शाम तक दोनो अपनी माँ को डिसचार्ज करवाकर घर ले आए...और उन्होने संभलकर उन्हे उपर वाले कमरे मे भी पहुँचा दिया..डॉक्टर्स के परामर्श के अनुसार अब उन्हे अगले 5 दीनो तक वो इंजेक्शन लगना था..आज का वो लगवा कर ही आए थे....इसलिए 8 बजते-2 रश्मी ने खाना भी बना दिया और उन्हे खाना खिला कर सुला भी दिया..
मोनू बाहर गया हुआ था...रश्मी नीचे ड्रॉयिंग रूम मे बैठकर टीवी देख रही थी की बाहर की बेल बजी..
उसने दरवाजा खोला तो बाहर मोनू अपने 2 दोस्तों के साथ खड़ा था.
मोनू : "आ जा भाई ....अपना ही घर समझ .... ''
और रश्मी को उनका परिचय करवाते हुए बोला : "दीदी ...ये मेरे दोस्त है .... ये रिशू, इसको तो आप जानती ही हो.... और ये है राजेंद्र...मतलब राजू ...''
दोनो ने रश्मी को नमस्ते की और अंदर आकर बैठ गये.
दोनो भाई बहन ने पहले से डिसाईड कर लिया था की कैसे वो योजना के अनुसार खेलने के लिए मैदान में उतरेगी..
सो अंदर आते ही मोनू शुरू हो गया : "दीदी ....अब आपके कहने पर ही में आज घर पर आकर खेल रहा हू...थोड़ा बहुत शोर शराबा हुआ तो आप बुरा मत मानना ..''
रश्मी : "अब तेरी दीवाली के दिनों मे जुआ खेलने की जिद्द है तो में क्या कर सकती हू ... जब तूने खेलना ही है तो घर पर ही खेल ना... माँ की तबीयत खराब हुई तो में अकेली कहाँ भागूँगी .तू घर पर रहेगा तो मुझे तसल्ली रहेगी..''
ये सब बातें वो अपनी बनाई योजना के अनुसार कर रहे थे..
उसके बाद वो तीनों वहीं टेबल के चारो तरफ बैठ गये...और पत्ते बाँटने लगे..
रश्मी भी मोनू के पास जाकर बैठ गयी और बोली : "अब मैने बोर तो होना नही है....में भी तुम्हारे पास बैठकर ये खेल देखूँगी..''
मोनू कुछ बोल पता, इससे पहले ही रिशू बोल पड़ा : "हां ...हां ..रश्मी ..क्यों नही ...ज़रूर बैठो ....''
उसकी आँखो की चमक बता रही थी की वो रश्मी को ऐसे पत्तो के खेल मे इंटरस्ट लेते देखकर कितना खुश हो रहा था...अब उसकी खुशी के पीछे मंशा क्या थी,ये तो वो ही जाने, पर उसकी बात सुनकर रश्मी भी हँसती हुई सी मोनू के साथ बैठ गयी और फिर शुरू हुआ जुआ.
रश्मी सोफे के साइड मे हाथ रखने वाली जगह पर बैठी थी...मोनू के कंधे पर हाथ रखकर...उसके उपर झुकी हुई सी..मोनू को उसकी गर्म साँसे अपने कान और चेहरे पर सॉफ महसूस हो रही थी..
मोनू ने पत्ते बाँटे..और सभी ने बूट के 100 रुपय बीच मे रख दिए..
और उसके बाद सभी ने 2 बार ब्लाइंड भी चली 100-100 की..
सबसे पहले राजू ने अपने पत्ते उठा कर देखे..और देखने के साथ ही उसने 200 की चाल चल दी.
चाल देखते ही रिशू ने भी अपने पत्ते उठा कर देखे..पर देखने के साथ ही पैक भी कर दिया..
अब बारी थी मोनू की
मोनू ने मुड़कर रश्मी की तरफ देखा...उसने सिर हिला कर उसे इशारा किया और अगले ही पल मोनू ने फिर से ब्लाइंड चल दी
राजू बोला : "ओहो ..... इतना कॉन्फिडेन्स ....आज क्या हो गया तुझे...''
और हंसते हुए उसने फिर से 400 की चाल चल दी...डबल करते हुए.
अब तो मोनू को भी डर सा लगने लगा..उसने अपने पत्ते उठा कर देखे...एक-2 करते हुए..
पहला पत्ता था इक्का..
दूसरा निकला बादशाह...
मोनू का दिल ज़ोर-2 से धड़कने लगा...वो सोचने लगा की अगला पत्ता कोई भी आ जाए...बेगम आए तो सबसे बढ़िया ...वरना..एक और इक्का...या एक और बादशाह ...कलर तो बन नही सकता था...क्योंकि अभी तक के दोनो पत्ते अलग-2 थे..
उसने भगवान का नाम लेते हुए तीसरा पत्ता भी देखा...
वो गुलाम निकला..
