behen sex kahani मेरी तीन मस्त पटाखा बहनें - SexBaba
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behen sex kahani मेरी तीन मस्त पटाखा बहनें

hotaks444

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मेरी तीन मस्त पटाखा बहनें




फ्रेंड्स एक और कहानी आरएसएस पर शुरू कर रहा हूँ उम्मीद है आप सब मेरा साथ देंगे

परिचय

हाई दोस्तों मेरा नाम राज है मैं एक २० साल का हंडसॅम और स्मार्ट लड़का हूँ और मैंने अभी अभी कॉलेज ज्वाइन किया है।

मेरे परिवार में हम ५ लोग है मेरे पापा मेरी बड़ी बहन रीमा दीदी जो अभी २२ इयर्स की है और मुझसे छोटी दो जुड़वाँ बहन रानी और राखी है मेरी मम्मी की डेथ कुछ साल पहले हो गई थी।

मेरी तीनो ही बहन बहुत सुन्दर और सेक्सी है जो किसी भी मर्द का दिमाग ख़राब करने का दम रखती है तीनो ही बहनो का फिगर बहुत मस्त है बड़ी बड़ी चूचिया पतली कमर और बाहर को निकली भारी गांड को किसी को भी ईमान ख़राब कर दे।

पापा का अच्छा बिज़नेस है तो पैसो की कोई कमी नहीं है और हमारा घर भी काफी बड़ा है हम सभी के अलग अलग रूम है ग्राउंड फ्लोर पर पापा, रानी और राखी के रूम्स है जबकि फर्स्ट फ्लोर पर मेरा और रीमा दीदी का रूम है।

हम तीनो भाई बहनो में बहुत प्यार है और हमारे पापा भी हमें बहुत प्यार करते है बड़ा बिज़नेस होने के बाद भी वो हमारे लिए टाइम निकालते है और हमें किसी भी तरह से मम्मी की कमी नहीं खलने देते है।

हमारे यहाँ दो काम वाली बाई है जो खाना और घर की सफाई का जिम्मा संभालती है जबकि एक अधेड़ नौकर भी है जो बाजार से सामान लेने और घर के बाकि काम देखता है।

तो दोस्तों ये तो हुआ इंट्रोडक्शन नेक्स्ट अपडेट में स्टोरी की शुरुआत होगी वैसे तो ये स्टोरी मेरी और रीमा दीदी की ही है लेकिन अगर आगे रीमा दीदी की मेहरबानी हुई तो शायद रानी और राखी भी इसमें शामिल हो सकती है।।।।।।
 
हम सभी लोग अपनी फॅमिली में मतलब मम्मी पापा मैं और मेरी तीनो बहने बहुत अच्छा वक्त गुजार रहे थे लेकिन मम्मी के डेथ के बाद कुछ महीनो के लिए सब कुछ बिखर सा गया था ।

खेर होनी को कौन टाल सकता है सो धीरे धीरे हमारी लाइफ भी वापस नार्मल हो गई और सब कुछ फिर से वैसा ही चलने लगा।

ये बात तब की है जब मैं १८ साल का था और रीमा दीदी तब २० साल की थी रीमा दीदी स्कूल के बाद मुझे घर पर पढाया करती थी टेस्ट वगैरा लेती थी और वो . कुछ समझ न आता मुझे बहुत प्यार से समझाती थी मेरी दोनों छोटी बहने भी उससे पढ़ती थी लेकिन कभी कभी क्योंकि वो लोग छोटी क्लास में थी।

तब तक ना मुझे ना सेक्स का पता था ना ही उसके बारे में कोई जानकारी थी।

जब मैं १८ साल का हुआ और ११वी क्लास में पहुंचा तो उस क्लास में मेरे कुछ दोस्त मेरी एज के थे और कुछ मुझसे बड़े भी थे हम सब जब अकेले होते तो इधर उधर की बाते करते और कभी कभी सेक्सी जोक भी सुनाते थे और जब मेरी बारी आती तो मुझे कुछ नहीं आता तो वो मुझ पर हँसते थे इस तरह धीरे धीरे मुझे सेक्सी बाते करना और सुनना अच्छा लगने लगा।


कुछ दिन बाद हम सभी का ठरकीपना बढ़ता गया और हम सब मिलकर प्लानिंग बनाने लगे की आज फलानि मिस को टच करना है कभी किसी मिस को और कभी किसी मिस को। हमारी किस्मत से हमारे स्कूल की सभी टीचर्स बहुत सुन्दर थी ५ मिस तो एकदम जवान सेक्सी और कड़क माल थी।


फिर हम सब ने बारी बारी सभी मिस के मजे लेने शुरू कर दिए लेकिन हम सिर्फ अपना हाथ ही उनकी गांड पर लगा पाते थे लेकिन उसमें भी बहुत मजा आता था लेकिन हम ये सब सिर्फ ब्रेक में ही कर पाते थे क्योंकि हमारे स्कूल में ये नियम था की पढाई से रिलेटेड कोई भी चीज जैसे पेन कॉपी वग़ैरह वग़ैरह बाहर से नहीं खरीदना था बल्कि स्कूल से ही लेना था तो हर दिन नयी मिस की बारी होती थी बच्चों को सामान बेचने की और इसी बहाने हम हमारी मिस के मजे लेते रहते थे।


पहली बार जब मेरी बारी आई तो सबने कहा की जाओ यार मजा करो इस मिस की गांड का। मैं अंदर से बहुत डरा हुआ था लेकिन सब ने फोर्स किया तो मैं आगे बढ़ा और जो मिस सामान दे रही थी उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया मिस के पास बहुत बच्चे थे इसलिए वो उनको सामान देने में बिजी थी मैंने अपना एक हाथ उसकी गांड पर रखा डर भी लग रहा था और मेरा हाथ काँप भी रहा था लेकिन जब मेरा हाथ मिस की गांड पर टच हुआ तो मुझे अच्छा लगने लगा और मेरे लंड में हरकत होने लगी पहली बार मेरा लंड खड़ा हो रहा था वो भी जब मैं मिस की गांड को टच कर रहा था।


खेर मैं मिस के पीछे खड़ा उसकी गांड के मजे ले रहा था और एक हाथ में पैसे लेकर मिस के सामने रखे हुए था लेकिन वहां बहुत बच्चे थे तो मिस को मुझे सामान देने में बहुत टाइम लगा जिसकी वजह से मैंने कोई ५ मिनट तक मिस की गांड के मजे लिए मेरा लंड पूरी तरह खड़ा हो चुका था और मिस की गांड पर लग रहा था मैं समझ नहीं पाया की मिस ने मेरे लंड को फील किया या नहीं क्योंकि तब मैंने पैंट पहनी हुई थी विथ अंडरवियर इसलिए मुझे समझ नहीं आरहा था।


