hotaks444
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सीमा इस बार की चुदाई के दौरान चार बार झड़ चुकी थी। उसे इस बार की चुदाई में खूब मज़ा आया। धरम ने अपना लंड सीमा की चूत से बाहर निकाला तो सीमा ने झट से उसका लंड पकड़ लिया और चाटने लगी। उसने धरम का लंड चाट-चाट कर साफ़ कर दिया। उसके बाद धरम ने भी सीमा की चूत चाट कर साफ़ करनी शुरु कर दी। उसके बाद हम सब ने साथ ही साथ नहाया और नाश्ता किया। दस बजने वाले थे। धरम तैयार हो कर ऑफिस जाने लगे।
सीमा ने भी मुस्कुरा कर उसको बॉय-बॉय किया। सीमा ने मुझसे पूछा, “मैं भी धरम से गाँड मरवाना चाहती हूँ। बहुत ज्यादा दर्द तो नहीं होगा?”
मैंने कहा, “तू राज से चुदवाने की आदी थी लेकिन फिर भी धरम का लंड तुझे अंदर लेने में बहुत तकलीफ हुई। तूने कभी गाँड नहीं मरवायी है। तेरी गाँड का छेद बहुत छोटा होगा। सोच ले कितना दर्द होगा। लेकिन जब दो-तीन बार गाँड मरवाने के बाद धरम का पूरा तेरी गाँड में आराम से अंदर-बाहर होने लगेगा तो उसके बाद चूत चुदवाने से भी बहुत ज्यादा मज़ा गाँड मरवाने में आयेगा।”
सीमा बोली, “ठीक है। मैं सारा दर्द किसी तरह बर्दाश्त कर लुँगी। तू धरम से कह दे कि आज रात से मेरी गाँड मारना शुरु कर दे।”
मैंने कहा, “बहुत दर्द होगा। तू एक बार फिर से सोच ले। अगर एक बार धरम ने तेरी गाँड मर ली तो पूरा लंड तेरी गाँड के अंदर डालने के लिये वो तेरी गाँड दो-तीन बार ज़रूर मारेग। भले ही तू कितना चिल्लाये या मना करे। मैंने तुझे बताया था ना कि धरम ने शुरु-शुरु में मेरी गाँड कैसे मारी थी।”
सीमा बोली, “मैंने सोच लिया है। मैं धरम से ज़रूर गाँड मरवाऊँगी।”
मैंने कहा, “ठीक है। मैं धरम से कह दुँगी।”
अभी ग्यारह ही बजे थे कि कॉल-बेल बजी। मैंने दरवाजा खोला तो धरम थे। मैंने पूछा, “आज इतनी जल्दी कैसे? ऑफिस नहीं गये क्या?”
वो बोले, “किसी वजह से ऑफिस तीन दिनों के लिये बंद है।”
मैं खुश हो गयी। मैंने धरम से कहा, “सीमा भी तुमसे गाँड मरवाना चाहती है।”
धरम बोले, “तुमने उसे अपनी पूरी कहानी बता दी ना?”
मैंने कहा, “हाँ, मैंने सब बता दिया है। वो राज़ी है।”
धरम ने कहा, “फिर ठीक है। मैं उसकी गाँड भी मार दुँगा।”
उसके बाद मैंने और सीमा ने खाना बनाया। फिर हम सब खाना खाने लगे। खाना खाने के बाद हम सब ने थोड़ा आराम किया। दो बजे धरम ने सीमा से कहा, “तुम गाँड मराने के लिये हेमा से कह रही थी। तैयार हो?”
सीमा बोली, “हाँ, मैं तैयार हूँ।”
सीमा ने भी मुस्कुरा कर उसको बॉय-बॉय किया। सीमा ने मुझसे पूछा, “मैं भी धरम से गाँड मरवाना चाहती हूँ। बहुत ज्यादा दर्द तो नहीं होगा?”
मैंने कहा, “तू राज से चुदवाने की आदी थी लेकिन फिर भी धरम का लंड तुझे अंदर लेने में बहुत तकलीफ हुई। तूने कभी गाँड नहीं मरवायी है। तेरी गाँड का छेद बहुत छोटा होगा। सोच ले कितना दर्द होगा। लेकिन जब दो-तीन बार गाँड मरवाने के बाद धरम का पूरा तेरी गाँड में आराम से अंदर-बाहर होने लगेगा तो उसके बाद चूत चुदवाने से भी बहुत ज्यादा मज़ा गाँड मरवाने में आयेगा।”
सीमा बोली, “ठीक है। मैं सारा दर्द किसी तरह बर्दाश्त कर लुँगी। तू धरम से कह दे कि आज रात से मेरी गाँड मारना शुरु कर दे।”
मैंने कहा, “बहुत दर्द होगा। तू एक बार फिर से सोच ले। अगर एक बार धरम ने तेरी गाँड मर ली तो पूरा लंड तेरी गाँड के अंदर डालने के लिये वो तेरी गाँड दो-तीन बार ज़रूर मारेग। भले ही तू कितना चिल्लाये या मना करे। मैंने तुझे बताया था ना कि धरम ने शुरु-शुरु में मेरी गाँड कैसे मारी थी।”
सीमा बोली, “मैंने सोच लिया है। मैं धरम से ज़रूर गाँड मरवाऊँगी।”
मैंने कहा, “ठीक है। मैं धरम से कह दुँगी।”
अभी ग्यारह ही बजे थे कि कॉल-बेल बजी। मैंने दरवाजा खोला तो धरम थे। मैंने पूछा, “आज इतनी जल्दी कैसे? ऑफिस नहीं गये क्या?”
वो बोले, “किसी वजह से ऑफिस तीन दिनों के लिये बंद है।”
मैं खुश हो गयी। मैंने धरम से कहा, “सीमा भी तुमसे गाँड मरवाना चाहती है।”
धरम बोले, “तुमने उसे अपनी पूरी कहानी बता दी ना?”
मैंने कहा, “हाँ, मैंने सब बता दिया है। वो राज़ी है।”
धरम ने कहा, “फिर ठीक है। मैं उसकी गाँड भी मार दुँगा।”
उसके बाद मैंने और सीमा ने खाना बनाया। फिर हम सब खाना खाने लगे। खाना खाने के बाद हम सब ने थोड़ा आराम किया। दो बजे धरम ने सीमा से कहा, “तुम गाँड मराने के लिये हेमा से कह रही थी। तैयार हो?”
सीमा बोली, “हाँ, मैं तैयार हूँ।”