शिट यार....ऐसा कैसे हो सकता है...शायद...मैं खेल रहा हू इसलिए...रश्मी खेलेगी तो उसके पास पत्ते आएँगे ना अच्छे ...मैं बेकार में ही इतना आगे खेल गया..पर फिर भी,शो माँगने लायक तो थे ही उसके पत्ते..
और उसने 400 बीच मे फेंक कर शो माँग लिया..
राजू ने अपने पत्ते सामने फेंक दिए..उसके पास पान का कलर था..
मोनू ने अपने पत्ते नीचे पटक दिए..
राजू ने हंसते हुए सारे पैसे उठा लिए..
रश्मी ने झुक कर राजू के पत्ते उठा कर देखे..शायद वो ये देखने की कोशिश कर रही थी की कही बीच मे पान के अलावा कोई दूसरा लाल रंग ना हो...
पर इतना ही समय काफ़ी था, राजू की तीखी नज़रों ने उसके गले की गहराई नाप ली...उसकी ब्लेक ब्रा मे कसे हुए उसके दोनो मुम्मे किसी टेनिस बॉल्स की तरह अपने जाल मे फँसे हुए दिख गये उसे...उसने गहरी मुस्कान के साथ रिशू की तरफ देखा...वो भी शायद उस गहराई को देख चुका था...दोनों के चेहरों पर कुटिलता से भरी हँसी आ गयी..और आँखो ही आँखो मे उन्होने रश्मी की जवानी से भरी छातियों का गुणगान कर दिया..
अगली गेम शुरू हुई...इस बार दो ब्लाइंड चलने के बाद रिशू ने पत्ते देखे और पेक कर दिया..दो और ब्लाइंड चलने के बाद मोनू ने पत्ते उठा लिए...वो अभी के लिए ज़्यादा रिस्क नही लेना चाहता था...पर उसके पास बड़े ही बेकार पत्ते आए...7, 3, 5.
उसने बिना शो माँगे ही पैक कर दिया...
राजू ने फिर से हंसते हुए सारे पैसे उठा लिए.
मोनू : "आज तो लगता है इसी का दिन है...दो गेम में ही डेड -दो हज़ार जीत गया...''
राजू : "मोनू भाई, ये तो वक़्त-2 की बात है...कल तुम्हारा दिन था...आज मेरा दिन है...और वैसे भी, अभी तो खेल शुरू हुआ है...शायद तुम जीत जाओ आगे चलकर...''
मोनू ने मन मे सोचा 'वो तो होना ही है...एक बार रश्मी को आने दो बीच मे..फिर देखना, तुम्हारी जेब कैसे खाली करवाता हूँ मैं...''
अगला खेल शुरू हुआ..तभी मोनू बोला : "मैं ज़रा बाथरूम होकर आता हू...तुम मेरे पत्ते रश्मी को बाँट दो...तब तक ये खेल लेगी...''
इसमे भला उन दोनो को क्या परेशानी हो सकती थी..उनके तो चेहरे और भी ज़्यादा चमक उठे..
मोनू उठकर उपर चला गया..
रश्मी सोफे पर बैठी..उसका दिल अब जोरो से धड़क रहा था..राजू ने गड्डी को रश्मी की तरफ बढ़ाया .ताकि वो उसे काट सके..जैसे ही रश्मी ने गड्डी पर हाथ रखा, राजू ने उसके हाथ के उपर अपना हाथ रखकर उसे दबोच लिया..
राजू : "अर्रे...अर्रे ....ऐसे नही....इतने पत्ते मत निकालो...थोड़ा आराम से...आधे से कम काटो...आराम से...''
और ये सब कहते-2 वो रश्मी के नर्म और मुलायम हाथ को अपने कठोर हाथों से सहला भी रहा था..
रश्मी भी उसके ऐसे स्पर्श के महसूस करके कसमसा उठी..उसके शरीर के रोँये खड़े हो गये...क्योंकि आज तक उसे किसी ने इस तरह से छुआ नही था..कल अपने भाई का स्पर्श और अब इस राजू का...दो दिन मे दो मर्दों के शरीर ने उसे छुआ था..ये एक कुँवारी लड़की के लिए एक शॉक से कम नही होता..
रश्मी ने थोड़े से ही पत्ते उठाए और ताश को काट कर नीचे रख दिया.राजू ने पत्ते बाँटे.
बूट के बाद सभी ने 3-3 बार ब्लाइंड चली..रश्मी वैसे तो निश्चिन्त ही थी, क्योंकि उसे पता था की उसके पत्ते अच्छे ही निकलेंगे..पर एक डर भी लग रहा था..की कहीं कुछ गड़बड़ ना हो जाए...
और ऐसा सोचते-2 उसने एकदम से अपने पत्ते उठा लिए...उन्हे देखकर उसकी समझ मे कुछ नही आ रहा था...एक बादशाह था...दूसरी बेगम....और तीसरा दस.
मोनू ने तो कहा था की उसके पत्ते हमेशा चाल चलने लायक होते हैं...उसने गेम समझ तो ली थी..पर अभी तक सही से वो अपने दिमाग़ मे बिठा नही पाई थी..पर फिर भी मोनू की बात को याद करते हुए उसने चाल चल दी ..