खेर इस तरह हम डेली नयी मिस के साथ बारी बारी मजा करते कुछ दिन ऐसा करने के बाद मुझे एक दोस्त ने कहा की यार सटरडे के दिन ऐसा जरुर किया करो क्योंकि उस दिन हाफ डे होता है और यूनिफार्म भी नहीं पहनना होता है।

मुझे तब समझ नहीं आया लेकिन जब सटरडे आया तो मैं लूस कपड़े पहन कर आया और अंदर अंडरवियर भी नहीं पहना था मैं सामान लेने पंहूँचा और फिर मिस के पीछे खड़ा हो गया और उनकी गांड पर अपना हाथ रखा आज दूसरी मिस थी और उनकी गांड बहुत सॉफ्ट थी मुझे बहुत मजा आने लगा और मेरा लंड झट से खड़ा हो गया और जब लंड फुल टाइट हो गया तो सीधा मिस की गांड के क्रैक में जा लगा सच में इस वक्त पहले से बहुत ज्यादा मजा आरहा था और मैं वहीँ मिस की गांड में लंड रगड़ने लगा 

कुछ ही देर में मिस को मेरा लंड अपनी गांड में लगने लगा तो मिस ने पीछे देखा और मुझसे कहा की राज आगे आकर सामान लो तो मैं डर कर जल्दी से मिस के सामने आया और सामान लेकर अपनी क्लास में आगया।।।।।।।।।।।।
 
अब तो मैं हर सटरडे को खुब मजा करता और अलग अलग मिस की गांड का मजा लेता लेकिन उससे ज्यादा करने की मेरी हिम्मत कभी नहीं हुई मतलब मैंने कभी भी किसी भी मिस के बूब्स तक हाथ पहुँचाने की कोशिश नहीं की २ मंथ बाद मैं इस सेक्स गेम में अच्छी तरह इन्वॉल्व हो गया लेकिन रात को जब मैं सोने लगता तो मेरा लंड खड़ा हो जाता और मुझे इतना तंग करता की मैं सारी रात सो नहीं पाता।

एक दिन मैंने अपनी ये प्रॉब्लम अपने एक दोस्त के बताई तो उसने कहा की अपने हाथ पर थुक लगा कर आगे पीछे किया करो और मुठ मारा करो जिससे ये प्रॉब्लम भी खत्म हो जायेगी और बहुत मजा भी आएगा लेकिन मेरी समझ में कुछ नहीं आया की ऐसा करने से क्या होगा लेकिन घर आकर रात को जब मैंने वैसा किया तो बहुत अच्छा लगा और कुछ देर बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया मुझे बहुत मजा आया और फिर मैं चेन से सो गया।


फिर ये सब काफी महीनो तक ऐसे ही चलता रहा अब आते है असली बात पर की कैसे रीमा दीदी के बारे में मेरे ख़यालात बदले और केसे मैं उसकी तरफ आकर्षित हुआ।।।।।।


हआ ये की एक दिन रीमा दीदी मुझे पढ़ा रही थी हम दोनों ही उसके रूम में बेड पर बैठे हुए थे तभी पढ़ते पढ़ते अचानक मेरी नजर दीदी की छाती पर चली गई इस वक्त रीमा दीदी सलवार सूट पहने हुए थी और दुपट्टा भी लिया हुआ था लेकिन कुर्ती टाइट होने के कारन उसका सीना बहुत उभरा हुआ दिख रहा था।


दीदी मेरी बुक देख रही थी और मैं उनकी छाती को घुर रहा था उसके बूब्स बहुत बड़े बड़े लग रहे थे तब उसने दुपट्टा तो लिया हुआ था लेकिन वो थोड़ा साइड पर हो गया था इसलिए उसके बूब्स कुर्ती में जकड़े हुए लग रहे थे।


कभी मैं दीदी के बूब्स को देख ही रहा था की उसने मुझे ऐसे देखते हुए पकड़ लिया और बोली "राज क्या हुआ ऐसे क्या देख रहा है, कहाँ खोये हुए हो कोई प्रॉब्लम हो तो बताओ कुछ चाहिए क्या? आओ इधर आओ"।


इतना कह कर दीदी ने मुझे अपने पास बैठा लिया और मेरी आँखों में देखने लगी।

"कुछ नहीं हुआ दीदी मैं बिलकुल ठीक हूँ वो तो बस आपका दुपट्टा साइड हो गया था तो मैं वहीँ देख रहा था" मैंने सच्चाई बताई।


रीमा दीदी ने अपनी गर्दन नीचे करके देखा तो उसका एक बूब तो ढका हुआ था लेकिन दुसरा दुपटटे से बाहर था तो उसने अपना दुपट्टा ठीक किया और बोलि "अच्छा तो तुम वहां देख रहे थे, लेकिन जब तुमने देख लिया था तो मुझसे कहा क्यों नहीं की दीदी अपना दुपट्टा ठीक कर लो"।


लेकिन शायद अभी तक दीदी को मेरी बात का मतलब समझ नहीं आया था 

"लेकिन दीदी मैंने अभी ही तो देखा था की आपने पूछ लिया तो मैं कैसे बताता वैसे दीदी आप दुपट्टा क्यों लेती हो अपनी छाती पर मतलब सभी लड़कियां वहां से इतनी मोटी क्यों होती है लड़के तो यहाँ से मोटे नहीं होते फिर लड़कियां क्यों होती है" मैं बोला।
 
[size=large]दीदी मेरी बात सुनकर हैरान होंगई और मुझे समझाते हुए बोली "भइया ऐसी बाते नहीं करते और ये सब तो बस नेचुरल है भगवान ने ही ऐसा बनाया है सब को और ये एक बहुत बड़ा अंतर होता है लड़के लड़कियों में लेकिन तुम ऐसी बाते मत किया करो और न ही इस बारे में सोचा करो, अच्छा अब पढाई करो और कुछ समझना है तुम्हे या मैं जाउ"।
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"नहीं दीदी आज के लिए बहुत हो गया अब मैं खेलने जारहा हूँ" कह कर मैंने बैग बंद किया और खेलने के लिए निकल गया।



रात को जब मैं सोने से पहले अपना फेवरेट काम करने लगा यानि मुठ मारने लगा तो मुझे रीमा दीदी के बूब्स याद आगये और मैं उन्हें ही इमेजिन करके मुठ मारने लगा और सच ऐसे मुठ मारने में मुझे आज तक का सबसे ज्यादा मजा आया।।।।।।।।।।





अगले दिन जब मैं घर आया तो मुझे कुछ सामान लेना था जिसके लिए पैसे माँगने मैं दीदी के रूम में गया तो देखा की वो रूम में नहीं थी मैं बाहर आया और उन्हें ढूँढ़ने लगा।



