाड़ करता हो और दर्द का पता भैया को पता नहीं होने देना... भैया के लिए अलग अलग आवाज़ करके और उत्साहित करना.... लंड मुँह में इतना अंदर लेना के मानो भैया के पास लंड हे ही नही... एक मर्द को कैसे खुश करना है... ये कीर्ति भाभी अच्छी तरह से जानती है... भैया घर में दाखिल होते ही अगर ब्लाउज़ के अंदर हाथ न डाले तो उसे भी चैन नहीं पड़ता....
मैं ये भावना में बह कर कुछ भी बोले जा रहा था क्योकि वो मेरे दोस्त थे... और वो सब चुपचाप मुझे सुने जा रहे थे....
मैं कुछ अलग ही दुनिया में खोया हुआ था उस वक़्त... मैं किसके बारे में क्या बोल रहा था कुछ ख़याल नही था.... और तो ठीक किसी और के सामने? ये वो ख़याल थे जो मेरे दिमाग में घूम रहे थे, जो हर रोज़ हिलाके बहार निकलता था... आज मुह से बोल बन के बहार निकल रहे थे.... मैं आगे बोले जा रहा था और कोई भी मुझे रोक नहीं रहा था... क्योकि सब कोई अपनी पेंट की ताकत नाप रहे थे...
मैं: जब भैया उनपे चढ़ते है... तो अपनी बाहें फैलाकर उनका स्वागत ऐसे करती है जाने वो उनको खुद में समां लेंगे... कोई भी भूखा शिकारी भेड़िया बन जाए वैसे ही उस पर टूट सकता है.... डोगी स्टाइल हो, या अमेजॉन स्टाइल हो... या फिर मिशनरी पोज़िशन हो... वो भैया का स्वागत इस कदर करती है... जैसे भैया महसूस करता है.. की सिर्फ वही उनका मालिक है। एक लडके को और चाहिए भी क्या...? आखिर उस मल्लिका का शहज़ाद ए मालिक वो अकेला ही तो है... पूर्ण स्त्री है वो....
अब अचानक मेरा ध्यान टुटा... मुझे ख़याल आया के ये मैं क्या बोल गया... सब मुझे देख रहे थे... सब के मुह पर वासना के कीड़े थे... वहिषी बन चुके है... कुसूर मेरा है... मैं ही अपनी भाभी को सरेआम नंगा कर रहा हूँ...
राजू: उहू... उहू... भाई... कहा हो आप? क्या हो गया आपको?
मैं: एम्म्म... कुछ नहीं... अरे चलो ना बाहर जाते है...
और हम सब एक साथ बाहर निकल गए...
दोस्तो एक तीर हमने भी मार दिया वैसे हमें कहानी लिखने का एबी सी भी नही पता पर कॉपी पेस्ट करना तो आता आता ही है तो इस कहानी का मज़ा लीजिए
दोस्तों, कुछ रिश्ते ऐसे होते है, जो होने नहीं चाहिए, पर बस हो जाते है, जैसे की साली जीजा, भाभी देवर... और ये सब हो जाते है क्योकि हमारे दिमाग में पहले से ही ये सब खयाल आ जाते है, चाहे कहानिया पढ़ पढ़ कर, चाहे पोर्न विडियो देख देख कर....मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है।
यह कहानी सच्ची घटना पर आधारित है... अब आते है कहानी के पात्र पर
मुख्य पात्र
मैं: मेरा नाम दोस्तों समीर है, २८ साल का, मैं देखने में इतना भी बुरा नहीं हूँ, और हां मेरा कोई सिक्स पैक नहीं है, पर हा लड़कियो के पास से गुज़रु और उनका ध्यान ना जाये, ऐसा शायद ही होता होगा, उतना तो मेंटेन कर के रख्खा है... एक साधारण देखाव का मैं, अपना हथियार काफी बड़ा रखता हूँ। १०" लंबा और ३" गोलाई...
भाभी: मेरी भाभी का नाम कीर्ति... मेरे भाई मुझसे ६ साल बड़े है। भाभी और भैया के बीच का आयु अंतर भी ६ साल होने की वजह से, मैं और भाभी हमउम्र है। क्या कहूँ भाभी के बारे मैं? भैया की शादी ५ साल पहले हुई थी, तब मैं जावानी में कदम रख चूका था, और लडकियो का गोरा कलर और अंग उपांग स्वाभाविक से मुझे अपनी और आकर्षित करते थे, वैसा ही भाभी के साथ हुआ था। पहला रिएक्शन था की भैया की तो लॉटरी लग गई.... ५'६" की हाइट, बिलकुल मेरी हाइट जैसी... एक परफेक्ट फिगर जो होना चाहिए वही था। तब तो नही पता क्या साइज़ था पर आज कुल मिला के ३६-२४-३६ का परफेक्ट फिगर बना रख्खा है। हमेशा साडी पहनती है, पहले नही, पर अब घर में जितना डीप हो सके उतना डीप गले वाला ब्लाऊज़ पहनती है, साडी वैसे ही ट्रांसपैरंट होती है... बहोत सारी लिंगरी भी खरीद की हुई है, कुछ तो मैंने ही दिलवाई है। अपने जिस्म पर उसे बहुत गुरुर है, और होना ही चाहिए उसे... क्योकि कई लोग उसे पाने की ख्वाहिश रखते है, और कई लोगो के साथ वो हमबिस्तर बनके उसकी प्यास बुजा चुकी है.. भाभी की परोपकारी भावना ही यह कहानी का मुख्य कारण बना है... पुरष का बिस्तर, पुरुष की इच्छा अनुसार गरम करना औरत का सबसे बड़ा कर्तव्य होता है ... ऐसी भाभी की सोच है...
