hotaks444
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रिशू ने लाला को समझा दिया की वो भी एक-दो दिनों से उनके साथ खेल रही है...अपने भाई के साथ या उसकी जगह पर..इस बात से भला लाला को क्या प्राब्लम हो सकती थी,क्योंकि वो तो खुद ही गुड्डू के भरोसे खेल रहा था..
पर लाला के दिमाग़ मे एक ही बात चल रही थी की कैसे रश्मी को शीशे मे उतार कर उसके साथ मज़ा लिया जाए..
अभी तो खेल शुरू ही हुआ था...अभी तो पूरी रात पड़ी थी उस काम के लिए..
अब तो लाला किसी भी तरह रश्मी को इंप्रेस करना चाहता था...उसने गुड्डू के कान में बोल दिया की अब वो बिना उसकी हेल्प के खेलेगा...क्योंकि ये बात वो भी जानता था की जब गुड्डू उसकी हेल्प नही करता तो वो हारता ही है...और रश्मी के हाथो हारकर वो उसे खुश करना चाहता था और इंप्रेस भी..
गुड्डू समझ गया की लाला बावला हो गया है लोंडिया देखकर...पर वो कर भी क्या सकता था...उसके पैसे तो थे नही जो वो चिंता करता..वो आराम से पीछे होकर बैठ गया और खेल देखने लगा.
अगली गेम शुरू हुई.
सबने बूट के 100-100 रुपए बीच मे डाल दिए..सबसे पहली ब्लाइंड चलने की बारी लाला की ही आई, उसने ब्लाइंड के लिए सीधा 500 रुपय बीच मे फेंक दिए..
राजू की तो पहले से ही फटी पड़ी थी..उसने अपने पत्ते उठा लिए, उसके पास 2,3,5 आया था...यानी सबसे छोटे और बेकार पत्ते..उसने अपना माथा पीट लिया और पत्ते नीचे फेंक दिए..
अब रिशू की बारी थी, उसने भी ब्लाइंड के 500 नीचे फेंक दिए..
रश्मी तो जैसे जानती ही थी की वो ही जीतेगी, उसने ब्लाइंड को डबल करते हुए 1000 रुपए बीच में फेंक दिए..इतनी दरियादिली तो गुड्डू ने भी किसी में नही देखी थी..लाला भी रैरान सा होकर रह गया, वो समझ रहे थे की वो अपनी नादानी मे ऐसे 1000 की ब्लाइंड खेल गयी...पर लाला भी पीछे रहने वालो से नही था...उसे तो रश्मी को वैसे भी इंप्रेस करना था..इसलिए उसने भी ब्लाइंड को .डबल करते हुए 2000 बीच में फेंक दिए..
और इन दोनो के बीच बेचारा रिशू फँस कर रह गया...2000 की ब्लाइंड चलने का उसे शोंक कोई नही था..उसने झट से पत्ते उठा लिए..और उन्हे देखते ही उसके दिल की धड़कन तेज हो गयी..उसके पास सीक़वेंस आया था..8,9,10.
उसने अपनी खुशी को चेहरे पर नही आने दिया, और कुछ सोचने के बाद 4000 की चाल चल दी.
रिशू जैसे बंदे की तरफ से चाल आती देखकर मोनू समझ गया की उसके पास ज़रूर बढ़िया पत्ते ही आए होंगे..उसने रश्मी को पत्ते उठाने के लिए कहा..पहले तो रश्मी ने मना कर दिया, क्योंकि वो कल से एक भी गेम नही हारी थी..और उसे विश्वास था की ये गेम भी वही जीतेगी..पर मोनू के ज़िद करने के बाद उसने पत्ते उठा लिए.
लाला की नज़रें गेम से ज़्यादा रश्मी का शरीर नापने मे लगी थी...वो उसके हर अंग को अपनी आँखों से चोद रहा था...अपने होंठों पर जीभ फिराता हुआ लाला भूखी नज़रों से रश्मी को घूरे जा रहा था..वो सोचने लगा की काश इस वक़्त रश्मी बिना कपड़ों के उसके सामने बैठी होती , वो तो अपनी सारी दौलत लुटा देता उसके उपर..