दीदी बाथरूम में थी और फ्रेश होने गई थी वो अपने रूम में आई और टेबल का ड्रावर खोल कर उसमें रखे पैसे निकाल कर अपनी ब्रा में रख लिए और कंघी करने लगी की मैं भी वहां पंहूँचा। 



"दीदी आप नहा रही थी और इधर मैं आपको ढूँढ रहा था, दीदी मुझे कुछ सामान लेना था जिसके लिए मुझे पैसे चाहिए" मैं बोला 



"कितने पैसे चाहिए और क्या लेना है" कहते हुए दीदी ने बिना कुछ सोचे अपना हाथ अपनी कुर्ती के गले के अंदर डाला और ब्रा से पैसे निकाल लिए।



"कितने पैसे चहिये" दीदी ने फिर पूछा लेकिन उसे जरा भी ध्यान नहीं था की उसने मेरे सामने अभी क्या किया था।



"दीदी मुझे १००० रूपये चाहिए मुझे टीशर्ट और लोअर लेना है" मैंने जवाब दिया लेकिन मेरी नजरे अभी तक रीमा दीदी की छाती पर ही टिकी हुई थी उस वक्त दीदी ने दुपट्टा भी नहीं लिया हुआ था और गीली कुर्ती उसके जिस्म से चिपकी हुई थी।





दीदी ने मुझे पैसे दिए और मेरी आँखों में देखा शायद वो मेरी नजरो को पह्चानना चाहती थी लेकिन कुछ कहा नहीं।



मै पैसे लेकर बाहर आगया और दीदी से मिले नोटों को पागलो की तरह चुमने लगा नोट अभी तक गीले थे और उनसे दीदी के बदन की खुश्बु आरही थी जो मुझे पागल बनाए जा रही थी फिर मैं सामान लेने बाजार चला गया।





दीदी ने जब मेरी नजरो में अजीब फील किया तो वो कोई बच्ची तो थी नहीं वो मेरे पीछे ही दूर तक आई और छुप कर मुझे देखने लगी वो मुझे पैसे को चुमते हुए देख चुकी थी एक बार तो उसे झटका सा लगा की उसका इतनी कम उमर का भाई अपनी बड़ी बहन की ब्रा से निकले पैसो को कैसे चुम और चाट रहा है खैर वो चुप ही रही लेकिन अंदर ही अंदर बहुत परेशान भी हो गई थी।





कुछ दिन गुजर गए लेकिन और कोई बात नहीं हुई और अचानक एक दिन मैं आया और पढाई करने दीदी के रूम में गया तो दीदी अपने बेड पर सो रही थी बिलकुल सीधी। उसके बूब्स ऊपर की तरफ थे और सांसो के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे। मुझे पता नहीं क्या हुआ की मैं दीदी को बिना उठाये ही उसके रूम से वापस आने लगा और अपने रूम में आकर मेरे दिमाग में शैतानी ख्याल आया और मैं वापस दीदी के रूम में आगया।





मै दीदी के बेड के पास जाकर खड़ा हो गया और कुछ देर सोचने के बाद मैंने हिम्मत की और दीदी की कुर्ती के गले में धीरे से हाथ डाला दीदी सो रही थी इसलिए उसने दुपट्टा नहीं लिया हुआ था।




[size=large]मेरा हाथ सीधे दीदी की ब्रा को जाकर लगा लेकिन मैं दीदी के बूब्स को अपने हाथ से फील करना चाहता था वो भी बिलकुल नंगा लेकिन ब्रा ने मेरा काम मुश्किल कर दिया था।[/size]
 
मेने अपना हाथ हटाने ही लगा था की अचानक मैंने सोचा की जब इतना रिस्क ले ही लिया है तो थोड़ा और सही शायद मैं कामयाब हो जाउ। ये सोच कर मैंने दोबारा अपना हाथ दीदी की कुर्ती के अंदर डाल दिया और ब्रा को अपनी उंगलियो से हटाने लगा लेकिन मुझे इस बात का कोई एक्सपीरियंस नहीं था की ब्रा कैसा होता है और किस तरह हटाया जाता है।

मैंने काफी कोशिश की लेकिन ब्रा बूब्स से नहीं हटा तो मैंने उंगलियो से ही दीदी के बूब दबाए जो बहुत नरम थे और ब्रा के नीचे से अपनी दो उंगलिया दीदी के बूब पर ले गया। ऊऊफफफफफ।।।।।। इतने सॉफ्ट बूब्स थे दीदी के की क्या बताऊं मुझे बहुत मजा आया जिसे मैं बयां भी नहीं कर सकता।

थोड़ी देर बाद मैंने और कोशिश करके अपनी ४ उंगलिया ब्रा में डाल दी और दीदी के बूब को धीरे धीरे दबाने लगा जिससे दीदी का निप्पल हार्ड होने लगा मुझे निप्पल्स के बारे में पता नहीं था लेकिन अच्छा फील हो रहा था की अचानक दीदी ने आँख खोल ली और मुझे देखा और झट से उठ कर बैठ गई मैंने भी जल्दी से अपना हाथ बाहर निकाल लिया।


दीदी ने साइड पर पड़ा दुपट्टा उठाया और उसे अपनी छाती पर डाल लिया और ग़ुस्से से बोली " क्या कर रहे थे तुम मेरे रूम में मेरे साथ? शर्म नहीं आई तुम्हे आखिर हो क्या गया है तुम्हे कुछ दिनों से मुझे महसूस हो रहा है की तुम में बहुत चेंज आगया है"।


"दीदी मुझे कुछ पैसो की जरुरत थी और आप सो रही थी मैंने कोशिश भी की लेकिन आप नहीं उठि तो मैंने सोचा की उस दिन आपने यहीं से पैसे निकाले थे तो क्यों न आपको परेशान किये बगैर मैं खुद ही पैसे निकाल लू और इसलिए मैंने अपना हाथ अंदर डाला था और अभी हाथ अंदर गया ही था की आप उठ गई इसमें मैंने ऐसे क्या गलत कर दिया की आप इतना गुस्सा हो रही हो आपने भी तो खुद ही यहाँ से निकाल कर पैसे दिए थे" मैं मौके की नजाकत को समझते हुए मासुम बनते हुए बोला।


"राज मेरे भाई ये ठीक नहीं है तुमने मुझे उठाना था और भैया ऐसे अपनी बहन के यहाँ हाथ नहीं डालते, पागल कहीं के मुझे तो डरा ही दिया था तुमने, बता कितने पैसे चहिये।।।।।" दीदी नार्मल होते हुए बोली।