घर में ऐसे कपडे? हा तो मैं एक बात बताना भूल गया, मेरे माँ बाप बहोत पहले ही एक आकस्मिक घटना के शिकार हो कर कार एक्सिडेंट में भगवान् को प्यारे हो गए है...
भैया की जब शादी हुई थी, तब माँ बाप ज़िंदा थे। और सिर्फ १ साल में ही हादसा हुआ और चल बसे। घर में भाई के ऑफिस जाने बाद, में भी कॉलेज चला जाता था। घर में भाभी अकेली ही रहती थी। पसंद आये ना आये पर यही होता था। भैया को ऑफिस जाना पड़ता था, सब जिम्मेदारी उनके ऊपर थी, और मैं तो ठीक कभी जाता था कॉलेज तो कभी नहीं। कॉलेज के दिन तो यही होता है ना....?
पर माँ बाप के जाने का सदमा मुझे इस कदर लगा था के, मैं कॉलेज की परीक्षा में फ़ैल हुआ। भैया कभी गुस्सा नहीं करते मुज पर, और उस दिन भी नही किया, मुझे पास बिठा कर शांति से समजाया के संसार का यही नियम है। तुम्हे धक्का जरूर लगा है, मुझे भी लगा है, पर हमारे माँ बाप तभी सुखी होंगे जब हम कामयाब होके बताएँगे....
बात भी सही थी उनकी... पर मेरा एक ही कन्सर्न था के भाई तो फिर भी ठीक है, रात को अपनी फ्रस्ट्रेशन निकाल देते होंगे, भाभी भी पूरा दिन भैया के लिए अपने आपको संवारती थी, और रात को भाई की बाहों में टूट के बिखर जाती थी। मैं भाई का बिस्तर गरम होते कई बार देख चूका था। शायद चस्का लग गया था मुझे, भैया और भाभी की चुदाई देखने का। भाभी को नंगा देखने की तलब ऐसे खत्म होगी ये नही पता था मुझे। हर रोज़ भाई भाभी आगोश में लिपटे एक दूसरे को सुख देने में नही पर एक दूसरे से सुख लेने में लगे होते दीखते थे। भाई का चहेरा सुबह और खिल जाता था।
कई बार ये सवाल ध्यान में आता है, की कोई गुज़र जाए तो चुदाई करनी चाहिए या नहीं? मैं कहता हु के हा, मन हो रहा है तो कर ही लेनी चाहिए तो ही आपका दिमाग शांत रहेगा और लड़ने की ताकत मिलती रहेगी...
तो यही बात थी जो मुझे खटक रही थी की, अब मेरा कौन... मुझे कई बार खयाल आता था के मैं रंडी बाजार चला जाउ। और अपनी वासना को शांत कर दूँ। पर ये इतना आसान नही होता। तो बस मैं शांत होने लगा, और शांत, और शांत... भैया ने मुझे छूट दे दी थी की अगर एक साल ड्रॉप लेना चाहते तो ले सकते हो और घूमने जाना चाहते तो वो भी कर सकते हो... मानसिक सपोर्ट भैया और भाभी दोनों दे रहे थे... पर शायद मुझे शारीरिक सपोर्ट चाहिए था....
भैया वैसे सब समजते थे, क्योकि वो शादीशुदा थे....
एक दिन की बात है, मैं कॉलेज नहीं गया था, और भाभी मुझसे बाते कर रही थी अचानक मुझसे पूछा
कीर्ति: भैया आपके कोई फ्रेंड्स नहीं है क्या जहा आप अपने दिल की बाते शेयर कर सको? (वो मुझे रिश्ते के कारन भैया बुलाती थी)
मैं: हा है तो सही भाभी पर सब मतलबी होते है, कुछ कुछ लोग सही भी है, जो मेरी केर करते है, पर ठीक है, मैं दुरिया बनाता हूँ।
कीर्ति: ऐसा क्यों भला? जब तक जानोगे परखोगे नहीं तब तक कैसे पता चलेगा?
मैं: हम्म बात तो सही है आपकी.. ठीक है मैं कोशिश करूँगा।
यही वार्तालाप मेरे हसीन पलो को दस्तक देंगी ये पता नहीं था... मैं अपने दोस्तों से मिलने लगा... सब के साथ मस्ती मारने लगा... अच्छा लगा और में नेक्स्ट परीक्षा में पास भी हुआ !!!!! में मन से खुश रहने लगा था... दोस्तों के साथ बात करता तो पता चला के सब कोई न कोई लड़की पे मरता है कैसी फेंटेसी लेके बेठे है, एक अजीब रोमांच देता था, पर वासना को और भड़का रहा था... मिलके अब हम सिर्फ ५ फ्रेंड्स है.... केविन, सचिन, राजू, कुमार और मैं...