रिशू तो रश्मी के हुस्न का दीदार करने मे मस्त था...वो उसकी छातियों को टकटकी लगाकर देखे जा रहा था..और उसका साइज़ क्या होगा ये सोचने मे मग्न था...उसके निप्पल किस पॉइंट पर होंगे, वो उसकी रूपरेखा बना रहा था...ब्रा तो वो देख ही चुका था उसकी, ब्लैक कलर की..अगर वो ब्रा में ही बैठकर खेले तो कितना मज़ा मिलेगा..
और रिशू को अपनी तरफ ऐसे देखते देखकर रश्मी का दिल भी हिचकोले खा रहा था...और उसके दोनो निप्पल एकदम से सख़्त होकर सूट के कपड़े मे उभर आए...
और रिशू का अंदाज़ा बिल्कुल सही निकला, उसने जिस जगह पर सोचा था, वहीं पर उसे हल्के-2 निप्पल्स उभरते हुए दिख गये..वो अपनी क़ाबलियत पर खुश हो गया.
पर रश्मी को चाल चलते देखकर उसने एकदम से अपने पत्ते उठाए...उसके पास इक्का और दो छोटे पत्ते थे...चाल चलने या शो माँगने का सवाल नही था, क्योंकि राजू ने अभी तक अपने पत्ते देखे भी नही थे..
रिशू ने पेक कर दिया.
अब राजू की बारी थी....उसने अपने पत्ते उठाए...उसके पास इक्का, बादशाह और दुग्गी थी...उसका एक मन तो हुआ की पेक कर दे...क्योंकि सामने से चाल आ चुकी थी...पर वो इतने पैसे जीत चुका था अभी तक की शो माँगकर भी वो ही फायदे में ही रहता...और वैसे भी वो देखना चाहता था की रश्मी के पत्ते कैसे हैं...उसे खेलना भी आता है या नही..
और उसने 400 बीच मे फेंक कर शो माँग लिया..
और रश्मी के पत्ते देखकर वो ज़ोर-2 से हँसने लगा..और सारे पैसे बीच मे से उठा कर अपनी तरफ कर लिए...रिशू भी रश्मी के पत्ते देखकर मुस्कुरा दिया और बोला : "अभी तुम्हे सही से खेलना आता नही है रश्मी...या फिर तुम ब्लफ खेल रही थी...''
तब तक उपर से मोनू भी आ गया...उसने भी बीच मे पड़े रश्मी और राजू के पत्ते देखे...उसे तो विश्वास ही नही हो रहा था की रश्मी अपनी पहली ही गेम में हार गयी...उसने तो क्या-2 सोचा हुआ था..पर ऐसे रश्मी को हारता हुआ देखकर उसे अपनी सारी प्लानिंग फैल सी होती दिख रही थी..
मोनू : "अरे नही....ब्लफ भला ये क्या जाने...हम दोनो बस घर बैठकर थोड़ा बहुत खेल लेते हैं, बस वही आता है इसे...चलो, एक बार और बाँटो पत्ते...देखते हैं की इसकी कैसी किस्मत है ...''
रश्मी के साथ एक बार
और खेलने की बात सुनकर रिशू और राजू मुस्कुरा दिए...पर रश्मी ने धीरे से मोनू के कान मे कहा : "नही मोनू...तुम ही खेलो...मुझे नही लगता की मैं कल की तरह जीत पाऊँगी ..वो शायद कोई इत्तेफ़ाक था...ऐसे ही बेकार मे अपने पैसे मत बर्बाद करो...''
मोनू फुसफुसाया : "नही दीदी....एक और गेम खेलो...शायद इस बार अच्छे पत्ते आ जाए..प्लीज़ ...मेरे कहने पर...''
और मोनू के ज़ोर देने पर रश्मी फिर से खेलने लगी.
उसके निप्पल का साइज़ और भी ज़्यादा बड़ चुका था...शायद परेशानी में भी लड़कियो के निप्पल खड़े हो जाते हैं, जैसे उत्तेजना के वक़्त होते हैं...
वो दोनो हरामी तो उसकी छातियों पर लगे छोटे-2 बल्ब देखकर अपने लंड सहला रहे थे...मोनू का ध्यान इस बात पर नही था अभी...उसे तो चिंता सता रही थी की अगली गेम वो जीतेगा या नही..
पत्ते फिर से बाँटे गये...बूट के बाद 2-2 बार ब्लाइंड भी चली गयी...रिशू ने फिर से अपने पत्ते उठाए...और पहली बार वो अपने पत्ते देखकर खुश हुआ...और उसने 200 की चाल चल दी..
रिशू के बाद राजू ने भी अपने पत्ते देखे और चाल चल दी..
मोनू ने रश्मी को भी अपने पत्ते उठाने के लिए कहा..
रश्मी ने काँपते हाथों से एक-2 करके अपने पत्ते उठाए..
पहला 7 नंबर था..
दूसरा पत्ता 9 नंबर था...और अभी तक के दोनो पत्ते हुक्म के थे..