"ओनली ५० रूपीस" मैं मुस्कुराते हुए बोला ताकि दीदी को शक न हो।

"क्या करना है ५० रूपीस का कोई खास चीज लेनि है क्या" दीदी बेड से उठते हुए बोली।

"नही बस ऐसे ही।।।।।" मैं मुस्कुराते हुए बोला दीदी मेरे झाँसे में आगई थी।

अब दीदी उठी और ड्रावर से पैसे निकाल कर मुझे दिए और बोली "अब जाओ और मुझे सोने दो"।

मैने भी पैसे हाथ किए और भगवान का शुक्रिया करते हुए रूम से बाहर निकल गया जो उन्होंने आज इतनी बड़ी मुसिबत से मुझे बचा लिया था और मेरे रूम से बाहर निकलते ही दीदी फिर से अपने बेड पर ढेर हो गई थी।।।।।।।।

मेरे बाहर जाने के बाद दीदी ने आँखे खोली और मेरी हरकतो के बारे में सोचने लगी अब वो ९०% श्योर हो चुकी थी की मेरे दिमाग में कुछ तो अलग चल रहा है लेकिन ऐसा क्यों हुआ और किसने मेरे दिमाग में ये बात भरा है वो जानना चाहती थी लेकिन कैसे सब मालूम पड़े ये वो समझ नहीं पा रही थी खैर वो ऐसे ही सोचो में गुम अपने बेड पर पड़ी रही।

कल दिन जब मैं जब दीदी के पास पढाई करने गया तो दीदी बोली "राज, आज हम बाते करेंगे आज पढना नहीं है पढाई कल कर लेंगे "।

"ओके दीदी, वैसे भी आज दो टीचर्स नहीं आई थी तो होम वर्क भी ज्यादा नहीं मिला है तो आज हम बाते कर सकते है, पढाई नहीं भी हो तो चलेगा" मैं बोला 

मेरी बात सुनकर दीदी मुझसे बाते करने लगी पहले तो इधर उधर की ऐसी वैसी बाते ही होते रही फिर दीदी धीरे धीरे काम की बातो पर आने लगी 


"अच्छा राज ये बताओ की स्कूल में कितने फ्रेंड्स है तुम्हारे" दीदी ने पूछा।


"दीदी मेरे तो बहुत दोस्त है स्कूल मे" मैंने जवाब दिया।
 
"अच्छा किसी लड़की से भी दोस्ती है क्या तुम्हारी" दीदी ने फिर पूछा।


"नही दीदी किसी लड़की से तो दोस्ती नहीं है मेरी" मैं बोला। 


"अच्छा क्या बाते करते हो तुम दोस्त आपस मे" दीदी ने अब कुरेदना शुरू कर दिया था।

"कुछ खास नहीं दीदी बस स्कूल की और इधर उधर की बाते ही होती है" मैं बोला।

"अच्छा क्या तुम दोस्त लोग लड़कियों के बारे में भी बाते करते हो क्या?" दीदी अब धीरे धीरे खुलने लगी थी असली बात जानने के लिए कि उसका भाई ये सब कहाँ से सीखता है।

अब मुझे भी शक होने लगा था लेकिन मैं सब कुछ सच सच बताने के मूड में आगया था।

"हाँ दीदी हम लड़कियों के बारे में भी बाते करते है, दीदी सच में मुझे कुछ पता नहीं था लेकिन मेरे दोस्तों ने स्कूल में मुझे सब बताया और अब हम मिस के साथ कभी कभी कुछ मजा कर लेते है दीदी आप बुरा मत मानना प्लीज सच में पहले मैं ऐसा नहीं था लेकिन अब मेरा हर वक्त यही दिल करता है" मैं समझ गया था की दीदी ये सब इसीलिए पूछ रही है की ये सब मैं उसके साथ भी करने लगा था और उसके सामने मेरी बहाने बाजी नहीं चली थी।

दीदी मेरी बात सुनकर हैरान थी और शायद मेरी बातो से उसे कुछ मजा भी आरहा था।

"मिस तुम लोगो को कुछ नहीं कहती क्या जब तुम लोग ऐसा करते हो और क्या तुम्हे जरा भी शर्म नहीं आती ऐसा करते हुए, पता है ये गलत काम है और अगर किसी मिस ने डैड से तुम्हारी शिकायत कर दी तो फिर देखना डैड तुम्हारा क्या हाल करते है" 

"दीदी मैं सब जानता हूँ लेकिन क्या करू मैं अपने दिल के हाथो मजबूर हूँ वो जैसा कहता है मुझे करना पडता है अब इसमें मेरा क्या कसूर है" मैं बोला "दीदी अब आप ही बताओ की क्या इस सब के बारे में क्या आप नहीं जानती और क्या आप अपनी फ्रेंड्स के साथ ऐसी बाते नहीं करती है और दीदी सच सच बताना की क्या आपका दिल नहीं करता ये सब करने या कराने का"।

"भैया मैं इस बारे में सब जानती हूँ और हम सभी फ्रेंड्स ऐसी बाते करती भी है लेकिन मैंने कभी ऐसा करने का सोचा ही नहीं है पता नहीं कभी मैं ऐसा सोचति हूँ तो मुझे बहुत बुरा लगता है इसलिए मेरा दिल कभी भी ऐसा करने का नहीं करता" दीदी बोली।


"लेकिन दीदी।।।।।।।" मैंने कहना चाहा।

"चलो अब जाओ बहुत टाइम हो गया है और मुझे बहुत काम करने है" दीदी बोली और उठ कर खड़ी हो गई।

मैन समझ गया की अब वो आगे बात करने वाली नहीं है और वैसे भी आज के लिए बहुत हो गया था दीदी काफी हद तक मुझसे खुल गई थी मैं भी उठा और उसके रूम से बाहर आगया।।।।।।।।।।।।।।।

दीदी के रूम से निकल कर मैं अपने रूम में आगया और दीदी के साथ ही बाते हुई उनके बारे में सोचने लगा 

शाम को सब साथ बैठे थे और रीमा दीदी मेरे सामने बैठि थी मैं उनको देख रहा था की अचानक मेरी नजर उनकी साइड पर गई उनकी कुर्ती थोड़ी ऊपर उठी हुई थी जिससे उसकी गोरी कमर साफ़ दिखाई दे रही थी और ऊपर बड़े बड़े बूब्स भी मेरा ध्यान अपनी तरफ खिंच रहे थे उफ़ मेरी तो हालत ख़राब हो गई थी क्योंकि सुबह ही दीदी से ऐसी बाते की और अब ये नजारा उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्।।।।।।।। मेरा लंड फुल टाइट हो गया था।