वैसे भी बिना ब्रा के वो लगभग नंगी हालत मे ही थी...क्योंकि काफ़ी गोर से देखने पर उसके उभारों के उपर हल्के-2 भूरे रंग के निप्पल सॉफ दिखाई दे रहे थे...पर शायद इस बात का रश्मी और मोनू को एहसास नही था, क्योंकि पास से देखने मे कुछ नही दिख रहा था, दूर बैठे लाला को वो साफ़ दिख रहा था, शायद कपड़े के रंग की वजह से ऐसा था. वैसे एक बात और भी है, ऐसे ठरकी लोगों को अंदर तक का सामान दिख ही जाता है, लड़कियां कितना भी छुपाना चाहे, ठरकी लड़के उनके कपड़े भेदकर सब पता लगा लेते हैं, और यहाँ तो रश्मी खुल्लम खुला सब दिखती हुई सी बैठी थी , वो भला कैसे बच पाती लाला की चुदासी भरी नजरों से
और इधर मोनू और रश्मी भी अपनी खुशी कंट्रोल नही कर पा रहे थे...उनके पास पत्ते आए ही ऐसे थे..मोनू तो पुराना खिलाड़ी था, इसलिए उसने खुशी के भाव चेहरे पर नही आने दिए, पर रश्मी के चेहरे की चमक बता रही थी की इस बार भी उसका जलवा चलने वाला है..
मोनू ने भी 4000 की चाल चल दी..
अब लाला को भी पत्ते उठाने ही पड़े, क्योंकि जिसके लिए वो पैसे लूटा रहा था वो तो खुद ही चाल चल बैठी थी.
उसने अपने पत्ते देखे...और गुड्डू को भी दिखाए...भले ही उसने पहले उसकी हेल्प लेने से मना कर दिया था, पर २-२ चाल आने के बाद उसने गुड्डू की सलाह लेनी ही उचित समझी , पत्ते तो उनके पास अच्छे ही आए थे...कुछ देर सोचने के बाद गुड्डू ने उसे चाल चलने के लिए कहा...शायद ये सोचकर की रश्मी के पास कुछ खास नही होगा..और ना ही रिशू के पास...
यहाँ लाला एक बार फिर से रश्मी को इंप्रेस करने के चक्कर मे चाल को डबल करते हुए 8000 पर ले गया, अब बारी फिर से रिशू की थी...उसके पास पत्ते तो काफ़ी जबरदस्त थे, पर एक प्राब्लम भी थी...वो आज के लिए सिर्फ़ 30 हज़ार रुपय ही लाया था घर से...अगर ऐसी 2-3 चाले और चलनी पड़ी तो वो आगे खेल ही नही पाएगा..पर फिर भी एक चाल और चलनी तो बनती ही थी...ये सोचकर की शायद सामने से कोई पीछे हट जाए और वो दूसरे से शो माँग ले, ऐसे मे जितने भी आ जाएँ, वही बहुत है.
पर हर जुवारी यहीं ग़लती कर देता है और हारता चला जाता है.http://rajsharmastories.com/memberlist.php?mode=viewprofile&u=32926
पर लाला के दिमाग़ मे एक ही बात चल रही थी की कैसे रश्मी को शीशे मे उतार कर उसके साथ मज़ा लिया जाए..
अभी तो खेल शुरू ही हुआ था...अभी तो पूरी रात पड़ी थी उस काम के लिए..
अब तो लाला किसी भी तरह रश्मी को इंप्रेस करना चाहता था...उसने गुड्डू के कान में बोल दिया की अब वो बिना उसकी हेल्प के खेलेगा...क्योंकि ये बात वो भी जानता था की जब गुड्डू उसकी हेल्प नही करता तो वो हारता ही है...और रश्मी के हाथो हारकर वो उसे खुश करना चाहता था और इंप्रेस भी..
गुड्डू समझ गया की लाला बावला हो गया है लोंडिया देखकर...पर वो कर भी क्या सकता था...उसके पैसे तो थे नही जो वो चिंता करता..वो आराम से पीछे होकर बैठ गया और खेल देखने लगा.
अगली गेम शुरू हुई.
सबने बूट के 100-100 रुपए बीच मे डाल दिए..सबसे पहली ब्लाइंड चलने की बारी लाला की ही आई, उसने ब्लाइंड के लिए सीधा 500 रुपय बीच मे फेंक दिए..
राजू की तो पहले से ही फटी पड़ी थी..उसने अपने पत्ते उठा लिए, उसके पास 2,3,5 आया था...यानी सबसे छोटे और बेकार पत्ते..उसने अपना माथा पीट लिया और पत्ते नीचे फेंक दिए..
अब रिशू की बारी थी, उसने भी ब्लाइंड के 500 नीचे फेंक दिए..
रश्मी तो जैसे जानती ही थी की वो ही जीतेगी, उसने ब्लाइंड को डबल करते हुए 1000 रुपए बीच में फेंक दिए..इतनी दरियादिली तो गुड्डू ने भी किसी में नही देखी थी..लाला भी रैरान सा होकर रह गया, वो समझ रहे थे की वो अपनी नादानी मे ऐसे 1000 की ब्लाइंड खेल गयी...पर लाला भी पीछे रहने वालो से नही था...उसे तो रश्मी को वैसे भी इंप्रेस करना था..इसलिए उसने भी ब्लाइंड को .डबल करते हुए 2000 बीच में फेंक दिए..