केविन के पापा बहुत बड़े बिजनसमैन थे, सचिन के पापा किराने की दुकान थी, राजू के और कुमार के पापा मजदुर थे तो लॉन लेकर पढ़ते थे... पर हमारे बिच पैसा नही था, बस विश्वास और प्यार था... उसीके कारन दोस्ती इतनी गहरी हुई थी...
इक बार हम पांच जन बैठे थे और शांति से मोबाईल में देख रहे थे के, वासना से अँधा मैं बोल पड़ा...
मैं: मैंने अपने भाई भाभी की चुदाई देखी है...
थोडा सन्नाटा जरूर हुआ पर...
केविन: भाई ठीक है पर ये क्या बोल दिया तूने?
मैं: नहीं पता शायद मैं अपनी भाभी को....
केविन: (बात काटते हुए) प्यार करने लगा है?
मैं: शायद हा....
केविन: क्या वो जानती है?
मैं: नहीं... क्योकि अभी तक मैं ज़िंदा जो हूँ...
राजू: पर ये गलत है...
मैं: पर क्या करू? पोर्न देखो भाभी देवर, वार्ता पढ़ो भाभी देवर... सब जगह भाभी देवर... और ये एक ही तो औरत है तो मेरे सब से करीब है...
सब शांति से सुन रहे थे मैं बोले जा रहा था...
मैं: सुबह उठो... एक चाँद सा चहेरा नज़र आता है... घर में पायल की आवाज़ खन खन करती रहती है... पसीने से लथबथ जब उसकी कमर दिखती है तो होश खो बैठता हूँ। पूरा दिन काम करके आराम करे तो जब सोती है तो बाहे और तड़पाती है... उसके छाती के उभार... और ब्लाउज़ के हुक पर आते प्रेशर कुछ अलग सा रोमांच पैदा करती है... कपडे धोती है तो भीना बदन मेरे अंदर आग लगा देता है... रात को भैया की बाहो में देखता हूँ, कितनी शिद्धत से अपने आपको भैया को समर्पित कर के अपने बदन पे गुमान करना... बड़ी बड़ी चुचिया को इस कदर भैया को हवाले करना के जैसे एक बच्चा खिलवाड़ करता हो और दर्द का पता भैया को पता नहीं होने देना... भैया के लिए अलग अलग आवाज़ करके और उत्साहित करना.... लंड मुँह में इतना अंदर लेना के मानो भैया के पास लंड हे ही नही... एक मर्द को कैसे खुश करना है... ये कीर्ति भाभी अच्छी तरह से जानती है... भैया घर में दाखिल होते ही अगर ब्लाउज़ के अंदर हाथ न डाले तो उसे भी चैन नहीं पड़ता....
मैं ये भावना में बह कर कुछ भी बोले जा रहा था क्योकि वो मेरे दोस्त थे... और वो सब चुपचाप मुझे सुने जा रहे थे....
मैं कुछ अलग ही दुनिया में खोया हुआ था उस वक़्त... मैं किसके बारे में क्या बोल रहा था कुछ ख़याल नही था.... और तो ठीक किसी और के सामने? ये वो ख़याल थे जो मेरे दिमाग में घूम रहे थे, जो हर रोज़ हिलाके बहार निकलता था... आज मुह से बोल बन के बहार निकल रहे थे.... मैं आगे बोले जा रहा था और कोई भी मुझे रोक नहीं रहा था... क्योकि सब कोई अपनी पेंट की ताकत नाप रहे थे...
मैं: जब भैया उनपे चढ़ते है... तो अपनी बाहें फैलाकर उनका स्वागत ऐसे करती है जाने वो उनको खुद में समां लेंगे... कोई भी भूखा शिकारी भेड़िया बन जाए वैसे ही उस पर टूट सकता है.... डोगी स्टाइल हो, या अमेजॉन स्टाइल हो... या फिर मिशनरी पोज़िशन हो... वो भैया का स्वागत इस कदर करती है... जैसे भैया महसूस करता है.. की सिर्फ वही उनका मालिक है। एक लडके को और चाहिए भी क्या...? आखिर उस मल्लिका का शहज़ाद ए मालिक वो अकेला ही तो है... पूर्ण स्त्री है वो....
अब अचानक मेरा ध्यान टुटा... मुझे ख़याल आया के ये मैं क्या बोल गया... सब मुझे देख रहे थे... सब के मुह पर वासना के कीड़े थे... वहिषी बन चुके है... कुसूर मेरा है... मैं ही अपनी भाभी को सरेआम नंगा कर रहा हूँ...
राजू: उहू... उहू... भाई... कहा हो आप? क्या हो गया आपको?
मैं: एम्म्म... कुछ नहीं... अरे चलो ना बाहर जाते है...
और हम सब एक साथ बाहर निकल गए...