कुछ देर ऐसे ही बाते करने और दीदी को ताकने के बाद एक बार फिर मुझे झटका लगा जहाँ से दीदी की कमर नजर आरही थी वहीँ से उनकी सलवार भी थोड़ी नीचे ही गई थी जहाँ से मुझे उनकी सलवार के अंदर एक काला कपडा नजर आया मुझे शक हुआ की ये जरुर दीदी की अंडरवियर होगी दीदी ने इस वक्त हरे रंग का सूट पहना हुआ था और अंडरवियर काली थी जो दीदी के गोरे बदन पर बहुत ही सेक्सी लग रहा था लेकिन मेरी समझ में ये नहीं आरहा था की दीदी ने इतनी गर्मी में अंडरवियर क्यों पहना है और हम लडक़ो के पास तो लंड होता है जिसे दबाने के लिए हम अंडरवियर पहन ते है जबकि लड़कियों को उसकी क्या जरुरत होगी।

रात को मैं दीदी के रूम में गया और उसके साथ बैठ कर बाते करने लगा लेकिन मेरे दिमाग में उनके अंडरवियर वाली बात ही चल रही थी लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी दीदी से इस बारे में कुछ पुछने की।

आखीर जब मेरे से बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैंने भी हिम्मत कर के पूछ ही लिया "दीदी मैंने शाम को देखा था की आपने अंडरवियर पहना हुआ है तो मुझे ये समझ नहीं आरहा की आप लड़कियों को इसकी क्या जरुरत होती है और इतनी गर्मी में पहनने का क्या मतलब है, वैसे दीदी एक बात कहूँ आपके गोर रंग पर ग्रीन सूट के साथ ब्लैक अंडरवियर बहुत ही अच्छा लग रहा था"।
 
मेरी बात सुनकर दीदी के होश उड़ गए वो बहुत हैरान हो गई की मुझे ये कैसे पता चला और उसके चेहरे पर गुस्सा भी नजर आने लगा।

"तुम्हेँ कैसे पता चला की मैंने अंडरवियर पहना है और वो भी ब्लैक कलर का, कैसे देखा तुमने कहीं तुम छुप कर मुझे कपड़े बदलते तो नहीं देखते, देखो राज ये गलत बात है और अगर कहीं डैड को ये पता चल गया ना तो तुम्हारी जान ले लेंगे, थोड़ी शर्म करो भाई क्या हो गया है तुम्हे जरा अपनी उमर तो देखो और काम कैसे कैसे" दीदी एक साँस में ही ग़ुस्से से बोली।

"दीदी मैंने कहीं से छुप कर नहीं देखा आप मेरे बारे में ऐसा सोच भी कैसे सकती हो, असल में जब शाम को सब साथ बैठे हुए थे ना तब आपकी कुर्ती ऊपर उठ गई थी और सलवार थोड़ी नीचे ही गई थी तो मुझे आपकी गोरी कमर और ब्लैक अंडरवियर दिखाई दे गई थी अब इसमें मेरी क्या ग़लती है" मैं मासुम बनते हुए बोला।

"क्या तुम सच कह रहे हो, खाओ मेरी कसम" दीदी थोड़ी रिलैक्स होते हुए बोली।

"आपकी कसम दीदी मैं बिलकुल सच कह रहा हूँ वैसे एक बात बताऊ उस वक्त जब मैंने आपका जिस्म देखा ना तो मुझे वो बहुत प्यारा लगा, सच दीदी आपका हस्बैंड बहुत लकी होगा उसकी तो लाइफ बन जायेगी आपको वाइफ बना कर मुझे तो अभी से जलन होने लगी है आपके होने वाले हस्बैंड से" मैं दीदी को छेड़ते हुए बोला।


"हे भगवान।।।।।।।। शरम करो राज इतनी छोटी सी उमर में इतनी बड़ी बड़ी बाते करते हो, उफ्फ्फफ्।।।।।। पता नहीं आज कल के लड़को को क्या हो गया है" दीदी मुस्कुराते हुए अपने माथे पर हाथ मारते हुए बोली।

"दीदी प्लीज अब बता भी दो की आप लड़कियां अंडरवियर क्यों पहनती हो" मैंने दीदी को नार्मल देख कर पूछा।

"भाइया पहली बार तो ये है की उसे पैंटी कहते है और मैं वैसे तो रेगुलर पैंटी नहीं पहनती लेकिन अभी मेरे पीरियड्स चल रहे है इसलिए पहननी पड़ रही है जब पीरियड्स खत्म हो जायेंगे तब नहीं पहनुंगी" दीदी बोली।

"दीदी अब ये पीरियड्स क्या होते है इसके बारे में तो मैंने कभी नहीं सुना, बताओ ना दीदी ये क्या होते है" मैंने पूछा और सच में मैं इस बारे में कुछ नहीं जानता था।

दीदी अब पहले से ज्यादा ओपन हो गई थी और अब उसको भी ऐसी बाते करने में मजा आरहा था क्योंकि उसका कोई बॉय फ्रेंड तो था नहीं और लड़कियों के साथ उसे ऐसी बाते करने में उसे मजा नहीं आता था अब भले ही मैं उसका भाई था लेकिन था तो लड़का ही इसलिए मेरे साथ सेक्सी बाते करने में उसे बहुत मजा आता था इसलिए हम अपस में जल्दी ही फ्री हो गए थे और खुल कर बाते करते थे (दीदी ने बाद में मुझे ये सब बताया था)।

"अरे बुद्धू हर लड़की को जब वो जवान हो जाती है तब हर महीने उसे ब्लीडिंग होती है ५ से ७ दिन और अभी मेरे साथ भी वही हो रहा है इसी को पीरियड्स कहते है या माहवारी कहते है और यहाँ से खून निकलता है" कहते हुए दीदी ने सलवार के ऊपर से अपनी चूत पर हाथ रखते हुए कहा।

"दीदी यहाँ कहाँ से निकलता है जरा मुझे भी देखने दो" कहते हुए मैं अपना हाथ दीदी की चूत के पास ले जाने लगा तो दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया।

"नही भाई बस बातो तक ही ठीक है ज्यादा आगे मत बढ़ो बस जो पूछ्ना है पूछा करो और जो बताना है बताया करो लेकिन टच नहीं करना है और प्लीज किसी को बताना नहीं की हम भाई बहन ऐसी बाते करते है वरना गजब हो जाएग, वादा करो तुम किसी को भी ये सब नहीं बताओगे"दीदी मेरा हाथ पकडे हुए बोली।

"ओके दीदी मैं वादा करता हूँ की मैं ये सब किसी को भी नहीं बताऊँगा लेकिन मेरे आपको टच करने से क्या हो जाएगा दूसरे लड़के लड़कियां भी तो एक दूसरे की शादी से पहले और बाद में टच करते है फिर भले मेरे टच करने से क्या हो जाएगा" मैं बोला। 

"हाँ करते है लेकिन भाई बहन नहीं करते सो नेवर" दीदी कातिल मुस्कान के साथ बोली।

"भाइ बहन ऐसी बाते भी तो नहीं करते दीदी, प्लीज दीदी टच करने दो ना कुछ नहीं होता।।।।।।" मैं गिडगिडाते हुए बोला।