और इन दोनो के बीच बेचारा रिशू फँस कर रह गया...2000 की ब्लाइंड चलने का उसे शोंक कोई नही था..उसने झट से पत्ते उठा लिए..और उन्हे देखते ही उसके दिल की धड़कन तेज हो गयी..उसके पास सीक़वेंस आया था..8,9,10.
उसने अपनी खुशी को चेहरे पर नही आने दिया, और कुछ सोचने के बाद 4000 की चाल चल दी.
रिशू जैसे बंदे की तरफ से चाल आती देखकर मोनू समझ गया की उसके पास ज़रूर बढ़िया पत्ते ही आए होंगे..उसने रश्मी को पत्ते उठाने के लिए कहा..पहले तो रश्मी ने मना कर दिया, क्योंकि वो कल से एक भी गेम नही हारी थी..और उसे विश्वास था की ये गेम भी वही जीतेगी..पर मोनू के ज़िद करने के बाद उसने पत्ते उठा लिए.
लाला की नज़रें गेम से ज़्यादा रश्मी का शरीर नापने मे लगी थी...वो उसके हर अंग को अपनी आँखों से चोद रहा था...अपने होंठों पर जीभ फिराता हुआ लाला भूखी नज़रों से रश्मी को घूरे जा रहा था..वो सोचने लगा की काश इस वक़्त रश्मी बिना कपड़ों के उसके सामने बैठी होती , वो तो अपनी सारी दौलत लुटा देता उसके उपर..
वैसे भी बिना ब्रा के वो लगभग नंगी हालत मे ही थी...क्योंकि काफ़ी गोर से देखने पर उसके उभारों के उपर हल्के-2 भूरे रंग के निप्पल सॉफ दिखाई दे रहे थे...पर शायद इस बात का रश्मी और मोनू को एहसास नही था, क्योंकि पास से देखने मे कुछ नही दिख रहा था, दूर बैठे लाला को वो साफ़ दिख रहा था, शायद कपड़े के रंग की वजह से ऐसा था. वैसे एक बात और भी है, ऐसे ठरकी लोगों को अंदर तक का सामान दिख ही जाता है, लड़कियां कितना भी छुपाना चाहे, ठरकी लड़के उनके कपड़े भेदकर सब पता लगा लेते हैं, और यहाँ तो रश्मी खुल्लम खुला सब दिखती हुई सी बैठी थी , वो भला कैसे बच पाती लाला की चुदासी भरी नजरों से
और इधर मोनू और रश्मी भी अपनी खुशी कंट्रोल नही कर पा रहे थे...उनके पास पत्ते आए ही ऐसे थे..मोनू तो पुराना खिलाड़ी था, इसलिए उसने खुशी के भाव चेहरे पर नही आने दिए, पर रश्मी के चेहरे की चमक बता रही थी की इस बार भी उसका जलवा चलने वाला है..
मोनू ने भी 4000 की चाल चल दी..
अब लाला को भी पत्ते उठाने ही पड़े, क्योंकि जिसके लिए वो पैसे लूटा रहा था वो तो खुद ही चाल चल बैठी थी.
उसने अपने पत्ते देखे...और गुड्डू को भी दिखाए...भले ही उसने पहले उसकी हेल्प लेने से मना कर दिया था, पर २-२ चाल आने के बाद उसने गुड्डू की सलाह लेनी ही उचित समझी , पत्ते तो उनके पास अच्छे ही आए थे...कुछ देर सोचने के बाद गुड्डू ने उसे चाल चलने के लिए कहा...शायद ये सोचकर की रश्मी के पास कुछ खास नही होगा..और ना ही रिशू के पास...
यहाँ लाला एक बार फिर से रश्मी को इंप्रेस करने के चक्कर मे चाल को डबल करते हुए 8000 पर ले गया, अब बारी फिर से रिशू की थी...उसके पास पत्ते तो काफ़ी जबरदस्त थे, पर एक प्राब्लम भी थी...वो आज के लिए सिर्फ़ 30 हज़ार रुपय ही लाया था घर से...अगर ऐसी 2-3 चाले और चलनी पड़ी तो वो आगे खेल ही नही पाएगा..पर फिर भी एक चाल और चलनी तो बनती ही थी...ये सोचकर की शायद सामने से कोई पीछे हट जाए और वो दूसरे से शो माँग ले, ऐसे मे जितने भी आ जाएँ, वही बहुत है.
पर हर जुवारी यहीं ग़लती कर देता है और हारता चला जाता है.http://rajsharmastories.com/memberlist.php?mode=viewprofile&u=32926