"बेडे चालाक हो गए हो, अच्छा देखेंगे बाद में लेकिन अभी नहीं अब जाकर सो जाओ फिर बात करेंगे आराम से और देखेंगे की क्या करना है क्या नहीं" दीदी हँसते हुए बोली।
 
"बेडे चालाक हो गए हो, अच्छा देखेंगे बाद में लेकिन अभी नहीं अब जाकर सो जाओ फिर बात करेंगे आराम से और देखेंगे की क्या करना है क्या नहीं" दीदी हँसते हुए बोली।

अंदर से रीमा दीदी का दिल भी कर रहा था की उसका भाई उसके प्राइवेट पार्ट्स को टच करे लेकिन वो डर रही थी इसलिए उसने अपने दिल की नहीं मानी और मना करते रही।

"दीदी मुझे समझ नहीं आरहा है की आखिर प्रॉब्लम क्या है जब हम बाते कर सकते है और आपने कहा की बाद में टच भी कर सकते है तो अभी क्यों नहीं आखिर क्या हो जायेगा क्या बुराई है इसमें मैं अपनी मिस को भी तो टच करता हूँ जब उन्हें कुछ नहीं हुआ तो आपको क्या हो जाएग, प्लीज दीदी।।।।।।" आखिर में मैं बौखला कर बोला।

"अच्छा ठीक है लेकिन पहले दरवाजा तो बंद कर लो।।।।।।" कुछ देर सोचने के बाद दीदी कातिल मुस्कान के साथ बोली।

और जैसे मेरी तो लाटरी लग गई मैं झट से दरवाजे की तरफ भागा।।।।।।।।।।।

मैंने दरवाजा बंद किया और दीदी के पास बेड पर बैठ गया और बोला "दीदी अब मैं आपको टच करू? और अपनी मर्जी से चाहे जहाँ टच करू या जहाँ आप कहोगी वहां करूँ" 

"आये।।।।।।। ज्यादा स्मार्ट मत बन समझा, जहाँ जहाँ अपनी मिस को टच करता है ना बस वहीँ कर और कहीं नहीं वरना मैं ये भी नहीं करने दूंगी हाँ।।।।।" दीदी मुझे चमकाते हुए बोली।

"अच्छा बाबा ठीक है लेकिन पहले आप मिस की तरह खड़ी तो हो जाओ फिर आपको कर के दिखाता हूँ की मिस के साथ कैसे करते है" कहते हुए मैंने दीदी को खड़ा कर दिया और दीदी के पीछे खड़ा हो गया।

"दीदी प्लीज थोड़ा सा झुक जाओ जैसे मिस सामान देने के टाइम झुकती है बस उसी तरह खड़ी हो जाओ" मैं बोला।

कब दीदी मेरी बात सुनकर थोड़ी सी झुकि और बोली "अब ठीक है"।

मैने दीदी की गांड पर हाथ रखा और बोला "दीदी इसको जरा बाहर निकालो और बस थोड़ा सा और झुक कर खड़ी हो जाओ"।

अपनी गांड पर मेरा हाथ टच होते ही दीदी सिहर उठी और फिर मैंने दीदी को अपने हिसाब से झुका कर खड़ा किया और बोला "ओके दीदी अब ठीक है अब शुरू से स्टार्ट करूँ?"

दीदी ने हाँ में गर्दन हिलायी उस वक्त उनकी आँखे बंद थी वो ये सोच कर रोमाँचित हो रही थी की आगे क्या होने वाला है ये मुझे दीदी ने बाद में बताया था की उस वक्त वो क्या सोच रही थी।

कब मैं दरवाजे के पास गया और बोला "ओके दीदी अब आप मेरी टीचर है और मैं आपका स्टूडेंट"।

इत्ना कह कर मैं धीरे से दीदी के पीछे आया और एक हाथ दीदी की गोल गोल गांड के राइट वाले चुत्तड़ पर रखा और खुद दीदी से चिपक गया दीदी की गांड मेरी सारी टीचर्स से ज्यादा सॉफ्ट थी और बिलकुल नार्मल थी मीन्स ना बहुत बड़ी ना ही छोटी बस बहुत प्यारी थी जितनी भी तारीफ करू कम थी।

जब मैंने दीदी की गांड को हाथ लगाया और उनसे चिपका तो दीदी की गांड कापने लगी और खुद ब खुद मेरे लंड में जान आने लगी और वो १० सेकंड में ही पूरा खड़ा हो गया और दीदी की गांड की दरार में लगने लगा दीदी ने इस वक्त सलवार सूट पहन हुआ था और अंदर पैंटी भी पहनी हुई थी तो वो मेरे लंड को अच्छे से फील नहीं कर पा रही थी लेकिन अब उनकी साँसे पहले से तेज-तेज चलने लगी थी.

"दीदी कैसा फील हो रहा है और आपने क्या फील किया प्लीज बताओ ना" मैंने पूछा।

"भाइ तुम मेरे साथ चिपके हुए हो और धीरे-धीरे से हिल रहे हो और मुझे बहुत अच्छा लग रहा है" दीदी ने जवाब दिया।

"दीदी शायद कुछ और भी टच हो रहा हो आपको या मेरा कुछ फील हो रहा हो?" मैंने फिर पूछा।

"नही बस तुम्हारा बदन मेरे बदन से चिपका हुआ है वैसे तुम बताओ की तुमने क्या-क्या टच किया हुआ तुमने मेरे बदन से" अब दीदी ने पूछा.

"दीदी मैंने अपना एक हाथ आपके राइट हिप पर रखा हुआ है अपना लंड आपकी गांड के बीच में लगाया है क्या दोनों आपको फील हो रहे है" मैंने सीधे नंगे वर्ड बोलना स्टार्ट कर दिया।

मेरे मुँह से ऐसे नंगे शब्द सुनकर दीदी सकपका गई और बोली "ये कैसे गंदे वर्ड इस्तेमाल कर रहे हो तुम"।

"दीदी मैंने क्या गलत कहा यही तो कहते है सब और जब हम इतना सब कर रहे है तो फिर बोलने में क्या दिक्कत है, चलो अब बताओ की क्या फील किया आपने" मैं सफाई देते हुए बोला।

"ओके।।। ओके, राज तुम बहुत एक्सपर्ट हो इस काम में सच तुम्हारा हाथ मुझे फील नहीं हो रहा है बल्कि मुझे तो पता ही नहीं चला की कब तुमने अपना हाथ रखा और तुम्हारा ल।।।।लन्ड शायद मेरी पैंटी की वजह से फील नहीं हो रहा है, सच तुम बहुत बिगड गए हो अब बस करो और जाओ" दीदी अपनी गांड हिलाते हुए बोली।

"दीदी कुछ देर तो ऐसे खड़ी रहो प्लीज इसमें क्या है कुछ हो थोड़े ही रहा है" मैं बोला।

वेसे दीदी ने सिर्फ कहा ही था लेकिन हट्ने की कोशिश नहीं की थी न ही वहां से हिली थी लेकिन कुछ सेकंड बाद दीदी ने अपनी गांड को हिलाना शुरू कर दिया था शायद मेरा लंड फील करना चाहती थी और उनके ऐसा करने से मुझे बहुत मजा आरहा था और मेरा दिल कर रहा था की दीदी की गांड पर धक्के मारु और मैंने धीरे धीरे से हिलना शुरू कर दिया।
 
[size=large]"दीदी मजा आरहा है ना, क्या कुछ देर ऐसे ही प्यार कर के और दीदी क्या मैं आपको किस कर सकता हो" मैंने दीदी की गांड में धक्के लगाते हुए पूछा।

"हां भाई कर लो लेकिन किस्स नहीं हाँ अगर मिस को भी किस करते हो तो कर लो वरना नहीं सम्झे" कहते हुए दीदी हॅसने लगी और उसकी गांड में भी हलचल होने लगी और अब पहले से ज्यादा मजा आने लगा।

अब मैंने दीदी को पकड़ कर लंड को जोर से उसकी गांड पर रगडना शुरू कर दिया अब मेरा लंड पूरा हार्ड हो गया था और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था मेरी टांगे काँपने लगी थी बिलकुल वैसे ही जैसे मुठ मारते वक्त होती थी।

अचानक ऐसा करते करते मुझे लगा की मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने दीदी के बूब्स पर हाथ डाला और उनको जोर जोर से दबाने लगा और जोर से लंड दीदी की गांड पर रगड़ते हुए कुछ ही देर में मेरे लंड ने पानी छोडना शुरू कर दिया जिससे मेरी साँसे तेज हो गई और दीदी को भी फील हुआ तो वो मेरी तरफ झट से मुडी और मुझे अपनी छाती से लगा कर दबा लिया उफफफ्।।।।। मेरा लंड पानी छोड़ रहा था और दीदी ने मुझे कस कर पकड़ा हुआ था अब दीदी के बूब्स मेरे मुँह पर थे मतलब मेरा मुँह दीदी के बूब्स पर था और दीदी की धड़कने भी जोर से चल रही थी और इस पोजीशन में हम लोग ५ मिनट तक खड़े रहे फिर दीदी ने मुझे छोड़ा और मेरी आँखों में लव और लस्ट देख कर मेरी पलकों पर धीरे से दो मीठे मीठे किस्स किये और फिर बेड पर बैठ गई और मुझे भी साथ बैठा लिया।

हम दोनों कुछ देर तक जोर जोर से साँस लेते रहे लेकिन चुप बैठे हुए थे फिर अचानक से दीदी ने मुझे पकड़ा और बेड पर लेटा दिया और अपने स्वीट लिप्स मेरे लिप्स पर रख कर मुझे पागलो की तरह किसिंग करने लगी।

उउउफफ क्या मीठा स्वाद था दीदी के मुँह का मजा आगया मुझे तो अब मैंने भी दीदी को भरपूर किस किया और १० मिनट बाद दीदी ने मुझे छोड़ा और शर्म से अपनी आँखों पर हाथ रख लिया और बोली "राज अब जाओ अपने रूम में, गंदे कहीं के"।

मै भी बिना कुछ कहे अपने रूम में आगया और रूम में एंटर होते ही या।।।।। हूँओ।।।। कहा और अंदर ही अंदर बहुत खुश हुआ अब मुझे वो सीन याद आने लगा जो कुछ देर पहले मैंने दीदी के साथ किया था और कितना मजा आया था।

उफ्फ्फ्फफ्।।।।।।।दीदी आई लव यू सो मच ।।।।।।।

ओर वैसे ही सोचते हुए मैं सो गया।।।।।।।।

अब आगे क्या होगा और कैसे होगा कुछ पता नहीं था लेकिन जितना भी करके आया था उसमें बहुत मजा आया था और मुझे बहुत अच्छा फील हो रहा था खास कर जब दीदी के बूब्स पकडे थे और जब दीदी ने लिप् किसिंग की थी वो।।।।। कितना लकी था मैं यही सब मैं सोच रहा था।

कल दिन जब मैं दीदी के पास पढने के लिए गया तो दीदी बेड पर बैठे न्यूज़ पेपर पढ़ रही थी उसने मुझे देखा और स्माइल दी।

"आओ राज यहाँ बैठो" दीदी मुस्कुराते हुए बोली।

फिर मैंने पढना शुरू कर दिया क्योंकि मैं चाहता था की पहले पढ़ लू और अगर बाद में मौका मिला तो मजे तो करने ही है और दुसरा कोई काम भी नहीं था।

लगभग एक घन्टे बाद मैंने अपना सारा होम वर्क पूरा कर लिया और दीदी की तरफ देखा जो मुझे पढ़ा कर एक बार फिर न्यूज़पेपर में बिजी हो गई थी।

"दीदी मेरा काम तो हो गया आपको कोई काम तो नहीं है" अपना बस्ता समेटने के बाद मैं बोला।

"काम तो है लेकिन तुम क्या कहना चाहते हो बताओ मुझे।।।।।" दीदी बॉली।

"दीदी एक बात पुछु।।।।" मैं बोला।

"हाँ पूछ" दीदी न्यूज़पेपर पढ़ते हुए बोली।

"दीदी सच सच बताना क्या कल रात आपको मजा आया था क्या? और दीदी सच बताओ कल रात जितना मजा मुझे आया आज तक कभी भी नहीं आया इतना की मैं अभी तक भी नहीं भुला सका हूँ रह रह कर मुझे रात की बाते याद आती है और मैं थ्रिल से भर जाता हूँ खास तौर पर वो लमहा जब आपने मुझे लिप् किस्स किया था कसम से वो सब याद करके मैं पागल हो जाता हूँ" मैं बोला।

"भइया प्ल्ज़ वो बात नहीं करो मुझे शर्म आती है, कल पता नहीं मुझे क्या हो गया था लेकिन बाद में मैंने सोचा ये गलत है क्योंकि हम दोनों भाई बहन है तो अब जो हो चुका है उसके बारे में सोचना छोडो और भूल जाओ की कल रात हमने क्या किया था प्ल्ज़ " दीदी सीरियसली बोली।

"क्यों दीदी क्या हुआ? आपको अच्छा नहीं लगा या मैंने कोई ग़लती की मतलब मैंने बिना आपसे पूछे आपके बूब्स पकडे थे तो कहीं आप इस बात से तो नाराज नहीं हो" मैं सकपकाता हुआ बोला मुझे दीदी से ये उम्मीद नहीं थी।

मै बहुत डर रहा था की इतना अच्छा मौका मेरे हाथो से निकल ना जाये कहाँ तो अपनी टीचर्स के साथ डर डर के करना पडता था और कहाँ दीदी के साथ कल रात खुल्लम खुला किया था लेकिन जब मैंने दीदी की तरफ देखा तो वो शर्मा रही थी और मेरी बात का कोई जवाब दिए बिना वो खिसक कर पीछे को हट गई उसके ऐसा करने से उसकी सलवार भी नीचे हो गई थी लेकिन आज मुझे दीदी की पैंटी नजर नहीं आई थी मतलब आज दीदी ने पैंटी नहीं पहनी थी।

"दीदी आपके पीरियड्स खत्म हो गए क्या?" मैंने दीदी को बगैर पैंटी के देख कर पूछा।

वो हैरान होकर सोचने लगी की मुझे कैसे पाता चला और फिर अचानक कुछ सोच कर अपने साइड पर देखा तो उसकी सलवार नीचे थी 

" तू बहुत स्मार्ट है राज" दीदी सब समझ कर हँसते हुए बोली "हा खत्म हो गए है।।।। लेकिन उससे तुम्हे क्या मतलब"।

"दीदी अब हम बाते क्यों नहीं करेंगे, क्यों ना सोचु उस बात के बारे में ही कल हुई और क्यों भूल जाऊ कल रात हुई हसीन बातो को, बताओ न दीदी प्लीज की कल रात मजा आया या नहीं" मैं दीदी को हँसते हुए देख कर बोला।

"भइया प्लीज।।।।।। हाँ आया था मजा लेकिन ये ठीक नहीं है भाई बहन के बीच में तो प्लीज उसे भूल जाओ, अब हम सिर्फ भाई बहन है और दोस्त भी तो अब सिर्फ बाते होगी नो मोर प्लीज" दीदी मुझे समझाते हुए बॉली।
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[size=large][size=large]"भइया प्लीज।।।।।। हाँ आया था मजा लेकिन ये ठीक नहीं है भाई बहन के बीच में तो प्लीज उसे भूल जाओ, अब हम सिर्फ भाई बहन है और दोस्त भी तो अब सिर्फ बाते होगी नो मोर प्लीज" दीदी मुझे समझाते हुए बॉली।
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"दीदी प्लीज।।।। अच्छी कल रात जितना किया था ना बस उतना ही करेंगे प्लीज दीदी इतने से के लिए तो मना मत करो इतने में कुछ नहीं होता" मैं गिडगिडाता हुआ बोला और इतना कह कर मैं दीदी के पास बैठ गया और उसकी टाँग पर अपना हाथ रख कर धीरे धीरे सहलाने लगा तो दीदी ने मेरा हाथ पकड़ा और ग़ुस्से से मेरी तरफ देखा।



"राज एक बार कहा ना की कुछ नहीं करना है चलो जाओ अपने रूम मे" दीदी ग़ुस्से से बोली।



दीदी की बात सुनकर मेरी सूरत रोनी सी हो गई थी और मुँह से आवाज भी निकलने से मना कर रही थी फिर भी मैं बोला "ओके दीदी ठीक है नहीं करना तो मत करो लेकिन मैं आज के बाद कभी भी आपसे बात नहीं करूँगा मुझे यकीन हो गया है की मैं आपको जरा भी प्यारा नहीं हूँ वरना इतना सा करने में क्या हो जाता, कोई बात नहीं मैं जारहा हूँ और एक बार रूम से चला गया तो फिर कभी यहाँ नहीं आउंगा आगे आपकी मर्जि" कहते हुए मैं उठा और रूम के गेट की तरफ बढ़ गया।



में गेट की तरफ बढ़ तो रहा था लेकिन धीरे धीरे क्योंकि मुझे उम्मीद थी की मेरी इमोशनल बातें सुनकर दीदी मुझे रोक लेंगी लेकिन हाय रे मेरी फूटी किस्मत मुझे पीछे से कोई आवाज नहीं आयी और मैं दीदी के रूम से बाहर निकल गया।



मेरे जाने के बाद रीमा दीदी सोच रही थी की अब क्या करे और खुद को ही कोस रही थी की उसकी ही वजह से ये सब हुआ ना वो ऐसी बाते करती और ना ही आज ऐसा होता वो अभी सोच ही रही थी की मैं रूम से बाहर निकल गया था तो दीदी जल्दी से बाहर आई और मुझे आवाज देकर बुलाया लेकिन अब मैं ज़िद्द में आ चुका था और ग़ुस्से से अपने रूम में आकर बेड पर लेट गया और सोचने लगा की आगे क्या होगा।।।।।।।।।।।



रात को सभी ने मुझे खाने के लिए बुलाया लेकिन मैंने तबियत ठीक न होने का बहाना कर दिया और अपने बेड पर ही लेटा रहा लेकिन नींद मेरी आँखों से कोसो दूर थी रात बहुत हो गई थी और शायद सभी लोग सो गए थे की थोड़ी देर बाद मेरा रूम का दरवाजा खुला और दीदी ने अंदर कदम रखा लेकिन मैंने अपनी आँखे बंद कर ली ताकि दीदी यही समझे की मैं सो रहा हूँ।



दीदी मेरे पास आकर बैठ गई और मुझे उठाने लगी "राज उठो भैया मेरी बात तो सुनो"।



लेकिन मैं नहीं उठा तो दीदी ने मुझे हिलाया और जोर से बोल कर मुझे जगाना चाहा लेकिन मैं नहीं उठा दीदी ने मुझे उठाने की हर कोशिश कर ली लेकिन मैं ढीट बन कर पड़ा रहा।



"अच्छा ठीक है भाई मैं जा रही हूँ मैं तो ये कहने आई थी की मुझे तुम्हारी बात मंजूर है हमने कल जितना प्यार किया था उतना अब रोज किया करेंगे लेकिन अब तुम ही नहीं चाहते हो तो ठीक है।।।।।।।।" दीदी हार कर बोली।





"मेने दिल ही दिल में बहुत खुश हुआ और मेरा दिल करने लगा की दीदी को पकड़ कर अपने पास सुला लूँ लेकिन तभी मुझे ख्याल आया की कहीं दीदी मुझसे बात करने के लिए झूट तो नहीं बोल रही है और ये सोच कर मैं सोने का नाटक जारी रखा और थक हार कर दीदी मेरे बेड से उठ कर चली गई मेरी आँखे बंद थी और रूम में अँधेरा भी था कुछ नजर भी नहीं आरहा था।


[size=large][size=large]खेर दीदी दरवाजे के पास पहुँची और बोली "उठ रहे हो या मैं जाउ"।[/size][/size]
 
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